Download as pdf or txt
Download as pdf or txt
You are on page 1of 202

Dr.

Ajit Patil’s
PGA - CET Classes

SUSHRUT SHARIR
EXTRA POINTS
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

सर्वभत
ू चिन्ताशारीर – ९
सुश्रत
ु शारीरस्थान – १

* िरक सुत्रस्थान – १ दीर्घजिजितीय अध्याय

* दीर्व चिचर्तीय अध्याय का संबंध कौनसे दशवन से है ?

िैशेजिक दशघन

* दीर्वचिचर्तीय अध्याय में षटपदाथव का र्र्वन आया है , िो र्ैशेचषक दशवन में भी है ।

* िरक चनदान ६ – राियक्ष्माजनदान

राियक्ष्माजनदान अध्याय का संबंध कौनसे दशघन से कर सकते है ?

चािाक दशघन

* सर्वमन्यत् पचरत्यज्य शरीरमनुपालये त्। च. जन. ६

एैसा मत चािाक का भी है । इसजिए चरक जन. ६ का संबंध चािाक दशघन से है ।

* यार्त् िीर्ेत् सुखं िीर्ेत् ऋर् कृ त्र्ा र्ृतं पीबेत्।

चािाक दशघन [ Materiastic view ]

* दशवन - अस्ततक दशघन नास्ततक दशघन

[ िड्दशघन ]

- सांख्य दशघन - चािाक दशघन

1|Page
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

- योग दशघन - बौद्ध दशघन

- िैशेजिक दशघन - िैन दशघन

- न्याय दशघन

- पूिघ मीमांसा

- उत्तर मीमांसा

* आस्स्तक दशवन को षड्दशव न, र्ैचदक दशवन भी कहते है ।

* नास्स्तक दशवन को अर्ैचदक दशवन भी कहते है ।

* ‘नास्स्तको र्ज्यानां – चरक सुत्र. २५

दशवन Author पयायी नाम


सांख्य दशघन कजपिमुनी आत्मजिद्या
योग दशघन पतंििी सईश्िर सांख्य, पातंिि दशघन
िैशेजिक दशघन कणाद काश्यप दशघन, अिौक्य
न्याय दशघन गौतम अन्िीजिकी, अिपाद
पूिघ दशघन िैजमनी िैजमनी
उत्तर दशघन व्यासमुनी िेदांत दशघन, शांकर दशघन

* िार्ाक दशवन का पयायी नाम

िोकायत दशघन

ब्राहतपत्य दशघन

* ‘आत्मचर्द्या’ कौनसे दशवन का पयायी नाम है ?

सांख्य दशघन

2|Page
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* तकव चर्द्या, र्ाद चर्द्या – न्याय दशवन को कहते है ।

* प्रािीन दशवन – सांख्य दशवन

* र्ाद :-

सत्कायघिाद - सांख्य

असत्कायघिाद / न्याय

आरं भिाद िैशेजिक

परमाणु िाद - िैजशजिक दशघन

िणभंगरू िाद - बौध्द दशघन

अनेकांतिाद

तयाद िाद िैन दशघन

पजरणाम िाद - सांख्य

जिितघ िाद - िेदांत दशघन

पीिूपाक - िैजशजिक दशघन

पीठरपाक - न्याय दशघन

3|Page
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* ‘आकाश महाभूत’ मे परमार्ू चकसने नही माना ?

िैशेजिक दशघन

* सब महाभूत में परमार्ू है , Except

आकाश महाभूत [ िैशेजिक दशघन ]

* डल्हर् के अनुसार ‘चशलापुचत्रक’ न्याय का संबंध अव्यक्त से है ।

* डल्हर् चटका – जनबंध संग्रह

डल्हर् काळ – १२ शतक

* ज्ञानेंचिय – ५

- श्रोत्र [ कणघ ]

- त्िक्

- चिु

- जिव्हा

- घ्राण

* कमेंचिय – ५

- िाक्

- हतत

- उपतथ

- पायु [ गुद ]

- पाद

4|Page
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* िरक ने सृष्टी उत्पत्ती का उल्लेख कहा चकया है ?

चरक शारीरतथान – १ [ कजतधापुरुिीय ]

* िरक शारीरस्थान – १

सुश्रुत शारीरस्थान – १ का संबंध सांख्य दशघन

* िरक के अनुसार सृष्टी उत्पत्ती के तत्र्

२४

* सुश्रुत के अनुसार सृष्टी उत्पत्ती के तत्र्

२४

* िरक के अनुसार सृष्टी उत्पत्ती के २४ तत्र्

२४ तत्र्

अष्टप्रकृ चत षोडशचर्कार

[८] [ १६ ]

* अष्टप्रकृ ती –

१) अव्यक्त

२) महतृ [ बुद्धी ]

३) अहं कार

४) पंचतन्मात्रा - १) शब्द

२) तपशघ

३) रुप

४) रस

5|Page
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

५) गंध

Total = ८ प्रकृ ती

* षोड्श चर्कार –

पंचज्ञानेजिय [ बुजद्धइंजिय ] – ५

पंच कमेंजिय – ५

पंच अथघ – ५

[ शब्द, तपशघ, रुप, रि, गंध ]

उभयात्मक मन – १

Total – १६ जिकार

* अष्टप्रकृ ती [ ८ ] + षोडशचर्कार [ १६ ] = २४ तत्र् [ ि. शा. १/६२.६३ ]

* अष्टप्रकृ ती को चह िरक ने भूत प्रकृ ती कहा है ।

* सांख्यदशवन के अनुसार सृष्टी उत्पत्ती तत्र्

२५

२५ तत्र् divided into - १) मूि प्रकृ ती

२) प्रकृ जत – जिकृ ती

३) जिकृ जत [ जिजकार ]

४) न प्रकृ जत न जिकृ ती

* सांख्य के अनुसार २५ तत्र्

मूि प्रकृ ती - १ [ अव्यक्त ]

प्रकृ जत जिकृ ती = ७

6|Page
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

[ महत्, अहं कार, पंचतन्मात्रा ]

चर्कार = १६

[ पंचज्ञानेजिय, पंचकमेंजिय मन, पंचमहाभूत ]

न प्रकृ चत न चर्कृ चत – १ [ पुरुि ]

* सांख्य के अनुसार मूलप्रकृ ती कौनसी और चकतने है ?

मूिप्रकृ ती – १ [ अव्यक्त ]

* सुश्रुत का सृष्टी उत्पत्ती क्रम सांख्य दशव न के सृष्टी उत्पत्ती के समान है ।

* िरक का सृष्टी उत्पत्ती का क्रम र्ेदांत दशवन के सृष्टी उत्पत्ती क्रम से Match [ समान ]
होता है ।

* उत्तर मीमांसा – िेदांत दशघन

- शांकर दशघन

* सृष्टी उत्पत्ती में प्रकृ ती तत्र् को ‘चर्श्र्िननी’ कौनसे, ग्रंथाकार ने कहा है ?

शारं गधर

* प्रकृ ती तत्र् – जिश्ििननी [ शारं गधर ]

* षोडश चर्कार

सुश्रुत – ११ इंजिय + पंचमहाभूत

िरक – ११ इंजिय + पंचअथघ

7|Page
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* िरक ने २४ तत्र् का पुरुष माना है । चिसे राशीपुरुष भी कहा है ।

[ चरक ने अव्यक्त में ही पुरुि को count जकया है । ]

* सुश्रुत ने २५ तत्र् का पुरुष माना है ।

[ सुश्रुत ने २४ तत्ि [ अचे तन ] + १ पुरुि तत्ि [ चे तन ] माना है । ]

* ितुर्वर्शंचत पुरुष । - [ चरक ]

* पंिचर्शंचत तम् पुरुष । - [ सुश्रुत ]

* सांख्य दशवननुसार पुरुष – २५ तत्ि का माना है ।

* Motor Speech area - Broca’s area

* Sensory Speech area - Weraicke’s area

* Motor speech area का काम बोलना है ।

* Sensory speech area का काम hearing [ सुनना ] है ।

* Motor speech area – Broca’s area

Conversion of thoughts into speech.

* Broca’s area - inferior frontal lobe of brain.

* Wernicke’s area - Temporal lobe of brain.

8|Page
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* Wernicke encephalopathy caused by deficiency of vit ‘B1’ [ Thiamine ]

Also caused by alcohol

* Direct ophthalmoscopy – Image – Irect


Virtual
[D E V]

* Indirect opthalmoscopy – Image – Inverted


Real

* तकवसंग्रह – अन्नमभट्ट

* तकवसंग्रह कौनसे दशव न पे आधाचरत है ?

न्याय दशघन

िैशेजिक दशघन

* तकवसंग्रह के अनुसार ‘रुप’ के चकतने प्रकार है ?

रुप के ७ प्रकार - १) शुक्ि

२) नीि

३) पीत

४) रक्त

५) हाजरत

६) कजपश

७) जचत्र

9|Page
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* तकवसंग्रह के अनुसार रुप के ७ प्रकार कौनसे महाभूत में है ?

पृथ्िी महाभूत

* तकवसंग्रह के अनुसार ‘िल महाभूत’ और ‘तेि महाभूत’ में रुप का ‘शुक्ल प्रकार है ।

* अभासर्र शुक्ल – िि महाभूत

भासर्र शुक्ल [ चमकने िािा ] - तेि महाभूत

[ तेि ]

* शब्द –

चरक के अनुसार शब्द के प्रकार – ४ [ च. जि. ८ ]

शब्द के ४ प्रकार - १) दष्ृ टाथघ

२) अदष्ृ टाथघ

३) सत्य

४) अनृत [ असत्य ]

* दृष्टाथव प्रकार – [ हे त:ु ]

- जत्रजभ हे तु दोिा: प्रकुप्यस्न्त।

- िस्ड्भ उपक्रमक्ष्च प्रशाम्यजत।

[ जत्रजभ: हे तु – असात्म्य इंजियाथघ संयोग, प्रज्ञापराध, पजरणाम ]

[ िड् उपक्रम – िंर्न, बृहण, तनेहन, रुिण, तिेदन, ततंभन ]

* अदृष्टाथव शब्द प्रकार का उदाहरर् –

- अस्तत प्रेत्यभाि [ पुनघ: िन्म ]

10 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

- अस्तत मोि

* ‘सत्य’ शब्द के उदाहरर् –

- आयुिेदाचे उपदे श

- जसस्ध्द: उपाया साध्यानां व्याधीनाम्।

* असत्य सत्य के जिपरीत

उदाहरर् - कमघ का फि नही होता।

- जिि सेिन से मृत्यु नही होता।

* तकवसंग्रह के अनुसार ‘शब्द’ के प्रकार चकतने है ?

* तकवसंग्रह के शब्द के प्रकार – २

Instrumental

१) ध्िणात्मक [ ध्िणी ]

२) िणात्मक [ भािा ]

All language

* Nerve supply of tongue –

Anterior २/३ part - १) Lingual nerve – [ general sensation ]

[L C]

२) Corda tympani nerve [ Taste sensation ]

11 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

Posterior १/३ Part – Glossopharyngeal [ Taste & general sensation ]

* Corda tympani nerve is branch of facial nerve [ ७th cranial nerve –


Mixed type nerve ]

* Tympanic branch of glossopharyngeal nerve is Jacobson’s nerve

* Pain of tonsilitis is referred to ear due to Jacobson’s nerve.

* Auricular branch of vagus nerve is called arnold’s nerve.

* Cleaning of ear can cause cough reflex due to stimulation of arnolds’s


nerve

* चिव्हा इंचिय का चर्षय – रस

* तक्रसंग्रह के अनुसार रस के प्रकार – ६

* तक्रसंग्रह के अनुसार कौनसे महाभूत में रस के ६ प्रकार चमलते है ?

पृथ्िी महाभूत

* तक्रसंग्रह के अनुसार कौनसे महाभूत में मधुर रस है ।

िि महाभूत

* घ्रार्ेंचिय का चर्षय – गंध

12 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* ‘गंध अज्ञान’ लक्षर् कौनसे ममव के आर्ात का लक्षर् है ?

फणा ममघ

* फर्ा ममव –

रचनेनस
ु ार – जसरा ममघ [ Accouding to रचना ]

पजरणाम के अनुसार – िैकल्यकर ममघ

* गंधक का गंध [ Smell ] कम करने के चलए गंधक को कौनसे स्र्रस में चनर्ाचपत करना
िाचहए ?

१) सुिचघ िा तिरस

२) गोदुग्ध

* गंधक का गंध [ Smell ] कम करने के चलए गंधक को गोदुग्ध में चकतने बार चनर्ाचपत [
डु बाना ] करना िाचहए ?

१०० [ शंभर बार जनिापण ]

* रसोन का ‘गंध’ कम करने के चलए, रसोन को रातभर चकसमें डु बाकर रखना िाचहए ?

तक्र [ शारं गधर ]

* र्ृत मूर्च्व ना – र्ृत का आमदोि नष्ट करने के जिए।

* तैल मूर्च्व ना – तैि का गंधदोि नष्ट करने के जिए।

* Absence of sense of smell Anosmia

* Partial loss of sense of smell Hyposmia

* Perversion of sense of smell Parosmia

13 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* तकवसंग्रह के अनुसार ‘गंध’ के प्रकार – २

गंध के २ प्रकार –

१) सुरजभ [ संगंध ]

२) असुरजभ [ दुगघन्ध ]

* कौनसे ग्रंथाकार ने गुर्ादी गुर् मे सुगंध - दुगंध का समार्ेश चकया है ?

सुश्रुत

* त्र्क् / स्पशेस्न्िय चर्षय – तपशघ

* कौनसा इंचिय सर्वशरीर व्यापी है ?

तपशघ इंजिय

* Largest organ of body Skin

* तकवसंग्रह के अनुसार ‘स्पशव ’ गुर् के प्रकार – ३

स्पशव के ३ प्रकार - १ शीत

२ उष्ण

३ अनुष्ण – शीत

* तकवसंग्रह के अनुसार –

शीत तपशघ – िि महाभूत

उष्ण तपशघ – तेि महाभूत

अनुष्ण – शीत तपशघ - पृथ्िी महाभूत

- िायु महाभूत

14 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* पंि ज्ञानेंचिय के चर्षय

शब्द, तपशघ, रुप, रस, गंध

* कमें चिय के चर्षय –

* ‘र्ाक्’ का चर्षय िरक ने सत्य र्ाक् और असत्य र्ाक् माना है ।

* िरक ने सत्य र्ाक् को – ज्योजत कहा है ।

असत्य र्ाक् को – तमो कहा है ।

* ‘हस्त’ का कमव िरक के अनुसार

धारण

ग्रहण

* ‘उपस्थ’ का कमव िरक के अनुसार

जिसगघ

* ‘पाद’ का कमव िरक के अनुसार

गमन

* सुश्रुत के अनुसार ‘बुद्धी’ की उत्पत्ती गभव में कौनसे मचहने में होती है ?

६ मजहने में

[ िष्ठे बुद्धी ]

* सुश्रुत के अनुसार ‘मन’की उत्पत्ती गभव में कौनसे मचहने में होती है ?

५ िे मजहने

15 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

[ पंचमे मन: ]

* िरक के अनुसार ‘मन’ के प्रकार – ३

१) सास्त्िक

२) रािस

३) तामस

* ‘मन’ के गुर् According to िरक – २

१) अनुत्ि

२) एकत्ि

* ‘मन’ का स्थान चशर और तालु के चबि में कौनसे आिायव ने माना है ?

आचायघ भेि

* ‘मन’ का अन्नमयत्र् चकसने बताया है ?

छादयोग्य उपजनिद

[ मन का अन्नमयत्ि – मन आहार [ अन्न ] के अनुसार बनता है । ]

* ‘काचरकार्ली’ के अनुसार मन के गुर्

* ‘काचरकार्ली’ – टीका of र्ैशेचषक दशवन

16 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* बलभेद के अनुसार ‘मन’ के प्रकार – ३

१) प्रिर

२) मध्यम चरक

३) अिर

* िरक के अनुसार ‘मन’ का लक्षर्

ज्ञानतय भाि अभाि [ च. शा. १ ]

[ ज्ञान ]

* ‘मन’ की व्याख्या िरक के अनुसार

यद् इस्न्ियाणम् अजभग्राहकं च मन इत्याजभधीयते। [ च. शा. ३/१३ ]

* मन को ‘अतीस्न्िय’

‘उभयात्मक’ भी कहा है । [ च. सु. ८/४ ]

* सुश्रुत के अनुसार ‘ गभव’ मे मन का चर्कास [ उत्पत्ती ] ५ र्े मचहने में होती है ।

‘पञ्चमे मन: प्रजतबुध्दतं भिजत’। [ सु. शा. ३/३० ]

* ‘मन’ के दोष – २ [ च. भु १/५७ ]

१) रि

२) तम

* ‘मानचसक रोग का कारर् िरक के अनुसार

- ‘इष्टतयिाभात् िाभाच्चाजनष्टतय’ [ च. सु ११/४५ ]

17 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* ‘मानचसक रोग’ की चिचकत्सा िरक के अनुसार

‘मानसं प्रजत भैिज्यं जत्रिगघतयान्ििेिणम्। [ च. सु ११/४७ ]

[ जत्रिगघ – धमघ, अथघ, काम ]

* ‘िंि’ का प्रभार् कौनसे काळ में रहता है ?

जिसगघ काळ

* ‘सूयव’ का प्रभार् कौनसे काळ में रहता है ?

आदान काळ

* चर्सगव काळ आदान काळ

ििा जशजशर

शरद िसंत

हे मंत ग्रीष्म

[ दजिणायण के ऋतु ] [ उत्तरायण के ऋतु ]

* चर्सगव काळ को दचक्षर्ायर् मानते है ।

आदान काळ को उत्तरायर् मानते है ।

* चदशा – [ Direction ]

‘प्राच्य आजद व्यिहार हे तु जदशा तकघसंग्रह

* ‘चदशा’ चक संख्या According to र्राहचमचहर, अमरकोष

१०

18 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

चदशा - १) पूिघ ६) िायव्य

२) पस्श्चम ७) ईशान

३) दजिण ८) नैऋत्य

४) उत्तर ९) ऊध्िघ

५) आग्नेय १०) अधो

* प्रािी, प्रार्चय – पूिघ

प्रचतिी – पस्श्चम

उचदिी – उत्तर

आर्ािी – दजिण

* ‘प्रशस्त पाद’ के अनुसार ‘चदशा’ चक संख्या

[ प्रशतत पाद टीकाकार of िैशेजिक दशघन ]

- १) पुिघ

२) पस्श्चम

३) दजिण

४) उत्तर

५) ऊध्िघ

६) अधो

* प्रशस्त पाद के अनुसार ‘चदशा’ चक दे र्ता

पुिघ कुबेर

पस्श्चम िरुण

उत्तर इंि

दजिण यम

ऊध्िघ ब्राम्हा

19 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

अधो नाग

* सुश्रुत के अनुसार ‘स्तन्यपान के समय बालक और माता का मुख कौनसी चदशा में होना
िाचहए ?

माता का मुख – पूिघ जदशा को

बािक का मुख – उत्तर जदशा को होना चाजहए।

[ जशशु / बािक – उधंग / उत्तर

धात्री / माता – प्राग् मुख / पुिघ ]

* सुचतका आगार चक चदशा –

चरक – पूिघ, उत्तर

सुश्रुत – पूिघ-दजिण

[ सुजतका आगार के जदिार जक जदशा ]

* कुचट [ रसायन सेर्न ] चक चदशा

पुिघ – उत्तर [ चरक ]

* िेन्ताक स्र्ेद चक कुचट पूिघ – उत्तर [ चरक ]

* सुश्रुत के अनुसार शस्त्रकमव के समय रुग्र् और र्ैद्य का मुख कौनसे चदशा में होना
िाचहए ?

रुग्ण का मुख – पुिघ

िैद्य [ dr ] का मुख – पस्श्चम

20 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* मुत्र चक तैलबबदु पचरक्षा कौनसे आिायव ने बतायी है ?

योगरत्नाकर

* मुत्र में तैलबबदु कौनसी चदशा में िाने पर चनस्श्ित आरोग्य प्राप्ती बताई है ?

उत्तर जदशा

* सुत्र में तैलबबदु कौनसी चदशा में िाने पर मृत्यु चनस्श्ित बताया है ?

आग्नेय

* त्र्िा – [ Skin ]

िरक

अष्टांग संग्रह के अनुसार – Layers of त्िचा

काश्यप

भेल ६

सुश्रुत

अष्टांग हृदय के अनुसार – Layers of त्िचा

शारं गधर ७

* सुश्रुत चक ‘मांसधरा’ त्र्िा चक िगह शारं गधर ने कौनसी बताई है ?

तथुिा त्िचा

* शारं गधरने चवर्त्र व्याधी कौनसी त्र्िा में बताया है ?

ताम्रा त्िचा

21 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* र्ायु [ र्ात ]

* कौनसे ग्रंथाकार ने र्ात का स्थान ‘यकृ त’ माना है ?

हाजरत संजहता [ िेद्यक सिघिु ]

* र्ात का चर्शेष स्थान ‘अस्स्थ-मज्िा’ चकसने माना है ?

काश्यप

* ‘पर्नोत्तम’ कौनसे र्ायु को बोला है ? [ सु. जन. १ ]

उदान िायु

* ‘कृ त्स्न दे हिारी’ कौनसे र्ायु को माना है ? [ सु. जन. १ ]

व्यान िायु

* र्ात के नानात्मि व्याधी ८०

* हाचरत के अनुसार र्ात के नानात्मि व्याधी

८४

* हाचरत संचहता को ‘र्ैद्यक सर्वष’ु भी कहते है ।

* नेत्र

सुश्रुत ने नेत्र का बाहु ल्य

२ अंगि
ु माना है ।

22 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* नेत्र मंडल – ५

नेत्र संधी – ६

नेत्र पटल – ६

* ‘अचक्ष गोलक’ में चकतने पटल है ।

* Eye

Diameter of Eyeball – vertical – २३mm

[VHA] Horizontal – २३.५mm

Antero-Posterior – २४mm

* Longest diameter of eyeball

Antero – posterior [ २४mm ]

* Shortest diameter of eyeball

Vertical [ २३mm]

* कौनसे ऋतु मे शरीर बल कम रहता है ?

ििा, ग्रीष्म

* कौनसे ऋतु में शरीर बल सबसे अर्च्ा रहता है ?

जशजशर, हे मंत

* चिव्हा उत्पत्ती कफ, रक्त, मांस [ सु. शा ]

23 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* ‘रुक्म् सारर्त्’ एैसा कौनसे अर्यर् चक उत्पत्ती में बताया है ?

जिव्हा [ सु. शा ]

* Muscles in Tougue – ८

* Safety muscle of tongue

Genioglossus muscle

* All the muscles of tongue supplied by which nerve ?

Hypoglos nerve [ except Palatoglossus muscle ]

* All the muscles of tongue are supplied by Hypoglosal nerve except


palatoglossus muscle.

* Nerve supply of palatoglossues muscle is pharyngeal branch of vagus.

* Blood supply of tongue Lingual artery

* Lingual artery is branch of external carotid artery.

* Black tongue seen in cocaine poisoning

* Antidote of cocaine Amyl nitrate

* Antidote of cyanide Amyl nitrate

24 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* Strawberry tongue seen in

Scarlet fever

Kawasaki disease

* िल

जदव्य िि के गुण ६ [ च. सु. २७ ]

दुजित िि के गुण ६ [ सु. सु. ४५ ]

* सुश्रुत के अनुसार ‘आंतचरक्ष िल’ के प्रकार

* ‘भौम िल’ के प्रकार According to सुश्रुत

* र्ाग्भट के अनुसार ‘भौम िल’ के प्रकार

* सुश्रुतने ‘िल शीतलीकरर्’ [ थंडा ] के चकतने उपाय बताये है ?

* सुश्रुत मे िल शुध्दीकरर् के उपाय चकतने बताये है ?

* ‘िल पुर्व [ िल चनक्षे पर् ] पात्र के स्थान सुश्रुत के अनुसार

25 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* ‘Saddle Nose’ seen in syphilis

* Which bone of facial skeleton is commonly fractured ?

Nasal bone

* ‘तक्रसंग्रह के अनुसार पृथ्र्ी महाभूत मे चकतने रस है ?

* ‘तक्रसंग्रह’ के अनुसार पृथ्र्ी महाभूत में चकतने रुप है ?

* सुश्रुत ने ‘ज्योतीस्थान’ कौनसे अर्यर् को कहा है ?

नाभी

* िरक के अनुसार ‘अस्ग्न’ के प्रकार चकतने है ?

१३ [ चरक. जच. १५ ]

१३ अस्ग्न - ७ धात्िास्ग्न

१ िाठरास्ग्न

५ पांचभौजतक अस्ग्न

१३

* ‘शांतो अस्ग्नौ चियते’

चरक जचजकत्सा १५ [ ग्रहणीजचजकत्सा ]

26 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* प्रशस्त पाद के अनुसार ‘उत्तर चदशा’ चक दे र्ता कौन है ?

इंि

* ‘पाद रोग’ चक संख्या शारं गधर के अनुसार

२२

* ‘पाद दाचरका’ मे दोष संर्टन िात [ सुश्रुत ]

* ‘पादहषव’ मे दोष संर्टन िातकफ [ सु. जन ]

* ‘पाददाह’ में दोष संर्टन जपत्तिात रक्त [ P V R ]

* िरक ने कौनसे व्याधी चक चिचकत्सा में चर्ष्र्ु का सहस्त्र बार नाम लेना िाचहए ?

जििम ज्िर [ च. जच. ३ ]

* िरक ने ‘रुि पुिा’ कौनसी व्याधी चक चिचकत्सा में बताई है ?

उन्माद

* कौनसे ग्रंथाकार ने ज्र्र में हनुमान चक पुिा बताई है ?

हाजरत संजहता

* षट्िक्र में कौनसे िक्र चक दे र्ता चर्ष्र्ु है ?

मजणपुर चक्र

* पाद चक दे र्ता जिष्णु

27 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* गुद की लम्बाई – ४ १/२ अंगि


* गुदर्ली ३

* गुद में पेशी ३

* गुंदर्ली प्रिाजहणी [ सबसे अंदर ]

जिसिघनी

संिरणी [ सबसे बाहर ]

* गुद का र्र्व गितािु के समान [ सुश्रुत ]

* Length of Anus ३.८ cm

[ Anal canal ]

* Length of Rectum १२ cm

* चित्रकमूलं दीपनीयपािनीय गुदशोथाशव : शूलहरार्ां। [ च. सु. २५ ]

* Tyson gland – Penis

* Ligament of Penis – Fundiform

* Fascia in Penis – Buck’s fascia

* Artery of penis – Helicine artery

28 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* Circumcision operation – Phimosis

– Paraphimosis

* Penis cancer is common in phimosis

* ‘भूतग्राम चक संख्या – ४ [ सु. सु. १ ]

१) िरायुि [ Placental ]

२) अंडि

३) उजिि [ मण्डू क, इन्िगोप ]

४) तिेदि [ कृ मी, जकट, जपपीजिका ]

* नानौषचधभूतं िगचत चकस्चित् िव्यमुपलभ्यते। [ च. सु. २६/१२ ]

* क्र्चित् धमव क्र्चित् मैत्री क्र्चित् अथव क्र्चित् यश कमाभ्यास क्र्चित् चिचकत्सा नास्स्त
चनष्फल।

योगरत्नाकर

* ‘इंचिय & इंचियाथव ’ आयुर्ेद के अनुसार भौचतक है ।

* सुश्रुत के अनुसार इंचिय अहं काचरक है ।

* सांख्य दशवन के अनुसार भी इंचिय अहं काचरक है ।

* सांख्य के अनुसार ‘आत्मा’ सिघगत

* आयुर्ेद के अनुसार ‘आत्मा’ असिघगत, जनत्य

29 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* ‘नानायोचन में िन्म लेने का कारर्

कायघकारण भाि [ अ. ह. शा. १ ]

* ‘धमवपतन’ is पयाय of मचरि

* िरक ने शारीरस्थान के प्रथम अध्याय मे चकतने प्रकार के पुरुष का र्र्वन चकया है ?

धातुभेद से - १) एक धातु पुरुि – आत्मा / चे तना

२) िड्धातु – पंचमहाभुत + आत्मा

४) चतुविशजत पुरुि – राशी पुरुि

* ‘क्षमा’ गुर् कौनसे धातुसार का है ।

मांससार [ च. जि. ८ ]

* गभव मे बुद्धी चक उत्पत्ती ४ थे मचहने में होती है ।

* िरक ने ‘स्मृचत’ के चकतने कारर् बताये है ?

* ‘सत्र्-तम-रि’ को महागुर् कौनसे आिायव ने कहा है ?

िाग्भट

30 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* सत्र्गुर् – प्रकाशक

* रिो गुर् – प्रर्तवक काश्यप

* तमो गुर् – चनयमक

* र्ात का संबंध – रि गुर्

चपत्त का संबंध – सत्र् गुर्

कफ का संबंध – तमो गुर्

* मन के दोष रि, तम

* कौनसे दशव न ने आकाश महाभूत माना नही।

चािाक दशघन

* कौनसे दशव न में आकाश महाभूत का शब्द गुर् माना नही।

िैशेजिक दशघन

* कौनसे महाभूत का गुर् चनष्क्रमर्, प्रर्ेशन र्ैशेचषक दशवन ने माना है ?

आकाश महाभूत

* र्ैशेचषक दशवन को ‘काश्यप दशवन’ भी कहा गया है ।

* रक्त में लर्ुता कौनसे महाभूत के कारर् होती है ?

आकाश महाभूत

31 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* शरीर में लर्ुता कौनसे महाभूत के कारर् होती है ?

िायु महाभूत

* आहार पािन काळ – ४ याम

औषध पिन काळ – २ याम [ िाग्भट ]

* सास्त्र्क प्रकृ चत

चरक

सुश्रुत ७

* रािचसक प्रकृ चत

चरक

सुश्रुत ६

* तामचसक प्रकृ चत

चरक

सुश्रुत ३

* मानचसक प्रकृ चत Total

चरक

सुश्रुत १६

* काश्यप के अनुसार मानचसक प्रकृ चत – १८

सास्त्िक प्रकृ ती – ८ [ प्रिापजत Extra ]

रािजसक प्रकृ ती – ७ [ यि Extra ]

तामजसक प्रकृ ती – ३

32 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

सुश्रत
ु शारीर – २

शुक्रशोचर्तशुद्धी अध्याय

१) शुक्र धातू का प्रमार् –

चरक = १/२ अंििी शुक्र, मस्ततष्क, अपर ओि

भेि = १ अंििी शुक्र और मस्ततष्क

िाग्भट = १ प्रसृत शुक्र, मस्ततष्क, अपर ओि

२) र्ाग्भट अनुसार स्तन्य का प्रमार् = २ अंििी

रि का प्रमार् = ४ अंििी

३) पर ओि का प्रमार् – अरुणदत्त टीका [ सिागसुंदर ] = ६ वबदु

- चक्रपाजण [ आयुिेद दीजपका ] = ८ वबदु

अपर ओि का प्रमार् – ६ अंििी काश्यप अनुसार

४) माधर्चनदान पर लालिंि र्ैद्य चलचखत टीका = सिांगसुंदरी

५) अंिली प्रमार् का संदभव –

चरक शारीर ०७ – शरीरसंख्या शारीर अध्याय

अष्टांगहृदय शारीर ०३ – अंगजिभाग शारीर अध्याय

भेि शारीर ०६

सुश्रुत सूत्रतथान ०५ दोिधातु पजरमाणं न जिद्यते।

६) ि. शा. २/३ –

चतुष्पाद प्रभिं िडभ्य:। शुक्र धातु ४ महाभूतात्मक और ६ रसात्मक है ।

33 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

७) भेल संचहता अनुसार, रक्त, मांस, र्सा, अस्स्थ, मज्िा, शुक्र, मल, मूत्र, अस्ग्न का क्षय ९०
साल के आयु मे होता है ।

८) शुक्रप्रर्ृत्ती के कारर् = ०८ च. जच. ०१

शुक्रक्षय के कारर् = ०६

शुक्रदोष = ०८ – च. जच. ३०

शुक्र का िि मे डु ब िाना, १ मास मे मृत्यु होने का अजरष्ट ििण माना है । चरक इंजिय

९) िरतो चर्श्र्रुपस्य रुपिव्यं यद उर्चयते। [ च. जच. ०२ ]

यह र्र्वन ‘शुक्र’ के संदभव मे आया है ।

१०) Sperm –

१) Fertilizable lifespan for sperm = ४८ – ७२ hrs.

Fertilizable ligespan for ovum [ oocyte ] = १२ – २४ hrs.

२) Length of Sperm = ५५ – ६० µm

Diameter of fully grown ovum = १३० µm

Stage of ovum which gets released from graffian follicle Secondary


oocyte

३) Hormone required for spermatogenesis or oogenesis

FSH [ Follicle stimulation hormone ]

It is released from anterior pituitary gland.

४) How long does it take for spermatogonium [ Primary stage ] to


become sperm [ mature ] ?

६१ days

34 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

५) Sperm abnormalities or disorders –

१) Aspermia lack of semen.

२) Azospermia Absence of sperms in semen

३) Hyperspermia High volume of semen

४) Hypospermia less volume of semen

५) Asthenozoospermia Low sperm motility

६) Oligozoospermia Low sperm count

७) Necrozoospermia Absence of living sperm

८) Teratozoospermia Morphologically abnormal sperm.

६) Semen = ६० % Seminal vescicle Fluid

+ ३० % Prostate Fluid

+ १० % Sperms

७) Normal sperm count = ६० – १५० mil/ml

If it is less than २० mil/ml Oligozoospermia

८) Testosteron is responsible for development of secondary sexual


characters.

९) Which antifungal drug causes Gynaecomastia as it’s side-effect ?

Ans. Ketoconazol

Also cimetidine [ H२ Blocker ] also has gynaecomastia as its side effect.

११) आतवर् दोष = ८

शुक्र दोष = ८

35 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

कुणपगंधी, ग्रंथी, पुजतपुय, िीण आतघिदोि अमाध्य

शुक्रदोि कृ च्छसाध्य

िाति, जपत्ति, कफि दोि आतघिदोि साध्य

शुक्रदोि

सास्न्नपाति मूत्रपुरीिग्रंथी आतघिदोि असाध्य

शुक्रदोि

१२) ि. चि. ३० ततन्यदोि = ८

हाचरत =५ र्न, उष्ण, अम्ि, अल्प, िार

हाजरत अनुसार र्न ततन्यदोि के कारण बािकों मे उत्फु स्ल्िका व्याधी होता है ।

और िार ततन्यदोि से चिुरोग होते है ।

१३) सुश्रुत अनुसार कुर्पगंधी शुक्रदोष मे धातकीपुष्प, दाडीम, खदीर और शालसाराचद गर्
का प्रयोग करे ।

िाग्भट अनुसार कुणपगंधी शुक्रदोि मे धातकीपुरुि, दाडीम, खदीर और असनाजद गण का प्रयोग


करे ।

१४) उत्तरबस्स्त

िणघन संदभघ – च. जस. ०९ [ जत्रममीय जसध्दी ]

* िरक संचहतेतील दृढबल चलचखत अध्याय = ४१ अध्याय

कल्पतथान = १२, जसस्ध्दतथान = १२, जचजकत्सा तथान = १७

36 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

उत्तरबस्तत नेत्र िांबी पुरुि = १२ अंगि


स्री = १० अंगि

च. जस. ९/६५ – पुष्पनेत्रं प्रमाणं तु प्रमदानां दशांगि


* उत्तरबस्तत नेत्र जछि का आकार पुरुि = सिघपाकार

स्री = मुद्गाकार

* चियों मे उत्तरबचसत नेत्र प्रयोग - [ चरक, सुश्रुत ]

१) अपत्यमागघ मे ४ अंगि
ु तक प्रिेजशत

२) मूत्रमागघ मे २ अंगि
ु तक प्रिेश

३) कन्या मे १ अंगि
ु तक प्रिेश

* उत्तरबस्तत मे तनेह की मात्रा = १/२ पि चरक मते

* = २ पि शारं गधर मते

योजनमागघ के जिए

* शारं गधर अनुसार उत्तरबस्स्त मे स्नेह की मात्रा –

१) योजन मागघ २ पि [ १ पि = ४ किघ ]

२) मूत्र मागघ १ पि

३) कन्या मे २ किघ

* सुश्रुत मे उत्तरबस्तत िणघन संदभघ सु. जच. ३७

उत्तरबस्तत नेत्र िांबी पुरुि = १४ अंगि


स्री = १० अंगि

उत्तरबस्तत नेत्र जछि आकार पुरुि = सिघपाकार

37 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

स्री = मुद्गाकार

* सुश्रुत अनुसार उत्तरबस्स्त मात्रा –

१) जस्रयों मे उत्तरबस्तत तनेह मात्रा = तिअंगजु िमूि सस्म्मतम्।

[ तनेह परम मात्रा ] – १ प्रसृत [ = २ पि ]

२) गभाशय शुस्ध्द के जिए उत्तरबस्तत तनेह मात्रा = २ प्रसृत

३) पुरुिो मे बस्तत शोधनाथघ उत्तरबस्तत

के जिए क्िाथ की मात्रा = १ प्रसृत

४) स्रीयों मे बस्तत शोधनाथघ उत्तरबस्तत

के जिए क्िाथ की मात्रा = २ प्रसृत

५) कन्या मे उत्तरबस्तत क्िाथ की मात्रा = तिहततजप्रजमत

१ प्रसृत

* र्ाग्भट अनुसार उत्तरबस्स्त र्र्वन संदभव अ. हृ. सू. १९

अ. हृ. कल्प, जसध्दी तथान

उत्तरबस्स्त नेत्र लांबी - पुरुि = १२ अंगि


स्री = १० अंगि

* र्ाग्भट अनुसार उत्तरबस्स्त मात्रा –

१) उत्तरबस्तत मे तनेह की मात्रा = १ शुस्क्त [ = १/२ पि ]

२) स्रीयों मे उत्तरबस्तत तनेह की मध्यम मात्रा = १ प्रकंु च [ = १पि ]

38 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

३) कन्या मे उत्तरबस्तत तनेह की मध्यम मात्रा = १ शुस्क्त

१५) धातकी -Woodfordia Fructicasa

- E. N. = Fireflame bush

* धातकी का समार्ेश – पुरीिसंग्रहणीय महाकिाय च. मू. ०४

मुत्रजिरिनीय महाकिाय

संधानीय महाकिाय मे होता है ।

१६) सर्व पुष्प का समार्ेश मूत्रचर्रिनीय महाकषाय मे होता है । [ चरक ]

१७) खचदर – L. N = Acacia catechu

E. N = Cutch Tree

पयाय = बािपत्र. दं तधािन, गायत्री, रक्तसार

[ च. सू. ४ ] खजदर के प्रकारो का समािेश उददघ प्रशामक महाकिाय मे होता है ।

खजदर के प्रकार = खजदर, कदर, अजरमेद

१८) अिुवन का समार्ेश उददव प्रशमन महाकषाय मे चकया है ।

अिुवन - L.N = Terminalia arjuna

Chemical component – Fiedelin

पयाय = र्िि, नदीसिघ, िीरिृि, इंिदु

[ धििजिटप – सपघगंधा का पयाय ]

अिुघन हृदय गुणात्मक है मात्र हृदय महाकिाय मे समाजिष्ट नही।

39 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

१९ ) दाडीम - L.N = Punica granatum

E.N = Pomegranate plant

पयाय = दं तबीि. िोजहत पुष्पक

[ च. जच ] दाडीमाजद र्ृत रोगाजधकार = पाण्डू

२०) िव्य के गुर् –

१) सुश्रुत = ३७ = िातहर – ९, जपत्तहर – ११, कफहर – १७

अष्टांग हृदय = ३३

अष्टांग संग्रह = २५

महाकिाय – चरक = ५०

अष्टांग संग्रह = ४५

अग्र िव्य संख्या – चरक = १५२

अष्टांग हृदय = ५५

अष्टांग संग्रह = १६५

* सुश्रुतोक्त शािसाराजद गण = िाग्भटोक्त असनाजद गण

* सुश्रुत – काकोल्याजद गण = िाग्भट – पद्मकाजद गण

= चरक – िीिनीय महाकिाय

२१) शटी

L.N = Hedychium spicatum

E.N = Spiked ginger lily Hindi – कपुरकाचरी

* महाकिाय समािेश – श्िासहर, जहक्काजनग्रहण

‘िडग्रंथा’ यह पयाय शटी और िचा दोनो िव्यों का है ।

40 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

२२) पलाश

L.N = Butea monosperma

पयाय = वकशुक, िारश्रेष्ठ

रसशास्र मे िारश्रेष्ठ पयाय – टं कण का है ।

* वकशुकोदक स्राि – [ चरक ] = िाति रक्तप्रदर

[ सुश्रुत ] = जपत्ति व्रण

* काश्यप अनुसार गर्भभणी मे योजनमागघ से,

वकशुकोदक स्राि हो – तो कन्या गभघ प्राप्ती

तंत्रीित स्रात – पुरुि गभघ प्राप्ती

* च. जच. १ / तृतीय पाद / ३३

कौनसे रसायन को वकशुकिार की भािना दे ? – जपप्पल्याजद रसायन

* वकशुकिार का प्रयोग – चरक = रक्तगुल्म मे करे ।

सुश्रुत = प्िीहोदर मे करे ।

पिाश जनयास – Butea gum, or Bengal kino

पिाश chemical content = Kinotanic acid

२३) ग्रंथी शुक्र की चिचकत्सा –

सुश्रुत अनुसार – शटी और पिाश का प्रयोग

िाग्भट अनुसार – अश्मजिद्ध [ पािाण भेद ] और पिाश का प्रयोग

41 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

२४) पाषार् भेद – L.N = Burginia legulata

पयाय = अश्मरीभेदक, अश्मजिद्ध

२५) सुश्रुत अनुसार न्यग्रोधाचद गुर् भग्नसंधानकर और योचनदोषनाशक है ।

२६) परुषक िव्य स्र्ल्पचत्रफला का र्टक है ।

तिल्पजत्रफिा = परुिक, काश्मयघ, खिुघर

मधुरजत्रफिा = िािा, काश्मयघ, खिुघर

२७) चित्रक - L.N = Plumbago zeylanica

E.N = Leadwort Tree

प्रकार = २ - श्िेतजचत्रक

रक्तजचत्रक

रक्तजचत्रक का शोधन चूणोदक मे करे ।

जचत्रक पंचकोि और िडु िण का र्टक है ।

जचत्रक का प्रयोज्यांग = मूित्िक्

जचत्रक के कल्प -

१) जचत्रक र्ृत शोथजचजकत्सा

२) जचत्रकाजद गुटीका ग्रहणीजचजकत्सा चरक

३) जचत्रकाजद अििेह कास

४) जचत्रक हजरतकी प्रजतश्याय [ भै. र ]

२८) [ िा. शा. १ ] बहगु से व्याचद र्ृत का प्रयोग मूत्र पुरीष गंधी शुक्र मे करे

[ वहगु + उशीर – र्टकिव्ये ]

सुश्रुत - वहगु, उशीर, जचत्रक का उपयोग मूत्रपुरीिगंधी शुक्र मे करे

42 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

२९) िरक अग्र : जचत्रक दीपनीय पाचनीय गुदशोथ अशघशि


ू हराणाम्।

शारं गधर : जचत्रक िव्य दीपन और पाचन दोन्हो कमो का उदाहरण है ।

३०) उशीर - L.N = Vetivera Zizanioidis

E.N = Khaskhas grass

पयाय = अमृणाि, निद, समगंधक

बहगु - L.N = Ferula narthrax

E.N = Asofoetida

* महाकिाय – संज्ञातथापन, दीपनीय

पयाय – रामठ, सहस्रिेधी, बास्ल्यक, ितुक

वहगु का शोधन गोदुग्ध मे करे ।

वहगु का संग्रह िसंत ऋतु मे करे ।

३१) िरक अनुसार ‘स्थापन’ महाकषाय चकतने है ? = ५

१) शोजणत तथापन

२) प्रज्ञा तथापन

३) िय तथापन

४) िेदना तथापन

५) संज्ञा तथापन

३२) बहग्र्ाष्टक िूर्व मे बहगु की मात्रा – अष्टमांश

बहग्र्ाष्टक िूर्व सेर्न काल – प्रथम किि भुक्तमात्र।

३३) Saliva

Largest salivary gland is Parotid gland [ wt = १५ gm ]

43 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

But submandibular gland contributes maximum in saliva formation.

Duct of Parotid gland = Stenson duct

Duct of Sub mandibular gland is Wharton duct.

Duct of Sublingual gland is Rivinus duct.

* Smallest salivary gland is Sublingual gland.

There are numorous ducts of rivinus, among which Bartholini duct is largest

Secretion of parotid gland is Serous type. [ Thin watery ]

Secretion of Sublingual gland is mucous type

Secretion of Submandibular gland is mixed type.

* Nerve Supply –

१) Submandibular & Sublingual gland is supplied by Facial nerve.

२) Parotid gland is supplied by Glossopharyngeal [ ९th ] cranial nerve.

३४)

योगरत्नाकर १/१० –
अस्ग्नमूलं बलं पुंसा रे तोमूलं ि िीचर्तम्।
तस्मात् सर्व प्रयत्नेन र्चि शुक्रं ि रक्षये त्॥

शारीरबि का मूि अस्ग्न है और िीिन का मूि शुक्र है ।

इजसजिए सारे प्रयत्नो से अस्ग्न और शुक्र का रिण करे ॥

३५)

44 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

भैषज्य रत्नार्ली –
शुक्र आयतं बलं पुंसा मल आायतं चह िीर्नम्।
तस्मात् यत्नेन संरक्षये त् यचममर्ो मलेश्तचस

शारीरीक बि शुक्र पर आधारीत है , और िीिन का आधार मि है , इसीजिए


राियक्ष्मा व्याधी मे शुक्र और मि का रिण करे ।

३६) शुध्द शुक्र का र्र्वन –

चरक जचजकत्सा ३०/१४५

स्तनग्धं र्नं जपस्च्छिं मधुरंम् अजिदाही।

रे त: शुध्दं जििानीयात् श्िेतं तफजटक सस्न्नभम्॥

र्ाग्भट शारीर ०१/१७ –

शुक्िं गुरु स्तनग्ध मधुरं बहिं बहु ।

र्ृतमाजिक तैिाभम्॥

* शुक्र र्र्व – चरक, सुश्रुत = तफजटक

चरक, िाग्भट = शुक्ि or श्िेत

शुक्र रस – चरक = िडरसात्मक

[ शुध्द शुक्र मधुर रसात्मक ]

शुक्र र्र्वन – िाग्भट – र्ृत, तैि, मधु समान

सुश्रुत – तैि, मधुसमान

३७) ि. सू. १७/७५ [ चकयं तचशरचसय ] अनुसार

ओि के गुण – सर्भपिणघ, मधुर रसात्मक, िािगंधी

45 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

३८) र्ा. सू. ४/२० [ न र्ेगान् धारर्ीय अध्याय ] –

कौनसे िेगािरोध मे बस्ततशुस्ध्दकर िव्यों का प्रयोग करे ?

Ans - शुक्र िेगािरोध।

३९) ि. चन ६/९ [ राियममाचनदान ] –

‘आहाररस परं धाम’ यह िणघन जकसके जिए है ?

शुक्र धातु।

४०) ि. चि. २/४/४९ [ र्ािीकरर् ४th पाद ]

‘चरतो जिश्िरुपतय रुपिव्यं तद् उच्यते।‘ यह जकसका िणघन है ?

‘आत्मा का िव्यात्मक तिरुप शूक्र है ।‘

Ans – शुक्र धातु।

४१) चत्रकटु = शुंठी, मजरच, जपप्पिी

{ जत्रकटु + जपप्पिीमूि = चतुरुिण }

जत्रकटु पयाय = व्योि

जत्रफिा पयाय = िरा।

* रसशाि के अनुसार – पारद दोिो मे से जगरीदोि कम करने के जिए जत्रकटु का प्रयोग करे ।

कुटि रोगघ्नता – रक्तजपत्त. ज्चर, हृदयरोग, िातरक्त, जिसपघ

दोिघ्नता – कफहर

जप्रयित शमा : कुटि का संग्रह शरद ऋतु मे करे ।

कल्प - १) कुटि र्निटी

- रोगजधकार = अजतसार

२) कुटिाजद रसजक्रया

- रोगाजधकार = अशघ

46 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

- अनुपान = छगिीपय, पेयामंड

४२) श्तेतिंदन L.N = Santalum album

E.N = Sandalwood

पयाय = श्रीखंड, मियि, भिजश्रय

िरक अग्र – दुगंधहर दाहजनिापन िेपनानाम्।

रक्तिंदन L.N = Pterocarpus santeliunus

E.N = Red Sandal

ि. चि. ३ – चं दनाजद तैि दाहिन्य ज्िर

अगुिाजद तैि शीतिन्य ज्िर

ि. चि. १५ – चं दनाजद र्ृत जपत्ति ग्रहणी

* शारं गधर पूर्वखण्ड १/५३

श्िेतचं दन का उपयोग चूणघ, तनेह, आसि, अििेह जनर्भमती मे करे ।

रक्तचं दन का उपयोग क्िाथ, िेप जनमाणाथघ करे ।

४३) शुध्द आतवर् के लक्षर् –

सुश्रुत अनुसार / र्ाग्भट अनुसार िरक अनुसार


शशासृक प्रजतमा गुंिाफि सिणघ
िािा रसोपमम् पद्मिक्तसंस्न्नभ
यत् िासो न जिरं ियेत्। इंिगोप संकाश

४४) [ रसशाि ] शशासृक् मे शोधन िोह धातु का करे ।

िीरि मे शोधन कासीस का करे ।

47 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

५) Oligomenorrhea Duration of menstrual cycle is increased [ More than


३५ days ]

Thus bleeding phase gets delayed which leads to less


blood flow.

६) Hypomenorrhea Scanty menstrual bleeding & for less than 2 days.

७) Amenorrhea Absence of menstruation

Types - Physiologically – Before puberty, during pregnancy & during


lactation.

Pathologically – Primary

Secondary

१) Primary Amenorrhea -

If menarche is not started till १६ yrs of age.

Commonly menarche starts at 13 yrs of age. & Maximum upper limit for
menarche = १५ Yrs or

[ Recently = १४ Yrs. ]

Causes - Gonadal Failure

Improper chromosome pattern

Hypothalamus – Ovary – Pitutary discoordination.

२) Secondary Amenorrhea –

If menstruation is absent for more than ६ months

Only in Females who had established menstruation

Commonest cause Hypothalamus dysfunction

48 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

३) Crypto – Menorrhea or Hematocolops –

Invisible menstruation due to obstruction to blood flow.

Cause Imperforated hymen [ Which covers vagina ]

This leads to collection of blood in vaginal / uterus / cervix.

४५) [ ि. चि. ३०/२२७ ] रक्तप्रदर की चिचकत्सा चकन व्याधीयों के समान करे ?

रक्तजपत्त, रक्ताजतसार, रक्ताशघ और योजनव्यापद।

४६) [ च. जच. ३०/ २१० ] रक्तप्रदर के प्रकार और ििण –

१) िाति वकशुकोदक समान स्राि, फेजनि, रुि, तनु, श्याि-अरुण, स्राि, सरुि िा जनरुि।

२) जपत्ति नीििणी पीत – अजसतिणी उष्ण स्राि, जनतांत स्रिजत रक्तम्।

३) कफि जपस्च्छि, पांडु, गुरु, स्तनग्ध, शीति स्राि र्न स्राि, मंदरुिाकर

श्र्िास, कास, छर्भद, अरोचक।

४७) िरक अनुसार चकस रक्तप्रदर के हे त ु स्तन्यदोष के समान है ?

Ans – जत्रदोिि रक्तप्रदर

४८) कौनसे रक्तप्रदर मे सर्वप, मज्िा, र्सा सम िार् होता है ?

Ans – जत्रदोिि रक्तप्रदर

४९) माधर्चनदान अनुसार –

असृग्दर सामान्य ििण = अंगमदघ , िेदना

प्रकार = ४

१) िाति रक्तप्रदर जपजशतोदक स्राि [ मांसधािन सम स्राि ]

२) जपत्ति रक्तप्रदर पीत नीि अजसत उष्ण स्राि

49 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

३) कफि रक्तप्रदर जपच्छाप्रजतमा स्राि [ शाल्मिीजनयास सम ]

पुिाकतोय प्रजतमा स्राि [ तण्डु िोदक सम ]

४) जत्रदोिि रक्तप्रदर िौि, सर्भप, हरताि िणी, मज्िा प्रकाश, कुणपगंधी स्राि

असाध्य प्रकार

* रक्तप्रदर असाध्यता ििण

शश्ितस्राि तृष्णा दाह ज्िर िीणरक्तता दुबघिता।

Ref – च. जच. ३०/*२२४

माधिजनदान

५०) Weight of blood is ८% of total body weight रक्त प्रमार् = ८ अंििी

५१) कुलत्थ - L.N = Dolicus biflorus

E.N = Horse gram

च. सू. अग्र : कुित्थ अम्िजपत्तिननाम्

[ च. सू. २७ ] शमीधान्य मे से कौनसे धान्य –

‘कास जहक्का श्िास अशघसां जहता’। ऐसा िणघन जकया है ?

कुित्थ

कुित्थ किाय रसात्मक

जिपाक = अम्ि

िीयघ = उष्ण है ।

कुित्थ कफ शुक्र अजनिहर है ।

[ च. सू. ] कुित्थ अश्मरीभेदक है , मात्र अम्िजपत्त िनक भी है ।

50 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

[ च. जच. १/३ पाद ] कौनसे रसायन सेिन मे कुित्थसेिन िज्यघ है ?

[ च. जच. १६ ] योगराि रसायन

तिणघमाजिक सेिन मे

जशिाजित सेिन मे

कुित्थ, काकमाजच, कपोत िज्यघ योगराि रसायन, तिणघमाजिक

कुित्थ, जिदाही अन्न िज्यघ जशिाजित सेिन

५२) माष – Black gram

[ च. सू. २५ ] शमीधान्य मे कजनष्ठ = माि, श्रेष्ठ = मुद्ग

[ च. सू. २७ ] पुंसत्ि शीघ्रं ददाजत । माि का महत्ि

िृष्यं परं िातहर । उष्णिीयघ, मधुररस

५३) तील अम्ि और ििण रस नही है ।

[ च. सू. २७/३० ] – तीि ४ रसात्मक है ।

- मधुर, जतक्त, कटु , किाय।

[ सु. सू. ४६ ] तीि मे रस = इित् किाय, मधुर, जतक्त

Q. शमीधान्य मे से कौनसा िव्य त्र्िा, केश और दं त के चलए चहतकर है ?

Ans - तीि = त्िच्य, केश्य, दं त्य है ।

- सु. सू. ४६/४० – सिेिु जतल्िकेिु अजसतप्रधान।

कृ ष्णतीि प्रकार प्रधान माना है ।

- िा. सू. २२/०५ – दं तहिघ, दं तचाि, िाति मुखरोग मे

जतिकल्क उदक गण्डु ि करे ।

51 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

[ शीत होना चाजहए ]

५४) सुरा च. सू. २७/१७९ – मद्यिगघ मे सुरा का समािेश

* ततन्य और रक्तिय मे सुरा प्रयोग करे ।

सुरा पशतता िातघ्नी ततन्यरक्तियेिु

कृ शानां सक्तमूत्रानां ग्रहणी अशघ जिकारानाम्।

कृ श, सक्तमूत्र, ग्रहणी, अशघजिकार मे उपयुक्त

* सिघ मद्य ततन्यिधघक है जसिाय जसधु के।

* सिघ मांस ततन्यिधघक है जसिाय िराह, माजहिमांस। [ काश्यप ]

* सिघ शाक ततन्यिधघक है जसिाय जसध्दािधघक [ सिघप ]।

५५) ि. सू. ०१ [ दीर्विीचर्तीय ] अध्याय मे अष्टमूत्र का र्र्वन चकया है ।

कृ मी और कुष्ठ व्याधी मे – गोमूत्र, हाथी का मूत्र प्रयुक्त

गोमूत्र रस मधुर रसात्मक

* कण्डु च शमयेत् पीत दोिोदरे सम्यक् जहतम्।

यह िणघन ‘गोमूत्र’ के जिए कीया है ।

गोमूत्र की भािना कौनसे कल्प को है ?

संिीिनी िटी।

५६) संिीर्नी र्टी र्टकिव्यो मे ित्सनाभ और भल्िातक यह २ जिििव्यो का समािेश।

एकूण र्टक = १०

अनुपान = आिघ क तिरस

भािना = गोमूत्र

मात्रा – अिीणघ, गुल्म = १ िटी

52 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

सपघ दं ष्र = ३ िटी

जिसुजचका = २ िटी

सस्न्नपाति व्याधी = ४ िटी

५७) तक्र –

[ च. जच. १४/८४ ] तक्र प्रकार = ३

रुि, अधघउद्र्ृततनेह, अनुध्दत


ृ तनेह।

[ भािप्रकाश ] – तक्र प्रकार = ५

तक्र, र्ोि, मजथत, उस्द्श्र्ित, छस्च्छका।

उस्द्श्र्ित = दजधमात्रा मे अधघमात्रा िि जमिाकर मंथन करना

र्ोि = तनेह अिग ना करके, जिनािि मंथन करना

मजथत = तनेह अिग करके, जबनािि मंथन करना

तक्र = दजध + १/४th [ पादमांश ] िि जमजश्रत

{[ सु. सू. ४५ ] तक्र = दजध + १/२ गुणा िि जमजश्रत }

छस्च्छका = तनेह अिग करके, अजधकतम मात्रा मे िि जमिाकर मंथन करना।

५८) दचध - भार्प्रकाश = ५ प्रकार

मंद, तिादु, अम्ि, तिादु-अम््, अत्यम्ि

[ सु. सू. ४५ ] = ३ प्रकार = मधुर, अम््, अत्यम्ि

[ सु. सू. ४५/८३ ] or ७ प्रकार

[ मधुर, अम्ि, अत्यम्ि, मंदिात, श्रृतिीरभि, सर, असार ]

सु. सू. ४५/८० - दजधसेिन योग्य ऋतु = हे मंत, जशजशर, ििा

दजधसेिन गर्भहत / िज्यघ = शरद, िसंत, ग्रीष्म

* दजधसेिन जनयम

53 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

Ref – च. सू. ०७/६१ [ न िेगान् धारणीय ]

दजध का सेिन र्ृत, शकघरा, मुद्गयुि, िौि, आमिकी के साथ ही करे ।

दजध सेिन रात्री के समय न करे ।

दजध सेिन जनयमों का पािन ना करने से उत्पन्न होने िािे व्याधी

Ans – भ्रम, ज्चर-रक्तजपत्त, पाण्डु -कामिा, जिसपघ-कुष्ठ

५९) चदर्ास्पाप के कारर् दोषप्रकोप

१) चरक अनुसार – कफ-जपत्त प्रकोप

२) सुश्रुत अनुसार – जत्रदोि प्रकोप

रात्री िागरण करने से िात-जपत्त प्रकोप होता है । [ सुश्रुत ]

* आसीन प्रचजियेत्। [ बैठे बैठे वनद आना ] ऐस जनिा का िणघन अरुि और अनजभष्यंदी
जनिा के जिए है । - च. सू. २१

६०) अंधत्र्

अपांग [ जसराममघ ] और आितघ [ संधीममघ ] ममार्ात का ििण है । - सुश्रुत

अन्निह स्रोतस का जिध्दििण है । - सु. शा. ९

अंधत्िजनिारक बस्तत मे छागिमांस का प्रयोग करे । - चरक

National blindness control program = १९७६

Vision २०२० program = १९९०

Vit A Prophylaxis program = १९७०

* Commonest cause of blindness is cataract.

* Commonest type of cataract is Senile cataract.

54 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* Commonest congenital cataract is blue dot cataract.

Snow storm cataract in Diabetes Mellitus

Sun flower / sun burst Wilson Disease / Cu poisoning

Oil droplet cataract Galactosemia

६१) [ ि. सू. २५ ] – तनानं श्रमहराणाम्।

सुरा श्रमहराणाम्।

६२) ि. चि. ८/१७८ – राियममा के रुग्र् मे स्नानाथव –

िीिनीय गण क्िाथ + गौरसिघप कल्क + सुगंधी िव्य प्रयुक्त है ।

६३) सु. शा. १०/१५ - बािक मे तनानाथघ –

१. कजपत्थपत्र किाय

२. िीरीिृि किाय

३. सिघ गंध उदक

४. सुिणघ, रित इ. धातु जनिाजपत िि प्रयुक्त।

६४) Leprosy = Hansen’s Disease

National leprosy control program = १९५५

National Leprosy eradication program = १९८३

World leprosy Day = ३०th Jan

[ काश्यप ] कुष्ठ प्रकार = १८ = ९ साध्य + ९ असाध्य

[ चरक , सुश्रुत ] कुष्ठ प्रकार = १८ = ७ महाकुष्ठ + ११ िुिकुष्ठ

55 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

६५) सुश्रुत अनुसार अचभर्ात से होने र्ाला क्षुिरोग [ नख स्थान पर ]

कुनख or कुिीन

सुश्रुत अनुसार –

जचप्प = अित, उपनख

िातजपत्ति दोिसंर्टन

Fungal infection of nail = Onychomycosis.

Spoon shaped nail = Koilonychia

Seen in iron deficiency anaemia.

६६) Muscle of smiling & laughter Zygomaticus major

Muscle of grinning [ broad smile ] Risorius

सुश्रुत र्ाग्भट

दं तरोग ०८ १०

दं तमूि गत रोग १५ १३

ओष्ठ रोग ०८ ११

तािु रोग ०९ ०८

जिव्हा रोग ०५ ०६

* एकुर् मुखरोग संख्या –

िरक सुश्रुत शारं गधर र्ाग्भट भार्प्रकाश


६४ ६५ ७४ ७५ ६७

* मुखरोग आयतन = ०७

56 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

६७) बाचधयव - जिधुर ममजर्ात का ििण

तृष्णा िेगािरोध का ििण

सुश्रुत अनुसार –

१) बाजधयघ मे जबल्ितैि का कणघपरू ण करे ।

२) कणघनाद और बाजधयघ मे अपामागघ िार तैि का प्रयोग करे ।

Commonest cause of conductive deafness = Wax

Senile deafness is known as ‘Presbycusis’.

Senile deafness is sensory neural type of deafness.

Meneir’s Disease is sencory neural type of deafness symptoms in Meneir’s


disease –

Deafness, Vertigo, temperature.

६८) लर्र् रस के अचतसेर्न से खाचलत्य व्याधी होता है ।

६९) उन्माद प्रकार = चरक – ५ अपतमार प्रकार = चरक – ४

सुश्रुत – ६ सुश्रुत – ४

िाग्भट – ६ िाग्भट – ४

७०) तृर्पचिमूल १) सुश्रुत मते –

कुश काश नि दभघ काण्ड इिु

२) चक्रपाजण मते –

कुश काश शर, दभघ काण्डइिु

ततन्यिधघनाथघ तृणपंचमूि के क्िाथ का प्रयोग करे ।

तृणपंचमूि का समािेश ततन्यिनन और मूत्रजिरे चनीय महाकिाय मे जकया है ।

57 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

७१) सुश्रुत अनुसार १३ र्ी रात्र मे सहर्ास करना चनद्य है ।

अष्टांग हृदय अनुसार ११ र्ी रात्र मे सहर्ास करना चनद्य है ।

अष्टांग संग्रह अनुसार ११ र्े और १३ र्े रात्री मे सहर्ास करने से नपुसंक बालक का

िन्म होता है ।

७२) रि:काल [ रि : िार् का काल ]

१) चरक = ०५ जदन

२) सुश्रुत = ०३ जदन

िाग्भट

३) हाजरत = ०७ जदन

४) भािप्रकाश = ०५ जदन

भा. प्र चिचकत्सा स्थान / ६८ िीरोग अचधकार :-

प्रभूत रक्तप्रिृत्ती हो – ३ जदन रि: काि होता है ।

मध्यम रक्तप्रिृत्ती मे – ५ जदन रि: काि

अल्प रक्तप्रिृत्ती मे – १६ जदन तक भी रि: काि होता है ।

ऋतुकाल [ गभव धारर्ा का योग्य काल ]

सुश्रुत, िाग्भट = १२ रात्री

भािप्रकाश = १६ रात्री

काश्यप – िणघ अनुसार :

ब्राम्हण = १६ रात्री

िजत्रय = ११ रात्री

िैश्य = १० रात्री

िुि = ०९ रात्री

58 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

७३) रि: काल मे िी मे र्ात का प्राधान्य होता है ।

ऋतुकाल मे िी मे कफ का प्राधान्य होता है ।

ऋतु अतीत काल मे िी मे चपत्त दोष का प्राधान्य होता है ।

७४) रि: स्र्ला अचभगमन करे तो :-

१) च. सू. २५ [ अग्र ] : रि: तििेिु अिक्ष्मी मुखानाम्।

२) सु. जच. २४ : दष्ृ टी, आयु, तेिहानी, अधमघप्राप्ती।

* परदाराचभगमन

च. सू. २५ [ अग्र ] परदाराजभगमन अनायुष्यानम्।

* [ च. सु. २५ ] – ब्रम्हचयघ आयुष्यानम्।

अनशन आयुष्य ऱ्हासकराणाम्।

* Adultery is punishable under IPC ४९७

* Rape is punishable under IPC ३७६

[ Defination of rape is given in IPC ३७५ ]

* Perverted sexual behaviour is punishable under –

[ unnatural sexual offenses ] – IPC ३७७

७५) काश्यप अनुसार –

रि : तििा स्री के साथ सहिास करने से होने िािे पजरणाम –

१) रि : प्रिृत्ती के प्रथम जदन पे सहिास करे तो –

िातगभघ or िातपुष्प – जिफि गभघ का िन्म।

59 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

२) जितीय जदन पर सहिास करने से-

स्रंसते च्यिते िा। - गभघस्राि or गभघपात हो िाता है ।

३) तृतीय जदन पर सहिास करने से –

सुजतका असने मृत्यु।

७६) योगरत्नाकर और यािर्ल्कलस्मृती अनुसार मैथन


ू प्रकार = ०८

मनोस्मृती अनुसार चर्र्ाह के प्रकार = ०८

* Hindu Marriage Act = १९५५

* Child Marriage prohibition Act = १९२९

[ बािजििाह प्रजतबंधक कायदा ]

Amendments done in १९४९, १९७८, २००६

७७) सुश्रुत चिचकत्सा २४ –

ग्रीष्म ऋतु मे १५ जदन के अंतर पर मैथन


ू करे ।

उत्तर ऋतुओं मे ३ जदन के अंतर पर मैथन


ू करे ।

* र्ाग्भट सूत्र ०७/७३ –

१) हे मंत – जशजशर ऋतु मे – यथेच्छ सहिास करे ।

[ िािीकरण िव्यों के सेिनपश्चात ]

२) िसंत – शरद ऋतु मे – ३-३ जदन के अंतर पर मैथन


ू करे ।

३) ििा – ग्रीष्म ऋतु मे – १५ जदन के अंतर मे मैथन


ू करे ।

* [ सु. जच. २४ ] प्रत्युष्यकाि [ पहाट ] और अधघरात्री मैथन


ू करने मे िात और जपत्त का प्रकोप
होता है ।

60 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

जतयघकयोजन, अयोजन [ Bastility ], दुजित योजन, उपदं श मे सहिास करने से िातप्रकोप और शुक्र
िय होता है ।

* उपदं श व्याधी मे मेढ्रमध्य जसरािेध करे । - [ सु. शा. ०७ ]

रक्ति उपदं श याप्य है ।

जत्रदोिि उपदं श मे कृ मी उत्पत्ती होती है ।

७८) शारं गधर अनुसार ‘परमेश्र्र इर्च्ा’ यह पुत्र / कन्या प्राप्ती का कारर् है ।

भार्प्रकाश अनुसार –

स्री मे गौरी नाडी पर शुक्रजिसिघन करने से – पुत्रप्राप्ती।

चांिमासी नाडी पर शुक्रजिसिघन करने से – कन्याप्राप्ती।

समीरणा नाडी पर शुक्रजिसिघन करने से – जनष्फि।

* Male is responsible for sex determination of zygote.

* Sex determination of Y chromose is present on short arm. [ Cyene = SRYG ]

७९) भार्प्रकाश : लममर्ा िव्य का प्रचतचनधी िव्य मयुरजशखा

८०) िरक अनुसार पुंसर्न चर्धी

Ref – च. शा. ०८ [ िातीसूत्रीय शारीर अध्याय ]

Methods

१) पूिघ-उत्तर जदशा मे उत्पन्न िटअंकुर [ २ ] + २ माि धान्य + २ गौरसिघप + दजध का सेिन


पुष्यनित्र पे करे ।

२) िीिक, ऋिभक, अपामागघ, सहचर [ एकत्र िा अिग-अिग ] + दुग्ध का सेिन पुष्यनित्र मे


करे ।

३) कुढ्यकीटक + मत्तयक + १ अंििी िि को पुष्यनित्र पे प्राशन करे ।

61 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

४) कनक [ सुिणघ ] + रित, अयस [ िोह ] की छोटी मूती बनाकर तप्त करके दजध, दुग्ध, अथिा
िि मे जनिाजपत करे , इस िि को पुष्यनित्र पे प्राशन करे ।

५) शािीजपष्ट और िि जमजश्रत करके उबािने पर िो भाप बने, उसका ग्रहण करे अथिा इस
जमश्रण मे कापास जपचू जभगोकर दजिण नासापूट मे बुंदे डािे।

* र्ाग्भट अनुसार पुंसर्न चर्धी

१) श्िेतबृहतीमूि + दुग्ध – दजिण नासापूट मे बूंद – पूत्रप्राप्ती

िाम नासापूट मे बूंद – कन्याप्राप्ती

२) गौरदं डा [ श्िेत ] अपामागघ + िीिक + ऋिभक + सहचर [ एकसाथ िा अिग से ]


ििजमजश्रत करके पुष्यनित्र पे सेिन करे ।

३) हे म, रित, अयस जनर्भमत मुती को अस्ग्नतप्त करके दुग्ध मे जनिाजपत करके, इस दुग्ध का प्राशन
करे ।

४) ८ िटश्रृंग + दुग्ध – नासा और मुखिारा प्राशन करे ।

५) िीिनीय महाकिाय का उपयोग, बाह्य और आभ्यंतर करे ।

८१) िरक अनुसार गभवर्र्व का र्र्वन –

च. शा. ०८ – िातीसूत्रीय शारीर / १५

१) अिदात = तेि + आकाश + आप महाभूत संर्टन

२) कृ ष्ण = पृथ्िी + िायु

३) श्याम = सिघ महाभूत का समान अंश

र्ाग्भट अनुसार गभवर्र्व का र्र्वन [ अष्टांग संग्रह ]

पुरुि शुक्र पर जनभघर होता है ।

१) शुक्र र्ृतसस्न्नभ िणघ का हो तो गौर गभघिणघ होता है ।

२) शुक्र मधुिणघसम श्याम

३) शुक्र तैििणघसम कृ ष्ण

62 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

८२) िरक इस्न्ियस्थान ०१ [ िणघतिरीय अध्याय ]

* ४ प्राकृ त िणघ = कृ ष्ण, श्याम, श्याम अिदात, अिदात

जिकृ त िणघ = नीि, श्याि, ताम्र, हजरत, शुक्ि

८३) कौनसे व्याधी का पूर्वरुप - ‘नीललोचहत पीतानां र्र्ानां अचर्र्ेिनम्।

एैसा िर्भणत है ? [ नीि – िोजहत – पीत िणघ भेद नाही कर पाता ]

रक्तजपत्त व्याधी

Ref. िाग्भट जनदान तथान – रक्तजपत्त

८४) * Cataract due to trauma is ‘Rosette cataract’.

Opacities are developed on anterior surface of lens known as

Vossius Rigns [ Seen in Traumatic cataract ]

८५) Twins

१) Monozygotic Twins -

१ Ovum after fertilization Zygote formation Zygote devided


२ child

२) Dizygotic twins –

२ Ovum Separate fertilisation २ child

* Helin Rule = Twin = १ : ८० Proportion.

८६) नपुंसक प्रकार = चरक = ०८

सुश्रुत = ०५

63 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

क्लैब्य प्रकार – चरक = ०४

सुश्रुत = ०६

८७) * Fellatio or Fellation [ Oral Sexual intercourse ] is punishable under


– ३७७ IPC

८८) नपुंसक प्रकार

सुश्रुत [ ५ ] डल्हर् िरक [ ८ ] र्ाग्भट

१) आसेक्य = मुखयोजनपुरुि = १) िक्री = िक्रीव्दि

२) सौगंजधक = नासायोजनपुरुि / २) स्व्दरे ता

नपुंसक

३) ईष्यघक = दक
ृ योजन पुरुि ३) ईष्यघक

४) कंु भीक = गुदयोजनपुरुि / ४) पिन इंजिय

नपुंसक

५) िंढ – २ ५) संतकार िाही

A) नरिंढ ६) नरिंढ

B) नारीिंढ ७) नारीिंढ

८) िाजतक

८९) अस्स्थ की संख्या - चरक, िाग्भट, काश्यप = ३६०

सुश्रुत = ३००

संधी संख्या - चरक = २००

सुश्रुत = २१०

काश्यप = ३८१

64 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

९०) कुष्मांड - L.N = Benincasa hispida

कुष्मांड अििेह का रोगजधकार = रक्तजपत्त

िोह धातु के सेिन मे कुष्मांड सेिन िज्यघ

९१) दौहदकाल चरक, हाजरत, िाग्भट = ३ रे मास से

सुश्रुत, भािप्रकाश = ४ था मास

चे तना उत्पत्ती काि चरक, हाजरत, काश्यप = ३ रा मास

सुश्रुत = ४ था मास

िाग्भट = ५ िा मास

९२) १) Kyphosis Excessive backward curvature of spine

२) Lordosis Excessive inward curvature of spine

३) Scoliosis Excessive lateral curvature of spine

९३) Wrist drop = Radial Nerve palsy

Foot drop = Common Peronial [ Febular ] Nerve Palsy.

Lead poisoning causes wrist drop & foot drop

९४) कौनसे व्याधी का हे त ु ‘पापकमव ’ है ?

Ans – उदर, जश्र्ित्र, कृ मीिन्य जशरोरोग, कुष्ठ

दशजिध पापकमघ का समािेश िाग्भट अनुसार धारणीय िेगों मे जकया है ।

च. सू. २५ [ अग्र ] – नास्ततको िज्यानाम्।

65 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

९५) Meconium [ early stage stool ] Stained amniotic fluid.

Is a sign of fetal distress [ due to low O२ or Low blood ]

In such cases, there is a risk of aspiration

After birth, stool is passed first [ within २४ hrs ] & then urine is passed.

९६) Stool pathologies

१) Rice water stool Cholera Arsenic poisoning

२) Pea soup stool Typhoid

३) Red jelly stool Intussuspetion

४) Smiky stool Phosphorous poisoning

५) श्िेतिचघ / जतिजपष्ट जनभसि रुध्दपथ कामिा [ च. जच. १६ ]

६) मांसधािन प्रकाशाजतसार कफि अशघ [ च. जच. १४ ]

७) काकंजतका सदश
ृ मि शोकि अजतसार

Normal colour of stool is due to Stercobilinogen

९७) Volvulus - Commonest site is sigmoid colon

In X-ray – coffee bean or kidney bean sign is seen

Intussusception - Commonest site is ilia – caecal junction.

९८) Which vaccine has persistent crying as it’s side effect ?

Ans – DPT vaccine

[ Mainly Pertusis vaccine ]

66 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

९९) Commonest cause of crying in children Hunger.

१००) दं त / Teeth

काश्यप अनुसार - सकृ तिात [ एक ही बार आनेिािे ] = ०८

स्व्दि = २४

शारं गधर अनुसार - बािकों मे दं त संख्या = २४

तरुण व्यक्ती मे दं त = ३२

Temporary teeth = २०

Permanent teeth = ३२

Succesional permanent teeth = २०

{ Temporary teeth जगरने के बाद आने िािे }

First teeth in child lower central incisor

[ at the age of ६th month ]

First permanent molar ६ – ७ years of age

Second permanent molar १२ – १४ yrs

Third [ Wisdom teeth ] १७ – २१ yrs

* Formula for temporary teeth = २ १ ० २

* Formula for permanent teeth = २ १ २ ३

Incisor molar

Canine premolar

अष्टांग संग्रह अनुसार दं तधािन करते समय सिघप्रथम अधोदं त का धािन करे ।

67 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

िव्यगुण – दं तधािन यह खजदर का पयाय है ।

सुश्रुत चिचकत्सा –

दं तधािन शिाका की िांबी = १२ अंगि


जिव्हा जनिेखन शिाका की िांबी = १० अंगि


१०१) Largest cell of body = Ovum

Diameter of ovum = १०० µm

Life span of ovum = १२ – २४ hrs.

Fern Test – Fern like pattern of cervical mucus

Viewed under low power microscope.

- It provides indirect evidence of ovulation.

Mittle schmerz syndrome is related with ovulation pain or Midcycle pain.

Audio १ – १२

* अंिली प्रमार्

१) मज्िा = १ अंििी

२) मेद = २ अंििी

३) िसा = ३ अंििी

४) मूत्र = ४ अंििी

५) जपत्त = ५ अंििी

६) कफ = ६ अंििी

७) पुरीि = ७ अंििी

68 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

८) रक्त = ८ अंििी

९) रस = ९ अंििी

१०) िि, िजसका, तिेद = १० अंििी

शुक्र, मस्ततष्क, अपर ओि चरक = १/२ अंििी

िाग्भट = १ प्रसृत

श्िेस्ष्मक ओि = अपर ओि [ चरक ]

भेि अनुसार शुक्र, मस्ततष्क प्रमाण = १ अंििी

िाग्भट अनुसार –

ततन्य = २ अंििी

रि = ४ अंििी

काश्यप अनुसार अपर ओि का प्रमाण कफ जितना है ।

६ अंििी

69 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

सुश्रत
ु शारीरस्थान – ३

गभार्क्रान्ती शारीर अध्याय

Extra Points –

* कौनसे ग्रंथाकार के अनुसार ओि अस्ग्नसोमात्मक होता है ?

भािप्रकाश

* भैषज्य रत्नार्ली के अनुसार,

“शुक्रायत्तं बिं पुंसां,

मिाभत्तं जह िीिनम्।

ततमात् यत्नेन संरक्ष्यं यजक्ष्मनां मिरे तजस”।।

यह राियक्ष्मा में शुक्र और मि के बारें में बताया है ।

* शुक्र का अंिली प्रमार् –

चरक = १/२ अंििी

िाग्भट = १ प्रसृत

भेि = १ अंििी

सुश्रुतने दोि – धातु – मिावद के प्रमाण नहीं बताए है ।

* शुक्र में कौनसा महाभूत नहीं होता है ?

आकाश [ च. शा. २ ]

70 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* शुक्र षडरसात्मक होता है ।

* शुक्रप्रर्ृचत्त के कारर् = ०८

* शुक्रक्षय के कारर् – ६

* िलेअस्स्मन् चनमज्िने शुक्र

शुक्र का िि में जनमज्िन होना यह १ मास का अजरष्ट ििण है ।

* आिायव काश्यप के अनुसार,

शुक्रप्रिृजत्त का िय = १६ ििे

* िरक के अनुसार,

रक्तेन् कन्या अजधकेन्, पुत्रं शुक्रेन्

- च. शा. २

[ रक्त १st – Go with चरक

शुक्र १st – सुश्रुत ]

अ. हृ. शा. १/५

“शुक्रतय बाहु ल्यात् िायते पुमान्, रक्ततय स्री, तयो: साम्ये क्िीब …”।

क्िीब िाग्भट

नपुंसक सुश्रुत

71 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* कौनसे आिायव के अनुसार गभवबलग चनस्श्िती में “परमेश्र्रे र्च्ा” यह एक कारर् है ?

शारं गधर

* भार्प्रकाश के अनुसार

१) समीरणा नाडी पर शुक्र जगरने से िह जनष्फि होता है ।

२) गौरी नाडी पर शुक्र जगरने से ‘पुत्र’ गभघ का जनमाण होता है ।

३) चांिमासी नाडी पर शुक्र जगरने से ‘कन्या’ गभघ का जनमाण होता है ।

* SRY Gene is present on which part of Y chromosome.

[ Sex determination region of Y Chromosome. ]

Short arm of the Y – Chromosome.

* ऋतुकाल = गभघधारणां के जिए योग्य काि.

रि:काल = Bleeding phase of menstrual cycle.

* ऋतुकाल =

सुश्रुत

अष्टांग संग्रह १२ रात्री

अष्टांग हृदय

डल्हण

भािप्रकाश = १६ रात्री

काशपने िणघ के अनुसार ऋतुकाळ बताया है ।

72 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* काश्यप के अनुसार,

ब्राम्हण = १२ रात्री

िजत्रय = ११ रात्री

िैश्य = १० रात्री

शुि = ९ रात्री

* रि:काल -

चरक = ०५ जदिस

सुश्रुत = ०३ जदिस

हारीत = ०७ जदिस

* ऋतुकाल = कफप्राधान्य

रि:काल = िातप्राधान्य

ऋतुव्यचतत काल = जपत्तप्राधान्य

* Menstrual cycle = ४ phases

१) Bleeding

२) Proliferatory phase

३) Ovulatory phase – Shortest phase

४) Luteal / Secretory phase – longest phase

* आयुर्ेद के अनुसार, [ सुश्रुत ]

रि:स्राि १२ ििघ में शुरु होता है ।

रिोजनिृत्ती का िय ५० ििघ बताया है ।

73 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

According to modern science,

Menarche = १३ – १५ yrs

Menopause = ४५ – ५० yrs

* Commonest symptom in menopause –

= Hot flushes.

* Some more symptoms of menopause –

१) Palpitations

२) Increase cardiac arrest

३) Osteoporosis

These group of symptoms are known as – “climactic symptoms”.

* Which hormone’s decrease causes osteoporosis.

Estrogen.

* Decrease in level of which hormone causes bleeding ?

Progesteron

* र्ाग्भटािायव के अनुसार,

[ अष्टांग हृदय ]

अयुग्म जदन पर संयोग होने से कन्या

युग्म जदन पर संयोग होने से पूत्र प्राप्ती

74 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

सहिास के जिए ११th रात्र वनद्य [ सुश्रुत – १३ रात्र ]

* अ. संग्रह के अनुसार,

११th & १३th यह दोनों रात्री पर संयोग होने से नपुंसक गभघ की जनर्भमती बताई है ।

* सुश्रुत चि. २४

सिघ ऋतु में ३-३ जदन के अंतर से, और ग्रीष्म ऋतु में १५ जदन के अंतर से सहिास करें ।

* अष्टांग हृदय के अनुसार,

िसंत, शरद = ३ जदन के अंतर

ििा, जनदार् = १५ जदन

हे मंत, जशजशर = येथेच्छ सहिास करने का जनदे श जकया है ।

* आिायव सुश्रुत के अनुसार,

प्रत्युि काि और मध्यरात्री [ अधघरात्र काि ] में सहिास करने से कौनसा दोि प्रकुजपत
होते है ?

िात & जपत्त का प्रकोप

- सु. सू. जच. २४

* आिायव सुश्रुत ने चदनिया का र्र्वन चिचकत्सास्थान में ‘अनागतबाधा प्रचतषेधाध्याय’ में


चकया है ।

* चतयव क योचन, अयोचन, दुष्टयोचन, उपदं श व्याधी होने पर हु आ सहर्ास के कारर्

िातप्रकोप और शुक्रिय होता है ।

75 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* रि:स्र्ला िी से चकया हु आ सहर्ास

दष्ृ टी – आयु – तेि ऱ्हासकर

और अधमघ होता है ।

* ि. सु. २५

रि:तििाजभगमनं अिक्ष्मीमुखानां

* Sexual intercourse with animal

Bastality

* IPC for sexual perversions /

All th sexual perversions are punishable under IPC ३७७

* IPC ३७५ Defines the rape

* IPC ३७६ Punishment for rape

* IPC ३७७ Unnatural sexual offences.

* Goodells sign [ G ] = Sex weeks

[ softening of cervix ]

Jackmer’s sign / Chadwick sign = ८ Weeks

[ Dusky / Purple discoloration of anterior vaginal wall ]

Osiander sign = ८th week

76 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

[ Pulsations through the lateral fornix ]

* Palmar sign – ४ - ८ weeks

[ Regular & rhythmic contractions of uterus feeled during the bimanual


examination. ]

* Hegar’s sign – ६ - १० weeks [ हे धर ६th / १०th Floor िर आहे ]

[ Upper part of uterus is enlarged,

Lower part of uterus becomes empty,

Cervix remains fixed. ]

* Piskacek sign – ६ - ८ week.

Assymmetric enlargement of uterus due to lateral implantation of foetus.

* अबुवद के प्रकार = ०६ [ सु. जनदान ]

कौनसे अबुवद के प्रकार असाध्य होते है ?

रक्ति और मांसि

अध्यबुघद और स्व्दरबुघद भी असाध्य बताए है ।

* हृदय चर्कास और िेतना उत्पत्ती –

चरक – ३rd Month

सुश्रुत – ४th month

हारीत – ३rd month

काशप – ३rd month

77 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

िाग्भट – ५th month

* दौहृद उत्पत्ती –

चरक, हारीत, काशप, अ. सं, अ. हृ – ३rd month

सुश्रुत, भािप्रकाश = ४th month

* अष्टांग संग्रह के अनुसार, अन्य आिायव का मत –

३ पि ते ५ मास

[ १ १/२ month to starting of ५th मास ] यह दौहृद काि माना है ।

* मन के प्रकार चकतने है ?

०३

[ १ सास्त्िक

२ रािस

३ तामस ]

* मन के गुर् = ०२

[ अणुत्ि & एकत्ि ]

* मन का स्थान चशर और तालु के बीि में चकस आिायव ने बताया है ?

[ जशर: ताल्िान्तरगत: मन:।]

भेि आचायघ

* ‘िेत: समर्ायी’ ऐसा चकस इंचिय के बारें में बताया है ?

तपशघनेजिय

78 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* प्रसर्काल –

चरक – ९th or १०th माह

सुश्रुत – ९ / १० / ११ / १२ माह

िाग्भट – १ ििघ तक का प्राकृ त प्रसि होता है ।

हारीत – १०th / ११th माह

* आिायव िरक के अनुसार, - [ िातीसूत्रीय शारीराध्याय ]

गर्भभणी को िराह मांस खाने की दौऱ्हदइच्छा हो, तो पूत्र

- रक्ताि

- क्रथन

- अजतपरुि रोमयुक्त हो सकता है ।

* रक्ताक्ष :- च – िराहमांस

सु – माजहिमांस

* गभवपोषर् न्याय :-

चरक – उपतनेह और उपतिेद न्याय

सुश्रुत – उपतनेह

िाग्भट – केदारकुल्या न्याय

* Length of umbilical cord =

Umbilical cord contains two artery & one vein.

79 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

Umbilical artery carries deoxygenated blood.

Umbilical vein contains nutrient rich oxygenated blood.

* Adult circulation –

Pulmonary vein carries orxygenated blood & pulmonary artery carries


deoxygenated blood from rt. Ventricle to lungs.

* Pressure at umbilical artery = ६० mm of Hg.

Pressure at umbilical vein = १० mm of Hg.

* ‘Wharton gelly’ is related with umbilical chord.

* After birth

Umbilical vein Ligamentum teres.

Umbilical artery Medical umbilical Ligament.

* Single umbilical artery is common in

१) Diabetes

२) Eclampsia

३) Oligohydramnios

४) Polyhydramnios.

५) Epilepsy

६) APH [ Anti – Partum heamorrhage ]

80 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* नाभीनालकतवन –

िाग्भट – ४ अंगि
ु के अंतर पर

इतर आचायघ – ८ अंगि


ु के अंतर पर करें ।

* नाभीनालकतवन के पश्िात –

िाग्भट – कुष्ठाजद तैि

चरक – िोध्राजद तैि का प्रयोग जकया है ।

* नाभीरोग :-

चरक – ०४

िाग्भट – ०२

* “चर्िृस्म्भका” यह नाभीरोग क्षीरालसक व्याधी में लक्षर्स्र्रुप अष्टांग संग्रह में बताया है ।

* नाभीकुण्डल –

व्याधी का िणघन रसरत्नसमुच्यय

इस व्याधी में कौनसे िव्य का पंचांग जचजकत्सा में प्रयुक्त है ?

अश्ित्थ

* नाभी ममव :-

रचनानुसार – जसराममघ

पजरणाम के अनुसार – सद्य: प्राणहर ममघ

* नाभी को ‘ज्योचतस्थान’ कहा है सुश्रुत

81 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* Umbilicus lies at a position between L३ & L४ vertebra.

* Nerve supply to umbilicas

- Spinal segments from T १०

* Water shade line = Umbilicus.

* Omphalocoel = Umbilicla hernia.

Mayo’s operation is done in imbilical hernia.

* धातुपोषर् न्याय = ०३

१) िीरदजधन्याय [ सिात्मपजरणाम न्याय ]

२) केदारीकुल्यान्याय [ अंशाश पजरणमन न्याय ]

३) खिेकपोतन्याय [ पृथक पजरणमन न्याय ]

िीरदजधन्याय का िणघन दढ
ृ बि ने जकया है ।

चरक संजहता संपरु णकता = दढ


ृ बि

क्रमपजरणमन न्याय = िीरदजधन्याय

एककािपोिण न्याय जकस आचायघ ने बताया है ?

- अरुणदत्त

श्रेष्ठ न्याय – केदारीकुल्या न्याय [ डल्हण ]

82 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* मन का स्थान

आचायघ भेि जशरा: ताल्िान्तरगत:

सुश्रुत हृदय [ कृ तिीयघ का मत ]

* आिायव िरक नुसार अर्यर् उत्पचत्त [ प्रथम ]

अर्यर् कारर्
१ कुमारजशरा भारिाि – जशर सिघइंजिय अजधष्ठानात
२ कांकायन – हृदय चे तना अजधष्ठान
३ भिकाप्य – नाभी आहारगम
४ भिशौनक – पक्िाशय & गुद िायु अजधष्ठान
५ बजडश – हततपाद करणत्िाद
६ िैदेह िनक – इंजिय बुस्ध्द अजधष्ठान
७ मस्श्ची काश्यप – अजचत्य
८ धन्िंतरी – सिांग

* आिायव भेल के अनुसार –

१ बजडश – हततपाद प्रजतस्ष्ठतत्िात शरीरतय


२ शौनक – गुद तद् आजश्रत्िात िायु
३ खंडकाप्य – नाभी नाडीणां प्रजतस्ष्ठतत्िात
४ पाराशर – हृदय जिज्ञानमूित्िात
५ भारिाि – जशर शरीरतय मुित्िात
६ काश्यप – चिु -
७ पुनिघस ु आत्रेय – अबुघद अबुघद तनेह से संपण
ु घ शरीर जनमाण

* तचिदसंभाषा –

अग्र – बुस्ध्दिधघनानां [ च. सु. २५ ]

चरक संजहता में एकुण तजिद संभािा – ०७

83 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

१) दीर्घम्िीिीतीय अध्याय

२) िातकिाकिीय अध्याय सुत्र - ४

३) यज्िपुरुिीय अध्याय

४) आत्रेय अध्याय

५) खुजिका गभािक्रांस्न्त अध्याय

६) शरीरजिचय शारीर अध्याय शारीर - २

७) फिमात्राजसध्दी अध्याय जसद्धी – १

* तचिदसंभाषा के प्रकार = ०२

[ च. जि. ८ ]

१) संधाय [ अनुिोम जिधी ]

२) जिगृह्य

* गभोत्पादक भार् = ०६

* ि. शा. ०३ [ खुचिकागभार्क्रांन्ती शारीर ]

मातृि – २०

जपतृि – १०

आत्मि – २२

सात्म्यि – ०८

रसि – ०६

सत्िि – १८

* चसरा, धमनी = जपतृि भाि

84 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* िरकमते मातृि भार् [ Extra than सुश्रुत ]

- त्िचा - आमाशय - पक्िाशय

- िुिांत्र - क्िोम

- तथुिांत्र

- उत्तरगुद

- अधरगुद

- िपा

- िपािहन

- गुद

- पुरीिाधान

* िरक के अनुसार, रसि भार् – ०६

१) शरीरतय अजभजनिृजत्त

२) शरीरतय अजभिृजद्ध

३) शरीरतय प्राणानुबंध

४) शरीरतय तृप्ती

५) शरीरतय पुष्टी

६) शरीरतय उत्साह

* IMP – उत्साह – सत्िि

रसि

[ Trick – सरांमध्ये उत्साह आहे . ]

सत्िि रसि

* िरकनुसार आत्मि भार् = २२

85 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

जिजभन्न योजन में िन्म

आयु

आत्मज्ञान

मन [ मन सत्िि X आत्मि ]

इंजिय

प्राण – अपान

प्रेरणा

धारण

तिर – िणघ [ both आत्म्ि & सात्म्यि ]

Trick आसाराम बापुंचा तिर – िणघ ]

सुख – दु:ख

इच्छा – िे ि

आकृ ती

चे तना

धृती – बुजद्ध – तमृजत

अहं कार

प्रयत्न

स्मृचत – आत्मि & सत्िि both

[ तमृजत आस िगा के बैठी है । ]

* िरकनुसार सत्र्ि भार् = १८

भस्क्त तमृजत अनिस्तथतत्ि

शीि भय अन्य

शौच क्रोध

86 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

िे ि तंिा

मोह उत्साह

त्याग तीक्ष्णता

मात्तययघ मादघ िता

शौयघ गांजभयघ

* बलर्र्व – सुश्रुत – सात्म्यि & रसि

चरक – सात्म्यि

* िरक के अनुसार सात्म्यि भार् – ०८

आरोग्य

अनाितय

अिोिुपत्ि

इंजिय सौष्ठि

तिर संपत

िणघ संपत

बीि संपत

प्रहिघ संपत

* गभवबलगचनस्श्िती

* गभव के अर्यर् धमव - अधमव चनचमत्ति बताए है ।

87 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

सुश्रत
ु शारीरस्थान – ४

गभवव्याकरर् शारीर अध्यायं

* िोतस र्र्वन in सुश्रुत

सु. शा. ९ धमनी व्याकरण शारीर

* ‘शर्चर्र्च्े दन’ का र्र्वन सुश्रुत में कहा आया है ?

सु. शा. ५ [ शरीर संख्या व्याकरण ]

* ‘ममव ’ का र्र्वन सु. शा. ६ [ ममघशारीर ]

* ‘षडं गशारीर’ का र्र्वन

सु. शा. ५ [ शरीर संख्या व्याकरण ]

* ‘व्दादश प्रार्’ सु. शा. ४ [ गभघ व्याकरण ]

* ‘सत्र्-रि-तम’ गुर् को ‘महागुर्’ कौनसे आिायव ने कहा ?

अष्टांग संग्रह

* ‘सत्र्’ गुर् प्रकाशक

‘रि गुर् प्रितघक काश्यप

‘तमो गुर् जनयमक

* दोष & महागुर् संबंध

िात रि

88 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

जपत्त सत्ि

कफ तमो

* महाभूत & महागुर् का संबंध कौनसे आिायव ने बाताया ?

सुश्रुत [ सु. शा. १ ]

पृथ्िी तमो बहु ि

िायु रिो बहु ि

तेि सत्ि रि बहु ि

आकाश सत्ि बहु ि

िि सत्ि तमो बहु ि

* ‘दश प्रार्ायतन’

चरक सुत्रतथान २९

चरक शारीरतथान ७

दश प्रार्ायतन –

मुधा [ जशर ] कण्ठ, हृदय

नाभी, गुद, बस्तत, ओि, शुक्र, शोजणत, मांस [ च. शा. ७/९ ]

* ‘दश प्रार्ायतन’ में चकतने ममव का समार्ेश है ?

[ मुधा, कण्ठ, हृदय,नाभी, गुद, बस्तत ]

* ‘दश प्रार्ायतन में िरक ने सुत्रस्थान में नाभी, मांस के िगह शंख का उल्लेख चकया है ।

89 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* ‘दश प्रार्ायतन’ - अष्टांग संग्रह के अनुसार

मुधा, कण्ठ, हृदय, नाभी, बस्तत, गुद

जिव्हाबंध, शुक्र, ओि, शोजणत [ रक्त ]

[ चरक में जिव्हाबंध के िगह मांस आया है । ]

* अष्टांग संग्रह ने दश प्रार्ायतन में ७ ममव का उल्लेख चकया है ।

[ मुधा, कण्ठ, जिव्हाबंध, हृदय, नाभी, बस्तत, गुद ]

* भेल के अनुसार दशप्रार्ायतन

िात, जपत्त, कफ, शुक्र, शोजणत, ततन्य, मि, मुत्र, तिेद, उष्मा

* ‘स्तन्य’ का दश प्रार्ायतन में समार्ेश चकसने चकया है ?

भेि

* Largest organ of Body Skin

* ‘Langerhan cells’ - Phagocytic cells present in skin.

* Main ३ Layers of skin

१) Epidermis

२) Dermis

३) Hypodermis

* Sub-layers of epidemis –

C १) Stratum corneum

G २) Stratum granulosum

90 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

S ३) Stratum spinosum

B ४) Stratum basale

[ also called stratum germinativum ]

* Stratum lucidum is present in palm & sole.

* ‘Skin is the best dressing’

Joseph lister

* त्र्गामय [ त्र्ग् आमय ] कौनसे व्याधी को कहा है ?

कुष्ठ

* उदरामय is पयाय of अचतसार

* [ सर्व शरीर व्यापी इंचिय ] - सम्पूर्व शरीर को व्यापने र्ाला इंचिय

तपशेंजिय

* िेत: समर्ाचय तपशेंजिय [ चरक सुत्रतथान ]

* सम्पूर्व शरीर में व्याप्त कला ‘शुक्रधरा किा’

* सम्पूर्व शरीर व्यापक र्ायु व्यान िायु

* सम्पूर्व शरीर व्यापक िोतस मनोिह स्रोतस

91 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* रक्त का पचरपाक हो के त्र्िा चक उत्पत्ती होती है , ऐसा कौनसे आिायव ने कहा है ?

िाग्भट [ िा. शा. ३/८ ]

* Layer’s of त्र्िा

सुश्रुत

िाग्भट ७

शारं गधर

काश्यप

चरक

अ.संग्रह ६

भेि

* िरक के अनुसार Layers of त्र्िा – ६

१) उदकधरा

२) असृकधरा

३) जसध्म, जकिास [ S.K ]

४) दिु, कुष्ठ [ D.K ]

५) अििी , जििधी [ A.V ]

६) तम, अरुंजिका [ T.A ]

* अष्टांग संग्रह के अनुसार Layers of त्र्िा – ६

* शारं गधर ने सुश्रुत के ७th त्र्िा [ मांसधरा ] की िगह स्थुला नाम की त्र्िा बताई है ।

* १st कला और ७th त्र्िा का नाम समान है

१th किा – मांसधरा

92 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

७th त्िचा – मांसधरा

* ‘आयुर्ेद प्रकाश’ मे ताि धातु के दोष चकतने बताये है ?

* तािा त्र्िा का प्रमार् - १/८ ब्रीही

* डल्हर् के अनुसार ‘त्र्िा’ की Thickness - ६ ब्रीही

* ‘त्र्कसार’ को रससार कौनसे आिायव ने कहा है ?

डल्हण

* डल्हर् टीका – जनबंध संग्रह

काल – १२th शतक

* िक्रपार्ी का काल – ११th शतक

* शारं गधर के अनुसार ‘स्श्र्त्र व्याधी’ कौनसी त्र्िा में होता है ?

ताम्रा त्िचा

* ‘चसध्म व्याधी िरक के अनुसार त्र्िा के ३rd layer [ चसध्म चकलास ] में होता है ।

* ‘चसध्म’ व्याधी सुश्रुत ने अर्भाचसनी त्र्िा में बताया है ।

* ‘कुष्ठ’ व्याधी िरक के त्र्िा के ४th layer [ दिु, कुष्ठ ] में होता है ।

93 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* ‘कुष्ठ’ सुश्रुत के अनुसार त्र्िा के ४th & ५th Layer [ तािा, र्ेचदनी ] में होता है ।

* ‘चकलास’ व्याधी िरक के त्र्िा के ३rd Layer में आया है । और सुश्रुत के ४th Layer
[ तािा ] में आया है ।

* चसध्म – ३१ [ चरक – ३, सुश्रुत – १ ]

चकलास – ३४ [ चरक – ३, सुश्रुत – ४ ]

कुष्ठ – ४४५ [ चरक – ४, सुश्रुत – ४,५ ]

चर्िचध – ५७ [ चरक – ५, सुश्रुत – ७ ]

* ‘चर्िधी’ व्याधी िरक के अलिी-चर्िधी [ ५th Layer ] नामक त्र्िा में आया है ।

‘जििधी’ सुश्रुत के मांसधरा [ ७th Layer ] नामक त्िचा में आया है ।

व्याधी सुश्रुत [ त्र्िा ] िरक [ त्र्िा ]


जसध्म – अिभाजसनी जसध्म जकिास
कुष्ठ – ताम्रा, िेजदनी दिु, कुष्ठ
जकिास – ताम्रा जसध्म, जकिास
जििधी – मांसधरा अििी, जििधी

* ‘कमळ के प्रकार मूत्र जिरिनीय महाकिाय [ चरक ]

* श्र्ेत कमल – पुंडरीक

रक्त कमल – कोकनद

नील कमल – इंदीिर

94 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* ‘अरबर्द’ is पयाय of कमल

* कमळ – Latin name – Nelumbo nucifera

English name – Lotus

* क्षीरीर्ृक्ष – कषाय

कचपत्थ पत्र कषाय बािक को तनानाथघ [ सुश्रुत ]

सर्व गंधोदक

सुर्र्व रित चनर्ाचपत िल

* मेदोधरा कला का स्थान मस्स्तष्क माना है ।

अष्टांग संग्रह

* मेदोधरा कला को मस्तुलुंग कहा है [ अ. सं ]

* अंिली प्रमार्

िसा – ३ अंििी

* िरक ने कौनसे योनीव्यापद मे र्राह र्सा का प्रयोग चकया है ?

महायोजन

* सुश्रुत ने क्षुिरोग के कौनसे रोग में चशशुमार र्राह र्सा का प्रयोग चकया है ?

जनरुध्द प्रकश

95 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* िरक ने चर्षम ज्र्र में कौनसी प्रार्ी की र्सा का प्रयोग चकया है ?

वसह िसा

व्याघ्र िसा

* संधी संख्या –

चरक – २००

सुश्रुत – २१०

काश्यप – ३८१

आत्रेय – २००० [ िा. शा ]

* आहार के प्रकार –

सुश्रुत – ४

चरक – ४

भाि प्रकाश – ६

शारं गधर – ६

* आहार को महाभैषज्य और प्रिापचत कौनसे आिायव ने कहा है ?

काश्यप

* रस प्रधान आहार िव्य

र्ीयव प्रधान औषधी िव्य चक्रपाणी

* िक्रपार्ी ने प्रयोगभेद से िव्य के चकतने प्रकार बताये है ?

प्रयोगभेद से िव्य – २

96 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

१) औिध – िीयघप्रधान

२) आहार – रसप्रधान

* अष्टांग संग्रह के अनुसार

१) औिध पाचन काळ – २ याम

२) आहार पाचन काळ – ४ याम

* शुक्र धातु

िड्रस युक्त

चार महाभुत [ आकाश महाभुत नही है । ]

अंििी प्रमाण १/२ अंििी [ चरक ]

१ अंििी [ भेि ]

१ प्रसुत [ िाग्भट ]

* शुक्र िल [ पार्ी ] में डु ब िाना

- १ month अजरष्ट [ चरक ]

* शुक्र क्षय के कारर् – ८ [ च. जच. ]

* शुक्र प्रर्ृत्ती के कारर् – ६ [ चरक ]

* शुक्रदोष – चरक – ८

सुश्रुत – ८

97 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* Male Urethra – Urogenital tract.

Female Urethra – Urethra

* सुश्रुत के श्लेष्मधरा कला को शारं गधरने यकृ त प्लीहाधरा कला कहा है ।

* सुश्रुत के पुरीषधरा कला को शारं गधरने आंत्रधरा कला नाम चदया है ।

* सुश्रुत के चपत्तधरा कला को शारं गधरने अग्न्याशय धरा कहा है ।

* डल्हर् ने पुरीषधरा कला को अस्स्थधरा कला कहा है ।

* डल्हर् ने चपत्तधरा कला को मज्िाधरा कला कहा है ।

* डल्हर् टीका – चनबंध संग्रह [ सुश्रुत के सब स्थान पर ]

चक्रपाणी टीका on सुश्रुत – भानुमती

[ Only सुत्रतथान ]

* Placenta

Weight – ५०० gm

Volume – ५०० ml

* At term ratio of placenta & Baby –

Placenta : Baby = १ : ६

* Weight of placenta & foetus is equal at १७ week

98 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* Placenta Dual origin [ Foetus contribution is more than mother ]

* Placental formation start at ६ week & Complete by १२ week

* Corpus luteum secret progesterone hormone corpus luteum degenerate


after ३ months of pregnancy & then placenta secrets the progesterone
hormone.

* Corpus luteum degenerates within १२ to १४ days when fertilization not


takes place

* Phagocytic cells of placenta - Hofbauer cells

* Leukemia

[ Blood cancer ]

Melanoma

[ skin cancer ] This cancer can metastasize to the placenta.

Lymphoma

[ Breast cancer ]

* Which placental tumor can metastasize foetus

Melanoma

[ Mother Placenta Foetus ]

* यकृ त –

जिततृत िणघन – भािप्रकाश

99 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* कौनसे नेत्ररोग में प्राचर्यों का यकृ त, प्लीहा रुग्र् को खाने दे ते है ?

नक्तांध

* यकृ त को ‘कालखं ड’ कौनसे आिायव ने कहा है ?

डल्हण

* Weight of liver – १६०० gm in male

– १३०० gm in female

* Dual Blood Supply Liver

८० % Blood Supply – Portal vein

२० % Blood Supply – Hepatic artery

* यकृ त में कौनसे Vitamins Store होते है ।

Vit ‘A’

Vit ‘D’

Vit ‘E’

Vit ‘K’

Vitamin B१२

* Which clotting factors formed in liver

१, २, ५, ७, ९, १०

* Honey comb liver actinomycosis

100 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* Weight of spleen १५० to २०० gm

* Spleen is related to 9th, 10th, 11th rib

* Long axis of spleen – on 10th rib.

* long axis of spleen lies on 10th rib making an angle of 450 with horizontal plane.

* Graveyard of RBC Spleen.

* Life span of RBC – 120 Days in adult


– 80 days in foetus

* शारं गधर ने फुफ्फुस को उदान र्ायु का आधार माना है ।

* Lungs Weight –

Right lung ६२५ gm

Left lung ५७५ gm

* Lobes in right lung – ३

Lobes in left lung – २

* Broncho - pulmonary segments in right & left lung

१०

* For maturation of lung which substance required ?

Surfactant

101 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* Type II pneumocytes secrete surfactant

* ‘उण्डु क’ को पोट्टलक चकसने कहा है ?

डल्हण

* Length of cecum - ६ cm

* Muscles of tongue

- Extrinsic – ४

- Intrinsic – ४

* Blood supply of tongue - Lingual artery

* Lingual artery is branch of external carotid artery.

* Safety muscle of tongue - Genioglossus muscle

* All the muscle of tongue are supplied by Hypoglosal nerve except


palatoglossus muscle

* Muscle supply of palatoglossus

Pharyngeal branch of vagus

* Nerve supply of Tongue

१) Anterior २/३ – Lingual nerve

LC [ general sensation ]

102 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

– Corda tympani

[ taste sensation ]

२) Posterior १/३ – Glosopharyngeal nerve

[ General taste sensation ]

* Corda tympani is branch of facial nerve.

* Tympanic branch of Glossopharyngeal nerve

Jacobson’s nerve

* Pain of tonsilitis is referred to ear due to Jacobson’s nerve

* Auricular branch of vagus Arnold’s nerve

* Cleaning of ear can cause cough reflex due to stimulation of Arnold’s


nerve

* िोतस आकाश महाभूत का भाि है । [ चरक ]

बर्भहमुख स्रोतस –

सुश्रुत – पुरुि मे – ९

– स्री में – १२

शारं गधर – पुरुि – १०

– स्री – १३

आभ्यं तर

103 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

स्रोतस संख्या –

चरक – २२

सुश्रुत – ११ युग्म [ ११ Pairs ]

आभ्यंतर स्रोतस असंख्य – शारं गधर, भािप्रकाश

* िोतस के प्रकार – २

१) सुक्ष्म

२) तथुि काश्यप

[ महत् ]

* काश्यप ने बर्वहमुख िोतस को महत् िोतस माना है ।

* काश्यप के अनुसार नाभी

रोमकुप सुक्ष्म स्रोतस

* बर्वहमुख िोतस को रं ध्र कहा है

शारं गधर

* बर्वहमुख िोतस - महत् च्ि चरक

* चसरा

मूि जसरा – ४० [ सुश्रुत ]

– १० [ िाग्भट ]

104 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

मूल चसरा ४० V – १० – १७५

P – १० – १७५

K – १० – १७५

R – १० – १७५

७००

जसरा संख्या – ७००

* चसरा का मूलस्थान – नाभी [ सुश्रुत, शारं गधर ]

- ऱ्हदय [ िाग्भट, काश्यप ]

* स्नायू –

संख्या – ९००

शाखा में तनायु – ६००

कोष्ठ – २३०

ित्रुऊध्िघगत – ७०

९००

* र्ृक्क –

िृक्करोग के जिए Separate अध्याय

भैिज्य रत्नाििी

* भैषज्य रत्नार्ली - गोबर्ददास सेन

* Kidney

Weight Male – १५० mg

Female – १३५ gm

105 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* Extension of Kidney T१२ to L३

* Right kidney is slightly lower than left kidney due to liver.

* Erythropoietin

Renin secreted by kidney

Calcitrol

* Erythropoietin required for formation of RBc

* Renin - Function of renin is to increase blood pressure.

* Calcitrol – Vit ‘D’

* Vit ‘D’ – Kidney hormone

* Spider leg appearance of kidney is seen in intravenous pyelogram

Polycystic kidney

* First successful kidney transplant – १९५४

* First IVF – १९७८

* Renal artery is branch of Abdominal Aorta.

* Renal Vein drain into inferiorvena cava.

106 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* Dartos Muscle – Scrotum

* Detrusor muscle – Urinary bladder.

* Weight of testis १५ gm

* Undescended testis is common in Right side

* Varicocele - dilation of pampiniform plexus

* Varicocele is common in left sided testis.

* Undescended testis - Cryptorchidism

* Absence of testis in one or both scrotum Cryptorchidism

* Testicular artery is direct branch of abdominal aorta.

* Ovarian artery - Branch of abdominal aorta

* Right testicular vein drains into inferior vena cava

Left testicular vein drains into left Renal vein

* [ Backward flow of blood seen in left testicular vein because it opens


perpendicular in left Renal vain ] Varicocele common in left side

107 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* Heart

Wright - Male – ३०० gm

Female – २५० gm

* Apex of Heart – Left ventricular Chembur.

* Base of Heart – Right & left atrium.

* Thickest Chembur of Heart – Left ventricle

* Thickness of Right ventricle : Left ventricle = १ : ३

* Largest vein of Heart – coronary sinus

* Largest vein of body – Inferior vena cava

* Longest vein of body – Great Saphenous vein

* Most common vein use for bypass surgery

Great saphenous vein

* Heart Molecular death – ४५ min

* Liver – १५ min

Kidney – १ hr Molecular death time

108 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* Fallot tetralogy PVR O

P – Pulmonary Stenosis
V – Ventricular septal defect
R – Right ventricular hypertrophy
O – Over riding of aorta.

* हृदय को क्रोड कहा है डल्हण

* डल्हर् टीका – जनबंध संग्रह [ सिघ तथान ]

काल – १२ शतक

* िक्रपार्ी टीका – भानुमती

[ सुश्रुत सुत्रतथान only ]

* अधोमुख ममव

- बस्तत

- हृदय

* बस्स्त - एकव्दारं

- अधोमुख

- अिाबुपष्ु प िणघित् [ सुश्रुत ]

- तनायु ममघ [ सुजिर तनायु ] [ रचना भेद से ]

- सद्य: प्राणहर ममघ [ पजरणाम भेद से ]

109 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* हृदय को कंु चभका फल समान माना है

आचायघ भेि ने।

* हृदय – सद्य: प्राणहर ममघ [ पजरणाम भेद से ]

– जसराममघ [ रचना भेद से ]

* क्लोम

उत्पत्ती – रक्त िायु [ शा. पुिघखण्ड ५/८३ ]

– िििाजह जसरामूि

– तृष्णा आच्छादन [ thirst control ]

क्िोम को फु प्फु स, उण्डु क माना है

गंगाधर

क्िोम को हृदय माना है चक्रपाणी

क्िोम को जपत्ताशय कहा है डल्हण

क्िोम Means Trachea गननाथ सेन

* इंचिय उत्पत्ती – कफिाजह स्रोतस

रक्तिाजह स्रोतस अष्टांग संग्रह [ शा. ५ ]

महाभूत

110 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* नेत्र उत्पत्ती - अष्टांग संग्रह शा. ५

श्िेत भाग – कफ का प्रसाद भाग

[ शुक्ि ]

कृ ष्ण भाग – रक्त के प्रसाद भाग से

दस्ृ ष्ट मंडि – कफ रक्त से

* नेत्र का कृ ष्र् भाग – मातृि माना है ।

* नेत्र का शुक्ल भाग – चपतृि माना है ।

* चनिा

जनिा िणघन in चरक सुत्रतथान अष्टौवनजदतीय [ च. सु. २१ ]

जनिा िणघन in सुश्रुत [ सु. शा. ४ ]

* चनिा प्रकार

सुश्रुत – ३

चरक – ६

अ. संग्रह – ७

* चर्कृ त कफ को िरक ने पाप्मा कहा है ।

* र्ैष्र्र्ी चनिा – पाप्मा / पाप [ सुश्रुत ]

* चनिा प्रकार – चरक के अनुसार [ च. सु २१/ ५८, ५९ ]

१) तमोभिा

111 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

२) श्िेष्मभिा

३) मन: शरीरश्रमसंभिा

४) आगन्तुकी

५) व्याधी अनुितघनी

६) रात्रीतिभाि प्रभाि जनिा

* भूतधात्री चनिा – रात्रीतिभाि प्रभािा जनिा

* तमोभर्ा चनिा – अगतयमूि [ पाप का मूि ]

* श्लेष्मसमुद्भर्ा चनिा

मन: शरीरश्रम संभर्ा व्याधी जनर्भदशस्न्त। [ चरक ]

आगन्तुकी

व्याध्यनुर्र्वतनी

* अष्टांग संग्रह के अनुसार

जनिा प्रकार – ७

जनिा के ७ प्रकार – अ. संग्रह के अनुसार

१) काितिभािा

२) आमयखेद प्रभिा

३) जचत्तखेद प्रभिा

४) दे हखेद प्रभािा

५) कफोििा

६) आगन्तुि

112 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

७) तमोभिा [ पापस्त्मका ]

काितिभिा तमोभिा जनिा को छोडकर बाकी ५ जनिा को अ. संग्रहकार ने व्याधी जनजमजत्तक जनिा
कहा है ।

* ग्रीष्म ऋतु – जनदार्

* चनदार् is पयाय of स्र्ेद

* चदर्ास्र्ाप – कफजपत्त प्रकोप [ चरक ]

जत्रदोि प्रकोप [ सुश्रुत ]

* रात्रौ िागरर् – िातजपत्त प्रकोप [ सुश्रुत ]

– िातप्रकोप [ िाग्भट ]

िागरण अजरष्ट ििण है – उन्माद का [ सु. सू. ३३ ]

* रात्रौ िागरर् में दुसरे चदन उससे अधव मात्र में चनिा लेना िाचहए। और ये चनिा प्रात:काल
और खाने के पचहले लेना िाचहए। [ िाग्भट ]

* अभ्यं ग –

जशरश्रिणपादे िु जिशेिणं शीिेत्। [ िाग्भट ]

* मूधवचन तैल प्रकार – ४ [ िाग्भट ]

१) अभ्यंग

२) पजरिेक

113 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

३) जपचु

४) जशरोबस्तत

* मूधवचन तैल हे मंत ऋतु [ चरक ]

* मांस

मांस िगघ – ६ [ सु. सु. ४६ ]

िांगि मांस िगघ – ८ [ सु. सु. ४६/५३ ]

आनुप मांस िगघ – ५ [ सु. सु. ४६/ ९३ ]

मांस योनी – ८ [ चरक सुत्र. २८/५५ ]

* राियममा – अष्ट प्रकार के मांस का सेिन [ चरक ]

* अष्ट मूत्र प्रयोग – उदर [ चरक ]

– कणघशि
ू [ सुश्रुत ]

* चबलेशय, प्रसह मांस का सेर्न हे मंत तऋतु [ च. सु. ६ ]

* चबलेशय, चर्स्ष्कर मांस का सेर्न जनिािय [ सु. शा ४ ]

* िाक्षा – जनिािय [ सुश्रुत ]

* श्रेष्ठ फळ – चरक

िाग्भट िािा

सुश्रुत – आमिकी

114 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* कचनष्ठ फल – िकुच [ चरक ]

* शमीफल – केशघ्न

काश्मयव – केस रसायन

* चर्रे िन के चलए श्रेष्ठ फल हरीतकी

* कौनसे महाकषाय में फल का समार्ेश है ?

जिरे चनोपग महाकिाय

* चत्रफळा – ज्िरहर महाकिाय

– जिरे चनोपग महाकिाय

* िाक्षा के पयाय – गोततनी, मृव्दीका

* इक्षु

पौण्डरक – श्रेष्ठ इिु

* Which disease is generally occurs in worker at sugarcane industry and


paper industry ?

Bagassosis

* लंर्न के प्रकार –

चरक – १०

िाग्भट – १२

हाजरत – ६

115 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* िरक के अनुसार लंर्न के प्रकार – ६

शोधन – ४

शमन – ६

* र्ाग्भट के अनुसार लंर्न के प्रकार – १२

शोधन – ५ [ रक्तमोिण चरक से Extra ]

शमन – ७ [ जदपन चरक से Extra ]

* चनिा –

चरक के अनुसार – [ च. सु. २१/५० ]

रात्रौ िागरण – रुि

तिपनं जदिा – स्तनग्ध

[ जदिातिाप ]

असीन प्रचिजयत जनिा – अरुि अनजभष्यंजद

* िरक के अनुसार स्थौल्य और काश्यव depends on

तिप्न [ जनिा ]

आहार

* अचतचनिा चिचकत्सा - िरक के अनुसार

कायतय जशरसश्र्चै ि जिरे कच्छदघ नं भयम्।

जचन्ता क्रोधततथा धूमो व्यायाम रक्तमोिणम्। च. सु. २१/५५

उपिास, असुख शय्या

116 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

सत्िौदयघ तमोिय:

* तन्िा – चरक के अनुसार

- तन्िा का िणघन चरक में चरक जसध्दी ९

- तन्िा दोि संर्टन – िातकफ [ चरक ]

िातकफतम [ सुश्रुत ]

चिचकत्सा – कफघ्न, शोधन, शमन

व्यायाम, कटु जतक्त भोिन ,

रक्तमोिण

* व्यायाम

रक्तमोक्षर् तन्िा, अजतजनिा जक जचजकत्सा [ चरक ]

* व्यायाम, रक्तमोक्षर् चिचकत्सा ्र्वद र्ेगार्रोध में िरक ने बताई है ।

* व्यायाम

रक्तमोक्षर् तन्िा

अजतजनिा चरक

छर्भद िेगािरोध

* िृम्भा – र्ाग्भट

िृम्भा िेगािरोध के ििण ििथु िेगािरोध के ििण के समान जह है । [ िाग्भट ]

जचजकत्सा – िातघ्न [ िाग्भट, चरक ]

117 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* ‘चर्नाम’ लक्षर् – मूत्र िेगािरोध

िृम्भा िेगािरोध [ चरक ]

* िृम्भा र्ेगार्रोध – जिनाम आिेप संकोच सुस्प्त कम्प प्रिेपनम्। [ चरक ]

- जचजकत्सा – िातघ्न [ चरक ]

* चहक्का चक चिचकत्सा के समान चिचकत्सा कौनसे र्ेगार्रोध में बताई है ? [ िाग्भट ]

उद्गार िेगािरोध

* अष्टांग संग्रह के अनुसार कौनसा व्याधी साडे तीन चदन [ ३ १/२ ] चदन के बाद असाध्य
होता है ?

तन्िा [ अ. सं. सु ९ ]

* सुश्रुत ने कौनसे व्याधी के लक्षर् में ‘परम आलस्य’ बताया है ?

सहि अशघ [ सु. जन. २ ]

* ‘तासां हृदुत्कलेशकफप्रसेकौ व्दे षोडशने िैर्’ कौनसे व्याधी का पुर्वरुप है ?

छर्भद [ चरक ]

* Foetal Growth - Insulin hormone.

* After birth child weight doubled within ५ month

Child height doubled within ४ years

118 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* नाभी –

- जसरा ममघ [ रचना भेद से ]

- सद्य: प्राणहर ममघ [ पजरणाम भेद से ]

नाभी रोग – ४ – चरक

– २ – िाग्भट

* ‘नाभीकंु डल’ व्याधी का र्र्वन – रसरत्नसमुर्चिय

नाभी – ज्योतीतथान [ सुश्रुत ]

* नाभीनाल कतवन – ४ अंगि


ु – अष्टांग संग्रह

– अष्टांग हृदय

– ८ अंगि
ु – इतर आचायघ

* ‘नाभीनाल कतवन’ के पश्िात कौनसे तैल से अभ्यं ग करना िाचहए ?

कुष्ठ तैि [ अ. हृदय ]

िोध्राजद तैि [ चरक ]

* ‘Water shade line’ – Umblicus

* Umbilical Hernia Omphalocele

* Mayo’s operation Omphalocele

* Refractive power of cornea ४५ D

119 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

Refractive power of lens १५ D

* Refractive power of eye ६० D

* Refractive Index of cornea १.३७

Refractive Index of lens १.३९

* Hair Growth Rate ०.४ mm/day

* Hair Fall – Biotin / Vitamin ‘H’ deficiency

* केश्य रसायन – काश्मयघ गंभारी

केशघ्न – शमी

केश रं िन – भृंगराि

* One hair stand contains २९ elements

* Zinc in hair remains constant throughout life

* Spoon shape nails Iron deficiency anaemia

Koilonychia

* अष्टांग हृदय के अनुसार [ िा. सु. १/९ ]

- उत्तम प्रकृ जत – कफ

- जहन प्रकृ जत – िात

- मध्यम प्रकृ जत – जपत्त

120 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

- श्रेष्ठ प्रकृ ती – समधातु [ जत्रदोि सम ]

* बनदनीय प्रकृ ती – स्व्ददोषि [ अ. हृदय ]

* ‘कृ तघ्न’ हे त ु of चकलास [ चरक ]

* धमनी

संख्या – २४ [ सुश्रुत ]

– २०० [ चरक ]

धमनी का मूलस्थान – नाभी [ सुश्रुत, िाग्भट ]

– तािु [ काश्यप ]

धमनी ममव – ९ – अष्टांग हृदय

[ जिधुर, अपततंभ, गुद, शंगाटक ]

काश्यप के अनुसार प्रत्ये क कर्वमल


ू के पास १०० धमनी है ।

* आकाशिारी स्र्प्नेष ु – र्ातप्रकृ चत [ शारं गधर ]

* स्र्ेद

अंििी प्रमाण – तिेद

िि १० अंििी

िसीका

121 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

‘अजततिेद / अतिेद’ कौनसे व्याधी का पुिघरुप है ?

िातरक्त

कुष्ठ

Sweat test – Cystic fibrosis

रात्रौ स्र्ेदहर परम् प्रिाळ [ श्रेष्ठ ]

रात्रौ स्र्ेदहर िंग

यशद

प्रिाळ

* दुगवन्ध

मेदिृध्दी

तिेद िृध्दी दौगघन्ध [ सु. सु. १५ ]

आतघि िृध्दी

* तैल मुर्च्व ना – गंध दोि नष्ट करने के जिए।

र्ृत मुर्च्व ना – आमदोि नष्ट करने के जिए।

* ‘गंधक’ का गंध कम करने के चलए उसे सुर्िवला स्र्रस में रखना िाचहए।

और गोदुग्ध में २०० बार जनिाजपत करना चाजहए।

* कर्ाचक्षमुखचिव्हा नासौष्ठपाचर्पादतल नख ललाट मेहनं स्स्नग्धरक्तर्र्व। [ चरक जि. ८ ]

रक्तसार का ििण

122 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* ‘र्चलपचलतखाचलत्य’ – लर्र् रस का अचतसेर्न [ च. सु २६ ]

* ‘बहुभि
ु ’ – िातप्रकृ ती [ िाग्भट ]

‘बहुभि
ु ’ – जपत्तप्रकृ ती [ सुश्रुत ]

* उष्र् असचहष्र्ु – रक्तसार का ििण [ च. जि. ८/१०४ ]

- जपत्तप्रकृ ती का ििण [ सु. शा ४ ]

* मुखरोग – [ चसुशािा ]

चरक – ६४

सुश्रुत – ६५

शारं गधर – ७४

िाग्भट – ७५

भािप्रकाश – ६७

* Angular stomatitis – Vit ‘B२’ deficiency [ Riboflavin ]

* Vit ‘B१’ Thiamine

Vit ‘B2’ Riboflavin

Vit ‘B3’ Niacin


Vit ‘B5 Pantothenate
Vit ‘B6’ Pyridoxine
Vit ‘B7’ Biotin
Vit ‘B9’ Folicacid
Vit ‘B12’ Cobalamin

123 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* इंचदर्र – नीि कमि

पुण्डचरक – श्र्िेत कमि

कोकनद – रक्त कमि

* कमल के प्रकारों का र्र्वन आिायव िरक ने ‘मूत्रचर्रिनीय’ महाकषाय में चकया है ।

* कमल

English name – Lotus

Latin name – Nelumbo nucifera

* अचरष्ट – चरठा

English name – Soap nut tree of south India

Latin name – Sapindus trifoliatus

पयाय – गभघपातन, रक्तबीि [ भा. प्र ]

* ‘शर’ का समार्ेश ‘तृर्पंिमूळ’ में चकया है ।

[ चक्रपाणी ने ]

तृणपंचमुळ – कुश, काश, नि, दभघ, काण्डे िु – [ सुश्रुत ]

तृणपंचमुळ का समािेश – ततन्यिनन

मूत्रजिरे चनीय [ च. सु. ४ ]

* स्तन्यर्धव नाथव कौनसे पंिमुळ का प्रयोग करें ?

तृणपंचमुळ [ च. शा. ८ ]

124 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* स्तन्य अभार् में बालक को कौनसे पंिमूळ का क्र्ाथ दें ?

िर्ुपंचमूळ क्िाथ / अिािीर / गोदुग्ध

* शर

Latin name – Saccharum munja

* ‘क्लेशसहा’ लक्षर्

- अस्तथसार

- सिघसार [ च. जि. ८ ]

* चर्चित्रप्रत्यारब्ध िव्य उदारहर् –

Compare C [ अ. हृ. सू ९/२८ ]

१) शुकर मांस

२) वसह मांस

[ तिादु गुरु होने पर भी – िराह मांस का जिपाक मधुर, वसह मांस का जिपाक कटु होता है । ]

- वसह मांस जिजचत्र प्रत्यारब्ध िव्य है ।

* चर्चित्रप्रत्यारब्धत्र् संकल्पना का र्र्वन र्ाग्भट ने सूत्रस्थान के ‘िव्याचद चर्ज्ञानीयम्’


अध्याय में चकया है ।

* कौनसे प्राचर्यों का मूत्र चर्षघ्न है ?

अश्ि [ र्ोडा ]

गि [ हाथी ]

125 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

Trick – हाथी र्ोडा पाि की

िय कन्है या ‘जिि’ की।

* अवर्मूत्र रस – कटू जतक्त [ CT ]

Trick – CT बिाने पर र्ोडा आता है ।

* गिमूत्र रस – ििण

* संिीर्नी र्टी –

भािना – गोमूत्र

अनुपान – आिघ क तिरस

Contents – १० [ २ जिि – भल्िातक & ित्सनाभ ]

* गोमूत्र का रस – मधुर

* ‘क्षमा’ यह लक्षर्

- मांससार

- पृथ्िी महाभूतात्मक प्रकृ जत में आया है ।

* मानचसक प्रकृ चत

चरक

सुश्रुत १६

काश्यप – १८

* काश्यप ने सास्त्र्क प्रकृ चत में ‘प्रिापचत’

और रािस प्रकृ जत में ‘यि’ का समािेश जकया है ।

126 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* ‘सतत असुयक’ [ Jealous ] से लक्षर् िरक ने क्षयि कास में बताया है । [ च. जच. १८ ]

* असुयक – आसुर भत्ि

प्रेत सत्ि रािस काय [ सु. शा. ४ ]

* तामचसक प्रकृ चत – ३ [ सभी ग्रंथकार ने ३ बताया है । ]

* सात्र्ीक प्रकृ ती –

चरक

सुश्रुत ७

काश्यप – ८

* रािसीक प्रकृ ती –

चरक

सुश्रुत ६

काश्यप – ७

* सत्र्, रि, तम महागुण

* सत्र्गुर् – प्रकाशक

रिगुर् – प्रितघक [ काश्यप ]

तमगुर् – जनयमक

* र्ात – रि

चपत्त – सत्ि

कफ – तम

127 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* महागुर् & महाभूत संबंध [ सु. शा. १ ]

- सत्िबहु ि आकाश

- रिोबहु ि िायु

- सत्िरिबहु ि अस्ग्न

- सत्ितमबहु ि आप

- तमोबहु ि पृथ्िी

* शुध्द & कल्यार्ांश – ब्राम्हर्सत्र् [ च. शा ४/३७ ]

* काश्यप ने मानचसक प्रकृ चत का र्र्वन सुत्रस्थान २८ अध्याय में चकया है ।

* सम चमत्रवि शत्रुशु – याम्य सत्र् [ काश्यप. सु. २८ ]

* चनत्य शंचकतम् – शाकुन सत्र् [ का. सु. २८ ]

* िगत् चप्रयम् – प्रिापचत सत्र् [ का. सु. २८ ]

* अचतअलंकार – यक्ष सत्र् [ का. सु. २८ ]

* चत्रर्गवशन्ू य [ धमवअथवकामर्र्वित ] – र्ानस्पत्य सत्र् [ सु. शा. ४ ]

* धमवअथवकाम चनत्य

[ जत्रिगघ जनत्य ] – ऐन्िसत्ि [ का. सु. २८ ]

128 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

सुश्रत
ु शारीर – ५

शरीरसंख्याशारीरअध्याय

१) प्रकृ चत के प्रकार = ८

चर्कार = १६

[ सु. शा. ६ ] – अष्टप्रकृ जत और िोडशजिकार का िणघन।

२) डल्हर् अनुसार :-

१) ६ मास के गभघ को आमगभघ की संज्ञा दी है ।

२) गभघजिच्युजत [ सामान्य प्रसि व्यजतजरक्त ]

१) गभघस्राि

२) गभघपात

िरक सुश्रुत भोि


गभघस्राि २nd or ३rd मास ४ थे मास तक ३ रे मास तक
गभघपात ४th मास मे ५th or ६th मास ४th मास मे

४) Most common cause of abortion in first trimester

Chromosomal abnormality

Most common cause of abortion in second trimester

Cervical incompetence

५) Medical termination of pregnancy [ MTP ] = legal Abortion –

- MTP Act १९७१

129 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

- It is legal to abort fetus upto २० week of pregnacncy

- If १२ week pregnancy, then only one doctor’s opinion is needed.

- If १२-२० week pregnancy then २ doctor’s opinion is needed for MTP

६) Pre natal dignostic technique [ PNDT ] Act = १९९४

७) Consent is needed for MTP & for this, patients’s age has to be above
१८ yrs.

Otherwise guardian’s consent is needed.

८) ि. शा. ०२ [ अतुल्यगोत्रीय अध्याय ]

भूते चतुर्भभ: सजहत ससुक्ष्मे मनोिे दे हम् उपयजत दे हात्।

िब आत्मा एक दे ह से दुसरे दे ह मे प्रिेश करता है , तब ४ महाभूत के साथ प्रिेश करता है ,


इसे मे आकाश महाभूत नही होता है ।

९) Fetal growth is mostly influenced by Insulin Hormone

१०) IUGR [ Intra uterine growth retardation ]

When weight at birth is less than १०th percentile of normal birth weight.

Q. In IUGR which organ is not [ or very less ] affected ?

Ans – Brain

* But in alcoholic pregnant woman, if she continues the intake of


alcohol.

Then brain of fetus is affected its growth retards

This condition is known as ‘Microcephaly’.

130 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

११) षडं ग शारीर – व्याख्या और संदभव

१) तच्च िडं ग – शाखा: चतस्रो मध्यं पंचमं िष्ठं जशर: इजत।

सु. शा. ०५

२) व्दौ बाहु व्दे सस्क्थ जशरोग्रीिम् अन्तराजभ:।

च. शा. ०७

३) जशरोSन्तराजध व्दौ बाहु सस्क्थजन इजत समासत:। िडं ग अंगम्

अ. हृ. शा. ०३

१२) िोतस

Reference –

च. जि. ०५ [ स्रोतोजिमान अध्याय ]

सु. शा. ०९ [ धमनी व्याकरण शारीर ]

१३) बचहमुवख िोतस

[ सुश्रुत ] [ चरक ] पुरुि = ०९ शारं गधर : पुरुि = १०

[ िाग्भट ] स्री = १२ स्री = १३

[ ब्रम्हरं ध्र extra ]

बचहमुवख िोतस पयाय

चरक ने महत् स्रोतस कहा है ।

शारं गधर ने रं ध्र कहा है ।

आभ्यं तर िोतस

[ चरक ] [ िाग्भट ] = १३

[ सुश्रुत ] = ११ युग्म = २२

[ शारं गधर ] [ भािप्रकाश ] = असंख्य स्रोतस संख्या

131 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

काश्यप अनुसार िोतस प्रकार =

१) महान – ९ महान स्रोतस

२) सूक्ष्म – नाभी और रोमकूप का समािेश

िाग्भट शारीर ३ [ अंगजिभागशारीर अध्याय ]

आभ्यंतर स्रोतस को िीजितायन कहा है ।

* िोतस के पयाय च. जि. ५

जनकेत, आशय, रसायनी, रसिाजहनी, जसरा, धमनी

* सु. शा. ९/१२. अ. हृ. शा. ३/४७ –

स्रोतस का जिध्द होना, यह प्रत्याख्येय अितथा है

और इसकी जचकत्सा सद्योव्रण समान करे ।

१४) प्रत्यं ग संख्या

च. शा. ०७/११ = ५६ [ िट्पंचासत् ]

सु. शा ०५/०४ = ५७

काश्यप = ८७

भािप्रकाश = ३८

१५) त्र्िा :-

चरक = ०६ त्िक् ततर

[ सुश्रुत ], [ िाग्भट ], [ शारं गधर ] = ०७ त्िचा ततर

132 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

१) िरक अनुसार २) सुश्रुत अनुसार ३) शारं गधर अनुसार


प्रथम उदक धरा अिभाजसनी
स्व्दतीय असृक धरा िोजहता
तृतीय जसध्म जकिास श्िेता सुश्रुत समान
चतुथघ दिुकुष्ठ ताम्रा प्रथम-िष्ठ ततर
पंचम अििी जििजध िेजधनी / िेजदनी
िष्ठ तमअरुंजिका रोहीजन
सप्तम मांसधरा तथूिा

Skin -

Largest organ of body = Skin

सिघ शरीर व्यापक इस्न्िय तपशघनेस्न्िय

Layers of skin – Epidermis, Dermis, Hypodermis

Sublayers of epidermis [ CGSB ]

१) Stratum cornium

२) Stratum Granulosm

३) Stratum Spinosm

४) Stratum Basalis / Stratum Germinativum

* On palm & sole, Stratum lucidm is extra layers of epidermis.

* “Skin is the best dressing”.

Said by ‘Joseph Lister’

डल्हण ने त्िकसार = रक्तसार माना है ।

डल्हण ने सुश्रुत सिघतथान पर जिजखत टीका = जनबंध संग्रह।

133 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

१६) आशय

सुश्रुत : = पुरुि = ०७

स्री = ०८

शारं गधर : पुरुि = ०७

स्री = १० [ गभाशय + २ ततन्याशय अजधक माने है । ]

* काश्यप ने कृ मी आशय माना है ।

१७) भार्प्रकाश ने ‘आतवर्’ को अष्टम धातु माना है ।

िक्रपाचर् ने ओि को अष्टम धातु माना है ।

* शारं गधर अनुसार ओि का उपधातु – शुक्र है ।

* अष्टांग हृदय अनुसार ओि का मि – शुक्र है ।

धातु-उपधातु का िणघन च. जच. १५ [ ग्रहणी जचजकत्सा ]

१८) िक्रपाचर् चलचखत टीका

१) चरक संजहता सिघतथान पर ‘आयुिेद दीजपका’

२) सुश्रुत संहीता सूत्रतथानपर ‘भानुमती’।

१९) िक्रपाचर् आिायव को ‘िरक ितुरानन’ और ‘सुश्रुत सहिनयन’ संज्ञा दी गई है ।

चक्रपाजण का काि = ११ िा शतक

डल्हण का काि = १२ िा शतक

२०) चसरा संख्या चरक = ७००

सुश्रुत = ७००

134 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* [ अ. हृ. शा. ३ ] मूिजसरा = १०

सुश्रुत – मूिजसरा = ४०

* चसरा मूलस्थान सुश्रुत, शारं गधर = नाभी

िाग्भट, काश्यप = हृदय

२१) पेशी संख्या चरक = ४००

सुश्रुत = ५००

Largest muscle of body Gluteus maximus

Longest muscle of body Sartorius or Tailor muscle

Smallest muscle of body Stapedius

[ Nerve supply of stapedius = ७th Nerve – Facial Nerve ]

२२) स्नायु संख्या चरक, सुश्रुत, िाग्भट = ९००

Strongest ligament of body Iliofemoral ligament or Ligament of Bigelow

[ It is Inverted Y shape = ]

Medial border of femoral Ring Lacunar Ligament

* Cooper Ligament is present in Breasts.

Kupffer cells are present in liver [ phagocytosis ]

* Ligamentum Teres is present at २ places –

१) In Liver

135 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

२) From acetabular fossa of Hip bone to femoral head.

* Ligamentum flavum is the only yellow ligament of body.

It is present at connection of two vertebrae.

It has high elastin content.

* Thompson Ligament is present at Anterior abdominal wall.

It forms a thick margin which is at lower side of transversalis fascia present


on Transverse abdominus muscle.

* It is parallel to inguinal ligament.

* Deltoid Ligament is present on ankle joint.

* Lineo-Renal Ligament is associated with Tail of pancreas.

२३) अस्स्थ संख्या चरक, िाग्भट, भेि, काश्यप = ३६०

सुश्रुत = ३००

* [ अ. हृ. शा. ३ ] अंगजिभाग अध्याय –

आत्रेय मत के अनुसार अस्तथ संख्या = २०००

Q. धन्र्ंतरी संप्रदाय के अनुसार अस्स्थ संख्या चकतनी है ?

Ans – ३०० [ धन्िंतरी संप्रदाय = सुश्रुत ]

In adult human body = २०६ bones, are present

136 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

In new born baby = ३०० bones

[ Gets fused while growing up ]

Out of २०६ bones Axial skeleton has ८० bones

Appendicular skeleton has १२६ bones

Out of १२६ bones of Appendicular skeleton,

६४ bones in both hands.

६२ bones in both legs.

* Carpals = ८ Phalanges = १४ Finger = ०३ bones

Tarsals = ७ Thumb = ०२ bones

Bones of Vertebral column –

In child = ३३ C७ T१२ L५ S५ C४

In child = २६ C७ T१२ L५ S१ C१

* Tissues of bone Osteoblast, Osteoclast, Osteocytes.

१) Osteoblasts : Forms Osteocytes.

: Mineralisation of bones

: Formation of bones.

२) Osteoclasts : Demineralisation of bones

: Remoduling of bones

: Removes extra growth

137 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

३) Ostocytes : Maintains tissues of bones

: Derived from osteoblast

२४) संधी :- चरक = २१०

सुश्रुत = २००

काश्यप = ३८१

* ि. चर्. ८ [ रोगजभिक् जििीताध्याय ]

१) ‘तथूि दीर्घ िृत्त संधी’ यह मज्िासारता का ििण है ।

२) ‘तथूि अस्तथ नख दं त’ यह अस्तथसारता का ििण है ।

संधी और प्रकृ चत का संबंध

- ‘सुस्श्िष्ट सार संधीबंधन’ यह कफप्रकृ जत का ििण है ।

- कफ प्रकृ जत मे कफ के जिज्िि गुण [ जपस्च्छिता ] गुण के कारण यह ििण जदखता है ।

च. जि. ८

Largest joint of body Knee Joint

१३ bursa are present around the knee joint.

[ Bursa are bags filled with sinovial fluid ]

२५) ममव सिघ ग्रंथकार अनुसार १०७ ममघ है ।

ममघ प्रकार सुश्रुत = ०५

िाग्भट = ०६ [ धमनीममघ extra ]

महाममघ संख्या :

अष्टांग संग्रह = ०७

काश्यप = ०३

138 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

Q. िोतस मे चकतने ममव है ? [ यहा स्रोतस = मूत्रिह स्रोतस ]

Ans – ८ ममघ

अश्मरी जनहघ रण करते समय ८ ममो का रिण करे । [ सुश्रुत ]

* १/२ अंगुल प्रमार् चकतने ममो का है ? = ५६ [ िाग्भट ]

* दशप्रार्ायन मे चकतने ममव है ? = ६ [ च. शा. ७ ]

* रिना के अनुसार चर्भािन –

सुश्रुत र्ाग्भट
१ मांसममघ ११ १०
२ संधीममघ २० २०
३ अस्तथममघ ०८ ०८
४ तनायुममघ २७ २३
५ जसराममघ ४१ ३७
०९ = धमनीममघ

* स्थान के अनुसार :-

एक सस्क्थ मे [ only १ hand ] = ११

सभी सस्क्थ = ४४

उदर, उर = १२

पृष्ठगत = १४

ित्रु उध्िघ = ३७

139 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* पचरर्ाम के अनुसार :-

१) सद्यप्राणहर ममघ = १९ ३) जिशल्यघ्न = ०३ ५) रुिाकर = ०८

२) कािांतर प्राणहर = ३३ ४) िैकल्यकर = ४४

२६) र्ात दोष का चर्शेष र्र्वन िरक संचहता मे चकया है ।

र्ात और चपत्त का चर्स्तृत र्र्वन सुश्रुत संचहता मे चकया है ।

चत्रदोष के प्रकार का चर्स्तृत र्र्वन अष्टांग हृदय मे चकया है ।

* कौनसे व्याधी के संप्राप्ती मे तीनो दोष के ५ भी प्रकार समाचर्ष्ट है ?

Ans – अशघ व्याधी – [ चरक ]

२७) कण्डरा = १६

िाल = १६ सुश्रुत, िाग्भट मते

कुिव = ०६ - सुश्रुत, िाग्भट अनुसार

= ४८ - काश्यप अनुसार

रज्िु = ०४ - सुश्रुत, िाग्भट अनुसार

= ०८ - ‘गयी’ अनुसार

२८) Length of Small intestine = ६ m

Length of large intestine = १.५ m

Length of pharynx = १२ cm

Oesophagus = २५ cm

Stomach = २५ cm

140 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

Deodenum = २५ cm

Rectum = १२ cm

Anal canal = ३.८ cm

Ascending colon = १२.५ cm

Descending colon = २५ cm

Transverse colon = ५० cm

Sigmoid colon = ३७.५ cm

२९) यकृ त को कालखण्ड – डल्हण ने कहा है ।

फुफ्फुस को उदानर्ायु का आधार शारं गधर ने माना है ।

उण्डु क को पोट्टलक – डल्हण ने कहा है ।

गभाशय का स्थान चपत्ताशय और पक्र्ाशय के मध्य है । - अ. हृ. शा.

३०) Uterus

गभाशय को कंु डजिनी शक्ती का तथान काश्यप ने माना है ।

Weight of uterus = ५० – ८० gm

४ parts of uterus – fundus, body, isthmus, cervix

Uterine artery is a branch of anterior devision of internal illiac artery

Vaginal artery is also a branch of anterior devision of internal illiac artery.

Testicular artery in males & Ovarian artery in females are branch of


Abdominal Aorta [ direct branch ]

In females, the organ which decomposes very late

Nongravidous uterus

141 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

३१ Sutures

Lambda [ Posterior fontanelle ]

Lambdoidal suture – [ Between parietal & occipital bones ]

Sagittal suture - [ Between २ parietal ]

Coronal suture – [ Between frontal & parietal bones ]

Bregma [ Anterior Fontanelle ]

Anterior fontanelle is present at Bregma.

It closes at १८th month.

Posterior fontanelle is present at Lamba.

It closes at २-३ Months

It is also knows as Lambdoid fontanelle or Occipital fontanelle.

Sutures in frontal bones are known as ‘Metapic Sutures’

If bone is developed inside suture then it is known as – Wormion Bones.


{ Mostly at lambdoid suture }

Total fontanets present at birth = 06

३२) श्रोचर् मे अस्स्थ संख्या

चरक = ०३

िाग्भट = ०४

सुश्रुत = ०५

142 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

३३) Teeth :-

काश्यपअनुसार दं त संख्या एकूण = ३२

१) सकृ तिात दं त = ०८

२) स्व्दि दं त = २४

शारं गधर अनुसार दं त संख्या

१) बािक मे = २४

२) प्रौढ व्यक्ती मे = ३२

Temporary teeth = २०

Permanent teeth = ३२

Successional permanent teeth = २०

[ Teeth erupted after fall of temporary teeth ]

First permanent molar erupts at - ६ – ७th yr.

Second permanent molar erupts at - १२ – १४th yr.

Third [ Wisdom Tooth ] Permanent molar - १७ – २१ yr.

Early dentition [ Congenital Teeth ] is seen in Syphilis.

Also known as – Hutchinson Teeth or

Mulberry Teeth

Late dentition is seen in Rickets.

३४) Most common site for fracture Clavicle

Most common facial fracture nasal bone

143 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

Most common fracture during birth Clavicle

Most common fracture of carpal Scaphoid

Most common Dislocation of carpal Lunate

३५) तालुरोग संख्या –

सुश्रुत = ०९

िाग्भट = ०८

३६) Types of Joints

१) Immovable joint = Synarthrosis – eg. Sutures

२) Slightly movable = Amphiarthrosis – eg. Syndesmosis between

Radius & ulna.

३) Freely Movable = Diarthrosis

१) Ball & Socket - hips, shoulder

२) Hinge - Knee, elbow

३) Pivot - Base of head at the neck

४) Saddle - First carpometacarpal joint

५) Ellipsoid - Radiocarpal joint

६) Gliding - Metatarsal, & phalanges joint,


Vertebrocostal joint.

३७)

Disease Commonest Site


१ Osteoarthritis Kneejoint
२ Ankulosing Spondylitis Sacro-iliac joint
३ Gout Metatarso phalangeal Joint
of Greater Toe

144 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

३८) Muscles

१) Boxing muscle Serratus anterior

२) Climbing muscle Lattissimus dorsi

३) Muscle of Surprise Frontalis

४) Muscle of Grinning Risorius

५) Muscle of laughter & smiling Zygomaticus major

६) Unlocking muscle of knee joint popliteus

७) Locking muscle of knee joint Quadriceps femoris

८) Muscle of Horror, Terror & Fright Platysma

३९) गभाशय मे गभव का स्थान :-

१) सुश्रुत शा. ०५/४५ –

आभुग्नो अजभमुख: शेते गभोगभाशये जस्रया:।

२) चरक शा. ०६/२२ –

मातृपष्ृ ठाजभमुख उध्िघकायजशर संकोचांग।

३) अष्टांग संग्रह –

मातृपष्ृ ठाजभमुख उध्िघकायजशर कृ तांििी।

४०) Fetus

Universal Attitude of fetus Flexion

Commonest type of presentation is vertex presentation

[ or cephalic presentation ]

Commonest lie of fetus Upper pole to lower pole

145 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

Longitudinal lie.

४१) मृत संशोधन संदभव – सु. शा. ०५ [ शरीरसंख्या व्याकरण ]

उदरपाटन संदभव – सु. जन. ०८ [ मुढगभघ जनदान ]

४२) Embalming Preservation of Dead body

Post Mortem Examination –

Done for forensic purpose

Sequence १ Head – Abdomen – Throrax

Dissection is done for study / Research purpose.

146 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

िरक सुश्रुत र्ाग्भट काश्यप शारं गधर इतर


१ स्रोतस
A) आभ्यंतर १३ ११ युग्म १३ महान = ९ असंख्य भािप्रकाश
स्रोतस असंख्य

B) बाह्य पु = ९ पु = ९ पु = ९ नाभी, रोम पु = १०


स्रोतस स्री = १२ स्री = १२ स्री = १२ कूप स्री = १३
२ प्रत्यंग ५६ ५७ ८७ भािप्रकाश
= ३८
३ त्िचा ०६ ०७ ०७ ०७
४ आशय पु = ७ + कृ मी पु = ७
स्री = ८ आशय स्री = १०
५ जसरा ७०० ७००
६ पेशी ४०० ५००
७ तनायु ९०० ९०० ९००
८ अस्तथ ३६० ३०० ३६० ३६० आत्रेय =
२०००
९ संधी २०० २१० ३८१
१० ममघ १०७ १०७ १०७ १०७ १०७
११ कण्डरा १६
१२ िाि १६
१३ कुचघ ०६ ४२
१४ रज्िु ०४ ०४ गयी = ०८
१५ सेिनी ०७
१६ संर्ात १४ १४
१७ सीमंत १४ १८

147 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

सुश्रत
ु शारीर – ६

ममवशारीर अध्याय

१) ‘ममव ’ शब्द

२) ‘डल्हर् अनुसार ममव पचरभाषा :-

मारयस्न्त इजत ममाजण।

अरुर्दत्त [ सर्ांगसुंदर टीका ] अनुसार ममव पचरभाषा

अजप च मरणकजरत्िात् ममघ

मरणित् दु:ख दाजयत्िात् िा इजत।

३) ‘ममव ’ की व्याप्ती

१) सुश्रुत शा. ०६/१६ -

ममाजण नाम मांस जसरा तनायु अस्तथ संधी सस्न्नपाता:।

तेिु तिभाित: एि जिशेिण प्राणा: जतष्ठस्न्त।

२) अष्टांग हृदय शा. ०४/३८ –

ममाजण नाम मांस अस्तथ जसरा धमनी संधी समागम:।

* सुश्रुत, अष्टांग संग्रह ५ ममघ प्रकार

अष्टांग हृदय ६ ममघ प्रकार [ धमनी ममघ अजधक ]

* ममघ संख्या = १०७ [ सिघ ग्रंथकार अनुसार ]

148 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

३) िरक चसध्दी [ चत्रममीयचसध्दी अध्याय ] :-

शाखाजश्रतेभ्य: ममेभ्य: तकंधाजश्रताजन गजरयाजन।

१) शाखाजश्रत ममघ

२) तकंधाजश्रत ममघ – अजधक प्रधान : उसमे भी हृदय, जशर, बस्तत सिाजधक महत्िपूणघ

४) स्थान के अनुसार ममव

१) एक सस्क्थ मे = ११ सिघ सस्क्थ मे = ११ X ४ = ४४

२) उदर, उर प्रदे शी = १२

३) पृष्ठगत = १४

४) उध्िघित्रुगत = ३७

५) रिना के अनुसार ममव :-

सुश्रुत र्ाग्भट
१ मांसममघ ११ १०
२ जसराममघ ४१ ३७
३ तनायुममघ २७ २३
४ अस्तथममघ ०८ ०८
५ संधीममघ २० २०
६ ०९ = धमनीममघ

* धमनी की संख्या –

चरक = २००

सुश्रुत = २४

काश्यप – प्रत्येक कणघमि


ू तथानी १०० धमनी है ।

६) पचरर्ाम अनुसार or साध्य – असाध्यता अनुसार :-

149 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

ममव प्रकार सुश्रुत, र्ाग्भट महाभूत संर्टन


१ सद्य: प्राणहर १९ आग्नेय
[ अस्ग्न गुणेिु आशु िीणेिु ]
२ कािांतर प्राणहर ३३ सौम्य + आग्येय

३ जिशल्यघ्न ०३ िायव्य
[उध्दत
ृ मात्रे तु शल्ये िायु: जनष्क्रामजत ]

४ िैकल्यकर ४४ सौम्य
[ सोमो जह स्तथरत्िात्, शैत्यात् प्राणाििंबन ]

५ रुिाकर ०८ आग्नेय + िायव्य


[ अस्ग्निायु गुणभुजयष्ठ – रुिा अजधक ]

७) रिना के अनुसार ममव :-

१) मांस ममघ G E T रो

गुद इंिबस्तत तिहृदय ततनरोजहत

२) अस्तथ ममघ अंधश्रध्दा जनमुघिन शाखा कटक

अंसफिक जनतंब शंख कटीकतरुण

३) संधी ममघ कु कु कु अ आ िा सं ग म

कुपघर कुकंु दर कृ काटीका अजधपती आितघ िानु सीमंत गुल्फ मजणबंध

४) तनायु ममघ क जि आजण व्दय कुचघ असे जिजिप्त बसून उठिे

किधर जिटप आजण कुचघ कुचघ जशर अंस जिधुर जिप्र बस्तत उत्िेप

५) जसरा ममघ उपरोक्त ४ प्रकार मे िो नही आते, िह सारे ममघ

नीिा [२], धमनी / मन्या [२], मातृका [८], शंगाटक [४], अपांग [२],

150 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

तथपनी [१], फणा [२], ततनमूि [२], अपिाप [२], अपततंभ [२ ]

हृदय [ १], नाभी [१], पाश्िघसंधी [२], बृहती [२], िोजहताि [४],
औिी [४]

६) िाग्भट अनुसार धमनी ममघ V A G S

जिधुर [२] अपततंभ [२] गुद [१] श्रृंगाटक [४]

८) सुश्रुत और र्ाग्भट नुसार ममव प्रकारो मे भे द –

सुश्रुत अनुसार र्ाग्भट अनुसार


१ किधर तनायु ममघ जसरा ममघ
२ जिटप तनायु ममघ जसरा ममघ
३ अपांग जसरा ममघ तनायु ममघ
४ जिधुर तनायु ममघ धमनी ममघ
५ अपततंभ जसरा ममघ धमनी ममघ
६ गुद मांस ममघ धमनी ममघ
७ श्रृंगाटक जसरा ममघ धमनी ममघ

* BHU Q. मातृका ममव चकतने है ? – ८

Or कंठ से सद्यप्राणहर ममघ जकतने है ? = ८ मातृका ममघ

९) पचरर्ाम के अनुसार ममव –

१) सद्य: प्राणहर शंगाटक, हृदय, बस्तत, गुद, नाभी, कंठजसरा [ मातृका ] शंख, अजधपती

२) कािांतर ििममघ – ४ [ ततनमूि, ततनरोजहत, अपिाप, अपततंभ ] सीमंत,

प्राणहर ममघ तिहृदय, िीप्र, इंिबस्तत, कटीकतरुण, पाश्िघसंधी, बृहजत, जनतंब

३) जिशल्यघ्न उत्िेप, धमनी

151 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

४) िैकल्यकर िोजहताि आजण िानु औिी कुचघ जिटप कुपघर कुकंु दर किधर जिधुर
कृ काटीका अंस अंसफिक अपांग नीिा मन्या फणा आितघ

५) रुिाकर गुल्फ, मजणबंध, कुचघ जशर

* जिप्र ममघ कािांतर और सद्यप्राणहर दोनो माना है ।

[ मुख्यत्िे कािांतर ]

* पाश्िघसंधी जसरा ममघ है ।

* कंठ प्रदे श मे सद्यप्राणहर ममघ – मातृका [८]

िैकल्यकर ममघ – नीिा [२] + मन्या [२] = ४

Audio ३

१०) शुक्र का प्रमाण १/२ अंििी – चरक

१ अंििी – भेि

१ प्रसृत – िाग्भट

शुक्र धातु ४ महाभूतात्मक है , आकाश महाभूत नही है ।

शुक्र धातु मे ६ रस है । - [ चरक शारीर ]

शुक्र िि मे डु ब िाये, यह १ मास मे मृत्यु होने का अजरष्ट ििण है । - चरक इंस्न्िय

‘आहारतय परमधाम’ यह संज्ञा ‘शुक्र’ धातु को दी गई है । - चरक जनदान ६/९

शुक्र आयतं बिं पुंसा मि आयतं जह िीिनम्।

152 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

शुक्र धातुपर मनुष्य का बि अधीन है , और मि के उपर िीिन अधीन है ।

Ref. imp – भैिज्य रत्नाििी – राियक्ष्मा जचजकत्सा।

अल्पशुक्रता यह जिटप ममघ का जिध्द ििण है ।

११) पक्षार्ात

सु. शा. ०६ – किधर, िोजहताि ममघ का जिध्दििण है ।

सु. जन. ०१ – १) संसष्ृ टिन्य पिार्ात = साध्य

[ िात + जपत्त / कफ ]

२) केिि, िाति पिार्ात = कृ च्रसाध्य

३) ियिन्य [ धातुियि ] पिार्ात = असाध्य

सु. जच. ५/१९ - पिार्ात की जचजकत्सा आिेपक समान करे ।

[पिार्ात जच.] - बिातैि का अनुिासन बस्तत दे

अणुतैि का अभ्यंग करे ।

पिार्ात जचजकत्सा ३ – ४ मजहनों के जिए करे ।

जिशेित: मस्ततक / जशरोबस्तत दे ।

च. जच. २८ – पिार्ात मे जिशेित: जिरे चन करे ।

१२) आक्षे पक

सु. जन. ०१ आिेपक के ४ प्रकार है ।

िाति, जपत्ति, कफि, अजभर्ाति।

सु. शा. ०६ जिप्र ममघ का जिध्दििण – आिेपक

* Convulsions can be caused by Vitamin B६ [ Pyrodoxine ] deficiency.

153 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

१३) Wrist joint is an Ellipsoid joint type.

Out of radius, ulna, carpals, which bone does not participate in wrist joint
formation ?

Ulna does not participate.

Wrist drop Due to Radial Nerve palsy.

Foot drop Due to common Peroneal or Fibular Nerve palsy.

* Lead poisoning may cause wrist drop & foot drop.

Claw Hand

Also known as ‘Klumpke’s Paralysis’.

It is due to Ulnar Nerve Palsy.

Or Lower trunk of brachial plexus palsy.

१४) महागुर्

१) सुश्रुत ने सत्ि, रि, तम का तथान हृदय माना है ।

२) अष्टांग संग्रह ने सत्ि, रि, तम को ‘महागुण’ की संज्ञा दी है ।

३) काश्यप संजहता अनुसार –

सत्ि = प्रकाशक

रि = प्रितघक

तम = जनयामक

४) महागुण और महाभूत संबंध का संदभघ ( सु. शा. ०१/२७ )

154 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

सत्िबहु िो आकाश

रिोबहु ि िायु

सत्िरिोबहु ि अस्ग्न

सत्ितमोबहु ि आप

तमोबहु ि पृथ्िी

* अनेक ग्रंथकार अनुसार – सत्ि = रि, जपत्त = सत्ि, कफ = तम संबंध माना है ।

१५) तम

१) अष्टांग संग्रह अनुसार, तम [ अंधकार ] िव्य मे रस संर्टन कटु और किाय रस


है ।

२) प्रभाकर मीमांसा or पूिघ मीमांसा दशघन ने तम को िव्य माना है ।

{ प्रभाकर मीमांसा के कता – िैजमनी यह दशघन १२ अध्यायो मे िर्भणत है , इजसजिए इसे


‘व्दादशिजिजण’ भी कहा िाता है । }

३) तम व्याधी –

चरक अनुसार िात का नानात्मि व्याधी है ।

काश्यप अनुसार जपत्त का नानात्मि व्याधी है ।

तम प्रिेश –

चरक अनुसार जपत्त का नानात्मि व्याधी है ।

काश्यप अनुसार रक्त का नानात्मि व्याधी है ।

१६) Head or Neck stability milestone in child is achieved at ३ months of


age.

१७) कृ काटीका ममव का स्थान = Atlanto Occipital Joint

१८) बाचधयव - जिधुर ममार्ात का ििण है ।

155 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

तृष्णा िेगािरोध का ििण है ।

जबल्ि तैि का जचजकत्साथघ प्रयोग करे ।

सु. उ. कणघरोग [२०] – बाजधयघ मे दोिसंर्टन = िात अथिा िात – कफ

िा. उ. १८ [ अष्टांग हृदय ] – बाजधयघ की जचजकत्सा िाति कणघशि


ू समान करे ।

योगरत्नाकर अनुसार – अपामागघ िार तैि का प्रयोग बाजधयघ मे करे ।

* Most common cause of conductive deafness = Wax

Deafness due to ageing is Senile deafness, also known as ‘Presbycusis’.

It is Sensory Neural Deafness.

Triad of Menier’s Disease

Deafness, Vertigo Tinitus

Deafness is of Sensory Neural Deafness type.

१९) गंध

Absence of sense of smell Anosmia

Partial loss of sense of smell Hyposmia

Perverted sense of smell Parosmia

* तैलमुर्च्व ना का उद्दे श गंधदोष कम करना है ।

र्ृतमुर्च्व ना का उद्दे श आमदोष कम करना है ।

[ रसशास्र ] गंधकाचा गंध कम करने के जिए

- गोदुग्ध मे १०० बार जनिाजपत करे ।

- सुिचघ िा तिरस मे रखे।

[ शारं गधर ] िहसून [ रसोन ] का गंध कम करने के जिए तक्र मे रातभर जभगो के रखे।

156 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

२०) अंधत्र्

सु. शा. ०९ - अन्निह स्रोतस का जिद्ध ििण है ।

सु. शा. ०६ - अपांग और आितघ ममार्ात का ििण है ।

च. जसध्दी - अंधत्ि जनिारक बस्तत मे छागमांस का प्रयोग जकया है ।

Commonest cause of blindness Cataract

Commonest type of cataract Senile cataract

२nd common type of cataract Glaucoma

* National Blindness control program =१९७६

* Vision २०२० mission launched in १९९९

* Vit. A prophylaxis program = १९७०

२१) शंख

[ सु. शा. ०८ ] – उन्माद व्याधी मे शंख – केशांत जसरािेध करे ।

[ उन्माद मे उर, अपांग, ििाटप्रदे शी जसरािेध करने का भी जनदे श है । ]

रसशास्र मे शंखभतम का प्रयोग युिानजपडका नाशनाथघ करे ।

शंखभतम नेत्रपुष्पहर [ नेत्र के जिए र्ातक ] है ।

२२) पाश्र्वसंधी ममव का पचरमार् :-

सुश्रुत = १ अंगि

िाग्भट = १/२ अंगि


ु ।

स्तनमूल ममव का पचरमार् :-

सुश्रुत = १ अंगि

157 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

डल्हण, िाग्भट = २ अंगि


२३) Q. MHPGCET – अष्टांग संग्रह अनुसार महाममव की संख्या ?

Ans – ७

Q. िोतस मे ममव की संख्या चकतनी है ?

Ans – ८ - यहा स्रोतस = मूत्रिह स्रोतस

२४) शल्यतंत्र का अधघजििय ‘ममघ’

शल्यतंत्र की अधघजचजकत्सा ‘जसरािेध’

कायजचजकत्सा की अधघजचजकत्सा ‘बस्ततजचजकत्सा’

२५) धातु

धातु-उपधातु, मि िणघन कहा जदया है ?

च. जच. १५

‘आतघि’ अष्टम् धातु जकसने माना है ? = भािप्रकाश

‘ओि’ को अष्टम् धातु जकसने माना है ? = चक्रपाजण

शुक्रधातु का उपधातु – ओि है । शारं गधर अनुसार

शुक्रधातु का मि – ओि है । अष्टांग हृदय अनुसार

२६) दशप्रार्ायतन और ममव का संबंध

चरक शारीर ०७ / ०९ – शारीरसंख्या शारीर अध्याय

158 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

१) मुधा

२) कंठ

३) हृदय ममघ = प्रथम ०६

४) नाभी तुिु िट्पूिाजण ममाजण।

५) गुद

६) बस्तत

७) ओि

८) शुक्र

९) शोजणत

१०) मांस

अष्टांग संग्रह शारीर ०५

१) मुधा

२) जिव्हा बंध

३) कण्ट

४) हृदय महाममघ = प्रथम ०७

५) नाभी तेिांम् आदयाजन सप्तमहाममाजण।

६) बस्तत

७) गुद

८) शुक्र

९) ओि

१०) रक्त

काश्यप अनुसार महाममघ = ०३

स्रोतस मे जकतने ममघ है ? = ०८

159 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

- Ref – सु. जच. ०७/३७ – अश्मरीजचजकत्सा अध्याय

- यहा स्रोतस मतिब मूत्रिह स्रोतस समझना है ।

ममाजण अष्टाजन समृध्द स्रोतसाजन।

अश्मरी जनहघ रण करते समय सेिनी शुक्रिह स्रोतस, गुद, मूत्रप्रसेक, मुष्कस्रोत [ फि ],
मूत्रिह स्रोतस, योजन, बस्तत यह ८ ममो का रिण करे ।

२७) अष्टांग हृदय शारीरस्थान / ०४ – ममवचर्भाग शारीर अध्याय

ममव प्रकार आर्ात लक्षर्


१ मांस ममघ मांसधािनित् तनु रक्तस्राि
अिस्र असृक स्राि
पाण्डु त्ि, इस्न्िय अज्ञान, मृत्यु।

२ तनायु ममघ आयाम, आिेपक, ततंभ यान तथान अशस्क्त,


िैकल्य अभ्यंजदकं रिा।

३ अस्तथ ममघ मज्िास्न्ित अच्छजिजछन्न स्राि, रुक्


मज्िाधातुस्न्ित स्राि, अच्छ स्राि

४ संधी ममघ शुके इि अिकीणघ रुढे च कुजण खंिता बि चे ष्टा


िय, शोि, पिघशोफ

५ धमनी ममघ सशब्द फेनयुक्त उष्ण रक्तस्राि जिचे तसा।

सांिं अिस्रं बहु असृक स्रिेत् तृष्णा, भ्रम, श्र्िास,


६ जसरा ममघ मोह, जहक्का

160 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

सुश्रत
ु शारीर – ७

चसरार्र्वचर्भस्क्तशारीर

AUDIO – १

१) चसरा संख्या

च. शा. ०७ : ७००

सु. शा. ०५ : ७०० - सप्तजसराशताजन भिस्न्त।

२) सुश्रुत संचहता अनुसार चसरा मूलस्थान नाभी

र्ाग्भट शा. ३/१८ अनुसार चसरा मूलस्थान हृदय

दशमूि जसरा हृदयतथान:।

काश्यप अनुसार जसरा का मूितथान हृदय

३) शारं गधर संचहता मे ३ खं ड है ।

प्रथम खंड = ७ अध्याय

मध्यम खंड = १२ अध्याय

उत्तर खंड = १३ अध्याय

शा. प्र. खंड ०५/६०

नाभ्या सिघ जनबधतथ।

शारं गधर अनुसार जसरा का मूितथान नाभी

* शारं गधर अनुसार चसरा का कायव –

- संधीबंधनकारीनो।

161 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

- दोिधातुिह

४) धमनीमूलस्थान :-

१) सुश्रुत अनुसार नाभी

२) िाग्भट अनुसार नाभी

३) काश्यप अनुसार तािु

५) “िक्रनाचभ: इर् आरकै:।”

सुश्रुत अनुसार यह ‘जसरा’ के जिए कहा है । [ सु. शा. ०७ ]

िाग्भट अनुसार यह ‘धमनी’ के जिए कहा है । [ अ. हृ. शा. ३/३९ ]

६) “आकंु िन प्रसरर्ाचदचभ: चर्शेषै:।”

सुश्रुत अनुसार यह जसरा का जिशेि कायघ है ।

शारं गधर अनुसार यह कण्डरा का जिशेि कायघ है ।

७) मूल चसरा की संख्या –

सु. शा. ०७ अनुसार ४०

िा. शा. ०३ अनुसार १०

AUDIO. २

८) Important Arteries of body –

१) Axillary Artery :

It has ३ Parts & ६ branches

Largest branch of axillary artery

162 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

Subscapular Artery

३ Part of Axillary artery :-

१) Part above / Superior to pectoralis minor

२) Part post to pectoralis minor

३) Part inferior to pectoralis minor

२) Femoral Artery :-

It has ६ branches

Largest branch of femoral artery

Profunda femoral Artery

३) Aorta

It originates from left ventricle & forms Arch of Aorta

Arch of Aorta

It has ३ branches.

१) Left common carotid artery on left side

२) Left subclavian artery

३) Branchio – Cephalic Trunk / Artery – On Right side

९) * िक्रपाचर् अनुसार –

रसप्रधान आहारिव्य।

िीयघप्रधान औिधीिव्य।

163 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* अष्टांग संग्रह अनुसार –

आहारपाचनकाि ४ याम { १ याम = ३ तास }

औिध पाचनकाि २ याम

* काश्यप अनुसार ‘आहार’ को महाभैषज्य और प्रिापचत संज्ञा दी गई है ।

१०) संधी संख्या

चरक = २००

सुश्रुत = २१०

* Knee Joint –

१) Fibula does not participate in formation of knee joint

२) It is the largest joint in body.

* Shoulder joint - Ball & Socket type of joint

* Elbow joint - Hinge joint

* Wrist joint - Ellipsoid joint

* In knee joint - Femur – Tibia is condylar joint,

Femur – Patella is saddle joint.

* १st carpo - metacarpal joint [ In thumb ] is Saddle joint

११) िक्रपाचर् ने ‘ओि’ को अष्टम धातु माना है ।

भार्प्रकाश ने ‘आतवर्’ को अष्टम धातु माना है ।

164 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

१२) Receptors for touch perception Tactile receptors.

Receptors for pain perception Noci receptors.

१३) सुश्रुत चनदान १६

रोजहणी व्याधी के ५ प्रकार है ।

रोजहणी व्याधी का मृत्युकाि ३ जदन का है ।

* रोजहणी व्याधी = Diptheria

* रोजहणी नित्र मे तनान करे राियक्ष्मा जचजकत्सा मे।

* रोजहणी जसरा = रक्तिाही जसरा [ सुश्रुत शारीर ०७ ]

AUDIO ३ * External Carotid Artery has ८ branches

१४) Trick Sister Lucy’s Powdered Face

Often Attract Medical Students

१) Superior Thyroid Artery

२) Lingual Artery

३) Posterior Auricular Artery

४) Facial Artery

५) Occipital Artery

६) Ascending Pharangeal Artery

७) Maxillary Artery

८) Superior Temporal Artery

165 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

Superior Temporal

Posterior Auricular Maxillary

Occipital Facial

Ascending Pharyngeal Lingual

Superior thyroid

External Carotid Artery’s ८ Branches

* Opthalmic artery is a branch of Internal Carotid Artery.

* Opthalmic Nerve is a branch of Trigeminal Nerve.

१५) Junction between Nose & Forehead is Glabella.

Glabellar Tap is seen in Parkinson’s Disease.

{ Glabellar Tap sign – Continuous blinking of eyes on repetitive tapping at


glabella }

१६) ममव के पचरर्ाम के अनुसार प्रकार और संख्या :-

१) िैकल्यकर ममघ = ४४

२) सद्यप्राणहर ममघ = १९

३) कािांतर प्राणहर = ३३

४) िैशल्यघ्न ममघ = ०३

५) रुिाकर ममघ = ०८

AUDIO ४

166 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

१७) र्ाग्भट शारीर ०३ अनुसार :- [ Shlok No. ३६ – ३८ ]

१) पूणघ जरक्त : िणात्।

प्रतपंदने च। िातिाही जसरा का िणघन

२) शीघ्र िाहीनी च। - जपत्तिाही जसरा

३) शुध्द रक्तिहन करने िािी जसराए – रोजहणी जसरा

१८) * नेत्र मे चसरा संख्या = ३८ [ सुश्रुत ]

५६ [ िाग्भट ]

१९) * नेत्र मे

अिेध्य जसरा संख्या = ०२ [ सुश्रुत ]

०६ [ िाग्भट ]

२०) Commonest vein used for bypass surgery is Great Saphenous Vein or

Long Saphenous Vein

As colater circulation develops even after removal of great saphenous vein.

* Longest vein in body Great Saphenous Vein

* Largest vein in body Interior Vena Cava

167 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

सुश्रत
ु शारीर – ८

चसराव्यधचर्चध शारीर अध्याय

१) शल्यशाि में ‘अधव चिचकत्सा’ चकसे कहा है ?

जसरािेध

२) कायचिचकत्सा में ‘अधव चिचकत्सा’ चकसे कहते है ?

बस्तत

३) शल्यशाि में ‘चिचकत्साधव ’ चकसे कहते है ?

जसरािेध

४) शल्यशाि का ‘ चर्षयाधव ’ चकसे कहते है ?

ममघ

५) बस्स्त का कौनसा प्रकार भोिनापश्िात दे ने का चनदे श चकया है ?

अनुिासन

६) अनुर्ासन बस्स्त = आिघ पाजणबस्तत

७) अभुक्तर्क्त बस्स्त = आतथापन / जनरुह बस्तत

८) िागरर् करने से कौनसे दोषों का प्रकोप होता है ?

िात – जपत्त - सु. शा. ४

168 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

९) चदर्ास्पापिन्य दोषप्रकोप –

चरकमते - कफ & जपत्त

सुश्रुतमते - जत्रदोि

१०) क्लैब्य के प्रकार –

च. - ०४

सु. - ०६

११) Oligoazoospermia = A condition in which sperm count is less than 20 million/ml


of semen

१२) Normal sperm count = ६० – १२० Million / ml

१३) आक्षे पक प्रकार – ०४ [ सु. जन. १ ]

१) िाति

२) जपत्ति

३) कफि

४) अजभर्ाति

१४) पक्षार्ात चिचकत्सा [ सुश्रुत ]

१) अणुतैि का अभ्यंग

२) बिातैि का अनुिासन करें ।

पक्षार्ात का साध्यासाध्यत्र् –

शुद्ध / केिि िाति – कृ च्रसाध्य

संसष्ृ टिन्य – साध्य

169 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

ियि – असाध्य

१६) ‘चपपासा’ यह लक्षर् कौनसे िोतस का चर्द्ध लक्षर् है ?

अन्निह

उदकिह

मेदोिह

[ Trick – MAU िा तहान िागते ]

१७) यर्ागु –

१) शारं गधर के अनुसार चकतना िल उपयुक्त करें ?

६ गुना

२) काश्यप के अनुसार िल का प्रमार् १० गुना, १५ गुना, २० गुना होना िाचहए।

३) यर्ागु के दोष = ०७ [ काश्यप ]

४) यर्ागु का चनषेध –

१) मदात्यय

२) जपत्त – कफि ज्िर / व्याधी

३) उध्िघग रक्तजपत्त

४) ग्रीष्म ऋतु

५) यर्ागु का सेर्न गर्वभर्ीिारा कौनसे माह में करने का चनदे श चकया है ?

चरक – ८th month

सुश्रुत – ६th & ८th both month.

170 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

१०) ऋतु के पयायी नाम –

तुिारसमय – हे मंत

कुसुमागम – िसंत

जनदार् – ग्रीष्म

र्नात्यय – शरद

तापात्यय – प्रािृट

१९) Volume & blood in adult = ५ litre [ ५००० ml ]

Volume of blood in newborn = ४५० ml.

२०) Weight of blood is ८% of total body weight.

२१) pH of blood – ७.४ [ alkaline ]

२२) Specific gravity of blood = १.०५२ – १.०६१.

२३) Viscocity of blood is five times more than water.

२४) Bleeding time = ३-६ minutes

Clotting time = ३-८ minutes

२५) रक्तमोक्षर् के संदभव में,

१ प्रतथ = १३ १/२ पि

= ५४ तोळे

171 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

२६) Normal bleeding in menstrual cycle.

= ३५ – ५० ml

Menorrhagia = > ८० ml bleeding

Post - partum Haemorrhage = > ५०० ml blood loos after delivery.

२७) चक्षप्र ममव = अंगष्ु ठ और अंगि


ु ी के मध्य में

२८) पाददाह में दोषसंर्टन = PVR

[ जपत्त, िात, रक्त ]

२९) पादहषव में दोषसंर्टन = VK

[ िात & कफ ]

३०) पाददारी में दोष संर्टन = V

केिि िात

३१) शारं गधर संचहता के अनुसार पैरों के व्याधी

= ४२

३२) चिप्प = अित / उपनख

चिप्प व्याधी में दोषसंर्टन = VP

[ िात – जपत्त ]

172 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

३३) अपिी व्याधी में मुख्य दोष = कफ

दुष्य = मेद

‘इस व्याधी में होने िािा शोथ

‘आमिकास्तथजनभं

मत्तयाण्डिािप्रजतकाशं ऐसा बताया है ।

३४) इंिबस्स्त यह रिना के अनुसार

मांसममघ है ।

३५) Thickest nerve of the body = sciatic nerve

Root value of sciatic nerve =

शारं गधर के अनुसार, गृध्रसी में कौनसे कल्क का प्रयोग करें ?

महावनब कल्क

३६) English nameof महाबनब

= Bead tree.

३७) शारं गधर ने कौन से िव्य के क्र्ाथ का प्रयोग गृध्रसी में चकया है ?

शेफािीपत्र क्िाथ

३८) SLR test is done in sciatica

SLR test also known as ‘Lasigue sign’.

३९) गलगंड व्याधी का दोषसंर्टन = िात – कफ

गलगंड के प्रकार = ०३

173 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

१) िाति

२) कफि

३) मेदोि

४०) प्लीहारोग व्याधी के प्रकार = ०५ [ चरक ]

प्लीहारोग में प्रयुक्त क्षार –

च – जिडं गाजद िार

सु – पिाशिार

रोजहतकाद्य र्ृत का प्रयोग

िटपि र्ृत का प्रयोग प्िीहोदर में करें ।

४१) प्रर्ाचहका व्याधी के पयायी नाम –

- जन:तसारक [ सुश्रुत ]

- वबजबशी [ िाग्भट ]

४२) चपर्च्ाबस्स्त का प्रयोग प्रर्ाचहका व्याधी में चकया है ।

४३) उपदं श के प्रकार = ०५

[ रक्ति याप्य

कृ मी उत्पजत्त सस्न्नपाति उपदे श ]

४४) शुकदोष - सु – १८

शारं गधर = २४

174 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

४५) शुक्रदोष च – ०८

सु – ०८

४६) दकोदर = ििोदर

दुष्योदर = सस्न्नपातोदर

पचरिार्ी उदर = जछिोदर

४७) पाश्र्वशुलहरार्ां पुष्करमुळ

[ जहक्काश्र्िासकास पाश्र्िघशि
ु हराणां ]

४८) तृतीयक ज्र्र के प्रकार = ०३

ितुथवक ज्र्र के प्रकार = ०२

४९) चर्षमज्र्र के प्रकार = च – ०५

[ संतत, सतत, अन्येद्यष्ु क, तृतीयक, चतुथघक ]

का – ०४

[ सतत, अन्येद्यष्ु क, तृतीयक, चतुथघक ]

५०) Angle between the ramus & body of the mandible = १४० ० in child

= ११० ० - १२० ० in adult.

५१) ललाट प्रदे श में

पेशी संख्या = ०४

जसरा संख्या = ६०

५२) चिव्हारोग = ०५ [ सु. जन. ]

175 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

०६ [ िाग्भट ]

५३) Tongue –

Muscles of tongue = ०८

[ ४ extrinsic & ४ intrinsic ]

- Blood supply of tongue = Lingual artery.

- Lingual artery is a branch of External carbtid artery.

५४) Branches of Ext. carotid artery = ०८

५५) Safety muscle of the tongue = Genioglossus.

५६) All the muscles of tongue are supplied by

Hypoglossal nerve

Except palatoglossus which is supplied by pharyngeal branch of vagus.

५७) तालुरोग सु – ०९

िा – ०८

५८) कौनसे ममव के आर्ात लक्षर् में ‘गंधनाश’ है ?

फणा [ जसराममघ ]

५९) Absence of sense of smell = Anosmia.

Partial loss of sense of smell = Hyposmia.

176 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

Perverted smell = Parosmia.

६०) नेत्र शारीर

मण्डि = ०५

पटि = ०४

संधी = ०६

सुश्रुत के अनुसार –

तृतीय पटिगत दोि जतजमर

चतुथघ पटिगत दोि विगनाश

र्ाग्भट के अनुसार

जितीय पटिगत दोि = जतजमर

तृतीय पटिगत दोि = काच

चतुथघ पटिगत दोि = विगनाश

६१) ‘सभी नेत्ररोगों का कारर्’ कौनसे व्याधी को कहा है ?

अजभष्यंद

६२) अचभष्यं द रोग की उपेक्षा करने से कौनसा व्याधी होता है ?

अजधमंथ

६३) Congenital glaucoma is known as ‘Buphthalmous’.

[ commonly seen upto ३ yrs of age. ]

६४) िलौका संख्या –

सु – १२

177 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

हा – ४

६५) र्ाग्भटनुसार [ अ. हृ ]

श्रृंगयंत्र की िंबाई = १८ अंगि


६६) १ Unit blood = ३०० ml

६७) World blood donation day = १४ June

६८) १ Unit blood transfusion increases Hb by १ gm%

६९) Which type of Hb appears १st in the body

Hb Gower

७०) १ Hb can produce ३४ mg bilirubin.

७१) RBC production in foetus

१st trimester = Yolk sac.

२nd trimester = Liver & Spleen.

३rd trimester = Red bone marrow.

After birth,

Upto २० yrs of age = All bones’s marrow

> २० yrs = Specific bones –

e.g Vertebrae, sternum, ribs etc.

178 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

सुश्रत
ु शारीर – ९

धमनी व्याकरर् शारीर अध्याय

१) धमनी

संख्या - सुश्रुत – २४

चरक – २००

धमनी ममव – ९ [ िाग्भट के अनुसार ]

२) चसरा का मूलस्थान – नाभी

धमनी का मूलस्थान – नाभी

३) िोतस का र्र्वन in िरक

चरक जिमानतथान. ५

[ स्रोतोजिमान ]

In सुश्रुत

सु. शारीर. ९ [ धमनी व्याकरण ]

४) िोतस – २

१) बर्भहमुख – पुरुि – ९, स्री – १२ [ सु. शा. ]

२) अन्तमुघख

शारं गधर के अनुसार बर्भहमुख स्रोतस

पुरुि – १०

स्री – १३

179 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

बर्भहमुख स्रोतस में मस्ततष्क ब्रम्हरं ध्र कौनसे आचायघ ने माना है ?

आचायघ शारं गधर

बर्भहमुख स्रोतस को ‘रं ध्र’ कौनसे आचायघ ने कहा है ?

शारं गधर

आभ्यंतर स्रोतस –

सुश्रुत – ११ युग्म [ ११ Pairs ]

चरक – १३

आभ्यंतर स्रोतस जक संख्या असंख्य मानी है ।

शारं गधर

भािप्रकाश

५) आभ्यं तर िोतस को ‘िीचर्त आयतन’ कौनसे आिायव ने कहा है ?

अष्टांग हृदय

६) िरक ने ‘ आतवर्र्ह’ िोतस नहीं माना।

७) सुश्रुत ने स्र्ेदर्ह, मज्िार्ह, अस्स्थर्ह िोतस नहीं माना।

८) िरक और सुश्रुत के अनुसार आभ्यं तर िोतस के मूलस्थान

िोतस िरक सुश्रुत


१ प्राणिह हृदयमुि, महास्रोत ऱ्हदय, रसिाजह धमनी
२ उदकिह तािु, क्िोम तािु, क्िोम
३ अन्निह आमाशय, िामपाश्िघ आमाशय, अन्निाही धमनी
४ रसिह ऱ्हदय, दश धमन्य: ऱ्हदय, रसिाही धमनी

180 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

५ रक्तिह यकृ त, प्िीहा यकृ त प्िीहा, रक्तिाही धमनी


६ मांसिह तनायुमि
ू , त्िक् तनायु, त्िचा, रक्तिाही धमनी
७ मेदोिह िृक्क, िपािहन कजट, िृक्क
९ अस्तथिह मेदोमूि, िर्न -
१० शुक्रिह िृिणमूि, शोफ ततन, िृिण
११ मूत्रिह बस्ततमुि, िंिण मेढ्र, बतती
१२ तिेदिह मेदोमूि, िोमकुप -
१३ पुरीििह पक्िाशय, तथुिगुद पक्िाशय, गुद
१४ आतघिह - गभाशय, आतघििाही धमनी

९) Fallopian tube – १० cm

Part – ४

१०) ‘अंधत्र्’ लक्षर्

अपांग

आिघत ममार्ात

११) National Blindness Control Program

१९७६

१२) Vision ‘२०२०’ १९९९

१३) Commonest cause of Blindness in India

Cataract

१४) Commonest type of cataract

Senile cataract

181 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

१५) Commonest type of congenital cataract

Blue dot

१६) राियममा में कौनसे िोतस का अर्रोध होता है ?

रसिह स्रोतस

१७) स्र्ेद का अंिली प्रमार् – १० अंगि


ु ी

१८) Sweat test – Cystic Fibrosis

१९) क्लैब्य के प्रकार

सुश्रुत – ६

चरक – ४

२०) शुक्र

अंिली प्रमार् –

चरक – अधा अंििी

िाग्भट – १ प्रसृत

भेि – १ अंििी

२१) ‘अंिलीप्रमार्’ माना नहीं सुश्रुत

२२) Normal Sperm Count – ६० - १५० million / ml of semen

182 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

२३) र्ंध्या प्रकार

हाजरत – ६

रसरत्नसमुच्य

माधिजनदान ९

िसिराि – ४

२४) िरक के अनुसार िोतसदुष्टी चक चिचकत्सा

प्राणिह – श्र्िास व्याधी के समान

उदक – तृष्णा व्याधी के समान

अन्निह – आम के समान

मुत्रिह – मूत्रकृ च्र

मििह – अजतसार

तिेदिह – ज्िर के समान

२५) ‘आम’ के प्रकार – २

१) अिसक

२) जिसुजचका [ चरक ]

183 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

सुश्रत
ु शारीर – १०

गर्वभर्ीव्याकरर्शारीर

AUDIO १

१) सुश्रुत अनुसार कौनसे रं ग का र्ि पचरधान करने का चनदे श गर्वभनी के चलए चकया है ?

शुक्ि िस्र।

िरक अनुसार गर्वभर्ी कौनसे रं ग का र्ि पचरधान ना करे ?

रक्तिणी िस्र।

[ िरक सूत्र २१/३२ ] अचतकृ श व्यक्ती के चिचकत्सा मे कौनसे रं ग का र्ि पचरधान करने
का चनदे श है ?

श्िेत िस्र।

२) र्ाग्भट अनुसार : ‘चशरश्रर्र्पादे ष ु चर्शेषेर् चशलये त्।’ चकस संदभव मे कहा है ?

अभ्यंग के जिए।

३) गर्वभर्ी मासानुमाचसक पचरिया।

मास सुश्रुत िरक हाचरत


१ प्रथम मधुर शीत िि आहार शीति दुग्ध यस्ष्टमधु, परुिक, मधुपष्ु प
+ निनीत, पय-मधु सह
काकोिीजसध्द मधु
२ स्व्दतीय मधुर शीत िि आहार मधुरौिध जसध्द दुग्ध काकोिीजसध्द मधु
३ तृतीय मधुर शीत िि आहार िीर + मधु + सर्भप कृ शरा
४ चतुथघ पय + निनीत + िीर + निनीत [१ अि] कृ तौदन
िांगि मांस हृदय
अन्न

184 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

५ पंचम िीर + सर्भप िीर + सर्भप पयस दजध


६ िष्ठ श्र्िदं ष्राजसध्द सर्भप + िीर + सर्भप मधुर दजध
यिागु मधुरौिधजसध्द
७ सप्तम पृथकपणी जसध्द र्ृत मधुरौिधजसध्द िीर + र्ृतखण्ड
सर्भप
८ अष्टम बदरोदक क्िाथ का िीर + यिागु + सर्भप र्ृतपुर
आतथापन बस्तत
९ निम - मधुरौिधजसध्द तैिजपचु जिजिध अन्न
योजन मागघ मे रखे।

४) * सुश्रुत अनुसार गर्वभर्ी को प्रसर् होने तक यर्ागु और मांसरस का सेर्न करने का


चनदे श है ।

{ ८th मास से प्रसि होने तक दे }

* हाचरत अनुसार १० र्े मास मे गर्वभर्ी को दौहद अनुसार आहार सेर्न का चनदे श चकया
है ।

५) गर्वभर्ी मे यर्ागु सेर्न कब करे ?

Ans - सुश्रुत अनुसार - ६th मास और ८th मास से प्रसि होने तक।

चरक अनुसार - ८th मास मे।

AUDIO २

६) िरक और सुश्रुत अनुसार सुचतका आगार मे गर्वभर्ी का प्रर्ेश ९ र्े मास मे करे ।

िाग्भट अनुसार सुजतका उत्थान प्रसि पश्चात १० िे जदन पर करे ।

७) सुचतका आगार के व्दार की चदशा

१) सुश्रुत अनुसार - प्राग्व्दारं दजिण व्दार। - पूिघ और दजिण मे।

185 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

२) चरक अनुसार - प्राग्व्दारं उत्तर व्दारम्। - पूिघ और उत्तर मे।

८) गर्वभर्ी की अर्स्थाए :-

सुश्रुत प्रिाजयनी

उपस्तथत प्रसिा

प्रिनयस्ष्यमाणा

िरक प्रथम अितथा

स्व्दतीय अितथा

तृतीय अितथा

अष्टांग संग्रह आसन्न प्रसिा

उपस्तथत प्रसिा

अष्टांग हृदय आद्य प्रसिा

उपस्तथत प्रसिा

भार्प्रकाश प्रसि उत्सुक अितथा

आसन्न प्रसिा अितथा

{ Q.e.g – प्रसर् उत्सुक अर्स्था कौनसे आिायव ने मानी है ? }

९) अस्स्थर्ह िोतस का मूलस्थान िर्न

मेदोर्ह िोतस का मूलस्थान कटी

186 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

१०) काश्यप अनुसार –

आिी = ग्राही [ = Labour pain ]

११) अकाल प्रर्ाहन से होने र्ाला योचनव्यापद :

कर्भणनी योजनव्यापद - चरक, सुश्रुत अनुसार

१२) Brackston Hicks Contractions [ or Braxton Hicks ] that is painless


irregular contractions start in २nd Trimester : around १६th week of
pregnancy

AUDIO ३

१३) बपडीतक = मदनफि

बपडाफल = इक्ष्िाकु

१४) Vernix Caseosa is produced in २०th week.

Amniotic fluid is produced in ८th week.

Placenta formation starts from ६th week & is completed by १२th week.

१५) नर्िात बालक मे नाभीनाल कतवन कब करे ?

१) सिघ ग्रंथकार अनुसार = ८ अंगि


ु पर

२) िाग्भट अनुसार = ४ अंगि


ु पर

१६) नाभी रोग की संख्या : चरक =४

िाग्भट = २

187 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

१७) नाभीनाल कतवनाथव कुष्ठतैल का प्रयोग करे ।

१८) * Length of umbilical cord = ५० cm

* Umbilical cord has २ arteries & १ vein

१९) काश्यप संचहता के लेहनाध्याय मे र्र्वर्त सुर्र्वप्राशन संस्कार

१ मास सुिणघप्राशन करने से बािक मेधािी होता है ।

६ मास सुिणघप्राशन करने से बािक श्रुतधर होता है ।

२०) बलातैल प्रयोग :-

१) सुजतका और सद्योिात बािक मे अभ्यंगाथघ - [ सु. शा ]

२) नासानाह नामक नासारोग मे प्रयुक्त

३) मुढगभघ जचजकत्सा मे। - [ सु. जच ]

२१) ि. सू. २५ [ अग्र ] : तनानं श्रमहराणाम्।

सुरा श्रमहराणाम्।

[ ि. चि. ] गौरसषवप का र्ापर स्नानाथव चकस व्याधी मे करे ?

राियक्ष्मा

२२) स्तन्यपान :-

१) सिघ ग्रंथकार अनुसार : ३rd or ४th day [ जदन से ]

२) चरक अनुसार : प्रथम जदन से

३) UNICEF [ United Nation’s International children Emergency Fund ]

Breast Feeding should be started as early as possible on first day


itself.

188 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

२३) Weaning – [ Gradual process of stopping breast feeding ]

It should be started by around ६th month of age.

स्तन्य अपनयन –

[ िाग्भट उत्तरतंत्र ] – िातदशन पश्चात [ दं तोत्पत्ती के बाद ]

– i.e ६th मास।

* First tooth to be erupted is lower central Incisor.

AUDIO ४

२४) बलात्रय बिा + अजतबिा + नागबिा [ Trick – BAN ]

२५) सूचतका काल : [ सूजतका पजरचया पािन काि ]

१) काश्यप अनुसार ६ मास

२) भािप्रकाश, योगरत्नाकर ४ मास

३) इतर सिघ ग्रंथकार १ १/२ मास or पुन: आतघि दशघन

[ सुश्रुत, िाग्भट, हाजरत, शारं गधर ] [ ४५ days ]

२६) Placenta

Placenta formation starts at ६th week & completes by १२th week of gestation.

Thickness of endometrium is maintained by corpus luteum.

And after formation of placenta, thickness of endometrium is maintained by


placenta.

Weight of placenta : Weight of baby at birth

१ : ६

189 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

At १७th week of gestation,

Weight of placenta : Weight of Fetus.

१ : १

Fully mature placenta weight = ५०० gm

Origin of placenta

Dual [ Maternal + Fetal both ]

Fetal part contributes more.

At birth we can consider that ४ out of ५ parts are of fetal


origin.

Out of amnion & chorion, the fetal membrane which contributes more to
formation of placenta ?

Chorion

Hence also termed as ‘Human chorionic placenta’.

Phagocytic cells in placenta are – “Hauf Bauer Cells”.

Tumors which can get me astated in placenta

[ i.e From mother to placenta ]

Melanoma, leukemia, lymphoma, breast cancer

Placental tumor which can get metastaked in fetus.

[ i.e From placenta to fetus ]

Melanoma

190 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

Commonest cause of antepartum Haemorrhage –

१) Placenta Previa [ Low lying placenta, i.e at OS ]

२) Abruptio placenta [ Premature separation of placenta ]

AUDIO ५

२७) Stages of Labour = ४

Primi Multigravida
१ Start of contraction to dilatation १२ hr ६ hr
of cervix
२ Dilatation of cervix २ hr ½ hr
To expulsion of fetus
४ Expulsion of fetus to expulsion १५ min १५ min
of placenta

* Q. Delayed placental expulsion ?

When placenta is expelled after ३० mins or more past expulsion of fetus.

i.e २ times the normal duration.

२८) [ सु. शा. ९ ] पुजरििह स्रोतस जिध्द ििण = आनाह

अन्निह स्रोतस जिध्द ििण = आध्मान

२९) रािर्ृक्ष = आरग्िध

महार्ृक्ष = तनुही

तनुहीिीर का शोधन वचचापत्र तिरस मे करे ।

िरक कल्पस्थान : तनुही के कल्प = २०

तनुही प्रकार = २ अल्पकंटक

बहु कंटक [ श्रेष्ठ ]

191 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

संग्रह जशजशरान्ते,

२-३ साि का िुप होने पर

३०) िव्यो के गर् :-

सुश्रुत = ३७ गण

िातहर = ९, जपत्तहर = ११, कफहर = १७

अष्टांग हृदय = ३३ गण

अष्टांग संग्रह = २५ गण

३१) सषवप तैल प्रयोग

१) अपरासंग की जचजकत्सा मे जसध्दाथघक तैि की उत्तरबस्तत दे ।

२) सिघप तैि कणघश्र्िेड के जचजकत्सा मे प्रयुक्त है । - सुश्रुत

३ )सपघ जिि के शोधनाथघ और संरिणाथघ सिघप तैि का प्रयोग करे – रसतरं जगणी।

AUDIO ६

३२) संस्कार :-

* जशशु नामकरण संतकार :-

सुश्रुत, चरक, अष्टांग हृदय अनुसार १० िे जदन पर

अष्टांग संग्रह अनुसार १०th ,१२th or १००th day or एक साि तक

* महर्भि दयानंद नुसार १६ संतकार करे ।

* [ काश्यप ] – सुयघदशघन अथिा चं िदशघन संतकार प्रथम मास

* [ काश्यप ] – जनष्क्रमण संतकार चतुथघ मास

* उपिेशन संतकार [ काश्यप ] ६th मास

[ अष्टांग हृदय ] ५th मास

* अजतउपिेशन से उत्पन्न व्याधी जनर्ात, अंगभेद, कटीदौबघल्य

192 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

* [ काश्यप ] – फिप्राशन संतकार ६th मास

* अन्नप्राशन संतकार काश्यप : १०th मास

सुश्रुत : ६th मास

भािप्रकाश, शारं गधर : ६th or ८th मास

* कणघिेधन संतकार सुश्रुत : ६th or ७th मास

िाग्भट : ६th, ७th or ८th मास

* सीमंतोनयन संतकार गभाितथा के ४ थे मास मे

बािक के बुध्दीिधघन के जिए यह संतकार करे ।

* चुडाकमघ / मुंडन संतकार ३ ििघ or ५ ििघ के आयु तक

* अिरिेखन संतकार ५ िे ििघ आयु मे

* उपनयन संतकार ५ िे ििघ आयु मे

[ आध्यास्त्मक िीिन ]

* समाितघन संतकार २५ ििघ आयु मे।

[ संपण
ू घ जशिण प्राप्त करने के बाद गृहतथाश्रय मे प्रिेश। ]

३३) धात्री मध्यम र्यस्क होनी िाचहए। - सुश्रुत

धात्री युर्ार्स्था की होनी िाचहए। - चरक

३४) र्ाग्भट अनुसार स्तन्य का अंिली प्रमार् = २ अंििी

३५) Specific gravity of breast milk = १.०३०

Content which prevents e-coli infection in child

Bifidus factor of breast milk.

Content which prevents p-vivax infection in child

PABA [ Para Amino Benzoic Acid ]

193 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

३६) शारं गधर अनुसार मांसरस यह क्र्ाथ की उपकल्पना है ।

३९) [ िरक सूत्रस्थान ] : िीर और रक्त िधघनाथघ – सुरा प्रयुक्त है ।

सर्व मद्य स्तन्यर्धव क है , अपर्ाद – जसधु मदय।

चरक, काश्यप अनुसार

* लहसून [ रसोन ] = Allium sativum

- Chemical content = Allyl propyl sulphide

* पलाण्डु = Allium sepa

- Chemical content = Allyl propyl disulphide.

पयायी िव्य –

१) शतार्री मेदा, महामेदा उपिब्ध ना होने पर

२) अश्र्गंधा काकोिी, िीरकाकोिी ना जमिने पर

३८) Formation of Milk i.e Galactopoesis [ Maintenance of lactation ]

Function of Prolactin

Prolactin is released from Anterior pitutary gland

* Ejection of milk i.e Galactokinetic Hormone

Function of oxytocin.

Oxytocin is released from hypothalamus but is Stored in posterior


Pitutory gland.

* Prolactin is natural contraceptive.

194 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

During breast feeding, prolactin level in blood is more thus GnRh [


Gonadotropin Releasing Factor / Hormone ] or estrogen [ Which promotes
ovulation ] are less in quantity.

This decreases the rate of ovulation.

३९) स्तन्यपचरक्षर्ाथव िल का उपयोग –

[ सु. शा. १० ] - अप्सु न्यततम् एकीभिम्।

शुध्द ततन्य िि मे एकिीि जमजश्रत होता है ।

[ सु. जन. १० ] - ििे अजप अिजसदजत।

कफदुजित ततन्य

- प्ििते अम्भजस।

िातदुजित ततन्य

४०) काश्यप अनुसार चशशु ने गर्वभर्ी माता का स्तन्यपान करने से, चशशु को पचरगर्वभक व्याधी
होता है ।

पजरगर्भभक व्याधी पयाय = अजहस्ण्ड, दुतकट्टा

पजरगर्भभक व्याधी जचजकत्सा दीपन

ििणे कास अस्ग्नसाद िमथु

तंिा काश्यघ अरुजच भ्रम

४१) िरक सुत्रस्थान - जिरुध्दाहार प्रकार = १८

४२) संचहता र्ैचशष्ये :-

१) काश्यप संजहता िेदना अध्याय, िेहन अध्याय

२) सुश्रुत उत्तरतंत्र तितथिृत्त अध्याय

195 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

३) अष्टांग हृदय शारीरतथान जिकृ जत जिज्ञान अध्याय

४) तंत्रभूिण अध्याय : सुश्रुत उत्तरतंत्र ६३, ६४, ६५, ६६

R रसभेद जिकल्प अध्याय - सु. उ. ६३

S तितथिृत्त अध्याय - सु. उ. ६४

T तंत्रयुस्क्त अध्याय - सु. उ. ६५

D दोिभेद जिकल्प अध्याय - सु. उ. ६६

५) िरक सूत्रस्थान के ३० अध्याय की रिना –

१) सप्तचतुष्क = २८ अध्याय

२) संग्रह अध्याय = २९ : दशप्राणायताजन अध्याय

+ ३० : अथेदशमहामूिीय अध्याय

४३) चशरो न धारये त्। यह लक्षर्

१) सुश्रुत अनुसार मुधघरोग व्याधी का ििण

२) काश्यप अनुसार अिसक व्याधी का ििण

Developmental milestone of Head stability & Neck stability is achieved at ३


months of age.

AUDIO ८

४४) काश्यप अनुसार िातमात्र बालक मे औषधी मात्रा

विडगफि जितनी

मात्र आमिकी फि से अजधक ना हो।

196 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

४५) िरक अनुसार ‘बदर के ३ प्रकार

१) कुिि २) बदर ३) ककघदु

बदर का समािेश चरक ने जिरे चनोपग महाकिाय मे जकया है ।

सिघ फिो का समािेश जिरे चनोपग महाकिाय मे जकया है ।

मात्र जत्रफिा का समािेश जिरे चनोपग के साथ ज्िरहर महाकिाय मे भी जकया है ।

४६) बालक मे बस्स्तकमव :-

* [ सुश्रुत शारीर १० ] – आत्यजयक अितथा के अिािा बािक को िमन, जिरे चन बस्तत ना दे ।

* काश्यप अनुसार – अध:ततन अन्नभुक्ता।

ततन्यपान छोडणेपर, अन्नप्राशन शुरु करने पर बािक मे बस्तत दे सकते


है ।

* काश्यप मे र्र्वर्त इतर आिायो का मत

१) गाग्यघ िन्म से

२) माठर १ मास के आयु के बाद

३) आत्रेय ४ मास के बाद

४) पाराशर ३ साि के बाद

५) भेि ६ साि आयु के बाद

४७) CSF Cerebro Spinal Fluid

Source of CSF production -

१) Choroid plexus

२) Ependymal cells

Daily Production = ५०० ml

197 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

Volume of CSF = १२० – १५० ml

[ Volume remained after absorption ]

* Fontanelles at birth = ०६

Anterior fontanelle closes at १८th month / १ ½ year

Posterior fontanelle closes at २ – ३ month.

४८) नाभी

- जसराममघ – रचनानुसार

- सद्यप्राणहर ममघ : पजरणाम अनुसार

नाभीरोग की संख्या = चरक = ४

िाग्भट = २

नाभीनालकतवन

१) िाग्भट अनुसार ४ अंगि


ु पर

२) इतर सिघ ग्रंथकार अनुसार ८ अंगि


ु पर

३) अष्टांग हृदय अनुसार कुष्ठ तैि का प्रयोग ।

चरक अनुसार िोध्राजद तैि का प्रयोग।

Umbilical Hernia = Ompholacoele.

Mayo’s Operation is done in amphalocoele.

At umbilicus a shade is formed as lymph flow above umbilicus drains into axillary
lymphnodes & below umbilicus lymph flow drains into inguinal.

Hence umbilicus is also called as Water shade line.

198 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

AUDIO ९

सुश्रुत शारीर – ‘नाभी’ को ज्योजततथान कहा है ।

नाभीकंु डि व्याधी का िणघन रसरत्नसमुच्चय मे जकया है ।

४९) अंिन

- रसरत्नसमुच्चय अनुसार ५ अंिन प्रकार

१) सौिीरांिन = Sb२S३

२) स्रोतोंिन = Sb२S३

३) नीिांिन = PbS

४) पुष्पांिन = ZnO

५) रसांिन = HgO [ Yellow oxide of Mercury ]

रसििजनधी अनुसार – ०६ अंिन प्रकार

Author – भूदेि मुखिी

उपरोक्त ५ अंिन, अजधक कुित्थांिन

* रसांिन रसशाि = HgO

िव्यगुर् = Berbery’s Extract.

दारुहजरिा का र्न क्िाथ

५०) मातृ स्तन्य के अभार् मे –

१) सुश्रुत अनुसार गोिीर, अििीर का उपयोग करे ।

२) िाग्भट अनुसार िर्ुपंचमूिजसध्द क्िाथ का उपयोग करे ।

ततन्यजनर्भमती व्यिस्तथत ना हो तो, ततन्यिधघनाथघ

199 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

तृणपंचमूि का क्िाथ का प्रयोग करे ।

५१) Vitamin K content of Human Milk is १/४th to cow milk.

५२) अन्नप्राशन सुश्रुत = ६th मास से

काश्यप = १०th मास से।

िांगि मांस भी १० िे मास से सेिनाथघ दे ।

अन्न की मात्रा = बािक के अंगष्ु ठ िीतनी

i.e ३ – ५ Bites

भािप्रकाश, शारं गधर अनुसार अन्नप्राशन ६th or ८th मास से

काश्यप अनुसार फिप्राशन ६th मास से

५३) Puerperium

The period required after chidhirth, for mother’s reproduction organs to


return to their original non-pregnant conditions.

{ After delivery, time required to revert back the changes in uterus. }

This period is of ६ weeks

* Past – delivery, how many days are required for uterus to become pelvic organ ?

१२ days

200 | P a g e
DR. AJIT PATIL’S PGA-CET CLASSES

201 | P a g e

You might also like