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KATHPUTLI
KATHPUTLI
KATHPUTLI
के लडके
के ददमाग में बैठा न जाने कौन चीखने लगा दि…"ल्बनम्र इस लडकी की हत्या कर डाल ।'
दकसी के कत्त्ल करने की बात तो उसके जेहन में कभी आ ही नहीं सकती थी । दिर कौन था? …
कौन था वह ल्जसने उसके ददमाग में बैठकर उसे यह अाादेश _ ददया? इस भेद को वह खुद भी न जान सका है
उसके बाद अपने ददमाग के अंदर से उसे अक्सर ऐसे आदेश ल्मलने लगे रर एक ददन वह सचमुच एक हत्या कर बैठा । कानून
उसे सजा देने पर आमादा हो गया । वह इस बात को मानने को तैयार नहीं था दक हत्या ल्वनम्र ने नहीं की । उसने की है जो
उसके ददमाग में बैठा था ।
यह उपन्यास भेद खोलेगा दक ल्वनम्र के ददमाग में कौन बैठा था? क्यों वह ल्वनम्र को हत्या करने के ल्लए उकसाता था?
"मार डाला मार डाल ल्वनम्र । ल्वनम्र नामक युवक के अन्दर बैठी जाने कौन डाल मार "------उकसाया उसे ने ताकत सी-
!को लड़की उस
जरा सोच, मरने के बाद वह दकतनी सुन्दर लगेगी । गला दवा दे, उसकी बड़ी बड़ी आखे िटी की िटी रह जाएगी यहीं
स्वीममंग पूल के नीले से नजर अााने बाले पानी पर तैरती रह जाएगी उसकी लाश ।
दिर खुबसुरत ल्जस्म में पानी भर जाएगा रर वह िू लकर कु प्पा हो जाएगी । कांच की गोल्लयों की तरह बेजान हो चुकी आंखें
खाली आकाश को ताकती रह जाएगी ।
वाह !
क्या सीन होगा वह । मजा आ जाएगाल्वनम्र !, मजा आ जाएगा "उसे। डाल मार !
वब, ल्जसके साथ ल्वनम्र यहााँ आया था । ल्जसे वह वहुतव-हुत प्यार करता था ।
परन्तु!
"ल्वनम्र । तुम्हें है होगया क्या "---पूूा ने श्वेता रही आ नजर हैरान "?"
" ममुड--
े ?" ल्वनम्र के मुह से हड़वड़ाए हुए शब्द ल्नकले होता क्या मुड-
े म-----?"
"कु ू तो हुआ था ।"------बोली श्वेता "आसआइना पास- होता तो तुम्हें ददखाती । भभक कर लाल हो गया तुम्हारा चेहरा ।
ठीक यूं जैसे दकसी दहकती भटृ टी के नजदीक बैठे । जबड़े कस गए थे । आंखों में आखों में इस कदर महंसक भाव उभर अााए थे
दक मुड तक को तुमसे डर लगने लगा था "!
ल्बनम्र को लगा( श्वेता"------shweta) ठीक कह रही है बह खुद को अभी सा ल्नकलता बाहर से स्वस् भयंकर दकसी अभी-
।। लगा
"अजीब बात कर रहे हो ल्वनम्र तुन्हें कु ू हुआ रर तुम्हीं को नहीं पता कया हुआ था । ज़ब तुम्हें कु ू हुआ था तब तुम 'उसे'
घूर रहे थे ।"
"क दकसे-?"
"उस क्लमुंही को ।घुमाइं । तरि की पूल स्वीममंग आंखे बड्री-वड्री अपनी ने श्वेता "
स्वीममंग पूल के पानी में अपने पुरूष साथी साथ अठखेल्ियां कर रही थी ।।।। पुरुष अथेड्र था। लड़की से करीब दुग्नी उम्र के
पुरूष ने उसे बांहो मे भरना चाहा मगर लड़की ल्खलल्खलीई रर मूली की माल्नन्द पानी के अंदर तैरती चली गई यूं जैसे पुरुष
को 'तरसा' रही हो !
वे शोर भी कर रहे थे मगर ल्वनम्र के कानों में गूंजी तो ल्सिध ओर ल्सिध उस लड़की की ल्खलल्खलाहटा यह ल्खलल्खलाहट ।।।।
ल्वनम्र के अपने कानों मे ल्पघलते हुए शीशे की माल्नन्द उतरती सी लगी रर आंखे रबा एक आखें ..दिर उसी पर जमीं रह गई
।
उस पर ल्जसे ल्वनम्र ने आज से पहले कभी नहीं देखा था । वह लड़की उसके ल्लए पूरी तरह अजनबी थी ।
स्वीममंग पूल पर मौजूद भीड़ में से उसे रर कोई नजर नहीं आ रहा था !!!!!
उसके अंदर मौजूद अंजानी ताकत ल्चखी लडकी यह है सुन्दर दकतनी "-----, मगर मरने के बाद रर भी ज्यादा सुन्दर लगेगी
। हाथवाह !उसके जाएगे पड़ ठं डे पैर- !!...मजाआ"उसे। डाल मार ल्बनम्र !जाएगा-
ददखोदेख----ाो ल्वनम्र ।’" श्वेता की घबराई हुई आवाज वहुत दूर से आती महसूस हुईलगा भभकने दिर चेहरा तुम्हारा "----
तुम्हें । है गये कस दिर जबड़े । है कु ू हो रहा है ल्वनम्र । खुद को सम्भालो "!!
"हां ।से खुद मन-ही-मन ने ल्वनम्र " कहा को खुदे मुडे । है रही कह ठीक श्वेता " ---- सम्भालना चाल्हए । वरना मैं उस
लड़की को मार डालूाँगा । मगर क्योंमैं------ तो उसे जानता तक नहीं । दिर मैं क्यों उसे मार डालना चलता हं? है भगवान
ये मुडे क्या हो रहा है? मैं क्यों उस लड़की की गदधन दबाना चाहता हं ?"
"क्योंदक यह मरने के बाद सुन्दर लगेगी । "जवाब उसके अंदर मौजूद अज्ञात ताकत ने ददया सुंदर ज्यादा गुना कई उससे"---
अपनी !! है रही लग वि इस ल्जतनी आंखों को सुकून पहुचाना चाहता है तो उसे मार डाल । बहुत शांती ल्मलेगी तेरी आत्मा
को । यकीन नहीं आता तो उसकी गदधन दबाकर देख ।"
"होश से आओ ल्वनम्र होश में आओ ।। डंडोड़ा दिर बार एक उसे ने श्वेता हुई घबराई "
उस लडकी के अलावा भी सब कु ू नजर जाने लगा । लड़की के साथ का पुरुष भी । स्वीममंग पूल पर मौजूद भीड भी रर बुरी
तरह आतंदकत श्वेता भी । एक बार दिर श्वेता को अजनल्बयों' कीदकया महसूस ही साथ । देखा से नजर सी-, उसका अपना
चेहरा इस वि पसीने से बुरी तरह भरभराया हुआ है ।
"तुम्हें दिर कु ू हुआ था ल्वनम्र?" श्वेता ने पूूाहै क्या बात आल्खर "----?"
“चलो यहां से ।कलाई उसकी ने ल्बनम्र जगह की देने जवाब का सवालो के श्वेता " पकड़ी रर तेजी के साथ 'स्वीममंग पूल
जौन' से बाहर ल्नकलने बाले रास्ते की तरि बढ गया ।
"अरे रहे कर क्या ये"---कहा ने श्वेता रही जा चली मखंची साथ उसके "!अरे--- हो ल्वनम्र हम लोग यहााँ 'एन्जजॉय' करने
आए थे मगर तुम हो दक जाते ही बापस चलने........
"श्येता ।ठठठ नेउस "क"। दूंगा कर खून उसका तो रुका यहााँ मैं अगर"--कहा कर-
"हााँ ।"
"कदकसका-?"
ल्वनम्र ने स्वीममंग पूल में अठखेल्लयां कर रही लडकी की तरि इशारा करके कहा…"उसका ।"
" कहो रहे कर बात वया--?" श्वेता हकला गई…“क्या तुम उसे जानते हो?"
"नहीं ।"
"अजीब बात कर रहे हो ल्वनम्र । ल्जसे जानते तक नहीं । ल्जससे न तुम्हारी दोस्ती है न दूश्मनी । ल्जससे तुम्हारा कोई सम्बन्य
ही नहीं है उसे क्यों कत्ल कर दोगे ?"
"कहा न मुाँडे नहीं पता अगर---हं जानता इतना के वल ! वह लड़की मेरी आंखों के सामने रही तो मैं उसे ूोड़ूंगा नहीं । क्या
तुम चाहती हो मैं हत्यारा वन जाऊं ?"
"तो दिर आओ मेरे साथा ल्नकलो यहां से ।" कहने के साथ एक बार दिर वह उसकी कलाई पकडकर जोन पूल स्वीममंग"' से
बाहर की तरफ़ बढ़ गया । लड़की अब भी अपने पुरुष साथी को 'सता' रही थी ।
श्वेता बगल बाली सीट पर बैठी थी । ल्पूले करीब दस ल्मनट से उनके बीच संन्नाटा था रर दस ल्मनट ही उन्हें होटल ओबराय
के ' ल्स्वममंग पूल जोन ' से ल्नकले हुए थे ! ल्वनम्र ने खामोशी से गाड़ी ल्नकलकर सडक पर डाल दी यी । श्वेता भी खामोशी
के साथ बगल वाली सीट पर बैठ गई थी ।
ल्वनम्र का ददमाग इस वि पूरी तरह शांत था । उसके अंदर की कोई आवाज परे शान नहीं कर रही थी । हां जहन में सवाल
जरूर र्ुमड़ रहे थे ।
जैसेमुडें था क्या हुआ "------? क्यों मैं उस बेचारी अंजान लडकी को मार डालना चाहता था?"
अभी इन्हें सवालों में उलडा हुआ था दक श्वेता ने खामोशी तोड़ी---'ल्वनम्र ।"
"ह ।”
कु ू देर की के बाद श्वेता ने अगला सवाल दकया थे जानते को आदमी उस तुम क्या"---?”
"दकस आदमी को"'
" बही जो स्वीममंग पूल में नहा रही लड़की के साथ था ।"
" नहीं, मैं उसे नहीं जानता । पर तुम यह क्यों पूू रहीं हो?"
" कारण जानने की कोल्शश कर रही ह ककं तुम्हारे ददमाग में उस लड़की को मारने का ख्याल वयों अााया? लड़की के बारे में
तो बता ही चुके हो तुम उसे नहीं जानते थे । जब तक दकसी की दकसी से दोस्ती या दूश्मनी न हो तब तक कोई दकसी को
मारने की बात नहीं सोचता । तो मैंने सोचा मुमदकन है उस आदमी को जानते हो साथ के आदमी उस लड़की यह तुम्हें-----
कारण इसी । हो लगी न अछूी तुम्हारे ददमाग में लड़की को मारने की बात अााई हो । रर"
श्वेता को 'बरगलाने' का उसे यहीं एक मात्र रास्ता सूडा था । यह दक जोरदार ठहाका लगाने के बाद लगातार जोर से जौर-
को श्वेता दक कदर इस । गया चला हंसता कु ू कहने का मौका हो नहीं ल्मला ।
वह तो बस हकवकाईसी--, हैरत में दूबी उसे देखती रह गई उसे, जो इस वि एक हाथ से स्टेयररं ग सम्भाले हुए था । दूसरे
से पेट पकड़कर हंस रहा था । वह तब तक हंसता रहा जब तक हैरानल्लया नहीं पूू ने श्वेता परे शान-'----" 'ल्बनम्र पागल
हो गए हो क्या? इस कदर हंस क्यों रहे हो ?"
"हंसू नहीं तो क्या करूं ?" हंसने के बीच ही उसने कहा था"। गए ूू ट ूक्के तो तुम्हारे "-
" क क्या मतलब तुम उस लड़की को कत्ल करने की बात कर रहे थे । ूक्के नहीं ूू टते तो ओंर क्या होता?"
" मतलब ये मेरी जान दक मेरे ददमाग में तुमसे शरारत करने का ख्याल आया रर मैंने शरारत कर डाली ।"
"नहीं ।दूढ़तश्ववधक साथ के देखने को चेहरे उसके से गोर ने श्वेता " कहा मुडे । थी शरारत वह सकती मान नहीं मैं "------
खूंखार वह तुम्हारा तक अब चेहरा याद है । उफ्िस अपने भी बअ मैं करके याद को चेहरे उस !ाारे शरीर डुरडुरी महसूस सी-
। तुम थे लगे अााने नजर डरावने ही अचानक । हं रही कर तुम्हें ज़रुर कु ू हो गया था । नहीं हुआ होता तो तुम्हारी आंखों में
खून नहीं उतर अााया होता ।"’
एल्क्टग जारी रखे ल्वनम्र ने कहाएल्क्ट मेरी तुम अव------'ग की तारीि कर रहीहो न शुि ...ल्ाया !!
"मगर 'रीयल' लगा । पूरी तरह डांसे मैं आ गई मेरे । तव तो मानना पड़ेगा"! हं एक्टर परिै क्ट एक मैं----
श्वेता उसे जब भी संददग्र् नजरों से घूरती वोली न हो रहे बोल सच तुम " --?"
"क़माल है । मैं तुम्हें तब एमक्टंग करता लग रहा हं जब एमक्टंग नहीं कर रहा " !
" क्यूंमुडे डराया . . . क्यूं. . .क्यूं. . .?" कहने के साथ उसने अपनी ूोटीप कं र्े बल्लब के ल्बनम्र से मुठटठयों ूोटी-र
घूंसे बरसाने शुरू कर ददए। आया ल्बचार भयंकर इतना में ददमाग तुम्हारे भी ल्लए के डराने रर "----- उत बेचारी लड़की
के , कत्ल की बात करने लगे?"
"वसजो देवी बस-?" ल्वनम्र अब भी हाँस रहा था"। जाएगी टकरा से दकसी गाडी तो वरसाओगी घूंसे ज्यादा"---
श्वेता ने भावुक अंदाज़ में अपना ल्सर उसी कं र्े पर रख ददया ल्जस पर पल भर पहले घूंसे बरसा रही थी । नेत्र बंद होगये !
शब से होंठोंाद ल्नकले"------ ल्वनम्र, बहुत डर गई थी मैं । "
श्वेता को तो खैर उसने संतुष्ट करददया मगर खुद को संतुष्टनहीं कर पा रहा था । एक ही खौि उसे बूरी तरह थराधये दे रहा था
वह यह दक अगर दिर कभी उस अज्ञात ताकत ने उसे दकसी का कत्ल करने के ल्लए उकसाया रर वह खुद को नहीं रोक पाया
तो क्या होगा?"
उसके ल्जस्म में मौत की ल्सहरन, अकाशीय ल्बजली की माल्नन्द कौर्ंती चली गई !!!!!!!
लम्बे… चेहरे की लम्बाई कम करने के ल्लए वह बालों को अपने चौड़े मस्तक पर डाले रखता था । बाल रे शम के र्ागों की तरह
मुलायम, चमकदार रर काले थे ।
ल्नयल्मत 'ल्जम' जाने के कारण ल्जस्म बेहद मजबूत रर ठोस । वह वहुत ही हंसमुख, ल्खलंदड़ा रर सबसे प्यार करनेवाला
लडका था ।।।।
कद। इं च दस िु ट पांच----
चेहरे पर मासूल्मयत । हंसता हुआरहता बैठा भी खामोश दक ऐसा । था चेहरा सा- तो यूं लगता जैसे हौलेहो रहा मुस्करा हौले-
। कु ल ल्मलाकर यह कहा जा सकता है दक उसका व्यल्ित्व चुम्बकीय था ।। सामने बाला बरबस ही उसकी तरि मखंचा चला
जाता ।।
यही कारण था दक इतनी कम उम्र में अपने ल्पता के व्यापार को आकाश की बुलल्न्दयों पर पहुंचा ददया था ।
ल्पता की तो शक्ल तक याद नहीं थी उसे । उन्हें बस उस िोटो के जठरए पहचानता था जो 'भारााज कं स्रक्शन कम्पनी' के
मुख्य आाँदिस की दीवार पर लगा था ।
ऊंची पुश्त वाली इस ल्वशाल ठरवामकवंग चेयर के ठीक पीूे वाली दीवार पर ल्जस पर वकौल उसकी मां, कभी उसके पापा वैठा
करते थे ।।।
'चिर्र चौबे ने ।
इतनी ल्नपुणता से तो ल्बजनेस को मामा ने सम्भाल ही ल्लया था दक अनेक उतार को ल्वनम्र । रखा बरकरार बाद के चढावों-
ल्वजनेस दिर रर .बी.एल.एल पहले मेनेजमेंट का कोसध करवाया। ल्जस ददन से कम्पनी कं स्रक्शन भारााज"' के आाँदिस मे
ल्वनम्र बैठा, उस ददन के बाद से तो करोडों का व्यापार अरबोंखरबों- के व्यापार ने तब्दील होता चला गया ।
इस वि 'भारााज कं स्रक्शन कम्पनी' भारत के लगभग हर बडे शहर से "आवासीय कालोल्नयां' रर 'ल्बज़नेस काम्पलेक्स '
बनाने का काम कर रही थी । ल्वनम्र भारााज के चुम्बकीय व्यल्ित्व रर उसकी सूडबूड के कारण ल्बजनेस ददनदुनी रात चौगुनी
तरक्की करता चला गया था ।
शाम का वि।।।
पलंग पर पैर पसारे वह बहुत ही ठरलेक्स मूड में टीपीठ । था रहा देख .बी . बैड की पुश्त पर ठटकी हुई थी । ल्जस्म पर
नाईट गाऊन था । हाथ मे ठरमोट । ठरमोट के जठरए वह बार। था रहा कर चेंज चैनकस के .टीबी बार-
एक लड़की ।
एक बाजारू लड़की अपनी सैक्सी अदाओं से एक सूटेड। थी रही कर प्रयप्र का ठरडाने को अर्ेड बूटेड़-
मगर कब तक?
लड़की ने जब अपने पेट पर बंर्ी शटध की गांठ खोलकर शटध एक तरि उूाल दी तो उसके ल्जस्म के उपरी ल्हस्से पर के वल ब्रा
रह गई काले रं ग की ब्रा ।
ब्रा भी ऐसी ल्जसमें उसके भारी यौवन के कबुतर समा नहीं पा रहे थे ।
अर्ेड काली ब्रा की सीमाओं को ूोड़कर उूल पड़ने को तेयार दूल्र्या कबुतरों को देखता रह गया ।
उसके चेहरे पर ऐसे भाव थे जैसे खुद को लड़की के 'मोहपाश' में बंर्ने से रोकने की कोल्शश कर रहा हो मगर रोक न पा
रहा हो । वह आंखे लड़की के सीने से हटाना चाहता था परन्तु कबुतरों का मखंचाव ऐसा नहीं करने दे रहा था ।
रही सही कसर पूरी कर रही थी। आंखें बडी-बडी की लड़की देती ल्नमन्त्रण को अथेड़--------
वह रहे ल्हचक"' अर्ेड़ की तरि बढी । दुल्वर्ा में िं सा अर्ेड़ पुतले की माल्नन्द खड़ा नजर जा रहा था ।
कु ू इस अंदाज में उसकी आंखो में डांकती लड़की उसके नजदीक वेहद नजदीक पहुची जैसे उसे ल्हस्ोटाइज करने का इरादा रखती
हो ।
रर.........
लड़की ने नंगी कलाइं यां उसके गले से डाली । अपने पंजो पर उचकी ओर होठ अर्ेड के होंठों पर रख ददए । इतनेसब के बाद
अर्ेड़ कब तक कब तक खुद को काबूमे रख सकता था? बरबस ही उसकी भुजाएं लड़की के ल्जस्म के चारो तरि ल्लपट गई ।।
लड़की को खींचकर अपने ल्जस्म से सटा ल्लया । उसकी जीभ लड़की के मुह में घुस गई ।
वहत देर से ब्रा की कै द से आजाद होने के ल्लए मचल रहे कबुतर लड़की की ूाती पर िु दक उठे । उर्र अर्ेड के हाथों ने
उन्हें ढांप ल्लया इर्र ल्वनम्र का हाथ इतनी सख्ती के साथ ठरमोट को दबाता चला गया दक ठरमोट टू टने के कगार पर पहुच गया
।
जबड़े कस गए थे ।
ठीक वैसी ही हालत गई ------ उसकी जैसी स्वीममंग पूल पर हई थी । दिर वह इस तरह बैड से उूला जैसे दकसी
शल्िशाली मस्प्रंग ने जोर से उूाला हो ।
ठरमोट बहुत जोर से टी । मारा िें क पर स्िीन बी .
"क हुआ क्या-? क्या हुआ ल्वनम्र?" इस आवाज के साथ अथेड़ अाायु की ररत एक कमरे का दरवाजा पार करके अंदर अााई
। वह हड़वड़ाई हुई थी । कमरे का दृश्य देखकर कु ू रर हड़बड़ा गई ।
स्िीन टू टी पडी थी ।
उसके सामने खड़ा ल्वनम्र गुस्से की ज्यादती के कारण अभी तक कांप रहा था । खूबसूरत रर मासूम चेहरा ल्बगड़कर इतना
ल्वकृ त ओऱ भयंकर होगया था दक अर्ेड़ ररत उसकीमां होने के बावजूद थराध कर जहां की तहां खड़ी रहगई ।
रर ल्वनम्रह होश मानों तो को ल्वनम्र. . .ाी नहीं था दक उसकी मााँ भी कमरे में आ चुकी है, बहुत देर तक ल्स्थल्त यही
रही ।
दिर, ल्हम्मत करके मां उसकी तरि बढी । बोली तुमने डाला तोड़ क्यों .बी .टी ल्वनम्र दकया क्या ये "----?"
वह चौंका । मां की तरि पलटकर बोला डा मार उसे मैं !मां डालुंगा मार उसे मैं " ----लुंगा "!
"उसी हरामजादी लड़की को जो अभी"। थी काऱही कोल्शश की िं साने में जाल रूप अपने को आदमी एक पर बी.टी अभी-
"मक कहने "। मां पता नहीं मुडे !पता नहीं मुड-
े ाे साथ जाने उसे क्या दक र्ूम कर अबोर् बीे की तरह मां से ल्लपट गया ।
ममता में डू बी मां ने उसे अपने अंक में भीच ल्लया । अब वह मासूम वीे की तरह रोने लगा था । रोने के साथ कहता चला
गयामां"----, मुडे नहीं पता मुडे क्या होता जा_रहा है? क्यों दकसी ऐसी लडकी को देखते ही मै ाँ उसे मारने के ल्लए उतावला
हो जाता हं जो दकसी अाादमी को अपने रुपजाल में बांर्ने की के ल्शश कर रही हो । नहींां दकसी मैं. . . हालत में इतना
खतरनाक काम नहीं करना चाहता । मगर जाने वह कौन है वो … जो मेरे अंदर बैठा है । मुडे ऐसी लड़की का कत्ल करने के
ल्लए उकसाता है । मुडे डर लगने लगा है मां कहीं । मुसे है लगा लगने डर बहुत से ही खुद !, दकसी रोज मैं सचमुच दकसी
लडकी की हत्या न कर बैठू।"
उसकी बात सुनकर मां के ल्जस्म का वहुत को ल्वनम्र । गया हो खडा रोया-रोया" कसकर भींच ल्लया । सूनी आखें शून्य में जा
ठटकीं । मुह से शब्द ल्नकले"----- हे भगबान तेरे ल्वर्ान मे क्या ऐसा भी हो सकता है?"
"कहो नागपाला कै से याद दकया मुडे ?" पूूने है बाद मवंदू ने शी वाज रीगल'के पेग से भरा ल्गलास होंठो से लगा ल्लया ।
" ल्वनम्र को जानती हो?” सूअर की थूथंनी जैसे चेहरे वाले ने पूूा ।
ल्गलास सेन्टर टेबल पर रखती मबंदु ने कहा हो रहे कर बात की माल्लक के कम्पनी कं स्रक्शन भारााज तुम क्या"---?"
" ठीक समडी ।। ल्लया लगा से होठों उठाकर से मेज ल्गलास अपना ते नागपाल "
"इस दकस्म की बातें समडने में मुडे महारत हाल्सल हैं ।पर गाल ने र्बधदू " लटक आई अपने वालों की एक लट को पतली-
पर कान से अगुंल्लयों कोमल रर पतली अटकाते हुए कहामाल्लक का कम्पनी कं स्रक्शन वेड़ी सबसे की देश आज वह"---- है
रर तुम्हारा काम है बड्री बड़ी कालोल्नयां बनाने के ठे के लेनाजाल्हर तो ! हैं होंगे रहे कर बात की भारााज ल्वनम्र उसी तुम-।"
"वाकई तुम समडदार हो में अन्दाज अााकषधक ने नागपाल ही भले " ! मुसकराने की कोल्शश की थी मगर वह मुस्कान काले
रर मोटे हौंठो पर वेहद भध्र्ी लगी थीभी यह तो ही हो समडदार इतनी जब रर "---…समड गई होगी के मैने तुम्हें
दकसल्लये याद दकया है?”
"' उसी काम के हाल्सल करने की कोल्शश मेरे जैसे दूसरे ठे केठार भी कर रहे हैं। टैंडर डाले जा चुके हैं । मुडे मालूम है टैंठर--
यह पर बेस के
काम नहीं ल्मलेगा । मेरा कप्पटीटर कम से भी कम में काम करने की अपनी पॉल्लसी के तहत दुसरे बड़े कामों की तरह इसे भी
हल्थया लेगा !
“जाल्हर है ।"
" ऐसा दकस वेस पर समडते होदक मैं तुम्हारे ल्लए इस काम को हाल्सल कर सकती हं ?"
"ल्वनम्र अभी लडका है । जवान पटृ ठाबचा को खूद वह से ताप की .गोश्त मधग ! नहीं सकता । बल्कक इस तो से ख्याल मेरे .
सबसे उस को खुद भी कोई मे उम्र नहीं बचा सकता जो तुम्हारे पास भरपूर है ।एक ने नागपाल साथ के कहने " भरपूर नजर
मबंदू के गदराए ल्जस्म पर डाली ।
वह सुन्दर थी । सुन्दर शायद इतनी नहीं थी, ल्जतनी सैक्सी नजर अााती थी । उसके गोरे रर गोल मुखडे पर मोजूद नोदकली
नाक, सामने बाले को अपनी तरफ़ खींचती आंखें रर हमेशा गीले से रहने वाले होठों में ऐसा था दक हर पुरुष की इछूा उन्हें
चूमने की हो उठती ।
उसने मेज पर पड़ा 555 का पैदकट उठाया रर सोिा चेयर से उठकर खडी हो गई अपने पांच िु ट पांच इं च लम्बे ल्जस्म पर
इस वि उसने टांगो से ल्चपकी ब्लैक कलर की जींस रर’ टी शटध पहन रखी थी । बेहद लम्बी सुडौल टांगो रर पुष्ट वक्ष स्थल
के कारण वह कु ू ज्यादा ही सैक्सी नजर आती थी ।
नपे तुले ल्जस्म को रर ज्यादा नपायह क्योंदक था रखा वना इसल्लए शायद तुला- ल्जस्म ही उसकी वह दुिान थी ल्जसकी कमाई
पर ऐश दकया करती थी ।।।।
म्युल्जकल लाईटर से ल्सगरे ट सुलगाने के बाद कमरे में चहलकदमी शुरू की । बोली ----- " दुल्नयां में ऐसा कोई मदध नहीं है
ल्जसे मबंन्दू अपनी अगुंल्लयों पर नचा ना सके मगर.................
मबंन्दू ने ऐसा मुंह बनाया जैसे कु नैन की गोली िं स गयी हो । बोली आदमी र्ठटया इतने "--तुम पहले तो नहीं थे "!
" दस लाख । क्या है होगया खराब ददमाग "-- ल्चहुंका नागपाल "?"
"मंजर हो तो हां‘ कहो । नामंजूर हो तो मैं चली । 'शी वाज रीगल’ के पग के ल्लये शुदिया ।यह साथ के कहने " घूमी रर
दरवाजे की तरि बढ गई
"अरे अरे हो रही जा कहां----?" नागपाल चीखता।।। गया सा-
वह ठठठकी । पलटी रर बोली। नागपाल है नहीं टाईम ल्लए के करने वेस्ट पास मेरे"- काम होने से पहले पांच लाख देने को
तैयार हो तो तुम्हारे साथ 'शी वाज रीगल' का एक रर पैग पीने का मूड बनाऊं ।"
"प"। ल्मलेंगे लाख पांच के काम सारे "-- कहा ने नागपाल "। पाच-
ल्बन्दू बोली"! मे कमरे इसी !यहीं !अभी ढाई रर वाद के होने काम ढाई"-
" गुड ।लम-लम्वे वह साथ के ल्बखेरने मुस्कान पर होठों रसभरे एपने "बे दो ही क़दमों में न के वल सेन्टर टेबलके नजदीक आ
गई बल्कक रीगल वाज शी"' की बोतल से एक पैग अपने ल्गलास मे डालती हुई बोलीयह के वल तुम्हें अब "------ बाताना है
ल्वनम्र को मुडे कब रर कहां शीशे मैं उतारना होगा ?"
जवाब देने से पहले नागपाल को अपना पैगं हलक से नीचे उतारने की सख्त जरूरत महसूस हुई ।
ल्जस वि यह ऐसा कर रहा था ठीक उसी वि कमरे की एक ल्खडकी के उस तरि खडे बेहद पतले हाथों अपने ने शख्स दुबले-
। ददया दबा बटन का कै मरे मौजूद में
उस शख्स के कै मरे में जो अपनी हालत रर पहनावे से िक्कड़"' नजर आ रहा था । बाल ल्वखरे हुए थे उसके । कपड़े मैले ।
जूते िटे हुए रर कै मरा भी कोई खास कीमती नहीं था ।
ल्वनम्र ने ल्वनम्ररता पूवधक कहा नहीं आपको भी प्रोजेक्ट यह "--- ल्मल सकता ।"
"गगोल कोथे कम सबसे रे ट के गगोल ल्मस्टर में टेंडर मालूम कै से आपकों"---हुया सखा थोडा लहजा का ल्वना " !?"
“ओह् ।होठों के ल्वनम्र वार इस " पर मुस्कान उभर अााईहैं जानते को बात इस अााप तो "----?"
"जाननी पडी । ल्पूले एक साल से गगोल मुडे मात पर मात ददए जा रहा है । पहले ही से इस र्ंर्े से मेरे कप्पटीटर दूसरे
लोग भी है मगर वे कभी मेरा काम नहीं ूीन सके । एक साल पाले गगोल ने मुडसे अलग होकर अपना र्ंर्ा शुरू दकया था ।
तब से आज तक उसने मुडें भारााज कं स्रक्शन का एक भी काम नहीं लेने ददया । कारण एक ही है के करने काम मेरे वह-----
। है पठरल्चत तरह पूरी से स्टाईल जानता है दक अपने रे ट कहां रर दकस तरह मेरे से कम रख सकता है ।"
"वह कं पटीशन अााप दोनों का है । उस सब से मुडे कोई मतलब नहीं । ल्जस कु सी पर इस वि मैं बैठा हं उस की ल्डमांड है
कम"। कराना काम में रे ट कम-से-
"कु ू ददन पहले तक अाापका ध्यान रे ट से ज्यादा क्वाल्लटी पर हुआ करता था ।"
" अब भी हैनागपाल ल्मस्टर !, मैं आपको ल्वश्वास ददलाता हं । हैं बदली नहीं ल्बककु ल पॉल्लल्सयां की कम्पनी हमारी ---'"
"तब मैं ये कहुंगांअगर पंल्लमसंयां नहीं वदली है तो क्वाल्लटी पर आपकी तबब्जी कम जरूर हुई है ।"
" ऐसा ही है ल्वनम्र साहब हन्डेरेड परसेन्ट _एसा ही है ।एक-अपनेएक नागपाल " शब्द पर जोर देता कहता चला गया------
उस गगोल हं सिा कर साल्बत मैं " क्वाल्लटी का काम नहीं कर रहा जो क्वाल्लटी भारााज कं स्रक्शन कम्पनी को मैं ददया करता
था ।"
ल्वनम्र के गुलाबी होठो पर मुस्कान दौड़ गई बोलै नागपाल ल्मस्टर "----, दिलहाल कहने के ल्लए इसके अलावा आपके पास
औंर है क्या?"
"मैं के वल कह नहीं रहा ल्वनम्र साहब अपनी बात साल्बत करने की बात कर रहा हं "!
" ऐसा है तो कील्जए साल्बत मैं सुन रहा ह।। गया आ मे मूड ठरलेक्स भी ल्वनम्र साथ के कहने "
"मेरी बात ध्यान से सुनने रर समडने के ल्लए आपको ओबराय कांटीनेन्टल के सुईट नम्बर सेल्बन जीरो थटीन में आना होगा ।"
"सॉरी ल्मस्टर नागपालस्वर ल्नणाधयक ने ल्वनम्र "। सकता जा नहीं वहााँ मैं ! में कहाचाल्हए होना मालूम आपको"---, में
ल्बजनेस से कनेल्बटड हर डीमलंग यहां रर के वल यहीं करता दूं। अपने आाँदिस मे ।"
"जबदक यह जगह अब उतनी सुरल्क्षत नहीं है ल्जतनी कभी हुआ करती थी "!
वनाध समड चुका हुं, अााप बहां नहीं आएंगे ।रखी पर मेज ल्सरा अमतंम का ल्सगरे ट अपनी ने नागपाल साथ के कहने " एशरै में
कु चला रर बगैर जरा सी भी आवाज पैदा दकए कु सी ते खड़ा हो गया ।
उसके यूं वात अर्ूरी ूोडकर खडे होने पर ल्वनम्र को आश्चयध हुआ । कु ू कहने के ल्लए उसने मुंह खोला ही था दक नागपाल
अपने होठों पर अंगुली रखकर चुप रहने का इशारा दकया ।
ल्वनम्र चेहरे पर हैरानी के भाव उभर अााए ।
उस वि तो मानो उसकी समड में कु ू अााने को ही तैयार नही था जव नागपाल को दवे पांव अाादिस के दरवाजे को तरफ़
बड़ते देखा । वह पूूना चहता था यह --- अााप क्या कर रहे है ल्मस्टर नागपाल? मगर, नागपाल की तरफ़ से दकया जा
रहा चुप रहने का इशारा, ककं किधव्यल्वमूढ़ बनाए हए था ।
दरवाजे का खुलना था दक डोंक में 'भारााज कं स्रक्शन कम्पनी' का एक कमधचारी यूं लड़खड़ाकर आाँदिस में अााया जैसे दरवाजा
खुलने से पहले दरवाजे पर कान लगाए अंदर की बाते सुनने की कोल्शश कर रहा था ।
नागपाल ने उसके बाल पकड़कर पूरी तरह आाँदिस के अंदर खीचा । दूसरे हाथ से आाँदिस का दरवाजा वापस बंद दकया । उस
सबको देखकर ल्वनम्र अपनी कु सी से खड़ा हो गया था । मुंह से ल्नक्लानागपाल ल्मस्टर है क्या सव ये "---?"
"यह सबाल मुडसे नहीं, इससे पूल्ूए । इससे?" कहने के साथ नागपाल ने को ल्वनम्र की तरि र्के ला ।
नागपाल ने थोड़े उिेल्जत स्वर में कहा----“पूल्ूए इससे, दकसके हुक्म पर हमारी बाते सुन रहा था?"
"'क्यो ल्मस्टर पाठक ।है क्या सब ये"--- था सख्त लहजा का ल्वनम्र "? तुम दरवाजे पर क्या कर रहे थे?"
उसकी चुप्पी ने ल्वनम्र को ताव ददला ददया । हलक सैं गुराधहट ल्नक्ली"दो। जबाव " ---
वह अब भी चुप रहा ।
ल्वनम्र ने डपटकर दोनो हाथों से उसका ल्गरे बान पकड़ा । अव मरे गुस्से के उसका बुरा हाल हो चुका था । गजाध दो जवाब"---
पाठक ल्मस्टर वरना हम तुम्हें इसी वि पुल्लस के हवाले कर देगे ।"
"क्या सौरी? क्या मतलब है इस सांरी का ? " ल्वनम्र चीखा…"दकसके इशारे पर कर रहे थे ऐसा?"
ल्वनम्र आपे से बाहर हो चुका था, उसे डंडोड़ता हुआ गुराधयादो जवाब उसका है पूूा जो"-_! गगोल ने तुमसे क्या कहा था
?"
" उन्होंने कहाथा-'--ल्बनम्र साहब की दूसरे ठे केदारों से जो भी बाते हों मुडे पता लगनी चाल्हएं ।"
"जवाब दो?" ल्वनम्र ने उसकी ठोडी पकडकर चेहरा एक डटके से उठाते हुए पूूा'--""कब से कर रहे हो ये काम?"
" रर उसने के वल मेरी रर ल्वनम्र साहब की बाते खुद तक पहुंचाने के ल्लए कहा था या ल्वनम्र साहब से होने बाली सभी
ठे केदारों की बातें?" अाागे बढकर नागपाल गुराधया ।
"स ने पाठक हुए सहमे "। की सभी--_कहा---'उसने सभी की बाते सुनने के ल्लए कहा था । "'
"रर तुमने इस रकम के ल्लए जपना ईमान वेच ददया, कम्पनी से गद्दारी की"!
"अब वार हो रहे ूु पा क्यों मुंह बार-? क्या वह तुमसे दूसरे ठे क्लऱरो के टेंडसध में भरी रकम के बारे में . . .
"यह सवाल इससे नहीं, मुडसे पूल्ूए ल्वनम्र साहव ।। कहा ने नागपाल काटकर बात उसकी "
"आपसे?"
"ूरहा कचोट सवाल यह लगातार को मेरेददमाग हं। रहा मार नहीं डक से महीने : था दक गगोल ाारा ददए गए रे ट हर बार
मुडसे कम क्यों होते हैं? इििाक एक बार हो सकता है । दो बार है सकता है, मगर हर बार नहीं हो सकता । कारण पता
लगाने के ल्लए अपने ढंग से जाल ल्बूाया । ल्मस्टर पाठक के अलाया एकरर नाम दो- है जो आपसे भी तनखाह पाते हैं रर
गगोल से भी । बावजूद इसके मैं दावा नही ाँ कर सकता दक आपकी कम्पनी में घुसपैठ कर तक आदमीयों सभी के गगोत रहे-
पहुच चुका हं "!
"यहां नहीं उनके नाम बताने मैं ओबराय के सुईट नम्बर सेल्बन जीरो थटीन मे पसंद करूंगा ।"
"आपकी उम्र भले ही कम हो ल्वनम्र साहव मगर मेरी नजर मै ाँ आप इस र्ंथे के सबसे सुलडे हुए शख्स हैं ।"
नागपाल ने लोहा गमध देखकर चोट की…“मेरे ख्याल से कमबात इस आप जब कम-से- पर गोर पकरे गे दक एक तरि गगोल
आपकी इतने कम रे ट देता है, दूसरी नऱि आपके कमधचारीयों को इतनी मोटी कै से तो है बांटता भी तनख्वाहें मोटी -
सवाधइव करता होगा बचता तरीका ही एक पास उसके का करने सवाधइव : हैक्वाल्लटी-'से समडोता । सारे काम आप खुद तो
देखते नहीं । ठीक भी हैसारे --- काम एक अके ला शख्स भला देख भी कहााँ तक सकता है । क्वाल्लटी कं रोल के ल्लए आपने अलग
मवंग बना रखा होगा । उसके इं चाजध आपके मामा है । ल्मस्टर चिर्र चौबे ।।।
उनकी ठरपोटध पर ल्वश्वास करने के अलावा आपके पास कोई दुसरा दुसरा चारा नहीं हैं । मुडे कहना नहीं चाल्हए पाठक जेसे
लोग उस मबंग में भी हैं ।।।।
‘भारााज कं स्रक्शन कम्पनी' का काम न ल्मलने के कारण मैं ददली तोर पर बेहद दुखी था । बारसे ददमाग बार- एक ही बात
अााती दकहै रहा कर कै से काम पर रे ट कम इतने गगोत-? मैंने इन्कवायरी कराई । जानकाठरयां चौंका देने बाली ल्मली । पाठक
को पकडा जाना तो कु ू भी नहीं है । अगर अााप ओबराय में मुडसे ल्मले तो मैं न के वल पाठक जैसे दूसरे लोगों को बेनकाब
कर दूंगा बल्कक यह भी साल्बत कर दूगा दक गगोल क्वाल्लटी में कहां रर दकस दकस्म की गडबड़ कर रहा है । गोर करे ल्वनम्र
साहब, मैं के वल बताने की नहीं बल्कक साल्बत करने की बात कर रहा हं । अनेक सबूत इकटू ठे कर ल्लए हैं मैंने । ये सभी
आपके समक्ष रख ददए जाएगे ।"
ल्वनम्र की अवस्था ऐसी थी जेसे ल्नश्वय नहीं कर पा रहा हो क्या करे ।।
। ' "के वल क्वाल्लटी से है समडोता नहीं हो रहा बल्कक ऐसेरहे जा दकए काम ऐसे- हैं ल्जसके पठरणामस्वरुप भल्वष्य में भारााज
कं स्रक्शन कम्पनी का नाम लेवा, पानी देवा तक कोई नहीं रहेगा ।"
"जानना चलते है तो आज रात नौ बजे ओबराय के नम्बर सेल्वन जीरो थटीन मे पहुंच जाए ।"' कहने के बाद एक क्षण ल्लए
भी नागपाल वहां रूका नहीं, हवा के डोंके के तरह दरवाजा खोलकर बाहर ल्नकल गया जैसे जानता हो इतने सबके बाद ल्वनम्र
खुद भी चाहे तो खुद को ओबराय पहुचने से नहीं रोक सकता ।
"िटिट.....' करता थ्रीगंदी रहीलर- वस्ती में ल्स्थत 'माठरया बार। स्का सामने के " ल्पूली सीट से वह पतलादुबला- शख्स
उतरा ल्जसके ल्जस्म पर मैले िपड़े रर िटे हुए जूते थे । सस्ता कै मरा अभी भी गले में लटका हुआ था ।
बेहद पतला था वह ।
इतना ज्यादा दक लगता। जाएगा चला उड़ता तरह की पतंग तो चले हवा तेज यदद-
ूोटीजैसी मक्खी रखी पर ठोडी सी- िे चकट दाड़ी उसके व्यल्ित्व को रर भी ज्यादा हास्यस्पद वना रही थी ।
मूल्लयों की बदवू िै ली हुई थी मगर उसके नथुनों मैं जेसे कु ू घुसा ही नहीं ।
"थ्रीमें जेब की जींस ल्पटी-ल्घसी अपनी ल्लए के देने पैसे को वाले "रहीलर- हाथ डाला । जींस पतली इतनी से टांगों पतली-
च ज्यादाल्ापकी थी दक लम्बीलम्बी- अंगुल्लयों वाला अपना हाथ जेब में र्ुसेड़ने ल्लए कई कोण बदलने पड़े ।
नोट भी कपडों की तरह ल्घसेबार माठरया" वह वाद के करने पेमेन्ट । थे मैले रर ल्पटे-' की तरि बड़ गया ।
'वार' शब्द तो 'माठरया' के अाागे बस ल्लख भर ददया गया था । असल में यह देशी शराब का ठे का था । दो दुकानों के
बीच में एक जीना था ।
सीदढयां उतरकर पतला दुवला शख्स वेसमेन्ट में पहुंचा । वहां एक हााँल था । बीड़ी रर ल्सगरे ट के र्ुबे से भरा हाल । चारों
तरि शोर र्ा । अजीबसा- ल्चकलमेज गंदी । पों--ाेां रर सस्ती कु र्सधयां ।। मेजों पर देशी शराब की बोलले, अद्धै, परवे रर
वेढंगे से ल्गलास । अखबार के टु कड़ों पर कहीं तली हुईं दाल रखी थी तो कहीं पकौल्ड्रयां ।
इतनी तन्दुरुस्त दक अछूेथी होती नहीं की उलडने उससे ल्हम्मत की मदध अछूे- । रं ग गोरा, चेहरा चौडा रर वाल ब्यौयकट"'
थे । हमेशा की तरह वह हााँल के एक कोने में बने काऊंटर के पीूे ऊचे स्टू ल पर बैठी थी । जब्र उसने गले में कै मरा लटकाए
पतले दुवले शख्स को सीदढयां तय करने के बाद अपनी तरि अााते देखा ल्चहुंकौ ।
"तू दिर यहााँ अाा गया?" उसने पतलेहै कहा बार दकतनी---कहा ही अााते नजदीक के शख्स दुवले-, यहां बगैर 'नावे' के
दारू नहीं ल्मलती ।"
"में दारु पीने नहीं अााया ।"' पतले। कहा ने शख्स दुबले-
नस। तेरी हं वादकि से नस-'" माठरया ने कं हा इम । है पर दौलत मेरी नजर तेरी"---'बार' पर है । मेरा पल्त बनने के
बहाने असल में तूं इस बार का माल्लक बनना चाहता है । दकतनी बार कहुं मैं दकसी िक्कड"' से शादी नहीं कर सकती ।"
यह एक कमी दुल्नया की दूसरी सारी कल्मयां अपने अााप पैदा कर देती है ।"
पतलेकहा में स्वर र्ीमे थोड़े खुलकर पर काऊन्टर ने शख्स दुबले-'--"अगर यह कमी दूर हो जाए तो?"
"अंदर चल । बताता बहुत जकदी मैं लखपल्त"ह। वाला वनने करोड़पल्त तो लगा मौका बल्कक ..
"देख ल्वज्जू उसे लेकर नाम का शख्स दुबले-पतले वार पहली ने माठरया "! चेतावनी दी…“तेरे कहने पर चल तो रही हं कांउटर
ूोडकर अंदर, मगर टाईम खोटा दकया तो मुडसे बूरा कोई न होगा । इतनी ढु काई करूगी दक मेरे वार की तरि पैर करके तूं
सो तक नहीं सके गा ।"
जवाब मे माठरया ने इस बार कु ू कहा नहीं, काउन्टर के एक कोने से 'पकला' हटा ददया ।
दोनो दरवाजा पार करके जहााँ पहंचे वहां एक ठीक। था कमरा ठाक-
माठरया का बैडरुम था यह । नये िै शन के डबल वेड के अलावा एक कीमती सोिा सेट भी पड़ा था ।
उन्तीस इं च का टी.बी., म्यूल्जक ल्सस्टम आदद ऐसी हर चीज थी जो दकसी भी ल्मल्डल क्लास शख्स के बैडरुम में हो सकती थी
। दरवाजा वापस बंद करने के साथ माठरया ने क्हाहै चाहता बकना क्या । बक ज़कदी"--?"
"ये तो तुडे मालूम है न दक मैं तुडसे शादी करने के ल्लए ठीक उसी तरह मरा जा रहा हं जैसे दिकम र्ड़कन मे सुनील शेटटी
ल्शकपा से शादी करने के ल्लए मरा जा रहा था ।"
“हां 1 मगर . . .
"मगर?"
"अनेक बार कह चुकी हं …मैं दकसी िक्कड़ से शादी नहीं कर सकती ।"
"इसील्लए कै मरा गले में लटकाए अमीर बनने का ख्वाब देखता इस शहर के अमीरों की पठरिमा में मशगूल रहा करता था । "
ल्बज्जू कहता चला गयायह है अमीर आज जो आदमी भी कोई-था ख्याल मेरा"-- सीर्े रास्ते से अमीर नही बना हो सकता ।
यकीनन उसने कभी न कभी कोई न कोई ऐसा काम जरुर दकया होगा ल्जसका भेद खुलने की शंका से उसकी िूं क सरकती होगी
।। अपनी इस दिलॉस्िी के तहत मैंने कई अमीरों का पीूा दकया । उनकी ल्नजी ल्जन्दल्गयों में डाका । हसरत एक ही थी…-यह
दक उनकी िूं क सरकाने वाला प्वाइं ट हाथ लग जाए तो र्न की ल्जस गंगा में वह नहा रहा है उसमे दो चार डु बदकयां लगाने
का मौका मुडे भी ल्मल जाए । तू तो जानती है…अपुन तो दो चार डु बदकयों से ही तर होसकता था पर हाथ लगा तो समुद्र ही
हाथ लग गया है ।।।। दकस्मत ने साथ ददया तो उस समुद्र से एक नदीकी वार । ल्नकलेगी बह तरि की बार इस तेरे . तरि
इसल्लए क्योंदक तब तूमेऱी अर्ाधगनी होगी ।"
"क्या बके चला जा रहा हे, मेरी समड में कु ू नहीं आ रहा ।"
"एक अमीर आदमी अपने से ज्यादा अमीर आदमी से काम ल्नकालने ल्लए एक लड़की का इस्तेमाल करने वाला है ।"
" तो ?"
"कोल्शश कर समडने कीर मीआद अमीर ज्यादा वह है मालूम मुडे जब !र लड़की कहां ल्मलने बाले हैं तो उनके िोटो खींच
लेना क्या मुल्श्कल होगा । सोच ।। ध्यान से सोचिोटु ओॉ गए खींचे ाारा मेरे----- को देखकर उस ज्यादा अमीर आदमी बल्कक
यूं कहना चाल्हए दक उस र्नकु वेर"' की ल्घग्र्ी नहीं बंर् जाएगी? क्या उन िोटु ओं की कीमत के रुप में वह वही ल्नकालकर मेरे
सामने नहीं रख देगा जो मेरे मुंह से ल्नकलेगा ।"
लालच के कीटाणु जुगनू वनकर माठरया की क्टोरे जैसी आंखों में था ल्डलल्मलाने लगे थे । पहली बार उसने इन्रेस्ट लेकर पूूा--
मेरे तू बताने सब यह पर"- पास क्युं अााया है ?"
"पहला। थी जरुरी देनी को तुड खबर यह हं वाला ही वनने वस लायक तेरे मैं । है पप्री-र्मध वालो होने मेरी तू----
ं
“वह लडकी रर र्नंमुबेर िाईव स्टार होटल में ल्मलने वाले है । जाल्हर है उनके िोटो उतारने के ल्लए मुडे भी वहााँ जाना
होगा ।। तूं समड सकती है, अगर इन कपडों ने िाईव स्टार होटल में घुसने की कोल्शश की तो उसके दरबान ाारा ही उठाकर
गटर में िैं क ददया जाऊंगा । मेने ठीक क्या या गलत ।"
"ठीक ।"
"गया तो हं नही ाँ पहले कभी पर सुना हैहै ल्मलती चाय साली तो की रुपये पचासो- । इस ल्हसाब से हजार दो हजार रुपये तो
जेब में होने ही चाल्हएं । जो बचेगा ईमानदारी से तुडे तोटा दूगा ।"
रर दिर।।।।।।
एक सांस में उसे सब कु ू बताता चला गया । सुनते वि उसकी आंखें जुगनुओं की माल्न्नद चमकने लगी थी ।
मगर| सुनने के वाद बोली-------''' अगर में यह कहुं यह सारी कहानी डूटी है "!
"उठकर चला जाऊंगा"। लूंगा मांग से रर दकसी रुपये हजार पाच चार रर कपड़े !
"पांच हजार की तो वीत ही ूोड़ । पांच कौडी तक नहीं देगा तुडे के ई " !
"मानता हं । सार्ांरण अवस्था में भले ही नहीं देगा मगर जब वो सब बताऊंगा तुडे बताया है तो लपक की वातो देने लपककर-
जाएगी लग लाईन। कम से कम वे तो देगे ही ल्जन्हे पता है मैं लफ्िाजी नहीं करता ।"
“वे तुडे कपड़े रर पैसे भले ही दे दे मगर वैसी सलाह नहीं दे सकते जैसी मैं दे सकती हं ।"
“कै सी सलाह?"
"क्या तू समडता है दक जब ल्बन्दू ओर ल्वनम्र ल्वस्तर पर होगे तो उनके कमरे की'लाइं ट अाान होगी ?"
"वहुत िकध पडता है गर्ेलाईटें पर मोको ऐसे होगी आि लाईट से ख्यात मेरे ! अक्सर आाँि हुआ करती है । क्या तेरा ये
खटारा के मरा अंर्ेरे में िोटो खींच सके गा?"
डटका दक डटका ऐसा । को ददमाग के ल्बज्जू लगा सा-'मुह' से कु ू न ल्नकल सका । के वल देखता रहा माठरया को । अंदाज
ऐसा था ल्चल्ड्रयाघर में मौजूद सबसे ल्बल्चत्र जानवर को देख रहा हो ।
"क्यों हो गई हवा शंट?" माठरया ने अपना तीर सही ल्नशाने पर लगा देख ल्लया था…"उतर' गया एक ही डटके मे अमीर
बनने का भूत?"
"बात तो तूने एकदम सही कही । बल्कक तूं हमेशा सही बात कहती है । इसील्लए तो कद्र करता ह तेरी । वास्तव में दुसरा
कै मरा चाल्हए ।
ऐसाजो अंथेरे मेिोटो खींच लेता है ।"
"क लाख ढाई ज्यादा से ज्यादा रर "------गई हकला :स्वत आवाज ल्बज्यूकी वि बताते "। का हजार पचास कम से कम-
"। का
"कोई नहीं देगा मेरी अम्मा । मगर तू वता ---तूं भी देगी या नहीं?"
"'एक लाख का अााया था । अाादमी के कान पर रखकर भी बटन दबाया जाए तो आवाज सुनाई नहीं देती । देनी कहां से ।
बटन दबने पर आवाज होती ही जो नहीं है ।"
"कोई काम नहीं बना है । भला मैं तुडे इतना कीमती कै मरा क्यों देने लगी?"
"मैं इन चक्करों में अााने वाली नहीं हं ल्बज्जू राजा "! एक बार दिर माठरया ने उसका सेटैंस पूरा नहीं होने ददया ।
ल्बज्जू ने पूूा-----'' दकस दकस चवकर में आएगी मेरी रानी?"
"बडी ल्सयानी है तू। थोडे से कपड़े, एक कै मरा रर पांच हजार खचध करके पांच करोड कमाने के िे र में पड गई मगर खेर
अाार्े की क्या बात करती है । तुडे तो मैं पुरा का पूरा ल्हस्सा देने को तैयार हं ।। जव तू बीबी ही वन जाएगी मेरी तो
हमारा बांटेगा कौन?"
"ठीक क्या तूनेजैसी सूंड की हाथी । उठी से स्थान अपने बह साथ के कहने "! टांगो पर चलती हुई ल्बज्जूके नजदीक पहुची
डुकी… रर इससे पहले दक ल्बज्जू कु ू समड पाता उसने अपना भाड़ल्लए भींच उसमे हौंठ दोनों के ल्वज्जू खोलकर मुंह सा- ।
ल्जस वि यह उसके होठों को चुसक रही थी उस वि ल्वज्जू सोच रहा था यह हाल तो माठरया का तब है जव के वल उम्मीद
बंर्ों है दक वह र्नवान बनने वाला है जब वह र्न की गंगा का माल्लक बन चुका होगा तब तो यह उसे अपनी गोदी में
उठाए।।।। करे गी घूमा उठाए-
सुनहरे भल्वष्य की ककपनाओं के साथ ल्बज्जू ने माठरया के उस ल्जस्म को अपनी बांहों में समेटने की असिल के ल्शश की जो
बनमानुष तक की बांहों मे पूरा नहीं समा सकता था ।।।।।।
ल्बज्जू के ल्जस्म पर 'ग्रे' कलर का शानदार सूट था । बैसी ही टाई । ' सिे द शटध रर टाई में लगा था एक ल्पन । ऐसा
'ल्पन' ल्जसमे नग लगा था । ल्पन देते वि माठरया ने कहा था…"भले ही यह नग दो कोड़ी का नहीं है लेदकन इन कपडों के
साथ िाईव स्टार में जो भी देखेगा 'डायमंड' का समडेगा ।"
ओबराय से दाल्खल होते बि वह अकड़ा हुआ भी कु ू इसी तरह था जैसे सचमुच डायमंड का ल्पन लगाए घूम रहा हो । दरबान
ने जव कांच वाला गेट खोलने के साथ सलाम टोका तो उसने गदधन को जुल्म्वश तक नहीं दी । ज्यों की त्यों अकड़ाए दरवाजा
पार कर गया मगर लम्बीलसेन्द्र वहां ही रखते कदम में लााँबी चौड़ी- ए।।।। लगे ूू टने पसीने वावजूद के ठं डक की .सी-
कारणहै दकर्र बढना था नहीं मालूम उसे-? उस वि वह लॉबी में इर्रएक जब था रहा भटक उर्र-
अटेण्डेन्ट ने नजदीक पहुंचकर सम्मानजनक अंदाज मे पूूासर यु हेकप अााई मे--?”
"अटेण्डेन्ट कर मदद कोई आपकी मैं क्या"---पूूा मे ल्हन्दी साथ के सम्मान ही उतने :अत आती नहीं इं ल्ग्लश उसे गया समड "
हं सिा?”
हड़बड़ाए हुए ल्वज्जू के मुह से ल्नकलाहै जाना में थटीन जीरो सेल्बन नम्बर सुईट मुड"
े --- ।"
"ल्लफ्ट नम्बर िोर आपको सैल्वन्थ फ्लोर पर ूोड देगी ।। दकया इशारा तरफ़ की िोर नंबर ल्लफ्ट ने अटेण्डेन्ट "
' ल्बज्जू बगेर एक पल भी रुके ल्लफ्ट नम्बर िोर की तरफ़ बढ गया ।
असल में अपने नजदीक अटेण्डेन्ट की मौजूदगी उसे मुसीबत नजर आ रही थी । इसी: शंका ने प्राण ल्नकल ददए वे उसके दक
उसने अगर उसने कु ू रर पूू ल्लया तो क्या जवाब देगा। ल्जतने तेज कदमों के … साथ वह अटैण्डेन्ट से दूर हआ उससे लग
रहा था जैसे दौड़ रहा हो ।
कोट की जेब थपथपाई। था मौजूद यथास्थान कै मरा स्पेशल गया ददया ाारा माठरया-
ल्लफ्ट के नजदीक पहुंचकर ल्लफ्ट में ना घुसना उसे अजीब सा लगा इसल्लए ल्लफ्ट में घुस गया ।
''स जो यादद कह भी यह उसने । थटीन जीरो सेल्बन नम्बर ।सुईट सेल्वन--पूूा नहीं गया था ।
ल्लफ्टमैंन ने सात नम्बर बटन दवा ददया । यात्रा शुरु हो गई ल्बज्जू इस खौि से सांस रोके खड़ा रहा दक ल्लफ्टमैंन कहीं कु ू
रर न पूू ले । मगर, उसने कु ू नहीं पूूा । ल्लपट सातवीं मंल्जल पर जाकर रुक गई गेट खुलते ही ल्बज्जू उसके पार कू द सा
पड़ा । गेलरी में ल्बूा कालीन इतना गदूदेदार था दक नए जूते उसमें र्ंसते"’ से लगे ।
ल्लफ्टमैंन नाम की मुसीबत से बचने के ल्लए उसने जकदी से ल्लपट के सामने से हट जाने में ही भलाई समडी जबदक इसकी
जरूरत नहीं थी ।।।।।।
गदधन र्ूमा कर दोनों तरफ़ देखा । कहीं कोई नहीं था । सभी दरवाजे बंद । दरवाजों पर नम्बर ल्लखे थे । उसे सेल्बन जीरो
थटीन की तलाश थी । उसी की तलाश में एक तरि को बढ़ गया ।
वह जानता थासुइ-ांट नम्बर सेल्वन जीरो थटीन में ल्वनम्र रर मवंदू को रात के नौ बजे ल्मलना था । अभी दोपहर के दो बजे
थे । उसने वहुत पहले ही सुईट में घूसकर ूु प जाने का इरादा बनाया था । मगर अब लगाही ज्यादा कु ू वह------ जकदी
आ गया है ।
दिर सोचा वहीं न क्यों तो हं गया ही आ"---जाकर ूु प जाऊंहै करना क्या भी रहकर बाहर !?
सह सब सोचता बढा चला जा रहा था दक नजर सेल्वन जीरो थटीन पर पडी । ददल जौर - जोर से र्डकने लगा । एक बार
ाँ
दिर उसने गेलरी में दोनों तरि देखा । कहीं कोई नहीं था । मौका अछूा देखकर हाथ हैंल्डल की तरफ़ बढाया । मगर हैल्डल
को कई बार घुमाने रर डटके देने के वावजूद दरवाजा नहीं खुला । इस एहड़ास ने उसमे 'घबराहट' पैदा करदी दक दरवाजा
लाक है ।
यह बात तो उसे सुड ही जानी चाल्हए थी दक सुईट नम्बर सेल्यन जीरो थटीन का दरवाजा अपने स्वागत मे उसे चौपट खुला
नहीं ल्मलेगा । होटल के कमरे जब खाली होते हैं तो बंद ही रहते हैं तभी खुलते हैं जव कोई ग्राहक अााता है रर आज के
ग्राहक नौ बजे अााएंगे । ल्ब'दु अगर ल्वनम्र से कु ू पहले भी आई तो ज्यादा से ज्यादा आठजाएगी आ बजे आठ साढे- ।
दिरजाएगा कै से अंदर वह भला दिर.. .? कै से अंदर जाकर ऐसे सुरल्क्षत स्थान पर ूु पेगा जहां उन दोनों में से दकसी की नजर
न पड सके ।
चेहरे पर ल्नराशा के भाव ल्लए सुईट नम्बर सेल्वन जीरो थटीन के बंद दरवाजे के सामने से हटा रर लगभग वेमकसद गेलरी में
बढ़ गया ।।।।।।।
एक मोड़ पर मुड़ते ही ठठठक जाना पडा । वहां दोउनके । थी आई नजर ररते तीन- साथ कािी ऊंची एक राली थी । राली
पर तरहयोंशील्श की शेम्पुओाँ के तरह-, साबुन, रुम फ्रैशनर, पेपर रोल रर हेयर कवर जेसा अनेक सामान रखा था । वह
समड गया वे ररते होटल की सिाई कमधचारी हैं । गेलरी के उस ल्हस्से में ल्स्थत ज्यादातर कमरों के दरवाजे खुले हुए थे ।
ररते 'वैक्यूम क्लीनर' से कमरों रर गेलरी के कालीन साि कर। थी रही-
उसने एक सिाई कमी मल्हला के नजदीक पहुंचकर कहाहैं सकती कर हैकप मेरी आप क्या मेडम"-?"
"दरअसल मुडे सुईट नम्बर सेल्वन जीरो थटीन में रहने वाले ने दो बजे बुलाया था । मैं राईट टाईम आ गया जबदक वह कमरे
में नही है। शायद कहीं िं स गया है लेदकन टाईम ददया है तो अााता ही होगा ।"
"तुम्हारी इजाजत हो तो मैं सुईट में बैठकर उसका इन्तजार कर लूं ।"
"जी ।"
" सारी सरनह ल्लये के रर दकसी रूम का दकसी हम !ाीां खोल सकते "। है सकते कर इन्तजार जाकर मे लााँबी नीचे आप !
"पता नहीं कै सेनहीं कीमत की वि के दूसरे । में दुल्नया इस हैं लोग कै से- समडते । सुनाने वाक्य यह को मल्हला बड़बड़ाकर "
र कु ू को ल्बज्जू अलावा के र नहीं सूडा । अब वह ल्नराश हो चला था । सुईट है दाल्खल होने की कोई तरकीब 'ददमाग ने
नहीं जा रहीं ।
वह यूंही गैलरी में चहलकदमी करने लगा । अंदाज ऐसा था जैसे नागपाल का इं तजार कर रहा हो । एकाएक ल्वज्जू की नजर
की मास्टर"'पर पड्री ।
एक बार नजर पड़ी तो वहीं ल्स्थर होकर रह गई वह राली ने सबसे ऊपर रखी थी ।
मल्स्तष्क में र्माकादरवाजे सभी के फ्लोर इस ल्जससे है चाबी यह"----हुअ सा- खोले रर बंद दकए जा सकते हैं । सुईट
नम्बर सेल्वन जीरी थटीन का दरवाजा भी । इसी के इस्तेमाल से तो ये लोग सिाई कऱती हैं ।। वह पुनसे मल्हला : मुखाल्तब
हुआ"-----' क्या तुम मेरे ल्लये . .
"सौरी सराकहा साथ के सख्ती थोड्री ही पहले से होने पूरा वाक्य उसका उसने बार इस "…“मैं सुईट नहीं खोल सकती ।"
" तो ?"
"नीचे होटल शाप से जाकर रपल िाईव का एक पैकेट ले आओे साथ के कहने "! उसने जेब से पांच सौ का नोट ल्नकालकर
मल्हला की तरि बढा ददया था ।।।
' "मेरी समड में नहीं आरहा अााप लाबी में जाकर खुद ही ।"
इस वार ल्वज्जू ने उसका वाक्य काटकर आखरी हल्थयार चलायातुम्हारे बाकी पैदकट एक के वल"----?"
ररहै गया कर काम हल्थयार यह . ., इसका एहसास ल्बज्जू को मल्हला की आंखों से हो गया। क्षण भर के ल्लए उनमें आश्चयध
के भाव उभरे थे . . . . .
अगले पल लालच के जुगंनूं नजर अााए । दिर, ल्वज्जू ने उसके हौठों पर वह मुस्कान देखी जो शुरू से लेकर अब तक नजर
नहीं अााई थी ।
नोट ल्बज्जू के हाथ से यूं खीचा जैसे डर हो दक कहीं वह उसे वापस जेब मे न रख । बोली…"पैदकट के वल सौ रुपये का अााएगा
सर ।"
" कहा न । '" खुद ल्बज्जू के होठों पर दुलधभ मुस्कान उभरीबचेगा जो------, वह तुम्हारा ।"
"अभी लाई सर ।। अभी लाई ।दी लगा सी-दोड़ तरि की ल्लफ्ट उसने बाद के कहने " थी । पलक डपकते ही मोड़ पर घूमकर
ल्वज्जू की आंखों से ओडल हो गई ल्बज्जू को पहली वार लगा वह कामयाबी के नजदीक है । गदधन घुमाकर इथर उर्र देखा ।
बाकी मल्हलाये अपने। थी मशगूल में सिाई की कमरे अााए में ल्हस्से अपने-
उसकी तरि दकसी का _ध्यान, नहीं था । बड़े आराम से हाथ बढाकर 'मास्टर की' उठा ली । दूसरा हाथ बढाकर राली पर
रखी ढेर सारी साबुन की ठटदकयों से से एक ठटक्की उठाई । उसका पररे "' अलग करके कोट की जेब के हवाले दकया रर दिर,
चाबी को साबुन पर रखकर जोर से दवा ददया । इतनी जोर से दक साबुन पर चाबी का पूरा अक्स वन जाए ।
स्िाई कमधचाठरयों के इं चाजध' ने की मास्टर"' उठाकर दराज में रख तो ली मगर उसके तुरन्त बाद थोडा चौंकसा- गया । अपने
हाथ में, उसी हाथ में अजीब सी-'ल्चकनाई' महसूस की ल्जससे चाल्बयां उठाकर दराज में रखी थी । ध्यान से अपना हाथ
देखाके अंगूठे के हाथ उस दिर ! ल्सरे को रर बीच वाली अंगुली के ल्सरे पर रगड़ा । ल्चकनाई का एहसास सािसाफ़- हुआ ।
उसमें वे सभी चाल्बयां पड़ी हुई थीं जो सिाई करने वाली ररते प्रल्तददन की तरह काउन्टर पर रखकर गई थी । ल्जन्हें उसने
एक। था डाला में दराज के कर एि-
करीब पन्द्रह चाल्बयां थी वे । कु ू देर तक उन सभी को इस तरह घूरता 'रहा जैसे ल्बकली चूहे के ल्वल को घूर रहीं हो, जैसे
इं तजार का रही हो कव चूहा ल्नकले रर ...................
इस बार उसके चेहरे पर ल्नराशा के नहीं बल्कक आशा के भाव उभरे थे । आंखों में ऐसी चमक जगमगाई थी
उसे अन्य चाल्वयों से अलग काउन्टर पर रखा रर वाएं हाथ की अंगुल्लयों को ल्सरों को आपस में रगड़ा । उस हाथ से भी बैसी
ही ल्चकनाई महसूस की जैसी दाएं हाथ में महसूस की थी ।
अब उसकी आंखों में वैसे भाव थे जैसे कामयाबी हाल्सल करते पर 'इन्वेल्स्टगेटर' की आंखों में होते है । चाबी वापस उठाई ।
उस पर ल्लखा 'सात' नम्बर पढ़ा । कु ू देर तक चाबी को यूं उलटर देखता कर पुलट-हा जैसे चाबी, चाबी न होकर पहेली हो
। दिर, चाबी वापस काउन्टर पर रखी ।
एक ल्सगरे ट सुलगाई । कािी देर तक जाने क्या सोचता रहा । कश लगाने के बाद सारा र्ुवां लम्बी नाक के दोनो नथुनों से
ल्नकालना उसका ल्प्रय 'शगल‘ नजर अााता था । ल्सगरे ट अभी खत्म भी नहीं हुई थी दक काउन्टर पर रखा िोन अपनी तरि
खींचा । एक नम्बर डायल दकया रर दूसरी तरि से ठरसीवर उठाया जाते ही बोला"! है करनी वात से गोडास्कर इं स्पेक्टर"-
''अगया बौखला थोड़ा वह "! हैं रहे बोल ही आप साहब गोडास्कर ! रह--'---‘"मैं ओबराय होटल का सिाई इं चाजध
बोल रहा हं ।
दुगाध प्रसाद खत्री अााप यहां अााते रहते हैं । मैं कई बार आपसे ल्मल चुका हं !!!
" हां ।में इलाके के गोडास्कर होटल तुम्हारा । है याद " है इसल्लए अाानाजाना- तो लगा ही रहता है । जाल्हर से जावाज "
गोडास्कर मौजूद तरि दूसरी दक था बोलने के साथन हो खत्री प्रसाद दुगाध वही तुम"--था रहा भी खा कु ू साथ- ल्जसे दिकमों
के शोक ने िाईव स्टार होटल में ला पटका ।"
"जी हां ठ ल्बककु ल । साहब इं स्पेक्टर हां जी "ाीक पहचाना आपनेवही मैं ! दुगाध प्रसाद खत्री हं । बचपन से एकही शोक
है…दिकमें देखना । दिकम स्टारों का दीवाना हं । उनसे ल्मलने, उनसे हाथ ल्मलने से मुडे वेसा ही रोमांच होता है जेसा ूक्का
मारने मे सल्चन तेंदल
ु करने लोगों । होगा होता को- कहास्टार "----, िाईव स्टार होटल में अााते रहते हैं । यहााँ ठहरते हैं ।
इसल्लए यहीं नोकरी कर ली रर लोगों ने ठीक ही कहा था । मेरी अाॉटोग्राि बुक में पांच सौ पैंसठ साईन हो चुके हैं ।"
. "ये दिकम ताराचंद वड़जात्पा ने बनाई थी । हीरो र्मेन्द्र था । हीरोईन राखी ।"
"ल्मस्टर दुगाध प्रसाद खत्रीदूसरी है लगता गया ल्हल ददमाग तुम्हारा ! तरफ़ से गुराधकर कहा गया एक करके िोन में थाने"-
बारे के दिकम से इं स्पेक्टर में ल्डस्कसन करने भी सजा जानते हो ?"
"सनहीं ल्डस्कसन पर दिकम आपसे मैं मगर--गया सा-हड़बड़ा खत्री "। सर सारी- कर रहा हं। यह कहना चाहता हं दक दक उस
दिकम में र्मेन्द्र एक बैक मेनेजर था । वह अपने बेंक में के डकै ती के के स मे िं स जाता है । बाद में, यानी फ्लैश बैक मे उसे
याद अाााता है दक एक ददन जब वह बैक से वापस आया था रर अपने बाथरूम में जाकर हाथ र्ोए थे तो बगैर साबुन
लगाए उसके हाथों में इस तरह के डाग बनने लगे थे जैसे साबुन लगाने के वाद हाथ र्ो रहा हौ ।"
गुराधहट कु ू रर ककध श हो गई…-"ये तुम दिकम के बारे में के ल्डस्कसन नहीं कर रहे हो तो क्या कर रहे हो?"
"नो सर । मैं दिकम के बारे में ल्डस्कसन नहीं कर रहा मगर दिर भी कहना पड रहा है…उस दृश्य के बाद र्मेन्द्र की समड में
यह बात अााई थी दक बगैर साबुन लगाए उसके हाथो में साबुन कहााँ से जा गया था ।"
"असली डकै तों ने उन चाल्बयों के अक्स साबुन पर ल्लए थे जो बैक मैंनेजर होने के नाते र्मेन्द्र के कब्जे में रहती थी । डकै तों
ने उन अक्सों के जठरए चाल्बयां बनवाई रर डकै ती डाली । िं स गया बेचारा थमेन्द्र क्योंदक चाल्बयां उसी के चाजध में रहती थी
।"
"िोन रखो । "' इस बार इं स्पेक्टर का र्ैयध मानो जवाब है गया…-गोंडास्कर तुम्हें ल्गरफ्तार करने वहीं अाा रहा है ।"
"आईए । जरूर इाईए इसल्लए तो िोन दकया है मगर मुडे ल्गरफ्तार करने नहीं । मैं र्मेन्द्र की तरह लेट नहीं हुआ उसकी तरह
फ्लैश बैक में याद नहीं अाा रहा है मुडे यह सब । गड़बडी हाथों हाथ पकड ली है । बल्कक मैंने तो वह चाबी भी खोज
ल्नकाली है ल्जस पर साबुन लगा है । यकीनन दिल्मनकस ने इसी चाबी का एक्स ल्लया है । िलोर नम्बर सेल्वन की मास्टर"
काी' है ये । एक फ्लोर की एक ही 'मास्टर की' होती है । होटल में पन्द्रह िलोर हैं । पन्द्रह की पन्द्रह चाल्बयां चाजध मेरे :
। हैं साफ़ एकदम चाल्बयां चौदह बाकी । है रहती में के वल सात नम्बर पर साबुन लगा है । इससे जाल्हर है दिल्मन्लस सातवीं
मंल्जल पर कोई िाईम करने वाले हैं ।"
इस बार थोड़े सतकध रर गम्भीर स्वर में पूूा गया…"सेल्बन्थ फ्लोर की 'मास्टर की‘ पर साबुन लगा है?"
"जी ।"
"तुमने कै से जाना?"
"इसमे कै से की क्या बात है"। हैं सकते देख खुद अााप आकर यहां !
" मुखध , ल्जन चाल्बयों से तुम अपनी चाबी की तुलना कर रहे हो वे बैक की चाल्बयां थी । होटल कमरों में ऐसा क्या होता है
ल्जसे लूटा जा सके ।"
खत्री गडबडाशख्स कोई सूडा नहीं उसे सचनुच-था कारण का गड़वड़ाने । गया सा- दकसी फ्लोर की चाबी का अक्स लेकर क्या
िायदा उठा सकता है । उसने तो बस 'जीवनमृत्यु-’ के सीन का ध्यान आते ही अल्त उत्साह मे िोन कर ददया था । हकलाता-
"--गया चला कहता हुआ सा'य। नहीं ही सोची मैंने तो बात यह । सर वाकई- मुडे तो बस इतनां सूडा दकसी भी मैं कही--
मे बाद । जाऊं िं स न में लिड़े, थमेन्द्र के तरह फ्लेश बैक मे सब कु ू याद करने का शायद मुडे कोई िायदा न ल्मल सके ।
इसल्लए िोन कर ददया अगर गलती हो गई तो माफ़ ..........
"रर देखने के ल्लए गोडास्कर को वहााँ आना ही पडेगा । के कहने "साथ दूसरी तरफ़ से ठरसीवर रख ददया गया ।
अबबेवकू िी या की होल्शयारी उसने करके िोन को गौडास्कर दक थी रही आ नहीं बात यह में समड की खत्री प्रसाद दुगाध----?
वेसे जब उसने िोन दकया था बह खुद को दुल्नया का सबसे वड़ा होल्शयार समड रहा था । ......
दुसरी बार ओबराय की लाबी में दल्खल होते वि ल्बज्जू मारे खूशी के बल्कलयों उूल रहा था !!!
उूलता भी क्यों नहीं? "मास्टर की' की डु प्लीके ट उसकी जेब में जो थी!!!
अभी के वल चार ही बजे थे । चाबी बनाने बाले ने रुपये तो कु ू ज्यादा ल्लए । पांच सौ रुपयेही दस के वल ल्मनट मगर !
लगाए । पांच सौ रुपये की दिलहाल ल्वज्जू की नज़र में कोई अहल्मयत नहीं थी ।
लॉबी में कदम रखते ही सामना एक बार दिर उसी 'अटैण्डेन्ट से हुआ ल्जसने ल्लपट नम्बर िोर के बारे में बताया था ।। वह
उसे देखकर मुस्कराया ।जवाव ल्बज्जू ने भी मुस्कू राकर ददया ।
ना तो इस बार उसे कोइ हड़बड़ाहट हुइ ।। ना ही अटेण्डेन्ट को अपनी तरि बड़ने का मौका ददया ।।।
चाबी उसने पूरे कॉल्न्िडेंस के साथ इस अंदाज में लॉक के ूेद में डाली थी जैसे सुइट उसका अपना हो ।।।
ठरसेप्शन से चाबी लेने के बाद वह ल्लफ्ट नम्बर िोर की तरि बढा ही था दक पीूे से आवाज आई--'ल्मस्टर नागपाल ।"
सूअर की र्ूथनी वाला शख्स घूमा रर हैरान रह गया । इतना मोटा पुल्लल्सया उसने जीवन में पहली बार देखा था । वह
गोडास्कर था ।
इन्सपेक्टर गोडास्कर ।
उम्र तो कम ही थी उसकी । पीीस के आसपास रही होगी मगर लगता तीस के ऊपर का था।
वह शरीर जो 'सूमो' पहलवानों जैसा भारी था । एकदम मोटा । मोटेरर पैर मोटे- जाघे । जांघों से बहुत बाहर ल्नकल हुआ
पेट । अाागे की तरफ़ ल्जतना पेट ल्नकला था उसी अनुपात में पीूे की तरफ़ ल्नकले हुए थे उसके ल्नतम्ब । लगता था पेट रर
ल्नतम्बो ने उसका पैलेस बनाया हुआ है । पेट कम होता तो ल्नतम्बो का वेट ल्पूे ल्गरा देता रर ल्नतम्ब कम होते तो पेट के
कारण आगे के ल्गर पड़ता । भुजाएं, कं थे, ूाती, चेहरा रर ल्सर सभी कु ू 'सूमो' पहलवानों से ल्मलता था ।।।।
कद ूः िु ट से भी ल्नकलता हुआ था ।।।
मुगदर जैसो लम्बीलम्ब-ाी भुजाएं । चौड़े कं र्े । गैंडे जैसी गदधन । चौडा चेहरा । गोल ल्सर । ल्सर पर एक भी बाल नहीं था ।।
रं ग गुलाबी था ।। ऐसा जैसे दूर् मे थोडा ज्यादा रुह अफ़जाह ल्मला ददया गया हो ।
आंखे नीली ।
रे डीमेड कपड़े तो उसके ल्जस्म के नाप के ल्मल ही नहीं सकते थे । पेट। होगा लगता कपडा डबल यकीनन में शटध- इस सबके
बावजूद वह 'थुलथनल‘ नहीं बल्कक ठोस था ।
गजब की तेजी से वह लम्बे लम्बे-कदमों के साथ उसकी तरि आ रहा था । अगर नागपाल ने उसे 'बैठा' देखा होता तो कभी
ककपना नहीं कर सकता या यह इतना तेज भी चल सकता है । उसके दाए हाथ में 'बरगर' था । बरगर में एक बुडक"' मारा
जा चुका था । उसका मुंह जुगाली करने जैसे अंदाज मे चल रहा था ।
नज़दीक अााते अााते उसने वगधर बाए हाथ में रांसिर कर ल्लया था । दायां हाथ उसकी तरि बढाता हुआ बोला-----''"मेरा
नाम गोडास्कर है । वदी आपकी बता ही रही होगी"हं। इन्सपेक्टर----
"कल्हए ।पूूा में स्वर रूखे ने नागपाल "…"मुडसे क्या चाहते हैं? "
दिर भी, गोडास्कर ने बरगर में एक बुड़क मारा । मुंह चलाने के साथ पूूा---“अााज की रात के ल्लए सुईट नम्बर सेल्बन
जीरो थटीन अााप ने बुक कराया है न ?"
"हांक्यो...!?”
“क्या अााप दकसी पतलेक आदमी दुबले-ाो जानते हैं? दकसी ऐसे आदमी को जैसे गोडास्कर में से एक वल्कक नहीं तीन या दो-
सकें वन आदमी चार?"
खुद को गोडास्कर ाारा रोका जाना नागपाल को ल्बककु ल पसंद नहीं अााया था इसल्लए ददमाग पर जरा भी जोर डाले वगैर
जवाब ददया------'" मैं ऐसे दकसी आदमी को नहीं जानता ।"
"कौन ?"
"मैं इसमें क्या कर सकता हंहै जाता हो अक्सर ऐसा !, कोई आपको जानता है मगर अााप उसे नहीं जानते ।"
" क्या ये बात हर सेन्टेस के बाद ठरपीट करनी पडेगी दक बात एक दुबलेहै रही चल की आदमी पतले-? "
आज दोपहर दो बजे अाापने उसे सुईट नम्बर सेल्बन जीरो थटीन में नहीं बुलाया था?"
"दो बजे ?'' नागपाल ल्चहुंकाआप गोडास्कर ल्मस्टर रहा आ नहीं में समड मेरी"-- कह क्या रहे हैं । ठरसेप्शन पर जाईए !
है ल्लखा साि-साि उसमें !देल्खए कम्यूटर दक मैं रात को अााठ बजे अााऊंगा रर इस वि आठ बोजे है । ऐसी अवस्था में
भला मेरे ाारा दकसी को सुईट में दोपहर दो बजे का टाईम देने का सवाल ही कहां उठता है?”
"ये बात मुडे स्टाम्प पेपर पर ल्लखकर देनी पडेगी क्या?" नागपाल पूरी तरफ़ उखड़ गया दावा ऐसा ने दकसी अगर "-------
सामने मेरे उसे तो है दकया पेश पेशकरो।"
"मुसीबत ही ये है । उस साले की पेशी अभी तक गोडास्कर के सामने नहीं हो सकी है तो आपके सामने कहां से पेश कर दूं?"
गोडास्कर कहता चला गबरूतो तक अभी"- गोडास्कर उसे के वल चोर समड रहा था मगर अब के करने बात अाापसे अब. . .
बाद पता लगाहै भी डूठा वह----- । आपने टाईम नहीं ददया रर उसने सिाई करने बाली से कहा..........
"ल्मस्टर गोडास्कर ।।। थी ल्नकली सी गुराधहट से मुंह के नागपाल बार इस " उसकी समड में कु ू नहीं आ रहा था दक इं स्पेक्टर
कह क्या रहा है इसल्लए उसकी बात बीच से काटकर पूूना पड़ा हं सकता जा मैं क्या"---?"
"हां क्यों नहींडगो साथ के कहने "जाईए आप । है सकते जा जरूर !ाास्कर ने अपनी जेब से चॉकलेट ल्नकाल ली थी ।
"थंक्यू!'जलेसाथ के कदमों तेज रर घूमा नागपाल साथ के कहने में लहजे भून-
े ल्लफ्ट नम्बर िोर की तरि बढ गया । अभी
मुल्श्कल से चार पांच कदम ही वढ़ पाया था दक पीूे से दिर गोडास्कर की आवाजआई-----“ल्मस्टर नागपाल "!
नागपाल भन्ना उठा । कु ू ऐसे अंदाज में घुमा जैसे गोडास्कर का ल्सर िोड देगा । मगर उसके ल्जस्म पर पुल्लस की वदी देखकर
ठं डा पड़ जाना पड़ा । अगर वह पुल्लल्सया न होता तो नागपाल यकीनन पलटते ही उसकी नाक पर घूंसा जमा देता । विधमान
हालात' में डूंडलाकर के वल इतना ही पूू सकाहै क्या "-------?"
चॉकलेट से रे पर उतारते हुए गोडास्कर ने पूूासकता जान गोडास्कर क्या"----- है, अाापने आज रात के ल्लए इतना शानदार
सुईट क्यों बुक कराय है?"
ददमाग में सवाल कौंर्ादकया क्यों सवाल यह ने गोडास्कर"---? दिर सोचा कौन होता इं स्पेक्टर वाला करने सवाल यह उससे"-
है?''
ऐसा ख्याल ददमाग में आते ही ददमाग का फ्यूज ड़ड़ गया । इस बार गोडास्कर के सवाल का जवाब देने की जगह उसने चारों
तरि को देखते हुए जोर जोर से आवाज लगाईंलॉबी " --- मैनेजर है कहां मेनेजर लााँबी !?"
सिे द शटध, काला सूट रर काली ही 'बो' लगाए लॉबी मैंनेजर दूर से दौड़ता हुआ उसके नजदीक अााया ।
नागपाल के जोर जोर से बोलने। था गया हो आकर्षधत तरि उसी भी ध्यान का लोगों अन्य मोजूद में लॉबी कारण के -
"यस सरागु ने नागपाल । था रहा हांि कारण के अााने भागकर मैनेजर "स्से में पूूा…"ये होटल है या थाना?"
"जजी-?"
"क्या हर कस्टू मर से अब पुल्लस ाारा यह पूूा जाएगा दक उसने कमरा क्यो बुक कराया है?"
"तुम्हठर सॉरी कहने से क्या होता है? क्यों खड़ा दकया गया है इस इं स्पैक्टर को यहां? मुडे नहीं चाल्हए तुम्हारे होटल में कमरा
। ल्जस होटल में दकसी की प्राइं वेसी ही न हो वहां रहने से क्या िायदा?" कहने के साथ वह पैर पटकता हुआ चाबी वापस
करने के ल्लए ठरसेप्शन की तरि बढा था ।
"प------बोला हुआ रोकता रास्ता का नागपाल दौड़कर मेनेजर लॉबी । सर प्लीज । प्लीज-'"" बात तो सुल्नए ।"
"मुडें कु ू नहीं सुनना. . .या हटाएंगे से लाबी को इं स्पेक्टर उस अााप तो या !
"एक ल्मनट सरा एक ल्मनट मैं उनसे बात करता हं नजदीक के गोडास्कर हुआ दौड़ता पलटकर से तेजी वह बाद के कहने "!
पहुंचा।
" इं स्पेक्टर थी रूखाई सी-हककीी मैं लहजे के मैनेजर लॉबी "!…"आपकी यहां मौजूदगी की वजह से हमारे ल्बजनेस पर अछूा
प्रभाव नहीं पड़ रहा ।"'
लाबी मैंनेजर बोला-------''' हमारे कॉिी शॉप से बैठकर चाहे जो खा सकतेहैं ८ल्श ीी "
" "इतने 'पोलाईट वे' मे गोडास्कर को क्यों हटा रहे हो मैंनेजर तुम तो 'सख्त' भाषा में भी गोडास्कर को जाने के ल्लए कह
सकते हो ।।। इसल्लए कह सकते हो क्योदक एसओनहीं ही जाते-अााते यहां तक कल्ममर पुल्लस लेकर से सीटी. बल्कक
'ओब्लाईज' भी होते हैं।।। इस होटल के माल्लक से कल्ममर साहब की दोस्ती भी है । गोडास्कर यहां से नहीं हटा तो एक िोन
तुम अपने माल्लक को भी करोगे । दूसरा िोन माल्लक कल्ममर साहब को करे गा रर तीसरा िोन कल्मशनर साहब गोडास्कर के
मोबाईल पर करें गे । गोडास्कर को िोनों पर यहां से हट जाने का हुक्म ल्मलेगा ने गौडास्कर !'अलापबलाय-' गाई तो इस
इलाके से ही हटा ददया जाएगा ।"
"आप तो खुद इतने समडदार है दक" । ददया ूोड़ अर्ूरा जानबूडकर वाक्य अपना ने मेनेजर लाबी "। . . .
" हां ,समडदार तो है गोडास्कर ।। गोडास्कर की समडदारी में तुम्हें कमी कोई कमी नजर नहीं अााएगी इसल्लए लाबी से जा
रहा हं मगर ।"
उसने भी लााँबी मेनेजर की तजध पर वाक्य जानबूडकर अर्ूरा ूोड़ा । चॉकलेट का आल्खरी ल्सरा मुंह में डाला रर उसे
'मचंगलता' हुआ बोला….-“मेजा घूमा हुआ है गोडास्कर का, दकसी से यूंही पूूता दिरे गा दक उसने होटल में कमरा क्यों हुक
कराया है सािसाि- सुनो , गोडास्कर को आज रात तुम्हरे होटल , बल्कक उन 'साहैवान' के सुईट में कोई िाइम होने की
सुगन्थ"' आ रही है । वह िाईम न हो पाए, इसल्लए डक मार रहा हं यहांमशहर कािी तो गया हो िाईम ! हो जाता
तुम्हारा ये होटल । शरीि लोग िे ल्मली के साथ आने से पहले पांच भी पैंसठ बार सोचा करे गे ।
दिर मत कहनातुमने ये गोडास्कर- क्या हो जाने ददया । िाईम अभी हुआ नहीं है इसल्लए दिलहाल तुम भी, तुम्हारा माल्लक
भी रर कल्ममर साहव भी गौडास्कर को यहााँ जाने ल्लए कह सकते है मगर एक बार यदद इस चार दीवारी के अंदर िाईम हो
गया तो सारे होटल में दनदनाता घूमेगा गोडास्कर उस वि कल्ममर साहव तक गोडास्कर को यहां से जाने के ल्लए नहीं कह
सके गे । तुम्हारी रर तुम्हारे माल्लक की तो ल्बसात क्या है ।"' कहने के बाद गोडास्कर ने मेनेजर की प्रल्तदिया तक जानने की
के ल्शश नहीं की । घूमा रर तेज कदमों के साथ पारदशी कांच के उस ल्वशाल दरवाजे की तरफ़ बढ गया ल्जसे पार करके
ओबराय से बाहर ल्नकला जा सकता था ।
कु ू देर तक मेनेजर ठगाके नागपाल लपककर दिर । रहा खडा पर स्थान अपने सा-- नजदीक पहुंचा जो अभी तक आ जहााँ का
तहां खड़ा भुनभुना रहा था ।
"लेदकन उसनै मुडसे पूूा ही क्यो, दक मैंने सुईट दकसल्लए ल्लया है?" लाबी मेनेजर के लगा'--अगर उसने वह सब बता
ददया, जो गोडास्कर ने कहा था तो नागपाल पूरी तरह उखड जाएगा इसल्लए बात बदलकर बोला---“सर, आमतौर पर तो हम
लोग पुल्लस को यहा' एन्टर ही नही होने देते । वह तो बात बस यह थी दक आज़ दोपहर होटल में एक संददग्र् आदमी देखा
गया । सिाई इं चाजध ने िोन करके इन्सपैक्टर को बूला ल्लया । सिाई करने बाली मल्हला ने यह कह ददया दक बह संददग्र्
अाादमी कह रहा था…"मुडे नागपाल ने दो बजे बुलाया था । बस इन्सपैक्टर ने इस बेस पर आपसे बातचीत करनी शुरू कर दी
।"
"सर होगा कोई ल्सरदिरा आप क्यो टेंशन लेते है । वह अपके कमरे के आसपास ही सिाई करने वाली मल्हला को ल्मला था ।
मल्हला ने वहां टहलने का कारण पूूा । उसने आपका नाम लेकर बहाना मार ददया होगा ।"
नागपाल का जी चाहा, पूूे…"उसे मेरा नाम कै से फ्ता लग गयाउसकी तभी मगर--- नजर, ठरसेप्शन पर लगी बाल क्लॉक पर
पड़ी! थे हो आठ सवा--- ल्बनम्र को ठीक नौ बजे पहुंचना था । उससे पहले मबंदू पहुचनी जरूरी थी ओंर मबंदू को तब पहुंचना
जब वह ग्रीन ल्सग्नल देता ।
"टाईम बहुत कम रह गया है ।’ ऐसा सोचकर नागपाल ने लााँबी मैनेजर से 'थैक्यू' कहा रर ल्लफ्ट नम्बर चार की तरि बढ़
गया ।
आवाज होल की" में चाबी डाली जाने की थी । पलभर बाद चाबी के घूमने रर दिर 'ल्क्लक' की आवाज अााई ।
दरवाजा खुलने की आवाज भी उसने साफ़ सुनी । दिर पदचापृ, कट की आवाज के साथ लाइट अाॉन हो गई ।।
इस एहसास ने उसे रोमांल्चत कर ददया दक कोई कमरे मे अाा चुका है । ददल असामान्य गल्त से र्डकने लगा ।
एक बार को तो यही लगा दफ्रज को उसके स्थान से हटाया जा रहा हैक शायद !ल्ासी को इकप होगया है दक वह दफ्रज के पीूे
ूु पा है मगर नहीं, ऐसा नहीं था । के वल दरवाजा ।। गया ददया कर बंद ही बाद भर पल था।। गया खोला "
उसके बाद करीब दो ल्मनट तक ल्बज्जू को कोई आवाज सुनाई नहीं दी।।
एक लाईटर 'आन' हुआ शायद ल्सगरे ट सुलगाई जा रही थी । कु ू देर बाद तम्बाकू के र्ुवें की गंथ आई।।
ल्सगरे ट की तलब ल्बज्जूको भी लगी । वह तलब, ल्जसे वह लगातार दबाए रहा था ।। दबानी इसल्लए पडी थी क्योदक उसने
सोचा था कमरे में आने बाले को अगर अााते ही ल्सगरे ट की गंर् ल्मली तो चोंक सकता है ।
'तलब' को दबाए ल्वज्जू ने हकका सा ल्सर ल्नकालकर डांका । सोिे पर बैठे शख्स का ल्सर ददखाई ददया । उसने ल्सर ही से
पहचान ल्लया वह नागपाल था । ल्जस सोिे पर बैठा था, दफ्रज की तरफ़ उसकी बैक थी अतः आराम से देखते रहने पर ल्वज्जू
को- कोई ददक्कत नहीं हुई । नागपाल के सोिे से उठते ही लह अपना ल्सर बापस दफ्रज के पीूे खीच सकता था।। ल्बज्जू ने सेंटर
टेबल पर रखी ल्वस्लरी की बोतल भी देख ली थी । बह समड गयाथा ल्नकाला पानी ने नागपाल खोलकर दफ्रज- ।।।।।।।।।।।।।
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#7357
17 Hours Ago
पता नहीं दूसरी तरि से क्या कहा गया । जवाब मे नागपाल ने कहा-------," मैं पहुच चुका हं ।"
' "हां ! मुडे यहां पहुचने में देर हो गईथोडी में लहजे के नागपाल "
डुंडलाहट थी । साला गया खा ल्मनट पन्द्रह । गया टकरा इं स्पेक्टर ल्सरदिरा एक में लाबी मगर ही टाईम राईट तो था"---
मैंने "---लगा पूूने
सुइंट दकस मकसद से ल्लया है?"
कहा कु ू ऐसा गया था ल्जसे सुनकर नागपाल थोड़ा बौखला गया । जकदी से बोला नहीं बात कोई की घबराने !नहीं "-------
सोचकर यह भी मैं में शुरू । है हड़बड़ा गया था दक कहीं उसे हमारे ाारा ल्वनम्र को तो भनक की जाने िं साए " नहीं लग गई
है मगर यह बात नहीं ल्नकली। उसे तो दकसी पतलेकी शख्स बलेदु- तलाश थी । पूू रहा था बजे दो दोपहर को दकसी मैंन----
े
का ल्मलने में सुईट टाईम तो नहीं ददया था । मेरी तो समड में नहीं अााया साला बक क्या रहा था । हंगामा मचा ददया मैंने
। लॉबी मेनेजर को बुला ल्लया । उससे क्यासुईट । है हक क्या का ूनेपू सवाल ऐसे से कस्टमर दकसी के इं स्पेक्टर--- वापस
करने तक की र्मकी दे डाली । कहाबाहर से लॉबी को इं स्पेक्टर तो या- ल्नकलो या मुडे इस होटल में नहीं रहना । अंतत :
से होटल को इं स्पेक्टर उन्हें 'ल्नकालना पड़ा ।"
ल्जस वि दूसरी तरफ़ से कु ू कहा जा रहा था उस वि यह इन्िारमैशन"' ल्बज्जू के होश उडाए दे रही थी दक दकसी इं स्पेक्टर
को उसकी तलाश थी रर वह होटल कीं लाबी ने मंडरा रहा था ।
अगर यह मीरटंग स्थल्गत की गई तो दिर कभी हमे ल्वनम्र को शीशे में उतारने का मौका नहीं ल्मलेगा ।
इं रपेक्टर की मौजूदगी को इतनी गहराई से लेने की जरूरत नहीं है ।। वैसे भी बता चुका हुं, उसे लॉबी से ल्नकाला जा चुका है
।"
होटल में असख्य लोगों का आवागमन होगा । उनमें से एक तुम होगी । प्लान के मुताल्वक तुम्हें सेल्बन फ्लोर तक आने बाले
नम्बर िौर से सिर नहीं करना है । तुम्हें ल्लफ्ट नम्बर दिफ्थ में जाना है जो पन्द्रहवीं मंल्जल तक जाती है सेल्वन फ्लोर तक
वह कहीं रुकती ही नहीं । उसका पहला ‘स्टापेज' फ्लोर नम्बर आठ पर है । तुम्हें उससे फ्लोर टेंथ"' पर उतरना है । उसके
बाद ल्लफ्ट नम्बर दिफ्थ के ल्लपट मैंन की नजर में तुम फ्लोर टेथ" पर कहीं गई होंगी । यह सारी 'प्रीिोशंस’ हमने इसल्लए
ल्नर्ाधठरत की थी तादक कोई यह न जान सके दक इस सुईट मे ल्वनम्र से मैं नहीं तुम ल्मली थी । अब मैं इस बात पर अााता हुं
इं स्पेक्टर को या दकसी रर| को इस सुईट में होने वाली तुम्हारी रर ल्वनम्र की मुलाकात का पता लग जाता । तब भी हमारी
सेहत पर क्या िकध पड़ने वाला है । ऐसा िाईम तो हम कर नहीं रहे ल्जसके एवज में कोई हमें िांसी पर चढा देगा । तुम्हारे
जठरए, तुम्हारे समपधण के जठरए ल्वनम्र से एक ठे का लेने की कोल्शश की जाएगी । ऐसा तो आजकल आमतौर पर होता है । एक
बाल्लग के स्त्री रर एक बाल्लग पुरुष अपनी सहमल्त से बंद कमरे में चाहे जो करें , कोई कानून नहीं टू टता । कानून तव टू टता
है जव उनने से दकसी की असहमल्त हो । कोई एक पक्ष दूसरे पक्ष साथ जबरदस्ती कर रहा हो । तुम जानती हो ऐसा यहां---
ह नहीं वाला होने कु ूाै । दिर इतना क्यों डर रही हो?"
" ठीक है । साढ़े । जाओ पहंच यहां से जकदी तुम अब " -- कहा ने नागपाल " आठ बज गये हैं । मुडे तुम ठीक पौने नौ
बजे यहां चाहीए ।दूसरी बाद के कहने " तरि से मबंदू को कु ू कहने का मौका ददए बगैर उसने मोबाईल अाॉि कर ददया ।
कालबेल बजी ।
नागपाल ने यूं डपटकर दरबाजा खोला जैसे इसी र्ड़ी का इं तजार कर रहा था !
इसी कारण डकलाए हुए नागपाल ने बरस पड़ने के ल्लए मुंह खोला, मगर वह खुला का खुला रह गया ।।।
यह तो उसे मालूम था मबंदू सुंदर है, सैक्सी नजर आती है ।। इसल्लए तो उसे इस काम के ल्लए चुना था । ।
इतनी मोटी रकम देनी कबूल की थी मगर , इतनी ज्यादा सुन्दर है। वनने सबंरने के बाद इस कदर सेक्सी नजर आएगी, इसकी
तो ककपना ही नहीं कर सका था ।
नागपाल का मुंह जो उस पर बरस पड़ने के ल्लये खुला था उससे के वल एक ही लफ्ज ल्नकला वंडरिु ल "---।"
उफ्ि ।।
गुलाब की पंखुल्ड़ओं जैसे होठों पर नेचुरल कलर की ल्लल्पल्स्टक में ल्मलाकर जाने उसने क्या लगाया था दक होंठ रसभरी ल्गलौरी
जैसे लग रहे थे ।। बड़ी बड़ी आखें आई ब्रो के कारण कु ू रर बड़ी नजर आरही थी । यू जगमगा रही थी मानो जैसे सूयध की
दकरनें पड़ने पर स्वछू जल जगमगाया करता है ।।
उसके ल्जस्म से ल्नकलने बाली परफ्यूम की भीनी भीनी सुंगन्र् नागपाल के नर्ूनों में र्ूसने के बाद उसे अंदर तक आनल्न्दत करती
चली गई ।।
जो हेयर स्टाईल उसने बनाया था वह उसके मुखड़े पर इतना िब रहा था जैसे बालों को उस स्टाईल से गूंथने का चलन बना
ही उस मुखड़े के ल्लये हो ।।
नागपाल को लगा ।। थी सकती नहीं ही जंच ड्रैस कोइ रर ज्यादा से ड्रैस इस पर ल्जस्म गोरे --
उसमें आगे की तरि चैन लगी हई थी , चैन इतनी खूली हइ थी दक दोंनो कबूतरों के बीच की र्ाटी बस इतनी नजर आ रही
थी दक देखने बालों का ददल चाहे थोड़ी "-- सी रर नजर आनी चाल्हए ।"
नागपाल का ददल चाहा भी ।।। दे खोल रर सी थोड़ी को चेन कर बड़ा हाथ ---
ल्लबास के अंदर की चोठटयां गवध से खड़ी थी । नागपाल डुका । काले भद्धे रर मोटे होंठ चोठटयों की रर बड़ाये ।
" नो नो ल्मस्टर नागपाल ।। ल्लया हटा पीूे को खुद ने मबंदू ही साथ के कहने "
नागपाल डुका का डुका ही रह गया । सुअर जैसे चेहरे पर एाेसे भाव थे जैसे ल्बकली के सामने से मलाई से भरी हाड़ी हटा ली
गई हो । वह बापस सीर्ा होकर बोला नही क्यों " --?"
" मैं पूूती हं क्यों ? आज तो मबंदू की आवाज भी उसे खास खनकदार लगी ऐसा दूं होने क्यों "---?"
" अपने ल्लए नहीं । लाख पांच वे " --- काटी बात उसकी ने मबंदू "ल्वनम्र के ल्लए ददये हैं । ल्वनम्र भारााज को शीशे में
उतारने के ल्लये ।"
इतनी प्रोिे शनल भी न वनो । मैं एक बार इन्हे चूम ही लूंगा तो तुम्हारा क्या ल्घस जाएगा?"
मबंदू ल्खलल्खलाकर हंस पड़ी । ल्खलल्खलाहट का कारन थाको बात ाारा नागपाल--- 'नदीदो' की तरह कहने का अंदाज रर .
ऐसी आवाज की ल्खलाने-ल्खल उसके को नागपाल . लगी जैसे संगमरमर के िशध पर सीे मोती ल्बखरते चले गए हों सिे द रं ग
के ठीक वैसे मोती जैसे मोल्तयों की माला उसने अपनी सुराहीदार गदधन से पहनी हुई थी । तीन लड़ी बाली माला थी वह जो
काले ल्लबास के साथ यूं लग रही थी मानो गगन पर ईद का चांद मुस्करा रहा ही । नागपाल को कहना पडा…"मेने कोई
चुटकु ला सुना ददया क्या?"
"चुटकला ही तो था वह । चुटकला ही तो था ।कहती मबंदू साथ के आवाज रनकदार " चली गई…-"एक ही सेन्टेस मैं तुमने दो
बाते कह दी----पहली !' इतनी प्रोिे शनल न बनू । दूसरी -तुम्हें अपने सीने को चूमने दूं तो मेरा क्या ल्घस जाएगा? सच
कहा तुमनेकु ू ! नहीं ल्र्सेगा । लेदकन अगर यूंही, फ्री में दकसी ऐरे गेरे- को चूमने दूं तो इन्हें चूमने की कीमत मोटी"' कौन
देगा ।"
"बनना पड़ता है । न बने तो तुम जैसे मदध मुड जैसी लडदकयों को फ्री में बकोट डाले । के कहने ल्खलल्खलाकर दिर बोर एक "
भी अंदर"-------बोली वह बाद जाने दोगे या नहीं?"
"आओं आओ अभी वह रर मवंदू दक था अााया ख्याल बार पहली उसे सचमुच । लगा सा-डटका को मल्स्तस्क के नागपाल "!
खडे पर ही दरवाजे तकहैं ।
वहआगे बढी ।
लहराकर उसके से नजदीक-'ल्नक्ली तो लगा…जेसे चल नहीं रही थी बल्कक कालीन से थोड़ा ऊपर उड़ रही थी ।
सोिासेट के नजदीक पहंचकर मबंदू घूमी रर बोली "! है होरहा टाईम का आने के ल्वनम्र "--
नागपाल को डटका सा लगा । मबंदू के आने के बाद उसे टाईम का होश ही न रहा । उकटा मबंदू याद ददला रही थी ।
" हां । इस वि तो जाना ही पड़ेगा ।।। गया ल्नकल बाहर से सुइट कहकर "
नौ आठ पर उसने सुईट नम्बर सेल्वन जीरो थटीऩ की कॉलबेल का स्वीच दबा ददया ।। मुल्श्कल से आर्े ल्मनट बाद दरबाजा
खुला । ल्वनम्र थोड़ा हडबड़ा गया । कारण था ाारा के लड़की दकसी दरबाजा -- खोला जाना ।
"सॉरी ।बड़ा हाथ ने मबंदू दक चाहा हटना से दरबाजे उसने साथ साथ के कहने " कर कलाई पकड़ ली ।। साथ ही कहा ---
हैं खड़े पर दरबाजे सही ल्बककु ल आप " ल्मस्टर ल्वनम्र ।"
पता नहीं मबंदू की पकड़ में क्या था दक ल्वनम्र को अपने सम्पूणध ल्जस्म में करें ट सा प्रवाल्हत होता लगा ।। आखें उसके रसभरे
होठों पर ल्चपककर रह गई थी । ल्ब'दू उसके ाे ल्लए अजनबी र्ी मगर उसकी मुस्कान में थाल्वनम्र अपनत्व घोर-- ने खुद को
दकसी ओर ही दुल्नया में पहुचने से रोकते हुए कहा…"मैं यहां ल्मस्टर नागपाल से ल्मलने आया था ।ज" "ाानती हं। के कहने "
मबंदू साय ने सोर्ेसीर्े- उसकी आंखों में डांका। "
लोग अक्सर कहा करते थेहै शल्ि चुम्बकीय में अााांखों तुम्हारी ल्वनम्र"-' मगर, उसे लगा चुम्बकीय । थे कहते गलत लोग--
इसे । हैं कहते इसे तो शल्ि, जो लडकी की आंखों में नजर अाा रही है । वेहद चमकदार थी वे । कोल्शशबस्वजूद के - ल्वनम्र
उन आंखों से नजरें न हटा सका । उनके 'सम्मोहऩ’ से ल्नकलने के ल्लए कािी मेहनत करनी पडी । अपनी आवाज क़हीं दूर से
आती महसूस हुईल्मस्टर"--- नागपाल कहां है?"
ल्वनम्र ल्हचका ।
अंदर दाल्खल होते ल्वनम्र ने कहा…"नागपाल ने मुडे नौ बजे का टाईम ददया था ।। बे अब तक नहीं आए ?"
"कमाल है ल्मस्टर ल्बनम्र।सामने जो "-----बोली साथ के करने बंद दरवाजा वह " है उससे तो ठीक से ल्मल नहीं रहे रर जो
नहीं है, उसके बारे में बारपूू बार- रहे है ।"’"
ल्वनम्र ने योड्री सख्ती से कहना चाहा " .....से नागपाल ल्मस्टर यहां मैं "---
उसने ल्वनम्र का वाक्य पूरा नहीं होने ददयाजनरे शन नई "------ के लड़के लड़की को सामने देखकर इस क़दर 'नवधस' तो
नहीं होते ।"
"ननवधस-?" बौखलाकर ल्वनम्र को कहनालगा होने क्यों नवधस-भला मैं म"---पड़ा "?"
" अपने पेशे की माल्हर मवंदू अछूी तरह जानती थी दक ल्शकार को जाल में िं साने के ल्लए चोट कव रर कहां की जानी
चाल्हए । ल्वनम्र नवधस था या नहीं मगर ऐसा कहकर उसने उसे यह साल्बत करने पर मजबूर कर ददया दक वह नवधस नही है ।।
यह साल्बत करने की भावना अब ल्वनम्र की कमरे से बाहर नहीं जाने दे सकती थी ।
दूसरे तीर के
रूप मे
मबंदन
ू े अपनी आाँखे थोड़ी ल्तरूी की । उन्ही ल्तरूी आंखी से उसकी तरि देखती हुई बौली"। से थोड़े हो रहे तो हो "---
"वल्ब "। नहीं ल्बककु ल-नम्र ने अपनी आबाज मे कं ल्न्िडेंस लाते हुए कहा ओर. . यही तो चाहती थी मबंद।ू यही जबाब सुनने के
ल्लए उसने नवधस होने का आरोप लगाया था ।
वह उसके नजदीक से गुजरकर सोिासैट के नजदीक पहुंचती हुई बोली मेरा कम-से-कम तक अब तो होता ना ऐसा "-------
होत चुके ही पूू तो नामाे "!
“मबंदू ।। घूमी तरि उसकी वापस वह पहुंचकर नजदीक के टेबल सेंटर "
' 'असल मैं मुडे यहां दकसी लड़की से मुलाकात होने की उम्मीद नहीं थी । मैं तो नागपाल से ल्मलने...
"यहां आकर बैठने मे कोईं हजध है क्या?" मबंदू ने सोिा चेयर की तरि इशारा करते हुए कहा ।।।
ल्वनम्र को बार्ें रखने के ल्लये मबंदू को कहना पड़ा तो बाते ही दो "--- जानने अााए है अााप यहााँ । पहली भारााज--
जेसे पाठक में कम्पनी कं स्रक्शन गगोल के रर दकतने अाादमी है? दूसऱीयह--- क्वील्लटी में क्या हेरािे री कर रहा है?"
"तो तुम यह भी जानती हो?"
"नागपाल से बेहतर?"
" 'क्योदक यह सब पता कर मैंने ही बताया है ।ने साहब नागपाल कहा ने मबंदू " अपने यहां नौकरी देने के बाद मुडे सबसे
पहला काम यही ददया था ।
उनकी वेदना यह थी दक ल्पूले एक साल से उन्हें भारााज कं स्रक्शन कम्पनी का कोई काम नहीं ल्मल रहा था । हर काम
गगोल हल्थया लेता । ल्मस्टर नागपाल जानना चाहते थेरहा हो क्यों ऐसा"--- है था । हर बार ल्मस्टर गगोल के टेंडर में भरी
रकम उनके टेंडर से कम क्यों ल्नकलती है रर इतने कम पर गगोल काम कै से कर रहा है? इस राज का कारण पता लगाने का
काम उन्होंने मुडे सौंपा । मेने क्या कै से दकया, यह एक लम्बी कहानी है । सुनने में शायद आपकी ददलचस्पी नहीं होगी ।
ल्नचोड़ ये है दक मैंने ल्मस्टर नागपाल को उन लोगों के सूची दी जो भारााज कं स्रक्शन कम्पनी में उनके ल्खलाफ़ रर गगोल के
िे वर में काम कर रहे थे । पाठक तो वहुत ूोटा मोहरा है ल्मस्टर ल्वनम्रकी घुसपैठठयों के गगोल में कम्पनी आपकी . . .
सूची कािी लम्बी है । क्वाल्लटी में यह क्याहेरािे ठरयां कै सी-कै सी रर क्या- कर रहा है, इस सबकी ल्डटेल सुबूतों के साथ
ल्मस्टर नागपाल को मैंने ही दी है । जव , आपका यहााँ जाना ल्नल्श्चत ही गया तो नागपाल साहब ने कहा'--ल्बदूं ल्वनम्र साहब
को जो चाल्हए यह उन्हें मुडसे बेहतर तुम दे सकती हो तो क्यों न, मेरी जगह तुम ही उनसे ल्मल लो । इस तरह अााप यहााँ
ल्मस्टर नागपाल की जगह मुडें देख रहे हैं ।"
ल्वनम्र ने तुरन्त कु ू नहीं कहा । मबंदू ने जो कु ू बताया था कु ू देर उस पर ल्वचार करता रहा । ल्बचार करने के बाद बोला
।
"ल्मस्टर नागपाल को मुडे प्रोग्राम में हुई तब्दीली के बारे मे बताना चाल्हए था"। .
"मुडे भला क्या एतराज होगा ।है कहना क्या-- कहो ही तुम !चलो "---कहा ने ल्वनम्र "?"
कु ू देर ल्वनम्र खड़ा रहा दिर जाने क्या सोचकर अाागे बढा रर सोिा चेयर पर बैठ गया ।
मबंदू उसे बैठाने तक में कामयाब हो गई थी मगर जानती थीपूवध वह "------ ल्शकारों की तरह उसके 'रुपजाल' में उलडकर
नहीं बैठा है बल्कक ये जानकाठरयां लेने बैठा है जो लेने यहााँ अााया था । यह ल्स्थल्त मवंदू को अपनी ल्शकस्त जैसी लग रही थी
।
पहले ऐसा कभी नही हुआ था दक 'ल्शकार' उसके सामने रहते उसके अलावा कु ू सोच सका हो ।
"क्या लेगे?" मवंदु ने मोहक मुस्कान के साथ पूूा ।
"ऐसा कै से हो सकता है ल्मस्टर ल्वनम्रं कम से कम मेरी नौकरी का ख्याल तो आपको करना ही होगा ।"
"नागपाल को जव पता लगेगा मैं आपकी कोई सेवा नहीं कर पाई तोइतना "। . . . कहकर वह स्वतरुकी थोडी :, दिर
अाागे बोली------'', क्या वे मुडे इस नौकरी पर रहने देगे? क्या ूू टते ही यह नहीं कन्हेंगे दक ल्जस लडकी में मेरे मेहमान
को कु ू ल्पलाने तक के टेलेन्ट नहीं है उसे नौकरी पर रखकर क्या करूगा ? "
" ओके ।"दील्जए ल्पला पानी तो है जरुरी ल्पलाना कु ू अगर"-मुस्कु राया र्ौड़ा ल्वनम्र "'
" साल्बत हो गयाआपका के वल नाम ही ल्वनम्र नहीं है बल्कक अंदर से भी एक ल्वनम्र इं सान हैं । दकसी लड़की की नोकरी बचाने
के ल्लए कु ए पीने के ल्लए तेयार हो जाना यह साल्बत करता है ।के तेजी पर एल्ड़यों अपनी यह बाद के कहने " साथ कु ू ऐसे
अंदाज में घूमी दक उसके गोल ल्नतम्ब ठीक ल्वनम्र की आंखी के सामने यूं थरथराऐ जैसे मेज पर रखे पानी से भरे गुबारे
थरथराए हो । दिर, उन्हें खास अंदाज में नचाती हुई दफ्रज की तरि बढ़ी । भले ही ल्वनम्र की तरि उसकी पीठ थी परन्तु
जानने की कोल्शश यह कर रही थी दक ल्वनम्र की नजर उसके नृत्य करते ल्नतम्बों पर है या नहीं? ररवि उस. . . उसने
अपने अंतर में ल्नराशा का भाव उतरते महसूस दकया जव पीठ पर ल्वनम्र के ल्नगाहों की कोई चुभन महसूस नहीं की ।
उसने जेब से डनल्हल का पैदकट ल्नकालकर एक ल्सगरे ट सुलगा ली थी । यह ल्सगरे ट उसने खुद को उन्ही"' के प्रभाव से बचाने
के ल्लए सुलगाई थी, ल्जनके आकषधण में मवंदु उसे बांर्ने का प्रयप्र कर रही ाँ थी । ऐसा नहीं दक ल्वनम्र पर उसके आकषधक
ल्नतम्बो का कोई प्रभाव
नहीं पड़ा था । प्रभाव तो ऐसा पड़ा था दक उसे लग रहा था…बे अंग उसे अपनी तरफ़ खींच रहे हैं । बह 'मखंचना' नहीं
चाहता था । ददलोसमा डर यह मे ददमाग- रहा था दक कहीं वह । जाए न "भटक"
इसी डर के कारण खुद को ल्सगरे ट सुलगाने रर दिर उसमें कश लगाने में व्यस्त दकया था ।
लडका उसके 'ताप' से ल्पग्लने को तैयार नहीं है । दफ्रज का डोर खोलते वि उसने अपने टाप की चेन थोडी रर खोल ली !
थोड़ा ल्हस्सा ऊपरी का ब्रा दक इतनी नजर आने लगे को ल्वनम्र था लगा उसे ! इतना जलवा ददखाना जरूरी है ।।
दस्वाजा बंद कं रने के साथ घूमी । ल्वनम्र को अपनी तरि न देखता देखकर एक बार दिर र्क्का लगा । सोिे पर बैठा बह
ल्सगरे ट पी रहा था ।
" शीशे में तो उतारना है इस लडके को ।
ल्वनम्र के सामने पहुंचकर जव कांच की सेंटर टेबल पर बोतल, ल्गलास रर सोडेाे की बीतले रखीं तो ल्वनम्र ने चौकते हुए
कहा…"मैंने कै वल पानी मांगा थासब यह ! क्या है?"
सामान सेटर टेवल पर रखते वि मबंदू के थोडा डुकने की जरुरत तो थी ही, लाभ उठाती हुई इतनी डुकी दक ल्वनम्र की आंखे
गले के पार डलक की वक्षस्थल उसके . देख सकें । साथ ही, आंखे उसकी आंखों में …डालती हुई बोली…क्यों कभी ली नहीं
क्या?"
ल्ब'दूने सारे जहा' की ज्योल्त अपनी आंखों मैं इकटृ ठी करके पूूा मगर"---?"
नजर मबंदू ाारा पेश दकए जा रहे 'जलवे' पर नहीं पडने देना चहता था । 'खेली खाई मवंद'
ु समड गई दक वह खुद को
'ल्पघगलने' से रोकने की कोल्शश कर रहा है । खुद की पोज मे रखकर बोली पांच बातें का ल्बजनेस अााप तक अब "------
बजे से पहले अपने आाँदिस मैं करते रहे हैं ।"
सूरज ढलने के बाद कु ू ओंर नहीं, के वल यह पी जाती है ।ल्वनम्र । थी दी तोड सील की बोतल उसने साथ के कहने " इं कार
करना चाहता था मगर नहीं कर सका । बेचैनी। वह था रहा कर महसूस सी- कारण था…वह मबंदू के गले की तरि देखना नहीं
चाहता था । मगर चोठटयां थी दक बारन बार-जर को खींच रही थी ।।
ल्गलासों में ल्रहस्की रर सोडा डालने के बाद एक ल्गलास उठाकर 'ल्वनम्र' की तरि बढ़ाते हुए कहा"। प्लीज "--
वह चौंका । तंद्रा भंग होगई । ल्गलास उसके हाथ से लेता बोला "। थैंक्यू "--
मबंदु ने ल्गलास उसके ल्गलास से टकराते हुए कहा "। ल्चयसध "--
एक घूंट पीने के बाद मबंदू सीर्ी हो गई थी । उसकी आंखों के सामने अपने ल्नतम्बों का नृत्य पेश करती सामने वाले सोिे पर
जा बैठी ।
'ल्शप' के बाद ल्गलास सेंटर टेबल पर रखते हुए ल्वनम्र ने कहा-------'' मवंदु अब हम काम की बाते करें तो बेहतर होगा
।"
"काम की बातें?"
"मुडे अपने आाँदिस में गगोल के ल्लए काम करने वाले आदल्मयों की ल्लस्ट चाल्हए ।"
" ल ल्लस्ट हांनहीं क्यों !?" कहने को तो वह कह गई मगर ऐसी कोई ल्लस्ट उसके पास थी कहां? ल्लस्ट रखने की उसने
ज़रुरत ही महसूस नहीं की थी । कारण ल्पूले दकसी भी ल्मशन के दौरान उस टाल्पक पर बात ही नहीं हुई थी ल्जसके 'बहाने'
मीरटंग अरें ज की जाती थी । यह पहला शख्स था जो उसके ाारा ल्रहस्की सबध दकए जाने के बाद भी 'मतलब की बात’ दकए
जा रहा था ।
मबंदू समड नहीं पा रही थी ल्वनम्र को कै से पटरी पर लाये अपनी !हड़बड़ाहट को ूु पाने के ल्लए उसने घूंट भरा-----बोली !
जानते नहीं करना एन्जॉय आप "-- ल्मस्टर ल्वनम्र"
"मैं सामने हं रर आपको काम की बाते सूड रही हैं के मबंदू "! ददल की बात जुबान पर अाा गई ।
" उफ्ि पहााँ सेन्द्रल ए को ल्वनम्र "। है गमी दकतनी यहां बावजूद के सी.'ल्चि' करने की मंशा से उसने टॉप की चेन रर
खोल ली!
भयंकर ल्वस्िोट ।।
आंखों के सामने टीक अर्ेड पर .वी..ाो गमध कर रही लड़की नाच उठी ।
मार डाल ल्वनम्र । मार डाल इस लड़की को । ल्वनम्र के अंदर बैठी ताकत ने उसे उकसायासोच जरा"------'----मरने के
बाद दकतनी सुन्दर लगेगी ये जव !'जहन' में यह सव गूंज रहा था तब उसकी आंखे मवंदू के ल्जस्म पर जमी थी । ल्स्थर होकर
रह गई थी बहााँ, रर..........
मबंदू को लग रहा थाउसका "---- जादू गया है ।' होठों पर सिलता से लबरे ज मुस्कान उभरी । मन ही मन खुद से
कहा…"बचकर कहां जाएगा लड़के । है सका बच नहीं कोई तक आज मुडसे !
वह थरथराहट बारे में वह जानती थी दक। है देती मचा हाहाकार तक अंदर के मदध-
"ल्वनम्र गला दबा दे इसका ।आवाज यह मारती टक्कर पर दीवार की जहन अपने " ल्वनम्र को साफ़ सुनाई दी िटी "-------
!आंखें चमकदार इसकी जाएगी रह िटी की कांच की गोल्लयों जैसी वेजान वे आंखें इससे कहीं ज्यादा सुन्दर लगेंगी ल्जतनी अब
लग रही है । बाह क्या सीन होगा । मजा आ जाएगा ल्वनम्र मजा अाा जाएगा ।।।"
मबंदू देख रही थी ल्वनम्र की आंखो ने उसके सीने से हटने का नाम ही जो नहीं ल्लया । गदगद हो गई बह । ल्बनग्र को ऐसी
अवस्था में पहुंचाकर उसे यह सुख ल्मल रहा था जो पहले कभी नहीं ल्मला था ।" जी चाह रहा था ठहाका लगाकर हंस पड़े ।
कहे बहुत लड़के ---'स्राग' समड रहा था न खुद कोहै रहा जा घूरे क्यों अब ! इन्हे? इनके 'ताप' से बचने बाला दुल्नया में
पैदा ही नहीं हुआ । मगर, ऐसा कहा नहीं उसनेपर होठों !लगाया नहीं भी ठहाका ! के वल मुस्कान ल्बखेरी । ल्नमंत्रण देने वाली
मुस्कान' उसने सोच ल्लया थाहै रहा आ में ददमाग कु ू जो- उसे ल्वनम्र से तब कहेगी जव वह उसका 'गुलाम' बन चुका होगा
।
वह ल्वनम्र की तरि बढ रही थी । जानती बीसके गा। रोक नहीं से बढने तरि उसकी को खुद भी ल्वनम्र अब-------
वही हुआ ।
जहन की दीवारों से आवाज टकरा रहीं थीदकतनी । लड़की यह है सुन्दर ककं िनी- सैक्सी । यह दकसी भी मदध को पागल कर
सकती है । दीवाना बना सकती है ।। इसे मर जाना चाल्हए । अाागे बढ ल्वनम्र ।
खेल खत्म कर दे इसका । दबा दे गला । मरने से पहले जव यह मजंदा रहने के ल्लए ूटपटाएगी तो दकतना मजा अााएगा ।
वाह । इसे मरते देखना दकतना रोमांचकारी होगा । अाागे बढ ल्वनम्र !! ये सुख लूटने के ल्लए तू कब से मरा जा रहा है ।
लूट लेनहीं दिर मौका अछूा इससे ! ल्मलेगा ।"
उसे अपनी तरि बढते देख मबंदू की ल्नमंत्रण देती मुस्कान में सिलता का पुट ल्मसरी की तरह आ घुला । मुह से बगैर कु ू कहे
उसने अपनी बाहे ल्वनम्र की तरि िै ला दी । अंदाज ऐसा था जैसे उसे वाहों मे भरने के ल्लये मरी जा रही हो ।।।।।
दफ्रज के पीूे ूु पे ल्बज्जू का कै मरा 'अबार्' गल्त से काम कर रहा था । भी एक .'सीन को करना नहीं "ल्मस" चाहता था
वह । एकूाल्तयां । था रहा लग का रुपये करोड़--करोड़ उसे पेप एक- खोले मबंदू उसके कै मरे के ठीक सामने भी । बाहें
िै लाए यह ल्वनम्र की तरि बढ़ रही ही रर ल्वनम्र उसकी तरफ़ ।
अगर यह कहा जाए िोटो खीचने के चक्कर में वह आवश्यक सावर्ानी बरतना भी भूल गया था तो गलत न होगा । लल्गल"'
बदलने के चक्कर मे कई बार कोहनी दफ्रज से टकराई थी । आबाज भी हुई थी ।।।
दफ्रज थोड़ा ल्हला भी था परन्तु उस सबकी परवाह दकए बगैर अपने काम में लगा रहा ।
उर्र, मबंदू या ल्वनम्र भी तो उन आवाजो को नहीं सुन पाए थे । दफ्रज के ल्हलने तक ने उनमे से दकसी का ध्यान नहीं दकया
था । होता भी कै से? वे एककी दूसरे- तरि दीवानो की तरह बढ रहे थे ।
ल्बज्जू की 'जी' चहा था…इस वि उसके हाथ मे कै मरा नहीं, वील्डयो कै मरा होना चाल्हए था । यह सीन तो पूरी दिकम बनाने
लायक था ।
एकाएक उसने ल्वनम्र के वेहद नजदीक पहुंच चुकी मबंदु को चौंकते हुए देखा । कहते सुना में मूड दकस हो तुम ये ! अरे "---
ल्वनम्र हो?"
मबंदू के चेहरे पर खौफ़ के भाव उभर अााए । अचानक डरी हुई नजर आने लगी थी वह ।
" ल्वनम्र है गया क्या हो तुम्हें"---पड्री चीख मबंदु खौिजदा हुई हटती पीूे "!? "'
"वेइन्ताह सुन्दर हो तुम ।। गजब की सेक्सी ।" यह सब कहते वि ल्वनम्र के दांत ल्भचे हुए थे । मुंह से मानो इं सान की नहीं
दठरन्दे की आवाज ल्नकल रही थीइस जो वक्ष ये तेरे लडकी "-- वि रुई के गोले जैसे है अगर मर जाए तो पत्थर की तृरह
सख्त हो जाएंगे । मुडे पत्थर जैसे सख्त वक्ष पसंद है । मरी हुई लड़िी मुडे अछूी लगती है । लाश की आंखें बहुत सेक्सी होती
हैं ।"
"व हो रहे कह क्या तुम ये "--- बोली हुई हटती ल्पूे मबंदू भयिांत "। ल्वनम्र-?"
"बाह । मरते वि दकसी लड़की का ल्जन्दगी के ल्लए ूटपटाना दकतना रोमचकारी होता है ।के मबंदू " सवाल का ज़वाब देने की
जगह वह ल्नरन्तर अाागे बढता कहता चला गया…"मैं वो मंजर देखना चाहता हं लड़की । मेरी आखें दकसी तड़पती लड़की को
देखने के ल्लए वहुत ददन से प्यासी है । आ…मैं तेरा गला दबा दूं ।।"
ल्वनम्र इस वि आवाज ही से नहीं, शक्ल से भी दठरन्दा नजर अाा रहा था । ल्जस्म का सारा खून ल्समटकर ल्सिध रर ल्सिध
उसके चेहरे पर इकटृ ठा हो गया था । मस्तक रर कनपटी की एकसाफ़ नस एक-- चमक रही थी । आखों में रोशन थे लाल रं ग
के बकब । बोहत ही डरावना लग रहा था वह । इतना ज्यादा दक उसे गुलाम वनाने सारी अंदाए भूलकर चीख पडी ।।
"बचाओ । बचाओ-
पहली बार मबंदंु की जगह ल्वनम्र का चेहरा ल्बज्जू कै कै मरे के सामने था । उसके हाथ ही नहीं सारा ल्जस्म सूखे पिे की माल्नन्द
कांप रहा था । वंह चीख पडना चाहता था मगर आवाज हलक में घुटकर रह गई ।।
उसका गला नहीं दबाया जा रहा था मगर हालत उसकी भी मवंदु जैसी थी ।
वह देख रहा थातोड़कर सीमाएं की पलकों को जीभ अााई ल्नकल बाहर की मबंदु --- कू द पड़ने के ल्लए तैयार आंखों को ।
रुकती सांसो को रर खुद को मरने से बचाने के ल्लए उसकी ूटपटाहट को ।
कान मबंदू की गू--गु"' पर हावी हो गई ल्वनम्र की आवाज सुन रहे थेआ अब"---- रहा है मजा है तड़पन क्या । वाह !
जनूनी !तड़प रर तडप !तेरी अवस्था में वह सव कहता ल्वनम्र उसकी गदधन पर दवाब बढाता चला गया ।
मगर लगानहीं भी उसे वह तो गया लग पता का होने यहां उसके को ल्वनम्र यदद--- ूोड़ेगा । ल्वनम्र इस वि मासूम लड़का
कहां था? वह तो दठरन्दा बना हुआ था! दठरन्दा ।।
रर दिर !!!!
उस वि जाने कै से उसे अपने हाथों में मोजूद कै मरे का ख्याल आया ? इर्र उसने बटन दबाया उर्र ल्वनम्र ने अपने हाथ मबंदू
की गदधन से हटा ल्लए । लाश र्प्प"' की आवाज के साथ कालीन पर जा ल्गरी । उसकी गदधन में मौजूद सीे मोल्तयों की माला
ल्वनम्र की अंगुल्षयों में उलडकर रह थी ।
वह टू ट गई ।
उूलता, कू दता रर लुढ़कता हुआ एक मोती दफ्रज के पीूे भी आ घुसा । ठीक वहा जहााँ ल्बज्यू था का ल्बज्जू के खौि मारे !
िौरन को मोती दक था गया हो हाल यह ही अंगुली मारकर बापस लाश की तरि लुढ़का ददया । कू ऐसे अंदाज में वह मोती
नहीं मडधर वेपन हो ।
ल्वनम्र अपने कदमों में पड्री लाश रर ल्बघरे मोल्तयों को िटी।। था रहा देख से आंखों िटी-
चेहरे पर मोजूद महंसा के भाव खौि के भावो में तब्दील होते चले गए । आंखे मबंदू की लाश से हटने का नाम नहीं ले रही थी
। उसकी जीभ रर
आंखें बाहर ल्नकली हुई थीं । ल्वनम्र को लगा।। हैं रही घूर को उसी आंखें रहीहै। ल्चड़ा उसे ल्नकालकर जीभ मबंद---
ू
ल्बज्जू स वि दंग रह गया जब ल्वनम्र िो िू ट…िू ट कर रोते देखा ।। यह बात उसकी समड से पूरी तरह बाहर थी दक हत्यारा
हत्या करने के बाद रो क्यों रहा है? चेहरे पर मौजूद आंखे तक ढांप ली थीं उसने । जैसे लाश को देखना न चाहता हो ।
चेहरे को यूंही ढांपे वह रोता हुआ लाश के नजदीक से हटा । कदम ऐसे डगमगाए थे जैसे क्षमता से कई गुनी ज्यादा पी गया हो
। सोिे पर जा ल्गरा । वहााँ भी बस हाथो से चेहरा ूु पाए रोता रहा । ल्बज्जू की समड मे ना आ रहा था हो ये" क्या रहा
है?" न ही यह 'इन हालात वह क्या करे ?'
ल्बज्जू की समड में नहीं आ रहा था ल्वनम्र क्या सोच रहा है, क्या कर रहा हैसामान्य कभी । लगता रोने कभी ! नजर जाता
था । कभी उसके चेहरे पर दकसी ठोस ल्नश्चय की परूाई नजर जाने लगती थी ।
ददल जोर जोर से पसल्लयों पर ल्सर टकरा रहा था । 'जी' चाह रहा था'--दफ्रज़ के पीूे से ल्नकले करे तो के ल्शश की देखने !
मगर है रहा क्या कर में बाथरुम वह ऐसा करने की ल्हम्मत नहीं जुटा'सका । जानता र्ाउसकी यहााँ को ल्वनम्र अगर----
मोज़दूगी का एहसास हो गया तो उसका भी वहीं हस्र होगा जो मबंदू का हुआ है ।
उसका खात्मा करते वि जो भाव ल्वनम्र के चेहरे पर थे उन्हें याद करके ल्बज्जू के ल्तरपन कांप गए ।
मुल्श्कल से दस सेकण्ड बाद सुईट में बाथरुम का दरवाजा बंद होने की आवाज गूंजी । दिर, ल्वनम्र नजर अााया ।
इस वि उसके हाथ में सिे द रं ग का एक रोएदार टॉवल था । टॉवल ल्लए वह लाश के नजदीक पहुचा।
कै मरा एक बार दिर सम्भाल ल्लया । ल्बनम्र लाश के ल्सरहाने, घुटनों के बल बैठ गया ।
ल्बज्जू ने देखाबाद देर कु ू----- लाश की गदधन को टॉवल से रगड रहा था । ल्बज्जू ने यह दृश्य कै मरे में कै द कर ल्लया ।
गदधन को चारो तरि से अछूी तरह रगड़ने के वाद ल्वनम्र ने एक बार दिर ऐसी हरकत की जो ल्बज्जू की समड मेंां नहीं आईं
। टॉवल का िं दा बनाकर वह ठीक इस तरह लाश की के चारो तरि कस रहा था के जैसे जील्वत व्यल्ि को मार डालने की
कोल्शश कर रहा हो ।
पागलपन से भरी । वह मबंदू को दुवारा मारने की कोल्शश क्यों कर रहा था? क्या उसे शक था दक मबंदू में अभी एकार् सांस
बाकी है? अगर यह ऐसा सोच रहा था तो गर्ा था । बेवकू फ़ था । यह तो कभी की मर चुकी थी ।।
अंतत ल्वनम्र :ने टॉवल वहीं, उसी पोजीशन में ूोड़ा रर खड़ा हो गया ।
लाश नजदीक खड़ा ल्वनम्र कु ू देर तक कमरे का ल्नरीक्षण करता रहा । उस को खुद ने ल्बज्जू क्षण" पूरी तरह दफ्रज के पीूे कर
ल्लया था ।
रर वह ।।।
यदद इस वि कोई सुईट में आ जाएचीखने ही पडते नजर पर लाश वह-है जाल्हर ! वाली मशीन की तरह चीखना शुरु कर
देगा। जाएगा लग हुज्जूम ही डपकते पलक !
ल्नकल भागने का कोई मौका नहीं ल्मलेगा उसे अगर यह लाश के साथ पकड़ा गया तो लोग उसे ही हत्यारा समडेंगे ।
"हे भगवाना मैं हं रहा कर बेवकू िी क्या ये !? क्यों ूू पा हुआ हं अभी तक यहां?"
वह 'लॉक' था ।
राहत की सांस ली । दिर सोचाहं गर्ा मैं "-- ! भला कोई हत्यारा कै से साल्बत कर सकता हैं? मेरे पास कै मरा है । वह
कै मरा जो सारी दुल्नया को साि देगा बता साफ़-'हत्या' दकसने रर दकस तरह की है ।।।
पर कै मरे में मौजूद 'खजाने' को क्या मुडे इस तरह जाया कर देना चाल्हए?
नहीं!
हरल्गज नहीं ।!
कै मंरे में मौजूद िोटो करौड़पल्त बल्कक अरबपल्त बना सकते हैं, लेदकन तब जब सही मौका आने पर इन्हें ल्वनम्र के सामने रखा
जाए । वह इनकी मुह मांगी कीमत दे सकता है । उन िोटु ओं से तो शायद यह कम कमाई करता जो यहां खींचने अााया था
मगर जो िोटो इस वि कै मरे में है वो उसके पौ बारह कर देगें ।।।।
नहीं । ये िोटो दकसी रर को नजर नहीं आने चाल्हए । यदद मुडे खुद को ल्नदोष साल्वत करने के ल्लए इस्तेमाल करना पड़ा तो
र्मकी देकर ल्वनम्र से बेशुमार दौलत कै से खीचूंगा?
मुडे यहााँ से ल्नकल जाना चाल्हए । दकसी भी दकस्म की गडबड होने से पहले मेरा ल्नकल जाना जरूरी है ।
ऐसा सोच कर मुख्याार की तरफ़ लपका । गैलरी में पहुंचतेजेब कै मरा पहुचते- में डाल चुका था । ल्लपट नम्बर िोर की तरि
बढते वि ददमाग में ख्याल कौंर्ानही"---, मुडे इस ल्लफ्ट में सिर नहीं करना चाल्हए । इसका ल्लफ्टमेन मुडे देखते ही
गोडास्कर के हवाले कर देगा ।"
गोडास्कर का ख्याल आते ही उसके रोंगटे खड़े हो गए । नागपाल ाारा मबंदू से कहीं गई बातें जेहन से कौर् उठी ।
गोडास्कर को अभी तक पतलेके होटल भी-अभी वह मुमदकन ! है तलाश की शख्स दुबले- मुख्य ाार पर नजर रखे हुए हो ।
हाथ लगने का मतलब हैहो गोबर गुड़ सारा-- जाना ।
नहीं।। पडे करना जो चाहे ल्लए इसके ही भले !है लगना नहीं हाथ उसके मुडे !
इरादा आठवें फ्लोर पर पहुचकर ल्लफ्ट नम्बर दिफ्थ इस्तेमाल करने का था ।। यह समड उसे मबंदू रर नागपाल की बातों से
ल्मली थी ।।।।
अके ला बैठा नागपाल 'ब्लेक लेबल' की पूरी बोतल खाली कर चुका था।
इन्तजार की इन्तेहा पर ददमाग में सवाल उभराकरूं िोन पर मोबाईल के मबंदंू मैं क्या"---?"
शायद नहीं। सकताहै बन रुकाबट मे पाने मंल्जल अपनी को मबंदू िोन मेरा !
मोबाईल उठाकर उसने मबंदू का नम्बर ल्मला ही ददया । कु ू देर तक 'टु कटु क-' की आवाज जाती रही । दिर कहा गया----
है या है आाँि स्वीच का मोबाईल इस तो या" रें ज से बाहर है ।"
रे ज से बाहर होने का मतलब ही नहीं था । यह बात मबंदू ने उसे खुद बताई थी दक अपने मोबाईल का ल्स्पच वह कभी आि
नहीं करती ।
रात को सोते वि भी नहीं । चाजधर पर भी उसे 'आाँि’ नहीं करती । चाजधर पर भी उसे 'आन' पोजीशन पर ही लगाती है ।
बार। उठा डुंडला नागपाल हैं रहा अााता वही जवाब जब भी पर करने राई बार- दकसी अनहोनी की आशका उसके ददमाग ने
प्रबल हो चली थी । यह जानने के ल्लए पहले से कई गुना ज्यादा बेचैन हो उठा दक मबंदक
ु ो अपने मकसद ने कामयाबी ल्मली या
नहीं? उसी बेचैनी ने उससे ओबराय के ठरसेप्शन का नम्बर डायल करा ददया ।
"सुईट नम्बर सेल्बन जीरो थटीन प्लीज "। की कोल्शश की करने वेलेस को अााबाज अपनी रही लढ़खड़ा में नशे ने नागपाल "!
दूसरी तरि से बोलने वाली लड़की ने पूरे सम्मान के साथ मर्ुर आवाज में कहा…"रात के दो बज चुके है सर क्या इस वि उन्हें
ल्डस्टबध करना मुनाल्सब होगा?"
"'मेरा नाम नागपाल है । सुईट मेरे ही नाम से वुक है । बहााँ मेरी एक मेहमान ठहरी हुई हैं । मुडे उनसे जरूरी बात करनी है
। यदद सो भी रही होंगी तो मेरे िोनं का बुरा नहीं मानेगी ।"
' "ओ के सर"। :' इस आवाज के बाद पलभर के ल्लए शांल्त ूा गई दिर, घ'टी जाने की आवाज़ सुनाई देने लगी ।
नागपाल समड सकता था…सुईट नम्बर सेल्वन जीरो थटीन में रखा िोन घनघना रहा है ।
मगर ।
वह के वल घनर्नाता रहा । उठाया नहीं गया । नागपाल के ददमाग में सवाल कौर्ेंऐसा है रहा हो क्यें "----? क्यों? इं स्ुमेट
ड्राइं ग रूम के अलावा बेडरूम रर बाथरुम में भी है!
दिर िोन अटैण्ड क्यों नहीं दकया जा रहा है? ल्जतनी देर से बैल जा रही है उतनी देर में तो सोता हुआ आदमी भी जाग जाए
। आल्खर क्या हो रहा है सुईट मे?
नागपाल यह सव सोच ही रहा था दक रहा जा उठाया नहीं िोन" ---आई आवाज की ठरसेप्शल्नस्ट गई ही बन्द जानी "वैल"
"। सर
िोन जब तब भी अटैण्ड नहीं दकया गया तो अनेक सवालों ने नागपाल के ददमाग को पुरी तरह जकड ल्लया । ठरसेप्शल्नस्ट की
तरि से पुन 'सौरी सर' सुनते ही उसने कहा…“मैडम ,मुडे अपनी मेहमान को इसी वि कोई जरूरी वात बतानी हैप्लीज !,
दकसी को भेजकर उन्हें जगवाईंए । उनसे कल्हए तुरन्त मेरे मोबाईल पर बात करे ।।
नागपाल ने नोट करा ददया । अब उसके पास मोबाईल पर दूधसरी तरि से अााने वाले िोन का इं तजार करने के अलावा कोई
चारा नहीं था ।
डपदकयााँ जाने कहां गुम हो गई थीं । नशा भी कािू र होता नजर आ रहा था । यह बात उसकी समड में ल्बककु ल नहीं अाा
रही थी दक सुईट में िोन क्यों नहीं उठाया जा रहा? इतनी 'घंठटयां' सुनकर तो तो कु म्भकणध की नीद भी टू ट जानी चाल्हए थी
।।
इसका तो के वल एक ही है मतलब है सुइट में कोई है ही नहीं ।
ल्मशन की समाल्ि के बाद ल्वनम्र अपने बंगले पर चला गया हो, मबंदू अपने घर ।
मगर ऐसा हुआ होता ते मबंदू ने अपनी कामयाबी कीं सूचना ज़रूर दी होती ।।
वह चक्कर को जानने की बैचेनी ही र्ी ल्जसने उससे ल्वनम्र का नम्बर ल्मलवा ददया है वह नम्बर ल्जसे उसकी जानकारी के
मुताल्वक ल्बनम्र के बेडरूम में होना चाल्हए था ।
दूसरी तरफ़ ठरग जाने लगी नागपाल र्ड़कते ददल से ठरसीवर उठाए जाने का इं तजार करने लगा । दो बार ररं ग गई, तीसरी
बार आर्ी ही गई थी दक ठरसीवर उठा ल्लया गया ।
आवाज ल्वनम्र की ही थी ।
रर बस ।
यह पुल्ष्ट, होते ही नागपाल ने कनेक्शन 'आाँफ़' कर ददया । इस सारी प्रल्तदिया के दरम्यान उसके चेहरे पर ढेर सारा पसीना
उभर अााया था । वह पता लगा चुका था। है में बैडरुम वल्कक !है पर बंगले अपने ल्वनम्र------------- सोया हुआ था ।
तो मबंदु कहां है ?
इस सवाल का जवाब पाने का दिलहाल नागपाल के पास कोई जठरया नहीं था । पूूने के बावजूद ल्बदू ने न कभी उसे अपने
घर का पता बताया था न ही िोन नम्बर ।
बस इतना ही कहा था जब आपको । नागपाल ल्मस्टर है नहीं रतजरू कोई सबकी उं स-- भी संपकध करना हो, मोबाईल ल्मलाए
। यह चौबीस घंटे अाॉन रहता है ।"
रर
वही इस वि आाँि था ।
ल्वचारों में गुम होने के कारण नागपाल इस तरह चौंका जेसे ल्बछूू ने डंक मार ददया हो' । मोबाईल हाथ ही में मोजूद था ।
बारनम्बर रहे चमक पर स्कीन बार- को पढ़ने की कोल्शश ने उसने एक पल भी नहीं गंवाया । इस उम्मीद में डट अाॉन वाला
ल्स्पच दबाकर कान से लगा ल्लया दक शायद मबंदू हो परन्तु दुसरी तरि से ठरसेप्शल्नस्ट की आवाज सुनाइं दी। "सरा सांरी"---
"वेटर ही नहीं, इं चाजध भी अपनी भरपूर के ल्शश कर चुका है । दरवाजा नहीं खोला जा रहा ।"
क्यों ऐसा क्यो नहीं हो सिा दक वे होटल ूोडकर कही चली गई हो?"
"नो सर ।"
सोचा करे चेक जाकर में सुईट खुद न क्यों-? ल्बनम्र तो अब बहां है नहीं । जाने में हजध ही क्या है ?
"बता ही चुका हं व इसी मेरा---ि अपनी मेहमान से ल्मलना बेहद जरूरी है अगर वे दरवाजा नहीं खोल रही तो 'मास्टर
की' का इस्तेमाल करना पड़ेगा ।" कहने के बाद दूसरी तरि से। ददया काट कनेक्शन उसने रर दकए इं तजार का ववाव-
उठा ।
कमरे के दरवाजे की तरि बढ़ा । कदमोंमें कोई लड़खड़ाहट नही थी । 'ब्लेक लेबल' की बोतल उसकी टेशन की भेंांट चढ़ चुकी
थी ।
ल्लफ्ट नम्बर िोर के जठरएं वे सेल्वन्थ फ्लोर पर पहुचे । इस वि ल्लफ्टमेन "ददन याला' नहीं था बल्कक दुसरा था वह ल्जसकी
इन ददनों नाईट डू यटी चल रही थी ।
एक बार दिर कालबेल आदद बजाकर दरवाजा खुलवाने की कोल्शश की गई के ल्शश नाकाम होने पर 'मास्टर की' का इस्तेमाल
दकया गया ।।
चारों ने सारा सुईट ूान मारा ।। अब नागपाल के जहन की हर दीबार पर एक रर के वल एक ही सवाल बार टकरा बार---
मवंदु गई कहां "----था रहा? "
नयु
मां , हाथों में बैड टी की रै ल्लए खड़ी थी । बंगले मैं बील्सयों नौकर थे परन्तु बैड टी उसके ल्लए हमेशा मां ही लाती थी ।
अभी यह कु ू कह भी नहीं पाया था दक अंदर अााती मां ने कहा…"ल्वनम्र मैं तुडसे ल्जतना ल्सगरे ट न पीने के ल्लए कहती हं
उतनी ही ज्यादा पीने लगा ।"
बोलता भी क्या? यह 'स्मोकर' है, मां कां यह जानना अलग बात थी मगर न तो मा के सामने ल्सगरे ट पीता था न ही इस
ल्वषय पर चचाध करना चाहता था ।
रै मेज पर रखते वि मां की नज़र एश्रे पर पड़ी । वह ल्ससौट के टोंटो से भरी पड्री थी ।
"रर आखें भी लाल है ।---आई नजदीक उसके वह "'"तू ककं सी टेंशन में हैं बेटे?"
" नगया हड़बड़ा थोड़ा ल्वनम्र से डर के जाने पकडी चोरी न तो नहीं--…"नहीं तो मां ।"
"अपनी मां से मत डुपा बेटासार है लगता देखकर अााांखे । बात कोई सही तो है !ाी सोया नहीं । एश्रे बता रही है स्मोककं ग
करता रहा । मुडे बताहै क्या बता-? रात को ठीक से सोया क्यों नहीं?"
यही दक आजकल तू पांच बजे के बाद भी ल्बजनेस मीरटंग अटैण्ड करने लगा है ।"
"हां ।। िोन अााया था उसका । शायद तुने उसे डांट ददया था ।" मां कहती चली गई! है नहीं ठीक बात यह "-----
ल्बजनेस अपनी जगह है । लाईि अपनी जगह है । तेरा अपना ही तो ल्सद्धांन्त था यह । अब क्यों खुद ही दोनों को ल्मक्स कर
रहा है? ऐसा ल्बजनेस दकसी काम का नहीं लाईि को ल्डस्टबध कर रातो को सोने न दे रर श्वेताप्यारी दकतनी . . . लड़की है
वह । तुडसे कहीं ज्यादा वह मुडे पसंद है । यह बात मैं ल्वककु ल बदाधश्त नहीं करूगी दक तू उसे दुख पहुंचाकर ल्बजनेस मीरटंग
अटैण्ड करे ।"
"उसने गलत समय पर िोन दकया था मा......... वि उस !
"मैं कु ू सुनना नहीं चाहती ।बाद के पीने टी बैड"----काटी बात उसकी ने मां " तू सबसे पहले श्वेता को िोन करे गा रर
आईन्दा ऐसी कोई ल्बजनेस मीरटंग अटैण्ड नहीं करे गा जो उसे दुखी करे या तेरी रातो की नीद ूीन ले ।।"
"गोडास्कर? "
"ये िै सला हमें करना है ल्वनम्र । हमें रर गोडास्कर को ।कु ू को ल्वनम्र मां " भी कहने का मौका ददए वगैर कहती चली गई-
"-----' घर से बाहर वहुत हो ल्लए तुम्हारे रर श्वेता के ल्मलन । अब ये ल्मलन इस घर में होगा । मेरी आंखे तुडे सेहरे में
देखना चाहती हैं । दकतने लम्बे असे से तुडे दूकहे के रूप देखने की ककपना करती रही हं । अब ये ककपनाएं साकार होनी ही
चाल्हए ।" कहते वि मां के चेहरे पर ऐसी आभा रर आखों में ऐसी चमक घी दक ल्वरोर् करना तो दुर चाहकर थी ल्वनम्र कु ू
न कह सका ।
तभी, कमरे में नौकर अााया । उसके हाथ ने एक ल्वल्जरटंग काडध था । उसे ल्वनम्र की तरि बढ़ाता हुआ बोला ये साहब"---
"। हैं अााए ल्मलने आपसे साहब
काडध नागपाल का था ।
उसके अाॉदिस में, मेज के उस पार बैठी अर्ेड आयु की मल्हला ने कहा"। मालूम नहीं मुडे यह"---
"कमाल है है करती हद दि लेगा दुरुस्त ज्यादा तो जाए कहा यह अगर बल्कक ! कलयुग की माएं ।"' अपना ल्बशाल जबड़ा
बराबर चलाए रखता गोडास्कर बोला"------ वे ये तो जानती है बेटी सर्वधस करती है । मगर ये नहीं जानती सर्वधस करती
कहां है । एक जमाना था जब माए' यह भी बता ददया करती थी दक चौबीस घंटे ने बेटी तांस दकतनी लेता है ।।"
"क्या करती?" गोरे रं ग की अर्ेड मल्हला ने ल्सर डुका ल्लया"। सकती कर नहीं तो भी पूूताू ज्यादा से बेटी जवान"--
"आपने खुद बतायाथी करती सर्वधस भी जहां वह-, नाईट डयूटी पर रहती थी । रात अभी गुजरी ही तो है । डू यूटी ल्नपटाकर
आ जाएगी । इतनी जकदी पेट में ऐठन क्यों होने लगी आपके ?"
"एक ल्मनट एक ल्मनट ।।" गोडास्कर ने उसकी बात काटीज "------ब भी डू यूटी पर जाने का क्या मतलब हुया? क्या वह
हर रात डू यूटी पर नहीं जाती?
"नहीं इं स्पेक्टर साहब । जाने कै सी डू यूटी है उसकी । कभी होती है, कभी नहीं ।"
"जजी-?"
" महै रहे कह क्या अााप अााया नहीं में समड मेरी--?"
"गोडास्कर के कहे को समडने के िे र में मत पडो । दूसरों की तो बात ही दूर, कई बार तो गोडास्कर का कहा खुद गोडास्कर
की समड ने नहीं आता । जो बात अर्ूरी रह गई थी उसे पूरी करो । अााप िरमा रही थी जाती पर डू यूटी भी जब बह----
. . .थी
" गुड थे लौटते घर पहले से डू वने सूरज लोग पहले. . . !, अब सूरज 'ल्नकलने से पहले लौटते है । वैरी गुड, पेट की
लठन का दुसरा कारण?"
"उसने मुडसे कह रखा हैमेरा--- मोबाईल हमेशा अाॉन रहता है । जब भी चाह उससे बात कर सकती हं । पहले से अााज "
हुआ हमेशा भी यही है । मैंने जव भी बात करनी चाही, हो गई मगर आज सुबह पांच बजे से लगातार राई कर रही हं । बात
नहीं हो पा रही है ।"
" तो इसमे क्या हुआ? अगर बह ल्स्वच आाँि नहीं करती तो रे ज से बाहर होगी ।। वेसे ऐसी लड़दकयां अक्सर 'रे ज से बाहर'
ल्नकल जाया करती हैं ।"
"मगर ?"
"समडने की कोल्शश कील्जए इं स्पेक्टर साहव मैं एक जवान बैटी की मां दिि तो रहतीं ही है "!
"वह तो अााप यह िरमाकर ही साल्बत कर चुकी हैं दक आपको उसके सर्वधस के ठठकाने तक की जानकारी नहीं है ।"
" अर्ेड मल्हला थोडी ल्हचकती हुई बोलीसाहब इं स्पेक्टर"-, इतनी जकदी 'रपट' ल्लखवाने के ल्लए आने का एक बड़ा कारण
मेरी शंकाएं है।"
"कै सी शंकाएं?"
"मेरे पल्त डी॰ ए । थे क्लकध में . ूोटामैं । था पठरवार म-, वे रर मबंदू । दो कमरों के फ्लेट में रहते थे । "उनकी' कमाई
ठीकलीडली बहत मबंदु । थी ठाक- थी उनकी । उसके मुंह से िरमाईश बाद में ल्नकलती । वे पूरी पहले कर डालते थे । दो
साल पहले एक्सीडेन्ट मैं उनकी मृत्यु हो गई कमाने वाला नहीं रहा तो अभावों ने घेर ल्लया । मेहनत "अपना मैं करके मजदूरी-
वे दूकींमबं परन्तु लगी पालने पेट का मबंदू रर िरमाइं शें पूरी नहीं करं सकती थी ल्जनकी उसे आदत पड़ चुकी थी । दिर एक
ददन, आज से करीब एक साल पहले मबंदू ना जाने कहााँ से देर सारे नोट ,ले अााई । पूूा हो बोली…"मैंने सर्वधस कर ली है ।
ये एडवांस है ।पर काम मेरा उसने " जाना बंद कर ददया । देखतेके कमरे चार से फ्लैट के कमरे दो हम देखते-ही- फ्लेट मे आ
गए । नौकर सव गाडी चाकर-कु ू हो गया । मवंदू मॉडनध ड्रैस पहनने लगी । ल्जस रात डयूटी पर जाती तो कु ू ज्यादा ही
सजर्ज कर…
"यानी आपके ददमाग ने भी शंका वही है जो गोडास्कर को खोपडी में घुसने की के ल्शश कर रही थी?"
"ल्ज शंका मल्हला अर्ेड "। जी-'सच' होने से डर रही थी----'' म"। नहीं समडी मैं-
"साि"। चाल्हए करना नहीं उसे जो है करती काम ऐसा कोई मबंदू हैदक शक आपको । कल्हए साि--
"दिर मगर?"
"गलत कामों के नतीजे कभी अछूे नहीं होते । अपनी इसी शंका के कारण मैं ज्यादा परे शान हो उठी ह । कृ पया जकदी से
जकदी पता लगाईए बह कहााँ है?"
"जी ।। मैं अपने साथ लाईं हं ।" कहते हुए उसने हैंड बैग से ल्नकालकर एक िौटो मेज पर रख ददया । गोडास्कर ने सैंडल्वच
का आल्खरी पीस मुह में ठूं सते हुए िोटो उठाया । देखा रर जुगाली करता मुंह रुक गया ।
वह चौक पड़ा था ।
उसकी जानकारी के मुताल्बक िोटो हाई सोसाईटी से मूव करने वाली एक ऊंचे दजे की कालगलध का था ।
अर्ेड मल्हला की तरि देखा । कहना चाहा…'तुम्हारी शंकाएं सच हैं माई। वेटी कालगलध है ।' मगर पर चेहरे के मल्हला.....
रोक से कहने ऐसा ने भावो मोजूद ददया । जाने क्यों मल्हला की शंकाओं पर मोहर की सच"' लगाने को उसका जी नहीं चाहा
इसल्लए बाकी बचे सैंडल्वच को चबाना शुरु करने के साथ के वल इतना कहा--'"ठीक है गोडास्कर । जाएं ूोड़ िोटो अााप !
हैं करता कोल्शश की लगाने पता ये कहााँ है?"
मल्हला ने कु ू कहने के ल्लए मुंह खोला ही था दक मेज पर रखे िोन की घंटी घनघना उठी । ठरसीवर उठाने के साथ गोडास्कर
ने अपना पठरचय ददया । दूसरी तरि से घबराई हुई आवाज मैं कहा गयाहं रहा बोल मैनेजर का ओबराय होटल "----
इं स्पेक्टरा अााप िौरन यहां आ जाइए ।"
'"गोडास्कर सरकार का नौकर है ल्मयां, तुम्हारा नहीं दक उठाया िोन रर दनदना ददया हुक्म ।"
“गोडास्कर ने तो कल ही िरमा ददया था ल्मयां दक यहााँ कु ू न कु ू| होने वाला है ।गोडास्कर बाद के कहने "'ने ठरसीवर
के ल्हल पर रख ददया ।
"तहै दकया चेक सुईट सारा खुद तुमने !तुमने-?" पूूते वक्ि ल्वनम्र के होश िाख्ता थे ।
"नहीं ।"
“कु ू भी से क्या मतलब? मैं के वल मबंदू की बात कर रहा हं। वह वहां नहीं थी ।"
रर हुई की पूूने चीखकर-चीख इछूा की ल्वनग्र . .…"मैं मवंदु की नहीं । उसकी लाश की बातिर रहा हं ।। क्या वह भी
वहााँ नहीं थी ?" परन्तु ऐसा पूू कै से सकता था? कै सी ल्वडम्बना थी, यही नहीं सकता था जो जानने के ल्लए रोमरोम- मरा
जा रहा था । नागपाल ने जे कु ू कहा उसका एक ही मतलब थाकी मबंदू मे सुईट- लाश नहीं थी ।
कै से हो सकता है ऐसा?
. यह एक ही सवाल उसके ददमाग की चुलें ल्हलाए दे रहा था । होश िाख्ता थे उसके । जाने कब रर कै से सारा चेहरा पसीने
से भरभरा उठा । सारी आभा अजीब से "िीकै पन' में बदल गई थी ।
दिर खुद को सम्भालने के ल्लए अपने अंदर की घबराहट को नागपाल से ूू पाए रखने के ल्लए एक ल्सगरे ट सुलगाने के अलाबा
रर कु ू नहीं सूडा । जेब से पेदकट ल्नकालते ल्सगरे ट सुलगाते वि उसने अपने हाथो को कांपते महसूस दकया था । वह रर
नागपाल इस वि ड्राइं गरूम में थे । मां नहीं थी । ल्सगरे ट में कश लगाते वि उसने सोचा था…"ये क्या कर रहा है ।। मैं इतना
नवधस होऊंगा तो हर कोई जान लेगा मेरे मन में चोर है । खुद को संभलना होगा । ल्हम्मत से काम लेना होगा, यही प्रयास
करता बोलापीूे मेरे । थी वही वह तो तक आने मेरे "- सुईट के दरबाजे तक आई थी ।"
" यही बात तो खुद मेरी समड में नहीं आ रही ।"----कहा ने नागपाल "'आपसे मुलाकात के बाद मबंदू चली कहां गई?"
" ऐसा होता तो उसे ठरसेप्शन पर चाबी देकर जाना चाल्हए था ।"
"हांकरना ऐसा वह है मुमदकन मगर । है तो ये ! भूल गई हो । मेरे ' ख्याल से तुम्हें यहााँ आने की जगह मवंदू के घर जाना
चाल्हए था ।"
"प्रॉब्लम ही ये है ।। उसका पता नहीं मालूम । न ही उस मोबाईल के अलावा कोई है नम्बर मालूम है जो ल्मल नहीं रहा ।"
"कमाल कर रहे हो ल्मस्टर नागपाला बह तुम्हारी सेकेरी थी रर तुम्हें उस का एड्रेस नहीं पता ।"
"ओंहा हांमें तलाश उसकी भी दिर"-बोला ल्वनम्र "। ऐसा बह के रही तो कह ! तुम्हें मेरे पास आना अजीब है । उसे मुडसे
ल्मलने तुम्हीं ने नेजा था । मैने उससे बाते की रर बापस अाा गया । उसके बाद वहां क्या हुआ, बह कहां गई? भला इस
सबकी जानकारी मुडें कै से ही सकती है?"
"आपकी बात ठीक है ल्मस्टर ल्वनम्रभी दिर !, मैं यहां के वल यह जानने आया था के आपसे बातो के दरम्यान उसने कोई ऐसी
बात तो दक नहीं कही थी ल्जससे यह आभास होता हो दक आपके लोटने के बाद उसका प्रोग्राम क्या था?"
"क्या मतलब?"
‘बनने की के ल्शश मत करो ल्मस्टर नागपाल । मैं तुम्हारे ाारा अरें ज की गई उस मीरटंग का असली मकसद समड चुका हं ।"
"वही समडा रहा ह ।चला कहता देता जोर पर शब्द हर अपने ल्वनम्र " गया कोई की आदमीयों के गगोल पास उसके "------
पुअर की गगोल । थी नहीं ल्लस्ट क्वाल्लटीं के बारे ने बताने को कु ू नहीं था । इस बहाने उसे में शीशे " उतारने' के ल्लए
भेजा गया था ।। मैंने सपने में भी नहीं सोचा था ल्मस्टर नागपाल तुम ऐसी घठटया हरकत करोगे ल्लया कै से सोच यह तुमने !
एक ल्वनम्र दक लडकी के रूपजाल ने िं सकर गगोल की जगह तुम्हें काम दे सकता है?"
ल्बनम्र के मुंह से सीाई सुनकर नागपाल अंदर ही अंदर बौखला उठा । बोला…"व मवंदु क्या । ल्वनम्र ल्मस्टर हैं रहे कर बात क्या-
घठटया कोई ऐसी ने हरकत की ?"
"घठटयावह ही तेडपक पलक !घठटया ज्यादा कहीं भी से र्ठटया"-गुराधया ल्बनम्र " सैकैरी की जगह बाजारू ररत नजर आने
लगी थी ।मैं गगोल के आदल्मयों के नाम पूू रहा था वह अपने टाप की चेन खोल बैठी । मैं गगोल ाारा क्वाल्लटी में की जा
रही हेरािे री के बारे में जानना चाहता वह अपनी ूाल्तयां खोलकर मेरे सामने खडी होती कहने लगी अजीब भी आप "------
ल्वनम्र ल्मस्टर है आदमी अहमक हुप आपके सामने खुला पड़ा है रर अााप ल्बजनेस की नीरस बाते दकए चले जा रहे हैं । मेरे "
। मेरा था गया हो हाल बुरा के गुस्से मारे । गए उड़ होश तो बोला…"ूाल्तयां चमकानी बंद करो ल्मस मबंदु । काम की बांते
करनी है तो करो वरना मैं यहााँ से जा रहा हं ।। ऐसा सुनकर तो बह मुड पर लपक ही जो पडी । उसकी के ल्शश मुडे अपनी
बांहों में भरने की थी । मैं घबराया । दकसी तरह बचकर सुईट के दरबाजे की तरि लपका ।।।
ल्वनम्र रोष में नजर आने लगा थामें बारे के हरकत घठटया उसकी तो मुड---
े बताने तक मे शमध अाा रही है । इसील्लए तुम्हे
भी नहीं बता रहा था । सोचा 'था सारी ठरपोटध तुम्हें वही अपने मुह से दे तो अछूा रहेगा मगर तुम मेरा मुह खुलवाकर माने
। जब मुह खुलवा ही ददया है तो कान खोलकर सुनो ल्मस्टर नागपाल, अपने चेहरे पर हैरानी लाकर नाटक करने की के ल्शश मत
करो । मैं तुम्हारे इस डांसे में अााने वाला नहीं हं दक वह सब मबंदू ने अपनी मजी से दकया था ।"
ल्मस्टर ल्वनम्र , आपको गलतिहमी हो गई… वाक्य अर्ूरा रह गया । उसकी जेब में पडा मोबाईल बज उठा था । यह कहा
जाए तो जयादा मुनाल्सब होगाअसुल्वर्ाज उसे बजकर ने मेबाईल-नक ल्स्थल्त से बचा ल्लया था । उसे ल्वनम्र की बातो के ज़वाब
नहीं सूड रहे थे । मोबाईल ल्नकालकर 'हैलो' कहा ।
" गोडास्कर बोल रहा हं ।। उभरी आवाज़ से तरि दुसरी "। नागपाल ल्मस्टर "
नागपाल बूरी तरह चौका । मुह से ल्नकलागोडास्कर-ग"-?" गोडास्कर का नाम सुनकर ल्वनम्र के भी कान खड़े हो गए ।
"जी हां। है रहा खा भी अभी वह था जाल्हर से आवाज "। मुडे हैं कहते गोडास्कर इं स्पैक्टर !
नागपाल खुदको ल्नयल्त्रत करने के साथ पूूा…"कल्हए मुडे कै से िोन दकया? "
"ओबराय से?"
"अछूा है । अछूा है दक यह बात तुम्हें याद है ।में लफ्ज हर के गोडास्कर " व्यंग्य था"--' अब पूूो अपना पहला सवाला
यह दक गोडास्कर ने तुम्हें िोन क्यो दकया ? "
इयर, ल्वनम्र की र्ड़कने तेज होगई । ददमाग में कौंर्ा।। गई ही ल्मल लाश तो---
"जी हांगया कहा लेकेर सा चटकारा से तरि दूसरी " ।। मडधर !…"आप िौरन यहााँ आजाएं तो गोडास्कर पर मेहरबानी होगी
।"
"म आ यहीं मैं !मैं-जाऊं? क्यों? क्या इस मडधर का मुडसे कोई सम्बन्थ है?"
"महै सकता हो सम्बन्र् क्या से मडधर दकसी मेरा भला "----थी खराब हबा की नागपाल "। मगर-?" दकसका मडधर हुआ है ?
"
इन्टरव्यू तुम्हें गोडास्कर का नहीं ल्मयां, गोडास्कर को तुम्हारा लेना है ।कहा चबाकर को शब्द एक-एक " गया’---" बो भी
िोन पर नहीं बल्कक आमनेयहााँ पहले से िौरन । है लेना सामने- दौड़े चले आओ । गोडास्कर के आदल्मयों ाारा हथकल्ड़यां पहना
कर लाया जाना शायद तुम पर ल्डलेगा नहीं ।"
"हां "!
"वाह । क्या बात है"। दो पकड़ा उसे मोबाईल यही जरा । था वाला करने हो उसे िोन अगला रगोडास्क !
मोबाईल ल्वनम्र की तरफ़ बढाते हुए नागपाल ने कहा"। है चाहता करनी बात गोडास्कर इं स्पेक्टर"----
सम्भालने की लाख चेष्टाओं के बाबजूद ल्वनम्र का चेहरा सिे द पड गया था । ददल पसल्लयों पर इस तरह ल्सर पटक रहा था
जैसे मां बेटैं की मोत पर पटक रही हो ।। मुंह से ल्नकला’-…"ममुडसे-? क्यों?"
कांपते हाथों से मोबाईल लेते ल्वनम्र ने कहामतलब क्या से मडधर दकसी मेरा"----? "
नागपाल के ज़वाब का इं तजार दकए बगेर ल्वनम्र ने जकदी से मोबाईल अपने कान पर रखा । बोलाहां "----- गोडास्कर । बोल
रहा हुं ।"
"एक मडधर के मामले में गोडास्कर िो अाापसे कु ू पूूताू करनी हैं जीजू ।" श्वेता का भाई होने के नाते गोडास्कर उसे
'जीजू' ही कहता थाहुक्म "---- तो आपको दे नहीं सकता ल्वनती कर सकता हं। नागपाल के साथ ओबराय जा जाओ ।"
ल्लपट नम्बर पांच की ूत पर पडी ताश मवंदू की नहीं थी । वह एक ऐसे पतले शख्स की लाश थी ल्जसने 'ग्रे कलर’ का सूट
पहन रखा था । बैसी ही टाईएक पर टाई ! ल्पन तरह की ल्ूपकली हुई मरी वह पर ूत की ल्लफ्ट !'ल्चि' पड़ा हुआ था
। गदधन में कसी हुई थी रे शम की एक मजबूत डोरी । लाश को देखकर कोई भी कह सिा ' था , उसकी इं हतीला इसी डोरी
से समाि की गई है। उसकी जीभ बाहर ल्नकली हुई थी । नथुनों से ल्नकला हआ खून जम चुका था रर आंखें हैरानी से िट गई
थीं । ल्लफ्ट इस वि ग्राऊन्ड िलोर रर बेसमेंट के बीच कं ही िं सी हुई थी । इसी कारण ग्राऊण्ड फ्लोर पर मौजूद लोग "
देख साि को लाश पड़ी पर ूत उसकी सकते थे । अछूीठहरे बहीं रर कमधचाठरयों के होटल भीड । यहााँ थी भीड़ खासी- हुए
लोगों की थी । पुल्लस बाले भीड को ल्लफ्ट से दुर रखने का प्रयप्र कर रहे थे । कु ू पत्रकार रर अपने कै मरों सल्हत
इलेक्टोल्नि ल्मल्डया के लोग भी पहुंच चुके थे ।
पुल्लस िोटोग्रािर जब लाश के पयाधपत िोटो ले चुका तो बरगर मचंगलाते गोडास्कर ने पुल्लस वालों को हुक्म ददया------
''उसे वहां से उठाकर आराम से यहााँ ल्लटा दो ।। दकया इशारा तरि की कालीन ल्बूे मे गेलरी उसने "
पुल्लस बाले ल्लफ्ट के खुले मपंजरे को पार करके उसकी ूत पर उतर गए । ल्जस वि वो उसके हुक्म का पालन कर रहे थे उस
वि नागपाल ने सवाल दकया'--'"मेरी समड में नहीं आ रहा, मुडे यहााँ क्यों बुलाया गया है? भला मेरा इस मडधर से क्या
तालुक ।"
"ल्मस्टर नागपाल ।" गोडास्कर ने अपने हाथ में मोजूद बरगर में एक रर 'बुडक' मारने के साथ कहा…"गोडास्कर के ख्याल से
तुम्हारी खोपडी ने इस शख्स का 'बायोडाटा' होना चाल्हए ।"
"मुबारक हो"। हो रहे पूू से गोडास्कर उकटा तुम वह है चहता पूूना तुमसे गोडास्कर सवाल जो---
" ये वही सज्जन है ल्जन्हें तुमने कल दोपहर दो बजे अपने सुईट मे इन्वाईट"' दकया था । "
"ओह । तो यह है ल्जसके बारे में अााप कल रात पूूताू कर रहे थे । मगर मैंने उस वि भी यही कहा था इं स्पेक्टर, अब
भी यही कहंगा मैंने आज से पहले इसे कभी नहीं देखा ।"
"'दकतनी बार कहं हं सकता कै से बुला उसे नहीं ही जानता मैं ल्जसे !नहीं !नहीं !?"
"शरीि आदल्मयों की तरह जवाब दोथा बुलाया बजे दकतने रर दकसे तुमनै "---?"
इस सवाल का जवाब नागपाल ने तुरन्त नहीं ददया । नजर ल्वनम्र की तरि उठी थी । ददमाग में 'मंथन' शुरू हुआ-------
की मबंदू रर ल्वनम्र गई कराई ाारा अपने मुलाकात के बारे में बताए या नही?ाँ अभी वह िै सला नहीं कर पाया था दक
गोडस्कर ने अपनी जेब से िोटो ल्नकलकर उसे ददखाते हुए कहाबुल "----ााया था?"
वह तो के बल चौका ही था । ल्वनम्र के तो रौंगटे ही खड़े हो गए । गोडास्कर के हाथ में उसी की िोटो थी ल्जसकी वह हत्या
कर चुका था ।।
"'है भगवाना ये हो क्या रहा है? जो मरी थी, उसकी लाश कहााँ गई रर ल्जसकी लाश है यह कोन है? "
इर्र नागपाल को लगा बह-- मवंदू को पहचानने से इं कार करने की पोल्जशन मे नहीं है । गोडास्कर के पास मवंदू का िोटो होने
का मतलब है वह पहले ही से कािी कु ू जान चुका है सो बोलाजानता इसे मैं हां "------ हं । इसका नाम ल्बदू है । इसे
मैंने रात के साठे आठ बजे सुईट में बुलाया था ।'"
"क्यों? "
नागपाल ने जवाब देने की जगह एक बार दिर ल्बनम्र की तरि देखा । अंदाज ऐसा था जैसे पूू रहा हो सच वह "-------
नहीं या बताऊं?
ल्वनम्र बेचारा क्या जवांव देता, वह तो समड ही नहीं पा रहा था यह सब हो क्या रहा है?
तभी गोडास्कर के मुंह से शब्दों की ज्वाला ल्नकली"-'दाएंकु ू से देखने बाएं- नहीं होगा ल्मस्टर नागपाल, गोडास्कर के सवाल
का जवाब दो…तुमने अपने सुईट मे इस लडकी को क्यों बुलाया था?"
" मैंने ल्मस्टर ल्वनम्र रर मवंदू के बीच एक ल्बजनेस मीरटंग अरें ज की थी ।"’
चीख वह इसल्लए पड़ा क्योंदक लगा ल्स्थल्त अपनी िौरन यदद---' स्पष्ट नहीं की तो दकसी डमेले में िं स सकता है । वह कहता
चला गयाचाल की िं साने मुडे ""----- थी । नागपाल चाहता था ककं " . . .
"'ल्मस्टर ल्बनम्र भारााज ।हकक के गोडास्कर पहले से होने पूरी बात उसकी " से गुराधहट ल्नकली"------' आप के वल तव
चोंच खोलोंगे जव सबाल आपसे दकया जाए । दिलहाल गोडास्कर नागपाल से बात कर रहा ।"
गोडास्कर एक बार दिर कहेगा ल्मस्टर ल्वनम्र, समडने की के ल्शश आपको करनी है! आपको यह भी समडने की के ल्शश करनी है
दक इस वि गोडास्कर न दकसी का भाई है, न दकसी का होने वाला 'सालगराम’ । गोडास्करं इस वि ल्सिध रर ल्सिध एक
इं स्पेक्टर है । ऐसा इं स्पेक्टर जो अपने इलाके ने हुए मडधर की इन्वेस्टीगेशन कर रहा रर अााप इस जो है शख्स वह आप . .
न कहीं में डमेले कहीं जरूर उलडा हुआ है।"'
सकाकाकर रह गया ल्वनम्र चुप रह जाने के अलावा इस वि वह रर कर भी क्या सकता था? हालांदक वह पहले ही से जानता
थामगर है पुल्लल्सया सख्त एक गोडास्कर- वह इस अंदाज में बात करे गा, ऐसा नहीं सोचा था ।
गोडास्कर के चेहरे पर के वल पल भर के ल्लए उिेजना के भाव उभरे थे । अगले पल पुन खाता बरगद में अवस्था सामान्य :
।।। आया नजर
नीली आंखे नागपाल के चेहरे पर जमाता बोला ल्ब रर ल्वनम्र तुमने नागपाला ल्मस्टर थे पहुचे तक कहां हम तो हां"---ांदू के
बीच ल्बजनेस मीरटंग अरें ज की थी है सकता जान गोडास्कर क्या !करे क्ट ! ल्बदू तुम्हारी िमध में क्या हैं?"
नागपाल को एक बार दिर लगा। है नहीं वाला चलने डूठ ""------' वह दकसी भी तरह मवंांदू को अपनी कमधचारी साल्बत
नहीं कर सके गा । सच बोलना मजबूरी थी रर सच बोलने में उसे कोई बुराई नजर नहीं अााई इसल्लए कहा मेरी- मबंदू "----
कमधचारी नहीं है ।"
"तो ल्मस्टर ल्वनम्र की ल्बजनेस मीरटंग तुमने कालगलध के साथ अरें ज की थी ?"
" मबंदू बैसी कालगलध नही जो चंद नोंटों की खाल्तर चाहे ल्जसके ल्बस्तर पर ल्बू जाती है । वह ऐक खास रर पड़ी ल्लखी-
। है कालगलध
ल्बजनेस के अण्डस्वाडध में वहुत नाम है उसका । माना यह जाता है दक 'ल्जस काम कौ िोई नहीं कर सकता उसे कर सकती है
। अपनी इसी र्ाक' के कारण वह बहुत मोटी िीस लेती है । अनेक ल्बजनेस मैंन उससे काम ल्नकलवा चुके हैं । जब हर
कोल्शश के बावजूद मुडे एक साल से भारााज कं स्रक्शन कम्पनी का कोई काम नहीं ल्मला तो मैंने मबंदू को इस्तेमाल करने का
ल्नश्चय दकया ।
ल्मस्टर ल्वनम्र के ददमाग में यह बात की इनकी कम्पनी में मेरे प्रल्तान्दी के आदमी के घूसपैठ कर रहे हैं रर वह इनकी कम्पनी
के ल्लए दकए जाने कामकी क्याल्लटी मे भी हेरािे री कर रहा है है इन्होंने उसके अदल्मयों की ल्लस्ट रर हेरािे री का प्रकार
जानने के ल्जज्ञासा प्रकट की । बने इन्हें इस होटल के सुईट नम्बर सेल्वन जीरो थदीन में जाने के ल्लए कहा । उद्देश्य साि था-
इन्हे मबंदक
ू े जाल में िं साकर भारााज कं स्रक्शन कम्पनी का काम लेना ।"
चलो । इनसे पूू लेते हैं ।" कहने के साथ गोडास्कर ल्वनम्र की तरि घूमा । बरगर का आल्खरी पीस मुह के हवाले करने बाद-
ल्वनम ल्मस्टर " ---बोलाार, अब अााप ल्जतना चाहे चहचहा"' सकते है ।"
ल्वनम्र को तसकली थी दक नागपाल ने सच बोला था । वह वही सब वताता चला गया जो अपने बंगले के ड्राइं गरूम ने नागपाल
से कहा था ।
गोडास्कर उसकी हर बात इस तरह सुनता रहा जैसे दादा के पेट पर बैठकर पोते कहाल्नयां सूना करते है । कहानी खत्म होते
होते गोडास्कर अपनी जेब से ल्बस्कु ट का पैदकट ल्नकल चुका था । उसका रे पर िाड़ने के बाद एक ल्बस्कु ट मुहं में रखता हुआ
नागपाल की तरि घूमकर बोलागई सुनाई रााा ल्वनम्र अगर "--- कहानी सच है तो "। होगा लगा नही ाँ कु ू हाथ तुम्हारे .
" ये महाश्य ।------दकया इशारा तरि की लाश ने गोडास्कर "'" जब तुम कु ू नहीं बता रहै तो गोडास्कर को ही बहुत
कु ू बताना पडेगा । "
"पेशे से िोटोग्रािर है । ल्जस तरह तुम्हारे मुताल्बक मवंदू अपने िन में माल्हर है उसी तरह यह भी अपने हुनर का उस्ताद था ।
तीन महीने पहले तक इसकी एक दुकान थी मगर बुरा हो शराब का । यह अछूे को हुनरमंदों खासे-'पी' जाती है । इं से भी
पी गई एक वार शराब की लत लगी, पटू टे की दुकान बुकान सब ल्बक गई सडक पर आ गया । कु िों जैसी बेसी ही ल्जदगी
बसर करने लगा जैसी शराब के वे चसकी करते हैं ल्जनकी जेब मे पैसे नहीं होते।"
"पर सुईट नम्बर सेल्वन जीरो बन से होने बाली मीरटंग से इसका क्या मतलब ?"
"ल्जतनी कहानी तुमने गोडास्कर को सुनाई है, अब गोडास्कर तुम्हें उससे अाागे की कहानी सुनाता है ।के कहने " बाद उसने
एक रर ल्बस्कु ट मुंह में सरकाया रर शुरु हो क्यारर ल्वनम्र"--- मबंदक
ू ी के भैट कराने के पीूे तुम्हारा मकसद के वल रर
के वल भारााज कं स्रक्शन कम्पनी का एकही काम लेना नहीं था ।।। बल्कक तुम ऐसे बीज वो रहे थे ल्जससे भारााज कं स्रक्शन
कम्पनी का काम के वल रर के वल तुम्हें ही ल्मले"। सके लग न कु ू हाथ के रर दकसी !
"आपकी वात मेरी समड में नहीं अाा रही इं स्पेक्टर?" नागपाल ने कहा जाता भी िं स में जाल उस के मबंदु यदद ल्वनम्र"----
भला तोभल्वष्य के सारे काम मुडे कै से ल्मल सकते थे?"
" वे िोटो ल्जन्हें ल्वनम्र जैसा प्रल्तल्बत शख्स दकसी हालत में _ सावधजल्नक नहीं होने दे सकता था । मजबूरन ल्वनम्र को भल्वष्य
के सारे काम . . .
गोडास्कर की बात काटकर नागपाल उिेल्जत अवस्था में कहता चला गया"------ क्या आप यह कहना चाहते हैं मैंने ल्वनम्र को
ब्लैकमेल करने की योजना वनाई थी?"
" कम शब्दों में कही गई बात को अछूी तरह समड जाने के ल्लए शुदिया"!
'"यह बंकबास है"! नागपाल चीख पडा… "मनघड़'त आरोप लगा रहें हैं अााप मुड पर ।।"
गोडास्कर ने एक रर ल्वस्कु ट में सरकाते हुए शांत स्वर में कहा" । है आर्ार का अरोप इस पास के गोडास्कर"--
“मवंदर
ू र ल्ब्रनम्र के बीच होने भेंट के बारे ने दकस"। था मालूम को दिस-
" तो इसे ।लगगया पता कै से को िीटोग्रािर इस "---दकया इशारा तरफ़ की लाश ने गोडास्कर "?"
"जबदक गोडास्कर इसी बारे में कह रहा है ।’" गोडास्कर अंपने एक-एक शब्द पर जोर देता कहता चला गया कह रर "-----
के दकस्म ल्जस दक है रहा यह गोडास्कर िोटो खीचंने ाीाे मंशा से यह शख्स सुईट नम्बर सेल्बन जीरो थटीन में ूु पा था उस
दकस्म के िोटु ओं का लाभ भल्वष्य में तुम्हें रर के वल तुम्हें हो सकता था ।"
"आप के से कह सृकते हैं यह सुईट में ूु पा था? वहां के िोटो ल्लए है ? क्या इससे कु ू बरामद हुआ है?"
“गोडास्कर सरकार से तनख्वाह लेता ही ल्वखरी हुई कल्ड़यों को जोडने की पाता है ल्मस्टर नागपाल ।ल्वस्कु लगातार वह "ट
खाता कहता चला गयाल्जसका शख्स यह" --- नाम मैने ल्बज्जू बताया है, कल दोपहर दो बजे से सुईट नम्बऱ सेल्वन जीरो
थटीन में घुसने क ल्लए बावला हुआ जा रहा था । ज़ब सिाई करने चाली मल्हला ने दाल नहीं गंलने दी तो पटू ठे ने साबुन पर
चाबी का अक्से ले डाला । चार बजे के आसपास इसे पुनफ्लोर सातबे : पर जाते देखा गया । इसका मतलब इस बीच बह
चाबी बनवा चुका था । की मास्टर"' की मौजूदगी में इसके ल्लए सुईट में पहुंचना चुटकी बजाने ल्जतना आसान था । अब
सवाल ये उठता है सुईट मे पहुचने के पीूे इसका मकसद क्या था ?? जबाव इसका पेशा रर सुईट में होने वाले सम्भाल्वत
दियाथी यही सम्भावना लेदकन नहीं हुए वहां वे ही भले । है देते दे कलाप- दक ल्वनम्र मबंदू कै रूपजाल मे िस जाएगा । ल्वज्जू
का मकसद थाउन---- संवेदनशील क्षणों को िोटो कै मरे में कै द कर लेना तादक बाद में ..
"अपनी ल्िकड़मों से आपके ाारा ल्नकले गए ल्वज्जू के मकसद को अगर सही भी मान ल्लया जाए तो इससे यह कहां साल्बत
होता है दक इस काम पर ल्बज्जू को मैंने लगाया था?"
" तुमने खुद िरमाया…सुईट में क्या होने वाला है इसका पता के वल ल्वनम्र, तुम्हें रर मबंदक
ु ो था । बल्कक ल्वनम्र को भी इस
ल्लस्ट से ल्नकाल देना चाल्हए क्योंके उसकी नांल्लज के मुताल्बक सुईट में उसकी भेंट तुमसे होने वाली थी । अथाधत इसे नहीं
मालूम था ल्बजनेस मीरटंग की आड में यहां क्या गुलगपाड़ा हेने वाला है । रह गए तुम रर मबंद।ु भला मबंदु को अपने
'नायाब' िोटो मखंचवाने की क्या जरूरत थ्री? रह गए तुम अके ले वह-----शख्स ल्जसके ल्लए है िोटो कु बेर का खजाना
साल्बत हो सकते थे ।"
"आपने सारे हालात का कािी बारीकी से ल्वशलेषण दकया बात एक मगर इं स्पेक्टर . जो यह साल्बत करती है दक यह काम
ल्बज्यू को मैंने नहीं सौपा हो सकता, पर ज़रा भी गौर नहीं दकया ।"
" ल्बज्जू अगर मेरा आदमी था तो उसे सुइट मे दाल्खल होने के ल्लए' इतने पापड़ बेलने की क्या ज़रूरत थी । सुइट मेरा था ।
मैं उसे ल्वनम्र के , बल्कक चाहता तो मबंदू कै भी अााने से पहले सुईट में ूु पा सकता था ।"
' गोडास्कर अंदर ही अंदर मुस्करा उठा मगर उस मुस्कान को अपने होठों तक नहीं पहुंचने ददया । जो बात नागपाल ने कही थी
वह उस बात पर पहले ही गौर कर चुका था । रर इस नतीजे पर पहुंच चुका था दक ल्बज्जू उसका आदमी नहीं था । बावजूद
इसके उसने नागपाल पर आरोप लगाया था तो के वल यह देखने ल्लए इस आरोप पर उसकी हालत क्या होती है? वह बौखलाता
है या नहीं? सामने बाले के ददलोददमाग मे डाकने की गौडास्कर की यह अपनी तकनीक थी ।
ऐसा करने के ल्लए यह खुद को मूखध ल्सद्ध करने में भी परहेज नहीं करता था ।। अपनी उसी पाल्लसी के तहत वह कहता चला
गया…'वाकई ल्मस्टर नागपल वाकई आपकी बातो में गोडास्कर से भी कई गुणा ज्यादा 'वेट' है ।। अगर अााप ही का चमचा
होता तो इसे की मास्टर"' की डु प्लीके ट बनवाने की क्या जरूरत थी । कमाल हो गयाको बात सी ूोटी इस -- गेडास्कर की
मोटी बुल्द्ध 'कै च' नहीं का सकी । अपनी खोपडी का 'कै ट रके न' कराना पडेगा गोडास्कर को । पता तो लगे इसमे कहा नुक्सं
आगया है?"
गोडास्कर को 'मात' देकर नागपाल डूम उठा । उसकी डूम होठों पर भी नजर अााई रर शब्दों में भी िू ट पड़ी आशा "----
पर दकसी समडे-सोचे बगैर में भल्वष्य अााप है आरोप नहीं लगाएंगे ।।
"ल्बककु ल नहीं लगाऊंगा हुजूर कान पकड़ता ' । ने गोडास्कर "खुद को उससे ल्शकस्त खाया दशाधने में जरा कं जूसी नहीं की "---
ये सवाल अब मगर हैचाहते खींचना पर इशारे के दकस िोटो के मबंदू रर ल्बनम्र महाशय ल्बज्जू--- थे ?"
" ज्यादा चढ़ गए नागपाल ने कहा----“मैं तो आपकी इस ल्तगड़म को ही सही नहीं मबंदू रर ल्वनम्र ल्बज्जू दक मानता-के
िोटो खीचने के मकसद से सुईट में गया होगा ।"
"मेरे ल्वचार से तो हमारे पास यह मानने का भी कोई ठोस आर्ार नहीं है दक यह उसी सुईट में गया था ।"
"गोडास्कर मूखध हो सकता है ल्मयां, मुखम का सम्राट नहीं । तुम तो गोडास्कर को वहीं साल्बत करने पर अाामादा हो गए ।"
"ल्बज्जू महाशय के जूतों के तलों पर लगे कालीन के रे शो पर गौर िरमाएं ।" ल्बस्कु ट खाते गोडास्कर ने अव नागपाल को 'टुंडे'
से उतारने की ठान ली' थीिड़फ़ड भी रे शे के कालीन ल्बूे में सुईट यहााँ अलावा के रे शों अन्य---ााा रहे हैं । सेल्बन्थ फ्लोर
पर के वल एक ही सुईट है।। सुईट नम्बर सेवेन जीरो थटीन ।। बाकी सब रूम है रर यह बात यकीनन तुम्हारे संज्ञान से भी
होगी दक सुईट में इस्तेमाल दकया जानेवाला कालीन कमरों या गैलरी में इस्तेमाल दकए जाने वाले कालीनों से अलग होता है ।
अलग इसल्लए होता है क्योंदक बह अन्य कालीनों से कीमती होता है । यह बात गोडास्कऱ को होटल का स्टाि बता सुका है ।
" ऐसा तो मान लेता ह…ल्बज्यू सुईट में गया होगा मगर इससे भी यह कहां साल्बत होता है दक इसका मकसद बहां िोटो लेना
था"
" ये रहा ।। ददखाया बरामद ल्नकालकर कै मरा से जेब अपनी ने गोडास्कर "
"गोडास्कर एक पुल्लस इं स्पेक्टर है हुजूरे आला रर पुल्लस इं स्पेक्टर यह अछूी तरह जानता है उसे कब दकसके सामने क्या
'उजागर' करना है, कं या नहीं ।" कहने के साथ उसने दूसरी जेब से चाबी ल्नकालकर ददखाई ।`बोला--;"यह चाबी भी इन
महाशय कू जेव सेल्मली है। मास्टर की की डू प्लीके ट है ये ।।।
जबदक ल्बस्कु ट चबाता गोडास्कर कहता चला गया----'"उम्मीद है गोडास्कर कें ल्नष्कषध को अब तुम मात्र 'ल्तगड़म' करार नहीं
दोगे दक ल्बज्जू सुइट में ही गया था रर उसका मकसद दोनों की िोटो लेने के अलाबा कु ू नहीं था ।"
"पर िोटो ल्लए क्या होगें ?" ल्मस्टर ल्वनम्र के मुताल्बक यहााँ ऐसा कु ू हुआ ही नहीं ल्जसके िोटो दकसी के कु ू काम आ सके
।"
" इसील्लए यह बात समड में नहीं अाा रही दक इस कै मरे की रील क्यों गायब है?"
बहुत ही पैना सन्नाटा । ऐसा जैसे कहने के ल्लए दकसी के पास कु ू न बचा हो ।
जो बाते हुई थी रर होते ल्जस होते-'मुकाम' पर पहुंची थीं उस मुकाम ने अगर दकसी की सबसे ज्यादा हालत खराब की थी
वह ल्वनम्र था । इस ल्वचार ने उसका रोमओर थे खींचे िोटो के सुईट ने ल्बज्जू पहले से मरने दक था डाला ल्हला रोम- रील
गायब है ।तो कया िोटो उस वि के है जब वह मबंदू की हत्या कर रहा था ?
हे भगवान ।। ये क्या सुन रहा हुं मैं ? क्या ऐसा हो गया है? अगर उस वि ल्वज्जू सुईट में था, जैसा दक साल्बत हो चुका है
तो उसने ल्बदू की हत्या के िोटो जरूर खींचे होंगे । भला क्यो नहीं खींचेगा? वे िोटो तो उन िोटोओं से भी कहीं ज्यादा
खतरनाक थे ल्जनको खींचने की मंशा से वह में घुसा था ।
ल्वनम्र को अपने हाथ। उनमे थी नहीं ही जान जैसे ।। हुए महसूस गए पड़ ठं डे पैर-
"एक बात तो जाल्हर हैशुरू कहना पुन ने गोडास्कर चबाते ल्बस्कु ट "। " दकयाका ल्बज्जू ल्जसने है की गायब ने उसी रीलं"----
दियािम दकया है । । बल्कक गोडास्कर तो यह कहेगा इस पटू ठे का दियािम दकया ही रील की बजह से है ।।
लेदकन जब सुईट में बैसा कु ू हुआ ही नहीं ल्जसकी उम्मीद थी तो रील में होगा क्या?" नागपाल कहता चला गया ओंर"----
कोई ल्लए उसके तो नहीं था कु ू मे रील जब ल्बज्जू की हत्या क्यों करे गा?"
"इसी सबाल इसी ! ने तो गोडास्कर के ददमाग की जडों में मटृ ठा डाल रखा है ।मुंह ल्वस्कु ट एक उसने साथ के कहने " में
सरकाया रर अचानक ल्वनम्र की नरि पलटकर बोलाकु ू जो था हुआ वही के वल में सुईट ल्बनम्र ल्मस्टर लील्जए सोच"---- देर
पहले आपने फ़रमाया या कु ू रर भी हो गया था?"
गोडास्कर के अचानक अपनी तरफ़ पलट पडने ओंर उसके सबाल ने ल्वनम्र की रूह िना कर दी । अटक के वल से मुंह कर अटक--
क्या । रर - अ"-----सके ल्नकल शब्द यही होता?"
" होने को तो वहुत कु ू हो सकता था ।गोडास्कर की राय जानना चाहते हो तो सब हो जाना चाल्हए था ल्जसके ल्लए नागपाल
ने मबंदू को आपके सामने परोसा था । ऐसी चीज ही नहीं है मवंदु जो तुम जैसे जबान लड़के के सामने ूाल्तयां खोलकर खडी हो
जाए रर जवान खुद को काबू में रख सके । वह न कर डाले ल्जसकी ककपना नागपाल ने की थी ।"'
"गतुम क्या-क"----सका कह से मुल्श्कल बडा वह " ।। गोडास्कर-ाहें मुडसेहै दउमी ऐसी मुडसे--?"
"पहले भी कह चुका ल्मस्टर ल्बनम्र दिर कहता हंमें बीच को ठरलेशंस पसधनल-- मत घसीटो । गोडास्कर इस वि रर ल्सिध
पुल्लस इं स्पेक्टर है । मबंदू जेसी हसीना का आिर ठु कराना आसान नहीं होता रर आपका दावा है दक आपने ये मुल्श्कल काम कर
ददया था ।अगर ये सच है तो उस रील में कु ू था ही नहीं रर जव रील मे कु ू था ही नहीं तो ल्बज्जू वेचारे को नकध क्यों
ल्सर्ारना पड़ा?''
बौखलाया हुआ ल्बनम्र के वल इतना ही कह सका है सकता कह क्या में बारे इस"-----?"
"वाकई प की कहने कु ू तो हैं इन्नोसेट अााप अगर. . .ाोजीशन में नहीं है मगर ।" गोडास्कर ने जानबूडकर अपना सेन्टेस
अर्ुरा ूोड़ा । एक रर ल्बस्कु ट मुंह में र्के ला । थोड़ा 'गैप' देने के बाद बोलाडालकर जोर दिर बार एक गोडास्कर "--- यह
बात कहेगा अगर अाापसे कोई चूक-ऊक"' हो गई थी तो उसे उगल दे । यह ल्वककु ल न सोचे वह 'ऊकचूक-' आपको अपने
होने वाले सालगराम"' के सामने उगलनी रही पड़- है । कह चुका हं …इस सालगराम वाला होने का दकसी गोडास्कर वि"
नहीं बल्कक शुद्ध इं स्पेक्टर है रर पुल्लस इं स्पेक्टर को सीाई बताने पर कु ू िायदाही...
"कै सी ऊकमुडसे तुम हो रहे कर उम्मीद की चूक-?" ल्वनम्र 'पकडे जाने' के भय से ग्रस्त होकर चीख पड़ा था ।
गोडास्कर ने शांत स्वर में कहाकतरा से कहने खुल सामने के सालगराम अपने आदमी दक जैसी की चूक-ऊक ही बैसी"----_
सकता है ।'
"एक बार दिर सोच लो हुजूर अगर अााप कु ू ूु पा रहे है तो आने बाला समय आपके ल्लए कािी टेढ़ा साल्बत होने वाला है
।"
"कमतलब क्या--?"
अंदर ही अंदर कापंकर रह गया ल्बनम्र ! गोडास्कर ने ल्बककु ल ठीक कहा था । बही कहा था ल्जसे सोच वह सोचकर-खुद
'आतदकत' था । साफ़ नजर जा रहा था वह दकसी बहुत वड़े बखेड़े में िं सने वाला है, वल्कक कं स चुका है । मुसीबतों का दौर
उसी क्षण से शुरू हो चुका है ल्जस क्षण उसने मबंदू की हत्या की । अपना भल्वष्य अंर्कारमय नजर आ रहा था । एक बार को
तो जी चाहाके गोडास्कर------ कदमों में ल्गर जाए । सव कु ू बता दे उसे। गोडास्कर तो बचा मुड---
े कहे रर ! मुडसे
अंजाने में मबंदू की हत्या हो गई है । हत्यारा होने के बाबजूद मैं बेकसुर हं क्योंदक हत्या मैंने नहीं की । दकसी रर ने की है ।
मैं तो कठपुतली हं । मगर, ऐसा कह नहीं सकता था वह ।
सव कु ू कु बूल कर लेने का मतलब था अभी, इसी वि हाथों में हथकल्ड़यां डलवा लेनाहोती ही उतनी बात . .काश ! ल्जतनी
की ककपना ¸ गोडास्कर कर रहा था । काश साथ के मवंदू वह !'बहक' गया होता तों इस वि वह उस सबको यकीनन कु बूल
कर लेता परन्तु बात उतनी थी कहां, उससे तो बहुत आगे की बात थी । मबंदू की हत्या ही कर बैठा था वह । भला यह बात
कबूल कै से की जा सकती थी?
ल्वनम्र के जबड़े कस गए । कसे हुए जबड़े इस बात के द्योतक थे दक वह खुद को अााने वाली हर पठरल्स्थल्त का मुकाबला करने
के ल्लए तैयार कर है । इस बार उसने दुढ़ स्वर से कहा।। गोडास्कर हैं ल्नमुधल शंकाएं सारी तुम्हाऱी--- सुईट में मेरे रर… मबंदू
के बीच कु ू नहीं हुआ ल्जसे मुडें ूू पाने की जरूरत पड़े ।।"
" पक्की बात ?" गेडास्कर ने नीली आंखे उसके चेहरे पर गड़ा दी ।
" तब तो वाकई समड में नहीं अाा रहा'----"ल्बज्जू की हत्या क्यों हुई? कोई क्यों इसके कै मरे से रील ल्नकालकर ले गया?"
गोडास्कर कहता चला गयाक्या"--- करे गा उस रील का?"
"'अगर अब भी मेरी बात पर यकीन न आ रहाहो . तो खुद मबंदू से पूू सकते हो ।"
"मैंने उसके साथ कोई ऊकपहली ने ल्वनम्र "। देगी बता खुद वह तो होंगी की चूक- बार पूरे कॉल्न्िड़ेंस के साथ वह बात कही
जो उस शख्स को कहनी चाल्हए ल्जसे यह नहीं मालूम था दक ल्वदू अब इस दुल्नया में है ही नहीं ।
"बाकई आपसे ही बेकार गोडास्कर । है सकती जा पूूी भी से मबंदू तो वात यह ! डक मार रहा है । बार एक ने गोडास्कर "
बात सी-ूोटी यह जैसे कहा तरह इस दिर उसके जहन में नहीं अााई थी । ल्बस्कु ट _चबाता हुआ वह ऐकाएक नागपाल की
तरफ़ पलटकर बोलानागपाल ल्मस्टर"---, अब तुम मबंदू के साथ एक 'ल्बजनेस मीठटग गोडास्कर की करा दो । तभी ल्मस्टर
ल्वनम्र की पोल"। खुलेगी पटृ टी-
मैं रात के दो बजे से ढू ंढ रहा हं । वह नहीं ल्मल रही । रहस्यमय ढंग से गायब हो गई है ।"
" नागपाल सव कु ू बताता चला गया । हालादक गोडास्कर को होटल स्टाफ़ से मबंदू के ल्लए नागपाल की बेचैनी का पता पहले
ही लग था दिर भी, वह इस तरह सुनता रहा जैसे उसके ाारा मबंदू की में भटकने की बाते अभी…अभी पता लग रही हो ।
अंत मे जब नागपाल ने यह कहाकाश"---- मुडे उसका एड्रैस मालूम होता ।"
तब गोडास्कर बोला"। ल्मयां थे सकते कर नहीं कु ू तुम भी उसअवस्थामें "---
"आपको कै से मालूम?"
"उसकी अम्माजान खुद उसको ढू ंढती दिर रही है । रपट ल्लखवाने थाने अााई । उसी ने गोडास्कर को ये िोटो थमाया ।"
"तब तो उसका गायब होना रर भी रहस्यमय हो उठा है ।पर चेहरे के नागपाल " मचंता की लकीरें उभर आइं अगर ल्बदू"---
गई कहााँ चली तो पहुची नहीं भी र्र?"
उस बि ल्बज्जू की लाश का पंचनामा भरा जा रहा था जव , गोडास्कर ने पहली बार बगैर खाए कहाभाईयों आओ"---, सुईट
' नम्बर सेल्वन जीरो थटीन की सैर करके अााते है ।"
पहली बात सेहत की ल्मजाजपुसी होगी । तुमने सुना होगाल्लए के सेहत करना सैर- िायदेमंद होता है । दूसरी बात , मुमदकन
है वहां से ल्ब'दू के बारे में कोई सुराग हाथ लग जाए । अगर उसे जबरदस्ती गायब दकया गया है तो हाथापाई के ल्नशान ल्मल
सकते हैं । अपनी मजी से ' ल्नकल ली ' होंगी तो हो सकता हैवहां ---- कोई नोट ल्लखकर ूोड़ रखा हो। "
"बता चुका हं । मैंने वेटसध रर इं चाजध साथ सुईट चेक दकया था । वंहां कु ू नहीं । "
"तुम्हारी रर गोडास्कर की नजर में कु ू तो िकध होगा ल्मयां । इतनी बेवकू ि नहीं सरकार जो गोडास्कर को िोकट में पगार
देती रहे । चले आओ ।साथ के कहने " वह ल्लफ्ट नम्बर की बढ़ गया था ।।।
पहली बार ल्वनम्र की इछूा पूरी होने वाली बात हुई थी । नागपाल कई बार ठोक कह बजाकर-चुका था सुईट में कु ू नहीं है
। इसके बावजूद वह एक बार सुईट को अपनी अााांखों से देखना चाहता था ।।। देखना चाहता दक जहां वह लाश ूोड़कर गया
था वह स्थान अब कै सा लग रहा होगा? इसल्लए गोडास्कर के पीूे लपकने बाला वह सबसे पहला शख्स था ।।
"कोई भी, दकसी भी वस्तु को हाथ नहीं लगाएगा ।ने गोडास्कर साथ के कहने " ल्बज्जू की जेब से बरामद चाबी 'की होल' में
डाली । पहले ही प्रयास पर जब दरवाजा खुल गया तो गोडास्कर है मुह से ल्निला-----'"चाबी पंरकै क्ट है ।"
सचमुच वहााँ फ़नीचर के अलावा कु ू नहीं था । ल्वनम्र उस स्थान को घूरता रह गया जहााँ मबंदक
ू ी लाश होनी चाल्हए थी । कु ू
भी तो नहीं था वहांभी एक ऐसा ! ल्नशान नहीं ल्जससे पता लग सकता दक वहााँ कभी कोई लाश ल्गरी थी । उसे याद ._
आया--'मबंदू की माला टू ट गई थी ।
मगर ।।
"बाह कै दम ही दो लम्बे-लम्बे गोडास्कर साथ के कहने "। िल!ाोां में डायल्न'ग टेबल के नजदीक पहुचा ओर हाथ बढाकर वहां
रखी टोकरी से अगूरों का गुछूा उठा ल्लया ।
गोडास्कर एक अंगूर मुह में डालता हुआ इं चाजध की तरि घूमा-------दकया सवाल !'' क्या यहां की सिाई की गई है?"
"सिाई इतनी सुबह नहीं होती सर । " -- कहा ने इं चाजध "उनकी टीम ग्यारह बजे आती है ।"’
"लग तो ऐसा रहा है जैसे बाकायदा सिाई की गई हो ।अंगूर वह साथ के कहने " खाता हुआ ड्राइंगरूम में टालने लगा । ल्वनम्र
ने महसूस दकया उसकी नीली आंखें हर वस्तु को बहुत ध्यान से देख रही थीं ।
ल्बनम्र ल्बककु ल नहीं चहता था उसका ददल जोर मगर था रहा कर प्रयप्र भरपूर वह का रखने में काबू उसे ।। र्ड़के से जोर-
। सका हो न कामयाब
अंगूर चबाता गोडास्कर अचानक नागपाल की तरि पलटता हुआ बोला…“गोडास्कर ने कहा था न ल्मयां, तुम्हारी रर गोडास्कर
की नजर में िकध है । "
ल्वनम्र बोला कु ू नहीं, मगर जहन में बडी तेजी से ख्याल कौर्ांहै ल्लया पकड़ कु ू ने जाल्लम इस क्या"----?"
"मबंदू अपनी मजी से गायब नहीं हुईं ।"। है गई की जबरदस्ती साथ उसके "---था रहा कह गोडास्कर "
मगर, मन में चोर होने के कारण उसने पूूा नहीं । हां, वही सबाल नागपाल ने जरूर पूू ल्लया ।।
गोडास्कर उसके सबाल का जबाब देने की जगह इं चाजध की तरि घूमा था देखा को मबंदू बजाती कॉलबेल की सुईट तुमने "---
न??? "
"ऐसा न होता तो यह मोती यहााँ न होता ।कदम लम्बा एक उसने साथ के कहने " बढ़ाकर ड्राइं गरूम रर बेडरुम के बीच वाले
दकवाड के नीचे से एक सिे द मोती उठा ल्लया । मोती को देखते ही ल्वनम्र के रोंगटे खडे हो गए । चेहरे पर पसीना उभर
अााया । उर्र; अंगूर चबाता गोडास्कर कह रहा था"------' बगैर हाथापाई के माला नहीं टू ट सकती ।"
" कौन मोती गया ले बीनकर कौन ----? ओर क्यों? ल्वनम्र के जेहन में शोर मचा से यहां मोती रर लाश की मबंदू "---
ददये कर गायब दकसने?"
अपने बेडरूम के साथ अटेचड स्टोर को माठरया ने इस वि डाकध रूम"' का रूप दे रखा था । वह यहीं थी । पूरे स्टोर में लाल
रं ग की मल्द्धम रोशनी िै ली हुई थी । एक रै में पानी भरा हुअाा था रर माठरया कु ू िोटु ओं के पांजीठटब्स"' को खंगाल-
। थी रही थो खंगालतर उसकी आखों सामने इस वि िोटु ओं की पीठ थी ।
मुंह खुला का खुला रह गया है चेहरे पर खौि के भाव थे । पेशानी पर ढेर सारा पसीना उभर अााया । उसे यकीन नहीं अाा
रहा था दक िोटो में वही है जो आंखे देख रही हैं ।
हाथ कांप रहे थे । कांपते हाथों से िोटो को आंखों के रर नजदीक ले गई अंदाज ऐसा था जैसे पक्का यकीन कर लेना चाहती
थी दक िोटो में वही है जो वह देख रही है ।
उस के चेहरे पर िू र भाव थे । मबंदू की जीभ बाहर ल्नकली हुई थी । हाथ ल्वपरीत ददशाओं में िै ले हुऐ ।।
माठरया ने हड़बड्राकर जकदी से रै में मोजूद अन्य िोटो सीर्े करने शुरू दकए । आखें भय रर आश्चयध से िै लती चली गई ।
दकसी में ल्वनम्र कालीन पर पड़ी ल्बदुके नजदीक खड़ा नजर अाा रहा था । दकसी में उस पर डुका हुआ था, दकसी में टॉवल से
लाश की गदधन कसता हुआ ।
सारे िोटो ल्मलकर एक ही कहानी सुना थे।।। है दी कर हत्यी की मबंदू ने ल्बनम्र दक यह---
यह बात उसकी समड में आकर नहीं दे रही थी दक लड़के ने ऐसा दकया क्यों? ज्यादातर िोटु ओं मे मबंदू की ूाल्तयां खुली पडी
थी ।
यह भी जाल्हर था ल्बनम्र उसके जाल में नहीं िं सा । नहीं िं सा तो नहीं िं सा मगर मबंदू की हत्या क्यों की इसने?
यह बात समड से बाहर थी ।
यह िोटो भी माठरया की समड से वाहर था ल्जसमे ल्वनम्र एक सोिे पर बैठा रोता नजर आ रहा था ।।।
एक डटके से सटोर का दरवाजा खोला रर वेडरूम में आ गई । यह बेडरूम था जहााँ उसने ल्बज्जू से बातें की थी ।
सोिे की तरि बड़ते बि हाथी की सुंड जैसी उसकी टांगे कांप रही थीं लड़खड़ाती दिर रर पहुची नज़दीक के चेयर सोिा सी-
जैसे पडी ल्गर पर उस तरह इस दकसी के ाारा जबरदस्ती र्के ल दी गई हो ।।
वह हांि रही थी । यूं जैसे बहुत दूर है दौड लगाने के वाद यहां पहुची हो ।
कु ू देर यही हालत रहे । दिर सेन्टर टेबल से ल्सगरे ट का पेदकटउठाकर लाईटर- एक ल्सगरे ट सुलगाई ।। गहरे कश कई गहरे-
। लगाए जब तब भी अपने हाथ कांपते महमूस दकये तो उठी ।
तब तक तीसरी ल्सगरे ट सुलगा चुकी थी । वह बराबर एक ही बात सोचती रही थीचाल्हए करना क्या मुडे अब "-----? क्या
मैं इस मामले को सम्भाल सकू गी? रर. जाने क्या ल्नश्चय करके माठरया उठी । िोन की तरि बढी । अब उसकी चाल में कोई
लडखड़ाहट नहीं थी । ठरसीवर उठाकर एक नम्बर डायल दकया । सम्बन्र् स्थाल्पत होने पर दूसरी तरफ़ से दकसी लडकी की
आवाज अााई"। हैलो"---
" दिस्टी ल्जतनी !! जकदी हो सके नाटे को साथ लेकर मेरे पास जा जाओं ।"
मैंने एक काम में हाथ डाला था ।माठरया काटकर बात उसकी " कहती चली गई---'' मगर मामला कु ू ज्यादा ही वड़ा
ल्नकल अााया । लग रहा हैसम्भाल नहीं अके ली-- सकू गी । मुडें तुम दोनों की मदद ज़रूरत है । ल्जतनी जकदी हो सके अाा
जाओ ।।। कहने के बाद दिस्टी के जबाब की प्रतीक्षा दकए बगैर माठरया ने ठरसीवर िे ल्डल पर पटक ददया । दूसरे हाथ में मौजूद
ल्गलास में भरी ल्रहस्की वह एक ही डटके में पी गई ।।।।
" पर ल्वनम्र हो रहे क्यों डर तो नहीं ही दकया कु ू तुमने जब "-- कहा ने श्वेता "!?
"पता नहीं श्वेता । सोचता तो बारजाने मगर हं यहीं ही मैं बार-, क्यों?" कहता दिर । गया हो चुप ही खुद वह कहता-
ल्नहारा को श्वेता से आंखों सूनी अपनी । एक बार ल्नहारा तो ल्नहारता ही चला गया । नजरों ने उसके चेहरे से हटने का नाम
ही नहीं ल्लया ।।।
सारे जहां की लडदकयों से कई कई गुना ज्यादा सुन्दर ।। मुखड़े पर कोई मेकअप नहीं था । अभी बाहर से बाथरुम नहाकर अभी-
िै ले पर कं र्ों । थी ल्नकली उसके लम्बे बाल गीले थे । ल्सर पर लाल रं ग का हेयर बैण्ड लगा हुआ था । गुलाबी रं ग के गाऊन
में वह ओस में नहाया गुलाब।।। थी रही.लग सा-
ल्वनम्र को अपनी तरि 'एकटक' देखता देखकर श्वेता को बड़ा ' अजीब नहीं देखते तरह ईस उसे उसने कभी पहले । लगा सा-
।। था देखा
ल्बनग्र की आंखों से न उसे प्यार नजर आया, न ही खुशी, अजीबखौ सा-ि था उनमें । वह पुकार उठी…"ल्वनम्र।"
"वह, ल्जसकी मैं हमेशा तारीि दकया करती हं ।। वह, जो सामने बाले को अपनी तरफ़ खींचती होती प्रतीत सी-है । क्या हो
गया है तुम्हें ? कहााँ खो अााए वह चमक अगर यह सव उस हादसे की वजह से है ल्जसके बारे में तुमने बताया तो यहीं
कहंगी"। होंगे बाले ददल कमजोर इतने तुम थी सकती नही भी सोच मैं-
"क्या मतलब?"
"इतने नवधस होने की आल्खर वजह क्या है? आ ही क्या है?" श्वेता कहती चली गई अपना । बुलाया होटल ने नागपाल----
। की पेश लड़की ल्लए के ल्नकालने काम तुमने उसे ठु करा ददया । बस ।। इतना ही दकया तुमने । इससे गलत क्या ? बल्कक मैं
तो कहंगी---;तुम एक ऐसे लड़के हो ल्जस पर गवध दकया जाना चाल्हए । उसके बादक दकडनैप का ल्बदूाू ने दकसी चाहे---ल्ाया
हो या ल्बज्जू को मार डाला हो! तुम्हें इतना परे शान होने की क्या जरुस्त है?"
"दिर भी, जानेक्यों?" ल्वनम्र ने बात वहीं से शुरु की यहााँ ूोडी थी-“मुडे लग रहा है, मैं दकसी डमेले में िं सने वाला हं ।”
"मैं भैया ,से कहंगी जकदी जकदी को मामले इस वे---सुलडाए । तभी तुम खुद को उन घटनाओं से ल्नकला महसूस करोगे ।
" श्वेता तुम्हें यकीन है मबंदू मुडे बहकाने में कामयाब हुई होगी ?"
कोई रर वि होता तो श्वेता ल्वनम्र के उपरोि वाक्य पर ल्बककु ल नहीं चुकती ।। जरूर 'चुहल' करती सारे--------हतीक !
मुडें । हां होते जैसे एक मदध पूरा यकीन हैगए दिसल" भी तुम-' होंगे ।।।को श्वेता । था नहीं ऐसा माहौल. लगा…ल्बनम्र पहले
ही दुखी है । अगर उसने ऐसा कह ददया' तो िू टरो िू टिर- पडेगा । वह उसे सम्भालने के ल्लए थोडा अाागे सरक अााई ।
प्रेमपूवधक अपनी अंगुल्लयों से उसके बालो में कं घा करती बोली…"ल्बनम्र तुमने सोच कै से ल्लया श्येता तुम्हारे बारे में उस ढंग से
सोच सकती है ल्जस ढंग से एक पुल्लस इं स्पेक्टर ने सोचा?"
उफ्ि!
इतना ल्वश्वास?
रर वह ।।
यह क्या कर रहा है ?
जरा भी तो ल्वश्वास नही कर पा रहा । कर रहा होता तो सब कु ू सच। देता बता सच-
अपने आपसे तीव्र घृणा हुई उसे ।
ददल श्वेता को सब बता देने के ल्लए बड्री प्रचंडता"' के साथ मचला मगर तभी, ल्ववेक ने कहा वेवकू िी ऐसी देना मत कर"---
तेरे ।। मुंह से लफ्ज ल्नकले रर. . िांसी के िं दे पर पहंचा । मे आंखो इन की श्वेता नहीं कु ू खैर तो उसको " तेरे ल्लए
निरत ही निरत भर जाएगी ल्जनमे इस वि के वल प्यार ल्वश्वास नजर आ रहा है । नहींकी श्वेता. . . ! अंगुल्लयां तेरे बालों
को दिर कभी इतने प्यार से नहीं सहलाएगी ।'
श्वेता का हाथ उसके हाथ मे था अनजाने मे वह उसे दबाता चला गया । ' मुंह से लफ्ज ल्नकले --'मुडे तुम पर गवध है श्वेता
।"
"गोडास्कर सुन चुका है । चाहती कहना क्या से गोडास्कर तुम है चुका सुन. . हो ।बैडरुम के श्वेता उसने करके पार दरवाजा "
हुए होते दाल्खल में कहा-“हालदक तुम दोनों को एकचाहीए ही होना ल्वश्वास उतना पर दूसरे- ल्जतना है । मगर पुल्लस की
नौकरी दकसी पर ल्बश्वास करना नहीं ल्सखाती बल्कक जब तक के स खुल न जाए सब पर शक करना ल्सखाती है । दिर भी मान
लेता हं ल्वनम्र सच बोल रहा है । वाकई इसने खुद पर मबंदु का जादु नही ाँ चलने ददया होगा । यह बात इसल्लए मान लेता हं
अपने र्र में गोडास्कर इं स्पेक्टर नहीं, " के वल रर के वल गोडास्कर है । तेरा भाई, ल्वनम्र; का होने वाला सालगराम । कहने "
साथ के उसने अपनी कै प उतार ली थी ।
"भैया ।अााप है। नवधस वहुत से बाद के र्टनाओं उन ल्वनम्र"---कहा ने श्वेता " समड सकते हैं यह स्वाभाल्वक है । एक
अााम आदमी ऐसी खौिनाक घटनाओं से नवधस नहीं होगा तो क्या लोगा इसल्लएजकदी से जकदी हं करती ठरक्वेस्ट आपसे -----
मबंदू का पता लगाने की कोल्शश करोल्जत---नी जकदी हो सके ल्बज्जू के हत्यारे को कानून के हबाले कर दो ।।। ल्वनम्र तभी
नामधल हो पाएगा ।।
"कोल्शश तो गोडास्कर यहीं कर रहा है । रर उसी कोल्शश के तहत आपसे कु ू पूूना चाहता हं ।शब्दों अंल्तम अपने " के
साथ उसने नीली आखें ल्वनम्र के चेहरे पर जमा दी थीं ।।। यह पहला मौका था जव वह बातें करने के साथ कु ू खा नहीं रहा
था ।
वह ल्वनम्र के मन का चोर ही था । ल्जसकी वजह से उसे लगा…नीली आंखें ब्लेड बनकर उसके कलेजे को चीर रही हैं । ददमाग
बस में कोंर्े इस सवाल ने उसका चेहरा िीका कर ददया दक… अब रर क्या पूूने वाला है गोडस्कर ।
. ' "र्क्क र्क्क' कर रहे ददल को ल्नयंल्त्रत करने की कोल्शश कर रहे ल्वनम्र ने बहुत आल्हस्ता से कहा…… "हुं तो !?"
"गोडास्कर कु ू ल्डस्कस करना चहता है ।ल्डस्कस करके दकसी नतीजे पर पंहुचना चाहता है उम्मीद है आप एक अछूे ल्बचार
कताध साल्बत होंगे "!
"सबसे पहले गोडास्कर यह स्पष्ट कर देना जरुरी समडता है । यहााँ गोडास्कर ल्जतनी बाते करे गा इं स्पेक्टर होने के नाते नहीं
बल्कक श्वेता का भाई रर आपका होने बाला सालागराम होने के नाते करे गा।।।
ल्जतनी भूल्मका गोडास्कर बांर् रहा था ल्वनम्र की बैचेनी उतनी ही ज्यादा वढ़ती जा रही थी । यह शंका बार ददमाग उसके बार-
गोस्काकर दक थी रहीं मार टक्कर पर कहीं उसे दकसी जाल में िध साने की कोल्शश तो नहीं कर रहा है? खुद को पूरी तरह चाक-
बोलो के .ओ "-क़हा करके चौबन्द, क्या कहना चाहते हो ?"
"के से कहानी?"
रर ।
इस सवाल के जबाब मैं गोडास्कर ने जो कु ू कहा उसे सुनते ही ल्वनम्र के ददल ने बहुत जोर से 'र्क्क' की आवाज करने के
बाद मानो र्ड़कना की बंद कर ददया । गोडास्कर की तरि र्ूरता रह गया वह जेाैसे आखें उस पर जमी होने के बावजूद उसे
देख न रही हो । गोडास्कर ने कहा हत्या की ल्बदू से ख्याल के गोडास्कर " -- हो चुकी है ।"
होश िाख्ता हो गए ल्वनम्र के । मुंह से बेसाख्ता ल्नकला बरामद के मोती तो में सुईट मगर-म" होने पर तुमने यही कहा था-
शायद । गया दकया दकडनैप जबरदस्ती उसे । हुई नहीं गायब से मजी उसी हाथापाई में माला .......
"वह सुईट था जीजू यह गोडास्कर का र्र है । वंहा गोडास्कर खाल्लस इं स्पेक्टर था, यहां खाल्लसं गोडास्कर है । वहां गैर लोग
भी थे यहां के वल अपने हैं । वहां एक पुल्लस इं स्पेक्टर को अपने मुंह के वल उतनी बात ल्नकलनी थी ल्जससे लोग यह न ताड
सकें इं स्पेक्टर की सोच वास्तव में कहााँ तक पहुच चुकी है । यहां गोडास्कर वह सब कं हने में कोई हजध नजर नहीं अााता जो वह
सोच रहा है।।। जहां तक उसकी सोच पहुच चुकी है?"
ल्वनम्र कु ू समड नहीं सका इसल्लए बोला ल्नकालू अथध क्या "-?"
" इतना अथध तो ल्नकलता ही है न दक मबंदू के गले में मौजूद माला दूटी सकता नहीं ल्गर वहााँ मोती तो टू टे के माला बगैर !
"।
"इसका मतलब वे चुन चुनकर उठा ल्लए गए । के ल्शश की करने हल को सवाल के गल्णत जेसे था ऐसा अन्दाज का गौडास्कर "
हो रहा कर।।
" जब बांकी मोती नहीं ल्मले तो जाल्हर है"। होगें गए ल्लए ही चुन है जाल्हर------
"जो मोती गोडास्कर को ल्मला वह चुनने से रह गया होगा । इसल्लए रह गया होगा क्योंदक यह पडा ही ऐसी 'जगह था जहां
चुनने बाले की नजर नहीं पडी होगी अथाधत गोडास्कर के हाथ उसकी ल्नगाहों से चूका मोती लगा ।"
"मानता हं ।"
"अब सवाल यह उठता है अगर मबंदू दकडनेप हुई है तो दकडनेपर को सारे मोती उठाकर ले जाने की क्या जरुरत थी?"
" क्या मतलब?"
"क्यों? "
"क्योदक मबंदू की माला के मोती दुल्नया के दकसी भी इन्वेस्टीगेटर को दकडनेपर के बारे में कु ू नहीं बता सकते थे । "
"यही "। है रही टकरा से ददमाग के गोडास्कर बार-बार बात यही ल्वककु ल ! उत्साल्हत अंदाज में यह कहता चला गया-
हटाने को वस्तु उस से घटनास्थल दकडनैपर की कोल्शश तो करे गा जो दकसी इन्वेस्टीगेटर को उस तक पहुचाने की क्षमता रखती
हो, मगर उसे हटाने में अपना कीमती टाईम जाया नहीं करे गा जो उसे कोई नुक्सान नहीं पहुंचा सकती । "
"बावजूद इसके सारे मोती चुनपर सोचने क्या हमें रोशनी की हकीकत इस । गए ल्लए उठा चुनकर-- मजबूर कर रही है?”
"मेरी समड में नहीं अाा रहा, तुम कहना क्या चाहते हो?"
"करे वट ।"
"वजह ?"
'"ल्जस तरह मोती दकडनैपर के बारे मैं कु ू नहीं बता सकते उसी तरह "हत्यारे " के बारे से भी कु ू नहीं बता सकते । ल्वनम्र "
गय चला कहतााा"----' दिर इस िालतू के काम में अपना टाईम क्यों जाया करे गा ? नहीं गोडास्कर नहीं । पता नहीं तुमने
मोती से यह नतीजा कै से ल्नकाल ल्लया दक मबंदू दकडनैप नहीं हुई बल्कक कत्ल कर दी गई है? जहााँ तक मोल्तयों के गायब होने
का सवाल हैकाम यह--- ल्जतना अनावश्यक दकडनैपर के ल्लए था उतना ही हत्यारे के ल्लए भी था ।
" यस ।एक-एक अपने उसने " शब्द पर जोर ददया'--"गोडास्कर भी यही कहना चहता है । मोल्तयों को चुनकर ले जाना
दोनो के ल्लए गैरजरूरी था मगर दिर भी यह काम हुआ तो सवाल उठता है क्यों-------, ये गैरजरुरी काम करना दकसी को
क्यों जरुरी लगा? गोडास्करं ने जबआया जवाब तो सोचा पर इस-…दकडनेपर' को दकन्हीं भी हालात में यह अनावश्यकं काम
करने की जरूरत नहीं थी जबदक 'हत्यारे ' को एक खास पठरल्स्थल्त मे यह काम करने की जरूरत थी ।"
" तव जबदक बह यह चाहता हो दकमबंदू हुई में सुईट को दकसी- की हत्या का पता न लगे ।"
" लाभ पर बाद में ल्डस्कस करें गे जीजू। इस वि सवाल ये है दकखास--- पठरल्स्थल्त में ही सहीं लेदकन हत्यारे को मोती चुनने
की जरुरत थी जबदक दकडनेपर को दकसी भी पठरल्स्थल्त में ऐसा करने की जरूरत नहीं थीयही ! तुलनात्मक ल्वश्लेषण करने के
बाद गोडास्कर इस नतीजे पर पहुंचा है दक मबंदक
ु ा अपहरण नहीं दकया गया है बल्कक उसकी हत्या करदी गईहे।"
“हत्यारे ने ही गायब की होगी । जब वह चाहता ही नहीं दकसी को सुईट में हुई हत्या के बारे में पता लगे तो लाश को सुईट
मे कै से ूोड सकता था ?"
"के वल एक ही पठरल्स्थल्त मैं चाह सकता हैयदद दक हो समडता यह वह जबदक "---- लाश सुईट में बरामद हुई या दकसी को
यह पता लगा दक हत्या सुईट में हुई है तो सीर्ा सीर्ा वही पकड़ा जाऐगा ।"
" के बल आप ही ऐसा चाह सकते हैं ।ि बार एक ने गौडास्कर "ल्ार अपने एि। ददया जोर पर शब्द एक-
"तवह "। है गया हो खराब ददमाग तुम्हारा- चीख पड़ा लगा चाहने क्यों ऐसा मैं भला "---?"
" यस ।शब्द एक-एक अपने उसने " पर जोर ददया'--"गोडास्कर भी यही कहना चहता है । मोल्तयों को चुनकर ले जाना
दोनो के ल्लए गैरजरूरी था मगर दिर भी यह काम हुआ तो सवाल उठता है क्यों-------, ये गैरजरुरी काम करना दकसी को
क्यों जरुरी लगा? गोडास्करं ने जबआया जवाब तो सोचा पर इस-…दकडनेपर' को दकन्हीं भी हालात में यह अनावश्यकं काम
करने की जरूरत नहीं थी जबदक 'हत्यारे ' को एक खास पठरल्स्थल्त मे यह काम करने की जरूरत थी ।"
" तव जबदक बह यह चाहता हो दकमबंदू हुई में सुईट को दकसी- की हत्या का पता न लगे ।"
" लाभ पर बाद में ल्डस्कस करें गे जीजू। इस वि सवाल ये है दकखास--- पठरल्स्थल्त में ही सहीं लेदकन हत्यारे को मोती चुनने
की जरुरत थी जबदक दकडनेपर को दकसी भी पठरल्स्थल्त में ऐसा करने की जरूरत नहीं थीयही ! तुलनात्मक ल्वश्लेषण करने के
बाद गोडास्कर इस नतीजे पर पहुंचा है दक मबंदक
ु ा अपहरण नहीं दकया गया है बल्कक उसकी हत्या करदी गईहे।"
“हत्यारे ने ही गायब की होगी । जब वह चाहता ही नहीं दकसी को सुईट में हुई हत्या के बारे में पता लगे तो लाश को सुईट
मे कै से ूोड सकता था ?"
"के वल एक ही पठरल्स्थल्त मैं चाह सकता हैयदद दक हो समडता यह वह जबदक "---- लाश सुईट में बरामद हुई या दकसी को
यह पता लगा दक हत्या सुईट में हुई है तो सीर्ा सीर्ा वही पकड़ा जाऐगा ।"
" के बल आप ही ऐसा चाह सकते हैं ।। ददया जोर पर शब्द एक-एि अपने दिर बार एक ने गौडास्कर "
"तवह "। है गया हो खराब ददमाग तुम्हारा- चीख पड़ा लगा चाहने क्यों ऐसा मैं भला "---?"
ल्वनम्र ने प्रल्तरोर् करने की भरपूर कोल्शश की मगर आवाज हलक से बाहर न ल्नकल सकी ।
" भैया!'' बुरी तरह बैखलाई हुई श्वेता चीख पड़ीआप हैं रहे कह क्या ये "---?"
"अब जाकर भूख लगी है गोडास्कर कोजेब उसने साथ के कहने । पड़ेगा खाना कु ू ! से एक चाकलेट ल्नकल ली । उस वि
वह उसके ल्सरे से रे पर हटा रहा था जब बुरी तरह उिेल्जत रर भन्नाई श्वेता ने गोडास्कर के कं र्े को पकडकर उसे ल्हलाने की
नाकाम िोल्शश के साथ कहाये "------ क्या बकवास है भैयाको ल्वनम्र आप ! हत्यारा कह रहें हैं ।"
गोडास्कर पर जरां भी िकध नहीं पड़ा । उसके चेहरे पर ल्नल्श्चन्तता के ऐसे भाव थे जैसे पता ही न _हो श्वेता इस वि
भावनाओं के कै से …चिवात से गुजर रही है।
उर्र ।।।
ल्वनम्र यूं खड़ा हो गया था जैसे पहला वन डे' खेल रहे दकसी ल्खलाडी को एम्पायर ने पहली गेद पर गलत आउट दे ददया हो
। जैसे यकीन न आ रहा हो दक पलक डपकते ही उसके जीवन की सबसे बडी रेजडी हो चुकी है ।
गोडास्कर ने चाकलेट में बुड़कै "' मारा । उसे ल्चगलना"' शुरू दकया रर बोलाबहना "-----, गोडास्कर को गलत समड रही
होकाल्तल को जीजू ने गोडास्कर ! नही कहा बल्कक के बल इतना कहा हैने जीजू सवाल जो------ खुद उठाया उसका जवाब
जीजू को काल्तल ल्सद्ध कर ऱहा है ।"
"अबअााया मतलब का बातो चुपड्री-ल्चकनी तुम्हारी में समड मेरी जाकर अब ...... है । ल्वनम्र में अवस्था उिेल्जत "
। ने दकसी है कहा ठीक "---गया चला चीखता तुम पुल्लस वाले न दकसी के दोस्त होते हो न ठरशतेदार ।। पुल्लस बाले तो
ल्सिध पुल्लस वाले होते है । बाहर भी रर घर में भी। सुअर का बाल होता है तुम्हारी आखों में । तुमने देखा श्वेता? देखा तुमने
बात दकस अंदाज से शुरू की थी इसने रर कहां जाकर रत्म की । कहता था घर में गोडास्कर इं स्पेक्टर नहीं, के वल गोडास्कर
है जबदक भूल्मका पूरी तरह इं स्पैक्टर की ल्नभाई ।
ऐसा है तो ऐसा ही सही गोडास्कर, मैं भी मुकाबला करने के ल्लए तेयार ह। अपनी हवाई ककपनाओं से तुम मुडे हत्पारा साल्बत
नहीं कर सकते ।"
" बौखलाओ मत जीजू ।था रहा खा चॉकलेट से आराम बड़े गोडास्कर "'---""तकध ल्बतकध करते हुए गोडास्कर के साथ ल्जस
ल्नष्कषध पर अााप खुद पहुंचे हैं, उसे अब हवाई कह देने से बात हवाई नहीं हो जाती ।"
"ये हवाई ककपनाएं नहीं तो रर क्या हैं? लाश ल्बज्जू की ल्मली है, तुम उसके काल्तल को तलाश करने की जगह मुडे उसका
हत्यारा _ ठहरा रहे हो ल्जसके बारे में अभी गारं टी से यह तक नहीं कृ हा जा सकता दक उसका मडधर हो गया है ।"
"यहां गोडास्कर आपको एक ूोटी"जीजू है गया आ में मूड के सुनाने कहानी-सी-' ल्वनम्र के व्यंग्य पर ध्यान ददए बगैर उसने
चौकलेट में एक ओर वुडक मारा रर जुगालीबोला करता सी-…" सुईट में दकसी बात पर आपके रर मबंदक
ु ै बीच डगडा शुरू हो
गया । डगड़ा … इतना बढा दक उिेल्जत होकर अाापने उसकी हत्या कर दी । इस लाश को देखकर ल्बज्जू के होश उड़ गए ।
उस ल्बज्जू के जो अाापके रऱ मबंदू के िोटो खींचने की मंशा से पहले ही सुईट में ूु पा बैठा था । ककपना िी जा सकती है दक
कर उम्मीद की सीन सोशल"रहे ल्बज्जू की दकस देखकर सीन िाईम" कदर ल्र्ग्र्ी बंर्ी होगी । हो सकता है पटठे की चीख ही
ल्नकल गई हो ।। जैसा भी हुआ मगर हुआ ये दक आपकी नजर उस पर' पड गई अब . .,आपके पास उसका भी खात्मा कर
देने के अलावा "था। नहीं ल्विकप िोई .
"काल्तल काल्तल होता है जीजूक्या दो- वह ल्लए के बचाने गदधन अपनी !, दस मडधर भी कर सकता है । कहता गोडास्कर "
गया चला…दोनों ककल करने के बाद आपको होश आयाबैठे कर क्या आप यह सोचा !? मगर, जो हुआ वह हो चुका था । अब
तो आपकी काल्तल के तरह अपने बचाव का रास्ता सोचना था । सोचना शुरू दकया तो पाया लाश अगर सुईट में बरामद हुई तो
मैं सीर्ाने ल्लफ्टमैन । जाऊंगा िं स सीर्ा-, वेटर ने रर होटल के सारे स्टाि ने मुडे रर मबंदू को यहां अााते देखा है ।
नागपाल को भी इस मीरटंग के बारे मालूम है । सारे हालात पर गोर करने के बाद आपका इन सौचों पर पहुचना
स्वाभाल्वक था दक लाशें सुईट से हटा दी जाये । ऐसा कोई 'भी ल्बन्ह ि रहने ददया जाए ल्जससे पता लग सके यहााँ कु ू हुआ
है । सुईट की बाकायदा सिाई की । मोती चुने रर ल्वज्जूके ल्लफ्ट लाश की- कु चे में डाल दी । इसी वजह से वह ल्लफ्ट की
ूत पर पडी ल्मली ।"
"अब जरा यह भी बता दो, मैंने मबंदू की लाश का क्या दकया?" अंदर से घबराए हुए ल्वनम्र ने अपनी आवाज ने का "व्यंग्य"
" । की कोल्शश भरपूर की भरने पुट
ल्वनम्र पर कु ू कहते नहीं वन पड़ा । गोडास्कर ने ठीक कहा थामबंदू सवेर-देर- की लाश को भी ल्मलना तो था ही । इसका
मतलब लाश… ल्मलते ही गोडास्कर उसके हाथो में हथिड्री डाल देगा । वह तो लगभग कं िमध है दक हत्या मैंने ही की है बल्कक
हत्या नहीं हत्याएं । उफ्िमैं गया िं स में डमेले कै से यह !? यह भी मेरे है ाारा दकया गया ल्सद्ध हो रहा है जो नहीं दकया ।
दकसने दकया वह सब? दकसने?, सुईट से लाश रर मोती गायब दकसने दकए? दकसने सिाईं की रर...
ल्बज्जू का हत्यारा कौन है? यह सब दकसी ने क्यों दकया?
"क्या हुआ जीजू बढ़ेगी कै से अाागे बाते तरह इस । ददया कर बंद है ल्डस्कसन । गया मार ही लकवा तो आपको !?"
"‘ल्डस्कसन के ल्लए अब बचा ही क्या है ? सारी वात तो तुम ल्सद्ध कर चुके हो । मैं हत्यारा हं । तो ये रहे मेरे हाथ है''
बुरी तरह चीखते हुए ल्वनम्र ने अपने दोनों हाथ उसके सामने िै ला ददए---'हथकडी पहनाओं इनमें । बस यही कसर रह गई है
। मैं तुम पुल्लस वालो िो अछूी तरह जानता हं । तुम लोग इतने "टेलेल्न्टड' होते होो दक चाहो तो चाहे ल्जस के स में
प्रर्ानमंत्री तक को मुजठरम साल्बत कर दो । मगर ये हवाई बाते, ककपना की उड़ान अदालत में नही ाँ चलेगी गोडाककर बहां !!
!पडेगी जरूरत की गवाहों !पडेगी ज़रूरत की सुबूतों
कहां से लाओगे मेरे ल्खलाि सबूत रर गवाह?"
"वह भी प्रस्तुत कर देता हं । अाागे ल्डस्कस तो करो । क्या सुबूत चाल्हए आपको ?"
"अब मुजे तुमसे कोई ल्डस्कस नहीं करना । ल्गरफ्तार कपा चाहते हो तो कर लो ।” दडाड़ने के वाद वह श्वेता की तरि घूमकर
बोला तरह दकस इं स्पेक्टर एक-----तुमने देखा !श्वेता देखा तुमने "-- तुम्हारा भाई बनकर मुडे ठगने की कोल्शश कर रहा
है?”
"भैया आपको है गया क्या हो !?" श्वेता मानो पागल हुई जा रहीं थीआपने "---- तो ल्वनम्र को हत्यारा ल्सद्ध कर ददया ।
अााप मेरे भाई है या दुश्मन?"
"भाई हं बहनापक्का ! भाई ।"। हं रहा कर आगाह से खतरे वाले अााने तो तभी "---मारा बुड़क में चॉकलेट ने गोडास्कर "
"रर तूं ल्नबुधद्धी समड रही है" । है में चक्कर के िं साने को जीजू गोडास्कर-
हकबकाई श्वेता गोडास्कर की तरि देखती रह गई वह समड न पा रही , वह क्या कह रहा है ?"
" एक बार दिर चॉक्लेट चबाता गोडास्कर कहता चला गया"--'इतनी बाते गोडास्कर की खोपडी में सुईट से मोती ल्मलने के
साथ ही आ गई थी मगर बहााँ यह सब नहीं कहा ।। जरा सोचकहा नहीं क्यों---? उन सबके सामने कह देता तो क्या हाल
होता जीजूका? अब वतादुश्मन या है भाई तेरा गोडास्कर-?"
"ददमाग तो तुम्हारे पास भी कािी अछूा है जीजूये अपने---सोचो भी तुम ! बातें गोडास्कर ने वहां, सबके सामने क्योंां नहीं
की ? ये बाते करने के ल्लए यही जगह क्यो चुनी ?"
गोडास्कर की इस बात ने ल्वनम्र को सोचने पर मजबूर कर ददया । इस एक ही बात से उसे लगा वाकई गोडास्कर यहां इं स्पैक्टर
नहीं, श्वेता का भाई है । मगर, ल्ववेक ने तुरन्त एलटध दकया "---'गेडास्कर का यह बदला हुआ रुख उससे उगलवाने के ल्लए
एक इं स्पेक्टर का पैतरा नया"' भी हो सकता ।' पूरी तरह सतकध हो गया वह । गोडास्कर के दकसी भी शब्द िं सने न में जाल-
का, ल्नश्चय करके बोला"---- तो मुडे काल्तल मानने, के बावजूद मदद करना चाहते हो ।"
"नहीं जीजू"। गोडास्कर है नहीं पुल्लल्सया घठटया इतना "---कहा उसने "। है नहीं ऐसा !
"क्योंदक गोडास्कर जानता हैरहा आ नजर सही पर कसोटी की तकम जो ------- है, वह गलत है । गोडास्कर का
एक"सपीठरयेंस' कहता है ऐसा अक्सर हो जाता है ।।। तकध उस बात को सृही ल्सद्ध करते नज़र अााने लगते हैं जो अक्सर गलत
होती है ।"
श्वेता की आंखों से आंसू भर अााए । मुह से ल्नकला सच आप"-कह रहें है न भैया ?"
"ल्बककु ल सच पगली । कहने के साथ गोडास्कर ने श्वेता को खीचकर अपनी ल्वशालकाय ूाती से लगा ल्लया था । श्वेता का तो
मानो बांर् टु ट पड़ा । उसकी ूाती ने मुखड़ा ूु पाए बह रो कर िू ट िू ट- पडी । आंखें गोडस्कर की भी भर आई थी मगऱ
उसने जकदी से चॉकलेट मुंह में ठूं स ली रर उसे चबाने के बहाने ूलक पडने को तेयार आंसूओं को पी गया।
"ये सव दकया है गोडास्कर ।" ल्वनम्र ने कहा!तोला में पल माशा में पल"--- कभी कहते हो मैं काल्तल हं , कभी कहते हो
नहीं हं । मेरे साथ आल्खर खेल क्या खेल रहे हो तुम?"
"कोई रोल नहीं रोल रहा हं जीजू । है जान की बहन सी-नन्ही उसकी जो है सकता खेल कै से खेल साथ उसके गोडास्कर भला !
"
गेडास्कर तो के वल यह ल्सद्ध कर रहा था दक अभी तकृ के हालात आपको रर ल्सिध अााप ही को हत्यारा साल्बत कर रहे हैं
मगर......
"गोडास्कर की प्रॉब्लम ये है दक पुल्लस ल्वभाग में गोडास्कर अल्तम अिसर नही ाँ है ।के बल इं स्पैक्टर है ।
अिसर गोडास्कर के उपर भी हैं । कल उन सबको भी इस के स की ल्डटेल पता लगेगी । गोडास्कर से ज्यादा ही ददमागदार हैं वे
।हालात जो कहानी गोडास्कर के ददमाग में सेट कर रहे हैं, ऐसा हो नहीं सकता यहीं कहानी उनके ददमाग से भी सेट न हो
जाए ।। ऐसा हो गया तो गोडास्कर की तो बात ही दूर; ऊपर बाला भी जीजू को नहीं बचा सकता ।। होने वाले जीजू को
बचाने के इकजाम में गोडास्कर की वदी उतरे गी सो अलग ।"
"भला ल्वनम्र मदद क्यों नहीं करे गा ?" वह ल्वनम्र की तरि घूमील्वनम्र क्यों"-?"
ल्वनम्र समड नहीं पा रहा था है रहा कह जो गोडास्कर---'ददल से' कह रहा है या कोई खेल खेल रहा है । श्वेता की बात
अलग थी । बह अपने भाई के साथ भावनाओं में बह गई र्ी । उसके सबाल के जवाब मैं कहना तो ल्वनम्र को बहीं पड़ा-
अजीब" बात है । जब मुडे बेगुनाह साल्बत करने की कोल्शश करे गा तो भला मैं मदद क्यों नहीं करूगा? बेगुनाह तो मुडे ही
साल्बत होना है ? बोलाचा मदद क्या---ल्हए मेरी?
"नहीं ।"
"इसका मतलब ये हुआ, आपके ल्नकलने के बाद सुईट मे बाहर से तभी दाल्खल हुआ जा सकता था जब मबंदू अदर से दरवाजा
खोलती ।"
"मेरी समड में नहीं आ रहा । ये िालतू कै सवाल मुडसे क्यों पूूे जा रहे हैं? " अतत इनके कै से आल्खर पड़ा ही िट ल्वनम्र :
तक हत्यारे असली करके हाल्सल जवाब पहुचा जा सकता है?"
"ताव मत बनाओ जीजूहै रहा कर कोल्शश की लगाने पता यह गोडास्कर !…आपके बाद सुईट मे जो शख्स गया उसे मबंदू ने खुद
बुलाया था या जबरन घुस गया क्योदक सम्भावना उसी के काल्तल होने की है ।"
"ताव मत बनाओ जीजूयह गोडास्कर ! पता लगाने की कोल्शश कर रहा है…आपके बाद सुईट मे जो शख्स गया उसे मबंदू ने खुद
बुलाया था या जबरन या जबरन घुस गया क्योंदक सम्भावना उसी के काल्तल होने की ।"
"ल्सर में ददध हो गया है मेरेडमेले इस मुडे जो थी दुश्मनी क्या मुडसे को साले नहीं पता !_मेाँ िसा ददया?"
" यही व रहा कर काम गोडास्कर पर ल्जस यह है लाईन यहीं ठीक !ह कहता चला गया"----'दकसी ने आपको फ़'साने की
कोल्शश की के ल्शश की है ।"
" हां । काम पर लाईन इसी मुडे । है ठीक लाईन यही" ---कौंर्ा ल्वचार " करना चाल्हए । कोई मुडें िं साने की कोल्शश कर
रहा है । रर बात ठीक तो है । मैंनें सुईट से लाश कब हटाईं? कब मबंदू की माला के मोती चुने ? मेनें कहााँ मारा ल्बज्जू को
? यह सब तो दकसी रर ने ककं या । न दकया होता तो है डमेला इतना न बढ़ता । सीर्ेसे तरीके सीर्े-- मवंदक
ु ी लाश बरामद
हो जाती । मैं यह कहकर चुपी सार् लेता! थी मजंदा बो तक आने वापस मेरे "--- गोडास्कर हत्यारे की तलाश में हाथ पैर-
गायब लाश । जाता रह मारकर न होती तो इस वि वे आते ही पेदा न होतीं । ल्जनके मुताल्बक सबसे ज्यादा संददग्र् मैं ह ।
गोडास्कर सही लाईन पर सोच रहा है'------लाश रर मोती गायब करने वाले ने मुडे िं साने की के ल्शश की हैकी ल्बज्जू !
लाश भी वह मेरे ही गले में लटकानी चाहता हैवो पर ! है कौन है?"
"क्या सोचने लगे जीजूबीच""--टकराई पर जहन उसके सीर्ी आवाज की गोडास्कर " !'-बीच में अााप कहां' खो जाते है?"
"ब के सोचों अपनी ल्वनम्र "। तुम हो रहे सोच ठीक ल्बककु ल-'दायरे से बाहर आया'--"ल्बककु ल ठीका यकीनन दकसी ने मुडे
िं साने की कोल्शश की है ।"
"नहीं जीजू इतने को सवाल इस. . .रर दो मत जवाब जकदी इतनी !'हकके पन' में भी मत लो ।----कहा ने गोडास्कर "
“के वल यही यह सबाल है ल्जसका जवाब आपको हत्यारे के जाल से बचा सकता है । अछूी तरह सोचकर जवाब दो-------
रच कौन सकता है आपकी फ़साने का षडृ यंत्र? ऐसे षडृ यंत्र के वल दो तरह के लोग रचते है । कोई वहुत वड़ा दुश्मन या वह,
ल्जसे कोई लाम होने वाला हो । ददमाग घुमाओंहै कौन दुश्मन बड़ा इतना आपका--?
"भैया ठीक कह रहे है ल्वनम्र दिर । दकया नहीं कु ू तुमने"-----बोली श्वेता "! भी हालात ऐसे हैं जैसे दोनो हत्याएं तुम ने
की हो । कौन दियेट कर सकता है ऐसे हालात ? कोई तो हे जो िं साने की के ल्शश कर रहा है । कौन है वो ? सोची ल्वनम्र-
है सकता हो कौन?"
"चचौबे चिर्र-?" ल्वनम्र उूल पड़ा"। हैं मामा मेरे तो वे- व----
"कक्या-? '"
"नहीं नहीं !!!!!?" उिेल्जत अवस्था में ल्वनम्र हलक िाड़कर चीख पड़ाश्वेता !सकता हो नहीं ऐसा--------, अपने भाई से
कहोपुलमसंया- उड़ानों में उड़ना बंद करे । इसे नहीं मालूम मामा मुडे दकतना चाहते है । उनके बारे में ऐसा सोचना भी पाप है
।।"
"ल्वनम्र ठीक कह रहा है भैया ।बोली श्वेता "…"' मामा इससे बहुत प्यार करते है । वे कभी ल्वनम्र का बुरा नहीं चाह सकते
।"
गोडास्कर के होठों पर ऐसी मुस्कान उभरी जैसे उसकी समड के मुताल्बक वे 'बचकानी' बाते कर हों ।
जबरदस्त बेचैनी के साथ स्कीन पर स्पाकध कर रहे नम्बर पर नजर डाली । नम्बर पूरी तरह अंजान था । इसके बावंजूद उसने
कॉल ठरसीव की । हैलो कहते ही दूसरी तरफ़ से कहा गया"। हं रहा बोल मे"----
"त कहां हो तुम ।। तुम-? " चिर्र चौबे भड़क उठाठरपोर"---ट क्यों नहीं दी ?"
"अब । सुबह के ग्यारह बजे ।तुम्हें ठरपोटध यह "-----भड़का रर कु ू वह " कल कर बंद भी मोबाईल अपना !थी देनी रात-
बार सेक्ड़ों से रात !तुमने या रखा राई कर चुका ह ।"
दूसरी तरि से हंसने की आवाज़ अााई । अंदाज ऐसा था जेसे उसकी बेचैनी का मजा लूटा जा रहा हो ।।
" तुम हंस रहे हो ।"-----गई दौड सी मचंगाठरयां में ल्जस्म सारे के चौबे चिर्र "'क्यों हंस रहे हो तुम?"
उसे सुलगा देने वाले अंदाज में कहा"।। सेठ हं रहा हंस पर बेचैनी तुम्हारी"---'
"कमतलब क्या-?"
"नीद आ गई थी । कु ू देर पहले ही सोकर उठा है । घडी पर नजर गई तो सोचा तुम मुडसे बात करने के ल्लए मरे जा रहे
होंगे । इसल्लए िौरन िोन ल्मला ददया ।। "
"अजीब आदमी होहो कहते तुम रर सका सो नहीं ल्लए के पल एक रात सारी मैं !…सो गए थे । इतने बेसुर् होकर दक आंखे
ही अब खुली । ऐसे काम के बीच भला कोई ऐसी नीद कै से भी सकता है?”
"क्या करता सेठ? दारू कु ू ज्यादा ही पी गया था । साली खोपडी पर सवार हो गई ।"
"बो पता लग ही गया होगा तुम्हेंतक आज़" मैंने !' पर देखा है, तुम ने भी देख ल्लया होगासु को पुल्लस---ईट नम्बर सेल्वन
जीरो थटीन से कोई लाश नहीं ल्मली मगर ल्लफ्ट की ूत से एक लाश ल्मली है । ये चक्कर क्या है सेठ, ल्पूली रात ओबराय
में दकतनी लाशे थी ? एक मैं उठा लाया । दूसरी ल्लफ्ट की ूत से ल्मली है । तक आज़"' पर लाश देखी भी है मैंने दकसी !
रही जा बताई की िोटोग्रािरहै कहा जा रहा है...नम्बर सुईट से बजे दो दोपहर कल वह-----
"उसे ूोडो ?" चिर्र चौबे ने दूसरी तरफ़ से बोलने वाले की बात काटकर कहा----“ये बताओ क्या का शला अपनी तुमने-
"! दकया'
" म । मतलब मेरा - मवंदु की लाश से है । उसे तो ठठकाने लगा ददया न तुमने?"
"नहीं । "
"बडे अहमक आदमी होऐसा मगर........मगर । हो रहे घूम ल्लए साथ अपने को लाश ! भला तुम कर कै से सकते हो?
लाश को साथ लेकर घूमना क्या मजाक है । उसे िौरन ठठकाने लगा दो ।"
"मगर?"
" उससे पहले मुडे तुमसे कु ू बातें करनी हैं सेठ ।"
"क्या बातें करनी हैं ? रर दिर, बाते तो बाद में भी होती रहैगी ।। सबसे पहले लाश को ठठकाने लगाओ । उसके साथ पकडे
गए तो सारे दकए र्रे पर पानी दिर जाएगा ।"
"कु ू नहीं होगा सेठ ।। लाश मेरे पास है । जब मैं नहीं डर रहा तो तुम क्यों मरे जा रहे हो?"
"जब िोन रख चुकूं अपने मोबाईल पर नंम्वर देखना । इस नम्बर को डायरे वरी में तलाश करना । जब ल्मल जाए तो नम्बर के
सामने ल्लखे एड्रेस पर दौड़े चले अााना मेरा नाम लेते ही तुम्हें मेरे पास पहुचा ददया जाएगा ।" कहने के बाद दुसरी तरि से
चिर्र चौबे को बोलने का मौका ददए बगैर ठरसीवर रख ददया गया ।
चिर्र चौबे की हालत ऐसी हे गई जैसी पतंग उड़ा रहे बीे की हालत अचानक डोर टू ट जाने पर होती है ।
" जकदी से स्िीन पर नजर अााता नम्बर पढ़ा । डायरे क्री उठाई ।
नम्बर खोजा!
उसके सामने ल्लखा एड्रेस एक कागज पर नोट दकया रर लगभग भागता हुआसा- "भारााज ल्बला' के गैरेज में पंहुचा।। अपनी
मसंडीज़ ल्नकाली । अगले ल्मनट मसधडीज़ ल्बला का लोहे बाला गेट िास करने के बाद उस एड्रैस की तरि दौड रही थी जो
अजन्ता नामक दकसी होटल का था ।
यह एक रसत दजे का होटल था । चिर्र ठरसेप्शन पर पहुंचा । यहााँ एक भदृदीस-ाी ररत बैठी थी ।
अगले दो ल्मनट बाद वह उस बंद कमरे की कमरे की वैल वजा रहा था पर चौखट ल्जसकी "'आठ' ल्लखा था ।
बंद दरवाजा खुलावह । था सामने उसके मनसब !, ल्जसका कद दकसी भी तरह ूदो िू ट : इं च से कम नहीं था । अपने कद
के अनुपात मे कािी पतला था वह । इस कारण 'बकली' जैसा लगता था । चेहरे पर करीने से तराशी गई दाढी थी । बावजूद
इसके दोनों गालो की उभरी हुई हल्डृ डयां साफ़ नजर अााती थीं । आंखें बहुत ूोटी सपध जैसी उनमे थी चमक ऐसी । थी ूोंटी--
नाक । है होती में आंखों की तोते जैसी थी । होठ पतले । कान बड़ेलगता शख्स कू र एक वह ल्मलाकर कु ल । वड़े- था ।
चिर्र चौबे पर नजर पड़ते ही एक तरि हटता बोला" ।। जाओ आ --आओ । सेठ आओ"---
चिर्र अदर दाल्खल हुआ । एक ही नजर में उसने सारा कमरा टंटोल डाला । पूूा--'" कहां है ?"
"लाश "!
"बात ही बेचैनी की है । अभी तक लाश को अपने साथ ल्लए घूम रहे हो । भला ये भी कोई समडदारी हुई"'
"क्या मतलब?"
"बताता ह।तरि की ल्सरहाने के डबलवेड बाद के कहने " बढा उसके हाथरर पेर- अंगुल्लयां…सब कु ू लम्बे ल्सरहाने । थे लम्बे-
वहुत एक की कलर ग्रे नजदीक के बडी अटैंची रखी थी । मनसव उसके नजदीक बैठा रर दिर एक डटके से उसका ढक्कन उठा
ददया ।
चिर्र हडवड़ा गया ।
भयािांत आंखें अटैची पर जमी रह गई थी बल्कक यह कहा जाए तो ज्यादा मुनल्सब होगाकी ल्बदू आखें------ लाश पर जमी
हुई थी । वह उकडू हालत में थी । देखने मात्र से पता लगता थामे अटैची उसे मोड़कर िोहल्नयां रर घुटने को लाश--
जबरदस्ती ठूं सा गया है । चेहरा दोनों घुटनों के बीच ठूं सा हुआ था ।।
"क्यों सेठ ।।को अटैची । होगया हावी खौि पर चिर्र दक हंसा तरह इस मनसब " बंद करने की कोई भी के ल्शश दकए वगेर
वह खड़ा होता हुआ बोला"------ एक सेकण्ड पहले तक तो लाश देखने के ल्लए मरे जा रहे थे । अगले सेकण्ड इसे देखकर
मेरे जा रहे हो । डरो मत । ल्जन्दा व्यल्ि दूसरे व्यल्ि का सब कु ू ल्बगाड़ सकता है मगर लाश,कु ू नहीं ल्बगाड़ सकती ।"
" मेरी समड में नहीं आरहा, तुम अभी तक इसे ल्लए क्यो घूम रहे हो ?"
" मतलब?"
"एकदम साि है सेठ ।गुटखा-जदाधयुि से जेब अपनी ने मनसब साथ के कहने " ल्नकाला ।। उसका कौना िाड़ा ।सारा मसाला
एकही बार मुंह में डालने के बाद बौला"। लगेगा दुगना नांवां "-
'"वेसा तब होता है सेठ जब सोचने का मोका ल्मला हो । जदाध चबाता मनसब उसकी बात काटकर कहता चला गया'--"रकम
सोच समडकर मांगी गई हो । मुडे सोचने का तुमने मौका ही नहीं ददया ।
भयािांत आंखें अटैची पर जमी रह गई थी बल्कक यह कहा जाए तो ज्यादा मुनल्सब होगाकी ल्बदू आखें------ लाश पर जमी
हुई थी । वह उकडू हालत में थी । देखने मात्र से पता लगता थामे अटैची उसे मोड़कर िोहल्नयां रर घुटने को लाश--
जबरदस्ती ठूं सा गया है । चेहरा दोनों घुटनों के बीच ठूं सा हुआ था ।।
"क्यों सेठ ।।को अटैची । होगया हावी खौि पर चिर्र दक हंसा तरह इस मनसब " बंद करने की कोई भी के ल्शश दकए वगेर
वह खड़ा होता हुआ बोलासेकण्ड एक "------ पहले तक तो लाश देखने के ल्लए मरे जा रहे थे । अगले सेकण्ड इसे देखकर
मेरे जा रहे हो । डरो मत । ल्जन्दा व्यल्ि दूसरे व्यल्ि का सब कु ू ल्बगाड़ सकता है मगर लाश,कु ू नहीं ल्बगाड़ सकती ।"
" मेरी समड में नहीं आरहा, तुम अभी तक इसे ल्लए क्यो घूम रहे हो ?"
" मतलब?"
"एकदम साि है सेठ ।गुटखा-जदाधयुि से जेब अपनी ने मनसब साथ के कहने " ल्नकाला ।। उसका कौना िाड़ा ।सारा मसाला
एकही बार मुंह में डालने के बाद बौला"। लगेगा दुगना नांवां "-
"तुम्हारे र्ंर्ें का उसूल । मैंने सुना है तुम लोग एक बार जौ रकम कु बूल कर लेते हो.......
'"वेसा तब होता है सेठ जब सोचने का मोका ल्मला हो । जदाध चबाता मनसब उसकी बात काटकर कहता चला गया'--"रकम
सोच समडकर मांगी गई हो । मुडे सोचने का तुमने मौका ही नहीं ददया ।
गलती तुम्हारी है । तुमने रात के ठीक दस बजे मेरे मोबाईल पर िोन दकया । कहानम्बर सुइट के ओबराय होटल "--- सेल्वन
जीरो थटींन में एक लाश पडी है । दकसी की भी जानकारी में लाये बगैर उसे बहां से हटाना है । मैं हकवका गया । लोग कत्ल
तो कराते हैं मुडसे मगर ऐसा काम पहली बार करा रहा था । यानी दक कतंल हुए व्यल्ि की लाश तो घंटनास्थल से गायब
करने का काम । मेरे मुंह से लाख दो"' अााए, वही कह ददया । `तुमने वगैर हीलदक हुज्जत-ए रकम कबूल कर ली रर
कहा…“यह काम अभी इसी वि होना चाहीए । कै से करोगे?"
मैंने कहाकरो इतना के वल दिलहाल"-, होटल की सातवीं मंल्जल पर दकसी फ़जी नाम से एक कमरा बूक करा दो । पैर रखने
की जगह तो ल्मले । बाद में स्रोचूंगा क्या कै से करना है ।'
तुमने कहा…"'ठीि है अमरमसंह नाम से कमरा बुक करा देता हं । रूम नम्बर ठरसेप्शन से मालूम कर लेना । मेने पूूा-'-
""रकम कब रर कै से ल्मलेगी? तुमने कहा बाद के होने काम । नहीं हं तो अजनबी ल्लए तुम्हारे " --'कं स्रक्शन कम्पनी' के
मेरे अाादिस मे अााकर चाहे जब ले जाना ।' मैने बात कु बूल करली । इसके वावजूद कबूल कर ली दक हम लोगों का ' उसूल
आर्ी रकम काम से पहले लेने का है । इस उसूल की याद ददलाकर मैं तुम्हें उस आर्ी रकम देने के ल्लए मजदूर कर सकता था
मगर नहीं दकया । यह सोचकर नहीं दकया दकसेठ मेरा" ही व्यथध .' मुसीबत मे पड़ जाएगा । टाईम उस वि वैसे ही तुम्हारे
पास जहर खाने तक का नहीं था। तुम्हारी मुसीबत को मैंने अपनी मुसीबत समडा रर लग गया यह सोचने मे की भरे पूरे िाईव
स्टार होटल के सुईट में पडी लाश को सबकी नजरों से बचाकर कै से ल्नकाला जा सकता । यह काम आसान नहीं था । सेठ !
दकसी अलावा मेरे रर की सौपते तो शायद वह कर भी नहीं पाताऐसी में ददमाग मेरे ही तरकीब तो ! अाा गई दक काम
साला काम ही नहीं लगा । ये अटैची लेकर पहुंच गया ओबराय के ठरसेप्शन पर । अपना नाम 'अमरमसंह' बताया । उन्होंने रूम
नंबर सेल्बन जीरो सेल्बन्टीन मे पहुंचा ददया । वेटर के जाते ही मैंने अपना कमरा बंद दकया रर अटैची सम्भाले सुइट की तरि
बढ गया । गेलरी में मोजूद इं चाजध रर होटल के दूसरे स्टाफ़ की नजरों से खुद को बचाने के ल्लए क्यापड़े बेलने पापड क्या-,
उनके बारे में ल्वस्तार से बताने लगा तो शाम, हो जाएगी इसल्लए शॉटध में यूं समडोस डौकता र्ुल में आंखो सबकी-ाुईट के
दरवाजे पर पहुच गया ।
आंख 'कीहोल-' से सटाई । इन मोहतरमा की लाश सामने ही पड्री थी । एक बार दिर कहंगा सेठ काम यह अगर-------
तुमने दकसी मडधर सोशल्लस्ट को सौंपा होता तो दकसी हालत में सम्पन्न नहीं हो सकता था । दरवाजा लॉक था । रर मडधर
सोशल्लस्ट भले ही आदमी को भुताध बना सकते हो मगर बगैर चाबी के लॉक नहीं खोल सकते । रर 'लॉक' खोले बगैर यह
काम नहीं हो सकता था । शुि मनाओपहले से बनने माल्हर में करने याकमधदि का आदल्मयों- मनसब नाम का यह बंदा चोठरयां
करने का उस्ताद माना जाता था ।
अपने उसी फ़न के इस्तेमाल से मैंने लॉक खोता । सुईट में पहुचा । लाश सुटके स में ठूं सी । गनीमत थी तव तक इस मोहतरमा
को मरे ज्यादा वि नहीं गुजरा था अथाधत लाश अकड्री नहीं थी । वैसा हो गया होता तो इसे सूटके स में ठूं सना नामुमदकन हो
जाता है । उसके बाद मेने लाश के चारों तरि ल्बखरे मोती चुने ।"
"ममोती-'-"' चिर्र चौबे के मुंह से यहीं एक लफ्ज ल्नकला ।
" "हां सेठ यह तुमने हालादक । वे थे मोती के माला की मोहतरमा इसी !मोती ! काम नहीं सौपा था । के वल लाश को सुईट
से ल्नकाल कर कहीं ठठकाने लगाने की बात कहीं थी मगर मोती मैंने खुद चुने । अपनी खोपडी से यह सोचकर चुने दक जव वे
पुल्लस को बरामद हो गए तो शायद तुम्हारा वहां से लाश को हटवाने का मकसद ही खत्म हो जाएगा ।"
ठीक ही कह रहा था मनसब उसने खुद भी लाश के चारों तरि ल्बखरे मोती देखे थे परन्तु मनसब से लाश के साथ उन मोल्तयों
को भी हटाने के बारे में कहना भूल गया था । यह टाईम ही ऐसा या । ददमाग पर हड़बड़ाहट हावी थी । ल्जतना सूड गया
वह कािी था । सारे हालात पर गोर करने के वाद वह बोलाबाते ूोटी-ूोटी"---- नहीं बताई जाती मनसब| जव मैंने लाश
हटाने का काम सौपा था तो जाल्हर थाम-------ाैां दकसी को वहााँ हुए मडधर की भनक नहीं लगने देना चाहता । अपने ल्ववेक
से तुमने मोती हटाने का काम करके ठीक ही दकया ।"
"मेने के वल मोती ही नहीं हटाए हैं सेठ । अछूी तरह सिाई भी की है । अब कोई माई का लाल यदद खुदधबीन लेकर भी वहां
का ल्नरीक्षन करे गा तो ताड नहीं सके गा तुमने वहााँ इस मोहतरमा का दियाकमध दकया है ।।
"म। गया सूख मुंह का चौबे चिर्र साथ के लफ्ज इस ल्नकले से हलक "!मैंन--
े
" तुम तो यूं उूल रहे हो सेठ जैसे इसका दियाकमध तुमने नहीं मेने ‘ दकयाहो । मडधर करना आसान है । मुल्श्कल उसके बाद
कै हालात है से जूडना है । खेर, भला तुम्हें इन बातों का क्या एक्सपीठरयेस हो सकता था । मेरे ख्याल से तुम्हारा यह पहला
ही काम है । तभी तो अभी तक चेहरे की दोनों सुईयां बारह पर अटकी पड़ी है । मडधर कर तो ददया तुमने लेदकन उसके बाद
बूरी तरह घबरा गए । मुल्श्कल काम' मुडे सौप ददया । इससे तो बेहतर होता मडधर ही मुडसे करा लेते ।"
जबदक अपनी घुन में मस्त मनसब"------गया चला कहता दिर बार एक चबाता जदाध. ये जो सारी रामायण मैंने तुम्हें सुनाईं
है, यह समडाने के ल्लए सुनाई है दक दो लाख लाश को वहा से हटाकर कहीं ओऱ ठठकाने लगाने के तय हुये थे ।। तुम्हें िं सने
से बचाने के ल्लए नहीं जबदक दकया मैंने यही है । मोती चुन लाया ह वहां से । सिाई कर आया हं । चार लाख पक्के हुये के
नहीं ?"
"ठीक है ।रु लाख चार तुम्हें मैं "----की नहीं हुज्जत-हील कोई ने चिर्र "पये दूगा मगर...........
" नहीं ल्मलेगी सेठ । खुद खुदा भी ढू ंठेगा तो नहीं ल्मलेगी ।की लाख चार " सम्भाल्वत कमाई ने मनसब की ूोटी आाँखों ूोटी--
थी दी कर पैदा-जगमगाहट में…"मैं इसे पाताल में उतार दूंगा।। होल्लका मेया की तरह जलाकर राख करदूगा । मगर दकसी की
नजरो में नहीं अााने दूंगा । चाहो तो एक सौदा ओंर हो सकते हो ।
"कै सा सौदा?"
" इतने सबके बावजुद अगर पुल्लस को पता लग जाता है दक ये मोहतरमा दूल्नया से गारत हो चुकी हैं रर पुल्लस के हाथ
तुम्हारी गदधन की तरफ़ बढने लगते हैं तो मैं अपनी गदधन पेश कर सकता ह।"
" ममतलब-?"
"कु बूल कर सकता हाँ दक यह हत्या मैंने की है । रुपये पूरे दस लाख लगेंगे ।"
चिर्र चौबे का चेहरा पीला पड़ गया…" क्या अब भी इस बात की सम्भावना है "!
"कोई सम्भावना नही है सेठ । वतधमान हालात पर गौर दकया जाए तो दूर दू --र तक कोई सम्भावना नहीं है मगर. .
" तुम उस शख्स को नही ाँ जानते ल्जसका नाम गोडास्कर है । मैं दितरत उसकी . . से अछूी तरह वादकफ़ हं । कईं वार
पाला पड चुका है । जेम्स बांड हो या शलाधक होम्स सबकी-----मौत के बाद पेश हुआ है वह इसल्लए उसमें सभी वे गुण
समाए हुए है है पटृ ठा वहां िावड़ा"' घूसेड़ देता है जहां सुई के घुसने तक की जगह नहीं होती । कहने का मतलब ये ही भले-
मामला सारा हमे वि इस'िु ल प्रूि नजर आ रहा है । मगर गोडास्कर इसमें 'ूेद' करके तुम्हारी गदधन ,तक पहुंचने का
टेलेन्ट रखता है । उन्ही हालात की बात कर रहा हं । अगर कु ू होता है तो मैं इस मोहतरमा की हत्या करनी कू बुल कर लूगा
। दस लाख मेरे पास जेल में पहंचा देना ।।।
मनसब हाँसा । हंसकर बोला"-'िांसी से तुम सेठ लोग डरते हो सेठ, मनसब जैसे खेले खाए दिल्मनकस नहीं डरते । इसल्लए
नहीं कानून हैं जानते क्योदक डरते . में आटा ूानने की ूलनी से भी ज्यादा ूेद है ।।। दमखम वाले दफ्रल्मनकस को ज्यादातर
को िांसी तो क्या
ूोटीमोटी सजा तक नही दे पाता । दकसी न दकसी से ूेद से ल्नकल कर हम कानून की पकड़ से बहुत दूर चले जाते है । खेर,
ये बातें शायद तुम्हारी समड मे नहीं अााएंगी । तुम्हारे समडने के ल्लए दिलहाल इतना कािी है दक तुम्हें के वल दस लाख देने
होगे, ल्जसकी तुम्हारे ल्लए कोई खास अहल्मयत नहीं है, ऐसा आदमी ल्मल रहा है जो तुम्हरे ाारा दकए गए मडधर को अपने
ल्सर लेने को तैयार है । बोलो नहीं या है मंजूर सौदा-?"
"ओंमें बकबों के सौ सौ आंखे की मनसब "। तुम्हें था बुलाया इसील्लए वस .के . तब्दील हो गई थी !जाओ घर अब "-------
से चेन पीकर हो सकते पी ल्रहस्की ल्जतनी सो जाओ । बैसे भी तुमने खुद बताया जाओ भूल । सके नहीं भी रात साऱी----
तुमने इसका मडधर दिया है । इस लाश को भी भुल जाओ । अब मैं इसे ठठकाने लगाने के बाद तुमहारे आदिस में ल्मलुगा । "
"तुम्हारे पास?"
"'दिि मत करो । इतंनी अक्ल मुडमें है दक अब उसे इस्तेमाल नहीं करना है । िोन को भी लाश के साथ ठठकाने लगा दूगा
।"
" दिलहाल जो जेब में है बह डटको । काम को अंजाम देने में जरूरत पड़ेगी ।।।
"उसके बाद?" उस शख्स ने पूूा ल्जसका कद दकसी मी हालत मैं चार िु ट से ज्यादा नहीं था ।
"में साढे अााठ बजे ओबराय पहुंची ।मे ल्सगरे ट "ां कश लगाने के बाद माठरया ने पुन पर फ्लोर सेल्बन्थ"--ककं या शुरू कहना :
इस्तेमाल का ल्लफ्ट ल्लए के पहुचने नहीं दकया ।"
"नहीं चाहती थी कोई मेरे उस फ्लोर तक पहुचने का गवाह हो । ल्लफ्ट का इस्तेमाल करने की सूरतृ मे ल्लफ्टमेन की नजरो मे
अाा सकती र्ी !
सुन्दर रर लम्बी लड़की की बडी उभर आश्चयध में आंखों बडी-' अााया--.--'"तुम सीदढयों के जठरए सेल्बन्थ फ्लोर पर
पहुची?”
"दूसरा चारा ही क्या था?"
" मेरे भारी शरीर को देखते हुए यह काम दुस्साहस ही था मगर करना पडाबूरी ! तरह हाफ़ गई थी मैं । बीच कई में बीच-
में ।ददल पड़ा बैठना पर सीदढयों जगह लगन हो तो आदमी हर काम कर सकता है ।"
"मगरा------बोला िु टा चार "'"मेरी समड में नहीं आ रहा,तुमने ऐसा दकया क्यों ?"
"कै सा ?"
"जब ल्बज्जूने अपनी हमराज ही नहीं, पाटधनर बना ल्लया था । कहा थाके खींचने- बाद सीर्ा तुम्हारे पास अााएगा । तो.
थी ज़रुरत क्या की जाने ओबराय?"
“पूरा शक थाबार एक । है िक्कड़ तक जब है रहा कह तक तभी के वल बाते "वे" वह- यह इत्म हो गया दक वह सचमुच मोटा
नावां पीटने के बेहद नजदीक है तो पूूेगा भी नहीं मैं कहााँ पडी हं । भला उस हालत में वह मुड मोटी थुलघुल को र्ास
डालता भी क्यों? उसके ल्लए तो एक से एक सुन्दरी के दरवाजे खुल जाने थे ।"
चार िू टे ने साि कहासा हो रही बोल डूठ तुम से ख्याल मेरे "-----ली साल्हबा ।"
""यानी?"
"हकीकत ये है, तुम ही उसे अपना पाटधनर बनाने के ल्लए तेयार नहीं थी ।नाटा " कहता चला गया गए खींचे ाारा उसके तुम"-
सारा लेकर में कब्जे अपने िोटो खेल अपने हाथों में समेटने का प्लान वना चुकी थी ।"
"मेरे ख्याल से ठीक भी यही था ।। ल्बब्लू पाटधनर बनने लायक था भी नहीं । वस एक ही टेलेन्ट था उसमें बाकी । िीिोटोग्रा-
।।। थी कल्मयां ही कल्मयां सव दारुइस रर था सकता कर बखान का कारनामों अपने बीच के जनों दस बह पीकर . दकस्म के
कामो में ऐसी मैं बेवकू िीयां जान जोल्खम में डाल देती हैं ।
"मैं तुमसे सहमत हं नाटे ।"
'" आगे तो बताओ ।"हुआ क्या बाद उसके । गई पहुच पर रफ्लो सेल्वन्थ तुम-ब्रोली दिस्टी "'
"संयोग से सेल्वन जीरो थटीन चौड़ी सीढी के सामने था । दरवाजे पर ल्लखे नम्बर पढते ही मे ठठठकी खडी रह गई उस पर
नजर रखने के ल्लए वह जगह सबसे उपयुि लगी । पहली वात नजर से आसानी पर दरवाजे के सुईट से वहााँ-'रखी जा सकती
थी ।
दूसरी बात दकसी वहां थी मैं जहां - के ाारा देख ली जाने का खतरा नही था फ्लोर से सेल्बन्थ फ्लोर तक सीदढयों पर मूडे
आदमी तो क्या ल्चल्डया का बीा तक नहीं ल्मला । कस्टमसध की तौ बात है दूर, िाईव स्टार के वेटर तक ल्लिट के इतने आदी
हो चुके होते है दक एक फ्लोर के ल्लए भी सीदढयों का इस्तेमाल करते उनकी नानी मरती है । मेरी समड में नहीं जाता-----
हैं जाती क्यों ही वनाइ सीदढयां में होटलों स्टार िाइव"?''
"इस सवाल में मत उलडो । यह बताओं वहां ूु पी रहकर तुमने क्या देखा? "
" मैं नौ बजने से एक ल्मनट पहले बहााँ पहुंच गई थी । नौ बजे के आसपास दरवाजा खुला । सूअर की थूथनी जैस शख्स बाहर
आया ।
वह ल्लफ्ट नम्बर िोर की तरि चला गया दरवाजा वापस बंद होगया था । ठीक नौ बजकर आठ ल्मनट पर जब एक खूबसूरत
नौजवान ने सुईट की बैल बजाई तो मैं समड गई यह ल्वनम्र । दरवाजा मवंदु ने खोला था । वह अंदर चला क्या । दरवाजा
पुनहो बंद : क्या । अब _ मैं समड सकती बी, सुईट में वही सब हो रहा होगा ल्जसके ल्लए ल्वनम्र को बुलाया गया था ।
रर ल्वज्जू िोटो खीच रहा होगा वे िोटो जो मुडे मालामाल कर देने वाले थे मगर उस वि मेरे सारे ख्वाबो पर ल्बजली ल्गर
पडी जब के वल तीस ल्मनट में दरवाजा खुला रर ल्वनम्र बाहर आ गया । मेरी सोचो के मुताल्बक उसे इतनी जकदी बाहर नहीं
अााना चाल्हए था । वह काम इतनी जकदी खत्म नहीं हो सकता था ल्जसके ल्लए उसे बुलाया गया था । तो क्या सुईट में वह
सब हुआा ही नहीं? अगर कु ू हुआ ही नहीं था तो ल्वज्जु, िोटो क्या खीचें होगे? मुडे सारी मेहनत पर पानी दिरता नजर जा
रहा था । यदद उसी वि ल्बज्जू पर नजर न पड़ जाती तो पूरी तरह ल्नराश हो चली थी ।"
"क्या मतलब"
"मुल्श्कल से पांच ल्मनट बाद दरवाजा एक बार दिर खुला । इस बार ल्बज्जू बाहर आया । उसके चेहरे पर नजर पड़ते ही मेरी
सारी शंकाएं हबा हो गई । थोड़ा घबराया जरूर था वह मगर चेहरे पर कामयाबी की चमक थी । माहोल ही ऐसा था दक थोडी
घबराहट तो उस पर हावी होनी ही थी परन्तु चेहरे की चमक जता रही थीथा चाल्हए जो उसे-----, ल्मल गया था । इसका
मतलब ल्वनम्र रर मबंदू के बीच तीस ल्मनट में ही वह चुका था ल्जसके िोटु ओं की कीमत करोडों में थी ।
पहले ल्बज्जू ल्लफ्ट की तरफ़ वढ़ा दिर अचानक सीदढयों की तरि बढ़ा । मुडे लगा यह भी मेरी तरह खुद को सबकी नजरों से
ूु पाने की मंशा के तहत संदढयों का इस्तेमाल करे गा ।। मेरां हाथ जेब से पहुच गया । अपना काम करने के ल्लए पूरी तरह
तैयार हो चुकी थी । मगर तभी मैंने देखा ल्बज्जू नीचे जाने की जगह सीदढयों पर चढता चला गया । यह बात मेरी समड में
ल्बककु ल नहीं अााई । वह ऊपर क्यों जा रहा है । काम रत्म करने के बाद तो नीचे जाना चाल्हए था । उसके पीूे मैंने भी
जकदीसीदढयां ज़कदी- चढ़नी शुरू कर दी।। आठवें माले पर पहुंचकर _ देखा वह ल्लफ्ट नम्बर पांच की तरफ़ बढ रहा था । यदद
एक बार ल्लफ्ट में सवार हो जाता तो उसे मेरी पकड से दूर ल्नकल जाना था । इसल्लए तेज़ कदमों के साथ लपकी । ल्लफ्ट के
नजदीक पहुंचतेपर मुड । घूमा घबराकर । था चुका सुन आवाज की कदमों मेरे यह पहुाँचते- नजर पडते ही हैरान रह गया ।।
मुंह से ल्नक्ला'--“त'-तूयहां तू-?"
"काम तो हो गया ऐसा हुआ है दक हम करोडों नहीं अरबों कमा सकते हैं ।। क्या यहां तू -गुराधया वह बावजूद के होने खुश "
है रही कर?"
"घबरा मैं भी रही थी मगर घवंराने से सारे मंसूबों पर पानी दिर सकता था ।" माठरया कहती चली गई या समडने-सोचने--
मौका कोई उसे मैंने का जाने हो .सतकध नहीं ददया । ल्बजली की सी गल्त से अपना हाथ स्कटध की जेब से ल्नकाला । अगले पल
रे शमं की मजबूत डोरी का िं दा ल्बज्जू की पतली गदधन में था । उसके सारे चेहरे पर हैरानी के भाव थे । एक ही बात कह
पाया वह…"माठरया ये तू क्या कर’रही है?" मगर मुड पर तो जुनून सवार था । दोनो हाथों से रे शम की मज़बूत डोरी के दोनों
ल्सरे पिड़े कसती चली गई ल्वज्जू की आवाज उसके हलक में घूट गई चेहरा लाल सूखध हो गया । हैरत से फ़टी आखें कटोठरयों से
बाहर कू दने को तैयार थी । ल्बज्जू गमध रे त पर पड्री मूली की माल्नन्द िड़िड़ा रहा था । मगर कब तक? कब तक िड़िड़ता
वह ।। जकदी ही ढीला पड़ गया । रर जव मुडे यकीन हो गया वह मर चुका है तो एक साथ अपने दोनों हाथ रे शम की डोरी
से हटा ल्लए । ल्वज्जू की लाश 'र्ुम्म' की आवाज के साथ मेरे कदमों में ल्गरी ।कहकर इतना " माठरया चुप हो गई लम्बी-
मीलों जेसे यूं ।।। वहा थी रही ले सांसे लम्बी लम्बी रे स लगाने के बाद अभी। हो पहुची यहां अभी-
"मैंने मारा है? मतलब ! यह सब बताने के बाद यह सवाल पूूने का क्या रल्चत्य रह गया ?"
" यह सवाल नहीं पूू रहा, लोग पूू रहे है । मील्डया पूू रहा ।"
" स्टार प्लस पर न्यूज देखकर आ रहा हं नाटे ने कहाही के ओबराय पर उस "--- सोन ददखाए जा रहे थे । ल्बज्जू की लाश
ददखाई जा रही थी । हर तरफ़ एक ही सवाल थाहै दकया दकसने मडधर उसका----? पत्रकारों ाारा पुूू जा रहे इस सवाल का
पुल्लस के पासस कोई जवाब नहीं था है उस वि सोच भी नहीं सकता था । वह कारनामा तुम्हारा हो सकताहै ।"
"मगर दीदी ।कहा ने लड़की खूबसूरत "'----"ल्हम्मत बहुत की तुमने । दकसी की हत्या करना, यह भी सावधजल्नक स्थल पर
बहुत कलेजे का काम है ।"
"करना पड़ता है दिस्टीतो हो रहे चमक करोडों जब सामने ! ल्हम्मत अपने आप पैदा हो जाती है । वैसे भी मुडे मालूम था
पतलेमेरे में ल्बज्जू दुबले- मुकाबले कोई दम नहीं है । एक वार उसे दबोच लूंगी तो हजार कोल्शशों के बावजूद ल्गरफ्त से नहीं
ल्नकल सके गा । इस हकीकत ने भी मेरा हौंसला बढाया था ।"
"इसका मतलब तुमने अचानक उसकी हत्या नहीं कर दी ।"’ नाटे ने कहा'--"'बल्कक गई ही पूरा प्लान बनाकर थी । पहले
ही सोच ल्लया र्ा…उसे बहीं खत्म करके रील अपने कब्जे में कर लेनी है ।।
" कबूल कर चुकी हं रे शम की डोरी लेकर गई थी । क्या इसके बाद भी इसमें कोई शक रह गया दक मैंने जो दकया पूरी
योजना बनाने के बाद दकया ।"
"मगरउठाया क्यों खतरा का करने पर स्थल सावधजल्नक खात्मा उसका तुमने. . .?"
''मतलब ?"
"बाद में अथाधत अाागे चलकर दकसी स्पॉट पर वह भले ही तुम्हें आखें ददखाने की कोल्शश करता मगर जहां, तक मेरा ख्याल
हैही तुम्हारे सीर्ा से ओंबराय--- पास अााता । यहां । यहांतुम्हार यहााँ !ाे ल्लए उसका खात्मा करना ज्यादा आसान था इसके
मुकाबले तुम्हारे ाारा ओबराय की गैलरी चुना जाना"। . . .
" यह तुम्हारा ख्याल है नाटे, मेरा ख्याल ऐसा नहीं था । अगर उसकी हत्या यहां, अपने बेडरूम में करती तो सोचो सामने मेरे-
को लाश उसकी समस्या अगली ठठकाने लगाना होती । उसे अगर मेरे पास अााते कोई देख भी सकता था । उसके गायब होने
पर इस बात को उड़ने से मैं रोकउसे मे अंत सबसे दक थी सकती नहीं- माठरया बार में देखा गया था । वह खबर "उडती"
थी सकती पहुचा तक मुड को पुल्लस । जबदक अब न तो मेरे सामने उसकी लाश को ठठकाने लगाने की समस्या है । न ही
पुल्लस के मुड तक पहुंचने का खौि ।"
"ऐसा ही सही ।िू ले गाल । था चोडा ज्यादा से लम्बे चेहरा ल्जसका हंसा बह " हए । माथा ूोटा । नाक गोभी के पकोड़े
जैसी रर कान ूोटेआंखें । ूोटे- सामान्य मगर भवे बेहद घनी थी । ऐसी दक चेहरे पर वे ही वे नजर अााती थीं उसके हाथ
पैर बाकी शऱीर की तरह ूोटे। थे ही ूोटे-
कु ल ल्मलाकर उसे एक बदसूरत शख्स कहा जा सकता था । जबदक दिस्टी उसके ठीक उलट थी ।।
पांच िु च पांच इं च लम्बी । गदराए ल्जस्म बाली । गोरी । सुतवां नाक कमानीदार भवें । पतले होठ ।। चोडा मस्तक रर खुले
बाल कं र्ों पर िै ले हुये थे ।।।
मगर थे ।
भगवान ही जाने कै से ।।
कु ू देर खामोशी के बाद नाटे ने कहा'-…-"इसका मतलब करोडों उगलने वाले िोटो अब तुम्हारे कब्जे में है " !
"करोडों की क्या ल्बसात है ।"। हैं सकते कमा अरबो तो ले काम से होशयाऱी"--कहा ने माठरया "
"ऐसा?''
" कोई भी अरबपल्त शख्स खुदको बदनामी से बचाने के ल्लए करोडो तो खचध कर सकता है, अरबों नहीं?"
" माठरया ने रहस्यमय मुस्कान के साथ कहा"-'िा'सी से बचने के ल्लए तो कर सकता है ।"
"आएगी ।बत बात पूरी मैं जब "----ददया जोर पर शब्द एक-एक अपने उसने "ाा चुकूगी तो आ जाएगी ।"
नाटे ने उसे ध्यान से देखा । कहा"साल्हबा। लीसा हो जारही होती रहस्यमय तुम अब"-----
"यह पूूो बुलाया क्यों ही को दोनो तुम मेने"---?" माठरया मुस्काई ।
"वाकई सवाल ऐसा है जो मेरे ाारा कािी पहले पूू ल्लया जाना चाल्हए था । जब सब कु ू तुमने अके ले इतनी सिाई से
ल्नपटा ल्लया है । पुल्लस के भी यहां पहुचने की कोई उम्मीद नहीं है । तो अरबों की होने वाली कमाई में शाल्मल करने के ल्लए
हमें क्यों बुला ल्लया? आगे का काम भी तुम अके ली ही ल्नपटा सकती थीं ।"
"दिस्टी मेरी बहन हैतु ह करती प्यार । बहनोई तुन !मसे । सोचा"------ मैं अमीर बनने बाली हं तो तुम्हें भी अमीर होना
चाल्हए ।। एक बार दिर कहंगीअके ली मुड दक है वाला ल्मलने इतना माल तो ल्लया काम से होल्शयारी अगर- की तो बात ही-
जीवन सारे से हाथो हजार-हजार अपने ल्मलकर तीनों । दो ूोड़ लुटाते रहैं तब भी खत्म नहीं होगा । नाटे, दिस्टी मेरी ूोटी
वहन है । ूोटी बहन वेटी समान होती है । एक मां की तरह मैंने भी यह सोचाहाल्सल मुड---
े होने वाली रकम में मेरी वेटी
रर 'दामाद' का भी ल्हस्सा है । इसल्लए तुम दोनो को बुलाकर सारी बातें बताई । मैंने गलत तो नहीं सोचा?"
"वह क्या?"
मुडे लगा के ।। सकुं गी सम्भाल नहीं अके ली मैं शायद । है वड़ा दाज्या बखेड़ा-
"मुडे तो नहीं लगता ऐसा ।। ल्जसमें सावधजल्नक स्थल पर मडधर कर देने की ल्हम्मत है उसके करने के ल्लए आगे अब बचा ही
क्या है?
ब्लेकमेल ही तो करना है ल्वनम्र को"। जाएगा हो तैयार को नेदे रकम मुहमांगी ही देखते िोटो अपने साथ मवंदक
ु ै वह !
"बात इतनी"। अााता नहीं ख्याल का बुलाने तुम्हें में ददमाग मेरे शायद तो होती सी-
"क्या पहेल्लयां बुडा रही हो साली साल्हबा । मेरी समड में कु ू नहीं आ रहा ।।"
"समडाती हं । सुंड की हाथी रर उठी से सोिे वह साथ के कहने " जैसी टागों के ऊपरी ल्हस्से पर मौजूद तरबूज जैसे
'कू कहों' को मटकाती स्टोर की तरि बढ़ गई ।। स्टोर का दरवाजा खुला होने के बावजूद दिस्टी रर नाटा देख नहीं पा रहे थे
वह अंदर क्या कर रही है ?"
दोनों की नजरें ल्मली ।
पहला ही कश ल्लया था दक माठरया स्टोर से बाहर ल्नकलती नजर अााई । उसके हाथो में कु ू िोटो थे । दिस्टी रर नाटा
समड गए िोटो वही हैं ल्जनके ल्लए ल्बज्जू को वेकुण्ड यात्रा पर रवाना होना पड़ा ।।।
सबसे ऊपर वही ाँ िोटो था ल्जसमे ल्वनम्र मबंदू की गदधन दबाता नजर आ रहा था । "
"अरे । मुंह के नाटे रर दिस्टी शब्द मात्र एक यह हुआ चोंकता तरह बुरी " से एक साथ ल्नकला । वरवस ही दोनों के हाथ
िोटो उठाने के ल्लए टेबल की तरि लपके मगर कामयाब नाटा हुआ ।। वह ज़कदीचला देखता िोटो एक बाद के एक जकदी- जा
रहा था । दिस्टी उस पर डुकी हुई थी । दोनों की हालत ऐसी हो गई थी जैसे िोटोओ को देखकर माठरया की हुई थी । उस
माठरया की जो अब उस सदमे उबर चुकी थी ।।।
ल्जस सदमे से दिस्टी रर नाटा गुजर रहे थै । वे अभी िोटु ओ में ही घुसे थे जबदक माठरया नई ल्सगरे ट सुलगाने के बाद
इत्मीनान से सामने वाले सोिे पर बैठती हुईं वोलीको िोटु ओ इन "- देखने के बाद मुड पर यह भेद खुला दक ल्वनम्र तीस
ल्मनट बाद सुईट से क्यो ल्नकल अााया था? तुम समड सकते होनहीं वह में ल्मनट तीस के वल बीच के अजनल्बयो दो---- हो
सकता ल्जसके ल्लए ल्वनम्र को वहां वुलाया गया था, मगर यह हो सकता है जो हुआ, ल्जस की गवाही ये दे रहे हैं ।"
“िहै ाँ रहे कह यह तो िोटो-…ल्बनम्र ने मबंदू की हत्या कर दी । रर खा ल्हचकोले बीच के हैरानी रर खौफ़ लहजा का दिस्टी "
था।
" मगर क्यों?'' नाटे ने सवाल उठायामवंदू ने ल्वनम्र"- की हत्या क्यों की?"
"हमारे पास के वल िोटो हैं । वील्डयो दिकम नहीं । वह होती तो शायद हत्या का कारण भी बता सकती थी या ल्बज्जू बता
सकता था । उसने इन दोनों के बीच होने वाला वाताधलाप सुना होगा मगर वह भी हमारे पास उपलब्र् नहीं है । कई बाते ऐसी
होती है ल्जनका अथध हमारी समड में तब नहीं जाता जब वे कही जाती हैं मगर बाद में समड आ जाता है । एक ऐसी बात
ल्वज्जू ने मरने से पहले कही थी । उसने कहा थासकते कमा अरबो नहीं करोडों हम दक है गया हो ऐसा है होगया तो काम---
हैं ।' उसके वाक्य का अथध उस वि मेरी समड में नहीं अााया था मगर िोटु ओं को देखते ही आ गया । ल्वनम्र के सामने अब
समस्या बदनामी से बचने की नहीं, िांसी से बचने की है ।"
"यह सवाल ल्जसके ल्लए महत्वपूणध होगा होगा । हमारे ल्लए इसकी कोई अहल्मयत नहीं है । हमारे ल्लए इतना कािी है उसनें
हत्या की है । सबूत हमारे पास हैं । उसे मुहमांगी कीमत देनी होगी ।"
"मगर ।में मल्स्तष्क के नाटे " मानो अचानक अणुबम िटा रर यह अणुबम ऐसा था दक ल्जसके प्रभाव से ग्रस्त वह मुह से
'मगर' के अाागे एक भी लपज नहीं ल्नकाल सका ।। चेहरे पर ऐसे भाव थे जैसे जहन दकसी न समड में अााने वाले चिवात
में ल्र्र गया हो ।
कु ू देर तक माठरया रर दिस्टी उसके बोलने का इं तजार करती रहीं है जब कािी इं तजार के बाद भी नहीं बोला तो
'ल्जज्ञासा’ के जाल में िं सी माठरया को पूूना पड़ाहो चाहते कहना क्या"---?"
माठरया उूल पडी हो रहे कर बात क्या क "--ल्नकली हक्लाहट से मुंह !!?”
"तुम कै से कह सकते हो?" माठरया की हवा शंट थीतुम मतलब मेरा"---हें कै से फ्ता?"
ल्वनम्र , नागपाल, गोडास्कर रर होटल स्टाफ़ के कई कमधचारी सुईट में दाल्खल होते ददखाए गए थे । सुईट के अंदर से भी
खूब अछूी तरह ददखाया गया ।"
" ककै से-?" माठरया का जहन हवा हुआ जा रहा थाऐसा है सकता हो कै से"---?"
"रहस्य समड में नहीं आ रहा'--अगर बहााँ कोई मडधर नहीं हुआ तो ये िोटो कहााँ से अाा गए? िोटो सीे हैं तो लाश कहााँ
गई ? पुल्लस को ल्मली क्यों नहीं? िोटो तो डूठे हो नहीं सकते । इसका मतलब रात ही रात में लाश गायब कर दी दकसने
दकया होगा ऐसा? ओंर क्यो? मामला अब रर ज्यादा पेचीदा होता जा रहा है माठरया । वाकई नहीं इसे अके ली तुम !!!
ऐसा तो अब बल्कक थी सकती सम्भाल लगरहा तीनों ल्मलकर भी सम्भाल सकें तो बड़ी बात होगी । हां, याद आया गोडास्कर-
। मोती का लामा की मबंदू । है ल्मला मोती एक से वहां को ल्बककु ल ऐसा ।पर टेबल सेन्टर िटो बह उसने साथ के कहने "
डाल ददया । ल्जसमे मबंदंू की लाश के पास मोती ल्बखरे हुए थे । पुनमें इन्हीं उसे"------बोलना : से कोई मोती ल्मला है ।"
"क्या मतलब?"
"बहुत से सवालो के ज़वाब भले ही न ल्मल रहे हो मगर बात समड में अाा चुकी है । " माठरया कहती चली गई लाश "---
क्यों रर दकसने ऐसा । गई की गायब से सुईट दकया? यह रहस्य बाद में खुलेगा ।"
"कौन कह सकता है खुलेगा भी या नहीं ?? बहुत से रहस्य पुल्लस िाइल में दबे रह जाते हैं ।"
"मेरा पड चुका है ।' माठरया ने कहा वह बार एक"----'बार' में अााया था । तब जब 'वार' में दो शराल्बयों का डगड़ा
हुआ । एक ने दूसरे को गोली मार दी । वह मर गया । अपने हवलदार के साथ गोडास्कर अाा र्मका है तब तक हल्तयारा भी
वार में ही था । मगर वह अके ला नहीं था । करीब बीस कस्टमर थे । उसने पूूा"-- दकसने की यह हत्या?" दकसी ने जवाब
नहीं ददया । जवाब देने का मतलब था जग्गु के कहर का ल्शकीर होना । हत्यारा जग्गू ही था । रर जग्गू से कोई पंगा नहीं ले
सकता था।इसल्िए कोई कु ू नही बोला । खुद जग्गू को बोलने की क्या जरूरत थी? गोडास्कर को जव बार भी पर पूूने बार-
ल्मला नहीं जवाब का सबाल अपने तो उसने एक मेज पर रखी कोकड मड्रंक उठा ली । उसे पीने के साथ सबको लाइं न में खडे
होने का हुक्म ददया । कस्टमसध लाईन में खड़े हो गये । उन में जग्गु भी था । गोडास्कर ने लाईन के एक ूोर से दूसरे ूऱ की
तरि बढ़ना शुरु दकया । वह हरे क को अपनी नीली अााखों से गोर से देखता चला जाने के अलाबा रर कु ू नहीं कर रहा था
। जग्गू के सामने पहुंकर ठठठका । उसका ल्गरे बान पकड़कर लाईन से बाहर खींचता हुआ गुराधया"हत्या। की तूने"-- मैं आज तक
नहीं समड पाई बीस लोगों में से उसने जाग्गू को कै से पहचान ल्लया था? मैं नहीं समडती ऐसे खूंखार इं स्पैक्टर से यह बात
ज्यादा ददनो तक ूू पी रहेगी दक मबंदू की हत्या हो चुकी है । मैरे ख्याल से तो न ल्वनम्र ज्यादा ददन तक उसके पंजे से बचा रह
सके गा, न ही लाश गायब करने वाला है सारे रहस्यों पर से वह जकदी ही पदाध उठा"। देगा-
"अगर ल्वनम्र एक बार गोडास्कर ाारा ल्बदूकी हत्या के इकजाम में पिड़ा गया तो उससे, इन िोटु ओं का हमे 'र्ेला’ भी नहीं
ल्मलेगा ।चला कहता नाटा " गयाह तक तभी कीमत इनकी भी ल्लए के ल्वनम्र रर भी ल्लए हमारे "----ाै जब तक पकडा न
जाए । 'बचने' के ल्लए ही तो रकम देगा वह । तब क्यों कु ू देगा जब समड चुका होगा बच नहीं सकता है''
माठरया ने कु ू कहने के ल्लए मुह खोला ही था दक कमरे के बंद दरवाजे पर दकसी ने दस्तक दी । यह दस्तक वतधमान माहौल
में माठरया को ल्बककु ल पसंद नहीं आई । गुस्सा आ गया उसे । डकलाकर ऊंची आवाज पूूा है कौन "---?"
दरवाजे के उस पार से कहा गया"। गोडास्कर---
" गोडास्कर के ल्वशाल कू कहे ओबराय के ठरलेशन के पीूे पडी कु सी के दोनों हत्थों के बीच िं से पड़े थे । अपनी टांगे उपर
उठाकर उसने पैर जूतों सल्हत काउन्टर पर िै ला रखे थे । आराम की उस मुद्रा में बड़े मजे से अमरूद खाने के साथ काउं टर पर
रखे कम्यूटर से कनेल्क्टड की बोडध से खेलने में व्यस्त था । होटल स्टाफ़ के मुख्यमुख्य- लोग अदधल्लयों की तरह चारों तरि खडे
थे । कािी देर की खामोशी के बावजूद जब गोडास्कर कु ू बोलने की जगह की।। रहा खेलता से बोडध -
तो मैंनेजर को कहना पड़ा--'मेरी समड में नही आ रहा इं स्पेक्टर, अााप 'होटल के चप्पे चप्पे की तलाशी क्यों ल्लवा रहे
हैं?"
स्िीन पर नजर गडाए गोडास्कर बोंलारहा अाा नहीं ये में समड की गोडास्कर रर"---, गोडास्कर के इस कृ त्य से तुम्हें
परे शानी क्या है ?"
"होटल में ठहरे हमारे कस्टमसध ल्डस्टबध हो रहै है ।ने मैंनेजर " कहा वहुत व्यवसाय हौंटल । इं स्पेक्टर चाल्हए नासमड आपको"--
। है होता नाजुक कस्टमसध ल्डस्टबध होगे तो वे क्यों रहेगे यहां? शहर में रर ढेरों होटल है । इस तरह तो हमारा ल्बजनेस
चौपट…
"पूरे शहर की कानून व्यवस्था चौपट हो जाने के मुकाबले तुम्हारा ल्बजनेस चौपट हो जाना बेहतर है ।"
“मगर क्यों इं स्पेक्टर?" उसने कहा-----लगे तो पता"--' क्यो पूरे होटल की तलाशी ल्लवा रहे है?"
"जो ल्मल चुकी, सो ल्मल चुकी । गोडास्कर को उसकी तलाश है जो ल्मलनी चाल्हए मगर ल्मल नहीं रहीं । के चबाने अमरुद "
हो रहा कह जो चाहे ही भले वह से मुंह साथ मगर आंखें कम्यूटर स्कीन पर नजर आ रहे होटल में ठहरे कस्टमसं के ठरकाडध पर
ल्स्थर थी ।
"कहवाइं यां पर चेहरे के मैनेजर "।। अााप हैं रहे कर बात क्या- उड़ने लगी थी है मतलब आपका-अ --होटल में एक रर
लाश होनी चाल्हए ?"
" हां । कु ू ऐसा ही ख्याल है गोडास्कर काथा कहा ही पहले ने गोडास्कर !, सुनकर तुम्हारा हाटध िे ल हो सकता है । खैर ।
वो हुआ नहीं ।
डटका डेल गए तुम । गोडास्कर की तरि से मुबारकबाद कु बूल िरमाओ ।"
"मोहतरमा ।खडी नजदीक ने गोडास्कर पहले से होने पूरी बात उसकी " ठरसेप्शल्नस्ट से पूूा--“ये रूम नम्बर सेल्बन जीरो
सेल्वन्टीन का क्या चक्कर है?"
"तुम्हारे ठरकाडध के मुताल्बक यह रूम रात के दस बजकर पैतीस ल्मनट पर शुरू हुआ । स्कीन कम्यूटर ने गोडास्कर खाते अमरूद "
साथ के करने इशारा तरि की कहा----“ग्यारह बजे अमरमसंह नाम का कस्टमर काउन्टर पर अााया । चाबी ली रर रूम में
चला गया । रर दिर बारह बजकर तीस ल्मनट पर आऊट चॉक"' भी कर गया ।।।
यानी कमरा ूोड़ गया । मतलब यह कै क्ल डेढ़ घंटा रूम में रहा । इस डेढ घंटे में रूम में कोई सर्वधस नहीं की गई दकराया
अमरमसंह नाम के इस शख्स ने पूरी रात का ददया है । कै श ।"
"हां इं स्पेक्टर साहब ।------कहा ने ठरसेप्शल्नस्ट "''यह सब लगा मुडे भी अजीब था ।"
"अजीब से मतलब?
"आप जानते होंगे दक दकसी भी कस्टमर ाारा एक बार कमरा लेने पर कोई भी होटल उससे कम से कम चौबीस घंटे का
दकराया लेता है । भले ही कमरे में रहा वह एक घंटे ही हो । हालांदक ऐसे कस्टमर बहुत कम आते है मगर दिर भी कभी कभी-
जाते आ है । आमतौर पर हम उनसे कम समय रहने का कारण नहीं पूूते । पूूने का कोई हक भी नहीं है । हमें । वह पूरा
दकराया दे रहा है । बात खत्म । हमे उसके जकदी जाने से क्या लेना-?"
"दकतनी बडी?"
गोडास्कर ने सीर्ा सवाल दियासकती अाा लाश उससे क्या"-- थी ?" "
''गोडास्कर के कहे को समडने की कोल्शश करना ूोडो मोहतरमादो जवाब उसका--है पूूा जो !, क्या अटैची इतनी वड़ी थी
दक उसमें लाश आ सके ?"
"है भगवान ।। थी लाश सचमुच उसमे क्या"---गया पड़ पीला चेहरा का ठरशेप्सल्नस्ट "
" हां । बड़ी तो वह कािी थी ।तर की वेटर एक वह....... रर "फ़ घूमी । आवाज में खौि रर ल्जज्ञासा थी…“वदनमसंह्र
तुम्हें याद है न । तुम उस अटैची को उठाना चाहते थे, उसने इं कार कर ददया था ।"
"बदनमसंह । कु सी समेटकर से काउन्टर पैर अपने ने गोडास्कर "से नीचे लटका ल्लए…"क्या मोहतरमा दुरुस्त िरमा रही हैं?"
"हां साब ।थी रही कांप भी उसकी आवाज "…"हुआ तो था ऐसा ।"
"कै सा ?"
"मेरी तो डू यूटी ही यह है साब ।उसे जैसे गया चला कहता तरह इस बदनमसंह " अपने ही िस जाने का डर हो "-----
र सामान उसका पर जाने के कस्टमराुम में पहुंचानाउस कोल्शश यही !पहुंचाना तक टैक्सी बाहर के गेट मेन पर आउट चॉक !
वि भी की थी मगर उसने इं कार कर ददया । कहा ले खुद मैं !दो रहने -- जाऊंगा।"
"उसके बाद?"
"मैं क्या कर सकता था? कोई जबरदस्ती तो थी नहीं, मगर ऐसे कस्टमर हमारे होटल में इवका दूक्का ही हैं । सामान का वजन
चाहे एक दकलो ही हो उठाना हमें ही पड़ता है ।, मगर उसने तो अटैची को हाथ तक नहीं लगाने ददया । उसमें पल्हये लगे थे
। उसे उन्हीं पर चालाता गेट से बाहर ले गया ।
गोडास्कर ने उत्सुिापूबधक पूूातुमने दकया महसूस क्या"----? क्या अटैची वजनी थी?"
" नहीं साब, जब बह आया था तब तो उसमे कोई खास वज़न नहीं था बल्कक मेरे ख्याल से तो खाली ही थी ।"
"क्या मतलब?"
"यानी अााते बि उसने अटैची को टैक्सी ड्राईवर को भी हाथ नहींददया लगाने .?"
" ऐसा ही हुआ था साब । ल्बककु ल ऐसा ही हुआ था ।"
ठरसेप्शल्नस्ट बोलीदकस जब दक है यह होता पर आमतौर सर "-----ाी कस्टमर को चॉक आऊट करना होता है तो वह रुम ही
से ठरसेप्शन पर िोन करके एकाऊन्ट बनाने रर सामान उठबाने के ल्लए वेटर को रुम में भेजने के ल्लए कहता है । मगर
अमरमसंह ने बैसा कु ू नहीं दकया। आया यहााँ सीर्ा सल्हत अटैची बजे बारह साढे बह ! बौलाचॉक मैं । दो वना एकाऊन्ट"--
आऊट कर रहा हं "! है भगवान । अब उसकी हर हरकत अलग ही नजर आ रही ।"'
"पक्का हो गया सर । होगया पक्का ! उत्साह से भरा प्रसाद खत्री कह उठा "-- दिकम का नाम याद नहीं आ रहा मगर ऐसा
सीन दकसी दिकम में मैंने देखा ज़रूर है । एक शख्स खाली अटैची लेकर होटल में आया रर एक लाश को उसमे कं चरे की तरह
भरकर चला गया दकसी को भनक तक नहीं लगी दक अटैची में लाश है । ठीक ऐसा ही हआ होगा । वह खाली, अटैची लाया
रर उसमें लाश भरकर ले गया है "!
गोडास्कर उसकी बात पर ध्यान ददए बगैर ठरसेप्शल्नस्ट ओर बदनमसंह से मुखाल्तब होता बोला को अमरमसंह तुम क्या"----
हो सकते पहचान?" दोनों ने एकको दूसरे- देखा, दिर एक साथ कहा"। सर हां "----
"रल्तराम ।। "
" अभी लाया सर ।। गया चला दौड़ता तरफ़ की ाार मुख्य वह बाद के कहने "
"एक रर ऐन्री गोडास्कर का ध्यान अपनी तरि खीच रही है।उसकी वि कहते" नीली आंखे कम्यूटर स्कीन पर ल्स्थर थीं रुम---
। की थटीन जीरो सेल्वन नम्बर ये रूम शाम को पांच बजे दकसी दकशोर साहनी ने ल्लया रर अमर मसंह के लगभग पीूे ही
होटल से चला गया । "
वे चार एलबम थीं । चारों काउन्टर पर रख दी । गोडास्कर ने ठरसेप्शल्नस्ट रर बदनल्स'ह से कहाको िोटो एक-एक"-- ध्यान
से देखोकी साहनी दकशोर रर अमरमसंह ! पहचानने की कोल्शश करो ।से में िोनों कई रखे पर काउन्टर उसने साथ के कहने "
एक का ठरसीवर उठाया । वह नम्बर ल्मलाया ल्जसके जठरए रूम नम्बर सेल्बन जीरो सेल्वन्टीन बुक कराया गया था ।
पता लगा नम्बर पी .ओं . सी. का था ।। जब गोडास्कर को यह पता लगा'-…-पीबाहर के ओबराय .ओ . सी .' सडक के
ठीक सामने है तो होठों पर कामयाबी की मुस्कान िै ल गई दुसरा िोन दकशोर साहनी के नाम के सामने ल्लखे नम्बर पर ल्मलाया
। पता लगा'--टेलीिोन नम्बर ही नहीं, दकशोर साहनी का पता भी 'िाकस' है । ठरसीवर वापस रखते वि उसने मेनेजर से
कहा'-…“पेघ खुलने शुरू हो गए है ल्मस्टर मेनेजर । न दकशोर साहनी का असली नाम दकशोर साहनी था, न ही अमरमसंह का
नाम अमरमसंह । दोनों कमरे फ़जी नामपतों- के साथ बुक कराये गए थे रर इतनी बात तो तुम्हारी बुद्धी में भी आती ही होगी
दक जब िजी नाम के कमरे बुक कराए जाते हैं तो बुक कराने वाले का कनेक्शन 'गड़वड़ेशन लगाना ये पता अब । है होता से "
नाम असली इनके दक है क्या थे?"
"यतरि उस ध्यान सबका । उठा कह नमसंहबद देखता एलबम "! शख्स वह था ये-ये- आकर्षधत हो गया । ल्जस िोटो पर
उसने उं गली रख रखी थी उसके नीचे 'मनसब' ल्लखा था । गोडास्कर की नीली आंखों में जुगनू से जगमगा उठे । अमरुद में एक
रर बुड़क मारा उसने ।।। जबड़ा जुगाली करने बाले अंदाज में चलाता बोला…"कौन है ये…अमरमसंह या दकशोर साहनी?"
"यानी अमरमसंह?" गोडास्कर ने ठरसेप्शल्नस्ट की तरि देखाहो कहती क्या तुम "----?"
" बदनमसंह ठीक कह रहा है । या है रही कर ठीक वह करके "ल्शनाख्त" दक हो रही पा न समड जैसे कहा तरह इस उसने "
गलत?
"वैरी गुड ।" गोडास्कर का मुह अब कािी तेजी से चलने लगा थादेखो रर-, मुमदकन है दकशोर साहनी भी इसी में ल्मले ।"
गोडास्कर ने एक बार दिर ठरसीवर उठाया । एयरपोटध की इन्कवायऱी पर िौन दकया । अपना पठरचय देने के बाद चेन्नई"--
वेरटंग में फ्लाईट की रात वाली जाने नम्बर टु वेन्टी िाईव के कस्टू मर का नाम क्या था ? जबाब ल्मलांसे फ्लाईट"- िू ल अााई
थी । यहां से कोई यात्री प्लेन में नहीं चढा रर वेरटंग नम्बर टु वेन्टी िाईव तो ठटकट भी इं शू नहीं दकया गया ।'
जवाय सुनते ही गोडास्कर ने ठरसीवर िे ल्डल पर रखा रर मैंनेजर से कहाहोटल"------- की तलाशी ले रही पुल्लस टु कडी को
खबर पहुचा दो दे कर बंद सचध-------।
मैनेजर तो चाहता ही यह था । उसने िोरन अल्सस्टेन्ट मेनेजर को 'सचध टु कडी’ के पास जाकर गौडास्कर का हुक्म सुनाने के
ल्लए कहा।
"नहीं। कहा हुए देखते एलबम अंल्तम ने बदनमसंह "। है नहीं इनसे आदमी दूसरा "!
"मतलब वह सिे दपोश था ।एलबम पुल्लस अभी जो सिे दपोश एाेसा वडबड़ाया गोडास्कर " तक नहीं पहुच सका है।। खैर वहुत
जकद गोडास्कर उसे भी एलबम में पहुचा देगा "
"इं स्पेक्टर ।---कहा ने जरमेने "“इजाजत दे तो मैं आपसे एक बात पूूू ?"
"ूोडो मैनेजर" जाएगा। हो िे ल हाटध ही तेसुन हं जानता हैं नहीं ल्बस्कू ल का ल्गराने लाश रर एक यहााँ इरादा का गोडास्कर .
तभी बहां दौलतराम आगया । गोडास्कर का मुंह चढा । उसने सैकयूट मारा । गोडास्कर ने डांटाबे क्यों"----, यहां सब काम में
लगे हैंकहा तुम ! मटरगश्ती मार रहा था?"
" कहां?"
" यह पता लगाने के ल्लए दक यहााँ से पहले ल्बज्जू को कहााँ देखा गया ?"
" क्या पता लगा ?"
दौलतराम ने कहा "। पास के माठरया ।।।। में बार माठरया " ----
होश िाख्ता ।।
मारे खौि के थरथर कांप रही दिस्टी के मुंह से ल्नकला गोडस्कर "-- यहां कै से पहुंच गया ?"
"तुम कह रही थी वह यहां पहुाँच ही नहीं सकता ?" नाटे की रूह िना थी ।
रर माठरया।
बेचारी माठरया ।
उसे खुद समड नहीं अाा रहा था वह आफ्त कहााँ से टपक पड़ी ?
परन्तु ।
‘क्या हुआ मोहतरमा ।?" वही अवाज पुंनं उभरी…" गोडासक़र का नाम सुनकर सांप सूंघ गया क्या ?
नाटे ने लपककर सेंन्टर टेवल पर िै ले िोटो समेटे । हइबड्राहट वाले अंदाज मैं¸ उसे ूू पाने के ल्लए चारों तरि नजर दोडाई ।।
"यहां यहां ।।। ददया उठा कोना एक का क्लीन ल्बूे पर िशध ने दिस्टी हुई िु सिु साती "
मगर नहीं ।
" नाटे ने िोटो वहााँ नहीं ूू पाए । शायद ज़गृह ज्यादा सुरल्क्षत नहीं लगी थी ।
िोटों उसने सोिे की दरारों में हाथ डालकर अस्टर के पीूे ठूं स ददये !!
गोडास्कर की आवाज पुन-उभरी :“क्या बात है माठरया डार्लधग क्यों देरी इतनी में खोलने दरवाजा !?"
माठरया ने डपटकर उसकी बांह पकडी । िू सिु साई नहीं अभी "--- ।"
माठरया लपकती हुई स्टोर मे पहुंची सारे ल्नगेठटव उठाकर वक्षस्थल ने ठूं से । पानी की रै ल्लए भागती बाथरूम में गई सारा पानी
बाशवेल्सन में डाला । रै एक तरफ़ िें की । वापस रूम में जाकर दरवाजा खोलने का इशारा दकया ।
तभी, नाटे की नजर माठरया के वक्षस्थल से डांक रहे ल्नगेठटव के कोने पर पडी । नाटे ने आगे बढ़ कर हाथ से उसको अंदर
कर ददया । तो माठरया उसकी हरकत पर सकपका गई घी ।
उर्र, दिस्टी दरवाजे के नजदीक पहुच तो गई मगर उसे खोलने का साहस नही ाँ कर सकी ।
ददमाग में ख्याल कौर्ासामने उसके ही खोलते दरवाजा -, ठीक सामने गोडास्कर खड़ा होगा ।
वही क्यों?
वह पीूे हट गई ।।
इस बार दरबाजा भड़भड़ाया गया । साथ ही गोडास्कर की आबाज़ उभरी"। लगेंगे ल्मनट दो में तोड़ने दरवाजा कों गोडास्कर"-
दिस्टी को 'पस्त' होती देखकर नाटा लपका । ' एक डटके से दरवाजा खोल ददया उसने । साथ ही चीखा क्या "-- चीखा-
......मुसीबत
रर बस । ।
जैसे दरवाजा खोलने से पहले ल्वककु ल न जानता हो दक खटखटाने वाला 'पुल्लल्सया' है । मुह से हैरत में भरी
आबाज ल्नकली ।
चेहरे पर हैरत के भाव ल्लए वह गोडास्कर को देखता रह गया था । उस गोडास्कर को जो दरवाजे पर खड़ा सडक कू टने वाला
इं जन। था रहा लग सा-
मूली खा रहा था बह ।
जबड़ो को चलाता हुआ अपनी नीली आंखी से नाटे को इस तरह देखता रहा जैसे ल्चल्डयाघर के ल्पजरे में लंगूर को देख रहा हो
।
मुली मचंगलाते गोडास्कर ने नाटे के बाद माठरया को घूरा , उसके बाद दिस्टी रर दिर उसकी नीली आंखें सारे कमरे का
ल्नरीक्षण करने लगी ।
ूू पाने की लाख चेष्टाओं के वावजूद घबराहट उनके चेहरों पर कब्जा जमाए हुए थी ।।।
मूली का अंतीम ल्सरा मुहं में ठूं सने के बाद पिे टेवल पर डालते गोडास्कर ने पूूा खाने के ल्लए कु ू है?"
"कनहीं क्यो-?"खुद को नोमधल दशाधने की लाख िोल्शशो कै बावजूद माठरया का लहजा कांप रहा था-“कआप खाएंगे क्या-?"
वैसे तो गोडास्कर के नांम पर पूरा का पूरा आदमी 'गटक' सकता है , मगर दिलहाल वह खा लुंगा जो आप प्यार से
ल्खलाएंगी ।"
माठरया को लगा अगर वह बोलने की कोल्शश करे गी तो मुंह से साि लफ्ज नहीं ल्नकल सकें गे । अतः कु ू भी कहने के ल्वचार
को स्थल्गत करके दफ्रज की तरि बड़ी । महसूस दकयादफ्रज ।। थीं रही कांप बावजूद के होने सी सूंड की हाथी टांग--
े से वे रै
उठाई ल्जसमें ू :सात पेस्री रखी थी । पूरी रे गोडास्कर के सामने टेबल पर लाकर रख दी ।।
दिर ।।
वह इस तरह पेस्री में 'मग्न' हो गया जैसे कमरे में अपने अलावा दकसी अन्य की मौजूदगी से पठरल्चत ही न दो । उसकी
हरकत माठरया, दिस्टी रर नाटे को "दहशतकु ू भी तव रर ली उठा पेस्री वैरी उसने जब । थी रही दे डु बोए में " नहीं
बोला तो पागलसकते जान हम क्या "--- ल्लया ही पूू ने माठरया चुकी सी सी- हैं, आप यहां क्यों आए हैं । "
"यूंही ।आज "--कहा ने गोडास्कर खाते पस्री " कोई खास काम नहीं था न तो सोचा…क्यों ना माठरया डार्लधग के बार मैं ही
टहला जाए ।"
"रर दिर, तुम्हारा यह कै मरा भी तुम तक पहुचाना था । रख पर टेबल सेन्टर ल्नकालकर कै मरा से जेब उसने साथ के कहने "
। ददया
" कक-ाैमरा?" माठरया ल्चहुकी । चौकने का कारण थाबात इस मगर था का उसी कै मरा- को भला वह कबूल कै से कर सकती
थी अतः लहजे को ल्स्थर रखने की कोल्शश के साथ बोली"----'मकै मरा मेरा-?"
"न"। नहीं-
"यही । यही" उसने "' पर जोर ददया।। को गोडास्कर अब पडेगा सोचना तो यही "--- अल्खर क्यों डूठ बोल रही हो तुम ।
कै मरा सार्रण नहीं है । अंर्ेरे तक में िोटो खींच सकता है । कीमत एक लाख रूपये है । भला कोई क्यों अपने एक लाख रुपये
के कै मरे को अपना होने से इं कार करे गा । "
"अजीब बात कह रहे हैं अााप । मैं कह चुकी हैं। है नहीं मेरा कै मरा---
"मुसीबत ही ये है डार्लंग ।साथ के करने खत्म पेस्री चौथी ने गोडास्कर " कहा उसी ठीक साला डूठ से सामने के गोडास्कर---
तरह उसी 'ल्सर पर पेाैर' रखकर भागता है जैसे शेर के सामने से ल्हरन ।"
"क्या मतलब?"
"ऐसा कै मरा अभी इं ल्डया में नहीं पाया जाता । ल्जसे चाल्हए, बाहर से 'अाायात' करना पडता है । आयात हुई चीज पर
कस्टम डू यूटी लगती है इस पर भी लगी । जापान से मंगाया गया था इसे रर कस्टम ठरकाडध के मुताल्बक मंगाने वाली थी तुम
। ठरकाडध में तुम्हारा पूरा नाम"। हा ल्लखा नम्बर का कै मरे इस रर पता-
माठरया के होश उड गए ।
माठरया की 'बेवकू िी' पर डूंडलाकर रह गए वे । भला नम्बर एक के कै मरे को- अपना कु बूल न करने की तुक ही क्या थी?
माठरया को भी गलती का एहसास हुआ । मुंह से के वल इतना ही ल्नकल सकाल्मला से कहााँ आपको कै मरा यह-य"---?"
"दीदी ।बढकर आगे ने नाटे " कहाथा कहा ही पहले मैंने"-… पुल्लस से डूठ बोलने की जरूरत नहीं है ।"
माठरया रर दिस्टी चौकीं। उनकी समड मे नहीं आया नाटा क्या कहना चाहता है ।
गोडास्कर ने पांचवीं पेस्री उठाने के साथ नीली आंखे नाटे पर ल्स्थर कर दी । बोलातैयार को उगलने सच तुम यानी "------
हो ।"
"जी ।। की सैट स्टोरी रही घूमड़ में ददमाग अपने ने नाटे "
"'बैरी गुड । बहत कम लोंगो के नाम उनके साचों पर दिट बैठते हैं । आगे बोलो ।।
“जोडी नहीं जमीं।दी कर शुरु उतारनी में पेट पेस्री पांचवी ने गोडास्कर " थी हो कहावत वाली हर में बगल की लगूंर "-----
क्या इससे को गोडास्कर खैर गई लेना? ये बताओ तुम तीनों यहां,इस बंद कमरे में क्या ल्खचडी पका रहे थे । "
" मुडे रर| दिस्टी को माठरया दीदी ने बुलावा था ।"
कु ू भी कहने से पहले नाटे ने माठरया की तरि देखा ।। माठरया रर दिस्टी को भी लगा उगलने हकीकत है। चुका टूट नाटा-
वहत ने नाटे मगर । है वाला संतुल्लत लहजे में कहना शुरु दकया…"माठरया ने आपके ाारा ओंबराय मे की गई कायधवाही टी .वी.
द पराेख ली थी । उसे देखकर ये र्बरा गई । घबराकर हमे िोन दकया । हम आए तो इन्होंने बताया कै मरा मुडसे ल्बज्जू"----
गया ले मांगकर उर्ार था । मैंने टीसकती पहुच तक मुड पुल्लस । है चुका मर वह-----देखा पर .वी . है । कहीं मैं भी
दकसी डमेले में न िं स जाऊं? इन हालात में ये क्या करें यही ल्वचार सीाई थी सलाह मेऱी । था बुलाया हमें करने ल्वमशध-
लेनी कर कबूल चाल्हए । ये िं स जाने के डर से ल्हचक रही थी । तभी अााप अाा गए रर...
" अाोह थी जारही हुई शंट हवा की तीनों आप पर आगमन के गोडास्कर कारण इस तो.......!?"
"अब सवाल ये उठता हैदशाधया क्यों ऐसा तुमने ही करते दशधन के गोडास्कर- जैसे दरवाजा खोलने से पहले नहीं जानते थे की
बंद दरबाजे के उसपार पुल्लस है।"
"सॉरी इं स्पेक्टर ।ज िस" पीूे इसके मानो यकीन मगर----सम्भाली बात ने नाटे दिर बार एक "ााने' के डर के अलावा रर
कोई कारण नहीं है ।
यह यच है यानी अााप बाहर दक थी गई समड ही जाते कहा गोडास्कर आपके दीदी -- इं स्पेक्टर गौडास्कर है । मैं दरवाजा
खोलने के ल्लए अाागे बढा । इन्होंने यह कहकर रोक ददया…"वह मुडे ल्गरफ्तार कर लेगा ।। थी गई डर तरह ये " मेरा रर
दिस्टी का कहना था ---' दरबाजा तो खोलना ही पडेगा । रर दिर जब आपने ल्बज्जू दकया कु ू अलाबा सै देने कै मरा को-
है नहीं ही, तो डर क्यों रही हो ?'
इन्हें सेठटसिाईड करनेके चक्कर में दरवाजा खोलने में देर हुई । खुद को 'अंजान' अाापके इसी सवाल से बचने के ल्लए दशाधया
था दक…'दरवाजा खोलने मैं देर क्यों हुई ?' हम दशाधना चलते थे दक"। है पुल्लस बाहर था नहीं ही मालुम हमें-
"होल्शयार हो नाटे ल्मयां । कािी होल्शयार हो तुम । शायद इसल्लए माठरया डार्लधग ने तुम्हें अपनी मददृ के ल्लए बुलाया था ।
तुमने तो एक ही सांस में उन सवालो के जवाब भी उगल डाले जो गोडास्कर ने अभी पूूे ही नहीं? हां , पूूता जरूर रर
तुम पहले ही ताड़ गए गोडास्कर क्याहै वाला पूूने क्या-? वाकई! जरूरत से ज्यादा होल्शयार हो मगर अर्ूरी बात "। .....
ने गोडास्कर ूोडकर पेस्री में एक रर बुड़क मारा रर बात आगे वढाई के गोडास्कर "----ख्याल से बेवकू ि वही होता है जो
जरूरत से ज्यादा होल्शयार हो । अपना ही उदाहरण ले तो की ूु पाने को असल्लयत तुम में आड़ की स्टोरी ल्जस-------
हो रहे कर कोल्शश वह , खुद वेहद 'बोदी' है क्योंदक सवाल ये उठता हैका टके एक ल्बज्जू "---- आदमी नहीं था । यह
तुम्हारी माठरया दीदी के पीस अााया । कै मरा मांगा । माठरया ने उसके हाथ एक लाख का कै मरा पकड़ा ददया । क्यों माठरया
डार्लधग, क्या इतनी मूखध हो ?"
"मैंउसे नहीं दे रही थी। " माठरया को लगा,उसे नाटे की तैयार की गई स्टोरी ही बचा सकती है, इसल्लए उसी को पुख्ता
बनाने के ल्लए कहती चली गई…“मगर हाथ जोड़ने लगा । पैर पड गया । ल्गडल्गडाने लगा । कहने लगा…"तुम मुडे एक ददन के
ल्लए कै मरा दे दोगी तो मेरी ल्जन्दगी संवर जाएगी ।"
उसने कहा"------' मत पूूो माठरया । बत इतना समड लोखेलने दांव बड़ा एक"---- वाला हं । अगर यह दांव सीर्ा पड़
गया तो करोडों में खेलूंगा । यह दांव खेलने के ल्लए मुडे उस कै मरे की जरूरत है जो अंर्ेरे से भी िोटो खीच सकता हो । इस
बात को तुम यूं भी कह सकती दो दक उस के मरे के बगैर यह दांव खेला नहीं जा सकता । मुडे कु ू िोटो खीचने हैं, जहााँ
खींचने हैं मुमदकन है वहााँ अंर्ेरा हो ।"
"रर ल्बज्जू की बाते सुनकर दीदी को लालच अाा गया ।। थी ली सम्भाल ने नाटे दिर बार एक कमान ही ल्मलते मौका "
गोडास्कर को अगला सवाल करने का मौका ददए बगैर वह कहता चला गया---“इन्होंने कहा"-----'तुम मेरे कै मरे की मदद से
करोडो कमाने वाले हो तो उसमे मेरा ल्हस्सा भी होना चाल्हये । ल्बज्जू ने िौरन 'हां' कर दी । बोला मुंहमागी तुम्हें "------
तैयार को देने कीमत हं । बोलो…क्या चाल्हये?" दीदी ने कहा-----' जो तुम कमाओ उसमे आर्ा । ल्बज्जू इसकै ल्लए तैयार
नहीं हआ । वह चाहता था एक 'अमाउन्ट तय कर ल्लया जाए । कािी दैर तक सौदेबाजी होती रही । अंत में दीदी ने कहा--
एक कै मरा मेरा"- लाख का है । दो लाख मेरे हाथ पर रखा उसके बाद तू इससे जो चाहे कमाता रह ।' ल्बज्जू 'खेल' गया ।
बोला…"तुम जानती हो लाख दो पास मेरे वि इस---तो क्या दो िू टी कोडी तक नहीं है । हां, दांव ठीक बैठ जाने के बाद
की ल्स्थल्त ठीक ल्वपरीत होगी । तब दीदी ने पांच लाख की मांग रखी । इनका ख्याल था…पांच लाख मांगेंगी तो तीनं चार लाख
के बीच कहीं सौदा पट जाएगा मगर ल्वज्जू ने एक ही डटके मे पांच की मांग मान ली तो । मन ही मन ये भी डूम उठी ।
पांच लाख ल्मलने का लालच कमं नहीं था । इन्होंने एक बार दिर ल्बज्जू से पूूाकहां क्या-- क्या दांव खेलने बाला है मगर इस
बारे में उसने कु ू नहीं बताया ।"
"मान गए नाटे उस्ताद ।---डाली कर खत्म पेस्री पांचवीं ने गोडास्कर "'' एक वारं दिर तुमने गोडास्कर के सम्भाल्वत सवालों
का सहील्लया लगा अनुमान सही- रर सबाल दकए जाने से पहले ही ज़वाब दे डाले । जवाब भी ऐसे जो माहोल मे दिट बैाेठ
जाएं । यानी दक माठरया ने िक्कड़ ल्वज्जू को कै मरा यूंही नहीं दे ददया बल्कक पांच लाख के लालच में िं सकर एक लाख का
कै मरा दांव पर लगाया । यह बात कही ही इसल्लए गई है तादक 'जंच'
े बात सुनने बाले को लगे---' हां, ऐसा हों सकता है
। माठरया मूखध नहीं थी । वल्कक लालच ये िं स गई थी लेदकन इसी से ल्नकलकर एक रर सवाल सामने आता है । यह दक ---
अलावा के डार्लधग माठरया बात यह दकसी को मालूम नहीं थी दक ल्बज्जू दकसी ऐसे ल्मशन पर काम कर रहा है ल्जससे उसे
करोंरो की कमाई होने की उम्मीद है ।"
" मुमदकन हे दूसरे दकसी भी अन्य कोई को बात इस-'सोसध’ से जानता हो "!
"रर ल्बज्जू का दियाकमध करके उसी ने रील कब्जा ली हो । न हो चाहते कहना यही "-----दी कर पूरी ने गोडास्कर .बात "
तुम?"
"मतलब साि है नाटे उस्ताद । तुम एक बार दिर समड गए गोडास्कर कहना यह चाहता है की कै मरे करके कत्ल का ल्बज्जू--
उसक ल्जसे है सकता कृ र वह ही गायब रील ल्मशन के बारे में पहले से मालूम हो । तुम्हारी कहानी से माठरया वह 'करे क्टर'
बनकर उभरती है । "
" आप बेवजह मुड पर शक कर रहे हैं ।था मालूम नहीं मुडे "---कहा ने माठरया " वह कब, कहां क्या करने वाला है?
नाटा बताही चुका हैके पूूने बार-बार मेरे-- बावजूद ल्बज्जू ने इस सवाल का जबाव नहीं ददया था ।'"
" इतनी सीर्ी तो तुम भी नहीं हो डार्लधग दक सारे सवालों के ज़वाब हाल्सल दकए बगैाेर उसे कै मरा पकड़ा दो ।"
"सुन चुका हं नाटे उस्ताद । सुन चुका हं । एक ही बात को बारम्बार दोहराने की जरूरतें नहीं है । नाटे की बात पूरी होने से
पहले ही इस बार गोडास्कर के हलक से गुराधहटदेने ला पर घरती" को नाटे । ल्नकली सी-' का ल्नश्चय करने के साथ वह कहता
चला गया…"अव जरुरत तुम्हें यह समडाने की है दक तुम्हारी बातों का गोडास्कर पर असर क्या पड़ा ? कान खोलकर सुनो ---
बाते तुम्हारी सुनने से पहले गोडास्कर को माठरया के काल्तल होने का शक तक था जबदक चालाकी भरी बाते सुनने के बाद
ल्वश्वास हो चला दक ल्बज्जू की काल्तल यही है इसील्लए .............
"कइं स्पेक्टर ही रहे कर बात क्या-?" माठरया के होश उड गए थे--'"भ सकती कर कै से कत्ल का ल्बज्जू ररत एक मैं भला-
है?"
" ज जी-?"
"हटटी"। था सा-मठरयल बेचारा ल्बज्जू जबदक । मदधमार । हो मजबुत । गो कटटी-
'इं स्पैक्टर ।” एक बार दिर नाटे ने दखल ददया"। सकते लगा नहीं इकजाम पर दकसी के सबूत दकसी बगैर आप "----
"सबूत ।” गोडास्कर ने इस शब्द को चबाया रर चबाने के बाद शायद आगे भी कु ू कहना चाहता था दक जेब में पड़ा
मोबाईल बज उठा ।
जो कहना चाहता था उसे कहने का ल्बचार स्थल्गत करके हाथ जेब में डाला । मोबाईल ल्नकाला । ओन करके कान से लगाते हुए
कहा---“गोडास्कर ।"
" वह एक गाड़ी में है । महात्मा गांर्ी रोड की तरि जा रहा है । मैं टैक्सी से पीूा कर रहा हं ।"
"मैंने अटैची उसे अपनी गाडी की ल्डक्की में रखते देखा है सर ।"
"पीूा करते रहो । मोवाईल ाारा सम्पकध मैं रहना रर कं रोल रूम में िोन कर दो । कोल्शश उसे पेरने की होनी चाल्हए ।
गोडास्कर बगैर टाईम गंवाए उसी रुट पर पहुच रहा है ।साथ के कहने "` उसने मोबाईल आाँि दकया । जेब में डाला । एक
हाथ में ूटी, दुसरे में सातवीं पैस्री उठाई रर नाटे से कहासुबूतों"--- की बाते अगले 'एपीसोड’ में करे गे नाटे उस्ताद । इस
वि गोडास्कर को शुरटंग के ल्लए इसी सीठरयल की दूसरी लोके शन पर पहुचना है ।कहने के बाद दकसी को भी कु ू बोलने का
मौका ददए बगैर वह लपकता। ल्नकलगया बाहर से दरवाजे सा-
माठरया, दिस्टी रर नाटे ने राहत की ऐसी सांस ली जैसे िांसी चड़ने से बच गए हों ।
"ददमाग खराब हो गया है गोडास्कर का । हाल बुरा का देवी कुं ती के गुस्से मारे "। वो है गया हो पागल. . र्ा…“भैया के
बारे में कु ू जानता भी है जो यह सव बके चला गया । दुल्नया में मामाओं के नाम पर कं स रर शकु नी ही नहीं हुये है ।
उनका ऐग्याल्म्पल"' देकर दुल्नया के सारे मामाओं को ल्वलेन ठहरा देने से वडी बेयकू िी भला क्या हो सकती है ?
चिर्र भैया वो शख्स हैं जो उस वि मेरा रर तेरा 'सम्बल' बने थे जब हमारा िोई नही रहा था । बेसहारा हो गए थे हम
। मैं पूरी तरह टू ट चुकी थी । तू के व्रल पांच साल का था । तेरे ल्पता हमे ूोडकर चले गए।। हमारी तरह भारााज कं स्रवशन
कम्पनी भी लावाठरस हो गई थी ।।
मुडमे उसे सम्मालने िी क्षमता नही थी । उस वि अगर अाागे वढ़कर चिर्र भैया ने ल्बज़नेस की कमान न सम्भाली होती तो
सबकु ू गैर ही लूटकर खा जाते । उन्होंने तेरे ल्पता की कमी पूरी की । ल्बजनेस सम्भाला । हमारी ढाल वने । ऐसी ढाल
ल्जसकी वज़ह से तेरे ल्पता की मौत के साथ ही सबकु ू बरबाद होने से बच गया । इतना ही नहीं, उन्होंने तुडे पकाडा । एल
अल बी रर ल्बजनेस मैनेजमेंट कराया रर जब महसूस दकयाकमान की ल्बजनेस सारे तो है सकता सम्भाल कनू सब तू- यह
कहते हुए तुडे सौंप दी दकवेटे ल्वनम्र "---,' लम्बे संघषध के बाद आज मैं अपनी ल्जम्मेदारी से मुि हुआ हं । आज़ भारााज"
का :कम्पनी कं स्रक्शन माल्लक तू है । वे एक सार्ारण कमधचारी की तरह अाादिस में बैठते हैं ।
रर गोडास्कर उन्हेऐसा । है करता तुलना से शकु नी । है कहता कं स ेंन्हें.... सोचता है दक चिर्र भैया ने 'भारााज
कं स्रक्शन कम्पनी' कब्जाने के ल्लए तुडे दकसी लडकी की हत्या के षडृ यन्त्र में िं साने की कोल्शश की है ।‘"
"'मां, मैनें यह सब । बल्कक इससे भी ज्यादा ही कहा । श्वेता कल्न्वन्स' थी । उसने भी गोडास्कर को समडाने की के ल्शश की
दक मामा ऐसा नहीं कर सकते मगर वह 'कल्न्वन्स' नहीं हअाा । हां, चुप जरूर हो गया था । उसके होठों पर ऐसी मुस्कान
थी जैसे मैं रर श्वेता बचकानी बाते कररहे हों।"
" िोन ल्मला उसे ।। मेरे पास बुला । मैं उससे बात करूंगी ।"
"दकसे बुलाया जा रहा है कुं ती? दकससे बात करने के ल्लए इतनी उतावली हो रही हो?" इन शब्दों के साथ चिर्र चौबे ने
बंगले की लाबी ने कदम रखा ।
अचानक उसके प्रवेश पर कुं ती रर ल्वनम्र सकपका गए । दिर कुं ती ने कहा…"देरव्र लो भैया, कै सा अनथध हो रहा है जमाना
ऐसा आ गया है दक जो चाहे ल्जसके बारे मे, चाहे जो कह डाले ।"
"सुनूं तो सही ।"---मुस्कररया बेचौ चिर्र "'दकसने दकसके बारे में क्या कह ददया?"
"गोडास्कर का कहना है…-तुमने एक लडकी की हत्या कर दी है।म गुस्से तक अभी कुं ती "ाेां थी ।।
"रर वह हत्या तुमने ल्वनम्र को िं साने के उददेश्य से की । इसील्लए की तादक ल्वनम्र िांसी चढ जाए रर कं स्रक्शन भारााज"
कम्पनी' के माल्लक तुम बन जाओ । "
" ये क्या पहेल्लयां बुडा रही हो कुं ती?" कहने के साथ चिर्र ने बहुत ही गहरी नजरों से कुं ती की तरफ़ देखा था…'क्या कह
रही हो तुम? मेरी समड में कु ू नहीं अाा रहा ।"
"आप मचंता न करो मामा ।------बोला ल्वनम्र "''मै जानता ह। यह कवल गोडास्कर की ककपनाओं की उड़ान है ।"
"पर पता तो लगेहै क्या बात आल्खर---?" वह लगातार कुं ती के तरि देखता चीख पड़ाहै गई हो हत्या दकसकी---? मैं दकस
तरह , ल्वनम्र को िांसी के िं दे पर पहुचाने की कोल्शश कर रहा हं ।"'
"दकसी भी तरह नहीं मामा ।प्लीज़ "----कहा ने ल्वनम्र ", अााप इस बारे में सोचकर अपना ददमाग खराब न करे ।"
"मैं तुमसे पूू रहा हं कुं ती । तुमसे ।" । डंडोड़ा उसे पकडकर को कं र्ों दोनों के कुं ती ने चिर्र "
"भैया ।बोली कुं ती "…"नापाल नाम के दकसी ठे केदार ने कल रात ल्बजनेस मीरटंग के काम पर ल्वनम्र को ओबराय होटल के सुईट
नम्बर सेल्वन जीरो थटीन में बुलाया था ।"
इर्र ल्वनम्र चुप हुआ उर्र सभी आशाओं के ल्वपरीत चिर्र चौबे के होठो पर गहरी मुस्कान उभर अााई । बोला ओह "----
"। था गया ही डर तो मैं । है बात ये तो !!
"क"मामा मतलब क्या- ल्वनम्र हैरान रह गयानहीं बात की मचंता ये क्या"--- दक गोडास्कर........
"नहीं ल्वनम्र बेटे । मचंता की कोई बात नहीं है? मचंता की बात तब होती जब गोडास्कर दकसी 'वेस' पर कोई बात कह रहा
होता । मैं तो यही समडा था दक उसके हाथ मेरे ल्खलाफ़ कोई सबूत लग गया है मगर नहीं, तुम्हारी बातो से जाल्हर है-----
पुल्ल एक कहा।। जो उसने । है लगा नहीं सबूत कोई हाथ उसके -समेन होने के नाते कहा । पुल्लस के सोचने का यह तरीका
सकदंयों पुराना है , सददयों से चला आ रहा है ।
जब उन्हे लगता है पुल्लस पहले सबसे तो है गई की के ल्शश की िं साने को दकसी--- की नजर उसके दुश्मनों पर या उन पर
जाती है ल्जन्हें कु ू लाभ होने वाला हो । ऐसे लोगों पर शक करना पुल्लस की दितरत है । इसमे शक नहीं, तुम्हें िं साने की
कोल्शश की गई है । रर इसमे भी शक नहीं उसकी नजर में तुम्हारे िं साने पर सबसे ज्यादा मुडे ही होगा ।"
" पर भैाेया । "' कुं ती देबी के लहजे में उनकी भन्नाहट साि प्रदर्शधत हो रही थी उसे "-----पता होना चाल्हए भारााज"
कम्पनी कं स्रक्शन' की ल्जस कु सी पर ल्वनम्र अााज बैठा है, अााप ही का बैठाया हुआ है । अााप ऐसा न चाहते या आपको
उस कु सी का लालच होता तो आपको ल्वनम्र को दकसी जाल में िं साने की जरूरत नहीं यी । आप तो वहुत पहले, आसानी से
यह काम कर सकते थे । न मैं कु ड कर पाती; न ल्बनम्र । ल्बनम्र उस वि के वल था ही पांच साल का ।'"
"मैाेां दिर कहंगा कुं ती । पुल्लस वालों के सोचने का नजठरया ऐसा नहीं होता । इस डालकर आंखे से आंखों की कु न्ती चिर्र "
उसे जेसे गया चला कहता तरह समडाने का प्रयप्र कर रहा हो उनका"---नजठरया यही होता है ल्जस नजठरए से गोडास्कर सोच
रहा है । तुम घबराओ मत । मुडे कु ू नहीं होगा । ररकी ल्वनम्र. . कीमत पर कु ू भी होगया तो यया फ़कध पड़ता है? मचंता
की बात ये नही ल्जस पर तुम तीनो मचंल्तत हो रहे हो बल्कक ये है दक ल्वनम्र नागपाल के डांसे में िं सकर ओबराय गया । तुम्हें
वहााँ नहीं जाना चाल्हए था बेटे । न गए होते तो यह सबं होता ही नहीं । ..........वहां दक मामा था मालूम क्या मुडे "
रर बस ।
आगे कु ू न कह सका वह ।।
" ल्वनम्र से बात करनी है ।'" आवाज ऐसी थी जैसे टीन ही पिी को पत्थर पर रगड़ा जा रहा हो ।
पत्थर पर गई रगड्री पिी की टीन :…" वह ल्जसके पास ल्बज्जू के कै मरे गायब होने वाली रील है ।" "क्या?" ल्वनम्र पुरी तरह
हकला उठा । पलक डपकते ही उसके मस्तष्क पर ढेर सारा पसीना उभर आया या । घबराहट ूु पाने के ल्लए तेजी से घूमा ।
पीठ चिर्र चौबे रर कु न्ती की तरि की । इतना ही नहीं, उसने दरवाजे की तरि बढते हुए मोबाईल पर कहा था क्या"--
कह रहे हो तुम? आबाज ठीक नहीं आ रही ।"
"ल्बज्जू ाारा सुईट नम्बर सेल्वन जोरो थटीन मै खीचे गए िोटो इस वि मेरे सामने पड़े है ।"
"बनने की कोल्शश मत करो ल्मस्टर ल्वनम्र । मेरी बातों का मतलब ल्जतनी अछूी तरह तुम समड सकते हो उतनी अछूी तरह
दिलहाल दूल्नया का कोई दूसरा आदमी नहीं समड सकता । हा, अगर मेरे ाारा िोटो 'फ्लैश' कर ददए जाएं तो दुल्नया के
बीेबात मेरी में समड की बीे-ाोां का मतलब आ जायेगा ।। "
"बाद में बताया जाएगा ।। गया ददया कर ल्वछूेद सम्बन्य से तरफ़ दूसरी बाद के कहने "
अचानक मनसब को महसूस हुआ। है रही कर पीूा उसका जीप पुल्लस एक------
यह अहसास उसकी अब तक की ल्नल्श्चन्ता पर ल्बजली ल्गराने के ल्लए कािी था । ददलो हाभी घबराहट सी-थोड्री पर ददमाग--
की ल्मरर बैक बार-बार नजर । लगी होने तरि उठ रही यी बल्कक अगर यह कहा जाए तब भी गलत नहीं होगा दक अब वह
आगे की जगह पीूे ज्यादा देख रहा था । पुल्लस जीप ल्पूले चौराहे से पीूे लगी थी । रर कई चौराहे पार करने के बावजूद
उसके पीूे ही थी । दिर भी, यह पुल्ष्ट करना अाावश्यक था दक जीप उसी का पीूा कर रही है क्योदक ददमाग में एक ख्याल
यह भी उभरा था…"मुमदकन है पुल्लस जीप रास्ते अपने"' जा रही हो रर वह व्यथध भ्रल्मत होकर कोई बेवकू िी कर बैठे ।
ल्जनके मन मे चोर होता है वे डरकर अक्सर ऐसी गलल्तयां कर बैठते है ।
अजंता होटल से ल्नकलने के बाद उसका रुख समुद्र तट की तरफ़ था । उसने सोचा था…कार ाारा समुद्र तट परे पहुंचेगा । यहीं
से एक स्टीमर दकराए पर लेगा ।। अटैची सल्हत समुद्र में दूर ल्नकल जाएगा ।' दकनारे से बहुत दूर ।
खेल खत्म ।
वह जानता थाउसे । है जाती ल्नकल अााप-अपने जान आर्ी की के स तो ल्मले न ही लाश- पूरा ल्वश्वास था आसान इस--काम
को वह पूरे 'आराम' से कर लेगा । मगर पुल्लस जीप ने ददमाग मे खलबली मचा दी थी । वह उसी के पीूे है या अपने"
रास्ते' जा रही है
पुल्लस जीप भी उसके पीूे उसी चौराहे पर पहुच गई ।। पुल्ष्ट हो गई…जीप 'अपने रास्ते' पर नहीं है उसका पीूा दकया जा
रहा है । जीप अगर 'अपने रास्ते' पर होती तो घूमकर उसी चौराहे पर अाा जाने का कोई मतलब नहीं था ।
अब ।
कोई शक नहीं रहा दक पीूा दकया जा रहा है । पुल्ष्ट होते ही स्वाभल्बक रूप से मनसब के ददमाग पर हडबड़ाहट हावी गई इस
बार चौराहा पार करते वि एक्सीलेटर पर पैर का दवाब बढता चला गया।
साथ ही दौड़ने लगी। थी गई चली वढ़ती में अनुपात के रफ्तार की एस्टीम भी रफ्तार उनकी । टैक्सी रर जीप पुल्लस-
मनसब समड नहीं पा रहा थाकर मगर है रही कर क्यों पीूा उसका पुल्लस---------- रही है, इस बात की पुल्ष्ट हो चुकी
थी । ररही एक के वल लक्ष्य अब. . था।।। जाना हो ओडल से आंखों उनकी तरह भी दकसी । चकमा को पुल्लस---
ल्जर्र सडक थोडी खाती नजर अााती देता घूमा ही उर्र को एस्टीम-------, पुल्लस जीप रर टैक्सी लगातार उसके पीूे
थी ।
एक दाई तरि से अााई थी । दुसरी बाई तरि से । पीूा करने वाली पीूे ही थी । "
मनसब के जबड़े कस गए । लाईट रे ड"' तक की परवाह नहीं की उसने । चौराहा पार करके एस्टीम को नाक की सीर् में
दोड़ाता चला गया । उस चौराहे के बाद उसके पीूे तीन जींपे रर एक टैक्सी थी । पुल्लस साईरन का शोर ल्नरन्तर तेज होता
जा रहा था ।
वह खुल गया । शहर की सड़िो पर खुकलम। लगी होने भागदौड़ खुकला- सार्ारण लोग भी समड गए…पुल्लस दकसी मुजठरम को
घेरने की कोल्शश कर रही है । ल्जर्र से भी एस्टीम रर एस्टीम के पीूे का कािीला गुजरता उसी तरि हलचल जाती मच सी-
।
मनसब समड चुका था'---जैसे भी हुई, गडबड हो चुकी है । उससे भी ज्यादा गडबड लाश के साथ पकडे जाने पर हो सकती
थी ।
उसके दकसी भी तरि इतना गैप नहीं था दक मनसब एस्टीम को उसकी बगल से ल्नकाल सकता ।।।
मगर कै से ?
कै से रूकती एस्टीम ।
ब्रैक लगाये जाने से पहले उसकी रफ्तार ही इतनी तेज थी दक टायरों पर ल्घसटती चली गई ।।
उसके बाद ।।
एक पल ।
के वल एक पल के ल्लए मनसब सामने से दोडी चली आ रही जीप की ड्राईमवंग सीट पर बैठे गोडास्कर को देख पाया ।
अगले पल ।।
मनसब ने अपने ल्जस्म को हवा में तैरते पाया । उसे नहीं मालूम थाग पहुच कै से मे हवा वह स सीट ड्राईमवंग--------या
रर दिर कै से र्ाड़ से सड़क पर जाल्गरा ।
मगरा ।।
वह गोडास्कर था।
आम चूस रहा था वह ।।
"है भगवाना' मनसब के जहन में एक ही ख्याल कौर्ां ----'ये ' " आदमी है या बुलडोजर?
अंब उसने गोडास्कर को डॉज देकर ल्नकल जाना चाहा ।
परन्तु ।।।
पुनः उठा ।
दौड़ा ।
मगर तभी ।।
महसूस दकया ।।
दरअसल वह हवा में कलाबाल्जयां खाता हुआ ऊपर से गुजरकर 'र्म्म' से पुन। था हुआ खड़ा आ सामने ठीक उसके :
मनसब यकीन ही नहीं कर पाया…इतने भारी शरीर का माल्लक यह चमत्कार भी कर सकता है । अााम चूसते गोडास्कर ने कहा-
की भागने तो है चाहता रखना सलामत दांत"-- के ल्शश मत कर ।"
एक बार दिर उसने कतराकर ल्नकल जाना चाहा रर ईनाम स्वरूप जबड़े पर लोहे का मुगदर। पड़ा सा-
कई पुल्लस वालो ने लपककर पकड़ा । सहारा देकर उठाया ।। उनमें दौलतराम भी था । उसने सामने खडे अााम चूस रहे
गोडास्कर से कहासाव है कहा बार दकतनी------- आप इं सानों से नहीं, शैतानों से उलडा करे । देल्खए में घूसे ही एक-----
क्या हालत बना दी बेचारे की । दकतने दांत डड़ गए हैं, ल्गनने में कई साल लगेगें?"
"गोडास्कर ने इस गर्े से कहा था। था लगा चूसने अााम दिर वह बाद के कहने "। करे न कोल्शश की भागने-
ददध से ल्वलल्वलता मनसब के वल इतना देख सका । एस्टीम रर उससे टकराई जीप है। रही जल करके र्ू-र्ू"
बह उसी पोजीशन में है जैसी अटैची के अन्दर थी । चारों तरि भीड लगी हुई है । लोग अााखें िाड़ मोजूद पर सडक िाड़कर-
। है रहे देख को दृश्य
नाटा इस तरह मुस्कराया मानो माठरया ने बेवकू िी भरी बात कही हो । बोला"-- ल्सतार के तार को उतना ही कसा जाना
चाल्हए साली साल्हबा दक यह टू ट न सके । तार ही टू ट जाए तो ल्सतार नहीं बजता ।"
" एक करोड देने के ल्लए वह िौरन तैयार हो गया । पूूने लगापहुंचना कहां "--- है? उसे लग रहा होगाल्प---'ड कािी
सस्ते में ूू ट रहा है जवदक इससे ज्यादा मांगता तो 'अटक' सकता था ।
अटकने का मतलब था मोलमाव शुरु हो जाना रर दिलहाल वह हमारे िे वर मैं न होता?"
" ल---कहा हुए अटकते ने माठरया "। लेदकन-'"एक करोड तो बहुत कम हैं । मैंने तो अरबों कमाने के ख्वाब . .
'"अरबो ही आएंगे साली साल्हबापैशेंस " । कमाएगे ही अरबों । "’ तो रखो ।"
" िोटो ही सौपने न ।काटी में बीच बात की माठरया उसने दिर बार एक "…" ल्नगेठटब्ज तो नहीं ।"’
"क्या मतलब?"
"एक करोड मे उसे के वल पौल्जठटब्ज ल्मलेगे । वे पोल्जठटब्ज जो उस ववत तक चाहे ल्जतने तेयार दकए जा सकते है जब तक
ल्नगेठटब्ज हमारे कब्जे में है ।"
"यह बात तो ल्वनम्र भी जानता होगा ।दे क्यों करोड एक के पौल्जठटब्ज वह----कहा ने दिस्टी "ने लगा?"
"'देगा रर बचा पड़ा रहेगा ।खेल .------थी मुस्कान कु ठटल पर होठो कै नाटे " में ऐसा ही होता है । एक बार नहीं,
अनेक बार करोडवह उसे होंगे देने करोड- भी के वल पाल्जठटब्त के बदले ।"
"ओह । उठी चमक आंखें की माठरया "…"तो तुम्हारा इरादा उसे लम्बे समय तक ब्लैकमेल करते रहने का है?" "तो तुम क्या
यह समडी थी दक मैं के वल एक करोड़ मे ........
" मैं तो यही समडी थी । तभी तो लगा हो रहे कर बेवकू िी क्या ये ---?"
" बेवकू ि सोने का अंडा देने बाली मुगी से रोज अंडा हाल्सल करने बाले नहीं ब्लदक वे होते है जो सारे अंडे हाल्सल करने के
िे र में पड़कर बेचारी मुगी को हलाल भी कर डालते है । ल्वनम्र हमारे ल्लए सोने के अंडे देने वाली मुगी है ।
"अब अााई बात समड में । माठरया का सारा चेहरा जगमगा उठा था--'"वाकई तुम्हें मालूम है…क्या काम कै से दकया जाना
चाल्हये । अब लग रहा है, तुम्हें अपनी मदद के ल्लए बुलाकर मैंने गलती नहीं की मगर. . .
"मगर? "
"कह दिस्टी भी ठीक रही है । जब एक करोड के बदले में के वल पाल्जठटब्ज ददए जाएंगे तो यह 'बखेडा' जरुर करे गा ।"
'कोई बखेडा नहीं करे गा बल्कक ल्गड़ल्गड़ाएगा हमारे पैरों में पडकर । ल्जसके हाथ में उसके गले के नाप का िांसी का िं दा हो,
वह उसके सामने अकड़ा नहीं करता, ल्गड़ल्गड़ाया करता है । ब्लैकमेल होने वाले का ददल चूहे जैसा होता है । हम उसे हर बार
यह आश्वासन देगे दक अगली बार ल्नगेठटब्ज दे ददए जाएंगे रर उसे हर बार डााँसे में अााना पडेगा । कु ू नहीं कर सके गा वह
। ब्लेकमेल होने बाले की ल्वडम्बना ही यह होती है?"
"अगर इसी बीच उसे गोडास्कर ने दबोच ल्लया?" एक बार दिर दिस्टी ने सबाल उठाया ।
"हां । ऐसा हो गया तो सोने के अंडे देने वाली मुरगी हमारे हाथ से ल्नकल जाएगी ।हत्या की मबंदू "--कहा नाटेने " के
इकजाम में उसे 'थर' ही ल्लया गया तो दकससे बचने के ल्लए सोने के अंडे देगा?"
"इसल्लए उसे ल्जतनी जकदी ल्जतना ज्यादा ल्नचोड़ ल्लया जाए उतना अछूा है ।"
"मैं दिस्टी से सहमत हं नाटे ।ही देख तो को गोडास्कर-कहा ने माठरया " ल्लया है तुमने । समड गए होंगे ददन ज्यादा ल्वनम्र-
तक उसके पंजे से बचा नहीं रह सकता ।"’
"वह तो दकसी जरूरी िोन के कारण यहााँ से चला गया ।"’ गोडास्कर की याद आने लगी-----'' वह एक तरह से दीदी को
ल्वज्जू का हत्यारा साल्बत का चुका था । मेरा तो ख्याल हैअगर- वह ज्यादा देर यहां रहता तो िोटो रर ल्नगेठटब्ज भी बरामद
कर लेता । ऐसा हो जाता तो...
नाटे ने उसकी बात काटकर क्या…"जो नहीं हुआ उसे सोच कर डरना बेवकू िी है दिस्टी डार्लधग ।"
" पर वह कहकर गया हैहैं संददग्र् में नजर उसकी दीदी । जरूर अााएगा बह-है ख्याल मेरा रर आएगा दिर "-----?"
"जव अााएगा तब देखा जाएगा ।ब नाटा "ाोलासोचकर में बारे उसके हमे वि इस"-- ददमाग खराब नहीं करना चाल्हए ।
वल्कक यह सोचना चाल्हए एक करोड कै से कमाने हैं?"
"इसमे सोचना क्या है?” माठरया ने कहा। जाएगा देकर करोड एक "। आएगा वह "---
"कहााँ आएगा?"
"यहीं जाएगा । रर कहां?"
अब मैं कहंगा साली साल्हबा । हमे बुलाकर तुमने ठीक ही दकया । वाकई तुम अके ली इस डमेले को नहीं सम्भाल सकती थी
बल्कक अब तो खुलकर कहंगाकु ू--- कमाने की तो बात की दूर अपने आपको िं सा लेती तुम ।"
" वह कै से ?"
"मेरे ख्याल से उसे कम्पनी गाडधन में बुला ल्लया जाए ।"। है रहता सन्नाटा वहां वि के रात "-----दी राय ने माठरया "
"क्यों नहीं?"
" प पुल्लस-?" दिस्टी कांप उठी"----' कहै सकती आ मैं बीच भी पुल्लस क्या-?"
"संभावना ल्वककु ल नहीं है । मगर चौकस हर खतरे का मुकाबला करने के ल्लए रहना चाल्हये । इस दकस्म के कामों का ल्सद्घान्त
यही है "!
दिस्टी ने बोलना चाहा मगर मुंह से आवाज न ल्नकल सकी ।
खीि की मारी माठरया कह तुम आए ले से मेंकहां बीच को पुल्लस "-? क्या वह अपने ब्लैकमेल होने की सूचना पुल्लस को दे
सकता हैं"
"कह चुका हंहो िं सी खुद गदधन ल्जसकी । है नहीं भी परसेन्ट एक सम्भावना- उसके तो खाकी वदी देखते ही पीते ढीले हो जाते
है । मगर ऐसा सोचकर हमारा लापरवाह होना बेवकू िी होगी । ऐसे के सों में कई बार यह देखा गया है दक ब्लैकमेल होने वाला
ब्लेक मेलर से ल्नपटने के ल्लए अपने लेबल पर कोई तैयारी कर लेता है । ऐसे दकसी भी खतरे से बचने के ल्लए हमें उसे दकसी
ऐसे स्थान पर बुलाना चाल्हये जहां उसके ाारा ल्बूाए गए दकसी भी जाल की जानकारी पहले से हो सके ।"
"इस काम के ल्लए कोई सस्ता होटल ठीक रहेगा ।कहा ने नाटे "…"ऐसा होटल जो ज्यादा न चलता हो । हम अभी ही वहााँ
एक कमरा बुक करा देगे । मगर कमरे में जाएंगे उस टाईम से के वल पन्द्रह ल्मनट पहले जो टाईम ल्बनम्र को देगें । उस समय से
पहले तक कमरे ही की नहीं, सारे होटल की अछूी तरह ल्नगरानी करे गे । इस तरह अगर वह कोई जाल ल्वूाता है तो हमारी
नाल्लज में अाा जाएगा । उस अवस्था मे हम ददए गए टाईम पर कमरे मे पहुंचेगे ही नहीं ।। उकटे उसके मोबाईल पर िोन करके
कहेंगसाल्जश
े तेरी हमे- के बारे में सब पता है । यह सुनते ही पटू ठे की हबा सरक जाएगी रर दिर कभी हमारे ल्खलाि कोई
कदम उठाने की महंम्मत नहीं करे गा । सब कु ू ठीक रहता है तो कोई बात ही नहीं । एक करोड डटकने के तुरन्त बाद कमरा
ूोडे देगे ।"'
नाटे ले ली सुलगा ल्सगरे ट एक"। कश लगाने रर वातावरण को दूल्षत करने के साथ आंखें बंद कर ली ।
माठरया रर दिस्टी उसकी तरि इस तरह देख रही थी जैसे कटघरे में खड़ा मुजठरम िै सला सुनाने के ' ल्लए तेयार जज की
तरि देखता है ।
कािी इं तजार के बाद भी जव वह कु ू नहीं बोला तो उल्ाग्न होकर माठरया ने कहा कहोगे या रहोगे ही सोचते अब "-------
भी?"
" उससे के वल तुम ल्मलोगी ।। गई जम पर दिस्टी ही खुलते आखें बंद उसकी "
" म मै ?"
" म मगर - मैं । सकूं गी का काम यह मैं क्या-क"--थी रही हकला भी अभी दिस्टी "?"
" करने को खास कु ू है ही नहीं । के वल िोटो देने है उसे । वह अर्मरा हो जाएगा । रुपया तुम्हारे कदमों में डाल देगा ।
िोटो मागेंगा । तुम उसे पकडा दोगी ।
'" कहोगीसाल्थयों मेरे । है नहीं पास मेरे ल्नगेठटब्ज दिलहाल-- के पास है । अगर मेंने कोई बखेडा दकया तो वे पुल्लस को दे
देंगें ।इतना ही उसके होसले पस्त हो जाएगें । उससे बोलोगीपास तुम्हारे खुद साथी मेरे ल्नगेठटब्ज"-- पहुंचा देंगे इतना सुनकर
उसके पास वापस जाने के अलावा कोई चारा नहीं रहेगा ।"
उससे िौन पर बात की थी । मदाधनी आवाज सुनी थी उसने । रकम लेने तुम पहंचोगी । इससे उसे लगेगा ब्लेकमेलर-----
मैसेज यही.. .रर । है नहीं अके ला देना हमारा मकसद है । उसे ल्डमोरलाईज" रखना है । ल्जतना ल्डमोरलाईंज रहेगा, उतनी
ही उसके ाारा हमारे ल्खलाि कोई कदम उठाने की सम्भावना कम रहेगी । बल्कक 'इम्प्रेशन' तो हमे ऐसा देना चाल्हये जैसे यह
दकसी बडे ल्गरोह के चंगुल में िं स गया है । अपनी बातो से तुम ऐसा हीं शो' करोगी तादक हर क्षण हमारे दबाव में रहे ।"
"नाटे ।नह बेहतर मुडसे दीदी काम यह क्या "---की सी--चापलुसी ने दिस्टी "ाीां करे गी?"
"दूसरी दकस्त साली साल्हवा को ही लेनी है । हर बार नया चेहरा देखकर ही तो उसे लगेगा दक . . .
" दिस्टी ठीक कह रही है नाटे । मैं यह काम इससे मेहतर तरीके सै कर लूंगी।। कहा ने माठरया"
"जो िै सला मैंने ल्लया है खूब सोचके नाटे "। है ल्लया कर समड- लहजे में अजीब दकस्म की दृढता थी करोड एक "-----
भी काम रर एक उससे हमे अलावा के ऐठने ल्नकालना है ।"
‘"एक रर काम?"
"मेरा ल्सद्घान्त हैघुसो में मामले ल्जस-, ल्सर देकर पूरी तरह घुस जाओ । अर्ूरे घुसे तो मात खाओगे ।"
" हमें यह मालुम होगा दक उसने मवंदू की हत्या की मगर ऐसा क्यों दकया, यह नहीं जानते । ये अर्ूरी जानकारी कभी भी-
कमजोरी इस । है सकती बन कमजोरी हमारी को दूर करने के ल्लए हमें पूरी जानकारी होना जरूरी है ।"
"'ठीक है ।"। करूंगी िोल्शश पूरी भी की उगलवाने यह से मुंह उसके "----कहा ने माठरया "
"तुम भूल चुकी हो साली साल्हबा । इस सीाई को कबूल कर लो । तुम खुबसुरत दकसी भी एाेांगल से नही लगल्त । जबदक
इस काम के ल्लए मदधको चुम्बक की तरह अपनी तरि खीचने बाली लड़की चाल्हये । ठीक वैसी, दिस्टी है । दिस्टी डार्लंग ।"'
नाटे ने माठरया के बारे में जो कहा था उसे सुनकर वह अंदर ही अंदर सुलगकर रह गई । ररत चाहै ल्जतनी बुदढया हो जाए,
ऐसे शब्द सुनना ल्बककु ल पसंद नहीं करे गी । अपनी सुलगन को उसने कु ू यू बयान दकया…'इस काम के ल्लए भला दिस्टी जैसी
लडकी की क्या ज़रूरत पड़ने वाली है?"
"तो?"
"तुम यह भी भूल रही होाेही भले मोम मे देखने । है होती तरह की मोम ज़वानी- चाहे ल्जतना सख्त नजर आए मगर दिस्टी
जैसे ल्जस्म से उठने वाली लो उसे ल्पघलाका रख देती है । ल्वनम्र जैसा मोम जब ल्पघलता है तो बहता चला जाता है । उस
अवस्था में उससे यह सब उगलवाया जा सकता है ल्जसे सामान्य अवस्था में भूलकर भी अपनी जुबान पर न लाता ।"
दिस्टी गुराधउठी सी-…"क्या तुम यह कहना चाहते हो, मुडे उसे अपने ल्बस्तर पर खींचना है ?"
" शुदिया । तुम कम शब्दों सब कु ू समड गई । जरुरत पडेतो ऐसा करने से भी ल्हचकना नहीं है ।"
"शमध करो नाटे । शमध करो । कहीं पागल तो नहीं हो गए तुम । जानते भी हो क्या बके चले जा रहे हो? मैं तुम्हारी पप्री हं
रर तुम मुडसे कह रहे हो......
"अछूी तरह जानता हं डार्लधग ।चला कहता नाटा काटकर बात उसकी " गयानहीं का करोडों मामला"---, अरबों का है ।
ज़रा सी चूक होते ही अरबों रुपये हाथ से ल्नकल जाएंगे रर अर्ूरी जानकारी होने पर ऐसी चूक कभी भी हो सकती है । यह
चूक न हो, इसके ल्लए हमें पूरो जानकारी चाल्हये रर उसके ल्लए ल्वनम्र के साथ ल्बस्तर पर थोडी उूलकू द कर भी लोगी तो
मेरे 'प्वाइं ट आाँि व्यू' से तुम्हारा कु ू ल्घस नहीं जाएगा ।"’
"प"। गोडास्कर प्लीस । प्लीज- मनसब वड़ी मुल्श्कल से ल्गडल्गड़ा पा रहा थावस"---- करो । मैं रर नहीं खा सकता "!
'पता नहीं लोग खाने से इतने डरते क्यो हैं?" गाजर चवाते गोडास्कर ने कहाा साला अाादमी है मानना का गोडास्कर----
। है ल्लए के खाने ही अााता पर र्रती देख ही रहा हैक्यों रुक । रहा जा चला खाए लगातार साथ तेरे भी गोडास्कर--- गया
। दौलतराम । ल्खला ल्खलाकर ही तो सेवा करनी है इसकी ।"
दौलतराम ने मेज पर रखी थाली से ल्खचडी का एक रर चम्मच भरा । मनसब के मुंह की तरि बढाया ।।
ल्पूले आर्े घंटे से ऐसा ही कर रहा था । तव से, जब से उसने महसूस दकयापेट--- में ज़रा भी जगह नहीं बची है । नाक
तक भर गया । शुरू में , यानी के तब जब खाने से भरी थाली उसके सामने रखी गई, खाने ल्लए कहा गया तो कु ू समड
नहीं पाया था । वह एक बार नहीं अनेक बार पुल्लस के चंगुल में िं सा था । भूखा ही रखा गया था उसे । रर गोडास्कर ।।
वह मनसब को सबसे अलग पुल्लल्सया लगा ।
ूिीस व्यंज़नों से सजी थाली पेश कर दी गई वडे प्यार से खाने के ल्लए कहा गया । गोडास्कर की 'हरकत' का रहस्य तो
उसकी समड में ही तब अााया जव पेट भरकर खा चुका ।
थाली एक तरि सरकाने के साथ कहा----'बस ।' गोडास्कर ने तुरन्त कहा…'क्या बात करते हो मनसब ल्मयां ।
अभी तुमने खाया ही क्या है? दौलतराम, शायद हाथ थक गए है मनसब ल्मयां के । अपने हाथ से ल्खला ?" दौलतराम दकसी
भी मुजठरम को टांचधर करने के गोडास्कर के इस ल्वल्चत्र तरीके से पूणध पठरल्चत था । सो अब उसने अपने साथ से ना-ना"
करते' मनसव को ल्खलाना शुरू कर ददया । जब उसने ज्यादा ल्वरोर् दकया तो हाथ कु सी के हत्थों के साथ बांर् ददए गए ।
दल्लया उसके हलक में उतार ददया । दिर, ल्खचडी मंगाई गई रर अब यहीं उसके मेट से उड़ेलने की के ल्शश की जा रही थी ।
जैसा दक ल्लखा जा चुका हेल्पूले--- अाार्े घंटे से मनसब हर चम्मच पर कसकर मुंह बंद कर लेता । दौलतराम का काम था-
दांत । देना ठूं स उसमें चम्मच भरी से ल्खचडी रर खुलवाना मुंह जबरदस्ती-- -ताजे टूटे थे । जख्मी थे । चम्मच उनसे टकराती
तो मारे ददध के मनसब ल्बलल्बलाने लगता । उसी बीच चम्मच की ल्खचडी उसके हलक में उड़ेल दी जाती । इस बार भी
दौलतराम ने यही दकया । जब मनसब ददध के कारण चीखतो था रहा " गोडास्कर ने बदनाम बहत को बालों पुल्लस""--कहा .
कहिे । लोग हैं करते हेंका गोडास्कर । हैं देते मार भूखा । देते नहीं को खाने में हवालात---- मकसद पुल्लस के मस्तक पर
लगे कलंक के इसी र्ब्बे को र्ोना है । ल्खला दौलतराम रर ल्खला मनसब ल्मयां को । इतना ल्खला ल्जतना दुल्नया की कोई
सास अपने दामाद को न ल्खला सके ।"
चम्मच में ल्खचडी ल्लए दौलतराम ने गोडास्कर की तरि देखा । जैसे पूू रहा हो' "क्या करूं ?"
"तो बता ।कहा ने गोडास्कर मचंगलते गाजर "'-"इतनी ब्यूटीिु ल लड़की का दियाकमध दकसने दकया?"
"ममैंने-?" '
"उसे इस र्ंर्ें में लाने वाला मैं था । उसकी हर 'डेट' पर मेरा कमीशन होता था । के होने ल्गरफ्तार मनसब स्टोरी यह "
तुरनात बाद तेयार कर चुका था----'"मगर र्ीरे लगाना दकनारे मुडे ने हरामजादी र्ीरे- शुरू कर ददया । रर अब तो
अााजाद होकर र्ंर्ा करने लगी थी । एक पैसा नहीं देती थी मुडे । मांगता तो गंदीगंदी- गाल्लयााँ बकने लगती थी ।"
"हां ।"
"चल । खलास कर ददया । ये तो ठीक दकया । मगर उसे अटैची मैं भरे क्यों घूम रहा था?"
"अभी इसकी समड ने ‘मतलब' नहीं आ रहा दौलतराम । ल्खचड़ी रर ल्खला ।"
"न। पड़ा चीख में अंदाज भयािांत मनसव "। नहीं-
"तो उगल लाश सुईट में ही पड़ी क्यों नहीं रहने दी ? वहां से लाश के साथ उसकी माला के सारे मोती चुने? सिाई क्यों
की?"
"तादक दकसी को पता न लग सके वह मर चुकी है । मैं उसे हमेशा के ल्लए समुद्र में गतध करने के ल्लए ले जा रहा था ।"
“क्यों कर रहा था ऐसा? लाश सुईट से ल्मल भी जाती तो तेरी सेहत पर क्या फ़कध पड जाता? दकसी को ख्वाब तो आ नहीं
जाता सुईट में जाकर उसकी हत्या तूने की है ।"
"यही डर था मुडे । यह दक यदद उसकी लाश ल्मल गई तो पुल्लस सीर्े"। दबोचेगी ही मुडे सीर्े-
"क्यों? "
"चल । कु ू देर के ल्लए गोडास्कर मान लेता है दक तू सत्यवादी राजा हठरत्रचंद्र का वंशज है । अब ये बता रात ल्पूली---
दकससे में सुइंट मवंदू ल्मलने गई थी?"
"मुडें पौने बारह बजे पता लगाआज"---- मबंदू की डेट ओबराय होटल के सुईट नःसेल्वन जीरो थटीन में है ।।। मैंनें िौरन िोन
करके सेल्बन्थ फ्लोर पर िजी नाम से रुम नम्बर सेल्वन जोरो सेल्वन्टीन बुक करा ददया ।"
"आगे बढ ।"'
"कु ू देर बाद अटैची लेकर वहां पहुच गया ।"
"यानी पहले ही प्लान वना चुका था"। लाएगा भर में अटैची मारकर सेउ------
दिर?"
"अटैची अपने कमरे में रखी । सुईट की तरि गया । 'की हाल' से डांका । उस वि मबंदू अके ली थी । मैंने कालबेल दबा दी
। उसने दरवाजा खोला । दरवाजा खुलते ही मैंने, उसे कोई भी मौका ददए बगैर गदधन दवा दी । रर अपने हाथ तभी हटाए
जब मर चुकी । मेरे हाथों में उलडकर उसकी माला टू ट गई थी । कापेट पर मोती ल्बखर गए थे ।।
वहां से अपने कमरे में अााया । अटैची लेकर पुनउसमें लाश । गया में सुईट : ठूं सी । सारे मोती चुने । उसे भी उसके मोबाईल
सल्हत अटैची में बंद दकया । रर होटल ूोड़ ददया ।।"
" अपने दोनों पैरो पर सवाल दिर वही खड़ा होता हैरहा घूम वयो ल्लए अटैची-- था? लाश समुद्र में ही गतध करनी थी तो
रात ही क्यों नहीं करदी? वयो यह रात अपने परमानेन्ट ठठकाने यानी अजंता होटल के रुम नम्बर आठ में गुजारी?"
"पुल्लस को मबंदक
ू े मडधर के बारे में पता लगता है या नहीं?"
"वया पाया?"
"'लाश को अजंता के कमरे ही में ूोड़कर हमेशा के ल्लए गायब हो जाता शहर यह !, वल्कक शायद देश ही ूोड़ देता ।"’
"क्यों?”
“क्योंदक समड चुका होतानहीं िकध कोई से ल्मलने ना ल्मलने के लाश अब----- पड़ता । जव तुम समड ही चुके हो मवंदू की
हत्या कर दी गई है तो तुम्हारा अगला कदम मुडे ल्गरफ्तार करना होगा । उस अवस्था में मवंदू की लाश को गायब करने की
जगह खुद को गायब करके ही खुद को वचा सकता था ।"
" देखा दौलतराम, क्या जमाना आ गया है । पहले लोग कानून के डर से अपने ाारा दकए गए जुमध को दूसरो के मत्थे मंढा
करते थे । अब दूसरो के जुमध अपने मत्थे मंढ़ने लगे हैं । जुमध भी हत्या जैसा । ऐसा इसल्लए हुआ है क्योदक लोगों में कानुन का
भय या खौि नहीं रह गया । कानून का डर जब खत्म हो जाता तो ऐसा ही होता है इसे मालूम है…यह यहां, हवालात में चाहे
जो कहे मगर कोटध में गवाह सबूतों के अभाव में ूू ट जाएगा । िांसी या उम्रकै द की तो बात ही दूर , अदालत इसे एक पल
की सजा नहीं दे सके गी । इसील्लए दकसी के ाारा की गई हत्या का इकजाम अपने ल्सर ले रहा है । क्यों मनसव ममंया, इस
काम के तुम्हें दकतने पैसे ल्मले?"
मनसब का चेहरा फ़क्क पड़ गया । अब से पहले वह यही सोच रहा या…"गोडास्कर को 'चलाने' में कामयाब है । लग भी ऐसा
रहा था जेसे गोडास्कर उसकी हर बात पर यकीन करता चला जा रहा हो मगर उसकी अंल्तम बात ने तो उसके होश ही उड़ा
ाँ . .'एक्यूरेट’ वहीं कह रहा था जो वह कर रहा था । मनसब समड नहीं पा रहा था गोडास्कर ने यह
ददए । पटू ठा वही.
बात दकस बेस पर कह दी ? कहां चूक हो गई उससे? खुद को ल्नयंल्त्रत करने की कोल्शश की । बोला------'' क्या बात
कर रहे हो इं स्पेक्टर साहब । भला मैं क्यों दकसी रर के ाारा दकया गया जुमध अपने ल्सर लेने लगा?"
"पैसे के ल्लए कोई िांसी पर चढने के ल्लए तेयार नहीं हो जाता ।"
"इसका जवाब भी दे चुका ह । है मालूम तुम्हें "'कोटध' से तुम्हें कोई सजा नहीं हो सके गी ।"
"ये रहा बेस ।उसकी ल्नकालकर कागज एक से जेब अपनी ने गोडास्कर साथ के कहने " आंखो के सामने लहराया यह "---
पोस मबंदक
ू ीटमाटधम ठरपोटध है । साि ल्लखा हैके होटल रर अपने वकौल तू जबदक । हई बीच की बजे दस से नौ रात हत्या-
ठरकाडध के मुताल्बक वहााँ पहुचा ही ग्यारह के बाद था । बताथी कर कै से---- तूने हत्या?"
"गोडास्कर के ख्याल से अब तुडे समड जाना चाल्हए चलने काम से रहने चुप -- वाला नहीं है । इस सवाल का जवाब देना
ही पडेगा । वरना दौलतराम तुडे ल्खचडी ल्खला "। डालेगा मार ल्खलाकर-
पेट तो पहले ही जाम था मनसब का । अब ददमाग भी जाम हो गया । चिर्र चौबे का नाम लेने का मतलब था ल्मलने उससे-
बाली हर रकम पर पानी दिर जाना । बावजूद इसके इतना तो समड ही चुका था…वह चाहे जो कह ले, चाहे जो कर ले…-
गोडास्कर को अपने हत्यारे होने का ल्वश्वास नहीं ददला सकता । उसे तो क्या, पोस्टमाटधम ठरपोटध की मौजूदगी में दकसी को भी
उसकी बात पर यकीन नहीं आना था । अपनी बची को बात दक यह . । सूडी तरकीब ही एक ल्लए के बचाने को रकम कु ची-
कर गोल जाए । उसी नील्त के तहत बोला'-""मुडे िोन पर सुईट से लाश हटाने का काम ल्मला था ।
" अब मुख्य सवाल ।पुनः गोडास्कर " गाजर कतऱी"' रर उसे चबाता हुआ बोलाथा कौन बाला करने िोन"-?
गोडास्कर को सवाल करने से पहले पता था तू यही ज़वाब देगा । यह जानतेबूडने- के बावजूद यहीं कहेगा दक गोडास्कर तो क्या
गर्े का बीा भी तेरे जबाब पर यकीन नहीं कर सकता । यकीन करने की बात ही नही है । भला ऐसा बेवकू फ़ भी दुल्नया में
कोई होगा जो यह जाने बगैर दकसी होटल के सुईट से लाश गायब करने जैसा खतरनाक काम कर रहा दक उस काम को कराने
वाला कौन है । ऐसे काम बाकायदा रकम"। है होते बाद के होने तय बकम-
" दकतनी?"
"हां ।"
"उसने कहा थाच होना नहीं मतलब कोई तूंम्हें बात इस हं कौन मैं "------ााल्हए ।। तुम्हें मतलब होना चाल्हये रकम से ।
वह तुम्हें सुईट नम्बर सेल्वन जीरो सेल्वन्टीन ने रखी ल्मल जाएगी ।"
"कहां है?"
" सॉरी । यह मैं नहीं बता सकता । जो जुमध दकया है उसकी सजा भूगतने के बाद मेरे काम आएगी ।"
गोडास्कर मुस्कराया ।
बोलाउतार में पेट तेरे रर ल्खचडी चम्मच एक अगर ने दौलतराम है जानता तू "-- थी तो दौलत का पता तू िौरन उगल देगा
मगर गोडास्कर उस रकम के बोरे में जानने को ज़रा भी इं न्रल्स्टड नहीं है । गोडास्कर इं न्रल्स्टड है उस शख्स के बारे में जानने
में ल्जसने तुडे काम सौपा।"
" इस मोबाईल से ।कहा ने गोडास्कर "'----"'तुड जैसे अनपढ मुजठरम इसका इस्तेमाल तो करने लगे मगर यही नहीं जानते,
यह सब उगल देता है ।कु ू नहीं 'पचता' इसके पेट मे ।" कहने के वाद गौडास्कर का अंगूठा मोबाईल के बटनों पर ल्थरकने
लगा । कु ू ही देर में उसकी स्िीन पर एक नम्बर नजर अााने लगा । उसे देखते ही गोडास्कर ने पुन---कहा :'ये ले अब !
रहा बता येहै दक दस बजे इस िोन पर दकस नम्बर से िोन दकया गया था । ये भी दकसी का मोबाईल
नम्बर है । रर ये ले । उसने साथ के कहने "'ठरडायल' का बाला बटन दबा ददयािोन उसे ददया ल्मला ने गोडास्कर"---?
अभी पता लग जाएगा तुले काम दकसने सौंपा था ।"
मगर - इतना खुराधट होगा इसकी तो उसने ककपनां तक नहीं की थी । वह यह कहता रहा…हत्यारा मैं हं मगर इसने साल्बत कर
ददयातैयार के बताने नाम का चौबे चिर्र वह । सकता नहीं ही हौ तू हत्यारा- नहीं था, पटृ ठा खुद ही नाम पता करने के
नजदीक है ।
उस वि यह हैरत से मुंह िाडे गोडास्कर की तरि देख रहा था ।जब एक आंख दबाने के साथ गोडास्कर ने कहा जा बैल"----
। रहा करं नहीं ठरसीव अभी !है रही स्िीन पर नम्बर पड़ने की के ल्शश कर रहा होगा । गोडास्कर को मालूम है अपने----
क मोबाईलाी सिीन पर तेरे मौबाईल का नम्बर देखते ही वह िौरन ठरसीव करे गा ।"
दिर, दूसरी तरि से िोन ठरसीव करने के साथ कहा गयामनसब हां "-----, क्या रहा?"
"लाश मैं समुंद्र में िें क आया हं ।आवाज अपनी से मुंह के गोडास्कर " सुनकर मनसब उूल ही पड़ा ।।
" बैरी गुड ।हुई नहीं तो गड़बड़ कोई कही"---थी की चिर्र आवाज "?"
"नहीं ।”
"बताया तो था ।गया कहा डुंडलाकर "…"भारद्धाज कं स्रक्शन कम्पनी की मेन बांच में ।"
"ठीक है । मैं कल बारह बजे आऊंगा ।।वि करते आाँि मोबाईल बाद के कहने " गोडास्कर के होठों पर जैसी मुस्कसान थी जैसे
लोकसभा मे ल्वश्वास मत हाल्सल करते वि ल्खचडी सरकार के प्रर्ानमंत्री के होठों पर होती है । बोला---“लो मनसव
ल्मयां,उखाड़ तो गोडास्कर की पूंू । गोडास्कर ने तो नाम भी पता कर ल्लया । चिर्र चौबे कहते है उसे ।"
मनसब उसकी तरि यूं देखता रह गया था जैसे हाडसांस के इं सान को नहीं, खुदा के बनाए हुए सबसे अदूभुत कठरश्में को देख
रहा हो ।
" गड़वड़ ।------ल्नकला से मुंह के नाटे बैठे पर सीट ड्राईमवंग के वेन मारूल्त चुकीं हो खटारा "''हंडरे ड परसेन्ट गडबड है
।"
"क्या गडबड नजर जा रही है तुम्हें?" बगल वाली सीट पर बैठी माठरया ने पूूा ।
"तुमने नहीं देखा, कु ू देर पहले होटल के गेट पर एक मसधडीस रूकी थी । उसका ल्पूला दरवाजा खोलकर एक आदमी बाहर
ल्नकला ।
उसके चेहरे पर र्नी मूंूल्सर । चश्मा वाला लेंसों काले पर अााांखों थी दाड़ी- पर िै कट हैट था है ल्जस्म पर ओवरकोट रर
गमध पतलून । हाथ में ूड्री ल्लए वह होटल के अंदर चला गया जबदक मसधडीज उसे वहा ूोडकर जा चुकी है । उसके कांच काले
थे इसल्लए मैं ड्राईवर की शक्ल नहीं देख सका ।"
“पर इसमें गडबड़ वाली क्या बात है? यह होटल है, कोई भी आ सकता है ।"
" तुम भूल रही हो, यह शहर का सबसे थडध क्लास होटल है । मसधडीज वाला क्या करने जाएगा?"
"बसी-काटती बात ही अपनी दिर मगर कहा ने माठरया "। है ठीक तो बात- हड़वड़ाई तो भी बहम हमारा यह लेदकन"-----
ही अपने वह है मुमदकन । है सकता हो दकसी काम से अााया हो हमारे मामले से कोई तालुक न हो ।सुन हड़बड़ाहट उसकी "
नाटे ने कहा भी ऐसा तो हो । हां "-सकता है । हमारी हालत चोर की दाढ़ी मे ल्तनका बाली हैं।"
"तो ?"
"तो क्या?"
"कै से पता लगे यह ल्वनम्र ाारा ल्बूाए गए दकसी जाल का ल्हस्सा है या अपने दकसी काम से अााया है?"
"पता लगाकर अााता हं ।। खोला डोर ड्राईमवंग से डटके एक ले नाटे साथ के कहने "
होटल नारं ग था उसका नाम । वैन उसके गेट के ठीक सामने, सड़क के पार खडी थी । बदनाम उस ददन के बाद वह ज्यादा ही
हो गया था । ल्जस ददन पुल्लस ने ूापा मारकर एक मे हो रहीं " ब्कयू दिकम "। थी पकड़ी टीम पूरी की शूंरटंग की "
अखबारों के जठरए यह खबर सारे शहर में िै ल गई थी । खास तो होटल नारं ग पहले ही कु ू नहीं चलता था, उस बदनामी के
बाद तो लोगों ने उसकी तरफ़ रुख ही करना बंद कर ददया । अब तो बस वह बाहर से अााने बाले उन याल्त्रयों के बूते पर
चल रहा था ल्जन्हें उसकी 'शोहरत' के बारे में पता नहीं होता था ।
अपने काम के ल्लए नाटे ने अछूी तरह सोचहोट उस समडकर-ल को चुना था । शहर स दूर, सुनसान इलाके मे था यह ।
माठरया अपनी सीट पर बैठी होटल के गेट की तरफ़ बढ़ रहे नाटे की पीठ देखती रही । वह 'बेपैदी' के लोटे की तरह लुढ़कता
सा सड़क पार कर गेट में समा गया ।
अब बह नजर नहीं आरहा था ।। वह, जो गेट पार करते ही होटल के काऊन्टर पर जा खड़ा हुआ ।
मज़बूरी थी ।
"अल्गरर्र ल्मस्टर अााप आप।-?" काउन्टर के पीूे खड़े मठरयल से शख्स ने कहा थे बाले जाने बजे दस साढे तो आप"---
न?"
अभी तो साढे नौ ही बजे है ।। डाली नजर पर क्लॉक बाल की जमाने आदम रही लटक पर दीवार उसने "
"तो क्या हुआ, क्या मुडे एक घंटे पहले अपने कमरे की चाबी नहीं ल्मलेगी?"
"क्यों नहीं ल्मलेगी? ऐसा कब कहा मैंने?" कहने के साथ उसने हाथ बंढाकर की" बोडध' से एक चाबी उतारी रर उसे काउन्टर
पर रखता हुआ बोला।।'--"रूम नम्बर दो सौ दो ।"
चाबी समेटते हुए नाटे ने कहा-'"मेरे अलावा आज इस होटल में शायद कोई रर नहीं ठहरा है "!
"क्या बात का रहे है ल्मस्टर ल्गरर्र, रूम नम्बर दो सौ पांच एक लडकी ने बुक कराया है । क्या नाम है उनका ।' बड़बड़ाने
के से अंदाज में उसने काउन्टर पर पड़े रल्जस्टर पर नजर दौड़ाई; दिर एक जगह अटकता हुआ …-"नीलम । हााँ । नीलम बत्रा
नाम है उनका । पौने ग्यारह बजे अपने कमरे का चाजध लेगी ।"
नाटा समड वह बात की दिस्टी वह-- कर रहा है । उसने यहां अपना नाम नीलम बत्रा ही ल्लखवाया था ।। होटल नारं ग के
कमरे के कमरे की िोन पर नहीं हेती थी कस्टमर को खुद जाना पडता था ।
अपने मतलब की बात ल्नकलवाने के ल्लये नाटे ने कहाल्नलम के वल मैं होटल वडे इतने अलावा मेरे वस " -- ठहरी हैं".
" दौ सौ ूः में अभी अभी एक साहब गये हैं ।" अपने होटल की साख वचाने के ल्लये मठरयल शख्स को कहना पड़ा ।।
मुडा ।
दो सौ पांच यानी वह कमरा ल्जससे उनके प्लान के मुताल्बक दिस्टी रर ल्वनम्र को ल्मलना था, सामने था । दो सौ पांच के
सामने वाला कमरा उसने ल्लया ही इसल्लए था तादक दिस्टी रर ल्वनम्र की मुलाकात पर ठीक से नजर रखी जा सके ।
कािी मल्द्धम ।
नाटे ने देखापां सौ दो -- :ू सौ दो-------च के ठीक बगल वाला कमरा था । उसके अंदर की लाइट ओंन"' थी ।
पहले नाटा अपने कमरे के दरवाजे की तरि बढा । दिर जाने क्या सोचकर ठठठका । सतकध ल्नगाहों से गैलरू का ल्नरीक्षण दकया
। दकसी तरि कोई नहीं था ।
दाढी बाले ने अभीिै कट ।। थी डाली पर टेबल सेन्टर सी सस्ती उतारकर दाढी से चेहरे अपने अभी- हैट पहले ही से ल्सर पर
नहीं था ।
रर अगले पल ।
नाटे के रोंगटे उसके कु कहे पर लटक रहे होलेस्टर को देखकर खड़े हुए थे । हौंलेस्टर से ठरवाकवर की मूठ डांक रही थी ।
ल्नल्श्चत रूप से वह शख्स टाईम से पहले उन्हीं से ल्नपटने के मकसद से यहााँ पहुंचा था ।
अब नाटे को यहीं खड़े रहने या कु ू रर देखने की कोई जरूरत नहीं थी । वह दवे पांव दरवाजे के नजदीक से पीूे हटा है
महसूस दकया ददल------'र्क्कर्क्क-' की आवाज पैदा कर रहा है । अपने कमरे की तरफ़ बढने की भी कोई कोल्शश नहीं की ।
सीदढयां उतरने के दरम्यान रर काउन्टर तक पहुचते। था ल्लया कर सामान्य को खुद उसने पहुचते-
उसे देखते ही मठरयल से ने कहा---'अरे गए आ वापस जकदी इतनी आप । ल्गरर्र ल्मस्टर !?"
"कोई काम याद आ गया । साथ के बताने "उसने चाबी काउन्टर पर रखी ।।
कु ू कहने के ल्लए मठरयल मैन ने मुह खोला मगर ल्जससे कहना चाहता था वह गायब हो गया ।।
नाटा होने के कारण नाटा लम्बेरख नहीं तो कदम लम्बे- सकता था मगर िु ती से उतनी देर में दो कदम जरूर रख सकता या
ल्जतनी देर मे लम्बा व्यल्ि एक टाइम रखता । कहने का मतलब येनजदीक के वेन करके िास सडक ही डपकते पलक नाटा---
पहुचा । एक डटके से ड्राईमवंग डोर खोला रर दरवाजा वापस बन्द करता हुआ 'र्म्म' की आवाज के साथ ड्राइं मवंग सीट पर
जा ल्गरा ।
"क्या हुआ।। था उठा लऱज लहजा का माठरया देखकर हालत उसकी "
"शक सही ल्नकला ।"। है गड़बड़ भारी "---था रहा हांि वह "
नाटा तो के वल उाेल्लत था । माठरया 'अााातककं त' नजर आने लगी । बस एक ही सेटैन्स _ल्नकला उसके मुह से से यहां "---
"। नाटे चलो
"खतरा है ।"’
"'दिलहाल इतना घबराने की जरूरत नहीं है । भला हमें क्या खतरा हो सकता है । होटल मैं नहीं है हम । होटल के बाहर
खड्रै है । उसे क्या पता ल्वनम्र को ब्लैकमेल करने बाले हम ही हैं । खतरा हमारे 'एक्शन' में अााने पर होगा ।"
" वही, जो पहले से सोच रखा है । । ल्नकाला मोबाईल से जेव की कोट ल्पटे-ल्घसे अपने उसने साथ के कहने "'माठरया बार'
का पसधनल नम्बर डायल दकया । िोन उठाया गया । दिस्टी की आबाज उभरी" । हैलो"---
"तुम्हे तो खुश होना चल्हए । पहले ही आज के प्रोग्राम को लेकर मरी जा रही थी ।"
"मेरे कारण तो प्रोग्राम कैं ल्सल दकया नहीं होगा तुमने । असली वजह बताओ ।"
"कब आओगे?"
"ग्यारह बजे तो ल्वनम्र से मुलाकात दिक्स थी है जब प्रोग्राम ही कैं ल्सल हो गया है तो इतने लेट क्यों आओगे?"
" एक तो एक करोड से अचानक वन गई दूरी । दूसरे दिस्टी के सवाल । नाटा डुंडला उठा…"सवाल पर सवाल दाग कर ददमाग
खराब मत करो दिस्टी । जो कह रहा हं उसे ध्यान से सुनोठरसेप्शन नारं ग होटल मगर है अााना नहीं यहां तुम्हें-- पर िौन
करके कहो…
" तुम थोड़ी लेट हो । पौने ग्यारह की जगह सबा ग्यारह बजे पोहुंचोगी । रर कहना । पहुंचेगा मेहमान एक मेरा बजे ग्यारह-
। जाए दी दे चाबी की कमरे उसे साथ ही मेरे सवा ग्यारह बजे पहुचने का मेसेज भी ददया जाए ।उससे कहा जाए--- वह
कमरे में बैठकर इं तजार करे ।"
" पर जब मुडे वहां पहुचना ही नहीं है तो ल्बनम्र को इं त्जार कराने का क्या िायदा?"
"सवालों में मत उलडो दिस्टी । के वल वह करो जो कह रहा हं । तुम समड गई न क्या करना है?"
" हां ।"
" गुड , अभी िोन कर दो । ददया कर आि कनेक्शन उसने बगैर ददए मौका का करने सवाल कोई को दिस्टी बाद के कहने "
।
इसील्लए, जब वह मोबाईल बापस जेब में रख रहा था तो बोली…“तुमने दिस्टी ाारा ठरसेप्शन पर ‘मेसेज' क्यों ूु ड़वाया?"
"देखना तो होगादिर रर है होता क्या क्या यहां --, ल्वनम्र की अक्ल भी दुरुस्त करनी होगी । "
नाटे ने हाथ बढाकर 'वेन' के डैशबोडध से गोकड िं लैक का पैदकट ल्नकाला रर लाईटर उठाया । ल्सगरे ट सुलगाई । ल्सगरे ट
माठरया ने भी सुलगा ली थी ।
"मेरी समड में अभी भी नहीं आ रहा, तुम क्या कह रहे हो?"
"'सबसे पहले यह जानना जरुरी है…नकली दाढ़ी मूंड वाला कौम है ?"
"नहीं ।पु वह "ल्लस वाला नहीं लगता । खुद फ़सा हुआ आदमी पुल्लस की मदद नहीं लेता । रर दिर, पुल्लस के घेरने का
तरीका जरा अलग होता है । घेरा अगर पुल्लस का होता तो वह अके ला नहीं होता । सादे ल्लबास में ही सही, होटल के
आसपास भी पुल्लस वाले नजर जा रहे होते जबदक यहााँ दूरअ हमारे तक दूर-लावा कोई नहीं है !"
"अभी टाईम ही क्या हुआ है । क्या पता ग्यारह बजते"। जाए ल्लया घेर को होटल बजते-
"हां । ऐसा हो सकता है मगर यह पुल्लस का आदमी है तो ऐसा जरुर होगा रर यदद हुआ तो खतरा भांपते ही हमारे पास
यहााँ से रिू कोई अलाबा के जाने हो चक्कर- चारा नहीं होगा । मचंता मत करो । हम ऐसा ही करे गे । मगर पहले ही भाग जाना
बेवकू िी होगी । थोड़ी ल्हम्मत रर साहस से तो हमे काम लेना ही होगा । खतरा भी उठाना होगा । बहरहाल, मामला अरबों
का है रर दिर, एक बार दिर कहंगामुडें"- यह पुल्लस बाला नहीं लगता ।"
"शायद ल्वनम्र का कोई ऐसा दोस्त ल्जसे वह इतने गहरे राज में भी राजदार बना सकता है ।"
" काश, ऐसा ही हो ।’" माठरया ने प्रेयर। ल्नकले न वाला पुल्लस वहं"---की सी- अगर उसने पुल्लस को इन्वाकव कर ल्लया
होगा एक पैसा हाथ नहीं लगेगा । हमारी आशाओं पर पानी दिर जाएगा ।"'
" देख लो साली साल्हबा ।। मेरी सतकध ता रर तरकीब काम आा गई न हम यहां की चौक्सी ना कर रहे होते, न ही ल्वनम्र
ाारा ल्बूाए गऐ जाल का पता लगता, पता तभी लगता जब हम उसमे िं स चूकै होते ।"
ल्नगाहे बराबर वेन से बाहर का ल्नरीक्षण करती रही थी । ऐसी कोई सददग्र् बात नजर नहीं अााई ल्जसके कारण उसे यहााँ से
हटना पडता ।
'"तुम्हें पूरा यकीन है न, यह नकली दाढ़ी मूंड वाला हमारे ही चक्कर में था ।"
"हााँ ।"
“कही ऐसा तो नहीं, वह अपने ही दकसी चक्कर से हो । हमारे मामले से कोई मतलब ही न हो उसका रर हम बेवजह भ्रल्मल
होकर एक करोड रुपए का नुकसान कर ले ।।"
नाटे ने होटल का गेट पार करके अंदर चले गए ल्बनम्र से नज़रे हटाकर माठरया की तरि देखा । हककी के उस उभरी मुस्कान सी-
भी का ररतों तुम---बोला पर होठों जवाब नहीं । एक पल में इतना घबरा जाओगी दक साथ बाले के हाथ। दोगी िू ला पैर-
दूसरे पल इतना हौंसला ददखाओंगी दक साथ बाला दंग रह जाए ।"
"क्या तुम लालची नहीं हो? तुम्हारा मन नहीं कर रहा उस अटैची में भरी दौलत को अपनी बनाने का?"
"लालची भी हं रर मन भी कर रहा है मगर इस सबमे िं स कर अपना ल्ववेक खोने को तैयार नहीं हं।
जबदक तुम अटैची देखकर वौरा चुकी हो । तुम जो यह पता लगते ही यहााँ एक पल भी ठहरने को तेयार नहीं थी दक दाढी
वाले के पास ठरवॉकवर भी है । अचानक तुममें इतना हौंसला अाा गया । यह के वल लालच के कारण अााया है ।।। नाटा कहता
चला गया----“यह दावा पेश करने का मेरे पास कोई कारण नही है दक नकली दाढ़ी बाले का सम्बन्र् हमारे ही डमेले से है
।। बेशक वह
अपने ही दकसी ऐसे चक्कर में भी हो सकता है ल्जसका हमसे कोई मतलब न हो मगर इस 'आशा' के बूते पर से कोई ठरस्क
नहीं ले सकता । अगर उसका सम्बन्थ हमारे ही डमेले से हुआ तो लेने के देने पड़ जाएंगे ।"
"डरा नहीं रहा डार्लंग । समडा रहा हं ।बेन उसने साथ के कहने " स्टाटध करके आगे बढा थी ।
"क्यो?"
"कमतलब क्या-?"
"उसे िोन करूंगा । डराऊंगा उसे । तादक यदद इस बार उसने कोई चाल चली हो तो अगली बार न चले । शराफ़त से अटैची
हमारे हवाले कर दे ।"
" कू ढ़ मगज हो तुम । मोबाईल का इस्तेमाल हमे िं सा सकता है । "कहने के साथ उसने स्पीड बढ़ा दी ।
ल्वनम्र को पहली बार पता लगा करोड रुपए अगर पांच सै के नोटो की सूरत में भी हों, तब भी उनसे कािी वजन होता है ।
अटैची को मुल्श्कल से उठाए काउन्टर पर पहुंचा । उसे देखते ही मठरयल मैन ने अपने लम्बे हुए ददखाते दांत मैले ओंऱ लम्बे-
--कहा'"आप ल्मस्टर ल्वनम्र हैं न?
वह खीखी-' करके हंस पड़ा । ऐसा करते वि दांत कु ू ज्यादा ही स्पष्ट नजर अााए ।
"की बोडध' से रूम नम्बर दो सै पांच की चाबी उतारकर काउन्टर पर रखने के साथ कहा िोन का मेमसाब बत्रा नीलम"--
बजे ग्यारह--"कहा उन्होंने । था अााया ल्मस्टर ल्वनम्र अााएंगे । पूरे ग्यारह ही बजे हैं । वहुत पंचुअत"' हैं आप ।"
"नीलम बत्रा?" ल्वनम्र यह सोचने के साथ बडबड़ायाहै वाली होने से लड़की दकसी मुलाकात उसकी क्या"-?"
"जी हां । वे सवा ग्यारह बजे पहुच जाएगी । अााप रूम मे वेट करें ।। मठरयल मेाैन ने चाबी उसकी तरि सरकाते हुए कहा-
"। पांच सौ दो नः रूम "----
ल्बनय सोच रहा थाकर नही ल्नश्चय अभी । नहीं या करे इं तजार जाकर में कमरे "--- पाया था दक मठरयल मेाैन ने पूूा----
सर ल्भजवाऊ में कमरे तक तब"?"
'ल्वनम्र की लगापन्द्रह तो रहा यहां । है बीमारी की बोलने को शख्स इस--- ल्मनट में ददमाग 'चटृ ट' कर जाएगा ।इस वि
वैसे ही उसे यह सोचना था दक इन हालात से कै से ल्नपटना है ।। अत. रूम में जाकर
वेट करने का ल्नश्चय करने के साथ पूडामेरी जौ हैाे कौई ऐसा क्या"---
अटैची रुम में पहुंचा सकै ?"
"क्यों नहीं सर । हमारे होटल में सारे इं तजाम है । दकसी से जोर उसने साथ के कहने "'ल्बरजू' को आवाज लगाई ।।
ल्वरजूके नाम पर करीब अटृ ठारह साल का एक लडका दौड़ता हुया आया । उसने गंदा । ही रखी पहन शटध रर नेकर सा-
मे रुम अटैची उसे ने मैन मठरयलां पहुचाने का हुक्म ददया ।
लॉक ल्वनम्र ने खोला । अगला कदम बढाते ही उसने खुद को ऐसे कमरे मैं पाय ल्जसमें र्ूल भरा , बुरी तरह ल्घस चुका लाल
रं ग का कापेट ल्बूा था ।
कई जगह से िट भी चुका था । एक ल्नहायत हीं सस्ता बैड ओर वैड पर जो चादर ल्वूी थी वह थी तो र्ुली हुई परन्तु इतनी
गंदी रर सलवटेदार दक बैठना तो दूर ल्वनम्र को उसकी तरि देखना गंवारा न हुआ ।
ल्बरजू ने अटैची पलंग के नजदीक कापेट पर रख दी रर जाने के ल्लए मुड़ा । ल्वनंम्र ने उसे रोका ।
यह सोचकर दस का नोट ददया दक उसने इतनी मेहनत की है ररमानो करना ऐसा. . . उसके जीवन की सबसे भूल थी ।
ल्बरजू बेहद खुश हो गया । दस का नोट हाथ में लेकर बल्कलयों उूलने लगा । जोर लाऊं क्या "-----लगा पूूने से जोर-
साहव? ल्वनम्र को हर बार कहना पड़ा-'कु ू नहीं' मगर ल्वरजू माना ही नहीं । तव तक पूूता रहा जब तक ल्वनम्र डुंडलाकर
चीख नहीं पड़।
"तुमने सुना नहीं क्या, कु ू नहीं चाल्हए? तव कहीं जाकर ल्बरजू सहमा । घूमा रर हवा के डोके की तरह कमरे से बाहर
चला गया ।
ल्वनम्र को लगा। दकया बंद दरवाजा । हो हुआ अााजाद ल्सर हुआ जकड़ा जैसे"-------
घूमा ।
कु ू देर बाद कोट की जेव में पड़ा मोबाईल बज उठा । हौले से चोंका । उसे बाहर ल्नकाला । स्कीन पर नजर अाा रहा नम्बर
पढा । नम्बर अंजाना था । दिर भी "ग्रीन बटन' दबाया । कान से लगाने के साथ बोला"। हेंलो"--
'"हां मैं । मैं बोल रहा हं ।"आबाज ऐसी थी जो जैसे िोन के दुसरी तरि बैठा वह ल्वनम्र का लह जमा देना चाहता हो "---
को आवाज इस कभी दिर । लो कर सेट में जेहन अपने को अााबाज मेरी सुनकर 'कौन' मत कहना ।"
" तुम्हें तो इस वि िोटु ओं के साथ यहां होना चाल्हए था । नारं ग होटल रूम नम्बर दो भी पाच में ।"
ल्वनम्र चकराया । बोलातुम हो रहे कह क्या "-------? मेरो समड में कु ू नही ाँ आरहा?”
"ये िोटों जब पुल्लस कल्मशनर की टेबल पर पड़े होंगे तो सब समड में आ जाएगा ।"
रोंगटे खड़े हो गए ल्वनम्र के ।।। एक बार को तो सारे ल्जस्म में डुरडुरीसी- दौड़ गई मगर शीघ्र ही खुद को संभालकर
आत्मल्वश्वास भरे स्वर में बोला-----'' क्यों, क्यो पुल्लस कल्ममर की टेबल पर पहुंचेगे?"
"मुंह मांगी कीमत दे रहा हं ।। तूने एक करोड मांगा । इस कमरे में बुलाया । मैं रकम लेकर पहुंच गया हं ।। दिर क्यों तुम
उन िोटु ओं को मेरे अलावा दकसी अन्य के पास पहुचाओगे ?"
"पता नहीं तुम इतने नाराज क्यो हो? अरे भई मैं तो सही समय पर पहुच गया हं । नहीं अााए तो तुम्ही नहीं जाए ।"
"जरूरत से ज्यादा चालाकी हमेशा दुख देती है ल्मस्टर ल्वनम्र । यह बात हमेशा याद रखना । अगर तुम यह सोच रहे हो दक
मुडे तुम्हारे ाारा ल्बूाए गए जाल की जानकारी नहीं है तो यह तुम्हारी बेवकू िी है ।"
" महै ल्बूाया जाल कोई नेमैं । मैंने -?" ल्वनम्र की समड में कु ू नहीं आ रहा था जाल क्या ल्खलाि दकसके मैं भला"---
ल्बूाऊंगा?"
" तुमने मेरे ल्खलाि जाल ल्बूाया है । यह खुशिहमी पालकर दक तुम मुडे िं सा सकते हो ।"
"कतुम हो रहे कर बात क्या-? तुम्हारे ल्खलाफ़ कोई जाल ल्बूाने की मैं पोजीशन में ही कहााँ हं?"
"उफ्ि"। दकया नहीं कु ू ऐसा "------मानो यकीन । तुम्हें है गया हो वहम क्या नहीं पता !
"सुनना ही चाहते हो तो सुनो"। है जानकारी की शख्स ठहरे में :ू भी दो नम्बर रूं मुडे "-----'
"क्यों, सरक गई न ? यह सोचकर हो गए न होश िाख्ता दक मुडे उसके बारे में जानकारी कै से ल्मल गई? ज़वाब एक ही
हैल्मस्टर ल्वनम्र । तुम मेरे पहले ल्शकार नहीं हो । मेरा तो र्ंर्ा ही तुम जेसे लोगों के दौलत पर ऐश करना है । खुद भी
ल्गनना चाहं तो शायद ल्गन न सकू दक अपने अब तक के जीवन मे दकतने लोगों को ब्लैक मेल दकया है । अगर अपनी आंखें बंद
रखा करता । तुम जैसे गर्ों के डांसों में अााने वाला होता तो इतने ददनों से इस र्ंर्े में जमा न होता । बहुत पहले दकसी की
गोली से मरवह ह ककं ग का र्ंर्े अपने मैं आज । होता गया खप- के वल इसल्लए क्योंदक कोई मुडे र्ोखा नहीं दे सकता ।"
" मुडे बोलने का जरा भी मोका ददए बगैर पता नहीं तुम क्याजा चले कहे क्या- रहे हो ।। मारे हैरत के ल्वनम्र का बुरा हाल
था। करते नहीं क्यों यकीन"-- मैंने, तुम्हें िं साने के ल्लए कोई जाल नहीं ल्बूाया ।
"ल्सिध िं साने के ल्लए नहीं ल्मस्टर ल्वनम्र । मुडे मार डालने के ल्लए जाल ल्बूाया है । रूम नः दो सो ूतु में :म्हारे आदमी
के पास मैंने अपनी आंखों से ठरवॉकवर देखी है ।"
"'ठरहो रहे कं र बात क्या-क""--गया हकला ल्वनम्र "। कवरठरवॉ-?कौन ठहरा है वहां?" "
"यह भी मैं बताऊंगा"' लहजा जहर में बुडा था ।
'ल्वश्वास करो । मुडे नहीं पता वह कौन है तरहे समड आदमी मेरा उसे तुम- हो जबदक मुडें इतना तक नहीं मालूम दक वहां
कोई ठहरा हुआ भी है ।भला मै...........
"बस ल्मस्टर ल्वनम्र बस ।गुराधकर " कहा गयाहं नहीं वाला आने में डासों इन मैं । एंल्क्टग चुकी हो वहुत"-- ।जानता हं ---
बोल वहुत । हैं बौखलाते तरह इसी लोग जैसे तुम पर जाने पकड़े चुके । अव मेरी सुनो पहली वेबकू िी मानकर माि कर रहा हं
!
कान खोल कर सुनो "। है आना कहां लेकर पैसे बताऊंगा । करूंगा िोन दिर कल --
ल्बनम्र ने एक बार दिर सिाई देनै के ददए मुह खोला मगर इससे पहले दक उसकी कोई आवाज ल्नकल पाती दूसरी तरि ने
ठरसीवर पटक ददया गया । उसके कै ल्डल पर पटके जाने की अाानाज 'र्माका’ बनकर ल्वनम्र के कानों के पदे से टकराई थी ।
जहां का तहां खड़ा रह गया ।।
दिर अचानक ।
देखना तो चाल्हये ।
उसने महसूस दकया था। रही घूर उसे आंख एक सटी से होल की "-------
कदमो की आवाज आई ।।
रर।।
ऐसा देखते हो ल्वनम्र का खून खौल उठा । डपटकर एक ही जम्प । पहुचा सामने के दरबाजे में-
इतना ही नहीं ।।
'भड़ाक’ की जोरदार आवाज के साथ दरवाजा खुल गया । ल्नःसन्देह उसकी चटकनी भी दो सौ पांच के दरवाजे की चटकनी
जैसी मठरयल सी थी ।।
दरवाजा खुलते ही ल्बनम्र ने कमरे के अंदर जम्प लगा दी । अभी सम्भल भी नहीं पाया था दक आवाज गुंजी ल्हले भी जरा"---
।। दूंगा मार गोली तो
ल्बनम्र बौखलाकर अाावाज की ददशा में घूमा ।। उसके सभी मसानों ने एक साथ पसीना उगल ददया ।।
वह ओवर कोट, िे कट हैट रर काले लेंसों वाला चश्मा पहने घनी दाढीबाले मूंू- शख्स के एक हाथ में ूड़ी थी, दूसरे में
ठरवॉकवर ।। शायद ल्लखने की ज़रूरत नहीं है दक ठरवात्वर ल्वनम्र की तरि तना हुआ था । उसी ने उसके सारे मसानों को
पसीना उगलने पर मज़बूर कर ददया था । मुंह से के वल एक ही सेन्टेन्स ल्नकल सकातुम हो कोन"----?"
"मैं जो भी हं , याद रखना । पीूा करने की कोल्शश की तो गोली मार दूगा ।। र्रघराती यह साथ के कहने में आवाज़ सी-
" । बढ़ा तरि की जेदरवा
क्यों ?
कारण एक ही हो सकता है ।
'कौन है यह?' यह सवाल हथोड़े की तरह ल्वनम्र के जेहन की दीबार पर टकराया है कौन" -------?"
लगामज़बूर ल्लए के बोलने । है सकता पहचान उसे तो सुने आवाज रर वार एक अगर--- करने हेतू ल्वनम्र ने उसकी तरि
कदम बढाया । वही हुआ । ठठठकर यह पुन: घरघरातीगुररध या में आवाज सी-'----'स्टॉप ।"
जेहन पर जोर डाला । ददमाग नाम बस उगलने ही वाला था दक आंखो ने पुन उसे :दरवाजे की तरफ़ सरकते देखा ।
उसके चेहरे पर र्नी दाढ्रीमहसूस ने ल्वनम्र बावजूद के होने मूंूे- दकया चेहरे ूू पे पीूे के मूंू-दाढी सुनकर वाक्य उसका------
के बौखलाहट पर भाव उभरे । जवाब में वह कु ू बोला नहीं, ठरबााँत्वर उस पर ताने पहले की अपेक्षा थोड़ी तेजी के साथ
दरवाजे की तरि वढ़। ।
ल्वनम्र को लगापाएगा जान नहीं जीवन सारे शायद तो गया ल्नकल अगर---, यह कौन है?
मगर कै से?
अचानक ल्वनम्र के जेहन मे वेद प्रकाश शमाध के दकसी उपन्यास का दृश्य कौर्ा ।
उसी दृश्य की नकल"ल्बरजू। नहीं "-------चीखा देखता तरि की दरवाजे पीूे के शख्स बाले दाढी । उसने की-
काम बन गया ।
उपन्यास के पात्र की तरह ल्वनम्र ने अपने जूते की ठोकर पूरी ताकत से ठरवाकवर बाले के हाथ मे मारी । ठरवॉकवर दाढ़ी बाले
के मुंह से ल्नकली चीख के साथ हाथ से ल्नकला ।
ूत से टकराया रर सेन्टर टेबल पर रखे जग को अपने साथ लेता कापेट पर जा ल्गरा । इस बीच ल्वनम्र ने जबरदस्त िु ती के
साथ डपटकर दाढ़ी वाले को दबोच ल्लया था ।जोरदार र्क्के के कारण दाढ़ी वाला कापेट पर जा ल्गरा । उसी के साथ जा ल्गरा
उससे ल्लपटा ल्वनम्र ।
गुत्यमगुत्था हुए वे कु ल दूर तक लुढ़कते चले गए । ल्वनम्र की कोल्शश उसके चेहरे से दाढ़ी। थी की नोचने मूंू- दाढी वाले को
उसके 'प्रयास' का इकम हो गया था ।।
दाई कलाई दाढ़ी वाले के हाथ से आजाद की । अगले पल दाढी उसकी मूठी में थी । तभी, दाढी वाले ने पूरी ताकत से उसके
पेट में लात मारी । मुंह से चीख ल्नकालता ल्वनम्र दुर जा ल्गरा । उस वि वह उठने की कोल्शश कर रहा था ।। जब दाढी
बाले ने सीर्ी जम्प दरवाजे की तरफ़ लगाई ।
वह भाग रहा है ।।
परन्तु ।
बाहर ल्नकलने के साथ दाढी बाले ने दरवाजा गैलरी की तरफ़ से बंद कर ददया था ।।
ल्वनम्र ने डुंडलाकर दरवाजे को डंडोड्रा । यहााँ तक दक उसे तोड़ डालना चाहा । परन्तु गोली की तरफ़ से लगा 'डंडाला' शायद
अंदर की तरफ़ लगी चटकनी ल्जतना कमजोर नहीं था ।
गेाैलरी मे कू ू भागते कदमों की आवाज ने जब ल्वनम्र के जेहन को यह 'मैसेज’ ददया रहा जा होता दूर से पकड वह ------
ल्चकला िाड़कर हलक तो है उठा'--""पकडो "। पकडो. . . . . .
मगर । उसके कानों में अपनी ही आवाज गूंजती रहीं । ऐसा लग रहा था जैसे आबाज सुनने बाला उसके अलावा यहााँ कोई था
ही नहीं ।।
दूर होती भागते कदमों की आवाज अंतत।। गई हो बंद पहुंचनी तक कानों उसके :
जैसे समड गया हो। है नहीं िायदा कोई का रहने करते सव यह-----
दाढ़ी अभीथा क्या िायदा मगर । देखा उसे ने ल्वनग्र । थी में हाथ उसके भी-? दाढ़ी उस चेहरे के बारे में तो कु ू बता नहीं
सकती थी उसने कु ूे देर पहले तक उसने ूु पा रखा था ।
इस वात को शायद 'वह' भी जानता था । तभी तो दाढ़ी । था रहा बोल बदलकर अाावाज । था हुये लगाए मूंू --
आवाज का ख्याल अााते ही ल्वनम्र को एक बार दिर लगाका माल्लक के आवाज़ "-- चेहरा बस मल्स्तष्क पटल पर वस उभरने
ही वाला है । ददमाग पर जोर ददया । याद करने की कोल्शश की…दिसकी आवाज है वह? कहां सुनी है उसने?
नजर ठरवॉकवर पर अटकी । दाढ़ी बाले का ठरवॉकवर था वह । जग से ल्बखरे पानी से गीले हुए कापेट पर पड़ा था । नजदीक
ही जग भी लुढका पड़ा था ।
लपका । गीले कालीन के नजदीक पहुचा । डुका । रर ठरवाकवर उठा ल्लया ।।'यह तो मामा का ठरवॉकवर है ।' ददमाग
मचंर्ाड़ा"! का मामा"---
वही है ।
कै ाेसे पता लगे? कै से पता लगे ठरवॉकवर मामा का है या बैसा ही कोई दूसरा ।
के वल एक ही तरीका है ।
एक नम्बर के दो ठरवॉकबर कभी नहीं होते । ठीक वैसे ही जैसे दो आदल्मयों के किं गर ल्प्रन्टस एक जैसे नहीं हो सकते ।
मगर । मैने मामा के ठरवॉत्वर का नम्बर कभी नहीं देखा । न कभी इसकी जरूरत थी, न ध्यान ददया । मामा के ठरवॉकवर का
नम्बर कै से पता लगे?
एक ही तरीका है ।
यह एहसास उसे कं पकं पाये दे रहा था दक दाढी। गूंजी में कानों आवाज की वाले दाढ़ी दिर एक । थे मामा शख्स बाले मूू-
जेहन में ल्वस्िोटप्रकाश उस । गया िै ल प्रकाश में मल्स्तष्क सारे रर हुआ सा- में मामा का चेहरा साफ़ नजर अाा रहा था हां,
उन्ही की आवाज थी वह । वे आवाज को बदलने के कोल्शश कर रहे थे ।
गोडास्कर के शब्द ठीक उस तरह मल्स्तष्क में गूंजने लगे जैसे इं सान के मुह से ल्नकली आवाज चारों तरि से बंद कमरे मे गूंजती
है । हर प्वाइं ट चीखचीखकर- कह रहा र्ा-'वे मामा ही थे ।' बावजूद इसके , ददल मानने को तैाेयार नहीं था ।
उसने िै सला दकया करे गा। नहीं ल्वश्वास पर बात इस बगैर देखे सलाइसें- --
उसके अाादेश पर टैक्सी ड्राईवर ने हानध बजाया है, लोहे के ल्वशाल दरवाजे में एक मोखला खुला ।
ल्सक्योठरटी गाडध ने टाचध की रोशनी टेक्सी पर डालने के साथ पूूाकौन"--?" ड्राईवर की बगल वाली सीट पर बैठे ल्वनम्र ने
चेहरा ल्खडकी से बाहर ल्नकालकर कहा"। राजवीर खोलो दरवाजा-----
माल्लक की आबाज पहचानते ही राजवीर नामक ल्सक्योठरटी गाडध मानो बौखला गया । तेजी से टांचध बाला हाथ मोखले"' से
खीचा ।
ड्राईवर ने ल्वनम्र के आदेश पर टैक्सी अाागे बढाई । कायदे से होना ये चाल्हये था टैक्सी सीर्ी पोचध के नीचे जाकर रूकती मगर
गेट िॉस करते वि ल्वनम्र को जाने क्या सूडा, तेजी से ड्राईवर के टैक्सी रोकने के ल्लए कहा ।
ल्जस बात को वह स्वीकार नहीं करना चलता था, हालात उसी की पुल्ष्ट दकए दे रहे थे ।
मामा अगर होटल नारं ग से ही अााए थे तो लगभग पन्द्रह ल्मनट पहले ही अााने चाल्हये थे । वह खुद वहााँ से दाद्री बाले के
पन्द्रह ल्मनट बाद चला था ।
"कै से अााए थे मामा?" ल्वनम्र ने अगला सवाल दकयासे टैक्सी"---, या अपनी गाड्री में?"
राजबीर चकरा गया । ऐसे सवाल इस घर के दकसी मेम्बर ने दूसरे मेम्बर के बारे में कभी नहीं पूूे थे । जवाब तो देना दी था
। हड़बड़ाकर बौला----'"ममैंन-
े ध्यान नहीं ददया साब ।"
उसके हड़ब्रड़ाने पर ल्बनम्र ने महसूस दकयापूू सवाल ल्वल्चत्र बड़े से नौकर में बारे के मामा अपने लह सचमुव-- रहा था । इस
बार उसने सीर्े टैक्सी ड्राईवर से कहा…"चलो ।"
पोचध करीब पांच सौ मीटर दूर था । उसके रर लोहे बाले गेट के बीच इतने पेड़ थे दक पोचध नजर नहीं आता था ।
उर्र यूटनध"’ लेने के बाद टैक्सी लोहे वाले गेट की तरि गई इर्र, ल्वनम्र इमारत के मुख्य ाार की तरि बढ़ा । जेब से चाबी
ल्नकाली । ' की होल ' में डाली रर गेट खोल ददया ।।
शाम के वि जाने वाना घर का हर मेम्बर एक चाची जेब मैं डालकर ले जाता था । तादक लेट हो जाए तो दकसी भी दूसरे
मेम्बर को ल्डस्टबध दकए बगेाैर इमारत के अंदर पहुच सके ।
मां रर मामा के कमरे की तरफ़ देखाकमरो दोनों-----ां की लाईट आाँि थी । कु ू देर अपने स्थान पर खडा सोचता
रहा…अपने कमरे , की तरि , या मामा कै ? िै सला दकया। चाल्हए बढना ही तरि की कमरे के मामा---
ददलोदरवाजे के कमरे के चौबे चिर्र पांव दबे ल्वनम्र ल्लए खौि वही पर ददमाग- के नजदीक पहुंचा । यह देखने के ल्लए चारो
तरि नजर घुमाईनहीं तो है कोई कहीं- ।
पलक डपकते ही न के वल चेहरा बल्कक सारा शरीर पसीनेमल्द्धम का बकब नाईट के रं ग ग्रीन मे कमरे । था गया हो पसीने-
प्रकाश था जो उसे लाबी मे नजर नहीं आ सका था!
एक शख्स के सामने खड़े मामा को ल्वनम्र सामने देख रहा था । शख्स का रं ग कब्बे के रं ग ल्जतना काला था । ल्सर पर घने,
दुर् जैसे सिे द बाल । उसकी भवों तक के बाल सिे द थे । रसत कद का था था । अर्ेड । चेहरे से िू र नजर अााता था ।
वह सिे द पैंट, सिे द शटध रर सिे द ही पीटी। था हुए पहने शू-
चिर्र चौबे ने उससे अभीहं चुका कह बार दकतनी "---था कहा अभी-, तुम्हें जो चाल्हये एक वार मुंह िाड़कर मांग लो ।"
काले शख्स के काले होठो पर मुस्कान िै ल गई वहुत ही ज़हरीली मुस्कान थी वह । ऐसी की स्याह चेहरों कु ू रर िू र नजर
आने लगा । एकसा-चबाता को लफ्ज एक- बोलाहलाल को मुगी बाली देने अंडे के सोने मैं की चाहते कहना यह तो"--- कर
देने की बेवकू िी कर डालूं ?"
" पर हर चीज की एक सीमा होती है पवन प्रर्ान ।चला कहता चौबे चिरर्र " गया हो साल पीीस आज को हादसे उस"---
तक कब । गए'हमारी' मजबूरी का िायदा उठाते रहोगे?"
वह हंसा । वह, ल्जसे चिर्र चौबे ने पवन प्रर्ान कहकर पुकारा था । बड़ी ही भयंकर हाँसी थी उसकी । ऐसी, जैसे भेल्डया-
सिे द बीच के होंठों काले । हो हंसा दांत बेहद डरावने लगे थे । उन्हें चमकाता बौलापीीस के वल तो तुम्हें "- साल हुए हैं चौबे
। मेरे पास तो ऐसी ऐसी-'असाल्मयां' हैं ल्जन्हे पचास साल से भी ऊपर हो चुके हैं । पैाेर कव्र में लटक चुके है उनके , मगर
'िांसी' के डर से आज भी मैं जो मांगता हं --'बाइज्जत' देदेते हैं ।। मैं जौंक' हाँ चोबे । ऐसी 'जोक' एक बार अगर दकसी
के ल्जस्म पर अपने पंजे गाड दे तो सारे जीवन
कतरा हर । हे रहती पीती खुन करके कतरा-'ब्लैक मेकर' जौंक होता है । हमारा तो र्ंर्ा ही तुम जैसे 'दान दाताओं' से
चलता है । एक ही बार में मुगी हलाल कर दें तो बाकी जीवन क्या खाएंगे? बहुत लम्बी होती है लाईि ।"
" खैर । चौबे चिर्र "का लहजा उसके सामने हल्थयार डालने जैसा था---'बोलो अब क्या चाल्हए तुम्हें?"
"क्यो?"
" इस महीने की पहली तारीख को एक लाख ले जा चुके हो ।। बाकी पचास हजार ही बचे ।। हमारे बीच एक महीने में डेढ़
लाख का सौर्ा हो चुका है । इससे ज्यादा न तुम मागों, न 'हम' देगे ।"
"मुडे कोई समडोता याद नहीं है चोबे । कह ददया सो कह ददया । मुडें एक लाख चाहीए ।"
एक वार को चिर्र चौबे गुस्से में नजर जाया है चेहरै भभका । मगर अगले पल उस पर कसमसाहट के भाव उभरे ।। ऐसे,
जेसे बहुत कु ू करने की इछूा के बावजूद कु ू न कर पा रहा हो । उसी मुद्रा में अलमारी की तरि बड़ा ।
चौबे ने अलमारी से नोटो की एक गडडी ल्नकाली । घूमने के साथ उसकी तरि िें का।। गुराधयालो "-- रर िू टो यहां से । "
पवन प्रथान ने कहा-'दकतनी बार कहा है चौबे लक्ष्मी को िैं का मत करो ।"
"तुम जा सकते हो ।। आया नजर करता प्रयास का दबाने को गुस्से चौबे चिर्र "
" जाता ह यार । जा रहा हं । घुड़की क्यों दे रहे हो ?" कहने के वह कमरे की खुली पडी ल्खड़की की तरि बड़ा ।।
ल्वनम्र जानता था ।। है सकता जा पहुंचा में लॉन दकचन के ल्वला करके िास को ल्खड़की उस --
ल्वचार बहुत तेजी से ल्वनम्र के जेहन में कौर्ें ।।
" कौन है पवन प्रर्ान ? उससे क्यों मांमा ब्लैक मेल हो रहा है !25 साल से क्यों चल रहा है ये ल्सलल्सला ?? सारे
सबालों के जबाब तभी ल्मल सकते हैं जब मैं उसे पकड़़ु । यह ल्हम्मत मुडे ददखानी होगी ।"
ल्वनम्र को अपनी जेब में पड़े ठरवॉकवर का ख्याल आया । हौसला वढ़ गया उसका । सोचा----'ठरवॉकबर के सामने पबन थरथर
कांपने लगेगा ।"
'जो होगा देखा जाएगा ।' ऐसा सोचकर आंख 'की होल' से सटाए ल्वनम्र ने एक साथ दोनों हाथो से दरवाजा पीटा । साथ ही
ल्चकलाया"!मामा खोलो दरवाजा"-
उसने ल्खड़की के नजदीक पहुंच चुके पवन प्रर्ान रर अलमारी के करीब खड़े चिर्र चौबे को इस तरह हडबड़ाते देखा जैसे दोनों
ने अपने बीच सांप को 'िुं कारते देख ल्लया हो ।
दिर ।
चिर्र ने प्रर्ान को भाग जाने का इशारा दकया । प्रर्ान ने ल्खड़की से बाहर जम्प लगा दी । अब बह नजर आना बंद हो गया
था । ल्वनम्र समड गयाउसे मामा- पकडबाने में मदद करने वाला नहीं हैं । वह पवन प्रर्ान के िरार होने से पहले कमरे का
दरवाजा नहीं खोलेगा । सो, ल्वनम्र ने जेब से ठरवॉकवर ल्नकाल ल्लया ।
बंद ल्खडकी की तरि लपका । बह भी दकचन लॉन में खुलती थी । एक डटके से ल्खड़की खोली । सिे द कपड़े पहने होने के
कारण पवन प्रर्ान बाऊन्ड्री की तरि दौड़ता साि नजर आया ।
"रुक जाओ वरना गोली मार दूंगा । ।। गई चली चीरती को सन्नाटे ूाए में ल्वला दहाड़ की ल्वनम्र "
"घांय ।"
'साथ ही दौडता हुआ पवन प्रर्ान मुह के बल ल्गरा । गोली उसके दाए' पेर की ल्पण्डली में लगी थी । बावजूद इसके तेजी से
उठा । रर पुन :सख्ती बाऊन्ड्री वाल की तरि दौड़ा ।।
ल्वनम्र ने एक गोली रर चलाई । साथ ही चौखट पर पैर रखकर दकचन लान में कू दा रर पवन प्रर्ान की ददशा की तरि
दौड़ता चला गया । वह बार।। था रहा कह ल्लए के जाने रुक उसे ल्चकलाकर बार-
वह ल्गर गया ।
बह मर चुका था।
ठगा सा।
लोंगो के बोलने की आबाजे आ रही थी । ल्सक्योठरटी के कई लोगों के हाथ में टाचें थी । उनकी रोशनी इर्र उर्र दौड़ाते वे
खुद भी दौड़े दिर रहे थे ।। वे उनका नाम ले लेकर पुकार रहे थे ।।
एक टाचध का प्रकाश उसके ल्जस्म पर पड़ा रर वहीं ल्स्थर होकर 'रह गया ।
"ल्वनम्र बेटे ।आवाज " कुं ती देबी की थी हो तो ठीक तुम "---?"
बोलने की इछूा के बावजूद ल्वनम्र के मुंह से एक लफ्ज न ल्नकल सका ।ददमाग में 'सांयसांय-' की आवाज के साथ मानो आंर्ी
चल रहीं थी ।
कुं ती देबी के साथ दौड़ते ल्सक्योठरटी के लोग रर चिर्र चौबे उसके नजदीक पहुचे ।
ममंता से पगलाई कुं ती देबी उसके सारे ल्जस्म को टटोलती कह उठी"---'तू ठीक तो है ?"
"हुआ क्या था?" राजबीर ने पूूा । इस सवाल ने ल्बनम्र को मानो सुलगा लगाकर रख ददया । दहाड उठा वह तुम "--
ल्सक्योठरटी के इं चाजध होने के बावजूद पूू रहे हो दक हुआ क्या था ? मैं पूूता हं करते क्या रहते हो ? पूरे चार लोग हो ।
ल्वला की ल्सक्योठरटी के ल्लये रखे गये हो । एक आदमी ल्वला में आता है ।
अपना काम करके ल्नकल भी जाता है, रर तुम कु ू करना तो दूर उसकी परूाई तक को देख तक नहीं पाते ।।
बेचारा राजबीर… ।
" जो था, यह रहा ।। पडी पर लाश पड़ी में डाल्ड़यों नजर सबकी साथ एक तो हटा से सामने हव जो साथ के कहने "
हैरान तो सभी रह गए थे मगर चिर्र चौबे के चेहरे पर तो हबाईयां ही उड़ने लगी । उसने कुं ती देबी की तरि देखा इनके ---
हवाइं यां ही बेसी भी पर चेहरे उड़ रही थी ।
"यह ठीक नहीं हुया ।। था हुआ डू बा में दहशत लहजा का चौबे चिर्र "
'"चिर्र भैया से?" कुं ती देबी चौंकी । चिर्र चौबे की तरि है पलटकर बोलाभैया क्यों "---? कौन था यह? क्या तुम
जानते हो ?"
" 25 साल पहले मुडसे एक गुनाह होगया था ।। पबन प्रर्ान के पास उस गुनाह के िोटो है । वह तभी से मुडे ब्लैक मेल कर
रहा है । कोई मुजठरम नही चाहता उसके ाारा दकए गये गए गुनाह का भेद लोगों पर खुले ।"
"कहा न, गुनाहगार अपना गुनाह दकसी पर खोलना नहीं चाहता ।चला कहता वह " गया---“खोलने लायक ही होता तो
पीीस साल से ब्लैकमेल क्यों हो रहा होता?"
चिर्र चौबे के होठों पर िीकी मुस्कान दोड़ गई बोलातो ही गुनाह एक "--- ऐसी चीज है कुं ती ल्जसे इं सान अपनों से सबसे
ज्यादा ूू पाता है । प्लीज, उस बारे में कु ू भी जानने की कोल्शश मत करो । सजा तौर पर अगर तुम यह भी कहोगी दक मैं
हमेशा के ल्लए । होगा मंजूर मुडे तो जाऊं चला रर कहीं ूोडकर "ल्बला" मगर यह कभी दकसी को पता लगने देना पंसद
नहीं करूंगा जो पवन प्रर्ान को पता था"। .
"तब तो आपका काम फ्री में हो गया मामा ।मैंने कर डाला ।लफ्ज हर के ल्वनम्र " में व्यंग्य था पीीस आप काम जो " --
मैंने उसे सकै कर न में साल चुटदकयों में कर ददया । अब यह भेद दकसी को नहीं वता सकता ल्जसे अााप दकसी को पता नहीं
लगने देना चाहते ।"
बड़ी ही िीकी मुस्कान उभरी चिर्र चौबे के होठों पर । बोलाउस"--- सैंन्टेन्स पर ध्यान नहीं ददया ल्वनम्र जो इसकी लाश
देखते ही मेरे मुंह से ल्नकला, मेने कहा हुअाा . नहीं ठीक यह "---?"
उसने मुडसे अनेक बार कहा थातुम्हारे साथी मेरे तो होगया कु ू मुडें अगर"--- गुनाह के सारे िोटो पुल्लस को दे देगें ।"
यह भी जरूर जानता होगा क्यों-? क्यों ब्लैक मेल हो रहा है वह? यानी मामा जानता हैमवंद---
ू की हत्या मेरे हाथों हुई है ।
तो क्या इस वि वह उस भेद को मां पर खोल देने की र्मकी दे रहा है या ब्लैक मेल न होने की सीख?
सबाल रर भी कौर् रहे थे ददमाग में । जैसे दाढी वाला बनकर मामा होटल नारं ग में क्यों गए? उनका मकसद उसे ब्लैक मेलर
से बचाना, उससे ूु टकारा ददलाना था या खुद को ब्लेक मेल कर रहे पवन प्रर्ान का पेट भरने के ल्लए रकम हाल्सल करना?
गोडास्कर के लळ्ज ददमाग में गुजें । तो क्या ल्वदु की लाश मामा ने गायब की? क्यों?
इस दकस्म के दकसी भी सवाल का जवाब नहीं सूड रहा था रर सबाल मां की मौजूदगी में कर नहीं सकता था ।
वे सवाल करने का मतलब था अपने पर मां--'कु कृ त्य' का भेद खोल देना रर ऐसा कर नहीं सकता था , सो इस ल्बषय पर
चुप रह जाना मजबूरी थी ।। यह जरूर कहा " --- तो अब आपको यह डर सता रहा है दक इसके साथी आपकी करतूत के
सबूत पुल्लस के पास ले जालगे ?"
" इसके ल्जन साल्थयों के बारे मैं यह तक नही जानता बह है कौन , वे इसकी मौत के बाद क्या करें गे, क्या कह सकता हं ?
इस वि तो के वल एक ही बात कहने की ल्स्थल्त में हं । यह दक जो होगा देखा जाएगा । "
" वह आगे की बात है भैया ।"। है की लाश इसकी समस्या सामने के लोगों हम "--- कहा ने देवी कुं ती "
" कोई समस्या नहीं है मैडम ।राजबीर " ने कहा इरादे के चोरी । है चोर ये "- से ल्वला में घुसा था ।। मैनें देख ल्लया ।
रूकने की चेतावनी दी । नहीं रूका तो गोली मार दी । मेरा काम ही ये है । ल्वला की ल्सक्योठरटी के ल्लये ही रखा गया है
मुडे ।"
बात सबको जमी। कहने के ल्लये दकसी के पास मानो कु ू रह नहीं गया था ।
वातावरण मे ूा गये अजीबअब "--- तोड़ा ने चौबे चिर्र को को सन्नाटे से- तुम्हें ही िै सला करना है ल्वनम्र , मै ल्वला में
रहं या हमेशा के यहां से चला जाऊ ।। गया बढ तरि की इमारत रर घूमा वह बाद के कहने "
"ल्वनम्र ।कहा ने देवी कुं ती "…"अपने मामा को रोक बेटे । उन्होंने हर मुसीबत में हमारा साथ ददया है । अगर वे खुद दकसी
मुसीबत में है तो हम उनका यूं साथ नहीं ूोड़ सकते।"
अगले ददन सुबह दस बजे िोसध के साथ आए गोडास्कर ने चिर्र चौबे की कलाई में हथकड़ी पहना दी ।
" यतरह बुरी सोचकर यह देबी कुं ती "। गोडास्कर हो रहे कर क्या तुम ये-ये- चीख उठी दक शायद पवन प्रर्ान के साल्थयों ने
अपना काम कर ददया हैक्या"---- बदतमीजी है ये?”
गोडास्कर वड़े इत्मीनान से पीूे हटा । जेब से ल्बस्कु ट का पेदकट ल्नकाला । उसका रे पर िाड्रा । एक ल्बस्कु ट मुंह में रवाना करने
के बाद बोलाआपको"----- तो गोडास्कर की बदतमीजी पर खुश होना चाल्हये । गोडास्कर ने मवंदू कै हत्यारे को ल्गरफ्तार कर
ल्लया है ।"
"जी हााँ । उसके हत्यारे को ल्जसकी लाश िांसी का िं दा बनकर आप के बेटे के गले ल्लपटने वाली थी ।। "
"ह हो चाहते क्या कहना तुम आल्खर । रहा अाा नहीं कु ू में समड हमारी-?"
"के वल इतनी ही बात कहना चाहता हं माता जी मबंदू की हत्या आपके भाई जान ने की । इसल्लए की तादक उस हत्या के
इकजाम में आपका बेटा िांसी पर डूल जाए ।"
"ल्वनम्र हमें तुम्हारी बक्वास के वारे में बता चुका है ।। कुं ती देवी भड़क उठीतुम "---- सोच रहे हे भारााज" ने भैया---
को "कम्पनी कं स्रकं शन कब्जाने के ल्लए ऐसा दकया है मगर यह के वल रर के वल तुम्हारी ककपना है गोडास्कर ।"
"ककपना जरूर की थी गोडास्कर ने ।। मगर के वल ककपना के बेस पर ये हथकड्री नहीं डाल दी । ऐसा करना होता तो यह काम
कल ही कर ल्लया होता । दकसी भी मुजठरम को गोडास्कर हथकड़ी तब पहनाता है जब उन्हें जम्बूरे से पकड़ चुका हो ।
गोडास्कर एक नहीं, अनेक सुबूत जूटा चुका है ।"
"इनसे पूल्ूए परसों शाम के पांच बजे से रात के पौने बारह वजे तक कहां रहे, सुबूत खुद आ में डोली अाापकी खुद-ब-
"। टपके गा
कु ती देवी की अवस्था ऐसी थी जैसे कु ू भी समड न पा रही हो । बौखलाए हुये अंदाज में एक बार गोडास्कर की तरि देखा ।
दिर ल्बनम्र की तरि रर अंत में चिर्र चौबे की तरि । ल्बनम्र भी खामोश चिर्र चौबे भी । सुवह के दस बजे थे । इस
वि वे सब भारााज ल्वला की लाबी में खड़े थे । अंततदेवी कुं ती : चिर्र चौबे के दोनो कं र्ों को पकडंकर उसे डंडोड़ती हुई
ल्हस्टीठरयाई अंदाज में चीख पडी…तुम चुप क्यों हो भैयातुम हो क्यों चुप !? बता क्यों नहीं देते गोडास्कर को दक तुम कहां थे
?"
चेहरा पत्थर की तरह सख्त रर भावहीन नजर आ रहा था । काच की गोल्लयों की तरह चमकीली मगर बेजान आंखें ल्सिध रर
ल्सिध कुं ती देबी की आंखों में डांक रहीं थी । जब वह कुं ती ाारा बारबाबजूद के जाने डंडोड़े बार- 'सोया' सा रहा तो
गोडास्कर बोलाशायद हजूर "----- अभी भी यह सोच रहे हैंबताएंगे नहीं ये ---- तो गोडास्कर को पता नहीं लगेगा दक
हत्या वाली रात ये कहााँ थे जबदक गोडास्कर इस सवाल का जबाब पहले पा चुका है पाने के बाद ही यहााँ है "र्मका" ।।
"तो तुम्ही बता दो कहां थे भैया? " कुं ती देवी उसकी तरि घूमी ।।
"ओबराय होटल के रूम नम्बर सेल्वन जीरी थटी थ्री में।खाते ल्वस्कु ट " गोडास्कऱ ने कहा बता ल्लए के जानकारी आपकी"----
कठी के सुईट उस रूम यह--दूं सामने है जहााँ ल्वनम्र मबंदू से ल्मला था जहााँ ल्बदूं की हत्या हुई ।। यह कमरा ल्मस्टर चिर्र
चौबे ने अपने असली नाम से नहीं बल्कक दकशोर साहनी के नाम से ल्लया था । क्यों चौबे जी, गलत तो नहीं कहा गौडास्कर
ने?"
"तुम बोलते क्यों नहीं भैाेया ।ए कुं ती "क बार दिर चीखीहै बकवास सब यह नहीं क्यो कहते"----?"
"दुल्नया का ल्नयम हैमाताजी-, आदमी की चुप्पी उसकी स्वीकृ ल्त होती है । अब एक ही जगह जी चौबे जगह की रहने "अटके "
इन्होंने--- चाल्हए जाना पूूा यह से दकशोर साहनी के नाम से सुईट के ठीक सामने वाला रूम क्यों ल्लया ?"
"गोडास्कर से पूू रहे हो तो बताए देता हं ।में मुह ल्बस्कु ट रर एक उसने " डालने के साथ कहा'---" इन जनाब को पहले
ही मालूम था तुम नौ बजे सुईट में ल्बदू से ल्मलने वाले हो । इन्होंने शाम के पांच बजे से अपने कमरे मे डेरा डाल ददया ।
जब तुंम वहााँ पहुंचे ये हुजूर की" होल' से गैलरी का सारा दृश्य देख थे । तुमने खुद बतायादेर ज्यादा वहााँ तुम- नहीं रहे ।
मवंदू कै समपधण को ठू कराकर बापस अाा गए । तुम्हारे ल्नकलते ही मामा अपने कमरे से बाहर आये सुईट की बैल बजाई । मबंदू
ने दरवाजा खोला । इन्होंने उसे कु ू भीमगर । गई मर यह । ली दबा गदधन वगैर ददए मौका का समडने- इस बीच उसकी
माला टू ट चुकी थी । कापेट पर मोती ल्बखर गए । तभी दकसी तरह इन्हें पता चला कमरे में एक शख्स रर है । वह ल्बज्जूथा ।
उसके पास मोजूद कै मरा देखते ही ये समड गए उसने-मबंदू की हत्या के िोटो खींचे ल्लए हैं । अब, इनके पास ल्वज्जू की भी
ईह लीला समाि कर देने के अलावा कोई चारा नहीं था ।
ल्वज्जू को ल्नपटा देना इनके ल्लए मबंदू को ल्नपटा देने से भी आसान था ।।वही दकया । कै मरे की रील ल्नकालकर अपनी जेब में
डाल ली ।। रर उसकी लाश को ल्लफ्ट के कु ए मे िे क ददया।।
"गोडास्कर ने अगले लफ्ज नहीं उगले थे । बाद के कहने "'गेप’ देने के ल्लए उसने ल्बस्कु ट मुह में सरकाया रर बोलना शुरू
दकयाबाद के कत्ल "----- इन्होंने अपने एक चेले को िोन दकया ।। ल्जसका पेशा ही ऐसे कामों को अंजाम देने का है जैसा ये
उससे कराना चाहते थे ।। उसका नाम मनसब है ।। "
" जी हां ।। मनसब के मोबाइल पर अपने मोबाइल से िोन दकया था इन्होंने ।। बेस नः पहला यह ही है दोनों के मोबाइल
रर कं रोल रूम का ठरकाडध बता देगा इन्होने दकस वि मनसब को िोन करके दकतनी देर क्या बात की ? उस ठरकाडध के
मुताल्बक मनसब को सुईट से मबंदू की लाश हटाने का काम सौंपा था ।
इस काम को मनसब आसानी से कर सके , इस कारण उसके ल्लए रूम नम्बर सेल्वन जीरो सेल्बन्टीन बुक कराया । यह काम करते
वि इन्होंने इतनी सावर्ानी जरूर वरती दक कमरे की बुककं ग अपने मोबाईल से न कराकर पी । कराई से िोन के .ओं .सी .
ठीक के ओबराय जो से ओ .सी .पी उस सामने सडक के उस पार है । ऐसा इसल्लए दकया तादक होटल के ठरकाडध में इनके
मोबाईल का नम्बर दजध न हो सके ।। ये…खुद दकशोर साहनी के नाम से रुम नम्बर सेवन जीरो थटी में ठहरे हैं, यह बात
मनसव को भी नहीं बताई । पी. सी . ओचुका कर ल्जि हालल्स्क । गए आ में कमरे बापस उजरत बाद के करने िोन से . हं
दिर भी एक बार पुनअमरमसंह कमरा का मनसब-------होगा मुनाल्सब देना बता : के नाम से ठीक दस पैंतीस पर कराया
गया । मनसव ग्यारह बजे होटल पहुचा।। बारह बजकर तीस ल्मनट पर चॉक आऊट कर गया । बेस नम्बर टू की गोडास्कर"---
की बात इस तस्दीक खुद होटल का ठरकाडध बनेगा ।। मनसब बहां एक अटैची के साथ पहुंचा था । ऐसी अटैची के साथ ल्जसमें
मबंदू जैसी लड़की की लाश मोड़ तोड़कर रखा जा सकै । होटल का एक कमधचारी गवाह है थी खाली तो गई लाई जब अटैची-
ले जब लेदकन जाई गई तो भरी हुई थी । कहने का मतलबको लाश मवंदक
ू ी ने मनसव र्ंटा डेढ़--- अटैची में पैक करने, कापेट
पर ल्बखरे मोती चुनने रर कमरे की स्िाई करने में खचध दकया क्योंदक चौवे जी ने उससे कहा था…-दकसी को सुईट में वारदात
का पता न लग सके । मनसव अपना काम करके आराम से ल्नकल गया । उस वि होटल का स्टाि ककपना तक नहीं कर पाया
दक अटैची में लाश है ।। रर दिर जो होटल में हुआ सब वताता चला गया गोडास्कर ।।
अमर मसंह को उन्होने मनसब के रूप में पहचाना था । इससे आगे गोडास्कर की जानकारी काम आई।।
गोडास्कर जानता था है बार घर कोइ ना का मनसब बदमाश हुए ूटे ---, ना िै मली ।। यह परमानेट रूप से होटल अजंता
के रूम नः आठ में रहता है ।
रर दोलत राम को ल्नगरानी का काम ददया । जैसे ही सुचना ल्मली मनसब को घेर ल्लया गया । मबंदू की लाश ही नहीं ,
उसका मोबाईल रर माला के मोती भी ल्मल गये हैं ।।
एकाएक चिर्र चौबे ने पूूा है में हवालात तुम्हारी वि इस मनसब क्या "---?"
" शुि है ऊपर बाले का । आपने अपने गूंगे ना होने का सबूत तो ददया ।"
इस बार गोडस्कर ने दौलतराम से कहा बैठा में जीप सरकारी खड़ी बाहर जाकर ले को हजुर । दौलतराम है रहा क्या देख "--
"।
पुल्लस टीम चिर्र चौबे को लेकर लॉबी के दरबाजे की तरि बढ़ चुकी थी । गोडस्कर भी उनके साथ था ।।।।
रात के दस वजें।
ल्वनम्र की टेक्सी सुनसान इलाके में एक मकान के बाहर रुकी । मकान करीब दो सौ गज में वना हुआ था दु मंल्जला । ब्लैक
मेलर के रूप में इस बार एक नई लड़की ने िोन दकया था । उसने यहीं कहा था तक दूर-दूर तरि चारों के मकान उस-खाली
जगह पडी है ।। दूसरा कोई मकान नहीं है । मकाननेम लगी वाहर रर है मंल्जला-दु- प्लेट पर 'बसेरा' ल्लखा है ।
ल्वनम्र ने टैक्सी मे बैठे ही बेठे नेम प्लेट पर नजर डाली ।
ग्रेनाईट पत्थर पर ब्रास के वड़ेवेसरा" ल्लखा में अक्षरों वड़े-' बहां मौजूद अाॉन बकब के कारण साि नजर आया ।
ल्वनम्र को कोई शक नहीं रह गया है चुका पहुंच वहां वह--, जहां बुलाया गया था ।
िोनपर ब्लैक मेलर लड़की ने कहा थाहोगे लाने करोड़ दो बार इस "--- तुम्हें। करोड़ िोटु ओं की कीमत । एक करोड पहली
बार की गई चालाकी का जुमाधना ।। साथ ही चेतावनी दी गई थीचालाकी भी कोई तुम्हारी । होंगे गये समड है उम्मीद "--
हमारी नजरों से ूू प नहीं सके गी । इस बार अगर कोई हरकत की गई तो अगली बार तीन करोड लाने होंगे ।"
उन सब बातो का अंब कोई मतलब भी नही रह गया था । ल्वनम्र को िोटु ओं की जरूरत थी रर उसके ल्लये दो करोड़ तो
क्या, इससे कई गुना ज्यादा भी खचध कर सकता था।। हां एक बात जरुर बार बाऱ-_ उसके मल्स्तस्कै में गूंज रहीं थी । वह
बात जो चिर्र चौबे को ब्लैक मेल कर रहे पवन प्रघानं ने कही थीब्लेक हर "-- मेलर एक जौक होता है ।वह सोने के अंड़े
देने वाली मुगी को एक ही डटके से हलाल कर देने की बेवकू िी कभी नहीं करता बल्कक जौक बंनकर सारा खून पीने में ल्वश्वास
रखता है ।। थी कही भी ने चौबे चिर्र में वाद बात है यही "
ल्वनम्र ल्नश्चय कर चुका था…वह अपने साथ ऐसी कोई भी हरकत नहीं होने देगा ।। दो करोड मे सभी िोटो रर
नेगेठटव उसे देगा तो ठीक वनाध सख्ती से पेशं आएगा । अंटेची में ल्वनम्र दो
करोड रुं पये लाया था तो जेब में ठरवॉकबर पडा था ।
दुढ़ ल्नश्चय करके आया था वहचूकैगा तो पड़ा करना इस्तेमाल भी का ठरवींकबर-- नहीं ।। ल्नश्चय करते वि वह कांप उठा सा-
डमेले ल्जस---था सोचा परन्तु था में ि'स गया है उससे ल्नकलने के ल्लए ल्हम्मत तो ददखानी ही पडेगी । मजबूरी है । न तो
िोटु ओं को कोटध तक पहुचने देगा, न ही ब्लेक मेलर जौक बनने देगा ।
इनमे से दकसी भी बात िो वह अिोडध नहीं कर सकता था । टैक्सी बाले को ल्वदा करने के बाद ल्वनम्र बसेरा के गेट की तरक
बड़ा।।
अपने पल्हयों पर चलती अटैची उसके पीूे थी । डोरी ल्वनम्र के हाथ मे ।
िौन पर कह ददया गया थाबजाने बैल"------ की कोई जरूरत नहीं है दरबाजा खोलकर सीर्ा अंदर चले आना ।"
ल्वनम्र ने बैसा ही दकया।।लोहे वाला गेट खोलकर ूोटी सी गैलरी मे पहुंचा ।। वहां खटारा भी नजर आने वाली मारूल्त वेन
खड्डी थी ।
वह खुला हुआ था ।
ल्वनम्र समड गयाघसीटता को अटैची ।। है गया रखा खुला ल्लए के उसी--- वह अंदर दाल्खल हो गया । मुल्श्कल से चार पाच-
। पाया मे लाबी को खुद बाद के चलने कदम बहुत कम रोशनी थी वहां । अभी चारों तरि का ल्नरीक्षण कर ही रहा था दक
वातावरण में िोन वाली लड़की की रनखनाती सी आबाज गूंजीचले में कमरे उस"- आओं ल्मस्टर ल्वनम्र ल्जसकी लाईट आंन है
।।"
चारों बंद । के वल एक रोशनदान के कांच पर रोशनी नजर अाा रही थी, बाकी तीन एक लाबी में रोशन बकब के कारण चमक
रहे थे ।।
ल्नदेश के मुताल्बक रोशनी बाले कमरे की तरि बढ़ा ।। दरवाजे के नजदीक पहुंचकर हाथ दकबाड़ पर रखा तो बह खुलता चला
गया ।
सामने, ठीक सामने एक डबल बैड था। । डबल बेड पर दाल्हनी कोहनी के बल एक लडकी लेटी थ्री । अंत्यत सुंदर थी बह ।
ल्वनम्र नहीं जानता था उसका नाम दिस्टी है । उसके ल्जस्म पर 'ग्रे' कलऱ का ऐसे कपडे का ल्लबास था जो कमरे मैं मौजूद
रोशनी के सम्पकध से आकर हैंल्लबास उस । था रहा ल्डलल्मला से जगह जगह- को ल्बनम्र कोई नाम नहीं दे सका है कं र्े से शुरू
होकर यह लडकी की जांघों पर खत्म हो जाता था । जांघों पर भी कािी उपर ।। र्ड़ रर टांगो के जोड़ से बस जरा ही नीचे
।
ल्वनम्र को लगा। होगें जरूर साथी इसके में मकान मगर सही न में कमरे इस--- लड़की के साथ की गई जरा वे पर सख्ती सी-
इतने वे । र्मकै गे आ ल्लए के मदद इसकी आराम से कमरे में न आ सके इसके ल्लए जरूरी है, वह दरवाजे को अंदर से बंद
कर ले । इस बारे में सोच ही रहा था दक… "
"आओं ल्मस्टर ल्वनम्र । आ जाओं ।। थी मुस्कान मोहक पर होठों उसके । उठी से बैड लडकी हुई कहती "
ल्वनम्र बगैर उससे कु ू कहे अटैची की डोरी ूोड़कर घूमा रर अगले पल उसने दरवाजा बंद करके डंडाला लगा ददया । अपना
काम करके वापस लड़की की तरि घूमा ।
लड़की ने अपने होठो पर मोहक मुस्कान ल्चपकाए रखकर पूूा".तुमने दकया क्यों ऐसा"-'
"तादक हमारी बाते कोई रर न सुन सके ।। था तैयार जबाव पास के ल्वनम्र "
वह ल्खलल्खलाकर हंस पड्री । ल्बनम्र को लगाकी कांच पर िशध के संगमरमर- गोल्लयां ल्बखरती चली गई हैं । हंसने के बाद
बोलीअ के दोनों हम "--लावा यहााँ कोई नहीं है ।"
पैरो में ऊंची एडी की सैंल्डल होने के कारण चलने से उसके सारे ल्जस्म में अजीब सा-'लोच' पैदा होरहा था ।
ल्लबास के अंदर वक्ष पानी के भरे गुरवारे की तरह थरथराते नजर अााए ।
ल्सर को जोरदार डटका ददया । अंदाज ऐसा था _जैसे ददमाग में गूंज रही आवाज को ल्ूटका देना चाहता हो ।
लड़की अत्यंत नजदीक अाा गई थी । ल्तरूी नजरों से उस पर 'तीर' सा चलाती बोली करने बात भी कोई की काम "-----
जरूरी देना बता यह तुम्हें मैं पहले से समडती हं दक इस वि इस मकान मे हम दोंनो के अलावा कोई नहीं है ।"
"कक्यो-?" ददमाग में गूंज रही आबाज को अनसुनी करने का प्रयास करते ल्वनम्र ने पूूाहैं कहां साथी तुम्हरे "--?"
ाँ ---
ददल जो जा गया है तुम पर ।ल्वन बांहें नंगी दोनो अपनी उसने साथ के कहने "म्र के गले में डाल दीं तुम चाहती नहीं मै"
इशारे के अंगुल्लयों उनकी हमेशा पर नाचने बाली कठपुतली वने रहो ।"
"होल्शयार वे होते हैं डार्लधग जो कम शब्दों में पूरी बात समड जाएं ।उसने " अपनी आंखें ल्वनम्र की आंखों मे डालते हुए कह-
प्लान का साल्थयों मेरे"- तुमसे एक बाद के लेने दकश्ते बीस-दस या दो-भी ल्नगेठटव ऩ सौपने का है । वे तुम्हें नीबू की तरह
सारी ल्जन्दगी ल्नचौड़ने की योजना वनाए बैठे हैं । मुडे उनकी यह बात पसंद नहीं अााई । क्यों पसंद नहीं अााई, बता चुकी हं
।। ददल आ गया है तुम पर । रर दिस्टी का ददल ल्जस पर आ जाए उसे हाल्सल करके ही रहती है ।। इसल्लए उसे सबसे ूू प
कर मैंनेहै बुलाया यहां तुम्हें मैंने ल्सिध . . . । मैं तुम्हें इस पहली दकस्त साथ ही सारे ल्नगेठटव रर िोटो देने के ल्लए तेयार हं
।"
एक बार दिर ददमाग में गूज रही आबाज से खुद िो वचाते ल्बनम्र ने कहा------'' ऐसा है तो िोटो ल्नगेठटब्ज मेरे हवाले
करो । खुद चेक कर सकती हो।। अटैची मैं पूरे दो करोड रुपए हैं ।"
" शतें है मेरी ।"। शते दो के वल ूोटी ूोटी"---कहा काटकर बात उसकी ने दिस्टी "
" कशते के सी-?" अज्ञात आवाज को दबाने के प्रयास में ल्वनम्र का सारा शरीर पसीने" । था गया हो पसीने-
" दूसरी?"
" मेरे तन में लगी वह आग बुडानी होगी जो उसी क्षण सें मेरे अंदर सुलग रही हैजव मैंने तुम्हें पहली बार देखा था ।क "हने
के साथ ल्वनम्र के इतने नजदीक आ गई दक ल्वनम्र अपने सीने पर उसके बक्षो की गुदगुदाहट महसूस करने लगा ।
" कपहली कब कब- बार देखा था तुमने मुडे?" वह वड़ी मुल्श्कल से पूू सका ।।
"जब तुम होटल नारं ग पहुचे थे ।। तुम भले ही मुडे न देख सके हो मगर मैनें बहां खड़ी अपनी वैन के अंदर से तुम्हें देखा था
। मेरे घुटे हुए साल्थयोॉ से अपनी मजंदगी आजाद करना चाहते हो तो बताओ ल्वनम्र, तुमने मबंदू की हत्या क्यो की रर उसके
बाद मुडे अपनी गोद में उठाकर बैठ पर ले जाओ ।। मेरी इछूा पूरी कर दो ।। मैं सारे पोल्जठटव ही नही ाँ सारे ल्नगेठटव भी
तुम्हारे हबाले कर दूगीं ।"
"यह मेरा काम है । मुडे उनसे कै से ल्नपटना है ?" इन शब्दों के तुरन्त बाद उसने ल्वनम्र का ल्सर एक डटके में इस तरह
अपनी तरि खींचा जैसे ल्बकली ने रबड़ी से भरी हांडी खींची हो । अपने होंठ ल्वनम्र के होठों पर रख ददये उसने ।।
रर ल्वनम्र ।।।
उसके जहन में कोई दहाड़ा ये "--- लड़की तुडे बेवकू ि बनाने की कोल्शश कर रही है ल्वनम्र । ऐसी हर लड़की का एक ही
अंजाम होना चाल्हए । मौत ।। मर जाना चाल्हए इसेबाद के मरने लड़दकया ऐसी ! ज्यादा सुन्दर लगती हैं ।"
"नहीं ।तुम्हारी । सकता कर नहीं ऐसा मैं"----पड्रा लड़ से आबाज ल्वनग्र " कठपुतली बनकर एक रर हत्या नहीं कर सकता
मैं । क्यों मार डालू इसे? यह एक बेकसुर लड़की है ।"
"वेकुसूर ।बेकुसूर ये "------दकया सा व्यंग्य ने आवाज " हैं? येजो !
तुड पर अपने यौबन का हल्थयार चला रही है । ऐसी हर लडकी कु सूरवार होती है गथे चाल्हए जाना मर को लड़की हर ऐसी !
"। इसे डाल मार
"नहीं मैं तेरा गुलाम नहीं हं ।। नहीं मरूंगा ।।। ददया र्क्का को दिस्टी ने ल्वनम्र सोचकर ऐस "
दिस्टी बूरी तरह लडखडा गई ल्गरतेहैरानगी पर चेहरे ।। वह थी चीब ल्गरते- के असंख्य भाव उभर अााए।। दकसी मदध से ऐसी
हरकत की उम्मीद दिस्टी हरल्गज़ नहीं कर सकती थी । भला उसे ल्बनम्र के ददमाग में चल रहे ’घमासान' के बारे में क्या इकम
हो सकता था ? उसने
तो के वल यहीं देखा…ल्बनम्र का चेहरा भटृ टी में पड़े कोयले यूं पसीना । था रहा दहक सा-वह रहा था जैसे बाठरश मे खड़ा हो ।
जो शख्स इस.
वि वासना के आग मे सुलगता होना चाल्हए था वह गुस्से की ज्वाला में र्र्कता नजर आ रहा था । अभी तक उसके जहन में
चल रही लडाई, जुवान पर आ गई जो ताकत लड़की को मार डालने ,कै ल्लए प्रेठरत कर रही थी उसका ल्वरोर् करता ल्वनम्र
दहाड़ उठा'--'"चली जा लडकीदूंगा कर खून तेरा मैं वरना । से यहां जा भाग ! ।"
भूल गई नाटे ने उसे क्या काम सौपा था ।। याद था तो के बल यह चेहरा इस वि उसके सामने था । इतना भयानक चेहरा था
वह दक दिस्टी सचमुच दरवाजे की तरफ़ सरकने लगी ।।
" ये तू क्या बेवकू िी कर रहा है ल्वनम्र? क्या बेवकू िी का रहा है ये ?" उसके ददमाग पर टक्कर मारती आवाज मचंघाडी "---
तरि की दरवाजे वह देख बढ रही है ।। यहााँ है ल्नकल कर भाग गई तो दिर दकसी शरीि को अपने यौबन के जाल मैं िं सा
लेगी । दिर दकसी देवी का हक ूीन लेगी । खत्म कर दे ।खत्म कर दे । खत्म कर दे इसे ।
'खमोश ।' उसकी अपनी आवाज ने अंजानी आवाज का ल्वरोर् दकया मारूगा नहीं "--- उसे ।। तुम्हारी कठपुतली बनकर नहीं
रहंगा ।। मैं आजाद हं ।। मेरा अपना एक स्वंत्त्र अल्स्तत्व है "!
" ये तू क्या बेवकू िी कर रहा है ल्वनम्र? क्या बेवकू िी का रहा है ये ?" उसके ददमाग पर टक्कर मारती आवाज मचंघाडी "---
तरि की दरवाजे वह देख बढ रही है ।। यहााँ है ल्नकल कर भाग गई तो दिर दकसी शरीि को अपने यौबन के जाल मैं िं सा
लेगी । दिर दकसी देवी का हक ूीन लेगी । खत्म कर दे ।खत्म कर दे । खत्म कर दे इसे ।
'खमोश ।' उसकी अपनी आवाज ने अंजानी आवाज का ल्वरोर् दकया मारूगा नहीं "--- उसे ।। तुम्हारी कठपुतली बनकर नहीं
रहंगा ।। मैं आजाद हं ।। मेरा अपना एक स्वंत्त्र अल्स्तत्व है "!
NEW
इस तरह ।
उस कोल्शश के तहत चेहरा ल्वकृ त होता चला गया । बैसा रूप लेता चला गया । ल्जसने दिस्टी को अपने ल्सर पर मंडराती मौत
का एहसास करा ददया ।।
'वह जा रही है ल्वनम्र । रोक उसे खत्म कर दे खेल ' अंजानी ताकत दिर चीखी ल्लए के हमेशा खेल का लडदकयों ऐसी"---
इसील्लए तु । चाल्हए ही होना खत्म तो र्रती पर अााया है पगले । इसील्लए तो ज़न्म हुआ है तेरा ।ल्मटा दे इस कं लक को।'
रर ।।
तभी तो उसके 'पाश' में वंर्ा वह दिस्टी की तरि बढा । मुह से भैल्डए की भी गुराधहट ल्नक्ली । तुम हो सुन्दर बैइन्ताह---
लड़की । सेक्सी की गजब, तेरी आंखें बहुत चमकदार हैं मगर इनमे भरी हुई ये ज्पोल्त"' मुडे पसंद नहीं । मुडे पसंद है वेजान-
हो तो चमक ल्जनमें । आंखें, मगर ज्योल्त न हो । कं चे जैसी आंखें । वे ही पसंद हैं मुडे ।"
" वजमाये पर चेहरे उसके नजरें दिस्टी भयभीत "।। ल्बनम्र ल्बनम्र।।--, सहमी हुई दरवाजे की तरिध सरक रही थी---'क क्या-
तुम्हें है गया हो? ये तुम क्या कह रहे हो?"
दांत पीसते ल्वनम्र ने कहा'--'"तू यह जानना चाहती है न दक मैंने ल्बदु की हत्या क्यों की? तो सुन दकसी वि मरते मुड-
े
ल्लए के ल्जन्दगी का लड़की ूटपटाना बहुत अछूा लगता है । मैं वो रोमांचकारी मंजर एक बार दिर देखना चाहता हं लड़की ।
तेरी ये सुराहीदार गदधन कु ू रर लम्बी हो जाएगी । आ । मैं तेरी गदधन दबा दूं ।"
उसी क्षण ।
परन्तु ।।
उस आवाज का, जो उसके जेहन में गूंज रही थी । जो बार बार--'लडकी' को मारने के ल्लए प्रेठरत कर रही थी ।
दरवाजे के उस तरफ़ से नाटे की आवाज सुनकर दिस्टी के हौंसले में थोड़ा इजािा हुआ ।
दरवाजा खोलने के ल्लए वह उस तरफ़ डपटी ही थी दक ल्वनम्र कबूतरी पर डपटने वाले बाज की तरह लपका । अगले पल-
हाथों मजबूत उसके गदधन नाजुक की दिस्टी की ल्गरफ्त में थी ।
दिस्टी ूटपटाई ।
दरवाजा अब जुनूनी अवस्था में पीटा जाने लगा था । मानो उसे तोड़ डालने की के ल्शश की जा रही तो । मदाधनी आवाजं के
साथ ही अब एक जनानी आवाज भी बारबार- दरवाजा खोलने के ल्लए ल्चकलाने लगी । वह आवाज माठरया की थी मगर,
ल्वनम्र पर जरा भी िकध नहीं पड़ा । उस शख्स पर िकध पड़ना भी क्था था ल्जसे वे आवाजे सुनाई ही नहीं दे रही थी ।
अपनी ही दुल्नयां मे खोया था वह । दिस्टी की गदधन दबाता, दांत , भींचे कह रहा था । मजा है रहा अाा अब । हां"---
रर । तड़प । तेरी है तड़पन क्या । वाह तड़प । वाहा ।। तेरी ये बाहर को उबलती हुई आखै दकतनी आकषधक लग रही हैं ।
देख, तेरी जीभ बाहर ल्नकल अााई है । कु िे की जीभ की तरह लटक रही है ये । वाह ! क्या मंजर है । कु ल्तया ही तो है तू
! तुडे मर जाना चाल्हए । तू इसी लायक है । तू इसी लायक है ।
बार शब्द यही बार--दोहराता ल्वनम्र अपने हाथो की पकड मजबूत रर मजबूत करता चला गया ।
रर दिर ।
" दिस्टी के हाथउनमें गई रही नहीं बाकी ूटपटाहट कोई । गए पड़ ढीले पांव- ।। गदधन खरगोश की गदधन की तरह उसके
हाथों के बीच डूलती रह गई ।।
ल्वनम्र ने जब राख हुआ चेहरा, फ़टी हुई आंखें रर लटकी हई जीभ देखी तो मल्स्तष्क को डटका सा लगा ।
बडी तेजी से उसके बजूद पर हाबी जुनून सा उतरता चला गया । ऐसा महसूस दकया उसने ल्जस्म के अंदर से कोई परूाई
ल्नकलकर अभी। हो गई बाहर अभी-
दिस्टी की गदधन को अपने हाथो में देखकर यूं चौंका जैसे अपनी हथेली पर रखे दहकते अंगारे को देखकर चौंका हो ।
"है भगवान ।"' ददमाग में वाक्य कौर्ेंगया हो क्या ये"-----? कै से हो गया? क्या कर डाला मैंने ? "
ददमाग मे उसकी अपनी आवाज गूंज रही थी----'तूने एक रर हत्या कर डाली ल्वनम्र मबंदू की तरह तुने इस लड़की को भी
मार डाला ।'
याद अाायालडकी" । था आया देने रुपये करोड दो को मेलर ब्लैक यहााँ वह------ ने उसे लुभाने की के ल्शश की रर
स्वस् एक उसे कु ू सब का बाद उसके ........ की तरह याद था । स्वन टू टा तो मरी हुई लडकी की गदधन हाथों में डूल
रही थी ।
अगर वह उनके हाथ पड़ गया तो मारा जाएगा या जेल की हवा खायेगा । बौखलाकर उसने चारो तरफ़ देखा दकसी तलाश----
से कमरे जठरए के ल्जसके थी की ल्खडकी ऐसी भाग सके मगर, ऐसा काई रास्ता नहीं था । ल्खड़की थी जरूर लेदकन उस पर
मंजबूत ल्ग्रल लगी हुई थी । रर दिर उसने सोचा'-"भागने से क्या होगा? इसके साल्थयों ने उसे इसकी हत्या करते देख ल्लया
है । वे पुल्लस को सब कु ू बता देगे ।
ल्बज्जू के ाारा खीचें गए िोटो भी हैं उनके पास ।
दकसी भी खतरे का मुकाबला करने के ल्लए ल्वनम्र ने जेब से ठरवॉकबर ल्नकाल ल्लया ।
एक चार िु टा शख्स ओंर वेहद मोटी ररत उसके सामने थे । चेहरे पर दहशत ल्लए चौखट के उस पार खड़े वे फ़टी आंखी िटो-
लाश । थे रहे देख को कीलाश लड़की से के देखते ही देखते नाटे पर जाने कै सा जुनून सवार हुआ दक ल्वनम्र की तरि देखता
हुआ दहाड उठमेरी- तुने "----- बीवी को मार डाला हरामजादे मेरी ! दिस्टी को मार डाला तूने ?"
गुस्से की ज्यादती के कारण उसे ल्वनम्र के हाथ में मौजूद ठरवॉकबर तक नजर नहीं आया था ।
रर ......
बौखलाहट में हां रेगर ने अंगुली । जाएगी कही ही बौखलाहट की ल्वनम्र उसे -- दबा ददया ।
माठरया ने जा नाटे का जब यह हाल देखा तो दरवाजे ही पर सै बचाओ बचाओ"' चीखती हुई पलटिर लॉबी की तरि भागी
।।।
ल्वनम्र चीखा " ! दूंगा मार गोली तो की ल्शशको की भागने ! जाओं रूक "---
भला मरने से कौन नहीं बचना चाहता । ल्वनम्र के बगैर कु ू कहे उसने समपधण की मुद्रा में दोनो हाथ हवा में उठा ददए ।
उसकी इस हरकत पर ल्वनम्र का हौंसला बढ़ा । हुक्म सा ददया'---" मेरी तरफ़ घूमो"!
उफ्िहै होता क्या खौि का मौत !, अगर दकसी को यह देखना होगो इस वि माठरया के चेहरे को देखे।।।
माठरया जील्वत थी मगर आंखों मे जीवन का कोई ल्चन्ह नजर नहीं आ रहा था । उसकी इस हालत ने ल्वनम्र में साहस का
संचार दकया ।
उस वि माठरया के ल्जस्म ने खून की जगह मौत का खौफ़ गर्दधश कर रहा था जब ल्वनम्र ने ठरवॉकवर की दहकती नाल उसके
माथे के बीचोंकर रख बीच- कहा---“ल्बज्जू द्धारा खींचे गए िोटो रर उनके ल्नगेठटब्ज कहां है ?"
" म मेरे -'बार' में । बार में मौजुद मेरे पसधनल बेडरुम में ।।"
" बस करो"। प्लीज करो। बस .. इलैक्रीक शॉक्स ने चिर्र चौबे को मानो तोड़ डाला। हं करता कु बूल"------ मवंदु की
हत्या मैंने ही की है । मैंने ही गला दबाकर मारा था उसे ।"
"कारण वही है ल्जस तक तुम पहले ही पहुंच चुके हो ।बैठा पर चेयर इलेल्क्रक " चिर्र चौबे हाल वैहाल हो चुका मैं"----
ल्वनम्र में ईकजाम के हत्या उसकी को िं साना चाहता था तादक मुकम्मल
'भारााज कं स्रक्शन कम्पनी"। थी पहले से सोंपने को ल्वनम्र ाारा मेरे तरह ल्जस जाए आ में कब्जे मेरे तरह उसी "
"अगर तुम यही ल्स्थल्त बहाल करना चाहते थे तो ल्वनम्र को सौंपी ही क्यों थी? सारा होकड तो तुम्हारा था ही ।
ल्वनम्र को अपने नीचे काम करने पर मजबूर कर सकते थे ।"
" बप्लीज मगर । दूंगा बता कु ू सव । है बताता-, पहले उसे वहााँ से हटा दो । मैं रर नहीं सह सकता । साथ के कहने "
तरि की कांस्टेबल उस से गदधन उसने इशारा दकया जो इलेल्क्रक मशीन के नजदीक खड़ा था ।
गोडास्कर के इशारे पर बारद शाक इलैल्क्रक को चौबे चिर्र बहीं रबा--ाे रहा था ।
गोडास्कर ने अपने उस हाथ से कांस्टेबल को मशीन से दूर हटने का इशारा दकया ल्जसमें टमाटर था ।
गोडास्कर ने टमाटर में एक रर बुड़क"' मारने के साथ कहा"। जानी मामा जाओं हो चालू"----
"ल्वनम्र के ल्पता यानी मेरे जीजा की मौत के बाद व्यापार को सम्भालने वाला क्योदक कोई रर नहीं था इसल्लए मुडें मौका
ल्मला । अगर ये कहं तब भी गलत नहीं होगा, ल्जस तरह ल्बकली के भाग्य से कभीतरह उसी । है जाता टू ट ूींका कभी-
जमासबसे का भांजे रर बहन को खुद । था ल्गरा अाा में डोली मेरी ल्बजनेस जमाया- वड़ा शुभल्चन्तक दशाधया रर मुकम्मल
कं स्रक्शन कम्पनी का माल्लक वन बैठा । मुडे उस वि ल्वनम्र को पालनेनजर बुराई कोई में ल्लखाने-पड़ाने रर पोसने- नहीं
अााई । अााज कह सकता हं । या सका ले नहीं काम से दूरदर्शधता मैं--- पहला डटका तब लगा जब ल्वनम्र जवान हो गया ।
अमेठरका से ल्बजनेस मेनेजमेन्ट का कोसध करके वापस अााया । कुं ती कहने लगीहै गया अाा वि वह भैया "-------- जब
हमे ल्वनम्र की अमानत उसे सोंप देनी चाल्हए । वहुत मेहनत कर ली आपने । अब आपके आराम का बक्ि अााया है । ल्वनम्र
मेहनत बनेगा रर अााप चेन से लाइफ़ इन्जॉय करे गे । मैं कुं ती की इस दकस्म के बातो को सुनकर टालता रहा मगर कब तक
टाल सकता था? उन बातों को ज्यादा अनसुनी करने का मतलब थापर नीयत मेरी- कुं ती को शक हो जाना । एक ददन ऐसा आ
ही गया जब मुडें सारी बागडोर ल्वनम्र को सौंपनी पड़ी । उस वि भी ज्यादा डटका नहीं लगा था ।
कारण
ल्वनम्र की यह कहना था हौगया गदगद वि उस ददल मेरा "। रहेगे ही आप माल्लक असली मामा । देखूंगा मैं ही भले काम"---
।।। था
सोचा थाको ल्वनम्र कमान--- सौंपकर मैं कोई ज्यादा बड़ी भूल नहीं कर रहा हं ।' बहरहाल, एक ददन बाप को भी बेटे के
जबान हो जाने पर सव कु ू उसी के हवाले करना होता है मगर थीरे गया चला अााता यह में समड मेरी र्ीरे-'----बातो रर
'प्रैल्क्टकल‘ में बड़ा िकध होता है । मैं यह नहीं कहंगा दक ल्वनम्र या कुं ती ने मुडे उपेल्क्षत दकया ।। बस यूं समडो होता उपेल्क्षत-
। थी भी स्वाभाल्वक बात । मैं गया चला कम्पनी का माल्लक तो बहीं होता है जो माल्लक बाले काम करे । वे सारे काम ल्वनम्र
कर रहा था । सो, स्टाि की नजरों मैं बही माल्लक था । अब दकसी की आखों में मैं अपने ल्लए वह सम्मान नहीं देखता था
जो देख पाने की आदत माल्लक रहते पड़ गई थी। वस । ऐसे ही हालात मुडे कचोटने लगे माल्लक का सम्मान पाने की इछूा
बलवती होती चली गई यह काम तभी हो सकता था जब्र ल्वनम्र न रहे । डूठ नहीं बोलूंगा ।। । कई बार ल्वनम्र की हत्या करने
का ख्याल भी ददमाग मे आया परन्तु अंजाम देने का साहस न जुटा सका । उस ददन मैंने अपने षडृ यंत्र का ताना ल्लया बुन बाना-
स मेम्बऱ स्टाि- एक ददन ल्जस ।ाे पता लगाने नागपाल- ल्वनम्र को ओबराय में बुलाया है रर बतोर ठरश्वत बह उसे लडकी
पेश करने वाला है । मैंन सोचााे नहीं का ल्वनम्र खांत्मा-, लड़की का करना चाल्हए इस तरीके से दक हत्या के इकजाम मैं ल्वनम्र
िं स जाए । उसके बाद मैंने जो कु ू जैसे दकया, वह तुम जानते ही हो ।। होगया शांत चिर्र कहकर इतना "
"मै ाँ अपने कमरे के दरवाजे के होल की"' से सुईट के दरवाजे पर नजर रखे हुए था । ज्यादा ल्वस्तार में न जाकर अगर के वल
यह बता दू तो शायद आपके ल्लए कािी होगा दक आर्े घंटे के अंदर मैं ल्वनम्र के वापस जाने पर चौंका था । क्योंदक जो दावत
ल्बदू के रुप मैं उसे दी गई थी वह इतनी जकदी खत्म नहीं होनी चाल्हए थी । यह तो मुडे बाद में पता लगा ल्वदु ने ल्वनम्र----
। थी दी ठु करा दावत की तव बाद अााया सुईट से ल्नकलते वि ल्वनम्र थोडा भन्नाया हुआ था । उस ववत मैंने इस बात पर
बस ध्यान नहीं ददया था । देता भी कै से? ददमाग तो अपने प्लान को कामयाब करने में उलडा हुआ था । उसी के तहत सुईट के
दरवाजे पर पहुचा । कालबेल बजाई । मबंदू ने दरवाजा खोला था । अपने सामने एक अजनबी को देखकर अभी, वह ठीक से
चौंकी भी नहीं थी दक मैंने डपटकर उसकी गदधन दबा दी रर तभी ूोडा जब वह मर चुकी थी ।।
जब वह मर चुकी । हत्या के वाद सोचाबाथरूम । जायेगे ल्मल ल्नशान के अगुल्लयों मेरी से गदधन उसकी को पुल्लस--- में गया
। एक टॉवल लाया । लाश की गदधन से अपनी अंगुली के ल्नशान साि दकए रर दिर गदधन के चारों तरि इस तरह लपेट ददया
जेसे हत्या उसी से दवाकर की गई हो ।"
'एक ल्मनट । गोडारकर ने टोका । सारा टमाटर गडप दकया ओंर पूूा…"डोरी तुम्हारी जेब में कहााँ से आगई?"
" दकसल्लए?"
"बता तो चुके हो मामा जानी मगर बात जम नहीं रहीं ।कु सी गोडास्कर साथ के शब्दों इन " से खड़ा होगया ।
'"मामला थोड़ा उकटा बल्कक थोड़ा नहीं पूरा का पूरा ही उकटा हो गया है । मैं रूम टॉचधर ने गौडास्कर साथ के कहने "
से जेब । दी कर शुरू सी चहलकदमी रपल िाईव का चॉकलेट ल्नकालता हुआ बोलातुम्हें इस्तेमाल का डोरी" ------ मबंदू को
मारने में करना चाल्हए था , बकौल आपके जैसा दक सोचकर गए थे क्योंदक उसका मडधर करते वि तुम शान्त ददमाग थे ।
मानल्सक रूप से मडधर करने के ल्लए तैयार थे । तुम्हें मालूम था। होगी मबंदू सामने । खुलेगा दृरवाजा-
उसका दियाकमध करना है । गोडास्कर के ख्याल से तो डोरी उस वि हाथ में तैयार होनी चाल्हए थी क्योदक उसे लाये ही मबंदू
पर इस्तेमाल करने के ल्लए थे मगर यूज नहीं की रर दिर यूज की तो वहां के जहां उसे यूज करने का होश ही नहीं होना
चाल्हए था । ल्बज्जू का कत्ल अचानक करना पड़ा । हड़बड़ाहट में करना पड़ा । तुम्हठर पास डोरी ल्नकालने का वि कहााँ रहा
होगा उस वि । उसका ककल भी हाथों से होना चाल्हए था । मबंदू का डोरी से । यहां सब उकटा उसने "। नहीं । है पुकटा-
बूड़क में चाकलेट मारने के साथ कहाचौबे चिर्र "। है पेच कोई इसने । दोस्त नहीं ज़मी बात"--- के चेहरे पर हवाईयां उड़ने
लगी थी । बोलाने हालत या दकया मैंने जो "------ मुडसे कराया बह बता रहा हं। अब आपको यह जम नहीं रहा तो इसमे
मैं क्या कर सकता हं ?"
" जानता हं मामा जानी, तुम कु ू नहीं कर सकते । करना तो सब कु ू गोडास्कर को ही पड़ेगा । खैर उसके -बताओ ये !!
हुआ क्या बाद? तुम्हें कब रर कै से पता लगा दक ल्वज्जू ने िोटो खींचे हैं?''
"भागते वि कै मरा उसके हाथ में था जो उसकी मौत से पहले ही िापेंट पर ल्गर क्या था । उसे देखने के बाद कु ू भी समडने
की जरूरत बाकी नहीं रह गई थी । मैंने कै मरा उठाया । शटर खौला । रील ल्नकालकर अपनी जेब के हवाले की रर कै मरा बंद
करके ल्बज्जू की जेब से ठूं स ददया । उसके बाद अााप जानते ही हैं, ल्बज्जू की लाश को ।
"शाबास । कािी अछूा जवाब सोच रखा था । यहां अााकर तुमने गोडस्कर की बल्र्या बैठा दी । अाागे बड़ने के सारे रास्ते
बंद कर ददए ।"
"मतलब सीर्ा है मामा जानी । कािी घुटे हुए हो तुम । पहले ही सोच चुके होहै ददया पर चेयर टॉचधर बयान जो----, कोटध
के कटघरे में खड़े होकर उस सबसे मुकर जाना है । एक ही बात कहनी हैमें हवालात- तुमने जो कु ू कहा पुल्लस ने टॉचधर करके
जबरदस्ती कहलवाया था । यह सब डूठ है रर सब यह. ....सच है, यह साल्बत करने बाला गौडास्कर के पास कोई प्रूि
नहीं होगा । नहीं मामा जानी, गोडास्कर इतना वड़ा गर्ा नहीं है । तुम्हें कोटध में पेश करने से पहले गोडास्कर के पास इस
बयान को सच साल्बत करने बाला प्रूि होगा तादक तुम मुकर ना सको रर प्रूि ल्बज्जू ाारा खींचे गए िोटु ओं से शानदार िोई
हो नहीं सकता । नतीजा ये होगा बताना तुम्हें ----, िोटो या रील कहां हैं?"
"कह चुका है । रील मैने जला दी । भला ऐसी चीज को ूोड़ता ही क्यों जो मेरे गले का िं दा वन सकती थी?"
" प प्लीज । ऐसा मत करो गोडास्कर । मैं सच कह रहा हं । रील मेरे पास नही ाँ हैाे ।"
अाागे के शब्द चीख में तब्दील हो गए । सारा शरीर ल्वर्ुत तरं गों से थरथरा उठा था ।
उसके बाद तो मानो यह ल्सलल्सला ही चल पड़ा । हवलदार इलेाैल्क्रक शाक दे रहा था । चिर्र चौबे बार-र्ा रहा कह बार-
‘रील मेरे पास नहीं है हाँ चाकलेट खाते गेडास्कर को रील चाल्हए थी । रील जव चिर्र चौबे पर थी ही नहीं तो वे कहां से
देता?
दौलतराम जानता था…यह गोडास्कर की स्टाईल है, वरना याद उसे सव रहता था । बोलाहै रखी पर जमे अाापकी ठरपोटध"----
"। सर
‘ठरपोटध वहां है तो गोडास्कर यहां क्या कर रहा है? ' कहने के साथ बुलडोजर। लुढ़का तरि की दरवाजा सा-
कु ू देर बाद उसकी टेबल पर रखा टेबल लेम्म अाॉन था । वह किं गर ल्चप्स चबाता हुआ कु सी पर बैठा ठरपोटध का अध्ययन कर
रहा था ।।।
एकाएक उसने अपना भारीसाव पार उस के मेज । उठाया उपर चेहरा भरकम-र्ान की मुद्रा में खडे दौलतराम से कहा ।
"इस बार तो गोडास्कर भी गीा खा गया दौलतराम?”
"अबे जब गोडास्कर ही मान रहा है तो तेरे मान लेने से कौन सा तेरी शान घट जाएगी ।"
" इलैल्क्रक चेयर पर पड़ा जो शख्स कु ू देर पहले हायथा रहा कर हाय-, काल्तल बह नहीं है ।"
"कसर है रहे कर बात वया-?" दौलतराम उूल पड़ा . . .नहीं ही हो । गलती रर आपसे । सकता मान नहीं मैं"-----
"हो चुकी है दौलत राम । गकती तो हो चुकी है रर हो भी गई है तो अनथध नहीं हो गया । गोडास्कर भी इं सान है है
आसमान से उतरा िठरश्ता नहीं है । इं सान तो साला है ही गलल्तयों का पुतला ।"
"बेस सामने पड़ा है गोडास्कर के । ये ठरपोटध । सुईट के अंदर से नागपाल की अंगुल्लयों के ल्नशान ल्मले है।। मबंदू के ल्नशान
ल्मले है । ल्बनम्र रर ल्बज्जू के ल्नशान ल्मले हैं ।। नहीं ल्मले है तो मामा जानी के ल्नशान नहीं ल्मले है । एक ही मतलब हैं इस
बात का । यह शख्स सुईट के अंदर गया ही नहीं । गया होता तो कहीं न कहीं से ल्नशान जरूर ल्मलते ।"
'"ल्मटाता तो ल्मटाने के ल्नशान होते ।वे भी नहीं हैं उस पोजीशन में इन चारों के ल्नशान भी कहीं न कहीं से ल्मटे हुए जरुर
होने चाल्हएं थे । नहीं दौलतराम । गोडास्कर मान ही नहीं सकता दक मामा जानी सुईट गए थे ।"
दौलतराम के ल्जस्म में डुरडुरी"। सर हैं रहे ठीक आप तो कह"---बोला गई दौड़ सीं-
"उस पर खोपडी बाद में घुमाएंगे । दिलहाल दकस्सा इस ठरपोटध का है । ठरपोटध कह रही है…कै मरे पर भी मामा जानी की
अंगुल्लयों का कोई ल्नशान नहीं है । जबदक कहलवा तो गौडास्कर ने उससे यह भी ल्लया है दक ल्वज्जू का कत्ल करने के बाद
उसके कै मरे से रील उसी ने ल्नकाली थी । जो गोडास्कर ने चाहा, कहता गया वेचारा । अटका बहां जंहा मजबूरी थी ।।। रील
जव उसके पास है ही नहीं तो दे कहााँ से देता ?"
"इस वि सर?"
"तू बार दौलतराम है जाता भूल बार-? याद रखा कर । पुल्लस वालो की ड्यूटी चीबीस घंटे की होती है । तू यहीं रह ।। सीट
सम्भाल गौडास्कर की । गोडास्कर माठरया बार, यूं गया रर यूं अााया ।अदि वह को दौलतराम बाद के कहने "स के दरबाजे
से बाहर ल्नकलता नज़र अााया । उसे यूं लगाडोंका का हबा से नजदीक जैस-
े गुजरा हो ।" य यकीन मेरा ! मेरा करो यकीन-
बाली चेहरे जदध पीले " ! मेरा करो
माठरया का लहजा कांप रहा थाल्नगेठटब्ज । है ददया दे तुम्हें कु ू सब मैंने"-- की पूरी रील रर सारे पोल्जठटव । अब इन
िोटु ओं का मेरे पास कोई ल्प्रन्ट नहीं है ।"
ठरवॉकवर उसके मस्तक पर रखै ल्वनम्र गुराधया. . .तो आया ल्नकल पास तेरे मप्रंट भी एक का िोटो भी एक से इनमे अगर"--
इस वि वे बार माठरया"' के बेसमेन्ट में ल्स्थत माठरया के पसधनल बेडरूम में अाामने ल्बनम्र दक है ये सीाई ।। थे खड़े सामने-
में खेल इस अब को आनन्द अाा रहा था है अाानन्द आने का कारण था। हालत की माठरया-
बह तो यह सोचा करता था दक अगर दकसी पर ठरवॉकवर तान ददया जाए तो उसकी ल्सटृ टीग ल्पटृ टी-ाुम हो जाएगी मगर हालत
इतनी बदतर भी हो सकती है ल्जतनी माठरया की थी , ऐसी ककपना कभी नहीं कर पाया था । मबंदू ओर दिस्टी के कत्ल उससे
दकसी रर ताकत ने कराए थे । नाटे को हडबडी मे गोली मार बैठा था । माठरया के मस्तक पर हालात ने ठरवॉत्वर रखवाया
था ।
उस वि बह रर करता भी क्या मगर, उसके बाद के सारे खेल ने उसे आनल्न्दत कर ददया था । माठरया के चेहरे पर मौत के
खौि की काल्लख देखी थी उसने ।
ठरवॉकवर की नोक पर माठरया को मकान से बाहर ल्नकाला । गेलरी में खडी वैन की ड्राईमवंग सीट पर बैठाया । उसकी कनपटी
पर ठरवॉकवर रखकर बगल वाली सीट पर बैठ गया था । उसने कहा’-"गाडी स्टाटध कर ।इतना । दी कर स्टाटध उसने तो " ही
नहीं, सारे रास्ते उसके आदेशों का इस तरह पालन करती रही जैसे सकध स में ररं ग मास्टर के कोडे पर शेर करता है ।
बार बंद हो चुका था । स्टाफ़ का कोई आदमी नहीं था यहां रर दिर ल्जस 'शराित' के साथ माठरया उसे अपने बेडरूम में
लाई । एक ही बार के कहने पर सारे पोल्जठटब्ज रर ल्नगेठटव की रील सोंप दी ।
उससे ल्बनप्र को लगाज कु ू सब बह । गया हो से आसानी दकतनी कु ू सब"---ल्ासके बारे में यकीन ही नहीं थी ।। ल्जस
काम के बह दो करोड तो क्या, उससे कई गुना ज्यादा तक खचध करने को तेयार था बह फ्री में हो गया ।
दकतने आराम से ।
वस ।।
सब कु ू सौप चुकी है उसे । कु ू ूु पाने या डूठ बोलने की ल्स्थल्त में ही कहां थी बेचारी?
उस जैसी 'गवाह’ को भला कै से ूोड़ा जा सकता था । जबदक वह बेचारी उसके ठरवॉकवर की नोंक पर नाची ही अपनी जान
बचाने के ल्लए थी । वह वच नहीं सकती थी । ल्वनम्र को इस बात का अिसोस था ।
हालात को शायद माठरया ने भी अछूी तरह 'रीड' कर ल्लया था । तभी तो कहा करती वादा तुमसे मैं ल्वनम्र --व "-----
दिर रर शहर से रात ही आज-- हं यह देश ही ूोड़ दूंगी । कहीं रर जाकर बस जाऊंगी । दकसी ऐसी जगह जहां इल्ण्डयन
पुल्लस के हाथ कभी मुड तक न पहुच सकें ?" मुस्करा उठा ल्वनम्र !!
मरने के डर से दकस कदर डर गई है बेचारी । सोचा हां "-------, एक सूरत इसे जील्वत ूोड़ देनेाे की हो सकती है । "
में जेब रील रर िोटो मोजूद में हाथ बाएं सरकाए ही थे दक…
दोनों उूल पड़े । पलक भी नहीं डपकी थी दक ल्वनम्र के चेहरे पर भी माठरया जैसा खौि उभर अााया ।
माठरया पूरी ताकत लगाने के बाद हलक से आवाज़ ल्नकाल सकी । । है कौन-क"?"
उस ल्वनम्र की हालत देखने लायक थी जो बस एक ही पल पहले कामयाबी के कर्ों पर सवार होकर डूम रहा था ।
बुरी तरह हड़बड़ा गया बह । चेहरे पर हवाईयां उड़ने लगी । ल्जस्म जूडी के मरीज की माल्नन्द कांप रहा था ।
ल्वनम्र बड़ी तेजी से माठरया के कान पर डुककर िु सिु सायास यहां"--ाे ल्नकलने का कोई रर रास्ता है?"
इस बार गोडास्कर ने दरवाजा न खोलने पर उसे तोड़ डालने की चेतावनी थी । वह चेतावनी इतने ठं डे लहजे में दी गई थी दक
माठरया बरबस ही दरवाजे की तरि बढ गई कांपतानाल की ठरवॉकवर । गया हो खड़ा रोककर रास्ता उसका ल्वनम्र हांिता- एक
बार दिर उसके मस्तक पर रख दी थी ।
सूखे होठों पर जीभ िे रती माठरया ने कहा-----“वह वगैर दरवाज़ा खुलवाए नहीं जाएगा ।"
"र्ांय ।"
ल्वनम्र ने उसके मुंह से अपना नाम ल्नकलने से पहले रेगर दबा ददया ।
"क्या हो रहा है अंदर?" गोडास्कर की इस दहाड़ के साथ यूं लगा जैसे दरवाजे से हाथी टकराया हो ।
ल्वनम्र को इस यकीन ने दहला ददया दक दरवाजा गोडास्कर का । पाएगा डेल नहीं वार "तीसरा"
डपटकर खुद को दरवाजे के नजदीक दीवार से सटा ल्लया । 'तीसरे वार' पर दकबाड़ का उपरी ल्हस्सा चौखट से अलग हो गया
।
चौथे वार पर उसे बेडरूम के अंदर ल्गर पड़ना था । ल्वनम्र को कु ू रर नहीं सूडा तो हाथ बड़ाकर 'डंडाला' खोल ददया ।
बाहर से गोडास्कर ने पूरी ताकत लगाकर 'चौथा वार' दकया था मगर दकवाड सड़ाक"' से खुल गया ।
ल्वनम्र पलक डपकते ही कमरे से बाहर ल्नकला । यह काम इतनी तेजी के साथ दकया था दक गोडास्कर उसे देख न सके । उसे
ददखै भी तो के वल पीठ ददखे । जबदक हकीकत ये हैगोडास----ाकर उसकी पीठ तक नहीं देख पाया था । माठरया के ल्जस्म से
ठोकर खाकर मुंह के वल ल्गरा था बह ।
जब तक सम्भलकर उठा । पलटा । तव तक "र्ाड़' की आवाज के साथ दरवाजा बंद हो चुका था । गोडास्कर ने अपने हाथ में
मौजूद ठरवाकवर से िायर दकया । गोली बंद दकवाड़ पर टकराकर रह गई हालांदक वंह अगले ही पल डपटकर दरवाजे पर पहुच
चुका था मगर तव तक दरवाजा बाहर से बंद दकया जा चुका था । ऊपर की तरि से चौखट से अलग हो गया दरवाजा जब
के वल अंदर की तरि खींचकर तोड़ा जा सकता था । मगर कािी टटोलने के बावजूद गोडास्कर को दकवाड़ में ऐसी कोई चीज
हाथ नहीं लगी ल्जसे पकड़कर उसे अपनी तरि खींच सके ।।
कं र्े के जैसे वार करके उसने बाहर से दरवाजे को तोड़ा था बैसे 'बार अंदर से करके नहीं तोड़ा जा सकता था ।
दरवाजे को खोलने या तोड़ डालने की कोई जुगत नहीं थी । तभी कानो में माठरया के कराहने की आबाज आई ।
वह उसकी तरि डपटा । माठरया वस मरने ही बाली थी । गोडास्कर िशध पर बैठ गया ।
उसका ल्सर उठाकर अपनी जांघ पर रखा । करीब था कौनं"----पड़ा चीख करीब-? कौन था वह?"
" बह पागल है ।"--पाई ल्नकाल अकककर-अटक लफ्ज हर से हमुं अपने माठरया " जुनूनी हत्यारा । क लुभा को मदध दकसी-
दबाकर गदधन ही देखते को " लड़की रही मार डालता है । क"। डाला मार भी को दिस्टी-
"है कौन बो?" गोडास्कर चीखा"। माठरया बताओ नाम भूलकर बाते सारी"--
" व".........ल्व-वो-वो-
"हा । हां । बोलो ।मगर डंडोड़ा उसे ने गोडास्कर ", ल्सर उसकी जांघ पर लुढक चुका था ।।।
माठरया के बेडरूम का दरवाजा बाहर से ल्वनम्र ने नहीं, कुं ती देवी ने बंद दकया था ।
ल्वनम्र को तो दरवाजा बंद करने का होश ही नहीं रह गया था । वह तो बाहर ल्नकलते ही एक ही जंम्प में काउन्टर पार करके
उस हाल में पंहुच गया था जहां शराबी लोग बैठकर ल्पया करते थे । रुख सीदढयों की तरि था मगर अपने पीूे दरवाजा बंद
होने की आवाज सुनकर चौंका ।
ठठठका ।
उस तरि से गोली चलने की आवाज भी आई थी । याद अाायास एक उसने वि ल्नकलते बाहर----ााए को दरवाजे के
नजदीक हरकत करते देखा था ।
ददमाग में बडी तेजी से ल्वचार कौंर्ेंवह थी कौन "------? दरवाजा दकसने बंद दकया?"
घूमा ।
रर अभी ठीक से कु ू समड भी नहीं पाया था दक दौड़ता हुआ साया उसके नजदीक अााया ।
हाथ पकडकर उिेल्जत स्वर में बोला…"भागो ल्वनम्र ।। गोडास्कर दरवाजा तोड़कर बाहर ल्नकल अााया तो हम वच नहीं सकें गे
।"
मां ।।
कुं ती देवी की ।
सीाई ये है दक हैरत की ज्यादती के कारण वह आवाज की आज्ञा का पालन करना भूल गया था । यह जानने के बावजूद भूल
गया था दक 'यही उसके ल्हत में है ।' ल्जन हालात में वह हैं, यही करना चल्हए ।।
गोडास्कर बाहर ल्नकल अााया तो सारे दकए र्रे पर पानी दिर जाएगा ।
वह आंखे िाड़े साए की तरफ़ देख रहा था । साया अब भी कम रोशनी दक के कारण साया ही नजर अाा रहा र्ा । उसे
यकीन अााकर नहीं दे रहा था दक वह उसकी मां ही है ।
इर्र, कुं ती के खींचने पर भी वह सीदढयों की तरफ़ नहीं मखंचा तो कहाल्वनम्र"- प्लीज, सोचने के ल्लए हमारे पास एक पल
भी नहीं है ।ल्नकलो यहां से ।। "
ल्बनप्र को लगासो । है सच बात ---, सीदढयों की तरि लपका । जेहन अभी भी दिरक्नी की तरह घूम रहा था ।
सीदढयों पर पहुंचकर कुं ती देबी ने वहााँ मोजूद दरवाजा भी बाहर की तरि से बंद कर ददया । ल्बनम्र अाागे था, कुं ती देवी पीूे
। सीदढयां चढ़कर ऊपर कमरे में पहुचे । कुं ती देबी ने वहााँ मौजूद दरवाजा भी बंद कर ददया ।
" नहीं ।' वेन के नजदीक पहुंचकर ल्वनम्र ने 'साए' की तरि देखा ।वहां स्रीट लाईट के भरपूर प्रकाश के कारण उसने कुं ती
देवी को साि देखा था ।।
वह हमेशा की तरह अपने परम्परागत ल्लबास में थी । सिे द साड़ी, खुले बाजू। ब्लाऊज सिे द वाला-
ल्वनम्र की हैरत कम होने का नाम नहीं ले रही थी । भागकर अााने के कारण दोनों की सांसे िू ली हुई थीं ।
वावजूद इसके ल्वनम्र चीखमां हो रही कर क्या यहां तुम-त "----पड़ा सा-?"
कुं ती देवी हड़बड़ाके वेन ।। देखा उर्र-इर्र घबराकर गई सी- नजदीक ही गोडास्कर की जीप खड्री थी ।
कुं ती देवी ने कहा-----'"यह जगह ऐसी बात करने के ल्लए मुनाल्सब नहीं है । यहााँ हमे दकसी ने देख ल्लया रर बाद में
गोडास्कर को बता ददया तो अब तक दकया गया सारा संघषध वेकार होजाएगा ।"
हालांदक बस्ती सुनसान पडी थी । मगर दकसी भी वि कोई भी ल्नकलकर सड़क पर जा सकता था ।
अगले पल वे ल्वनम्र की बगल वाली सीट पर बैठी थी । इर्र ल्वनम्र ने इग्नील्शयन में चाबी घुमाकर गाड़ी स्टाटध की उर्र सामने
बाले मोड़ से लढ़खड़ाता हुआ एक शराबी मुड़कर इस सडक पर आया । मगर अब ल्वनम्र या कुं ती देबी में से दकसी को उसकी
परबाह नहीं थी ।। वेन कमान से ल्नकले तीर की माल्नन्द शराबी की बगल से गुजरी ही थी दक कुं ती देवी ने पूूा तुम "---
ले ल्नगेठटव रर पाजेठटव सारे आए न?"'
"हां । मगर...........
उसे बोलने का मौका ददए वगैर कुं ती ने अगला सवाल दकयाहुआ क्या का माठरया "---?"
"वह मर गई है ।"
"कै से?"
"हां । कमरे के अंदर से मैंने िायर की अाावाज सुनी थी । इसील्लए पूूा…उस आवाज को सुनकर गौडास्कर पर भी मानो जुनून
सवार हो गया था । वह हाथी की तरह पीूे हटहै यकीन तुम्हें क्या . .परन्तु लगा करने बार पर दरवाजे की हटकर-,
माठरया मर गई थी ?"
"मतलब ? "
" अगर वह बच गई होगी तो गोडस्कर को बता देगी गोली मारने बाले तुम थे । ऐसा होगया तो .........
"नहीं होगा । वह मर चुकी थी ।"
"मगर तुम यहााँ क्या करं रहीं थीं मां?" मौका लगते ल्वनम्र एक बार दिर चीख पड़ाबंहां थी रही कर क्या तुम "-?"
" घर चलो । सब बता दूंगी । तुम 'कठपुतली' क्यों वने, शायद यह बताने का वि अाा गया है ।" कहने के बाद कुं ती देवी
ने ल्सर इस तरह कु सी की पुश्त पर ठटका ददया था जैसे जीवन की दौड में दौड़ते।। हो गई थक दौडते--
ल्वनम्र ने महसूस दकया रही रो बह---हैं । आंसूं बंद पलकों से ल्डरी बनाकर कपोलों पर लुढक अााए थे ।। ल्वनम्र की ल्हम्मत
यह तक पूूने की न पडी वे रो क्यों रहीं हैं । वेन को ल्वला तक नहीं ले गए थे ।
रास्ते ही में एक जगह ूोड़ ददया । अपनी अंगुल्लयों के ल्नशान ल्मटा ददए ।
दिर एक टैक्सी के जठरए ल्वला पहुचे ।। अपने कमरे में ले जाकर कुं ती देवी ने उसे एक कु सी पर बैठा ददया ।
बावजूद इसके वह कोई शक नहीं कर सका था लेदकन उस वि तो मारे हैरत के उसके रोंगटे खड़े हो गए जब कुं ती देवी ने
सामने रखे टी ठरमोट एक से ऊपर के ० वी. उठाया ।
रर पठरणाम स्वरूप खटृ ट-खटृ ट"’ की आबाज के साथ कु सी के दोनों हत्थों से चमड़े के पटृ टे ल्नकले रर पलक डपकते ही उन
पट्टों ने ल्वनम्र को कु सी के साथ जकड़ ल्लया ।
हलक िाड़कर दहाड उठा ल्वनम्रमां दकया क्या तुमने ये "--------? क्यो दकया ऐसा? ये मै तुम्हारा कौन रहा देख रुप सा-
हं?”
ल्वनम्र के ल्पता थे वे ।
वे जो अपने से कािी ूोटीरहे कह से लड़की खूबसूरत ही ल्नहायत की उम्र- थे लेनी मान बात मेरी तुम्हें है ख्याल मेरा "-----
ही बुराई इसमे । चाल्हए क्या है? ऐसे अनेक लोग हैं ल्जनकी दो या दो से ज्यादा पल्प्रयां भी एक ूत के नीचे रहती हैं । मैंने
उन्हे बहनों की तरह रहते देखा है ।
दिर भी, यह नहीं कहंगाकर तो इतना पर । रहना तरह की बहन की कुं ती तुम----- सकती हो नौकरानी दकसी ही भले----
कोने दकसी के घर इस कुं ती मगर सही तरह की में पड़ी रहे । मैं तुमसे बादा करता हं रूबी, तुम्हारे अल्र्कार से कभी कोई
कमी नहीं, अााएगी । सव कु ू तुम्हारा है रर तुम्हारा ही रहेगा । "
" यह वह कह रहा है, वह शख्स ल्जसने मुडसे कोटध में शादी की है ।नामक रुबी " खूबसूरत लड़की कहती चली गई "----
हजार-हजार मुडसे वि करते शादी ल्जसने वादे दकए थे । कहा थाल्नकाल बाहर से घर अपने ल्लए के हमेशा को कुं ती "----
देगा ।"
"वही तो दकया है रूबी । यही तो दकया मैंने ।से ल्गड़ल्गड़ा ल्पता के ल्वनम्र " रहे थे मैंने मुताल्बक के वादे गए दकए तुमसे "---
से घर को ब्याहता अपनी ल्नकाल ददया है अााज वह दरने दकसी मुडे । है रही घूम खाती ठोकरें की- बताया भीख-----
बह है रही कर गुजारा मांगकर । प्लाल्स्टक की डोंपड़ी बनाकर िु टपाथ पर वहााँ रह रही है जहााँ बंगलादेश के शरणाथी रहते हैं
।"
" हां । ये सच है रुबी । कुं ती के बारे में सुनकर मेरी आत्मा तक कांप उठी है । रहहै रही ल्र्क्कार रहकर- मुडे । कचोट रही
है । कह रही हैनहीं भी कु सूर कोई । थी ब्याहता तेरी"------ था उसका । कु सूर तेरा है । तूने र्क्के दे से र्र उसे देकर-
। है ल्नकाला बाहर इसल्लए आज वह गंदी नाली में रें गने वाले कीडे जैसी ल्जन्दगी गुजार रही है ।"
"नहीं । मैं ऐसा ल्बककु ल नहीं चाहता । ऐसा कब कहााँ मैंने ।। मैं तो ये चाहता हं दक तुम दोनों...........
" कह चुकी हं शैलेष । एक बार नहीं, हजार वार कह चूकी हं ।दृढ़ता रूबी " पूवधक बोली रहेगी कुं ती तो या में घर इस"---
यहां उसे तुम अगर । मैं या लाते हो तो मुडे जाना होगा । मुडे जीनी होगी वह ल्जन्दगी ल्जसे आज वह जी रहीं है मगर,
कान खोलकर सुन लो ल्मस्टर शैलेष, मैं कुं ती की तरह बेवकू फ़ नहीं हं । ल्जसे तुम र्क्के मारकर यहााँ से ल्नकाल दोगे रर मैं तब
भी टसूवे बहाती तुम्हारे कदमों मे ल्गर जाऊंगी । तुम्हारे न मानने पर र्र ूोड़कर चली जाऊंगी । मुडे अपने अल्र्कार के ल्लए
लड़ना आताहै ।तुम्हारी 'कीप' जब मैं थी , तब थी अब-------'कीप' नहीं, पप्री हं । कोटध में शादी हो चुकी हैं। वह
शादी ल्जसे करते वि तुमने मुडसे यहीं वादा दकया था जो ल्नभाया भी । कुं ती को र्र से बेदखल करने का बादा । मगर अब
मुकर रहे हो । मैं तुम्हें मुकरने नहीं दूंगी शैलेष । क्यों ? क्यों मुकर रहे हो अब ?"
"तुम्हे कुं ती की कोख मे मौजूद एक बीे का ख्याल है । उन दो बीों का ख्याल नहीं जो मेरे रखैल रहते तुमने मेरी कोख में
डाले थे रर दिर तुम्हारे ही कहने पर मैंने 'सिाई' करा ली थी ।"
"तुम भूल रही हो ।---हुई ऊंची आवाज़ की शैलेष बार पहली "“सिाई कराने के ल्लए मैंने नहीं कहा था । तुम्हारी मजी थी
वह । अपनी िीगर का ख्याल था । िीगर बीे से ज्यादा प्यारी थी तुम्हें ।"
"क्योंदक िीगर ही पर तो कु रबान थे तुम मेरी । बरना कुं ती ही में क्या कमी थी जो मेरी तरि आकर्षधत हुए ?"
"हां । ठीक कह रहीं हो । मेरी मल्त मारी गई थी जो शादीहो शुदा-ने के बावजूद तुम्हारे रूपजाल में िं सा । मुसीबत मोल ले
ली मैने । आदमी साला जब "यौवनजाल' में िं सता है अाागे के बारे में कु ू सोच ही नहीं पाता । मुडे पता होता उस ----
ूोटे से सुख की इतनी वड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी तो .............
" अब पूताने से कु ू नहीं होगा शैलेष । बीे की ख्वाल्हश है तो आओ । समा जाओ मुडमें । बीा पैदा करना कौन सा--
है मुल्श्कल? दो इसील्लए नाली मे बहा ददए क्योंदक उस वि मैं तुम्हारी रखैल थी । अब पप्री हं । पैदा कर दूंगी बीा । नौ
महीने बोडा ही तो उठाना होगा उसका ।"
"बीे के ल्लए ल्जस तरह की "लेग्वेज’ तुम इस्तेमाल कर रही हो वैसी लेग्वेज इस्तेमाल करने बाली ररत कभी मां बनने के
असली सुख को महसूस नहीं कर सकती ।"
"अब तो जैसी हं , तुम्हारी पप्री हं शैलेष । मुड ही से बीा हाल्सल करना होगा । रर कोई रास्ता नहीं है ।"
" भूल तुम रही हो। को कुं ती था ददया दे नहीं तलाक । था शुदा-शादी मैं !
हालत थी जैसे हवा से परवाज़ करतीदेर बहुत । हो पडी आ पर जमीन अचानक करती- तक शैलेष को के वल देखती रही । कु ू
बोली नहीं । दिर होठो पर मुस्कान पैदा की ।
मादक मुस्कान ।
वह मुस्कान ल्जसके बारे में वह जानती थी"। है कािी ल्लए के देने कर रोमांल्चत तक अंदर को शैलेष "------
मगर, आज़ शैलेष पर अपनी मुस्कान का उसे वह असर होता नजर नहीं आया जो होना चाल्हए था ।। तभी तो कहा----
डार्लधग", आज हुआ क्या है तुम्हें? इतने उखड़े हुए क्यों हो? अााते ही ये दकस दकस्म की बाते करने लगे ?"
"बताया तो रूबी । मुडे एक आदमी ल्मला था । उसने कहा’ "कुं ती वंगला देल्शयों की बस्ती में
"ूोडो न शैलेष । क्या बेकार की बातें ले वैठे । उसकी बात काटकर रूबी ने अपने ल्जस्म पर मौजूद गाऊन जैसा ल्लबास उतार
ददया । गाऊन के नीचे वह के वल सिे द अदरूनी बस्त्र पहने हुए थी । वे दोनों कपड़े उसके सांचे से ढले गुलाबी ल्जस्म पर ऐसे
लग रहे ये जेसे गुलाब की पंखुडी की जड़ में सिे द रं ग का शेड ।।।
बोलीजाने । हं रही कर इन्तजार का लौटने से आाँदिस तुम्हारे से सुबह"------ क्या यह ही अााते तुम्हरे दक थी सोचे क्या-
करूंगी, वो करूगी । सारे ल्जस्म को चूमूंगी तुम्हारे रर तुम्हें भी ऐसा मौका दूंगी दक मेरे सारे ल्जस्म को चूम सको मगर एक
तुम हो आते ही लगे डाड़ने । जानती हं डार्लंग आाँदिस में सारे ददन का काम तुम्हें थका देता है । थोड़े हो जाते हो ल्चड़ल्चड़े-
है तुम आओथक तुम्हारी मैं. .ाान उतारू ।तरि की बैड को शेलेष उसने साथ के कहने " खींचा था । शैलेष की मुख से मुद्रा-
है चाहता कहना कु ू बह था रहा लग साि परन्तु रूबी के ल्नमंत्रण को ठु करा नहीं पा रहा ।
शैलेष कसमसाता नजर अााया । ऐसी कोल्शश कर रहा था वह अपने होठो को उसके होठों से अलग करना चाहता हो मगर कब
तक? कब तक कर सकता था वह ऐसी कोल्शश? साि नजर अाा रहा थारहा आ नजर साि- था चुसकवी को होठों उसके ----
रूबीने ब्रा के अंदर से ूलक पड़ने को तैयार अपने यौवन उभार शैलेष की ूाती में पेवेस्त कर ददए । अभी तक ल्हचक रहे,
कसमसा रहे शैलेष की बाहें स्वतबड़ी : । रूबी के कोमल ल्जस्म के चारों तरफ़ ल्लपट गई ।। रूबी को समेटकर उसने अपने
बल्लब ल्जस्म में यूं समेट ल्लया र्ा जेसे चंदन के वृक्ष से नाल्गन ल्लपटी रहती है । जाने कब? शायद उसे भी मालूम नहीं था,
उसके हाथ रूबी के शरीर पर ल्थरकने लगे । जार्ों से पकड़कर रूबी को उसने ऊपर उठाया । रर अबवह . . उसके हेंठों को
उससे कहीं ज्यादा जोश में भरकर चूस रहा था ।
"स्टॉप इट के कु ती "। इट सटॉप . .साथ बंर्ा ल्वनम्र हलक िाड़कर चीख पड़ा । यूं कसमसाया था वह दक सारी कु सी को
भूचाल डेलना पड़ा ।
चेहरा उसी तरह भभका हुआ था ल्जस तरह इस दकस्म के दृश्य देखकर भभक उठता था । जब तब भी टीबी दृश्य वही पर .
रहा चलता तो एक बार दिर चीख पड़ा------''बंद करौ इसे । बंद कर दो वनाध मैं पागल हो जाऊगां"
" नहीं ल्वनम्र । यह बंद नहीं होगा ।देखना पूरा "---कहा ने देबी कुं ती " होगा तुम्हें? मैं जानती थी तुम्हारा वि देखते इसे-
हाल यही होगा । जुनून सवारं हो जाएगा तुम पर । एक वार दिर टी हो आमादा पर तोड़ने स्कीन .वी . जाओगे । ऐसा न
कर सको, इसका इन्तजाम मैंने पहले ही कर ददया हैाे । कु सी से बांर् ददया है तुम्हें । वेसे भी, इस दृश्य को तुम पहली वार
नहीं देख रहे । पहले भी द्रेख चुके हो । तभी, जब ये पहली बार हुआ था ।"
"नहीं ।"। देखा नहीं कभी मंजर शमधनाक यह "----उठा दहाड वह "
" देखा है ल्वनम्र ।"। है देखा तुमने "----था ठोस वहुत लहजा का देवी कुं ती "
तुम शायद पागल हो गई हो मां । मेरी तो उम्र ही साढे चौबीस साल है । दिर ये सब मेरा देखा हुआ कै से हो सकता है ?"
'" तुमने देखा है बेटे । देखा है तुमने ।रहो देखते "---गई चली कहती । थी गई हो पागल सचमुच नोमा देवी " ", शायद
कु ू याद आ जाए । ध्यान से देखोइस अााएंगे मोड़ वड़े-बड़े तो अभी----- कहानी में । ल्जस रात के दृश्य तुम देख रहे हो,
बडी ही कयामत की रात थी वह । देखोचारों------- तरि से ध्यान हटाकर टी "। लो कर के दद्रत पर बी .
अब तो यह कहना ज्यादा मुनाल्सब होगा एकनजदीक के बैड दोनों गुथे से दूसरे- पहुंचे ।। ल्वनम्र भभकते चेहरे रर सुलगती
आंखों सै देखता रहारर रूबी----- शैलेष वेड पर पलठटयां खा रहे थे ।।
शैलेष की शटध के सारे बटन खोल चुकी थी । शैलेष भूल चुका था दक कु ू देर पहले वह रूबी से कुं ती की पेरबी कर रहा था ।
ल्बनम्र ने देखाजव "--------- पूरी तरह कामोिेल्जत हो चुका तो रुबी इस खेल की घुटी हुई ल्खलाडी की माल्नन्द ल्चकनी
मूली की तरह दिसलकर बांहों से ल्नकलेगा ।।
"आओं न रुबी । आओ न ।। पड़ा डपट पर उस शैलेष कहता में स्वर वासनायुवत "
"मुक्या कहता रर पुरुष मातुरका "। हैं मंजूर शतें हजारो तुम्हारी पुड-
े ?
रुबी ने तदकए के नीचे से एक बाण्ड पेपर ल्नकाला । साथ में पैन भी था । पैन खोलकर शैलेष की तरि बढाया । कहा-----
कु ू सब बाद उसके । दो कर साईन पर इस तुम्हारा ।"
शैलेष के जेहन में वह नस कहा बची थी जो इं सान को सोचने। है तीदे ताकत की समडने-
रूबी ने पैन रर बाण्ड पेपर वापस तदकए के नीचे सरकाए रर उसके बाद यह सब कु ू हुआ ल्जसे ल्वनम्र अपनी मां के सामने
तो क्या, अके ला भी नहीं देख सकता था ।
वह बारटी बार- बी बंद करने के ल्लए कहता रहा परन्तु जाने क्यों, कुं ती देवी ने ऐसा नहीं दकया । वह अपने जवान वेटे को
यह सब ददखाती रही जो शायद कोई मां अपने एक साल के बीे तक को नहीं ददखा सकती ।
तभी खोली जब कमरे में िोन की घंटी की आवाज गूंजने लगी । पाया…व्रह आवाज भी टी थी रही ल्नकल ही से स्पीकसध के वी.
।।
शैलेष ने बैड से उठकर िोन ठरसीव दकया । दूसरी तरि से जाने क्या कहा गया । सुनकर वह चौंका ।
ठरसीवर वापस िे ल्डल पर पटकने के बाद बैड पर पड़ी रूबी से कहानई "----- साईड से लोहा चोरी हो गया है । मेरा बहााँ
अभी पहुंचना जरूरी है । "
रूबी ने मानो कु ू भी कहना ज़रुरी नहीं समडा । ज्यों की त्यों अपने ल्जस्म पर एक चादर डाले अलसाई। रही पड़ी सी-
ल्जस तरह टी बी स्िीन पर से तूिान गुजर चुका था । उसी तरह ल्वनम्र के जेहन पर भी अब तूिान का कोई नामोल्नशान
बाकी नहीं बचा । अब वह चेहरे पर घृणा ल्लए स्िीन पर नजर आने बाले दृश्यों को देख रहा था ।
रर होती दुर ही जैसे. . .कार की आवाज सुनाई देनी बंद हुई ।।।
रूबी ने एक डटके से अपने ल्जस्म पर मोजूद चादर दूर िे क दी । तदकए के नीचे से स्टाम्प पेपर ल्नकाला ।
कू दकर िशध पर खड्री हो गई इस वात की उसे जरा भी परवाह नहीं थी दक ल्जस्म पर कपड़े के नाम पर एक थागा तक नहीं है
।
स्टाम्प पेपर खाली था । रूबी ने उसे चूमा रर बाथरुम की तरि बड़ी ही थी दक बूरी तरह चौंकी ।
मां को स्कीन पर खडी देखकर ल्वनम्र के रोंगटे खडे हो गए । पीीस साल पहले की कुं ती देवी थी वह ।
ल्जस्म पर सचमुच ल्भखाठरन जैसा ल्लबास । बाल ल्बखरे हुए । दोनों आंखो के चारों तरि बड़ेकाले बड़े-- र्ब्बे नजर आ रहे थे
। उभरा हुआ पेट बता रहा थाकु । है प्रैग्नैन्ट वह-----ू भी तो नहीं बोल रही थी वह । वस अपनी सूनी रूबी से आंखों सूनी-
रही देख को थी ।
रूबी ।
हड़बड़ाई थी ।
समय गुजरने के साथ सामान्य होती चली गई सामान्य ही नहीं 'मस्त' होती चली गई वह ।
डुकी । स्टाम्प पेपर वापस उठाया । उसे कलेण्डर की तरह गोल शेप में मोड़ती हुई बोलीहै कमाल"----, तू यहीं थी ।
वाकई ।
तेरी ल्हम्मत की दाद देनी पड़ेगी । अपने पल्त कोअपनी आंखों से दूसरी ररत के साथ संभोग करते देखती रहीं रर चुप रहीं ।
ूु पी रही । सामने नहीं अााई । सचमुच । वहुत ल्हम्मत है तूडमें ।
तेरी जगह मैं होती तो गोली मार देती दोनों को । मेरी तारीि में जो कहता रहा, उसे तू अपने कानों से सुनती रही रर चीख
नहीं पड़ी । कमाल का कलेजा है तुडमे ।
स्िीन पर पुनतव । में शुरु बैले "-------था कहा ही ने रूबी :, जब शैलेष इस कमरे आया था । जो कु ू उसने कहा था,
उसे सुनकर तो तू गदगद हो गई होगी । पैरवी जो कर रहीं था तेरी । पैरवी ही नहीं, तारीि कर रहा था । उस वि तो मैं
ल्वलेन नजर अाा रहीं थी उसे । जी चाह रहा थामौज लू। नोच मुह का हरामजादे- मेरे साथ मनाने का चस्का पाल बैठा था ।
पैरवी तेरी कर रहा थाही जैसे मूड-
े उसने कहाकान----ाून की नजर में अभी भी तू ही उसकी बीबी है तो मुडे डटका लगा ।
बात ठीक थी । यह बात पहले ही से मेरे ददमाग में थी । तभी तो यह स्टाम्प पेपर मंगाकर रखा था । उसके तेवर भााँपते ही
मैंने अपने तेवर बदल ददए । वह सब परोस ददया ल्जसे उस जैसा मदध कभी ठु करा नहीं सकता । रर देख मेरे पास कोरे स्टाम्प
पेपर पर उसके साईन हैं । कल इस पर उसके ाारा सारी चल । जाएगी दी ल्लख तहरीर की देने कर नाम मेरे सम्पल्ि अचल-
वह बाद उसके कमीना अपनी कानूनी पप्री को अपने साथ रखे, मेरी बला से । पर रहना उसे भी तेरे साथ वंगलादेल्शयो की
वस्ती से होगा । कल से खुला ूोड़ दूंगी उसे ।
मेरे पास रहना चाहे मेरे पास रहे । तेरे पास रहना चाहे. . .
"शचीख माल्नन्द भी पागलों ल्वनम्र बैठा बंर्ा पर कु सी "। मां शाबास । शाबास- पड़ा डाल मार"---इसे । ये इसी लायक है ।
गदधन दवा दे इसकी । ूोड़ना नहीं मां । लाश बनकर ये ज्यादा खूबतूस्रत लगेगी ।। आंखें बाहर ल्नकल आनी चाल्हएं । जीभ
लटक जानी चाल्हए ।। मार । मार डाल मां । शाबास । मैं इसे लाश में तब्दील होती देखना चाहता हं ।।"
उर्र, स्कीन पर रूबी उसी तरह ूटपटा रही थी जैसे ल्वदू ओर दिस्टी ूटपटाई थी ।। दांतो पर दांत जमाए कुं ती उसकी गदधन
पर अपने हाथो का दवाब बढाती चली जा रही थी ।
उसके चेहरे पर कमोवेश वैसे ही भाव थे जैसे मबंदू रर दिल्स्ट का खात्मा करते वि ल्वनम्र के चेहरे पर थे ।
वह वि भी अााया जब रुबी ने ूटपटाना बंद कर ददया । हाथ पांव जहााँ के तहां लटक गए । गदधन से ऊपर का ल्हस्सा कुं ती
के हाथों से डूल गया था । उसने हाथ हटाए । रूबी की लाश िशध पर ल्गरी ।
"हां । मर गई। मां गई मर वह "---हो ल्मला चैन जाकर अब मानो को ल्वनम्र " शाबास । अछूा दकया तुमने । वह इसी
लायक थी । मजंदा रहती तो जाने दकतने मदो को अपने जाल में िं साती । दकतने र्र बरबाद करती । तुमने अछूा दकया मां
तुमने खुद ही का नहीं, सारे समाज का भला दकया है, ऐसी लड़दकयों का यही अंजाम होना चाल्हए ।"
कुं ती देबी आगे बड़ीं । टीस्िीन । दकया आाँि .आर.सी.बी कनेल्क्टड से .वी . पर ल्डलल्मल नजर आने लगी । कुं ती देवी ने
वीबटन वाला इजेक्ट का .आर.सी. दबाया !वील्डयों कै ल्सट बाहर आ गई था शूट सब यह ल्जसमे के ल्सट वह !
"पप पपप प" पपपप पपपपप पपपपपप पप पपप पपपपपप पप पपपप--" पप पप पपपपप पपप
पपपप? पपपपप पपप पपप पप पपप?"
"पपप पपपपपप? " पपपपपप पपपप…"पपपप पप पपपप पप पपपपप पपप पप पपप पप?"
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पपप पप पपपप पप पपपप पपपपप पपप पप पपपप पप प पपपपपपप पपपप पपपप पप पपपपप
पप पपपपप पप पपप पप पप प पप पप पप पपपपपपप पप पप पपप पपपपपप पप पपप पप पप
पपप पपपपपप पप पपप पपपपपपपपपपपप पप पपपपप पपप पपप पप पपपपप पपपप पपप पप
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