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सुश्रुत शारीर Extra point
सुश्रुत शारीर Extra point
सुश्रुत शारीर Extra point
Ajit Patil’s
PGA - CET Classes
SUSHRUT SHARIR
EXTRA POINTS
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES
सर्वभत
ू चिन्ताशारीर – ९
सुश्रत
ु शारीरस्थान – १
िैशेजिक दशघन
चािाक दशघन
[ िड्दशघन ]
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- न्याय दशघन
- पूिघ मीमांसा
- उत्तर मीमांसा
िोकायत दशघन
ब्राहतपत्य दशघन
सांख्य दशघन
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* र्ाद :-
सत्कायघिाद - सांख्य
असत्कायघिाद / न्याय
अनेकांतिाद
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िैशेजिक दशघन
* ज्ञानेंचिय – ५
- श्रोत्र [ कणघ ]
- त्िक्
- चिु
- जिव्हा
- घ्राण
* कमेंचिय – ५
- िाक्
- हतत
- उपतथ
- पायु [ गुद ]
- पाद
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* िरक शारीरस्थान – १
२४
२४
२४ तत्र्
अष्टप्रकृ चत षोडशचर्कार
[८] [ १६ ]
* अष्टप्रकृ ती –
१) अव्यक्त
२) महतृ [ बुद्धी ]
३) अहं कार
४) पंचतन्मात्रा - १) शब्द
२) तपशघ
३) रुप
४) रस
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५) गंध
Total = ८ प्रकृ ती
* षोड्श चर्कार –
पंचज्ञानेजिय [ बुजद्धइंजिय ] – ५
पंच कमेंजिय – ५
पंच अथघ – ५
उभयात्मक मन – १
Total – १६ जिकार
२५
२) प्रकृ जत – जिकृ ती
३) जिकृ जत [ जिजकार ]
४) न प्रकृ जत न जिकृ ती
प्रकृ जत जिकृ ती = ७
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चर्कार = १६
मूिप्रकृ ती – १ [ अव्यक्त ]
* िरक का सृष्टी उत्पत्ती का क्रम र्ेदांत दशवन के सृष्टी उत्पत्ती क्रम से Match [ समान ]
होता है ।
- शांकर दशघन
शारं गधर
* षोडश चर्कार
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* तकवसंग्रह – अन्नमभट्ट
न्याय दशघन
िैशेजिक दशघन
२) नीि
३) पीत
४) रक्त
५) हाजरत
६) कजपश
७) जचत्र
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पृथ्िी महाभूत
* तकवसंग्रह के अनुसार ‘िल महाभूत’ और ‘तेि महाभूत’ में रुप का ‘शुक्ल प्रकार है ।
[ तेि ]
* शब्द –
२) अदष्ृ टाथघ
३) सत्य
४) अनृत [ असत्य ]
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- अस्तत मोि
- आयुिेदाचे उपदे श
Instrumental
१) ध्िणात्मक [ ध्िणी ]
२) िणात्मक [ भािा ]
All language
[L C]
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पृथ्िी महाभूत
िि महाभूत
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फणा ममघ
* फर्ा ममव –
रचनेनस
ु ार – जसरा ममघ [ Accouding to रचना ]
* गंधक का गंध [ Smell ] कम करने के चलए गंधक को कौनसे स्र्रस में चनर्ाचपत करना
िाचहए ?
१) सुिचघ िा तिरस
२) गोदुग्ध
* गंधक का गंध [ Smell ] कम करने के चलए गंधक को गोदुग्ध में चकतने बार चनर्ाचपत [
डु बाना ] करना िाचहए ?
* रसोन का ‘गंध’ कम करने के चलए, रसोन को रातभर चकसमें डु बाकर रखना िाचहए ?
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गंध के २ प्रकार –
१) सुरजभ [ संगंध ]
२) असुरजभ [ दुगघन्ध ]
सुश्रुत
तपशघ इंजिय
२ उष्ण
३ अनुष्ण – शीत
* तकवसंग्रह के अनुसार –
- िायु महाभूत
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धारण
ग्रहण
जिसगघ
गमन
* सुश्रुत के अनुसार ‘बुद्धी’ की उत्पत्ती गभव में कौनसे मचहने में होती है ?
६ मजहने में
[ िष्ठे बुद्धी ]
* सुश्रुत के अनुसार ‘मन’की उत्पत्ती गभव में कौनसे मचहने में होती है ?
५ िे मजहने
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[ पंचमे मन: ]
१) सास्त्िक
२) रािस
३) तामस
१) अनुत्ि
२) एकत्ि
आचायघ भेि
छादयोग्य उपजनिद
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१) प्रिर
२) मध्यम चरक
३) अिर
[ ज्ञान ]
* मन को ‘अतीस्न्िय’
१) रि
२) तम
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जिसगघ काळ
आदान काळ
ििा जशजशर
शरद िसंत
हे मंत ग्रीष्म
* चदशा – [ Direction ]
१०
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२) पस्श्चम ७) ईशान
३) दजिण ८) नैऋत्य
४) उत्तर ९) ऊध्िघ
प्रचतिी – पस्श्चम
उचदिी – उत्तर
आर्ािी – दजिण
- १) पुिघ
२) पस्श्चम
३) दजिण
४) उत्तर
५) ऊध्िघ
६) अधो
पुिघ कुबेर
पस्श्चम िरुण
उत्तर इंि
दजिण यम
ऊध्िघ ब्राम्हा
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अधो नाग
* सुश्रुत के अनुसार ‘स्तन्यपान के समय बालक और माता का मुख कौनसी चदशा में होना
िाचहए ?
सुश्रुत – पूिघ-दजिण
* सुश्रुत के अनुसार शस्त्रकमव के समय रुग्र् और र्ैद्य का मुख कौनसे चदशा में होना
िाचहए ?
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योगरत्नाकर
* मुत्र में तैलबबदु कौनसी चदशा में िाने पर चनस्श्ित आरोग्य प्राप्ती बताई है ?
उत्तर जदशा
* सुत्र में तैलबबदु कौनसी चदशा में िाने पर मृत्यु चनस्श्ित बताया है ?
आग्नेय
* त्र्िा – [ Skin ]
िरक
काश्यप
भेल ६
सुश्रुत
शारं गधर ७
तथुिा त्िचा
ताम्रा त्िचा
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* र्ायु [ र्ात ]
काश्यप
उदान िायु
व्यान िायु
८४
* नेत्र
२ अंगि
ु माना है ।
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* नेत्र मंडल – ५
नेत्र संधी – ६
नेत्र पटल – ६
* Eye
Antero-Posterior – २४mm
Vertical [ २३mm]
ििा, ग्रीष्म
जशजशर, हे मंत
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जिव्हा [ सु. शा ]
* Muscles in Tougue – ८
Genioglossus muscle
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Scarlet fever
Kawasaki disease
* िल
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Nasal bone
नाभी
१३ [ चरक. जच. १५ ]
१३ अस्ग्न - ७ धात्िास्ग्न
१ िाठरास्ग्न
५ पांचभौजतक अस्ग्न
१३
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इंि
२२
* िरक ने कौनसे व्याधी चक चिचकत्सा में चर्ष्र्ु का सहस्त्र बार नाम लेना िाचहए ?
उन्माद
हाजरत संजहता
मजणपुर चक्र
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* गुदर्ली ३
जिसिघनी
[ Anal canal ]
* Length of Rectum १२ cm
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– Paraphimosis
१) िरायुि [ Placental ]
२) अंडि
* क्र्चित् धमव क्र्चित् मैत्री क्र्चित् अथव क्र्चित् यश कमाभ्यास क्र्चित् चिचकत्सा नास्स्त
चनष्फल।
योगरत्नाकर
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मांससार [ च. जि. ८ ]
िाग्भट
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* सत्र्गुर् – प्रकाशक
* मन के दोष रि, तम
चािाक दशघन
िैशेजिक दशघन
आकाश महाभूत
आकाश महाभूत
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िायु महाभूत
* सास्त्र्क प्रकृ चत
चरक
सुश्रुत ७
* रािचसक प्रकृ चत
चरक
सुश्रुत ६
* तामचसक प्रकृ चत
चरक
सुश्रुत ३
चरक
सुश्रुत १६
तामजसक प्रकृ ती – ३
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सुश्रत
ु शारीर – २
शुक्रशोचर्तशुद्धी अध्याय
रि का प्रमार् = ४ अंििी
भेि शारीर ०६
६) ि. शा. २/३ –
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७) भेल संचहता अनुसार, रक्त, मांस, र्सा, अस्स्थ, मज्िा, शुक्र, मल, मूत्र, अस्ग्न का क्षय ९०
साल के आयु मे होता है ।
शुक्रक्षय के कारर् = ०६
शुक्रदोष = ०८ – च. जच. ३०
शुक्र का िि मे डु ब िाना, १ मास मे मृत्यु होने का अजरष्ट ििण माना है । चरक इंजिय
१०) Sperm –
२) Length of Sperm = ५५ – ६० µm
६१ days
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+ ३० % Prostate Fluid
+ १० % Sperms
Ans. Ketoconazol
शुक्र दोष = ८
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शुक्रदोि कृ च्छसाध्य
शुक्रदोि
शुक्रदोि
हाजरत अनुसार र्न ततन्यदोि के कारण बािकों मे उत्फु स्ल्िका व्याधी होता है ।
१३) सुश्रुत अनुसार कुर्पगंधी शुक्रदोष मे धातकीपुष्प, दाडीम, खदीर और शालसाराचद गर्
का प्रयोग करे ।
१४) उत्तरबस्स्त
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स्री = १० अंगि
ु
स्री = मुद्गाकार
१) अपत्यमागघ मे ४ अंगि
ु तक प्रिेजशत
२) मूत्रमागघ मे २ अंगि
ु तक प्रिेश
३) कन्या मे १ अंगि
ु तक प्रिेश
योजनमागघ के जिए
२) मूत्र मागघ १ पि
३) कन्या मे २ किघ
स्री = १० अंगि
ु
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स्री = मुद्गाकार
१ प्रसृत
स्री = १० अंगि
ु
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- E. N. = Fireflame bush
मुत्रजिरिनीय महाकिाय
E. N = Cutch Tree
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अष्टांग हृदय = ३३
अष्टांग संग्रह = २५
महाकिाय – चरक = ५०
अष्टांग संग्रह = ४५
अष्टांग हृदय = ५५
२१) शटी
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२२) पलाश
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प्रकार = २ - श्िेतजचत्रक
रक्तजचत्रक
जचत्रक के कल्प -
२८) [ िा. शा. १ ] बहगु से व्याचद र्ृत का प्रयोग मूत्र पुरीष गंधी शुक्र मे करे
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E.N = Asofoetida
१) शोजणत तथापन
२) प्रज्ञा तथापन
३) िय तथापन
४) िेदना तथापन
५) संज्ञा तथापन
३३) Saliva
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There are numorous ducts of rivinus, among which Bartholini duct is largest
* Nerve Supply –
३४)
योगरत्नाकर १/१० –
अस्ग्नमूलं बलं पुंसा रे तोमूलं ि िीचर्तम्।
तस्मात् सर्व प्रयत्नेन र्चि शुक्रं ि रक्षये त्॥
३५)
44 | P a g e
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भैषज्य रत्नार्ली –
शुक्र आयतं बलं पुंसा मल आायतं चह िीर्नम्।
तस्मात् यत्नेन संरक्षये त् यचममर्ो मलेश्तचस
र्ृतमाजिक तैिाभम्॥
45 | P a g e
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शुक्र धातु।
* रसशाि के अनुसार – पारद दोिो मे से जगरीदोि कम करने के जिए जत्रकटु का प्रयोग करे ।
दोिघ्नता – कफहर
- रोगजधकार = अजतसार
२) कुटिाजद रसजक्रया
- रोगाजधकार = अशघ
46 | P a g e
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E.N = Sandalwood
47 | P a g e
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Pathologically – Primary
Secondary
१) Primary Amenorrhea -
Commonly menarche starts at 13 yrs of age. & Maximum upper limit for
menarche = १५ Yrs or
[ Recently = १४ Yrs. ]
२) Secondary Amenorrhea –
48 | P a g e
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१) िाति वकशुकोदक समान स्राि, फेजनि, रुि, तनु, श्याि-अरुण, स्राि, सरुि िा जनरुि।
३) कफि जपस्च्छि, पांडु, गुरु, स्तनग्ध, शीति स्राि र्न स्राि, मंदरुिाकर
प्रकार = ४
49 | P a g e
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४) जत्रदोिि रक्तप्रदर िौि, सर्भप, हरताि िणी, मज्िा प्रकाश, कुणपगंधी स्राि
असाध्य प्रकार
माधिजनदान
कुित्थ
जिपाक = अम्ि
िीयघ = उष्ण है ।
50 | P a g e
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तिणघमाजिक सेिन मे
जशिाजित सेिन मे
51 | P a g e
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संिीिनी िटी।
एकूण र्टक = १०
भािना = गोमूत्र
52 | P a g e
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जिसुजचका = २ िटी
५७) तक्र –
* दजधसेिन जनयम
53 | P a g e
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* आसीन प्रचजियेत्। [ बैठे बैठे वनद आना ] ऐस जनिा का िणघन अरुि और अनजभष्यंदी
जनिा के जिए है । - च. सू. २१
६०) अंधत्र्
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सुरा श्रमहराणाम्।
१. कजपत्थपत्र किाय
२. िीरीिृि किाय
55 | P a g e
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कुनख or कुिीन
सुश्रुत अनुसार –
िातजपत्ति दोिसंर्टन
सुश्रुत र्ाग्भट
दं तरोग ०८ १०
दं तमूि गत रोग १५ १३
ओष्ठ रोग ०८ ११
तािु रोग ०९ ०८
जिव्हा रोग ०५ ०६
* मुखरोग आयतन = ०७
56 | P a g e
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सुश्रुत अनुसार –
सुश्रुत – ६ सुश्रुत – ४
िाग्भट – ६ िाग्भट – ४
२) चक्रपाजण मते –
57 | P a g e
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अष्टांग संग्रह अनुसार ११ र्े और १३ र्े रात्री मे सहर्ास करने से नपुसंक बालक का
िन्म होता है ।
१) चरक = ०५ जदन
२) सुश्रुत = ०३ जदन
िाग्भट
३) हाजरत = ०७ जदन
४) भािप्रकाश = ०५ जदन
भािप्रकाश = १६ रात्री
ब्राम्हण = १६ रात्री
िजत्रय = ११ रात्री
िैश्य = १० रात्री
िुि = ०९ रात्री
58 | P a g e
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* परदाराचभगमन
59 | P a g e
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60 | P a g e
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जतयघकयोजन, अयोजन [ Bastility ], दुजित योजन, उपदं श मे सहिास करने से िातप्रकोप और शुक्र
िय होता है ।
७८) शारं गधर अनुसार ‘परमेश्र्र इर्च्ा’ यह पुत्र / कन्या प्राप्ती का कारर् है ।
भार्प्रकाश अनुसार –
Methods
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४) कनक [ सुिणघ ] + रित, अयस [ िोह ] की छोटी मूती बनाकर तप्त करके दजध, दुग्ध, अथिा
िि मे जनिाजपत करे , इस िि को पुष्यनित्र पे प्राशन करे ।
५) शािीजपष्ट और िि जमजश्रत करके उबािने पर िो भाप बने, उसका ग्रहण करे अथिा इस
जमश्रण मे कापास जपचू जभगोकर दजिण नासापूट मे बुंदे डािे।
३) हे म, रित, अयस जनर्भमत मुती को अस्ग्नतप्त करके दुग्ध मे जनिाजपत करके, इस दुग्ध का प्राशन
करे ।
62 | P a g e
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रक्तजपत्त व्याधी
८५) Twins
१) Monozygotic Twins -
२) Dizygotic twins –
सुश्रुत = ०५
63 | P a g e
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सुश्रुत = ०६
नपुंसक
३) ईष्यघक = दक
ृ योजन पुरुि ३) ईष्यघक
नपुंसक
A) नरिंढ ६) नरिंढ
B) नारीिंढ ७) नारीिंढ
८) िाजतक
सुश्रुत = ३००
सुश्रुत = २१०
काश्यप = ३८१
64 | P a g e
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सुश्रुत = ४ था मास
िाग्भट = ५ िा मास
65 | P a g e
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After birth, stool is passed first [ within २४ hrs ] & then urine is passed.
७) काकंजतका सदश
ृ मि शोकि अजतसार
66 | P a g e
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१००) दं त / Teeth
स्व्दि = २४
तरुण व्यक्ती मे दं त = ३२
Temporary teeth = २०
Permanent teeth = ३२
Incisor molar
Canine premolar
अष्टांग संग्रह अनुसार दं तधािन करते समय सिघप्रथम अधोदं त का धािन करे ।
67 | P a g e
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सुश्रुत चिचकत्सा –
Audio १ – १२
* अंिली प्रमार्
१) मज्िा = १ अंििी
२) मेद = २ अंििी
३) िसा = ३ अंििी
४) मूत्र = ४ अंििी
५) जपत्त = ५ अंििी
६) कफ = ६ अंििी
७) पुरीि = ७ अंििी
68 | P a g e
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८) रक्त = ८ अंििी
९) रस = ९ अंििी
िाग्भट = १ प्रसृत
िाग्भट अनुसार –
ततन्य = २ अंििी
रि = ४ अंििी
६ अंििी
69 | P a g e
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सुश्रत
ु शारीरस्थान – ३
Extra Points –
भािप्रकाश
मिाभत्तं जह िीिनम्।
िाग्भट = १ प्रसृत
भेि = १ अंििी
आकाश [ च. शा. २ ]
70 | P a g e
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* शुक्रप्रर्ृचत्त के कारर् = ०८
* शुक्रक्षय के कारर् – ६
शुक्रप्रिृजत्त का िय = १६ ििे
* िरक के अनुसार,
- च. शा. २
“शुक्रतय बाहु ल्यात् िायते पुमान्, रक्ततय स्री, तयो: साम्ये क्िीब …”।
क्िीब िाग्भट
नपुंसक सुश्रुत
71 | P a g e
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शारं गधर
* भार्प्रकाश के अनुसार
* ऋतुकाल =
सुश्रुत
अष्टांग हृदय
डल्हण
भािप्रकाश = १६ रात्री
72 | P a g e
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* काश्यप के अनुसार,
ब्राम्हण = १२ रात्री
िजत्रय = ११ रात्री
िैश्य = १० रात्री
शुि = ९ रात्री
* रि:काल -
चरक = ०५ जदिस
सुश्रुत = ०३ जदिस
हारीत = ०७ जदिस
* ऋतुकाल = कफप्राधान्य
रि:काल = िातप्राधान्य
१) Bleeding
२) Proliferatory phase
73 | P a g e
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Menarche = १३ – १५ yrs
Menopause = ४५ – ५० yrs
= Hot flushes.
१) Palpitations
३) Osteoporosis
Estrogen.
Progesteron
* र्ाग्भटािायव के अनुसार,
[ अष्टांग हृदय ]
74 | P a g e
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* अ. संग्रह के अनुसार,
११th & १३th यह दोनों रात्री पर संयोग होने से नपुंसक गभघ की जनर्भमती बताई है ।
* सुश्रुत चि. २४
सिघ ऋतु में ३-३ जदन के अंतर से, और ग्रीष्म ऋतु में १५ जदन के अंतर से सहिास करें ।
प्रत्युि काि और मध्यरात्री [ अधघरात्र काि ] में सहिास करने से कौनसा दोि प्रकुजपत
होते है ?
75 | P a g e
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और अधमघ होता है ।
* ि. सु. २५
रि:तििाजभगमनं अिक्ष्मीमुखानां
Bastality
[ softening of cervix ]
76 | P a g e
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रक्ति और मांसि
77 | P a g e
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* दौहृद उत्पत्ती –
३ पि ते ५ मास
* मन के प्रकार चकतने है ?
०३
[ १ सास्त्िक
२ रािस
३ तामस ]
* मन के गुर् = ०२
भेि आचायघ
तपशघनेजिय
78 | P a g e
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* प्रसर्काल –
सुश्रुत – ९ / १० / ११ / १२ माह
- रक्ताि
- क्रथन
* रक्ताक्ष :- च – िराहमांस
सु – माजहिमांस
* गभवपोषर् न्याय :-
सुश्रुत – उपतनेह
79 | P a g e
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* Adult circulation –
* After birth
१) Diabetes
२) Eclampsia
३) Oligohydramnios
४) Polyhydramnios.
५) Epilepsy
80 | P a g e
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* नाभीनालकतवन –
िाग्भट – ४ अंगि
ु के अंतर पर
* नाभीनालकतवन के पश्िात –
* नाभीरोग :-
चरक – ०४
िाग्भट – ०२
* “चर्िृस्म्भका” यह नाभीरोग क्षीरालसक व्याधी में लक्षर्स्र्रुप अष्टांग संग्रह में बताया है ।
* नाभीकुण्डल –
अश्ित्थ
* नाभी ममव :-
रचनानुसार – जसराममघ
81 | P a g e
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* धातुपोषर् न्याय = ०३
िीरदजधन्याय का िणघन दढ
ृ बि ने जकया है ।
- अरुणदत्त
82 | P a g e
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* मन का स्थान
अर्यर् कारर्
१ कुमारजशरा भारिाि – जशर सिघइंजिय अजधष्ठानात
२ कांकायन – हृदय चे तना अजधष्ठान
३ भिकाप्य – नाभी आहारगम
४ भिशौनक – पक्िाशय & गुद िायु अजधष्ठान
५ बजडश – हततपाद करणत्िाद
६ िैदेह िनक – इंजिय बुस्ध्द अजधष्ठान
७ मस्श्ची काश्यप – अजचत्य
८ धन्िंतरी – सिांग
* तचिदसंभाषा –
83 | P a g e
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१) दीर्घम्िीिीतीय अध्याय
३) यज्िपुरुिीय अध्याय
४) आत्रेय अध्याय
* तचिदसंभाषा के प्रकार = ०२
[ च. जि. ८ ]
२) जिगृह्य
* गभोत्पादक भार् = ०६
मातृि – २०
जपतृि – १०
आत्मि – २२
सात्म्यि – ०८
रसि – ०६
सत्िि – १८
84 | P a g e
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- िुिांत्र - क्िोम
- तथुिांत्र
- उत्तरगुद
- अधरगुद
- िपा
- िपािहन
- गुद
- पुरीिाधान
१) शरीरतय अजभजनिृजत्त
२) शरीरतय अजभिृजद्ध
३) शरीरतय प्राणानुबंध
४) शरीरतय तृप्ती
५) शरीरतय पुष्टी
६) शरीरतय उत्साह
रसि
सत्िि रसि
85 | P a g e
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आयु
आत्मज्ञान
मन [ मन सत्िि X आत्मि ]
इंजिय
प्राण – अपान
प्रेरणा
धारण
सुख – दु:ख
इच्छा – िे ि
आकृ ती
चे तना
अहं कार
प्रयत्न
शीि भय अन्य
शौच क्रोध
86 | P a g e
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िे ि तंिा
मोह उत्साह
त्याग तीक्ष्णता
शौयघ गांजभयघ
चरक – सात्म्यि
आरोग्य
अनाितय
अिोिुपत्ि
इंजिय सौष्ठि
तिर संपत
िणघ संपत
बीि संपत
प्रहिघ संपत
* गभवबलगचनस्श्िती
87 | P a g e
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सुश्रत
ु शारीरस्थान – ४
अष्टांग संग्रह
िात रि
88 | P a g e
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जपत्त सत्ि
कफ तमो
* ‘दश प्रार्ायतन’
चरक सुत्रतथान २९
चरक शारीरतथान ७
दश प्रार्ायतन –
* ‘दश प्रार्ायतन में िरक ने सुत्रस्थान में नाभी, मांस के िगह शंख का उल्लेख चकया है ।
89 | P a g e
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िात, जपत्त, कफ, शुक्र, शोजणत, ततन्य, मि, मुत्र, तिेद, उष्मा
भेि
१) Epidermis
२) Dermis
३) Hypodermis
* Sub-layers of epidemis –
C १) Stratum corneum
G २) Stratum granulosum
90 | P a g e
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S ३) Stratum spinosum
B ४) Stratum basale
Joseph lister
कुष्ठ
तपशेंजिय
91 | P a g e
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* Layer’s of त्र्िा
सुश्रुत
िाग्भट ७
शारं गधर
काश्यप
चरक
अ.संग्रह ६
भेि
१) उदकधरा
२) असृकधरा
* शारं गधर ने सुश्रुत के ७th त्र्िा [ मांसधरा ] की िगह स्थुला नाम की त्र्िा बताई है ।
92 | P a g e
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डल्हण
ताम्रा त्िचा
* ‘चसध्म व्याधी िरक के अनुसार त्र्िा के ३rd layer [ चसध्म चकलास ] में होता है ।
* ‘कुष्ठ’ व्याधी िरक के त्र्िा के ४th layer [ दिु, कुष्ठ ] में होता है ।
93 | P a g e
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* ‘कुष्ठ’ सुश्रुत के अनुसार त्र्िा के ४th & ५th Layer [ तािा, र्ेचदनी ] में होता है ।
* ‘चकलास’ व्याधी िरक के त्र्िा के ३rd Layer में आया है । और सुश्रुत के ४th Layer
[ तािा ] में आया है ।
* ‘चर्िधी’ व्याधी िरक के अलिी-चर्िधी [ ५th Layer ] नामक त्र्िा में आया है ।
94 | P a g e
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* क्षीरीर्ृक्ष – कषाय
सर्व गंधोदक
अष्टांग संग्रह
* अंिली प्रमार्
िसा – ३ अंििी
महायोजन
* सुश्रुत ने क्षुिरोग के कौनसे रोग में चशशुमार र्राह र्सा का प्रयोग चकया है ?
जनरुध्द प्रकश
95 | P a g e
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वसह िसा
व्याघ्र िसा
* संधी संख्या –
चरक – २००
सुश्रुत – २१०
काश्यप – ३८१
* आहार के प्रकार –
सुश्रुत – ४
चरक – ४
भाि प्रकाश – ६
शारं गधर – ६
काश्यप
प्रयोगभेद से िव्य – २
96 | P a g e
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१) औिध – िीयघप्रधान
२) आहार – रसप्रधान
* शुक्र धातु
िड्रस युक्त
१ अंििी [ भेि ]
१ प्रसुत [ िाग्भट ]
* शुक्रदोष – चरक – ८
सुश्रुत – ८
97 | P a g e
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[ Only सुत्रतथान ]
* Placenta
Weight – ५०० gm
Volume – ५०० ml
Placenta : Baby = १ : ६
98 | P a g e
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* Leukemia
[ Blood cancer ]
Melanoma
Lymphoma
[ Breast cancer ]
Melanoma
* यकृ त –
99 | P a g e
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नक्तांध
डल्हण
– १३०० gm in female
Vit ‘A’
Vit ‘D’
Vit ‘E’
Vit ‘K’
Vitamin B१२
१, २, ५, ७, ९, १०
100 | P a g e
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* long axis of spleen lies on 10th rib making an angle of 450 with horizontal plane.
* Lungs Weight –
१०
Surfactant
101 | P a g e
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डल्हण
* Length of cecum - ६ cm
* Muscles of tongue
- Extrinsic – ४
- Intrinsic – ४
LC [ general sensation ]
102 | P a g e
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– Corda tympani
[ taste sensation ]
Jacobson’s nerve
बर्भहमुख स्रोतस –
सुश्रुत – पुरुि मे – ९
– स्री में – १२
– स्री – १३
आभ्यं तर
103 | P a g e
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स्रोतस संख्या –
चरक – २२
* िोतस के प्रकार – २
१) सुक्ष्म
२) तथुि काश्यप
[ महत् ]
शारं गधर
* चसरा
– १० [ िाग्भट ]
104 | P a g e
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P – १० – १७५
K – १० – १७५
R – १० – १७५
७००
* स्नायू –
संख्या – ९००
कोष्ठ – २३०
ित्रुऊध्िघगत – ७०
९००
* र्ृक्क –
भैिज्य रत्नाििी
* Kidney
Female – १३५ gm
105 | P a g e
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* Erythropoietin
Calcitrol
Polycystic kidney
106 | P a g e
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* Weight of testis १५ gm
107 | P a g e
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* Heart
Female – २५० gm
* Liver – १५ min
108 | P a g e
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P – Pulmonary Stenosis
V – Ventricular septal defect
R – Right ventricular hypertrophy
O – Over riding of aorta.
काल – १२ शतक
* अधोमुख ममव
- बस्तत
- हृदय
* बस्स्त - एकव्दारं
- अधोमुख
109 | P a g e
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* क्लोम
– िििाजह जसरामूि
गंगाधर
महाभूत
110 | P a g e
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[ शुक्ि ]
* चनिा
* चनिा प्रकार
सुश्रुत – ३
चरक – ६
अ. संग्रह – ७
१) तमोभिा
111 | P a g e
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२) श्िेष्मभिा
३) मन: शरीरश्रमसंभिा
४) आगन्तुकी
५) व्याधी अनुितघनी
* श्लेष्मसमुद्भर्ा चनिा
आगन्तुकी
व्याध्यनुर्र्वतनी
जनिा प्रकार – ७
१) काितिभािा
२) आमयखेद प्रभिा
३) जचत्तखेद प्रभिा
४) दे हखेद प्रभािा
५) कफोििा
६) आगन्तुि
112 | P a g e
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७) तमोभिा [ पापस्त्मका ]
काितिभिा तमोभिा जनिा को छोडकर बाकी ५ जनिा को अ. संग्रहकार ने व्याधी जनजमजत्तक जनिा
कहा है ।
– िातप्रकोप [ िाग्भट ]
* रात्रौ िागरर् में दुसरे चदन उससे अधव मात्र में चनिा लेना िाचहए। और ये चनिा प्रात:काल
और खाने के पचहले लेना िाचहए। [ िाग्भट ]
* अभ्यं ग –
१) अभ्यंग
२) पजरिेक
113 | P a g e
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३) जपचु
४) जशरोबस्तत
* मांस
– कणघशि
ू [ सुश्रुत ]
* श्रेष्ठ फळ – चरक
िाग्भट िािा
सुश्रुत – आमिकी
114 | P a g e
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* शमीफल – केशघ्न
* इक्षु
Bagassosis
* लंर्न के प्रकार –
चरक – १०
िाग्भट – १२
हाजरत – ६
115 | P a g e
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शोधन – ४
शमन – ६
* चनिा –
[ जदिातिाप ]
तिप्न [ जनिा ]
आहार
116 | P a g e
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सत्िौदयघ तमोिय:
िातकफतम [ सुश्रुत ]
रक्तमोिण
* व्यायाम
* व्यायाम
रक्तमोक्षर् तन्िा
अजतजनिा चरक
छर्भद िेगािरोध
* िृम्भा – र्ाग्भट
117 | P a g e
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उद्गार िेगािरोध
* अष्टांग संग्रह के अनुसार कौनसा व्याधी साडे तीन चदन [ ३ १/२ ] चदन के बाद असाध्य
होता है ?
तन्िा [ अ. सं. सु ९ ]
छर्भद [ चरक ]
118 | P a g e
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* नाभी –
– २ – िाग्भट
– अष्टांग हृदय
– ८ अंगि
ु – इतर आचायघ
119 | P a g e
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केशघ्न – शमी
केश रं िन – भृंगराि
Koilonychia
- उत्तम प्रकृ जत – कफ
120 | P a g e
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* धमनी
संख्या – २४ [ सुश्रुत ]
– २०० [ चरक ]
– तािु [ काश्यप ]
* स्र्ेद
िि १० अंििी
िसीका
121 | P a g e
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िातरक्त
कुष्ठ
यशद
प्रिाळ
* दुगवन्ध
मेदिृध्दी
आतघि िृध्दी
* ‘गंधक’ का गंध कम करने के चलए उसे सुर्िवला स्र्रस में रखना िाचहए।
रक्तसार का ििण
122 | P a g e
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* ‘बहुभि
ु ’ – िातप्रकृ ती [ िाग्भट ]
‘बहुभि
ु ’ – जपत्तप्रकृ ती [ सुश्रुत ]
* मुखरोग – [ चसुशािा ]
चरक – ६४
सुश्रुत – ६५
शारं गधर – ७४
िाग्भट – ७५
भािप्रकाश – ६७
123 | P a g e
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* कमल
* अचरष्ट – चरठा
[ चक्रपाणी ने ]
तृणपंचमुळ [ च. शा. ८ ]
124 | P a g e
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* शर
* ‘क्लेशसहा’ लक्षर्
- अस्तथसार
- सिघसार [ च. जि. ८ ]
१) शुकर मांस
२) वसह मांस
[ तिादु गुरु होने पर भी – िराह मांस का जिपाक मधुर, वसह मांस का जिपाक कटु होता है । ]
अश्ि [ र्ोडा ]
गि [ हाथी ]
125 | P a g e
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* गिमूत्र रस – ििण
* संिीर्नी र्टी –
भािना – गोमूत्र
* गोमूत्र का रस – मधुर
* ‘क्षमा’ यह लक्षर्
- मांससार
* मानचसक प्रकृ चत
चरक
सुश्रुत १६
काश्यप – १८
126 | P a g e
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* ‘सतत असुयक’ [ Jealous ] से लक्षर् िरक ने क्षयि कास में बताया है । [ च. जच. १८ ]
* सात्र्ीक प्रकृ ती –
चरक
सुश्रुत ७
काश्यप – ८
* रािसीक प्रकृ ती –
चरक
सुश्रुत ६
काश्यप – ७
* सत्र्गुर् – प्रकाशक
तमगुर् – जनयमक
* र्ात – रि
चपत्त – सत्ि
कफ – तम
127 | P a g e
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- सत्िबहु ि आकाश
- रिोबहु ि िायु
- सत्िरिबहु ि अस्ग्न
- सत्ितमबहु ि आप
- तमोबहु ि पृथ्िी
* धमवअथवकाम चनत्य
128 | P a g e
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सुश्रत
ु शारीर – ५
शरीरसंख्याशारीरअध्याय
१) प्रकृ चत के प्रकार = ८
चर्कार = १६
२) डल्हर् अनुसार :-
१) गभघस्राि
२) गभघपात
Chromosomal abnormality
Cervical incompetence
129 | P a g e
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७) Consent is needed for MTP & for this, patients’s age has to be above
१८ yrs.
When weight at birth is less than १०th percentile of normal birth weight.
Ans – Brain
130 | P a g e
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सु. शा. ०५
च. शा. ०७
अ. हृ. शा. ०३
१२) िोतस
Reference –
आभ्यं तर िोतस
[ चरक ] [ िाग्भट ] = १३
[ सुश्रुत ] = ११ युग्म = २२
131 | P a g e
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सु. शा ०५/०४ = ५७
काश्यप = ८७
भािप्रकाश = ३८
१५) त्र्िा :-
132 | P a g e
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Skin -
१) Stratum cornium
२) Stratum Granulosm
३) Stratum Spinosm
133 | P a g e
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१६) आशय
सुश्रुत : = पुरुि = ०७
स्री = ०८
सुश्रुत = ७००
134 | P a g e
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सुश्रुत – मूिजसरा = ४०
सुश्रुत = ५००
[ It is Inverted Y shape = ]
१) In Liver
135 | P a g e
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सुश्रुत = ३००
136 | P a g e
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In child = ३३ C७ T१२ L५ S५ C४
In child = २६ C७ T१२ L५ S१ C१
: Mineralisation of bones
: Formation of bones.
: Remoduling of bones
137 | P a g e
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सुश्रुत = २००
काश्यप = ३८१
च. जि. ८
महाममघ संख्या :
अष्टांग संग्रह = ०७
काश्यप = ०३
138 | P a g e
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Ans – ८ ममघ
सुश्रुत र्ाग्भट
१ मांसममघ ११ १०
२ संधीममघ २० २०
३ अस्तथममघ ०८ ०८
४ तनायुममघ २७ २३
५ जसराममघ ४१ ३७
०९ = धमनीममघ
* स्थान के अनुसार :-
सभी सस्क्थ = ४४
उदर, उर = १२
पृष्ठगत = १४
ित्रु उध्िघ = ३७
139 | P a g e
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* पचरर्ाम के अनुसार :-
२७) कण्डरा = १६
= ४८ - काश्यप अनुसार
= ०८ - ‘गयी’ अनुसार
Length of pharynx = १२ cm
Oesophagus = २५ cm
Stomach = २५ cm
140 | P a g e
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Deodenum = २५ cm
Rectum = १२ cm
Descending colon = २५ cm
Transverse colon = ५० cm
३०) Uterus
Weight of uterus = ५० – ८० gm
Nongravidous uterus
141 | P a g e
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३१ Sutures
चरक = ०३
िाग्भट = ०४
सुश्रुत = ०५
142 | P a g e
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३३) Teeth :-
१) सकृ तिात दं त = ०८
२) स्व्दि दं त = २४
१) बािक मे = २४
२) प्रौढ व्यक्ती मे = ३२
Temporary teeth = २०
Permanent teeth = ३२
Mulberry Teeth
143 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES
सुश्रुत = ०९
िाग्भट = ०८
३७)
144 | P a g e
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३८) Muscles
३) अष्टांग संग्रह –
४०) Fetus
[ or cephalic presentation ]
145 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES
Longitudinal lie.
146 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES
147 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES
सुश्रत
ु शारीर – ६
ममवशारीर अध्याय
१) ‘ममव ’ शब्द
३) ‘ममव ’ की व्याप्ती
148 | P a g e
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१) शाखाजश्रत ममघ
२) तकंधाजश्रत ममघ – अजधक प्रधान : उसमे भी हृदय, जशर, बस्तत सिाजधक महत्िपूणघ
२) उदर, उर प्रदे शी = १२
३) पृष्ठगत = १४
४) उध्िघित्रुगत = ३७
सुश्रुत र्ाग्भट
१ मांसममघ ११ १०
२ जसराममघ ४१ ३७
३ तनायुममघ २७ २३
४ अस्तथममघ ०८ ०८
५ संधीममघ २० २०
६ ०९ = धमनीममघ
* धमनी की संख्या –
चरक = २००
सुश्रुत = २४
149 | P a g e
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३ जिशल्यघ्न ०३ िायव्य
[उध्दत
ृ मात्रे तु शल्ये िायु: जनष्क्रामजत ]
४ िैकल्यकर ४४ सौम्य
[ सोमो जह स्तथरत्िात्, शैत्यात् प्राणाििंबन ]
१) मांस ममघ G E T रो
३) संधी ममघ कु कु कु अ आ िा सं ग म
किधर जिटप आजण कुचघ कुचघ जशर अंस जिधुर जिप्र बस्तत उत्िेप
नीिा [२], धमनी / मन्या [२], मातृका [८], शंगाटक [४], अपांग [२],
150 | P a g e
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हृदय [ १], नाभी [१], पाश्िघसंधी [२], बृहती [२], िोजहताि [४],
औिी [४]
१) सद्य: प्राणहर शंगाटक, हृदय, बस्तत, गुद, नाभी, कंठजसरा [ मातृका ] शंख, अजधपती
151 | P a g e
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४) िैकल्यकर िोजहताि आजण िानु औिी कुचघ जिटप कुपघर कुकंु दर किधर जिधुर
कृ काटीका अंस अंसफिक अपांग नीिा मन्या फणा आितघ
[ मुख्यत्िे कािांतर ]
Audio ३
१ अंििी – भेि
१ प्रसृत – िाग्भट
152 | P a g e
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११) पक्षार्ात
[ िात + जपत्त / कफ ]
१२) आक्षे पक
153 | P a g e
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Out of radius, ulna, carpals, which bone does not participate in wrist joint
formation ?
Claw Hand
१४) महागुर्
सत्ि = प्रकाशक
रि = प्रितघक
तम = जनयामक
154 | P a g e
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सत्िबहु िो आकाश
रिोबहु ि िायु
सत्िरिोबहु ि अस्ग्न
सत्ितमोबहु ि आप
तमोबहु ि पृथ्िी
१५) तम
३) तम व्याधी –
तम प्रिेश –
155 | P a g e
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१९) गंध
[ शारं गधर ] िहसून [ रसोन ] का गंध कम करने के जिए तक्र मे रातभर जभगो के रखे।
156 | P a g e
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२०) अंधत्र्
२१) शंख
सुश्रुत = १ अंगि
ु
सुश्रुत = १ अंगि
ु
157 | P a g e
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Ans – ७
२५) धातु
च. जच. १५
158 | P a g e
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१) मुधा
२) कंठ
५) गुद
६) बस्तत
७) ओि
८) शुक्र
९) शोजणत
१०) मांस
१) मुधा
२) जिव्हा बंध
३) कण्ट
६) बस्तत
७) गुद
८) शुक्र
९) ओि
१०) रक्त
159 | P a g e
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अश्मरी जनहघ रण करते समय सेिनी शुक्रिह स्रोतस, गुद, मूत्रप्रसेक, मुष्कस्रोत [ फि ],
मूत्रिह स्रोतस, योजन, बस्तत यह ८ ममो का रिण करे ।
160 | P a g e
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सुश्रत
ु शारीर – ७
चसरार्र्वचर्भस्क्तशारीर
AUDIO – १
१) चसरा संख्या
च. शा. ०७ : ७००
- संधीबंधनकारीनो।
161 | P a g e
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- दोिधातुिह
४) धमनीमूलस्थान :-
AUDIO. २
१) Axillary Artery :
162 | P a g e
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Subscapular Artery
२) Femoral Artery :-
It has ६ branches
३) Aorta
Arch of Aorta
It has ३ branches.
९) * िक्रपाचर् अनुसार –
रसप्रधान आहारिव्य।
िीयघप्रधान औिधीिव्य।
163 | P a g e
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चरक = २००
सुश्रुत = २१०
* Knee Joint –
164 | P a g e
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२) Lingual Artery
४) Facial Artery
५) Occipital Artery
७) Maxillary Artery
165 | P a g e
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Superior Temporal
Occipital Facial
Superior thyroid
१) िैकल्यकर ममघ = ४४
२) सद्यप्राणहर ममघ = १९
३) कािांतर प्राणहर = ३३
४) िैशल्यघ्न ममघ = ०३
५) रुिाकर ममघ = ०८
AUDIO ४
166 | P a g e
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५६ [ िाग्भट ]
१९) * नेत्र मे
०६ [ िाग्भट ]
२०) Commonest vein used for bypass surgery is Great Saphenous Vein or
167 | P a g e
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सुश्रत
ु शारीर – ८
जसरािेध
बस्तत
जसरािेध
ममघ
अनुिासन
168 | P a g e
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९) चदर्ास्पापिन्य दोषप्रकोप –
सुश्रुतमते - जत्रदोि
च. - ०४
सु. - ०६
१) िाति
२) जपत्ति
३) कफि
४) अजभर्ाति
१) अणुतैि का अभ्यंग
पक्षार्ात का साध्यासाध्यत्र् –
169 | P a g e
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ियि – असाध्य
अन्निह
उदकिह
मेदोिह
१७) यर्ागु –
६ गुना
४) यर्ागु का चनषेध –
१) मदात्यय
३) उध्िघग रक्तजपत्त
४) ग्रीष्म ऋतु
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तुिारसमय – हे मंत
कुसुमागम – िसंत
जनदार् – ग्रीष्म
र्नात्यय – शरद
तापात्यय – प्रािृट
१ प्रतथ = १३ १/२ पि
= ५४ तोळे
171 | P a g e
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= ३५ – ५० ml
[ िात & कफ ]
केिि िात
= ४२
[ िात – जपत्त ]
172 | P a g e
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दुष्य = मेद
‘आमिकास्तथजनभं
मांसममघ है ।
महावनब कल्क
= Bead tree.
३७) शारं गधर ने कौन से िव्य के क्र्ाथ का प्रयोग गृध्रसी में चकया है ?
शेफािीपत्र क्िाथ
गलगंड के प्रकार = ०३
173 | P a g e
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१) िाति
२) कफि
३) मेदोि
सु – पिाशिार
- जन:तसारक [ सुश्रुत ]
- वबजबशी [ िाग्भट ]
[ रक्ति याप्य
४४) शुकदोष - सु – १८
शारं गधर = २४
174 | P a g e
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४५) शुक्रदोष च – ०८
सु – ०८
दुष्योदर = सस्न्नपातोदर
[ जहक्काश्र्िासकास पाश्र्िघशि
ु हराणां ]
का – ०४
५०) Angle between the ramus & body of the mandible = १४० ० in child
पेशी संख्या = ०४
जसरा संख्या = ६०
175 | P a g e
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०६ [ िाग्भट ]
५३) Tongue –
Muscles of tongue = ०८
Hypoglossal nerve
५७) तालुरोग सु – ०९
िा – ०८
फणा [ जसराममघ ]
176 | P a g e
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मण्डि = ०५
पटि = ०४
संधी = ०६
सुश्रुत के अनुसार –
र्ाग्भट के अनुसार
अजभष्यंद
अजधमंथ
सु – १२
177 | P a g e
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हा – ४
६५) र्ाग्भटनुसार [ अ. हृ ]
Hb Gower
After birth,
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सुश्रत
ु शारीर – ९
१) धमनी
संख्या - सुश्रुत – २४
चरक – २००
चरक जिमानतथान. ५
[ स्रोतोजिमान ]
In सुश्रुत
४) िोतस – २
२) अन्तमुघख
पुरुि – १०
स्री – १३
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शारं गधर
आभ्यंतर स्रोतस –
चरक – १३
शारं गधर
भािप्रकाश
अष्टांग हृदय
180 | P a g e
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९) Fallopian tube – १० cm
Part – ४
अपांग
आिघत ममार्ात
१९७६
Cataract
Senile cataract
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Blue dot
रसिह स्रोतस
सुश्रुत – ६
चरक – ४
२०) शुक्र
अंिली प्रमार् –
िाग्भट – १ प्रसृत
भेि – १ अंििी
182 | P a g e
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हाजरत – ६
रसरत्नसमुच्य
माधिजनदान ९
िसिराि – ४
अन्निह – आम के समान
मििह – अजतसार
१) अिसक
२) जिसुजचका [ चरक ]
183 | P a g e
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सुश्रत
ु शारीर – १०
गर्वभर्ीव्याकरर्शारीर
AUDIO १
१) सुश्रुत अनुसार कौनसे रं ग का र्ि पचरधान करने का चनदे श गर्वभनी के चलए चकया है ?
शुक्ि िस्र।
रक्तिणी िस्र।
[ िरक सूत्र २१/३२ ] अचतकृ श व्यक्ती के चिचकत्सा मे कौनसे रं ग का र्ि पचरधान करने
का चनदे श है ?
श्िेत िस्र।
अभ्यंग के जिए।
184 | P a g e
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* हाचरत अनुसार १० र्े मास मे गर्वभर्ी को दौहद अनुसार आहार सेर्न का चनदे श चकया
है ।
Ans - सुश्रुत अनुसार - ६th मास और ८th मास से प्रसि होने तक।
AUDIO २
६) िरक और सुश्रुत अनुसार सुचतका आगार मे गर्वभर्ी का प्रर्ेश ९ र्े मास मे करे ।
185 | P a g e
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८) गर्वभर्ी की अर्स्थाए :-
सुश्रुत प्रिाजयनी
उपस्तथत प्रसिा
प्रिनयस्ष्यमाणा
स्व्दतीय अितथा
तृतीय अितथा
उपस्तथत प्रसिा
उपस्तथत प्रसिा
186 | P a g e
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AUDIO ३
बपडाफल = इक्ष्िाकु
Placenta formation starts from ६th week & is completed by १२th week.
िाग्भट = २
187 | P a g e
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सुरा श्रमहराणाम्।
राियक्ष्मा
२२) स्तन्यपान :-
188 | P a g e
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स्तन्य अपनयन –
AUDIO ४
२६) Placenta
Placenta formation starts at ६th week & completes by १२th week of gestation.
१ : ६
189 | P a g e
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१ : १
Origin of placenta
Out of amnion & chorion, the fetal membrane which contributes more to
formation of placenta ?
Chorion
Melanoma
190 | P a g e
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AUDIO ५
Primi Multigravida
१ Start of contraction to dilatation १२ hr ६ hr
of cervix
२ Dilatation of cervix २ hr ½ hr
To expulsion of fetus
४ Expulsion of fetus to expulsion १५ min १५ min
of placenta
महार्ृक्ष = तनुही
191 | P a g e
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संग्रह जशजशरान्ते,
सुश्रुत = ३७ गण
अष्टांग हृदय = ३३ गण
अष्टांग संग्रह = २५ गण
३ )सपघ जिि के शोधनाथघ और संरिणाथघ सिघप तैि का प्रयोग करे – रसतरं जगणी।
AUDIO ६
३२) संस्कार :-
192 | P a g e
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[ आध्यास्त्मक िीिन ]
[ संपण
ू घ जशिण प्राप्त करने के बाद गृहतथाश्रय मे प्रिेश। ]
193 | P a g e
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पयायी िव्य –
Function of Prolactin
Function of oxytocin.
194 | P a g e
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कफदुजित ततन्य
- प्ििते अम्भजस।
िातदुजित ततन्य
४०) काश्यप अनुसार चशशु ने गर्वभर्ी माता का स्तन्यपान करने से, चशशु को पचरगर्वभक व्याधी
होता है ।
195 | P a g e
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१) सप्तचतुष्क = २८ अध्याय
+ ३० : अथेदशमहामूिीय अध्याय
AUDIO ८
विडगफि जितनी
196 | P a g e
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१) गाग्यघ िन्म से
१) Choroid plexus
२) Ependymal cells
197 | P a g e
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* Fontanelles at birth = ०६
४८) नाभी
- जसराममघ – रचनानुसार
िाग्भट = २
नाभीनालकतवन
At umbilicus a shade is formed as lymph flow above umbilicus drains into axillary
lymphnodes & below umbilicus lymph flow drains into inguinal.
198 | P a g e
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AUDIO ९
४९) अंिन
१) सौिीरांिन = Sb२S३
२) स्रोतोंिन = Sb२S३
३) नीिांिन = PbS
४) पुष्पांिन = ZnO
199 | P a g e
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i.e ३ – ५ Bites
५३) Puerperium
* Past – delivery, how many days are required for uterus to become pelvic organ ?
१२ days
200 | P a g e
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201 | P a g e