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संकेतब ंदु: संत ं …………… खीना

सन्दर्भ: पूर्वा नुसवर


प्रसंग: प्रस्तुत पद में बतवयव गयव है कि जब ज्ञवन िव प्रिवश होतव है तो सवां सवररि मोह-
मवयव और सभी प्रिवर िे कर्िवर नष्ट हो जवते हैं तथव भक्त िव जीर्न आनांदमय हो जवतव
है ।
बिल्पस द
ं र्भ: १ से ६ ति पूर्वा नुसवर। परन्तु दोहव छां द नहीां है ।
७) कबम्बवत्मि शैली
८) रूपि अलांिवर िव सुन्दर प्रयोग
९) आध्यवत्म िव बोध होते ही सवां सवररि र्वसनवएँ नष्ट हो जवती हैं ।
प्रश्न ११ : क ीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से न कर आँ धी से क्यं
की?

उत्तर: िबीरदवस जी ने ज्ञवन िे आगमन िी तुलनव आँ धी से िी है क्ोांकि आँ धी िी गकत


अत्यांत तीव्र होती है । आँ धी अपनी तेज़ गकत से चलिर र्स्तुओां िी स्थिकत में पररर्तान िर
दे ती है । कजस प्रिवर आँ धी अपने सवथ पुरवने िूड़े -िरिट िो उड़व ले जवती है और र्ह
िवन एिदम सवफ़-सुथरव हो जवतव है उसी प्रिवर आध्यवस्थत्मि ज्ञवन िी आँ धी आने पर
मनुष्य िे अांदर िी सवरी बुरवइयवँ जैसे लोभ-मोह, स्ववथा , मवयव, भ्रम आकद दू र हो जवती हैं
जो कि सवमवन्य हर्व िी तरह धीरे -धीरे कदए गए उपदे श से सांभर् नहीां है ।
प्रश्न १२ : ज्ञान की आँ धी का र्क्त के जीवन पर क्ा प्रर्ाव हयता है ?

उत्तर:
ज्ञवन िी आँ धी आने से भक्त िे जीर्न पर बड़व ही सिवरवत्मि प्रभवर् पड़तव है । उसिे
मन िे समस्त कर्िवर जैसे लोभ-मोह, िवम-क्रोध आकद नष्ट हो जवते हैं । उसे प्रेम र् भस्थक्त
िव नयव भवर् कमलतव है कजससे अज्ञवन रूपी अांधिवर नष्ट हो जवतव है और भस्थक्त रूपी र्
ज्ञवन रूपी सूया िव उदय होतव है तथव उसिव जीर्न आनांदमय हो जवतव है ।

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