Humayuns Tomb हिस्ट्री

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हुमायूँ का मकबरा जो अपने अं दर के सारे रहस्य को छु पाए हुए है

हुमायूँ का मकबरा वास्तु शिल्प का एक उत्क्रिस्ट नमूना है। यह भारत में बना हुआ पहला

उद्यान मकबरा है। यह मुग़ल बादशाह हुमायु का मकबरा है। इसे अब UNESCO की

विश्व धरोहर में भी शामिल कर लिया गया है।

हुमायूँ का मक़बरा निजामुद्दीन दरगाह के निकट और यमुना नदी के किनारे बना हुआ

है।

हुमायूँ के मक़बरे का इतिहास

हुमायूँ का मक़बरा का निर्माण मुग़ल सम्राज्य के शासक अकबर ने करवाया था। मिराक

मिर्जा घियास हुमायूँ के मक़बरा के वास्तुकार थे।


हुमायूँ की मृत्यु के करीब नौ वर्षो के बाद मकबरे का कार्य शुरू हुआ था। वर्ष 1565 में

मकबरे का निर्माण कार्य शुरू हुआ था और 1572 में मकबरे का निर्माण कार्य पूरा हो

गया था।

इस मकबरे का का निर्माण कार्य हुमायु की पत्नी बेगम हमीदा बनो बेगम के आदेश पर

हुआ था। बेगम हमीदा बनो बेगम ने ही मकबरे के निर्माण कार्य के लिए धन राशि दी थी।

हुमायूँ के मक़बरे में हुमायूँ की कब्र के साथ साथ 150 कब्रे है। यहाँ पर हुमायूँ की पत्नी

बेगम हमीदा बानो बेगम की कब्र भी है। इन के साथ साथ यहाँ हुमायूँ के शाही नाइ की

कब्र भी है।

यहां पर हुमायूँ के द्वारा उपयोग होने वाली पगड़ी , तलवार , जूते आदि भी रखे हुए है।

हुमायूँ के मक़बरे में आपको विशेष प्रकार की कारीगरी देखने के लिए मिलेगी जो की

इसकी सुं दरता में चार चाँद लगाती है।

आज के समय में मकबरे के देख रेख आगा खान ट्रस्ट करती है साथ साथ यहाँ पुरातत्व

विभाग की खोज भी चलती रहती है।

हुमायूँ के मक़बरे की वास्तुकला

हुमायूँ का मकबरा मुग़ल और फारसी शैली में बना हुआ है। हुमायूँ का मकबरा करीब 27

हेक्टेयर में फै ला हुआ है।

हुमायूँ के मक़बरे का निर्माण करते वक़्त चारबाग़ शैली का ध्यान रखा गया है।

हुमायूँ के मक़बरे का निर्माण करने के लिए भारतीय कारीगरों के साथ साथ फ़ारसी

कारीगरों को भी बाहर से बुलाया गया था।


यहाँ पर हुमायूँ के मक़बरे को एक ऊँ चे और सीढ़ीनुमा मं च पर बनाया गया है। साथ साथ

इसके चरिओ तरफ कमरे बने हुए है।

इस मक़बरे का सबसे ऊँ चा गुम्बद करीब 42 मीटर की ऊं चाई पर बना हुआ है।

मक़बरे के चारो तरफ बगीचा बना हुआ है जिससे की चार रस्ते मक़बरे की ओर गए है।

इसी को चार बाग़ शैली कहा जाता है।

हुमायूँ के मक़बरे की एं ट्री फी

हुमायूँ के मक़बरे में घूमने के लिए भारतीय पर्यटकों को 30 रूपए का टिकट लेना

होगा।

विदेशी पर्यटकों के लिए 500 रूपए का टिकट है।

“हुमायूँ का मक़बरा” घूमने का समय

हुमायूँ का मक़बरा सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे का खुला रहता है। आप किसी भी समय

जाकर घूम सकते है।

यदि आप सुबह सूर्य उदय के समय जाते है यहां तो यह सबसे बेहतर समय है घूमने के

लिए।

“ हुमायूँ का मक़बरा” में फोटोग्राफी

हुमायूँ के मक़बरे में फोटोग्राफी पूरी तरह से निशुल्क है। साथ साथ यही वीडियो शूटिंग

करते है तो इसके लिए आपको 30 रूपए देने होंगे।

कै से पं हुचा जाये हुमायूँ के मक़बरे


यदि आप दिल्ली से ही आ रहे है तो आप जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम मेट्रो स्टेशन उतर

कर आसानी से यहाँ आ सकते है।

इसके अलावा आप सारे काले खान मेट्रो स्टेशन से भी यहाँ पहुं च सकते है।

यदि आप दिल्ली के बाहर से आ रहे है तो आप

इं दिरा गाँधी अं तराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर उतर कर भी यहाँ आ सकते है।

इसके अलावा यदि आप भारतीय रेल से आ रहे है तो आप निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन

उतर कर भी यहाँ पहुं च सकते है।

आगे भी हो आप लोग के लिए ऐसे ही अद्भुत और रोचक ऐतिहासिक बातें करते रहेंगे

तब तक आप लोग हमारे साथ ऐसे ही बने रहें और खुशियां बांटते रहें

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