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Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम - Printable Versi - 1714537778234
Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम - Printable Versi - 1714537778234
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देवा;अपने दोनों हाथों में रत्ना की बडी बडी चुचियों को थाम लेता है और उन्हें मसलने लगता है।
माँ मुझे दे दे ना।
देवा;अपने पयजामे का नाडा खोल देता है और अपने लंड को बाहर निकाल लेता है।
गराम लंड जैसे ही रत्ना की कमर से टकराता है वो मचल उठती है।
रत्ना;अपने हाथों में उसे पकड़ना चाहती थी मगर देवा उसे ऐसा करने नहीं देता बल्कि रत्ना को खडा करके एक झटके में
उसकी साडी ब्लाउज निकाल देता है।
रत्ना उस वक़्त बिना पेंटी की थी।
अपने बेटे के सामने नंगी खड़ी रत्ना अपनी चूत पर हाथ रख कर बैठने लगती है मगर उससे पहले देवा उसे लिटा देता है और
अपने लंड को उसके मुँह के पास लाकर अपने होठो को रत्ना की चूत से लगा देता है।
दोनो किसी भूखे इंसान की तरह अपने मुँह सटाये अपनी सबसे प्यारे चीज़ चाटने में लगे हुए थे।
रत्ना;गलप्प गलप्प उन्हह आजा मेरे मुँह में बेटा गलप्प गलप्प गलप्प्प।
रत्ना;जब भी देवा का लंड चुसती थी उसका मुँह भर जाता था बल्कि बाहर छलक भी जाता था मगर आज ऐसा नहीं हुआ
था।
यही बात रत्ना के दिल में घर कर जाती है
की कहीं देवा बाहर कु छ गलत तो नहीं कर रहा है न।
रत्ना;देवा।
देवा;हाँ माँ...
रत्ना;तुझे जो चाहिए था मिल गया ज़्यादा आगे बढ़ने की ज़रूरत नहीं है मुझे बहुत काम है।
वो किचन में चलि जाती है और देवा उठकर नहाने चला जाता है मगर रत्ना परेशान हो जाती है।
अपडेट 88
रत्ना;का ध्यान बार बार भटक रहा था एक तो वो खुद के रवैये को लेकर परेशान थी की उसे हो क्या गया है। वो जो नहीं
चाहती थी वो खुद अपनी मर्ज़ी से कर रही है।
और देवा को उसकी मर्ज़ी भी करने दे रही है।
देवा;नहाकर बाथरूम से बाहर आता है और आते ही अपनी माँ के कमर में पीछे से चिपक जाता है।
वो सिर्फ टॉवल लपेटे हुए था।
और उस टॉवल के पीछे का शैतान अपनी जगह की तलाश में रत्ना की चूतड़ पर ठोकर मारने लगता है।
अपने जज़बातों को एक तरफ रख कर रत्ना देवा की तरफ घुम जाती है।
उसकी आँखें कु छ और बता रही थी और वो कु छ और ठान चुकी थी।
देवा;पूरा भी नहीं कह पाता की रत्ना एक थप्पड देवा के गाल पर जड़ देती है।
रत्ना की ऑंखों में उठा वो ज्वाला देवा देख लेता है और बिना कु छ बोले वापस अपने रूम में जाकर कपडे पहनने लगता है।
कई सारे सवाल रत्ना को परेशान करने लगते है मगर उन् सब सवालों की वजह खुद देवा था।वो अपनी माँ रत्ना से प्यार की
बात भी करता था और बाहर की औरतों की लेने को भी पीछे नहीं हटता था।
खेत में जाने के बाद अपने खेत के कुँ वें पर जाकर देवा बैठ जाता है।
उसे उस वक़्त रत्न पर बहुत ग़ुस्सा आ रहा था।
आखीर उसने उसे मारा क्यों । यही बात देवा को परेशान कर रही थी।
मै माँ को इतना प्यार करता हूँ मगर माँ मुझे हमेशा परेशान करती है।
ठीक है अब माँ को बताऊं गा की मुझे उसकी नहीं उसे मेरी ज़रूरत है।
माँ नहीं चाहती न मै उसके क़रीब जाऊँ ।
मै नहीं जाऊँ गा।
जब तक वो खुद चल कर मेरे पास नहीं आती।
देवा;खुद से बातें करने लगता है।
ममता ;माँ......
रत्ना;ममता मेरी बच्ची आ गई तू। मै तुझे लाने के लिए देवा को आज भेज ही रही थी।रत्ना अपनी ममता को अपने ममता के
आँचल में समेट लेती है।
कोमल;अरे समधन जी आप सोच रही थी लो हम अपनी बेटी को उसकी माँ से मिलाने ले भी आए।
कोमल;देख लो समधन।
आपकी अपनी ममता ही है।
और हाँ ये आपकी बेटी थी अब मेरी दूसरी बेटी है।
मै ममता को प्रिया से कम थोड़े प्यार करती हूँ।
मुझे कह रही थी माँ से मिल कर आती हूँ।
मैने कहा चल मै ही तुझे वहां छोड़ आती हूँ।
एक दो दिन मै रहूँगी तुझे जितना रहना है रह लेना।
प्रिया को भी साथ ले आए।
दोनो साथ में वापस आ जाएंगी।
कोमल और प्रिया रूम में आराम करने चलि जाती है और ममता अपनी माँ से ससुराल की बातें करने बैठ जाती है।
दोनो माँ बेटी धीमी आवाज़ में खाना पकाते हुए बातें करने लगती है।
देखते ही देखते सुबह से शाम और शाम से रात हो जाती है मगर देवा का न ग़ुस्सा कम होता है और न वो घर जाता है।
रत्ना; जानती थी देवा इतनी देर नहीं लगाता। आज उसके चाँटे की वजह से देवा घर नहीं आया है उसकी चिंता और बढ़ने
लगती है की तभी देवा की आवाज़ सुनकर उसकी जान में जान आती है।
देवा;जैसे ही घर में दाखिल होता है उसे बीच के रूम में प्रिया बैठे हुए नज़र आती है।
उसके बाजु में कोमल और उसके पास ममता को देख देवा खुश हो जाता है । उसका सारा ग़ुस्सा जैसे उड्डन छु हो जाता है।
ममता; भइया....
वह भागते हुए आकर अपने देवा से लिपट जाती है
कोमल और प्रिया के लिए ये एक भाई बहन की मोहब्बत थी मगर देवा और ममता के लिए ये बिछड़े हुए प्रेमियों का मिलन
था।
देवा;कोमल और प्रिया के सामने अपना कोई भी राज़ नहीं खोलना चाहता था क्यूंकि उसकी कोई भी गलती ममता की आने
वाली ज़िन्दगी ख़राब कर सकती थी।
रत्ना;देवा के लिए चाय बनाकर उसके रूम में जाने लगती है मगर ममता उसे पीछे से आवाज़ देकर रोक लेती है।
ममता;लाओ माँ भइआ को मै चाय दे आती हूँ तुम अम्मा और प्रिया के पास बैठो।
रत्ना;देवा से बात करके उसे मना लेना चाहती थी मगर जो वो चाह रही थी वो वैसे नहीं हो पा रहा था।
ममता;चाय लेकर देवा के रूम में चलि जाती है और कप टेबल पर रख कर देवा से लिपट जाती है अपने भाई के पूरे चेहरे को
ममता चुमती चलि जाती है और ममता और देवा भी अपनी बहन के हर एक अंग अंग को अपने हाथों से मसलने लगता है।
देवा;फिर से अपनी बहन को अपनी बाहों में जकड लेता है ।कोई बात नहीं आज तुझे जम कर पुरानी बातें याद दिला दूँगा।
देवा;दिल ही दिल में सोचने लगता है चलो अच्छा हुआ तूने खुद कह दिया वैसे भी दो दिन देवा का पूरा ध्यान कोमल की मोटी
गाण्ड और चूत मारने पर था ।
ममता बहार चलि जाती है और देवा अपने लंड को सहलाते हुए कु छ सोचने लगता है।
कु छ देर बाद देवा बाहर आकर कोमल और प्रिया के पास बैठ जाता है और उनसे हँस हँस के बातें करने लगता है । वो रत्ना
को ऐसे बता रहा था जैसे उसे रत्ना की कोई परवाह ही नहीं है और ममता के आ जाने से उसे सारी खुशियाँ मिल गई है।
रत्ना;दूर से ये सब देख अंदर ही अंदर जल भून रही थी। जब से देवा घर आया था उसने रत्ना की तरफ एक बार भी नहीं देखा
था न उससे कोई बात किया था।
बस ममता और कोमल में खोया हुआ था देवा।
औरत चाहे कोई भी हो जब वो किसी से प्रेम करने लगती है तो वो बस ये चाहती है की उसका प्रेमी सिर्फ उसे देखे उससे बात
करे और किसी भी दूसरी लड़की की तरफ आँख उठाकर भी न देखे मगर देवा वो सब कर रहा था जिस चीज़ से औरतों को
नफरत होती है।
ममता ;अरे हाँ देखो न माँ । भैया की बातों में कु छ याद नहीं रहा।
चलिये खाना खा लेते है।
प्रिया आओ।
ममता अपनी सास और प्रिया को खाना खाने ले जाती है। उनके जाने के बाद रत्ना देवा के पास आकर बैठ जाती है।
देवा;उठकर जाने लगता है मगर रत्ना उसका हाथ पकड़ लेती है।
मुझे तुमसे बात करनी है।
रात के खाने के बाद ममता अपनी माँ के रूम में सोने चली जाती है। देवा अपने रूम में और कोमल प्रिया के साथ एक रूम में
सोने।
अपडेट 89
सभी अपने अपने रूम में सोने चले जाते है।
सफर की थकान काफी थी ममता को इसलिए वो थोड़े देर अपनी माँ से बातें करने के बाद नींद के आग़ोश में चलि जाती है।
मगर रत्ना की आँखों से नींद ग़ायब हो चुकी थी।
वो औरत जिसका सब कु छ देवा था उसका अपना बेटा
आज वही देवा उस से नाराज़ हो चूका था।
और ऐसा भी नाराज़ की अपनी रत्ना की तरफ एक नज़र देखने को भी तैयार नहीं था वो ज़ालिम।
रत्ना;अपने बिस्तर से खडे हो जाती है और किचन में आकर एक गिलास में दूध लेकर देवा के रूम की तरफ चलि जाती है।
दरवज़ा अंदर से बंद नहीं था वो थोड़ा सा धक्का देती है जिससे दरवाज़ा थोड़ा सा खुल जाता है।
अंदर देवा बिलकु ल नंगा लेटा हुआ था अपने लंड को सहलाते हुए।
मोटा लम्बा काला पूरी तरह खड़ा
अपना पूरा फन फ़ै लाये अपने शिकार को डँस लेने के लिए बेक़रार।
देवा का वो जवान फौलादी लंड उसके हाथ में से बाहर निकल कर फुं फकार रहा था।
रत्ना; चूत की मारी थी पति का लंड बहुत कम दिन मिल पाया था उसे और अब जब अपनी जवानी के वही दिनों में लौटने
लगी थी तो देवा उससे नाराज़ हो गया था।
अपने धड़कते हुए दिल को क़ाबू में रख कर रत्ना ज़ोर से खंखारती है जिससे देवा चौंक जाता है और अपने लंड पर कं बल
डाल देता है।
देवा;कौंन...
हुश्न की मल्लीका अपने पूरे शबाब में देवा के सामने मौजूद थी।
रत्ना का बदन थोडा भी ढिला नहीं था।
जिस औरत को बहुत दिन से लंड न मिला हो वो कस जाती है।
उसकी चूत भी आपस में चिपक सी जाती है।
मखमली सफे द बदन उस पर सामने की तरफ लटकते हुए वो खूबसूरत रेश्मी चूचियां देख एक पल के लिए देवा के अंदर का
जानवर उससे कहता है।
रत्ना;आगे बढ़ती है और अपने हाथ में का गिलास उसके पास की टेबल पर रख देती है।
तूमने खाना बहुत काम खाया था। दूध पी लेना और कु छ चाहिए क्या।
देवा;ख़ामोश रहता है और उसकी ख़ामोशी रत्ना को बता देती है की रूम के बहार चलि जाओ।
कु छ देर और देवा के शब्द सुनने के लालच में रत्ना वही खड़ी रहती है मगर देवा कोई जवाब नहीं देता।
आखीरकार रत्ना उलटे पांव अपने रूम में चलि जाती है।
रात घिरने लगती है चारों तरफ सन्नाटा पसर जाता है। उसी सन्नाटे में चोदु लंड खड़ा हुआ करते हैं।
देवा;अपने बिस्तर से खड़ा हो जाता है और चुपचाप दबे पांव कोमल के रूम की तरफ बढ़ जाता है।
ठं ढ काफी बढ़ चुकी थी इसलिए कोमल और प्रिया अपने अपने रज़ाई में दूबक कर सोई हुई थी।
प्रिया का भी यही हाल था अपनी चूत खुलने के दिन गिनते प्रिया को नींद नहीं आ रही थी मगर जैसे ही देवा के क़दमों की
आवाज़ उसे सुनाई देती है वो अपनी आँखें बंद कर लेती है।
कोमल;अपनी कोमल बाहें खोल देती है और देवा उस से लिपटता चला जाता है।