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12/1/2017 History of Vavaswat Manu | वैव त मनु के इितहास की परे खा | Webdunia

वैव त मनु के इितहास की


परे खा
भारतीय कुल का इितहास भाग-4

अिन जोशी 'शतायु'|

भारत दे श का ाचीन नाम आयावत है । आयावत के

पूव इसका कोई नाम नही ं था। कही ं-कही ं ज ू ीप का

उ ेख िमलता है । कुछ लोगों का मानना है िक इसे

पहले 'अजनाभ खंड' कहा जाता था। अजनाभ खंड का

अथ ा की नािभ या नािभ से उ ।

WD
लेिकन वेद-पुराण और अ धम ंथों के साथ वै ािनक

शोधों का अ यन कर तो पता चलता है िक मनु वअ

जीव-जंतुओं की वतमान आिद सृि (उ ि ) िहमालय के

आसपास की भूिम पर ई थी िजसम ित त को इसिलए

मह िदया गया ोंिक यह दु िनया का सवािधक ऊँचा

पठार है । िहमालय के पास होने के कारण पूव म भारत वष

को िहमवष भी कहा जाता था।> >वेद-पुराणों म ित त को


ि िव प कहा गया है । महाभारत के महा थािनक पव म

गारोहण म िकया गया है िक ित त िहमालय के

उस रा को पुकारा जाता था िजसम नंदनकानन नामक

दे वराज इं का दे श था। इससे िस होता है िक इं गम

नहीं धरती पर ही िहमालय के इलाके म रहते थे। वहीं िशव

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और अ दे वता भी रहते थे।

पूव म यह धरती जल लय के कारण जल से ढँ क गई थी।

कैलाश, गोरी-शंकर की चोटी तक पानी चढ़ गया था। इससे

यह िस होता है िक संपूण धरती ही जलम हो गई थी,

लेिकन िव ानों म इस िवषय को लेकर मतभेद ह। कुछ का

मानना है िक कहीं-कहीं धरती जलम नहीं ई थी। पुराणों

मउ ेख भी है िक जल लय के समय ओंकारे र थत

माकडे य ऋिष का आ म जल से अछूता रहा।

कई माह तक वैव त मनु (इ ादे व भी कहा जाता है )

ारा नाव म ही गुजारने के बाद उनकी नाव गोरी-शंकर के

िशखर से होते ए नीचे उतरी। गोरी-शंकर िजसे एवरे की

चोटी कहा जाता है । दु िनया म इससे ऊँचा, बफ से ढँ का

आ और ठोस पहाड़ दू सरा नहीं है ।

ित त म धीरे -धीरे जनसं ा वृ और वातावरण म तेजी

से होते प रवतन के कारण वैव त मनु की संतानों ने

अलग-अलग भूिम की ओर ख करना शु िकया। िव ान

मानता है िक पहले सभी ीप इक े थे। अथात अमे रका

ीप इधर अ ीका और उधर चीन तथा स से जुड़ा आ

था। अ ीका भारत से जुड़ा आ था। धरती की घूणन गित

और भू-गभ य प रवतन के कारण धरती ीपों म बँट गई।

ND
इस जुड़ी ई धरती पर ही िहमालय की िन ेिणयों को पार

कर मनु की संतान कम ऊँचाई वाले पहाड़ी िव ारों म

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बसती गईं। िफर जैसे-जैसे समु का जल र घटता गया वे

और भी म भाग म आते गए। राज थान की रे िग ान इस

बाद का सबूत है िक वहाँ पहले कभी समु आ करता था।

दि ण के इलाके तो जल लय से जलम ही थे। लेिकन

ब त काल के बाद धीरे -धीरे जैसे-जैसे समु का जल र

घटा मनु का कुल पि मी, पूव और दि णी मैदान और

पहाड़ी दे शों म फैल गए।

जो िहमालय के इधर फैलते गए उ ोंने ही अखंड भारत की

स ूण भूिम को ावत, ािषदे श, म दे श, आयावत

एवं भारतवष आिद नाम िदए। जो इधर आए वे सभी मनु

आय कहलाने लगे। आय एक गुणवाचक श है िजसका

सीधा-सा अथ है े । यही लोग साथ म वेद लेकर आए थे।

इसी से यह धारणा चिलत ई िक दे वभूिम से वेद धरती पर

उतरे । ग से गंगा को उतारा गया आिद अनेक धारणाएँ ।

इन आय के ही कई गुट अलग-अलग झुंडों म पूरी धरती

पर फैल गए और वहाँ बस कर भाँ ित-भाँ ित के धम और

सं ृ ित आिद को ज िदया। मनु की संतान ही आय-

अनाय म बँटकर धरती पर फैल गईं। पूव म यह सभी दे व-

दानव कहलाती थीं। इस धरती पर आज जो भी मनु ह वे

सभी वैव त मनु की ही संतान ह इस िवषय म िव ानों म

मतभेद ह। यह अभी शोध का िवषय है ।

भारतीय पुराणकार सृि का इितहास क म और सृि म

मानव उ ि व उ ान का इितहास मव रों म विणत

करते ह। और उसके प ात् म रों का इितहास युग-

युगा रों म बताते ह।

' ाचीन ों म मानव इितहास को पाँ च क ों म बाँ टा गया

है । (1). हमत् क 1 लाख 9 हजार 8 सौ वष िव मीय पूव

से आर होकर 85800 वष पूव तक, (2). िहर गभ

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क 85800 िव मीय पूव से 61800 वष पूव तक, ा

क 60800 िव मीय पूव से 37800 वष पूव तक, (3).

ा क 60800 िव मीय पूव से 37800 वष पूव तक,

(4). पा क 37800 िव म पूव से 13800 वष पूव तक

और (5). वराह क 13800 िव म पूव से आर होकर

इस समय तक चल रहा है ।

अब तक वराह क के ाय ु मनु, रोिचष मनु, उ म

मनु, तमास मनु, रे वत-मनु चा ुष मनु तथा वैव त मनु के

म र बीत चुके ह और अब वैव त तथा साविण मनु की

अ दशा चल रही है । साविण मनु का आिवभाव िव मी

स त ार होने से 5630 वष पूव आ था।'-- ीराम शमा

आचाय (गाय ी श पीठ)

िगनीज बुक ऑफ व रकाड् स ने क को समय का

सवािधक ल ा मापन घोिषत िकया है ।

ि िव प अथात ित त या दे वलोक से वैव त मनु के नेतृ

म थम पीढ़ी के मानवों (दे वों) का मे दे श म अवतरण

आ। वे दे व ग से अथवा अ र (आकाश) से पिव वेद

पु क भी साथ लाए थे। इसी से ुित और ृित की

पर रा चलती रही। वैव त मनु के समय ही भगवान िव ु

का म अवतार आ।

वैव त मनु की शासन व था म दे वों म पाँच तरह के

िवभाजन थे: दे व, दानव, य , िक र और गंधव।

वैव त मनु के दस पु थे। इल, इ ाकु, कुशनाम,

अ र , धृ , न र , क ष, महाबली, शयाित और

पृषध पु थे। इसम इ ाकु कुल का ही ादा िव ार

आ। इ ाकु कुल म कई महान तापी राजा, ऋिष,

अ रहं त और भगवान ए ह। इित।

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राजा मनु और नूह...

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12/1/2017 भारतवष की मिहमा in Hindi

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ॉग ारा Madhurita Jha (https://hindi.speakingtree.in/madhurita-jha)

भारतवष की सबसे
मिहमा िस

ये पृ ी स ीपा है । इनके नाम ह -


ज ू ीप, ीप, शा िल ीप, (https://hindi.speakingtree.in/blog/
कुश ीप, ौंच ीप, शाक ीप, तथा िज़ गी)
पु र ीप । सातों ीपों के म ज ू ीप िज़ गी!
है । ज ू ीप के अिधपित महाराज आ ी (https://hindi.speakin
के नौ पु ए - िजनके नाम थे - नािभ, िज़ गी)
िक ु ष, ह रवष, इलावृत, र क,
िहर य, कु , भ ा और केतुमाल ।
राजा आ ी ने ज ू ीप के नौ खंड कर
अपने ेक नौ पु ों को वहाँ का राजा
बनाया । इन खंड़ो का िव ार नौ नौ हजार
योजन बताया गया है । इ ीं पु ों के नाम से (https://hindi.speakingtree.in/blog/
शिनवार-2-िदसंबर-का-रािशफल)
नौ वष (अथात् खंड ) िस ये ।
शिनवार 2 िदसंबर का
राजा नािभ के नाम से ही एक वष अथात् एक खंड का नाम अजनाभ वष आ । राजा नािभ (https://hindi.speakin
शिनवार-2-िदसंबर-क
एवं उनकी प ी मे दे वी के एक पु थे िजनका नाम था ऋषभदे व । ऋषभेदव जी के सबसे
बड़े पु का नाम था भरत ।

(https://hindi.speakingtree.in/blog/
राजा भरत िपय-सदा-सुभाष-बुड़ावन-वाला)

े ी
https://hindi.speakingtree.in/blog/content-428728 े ो ि 1/5
12/1/2017 भारतवष की मिहमा in Hindi
वे अ ंत तापी तथा धमा ा थे, अतः अजनाभ वष का नाम हो गया भारतवष । िपय सदा !-सुभाष बुड़
(https://hindi.speakin
‘‘अजनाभं नामऐत ारा ष भारतिमित ।’’ िपय-सदा-सभाष-बड़ाव
ा पृ ी का यही खंड जहाँ हम लोग रहते ह , भारतवष है ? इसका माण ा है ?
शा ों म बताया गया है की भारतवष म नर-नारायण ह | इसी भारतवष म भगवान ीह र नर-
नारायण प म है । केदारनाथ, ब ीनाथ के रा े म दो पवत नर और नारायण ह ऐसा माना
जाता है िक दे विष नारद जी भगवान की आराधना नर-नारायण के प म करते ह ।
(https://hindi.speakingtree.in/blog/how
the-tongue-colour-reveal-about-health
और दे ख (https://hindi.speakingtree.in/blog-
list)

सम ीिकंग टी मेरी ोफाइल

आज िवगत स ाह िवगत माह

Navjot 1
Mehta म
S I LVER
1000
ाइं ट
(http://mytimes.indiatimes.com/profile/3000110

Apail 2
Kapoor म

और जान (http://www.timespoints.com)

नर और नारायण पवत संबंिधत


लेख
िव ु पुराण म भी भारतवष की थित के बारे म बताया गया है

उ रं य मु िहमा े चैव दि णम् ।


वश तद् भारतं नाम भारती य संतितः ।। (https://hindi.speakingtree.in/blog/
ऐसा भूख जो समु के उ र तथा िहमालय से दि ण म थत है वही भारतवष है और िवचार-से-िववेक-होता-है )
वहीं पर च वत भरत जी की संतित िनवास करती है ।पुराणों के आधार पर इस भारतवष का
िवचार से िववेक होता ह
िव ार 9000 योजन माना जाता है । एक योजन म 9 मील माना जाता है । अतः भारतवष का (https://hindi.speakin
िव ार 81000 मील माना जा सकता है । िवचार-से-िववेक-होता

भारतवष अ वष से े है ों िक यह कम भूिम है तथा अ वष भोग भूिमयाँ ह -


‘यतो िह कमभूरेशा तो ा भोगभूमयः’ (िव ुपुराण) ।

ऐसा कहा जाता है िक मानव भगवान की सु रतम रचना है और मानव को तं ता है


(https://hindi.speakingtree.in/blog/
कम को करने की । अ े कम के ारा मानव अपना उ ार कर सकता है । ऐसी तं ता अमृत-का-िव ार)
दे वताओं को भी ा नहीं है ोंिक वह भोगयोिन है । परं तु मनु ों म भी भारतवष म ज
लेने वाले को ही ऐसी तं ता ा है ोंिक भारतवष कमभूिम है तथा अ वष भोगभूिम है अमृत का िव ार
(https://hindi.speakin
। यही कारण है िक पृ ी पर भारतवष के अित र कहीं भी कम िविध नहीं है । उसका अमत-का-िव ार)
िवधान हमारे वणा म व था म है । वणा म व था सनातन धम का मूल है । सभी वणा◌े
तथा आ मों म पूणतया िति त मनु जीवन के सव म ल मो को ा करने का
अिधकारी होता है । यहाँ पर पैदा होने वाले मनु अपने-अपने कम के आधार पर ग तथा
अपवग ा कर सकते ह । इसिलए संसार के िकसी अ धम म वणा म व था का
िवधान नहीं है । अ धम भोग को बढ़ावा दे ता है परं तु सनातन धम योग को बढावा दे ता है ।
अतः भारतवष म पैदा होने वाले ाणी अ जगहों पर पैदा होने वालों से अिधक बु होता है (https://hindi.speakingtree.in/blog/
। भारतवष का कण-कण ऊजा से भरा आ तीथ है िजसने भी भारतवष की पदया ा की है जीव-का- भाव)
उ नई ऊजा तथा िदषा िमली है । पा वों ने भारतवष की पदया ा की थी वनवास काल म जीव का भाव
तभी उ नई ऊजा िमली और धमरा की थापना ई । भगवान राम ने भी वनवास काल म (https://hindi.speakin
भारतवष की पदया ा की तभी वह रामरा थािपत करने म सफल रह । आिदशंकराचाय ने जीव-का- भाव)
भारतवष की पदया ा कर िद जय िकया और भारतवष के एकता के सू को और भी
मजबूत िकया । वतमान काल म भी महा ा गां धी ने पूरे भारतवष की पदया ा की तभी वे
ि िटश सा ा का नाश कर पाये ।
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12/1/2017 भारतवष की मिहमा in Hindi
भारतवष अपने आप म तीथ है िजस तरह तीथ थानों की प र मा से नई ऊजा िमलती है उसी
तरह भारतवष की प र मा से भी नई ऊजा िमलती है । ये यं मािणत है । आप यहाँ पर
िकसी से भी भा , भगवान, आ ा, परमा ा के बारे म बात करके दे ख सकते ह सभी के पास
कुछ-न-कुछ अपने िवचार होते ह और वे िवचार हमारे िकसी-न-िकसी शा म विणत होते ह (htt //hi di ki t और i /blदे ख /
। हलाँ िक वे उन शा ों से हो सकता है अवगत नही हों । इसिलये यहाँ पर मनु ही नहीं (https://hindi.speakingtree.in/blog-list)

दे वता भी ज लेकर य यागािद अ े कम के ारा पु अिजत कर अ े लोकों म जाना


चाहते ह । हमारे सनातन धम म ही भगवान के अवतार लेने की बात है । अ धम मे नहीं
ोंिक सनातन धम भारतवष म ही चिलत है और यह भारतवष योगभूिम है । अतः यहाँ पर
नये कम िकये जा सकते है और अ ख ों म नये कम नहीं हो सकते है - केवल पुरातन
कम का भोग ही हो सकता है । अतः दे वगण भी यही गान करते ह -

गाय दे वाः िकल गीतकािन


ध ा े तु भारतभूिम भागे ।
गापवगा दमागभूते
भव भूयः पु षाः सुर ात् ।।
( ीिव ुपुराण 2/3/24)

अथात् िज ोंने ग और अपवग के मागभूत भारतवष म ज िलया है , वे पु ष हम


दे वताओं की अपे ा भी अिधक ध ह ।
---

मधु रता झा

37 } कमट पढ़ कमट िलख


कमट

अ रोचक कहािनयां
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kaa-mntra) मूलम ) utna-hi-swbhav-bigdega) जायगी-तो-सब-काम-सुधर-जायगा)
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kaa-mntra) utna-hi-swbhav-bigdega) जायगी-तो-सब-काम-सुधर-जायगा)

खुश रहने का मं उ ित का मूलम िजतना सुख भोगगे, उतना ही आदत सुधर जायगी तो सब काम
(https://hindi.speakingtree.in/bl (https://hindi.speakingtree.in/bl भाव िबगड़े गा सुधर जायगा
(https://hindi.speakingtree.in/blog/कामयाब-होने- (https://hindi.speakingtree.in/blog/bhokttv-ki- (https://hindi.speakingtree.in/slideshow/intelligen(https://hindi.speakingtree.in/slideshow/the-
के-िलए-पहले-अपने-आपको- ीकार-करना-है ) bhavna-ka-ant-hone-par-swroop-ka-gyan-hota- zodiac-signs-in-hindi) luckiest-zodiac-signs-in-astrology-in-hindi)
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के-िलए-पहले-अपने-आपको- ीकार-करना-है ) hai) zodiac-signs-in-hindi) luckiest-zodiac-signs-in-astrology-in-hindi)

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12/1/2017 संक मं म ों बोला जाता है - ज ू ीपे भरतख े .... | Webdunia

संक मं म ों बोला
जाता है - ज ू ीपे
भरतख े ....

पं. हे म रछा रया|

हमारे सनातन धम म पूजा-पाठ व कमका


म संक का िवशेष मह होता है । ऐसी
मा ता है िक िबना संक िकए कोई पूजा-पाठ

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12/1/2017 संक मं म ों बोला जाता है - ज ू ीपे भरतख े .... | Webdunia

सफ़ल नहीं होता। इसिलए ेक कमका से


पूव यजमान का संक करवाना आव क है ।
लेिकन ा आप जानते ह िक जब प तगण
आपसे िकसी काय हे तु संक करवाते ह तब
संक के उ ारण म 'ज ू ीपे भरतख े' ों
बोलते ह?

ऐसा इसिलए बोला जाता है ोंिक भारत


िजसका पूव नाम अजनाभ वष था, ज ू ीप म
थत है , िजसके ामी महाराज आ ी थे।
आ ी ाय ुव मनु के पु ि य त के े
पु थे। ि यवत सम भू-लोक के ामी थे।
उनका िववाह िव कमा की पु ी बिह ती से
आ था। महाराज ि य त के दस पु व एक
क ा थी। महाराज ि य त ने अपने सात पु ों
को स ीपों का ामी बनाया था, शेष तीन
पु बाल- चारी हो गए थे। इनम आ ी को
ज ीप का ामी बनाया गया था। आ ी के
पु महाराज नािभ एवं महाराज नािभ के पु
ऋषभदे व थे िजनके पु च वत स ाट भरत के
नाम पर इस दे श का नाम भारत पड़ा।

http://hindi.webdunia.com/astrology-articles/mystery-of-hindu-sankalp-mantra-117111100041_1.html 2/2

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