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श्रीरामरक्षास्तोत्र पाठ कै से करे ? Ramraksha stotra | karmkandbyanandpathak


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by karmkandbyanandpathak - 2:27 PM 0

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श्रीरामरक्षास्तोत्र
श्रीरामरक्षा स्तोत्र बहुत ही लाभदायक और फलदायक है |
यह स्तोत्र बुधकौशिक ऋषि से प्राप्त हुआ है | Popular Posts
बुधकौशिकऋषि को भगवान् शिव ने स्वप्न में यह स्तोत्र दिया था | माँ सीता इस स्तोत्र की शक्ति है |
भगवान् श्रीराम इसके देवता है | महाबली हनुमान कीलक है | इस स्तोत्र में हमारे अङ्गों की रक्षा के लिये प्रार्थना की गयी है और साथ
में श्रीराम की स्तुति भी है | सीताराम की प्रसन्नता के लिए इस स्तोत्र का पाठ करना चाहिए |
यह स्तोत्र हनुमानजी द्वारा कीलित है इसलिए इस स्तोत्र के प्रारम्भ में हनुमान जी के किसीभी मंत्र का प्रयोग करे या हनुमान  JYOTISH
चालीसा का पाठ कर इसका आरम्भ करे | और पाठ पूर्ण हो जाने के बाद पुनः हनुमानजी के मंत्र या चालीसा के द्वारा हनुमानजी को
प्रार्थना करे | 12 राशि नाम और अक्षर | बारह राशि
किन्तु महत्वपूर्ण बात यह है इस स्तोत्र की इसे सिद्ध करके ही इसका पाठ करना चाहिए अतः फलप्राप्ति में कोई संदेह ना रहे | के नाम | 12 Rashi naam |
इसे सिद्ध करने के लिये चैत्र नवरात्र या आश्विन नवरात्र का समय सर्वश्रेष्ठ है | by karmkandbyanandpathak - 4:50 AM

इन नवरात्रो में नव दिनों तक इस स्तोत्र का ११ बार पाठ करने से यह सिद्ध हो जायेगा इसके पश्चात प्रतिदिन इसका सिर्फ एक पाठ
करने से सीताराम की पूर्ण कृ पा प्राप्त होगी | क्षमा प्रार्थना हिंदी अनुवाद सहित
| Kshama Prarthana |
3:10 AM

श्री सांपुटिक श्री सूक्त | घोर


दरिद्रता निवारण उपाय |
Samputik Shri Sukta | Shri
Sukta |
11:51 AM

श्री त्रैलोक्य विजया अपराजिता


स्तोत्र | Shri Trailokya
Vijaya Aprajita Stotra |
2:57 PM

नवार्ण मंत्र साधना | माँ दुर्गा का


शक्तिशाली मंत्र | Navarna
mantra | Durga mantra |
5:45 PM

रामरक्षास्तोत्र संतान प्राप्ति गणेश स्तोत्र |


पुत्र प्राप्ति स्तोत्र | संतान
गणपति स्तोत्र | Santan
श्री रामरक्षा स्तोत्र ganpati stotra | Putra prapti
अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य बुशकौशिक ऋषिः श्रीसीतारामचन्द्रो देवता अनुष्टुप छन्दः सीताशक्तिः श्रीमान हनुमान कीलकं
stotra |
8:47 AM
श्रीरामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्तोत्र जपे

विनियोगः
ध्यानं Comments
ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थं
पीतं वासो वसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम | nana
वामांङ्कारूढ़सीतामुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभं जनाऊ अभिमंत्रण कॆ से करते हॆ?

नानालङ्कारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डलं रामचंद्रम ||


What happens next...?
चरितं रघुनाथस्य शतकोटि प्रविस्तरम् |
Pls tell why 12000 laghuanusthana?If we
एकै कमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् || do 12000 ...

ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् |


जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकु टधारिणम् || Jemit
Iska arth mil sakta hai?

सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तंचरान्तकम् |
स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम् ||
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रामरक्षां पठेत प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम् |
शिरो में राघवः पातु भालं दशरथात्मजः || 108 Naam Aarti Jyotish

कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रियः श्रुती | Karmkand Mantra Navgrah

घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रीवत्सलः || Stotra Vaastushastra VratKatha

जिह्वां विद्यानिधिः पातु कण्ठं भरतवन्दितः |


स्कन्धौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः ||

करौ सीतापतिः पातु हृदयँ जामदग्न्यजित |


मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रयः ||

सुग्रीवेशः कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभुः |


ऊरु रघूत्तमः पातु रक्षःकु लविनाशकृ त ||

जानुनी सेतूकृ त पातु जङ्घे दशमुखान्तकः |


पादौ विभीषणश्रीदः पातु रामोऽखिलं वपुः ||

एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृ ती पठेत |


स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत् ||

पातालभूतलव्योमचारिणश्छद्मचारिणः |
न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभिः ||

रामेति रामभद्रेति रामचन्द्रेति वा स्मरन |


नरो न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ||

जगज्जैत्रेकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम |
यः कण्ठे धारयेत्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः ||

वज्रपञ्जरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत |


अव्याहताज्ञः सर्वत्र लभते जयमङ्गलम ||

आदिष्टवान यथा स्वप्ने रामरक्षामिमं हरः |


तथा लिखितवान प्रातः प्रबुद्धों बुधकौशिकः ||

आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम |


अभिरामस्त्रिलोकानां रामः श्रीमान स नः प्रभुः ||

तरुणौ रुपसंपन्नौ सुकु मारौ महाबलौ |


पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृ ष्णाजिनाम्बरौ ||

फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ |


पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ||

शरण्यौ सर्वसत्त्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम् |


रक्षःकु लनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ ||

आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशा वक्षयाशुगनिषङ्गसङ्घिनौ |
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणा वग्रतः पथि सदैव गच्छताम् ||

सन्नद्धः कवची खड्गी चापबाणधरो युवा |


गच्छन मनोरथान नश्च रामः पातु सलक्ष्मणः ||

रामो दाशरथिः शूरो लक्ष्मणानुचरो बली |


काकु त्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्येयोरघूत्तमः ||

वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरुषोत्तमः |


जानकीवल्लभः श्रीमानप्रमेयपराक् रमः ||

इत्येतानि जपन नित्यं मद्भक्तः श्रद्धयान्वितः |


अश्वमेधाधिकं पुण्यं संप्राप्नोति न संशयः ||

रामं दूर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम |


स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नराः ||

रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुन्दरं


काकु त्स्थं करुणार्णव गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम् |
राजेन्द्रं सत्यसङ्घं दशरथतनयं श्यामलं शान्तमूर्तिं
वन्देलोकाभिरामं रघुकु लतिलकं राघवँ रावणारिम् ||

रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे |


रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः ||

श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम श्री राम राम भरताग्रज राम राम |
श्रीराम राम रणकर्क श राम राम श्रीराम राम शरणं भव राम राम ||

श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि श्रीरामचन्द्रचरणौ वचसा गृणामि |


श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ||

माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्रः |


सर्वस्वं में रामचन्द्रो दयालु र्नान्यं जाने नैव जाने न जाने ||

दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मजा |


पुरतो मारुतिर्यस्य तँ वन्दे रघुनन्दनम् ||

लोकाभिरामं रणरङ्गधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम् |


कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये ||

मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् |


वातात्मजं वानरययूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ||

कू जन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम् |


आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम् ||

आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम् |


लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ||

भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसम्पदाम् |


तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम् ||

रमोराजमणिः सदा विजयते रामं रमेशं भजे


रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः |
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोऽस्म्यहं
रामे चित्तलयः सदा भवतु में भो राम मामुद्धर ||

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे |


सहस्त्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ||

|| इति श्रीबुधकौशिकमुनिविरचितं श्रीरामरक्षास्तोत्रं सम्पूर्णम् ||

Tags: Stotra

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karmkandbyanandpathak
नमस्ते मेरा नाम आनंद कु मार हर्षद भाई पाठक है । मैंने संस्कृ त पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है । ।।
मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड
विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद

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