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ऑिलाइि कक्षा)
यनू िट -1 शशक्षण योग्यता (Hindi)
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शिक्षण योग्यता के माध्यम से, शिक्षण शिशियों के संदर्भ में उम्मीदिार के कौिल और ज्ञान का शनिाभरण शकया
जाएगा। यह छात्र के शिशर्न्न ज्ञान डोमेन जैसे समस्या को सल
ु झाने के कौिल, छात्र प्रबंिन, शिक्षण शिशियों आशद
की जांच करे गा।

शिक्षण का उद्देश्य
शिक्षण का प्रमख ु उद्देश्य शिशिन्न प्रकार के इशछित शिक्षण पररणामों को िाशमल करता है।
1. ज्ञान हाशिल करना
2. िमझ का शिकाि
3. िैचाररक, बौशिक और शिषय-शििेष कौिल का शिकाि
4. मल्ू यों का शिकाि
िामान्य रूप में -
 िात्र के व्यिहार और आचरण को बदलने के शलए

 िात्रों के िीखने के कौिल को िध ु ारने के शलए, शििमें पिशतगत, महत्िपणू ण िोच, लेखन, रचनात्मकता,
पररकल्पना आशद िाशमल हैं।
 शिषय ज्ञान

 िमाि के एक िामाशिक और कुिल िदस्य प्रदान करना

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प्रकृशि और शिक्षण की शििेषिा


शिक्षण एक िामाशिक और िाांस्कृ शतक प्रशिया है, शििे शकिी व्यशि को अपने िीिन में कुि िीखने के शलए
िक्षम करने के शलए योिना बनाई िाती है। हम शनम्नशलशखत तरीके िे शिक्षण की प्रकृ शत और शििेषताओ ां का
िणणन कर िकते हैं: -
 शिक्षण एक पूणण िामाशिक प्रशिया है- शिक्षण िमाि और िमाि के शलए शकया िाता है। बदलते
िामाशिक शिचारों के िाथ, शिक्षण की िटीक और स्थायी प्रकृ शत का िणणन करना िांिि नहीं है।
 टीशचग ां दे रही है िानकारी- टीशचगां स्टूडेंट्ि को उन चीिों के बारे में बताती है, शिन्हें उन्हें िानना है और
स्टूडेंट्ि खदु पता नहीं लगा िकते। ज्ञान का िांचार शिक्षण का एक अशनिायण शहस्िा है।
 शिक्षण एक िांिादात्मक प्रशिया है- शिक्षण िात्र और शिक्षण स्रोतों के बीच एक िांिादात्मक प्रशिया है,
िो िात्रों के मागणदिणन, प्रगशत और शिकाि के शलए आिश्यक है।
 शिक्षण शिकाि और िीखने की एक प्रशिया है।

 शिक्षण िे व्यिहार में बदलाि आता है।

 शिक्षण कला के िाथ-िाथ शिज्ञान िी है।

 टीशचांग आमने िामने है।

 शिक्षण अिलोकनीय, औित दिे का और पररितणनीय है।

 शिक्षण एक कुिल व्यििाय है: - प्रत्येक िफल शिक्षक िे शिक्षण-अशधगम शस्थशतयों के िामान्य तरीकों
को िानने की अपेक्षा की िाती है।
 शिक्षण िे िीखने में िशु िधा होती है

 शिक्षण एक िचेत और अचेतन प्रशिया दोनों है।

 शिक्षण स्मृशत स्तर िे शचांतनिील स्तर तक है।

 शिक्षण प्रशिक्षण, कांडीिशनांग, शिक्षा और स्िदेिीकरण का एक शनरांतरता है।

शिक्षण के स्िर
शिक्षण का िमग्र उद्देश्य शिक्षाशथणयों के िमग्र व्यशित्ि का शनमाणण करना है और यह िात्रों के व्यिहार में िीखने
की क्षमता, िोच और पररितणन के शिकाि के आिपाि शिकशित होता है।
शिक्षण के शिशिन्न स्तर
 शिक्षण का स्मृशत स्तर

 शिक्षण के स्तर को िमझना

 शिक्षण का शचांतनिील स्तर

मेमोरी स्िर शिक्षण (एमएलटी) पर महत्िपण


ू ण श दिं ु
 स्मृशत स्तर शिक्षण तथ्य और िचू ना की प्रस्तशु त पर िोर देता है और यह ििी के बारे में है।

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 ज्ञापन के माध्यम िे ज्ञान या िानकारी शिक्षाथी द्वारा प्राप्त की िाती है।


 यह शिक्षण का प्रारांशिक चरण है और तथ्यों और शिषय मामलों के िीखने की आदत को प्रेररत करता है

 यह िात्रों को िीखे हुए शिषय को बनाए रखने और पन ु : पेि करने की क्षमता प्रदान करता है।
 यह के िल ब्लम ू के िगीकरण के ज्ञान-आधाररत उद्देश्यों को िाशमल करता है। इि स्तर पर, िात्र िस्तओ ु ,ां
घटनाओ,ां शिचारों को पहचानना, याद रखना या उन्हें याद रखना िीखता है और उन्हें याद में बनाए रखता है।
 शनदेि देते िमय शिक्षक बहुत ही हािी और अशधनायकिादी िशू मका शनिाता है

 मल् ू याांकन प्रणाली में मख्ु य रूप िे मौशखक, शलशखत और आिान प्रकार की परीक्षा िाशमल है और यह
प्रकृ शत में िरल है ताशक इिे रॉट लशनिंग के माध्यम िे प्राप्त शकया िा िके ।
 शिक्षक की िशू मका प्रमख ु (प्राथशमक और िशिय) है और िह िात्र माध्यशमक (माध्यशमक और शनशरिय)
है।
 मेमोरी स्तर शिक्षण, बशु ि में िुधार नहीं करता है और िात्र की क्षमता को बढाता है लेशकन अन्य प्रकार के
शिक्षण स्तरों के शलए यह आिश्यक है।
एपिेप्िन के हबाणशटणयन शििातां का िमथणन करता है शक िोटे बछचों का शदमाग खदु को और दशु नया को िमझने के
शलए तैयार है। उनका शदमाग अिधारणाओ,ां तत्िों, िांरचनाओ,ां मॉडल और शििाांतों िशहत तथ्यात्मक िानकारी के
एक बडे पैमाने पर तैयार है। िे बडी िख्ां या में चीिों, िस्तओु ां और िामग्री के बारे में िानकारी प्राप्त कर िकते हैं
और उन्हें बनाए रख िकते हैं।
स्मृशि का िर्गीकरण:
 तत्काल स्मृशत: िब एक याद तत्काल है
 स्थायी स्मृशत: लांबे िमय तक िामग्री को िापि बल
ु ाना।
 व्यशिगत स्मृशत: शपिले अनुििों को याद करते हुए, हम अपने व्यशिगत अतीत के अनुिि को याद करते
हैं।
 अिैयशिक स्मृशत: पस्ु तकों और िाथी िे िापि बल ु ाना।
 िशिय मेमोरी: शपिले अनिु िों को याद करने का प्रयाि करें , परीक्षा में उत्तर याद करें ।
 शनशरिय स्मृशत: प्रयाि के शबना शपिले अनिु ि को याद करें ।
 याांशत्रक स्मृशत या िौशतक स्मृशत: िरीर को शकिी िी कायण को बार-बार करने की आदत होती है।
 स्मृशत को रोए:ां तथ्यों को शबना िमझे रटना।
 ताशकण क स्मृशत: बशु ि का उपयोग करके कुि िीखना और यह िरूरत पडने पर िापि बल ु ाना है।
शिक्षण के महत्िपूणण स्िर (ULT) पर महत्िपूणण श दिं ु
मेमोरी स्तर शिक्षण शिक्षण के स्तर को िमझने के शलए आिश्यक है क्योंशक यह शििाांतों, शििाांत और
अन्य महत्िपणू ण महत्िपूणण तथ्यों के िामान्यीकरण के बारे में बात करता है।

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यह पहले िे ज्ञात तथ्यों और शिषयों के आधार पर अपने अशिणत ज्ञान का उपयोग करने के शलए िात्रों के

िोच स्तर का शनमाणण करने में मदद करता है।
 शिक्षक िात्र को शििात ां ों और तथ्यों के बीच िांबधां के बारे में बताता है और उन्हें शिखाता है शक इन
शििाांतों को कै िे लागू शकया िा िकता है।
 यह शिषय की महारत पर ध्यान कें शित करता है

 यह िात्रों को 'मेमोरी + इनिाइट' के कौिल को शिकशित करने के शलए अशधक िे अशधक अििर प्रदान
करता है
 इि स्तर की मल् ू याांकन प्रणाली मख्ु य रूप िे िस्तशु नष्ठ प्रकार के प्रश्न और शनबांध हैं।
 िात्र और शिक्षक दोनों शिक्षण की िमझ के स्तर में िशिय िशू मका शनिाते हैं

मॉररिन ने शिक्षण के िमझ स्तर को 5 चरणों में शििाशित शकया है;


 अन्िेषण: शपिले ज्ञान का परीक्षण करना, िामग्री का शिश्ले षण करना।

 प्रस्तशु त: िात्रों द्वारा िमझे िाने तक िामग्री प्रस्ततु की िाती है, शनदान और पनु रािृशत्त।
 एशिशमलेिन: िामान्यीकरण, व्यशिगत गशतशिशधया,ां प्रयोगिाला और पस् ु तकालय में काम करना, िामग्री
का परीक्षण।
 िांगठन: शिद्याशथणयों को प्रशतशनशधत्ि के शलए अििरों के िाथ प्रदान शकया िाता है।

 िस्िर पाठ: पत ु ली मौशखक रूप िे िामग्री प्रस्ततु करती है।


शिक्षण के श िंिनिील स्िर पर महत्िपूणण श िंदु (आरएलटी)
शकिी चीज़ पर शचतां न करने का मतलब है शक शकिी िमय पर कुि करने के शलए िािधानीपिू क ण शिचार करना।
इिका मतलब शकिी चीि के बारे में गहराई िे िोचना िी है।
 यह 'अड ां रस्टैंशडांग लेिल' और 'मेमोरी लेिल' टीशचांग और इिकी िमस्या-कें शित दोनों के बारे में बात करता
है।
 िमस्या-िमाधान, आलोचनात्मक और रचनात्मक, स्ितत्र ां , मल
ू िोच शिकशित करना इिका मख्ु य उद्देश्य
है।
 इि स्तर पर, िमस्या को पहचानने, इिे पररिाशषत करने और इिका िमाधान खोिने पर िोर शदया िाता
है। िात्र की मल ू िोच और रचनात्मक-क्षमताएां इि स्तर पर शिकशित होती हैं।
 एक िात्र कोर 'िशिय और प्राथशमक' है िबशक शिक्षक इिमें 'माध्यशमक और शनशरिय' हो िाता है।

 शिक्षण के शचांतनिील स्तर में (RLT) हट ां मख्ु य प्रस्तािक है। इिमें ULT और MLT िाशमल हैं। यह
िमस्या-कें शित शिक्षण है। िात्रों को यह िमझा िाता है शक िमस्या को हल करने के शलए शकिी प्रकार के
िोध दृशिकोण को अपनाया िाए। कक्षा का िातािरण पयाणप्त रूप िे 'खल ु ा और स्ितत्रां ' होना है
 हट ां ने शिक्षण के शचतां निील मॉडल को शिकशित शकया िो एक िमस्यािनक शस्थशत बनाने िशहत शिशिन्न
चरणों िे गिु रता है। िमस्या के बारे में पररकल्पना, डेटा शिश्लेषण और परीक्षण करें और पररकल्पना का
परीक्षण करें ।

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 िीखने की प्रशिया का मल्ू याांकन करने के शलए एक शनबांध प्रकार परीक्षण का उपयोग शकया िाता है।
 इि स्तर पर शिक्षण शिक्षक-कें शित या शिषय-कें शित नहीं है, यह झक
ु ाि-कें शित है।

शिक्षण में ुशनयादी आिश्यकिाएँ

ए। शिक्षण में तीन चर - शिक्षक, िात्र और पयाणिरणीय कारक िाशमल हैं


बी व्याििाशयकता
िी। उपयि ु िातािरण
डी शिक्षक िात्र िांबांध
इ। िात्र अनि
ु ािन

सीखने के लक्षण
मैं। ित्परिा - िीखने के शलए प्रेरणा, रुशच और शिज्ञािा
ii। व्यायाम - िो िीखा है उिका अभ्याि करें
iii। प्रभाि - आनांद िे िडु ी गशतशिशधयों को उन लोगों पर अशधक पिांद शकया िाता है िो ददण या ििा देते हैं
iv। दृशिकोण और आदिें - िकारात्मक और उत्िाहिनक होनी चाशहए
v। क्रोध और ईर्षयाण की अनुपशस्िशि - िे िीखने की क्षमता को कमिोर करते हैं
vi। शहिों के क्रशमक शिकास के ाद धीमी िुरुआि

शिक्षण के िरीके

शिक्षण प्रशतिा और रचनात्मकता दोनों का एक अभ्याि है शििमें कौिल, तकनीक और प्रशियाओ ां का एक प्रदिणन
िाशमल है। शिक्षण पेिे ने कई चनु ौशतयों और पररितणनों का िामना शकया है और हाल ही में और परररकृ त तकनीक
को अपनाया है।

शिक्षण का कायण है िीन रणों में मख्ु य रूप िे,

· पिू -ण िशिय: योिना चरण


· अतां र-िशिय: िो योिना बनाई गई थी उिका कायाणन्ियन यानी िास्तशिक शिक्षण
· पोस्ट िशिय: प्रशतशिया के रूप में काम करने िाली गशतशिशधयों का मल्ू याांकन

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कर रहे हैं पािं रणों में िाशमल शिक्षण की प्रशक्रया :

ए। तैयारी

· शिक्षक और िात्र दोनों के शलए


· शिक्षक को बछचों के स्तर की पहचान करनी चाशहए
· शिक्षक शपिले अध्याय िे उशचत प्रश्न पि ू कर पाठ को नए अध्याय िे िोडने का पररचय दे िकता है
· प्रािांशगक शिषयों / कहाशनयों पर कक्षा में चचाण और िणणन शकया िा िकता है
· पररचय िांशक्षप्त होना चाशहए और िात्रों में शिज्ञािा को बढाने के शलए रुशच पैदा करनी चाशहए

बी प्रस्ततु ीकरण

· शिक्षक को पढाए िाने िाले पाठ के उद्देश्य को बताना चाशहए ताशक िात्र खदु को तैयार कर िकें शक िे क्या अपेक्षा
कर रहे हैं
· शिक्षक तब शिशिन्न िामशग्रयों का उपयोग करके पाठ प्रस्ततु करता है, पाठ के शलए प्रािांशगक तथ्यों और अन्य शििाांतों
को प्रस्ततु करता है
· शिक्षक िात्र का पता लगाने के शलए पाठ के कुि क्षेत्र को िोड िकता है

िी। तल
ु ना

· शिक्षा के तीिरे चरण िहाां िात्र अििर के िाथ प्रस्ततु शकया है तथ्यों के दो िेट की तल
ु ना करने के

डी िामान्यकरण

· अिलोकन और तल ु ना करके शिशिन्न शनरकषण शनकाले िा िकते हैं


· शिक्षकों को गलत िामान्यीकरण पर पहुचां ने पर िात्रों की िहायता करनी चाशहए
· िात्रों काननू / शििाांत इि स्तर के शलए शिक्षक द्वारा शिखाया िमझना चाशहए िफल होने के शलए

इ। आिेदन

· ज्ञान तब तक अपना आधा मल्ू य खो देता है िब तक शक आगे के तथ्यों और नई शस्थशतयों के शलए उनके आिेदन की
खोि में उपयोग नहीं शकया िाता है
· िीखने को िाथणक और स्थायी बनाता है

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· िो िीखा गया है उिके पनु रीक्षण का उद्देश्य


· बछचों का मल्ू याक
ां न परीक्षाओ ां के माध्यम िे शकया िा िकता है

ए। दिणन के शिशभन्न स्कूलों के अनुसार शिक्षण के िरीके

ए। आदिणिाद द्वारा शिशधयाँ

- िे के िल शिक्षण शिशधयों की िामान्य प्रकृ शत की बात करते हैं


- िे िीखते िमय अपनाई िाने िाली शकिी िी शिशध को शनशदणि नहीं करते हैं ( िारत में िी उपशनषद काल के दौरान
प्रयि
ु )
- उफण अनौपचाररक द्वद्वां ात्मक पिशत
- अछिी तरह िे तैयार और प्रस्ततु व्याख्यान का आदिणिादी मल्ू य उपयोग
- िक ु रात - प्रश्न शिशध
- प्लेटो - िांिादी शिशध
- अरस्तू - प्रेरक और शडडशक्टि शिशधयााँ
- हेगल े - ताशकण क शिशध
- पेस्टलोिी - स्ि गशतशिशध शिशध
- िडी बटू ी - चचाण शिशध
- फ्रोबेल के 'शकांडरगाटणन' के रूपक

ी प्रकृशििाद के िरीके

- रूिो का मानना था शक शिक्षा िीिन िर चलती है और िीिन के शिशिन्न अनिु िों के माध्यम िे रोज़ प्राप्त होती
है
- उनका मानना है शक िीखने की िास्तशिक अनिु ि और एक व्यािहाररक िमस्या पर आधाररत होना चाशहए अपने
प्राकृ शतक िेशटांग में अध्ययन शकया िाना चाशहए
- िीखना खेल की िािना और तरीकों में िी हो िकता है
- Rousseau द्वारा िझु ाए गए तरीकों की पहचान िायद िॉन डेिी द्वारा िकालत की गई शिशध और प्रायोशगक शिशध िे
की गई है

सी। व्यािहाररक िरीके

- बछचे और िमाि और उिमें होने िाली गशतशिशधयों पर ध्यान दें


- िीखना एक गशतशिशध के पररणामस्िरूप होता है
- बछचों को यह िीखना चाशहए शक प्रायोशगक शिक्षण की शिशध और खोि कै िे करें
- इिे बछचों में शचांतनिील िोच शिकशित करनी चाशहए ताशक िे पिू ें शक 'क्यों?'

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शिक्षण िहायक िामग्री िात्रों को अपने कौिल में िधु ार करने और िीखने को मिेदार बनाने में मदद करती है।
शिशिन्न प्रकार के शिक्षण िहायक उपकरण हैं।

1. ाटण - आरे ख, ताशलका या ग्राफ़ के रूप में िमहू तथ्यों को शदखाता है और इिमें एक रूपरे खा या िब्द की पररिाषाएाँ
िाशमल हैं

2. फ्लैि कार्ण - कार्ण का एक िेट शििमें िांख्या, अक्षर, शचत्र या िब्द होते हैं और उनका उपयोग तथ्यों और स्मृशत
को बढाने के शलए शकया िाता है

3. शफ्लप ाटण - एक बार में बडे िमहू ों को पढाने के शलए उपयोगी और एक पाठ को पढाने के दौरान शििमें चरणों या
एक प्रशिया िाशमल होती है।

4. मानश त्र - िामाशिक अध्ययन में उपयोग शकया िाता है ताशक िात्र स्थाशनक िबां धां ों को िमझ िकें

5. समा ार पत्र - शिशिन्न स्थानों, िांस्कृ शतयों, व्याकरण और ितणमान घटनाओ ां के बारे में िानने के शलए उपयोग शकया
िाता है।

6. रेखािंकन - शकिी िी शिषय में इस्तेमाल शकया िा िकता है। िामाशिक अध्ययन, िख्ां या और अनपु ात में िनिांख्या
िृशि की तलु ना करने के शलए

7. सिेक्षण - प्रशतशिया प्राप्त करने के शलए शिक्षक द्वारा उपयोग शकया िा िकता है।

8. ऑशर्यो शिजुअल एर््स - ए िी एड्ि का उपयोग करते िमय याद रखने योग्य बातें:
- शिषय के अनक ु ू ल एक का चयन करें
- गशतशिशध का िमथणन या िदृु ढ करने के शलए AV का उपयोग करें
- िशु नशित करें शक एिी िहायता को स्पि रूप िे देखा और िनु ा िा िकता है
- हाथ िे पहले एड्ि का उपयोग करने का अभ्याि करें

9. हार्णिेयर - रे शडयो, टीिी और टेप ररकॉडणर

10. सॉफ्टिेयर - बोडण, काटूणन और मॉडल

ई। मूलयािंकन प्रणाली

िे एक उपकरण हैं शिनके माध्यम िे हम शिक्षण-शिक्षण अनुिि िे िास्ति में एक िात्र को क्या हाशिल हो िकता
है

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। 1. परीक्षा

- िात्रों की उपलशब्धयों का परीक्षण करने में मदद


- िात्रों के शहतों, योग्यता और बशु ि का मल्ू याक
ां न - िात्रों
को िगीकृ त करने और उन्हें प्रदान करने में मदद करता है। मागणदिणन
2. मनोिैज्ञाशनक मूलयािंकन

-Helps िारीररक, मानशिक, िािनात्मक और िामाशिक बारे में पता करने व्यिहार के अलग-अलग - िात्र के
मागणदिणन में एड्ि - तीन व्यशित्ि मल्ू याांकन के तरीके : िाइकोमेशिक, प्रक्षेपी और व्यिहार प्रक्षेपी टेस्ट - मदद
करता है को उिागर बेहोि इरादों - एक अस्पि उत्तेिना ग्राहक को प्रस्ततु की िाती है िो इिकी व्याख्या करता है
िैिे िे अपने व्यशित्ि को अपनी प्रशतशियाओ ां के माध्यम िे पेि करते हैं। - दो व्यापक रूप िे इस्तेमाल शकए िाने
िाले प्रोिेशक्टि टेस्ट हैं: रोस्चण टेस्ट और थमैशटक अपचणर टेस्ट ए। Rorschach Test - 1920 के शस्िि
मनोशचशकत्िक Hermann Rorschach द्वारा शिकशित - 10 काडों की श्ृख ां ला शििमें प्रत्येक में अलग-अलग
इक
ां ब्लाट्ि प्रदशिणत होते हैं िो रांगीन या काले और िफे द होते हैं - शिषय को प्रत्येक काडण को एक बार में देखने
और काडण पर देखी गई हर चीि की ररपोटण करने के शलए कहा िाता है - बाद में ििी 10 काडण शकए िाते हैं, परीक्षक
उनिे हर प्रशतशिया पर पि ू ते हैं शक ब्लाट की क्या शििेषताएां हैं िो उन्हें शििेष प्रिाशित करती हैं । Thematic
Apperception Test (TAT) - 1930 के हेनरी मरे द्वारा हािणडण शिश्वशिद्यालय में शिकशित - Rorschach की
तल ु ना में कम अस्पि है क्योंशक इिमें 20 काडों पर िास्तशिक दृश्य हैं - शिषय को शचत्र के आधार पर एक कहानी
को आधार बनाने के शलए कहा िाता है - परीक्षण का खल ु ािा करने का इरादा है व्यशियों की कल्पनाओ ां में होने
िाले 'शिषय' - अतीत के अनुिि के कारण एक शनशित तरीके िे चीिों की धारणाएां हैं - यशद कोई िमस्या शकिी
शििेष शिषय को परे िान कर रही है, तो िे कई कहाशनयों में शदखाई दे िकती हैं।

3. दािणशनक मूलयािंकन - शिषय-िस्तु की शनपणु ता के आधार पर मूलयािंकन - िीखी गई कौिल को लागू करने के
शलए स्मृशत, महारत और क्षमता का परीक्षण करें

ऑफ-लाइन और ऑन-लाइन लशनिंर्ग


ऑफ-लाइन और ऑन-लाइन अशधर्गम
ऑफ-लाइन लशनिंर्ग ( ऑफ -लाइन अशधर्गम )
ऑफ लाइन लशनिंग पारांपररक शिक्षण पिशत है। यहाां शिक्षक एक प्रेषक के रूप में कायण करता है और िात्र एक
ररिीिर के रूप में कायण करता है। उन दोनों के बीच िांिाद कालक और चॉकबोडण या ओिरहेड प्रोिेक्टर के माध्यम
िे आमने-िामने बात करने के माध्यम िे होता है। इि पिशत का उपयोग दिकों िे एक िैशक्षक रणनीशत के रूप में
शकया िाता रहा है।
लाइन लाइनगाम पारांपररक शिक्षण पिशत है। यहाां शिक्षक एक प्रेषक के रूप में कायण करता है और िात्र एक ररिीिर
के रूप में कायण करता है। उन दोनों के बीच का िांिाद कालक और कीबोडण या ओिरहेड प्रोिेक्टर के माध्यम िे

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आमने-िामने बात करने के माध्यम िे होता है। इि पिशत का उपयोग दिकों िे एक िैशक्षक रणनीशत के रूप में
शकया िाता है
ऑफ-लाइन शिशधयों के लक्षण ( ऑफ लाइन लाइन की )
ऑफ-लाइन शिशध पारांपररक है लेशकन ऑफ-लाइन शिशधयों के पेििे रों और शिपक्ष हैं। यहाां ऑफ-लाइन शिशधयों
की कुि शििेषताएां शनम्नशलशखत हैं।
ऑफ-लाइन शिशध पारांपररक है लेशकन ऑफ-लाइन िमा के फायदे और नक ु िान हैं। यहाां ऑफ-लाइनमेंट की कुि
शििेषताएां शनम्नशलशखत हैं
1. शिक्षक की िशू मका महत्िपणू ण है। शिक्षक की िशू मका महत्िपूणण है
2. िात्र िशिय नहीं हैं। िात्र िशिय नहीं हैं।
3. यह दृशिकोण परीक्षा में अछिे अक ां दे िकता है। यह दृशिकोण परीक्षा में अछिे अक
ां शदला िकता
है

ऑफ-लाइन शिशधयों के लाभ ( ऑफ-लाइन भुर्गिान के लाभ )


िीखने की ऑफ-लाइन शिशध के िांबांध में कुि फायदे यहाां शदए गए हैं। िीखने की ऑफ-लाइन पिशत के बारे में
कुि फायदे यहाां शदए गए हैं।
1. आिान दृशिकोण आिान दृशिकोण
2. लोकशप्रय शिशध। लोकशप्रय तरीका।
3. अकां उन्मख ु । अक
ां उन्मख
ु ।
ऑफ-लाइन शिशधयों का नक ु सान ( ऑफ -लाइन का नुकसान ):
1. पररणाम-उन्मख ु के बिाय उन्मख ु अक ां । पररणाम उन्मख
ु होने के बिाय अक
ां उन्मख
ु ।
2. िांस्मरण पर आधाररत लेशकन िमझ में नहीं। िांस्मरण पर आधाररत लेशकन िमझने में नहीं आना।
3. िात्र शिक्षकों पर शनिणर हैं। िात्र शिक्षकों पर शनिणर करते हैं।
4. िात्र शनशरिय श्ोता हैं। िात्र शनशरिय हो गए हैं।
5. अशतररि ज्ञान प्राप्त नहीं कर िकते। अशतररि ज्ञान प्राप्त नहीं कर िकता
ऑनलाइन लशनिंर्ग ( ऑफ़लाइन अशधर्गम):
ऑनलाइन शिक्षण िीखने की आधशु नक शिशध है। यह इलेक्िॉशनक गैिटे ् ि द्वारा िशु िधािनक है। यह ई-लशनिंग के
रूप में िांशक्षप्त है। इिमें इलेक्िॉशनक गैिटे ् ि, टेलीकाांफ्रेंशिांग, िीशडयो कॉन्फ्रेंशिांग, कांप्यूटर-आधाररत कॉन्फ्रेंशिांग
आशद की िेिाएां िाशमल हैं
ऑफ़लाइन अशधगम शिक्षण की आधशु नक शिशध है। यह इलेक्िॉशनक गैिटे ् ि बाय िशु िधािनक है। यह ई-लशनिंग के
रूप में िांशक्षप्त है। इिमें इलेक्िॉशनक गैिटे ् ि , टेलीकाांफ्रेंशिांग , िीशडयो कॉन्फ्रेंशिांग , कांप्यटू र आधाररत कॉन्फ्रेंशिांग
आशद की िेिाएां िाशमल हैं।

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ऑन-लाइन लशनिंर्ग के शलए पिू ण-आिश्यकिा ( ऑन लाइन एर्गाणम के शलए कािंग्रेस )


ई-लीशनांग के शलए मल ू रूप िे दो ितण हैं। िे ई-लशनिंग के शलए मल
ू रूप िे दो ितण हैं। िो हैं
1. िे कांप्यटू र, लैपटॉप की िेिाओ ां के शलए कहते हैं। इिके शलए कांप्यटू र , लैपटॉप की आिश्यकता
हैं।
2. इटां रनेट िेिाओ ां और िेब प्रौद्योशगकी का उपयोग उनके कामकाि के शलए िरूरी है। इटां रनेट
िेिाओ ां और िेब प्रौद्योशगकी का उपयोग उनके कामकाि के शलए आिश्यक है
ऑन-लाइन शिशधयों की शििेषिाएिं ( ऑन -लाइन प्रशक्रयाएिं )
ऑनलाइन शिशध पारांपररक है, लेशकन ऑन-लाइन शिशधयों के पेििे रों और शिपक्ष हैं। यहााँ ऑन-लाइन शिशधयों की
कुि शििेषताएां शनम्नशलशखत हैं, पहला तरीका पारांपररक है , लेशकन ऑन-लाइन प्रशिया के प्रकार और नक
ु िान हैं।
यहाां पर अन-लाइनमेंट की कुि चीिें दी गई हैं
1. यह कांप्यटू र-िशधणत शिक्षा है
2. शिक्षकों और शिक्षाशथणयों का पृथक्करण। शिक्षकों और शिक्षकों का पृथक्करण।
3. अपनी गशत िीखने स्िप्रशिशक्षत शिक्षा
4. कांप्यटू र नेटिकण का उपयोग आिश्यक है। कांप्यटू र नेटिकण का उपयोग आिश्यक है

ऑन-लाइन शिशधयों के लाभ ( ऑन-लाइन भुर्गिान के लाभ )


शिक्के के दोनों पहलू िमान नहीं हैं। अगर शकिी चीि के फायदे हैं तो िाथ में नक ु िान िी हो िकता है। यहाां हम
ऑन-लाइन पिशत िीखने के बारे में कुि लािों पर चचाण करने िा रहे हैं।
शिक्के के दोनों पहलू िमान नहीं हैं। अगर शकिी चीि के फायदे हैं तो िाथ में नक ु िान िी हो िकता है। यहााँ हम
ऑन-लाइन पिशत िीखने के बारे में कुि िमस्याओ ां पर चचाण करने िा रहे हैं।
1. िामग्री अद्यतन आिान िामग्री है अद्यतन आिान है
2. यात्रा लागत बचाता है। यात्रा लागत शनयत्रां ण है।
3. िमय बचाना। िमय है।
4. इटां रनेट कनेक्िन व्यापक रूप िे उपलब्ध हैं। इटां रनेट कनेक्िन व्यापक रूप िे उपलब्ध हैं।
5. पहुचां और उपयि ु ता पहुचां और उपयि
ु ता
ऑनलाइन िरीकों का नक ु सान ( क्षशि का नक ु सान )
ऑनलाइन शिक्षण शिशधयों के कुि नक ु िान शनम्नशलशखत हैं। ऑफ़लाइन शिक्षण के कुि नक
ु िान शनम्नशलशखत हैं
1. फीडबैक िीशमत है िीशमत है
2. शिक्षा के महगां ा शिशध िीखने की महगां ी शिशध
3. स्िास्थ्य के मद्दु ों। स्िास्थ्य के मद्दु ।े
4. िीशमत बैंडशिड्थ के कारण धीमा प्रदिणन। िीशमत बैंडशिड्थ के कारण प्रशत प्रदिणन।

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5. व्यशिगत कनेक्िन का अिाि। व्यशिगत िांबांध का अिाि


ऑफ-लाइन लशनिंर्ग और ऑनलाइन लशनिंर्ग के ी अिंिर
( ऑफ-लाइन अशधग्रहण और ऑफ़लाइन अशधग्रहण के ी अिंिर)
ऑफ लाइन लशनिंर्ग ऑफ-लाइन अशधर्गम ऑनलाइन लशनिंर्ग ऑनलाइन अशधर्गम
पारांपररक शिशध पारांपररक शिशध आधशु नक शिशध आधशु नक शिशध
कोई स्िास्थ्य के मद्दु ों कोई स्िास्थ्य िबां धां ी िमस्या नहीं बरु ा स्िास्थ्य के मद्दु ों खराब स्िास्थ्य मद्दु े
िारीररक रूप िे उपशस्थत होने के शलए कोई ज़रूरत
आिश्यकता िारीररक रूप िे उपशस्थत होने के शलए
नहीं िारीररक रूप िे उपशस्थत होने की आिश्यकता
िारीररक रूप िे उपशस्थत होने की आिश्यकता है
नहीं है
कोई िख्त शनयम और शदिाशनदेि नहीं िख्त शनयम
िख्त शनयम और शदिाशनदेि िख्त शनयम और शदिाशनदेि
और शदिाशनदेि नहीं
कोई आत्म -अध्ययन नहीं कोई आत्म-अध्ययन नहीं आत्म- अध्ययन िीखना आत्म-अध्ययन
अशधक िमय और धन की आिश्यकता होती है अशधक अशधक िमय और धन की आिश्यकता नहीं है अशधक
िमय और धन की आिश्यकता है िमय और धन की आिश्यकता नहीं है
इतना महगां ा नहीं इतना महगां ा नहीं है महगां ा शिशध महगां ा तरीका

कुछ ट्रें शर्र्गिं ऑनलाइन िरीके ( कुछ प्र शलि ऑफ़लाइन िरीके )
यहाां हम आपको कुि िेंशडांग ऑनलाइन तरीके प्रदान कर रहे हैं ।
यहाां हम आपको कुि प्रचशलत ऑफ़लाइन तरीके प्रदान कर रहे हैं

1. एमओओसी
एम-मैशसि: यह बडे पैमाने पर है क्योंशक यह िात्रों की एक बहुत बडी िांख्या तक पहुचां प्रदान करता है। शिक्षाशथणयों
ने अपने िीखने के लक्ष्यों के अनिु ार अपनी िागीदारी को स्ियां िगां शठत शकया।
एम- मैशसि: यह बडे पैमाने पर है क्योंशक यह िात्रों की एक बहुत बडी िांख्या तक पहुचां प्रदान करता है। शिक्षकों
ने अपने िीखने के लक्ष्यों के अनिु ार अपनी िागीदारी को स्ियां िांगशठत शकया
ओ-ओपन: इिका मतलब है शक पाठ्यिम ििी के शलए खल ु ा है। िाग लेने के शलए एक को मफ्ु त में पिां ीकृ त
होना चाशहए। इिमें पांिीकरण के शलए कोई प्रिेि परीक्षा या शिक्षण िल्ु क नहीं है।
ओ-ओपन: इिका मतलब है शक पाठ्यिम ििी के शलए खल ु ा है। िाग लेने के शलए एक को मफ्ु त में पांिीकृ त
होना चाशहए। इिमें पांिीकरण के शलए कोई प्रिेि परीक्षा या शिक्षण िल्ु क नहीं है

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ओ-ऑनलाइन: इिका मतलब है शक पाठ्यिम के िल इटां रनेट के माध्यम िे शदया िाता है। MOOC पर अध्ययन
करने के शलए, िात्रों के पाि एक उशचत इटां रनेट कनेक्िन है।
ओ- ऑफलाइन : इिका मतलब है शक sy के िल इटां रनेट के माध्यम िे शदया िाता है। MOOC पर अध्ययन करने
के शलए , िात्रों के पाि एक उशचत इटां रनेट कनेक्िन है
सी-कोसण: कोिण एक शनशित अिशध के िीतर अध्ययन के बाद पररणामों की उपलशब्ध को िदां शिणत करता है।
िी- कोिण: कोिण एक शनशित अिशध के िीतर अध्ययन के बाद पररणामों की प्राशप्त को परररकृ त करता है
इिशलए MOOC को मैशिि ओपन ऑनलाइन कोिण कहा िाता है। एमओओिी एक िगां शठत पाठ्यिम है शििका
उद्देश्य बडे पैमाने पर इटां रै शक्टि िागीदारी और िेब के माध्यम िे खल ु ी पहुचां है। MOOC िात्रों, प्रोफे िरों और
शिक्षण िहायकों के शलए एक िमदु ाय बनाने में मदद करता है।
इिशलए MOOC को मैिरू ओपन ऑनलाइन कोिण कहा िाता है। एमओओिी एक िांगशठत पाठ है शििका उद्देश्य
बडे पैमाने पर इटां रै शक्टि िागीदारी और िेब के माध्यम िे खल ु ी पहुचां है। MOOC िात्रों , प्रोफे िरों और शिक्षण
िहायकों के शलए एक िमदु ाय बनाने में मदद करता है
2. स्ियिंिर
SWAYAM (स्टडी िेब्ि ऑफ एशक्टि-लशनिंग फॉर यांग एस्पायररांग माइडां ् ि) िारत िरकार (GOI) द्वारा िरू ु
शकया गया एक कायणिम है। इिमें स्कूल (कक्षा 9 िे आगे), स्नातक, स्नातकोत्तर, इिां ीशनयररांग, काननू और अन्य
िीं

व्याििाशयक पाठ्यिम िाशमल हैं।


SWAYAM ( Stdi िेब्ि ऑफ एशक्टि-लशनिंग फॉर यांग एस्पायररांग माइडां ् ि) िारत िरकार ( GOI) द्वारा िरू ु
शकया गया एक कायणिम है। इिमें स्कूल ( कक्षा 9 िीं िे आगे) , स्नातक , स्नातकोत्तर , इिां ीशनयररांग , काननू और
अन्य व्याििाशयक पाठ्यिम िाशमल हैं

SWAYAM के पाठ्यिम को 4 चतथु ािंिों में शििाशित शकया गया है। ये


स्ियां के पाठ्यिम को 4 चतथु ािंिों में शििाशित शकया गया है। याये हैं
 िीशडयो व्याख्यान िीशडयो व्याख्यान

 शििेष रूप िे तैयार की गई पठन िामग्री शििे डाउनलोड / मशु ित शििेष रूप िे तैयार पठन िामग्री िे
डाउनलोड / शप्रांट शकया िा िकता है
 परीक्षण और शक्िज़ परीक्षण और शक्िज़ के माध्यम िे स्ि-मल् ू याांकन परीक्षण, स्ि- मल्ू याांकन परीक्षण और
 िद ां हे को दरू करने के शलए एक ऑनलाइन चचाण मचां । िदां हे को दरू करने के शलए एक ऑफ़लाइन चचाण
मचां
परीक्षा और अक ां / ग्रेड के माध्यम िे प्रत्येक पाठ्यिम के अांत में िात्र का मल्ू याांकन होगा।
परीक्षा और अक ां / ग्रेड के माध्यम िे प्रत्येक पाठ्यिम के अांत में िात्र का मल्ू याांकन होगा
3. SWAYAM प्रभा (SWAYAM प्रभा)

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SWAYAM प्रिा मानि िांिाधन शिकाि मत्रां ालय की एक पहल है। यह 24X7 आधार पर देि की लांबाई और
चौडाई में डीटीएच (डायरे क्ट टू होम) के माध्यम िे 32 उछच गणु ित्ता िाले िैशक्षक चैनल प्रदान करता है।
स्ियां प्रिा मानि ििां ाधन शिकाि मत्रां ालय की एक पहल है । यह 24 × 7 के आधार पर देि की लबां ाई और चौडाई
में िएच (डायरे क्ट टू होम) के माध्यम िे 32 उछच गणु ित्ता िाले िैशक्षक कें ि करता है।
इिका पाठ्यिम आधाररत पाठ्यिम है। इिमें शिशिध शिषयों को िाशमल शकया गया है। यह मख्ु य रूप िे दरू स्थ
क्षेत्रों में िहाां इटां रनेट की उपलब्धता अिी िी एक चनु ौती है, गणु ित्तापणू ण शिक्षा िांिाधनों को िल
ु ि बनाना है। यह
हर शदन नई िामग्री प्रकाशित करता है। हर िामग्री को शदन में 5 बार दोहराया िाता है। ताशक िात्र अपना
िशु िधािनक िमय स्लॉट चनु िकें ।
इिका sy आधाररत है। इिमें शिशिध शिषयों को िाशमल शकया गया है। यह मख्ु य रूप िे दरू स्थ क्षेत्रों में िहाां इटां रनेट
की उपलब्धता अिी िी एक चनु ौती है , िैशक्षक शिक्षा िांिाधनों को िल ु ि बनाना है। यह हर शदन नई िामग्री
प्रकाशित करता है। हर िामग्री को शदन में 5 बार बदलने िाता है। इिशलए िात्र अपना िशु िधािनक िमय स्लॉट
चनु ें

शिक्षण िमथणन प्रणाली पारांपररक, आधशु नक और आईिीटी आधाररत।


शिक्षण समिणन प्रणाली पारिंपररक, आधुशनक और आईसीटी आधाररि। : - िो शिक्षक को पढाने मे िाधन
िाहयता करते है उिको शिक्षण िहायक प्रणाली बोलते है।
ये शिस्टम तीन है। 1- पारांपररक प्रणाली। 2- आधशु नक प्रणाली। 3- आईिीटी आधाररत प्रणाली। पारिंपररक शिक्षा
प्रणाली: - पारांपररक शिक्षा प्रणाली को कई नामो िे िाना िाता है 1- मल
ू बातें। 2- बात करने के शलए चाक। 3-
परम्परागत शिक्षा। 4- प्रथागत शिक्षा।

पारिंपररक शिक्षा प्रणाली के सिं िंशधि अन्य ािे: -


1-पारांपररक प्रणाली का िमाि मे पहले प्रयोग होता था।
2- पारांपररक प्रणाली शिक्षक कें ि शिक्षा थी।
3 पारांपररक प्रणाली रटना िीखने और memorialization पर आधाररत थी।
पारिंपररक शिक्षा प्रणाली के िरीके : -
1- प्रत्यक्ष शनदेि और व्याख्यान।
2- िीट का काम।

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3- िनु ने और अिलोकन के माध्यम िे िीखने िाले िात्र।


4- नोट बक
ु के आधार पर शनदेि।
5- व्याख्यान।
6- पढ शलखकर।
7- अिाइनमेंट के कायण।
पारिंपररक शिक्षा प्रणाली में उपकरणों का उपयोर्ग: -
1- ब्लैक बोडण।
2- पाठ्य पस्ु तक।
3- चाटण।
4- तस्िीर।
5- पोस्टर।
6- नक्िा।
7- एटलि।
8- ग्लोबल।
9- काड्णि 10- शफ्लप काड्णि।
11- िकण िीट।
12- िाइिां लैब।
13- मॉडल।
14- िॉि िब्द पहेली।
15- प्रश्न।
16- कहानी की बात करना।
17- नाटकीयता।
18- िशू मका शनिाएां।
19- शडक्िनरी द्वारा।
20- शखलौनों िे िीखना।
21- मौशखक परीक्षण।

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