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2003 0

ूज कमट

काल गणना की भारतीय प ित


संपादकीय ारा ो. योगेश चं शमा

िव ान के अनुसार िव का सबसे छोटा त परमाणु है । हमारे ाचीन िव ानों ने भी कालच का वणन करते समय काल की सबसे
छोटी इकाई के प म परमाणु को ही ीकारा है । वायु पुराण म िदए गए िविभ काल खंडों के िववरण के अनुसार , दो परमाणु
िमलकर एक अणु का िनमाण करते ह और तीन अणुओं के िमलने से एक सरे णु बनता है । तीन सरे णुओं से एक ुिट , 100 ुिटयों से
एक वेध , तीन वेध से एक लव तथा तीन लव से एक िनमेष ( ण) बनता है । इसी कार तीन िनमेष से एक का ा , 15 का ा से एक लघु
, 15 लघु से एक नािडका , दो नािडका से एक मु त , छह नािडका से एक हर तथा आठ हर का एक िदन और एक रात बनते ह।
िदन और राि की गणना साठ घड़ी म भी की जाती है । तदनुसार चिलत एक घंटे को ढाई घड़ी के बराबर कहा जा सकता है । एक
मास म 15-15 िदन के दो प होते ह। शु प और कृ प । सूय की िदशा की ि से वष म भी छह-छह माह के दो प माने गए
ह- उ रायण तथा दि णायन। वैिदक काल म वष के 12 महीनों के नाम ऋतुओं के आधार पर रखे गए थे। बाद म उन नामों को न ों
के आधार पर प रवितत कर िदया गया , जो अब तक यथावत ह। चै , वैशाख , े , आषाढ़ ावण , भा पद , आि न , काितक ,
मागशीष , पौष , माघ और फा ुन। इसी कार िदनों के नाम हों के नाम पर रखे गए- रिव , सोम (चं मा) , मंगल , बुध , गु , शु
और शिन। इस कार काल खंडों को िनि त आधार पर िनि त नाम िदए गए और पल-पल की गणना की गई। काल गणना से
संबंिधत हमारे ाचीन सािह म मानव वष और िद वष म भी अंतर िकया गया। मानव वष , मनु ों का वष है , जो सामा त: 360
िदन का होता है । आव कता के अनुसार उसम घटत- बढ़त होती रहती है । िद वष दे वताओं का वष है । वहां छह मास का िदन
और छह मास की राि होती है । मनु ों के 360 वष िमलकर दे वताओं का एक िद वष होता है । मानव की सामा आयु 100 वष
मानी गई है और दे वताओं की 1000 िद वष। कुछ लोगों को दे वताओं के अ पर संदेह होता है , मगर भारतीय काल गणना का
प हम उनको या उनके जैसी िकसी अ श को ीकारने के िलए े रत करता है । भारत म सबसे पुराना संव र , सृि -
संव र माना गया है । इसका ारं भ सृि के िनमाण से आ और सृि के अंत के साथ ही इस संव र का भी अंत होगा। यही सृि -
संव र , एक क का ा का एक िदन माना गया है । सृि संव र की पूरी गणना ाचीन ंथों म दी ई है । उसके अनुसार 2005 म
सृि और उसके साथ सूय को बने 1,96,08,53,105 मानव वष तीत हो चुके ह। सृि की कुल आयु 4320000000 वष मानी गई है ।
इसम से वतमान आयु िनकालकर सृि की शेष आयु 2,35,91,46,895 वष है । तदु परां त महा लय िनि त है । इसके बाद ा की राि
ारं भ होगी। यह राि 4320000000 मानव वष की ही होगी , िजसे लय कहा गया है । इसके उपरां त सृि के पुनिनमाण के साथ ा
का नया िदन शु होगा। इस कार ा का एक अहोरा 8640000000 मानव वष का होता है । ा को परमे ी मंडल की सं ा दी
गई है , िजसके चारों और सूय च र लगाता है । ा के अहोरा को 360 से गुणा करने पर एक ा वष बनता है तथा उसे 100 से
गुणा करने पर ा युग होता है । इसी कार काल गणना का म आगे चलता है । यहां यह है िक आधुिनक िव ान के अनुसार
भी एक ऐसा क िबंदु है , िजसके चारों ओर सभी आकाशगंगाएं च र लगाती ह। संभवत: इस क िबंदु को ही हमारे यहां परमे ी
मंडल या ा की सं ा दी गई है । इसी कार दे वताओं की आयु का संबंध िविभ न ों या आकाशगंगाओं की आयु से हो सकता है ।
सृि के पूव संपूण जीवन को भी अनेक खंडों म बां टा गया है । इसके अनुसार कुल 15 म र होते ह , िजनम से ेक म र
का अिधपित एक मनु होता है । 14 म रों म से ेक म 71 चतुयुगी ( कृत युग या सतयुग , ेता युग , ापर युग तथा किलयुग) होती
ह। 15 व म र म केवल छह चतुयुगी होंगी। चतुयुगी को महायुग भी कहा गया है ।

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