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VisionIAS Hindi Magazine March 2024 March 2024
VisionIAS Hindi Magazine March 2024 March 2024
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1. राजव्यिस्था एिं शासन (Polity and Governance) ____ 5 3.1.1. कृ वष एिं खाद्य सुरिा ____________________ 47
1.1. समान नागररक संविता ________________________ 5 3.1.2. माव्स्यकी सवब्सिी समझौता ______________ 48
1.2. नागररकता (संशोधन) वनयम, 2024 ______________ 7 3.1.3. सीमा-पार विप्रेषर्/ रे वमटेंस _______________ 49
1.3. एक राष्ट्र, एक चुनाि _________________________ 9 3.2. विवजटि एकावधकार और विवजटि इकोवसस्टम का
1.4. नगरपाविका चुनाि _________________________ 11 विवनयमन ___________________________________ 50
1.5. एस.आर. बोम्मई वनर्णय (1994) ________________ 13 3.3. मानि विकास ररपोटण (HDR) 2023-2024 _______ 53
1.6. छठी अनुसूची _____________________________ 14 3.4. घरे िू उपभोग व्यय सिेिर् (HCES) 2022-23 ____ 56
1.7. भारत में मंदिरों का विवनयमन _________________ 17 3.5. ररजिण बैंक - एकीकृ त िोकपाि योजना ___________ 58
1.8. वसनेमैटोग्राफ (प्रमार्न) वनयम, 2024 ____________ 19 3.6. शिरी सिकारी बैंकों के विए अम्ब्रेिा संगठन _______ 61
1.9. संविप्त सुर्खणयां ____________________________ 21 3.7. प्राथवमक कृ वष ऋर् सवमवतयां (पैक्स) ____________ 62
1.9.1. सिन में िोट और भाषर् िेने के विए ररश्वत िेने पर 3.8. भारत की अनाज भंिारर् प्रर्ािी _______________ 64
सांसिों-विधायकों को अवभयोजन से छू ट निीं: सुप्रीम कोटण 21 3.9. कृ वष विज्ञान कें द्र ___________________________ 67
1.9.2. ‘नीवत (NITI) फॉर स्टेट्स’ प्िेटफॉमण __________ 22 3.10. पेटेंट __________________________________ 69
1.9.3. विपुरा में विपिीय समझौता _______________ 22 3.11. उत्तर-पूिण पररितणनकारी औद्योगीकरर् योजना, 2024
1.9.4. विवजटि दिवमनि के स मैनेजमेंट वसस्टम _______ 22 (उन्नवत 2024) ________________________________ 73
2. अंतराणष्ट्रीय संबध
ं (International Relations) _________ 24 3.12. इिेवक्िक मोवबविटी प्रमोशन स्कीम- 2024 _______ 76
2.1. क्वाि ____________________________________ 24 3.13. संविप्त सुर्खणयां ___________________________ 78
2.2. राष्ट्रमंिि ________________________________ 26 3.13.1. भारत वबि पेमेंट वसस्टम (BBPS) का संशोवधत
2.3. उत्तरी अटिांरटक संवध संगठन __________________ 29 विवनयामक फ्रेमिकण ___________________________ 78
2.4. अंतराणष्ट्रीय समुद्री सीमा रे खा और कच्चावतिू का मुद्दा ___ 31 3.13.2. प्रीपेि पेमेंट इन्द्स्ूमेंट्स __________________ 78
2.5. ससंधु जि संवध_____________________________ 33 3.13.3. सेबी बोिण की बैठक में प्रमुख प्रस्तािों को मंजूरी
2.6. भारत-EFTA व्यापार और आर्थणक साझेिारी समझौता 35 प्रिान की गई _______________________________ 78
2.7. भारत-भूटान संबंध__________________________ 38 3.13.4. प्रधान मंिी सामावजक उ्थान एिं रोजगार
2.8. संविप्त सुर्खणयां ____________________________ 41 आधाररत जनकल्यार् (पी.एम.-सूरज) पोटणि _________ 79
2.8.1. IPEF की मंविस्तरीय बैठक आयोवजत ________ 41 3.13.5. प्रोजेक्ट गैया _________________________ 80
2.8.2. भारत-मध्य पूिण-यूरोप आर्थणक गवियारा _______ 42 3.13.6. नीवत आयोग ने ‘िोकि फॉर िोकि’ पिि शुरू की80
2.8.3. भारत और ब्राज़ीि ने पििी ‘2+2 रिा ि वििेश 3.13.7. वनिेशक सूचना और विश्लेषर् मंच __________ 81
मंविस्तरीय िाताण’ आयोवजत की __________________ 42 3.13.8. वनयाणवतत उ्पािों पर शुल्कों और करों की छू ट
2.8.4. ऑपरे शन इन्द्द्रािती ______________________ 43 (RoDTEP) योजना __________________________ 81
2.8.5. गैस वनयाणतक िेशों का मंच _________________ 43 3.13.9. विस्कॉम्स की एकीकृ त रे टटंग और रैं ककं ग ______ 81
2.8.6. अफ्रीका क्िब __________________________ 43 3.13.10. िेयरिाउससंग िेििपमेंट एंि रेगुिटे री अथॉररटी
2.8.7. सवमट फॉर िेमोिे सी _____________________ 44 (WDRA) की “ई-दकसान उपज वनवध” शुरू की गई _____ 81
2.8.8. टोंदकन की खाडी________________________ 44 3.13.11. वग्रि कं िोिर ऑफ़ इं विया विवमटेि ________ 82
2.8.9. िेररयन गैप ___________________________ 44 3.13.12. IndiaTex शुरू दकया गया ______________ 82
2.8.10. ब्िू िाइन ___________________________ 44 3.13.13. विश्व आर्थणक मंच (WEF) के C4IR का िैिराबाि
3. अथणव्यिस्था (Economy) _______________________ 46 में उद्घाटन दकया गया _________________________ 83
3.1. विश्व व्यापार संगठन ________________________ 46 3.13.14. सबरूम िैंि पोटण _____________________ 84
नोट:
वप्रय अभ्यर्थणयों,
करें ट अफे यसण को पढने के पश्चात् िी गयी जानकारी या सूचना को याि करना और िंबे समय तक स्मरर् में रखना आर्टणकल्स को समझने
वजतना िी मि्िपूर्ण िै। मावसक समसामवयकी मैगज़ीन से अवधकतम िाभ प्राप्त करने के विए, िमने वनम्नविवखत नई विशेषताओं को इसमें
शावमि दकया िै:
विवभन्न अिधारर्ाओं और विषयों की आसानी से पिचान तथा उन्द्िें स्मरर् में बनाए रखने के विए मैगज़ीन में बॉक्स,
ताविकाओं आदि में विवभन्न रं गों का उपयोग दकया गया िै।
पढी गई जानकारी का मूल्यांकन करने और उसे याि रखने के विए प्रश्नों का अभ्यास बहुत जरूरी िै। इसके विए िम
मैगज़ीन में प्र्येक खंि के अंत में स्माटण दक्वज़ को शावमि करते िैं।
सुर्खणयों में रिे स्थानों और व्यवक्तयों को मानवचि, ताविकाओं और वचिों के माध्यम से िस्तुवनष्ठ तरीके से प्रस्तुत दकया
गया िै। इससे तथ्या्मक जानकारी को आसानी से स्मरर् रखने में मिि वमिेगी।
• UCC का आशय पूरे िेश में सभी नागररकों के विए एक समान कानून िागू करने से िै। यि समान कानून सभी धार्मणक समुिायों के वििाि, तिाक,
विरासत, गोि िेने, उत्तरावधकार जैसे व्यवक्तगत मामिों में एक समान रूप से िागू िोगा।
• ितणमान में, भारत के व्यवक्तगत कानून (Personal law) काफी जरटि एिं अिग-अिग िैं। यिां प्र्येक धमण में अपने विशेष कानूनों का पािन िोता
िै।
उद्देश्य नागररक मामिों के विए एक समान कानूनी ढांचे का वनमाणर् करना िै। पर प्रकाश िािा।
• इससे पंथवनरपेिता को बढािा वमिता िै। UCC के िागू िोने से पंथवनरपेि राष्ट्र के • सरिा मुद्गि के स (1995): सुप्रीम कोटण ने UCC के
वसद्धांतों को बनाए रखा जा सके गा। यिां पंथवनरपेि राष्ट्र से ता्पयण एक ऐसे राष्ट्र से माध्यम से सभी धमों में िैंवगक समानता स्थावपत करने
के विए संसि से कानून पाररत करने की वसफाररश
िै, जिां धार्मणक मान्द्यताएं नागररक मामिों पर िागू निीं िोती िैं।
की।
• UCC से राष्ट्रीय एकता और एकीकरर् को बढािा वमिता िै। UCC वनम्नविवखत
• पाउिो कॉरटन्द्िो बनाम माररया िुइज़ा िेिटें ीना परे रा
तरीके से राष्ट्रीय एकता को बढािा िेगी:
(2019): सुप्रीम कोटण ने समान व्यिस्था रखने के विए
o धार्मणक और सामुिावयक विभाजनों को समाप्त करके ,
समान कानूनों की आिश्यकता पर प्रकाश िािा।
o समान नागररकता को बढािा िेकर और
• विवध आयोग (2018): अब UCC की जरूरत निीं िै,
o अवधक एकीकृ त कानूनी प्रर्ािी वनर्मणत करके ।
बवल्क मौजूिा कानूनों में संशोधन करने की जरूरत िै।
• इसके िागू िोने से िैंवगक न्द्याय को बढािा वमिेगा। UCC को िागू करके कु छ धार्मणक
• विवध आयोग (2022): UCC पर सािणजवनक और
िैयवक्तक (पसणनि) कानूनों में व्याप्त िैंवगक रूप से भेिभािपूर्ण प्रथाओं को समाप्त दकया
जा सके गा। इससे िैंवगक समानता और मवििाओं के अवधकारों को बढािा वमिेगा। धार्मणक िोगों की राय की मांग की गई।
• UCC से कानूनों का सरिीकरर् संभि िो पाएगा। UCC वििाि, तिाक, विरासत,
उत्तरावधकार आदि से संबंवधत जरटि कानूनों को सरि बनाएगा।
• यि व्यवक्तगत कानूनों को संविताबद्ध करता िै। ऐसे कानूनों को संविताबद्ध करके वनष्पिता जैसे सािणभौवमक वसद्धांत स्थावपत दकए जा सकते िैं।
साथ िी, इससे कानूनी प्रदियाओं को सुव्यिवस्थत दकया जा सके गा; न्द्याय तक पहुंच को बढािा वमिेगा और वििािों को प्रभािी ढंग से िि दकया जा
सके गा।
• विविधता और धार्मणक स्ितंिता को खतरा: UCC को िागू करने से िेश के विविध समुिायों की सांस्कृ वतक एिं धार्मणक पिचान कमजोर िो सकती
िै। इससे धार्मणक स्ितंिता का उल्िंघन िो सकता िै। ध्यातव्य िै दक धार्मणक स्ितंिता से जुडे प्रािधान संविधान के अनुच्छेि 25 में उवल्िवखत िैं।
• समुिायों के बीच आम सिमवत का अभाि: प्र्येक समुिाय की कु छ ऐसी विवशष्ट परं पराएं, रीवत-ररिाज और धार्मणक कानून िोते िैं, वजन्द्िें िे संरवित
करना चािते िैं। इसविए, सभी समुिायों की सिमवत ि समझौते के वबना UCC िागू करने से सामावजक अशांवत पैिा िो सकती िै।
• संघीय ढांचे के बारे में सचंताओं को बढािा िेता िै: कई विशेषज्ञों के अनुसार UCC, राज्यों की विधायी िमता का अवतिमर् कर सकता िै। इस
अवतिमर् के कारर्, UCC के प्रितणन से संविधान के अनुसच
ू ी 7 की प्रविवष्ट 5 के तित सिकारी संघिाि के वसद्धांतों का उल्िंघन िो सकता िै।
आगे की राि
• आम सिमवत िावसि करना: सरकार को िोगों का समथणन िावसि करने एिं उनकी सचंताओं को िूर करने के विए UCC के संिभण में धार्मणक नेताओं
एिं सामुिावयक प्रवतवनवधयों सवित सभी वितधारकों के साथ तकण पूर्ण िाताण करनी चाविए।
1.2. नागररकता (सं शोधन) वनयम, 2024 {Citizenship (Amendment) Rules, 2024}
सुर्खणयों में क्यों?
गृि मंिािय ने नागररकता वनयम, 2009 में संशोधन दकया िै और नागररकता (संशोधन)
वनयम, 2024 को अवधसूवचत दकया िै। ऐसा नागररकता संशोधन अवधवनयम (CAA)6,
2019 को िागू करने के उद्देश्य से दकया गया िै।
पृष्ठभूवम
पािता • पंजीकरर्/ िेशीयकरर् के तित भारत की नागररकता के विए आिेिन कर सकता िै:
o भारतीय मूि का व्यवक्त,
o दकसी भारतीय नागररक से शािी करने िािी मवििा या पुरुष,
o भारतीय नागररक की नाबाविग संतान,
o िि व्यवक्त वजसके माता-वपता भारतीय नागररक के रूप में पंजीकृ त िैं,
o िि व्यवक्त वजसके माता या वपता में से कोई एक स्ितंि भारत की/ का नागररक रिी/ रिा िै,
o OCI कािणधारक के रूप में पंजीकृ त व्यवक्त।
िेशीयकरर् द्वारा • नागररकता के विए आिेिन करने िािे व्यवक्त को आिेिन में दिए गए वििरर् की स्यता को प्रमावर्त करने िािा एक
नागररकता के विए अन्द्य शपथ-पि िावखि करना िोगा। साथ िी, उस आिेिक के चररि की गिािी िेने के विए दकसी भारतीय नागररक द्वारा एक
पािताएं शपथ-पि प्रस्तुत करना िोगा।
• आिेिक को भारतीय संविधान की आठिीं अनुसच
ू ी में सूचीबद्ध भाषाओं में से दकसी एक भाषा का पयाणप्त ज्ञान िोना चाविए।
राष्ट्रीयता का प्रमार् • वनयमों में मूि िेश को सावबत करने के विए िस्तािेजों की आिश्यकता में छू ट िी गई िै। आिेिक अब भारत में प्रिेश के
प्रमार् के रूप में 20 अिग-अिग िस्तािेज प्रस्तुत कर सकते िैं। इन िस्तािेजों में िीजा, आिासीय परवमट, जनगर्ना पची,
ड्राइसिंग िाइसेंस, आधार कािण आदि शावमि िैं।
िूसरे िेश की नागररकता • आिेिक को एक घोषर्ा-पि भी सौंपना िोगा। इसमें इस बात का उल्िेख िोगा दक यदि आिेिक का भारतीय नागररकता के
का ्याग करना विए आिेिन मंजूर िो जाता िै, तो उसके अपने िेश की नागररकता समाप्त मानी जाएगी।
प्रावधकारी वजसके पास • नागररकता अवधवनयम, 1955 की धारा 6B के तित, नागररकता के विए आिेिन वजिा स्तरीय सवमवत के माध्यम से
नागररकता के विए आिेिन
अवधकार प्राप्त सवमवत (Empowered Committee) को इिेक्िॉवनक रूप में करना िोगा। वजिा स्तरीय सवमवत के बारे में
करना िै
कें द्र सरकार अवधसूचना जारी करे गी।
o अवधकार प्राप्त सवमवत आिेिन की जांच करे गी और मानिंि पूरा करने पर आिेिक को भारत की नागररकता
प्रिान कर सकती िै।
• मानिावधकार संबध ं ी पििू: यि अवधवनयम उ्पीवडत व्यवक्तयों को राित प्रिान करके तथा जीिन और स्ितंिता के उनके अवधकारों की सुरिा करके
मानिावधकारों के वसद्धांतों को बरकरार रखता िै।
• राष्ट्रीय सुरिा को मजबूत बनाना: इस अवधवनयम का उद्देश्य अिैध प्रिावसयों और उ्पीवडत अल्पसंख्यकों के बीच अंतर स्पष्ट करना िै।
• विभाजन के समय से पीवडत िोगों को राित प्रिान करना: ज्ञातव्य िै दक पादकस्तान, अफगावनस्तान और बांग्िािेश के संविधान राष्ट्र विवशष्ट धमण
का प्रािधान करते िैं। इसके पररर्ामस्िरूप सिंि,ू वसख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुिायों के कई िोगों को इन िेशों में धमण के आधार पर
उ्पीडन का सामना करना पडा िै।
उठाई गई सचंताएं
• िेशों का िगीकरर्: अन्द्य पडोसी िेशों, जैस-े श्रीिंका (बौद्ध धमण राजकीय धमण िै) और म्यांमार (बौद्ध धमण की प्रधानता) के प्रिावसयों को शावमि
निीं दकया गया िै।
• प्रिासन का आधार: CAA वनयम, 2024 के तित यि सावबत करने या जांचने के विए कोई फॉमूणिा वनधाणररत निीं दकया गया िै दक आिेिक को
उ्पीडन या उ्पीडन के भय से भारत में प्रिेश करने के विए मजबूर िोना पडा था।
• समानता के अवधकार के उल्िंघन की संभािना: CAA से मुसिमानों, यहूदियों और अनीश्वरिादियों (Atheists) को बािर रखने को संविधान के
अनुच्छेि 14 ि पंथवनरपेिता के वसद्धांत का उल्िंघन बताया गया िै।
वनष्कषण
उल्िेखनीय िै दक संविधान संशोधन अवधवनयम का उद्देश्य उ्पीवडत अल्पसंख्यकों की सचंताओं को िूर करना िै। इसविए, एक व्यापक और समािेशी
िृवष्टकोर् को सुवनवश्चत करने के विए उठाए गए मुद्दों का समाधान करना अवत आिश्यक िै।
सवमवत (HLC)8 ने राष्ट्रपवत को अपनी ररपोटण सौंपी िी िै। • भारतीय विवध आयोग: विवध आयोग ने 1999 की 170िीं ररपोटण, 2015
की 255िीं ररपोटण, तथा 2018 की मसौिा ररपोटण में एक साथ चुनाि कराने
अन्द्य संबवं धत तथ्य
की वसफाररश की थी।
• पूिण राष्ट्रपवत श्री रामनाथ कोसिंि की अध्यिता में इस सवमवत का
• 2002 में संविधान के काम-काज की समीिा के विए गरठत राष्ट्रीय आयोग:
गठन वसतंबर, 2023 में दकया गया था। इस सवमवत को “एक
इस आयोग ने भी िेश में एक साथ चुनािों की वसफाररश की थी।
राष्ट्र, एक चुनाि” या “िोक सभा और राज्य विधान सभाओं के
• 2015 में संसिीय स्थायी सवमवत की ररपोटण: इस ररपोटण में भी यिी
एक साथ चुनाि (Simultaneous Elections)” कराने की
वसफाररश की गई थी।
संभािनाओं का पता िगाने का कायण सौंपा गया था।
• नीवत आयोग: आयोग ने अपने िर्किं ग पेपर (2017) में एक साथ चुनाि
• सवमवत ने िोक सभा, राज्य विधान सभाओं और स्थानीय वनकायों
के विए एक साथ चुनाि कराने के विचार का समथणन दकया िै। कराने के विचार का समथणन दकया था
• यि िोक सभा, सभी राज्य विधान सभाओं और स्थानीय वनकायों यानी नगर पाविकाओं एिं पंचायतों के विए एक साथ चुनाि कराने की व्यिस्था
िै। ऐसा िोने पर दकसी विशेष वनिाणचन िेि के मतिाता इन सभी चुनािों के विए एक िी दिन मतिान कर सकें गे।
o एक साथ चुनाि का आशय यि निीं िै दक संपर् ू ण िेश में इन सभी चुनािों के विए एक िी दिन मतिान िो।
▪ उिािरर् के विए- इसे मौजूिा व्यिस्था के अनुसार अिग-अिग िेिों में चरर्-िार तरीके से आयोवजत दकया जा सकता िै, बशते दकसी
विशेष वनिाणचन िेि के मतिाता एक िी दिन राज्य विधान सभा और िोक सभा, िोनों के विए मतिान करें ।
• आर्थणक िाभ:
o एक साथ चुनाि कराने से िोक सभा, राज्य विधान सभाओं और स्थानीय वनकायों के अिग-अिग चुनािों पर जो बार-बार खचण करना पडता
िै, उससे बचा जा सके गा। इससे सरकारी खजाने पर पडने िािा वित्तीय बोझ भी कम िो सके गा।
o सरकार के सभी तीन स्तरों पर एक साथ चुनाि कराने से आपूर्तण श्रृख
ं िा और उ्पािन चि में आने िािी रुकािटों से बचा जा सके गा। ऐसा
इसविए, क्योंदक प्रिासी श्रवमकों को मतिान के अवधकार का प्रयोग करने के विए बार-बार छु िी मांगने की आिश्यकता निीं पडेगी।
o बार-बार आिशण आचार संविता (MCC)9 िागू करने से चुनाि िािे राज्य/ राज्यों में कें द्र और राज्य सरकारों के सभी तरि के विकास कायणिम
एिं गवतविवधयां रुक जाती िैं।
• गिनेंस या प्रशावनक कायों पर ध्यान कें दद्रत करना: एक साथ चुनाि कराने से प्रशावनक कायों के विए अवधक समय वमि पाएगा। इससे नागररकों को
िोक सेिाओं का वितरर् वबना दकसी रुकािट के सुवनवश्चत िो सके गा।
8 High-Level Committee
9 Model Code of Conduct
एक साथ चुनाि कराने के विए • इस चुनौती से वनपटने के विए िो चरर्ों िािी व्यिस्था:
संविधान में संशोधन करने संबंधी o पििे चरर् में िोक सभा और राज्य विधान सभाओं के चुनाि एक साथ कराने पर विचार दकया जाना चाविए।
कानूनी चुनौवतयां ▪ इसके विए, एक संविधान संशोधन विधेयक प्रस्तुत दकया जाएगा। इस विधेयक के जररए संविधान के
अनुच्छेि 83 (संसि के सिनों की अिवध) और अनुच्छेि 172 (राज्य विधान मंिि की अिवध) में संशोधन
दकया जाएगा। इसके अिािा, संविधान में अनुच्छेि 82A को भी जोडा जाएगा।
▪ इस संशोधन के विए राज्यों के अनुसमथणन (मंजरू ी) की आिश्यकता निीं िै।
o िूसरे चरर् में नगर-पाविका और पंचायत चुनाि भी िोक सभा ि राज्य विधान सभाओं के चुनािों के सौ
दिनों के भीतर कराने पर विचार दकया जा सकता िै। इस उद्देश्य के विए एक और संविधान संशोधन विधेयक
प्रस्तुत दकया जाएगा।
▪ उपयुणक्त व्यिस्था के विए संविधान में अनुच्छेि 324A को शावमि करना िोगा। िािांदक, इसके विए
राज्यों के अनुसमथणन की आिश्यकता िोगी।
o अनुच्छेि 324A: नगर पाविकाओं और पंचायतों के चुनािों को एक साथ कराने से संबंवधत।
▪ संविधान के अनुच्छेि 325 में संशोधन दकया जाएगा। एकि मतिाता सूची और मतिाता के एकि
फोटो पिचान-पि को सिम बनाने के विए संशोधन दकया जाएगा।
विशंकु संसि/ विधान सभा एिं • िोक सभा में विशंकु सिन या अविश्वास प्रस्ताि जैसी वस्थवत उ्पन्न िोने पर नए वसरे से चुनाि कराए जाने
समय से पििे विघटन संबध
ं ी मुद्दे चाविए। िािांदक, ये चुनाि के िि भंग िोक सभा के शेष कायणकाि के विए िी िोने चाविए। इसी प्रकार,
राज्यों के मामिे में, राज्य विधान सभाओं के विए नए चुनाि कराए जाएंगे और जब तक उन्द्िें जल्ि भंग निीं
दकया जाता, तब तक उनका कायणकाि िोक सभा के पूर्ण कायणकाि के अंत तक जारी रिेगा।
• इस संिभण में भी संविधान के अनुच्छेि 83 और अनुच्छेि 172 में संशोधन की आिश्यकता पडेगी। इसके विए भी
राज्यों के अनुसमथणन की आिश्यकता निीं िोगी।
राज्यों के चुनािों में बििाि करने से • ररपोटण में संविधान के अनुच्छे ि 327 का उल्िेख करके इस सचंता को िूर करने का प्रयास दकया गया िै। यि अनुच्छेि
राज्यों के अवधकारों का िनन िोगा
संसि को, संसि के प्र्येक सिन और राज्य विधान-मंिि के चुनािों के संबध
ं में प्रािधान करने का अवधकार िेता िै।
• सवमवत ने वसफाररश की िै दक िोक प्रवतवनवध्ि अवधवनयम10, 1951 में संशोधन करने की आिश्यकता िै।
o इस कानून की धाराएं 14 और 15 आम चुनाि के विए अवधसूचना से संबंवधत िैं। ििीं भाग IX (वजसमें धारा
147 से 151A शावमि िैं) िोक सभा और राज्य विधान सभाओं के उप-चुनािों से संबंवधत िै।
िोक सभा और राज्य विधान • सवमवत ने प्रस्ताि दिया िै दक भारत का राष्ट्रपवत आम चुनाि के बाि िोक सभा की पििी बैठक की तारीख पर एक
सभाओं के चुनािों में ताि-मेि अवधसूचना जारी करे । इस अवधसूचना को चुनाि के समय में ताि-मेि वबठाने के विए एक वनधाणररत वतवथ के रूप में
(Synchronisation) वबठाना तय दकया जाना चाविए।
• वसफाररशों के कायाणन्द्ियन की वनगरानी के विए एक कायाणन्द्ियन समूि का गठन दकया जाना चाविए।
वनष्कषण
‘उच्च-स्तरीय सवमवत’ का गठन भारत में चुनािों को एक साथ कराने पर सरकार द्वारा गंभीरता से विचार करने को िशाणता िै। ‘एक राष्ट्र, एक चुनाि’ िेतु
व्यापक और समािेशी िृवष्टकोर् सुवनवश्चत करने के विए वितधारकों के साथ पारिशी एिं समािेशी संिाि के माध्यम से चुनौवतयों का समाधान करना
मि्िपूर्ण िै। इन वितधारकों में कानूनी विशेषज्ञ, राज्य सरकारें और अल्पसंख्यक समुिायों के प्रवतवनवध शावमि िैं।
नगर पंचायतों के चुनाि संबंवधत नगरपाविका • भारतीय शिरों में मुख्य रूप से आयुक्त मॉिि यानी ‘मुख्य कायणकारी के रूप में आयुक्त
अवधवनयम के अनुसार िोते िैं। (CACE)12’ मॉिि का पािन दकया जाता िै। यि मॉिि मेयर मॉिि यानी ‘प्र्यि रूप
चयवनत व्यवक्तयों द्वारा भरी जाएंगी। कायणकारी शवक्तयां उसी के पास िोती िैं।
• िेश के प्र्येक राज्य ने अपने यिां नगरपाविकाओं के गठन के विए कानून बनाया िै। यि
o इस उद्देश्य के विए, प्र्येक नगरपाविका िेि को
कानून नगरपाविकाओं के कायों, संरचना, संसाधनों और नागररक प्रशासन में उनकी
प्रािेवशक वनिाणचन िेिों में विभावजत दकया
भूवमका तय करता िै।
जाएगा, वजन्द्िें िािण के नाम से जाना जाएगा।
आगे की राि
• राज्य वनिाणचन आयोगों को सशक्त बनाना: इन आयोगों को मजबूत करने और उन्द्िें पूरी चुनाि प्रदिया में अवधक मि्िपूर्ण भूवमका िेने से समय पर,
स्ितंि एिं वनष्पि नगरपाविका चुनाि सुवनवश्चत करने में मिि वमि सकती िै।
o राज्य वनिाणचन आयोगों को मेयर, विप्टी मेयर और स्थायी सवमवतयों के चुनाि में शावमि दकया जा सकता िै।
• पररसीमन की शवक्त: प्र्येक राज्य में िािण पररसीमन और आरिर् प्रदिया के संचािन की शवक्त राज्य वनिाणचन आयोग या एक स्ितंि पररसीमन
आयोग के पास िोनी चाविए।
• एकि मतिाता सूची: उच्च स्तरीय सवमवत के सुझाि के अनुसार, एक साथ चुनाि कराने के विए सरकार के सभी तीन स्तरों िेतु एक िी मतिाता
सूची तैयार करनी चाविए। इससे अिग-अिग एजेंवसयों के कायों में िु प्िीके शन और वनरथणकता की समस्या में कमी आएगी।
एस. आर. बोम्मई बनाम भारत संघ (UOI) िाि, 1994 के वनर्णय के बारे में
• िषण 1989 में कें द्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेि 356 के तित कनाणटक में एस. आर.
बोम्मई की सरकार को बखाणस्त कर दिया था और ििां राष्ट्रपवत शासन िगा दिया था।
• इस के स की सुनिाई के बाि सुप्रीम कोटण की नौ जजों की पीठ ने संविधान के अनुच्छेि 356 के िायरे को वनधाणररत दकया था। साथ िी, कोटण ने इस
अनुच्छेि के उपयोग पर िगे कु छ प्रवतबंधों को पररभावषत भी दकया था।
• पििा, क्या राष्ट्रपवत शासन की उद्घोषर्ा न्द्यायसंगत (न्द्यावयक समीिा के अधीन) थी?
• िूसरा, अनुच्छेि 356 के तित राष्ट्रपवत की शवक्तयों का िायरा और सीमाएं क्या िैं?
o संविधान इस बात पर मौन िै दक संिध
ै ावनक तंि की विफिता क्या िै?
▪ इस कारर् इस प्रािधान के िुरुपयोग की संभािना बनी रिती िै।
• तीसरा, यदि संसि द्वारा मंजरू ी दिए जाने के बाि भी कोटण राष्ट्रपवत शासन की घोषर्ा को अिैध ठिरा िे, तो इसके क्या पररर्ाम िोंगे?
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बोम्मई वनर्णय और वनधाणररत दकए गए प्रमुख वसद्धांत
• न्द्यावयक समीिा: सुप्रीम कोटण ने वनर्णय दिया दक अनुच्छेि 356 के तित राष्ट्रपवत की उद्घोषर्ा पयाणप्त आधारों पर न्द्यावयक समीिा के अधीन िै।
o वजन तथ्यों के आधार पर राष्ट्रपवत को यि समाधान िोता िै दक संबंवधत राज्य में राष्ट्रपवत शासन िगाना जरूरी िै, कोटण उन तथ्यों की जांच
कर सकता िै।
o यदि उद्घोषर्ा िुभाणिनापूर्ण िै या पूरी तरि से अप्रासंवगक या असंगत आधार पर बेस्ि िै, तो सुप्रीम कोटण या संबंवधत िाई कोटण उस उद्घोषर्ा
को रद्द कर सकता िै।
• राष्ट्रपवत की शवक्तयों की सीमाएं: वनर्णय में यि वनष्कषण वनकािा गया दक दकसी राज्य सरकार को बखाणस्त करने की राष्ट्रपवत की शवक्त पूर्ण निीं िै।
राष्ट्रपवत द्वारा अपनी उद्घोषर्ा को संसि के िोनों सिनों से अनुमोदित िोने के बाि िी अपनी शवक्त का प्रयोग करना चाविए।
o तब तक राष्ट्रपवत विधान सभा से संबंवधत संिध ै ावनक प्रािधानों को वनिंवबत करके िी विधान सभा को वनिंवबत कर सकता िै।
• राष्ट्रपवत शासन के अमान्द्य िोने के पररर्ाम:
o संबंवधत राज्य की मंविपररषि और विधान सभा िोनों को बिाि दकया जाना चाविए।
o उद्घोषर्ा के प्रितणन की अिवध के िौरान दकए गए कायों, पाररत आिेशों और कानूनों की िैधता अप्रभावित रिेगी।
• अन्द्य प्रमुख रटप्पवर्यां:
o सत्तारूढ िि को प्राप्त समथणन का वनधाणरर् करने में शवक्त परीिर् (फ्िोर टेस्ट) की सिोच्चता वनधाणररत की गई।
o अनुच्छेि 356 का उपयोग के िि तभी उवचत िै जब संिध
ै ावनक तंि विफि िो गया िो, न दक प्रशासवनक तंि।
o सरकाररया आयोग की ररपोटण (1988) के आधार पर, इस मामिे में सुप्रीम कोटण ने सूचीबद्ध दकया दक अनुच्छेि 356 के तित शवक्त का उपयोग
किां उवचत या अनुवचत िो सकता िै।
▪ उवचत उपयोग का उिािरर्: यदि कें द्र सरकार के संिैधावनक वनिेश की राज्य सरकार द्वारा अििेिना की जाती िै (अनुच्छेि 365)।
▪ अनुवचत उपयोग का उिािरर्: यदि कें द्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को अपने राज्य के शासना्मक कायों में संशोधन या सुधार करने
संबंधी पूिण चेतािनी दिए वबना सीधे राष्ट्रपवत शासन िगा दिया जाता िै। इसमें उस वस्थवत को शावमि निीं दकया गया िै जिां राष्ट्रपवत
शासन िगाने की अवत आिश्यकता िो।
o पंथवनरपेिता, िोकतंि और संघिाि िमारे संविधान की मूिभूत विशेषताएं िैं और ये संविधान के मूि ढांचे का भी विस्सा िैं।
▪ पंथवनरपेिता को पररभावषत करने का प्रयास दकया गया: कोटण के अनुसार, यि धार्मणक सविष्र्ुता के वनवष्िय िृवष्टकोर् से किीं अवधक िै।
यि सभी धमों के प्रवत समान व्यििार की एक सकारा्मक अिधारर्ा िै।
एस.आर. बोम्मई वनर्णय के प्रभाि
• अनुच्छेि 356 का कम उपयोग: जनिरी, 1950 से माचण, 1994 के बीच राष्ट्रपवत शासन 100 बार यानी िषण में औसतन 2.5 बार िगाया गया था।
जबदक, 1995 से 2021 के बीच के िि 29 बार िी राष्ट्रपवत शासन िगाया गया।
• संघिाि को मजबूत करना: इस वनर्णय ने अनुच्छेि 356 के तित उद्घोषर्ा को राष्ट्रपवत की वििेकाधीन शवक्तयों को कम दकए वबना न्द्यायोवचत
ठिराया। इस प्रकार शवक्तयों के पृथक्करर् के वसद्धांत को कम दकए वबना िेश के संघिाि को मजबूत दकया।
वनष्कषण
1994 के बाि से बोम्मई मामिे को कई बार िोिराया गया। इससे यि िेश के राजनीवतक इवतिास में सबसे अवधक उद्धृत/ िोिराने िािे फै सिों में से
एक बन गया था। जैसे-जैसे िेश में कें द्र-राज्य संबंधों की जरटिता और शासन में पंथवनरपेिता की भूवमका बढती जा रिी िै, िैस-े िैसे एस. आर. बोम्मई
मामिे में स्थावपत वसद्धांत संघिाि और बहुििाि के संिैधावनक आिशों को बनाए रखने में मि्िपूर्ण बनते जा रिे िैं।
• गृि मंिािय ने तकण दिया िै दक िद्दाख को छठी अनुसूची में शावमि करने के विए संविधान में संशोधन की आिश्यकता िै, जो एक जरटि प्रदिया िै।
• िद्दाख के प्रवतवनवधयों के साथ बैठक के िौरान, कें द्रीय गृि मंिी ने िेि में अनुच्छेि 371 जैसी सुरिा िेने का प्रस्ताि रखा था।
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छठी अनुसच
ू ी के बारे में
• छठी अनुसच
ू ी यानी संविधान के अनुच्छेि 244(2) और अनुच्छेि 275(1) के तित असम, मेघािय, विपुरा और वमजोरम में जनजातीय िेिों के
प्रशासन संबंधी प्रािधान दकए गए िैं।
छठी अनुसच
ू ी के प्रािधान अनुच्छेि 371 के तित संरिर्
• संविधान के अनुच्छे ि 371 से अनुच्छे ि
• ये प्रािधान इन चार राज्यों के राज्यपािों को अपने-अपने राज्य में स्िायत्त वजिा पररषिें
(ADCs)14 और स्िायत्त प्रािेवशक पररषिें (ARCs)15 गरठत करने का अवधकार िेते िैं। 371-J तक, कु छ राज्यों के विए “विशेष
o ADC की संरचना: ADCs में अवधकतम 30 सिस्य िोते िैं। इनमें से चार राज्यपाि द्वारा प्रािधान” दकए गए िैं।
• इसके तित कु छ धार्मणक और सामावजक
नावमत दकए जाते िैं, जबदक शेष चुने जाते िैं।
समूिों को राज्य एिं कें द्र सरकार के
▪ िािांदक, बोिोिैंि प्रािेवशक पररषि एक अपिाि िै। इसमें अवधकतम 46 सिस्य िो िस्तिेप के वबना अपने मामिों पर
सकते िैं। स्िायत्त तरीके से वनर्णय िेने की अनुमवत
o ARC: यदि दकसी स्िायत्त वजिे में अिग-अिग अनुसवू चत जनजावतयां िैं, तो राज्यपाि उनके वमिती िै।
द्वारा बसाए गए िेि या िेिों को स्िायत्त िेिों में विभावजत कर सकता िै।
• छठी अनुसच
ू ी ने ADCs और ARCs को वनम्नविवखत “विधायी, कायणकारी एिं न्द्यावयक” शवक्तयां प्रिान की िै:
शवक्त विषय
कायणकारी • वजिों में प्राथवमक विद्याियों, औषधाियों, बाजारों, पशु तािाबों, म्स्य पािन, सडकों, सडक पररििन और जिमागों की स्थापना या
शवक्त प्रबंधन करने की शवक्त प्राप्त िै।
• पररषिों को प्राथवमक विद्याियों में भाषा और वशिा के तरीके को वनधाणररत करने के विए भी अवधकृ त दकया गया िै।
न्द्यावयक शवक्त • इन्द्िें ग्राम और वजिा पररषि न्द्यायाियों के गठन का अवधकार प्राप्त िै।
• पररषि न्द्यायाियों के मुकिमों या मामिों पर िाई कोटण और सुप्रीम कोटण को छोडकर दकसी अन्द्य अिाित का अवधकार िेि निीं िोता िै।
• िािांदक, इन पररषि न्द्यायाियों को मृ्युिंि या पांच या अवधक िषों के कारािास से िंिनीय अपराधों िािे मामिों पर वनर्णय िेने की
शवक्त निीं िी गई िै।
• स्थानीय मुद्दों का समाधान करना: ADCs से िद्दाख के विशेष मुद्दों (जैसे- पयाणिरर् संरिर्, पयणटन प्रबंधन और सतत विकास पद्धवतयों) का
समाधान दकया जा सकता िै।
• भूवम अवधकार: िद्दाख को भारतीय संविधान के अनुच्छेि 35A के माध्यम से पूिि
ण ती जम्मू और कश्मीर राज्य के विस्से के रूप में समान स्िायत्तता
प्राप्त थी। िािांदक, इस अनुच्छेि को 2019 में वनरस्त कर दिया गया था।
o इसविए, छठी अनुसूची जनजातीय समुिायों के भूवम संबंधी और िन अवधकारों की रिा करे गी तथा उन्द्िें अिगाि से बचाएगी।
• परं पराओं के संरिर् के विए उपाय: िद्दाख की अवद्वतीय सांस्कृ वतक विरासत और पारं पररक रीवत-ररिाजों को मान्द्यता वमिेगी। साथ िी, उन्द्िें
कानूनी रूप से संरवित भी दकया जाएगा।
• संसाधन प्रबंधन: ADCs का अपने अवधकार-िेि के भीतर खवनज संसाधनों पर अवधक वनयंिर् िोगा। इससे िे उन्द्िें अवधक प्रभािी ढंग से प्रबंवधत
कर सकें गी।
• रोजगार के अिसर: िद्दाख के िोगों के विए सरकारी नौकररयों और शैिवर्क संस्थानों में आरिर् बढाया जा सके गा। इससे स्थानीय रोजगार को
बढािा वमिेगा।
• वित्तीय व्यििायणता: स्िायत्त वजिा पररषिों (ADCs) की स्थापना और संचािन के विए मित्त्िपूर्ण वित्तीय संसाधनों की आिश्यकता िोती िै।
• अंतर-सामुिावयक गवतशीिता: छठी अनुसूची के िायरे में िेि में बहुसंख्यक बौद्ध और कारवगि में बहुसंख्यक मुवस्िम समुिायों के वितों को संतुवित
करना चुनौतीपूर्ण िो सकता िै।
• राष्ट्रीय सुरिा संबध
ं ी सरोकार: िद्दाख की संिेिनशीि सीमािती अिवस्थवत इस सचंता को जन्द्म िेती िै दक यदि िद्दाख को अवधक स्िायत्तता िी गई,
तो राष्ट्रीय सुरिा को िेकर िद्दाख ि कें द्र के बीच समन्द्िय में जरटिता आ सकती िै।
िद्दाख के प्रवतवनवधयों, राजनेताओं और कें द्र सरकार को शावमि करते हुए आपसी संिाि शुरू करना मि्िपूर्ण िै। िद्दाख के विकास की कुं जी एक ऐसा
समाधान खोजने में वनवित िै, जो व्यापक राष्ट्रीय ढांचे पर विचार करते हुए िद्दाख की विवशष्ट पिचान और आकांिाओं का सम्मान करता िो।
सकारा्मक पररर्ाम प्राप्त करने के विए खुिा संचार और अन्द्य विकल्प तिाशने की जरूरत िै।
• सामावजक सुधार: राज्य ने विवनयमन के जररए सािणजवनक • पंथवनरपेिता का उल्िंघन: राज्य धार्मणक मामिों में िस्तिेप करके पंथवनरपेिता
मंदिरों को अवधक समािेशी बनाकर और मंदिरों की प्रथाओं के के वसद्धांत का उल्िंघन करता िै, जबदक यि वसद्धांत राज्य को धार्मणक मामिों से
संचािन में भेिभाि को समाप्त करके िंशानुगत पुरोवितिाि को अिग करता िै।
चुनौती िी िै। • असमान विवनयमन: आिोचकों का किना िै दक सिंिू मंदिरों के विवनयमन पर
• िंवचत िगों का प्रवतवनवध्ि: मंदिरों के प्रबंधन में सरकारी
अवधक ध्यान दिया जाता िै, जबदक अन्द्य धार्मणक संस्थान काफी िि तक स्िायत्त
िस्तिेप से कु छ समूिों के ऐवतिावसक प्रभु्ि को चुनौती िी गई
बने हुए िैं।
िै। इस प्रकार अन्द्य समूिों के प्रवतवनवध्ि को प्रो्सावित दकया
• ऑपरे शनि स्िायत्तता में कमी: राज्य के िस्तिेप से मंदिर की पूजा पद्धवत और
गया िै।
धार्मणक अनुष्ठान के मौविक चररि एिं मूल्य कमजोर हुए िैं।
o उिािरर् के विए- तवमिनािु ने HRI&CEA अवधवनयम
o उिािरर् के विए- वचिंबरम मामिे (2014) में, सुप्रीम कोटण ने मंदिर की
के तित मंदिर के न्द्यासी बोिण में अनुसूवचत जावत/
पारं पररक स्िायत्तता को संरवित करने की आिश्यकता पर बि िेते हुए
अनुसूवचत जनजावत के प्रवतवनवध्ि को अवनिायण बनाया
िीवितरों (पुजारी समुिाय) को िी मंदिर का प्रबंधन करने की अनुमवत िी
िै। थी।
• कु शि मंदिर प्रबंधन: धमाणथण बंिोबस्ती अवधवनयम मंदिर की • सांस्कृ वतक पूज
ं ी की िावन: संरिर् िेतु वनम्नस्तरीय प्रयासों के कारर् ऐवतिावसक
संपवत्त के सुव्यिवस्थत प्रशासन और संरिर् को सुवनवश्चत करता
रूप से मि्िपूर्ण मंदिर संरचनाओं को नुकसान पहुंचा िै। जैसा दक 2017 में
िै। साथ िी, यि भी सुवनवश्चत करता िै दक मंदिर की संपवत्त या
यूनेस्को के फै क्ट-फाइं सिंग वमशन ने ऐसे नुकसान को सािणजवनक तौर पर उजागर
फं ड्स का उपयोग वनधाणररत उद्देश्यों की पूर्तण के विए िी दकया दकया था। वमशन ने प्राप्त साक्ष्यों को मद्रास िाई कोटण में प्रस्तुत कर उन्द्िें
जाए।
सािणजवनक दकया था।
• सामुिावयक कल्यार्: राज्य अपनी वनगरानी से यि सुवनवश्चत
• पयणटन की संभािनाओं को नुकसान: मंदिर को वमिने िािे फं ड्स का उपयोग
करता िै दक मंदिर के धन का उपयोग स्थानीय आबािी को िाभ
राज्य द्वारा अन्द्य गवतविवधयों में भी दकया जाता िै। इससे मंदिर की अिसंरचना
पहुंचाने िािी सामुिावयक कल्यार् संबंधी गवतविवधयों में दकया
में वनिेश करने के विए वित्त अपयाणप्त रि जाता िै।
जाए।
• आदििासी और िेशज समुिाय: राज्य का वनयंिर् िोने पर राज्य आदििासी
समुिायों के पूजा स्थिों के विवशष्ट/ अनूठे रीवत-ररिाजों और परं पराओं के प्रवत
संिेिनशीि निीं िो सकता िै।
आगे की राि
• धार्मणक और प्रशासवनक िेि (Domain) का पृथक्करर्: धार्मणक िेि और प्रशासवनक (िौदकक) िेि से संबंवधत कायों में शवक्तयों का स्पष्ट पृथक्करर्
िोना चाविए।
• मंदिर नेटिकण संरचना: मंदिरों को उनके
आकार के आधार पर तीन श्रेवर्यों में
िगीकृ त दकया जा सकता िै। मंदिरों को िब
एंि स्पोक मॉिि के आधार पर समूिबद्ध
दकया जा सकता िै। इसके तित बडे और
प्रशासवनक रूप से मजबूत मंदिर िेि में
वस्थत छोटे मंदिरों को समथणन प्रिान करते
िैं।
• सुशासन के वसद्धांत: मंदिरों के विविध
कायों का प्रबंधन करने के विए राज्य-
स्तरीय मंदिर प्रशासन बोिण का गठन दकया
जा सकता िै। इस बोिण में राज्य स्तर के
अवधकारी िी शावमि िोने चाविए। इस बोिण को मंदिर प्रबंधन सवमवत (TMC) और मंदिर स्तरीय िस्ट (वजसमें पुजारी, स्थानीय िोग आदि शावमि
िों) द्वारा सिायता प्राप्त िोनी चाविए।
o सिंि ू धार्मणक और धमाणथण बंिोबस्ती अवधवनयम, 1991 में एक मंदिर प्रशासन बोिण के गठन का भी प्रािधान दकया गया िै।
• दफल्म प्रमार्न, दफल्म प्रीव्यू की प्रदिया का अंवतम चरर् िै। िूसरे शब्िों में, यि
दफल्म के ररिीज़ िोने से पििे उसकी समीिा करना िै। इसमें वनम्नविवखत शावमि
िैं:
o दकसी विशेष दफल्म या दफल्म के सािणजवनक रूप से प्रसारर् की अनुमवत न िेने
का वनर्णय; या
o दफल्म के कु छ िृश्यों को िटाने और/ या संशोधनों के साथ अनुमवत िेना; या
o कम-से-कम दफल्मों का उवचत िगीकरर् करना।
• वसनेमटै ोग्राफ अवधवनयम, 1952 के प्रािधानों के तित, कें द्रीय दफल्म प्रमार्न बोिण
(CBFC)19 की स्थापना गई िै। इसका मुख्यािय मुब
ं ई में िै। इसका मुख्य कायण
दफल्मों के सािणजवनक प्रिशणन को विवनयवमत करना िै। इसके कई िेिीय कायाणिय
भी िैं।
o CBFC, सूचना और प्रसारर् मंिािय के अधीन एक सांविवधक वनकाय िै।
o इसके 9 िेिीय कायाणिय िैं: मुंबई, चेन्नई, कोिकाता, बेंगिुरु, वतरुिनंतपुरम,
िैिराबाि, नई दिल्िी, कटक और गुिािाटी।
• CBFC यि भी सुवनवश्चत करता िै दक-
o दफल्म के पडने िािे समग्र प्रभाि को ध्यान में रखते हुए दफल्म की संपर्
ू ण
समीिा की जाए;
o दफल्मों की अिवध और िेश के मौजूिा मानकों एिं दफल्म से संबंवधत िोगों को ध्यान में रखते हुए दफल्म की जांच की जाए, बशते दक दफल्म
िशणकों की नैवतकता को भ्रष्ट न करती िो।
• एस. रं गराजन आदि बनाम पी. जगजीिन राम िाि (1989) में सुप्रीम कोटण ने किा था दक दफल्म िोगों को दफल्म में दिखाई गई किानी के अनुरूप
सोचने और िैसे िी कायण करने के विए प्रेररत करती िै। इसके अिािा, दफ़ल्में दकताबों आदि के पन्नों पर छपे शब्िों की तुिना में अवधक ध्यान में
रिती िैं और िंबे समय तक स्मृवत में बनी रिती िैं।
o इसविए, दफल्म प्रसारर् से पूिण उवचत प्रवतबंधों द्वारा प्रमार्ीकरर् करना न के िि िांछनीय िै, बवल्क आिश्यक भी िै।
• पिािवध: CBFC के सिस्यों का कायणकाि कें द्र सरकार वनधाणररत करे गी।
• मवििाओं का प्रवतवनवध्ि: CBFC में मवििाओं को अवधक प्रवतवनवध्ि दिया गया िै। अब बोिण में एक-वतिाई सिस्य मवििाएं िोंगी। यि प्रयास
o इस उप-िगीकरर् से यि सुवनवश्चत िोगा दक युिा िशणकों को उनकी आयु के अनुरूप कं टेंट से अिगत करिाया जाए। यि किम स्िैवच्छक िोगा।
• प्रायोररटी के आधार पर स्िीसनंग का प्रािधान: कई बार दफल्म वनमाणताओं दफल्म के ररिीज िोने की घोषर्ा CBFC की मंजूरी से पििे िी कर िेते
िैं। इसे ध्यान में रखते हुए प्रायोररटी के आधार पर CBFC ओर ओर से स्िीसनंग का प्रािधान दकया जा रिा िै।
भारत में दफल्म प्रमार्न से संबवं धत मुद्दे/ समस्याएं: अवधवनयम की धारा 6(1) को वनरस्त करता िै। इस िाि में
कु शि तरीके से दफल्मों को प्रमावर्त करने को िेकर CBFC की िमता के बारे में सचंता व्यक्त की जाती िै।
• ऑनिाइन पायरे सी से वनपटने में विफि: िेश में दफल्म प्रमार्न ऑनिाइन पायरे सी की जरटिताओं को िूर करने में विफि रिा िै। इसके
पररर्ामस्िरूप, वमरटरं ग सिणर जैसी कवमयां/ खावमयां रि जाती िैं।
वनष्कषण:
िािांदक, वसनेमैटोग्राफ (प्रमार्न) वनयम, 2024 में प्रदियाओं का सुव्यिवस्थत संचािन और विविधतापूर्ण प्रवतवनवध्ि करना एक सकारा्मक किम िै,
दफर भी सेंसरवशप, कं टेंट पर वनयंिर् आदि को िेकर सचंताएं बनी हुई िैं। रचना्मक स्ितंिता और सामावजक वजम्मेिारी के बीच बेितर संति
ु न स्थावपत
करना प्रमुख चुनौती बना हुआ िै।
1.9.1. सिन में िोट और भाषर् िे ने के विए ररश्वत o िोिरा परीिर् (Two-fold test): एक सांसि/ विधायक
िे ने पर सां स िों-विधायकों को अवभयोजन से छू ट निीं: द्वारा विशेषावधकार का िािा वनम्नविवखत िोिरे परीिर्
द्वारा वनधाणररत िोगा:
सु प्रीम कोटण {No Parliamentary Immunity
▪ िािा दकया गया विशेषावधकार सिन के सामूविक
For Taking Bribes: Supreme Court (SC)}
कामकाज से जुडा िोना चाविए, और
• िाि िी में, सीता सोरे न बनाम भारत संघ िाि (2024) में सात ▪ इसकी आिश्यकता एक विवध-वनमाणता के अवनिायण
न्द्यायाधीशों की संिैधावनक पीठ ने पी.िी. नरवसम्िा राि मामिे कतणव्यों के वनिणिन के कायण से संबवं धत िोनी चाविए।
(1998) में दिए गए अपने वनर्णय को रद्द कर दिया िै। o दिवमनि कोट्सण का अवधकार िेि: दिवमनि कोट्सण को
विवध-वनमाणताओं के वखिाफ ररश्वतखोरी के मामिों की
o सुप्रीम कोटण ने अपने िाविया वनर्णय में स्पष्ट दकया िै दक
सुनिाई से के िि इसविए बािर निीं रखा गया िै दक उनके
कानून वनमाणता सिन में भाषर्/ िोट के विए ररश्वत िेने के
द्वारा सुनिाई को सिन अिमानना या अपने विशेषावधकार
मामिे में अवभयोजन से छू ट का िािा निीं कर सकते।
का उल्िंघन मान सकती िै।
• वनर्णय से जुडे मि्िपूर्ण सबंिओं
ु पर एक नज़र:
o संसिीय विशेषावधकारों का िायरा: संसिीय विशेषावधकार
o ररश्वत के विए उन्द्मवु क्त निीं िै: ररश्वत िेने के आरोपी सांसि/
का उद्देश्य विवध-वनमाणताओं को वबना दकसी भय के "बोिने"
विधायक संविधान के अनुच्छेि 105 और 194 के तित
अवभयोजन से दकसी भी तरि की उन्द्मवु क्त का िािा निीं कर और "मतिान करने" की सुरिा प्रिान करना िै। मतिान करने
सकते। इसका मतिब िै दक उन्द्िें कानूनी कारण िाई का सामना संबंधी सुरिा िािा प्रािधान वनम्नविवखत पर भी समान रूप
करना पडेगा। से िागू िोता िै-
• क्वाि समान विचारधारा िािे चार िेशों का एक अनौपचाररक मंच िै। इसमें संयक्त
ु
राज्य अमेररका, भारत, ऑस्िेविया और जापान शावमि िैं।
• उद्देश्य: यि सिस्य िेशों को िैवश्वक कल्यार् के विए एक कें द्र के रूप में कायण करने पर
जोर िेता िै। यि एक ऐसे खुि,े स्ितंि और समािेशी सिंि-प्रशांत (Indo-Pacific) का
समथणन करता िै, जो समृद्ध और मजबूत िो।
• कायण: क्वाि के व्याििाररक कायण को वनम्नविवखत 6 कायण-िेिों पर “वसक्स िीिसण िेिि
िर्किं ग ग्रुप्स” के माध्यम से आगे बढाया जाता िै।
जििायु • अनुसंधान और विकास को सुविधाजनक बनाने तथा एनजी िांवजशन का समथणन करने के विए स्िच्छ ऊजाण आपूर्तण श्रृख ं िा
पिि25 की घोषर्ा की गई िै।
• सिंि-प्रशांत िेि में पूिण चेतािनी प्रर्ावियों एिं जििायु संबंधी आंकडों तक पहुंच बढाने के विए क्वाि क्िाइमेट चेंज एिेप्टेशन
एंि वमरटगेशन पैकेज (Q-CHAMP) नामक एक पिि शुरू की गई िै।
साइबर • क्वाि जॉइं ट सप्रंवसपि फॉर वसक्योर सोफ्टिेयर और क्वाि जॉइं ट सप्रंवसपि फॉर साइबर वसक्योररटी ऑफ़ दिरटकि इं फ्रास्िक्चर
जारी दकए गए िैं। इनका उद्देश्य साइबर खतरों के विरुद्ध सुरिा को मजबूत करना िै।
स्िास्थ्य सुरिा • क्वाि िेशों ने क्वाि िैक्सीन साझेिारी को और अवधक व्यापक स्िास्थ्य सुरिा साझेिारी में विकवसत करने का वनर्णय विया िै।
साझेिारी इसका उद्देश्य सिंि-प्रशांत िेि में क्वाि िेशों एिं विवभन्न भागीिारों के बीच समन्द्िय और सियोग को बढािा िेना िै।
आधारभूत अिसंरचना • क्वाि इन्द्फ्रास्िक्चर फे िोवशप प्रोग्राम: इसे सिंि-प्रशांत िेि में इन्द्फ्रास्िक्चर कायण से जुडे 1,800 से अवधक व्यिसावययों को
गुर्ित्तापूर्ण इन्द्फ्रास्िक्चर के विजाइन ि वनमाणर् के विए सशक्त बनाने िेतु शुरू दकया गया िै।
• सिंि-प्रशांत िेि में के बि वसस्टम को मजबूत करने के विए क्वाि पाटणनरवशप फॉर के बि कनेवक्टविटी एंि रे वजविएंस शुरू दकया
गया िै।
अंतररि • अथण ऑब्जिेशन िािे सैटेिाइट िेटा और उनके विश्लेषर् कायों का आिान-प्रिान दकया जा रिा िै। इससे िेशों को जििायु
पररितणन के प्रवत बेितर तरीके से अनुकूवित िोने, प्राकृ वतक आपिाओं से वनपटने तथा मिासागर और समुद्री संसाधनों का प्रबंधन
करने में सिायता वमिेगी।
• सिंि-प्रशांत में भारत की सदिय भागीिारी: क्वाि के माध्यम से, भारत सिंि- क्वाि के अन्द्य पिि
• इं िो-पैवसदफक पाटणनरवशप फॉर मैरीटाइम िोमेन अिेयरनेस
प्रशांत िेि में अवधक प्रभािी भूवमका वनभा सकता िै। िैवश्वक समुद्री व्यापार
(IPMDA) कायणिम: यि सिंि मिासागर िेि, िविर् पूिण
का आधा विस्सा इसी िेि से संपन्न िोता िै। यि िेि िुवनया की सकि घरे िू
एवशया और प्रशांत िेि में समुद्री एजेंवसयों को समुद्री
उ्पाि में 60 प्रवतशत से अवधक का योगिान िेता िै। साथ िी, सिंि-प्रशांत िेि
गवतविवधयों पर ररयि टाइम में ि िागत प्रभािी जानकारी
भारत के विए रर्नीवतक रूप से भी काफी मि्िपूर्ण िै। प्रिान करता िै।
• एक्ट ईस्ट को बढािा: क्वाि गठबंधन ने भारत को पूिी एवशया और िविर्-पूिण • STEM26 फे िोवशप: इसे STEM िेि में अग्रर्ी अगिी पीढी
एवशया के िेशों के साथ संबंधों को मजबूत करने में मि्िपूर्ण भूवमका वनभाई
के िोगों के बीच संबंधों को बढािा िेने के विए शुरू दकया गया
िै। इसके अिािा, क्वाि के चिते भारत को अपने रर्नीवतक िक्ष्यों को प्राप्त िै।
करने के साथ-साथ समुद्री सुरिा सुवनवश्चत करने, आर्थणक एकीकरर् को बढािा • क्वाि िेट मैनज
े मेंट ररसोसण पोटणि: इसे असंधारर्ीय ऋर् वित्त-
िेने और िेि में शांवत ि वस्थरता को बढािा िेने में भी मिि वमिी िै। पोषर् के मुद्दे से वनपटने के विए विकवसत दकया गया िै।
• क्वाि पाटणनरवशप ऑन HADR27: HADR भारत के नेतृ्ि में
• रिा गवतविवधयां: ऑस्िेविया, जापान और संयक्त
ु राज्य अमेररका के साथ
शुरू की गई एक पिि िै। इसका उद्देश्य भविष्य में घरटत िोने
भारत की रिा और सुरिा साझेिाररयां िेश की सैन्द्य िमताओं को बढाने में
िािी आपिाओं के मामिे में सिंि-प्रशांत िेि में ्िररत और
सिायक िैं।
प्रभािी सिायता प्रिान करना िै।
• सियोग के विविध िेि: उिािरर् के विए- ऑस्िेविया, भारत और जापान ने
चीन पर अपनी वनभणरता को कम करने के विए आपूर्तण श्रृख
ं िा िचीिापन पिि (SCRI)28 शुरू करने की घोषर्ा की िै।
• वद्वपिीय सियोग को बढािा िेना: क्वाि की पृष्ठभूवम में ‘समान विचारधारा िािे’ िेशों के साथ भारत के वद्वपिीय संबंधों को और मजबूत दकया जा
सकता िै। भारत एिं क्वाि िेशों के मध्य सूचना साझाकरर् समझौते, िवथयारों के आिान-प्रिान संबध
ं ी समझौते एिं रिा संबंध वद्वपिीय सियोग को
बढािा िेने में काफी मििगार िो सकते िैं।
• आर्थणक िाभ: क्वाि भारत को आर्थणक िाभ भी प्रिान करे गा। चीन पर वनभणरता के कारर् कु छ समय पििे िी आपूर्तण श्रृंखिा में व्यिधान आया था।
ऐसे में क्वाि भारत को वनिेश के विए एक पसंिीिा स्थान बना सकता िै।
• पूरी तरि से संस्थागत निीं: अपने ितणमान स्िरूप में, क्वाि अपेिाकृ त कम संस्थागत बना हुआ िै। यि कोई सुरिा मंच या व्यापार समूि निीं िै। यि
वस्थवत इसकी विश्वसनीयता और प्रभाि को कम कर सकती िै।
• शीत-युद्ध की मानवसकता: चीन ने क्वाि कू टनीवत की आिोचना करते हुए इसे क्वाि से जुडी भारत की सचंताएं
• विवभन्न मोचों पर चीन के साथ दफर से तनाि िोने की
“शीत-युद्ध की मानवसकता” और “एवशयाई नाटो” स्थावपत करने का प्रयास बताया
संभािना: क्वाि सिस्यों में भारत एकमाि िेश िै जो चीन
िै। के साथ अपनी भूवम सीमा साझा करता िै। इससे भारत के
• अवद्वतीय चररि: क्वाि के उद्देश्य को आवसयान (ASEAN), पैसेदफक आइिैंि विए यि सुवनवश्चत करना अवनिायण िो जाता िै दक क्वाि
फोरम और इं वियन ओशन ररम एसोवसएशन (IORA) जैसे अन्द्य िेिीय समूिों से वसफण एक चीन-विरोधी समूि बनकर न रि जाए।
• भारत का संतुवित िृवष्टकोर्: भारत ने ऐसे िेशों या
अिग पररभावषत करना करठन सावबत हुआ िै।
संगठनों के साथ भी साझेिारी को बढािा िेना जारी रखा
• अन्द्य समस्याएं: अपने प्रयासों को प्रभािी ढंग से आगे बढािा िेने में असमथणता के
िै, जो तथाकवथत क्वाि विरोधी िैं, जैसे दक SCO (शंघाई
विए क्वाि की आिोचना की जाती िै। उिािरर् के विए- क्वाि “800 वमवियन
सियोग संगठन) और वब्रक्स।
कोविि-19 िैक्सीन खुराक” वितररत करने का िािा पूरा निीं कर सका। • अन्द्य भागीिारों पर प्रभाि: क्वाि में भारत की भागीिारी
बढने से अन्द्य मित्त्िपूर्ण भागीिार, जैसे- रूस और ईरान
आगे की राि
भारत से िूर िो सकते िैं।
• िेिीय समृवद्ध पर ध्यान िेना: क्वाि सिंि-प्रशांत िेि में शांवत एिं वस्थरता िेतु एक
मि्िपूर्ण फोसण के रूप में कायण करता िै। इसका उद्देश्य िेि में समािेशी ि वनयम-आधाररत व्यिस्था का विकास करना िै। इसे िावसि करने के विए,
िेिीय समृवद्ध में इसके योगिान पर स्पष्टता और सुरिा मामिों पर िचीिापन आिश्यक िै।
• िेि में मौजूिा संगठनों को बढाना: क्वाि को अन्द्य संगठनों को ख्म या प्रवतस्थावपत करने के बजाय, अिग-अिग बहुपिीय या िेिीय संगठनों को
बढािा िेने और आपसी सियोग के विए एक समािेशी िृवष्टकोर् प्रिान करने का प्रयास करना चाविए।
• अन्द्य भागीिारों को शावमि करना: क्वाि को िेिीय साझेिारों के साथ सदिय रूप से जुडने की आिश्यकता िै। इसके विए क्वाि िेिीय साझेिारों के
वितों एिं प्राथवमकताओं को भी ध्यान में रखना चाविए।
• स्पष्टता और अस्पष्टता को संतवु ित करना: क्वाि को पारं पररक सुरिा सचंताओं (जैसे- संभावित चीनी सैन्द्य कारण िाई) पर विशेष ध्यान िेने के बजाय
चीन के साथ सीधे टकराि के जोवखम को कम करने पर ध्यान िेना चाविए। इसके विए क्वाि साझा वितों के िेिों पर ध्यान कें दद्रत कर सकता िै।
राष्ट्रमंिि सवचिािय (The Commonwealth Secretariat: संगठन के िक्ष्यों को प्राप्त करने में सिस्य िेशों को सिायता प्रिान िंिन
करना
CS)
कॉमनिेल्थ फाउं िेशन (CF) िोकतंि और विकास में जनता की भागीिारी को बढािा िेना िंिन
कॉमनिेल्थ िर्निंग (COL) ओपन िर्निंग और विस्टेंस एजुकेशन का समथणन करना बनाणबी,
कनािा
• िोकतंि और मानिावधकारों को बढािा िेना: राष्ट्रमंिि के वसद्धांतों का घोषर्ा-पि (1971) और िरारे राष्ट्रमंिि घोषर्ा-पि (1991) जैसे
समझौतों ने इन मूल्यों को बढािा िेने के प्रवत राष्ट्रमंिि िेशों की प्रवतबद्धता को रे खांदकत दकया िै।
• राष्ट्रमंिि चाटणर (2012): इसमें विवध का शासन जैसे 16 प्रमुख साझा वसद्धांतों को शावमि दकया गया िै। इसके प्रवत सभी सिस्य िेशों ने प्रवतबद्धता
दिखाई िै।
• रं गभेि को समाप्त करने में भूवमका: राष्ट्रमंिि के प्रयास और समथणन से िविर् अफ्रीका में रं गभेि को ख्म करने में मिि वमिी थी।
• विकास कायों में भागीिारी: राष्ट्रमंिि िेशों में विकास पििों और आर्थणक विकास का समथणन करने के विए वनम्नविवखत पििें शुरू की गई िैं:
o तकनीकी सियोग के विए राष्ट्रमंिि कोष (The Commonwealth Fund for Technical Co-operation: CFTC),
o राष्ट्रमंिि छाििृवत्त आयोग (Commonwealth Scholarships Commission), और
o वििेशी विकास सिायता (Overseas Development Assistance)।
• युिाओं को सशक्त बनाना: यि एकमाि अंतर-सरकारी संगठन िै, वजसके पास एक समर्पणत युिा कायणिम िै। इसका नाम कॉमनिेल्थ यूथ प्रोग्राम
(CYP) िै।
• राष्ट्रमंिि साइबर घोषर्ा-पि (2018): इसमें सामावजक और आर्थणक विकास को बढािा िेने तथा विवजटि अवधकारों की रिा करने के विए
साइबर स्पेस के विकास का समथणन दकया गया िै।
• भारत राष्ट्रमंिि का सबसे बडा सिस्य िेश िै। राष्ट्रमंिि की कु ि आबािी में से िगभग 60 प्रवतशत आबािी भारत में वनिास करती िै।
• भारत राष्ट्रमंिि में चौथा सबसे बडा योगिानकताण िेश िै। इसके अिािा, भारत CFTC, कॉमनिेल्थ फाउं िेशन, कॉमनिेल्थ यूथ प्रोग्राम और COL
में भी योगिान करता िै।
• भारत ने नई दिल्िी में 1983 में राष्ट्रमंिि वशखर सम्मेिन31 और 2010 में राष्ट्रमंिि खेिों की मेजबानी की थी।
• 2018 में इं विया-यू.एन. िेििपमेंट फं ि के अधीन कॉमनिेल्थ सब-सिंिो (5 िषों में 50 वमवियन अमेररकी िॉिर) की स्थापना की गई थी। यि
सतत विकास िक्ष्यों को िावसि करने और जििायु कारण िाई से संबंवधत पररयोजनाओं के विए राष्ट्रमंिि सिस्यों को अनुिान-सिायता प्रिान करने
के विए िै।
• पि में तकण :
o चुनािों पर नज़र रखने के विए वमशन: 1967 से अब तक राष्ट्रमंिि ने िगभग 40 िेशों में चुनािों की वनगरानी तथा पारिशी और वनष्पि
चुनािी प्रदियाओं को बढािा िेने िेतु 140 वमशन भेजे िैं। ये वमशन इसविए भेजे जाते िैं, तादक िोकतंि के प्रवत प्रवतबद्धता को बनाए रखा जा
सके ।
o सिस्यों की बढती संख्या: टोगो और गैबॉन (ये िोनों वब्ररटश उपवनिेश निीं थे) जैसे नए सिस्यों के जुडने से यि किा जा सकता िै दक राष्ट्रमंिि
सियोग और संिाि का एक बेितर मंच िै।
o सतत विकास िक्ष्यों (SDGs) का समथणन: राष्ट्रमंिि SDGs को िागू करने, विशेष रूप से शांवत और विकास पर ध्यान कें दद्रत करने िािे
िक्ष्य 16 के प्रवत प्रवतबद्ध िै।
o व्यापार: राष्ट्रमंिि िेशों में व्यापाररक भागीिारों के विए वद्वपिीय िागत गैर-सिस्य िेशों की तुिना में औसतन 21 प्रवतशत कम िै।
o साझा अनुभिों के माध्यम से एकता: अच्छे साझा संबंध, भाषा (अंग्रज
े ी), साझे ऐवतिावसक संबंध और िोगों के बीच मजबूत संबंध राष्ट्रमंिि
िेशों के बीच एकता और सियोग को बढािा िेते िैं।
• विपि में तकण :
o आिोचकों का किना िै दक इसका अवस्त्ि िी उपवनिेशिाि को िैधता प्रिान करता िै। एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में सिस्य िेशों को संयुक्त राष्ट्र,
आवसयान और अन्द्य संगठनों से जुडकर अंतराणष्ट्रीय संबंधों पर ध्यान िेना चाविए।
o समकािीन िैवश्वक मुद्दों का समाधान करने में कम प्रासंवगक: उिािरर् के विए- कोरोना मिामारी के िौरान, सिस्य िेशों को सिायता प्रिान
करने में यि प्रभािी निीं था।
o मेजबान िेश के संबध
ं में वििाि: CHOGM की मेजबानी के विए रिांिा का चयन करना एक प्रश्न खडा करता िै। रिांिा पर उसके
मानिावधकार ररकॉिण संबंधी सचंताओं के कारर् यि प्रश्न उ्पन्न हुआ िै।
o सिस्यों के बीच सामंजस्य का अभाि: रूस-यूिेन युद्ध के िौरान चि रिे यू.एन. िोटटंग में रूस की सनंिा करने के विए नौ राष्ट्रमंिि िेशों ने भाग
निीं विया।
o फं सिंग संबधं ी रुकािट/ बाधाएं: राष्ट्रमंिि की अंतराणष्ट्रीय नौकरशािी को सीवमत वित्तीय सिायता इसकी प्रभािशीिता को बावधत करती िै।
वब्रटेन मुख्य रूप से वद्वपिीय आधार पर इसे फं ि उपिब्ध कराता िै और इसके सवचिाियी काम-काज के विए विशेष फं सिंग निीं करता िै।
वनष्कषण
जििायु पररितणन के प्रभािों को कम करने, व्यापार और पीपि-टू-पीपि कॉन्द्टैक्ट बढाने के विए राष्ट्रमंिि नेटिकण का िाभ उठाना चाविए। यि
िीघणकाविक विकास एिं समृवद्ध के विए आिश्यक िै।
• इसकी स्थापना उत्तरी अटिांरटक संवध, 1949 से हुई थी। इसे िासशंगटन संवध भी किा जाता िै। इसकी स्थापना के मूि उद्देश्य वनम्नविवखत िैं:
o वद्वतीय विश्व युद्ध के बाि त्कािीन सोवियत संघ के विस्तारिाि को रोकना,
o यूरोप में राष्ट्रिािी सैन्द्यिाि को दफर से उभरने से रोकना, और
o यूरोप का राजनीवतक एकीकरर् करना।
• मुख्यािय: ब्रुसेल्स (बेवल्जयम)
• स्िरूप: नाटो 32 सिस्य िेशों का एक राजनीवतक और सैन्द्य गठबंधन िै। इसमें 30 यूरोपीय िेश और उत्तर अमेररका के िो िेश (संयक्त
ु राज्य
अमेररका और कनािा) शावमि िैं। इस संगठन को सामूविक सुरिा के वसद्धांत पर स्थावपत दकया गया िै।
o अनुच्छेि 5: इसमें सामूविक सुरिा के वसद्धांत का प्रािधान िै। इसमें उपबंध दकया गया िै दक नाटो के दकसी एक सिस्य िेश के वखिाफ िमिा
सभी सिस्य िेशों के वखिाफ िमिा माना जाएगा।
▪ अभी तक, अनुच्छेि 5 को वसफण एक बार िागू दकया गया िै। 2001 में 9/11 के िमिों को ध्यान में रखते हुए संयक्त
ु राज्य अमेररका ने
अनुच्छेि 5 को िागू दकया था।
• इसके 12 संस्थापक सिस्य िेश िैं- बेवल्जयम, कनािा, िेनमाकण , फ्रांस, आइसिैंि, इटिी, िक्ज़मबगण, नीिरिैंि, नॉिे, पुतणगाि, यूनाइटेि ककं गिम
और संयुक्त राज्य अमेररका।
o 2023 में, दफनिैंि नाटो का 31िां सिस्य बना था।
o 2022 में यूिेन ने नाटो की सिस्यता के विए औपचाररक रूप से आिेिन
दकया था और उसे 2023 में विवनयस वशखर सम्मेिन में आश्वासन प्राप्त
हुआ था।
o यूरोपीय संघ के िे सिस्य जो नाटो का विस्सा निीं िैं: ऑवस्िया,
साइप्रस, आयरिैंि और माल्टा।
• स्िरूप: नाटो यूरोप और उत्तरी अमेररका के बीच जुडाि का विवशष्ट माध्यम
िै। यि एक िांस-अटिांरटक राजनीवतक और सैन्द्य गठबंधन िै। यि सिस्य
िेशों को रिा और सुरिा के िेि में परामशण एिं सियोग करने तथा बहुराष्ट्रीय
संकट-प्रबंधन कायों को एक साथ संचावित करने में सिम बनाता िै।
• वित्त-पोषर्: संगठन के संचािन आने िािे खचों को पूरा करने में प्र्येक
सिस्य िेश योगिान करता िै। यि योगिान सकि राष्ट्रीय आय से प्राप्त एक
िागत-साझाकरर् सूि32 पर आधाररत िै।
• नाटो भागीिारी: नाटो ने 40 से अवधक गैर-सिस्य िेशों और अंतराणष्ट्रीय
संगठनों के साथ संबंध स्थावपत दकए िैं। इन्द्िें नाटो भागीिार किा जाता िै। ये
संबंध वनम्नविवखत संरचनाओं के माध्यम से बनाए रखे जाते िैं:
o शांवत के विए भागीिारी (PfP)33: यि यूरो-अटिांरटक िेि के िेशों के
साथ एक वद्वपिीय सियोग कायणिम िै। इसमें रूस सवित 18 भागीिार
िेश शावमि िैं। िािांदक, बेिारूस और रूस के साथ भागीिारी ितणमान में वनिंवबत िै।
o भूमध्यसागरीय संिाि: यि भूमध्यसागरीय िेि के िेशों के विए एक कायणिम िै।
o इस्तांबि
ु सियोग पिि: यि पिि मध्य-पूिण िेि के िेशों के विए िै।
32 Cost-share formula
33 Partnership for Peace
• सोवियत संघ ने 1955 में 7 अन्द्य पूिी यूरोपीय कम्युवनस्ट िेशों के साथ अपना स्ियं का सैन्द्य गठबंधन बनाकर नाटो के वखिाफ प्रवतदिया व्यक्त की
थी। इस गठबंधन को ‘िारसा संवध’ नाम दिया गया था।
• िेदकन 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाि, िारसा संवध िािे कु छ िेश नाटो के सिस्य बन गए थे। इनमें िंगरी, पोिैंि, बुल्गाररया, एस्टोवनया,
िातविया आदि शावमि िैं।
• नाटो की ‘खुिे द्वार की नीवत’ (नाटो संवध का अनुच्छेि 10) दकसी भी यूरोपीय िेश को नाटो में शावमि िोने की अनुमवत िेती िै। िािांदक, यि िेश
"उत्तरी अटिांरटक िेि की सुरिा" को बढाने िािा और उसमें योगिान िेने िािा िोना चाविए।
• रूस और पवश्चमी िेशों के बीच अविश्वास का सृजन: रूस इस विस्तार को एक आिामक किम के रूप में िेखता िै। उसके अनुसार यि विस्तार िशकों
के सुरिा सियोग को समाप्त करने का एक प्रयास िै। इसके अिािा, नाटो का यि किम रूस को चीन और ईरान के साथ पवश्चम-विरोधी गठबंधन
बनाने पर विचार करने के विए बाध्य करता िै।
• िेि में विसैन्द्यीकरर् की विपरीत प्रिृवत्त: नए नाटो सिस्यों को पवश्चमी कमान संरचना के साथ एकीकृ त िोने के विए भारी धनरावश िेने की
आिश्यकता िोगी। इस प्रकार, इस धनरावश को उ्पािक िेिकों की बजाये सैन्द्य खचण के विए उपयोग दकया जाएगा।
• यूरोप में मौजूिा विभाजन को तीव्र करना: कु छ िेशों को अन्द्य संगठनों से पििे अपने समूि में शावमि करके , नाटो अ्यवधक समृद्ध उत्तरी यूरोप और
अल्प समृद्ध िविर्ी यूरोप के मध्य तथा पूिी यूरोप ि पूिण सोवियत संघ के िेशों के बीच पििे से मौजूि विभाजन को तेज कर िेगा।
• यूरोप में सैन्द्यीकरर् में िृवद्ध: रूस यूरोप में नाटो के विस्तार को अवस्थरता पैिा करने िािे कारक के रूप में िेखता िै। इस धारर्ा के कारर् रूस की
ओर से मि्िपूर्ण विरोध हुआ िै, वजसमें सैन्द्य िस्तिेप की संभािना भी शावमि िै। जैसा दक जॉर्जणया में उसके कायों और यूिेन में चि रिे तनाि से
पता चिता िै।
नाटो के समि प्रमुख चुनौवतयां
• वित्त-पोषर् की समस्या: 2006 में, नाटो के रिा मंिी ने इस प्रवतबद्धता पर सिमवत व्यक्त की थी दक सिस्य िेशों के सकि घरे िू उ्पाि का 2
प्रवतशत नाटो रिा के विए आिंरटत दकया जाएगा। िािांदक, नाटो के अवधकांश सिस्य िेश इस प्रवतबद्धता को पूरा निीं करते िैं।
• िविर्पंथी राष्ट्रिाि: पूरे यूरोप में िविर्पंथी राष्ट्रिाि का प्रसार िो रिा िै। साथ िी, नाटो और यूरोपीय संघ जैसी अंतराणष्ट्रीय संस्थाओं के प्रवत भी
असंतोष बढ रिा िै।
• संयक्त
ु राज्य अमेररका की यूरोप की रिा के प्रवत प्रवतबद्धता: पूिण अमेररकी राष्ट्रपवत ने इस गठबंधन के मूल्य पर सिाि उठाया था और किा था दक
क्या अमेररका को अनुच्छेि 5 की प्रवतबद्धता का सम्मान करना चाविए।
2.4. अं त राण ष्ट्रीय समु द्री सीमा रे खा और कच्चावतिू का मु द्दा (International Maritime
Boundary Line And Kachchatheevu Issue)
सुर्खणयों में क्यों?
श्रीिंका के मछु आरों ने श्रीिंका के जि िेि में अिैध तरीके से मछिी पकडने को िेकर भारतीय मछु आरों के वखिाफ विरोध प्रिशणन दकया। श्रीिंकाई
मछु आरों के अनुसार भारतीय मछु आरों ने श्रीिंका के विए वनधाणररत अंतराणष्ट्रीय समुद्री सीमा रे खा (IMBL)36 का उल्िंघन दकया िै।
• इस समस्या के तीन परस्पर जुडे हुए पििू िैं: कच्चावतिू द्वीप को िेकर िोनों िेशों के बीच असिमवत; श्रीिंकाई जििेि में भारतीय मछु आरों द्वारा
अिैध म्स्यन; तथा मछिी पकडने में उपयोग िोने िािे बडे िॉिसण (वजनसे पयाणिरर् को िावन पहुंचती िै)।
• इसके विपरीत, भारतीय मछु आरों का मानना िै दक िे कच्चावतिू के आस-पास के िि अपने पारं पररक समुद्री िेिों में मछिी पकड रिे िैं। श्रीिंका
अनािश्यक रूप से उनके ऊपर अपने िेिावधकार िािे समुद्र में घुसपैठ का आरोप िगाता िै।
• भारतीय मछु आरों ने यि भी किा िै दक जििायु पररितणन और भारतीय IMBL में म्स्य भंिार की कमी ने उन्द्िें समुद्र में िूर तक जाने के विए बाध्य
दकया िै।
• इससे पििे 2023 में भी श्रीिंका की नौसेना ने श्रीिंकाई जििेि में अिैध म्स्यन के विए 35 िॉिसण के साथ 240 भारतीय मछु आरों को वगरफ्तार
दकया था।
• भारत-श्रीिंका ने 1974 के समुद्री सीमा समझौते द्वारा IMBL को पाक जििमरूमध्य में सीमांदकत दकया था।
• इसे समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र अवभसमय (UNCLOS)37 के वसद्धांतों के आधार पर सीमांदकत दकया गया था।
• उ्पवत्त: IWT पर 1960 में भारत और पादकस्तान ने िस्तािर दकए थे। इस संवध के विए विश्व बैंक ने मध्यस्थता की थी। इसके अिािा, विश्व बैंक
इस संवध में एक िस्तािरकताण भी िै।
• उद्देश्य: यि संवध ससंधु निी प्रर्ािी के जि के उपयोग से संबंवधत िोनों िेशों के अवधकारों एिं िावय्िों को वनधाणररत और सीवमत करती िै।
• जि उपयोग संबध ं ी अवधकारों के विए प्रािधान:
o पूिी नदियों- सतिज, ब्यास और रािी का पूरा जि भारत को आिंरटत दकया गया िै। साथ िी, भारत इन नदियों के जि का वबना दकसी रोक
के उपयोग कर सकता िै।
o पवश्चमी नदियों- ससंध,ु झेिम और वचनाब का जि ज्यािातर पादकस्तान को आिंरटत दकया गया िै।
2.6. भारत-EFTA व्यापार और आर्थण क साझे िारी समझौता (India-EFTA Trade And
Economic Partnership Agreement)
सुर्खणयों में क्यों?
िाि िी में, भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA)44 ने “व्यापार एिं आर्थणक साझेिारी समझौते (TEPA)” पर िस्तािर दकए िैं।
• इस समझौते में 14 अध्याय शावमि िैं। यि समझौता िस्तुओं से संबवं धत बाजार पहुंच, उ्पवत्त के वनयम (Rules of origin), सैवनटरी और
फाइटोसैवनटरी उपाय, वनिेश प्रो्सािन, बौवद्धक संपिा अवधकार (IPR) आदि पर
कें दद्रत िै।
• भारत ने पििी बार, EFTA के सिस्यों के साथ कोई FTA संपन्न दकया िै।
• यि एक अंतर-सरकारी संगठन िै। इसका उद्देश्य सिस्य िेशों के बीच मुक्त व्यापार को
बढािा िेना और इसे मजबूत करना िै।
• इसके ितणमान सिस्य िैं: आइसिैंि, विकटेंस्टीन, नॉिे और वस्िट्जरिैंि।
o ये िेश यूरोपीय संघ (EU) का विस्सा निीं िै।
• इसे स्टॉकिोम कन्द्िश
ें न द्वारा 1960 में स्थावपत दकया गया था। तब इसके 7 संस्थापक
सिस्य थे- ऑवस्िया, िेनमाकण , ग्रेट वब्रटेन, नॉिे, पुतणगाि, स्िीिन और वस्िट्जरिैंि।
• कु ि िस्तु/ पण्य व्यापार: 2023 में EFTA िेशों और भारत के बीच 22.33 वबवियन अमेररकी िॉिर से अवधक का कु ि पण्य व्यापार हुआ था।
o भारत आयात करता िै: प्राकृ वतक मोती, कीमती प्थर, धातु आदि। इनकी व्यापार में विस्सेिारी 81.7 प्रवतशत िै।
o भारत वनयाणत करता िै: काबणवनक रसायन, मोती, कीमती प्थर, धातु आदि।
• EFTA के सिस्यों में भारत का सबसे बडा व्यापाररक भागीिार: वस्िट्जरिैंि सबसे बडा व्यापाररक भागीिार िेश िै, इसके बाि नािे का स्थान
आता िै।
o सोने के आयात के कारर् भारत का वस्िट्जरिैंि के साथ व्यापार घाटा बना हुआ िै।
• िेटा विवशष्टता (Data Exclusivity): EFTA के िेश िेटा एक्स्क्िुवसविटी संबंधी प्रािधान को िागू करने पर जोर िे रिे िैं। उनका किना िै दक
इससे घरे िू जेनरे रक ििा वनमाणताओं को प्रीवक्िवनकि टेस्ट्स एिं वक्िवनकि िायि के िेटा का उपयोग करने से रोका जा सके गा।
o भारत पििे िी िेटा एक्स्क्िुवसविटी संबध
ं ी प्रािधानों को अस्िीकार कर चुका िै।
• व्यापार प्रशुल्क से जुडे मुद्दे: भारत ने कृ वष और िेयरी जैसे संिि
े नशीि िेिकों को प्रशुल्क कटौती से बािर रखा िै। इसके कारर् EFTA िेशों में
वििाि पैिा िो गया िै।
o िेयरी, सोया, कोयिा और संिि
े नशीि कृ वष उ्पािों को अपिजणन सूची (Exclusion list) में रखा गया िै। इस सूची में शावमि उ्पािों पर
कोई प्रशुल्क ररयायत प्रिान निीं की जाएगी।
• EFTA को अवधक व्यापार िाभ: भारत ने अगिे 10 िषों में कई िस्तुओं पर प्रशुल्क में मि्िपूर्ण रूप से कटौती करने के विए सिमवत िी िै, जबदक
EFTA िेशों में पििे से िी प्रशुल्क बहुत कम िै।
o भारत द्वारा वनयाणत से अवधक आयात करने के कारर् भारत के विए व्यापार घाटा (Trade gap) काफी बढ सकता िै।
• वनिेश िावय्ि से संबवं धत बाधाएं: TEPA के तित भारत के पास EFTA िेशों को िी गई प्रशुल्क संबंधी ररयायतों को 18 िषण के बाि िी रद्द करने
का विकल्प िै, िि भी तब जब िे FDI से जुडी अपनी प्रवतबद्धताओं को पूरा करने में विफि रिते िैं।
इन सचंताओं का समाधान करना और समझौते का प्रभािी कायाणन्द्ियन संबंधों को आगे बढाने के विए बहुत िी मि्िपूर्ण िै। भविष्य में भारत और EFTA
के बीच संबंधों को बेितर बनाने के विए सियोग के अवतररक्त िेिों की भी रूपरे खा तैयार की जा सकती िै।
• सूक्ष्म, िघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs)48 को शावमि करना: ऐसी पििें तैयार करना, जो MSMEs को व्यापाररक भागीिार बनने और िैवश्वक
बाजार का विस्सा बनने के विए प्रो्सावित करें ।
• व्यिसावययों को आकर्षणत करना: िोनों पि व्यिसावययों को समझौते के मुख्य सबंिओं
ु , प्रशुल्क में कटौती और नए बाजार के अिसरों के बारे में
जानकारी प्रिान करने के विए कायणशािाएं और सेवमनार आयोवजत कर सकते िैं।
• निाचार और संधारर्ीयता: स्िच्छ प्रौद्योवगदकयों, निीकरर्ीय ऊजाण और संधारर्ीय कायण पद्धवतयों सवित अिग-अिग िेिों में सियोग एिं
समथणन करना।
• “ऑिणर ऑफ ि ड्रुक ग्यािपो” सम्मान भारत-भूटान के बीच मैिी संबंधों को मजबूत बनाने में भारत के प्रधान मंिी के योगिान को मान्द्यता प्रिान
करता िै। इसके अिािा, इस सम्मान से भारतीय प्रधान मंिी के जन-कें दद्रत नेतृ्ि को भी पिचान वमिी िै।
• यि भारत के िैवश्वक शवक्त के रूप में उिय को भी मान्द्यता प्रिान करता िै।
सिायता िे रिा था, िेदकन अब यि सिायता 30:70 मॉिि पर िी जा रिी िै। इससे भीतर िेिीय एकीकरर् के विए भूटान के साथ घवनष्ठ
संबंध बहुत जरूरी िै।
भूटान पर वित्तीय बोझ बढ गया िै।
• चीन की उपवस्थवत: भूटान-चीन के बीच िोकिाम सीमा वििाि भारत के विए सचंता
की बात िै।
आगे की राि
• आर्थणक गवतविवधयों में विविधता िाना: िोनों िेशों द्वारा दफनटेक, स्पेस टेक और बायोटेक जैसे िेिों में सियोग को बढाकर भागीिारी को बढाया
जा सकता िै।
o भारत को भूटान के सकि राष्ट्रीय खुशिािी (GNH) िशणन के अनुरूप भूटान के सेिा िेिक में सतत वनिेश करने की आिश्यकता िै।
o भारत को भूटान के साथ अपने संबंधों को घवनष्ठ बनाने और चीन के साथ भूटान की बढती भागीिारी को प्रवतसंतवु ित करने के विए गेिफ
े ू
पररयोजना एक अिसर के रूप में िाभ उठाना चाविए।
• चीन के साथ िाइिोग (Trilogue/ विपिीय बातचीत) की शुरुआत: संिाि के नए माध्यमों को शुरू करने से सीमा वििािों के संबंध में बढ रिी
अवनवश्चतताओं को कम दकया जा सकता िै।
• िोनों िेशों के िोगों के बीच संबध
ं ों में सुधार: बौद्ध धमण और पयणटन संबंधी अन्द्य गवतविवधयों को प्रो्सावित करके सॉफ्ट पािर विप्िोमेसी को बढािा
दिया जा सकता िै।
• सुरिा संबध
ं ी उपाय: िोनों िेशों के बीच संपकण सबंिु (Contact points) स्थावपत करना। इसके अिािा, आतंकिािी संगठनों के संबंध में जानकारी
को ररयि टाइम पर साझा करने के विए एक तंि स्थावपत करना।
भारत-भूटान-चीन िायंगि
यि िायंगि भूटान के साथ भारत के घवनष्ठ संबंधों, भूटान में चीन के बढते प्रभाि, चीन के साथ भूटान के सीमा वििाि और भारत-चीन के बीच बढती
प्रवतद्वंवद्वता के कारर् भू-राजनीवतक गवतशीिता की जरटिता को िशाणता िै।
भूटान में चीन का बढता प्रभाि
• आर्थणक प्रभाि: भूटान के व्यापार में चीन की विस्सेिारी िगभग एक-चौथाई से अवधक िै।
o चीनी स्िावम्ि िािी कई कं पवनयां भूटान में अिग-अिग अिसंरचना्मक पररयोजनाओं में शावमि िैं, जैसे- चूखा और पुना्सांगछू जैसी
जिविद्युत पररयोजनाएं।
o व्यापार: 2021 में भारत, ब्राज़ीि का पांचिां सबसे बडा ▪ पूर्ण सिस्य: अल्जीररया, बोिीविया, वमस्र, इक्वेटोररयि
व्यापाररक भागीिार िेश था। वगनी, ईरान, िीवबया, नाइजीररया, कतर, रूस,
o अंतररि: 2021 में इसरो ने ब्राज़ीि का उपग्रि अमेजोवनया- विवनिाि, संयुक्त अरब अमीरात और िेनेजुएिा। भारत
1 िॉन्द्च दकया था। न तो इसका सिस्य िै और न िी इसका पयणिि
े क िै।
o सुरिा: रिा और सुरिा सियोग बढाने के विए 2020 में
▪ पयणिि
े क सिस्य: अंगोिा, अज़रबैजान, इराक,
संयक्त
ु िक्तव्य ि कायण योजना पर िस्तािर दकए गए थे।
मिेवशया, मॉररटावनया, मोजावम्बक, पेरू और सेनेगि।
o जैि-ईंधन में सियोग: ब्राज़ीि विश्व में जैि-ईंधन का िूसरा
सबसे बडा उ्पािक िै। यि भारत के नेतृ्ि िािी पिि • इसके सिस्य िेश विश्व के 69% गैस भंिार, बाजार में वबकने
“ग्िोबि बायोफ्यूल्स एिायंस (GBA)” में भी शावमि हुआ िािी गैस का 39% और िैवश्वक गैस वनयाणत के 40% विस्से का
िै। प्रवतवनवध्ि करते िैं।
• व्यापार वनगरानी तंि; राष्ट्रीय सुरिा सिािकार (NSA) स्तर पर
• GECF के सिस्य िेश सामूविक रूप से विश्व के आधे से अवधक
रर्नीवतक िाताण जैसे मंच मौजूिा मुद्दों को िि करके आपसी
(51%) LNG का वनयाणत करते िैं।
संबंधों को बढािा िेने में मि्िपूर्ण भूवमका वनभा रिे िैं।
गया था। यि पिि िोकतंि को मजबूत बनाने के विए o यि पनामा स्थि-संवध (Isthmus) का विस्सा िै।
प्रौद्योवगकी के उपयोग को बढािा िेने; स्ितंि और वनष्पि ▪ स्थि-संवध िास्ति में भूवम का एक संकरा भाग िोता िै।
इसके िोनों ओर जि िोता िै तथा यि भाग िो बडे
चुनाि करने; स्ितंि मीविया आदि का समथणन करती िै।
भूखंिों को जोडता िै।
▪ संयक्त
ु राज्य अमेररका भी इस पिि के विए वित्तीय
o यि एक उष्र् और आद्रण िेि िै। यिां उष्र्करटबंधीय िषाणिन,
सिायता प्रिान करता िै।
मैंग्रोि िििि और क्िाउि फॉरे स्ट िनस्पवत के साथ कम
2.8.8. टोंदकन की खाडी (Gulf of Tonkin) ऊंचाई िािी पिणत श्रेवर्यां (उष्र्करटबंधीय पिणतीय िेि)
मौजूि िैं।
• चीन ने टोंदकन की खाडी में बेस िाइन रे खांदकत की िै। चीनी
भाषा में टोंदकन की खाडी को ‘बेइबू खाडी’ किा जाता िै। 2.8.10. ब्िू िाइन (Blue Line)
o संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून अवभसमय (UNCLOS), 1982 के • िेबनान में अमेररकी िूत ने इस बात पर जोर दिया िै दक शांवत
तित बेस िाइन का उपयोग प्रािेवशक जि और अनन्द्य और सुरिा की गारं टी के विए ब्िू िाइन पर यथा-वस्थवत को
आर्थणक िेिों (EEZs) की सीमा वनधाणररत करने के विए बििना िोगा।
• ब्िू िाइन के बारे में:
दकया जाता िै।
o इजरायि और िेबनान को अिग करने िािी कोई
• टोंदकन की खाडी उत्तरी वियतनाम और िविर्ी चीन के पास
अिवस्थत िै। आवधकाररक सीमा निीं िै। यि ब्िू िाइन से तय िोती िै।
�कसी भी �ूज़ से जुड़े �ूज पढ़ने का एक ऐसा नज�रया टे ��कल ट�र् और �ूज़ से
घटनाक्रम� के बारे मे बेहतर �वक�सत करने के �लए, �जससे अ�थ� जुड़े ज�टल कॉ�ेप्ट्स के बारे
समझ �वक�सत करने के �लए आसानी से समझ सक� ह� �क �ूज पेपसर् म� सरल समझ �वक�सत
म� से कौन-सी �ूज पढ़नी है करने के �लए
स्रोत: इसम� द �ह� दू, इं �डयन ए�प्रेस, PIB, �ूज़ ऑन प्रमुख सु�ख़� यां: इसम� �दन क� छह सबसे मह�पूणर् सु�ख़� य� को सं�ेप म� प्र�ुत
ए.आई.आर., इकोनॉ�मक टाइ�, �ह� दु�ान टाइ�, द �कया जाता है। इससे आप ए�ाम के दृ��कोण से मह�पूणर् �ूज को खोजने म�
�म� ट जैसे कई स्रोत� से �ूज को कवर �कया जाता है। आपना क�मती समय बबार्द �कए �बना मु� घटनाक्रम� को बेहतर तरीके से समझ
भाग: इसके तहत 4 पेज म� �दन-भर क� प्रमुख सु�ख़� य�, सकते ह�।
अ� सु�ख़� य� और सु�ख़� य� म� रहे �ल एवं ���� को सु�ख़� य� म� रहे �ल/ ����: इसम� सु�ख़� य� म� रहे एक मह�पूणर् �ल या
कवर �कया जाता है। मशहूर ���� के बारे म� बताया जाता है।
प्रमुख सु�ख़� यां: इसके तहत लगभग 200 श�� म� पूरे �रणीय त�: इस भाग म� च�च� त �वषय� को सं�ेप म� कवर �कया जाता है, �जससे
�दन क� प्रमुख सु�ख़� य� को प्र�ुत �कया जाता है। इसम� आपको दु�नया भर के मौजूदा घटनाक्रम� क� जानकारी �मलती रहती है।
हा�लया घटनाक्रम को �व�ार से कवर �कया जाता है। प्र�ो�री: प्र�ेक �ूज टु डे वी�डयो बुले�टन के अंत म� MCQs भी �दए जाते ह�।
अ� सु�ख़� यां और सु�ख़� य� म� रहे �ल/ ����: इसके ज�रए हम �ूज पर आपक� पकड़ का परी�ण करते ह�। यह इं टरै��व चरण
इस भाग के तहत सु�ख़� य� म� रहे ����, मह�पूणर् आपक� ल�न� ग को �ानवधर्क के साथ-साथ मज़ेदार भी बनाता है। इससे आप
टमर्, संर��त �ेत्र और प्रजा�तय� आ�द को लगभग 90 घटनाक्रम� से जुड़े त�� आ�द को बेहतर तरीके से याद रख सकते ह�।
श�� म� प्र�ुत �कया जाता है। �रसोस�ज: वी�डयो के नीचे �ड��प्शन म� “�ूज़ टु डे” के PDF का �ल�क �दया जाता
है। �ूज़ टु डे का PDF डॉ�ूम�ट, �ूज टु डे वी�डयो के आपके अनुभव को और बेहतर
बनाता है। साथ ही, MCQs आधा�रत प्र�ो�री आपक� ल�न� ग को और मजबूत
बनाती है।
�ूज टु डे डॉ�ूम�ट को
रोजाना 9 PM पर �ूज टु डे �ूज़ टु डे ��ज़ के �लए
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3. अथण व्य िस्था (Economy)
3.1. विश्व व्यापार सं ग ठन (World Trade Organisation: WTO)
विश्व व्यापार संगठन से जुडे ज्ििंत मुद्दों जैसे दक खाद्य सुरिा, म्स्य सवब्सिी और सीमा-पार रे वमटेंस पर आगे के आर्टणकल्स में विस्तार से चचाण की गई
िै।
46 www.visionias.in ©Vision IAS
3.1.1. कृ वष एिं खाद्य सु र िा (Agriculture and Food Security)
सुर्खणयों में क्यों?
िाि िी में, विश्व व्यापार संगठन (WTO) का 13िां मंविस्तरीय सम्मेिन (MC13) संयुक्त
अरब अमीरात के अबू धाबी में संपन्न हुआ। इस सम्मेिन में पवब्िक स्टॉकिोसल्िंग (PSH) से
जुडे मुद्दे का कोई स्थायी समाधान निीं वनकि पाया। गौरतिब िै दक भारत इस मुद्दे के
स्थायी समाधान की मांग करता रिा िै।
• पीस क्िॉज: बािी (इं िोनेवशया) में आयोवजत नौिें मंविस्तरीय सम्मेिन (MC9) में WTO ने खाद्य सुरिा को ध्यान में रखते हुए पवब्िक
स्टॉकिोसल्िंग के अंतररम समाधान के रूप में “पीस क्िॉज” का प्रािधान दकया था। इसके तित यि प्रािधान दकया गया िै दक जब तक इस मामिे में
कोई स्थायी समाधान निीं वनकि जाता, तब तक दकसी अकस्मात वस्थवत में यदि कु ि कृ वष सवब्सिी िी वमवनवमस सीमा से अवधक िो जाती िै, तो
भी विकासशीि िेशों के वखिाफ कोई कारण िाई निीं की जाएगी।
o उिािरर् के विए- वित्त िषण 2022-23 में भारत में धान का उ्पािन मूल्य 52.8 वबवियन िॉिर था। इसी वित्त िषण में दकसानों को 6.39
वबवियन िॉिर की सवब्सिी िी गई। इसका मतिब िै दक धान सवब्सिी, उ्पािन के कु ि मूल्य का 12 प्रवतशत थी। यि WTO द्वारा वनधाणररत
10 प्रवतशत की सवब्सिी सीमा से अवधक थी। इसविए, भारत ने पीस क्िॉज़ का इस्तेमाि करके WTO को इसके बारे में सूवचत दकया।
o “पीस क्िॉज़” को WTO के 11 िें मंविस्तरीय सम्मेिन (MC11) तक जारी रखा जाना था। िािांदक, सिस्य िेशों के बीच सिणसम्मवत निीं बन
पाने के कारर् इसे अभी तक जारी रखा गया िै।
• भारत की मांग: भारत पवब्िक स्टॉकिोसल्िंग की समस्या का स्थायी समाधान चािता िै।
o स्थायी समाधान के रूप में, भारत ने खाद्य सवब्सिी सीमा की गर्ना के विए फॉमूि
ण े में बििाि करने जैसे उपाय सुझाए िैं।
पवब्िक स्टॉकिोसल्िंग का स्थायी समाधान भारत और अन्द्य विकासशीि िेशों के विए कई िृवष्टयों से मि्िपूर्ण िै। इससे खाद्य भंिारर् से जुडे कायणिमों
के विए उच्च सवब्सिी को कानूनी मान्द्यता वमि जाएगी। इसके अिािा, गरीब और िल्नरे बि दकसानों के वितों की रिा िोगी और िेश में खाद्य सुरिा
जरूरतों का ध्यान रखा जा सके गा।
विश्व व्यापार संगठन (WTO) का 13िां मंविस्तरीय सम्मेिन (MC13) माव्स्यकी सवब्सिी पर अंकुश िगाने िािे दकसी स्थायी समाधान पर पहुंचे
वबना िी संपन्न िो गया। गौरतिब िै दक माव्स्यकी सवब्सिी िेने से फ्िीट द्वारा िमता से अवधक मछिी मारने यानी असंधारर्ीय म्स्यन
(ओिरकै पेवसटी) तथा दफश स्टॉक की उपिब्धता और जनन िमता की तुिना में अवधक म्स्यन (ओिर दफसशंग) जैसी गवतविवधयों को बढािा वमिता िै।
• वजनेिा पैकेज: इस समझौते को 2022 में वजनेिा (वस्िट्जरिैंि) में आयोवजत WTO के 12िें मंविस्तरीय सम्मेिन में ‘वजनेिा पैकेज’ नाम से
अपनाया गया था।
• उद्देश्य: इसका उद्देश्य उन िावनकारक सवब्सिी पर अंकुश िगाना िै वजन्द्िें िुवनया भर में म्स्य स्टॉक में हुई व्यापक कमी का प्रमुख कारक माना जा
रिा िै।
• अभी तक स्िीकृ वत निीं: इस समझौते के िागू िोने के विए WTO के िो-वतिाई सिस्यों की स्िीकृ वत आिश्यक िै। माचण, 2024 तक इसे अभी भी 39
िेशों से स्िीकृ वत निीं वमिी थी।
o भारत इस समझौते का विस्सा निीं िै।
• िाभ: यि समझौता वनम्नविवखत रूप में समुद्री म्स्य स्टॉक और माव्स्यकी की संधारर्ीयता पर सकारा्मक प्रभाि िािेगा:
o इसके िागू िोने से अिैध, असूवचत और अवनयंवित (IUU)56 माव्स्यकी सवब्सिी पर अंकुश िग सकता िै।
o माव्स्यकी सवब्सिी पर रोक िगाने से अ्यवधक िोिन के वशकार म्स्य स्टॉक को बचाने में मिि वमिेगी।
o इससे खुिे समुद्र (िाई सी) में अवनयंवित माव्स्यकी पर िी जाने िािी सवब्सिी पर प्रवतबंध िगेगा।
• विशेष और विभेिक व्यििार (S&DT)57: S&DT के तित, विकासशीि िेशों और अल्प विकवसत िेशों (LDCs)58 को इस समझौते के िागू िोने की
भारत की मांगें
• PPP और CBDR-RC: भारत का किना िै दक वजन िेशों ने अतीत में भारी माव्स्यकी सवब्सिी िी िै और जो म्स्य स्टॉक में कमी के विए
वजम्मेिार िैं, उन्द्िें ‘प्रिूषक द्वारा भुगतान वसद्धांत (PPP)59’ तथा ‘सामान्द्य िेदकन विभेदित वजम्मेिाररयों एिं संबवं धत िमताओं (CBDR-RC)60’
के आधार पर सवब्सिी को कम करने का अवधक िावय्ि अपने ऊपर िेना चाविए।
o विकासशीि िेशों के मछु आरा समुिाय की आजीविका और विकास आिश्यकताओं की सुरिा के विए समझौते में विशेष और विभेिक उपचार
(S&DT) भी शावमि िोना चाविए।
• माव्स्यकी िेिक के विकास और उसमें विविधता िाने तथा मछु आरों की खाद्य सुरिा एिं आजीविका सुरिा सुवनवश्चत करने के विए सवब्सिी िेना
जरूरी िै।
• आबािी का बडा विस्सा माव्स्यकी पर वनभणर: भारत में 10 करोड से अवधक मछु आरे िैं। इनमें िगभग 61% मछु आरे अभी भी गरीबी रे खा से नीचे
जीिन यापन कर रिे िैं।
• विकासशीि िेशों में बहुत कम “प्रवत व्यवक्त सवब्सिी”: उिािरर् के विए- इतनी बडी आबािी िोने के बािजूि भारत सबसे कम माव्स्यकी सवब्सिी
िेने िािे िेशों में शावमि िै।
o साथ िी, भारत सवित अवधकांश विकासशीि और छोटे िेश, अ्याधुवनक माव्स्यकी तकनीक िािे समृद्ध िेशों की तरि अवििेक पूर्ण तरीके से
म्स्य संसाधनों का िोिन निीं कर रिे िैं।
भारत ने विश्व व्यापार संगठन के 13िें मंविस्तरीय सम्मेिन (MC13) में सीमा-पार रे वमटेंस भेजने की िागत को कम करने के विए एक प्रस्ताि का ड्राफ्ट
पेश दकया। िािांदक, इस प्रस्ताि को “अबू धाबी मंविस्तरीय घोषर्ा-पि” में शावमि निीं दकया गया।
• रे वमटेंस की प्रावप्त: 2023 में 860 वबवियन अमेररकी िॉिर के कु ि रे वमटेंस में से, 669 वबवियन अमेररकी िॉिर (िगभग 78%) वनम्न और मध्यम
आय िािे िेशों को प्राप्त हुआ।
o वििेशों से प्राप्त रे वमटेंस का विशेष रूप से गरीब िेशों सवित विकासशीि िेशों में सामावजक-आर्थणक विकास में मि्िपूर्ण योगिान िै।
• रे वमटेंस की िागत: िैवश्वक स्तर पर रे वमटेंस की िागत भेजे जाने िािे रे वमटेंस का िगभग 6.18% िै। यि संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास िक्ष्य (SDG)
में इसे 3% तक सीवमत रखने के टारगेट से काफी अवधक िै।
• भारत ने रे वमटेंस िागत में कमी करने के विए वनम्नविवखत वसफाररशें की िै:
o विवजटि माध्यम से फं ि िांसफर को प्रो्सावित दकया जाना चाविए;
o इं टरऑपरे बि वसस्टम को बढािा िेने की आिश्यकता िै;
o प्रवतस्पधाण को बढािा दिया जाना चाविए;
o वनयमों को आसान बनाने की जरूरत िै; और
o रे वमटेंस भेजने के बििे विए जाने िािे शुल्क में पारिर्शणता बढानी चाविए।
• संयक्त
ु राज्य अमेररका और वस्िट्जरिैंि द्वारा िीटो: भारत के इस प्रस्ताि का संयुक्त राज्य अमेररका और वस्िट्जरिैंि विरोध कर रिे िैं। ऐसा
इसविए िै क्योंदक इन िेशों में वस्थत बैंकों के माध्यम से िी उच्च िागत िािे रे वमटेंस भेजे जाते िैं। इससे उन बैंकों को अच्छी-खासी आय प्राप्त िो
जाती िै।
वििेशों से प्राप्त िोने िािे रे वमटेंस की िागत में कमी करने से िोने िािे िाभ
• अवधक रे वमटेंस की प्रावप्त: रे वमटेंस िागत में कमी आने से विकासशीि िेशों में रे वमटेंस प्रावप्त में िृवद्ध िो सकती िै। इससे रे वमटेंस प्राप्त करने िािे
पररिारों के व्यवक्तगत उपभोग व्यय में िृवद्ध िो सकती िै।
o विश्व बैंक की एक ररपोटण के अनुसार, भारत को 2023 में सबसे अवधक 125 वबवियन िॉिर का रे वमटेंस प्राप्त हुआ। िािााँदक, रे वमटेंस की िागत
िगभग 7-8 वबवियन िॉिर थी।
• आर्थणक संिवृ द्ध: रे वमटेंस भेजने की िागत में कमी से व्यापार और व्यािसावयक ििता में भी िृवद्ध िो सकती िै। साथ िी, सीमा-पार भुगतान व्यय को
कम करके समग्र आर्थणक संिृवद्ध को बढािा वमि सकता िै।
• UPI को विश्व में स्िीकायण बनाने में मिि: रे वमटेंस की िागत में कमी िोने से UPI से िेन-िेन को अ्यवधक प्रो्सािन वमिेगा। UPI भारत में पेमटें
के मामिे में विवजटि िांवत सावबत हुई िै। भूटान, ससंगापुर और संयुक्त अरब अमीरात जैसे िेशों में इसकी अनुमवत वमिने से इसका व्यापक प्रसार
िोगा।
o इससे भारत के बैंकों को, जो विवजटि भुगतान प्रौद्योवगकी के िेि में अग्रर्ी रिे िैं, िैवश्वक अथणव्यिस्था में अपना प्रभाि स्थावपत करने में मिि
वमिेगी।
वनष्कषण
िैस,े भारत के प्रस्ताि पर WTO के सिस्यों के बीच आम सिमवत बनने और दफर उसे िागू करने में समय िग सकता िै, िेदकन इस बीच भारत को
व्यवक्तयों एिं व्यिसायों के विए वििेशों में फं ि िांसफर करना या ििां से फं ि प्राप्त करने की प्रदिया को आसान बनाने का प्रयास करना चाविए।
इिेक्िॉवनक्स और सूचना प्रौद्योवगकी मंिािय (MeitY) ने गूगि द्वारा अपने प्िे स्टोर से कु छ एवप्िके शन (ऐप्स) को िटाने पर कडा विरोध िजण दकया िै।
• क्या था मामिा: गूगि की मूि कं पनी अल्फाबेट इंक ने गूगि ऐप माके टप्िेस शुल्क का भुगतान न करने पर भारत की 10 टेक कं पवनयों को नोरटस
भेजा था।
• गूगि का वनर्णय: शुल्क भुगतान निीं करने के बिाने, कु छ ऐप्स को प्िे स्टोर से िटा दिया गया यानी िी-विस्ट कर दिया गया। इससे गूगि और
िीविस्टेि ऐप्स की मूि कं पवनयों के बीच टकराि शुरू िो गया।
• सरकार की प्रवतदिया: MeitY ने किा दक िि ऐप्स की िी-विसस्टंग की अनुमवत निीं िेगी। साथ िी, सरकार ने गूगि द्वारा अपनी िचणस्ि वस्थवत के
िुरुपयोग एिं विवजटि एकावधकार स्थावपत करने का मुद्दा भी उठाया।
• विवजटि एकावधकार (Digital Monopoly): यि िि वस्थवत िै जब कोई एकि कं पनी या प्िेटफ़ॉमण अपने उ्पाि से संबंवधत विवजटि इकोवसस्टम
और बाजार पर िचणस्ि बनाए रखती िै।
o इस तरि की कं पवनयों के उिािरर् िैं: गूगि, अमेजन, फे सबुक, एप्पि और माइिोसॉफ्ट जैसी बडी टेक कं पवनयां।
विवजटि एकावधकार िािी कं पवनयां प्रवतस्पधाण-रोधी कायों62 में शावमि िो सकती िैं। इससे बाजार में प्रवतस्पधाण पर नकारा्मक प्रभाि पड सकता िै।
साथ िी, उपभोक्ताओं की पसंि एिं वित भी प्रभावित िो सकते िैं। प्रवतस्पधाण-रोधी कु छ प्रमुख गवतविवधयां वनम्नविवखत िैं:
• एंटी-स्टीयटरं ग: इसमें कु छ ऐसी विवशष्ट गवतविवधयां अपनाई जाती िैं जो व्यािसावयक यूजसण और उपभोक्ताओं को दकसी अन्द्य यानी थिण पाटी की
सेिा का उपयोग करने से रोका जाता िै। उिािरर् के विए- ऐप स्टोर अपने खुि के पेमेंट वसस्टम का उपयोग करना अवनिायण कर सकता िै।
• प्िेटफॉमण न्द्यिू ैविटी/ सेल्फ-प्रीफे रें ससंग: इसके तित एक विवजटि एंटरप्राइज अपने प्िेटफॉमण पर अपने उ्पािों को प्राथवमकता िेता िै। इससे वित-
संघषण की वस्थवत उ्पन्न िोती िै।
• एिजेंसी/ बंिसिंग और टाइं ग: इसके तित कोर या आिश्यक सेिाओं के साथ पूरक सेिाएं भी जोड िी जाती िैं और यूजसण को ये पूरक सेिाएं खरीिने
के विए मजबूर दकया जाता िै।
• प्रवतस्पधाण अवधवनयम63, 2002: इसके उद्देश्यों में शावमि िैं- बाजारों में प्रवतस्पधाण को बढािा िेना और इसे बनाए रखना तथा उपभोक्ताओं के वितों
की रिा करना। प्रवतस्पधाण अवधवनयम प्रवतस्पधाण के विवनयमन के विए िो अप्रोच अपनाता िै:
o एक्स-पोस्ट अप्रोच: इसके तित प्रवतस्पधाण-रोधी समझौता संपन्न िोने और प्रभु्ि का िुरुपयोग िोने के बाि इनकी जांच की जाती िै।
o एक्स-एंटे अप्रोच: समझौता करने के इच्छु क पिकारों को िेन-िेन समझौता को अवधसूवचत करना िोता िै और इसके बारे में भारतीय
प्रवतस्पधाण आयोग (CCI)64 को सूवचत करना और उससे मंजूरी िेना आिश्यक िोता िै।
• सूचना प्रौद्योवगकी अवधवनयम65, 2000: यि भारत में विवजटि इकोवसस्टम के अिग-अिग पििुओं को प्रशावसत करने िािा प्राथवमक कानून िै।
o िािांदक, यि कानून जब बनाया गया था तब इं टरनेट अपने विकास के शुरुआती चरर् में था। इसविए, यि आज की चुनौवतयों का समाधान
करने में पूरी तरि से सिम निीं िै।
• िेिक-विशेष वनयम: कें द्र सरकार अिग-अिग िेिकों में समय-समय पर उ्पन्न िोने िािे मुद्दों के समाधान के विए वनयम जारी करती रिती िै,
जैस-े सोशि मीविया (आई.टी. वनयम) और ई-कॉमसण (उपभोक्ता संरिर् वनयम) आदि।
o विवजटि मीविया और ओिर-ि-टॉप (OTT) प्िेटफॉम्सण को विवनयवमत करने के विए सूचना प्रौद्योवगकी (मध्यिती दिशा-वनिेश और विवजटि
मीविया आचार संविता) वनयम66 2021 बनाया गया िै।
भारत में विवजटि इकोवसस्टम के विवनयमन में सुधार की आिश्यकता क्यों िै?
• विवनयामकीय संस्थाओं में सामंजस्य का अभाि: भारत में विवजटि इकोवसस्टम कई विवनयामक संस्थाओं और एजेंवसयों द्वारा शावसत िोता िै। इससे
संपूर्ण विवजटि इकोवसस्टम के प्रभािी तरीके से विवनयमन में बाधा आती िै।
• विवनयामकीय संस्थाओं को कई बाधाओं का सामना करना पडता िै: विवजटि इकोवसस्टम में जरटि मुद्दों की प्रभािी ढंग से वनगरानी और समाधान
करने के विए तकनीकी विशेषज्ञों, िेटा विश्लेषर् की िमताओं, संसाधनों इ्यादि का अभाि िै।
• निाचार एिं विवनयमन में संति
ु न: अ्यवधक प्रवतबंधा्मक वनयम विवजटि इकोवसस्टम के विकास को बावधत कर सकते िैं, जबदक वशवथि वनयमों
से एकावधकार को बढािा वमि सकता िै।
• वनयमों को िागू करने की चुनौवतयां: चूंदक, विवजटि कं पवनयों का कारोबार एक साथ कई िेशों में फै िा िोता िै, ऐसे में िे अिग-अिग िेशों के
वनयम-कानूनों को तेजी से अपनाकर इससे बचने का तरीका ढू ंढ िेती िैं।
• उपभोक्ता संरिर् (ई-कॉमसण) वनयम, 2020: यि कानून ई-कॉमसण प्िेटफॉम्सण और विवजटि माके टप्िेस के कायों को प्रशावसत करने के विए बनाया
गया िै। इन वनयमों का उद्देश्य प्रवतस्पधाण-रोधी गवतविवधयों को रोकना, पारिर्शणता सुवनवश्चत करना और उपभोक्ता वितों की रिा करना िै।
63 Competition Act
64 Competition Commission of India
65 Information Technology Act
66 Information Technology (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code) Rules
आगे की राि (विवजटि प्रवतस्पधाण कानून, 2024 पर गरठत सवमवत की वसफाररशों के आधार पर)
• एक्स-एंटे उपायों के साथ एक विवजटि प्रवतस्पधाण अवधवनयम बनाना चाविए: अभी अवधकांश मामिों में प्रवतस्पधाण रोधी समझौतों या गवतविवधयों
के सामने आने के बाि जांच की जाती िै। इसके बििे में प्रस्तावित कानून में वित्तीय विश्लेषर् का एक ऐसा तरीका अपनाना चाविए जो ऐसी
गवतविवधयों या कायों का पूिाणनुमान कर सके ।
• प्रर्ािीगत रूप से मि्िपूर्ण विवजटि मध्यिती (SIDIs)69 व्यिस्था शुरू करना: कु छ बडे विवजटि प्िेटफॉम्सण की पिचान करके उन्द्िें SIDIs के रूप
में िगीकृ त दकया जाना चाविए। इनके विए एक्स-एंटे वनयम और िावय्ि तय दकए जाने चाविए।
• वििय पर वनयंिर् की व्यिस्था में सुधार: वििय संबंधी सौिों को CCI से मंजरू ी अवनिायण करने के विए सौिे में शावमि रावश की ऊपरी सीमा तय
िोनी चाविए। वििय का आकिन करते समय सौिे के मूल्य में िेटा और निाचार जैसे गैर-मूल्य फै क्टसण को भी ध्यान में रखना चाविए।
• भारतीय प्रवतस्पधाण आयोग (CCI) को सशक्त बनाना: विवजटि िोमेन में प्रवतस्पधाण संबंधी चुनौवतयों से प्रभािी ढंग से वनपटने के विए CCI की
संस्थागत िमता और विशेषज्ञता को और बढाने की आिश्यकता िै।
• CCI, भारतीय िूरसंचार वनयामक प्रावधकरर् (TRAI) जैसे अिग-अिग विवनयामक प्रावधकरर्ों के बीच बेितर तािमेि सुवनवश्चत करने पर ध्यान
िेना चाविए।
• विवजटि प्रवतस्पधाण विवनयमन िेतु अंतराणष्ट्रीय सियोग और विश्व के बेितरीन वनयम अपनाने को बढािा िेने की आिश्यकता िै।
3.3. मानि विकास ररपोटण (HDR) 2023-2024 {Human Development Report (HDR)
2023-2024}
सुर्खणयों में क्यों?
• जारी करने िािी संस्था: UNDP द्वारा इस ररपोटण को 1990 से प्रवतिषण जारी दकया जाता िै।
• उद्देश्य: मानि विकास को प्रभावित करने िािी प्रमुख िैवश्वक चुनौवतयों की जांच-पडताि करना और उनके बारे में वसफाररशें करना।
• मानि विकास सूचकांक (HDI)72: यि 1990 से िगातार प्रकावशत िो रिा िै। यि सूचकांक मानि विकास ररपोटण का प्रमुख आधार िै।
• HDI क्या िै: यि मानि विकास के विए एक सांवख्यकीय माप विवध िै। इसका उपयोग मानि विकास के 3 मूिभूत आयामों (Basic dimensions)
में दकसी िेश की उपिवब्ध को मापने के विए दकया जाता िै। ये मूिभूत आयाम िैं:
o िीघाणयु और स्िस्थ जीिन (Long and healthy life),
o ज्ञान (Knowledge), तथा
o सम्मानजनक जीिन स्तर (Decent standard of living)।
• HDI मान की गर्ना कै से की जाती िै?
o HDI मान चार संकेतकों में िेश के स्कोर को एकवित करके ज्ञात दकया जाता िै। इन संकेतकों को आयाम सूचकांकों के आधार पर 0 और 1.0 के
बीच की एकि संख्या में संकवित दकया जाता िै (इन्द्फोग्रादफक िेखें)।
• HDI का विकास दकसने दकया: पादकस्तानी अथणशास्त्री मिबूब उि-िक।
• मित्त्ि: इसका उपयोग िेश की सरकारें अपनी अिग-अिग नीवतयों को प्राथवमकता िेने में कर सकती िैं।
o उिािरर् के विए- यदि िो िेशों की प्रवत व्यवक्त सकि राष्ट्रीय आय (GNI)73 िगभग समान िै, तो HDI यि बताने में मिि कर सकता िै दक
दकन िजिों से मानि विकास के मानकों पर उनके प्रिशणन अिग-अिग िैं।
• मानि विकास सूचकांक (HDI): िषण 2022 में कु ि 193 िेशों की रैं ककं ग की गई। इनमें वस्िट्जरिैंि पििे स्थान पर िै। िूसरे और तीसरे स्थान पर
िमशः नॉिे एिं आइसिैंि िैं।
o असमान ररकिरी: अमीर िेशों में मानि विकास का उच्च स्तर िेखा गया िै, जबदक िुवनया के आधे सबसे गरीब िेश कोविि मिामारी संकट से
पििे की विकास वस्थवत को प्राप्त करने में वपछडे हुए िैं।
o आर्थणक संकेंद्रर्: िस्तुओं के िैवश्वक व्यापार के िगभग 40 प्रवतशत विस्से पर तीन या उससे कम िेशों का िचणस्ि िै।
• मानि विकास में बढती असमानता: अमीर और गरीब िेशों के बीच असमानताओं को िगातार कम करने में हुई प्रगवत रुक गई िै और यि
असमानता बढने िगी िै।
िैंवगक असमानता सूचकांक (Gender GII 3 प्रमुख आयामों के आधार पर िैंवगक असमानताओं का 2022 में भारत की रैं ककं ग में सुधार हुआ िै।
Inequality Index: GII) मापन करता िै। ये आयाम िैं- जनन स्िास्थ्य, सशक्तीकरर् भारत 2022 में 108िें स्थान पर पहुंच गया,
और श्रम बाजार। जबदक 2021 में 122िें स्थान पर था।
बहुआयामी गरीबी सूचकांक MPI विकासशीि िेशों में स्िास्थ्य, वशिा और जीिन स्तर 2021 में भारत में 230 वमवियन से अवधक िोग
(Multidimensional Poverty Index: में िोगों के विविध अभािों (Deprivations) को मापता िै। बहुआयामी गरीबी से जूझ रिे थे।
MPI)
िैंवगक विकास सूचकांक (Gender GDI िैंवगक आधार पर HDI में असमानताओं को मापता भारत में मवििाओं और पुरुषों के बीच HDI
Development Index: GDI) िै। संबंधी उपिवब्धयों में समानता का स्तर कम िै।
HDI उपिवब्धयों के मामिे पुरुष, मवििाओं से
10 प्रवतशत बेितर वस्थवत में िैं।
असमानता-समायोवजत मानि विकास IHDI में असमानता से संबंवधत िो मापन शावमि िैं- IHDI IDHI में भारत की रैं ककं ग 140िीं िै। रैं ककं ग में 6
सूचकांक (Inequality-adjusted Human और असमानता के कारर् HDI में समग्र िावन। स्थानों की वगरािट िजण की गई िै।
Development Index: IHDI)
ग्रिीय िबाि-समायोवजत मानि विकास यि एंथ्रोपोसीन युग (मानिजवनत गवतविवधयों) में पृथ्िी पर भारत 127िें स्थान पर िै। भारत के PHDI और
सूचकांक (Planetary pressures- िबाि को HDI के साथ समायोवजत करता िै। ऐसा िो HDI स्कोर में 3 प्रवतशत का अंतर िै।
adjusted Human Development पीदढयों के बीच असमानता से जुडी सचंताओं को शावमि
राष्ट्रीय प्रवतिशण सिेिर् कायाणिय (NSSO)74 ने 10 िषों के अंतराि के बाि HCES 2022-23 जारी दकया िै। इससे पििे, उपभोग व्यय सिेिर्
2011-12 में जारी दकया गया था।
• उद्देश्य: इस सिेिर् का आयोजन पररिारों द्वारा िस्तुओं और सेिाओं के उपभोग के बारे में जानकारी एकि करने के विए दकया जाता िै।
• संचािन करने िािी संस्था: यि सिेिर् NSSO द्वारा वनयवमत अंतराि पर दकया जाता िै। NSSO, सांवख्यकी और कायणिम कायाणन्द्ियन मंिािय
(MoSPI) के तित स्थावपत एक संस्था िै।
• समग्र रुझान (Trend): औसत मावसक प्रवत व्यवक्त उपभोग व्यय (MPCE)75 में 1999-2000 से बढोतरी जारी िै। वपछिे सिेिर् के बाि से
ग्रामीर् िेिों में यि िगभग 2.6 गुना और शिरी िेिों में 2.5 गुना बढ गया िै।
o ग्रामीर्-शिरी विभाजन: औसत MPCE ग्रामीर् भारत में 3,773 रुपये और शिरी भारत में 6,459 रुपये िै।
o अमीर-गरीब विभाजन: ग्रामीर् और शिरी िेिों में रिने िािे 5% सबसे अमीर व्यवक्त, सबसे गरीब 5% व्यवक्त की तुिना में िमशः िगभग 8
गुना (ग्रामीर्) और 10 गुना (शिरी) अवधक खचण करते िैं।
• राज्य-िार अंतर: राज्यों में, MPCE वसदक्कम में सबसे अवधक और छत्तीसगढ में सबसे कम िै। कें द्रशावसत प्रिेशों में, MPCE चंिीगढ में सबसे अवधक
िै और िद्दाख में सबसे कम िै।
o नौ राज्यों में MPCE राष्ट्रीय औसत से कम िै: ये राज्य िैं- उत्तर प्रिेश, पवश्चम बंगाि, ओविशा, झारखंि, वबिार, मेघािय, मध्य प्रिेश,
छत्तीसगढ और असम।
• कृ षक पररिारों का MPCE: कृ षक पररिारों का उपभोग व्यय 3,702 रुपये िै। ऐसा पििी बार िै जब कृ षक पररिारों का उपभोग व्यय, ग्रामीर्
औसत (3,773 रुपये ) से कम हुआ िै।
3.5. ररजिण बैं क - एकीकृ त िोकपाि योजना (Reserve Bank - Integrated Ombudsman
Scheme: RB-IOS)
सुर्खणयों में क्यों?
भारतीय ररजिण बैंक ने िोकपाि योजना की िार्षणक ररपोटण 2022-23 जारी की िै।
• यि एकीकृ त िोकपाि योजना (RB-IOS), 2021 के तित ररजिण बैंक द्वारा जारी
पििी विवशष्ट (Stand-alone) ररपोटण िै।
• इसके तित एक िषण के िौरान RBI िोकपाि के 22 कायाणियों (ORBIOs)76,
कें द्रीकृ त प्रावप्त और प्रसंस्करर् कें द्र (CRPC)77 तथा संपकण कें द्र (कांटेक्ट सेंटर) की
गवतविवधयों का उल्िेख दकया गया िै।
• पृष्ठभूवम: RB-IOS को RBI के िैकवल्पक वशकायत वनिारर् (AGR)78 फ्रेमिकण के रूप में 2021 में आरंभ दकया गया था। RB-IOS का प्रमुख कायण
RBI के तित विवनयवमत संस्थाओं द्वारा प्रिान की जाने िािी सेिाओं के संबंध में ग्रािकों की वशकायतों का शीघ्र और िागत प्रभािी तरीके से
समाधान करना िै।
• मौजूिा योजनाओं का एकीकरर्: इसमें RBI की पििे की वनम्नविवखत तीन िोकपाि योजनाओं को एकीकृ त दकया गया िै:
o बैंककं ग िोकपाि योजना, 2006;
o गैर-बैंककं ग वित्तीय कं पवनयों के विए िोकपाि योजना, 2018; और
o विवजटि िेन-िेन के विए िोकपाि योजना, 2019
• गठन: यि योजना RBI द्वारा बैंककं ग विवनयमन अवधवनयम, 1949; RBI अवधवनयम, 1934 और भुगतान तथा वनपटान प्रर्ािी अवधवनयम79,
2007 के तित प्रित्त शवक्तयों का प्रयोग करते हुए तैयार की गई िै।
• उद्देश्य: इस योजना का उद्देश्य RBI की विवनयवमत संस्थाओं (REs) द्वारा प्रिान की जाने िािी सेिाओं में कमी से संबंवधत ग्रािकों की वशकायतों
का वन:शुल्क समाधान प्रिान करना िै।
o यि योजना RBI िोकपाि तंि के अवधकार-िेि को तटस्थ बनाकर ‘एक राष्ट्र एक िोकपाि’ के विज़न का समथणन करती िै।
• किरे ज: यि योजना वनम्नविवखत विवनयवमत संस्थाओं को किर करती िै:
o सभी िावर्वज्यक बैंक, िेिीय ग्रामीर् बैंक, अनुसूवचत प्राथवमक (शिरी) सिकारी बैंक तथा 50 करोड रुपये और उससे अवधक के जमा आकार
िािे गैर-अनुसूवचत प्राथवमक (शिरी) सिकारी बैंक।
o ऐसी सभी गैर-बैंककं ग वित्तीय कं पवनयां (िाउससंग फाइनेंस कं पवनयों को छोडकर) जो जमा स्िीकार करने या ग्रािक से िेनिेन के विए अवधकृ त
िैं तथा वजनकी पररसंपवत्त का आकार 100 करोड रुपये या उससे अवधक िै।
o भुगतान प्रर्ािी (पेमटें वसस्टम्स) के सभी भागीिार।
o िे विट इनफामेशन कं पवनयां (CICs)।
• िोकपाि की वनयुवक्त: RBI अपने एक या अवधक अवधकाररयों को िोकपाि और उप-िोकपाि के रूप में वनयुक्त कर सकता िै। इनका कायणकाि एक
बार में अवधकतम तीन िषण िोता िै।
आगे की राि
• उ्कषण 2.0: RBI की मध्यम-अिवध रर्नीवतक फ्रेमिकण (उ्कषण 2.0) ने उपभोक्ता संरिर् और वशकायत वनिारर् तंि में सुधार करने के विए
वनम्नविवखत िक्ष्यों की पिचान की िै:
o ग्रािक सेिा पर RBI के मौजूिा विवनयामक दिशा-वनिेशों की समीिा की जानी चाविए तथा इन्द्िें समेदकत और अपिेट दकए जाने की
आिश्यकता िै।
o अिग-अिग विवनयवमत संस्थाओं पर िागू आंतररक िोकपाि योजनाओं की समीिा करनी चाविए और उन्द्िें एकीकृ त करना चाविए।
o स्थानीय भाषाओं में ग्रािकों को सुविधा प्रिान करने के विए िो अवतररक्त स्थानों पर ररजिण बैंक संपकण कें द्र81 स्थावपत करने की जरूरत िै। ये
विजास्टर ररकिरी और व्यिसाय वनरं तरता की सुविधा भी प्रिान करें गे।
• प्रौद्योवगकी का उपयोग: RBI कई कायों में आर्टणदफवशयि इं टेविजेंस की मिि िेने की संभािनाओं का पता िगा सकता िै। इन कायों में वशकायतों
का बेितर िगीकरर्, वनर्णय िेने में सिायता और ग्रािकों को बेितर सेिा िेना शावमि िैं।
o उिािरर् के विए- अमेररका का उपभोक्ता वित्तीय संरिर् ब्यूरो नए तरीकों को विजाइन करने के विए वित्तीय वस्थवत िेटा सिेिर् में शावमि
िोकर िेटा संग्रि करता िै।
• मानकीकरर्: विवनयवमत संस्थाओं को RBI िोकपाि से प्राप्त इनपुट के आधार पर वशकायत वनिारर् के विए एक व्यापक मानक संचािन प्रदिया
(SOP)82 तैयार करनी चाविए।
• समीिा: विवनयवमत संस्थाओं की वशकायत प्रबंधन प्रर्ािी (CMS)83 को इस तरि से विजाइन दकया जाना चाविए दक सभी खाररज वशकायतें वबना
दकसी मैनुअि िस्तिेप के सीधे आंतररक िोकपाि के पास पहुंच जाएं।
िाि िी में, कें द्रीय सिकाररता मंिािय ने शिरी सिकारी बैंकों (UCBs) के विए एक अम्ब्रेिा संगठन राष्ट्रीय शिरी सिकारी वित्त और विकास वनगम
विवमटेि (NUCFDC)84 का गठन दकया िै।
• पृष्ठभूवम:
o 2006: श्री एन.एस. विश्वनाथन की
अध्यिता में गरठत भारतीय ररज़िण बैंक
(RBI) के एक कायण-समूि ने सिणप्रथम
भारत के UCB िेिक के विए एक
अम्ब्रेिा संगठन की आिश्यकता पर बि
दिया था।
o 2009: श्री िी.एस. िास की अध्यिता में
गरठत RBI के एक कायण-समूि ने राष्ट्रीय
स्तर के एक अम्ब्रेिा संगठन (NUCFDC
जैसा) के गठन की वसफाररश की थी।
o 2019: RBI ने NUCFDC के गठन िेतु
नेशनि फे िरे शन ऑफ अबणन को-ऑपरे रटि
बैंक्स एंि िे विट सोसाइटीज विवमटेि
(NAFCUB) को विवनयामकीय मंजूरी
प्रिान की (इन्द्फोग्रादफक िेखें)।
• NUCFDC की आिश्यकता क्यों िै?
o UCBs की समस्याओं को िि करने के
विए अम्ब्रेिा संगठन एक गेटिे के रूप में
कायण कर सकता िै (इन्द्फोग्रादफक िेखें)।
o RBI की विशेषज्ञ सवमवत की ररपोटण (2021) के अनुसार, अम्ब्रेिा संगठन िघु आकार के UCBs के वििय की जगि एक विकल्प प्रिान करता
िै।
▪ गौरतिब िै दक इकोनॉमी ऑफ स्के ि में सुधार िाने के विए वििय का तरीका अपनाया गया था क्योंदक एक िी िेि में अवधक UCBs के
िोने से प्रवतस्पधाण बढ गई थी वजससे इन बैंकों की आर्थणक िभप्रिता प्रभावित िोती थी।
o एन.एस. विश्वनाथन सवमवत के अनुसार, अम्ब्रेिा संगठन इस िेिक में जनता और जमाकताणओं के भरोसा को बढाने के विए एकमाि
िीघणकाविक समाधान प्रतीत िोता िै।
• िैवश्वक उिािरर्: संयक्त
ु राज्य अमेररका, कनािा और फ्रांस जैसे िेशों में सिकारी बैंकों की अच्छी-खासी संख्या िै। इन िेशों में UCBs को िे विट
यूवनयन की संज्ञा िी गई िै। साथ िी, इन िेशों में सिकारी बैंक आपस में एक-िूसरे से गिन रूप से नेटिकण से जुडे हुए िैं। ये अम्ब्रेिा संगठन (UO)
नामक एक शीषण संस्था के तित संचावित िोते िैं।
o भारत में, अम्ब्रेिा संगठन की सिायता से िगभग 1,502 UCBs को अवधक सशक्त और आधुवनक बनाया जा सके गा।
• तरिता और पूज
ं ी सिायता प्रिान करना: यि पूंजी जुटाकर
300 करोड रुपये के पूज
ं ी आधार तक पहुंचने का िक्ष्य रखे
हुआ िै तादक जरुरत पडने पर UCBs की सिायता की जा
सके ।
o NUCFDC, UCBs को फं ि प्रबंधन और अन्द्य परामशण
सेिाएं भी प्रिान कर सकता िै।
• विवनयामक संबध ं ी वनयमों के पािन को आसान बनाना:
o यि िघु बैंकों को बैंककं ग विवनयमन अवधवनयम, 1949
के वनयमों का पािन करने िेतु तैयार करने में मिि
करे गा।
o यि UCBs और विवनयामक संस्थाओं के बीच विचार-
विमशण को आसान बनाएगा।
• एक साझा प्रौद्योवगकी मंच विकवसत करना: NUCFDC, UCBs को अपेिाकृ त कम िागत पर अपनी सेिाओं का िायरा बढाने में मिि करे गा।
3.7. प्राथवमक कृ वष ऋर् सवमवतयां (पै क्स) (Primary Agricultural Credit Societies:
PACS)
सुर्खणयों में क्यों?
िेश भर में पैक्स (PACS) के विस्तार और आधुवनकीकरर् के विए कई पििें आरं भ की गई िैं।
• पैक्स के विस्तार के विए पिि: गोिामों और अन्द्य कृ वष-अिसंरचनाओं के वनमाणर् के विए 500 नए पैक्स की आधारवशिा रखी गई िै।
• पैक्स के आधुवनकीकरर् के विए पििें:
o िेश भर में 18,000 पैक्स के कम्प्यूटरीकरर् के विए एक प्रोजेक्ट का उद्घाटन दकया गया िै।
• पररभाषा: पैक्स सिकारी ऋर् संरचना में जमीनी स्तर की शाखाएं िैं। ये
मुख्यतः अल्पािवध िािे ऋर्ों का वितरर् करते िैं (इन्द्फोग्रादफक्स िेखें)।
• विवनयमन:
o िेश भर के पैक्स सिकारी सवमवत अवधवनयम के तित पंजीकृ त िैं।
संबंवधत राज्य के सिकारी सवमवतयों का रवजस्िार (RCS)87 इनके
काम-काज की िेख-रे ख करता िै।
▪ SCBs/ DCCBs88 भी संबंवधत राज्य के राज्य सिकारी
सोसायटी अवधवनयम के प्रािधानों के तित पंजीकृ त िोते िैं। इन्द्िें
RBI विवनयवमत करता िै।
▪ िािांदक, पैक्स को बैंककं ग विवनयमन अवधवनयम89, 1949 के
िायरे से बािर रखा गया िै। इन्द्िें RBI विवनयवमत निीं करता िै।
• पुनर्िणत्त: इन्द्िें DCCBs और SCBs के माध्यम से नाबािण (NABARD)
द्वारा पुनर्िणत्त दकया जाता िै।
• कायण:
o ये मुख्य रूप ग्रामीर्ों को अल्पािवध िािे ऋर् प्रिान करते िैं और
उनसे ऋर् की पुनिणसि ू ी करते िैं।
o ये सिस्य दकसानों को बीज, उिणरक और कीटनाशक भी उपिब्ध कराते
िैं।
• मित्त्ि: वित्तीय समािेशन में पैक्स की भूवमका मि्िपूर्ण िै।
o िेश में सभी संस्थाओं (बैंकों आदि) द्वारा दिए गए KCC90 ऋर्ों में पैक्स का विस्सा 41% िै। इसके अिािा, 2022 के िेटा के अनुसार, पैक्स के
माध्यम से दिए गए KCC ऋर्ों में से 95% ऋर् िघु और सीमांत दकसानों को दिए गए िैं।
• ितणमान वस्थवत: िेश भर में 63,000 से अवधक पैक्स चािू अिस्था में िैं।
• अिसंरचना: विवजटि अिसंरचना के अभाि (जैस-े कम्प्यूटरीकृ त एकाउं टटंग वसस्टम, इं टरनेट कनेवक्टविटी की खराब वस्थवत आदि) के चिते पैक्स
का काम-काज सुव्यिवस्थत रूप से निीं चि पाता िै। इससे पैक्स के प्रवत जनता का विश्वास भी कम िो जाता िै।
• वित्तीय समस्या: अवधकांश पैक्स अपयाणप्त पूज
ं ी, जमा के वनम्न स्तर और उच्च गैर-वनष्पादित पररसंपवत्तयों (NPA) की समस्या से भी ग्रस्त िैं।
o ऋर् माफी योजनाओं और ब्याज छू ट योजनाओं का भी पैक्स की बैिस
ें शीट पर प्रवतकू ि प्रभाि पडता िै।
आगे की राि
• प्रौद्योवगकी अपनाने िेतु प्रो्सावित करना: पैक्स स्तर पर सामान्द्य िेखा प्रर्ािी (CAS)93 और प्रबंधन सूचना प्रर्ािी (MIS)94 को अपनाने से
पैक्स के काम-काज में पारिर्शणता आएगी। इसके अिािा, पैक्स को तकनीकी और अन्द्य सिायता सेिाएं प्रिान करने के उद्देश्य से सामान्द्य कें द्र
स्थावपत करने का प्रयास दकया जाना चाविए।
o इसके अिािा, पैक्स को मोबाइि बैंककं ग और ई-गिनेंस प्िेटफॉम्सण आदि अपनाने के विए प्रो्सावित करना चाविए।
• वित्तीय मजबूती: एक जोवखम-आधाररत ऋर् मॉिि प्रस्तुत करना चाविए और NPA की समस्या के समाधान के विए प्रभािी ररकिरी उपाय िागू
करने चाविए।
o वित्त-पोषर् के बाह्य स्रोतों तक पहुंच प्रिान कर, व्यापार पोटणफोवियो में विविधता िाकर पैक्स का पूंजी आधार बढाया जाना चाविए।
• मानि संसाधन: िमता-वनमाणर् कायणिम िागू करने की आिश्यकता िै। साथ िी, कु शि कमणचाररयों को बनाए रखने के विए उन्द्िें बेितर िेतन और
कररयर में प्रगवत के अिसर प्रिान करना चाविए।
• गिनेंस में सुधार:
o पारिर्शणता और जिाबिेिी सुवनवश्चत करने के विए वनयवमत िेखा-परीिर् और सख्त प्रकटीकरर् मानिंि िागू करने की जरूरत िै।
o पैक्स को अनुवचत राजनीवतक प्रभाि से बचाने और उनकी स्िायत्त कायणप्रर्ािी सुवनवश्चत करने से जुडे उपाय िागू करने चाविए।
प्रधान मंिी ने ‘सिकारी िेिक में विश्व की सबसे बडी अनाज भंिारर् योजना’ िेतु एक पायिट प्रोजेक्ट का उद्घाटन दकया। इसे 11 राज्यों में 11 पैक्स
यानी प्राथवमक कृ वष ऋर् सवमवतयों (PACSs)95 के विए शुरू दकया गया िै।
• िघु दकसानों द्वारा भंिारर्: उ्पादित खाद्यान्न का िगभग 60-70% विस्सा घरेिू स्तर पर विवभन्न स्ििेशी और पारं पररक भंिारर् संरचनाओं,
जैस-े मोराई, वमिी की कोठी आदि का उपयोग करके भंिाररत दकया जाता िै।
• सरकारी भंिारर् एजेंवसयां:
o भारतीय खाद्य वनगम (FCI): इसे 1965 में संसि के एक अवधवनयम के तित स्थावपत दकया गया था। FCI िेश में खाद्यान्न भंिारर् के विए
मुख्य एजेंसी िै।
▪ यि िेश भर में खाद्य भंिारर् विपो संचावित करता िै। इसमें साइिो, गोिाम और किर और सप्िंथ (CAP) संरचनाएं भी शावमि िैं।
• खाद्य सुरिा: भारत की बढती आबािी के विए खाद्य आपूर्तण सुवनवश्चत करने िेतु एक मजबूत खाद्य भंिारर् नेटिकण जरूरी िै। साथ िी, यि िगभग
81 करोड िोगों को किर करने िािे राष्ट्रीय खाद्य सुरिा अवधवनयम101, 2013 को िागू करने के विए भी जरूरी िै।
• फसि की कटाई के बाि िोने िािे नुकसान को कम करना: अनाज भंिारर् के पारं पररक तरीकों से फसि की कटाई के बाि िोने िािे नुकसान
(सूक्ष्मजीिों, चूिों आदि के कारर्) को पूरी तरि से समाप्त निीं दकया जा सका िै। इसके कारर् कु ि खाद्यान्न का िगभग 10% विस्सा खराब िो
जाता िै।
• मूल्य वस्थरीकरर्: सरकारी गोिामों में रखे खाद्य भंिार सरकार को बाजार में िस्तिेप करने और मूल्यों को वस्थर रखने में सिम बनाते िैं।
• दकसानों की आय िोगुनी करने में सिायक: अनाज भंिारर् के विए दकफायती सुविधाओं का प्रयोग करके दकसान अपनी उपज की उवचत कीमत न
वमिने तक उसका भंिारर् कर सकते िैं। यि दकसानों को मूल्य अवस्थरता से बचाता िै और उन्द्िें अपने सरप्िस अनाज को वनयाणत करने की भी
सुविधा प्रिान करता िै।
• ऋर् तक पहुंच को बढािा: गोिाम में भंिाररत अनाज की रसीि के आधार पर दकसान ऋर् िे सकते िैं। इससे दकसानों को संस्थागत ऋर् की
मुख्यधारा में िाने में मिि वमि सकती िै।
• राष्ट्रीय सुरिा: खाद्य सुरिा आर्थणक और सामावजक वस्थरता को बढािा िेती िै।
• अिैज्ञावनक भंिारर्: िगभग 80% िैंिसिंग और गोिाम सुविधाएं मशीनों से िैस निीं िैं। साथ िी, खाद्यान्न तथा अन्द्य िस्तुओं की िोसिंग,
अनिोसिंग और िैंिसिंग के विए पारं पररक ि मैनुअि तरीकों का उपयोग दकया जाता िै।
• सीवमत भंिारर् िमता: FAO105 के सांवख्यकीय िेटा के अनुसार, भारत में खाद्यान्न उ्पािन 311 MMT (वमवियन मीरिक टन) के आस-पास िै,
जबदक भारत में कु ि भंिारर् िमता के िि 145 MMT िी िै। इसका मतिब यि िै दक 166 MMT खाद्यान्न के विए भंिारर् सुविधा का अभाि िै।
• अवधशेष बफर स्टॉक: FCI बफर स्टॉककं ग मानिंिों से किीं अवधक बफर स्टॉक रखता िै।
• अवधक पररििन िागत: मौजूिा गोिाम एक-िूसरे से अवधक िूरी पर वस्थत िैं, वजससे उन तक पहुंचने में अवधक पररििन िागत आती िै। इससे िूर-
िराज के दकसान गोिामों का प्रयोग करने से ितो्सावित िोते िैं।
• भंिारर् में वनजी वनिेश की कमी: वनजी िेिक भंिारर् सुविधाओं में वनिेश करने में वझझकता िै। जमीन की पयाणप्त उपिब्धता न िोना और वनमाणर्
से पििे कई रे गुिेटरी िाइसेंस जैसी चुनौवतयां वनिेश में बाधा बनती िैं।
▪ OMSS-िोमेवस्टक का आशय उपभोक्ता मामिे, खाद्य और सािणजवनक वितरर् मंिािय द्वारा वनधाणररत मूल्यों पर ई-नीिामी के जररए
o वनजी िेिक की भागीिारी: FCI के पुराने पारं पररक भंिारर् सुविधाओं को वनजी िेिक और अन्द्य स्टॉककं ग एजेंवसयों की मिि से साइिो
• अन्द्य जानकारी: • अपयाणप्त अिसरं चना: कई KVKs में आिश्यक अिसरं चना का
o िॉ. मोिन ससंि मेिता सवमवत को 1973 में ICAR द्वारा वनयुक्त दकया अभाि िै, जैसे- सुसवित प्रयोगशािाएं, प्रवशिर् सुविधाएं,
आदि।
गया था। इस सवमवत ने िेश में कृ वष विज्ञान कें द्र (KVK) की स्थापना
• ज्ञान और कौशि में अंतर: कृ वष विज्ञान कें द्रों के ज्यािातर
का विचार पेश दकया था। कमणचाररयों के ज्ञान और कौशि में अंतर दिखता िै। यि अंतर
o 1974 में पििा KVK तवमिनािु कृ वष विश्वविद्यािय (TNAU), विशेष रूप से जििायु-स्माटण कृ वष, सटीक खेती और विवजटि
कोयंबटूर के अंतगणत पुिुचरे ी में स्थावपत दकया गया था। प्रौद्योवगदकयों जैसे उभरते िेिकों में अवधक िेखने को वमिता िै।
• ऑन-फामण परीिर्: विवभन्न कृ वष प्रर्ावियों के तित नई कृ वष प्रौद्योवगदकयों की काम करने की िमता का आकिन करने के विए KVKs द्वारा फ़ील्ि
परीिर् दकया जाता िै।
• फ्रंटिाइन िेमॉन्द्स्िेशन: इसके तित दकसानों और कृ वष विस्तार से जुडे कमणचाररयों के सामने निीनतम कृ वष तकनीकों की िमता का प्रिशणन दकया
जाता िै, तादक प्रौद्योवगकी को अपनाने में तेजी िाई जा सके ।
o सिेिर्ों से पता चिता िै दक KVK के 97.33% िेमो-दकसानों को गैर-िेमो दकसानों की तुिना में धान की खेती का अच्छा ज्ञान िै।
• परामशण सेिाएं: KVKs दकसानों को कृ वष के विवभन्न पििुओं जैसे दक फसि पैटनण, कीट वनयंिर्, फसि कटाई के बाि की तकनीक आदि पर
आिश्यक जानकारी और परामशण सेिाएं प्रिान करते िैं।
• प्रवशिर्: KVKs वजिे के दकसानों को अपिेट करने के विए वनयवमत तौर पर कृ वष अनुसंधान में हुई निीनतम प्रगवत के साथ-साथ प्रवशिर्
कायणिम आयोवजत करते िैं।
• बीज और रोपर् सामग्री का उ्पािन: KVKs दकसानों को अच्छी गुर्ित्ता िािे बीज और रोपर् सामग्री वितररत करने के विए उनका उ्पािन
करते िैं।
• संसाधन और ज्ञान कें द्र: कृ वष विज्ञान कें द्र कृ वष अथणव्यिस्था में सािणजवनक, वनजी और स्ियंसेिी िेिक की पििों का समथणन करते हुए कृ वष
प्रौद्योवगकी संसाधन तथा ज्ञान के कें द्र के रूप में कायण करते िैं।
वनष्कषण
KVKs के समि आने िािी संसाधन संबंधी बाधाओं को िूर करने के विए बजटीय आिंटन को बढाने की आिश्यकता िै। साथ िी, समर्पणत मानि संसाधन
के द्वारा संसाधनों के आधार को भी और अवधक मजबूत बनाने की आिश्यकता िै। इसके अिािा, सुसवित प्रयोगशािाओं, िेमॉन्द्स्िेशन फामण और
प्रवशिर् सुविधाओं को शावमि कर अिसंरचना को अपग्रेि करना चाविए। ऐसा करने से KVKs की गुर्ित्तापूर्ण सेिा प्रिान करने की िमता में सुधार िो
सकता िै।
िाि िी में, िावर्ज्य एिं उद्योग मंिािय के अंतगणत आने िािे उद्योग संिधणन और
आंतररक व्यापार विभाग (DPIIT)110 ने पेटेंट (संशोधन) वनयम111, 2024 अवधसूवचत
दकए िैं।
• सर्टणदफके ट ऑफ इनिेंटरवशप: नए ‘सर्टणदफके ट ऑफ इनिेंटरवशप’ की शुरुआत की गई िै। इसके द्वारा पेटेंट दकए गए आविष्कार में इं िटें सण के योगिान
को वचवन्द्ित दकया जाएगा। पेटेंट से संबवं धत कन्द्िश
ें न/ संवधयां
• समय-सीमा: नए वनयमों के जररए पेटेंट परीिर् के विए अनुरोध प्रस्तुत करने की • पेररस कन्द्िश
ें न (1883): यि औद्योवगक संपिा अवधकारों
समय-सीमा घटा िी गई िै। पििे यि सीमा 48 माि थी, अब यि घटाकर 31 माि (पेटेंट सवित) के संरिर् से संबंवधत पििा प्रमुख
कर िी गई िै। अंतराणष्ट्रीय समझौता िै।
o वििेशी आिेिन िावखि करने से संबंवधत वििरर् को प्रस्तुत करने की समय- • पेटेंट सियोग संवध112 (1970): यि अंतराणष्ट्रीय स्तर पर
पेटेंट फाइसिंग प्रर्ािी स्थावपत करने िािी एक संवध िै।
सीमा को छि मिीने से घटाकर तीन मिीने कर दिया गया िै।
• बुिापेस्ट संवध (1977): यि संवध दकसी भी अंतराणष्ट्रीय
• निीनीकरर् शुल्क: पेटेंट निीनीकरर् शुल्क में 10% की कमी की गई िै। िािांदक, विपॉवजटरी प्रावधकरर् में सूक्ष्मजीिों को जमा करने का
शुल्क में कमी का यि िाभ इिेक्िॉवनक मोि के माध्यम से कम-से-कम 4 िषण की प्रािधान करती िै, तादक इससे संबंवधत पेटेंट प्रदिया को
अिवध के विए अवग्रम भुगतान करने पर िी दिया जाएगा। पूरा दकया जा सके ।
• पेटेंट के दियान्द्ियन संबध
ं ी वििरर् िावखि करने की आिृवत्त: इसे प्र्येक वित्त िषण में • भारत उपयुणक्त सभी का विस्सा िै।
एक बार से घटाकर प्र्येक तीन वित्त िषण में एक बार कर दिया गया िै।
• पेटेंट एक विशेष बौवद्धक संपिा अवधकार (IPR)113 िोता िै। यि दकसी ऐसे
आविष्कार (एक उ्पाि या प्रदिया) के विए दिया जाता िै, जो कु छ करने का एक
नया तरीका प्रिान करता िै या दकसी समस्या का नया तकनीकी समाधान प्रिान
करता िै।
• पेटेंट प्राप्त करने िेतु, पेटेंट आिेिन में आविष्कार संबंधी तकनीकी जानकारी जनता के
विए प्रकट की जानी चाविए।
• पेटेंट संरिर् का मतिब िै दक पेटेंट माविक की सिमवत के वबना आविष्कार का
व्यािसावयक रूप से उ्पािन, उपयोग, वितरर्, आयात या वबिी िूसरों द्वारा निीं
दकया जा सकता िै।
• पेटेंट प्रािेवशक अवधकार के िायरे में आता िै, जो के िि उस िेश या िेि में िागू िोता
िै जिां पेटेंट िायर दकया गया िै और दिया गया िै।
• दकसी आविष्कार के पेटेंट योग्य िोने के विए मानिंि:
o यि नया िोना चाविए।
o इसमें कोई न कोई इं िरें टि स्टेप अिश्य शावमि िोना चाविए।
o औद्योवगक उपयोग के िायक िोना चाविए।
o यि उन आविष्कारों की श्रेवर्यों के अंतगणत निीं आना चाविए, वजन्द्िें संबंवधत
िेिावधकार के तित पेटेंट के िायरे से बािर रखा गया िै।
पेटेंट का विवनयमन
िैवश्वक स्तर पर
• विश्व बौवद्धक संपिा संगठन (WIPO)114 पेटेंट और अन्द्य बौवद्धक संपिा अवधकारों
भारत में
• भारत में, पेटेंट अवधवनयम, 1970 के जररए पेटेंट का विवनयमन दकया जाता िै। इं वियन पेटेंट एंि विजाइन एक्ट, 1911 को वनरस्त करने के विए
यि कानून बना था।
o इसमें अब तक तीन बार (1999, 2002 और 2005) संशोधन दकया गया िै।
o WTO के रिप्स (TRIPS) समझौते का पािन सुवनवश्चत करने के विए उक्त अवधवनयम को 2005 में संशोवधत दकया गया था।
▪ इस संशोधन के बाि भारत को प्रदिया पेटेंट (Process Patent) से उ्पाि पेटेंट (Product Patent) की व्यिस्था को अपनाना पडा।
इस संशोधन के तित ििा, कृ वष रसायन आदि िेिों में प्रोिक्ट पेटेंट को िागू करना पडा।
• पेटेंट अवधवनयम, 1970 के अनुसार, पेटेंट की अिवध 20 िषण िोगी।
• ििीं, इस कानून के अनुसार, भारत में कु छ चीजों का पेटेंट निीं कराया जा सकता िै, जैसे दक-
o पौधे या जानिर या उनका कोई भी विस्सा;
o बीज, उनकी दकस्में और प्रजावतयां;
o पौधों और पशुओं के उ्पािन या प्रिधणन (Propagation) के विए अवनिायण जैविक प्रदियाएं, आदि।
• बौवद्धक संपिा अपीिीय बोिण (IPAB)116 का ख्म िोना: इसे रिब्यूनि सुधार अवधवनयम, 2021 के तित समाप्त कर दिया गया था। IPAB के
कायों को िावर्वज्यक न्द्यायाियों और उच्च न्द्यायाियों को सौंपा गया िै।
o बौवद्धक संपिा अवधकारों (IPR) से जुडे जरटि मुद्दों को संभािने िािे एक विशेष रिब्यूनि को ख्म करने से बौवद्धक संपिा के मामिों में
अपीिों से वनपटने में समस्या आ सकती िै।
• पेटेंट की एिरग्रीसनंग: इसमें कं पवनयां ििा पर पेटेंट अिवध बढाने के विए फॉमूि
ण श
े न में मामूिी बििाि करती िैं, वजससे और अवधक समय तक ििा
पर उनका एकावधकार बना रिता िै।
• अवनिायण िाइसेंससंग की अनुमवत िेना: इसमें, सरकार दकसी अन्द्य को पेटेंट धारक की सिमवत के वबना पेटेंट उ्पाि या प्रदिया का उपयोग करने की
अनुमवत िेती िै या पेटेंट-संरवित आविष्कार का खुि इस्तेमाि करने की योजना बनाती िै। उिािरर् के विए- एक जेनेररक ििा कं पनी को नेक्सैिरै
(कैं सर की एक ििा) का उ्पािन करने के विए िाइसेंस प्रिान करना।
o रिप्स समझौते में एक तरि से छू ट के तौर पर अवनिायण िाइसेंससंग (Compulsory licensing) का प्रािधान िै।
• िंबी प्रदिया: चीन और USA में एक आिेिन का वनपटारा करने में औसतन 20-21 मिीने िगते िैं, जो भारत में िगने िािे समय का िगभग 1/3
िै।
• जनसंख्या के अनुपात में कम पेटेंट फाइसिंग: भारत ने प्रवत एक वमवियन जनसंख्या पर 34.4 पेटेंट िजण दकए, जबदक साउथ कोररया द्वारा 4,037,
जापान द्वारा 2,579 और USA द्वारा 1,806 पेटेंट िजण दकए गए।
• अन्द्य: पयाणप्त श्रमबि का अभाि, प्रदिया के प्र्येक चरर् के विए वनवश्चत समय-सीमा का अभाि, आदि।
वनष्कषण
दकसी िेश के आर्थणक विकास में पेटेंट एक मि्िपूर्ण भूवमका वनभाता िै। मजबूत पेटेंट सुरिा प्रर्ािी बनाने के विए IPAB आदि की पुनः स्थापना जैसी
पििें शुरू की जा सकती िैं। साथ िी, अकािवमयों/ संस्थानों तथा औद्योवगक िेि में अनुसध
ं ान और विकास को बढािा िेने की आिश्यकता िै, तादक िेश
में पेटेंट िावखि करने की संख्या में िृवद्ध िो सके ।
संबंवधत सुर्खणयां
अंतराणष्ट्रीय बौवद्धक संपिा (IP) सूचकांक120
• USA चैम्बर ऑफ कॉमसण ने अपने अंतराणष्ट्रीय बौवद्धक संपिा सूचकांक का 12िां संस्करर् जारी दकया िै।
o इस सूचकांक में शीषण िेश USA, यू.के और फ्रांस िैं।
o भारत की वस्थवत 55 अथणव्यिस्थाओं में से 42 पर बनी हुई िै, जो अपररिर्तणत िै।
• यि सूचकांक िैवश्वक निाचार सूचकांक (GII)121 से अिग िै।
o िैवश्वक निाचार सूचकांक को विश्व बौवद्धक संपिा संगठन (WIPO), कॉनेि विश्वविद्यािय और INSEAD द्वारा संयुक्त रूप से प्रकावशत दकया जाता
िै।
3.11. उत्तर-पू िण पररितण न कारी औद्योगीकरर् योजना, 2024 (उन्नवत 2024) {Uttar Poorva
Transformative Industrialization Scheme, 2024 (UNNATI 2024)}
सुर्खणयों में क्यों?
िाि िी में, कें द्रीय मंविमंिि ने “उत्तर-पूिण िांसफॉमेरटि औद्योगीकरर् योजना (उन्नवत/ UNNATI), 2024” को मंजूरी प्रिान की।
• मंिािय: यि िावर्ज्य एिं उद्योग मंिािय के उद्योग संिधणन और आंतररक व्यापार विभाग (DPIIT) के अधीन कें द्रीय िेिक की एक योजना िै।
• उद्देश्य: पूिोत्तर िेि के राज्यों में उद्योगों का विकास एिं रोजगार सृजन करना।
• वित्तीय पररव्यय (Financial Outlay): उन्नवत 2024 की अवधसूचना की तारीख से
अगिे 10 िषों तक के विए 10,000 करोड रुपये से अवधक के वित्त का प्रािधान दकया
गया िै। साथ िी, इसके विए 8 िषण की एक प्रवतबद्ध िेयता भी शावमि िै (इन्द्फोगादफक
िेखें)।
• नोिि एजेंसी: उत्तर-पूिी विकास वित्त वनगम विवमटेि (NEDFi)129 प्रो्सािन रावश के
वितरर् के विए नोिि एजेंसी िोगी।
• भाग: इसे िो भागों में बांटा गया िै:
o भाग A: इसके तित पाि इकाइयों को कु ि पररव्यय का 97 प्रवतशत तक प्रो्सािन
प्रिान दकया जाएगा। इसके वनम्नविवखत तीन घटक िैं-
▪ पूंजी वनिेश प्रो्सािन (CII)130,
▪ कें द्रीय ब्याज सिायता (CIS)131, और
▪ विवनमाणर् एिं सेिा-से संबद्ध प्रो्सािन (MSLI)132
पूज
ं ी वनिेश प्रो्सािन इसके तित उन पाि व्यिसायों को विशेष वित्तीय िाभ प्रिान • स्थायी भौवतक पररसंपवत्तयों में विवनमाणर् िेिक के विए
(CII) दकया जाना िै जो या तो नए िैं या जो अपने काम-काज का न्द्यूनतम वनिेश 1 करोड रुपये और सेिा िेिक इकाइयों के
विस्तार कर रिे िैं।
विए न्द्यन
ू तम वनिेश 50 िाख रुपये वनधाणररत दकया गया िै।
• सूक्ष्म उद्योगों के विए विवनमाणर् और सेिा िेिक, िोनों के
विए न्द्यूनतम वनिेश सीमा 50 िाख रुपये वनधाणररत की गई
िै।
कें द्रीय ब्याज सिायता इसके तित नई और अपने काम-काज का विस्तार करने िािी, • पाि व्यिसाय विवनमाणर् िेिक के विए योग्य संयंि और
(CIS) िोनों इकाइयों के पाि व्यिसायों को वित्तीय सिायता प्रिान मशीनरी या इमारत तथा सेिा िेिक के विए अन्द्य सभी
की जाएगी। स्थायी भौवतक संपवत्तयों में वनिेश करने के विए 250 करोड
रुपये तक पूज
ं ीगत ऋर् पर ब्याज छू ट के विए पाि िोंगे।
विवनमाणर् एिं सेिा-से- इसे GST के कु ि भुगतान से सिंक दकया गया िै, अथाणत • इस िेतु के िि नई इकाइयों िािे व्यिसाय िी पाि िोंगे।
संबद्ध प्रो्सािन (MSLI) भुगतान की गई GST से इनपुट टैक्स िे विट को कम दकया
जाएगा।
कृ पया ध्यान िें दक इनमें से प्र्येक के अंतगणत जोन A और जोन B को अिग-अिग प्रो्सािन प्रिान दकया जाना िै।
वनष्कषण
उन्नवत (UNNATI), व्यिसायों के विए वित्तीय प्रो्सािन प्रिान करके , रोजगार सृजन करके , बैकििण और फॉरििण सिंकेज बढाकर एिं घरे िू विवनमाणर् ि
सेिा उद्योग को बढािा िेकर भारतीय अथणव्यिस्था को और अवधक मजबूत ि आ्मवनभणर बनाएगी।
इसके अिािा, इसे सरकार से समथणन वमिने से पूिोत्तर िेि में विश्वसनीयता और वस्थरता में िृवद्ध िोगी। इससे अिग-अिग व्यिसाय विकास कायों में
बढ चढ कर वनिेश करने के विए प्रो्सावित िोंगे। अंततः, इससे आ्मवनभणर भारत के िक्ष्य को प्राप्त करने में भी मिि वमिेगी।
3.12. इिे वक्िक मोवबविटी प्रमोशन स्कीम- 2024 (Electric Mobility Promotion
Scheme- 2024)
सुर्खणयों में क्यों?
िाि िी में, भारी उद्योग मंिािय (MHI)137 ने इिेवक्िक मोवबविटी प्रमोशन स्कीम 2024 (EMPS- 2024) शुरू दकया िै। इसे भारत में इिेवक्िक
िािनों को तेजी से अपनाने िेतु बढािा िेने के विए शुरू दकया गया िै।
अन्द्य संबवं धत तथ्य
• भारी उद्योग मंिािय ने फे म (FAME)138 स्कीम के फे ज II की समीिा के बाि EMPS-2024 को तैयार दकया िै।
o फे म स्कीम के फे ज I को 2015 में आरं भ दकया गया था, जबदक फे ज II को 2019 में शुरू दकया गया था।
• फं सिंग और अिवध: यि एक सीवमत फं ि िािी योजना िै। इसमें 4 मिीने की अिवध (1 अप्रैि, 2024 से 31 जुिाई, 2024 तक) के विए 500 करोड
रुपये का बजट आिंरटत दकया गया िै।
• उद्देश्य (Objective): यि योजना इिेवक्िक टू -व्िीिर (e-2W) और इिेवक्िक थ्री-व्िीिर (e-3W) को तेजी से अपनाने में मिि करे गी। इससे िेश में
िररत पररििन (Green mobility) को बढािा वमिने के साथ-साथ इिेवक्िक िािन (EV) विवनमाणर् पररिेश के विकास को भी गवत वमिेगी।
• िक्ष्य (Target): इसका िक्ष्य िगभग 3.72 िाख इिेवक्िक िािनों को वित्तीय सिायता प्रिान करना िै, वजसमें इिेवक्िक टू -व्िीिर (3.33 िाख)
और इिेवक्िक थ्री-व्िीिर (0.38 िाख) शावमि िैं।
• पाि EV श्रेवर्यां: यि योजना मुख्य रूप से व्यािसावयक उद्देश्यों के विए पंजीकृ त इिेवक्िक टू -व्िीिर और इिेवक्िक थ्री-व्िीिर पर िागू िोगी।
इसमें दकफायती और पयाणिरर् के अनुकूि सािणजवनक पररििन विकल्प प्रिान करने पर अवधक जोर दिया जाएगा।
o व्यािसावयक उपयोग के अिािा, वनजी या कॉपोरे ट स्िावम्ि िािे पंजीकृ त इिेवक्िक टू -व्िीिर भी पाि िोंगे।
o इस प्रो्सािन का िाभ के िि उन्द्िीं िािनों को दिया जाएगा, जो एििांस बैटरी से िैस िैं। इससे एििांस तकनीकों को प्रो्सािन वमिेगा।
• घटक (Components):
o सवब्सिी: इिेवक्िक टू -व्िीिर और इिेवक्िक थ्री-व्िीिर के विए विमांि प्रो्सािन।
▪ इस योजना के तित इिेवक्िक िािन खरीिने िािों को सीधी छू ट वमिेगी। सरकार द्वारा िािन की बैटरी िमता के आधार पर सवब्सिी
{प्र्येक दकिोिाट घंटे (kWh) पर 5,000 रुपये} िी जाएगी। यि छू ट िािन की कु ि कीमत में पििे िी कम कर िी जाएगी। बाि में,
सरकार उस रकम की भरपाई ‘मूि विवनमाणता कं पनी’ (OEM)139 को कर िेगी।
o कायाणन्द्ियन: इस योजना का कायाणन्द्ियन IEC140 गवतविवधयों और पररयोजना प्रबंधन एजेंसी (PMA)141 द्वारा िी जाने िािी सेिाओं का
भुगतान करके दकया जाएगा।
इिेवक्िक व्िीकि के विवनमाणर् के विए अनुकूि पररिेश को बढािा िेने के विए सरकारी पििें
• PLI योजनाएं: भारत में ‘ऑटोमोबाइि और ऑटो कं पोनेंट इं िस्िी’ के विए प्रोिक्शन सिंक्ि इन्द्सेंरटि (PLI) स्कीम शुरू की गई िै। इसे घरे िू स्तर पर
एििांस ऑटोमोरटि टेक्नोिॉजी उ्पािों के विवनमाणर् को बढािा िेने के विए शुरू दकया गया िै।
• एििांस के वमस्िी सेि (ACC)142 के विवनमाणर् के विए PLI योजना शुरू की गई िै, तादक िेश में बैटरी की कीमतों को कम दकया जा सके ।
• फे म इं विया (FAME India): फे म इं विया स्कीम के फे ज-II में, फे ज्ि मैन्द्युफैक्चटरं ग प्रोग्राम (PMP) शुरू दकया गया िै। इसे घरे िू स्तर पर इिेवक्िक
िािनों, उनकी असेंबिी/ सब-असेंबिी, उनके पुजों और उपकरर्ों के विवनमाणर् को बढािा िेने के विए शुरू दकया गया िै। इससे िेश में घरे िू स्तर पर
मूल्यिधणन बढेगा।
• िस्तु एिं सेिा कर (GST) का युवक्तकरर्:
o इिेवक्िक िािनों पर GST को 12% से घटाकर 5% दकया गया िै।
o इिेवक्िक िािनों के विए चाजणर/ चार्जिंग स्टेशनों पर GST को 18% से घटाकर 5% दकया गया िै।
• ‘इिेवक्िक मोवबविटी के विए प्रौद्योवगकी मंच (TPEM)143’ भारत के विए इिेवक्िक मोवबविटी मानकीकरर् रोिमैप तैयार करने में मि्िपूर्ण भूवमका
वनभाएगा। इस मंच को विज्ञान एिं प्रौद्योवगकी मंिािय द्वारा गरठत दकया गया िै।
3.13.1. भारत वबि पे में ट वसस्टम (BBPS) का 3.13.2. प्रीपे ि पे में ट इन्द्स्ूमें ट्स (Prepaid
सं शोवधत विवनयामक फ्रे मिकण {Regulatory Payment Instruments: PPIs)
Framework for Bharat Bill Payment
• भारतीय ररज़िण बैंक ने बैंकों और गैर-बैंककं ग वित्तीय संस्थाओं को
System (BBPS)}
सािणजवनक पररििन सेिाओं के विए PPIs जारी करने की
• भारतीय ररज़िण बैंक (RBI) ने “भारत वबि पेमेंट वसस्टम अनुमवत िी िै।
(BBPS)” का संशोवधत विवनयामक फ्रेमिकण जारी दकया। o PPIs में टोि संग्रि, पार्किं ग आदि से संबवं धत "ऑटोमेटेि
• RBI ने “भुगतान और वनपटान प्रर्ािी अवधवनयम, 2007” में िी फे यर किेक्शन" एवप्िके शन शावमि िोगी।
गई शवक्तयों का प्रयोग करते हुए फ्रेमिकण में संशोधन दकया िै। • PPIs के बारे में:
• संशोवधत फ्रेमिकण के वनम्नविवखत उद्देश्य िैं:
o ये ऐसे भुगतान इं स्ूमेंट्स िैं, वजनमें जमा धनरावश (िैल्यू) के
o वबि भुगतान की प्रदिया को आसान बनाना,
बििे िस्तुओं और सेिाओं की खरीि की जा सकती िै।
o अवधक िोगों की भागीिारी सुवनवश्चत करना और
o PPIs स्माटण कािण, इं टरनेट िॉिेट आदि के रूप में जारी दकए
o ग्रािकों के िेन-िेन को सुरवित बनाना।
जाते िैं।
• BBPS के बारे में: यि सभी प्रकार के वबि भुगतान के विए
o िािांदक, इन इन्द्स्ूमेंट्स में दफर से धनरावश जमा की जा
एकीकृ त ऑनिाइन प्िेटफॉमण िै। इसे नेशनि पेमट्ें स कॉरपोरे शन
सकती िै, िेदकन PPIs में कै श वनकािने, ररफं ि या फं ि
ऑफ इं विया (NPCI) ने विकवसत दकया िै।
िांसफर की अनुमवत निीं िोगी।
o इसका उद्देश्य एजेंट्स/ ररटेि िुकानों/ बैंक-शाखाओं के नेटिकण
o PPIs में एक माि में अवधकतम 50,000 रुपये की कै श
के माध्यम से इंटर-ऑपरे बि सेिा प्रिान करना िै। इस पर
भुगतान करने के अिग-अिग मोि उपिब्ध िैं। इस पर िोसिंग की जा सकती िै। िािांदक, यि PPIs द्वारा तय
भुगतान की ररसीप्ट भी त्काि प्राप्त िो जाती िै। अिग-अिग सीमा के अधीन िोगी।
o यि कई स्तरों िािा पेमेंट वसस्टम िै। इनमें NPCI-भारत
3.13.3. से बी बोिण की बै ठ क में प्रमु ख प्रस्तािों को
वबि पे विवमटेि (NBBL) एक सेंिि यूवनट (BBPCU) के
मं जू री प्रिान की गई (SEBI Board Meeting
रूप में कायण करती िै। भारत वबि पेमेंट ऑपरे टटंग यूवनट्स
Concluded With Major Approvals)
(BBPOUs) ऑपरे शनि यूवनट्स की भूवमका वनभाती िैं।
• सेबी/ SEBI बोिण की 204िीं बैठक में कु छ प्रमुख प्रस्तािों को
▪ एक BBPOU वबिर ऑपरे टटंग यूवनट (BOU) या
मंजूरी प्रिान की गई।
कस्टमर ऑपरे टटंग यूवनट (COU) या िोनों के रूप में
• भारतीय प्रवतभूवत एिं विवनमय बोिण (सेबी/ SEBI) ने कु छ
कायण कर सकती िै।
सीवमत शेयरों और ब्रोकसण के विए िैकवल्पक T+0 वनपटान का
• BBPS का विवनयामक फ्रेमिकण :
बीटा िजणन शुरू करने की घोषर्ा की िै।
o गैर-बैंककं ग पेमटें एग्रीगेटसण को ऑपरे टटंग यूवनट्स के रूप में
वबि भुगतान प्रर्ािी में भाग िेने की अनुमवत िी गई िै। o T+0 वनपटान फं ि और प्रवतभूवत िेन-िेन िोनों को िेि यानी
o इस प्रर्ािी से जुडने िािों के विए तकनीकी मानक, खरीि-वबिी के दिन िी वनपटाने की अनुमवत िेता िै।
भागीिारी मानिंि और इसके संचािन से संबंवधत वनयम एिं o ितणमान में, भारतीय प्रवतभूवत बाजार T+1 वनपटान
विवनयम तय करने की वजम्मेिारी BBPCU पर िोगी। व्यिस्था को अपनाए हुए िै। इसमें िेि का वनपटान यानी
o कस्टमर ऑपरे टटंग यूवनट अपने ग्रािकों को विवजटि या सेटिमेंट खरीि-वबिी के अगिे दिन िोता िै।
भौवतक इं टरफे स प्रिान करे गी। • वििेशी पोटणफोवियो वनिेशकों (FPI) के विए ईज़ ऑफ िू इंग
o वबिर ऑपरे टटंग यूवनट, वबिसण को BBPS से जोडने के विए वबजनेस (EoDB) को बढाना:
वजम्मेिार िोगी।
बाजार मूल्य का योग िै। प्रिाता विवनयम, 2024 के माध्यम से उठाया िै।
o FPI को अपने प्रबंधन या फं ि के बारे में दकसी प्रकार के o 'सूचकांक प्रिाता' (Index Provider) का अथण उस व्यवक्त से िै,
o ऑफर फॉर सेि (OFS) के आकार में िृवद्ध या कमी के विए 3.13.4. प्रधान मं िी सामावजक उ्थान एिं रोजगार
नई फाइसिंग की आिश्यकता िोती िै। यि िृवद्ध या कमी आधाररत जनकल्यार् (पी.एम.-सू र ज) पोटण ि
के िि एक मानिंि पर आधाररत िोगी; या तो रूपये में OFS {Pradhan Mantri Samajik Utthan Evam
के इश्यू साइज को कम दकया जा सकता िै या बढाया जा Rozgar Adharit Jankalyan (PM-SURAJ)
सकता िै या प्रवतभूवतयों की संख्या के मामिे में इश्यू साइज Portal}
को कम या अवधक दकया जा सकता िै। • प्रधान मंिी ने िंवचत िगों को ऋर् प्रिान करने िािी योजनाओं
• वनिेशकों और वनिेशों के विए उवचत उपाय िागू करके AIF का िाभ उठाने के विए िन-स्टॉप PM-सूरज पोटणि आरं भ दकया।
(िैकवल्पक वनिेश कोष) इकोवसस्टम में विश्वास बढाना: • PM-सूरज पोटणि के बारे में:
o AIFs, गैर-पारं पररक पररसंपवत्त श्रेर्ी में वनिेश करने के विए o नोिि मंिािय: सामावजक न्द्याय और अवधकाररता मंिािय
वनजी तौर पर जुटाए गए वनिेश माध्यम िैं। (MoSJE)।
o उद्देश्य: इसका उद्देश्य समाज के सबसे िंवचत िगों का उ्थान
प्र्यि वििेशी वनिेश (FDI) बनाम वििेशी पोटणफोवियो वनिेश (FPI)
करना और िंवचत समुिायों से आने िािे 1 िाख उद्यवमयों
• FDI भारत के बािर के वनिासी व्यवक्त द्वारा दकसी असूचीबद्ध
को ऋर् सिायता प्राप्त करने में उनकी मिि करना िै।
भारतीय कं पनी में या दकसी सूचीबद्ध भारतीय कं पनी की पेि अप
o इसके तित िेश भर में पाि िाभार्थणयों को बैंकों, गैर-बैंककं ग
इदक्वटी पूज
ं ी के 10% या उससे अवधक में दकया गया वनिेश िै।
वित्तीय कं पनी-सूक्ष्म वित्त संस्थानों (NBFC-MFIs) और
• FPI भारत के बािर के वनिासी व्यवक्त द्वारा इदक्वटी साधनों (शेयर,
अन्द्य संगठनों के जररए ऋर् सिायता प्रिान की जाएगी।
विबेंचर आदि) में दकया गया वनिेश िै। यि वनिेश दकसी सूचीबद्ध
भारतीय कं पनी की पेि अप इदक्वटी पूज
ं ी के 10% से कम िोता िै।
144 SEBI Index Providers Regulations
3.13.6. नीवत आयोग ने ‘िोकि फॉर िोकि’ पिि आकांिी वजिा कायणिम (ADP) के बारे में
शु रू की (‘Vocal for Local’ Initiative By Niti
• ADP को 2018 में शुरू दकया गया था। शुरुआत में इसमें िेश भर
Aayog)
के 112 सबसे अविकवसत वजिों को शावमि दकया गया था।
• नीवत आयोग ने जमीनी स्तर पर उद्यमशीिता और आ्मवनभणरता • यि कायणिम मुख्य चािक के रूप में राज्यों की भूवमका को
को बढािा िेने के विए 'िोकि फॉर िोकि' पिि शुरू की। स्िीकार करता िै तथा प्र्येक वजिे की िमता पर ध्यान कें दद्रत
• 'िोकि फॉर िोकि' पिि के बारे में: करता िै। यि त्काि सुधार के विए जल्िी प्राप्त िोने िािे
पररर्ामों की पिचान करता िै और िर मिीने वजिों की रैं ककं ग
o यि पिि आकांिी ब्िॉक्स कायणिम (ABP)145 के तित शुरू
करके प्रगवत को मापता िै।
की गई िै।
o उद्देश्य: आकांिी ब्िॉक्स के िोगों के बीच आ्मवनभणरता की
भािना को प्रो्सावित करना तथा उन्द्िें सतत संिवृ द्ध और
समृवद्ध की ओर प्रेररत करना।
▪ यि पिि स्थानीय अथणव्यिस्थाओं को मजबूत करे गी
और समािेशी विकास को भी बढािा िेगी।
o कायाणन्द्ियन: सरकारी ई-माके टप्िेस (GeM) और ओपन
नेटिकण फॉर विवजटि कॉमसण (ONDC) प्िेटफॉम्सण,
उद्यवमयों को ई-कॉमसण ऑनबोर्ििंग, सिंकेज स्थावपत करने,
वित्तीय और विवजटि सािरता बढाने आदि के विए सिायता
प्रिान करें गे।
o GeM पोटणि पर 'आकांिा' सिंिो: इसे आकांिी ब्िॉक्स
कायणिम में शावमि 500 ब्िॉक्स से स्ििेशी स्थानीय उ्पािों
को प्रिर्शणत करने के विए वनर्मणत दकया गया िै।
(Investor Information and Analytics प्रो्सािन योजना िै। इसे 2021 में शुरू दकया गया था।
Platform: IIAP) o इस योजना के अंतगणत उन वनयाणतकों को संबद्ध शुल्क/ करों से
प्राप्त रावश िापस कर िी जाती िै, वजन्द्िोंने अन्द्य योजनाओं के
• कें द्रीय इिेक्िॉवनक्स और सूचना प्रौद्योवगकी राज्य मंिी ने IIAP
तित छू ट प्राप्त निीं की िै।
शुरू दकया िै। इसे आई.आई.टी. मद्रास ने विकवसत दकया िै।
(CPSEs) के विए वमनीरत्न श्रेर्ी-I का िजाण दिया गया िै। o उद्देश्य: भारतीय िस्त्र िेिक की चिीय यानी सकुण िर मॉिि
को अपनाने में तेजी िाने में मिि करना।
82 www.visionias.in ©Vision IAS
o कायाणन्द्ियन: इसे िस्त्र मंिािय के सियोग से कायाणवन्द्ित 3.13.13. विश्व आर्थण क मं च (WEF) के C4IR का
दकया जाएगा।
िै ि राबाि में उद्घाटन दकया गया (WEF’S C4IR
▪ इसे िेनमाकण के वििेश मंिािय द्वारा वित्त-पोवषत दकया
जाएगा।
Inaugurated at Hyderabad)
o यि 3 मुख्य अिधारर्ाओं पर आधाररत िै: • विश्व आर्थणक मंच (WEF) के “चौथी औद्योवगक िांवत कें द्र
▪ इको-इनोिेशन: िघु और मध्यम उद्यमों (SMEs) को (C4IR)” का िैिराबाि में उद्घाटन दकया गया।
उनके सभी कायों में चिीय और िोचशीि मॉिि
• यि C4IR िुवनया का ऐसा पििा थीमेरटक सेंटर िोगा, जो
अपनाने में मागणिशणन करना। इससे मानि गवतविवधयों
की िजि से पयाणिरर् और समाज पर पडने िािे स्िास्थ्य िेखभाि और िाइफ-साइंसज
े पर ध्यान कें दद्रत करे गा।
िावनकारक प्रभािों को कम दकया जा सके गा। o इसका उद्घाटन बायो एवशया-2024 के िौरान दकया गया िै।
▪ प्रोिक्ट एनिायरनमेंटि फु टसप्रंट (PEF): यूरोपीय बायो एवशया-2024 बायो एवशया का 21िां संस्करर् िै।
आयोग के अनुसार PEF से आशय दकसी िस्तु या सेिा ▪ बायोएवशया भारत सरकार तथा फे िरे शन ऑफ एवशयन
के उपयोग की पूरी अिवध के िौरान उसके पयाणिरर्ीय बायोटेक एसोवसएशन (FABA) के साथ साझेिारी में
प्रभािों को मापना िै। तेिग
ं ाना सरकार द्वारा आयोवजत एक अंतराणष्ट्रीय
▪ चिीयता (Circularity): यि “ररड्यूस्ि बाय विज़ाइन” व्यापार सम्मेिन िै।
के वसद्धांत तथा उ्पाि या सेिा में इस्तेमाि सामवग्रयों • C4IR विश्व आर्थणक मंच की पिि िै। इसका उद्देश्य उद्योगों,
की िैल्यू को बनाए रखने के मॉिि पर आधाररत िै।
अथणव्यिस्थाओं और समाजों में न्द्यायसंगत एिं मानि-कें दद्रत
इसके तित कम करना (Reduce), पुन: उपयोग करना बििाि िाने के विए तकनीकी प्रगवत की िमता का उपयोग
(Reuse), निीनीकृ त करना (Renew), दकसी अन्द्य करना िै।
कायण में उपयोग करना (Repurpose), पुनचणिर् करना
o वनजता के उल्िंघन से जुडी सचंताएं विद्यमान िैं, • प्रधान मंिी ने अरुर्ाचि प्रिेश में रर्नीवतक रूप से मि्िपूर्ण
सेिा टनि का उद्घाटन दकया।
o साइबर िमिों का खतरा बना रिता िै,
• सेिा टनि के बारे में:
o नैवतकता संबंधी सचंताएं भी मौजूि िैं आदि।
o इस टनि का वनमाणर् सीमा सडक संगठन ने दकया िै। यि
• इससे पििे, मिाराष्ट्र में भी C4IR (INDIA) कें द्र स्थावपत दकया
टनि अरुर्ाचि प्रिेश के पवश्चम कामेंग वजिे में तिांग को
गया था। इसका समन्द्िय नीवत आयोग द्वारा दकया जाता िै।
तेजपुर (असम) से जोडने िािी सडक पर वनर्मणत िै।
3.13.14. सबरूम िैं ि पोटण (Sabroom Land o इसके वनमाणर् में न्द्यू ऑवस्ियन टनसिंग मेथि (NATM) का
की वस्थरता को वनयंवित करने के विए वनयवमत 1.5 दक.मी.) िै। यि 13,000 फीट से अवधक की ऊंचाई
वनगरानी का उपयोग करती िै। पर अिवस्थत िै। यि टनि िर मौसम में कनेवक्टविटी
प्रिान करे गी।
• रर्नीवतक (Strategic):
o समाधान (SAMADHAN): 2017 में गृि मंिािय ने िामपंथी उग्रिाि से वनपटने के विए ‘समाधान’ वसद्धांत को अपनाया था (इन्द्फोग्रादफक
िेखें)।
o विशेष कायणबि (Special Task Force): इसके तित कें द्र और राज्य बिों के अधीन स्पेशि ऑपरे शन टीमें गरठत की गई िैं।
o आिामक रर्नीवत: 2022 में, सुरिाबिों ने LWE के वखिाफ ऑपरे शन ऑक्टोपस, ऑपरे शन िबि बुि और ऑपरे शन चिबंध आदि का
संचािन दकया था। इन सभी में सुरिाबिों ने अभूतपूिण सफिता िावसि की थी।
आगे की राि
• विश्वास िावसि करना: इसके विए प्रशासवनक प्रदियाओं में अवधक-से-अवधक स्थानीय िोगों की वनयुवक्त की जानी चाविए। वनयुक्त िोग
आदििावसयों एिं सरकार के बीच अविश्वास को कम करने के विए एक पुि के रूप में कायण कर सकते िैं। इसके अिािा, आदििावसयों को जागरूक
करने के विए वसविि सोसाइटी का भी सियोग विया जा सकता िै।
4.2.1. िें ड्स इन इं ट रने श नि आम्सण िां स फर 2023 मीवियम कॉम्बैट एयरिाफ्ट (AMCA) के विजाइन और विकास
(Trends in International Arms से संबंवधत प्रोजेक्ट को मंजूरी प्रिान की िै।
• विश्व स्तर पर पांचिीं पीढी के चार एयरिाफ्ट िैं- संयुक्त राज्य
Transfers, 2023)
अमेररका का F-22 रै प्टर और F-35A िाइटसनंग-II; चीन का J-
• यि ररपोटण स्टॉकिोम इं टरनेशनि पीस ररसचण इं स्टीट्यूट (SIPRI)
20 और रूस का Su-57
ने जारी की िै। SIPRI एक स्ितंि अंतराणष्ट्रीय संस्थान िै।
• AMCA के बारे में:
• ररपोटण के मुख्य सबंिओं
ु पर एक नज़र:
o वनयाणत: o यि मध्यम िजन का, मल्टी-रोि में माविर और िो इं जनों
▪ संयक्त ु राज्य अमेररका िुवनया में िवथयारों का सबसे िािा एक िडाकू विमान िै।
बडा वनयाणतक िै। कु ि िैवश्वक िवथयार वनयाणत में इसकी o कायणिम को अंवतम रूप िेने और विजाइन करने के विए
विस्सेिारी बढकर 42% िो गई िै। नोिि एजेंसी: रिा अनुसंधान और विकास संगठन
▪ फ्रांस, िुवनया में िवथयारों का िूसरा सबसे बडा (DRDO) के तित िैमावनकी विकास एजेंसी (ADA)151 को
वनयाणतक िै। इससे पििे िूसरा स्थान रूस का था। नोिि एजेंसी बनाया गया िै।
o आयात: ▪ ADA रिा मंिािय के रिा अनुसध
ं ान एिं विकास
▪ भारत िुवनया का शीषण िवथयार आयातक िेश िै। विभाग के अंतगणत एक सोसायटी के रूप में स्थावपत
▪ 2014-18 और 2019-23 के बीच भारत में िवथयारों एजेंसी िै।
के आयात में 4.7% की िृवद्ध िजण की गई िै। o विवनमाणर् करने िािी एजेंसी: सिंिस्ु तान एयरोनॉरटक्स
▪ रूस भारत का मुख्य िवथयार आपूर्तणकताण बना हुआ िै। विवमटेि (HAL) इसका विवनमाणर् करे गी।
भारत अपने कु ि िवथयार आयात का 36 प्रवतशत रूस o प्रमुख विशेषताएं:
से आयात करता िै। ▪ यि विमान एििांस स्टील्थ सुविधा से िैस िै। यि
o 2019-23 की अिवध में यूिेन सबसे बडे यूरोपीय िवथयार सुविधा इसे शिु के रिार की पकड में आने से बचाती िै।
आयातक िेश के रूप में उभरा िै। ▪ स्टील्थ सुविधा विमान को वमशन के िौरान शिु के एयर
विफें स को तोडने (SEAD)152, शिु के एयर विफें स को
4.2.2. भारत की पां च िीं पीढी का एििां स्ि मीवियम
ख्म करने (DEAD)153 और सटीक िमिा करने में
कॉम्बै ट एयरिाफ्ट {India’s Fifth-Generation
Advanced Medium Combat Aircraft सिम बनाती िै।
(AMCA)}
• िाि िी में, सुरिा मामिों संबंधी मंविमंििीय सवमवत (CCS)150
ने भारत के पांचिीं पीढी के मल्टी-रोि िडाकू विमान, एििांस्ि 151 Aeronautical Development Agency
152 Suppression of Enemy Air Defense
150 Cabinet Committee on Security 153 Destruction of enemy air defence
िाि िी में, िोक िेखा सवमवत (PAC)157 ने संसि में “प्िावस्टक के • कें द्रीय प्रिूषर् वनयंिर् बोिण (CPCB) की 2020-21 की िार्षणक ररपोटण के
अनुसार-
कारर् प्रिूषर्158” शीषणक से एक ररपोटण पेश की। इस ररपोटण के मद्देनजर
o भारत में 2020-21 में 41,26,997 टन प्िावस्टक अपवशष्ट उ्पन्न हुआ
सरकार ने प्िावस्टक अपवशष्ट प्रबंधन (संशोधन) वनयम159, 2024
था।
(PMW वनयम, 2024) को अवधसूवचत दकया िै। o वपछिे पांच िषों में प्रवत व्यवक्त प्िावस्टक अपवशष्ट की मािा बढकर
िोगुनी िो गई िै।
अन्द्य संबवं धत तथ्य
• PWM वनयम, 2016 (2024 में संशोवधत) को भारत में प्िावस्टक अपवशष्ट
• PAC ने अपनी इस ररपोटण में प्िावस्टक अपवशष्ट प्रबंधन (PWM) के प्रभािी और िैज्ञावनक प्रबंधन के विए बनाया गया था।
o ये वनयम अपवशष्ट उ्पन्न करने िािे, स्थानीय वनकाय, ग्राम पंचायत,
वनयम, 2016 से संबंवधत विवभन्न मुद्दों या कवमयों को सामने रखा
विवनमाणता, आयातक, उ्पािक और ब्रांि माविक सभी पर िागू िैं।
िै।
o 30 वसतंबर, 2021 से प्िावस्टक कै री बैग की न्द्यूनतम मोटाई 50
• PWM वनयम, 2024 के जररए PWM वनयम, 2016 के अिग-
माइिोन से बढाकर 75 माइिोन कर िी गई थी। इसके बाि 31
अिग प्रािधानों में संशोधन दकया गया िै। इन संशोधनों के जररए
दिसंबर, 2022 से इसकी न्द्यूनतम मोटाई को बढाकर 120 माइिोन
PAC द्वारा सामने िाए गए मुद्दों का समाधान करने में मिि वमि
कर दिया गया िै।
सकती िै। o कम उपयोगी और अवधक कचरा फ़ै िाने िािे कु छ ससंगि यूज
o कें द्र सरकार ने पयाणिरर् (संरिर्) अवधवनयम160, 1986 की प्िावस्टक (SUP) पर प्रवतबंध िगा दिया गया िै।
धारा 3, 6 और 25 के तित प्रिान की गई शवक्तयों का प्रयोग o इसके तित ‘विस्ताररत उ्पािक उत्तरिावय्ि (EPR)156’ प्रर्ािी की
करते हुए PWM वनयम, 2016 में संशोधन दकया िै। शुरुआत की गई थी।
• मूल्यांकन तंि: नए वनयमों के अनुसार, िंप साइटों में मौजूि प्िावस्टक कचरे / अपवशष्ट के साथ-साथ उ्पन्न प्िावस्टक कचरे का िार्षणक आकिन करने
का कायण स्थानीय वनकायों को करना िोगा। इसके अिािा, स्थानीय वनकाय अगिे पांच िषों की अिवध में उ्पन्न िोने िािे प्िावस्टक कचरे की
मािा का भी अनुमान िगाएंगे।
o इसके अवतररक्त, 2024 के वनयमों में यि प्रािधान दकया गया िै दक कम्पोस्टेबि या बायोविग्रेिब
े ि प्िावस्टक से बनाई गई िस्तुओं के
विवनमाणता को CPCB को एक ररपोटण प्रस्तुत करनी िोगी। इस ररपोटण में बाजार में िाई गई िस्तुओं की मािा और उपभोक्ता तक पहुंचने से
पििे उ्पन्न प्िावस्टक अपवशष्ट की मािा का वििरर् िोगा।
▪ गौरतिब िै दक PAC ने अपनी ररपोटण में इस बात की तरफ इशारा दकया था दक ितणमान और भविष्य में उ्पन्न िोने िािे प्िावस्टक कचरे
के आकिन के विए आिश्यक तंि की कमी िै।
• वितधारकों की पररभाषाओं में बििाि: आयातक का आशय उस व्यवक्त या कं पनी से िै जो व्यािसावयक उपयोग के विए आयात करता िै।
o वििे ता का ता्पयण उस व्यवक्त (विवनमाणता/ उ्पािक) से
िै जो प्िावस्टक के कच्चे माि जैसे दक रे वजन या िानों या
प्िावस्टक पैकेसजंग के उ्पािन के विए उपयोग की जाने
िािी मध्यिती/इंटरमीविएट सामग्री बेचता िै।
o उ्पािक में मध्यिती सामग्री के विवनमाणता के साथ-साथ
अनुबध ं आधाररत विवनमाणता भी शावमि िैं।
o विवनमाणता की पररभाषा का विस्तार करते हुए इसमें
कम्पोस्टेबि और बायोविग्रेिब े ि प्िावस्टक के
विवनमाणताओं को भी शावमि दकया गया िै।
• बायोविग्रेिब
े ि प्िावस्टक की सटीक पररभाषा: वमिी,
िैंिदफि, सीिेज के कीचड, ताजे पानी, समुद्री जि आदि में
जैविक प्रदियाओं द्वारा पूरी तरि से नष्ट िो जाने िािे
प्िावस्टक को बायोविग्रेिब
े ि प्िावस्टक किा जाता िै। इस
प्रदिया में कोई सूक्ष्म प्िावस्टक या अन्द्य विषाक्त अिशेष निीं बचता िै।
o गौरतिब िै दक इसमें कम्पोस्टेबि प्िावस्टक शावमि निीं िै।
• FSSAI163 से प्रमार्-पि: PWM वनयम, 2024 में कम्पोस्टेबि या बायोविग्रेिब
े ि प्िावस्टक (या िस्तुओं) के विवनमाणताओं के विए यि अवनिायण
दकया गया िै दक िे खाद्य पैकेसजंग164 में इस्तेमाि िोने िािी प्िावस्टक के विए CPCB के अिािा FSSAI से भी प्रमार्-पि प्राप्त करें ।
163 Food Safety and Standards Authority of India/ भारतीय खाद्य सुरिा और मानक प्रावधकरर्
164 Food contact applications
वनष्कषण
इसमें कोई शक निीं िै दक नए वनयम भारत में प्िावस्टक अपवशष्ट की समस्या का समाधान करने की दिशा में एक स्िागत योग्य किम िैं। अब िमें यि
ध्यान िेना चाविए दक इन वनयमों को प्रभािी तरीके से िागू करने के विए प्रयास दकए जाएं, वजससे भारत के विए संधारर्ीय भविष्य सुवनवश्चत िो सके ।
5.2. बै ट री अपवशष्ट प्रबं ध न (सं शोधन) वनयम, 2024 {Battery Waste Management
(Amendment) Rules, 2024}
सुर्खणयों में क्यों?
आइए अब भारत में बैटरी अपवशष्ट से वनपटने िेतु मौजूिा व्यिस्था के बारे में जानते िैं
• अपवशष्ट बैटररयों का पयाणिरर् के अनुकूि प्रबंधन सुवनवश्चत करने के विए MoEF&CC ने बैटरी अपवशष्ट प्रबंधन वनयम, 2022 को जारी दकया था।
गौरतिब िै दक MoEF&CC ने ये वनयम पयाणिरर् (संरिर्) अवधवनयम, 1986 के तित जारी दकए थे।
o इन वनयमों ने बैटरी (प्रबंधन और िैंिसिंग) वनयम, 2001 का स्थान िे विया।
o इन वनयमों को पििे 2023 में और अभी िाि िी में 2024 में संशोवधत दकया गया िै।
• बैटरी अपवशष्ट प्रबंधन वनयम, 2022 के प्रमुख प्रािधानों पर एक नज़र:
o विस्ताररत उ्पािक उत्तरिावय्ि (EPR): इसके तित बैटररयों के उ्पािनकताणओं (आयातकों सवित) को अपवशष्ट बैटररयों के संग्रिर्,
पुनचणिर्/ निीनीकरर् और बैटरी अपवशष्ट से प्राप्त सामवग्रयों का उपयोग नई बैटररयों के विवनमाणर् में करने के उत्तरिावय्ि को शावमि दकया
गया िै।
o कें द्रीकृ त ऑनिाइन पोटणि: इस पोटणि के जररए उ्पािकों और पुनचणिर्कताण/ निीनीकरर् करने िािों (Recyclers/ Refurbishes) के बीच
EPR प्रमार्-पिों का आिान-प्रिान दकया जाता िै।
o ररकिरी को अवनिायण करना: इन वनयमों के तित अपवशष्ट बैटररयों से वनवश्चत मािा में उपयोगी सामग्री को ररकिर करना अवनिायण दकया गया
िै।
o प्रिूषक द्वारा भुगतान का वसद्धांत166: EPR के िक्ष्यों को पूरा न करने की वस्थवत में पयाणिरर्ीय मुआिजे का प्रािधान दकया गया िै।
▪ मुआिजा के जररए जुटाए गए धन का उपयोग अपवशष्ट बैटररयों के संग्रिर् या संग्रवित और पुनचणदित निीं की गई अपवशष्ट बैटररयों के
निीनीकरर् में दकया जाएगा।
वििरर् बैटरी अपवशष्ट प्रबंधन वनयम, 2022 बैटरी अपवशष्ट प्रबंधन (संशोधन) वनयम, 2024
अपवशष्ट बैटरी के विए • 2022 के वनयमों के अनुसार, CPCB द्वारा कें द्रीकृ त • CPCB द्वारा EPR प्रमार्-पि की खरीि-वबिी िेतु
प्रमार्-पि का अवधकतम और न्द्यूनतम मूल्य का वनधाणरर् दकया जाएगा।
ऑनिाइन पोटणि के जररए EPR प्रमार्-पि
प्रािधान
पुनचणिर्कताण/ निीनीकरर् करने िािों को प्रिान दकया o यि रावश EPR के तित वनधाणररत िावय्िों को पूरा न
जाता िै। ये प्रमार्-पि पुनचणदित या निीनीकृ त की गई करने िािी संस्थाओं पर िगाए जाने िािे पयाणिरर्ीय
मािा के आधार पर तैयार दकए जाते िैं। मुआिजे के िमशः 100% और 30% के बराबर िोगी।
o पुनचणिर्कताण/ निीनीकरर् करने िािे अपवशष्ट • पोटणि के माध्यम से पंजीकृ त संस्थाओं के बीच EPR प्रमार्-
बैटररयों के बििे में उ्पािकों को EPR प्रमार्-पि पि की खरीि-वबिी का मूल्य अवधकतम और न्द्यूनतम मूल्य के
बेच सकते िैं। बीच िी िोना चाविए।
आगे की राि
• नीवतगत समथणन: इस संबंध में नीवत आयोग द्वारा कु छ सुझाि दिए गए िैं:
o इिेक्िॉवनक अपवशष्ट से पृथक दकए गए विवथयम आयन बैटररयों के वनपटान के विए अिग से िाइसेंस प्रिान दकया जाना चाविए तादक
रीसाइसक्िंग गवतविवधयों से जुडने के विए न्द्यूनतम इिेक्िॉवनक कचरा जुटाने की आिश्यकता को ख्म दकया जा सके ।
o िैंिदफि में बैटररयों के वनपटान को गैर-कानूनी बनाया जाना चाविए।
• विवनमाणताओं को प्रो्सािन: पुनचणिर् से संबंवधत वनयमों (जैस-े ग्रीन टैक्स) के पािन के विए बैटररयों के विवनमाणताओं को प्रो्सािन दिया जाना
चाविए। इससे विस्ताररत विवनमाणता उत्तरिावय्ि (EPR) को िागू करने में आसानी िोगी।
• ग्रािकों को प्रो्सावित करना: विपॉवजट ररफं ि वसस्टम (DRS) िागू करना ग्रािकों को रीसाइसक्िंग के विए बैटरी िापस करने के विए प्रो्सावित
करने की एक प्रभािी रर्नीवत िै।
• संग्रिर् प्रर्ािी में सुधार: बैटरी अपवशष्ट के संग्रिर् और पुनचणिर् की प्रदिया को सुव्यिवस्थत करने के विए एक समर्पणत एजेंसी स्थावपत करनी
चाविए।
• अनुसध
ं ान एिं विकास के विए वित्त-पोषर्: बैटरी अपवशष्ट से अवधक-से-अवधक उपयोगी सामग्री वनकािने के आर्थणक रूप से साथणक तरीकों का
विकास करने िेतु अनुसंधान संगठनों को वित्त-पोवषत दकया जा सकता िै।
• ग्रीन िे विट पयाणिरर् पर सकारा्मक प्रभाि िािने िािी • ग्रीन िे विट (GC) ICFRE द्वारा जारी दकए जाते िैं। इसके तित स्थानीय िृि-
वनधाणररत गवतविवधयों के विए प्रिान दकए गए प्रो्सािन की जििायु (Silvi-climatic) और वमिी की वस्थवत के आधार पर िृिारोपर् के
एक यूवनट को किा जाता िै। जररए उगाए गए प्रवत िेक्टेयर कम-से-कम 1,100 िृिों के िोने पर प्रवत िृि के
• जैसे काबणन िे विट का कारोबार दकया जाता िैसे िी ग्रीन विए एक ग्रीन िे विट दिया जाता िै।
िे विट का कारोबार वनधाणररत एक्सचेंज पर दकया जा सकता
िै।
• यि ग्रीन िे विट प्रोग्राम (GCP) के तित पयाणिरर् (संरिर्) अवधवनयम, • यि ऊजाण संरिर् अवधवनयम, 2001 के तित स्थावपत काबणन िे विट
1986 के अंतगणत संचावित दकया जाता िै। िेसिंग स्कीम (CCTS) द्वारा संचावित िोता िै।
• यि व्यवक्तयों एिं समुिायों को िाभ प्रिान करता िै। • इससे मुख्य रूप से उद्योगों एिं कापोरे शन को िाभ िोता िै।
ग्रीन िे विट से जुडी हुई गवतविवधयों को काबणन िे विट के विए पाि माना जा सकता िै, क्योंदक इनसे भी काबणन उ्सजणन में कमी आती िै। ककं तु काबणन िे विट से
जुडी सभी गवतविवधयों को ग्रीन िे विट के विए पाि निीं माना जा सकता िै।
5.4. सं यु क्त राष्ट्र पयाण ि रर् सभा (UN Environment Assembly: UNEA)
सुर्खणयों में क्यों?
• थीम: “जििायु पररितणन, जैि विविधता िावन और प्रिूषर् से वनपटने के विए प्रभािी, समािेशी एिं संधारर्ीय बहुपिीय कारण िाई (Effective,
inclusive and sustainable multilateral actions to tackle climate change, biodiversity loss and pollution)
• UNEA-7 का आयोजन दिसंबर, 2025 में नैरोबी में वनधाणररत िै।
संयक्त
ु राष्ट्र पयाणिरर् सभा (UNEA) के बारे में
• इसका गठन 2012 में संयुक्त राष्ट्र सतत विकास सम्मेिन171 के िौरान दकया गया था।
• भूवमकाएं एिं कायण:
o UNEP की संयुक्त राष्ट्र पयाणिरर् सभा पयाणिरर् से जुडे मामिों पर वनर्णय िेने िािी विश्व का शीषण वनकाय िै।
o इसके मुख्य कायण िैं- िैवश्वक पयाणिरर् एजेंिा वनधाणररत करना, िुवनया में उभरती हुई पयाणिरर्ीय चुनौवतयों के समाधान िेतु व्यापक नीवतगत
मागणिशणन प्रिान करना, और नीवतगत कारण िाइयां वनधाणररत करना।
• संगठना्मक संरचना (UNEA ब्यूरो): इसमें 1 अध्यि और 8 उपाध्यि शावमि िोते िैं। इसके अिािा, सिस्य िेशों की ओर से एक प्रवतिेिक
(Rapporteur) की भी वनयुवक्त की जाती िै।
• सिस्यता: इसमें संयक्त
ु राष्ट्र के सभी 193 सिस्य शावमि िैं।
ग्िोबि ररसोसण आउटिुक • ररपोटण में चेतािनी िी गई िै दक िैवश्वक खपत को कम करने के विए ठोस कारण िाई न करने पर प्राकृ वतक संसाधनों का
2024 िोिन 2020 के स्तर से 60% तक बढ सकता िै।
• प्राकृ वतक संसाधनों के िोिन से जििायु को नुकसान िोगा तथा जैि विविधता और मानि स्िास्थ्य के विए जोवखम में
िृवद्ध िोगी।
• यि एक बहु-िेशीय और बहु-
एजेंसी गठबंधन िै।
• इसमें वबग कै ट के रें ज िािे
96 िेश, संरिर् भागीिार,
िैज्ञावनक संगठन और
व्यापाररक समूि शावमि िैं।
• इसका उद्देश्य 7 वबग कै ट्स
अथाणत् शेर, बाघ, विम तेंिआ
ु ,
तेंिआ
ु , चीता, जगुआर और
प्यूमा का संरिर् करना िै।
• इसमें समग्र और समािेशी
संरिर् पररर्ाम प्राप्त करने के
विए जैि विविधता नीवतयों
को सतत विकास िक्ष्यों
(SDGs) के साथ एकीकृ त दकया गया िै।
• प्रमुख विशेषताएं:
o गंगा निी िॉवल्फन (Platanista gangetica) भारतीय
उपमिाद्वीप की स्थावनक प्रजावत िै। इसे आमतौर पर
‘सूस
ं ’ के नाम से जाना जाता िै।
▪ इसे “टाइगर ऑफ़ ि गंगा” भी किा जाता िै।
o शारीररक विशेषताएं: िंबा पतिा थूथन, गोि पेट,
मजबूत शरीर और बडे-बडे वफ्िपसण।
o इसके वसर के ऊपर ब्िोिोि के समान एक िंबा चीरा (Slit) िोता िै, जो नाक का काम करता िै।
o मािा िॉवल्फ़न आमतौर पर नर से बडी िोती िै और िर िो से तीन साि में एक बच्चे को जन्द्म िेती िै।
o जन्द्म के समय बच्चों की ्िचा चॉकिेटी भूरी िोती िै, जबदक ियस्कों की ्िचा भूरे रं ग की, वचकनी और बाि रवित िोती िै।
• अन्द्य विशेषताएं:
o गंगा निी िॉवल्फ़न के िि मीठे जि में पाई जाती िैं और वशकार करने तथा नेविगेट करने के विए अल्िासोवनक तरं गों का उपयोग करती िै।
o इनका तैरने का अनोखा तरीका भोजन खोजने में सिायता करता िै। सांस िेने के विए सति पर आते समय िे ‘सूस
ं ’ ध्िवन उ्सर्जणत करती िैं।
5.7. शू न्द्य बजट प्राकृ वतक कृ वष (Zero Budget Natural Farming: ZBNF)
सुर्खणयों में क्यों?
िाि िी में, एक शोध पि में पूर्ण रूप से प्राकृ वतक खेती अपनाने को िेकर चेतािनी िी गई िै। यि शोध पि राष्ट्रीय कृ वष एिं ग्रामीर् विकास बैंक (नाबािण)
और अंतराणष्ट्रीय आर्थणक संबध
ं ों पर अनुसध
ं ान के विए भारतीय पररषि (ICRIER)174 द्वारा जारी दकया गया िै।
• यि शोध ICRIER की कृ वष पररयोजना के विस्से के रूप में दकया गया था और इसके विए नाबािण द्वारा वित्तीय सिायता प्रिान की गई थी।
• इस शोध पि में शून्द्य बजट प्राकृ वतक कृ वष को राष्ट्रीय स्तर पर िागू करने से पििे
इस पद्धवत की िीघणकाविक परीिर् करने की वसफाररश की गई िै।
• खेती या कृ वष की इस पद्धवत को भारत में सुभाष पािेकर द्वारा तैयार दकया गया
िै। यि बीजामृत, जीिामृत, आच्छािन (मसल्चंग) और िाफ़ासा नामक चार
आिश्यक त्िों पर आधाररत िै (इन्द्फोग्रादफक िेख)ें ।
o शून्द्य बजट प्राकृ वतक खेती का प्रयोग सबसे पििे एक जापानी दकसान और
िाशणवनक मसानोबु फु कु ओका ने दकया था।
• ZBNF में शावमि अन्द्य मि्िपूर्ण वसद्धांत िैं-
o इं टरिॉसपंग: एक िी खेत में एक साथ एकबीजपिी और वद्वबीजपिी फसिों
को उगाना।
o खेतों के बीच में कतारें एिं मेढ बनना: िषाण के जि को संचवयत करने के
विए।
o कें चुओं की स्थानीय प्रजावतयों को बढािा: खेतों में जैविक पिाथों की मािा
बढाकर मृिा में कें चुओं की स्थानीय स्थानीय प्रजावतयों को बिाि करना।
o िेशी गाय (बोस-इं विकस) के गोबर का उपयोग करना: इसमें सूक्ष्म जीिों की सिाणवधक संख्या िोती िै।
• प्राकृ वतक कृ वष की पद्धवत को अपनाना वजसमें:
o रसायनों का उपयोग निीं दकया जाता िै, और
o बाह्य इनपुट खरीिने के विए कोई धन भी खचण निीं दकया जाता िै।
• इसका नाम बििकर भारतीय प्राकृ वतक कृ वष पद्धवत (BPKP) कर दिया गया
िै। इसे परं परागत कृ वष विकास योजना (PKVY) के तित एक उप-योजना के
रूप में अपनाया गया िै। इसका उद्देश्य जैविक खेती और मृिा के स्िास्थ्य को
बढािा िेना िै।
o BPKP एक कें द्र प्रायोवजत योजना िै, जो छि साि (2019-25) की
अिवध के विए शुरू की गई िै।
▪ इसका िक्ष्य िेश के 600 प्रमुख ब्िॉकों में ZBNF के तित 12 िाख
िेक्टेयर िेि को किर करना िै।
▪ इसके तित क्िस्टर वनमाणर् और िमता वनमाणर् िेतु 3 िषों के विए
12,200 रुपये प्रवत िेक्टेयर की वित्तीय सिायता प्रिान की जाती िै।
• भारत में ZBNF की वस्थवत:
o ितणमान में 11 राज्यों में 6.5 िाख िेक्टेयर से अवधक िेिफि पर ZBNF पद्धवत के तित खेती की जा रिी िै।
o आंध्र प्रिेश में 1 िाख िेक्टेयर से अवधक भूवम पर ZBNF पद्धवत के तित खेती की जा रिी िै। साथ िी, आंध्र प्रिेश ने 2027 तक अपने कु ि
कृ वष भूवम िेि (िगभग 80 िाख िेक्टेयर) को ZBNF के तित िाने का िक्ष्य रखा िै।
• यि एक श्रम गिन कृ वष पद्धवत िै। इसके तित कृ वष भूवम एिं पशुधन के रख-रखाि में अवधक श्रम की आिश्यकता िोती िै।
वनष्कषण
अिग-अिग िेिों और पाररवस्थवतक तंिों में शून्द्य बजट प्राकृ वतक कृ वष की प्रभािकाररता एिं ििता का पता िगाने के विए िेश भर में िैज्ञावनक अध्ययन
करना चाविए। साथ िी, विवभन्न सरकारी और सिकारी पििों के माध्यम से िेशी गाय की नस्िों (जैसे- पुग
ं नूर गाय, िाि ससंधी आदि) को भी बढािा
दिया जा सकता िै, वजससे उनकी संख्या में िृवद्ध िो सकती िै।
प्राकृ वतक कृ वष, जैविक कृ वष और रासायवनक कृ वष के बीच तुिना
प्राकृ वतक कृ वष (Natural farming) जैविक कृ वष (Organic farming) रासायवनक कृ वष (Inorganic farming)
इसमें दकसी भी तरि के बाह्य इनपुट्स जैसे दक जुताई, इसमें कम-से-कम बाह्य इनपुट्स इसमें अवधक-से-अवधक बाह्य इनपुट्स जैसे दक जुताई, उिणरक
का उपयोग दकया जाता िै। आदि का उपयोग दकया जाता िै।
उिणरक आदि का उपयोग निीं दकया जाता िै।
इसके तित प्राकृ वतक वनयमों के आधार पर खेती की जाती इसके तित कु छ स्िीकृ त वसद्धांतों इसके तित पैिािार में सुधार के विए कृ वष गवतविवधयों में
िै। और पद्धवतयों का पािन दकया बििाि दकए जाते िैं।
जाता िै।
इसमें दकसी भी बाह्य स्रोत से उिणरक का उपयोग निीं इसमें जैविक खाि का उपयोग इसमें रासायवनक उिणरकों का इस्तेमाि दकया जाता िै।
दकया जाता िै। दकया जाता िै।
प्राकृ वतक खाि के अिािा, इसमें जीिार्ुओं एिं कें चुओं खेतों में कम्पोस्ट, िमी-कम्पोस्ट इसमें खाि का उपयोग दकया और निीं भी दकया जा सकता
द्वारा काबणवनक पिाथों के अपघटन को बढािा दिया जाता जैसी खािों का उपयोग दकया िै, क्योंदक इसमें अवधकांशतः रासायवनक उिणरकों का िी
िै। जाता िै। उपयोग दकया जाता िै।
इस पद्धवत में फसि उ्पािन की िागत कम आती िै, खेती की अन्द्य पद्धवतयों की तुिना श्रम के कम उपयोग के कारर् जैविक खेती की तुिना में यि
क्योंदक इसमें दकसी भी बाह्य इनपुट और मशीनों का में यि मिंगी िै। तुिना्मक रूप से कम िागत िािी पद्धवत िै।
उपयोग निीं दकया जाता िै।
इसमें स्थानीय दकस्मों के बीजों के उपयोग को प्रो्सावित इसमें प्रमावर्त जैविक बीजों के इसमें िाइवब्रि या आनुिवं शक रूप से संशोवधत बीजों के
दकया जाता िै। उपयोग को प्रो्सावित दकया जाता उपयोग को प्रो्सावित दकया जाता िै।
िै।
कम बाररश िोने के चिते बेंगिुरु शिर को िाि के कु छ िषों में सबसे गंभीर जि संकट का सामना करना पडा िै।
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शिरी जि संकट
• जि संकट एक ऐसी वस्थवत को संिर्भणत करता िै जिां जि प्रिूषर्, जि के अ्यवधक उपयोग और खराब जि प्रबंधन जैसे कारकों के चिते रोजमराण
की आिश्यकताओं के विए पयाणप्त मािा में
स्िच्छ और साफ पानी उपिब्ध निीं िो पाता
िै।
• जििायु पररितणन के पररर्ामस्िरूप सूखे की
बढती वस्थवत के कारर् जि संसाधनों की कमी
को “िे जीरो” किा गया िै।
o “िे जीरो” का अथण शिर को जि की
आपूर्तण करने िािे जिाशयों में जिस्तर
का काफी कम िो जाना िै। इसका यि
अथण निीं िै दक जिाशयों में पानी निीं
िै।
▪ 2018 में िविर् अफ्रीका का
के पटाउन शिर और 2019 में चेन्नई
ने “िे जीरो” का अनुभि दकया था।
• जि संकट सतत विकास िक्ष्यों (SDGs) विशेषकर SDG-6 को प्राप्त करने में एक प्रमुख बाधा िै। SDG-6 का िक्ष्य 2030 तक सभी के विए
स्िच्छ जि और स्िच्छता सुवनवश्चत करना िै।
• प्रकृ वत-आधाररत समाधान को बढािा: शिरी िेिों में ग्रीन-ब्िू इन्द्फ्रास्िक्चर को बढािा िेने और आद्रणभूवम का पुनरुद्धार करने से बाढ के िौरान
अवतररक्त जि का संचयन करने एिं सूखे के िौरान जि आपूर्तण में
मिि वमि सकती िै।
• समुिाय आधाररत समाधान: समुिाय पानी के कु शितापूिणक
प्रबंधन (अपव्यय, प्रिूषर् और ररसाि को रोकना), अपवशष्ट जि के
पुन: उपयोग, भूजि स्तर में सुधार आदि में मि्िपूर्ण भूवमका
वनभाता िै।
o उिािरर् के विए- कै विफ़ोर्नणया (USA) में ऑरें ज काउं टी
नामक शिर में पुनचणदित जि (Recycled water) के
उपयोग को बढािा िेने के विए सामुिावयक वशिा अवभयान
चिाया गया िै।
o भारत के जि जीिन वमशन के तित सामुिावयक भागीिारी
को मित्त्ि दिया गया िै।
• विवनयामक उपायों को िागू करना: विवनयामक नीवतयों के तित
शिरी जि प्रबंधन से जुडी संधारर्ीय पद्धवतयों को िागू दकया
जाना चाविए, जैस-े िषाण जि संचयन (Rainwater
harvesting), ग्रे-िाटर रीसाइसक्िंग और अपवशष्ट जि का
उपचार आदि।
o उिािरर् के विए- तवमिनािु में सभी नई इमारतों में िषाण
जि संचयन को अवनिायण कर दिया गया िै।
• प्रौद्योवगकी का उपयोग: जिापूर्तण वितरर् प्रर्ािी में जि के ररसाि का पता िगाने, पानी की गुर्ित्ता की वनगरानी और िवित उपचारा्मक
कारण िाइयों को सुगम बनाने में आधुवनक तकनीकों की मिि िी जा सकती िै।
o उिािरर् के विए- क्िीन िॉटर AI एक टूि िै जो िीप िर्निंग न्द्यरू ि नेटिकण की मिि से जि में खतरनाक बैक्टीररया और िावनकारक कर्ों का
पता िगाता िै।
• िाटर गिनेंस में C2C िर्निंग को बढािा िेना: जि से जुडे मुद्दों के समाधान के विए शिरों के बीच (C2C)175 एक-िूसरे से सीखने की संभािनाओं
का बडे पैमाने पर उपयोग निीं दकया गया िै। इस दिशा में बढने के विए शिरों को अपना एक नेटिकण बनाकर िाटर गिनेंस के िेि में वमिकर कायण
करने और अन्द्य शिरों की बेितर कायण पद्धवतयों से सीखने के विए गठबंधन बनाना चाविए।
o उिािरर् के विए- िोटस-HR कायणिम दिल्िी में अपवशष्ट जि के उपचार के विए नीिरिैंि और भारत के बीच एक सियोगी पररयोजना िै।
• वनजी िेिक का िाभ उठाना: उिािरर् के विए- टाटा स्टीि ने जमशेिपुर में विमना झीि का वनमाणर् दकया िै।
o इसके अवतररक्त, वनजी िेिक िाटर ऑविट और ररयि टाइम में ऑनिाइन वनगरानी के जररए स्िच्छ जि की खपत को कम करने का भी प्रयास
कर सकते िैं।
5.9. सं यु क्त राष्ट्र विश्व जि विकास ररपोटण (United Nations World Water Development
Report)
सुर्खणयों में क्यों?
विश्व जि दििस (22 माचण) के अिसर पर पेररस वस्थत यूनेस्को मुख्यािय में ‘संयक्त
ु राष्ट्र विश्व जि विकास ररपोटण, 2024’ जारी की गई। इस ररपोटण का
शीषणक िै- “समृवद्ध और शांवत के विए जि176”।
175 City-to-City
• जि संसाधन दकसी िेश की अथणव्यिस्था को कई तरि से प्रभावित करते • जि संसाधनों के आिंटन और जि आपूर्तण एिं स्िच्छता संबंधी
िैं। यि स्थानीय अथणव्यिस्थाओं को भी प्र्यि रूप से प्रभावित कर सकते उपिब्धता में असमानताओं में कमी आने से समाज की शांवत एिं
िैं। सामावजक वस्थरता बढती िै।
• आर्थणक विकास के विए जि अिसंरचनाओं में वनिेश मि्िपूर्ण िै। कम • िुभाणग्य से, िुवनया के कई विस्सों में, पानी अक्सर या तो युद्ध में एक
आय िािे िेशों में कृ वष िेिक के प्रभु्ि के कारर् िगभग 80% रोजगार िवथयार के रूप में उपयोग िो रिा िै या पानी के विए युद्ध िो रिा िै या
जि पर वनभणर िैं। जि के स्रोतों को वनशाना बनाया जा रिा िै।
• WASH177 का आर्थणक िाभ, िागत से अवधक िै। ऐसा इसविए िै क्योंदक o संयक्त
ु राष्ट्र मानिावधकार उच्चायुक्त कायाणिय178 ने इजरायि पर
गाजा में युद्ध के िवथयार के रूप में जि का उपयोग करने का आरोप
इससे दकसी समाज में िोगों के स्िास्थ्य, उ्पािकता, पयाणिरर् और
िगाया िै।
सामावजक पररर्ामों में सुधार िोता िै।
• जि संसाधनों की कमी मानि-िन्द्यजीि संघषण को भी बढा सकती िै। ऐसा
• इससे समाज में िैंवगक समानता सुवनवश्चत िोती िै। ऐसा इसविए क्योंदक
इसविए िै क्योंदक यि िन्द्यजीि अपने पयाणिास में जि की कमी के कारर्
जि की कमी और सूखे के चिते मवििाओं और िडदकयों के विरुद्ध सिंसा
मानि आबािी िािे िेिों की ओर रुख करने के विए मजबूर िो जाते िै।
का खतरा बढ जाता िै तथा बाि वििाि की िर में भी िृवद्ध िो सकती िै।
जि की उपिब्धता के जररए समृवद्ध और शांवत सुवनवश्चत करने में आने िािी समस्याएं
• जि-समृवद्ध को िेकर विरोधाभास: मध्यम और वनम्न आय िािे िेशों को अपनी अथणव्यिस्थाओं का विकास करने के विए जि की आिश्यकता िोती
िै, िेदकन उन्द्िें अपनी जि संबध
ं ी जरूरतों को पूरा करने के विए आर्थणक विकास की भी आिश्यकता िोती िै।
• जि प्रिूषर् में िृवद्ध: जि प्रिूषर् एक उभरती हुई पयाणिरर्ीय समस्या िै जो दकसी िेश के विकास के साथ ख्म निीं िोती िै।
o वनम्न आय िािे िेशों में, अपवशष्ट जि का बेितर ढंग से उपचार न िोने के कारर् जि की गुर्ित्ता नकारा्मक रूप से प्रभावित िोती िै।
िािांदक उच्च आय िािे िेशों में खेतों से रासायवनक उिणरक युक्त जि, अन्द्य जि स्रोतों में पहुंच कर उन्द्िें प्रभावित करता िै।
राष्ट्रीय बांध सुरिा प्रावधकरर् (NDSA)179 ने कािेश्वरम विफ्ट ससंचाई पररयोजना (KLIP)180 की बांध सुरिा की जांच करने के विए एक विशेषज्ञ
सवमवत का गठन दकया िै।
• पुराने बांध: आमतौर पर बांधों का एक वनवश्चत जीिनकाि िोता िै वजसके बाि िे असुरवित या खतरनाक िो सकते िैं।
• भूकंप के प्रवत संिि
े नशीि: भारत में अवधकतर बडे बांध भूकंप की िृवष्ट से
सदिय िेिों में बनाए गए िैं, वजसके चिते ऐसे िेिों में मौजूि बांधों पर भूकंप
से प्रभवित िोने का खतरा बना रिता िै।
o उिािरर् के विए- 2001 में भुज (गुजरात) में आए भूकंप के कारर् चांग
बांध की नींि के नीचे मौजूि मृिा का आधार कमजोर िो गया था।
• बाढ: उिािरर् के विए- अक्टूबर, 2023 में वसदक्कम का सबसे ऊंचा चुंगथांग
बांध साउथ ल्िोनक झीि में विमनिीय झीि के तटबंध टूटने से आई
अकस्मात बाढ में बि गया था।
• ओिरटॉसपंग: ओिरटॉसपंग (अिनाविका अपरिन) के कारर् पानी के तटबंध के
आस-पास या उसके बगि से ििां की मृिा का कटाि िोता िै, वजसके चिते बांध टूट जाते िैं।
• अिसाि का जमाि: अिसाि या गाि की अ्यवधक मािा से जि विद्युत पैिा करने िािे टरबाइनों एिं बांध के अन्द्य मि्िपूर्ण उपकरर्ों को नुकसान
पहुंचता िै। गाि की अ्यवधक मािा बांधों की भंिारर् िमता को भी कम करती िै।
o संयुक्त राष्ट्र की एक ररपोटण के अनुसार, भारत में िगभग 3,700 बांधों में गाि के जमाि की समस्या के चिते 2050 तक ऐसे बांधों की कु ि
भंिारर् िमता 26% तक कम िो सकती िै।
• वित्त: खराब वित्तीय वस्थवत के चिते आमतौर पर वबजिी संयंि के अन्द्य विस्सों का रख-रखाि और मरम्मत का कायण ठीक से निीं िो पाता िै।
• वनिेशों का पािन न करना: उिािरर् के विए- मध्य प्रिेश में गांधी सागर बांध के संबंध में कै ग (CAG) की ऑविट ररपोटण में इस बात पर प्रकाश
िािा गया दक राज्य बांध सुरिा संगठन (SDSO) ने CWC द्वारा सुझाए गए सुधारा्मक उपायों का पािन निीं दकया।
• पुराने बांधों को िटाना या बंि करना: आम तौर पर, पुराने बांधों को िटाने या बंि करने (विकमीशसनंग) के विए बांध और उससे जुडे स्िक्चर को या
तो पूरी तरि से िटा दिया जाता िै या दफर बांध की ऊंचाई को आंवशक रूप से कम दकया जाता िै।
o बांध को विकमीशन करने की प्रदिया बांध की भौगोविक अिवस्थवत के अनुसार अिग-अिग िोती िै। अतः बांध के वनचिे विस्से में रिने िािे
समुिायों के वित और सुरिा से जुडे हुए जोवखमों को ध्यान में रखते हुए बांध को विकमीशन करने की योजना बनानी चाविए।
• बांध की योजना, विजाइन और वनमाणर्: बांध बनाने के विजाइन और मानिंि में बांध की सुरिा से संबंवधत मौजूिा अ्याधुवनक तकनीकों का
इस्तेमाि करना चाविए।
o बांधों के विजाइन संबंधी मानक और सुरिा मानिंि तैयार करते समय चरम मौसमी िशाओं (जैसे दक सर्िणयों में तापमान का बहुत कम िोना)
के संभावित पररर्ामों को स्पष्ट रूप से पररभावषत दकया जाना चाविए।
• उपसति बांध (Subsurface Dams): जापान जैसे िेशों ने सतिी बांधों (Surface dams) के विकल्प के रूप में कई उप-सतिी बांधों का वनमाणर्
दकया िै। इसे भारत में भी अपनाया जा सकता िै।
o उपसति बांध, भू-जि के प्राकृ वतक प्रिाि को रोकने के विए पूरी तरि से भूवमगत बनाए जाते िैं। इस तरि से वनर्मणत जिभृतों से कु ओं या
बोरिेि के जररए जि को वनकािा जाता िै। इस पद्धवत में जि का भण्िारर् भूवमगत जिभृत में िोता िै, इसविए:
▪ भूवम को जिमग्न िोने से बचाया जा सकता िै।
▪ जिाशय से िाष्पीकरर् के द्वारा पानी की िावन निीं िोती िै।
▪ जिाशय में कोई गाि जमा निीं िोता िै।
▪ बांधों के ढिने जैसी संभावित आपिा से बचा जा सकता िै।
• िैज्ञावनक अटिांरटक जैसे पररपक्व मिासागरों में सबिक्शन जोन का बनना एक िुिभ ण
पररघटना मानते िैं। उल्िेखनीय िै दक अटिांरटक मिासागर का वनमाणर् सुपरकॉवन्द्टनेंट के
टूटने से हुआ िै।
o इसे िुिणभ पररघटना इसविए माना जाता िै, क्योंदक ऐसे अ्यंत प्राचीन मिासागरों में पाए जाने िािे स्थिमंिि (Lithosphere) अवधक मोटे
और कठोर िोते िैं। इस कारर् ये आसानी से टूटते और मुडते निीं िैं। अप्रवतरोधी दकनारों से वघरे मिासागरों में सबिक्शन की प्रदिया की
शुरुआत के विए इनका टूटना और मुडना एक पूिण शतण िै।
• ‘प्िेट विितणवनकी (Plate tectonics) वसद्धांत’ के अनुसार, पृथ्िी िगभग 100 दकिोमीटर मोटी कई मिाद्वीपीय ि मिासागरीय स्थिमंििीय
प्िेटों (Lithospheric plates) से वमिकर
बनी िै। ये प्िेटें गमण और तन्द्य िुबि
ण तामंिि
(Asthenosphere) पर एक िृढ इकाई के
रूप में िैवतज रूप से गवत करती िैं।
o इन प्िेटों की गवत की दिशा के आधार
पर िमशः तीन प्रकार की प्िेट सीमाएं
बनती िैं:
▪ जब प्िेट्स एक-िूसरे की ओर गवत
करती िैं तो अवभसरर् सीमा
(Convergent Boundary)
बनती िै;
▪ जब प्िेट्स एक-िूसरे से विपरीत
दिशा की ओर गवत करती िैं तो
अपसारी सीमा (Divergent
Boundary) बनती िै; और
▪ जब प्िेट्स एक-िूसरे के समान्द्तर गवत करती िैं तो रूपांतररत सीमा (Transform Boundary) बनती िै।
• सबिक्शन जोन:
o जब िो प्िेटें एक-िूसरे की ओर अवभसररत िोती िैं तो अवधक घन्ि िािी और भारी प्िेट, कम घन्ि िािी ि िल्की प्िेट के नीचे िेवपत िो
जाती िै। इसके बाि भारी प्िेट मेंटि में पहुंचकर नष्ट िो जाती िै या वपघिने िगती िै। िि िेि जिां सबिक्शन िोता िै उसे बेवनऑफ जोन
किा जाता िै।
वनष्कषण
इस अध्ययन के वनष्कषण पृथ्िी की विितणवनक प्रदियाओं की अप्र्यावशत प्रकृ वत और काफी िंबे समय में िोने िािे मिासागरीय बेवसनों के विकास पर
प्रकाश िािते िैं। अटिांरटक मिासागर के वसकु डने और संभावित रूप से एक विशाि समय-सीमा में इसके अवस्त्ि के समाप्त िोने की अिधारर्ा पृथ्िी
की स्थिाकृ वतक विशेषताओं को आकार िेने िािी भूगर्भणक प्रदियाओं की एक झिक पेश करती िै।
5.12.1. “फाइनें ससं ग एग्रो-के वमकि ररिक्शन एं ि मै ने ज में ट (FARM)” कायण ि म {Financing Agrochemical
Reduction and Management (FARM) Programme}
निीं िोते िैं तथा ििा, जि एिं भोजन को िूवषत करते नाइिोजन ऑक्साइि (NOx) और अन्द्य कर् (Particulate)
उ्सजणन के अन्द्य प्रमुख स्रोत िैं।
िैं।
• नागपुर का ZCBAP राष्ट्रीय नीवतगत फ्रेमिक्सण और
▪ ितणमान में दकसानों को बेितर विकल्प अपनाने के विए
काफी कम प्रो्सािन दिया जाता िै। इस िजि से िीकाबोनाइजेशन (विकाबणनीकरर्) में सिायता करने िािी पििों
पर आधाररत िै। इन पििों में वनम्नविवखत शावमि िैं:
दकसान उन विकल्पों को ज्यािा अपनाते िै, जो
o भारत के राष्ट्रीय स्तर पर वनधाणररत योगिान189;
संधारर्ीय विकल्पों की तुिना में सस्ते िोते िैं।
o भारत की िीघणकाविक वनम्न-काबणन विकास रर्नीवत;
5.12.2. शिर-विवशष्ट ज़ीरो काबण न वबसल्िं ग एक्शन o ऊजाण संरिर् भिन संविता, 2017;
प्िान {City-Specific Zero Carbon o ग्रीन वबसल्िंग रे टटंग वसस्टम जैसे दक इं वियन ग्रीन वबसल्िंग
Buildings Action Plan (ZCBAP)} काउं वसि (IGBC), ग्रीन रे टटंग फॉर इं टीग्रेटेि िैवबटेट
असेसमेंट (GRIHA) और
• भारत का पििा ‘शिर-विवशष्ट ज़ीरो काबणन वबसल्िंग एक्शन
o इको-वनिास संविता 2018.
प्िान’ (ZCBAP) नागपुर में शुरू दकया गया।
o जीरो काबणन वबसल्िंग्स िे इमारतें िैं, जो वनमाणर् और 5.12.3. इथे नॉि 100 (Ethanol 100)
सामवग्रयों के इस्तेमाि, रख-रखाि और प्रबंधन तथा एंि • पेिोवियम मंिािय ने इथेनॉि 100 फ्यूि शुरू दकया िै।
ऑफ िाइफ चरर्ों में ग्रीन िाउस गैस उ्सजणन में कमी करके • इथेनॉि 100 के बारे में:
अपनी पूरी िाइफ-साइदकि के िौरान अपने पयाणिरर्ीय
o यि गैसोिीन का एक स्िच्छ और िररत विकल्प िै।
प्रिशणन में सुधार करती िैं। इसमें इमारत के विजुअि और
o यि 92-94 प्रवतशत इथेनॉि, 4-5 प्रवतशत मोटर वस्पररट
थमणि कम्फटण पर कोई नकारा्मक प्रभाि निीं पडता िै।
▪ विजुअि कम्फटण: एक इमारत में प्रकाश की बेितरीन (फ्िेम को रं ग प्रिान करने के विए) और 1.5 प्रवतशत सि-
वििायक िायर सैचरु े टेि अल्कोिि का वमश्रर् िै।
व्यिस्था।
o मित्त्ि:
▪ थमणि कम्फटण: इमारत में सुखिायक तापमान की
▪ इथेनॉि फ्यूि काफी कम मािा में ग्रीनिाउस गैस का
व्यिस्था।
उ्सजणन करता िै। ‘िेि टू व्िीि190’ आधार पर उ्सजणन
• नागपुर के ZCBAP का िक्ष्य 2050 तक सभी इमारतों को नेट
में िगभग 63% की कमी करता िै।
ज़ीरो काबणन इमारतें बनाना िै। इससे भारत के “2070 तक नेट
जीरो” उ्सजणन के िक्ष्य में योगिान वमिेगा।
189 Nationally Determined Contributions
की अखंिता, भूवम-प्रर्ािी पररितणन, ताजे जि में पररितणन, o यि EU की जैि-विविधता रर्नीवत का मुख्य घटक िै। यि
जैि-भू-रासायवनक प्रिाि, निीन घटक, समतापमंििीय रर्नीवत वनम्नीकृ त पाररतंिों (Degraded ecosystems)
ओज़ोन परत का िरर्, िायुमि
ं िीय एयरोसोि िोसिंग और की पुनबणिािी के विए बाध्यकारी िक्ष्यों का प्रािधान करती
मिासागर का अम्िीकरर् शावमि िैं। िै।
o ये प्िैनटे री बाउं ड्रीज़ मानिों और मानिता को जीिन- • उद्देश्य: जैि-विविधतापूर्ण और िोचशीि प्रकृ वत (Resilient
सिायता प्रिान करती िैं। इनकी सीमा में रिते हुए मानि
nature) की िीघणकाविक ि सतत ररकिरी सुवनवश्चत करना।
और उसकी आने िािी पीदढयां विकवसत िो सकती िैं ि फि-
फू ि सकती िैं। एक िाविया अध्ययन के अनुसार, 9 में से 6 • कायाणन्द्ियन: EU सिस्य िेशों से विवनयमन के िागू िोने के 2 िषों
प्िैनटे री बाउं ड्रीज का मानि-जवनत गवतविवधयों के कारर् के भीतर EU के समि राष्ट्रीय पुनस्थाणपन योजनाओं को प्रस्तुत
उल्िंघन हुआ िै। करने की अपेिा की गई िै।
• भारत में अभी तक इस कृ ्य को आपरावधक घोवषत निीं दकया 2022 के माध्यम से जोडा गया था।
गया िै। • मुख्य वनयमों पर एक नज़र:
o दकसी प्रार्ी प्रजावत को अपने कब्जे (possession) में रखने
5.12.10. ओरर् भू वम (Oran Land)
िेतु पंजीकरर् के विए आिेिन: प्र्येक व्यवक्त, वजसके कब्जे में
• विशेष रूप से पवश्चमी राजस्थान के समुिायों ने ओरर् (पविि
कोई प्रार्ी प्रजावत िै, उसे 6 मिीने के भीतर अवनिायण रूप से
उपिन) को िीम्ि िन के रूप में िगीकृ त करने के राज्य सरकार के
प्रस्ताि पर सचंता व्यक्त की िै। इिेक्िॉवनक रूप में पंजीकरर् कराना िोगा।
o सिोच्च न्द्यायािय के वनिेशों के अनुसार, ओरर्, िेििन और o जन्द्म की ररपोर्टिंग और पंजीकरर्: प्र्येक व्यवक्त, वजसके
रूंध को िन भूवम मानकर िीम्ि फॉरे स्ट का िजाण दिया कब्जे में कोई प्रार्ी प्रजावत िै, उसे ऐसी प्रार्ी प्रजावत की
▪ CITES: पररवशष्ट-I में सूचीबद्ध िै। • यि प्रजावत अपना पयाणिास मेिानोक्िैवमस बेंगािेंवसस के साथ
साझा करती िै। मेिानोक्िैवमस बेंगािेंवसस की खोज 2022 में की
▪ िन्द्यजीि संरिर् अवधवनयम: अनुसूची-I में रखा गया
गई थी। िािांदक, यि आकृ वत विज्ञान की िृवष्ट से एम.द्रौपिी से
िै।
o विशेषताएं: अिग िै।
▪ यि ओल्ि िल्िण मंकी के एक बडे समूि से संबंवधत िै। o एम.द्रौपिी बेंगािेंवसस से आकार में छोटी िै। इसका रं ग
इन बंिरों को कोिोबाइं स किा जाता िै। कोिोबाइं स धब्बेिार भूरा ि कािा िै। इसके पश्च किच (posterior
पत्ती खाने िािे प्राइमेट िोते िैं, वजनका जुगािी करने shield) पर रुवब िाि रं ग का धब्बा िै।
िािे जानिरों के समान बहु-कोष्ठीय पेट िोता िै। • सी स्िग तेज वशकारी िोते िैं। िे अन्द्य विचरर् करने िािे जीिों
▪ ओल्ि िल्िण मंकी विशेष रूप एवशया ि अफ्रीका की बंिर को अपना वशकार बनाते िैं। इन जीिों में खोियुक्त ि वबना खोि
प्रजावतयों के विए प्रयुक्त पि िै। न्द्यू िल्िण मंकी विशेष िािे स्िग, गोिकृ वम (Roundworms), समुद्री कृ वम, छोटी
रूप अमेररका मिाद्वीप की बंिर प्रजावतयों के विए मछवियां आदि शावमि िैं।
प्रयुक्त िगीकरर् िै।
▪ गोल्िन िंगरू की फर का रं ग मौसम के अनुसार बििता 5.12.14. स्टार ड्यू न्द्स (Star Dunes)
रिता िै। गर्मणयों में यि िीम रंग का और सर्िणयों में
• िैज्ञावनकों ने पृथ्िी पर मौजूि विशाि मरुस्थिीय स्टार ड्यून्द्स का
गिरे सुनिरे रं ग का िो जाता िै।
पििा गिन अध्ययन करके उनकी आंतररक संरचना का खुिासा
▪ िे प्रकृ वत में दिनचर (दिन में सदिय) िैं और िृिों पर दकया िै।
रिते िैं। ये 3-15 सिस्यों के झुंि में रिते िैं। o यि अध्ययन एगण चेब्बी (पूिी मोरक्को) में िािा िविया
नामक एक स्टार ड्यून पर कें दद्रत िै। िािा िविया का अथण
"सिोच्च पविि सबंि"ु िोता िै।
o वसरे वमक के समान कु छ मूल्यिान सामवग्रयों में िाईइिेवक्िक • ितणमान युग को िोिोसीन किा जाता िै, जो अंवतम प्रमुख विमयुग
और ऑवप्टकि गुर् िोते िैं। इसका उपयोग इिेक्िॉवनक के बाि 11,700 िषण पििे शुरू हुआ था।
उपकरर्ों के वनमाणर् और ऊजाण भंिारर् में दकया जा सकता
o ितणमान में, भूिैज्ञावनक टाइम स्के ि पर िम फै नरोजोइक
िै।
• रे ि मि एल्यूमीवनयम उ्पािन के िौरान प्राप्त एक उपो्पाि िै। इयोन, सेनोजोइक मिाकल्प, चतुथण कल्प, िोिोसीन युग और
o इसमें आसेवनक, सीसा, कै िवमयम, िोवमयम, िैनवे ियम और मेघाियन काि में िैं।
• शोधकताणओं ने पेरू और वचिी के तट पर गिरे समुद्र में चार सडक मागण िै।
विशाि सी-माउं ट्स की खोज की। • यि सडक न के िि एक छोटा मागण िै, बवल्क इसके रस्ते में के िि
• सी-माउं ट के बारे में एक िराण- सशंकुन िा (16,500 फीट) पडता िै।
o सीमाउं ट जि सति के नीचे वस्थत पिणत िोता िै। इसकी o सशंकू िा िराण: यि विमाचि प्रिेश में िािौि और स्पीवत को
तीक्ष्र् ढािें समुद्र वनति से ऊपर उठी हुई िोती िैं। कारवगि की जांस्कर घाटी (िद्दाख) से जोडता िै।
o अवधकांश सी-माउं ट्स वििुप्त ज्िािामुवखयों के अिशेष िैं। ये • इसके पररर्ामस्िरूप िद्दाख िेि के विए िर मौसम में सडक
आमतौर पर शंकु के आकार के िोते िैं। संपकण सुवनवश्चत िो पाया िै।
▪ बडे सपाट वशखर िािे सी-माउं ट्स को गयोट्स
(guyots) किा जाता िै। 5.12.19. ग्रे ट िे क्स (Great Lakes)
o विश्व के प्र्येक मिासागरीय बेवसन में सी-माउं ट्स पाए जाते • उत्तरी अमेररका की ग्रेट िेक्स में िगातार िूसरे िषण औसत से
िैं। काफी कम विम आिरर् िजण दकया गया िै।
त्रैमा�सक
�रवीजन
�स�वल सेवा परी�ा म� आपके �ान, एना�ल�टकल ��ल और सरकारी नी�तय� तथा पहल� क� ग�तशील प्रकृ�त के साथ अपडेटेड रहने क�
�मता को जांचा जाता है। इस�लए इस चुनौतीपूणर् परी�ा के �लए एक �ापक और सु�नयो�जत दृ��कोण काफ� आव�क हो जाता है।
“सरकारी योजनाएं त्रैमा�सक �र�वजन” डॉ�ूम�ट के साथ �स�वल सेवा परी�ा म� सफलता क� अपनी यात्रा शुरू क��जए। यह �वशेष
पेशकश आपको परी�ा क� तैयारी म� एक प�रवतर्नकारी अनुभव प्रदान करेगी। सावधानीपूवर्क तैयार �कया गया हमारा यह डॉ�ूम�ट न
केवल आपक� सीखने क� प्र�क्रया को आगे बढ़ाने के �लए ब�� टाइम मैनेजम�ट और याद रखने क� �मता को बढ़ाने के �लए भी �डज़ाइन
�कया गया है। इस डॉ�ूम�ट को त्रैमा�सक आधार पर तैयार �कया जाता है। यह डॉ�ूम�ट फाइनल परी�ा के �लए �नरंतर सुधार और तनाव
मु� तैयारी हेतु अ��थ� य� के �लए एक आधार के रूप म� कायर् करेगा।
यह सीखने क� प्र�क्रया को बाधार�हत और आसान यात्रा म� बदल देता है। इसके प�रणाम�रूप, आप परी�ा क�
तैयारी के साथ-साथ सरकारी योजनाओ ं, नी�तय� और उनके �न�हताथ� क� गहरी समझ �वक�सत करने म�
सफल होते ह�।
‘सरकारी योजनाएं त्रैमा�सक �रवीजन’ एक डॉ�ूम�ट मात्र नह� है; ब�� यह आपक� परी�ा क� तैयारी म� एक रणनी�तक साथी भी है। यह आपक�
ल�न� ग एप्रोच म� बदलाव लाता है, �जससे यह एक सतत और कुशल प्र�क्रया बन जाती है। परी�ा क� तैयारी के आ�खरी चरण� म� आने वाले तनाव को
अल�वदा क�हए, प्रोए��व ल�न� ग ए�पी�रयंस को आपनाइए और आ��व�ास के साथ सफलता क� ओर आगे ब�ढ़ए।
अहमदाबाद | ब�गलू रु | भोपाल | चंडीगढ़ | �द�ी | गुवाहाटी | हैदराबाद | जयपुर | जोधपुर | लखनऊ | प्रयागराज | पुणे | रांची
6. सामावजक मु द्दे (Social Issues)
6.1. विि-इन ररिे श नवशप (Live-in Relationships)
सुर्खणयों में क्यों?
उत्तराखंि विधान सभा में पाररत समान नागररक संविता (UCC) विधेयक को राष्ट्रपवत की मंजरू ी वमिने से यि कानून बन गया िै। इस कानून में यि
प्रािधान दकया गया िै, दक राज्य में विि-इन ररिेशनवशप में रिने िािे सभी व्यवक्तयों को (उत्तराखंि के वनिासी या दकसी अन्द्य राज्य के वनिासी),
रवजस्िार के समि पंजीकरर् कराना िोगा। साथ िी, दकसी अन्द्य राज्य में विि-इन ररिेशनवशप में रिने िािे उत्तराखंि के वनिावसयों को भी रवजस्िार
के समि पंजीकरर् कराना िोगा।
अन्द्य संबवं धत तथ्य
• उत्तराखंि-समान नागररक संविता (UCC) के तित राज्य में विषमिैंवगक (Heterosexual) जोडों को विि-इन ररिेशनवशप की शुरुआत या उसकी
समावप्त पर पंजीकरर् कराना अवनिायण दकया गया िै।
o इस पंजीकरर् का ररकॉिण पुविस स्टेशन में रखा जाएगा।
• इसमें यि भी प्रािधान िै दक यदि दकसी मवििा को उसके विि इन पाटणनर द्वारा ‘छोड” दिया जाता िै तो पाटणनर द्वारा उस मवििा को भरर्-पोषर्
भत्ता प्रिान दकया जाएगा।
• इसमें विि इन ररिेशनवशप शुरू करने के एक मिीना से अवधक िो जाने पर पंजीकरर् निीं कराने पर तीन मिीने तक की सजा का प्रािधान िै।
ििीं, नोरटस जारी करने के बाि भी विि इन ररिेशनवशप का ‘स्टेटमेंट’ प्रस्तुत निीं करने की वस्थवत में अवधकतम छि मिीने तक की जेि की सजा
का भी प्रािधान दकया गया िै।
• यि कानून ियस्कों के बीच आपसी सिमवत से बनाए जाने िािे संबध
ं ों पर कठोर शतें थोपता िै। साथ िी, यि व्यवक्त के वनजता और व्यवक्तगत
स्ितंिता के संिध
ै ावनक अवधकारों के उल्िंघन से जुडी सचंताओं को भी बढाता िै।
• भारत में, विि-इन ररिेशनवशप संबंधों को स्पष्ट रूप से दकसी कानून या रीवत-ररिाज के तित शावसत निीं दकया जाता िैं।
• िािांदक, न्द्यावयक वनर्णयों के जररए सुप्रीम कोटण ने विि-इन पाटणनरवशप की कानूनी वस्थवत स्पष्ट करने की कोवशश की िै और कु छ दिशा-वनिेश जारी
दकए िैं।
• विि-इन ररिेशनवशप से संबवं धत सुप्रीम कोटण के वनर्णय:
o बद्री प्रसाि बनाम उप-वनिेशक चकबंिी (1978) िाि: इस मामिे ने सुप्रीम कोटण ने किा था दक, यदि विि-इन ररिेशनवशप, वििाि की
अवनिायण शतों को पूरा करते िैं, तो इसे कानूनी मान्द्यता िी जा सकती िै। इन शतों में वििाि की न्द्यन
ू तम आयु सीमा, आपसी सिमवत और
मानवसक िमता आदि शावमि िैं।
o िविता टोप्पो बनाम झारखंि राज्य (2018) िाि: इस मामिे में सुप्रीम कोटण वनर्णय दिया था दक, घरे िू सिंसा अवधवनयम, 2005 के प्रािधानों
के तित विि-इन-पाटणनर को िंि प्रदिया संविता, 1973 के तित प्रिान की गई राित से अवधक राित प्रिान की जाएगी।
o भरत मठ बनाम आर. विजया रें गनाथन और अन्द्य (2010) िाि : सुप्रीम कोटण ने किा दक विि-इन ररिेशनवशप से पैिा हुए बच्चे को िैध माना
जाएगा यानी शािी के बाि पैिा हुए बच्चे की तरि िी जैविक वपता को उसका भरर्-पोषर् करना िोगा। साथ िी ऐसे बच्चों को अविभावजत
पैतृक संपवत्त में विस्सेिारी प्राप्त करने का अवधकार िोगा।
o इं द्रा सरमा बनाम िी.के .िी. सरमा िाि (2013): इस मामिे में न्द्यायािय ने किा दक, यदि िो अवििावित पाटणनसण आपसी सिमवत से विि-इन
ररिेशनवशप में रिना चािते िैं तो यि न िी अिैध िै और न िी इसे अपराध माना जाएगा।
सामावजक पररितणन, िैवश्वक प्रभाि, शिरीकरर् और मिानगरीय रिन-सिन ने विशेष रूप से युिा पीढी के बीच वििाि-पूिण सििास (Cohabitation)
और विि-इन ररिेशनवशप व्यिस्था की स्िीकायणता को बढािा दिया िै।
• व्यवक्तगत स्िायत्तता: विि-इन ररिेशनवशप की अिधारर्ा िास्ति में व्यवक्तगत स्िायत्तता और खुि की पसंि की स्ितंिता में वनवित िै। विशेषकर,
अरें ज मैररज की ऐवतिावसक प्रथा और सामावजक अपेिाओं की िजि से इस अिधारर्ा को और बढािा वमिा िै।
विि-इन ररिेशनवशप के मामिे में वस्थवत स्पष्ट निीं िोने के कारर् विरोधाभासी विचारों और न्द्यावयक वनर्णयों को बढािा वमिता िै। इसविए इस
मामिे में अस्पष्टता की वस्थवत को िूर करने के विए एक अिग कानून बनाने की आिश्यकता िै। विि-इन-ररिेशनवशप से पैिा हुए बच्चों की कानूनी वस्थवत
और उसके अवधकारों को स्पष्ट रूप से पररभावषत करने के विए मौजूिा कानूनों के अस्पष्ट प्रािधानों को संशोवधत दकया जाना चाविए।
6.2. भारत में कु ि प्रजनन िर में वगरािट (Declining Total Fertility Rate in India)
सुर्खणयों में क्यों?
िाि िी में, िैंसटें में प्रकावशत ग्िोबि बिणन ऑफ विजीज स्टिी 2021 में इस बात को
रे खांदकत दकया गया िै, दक भारत में कु ि प्रजनन िर (TFR)191 घट कर 2050 तक
1.29 और 2100 तक 1.04 िो जाने की संभािना िै।
• आवश्रत आबािी के अनुपात (Dependency Ratio) में िृवद्ध: प्रजनन िर में िगातार वगरािट िजण िोने के कारर् िृद्ध िोगों की तुिना में युिा
आबािी कम िो जाएगी। इससे, जनसंख्या में आवश्रत आबािी अनुपात में िृवद्ध िोगी। जैसा दक चीन, जापान जैसे िेशों में िेखा जा रिा िै।
• राजकोषीय बोझ बढना: प्रजनन िर में कमी आने के कारर् कामकाजी आबािी कम िो जाएगी ििीं बढती आवश्रत आबािी के विए सामावजक
सुरिा, पेंशन, िृद्धािस्था िेखभाि आदि पर व्यय में िृवद्ध िोगी। इससे िेश के राजकोषीय संसाधनों पर बोझ बढेगा।
• श्रम बि: TFR में कमी आने से कु शि श्रवमकों की संख्या में भी कमी आएगी। इससे अथणव्यिस्था की उ्पािकता और विकास पर प्रवतकू ि प्रभाि पड
सकता िै। इसके पररर्ामस्िरूप श्रम बाजार में असंति
ु न और आर्थणक संिवृ द्ध में ठिराि आ सकता िै।
• प्रिासन: प्रजनन िर के घटने से प्रिास पैटनण भी प्रभावित िो सकता िै। ऐसे िेश, जिां िृद्ध िोगों की आबािी अवधक िै, िे कायणबि की कमी को िूर
करने के विए अपने यिां प्रिावसयों को आकर्षणत कर सकते िैं। इससे जनसांवखकीय विविधता को बढािा वमिेगा िेदकन इससे जनसंख्या समूिों के
बीच तनाि भी बढेगा और प्रिासन नीवत को िेकर भी संघषण पैिा िोगा।
• पाररिाररक व्यिस्था में बििाि: पररिार का आकार घटने से िािा-िािी द्वारा बच्चों की िेखभाि जैसी पारं पररक सिायता प्रर्ािी बावधत िो सकती
िै। इसके अिािा, एकि पररिारों में िृवद्ध के कारर् बुजुगों में अके िापन, मानवसक विकार जैसी समस्याएं बढ सकती िैं।
सकारा्मक प्रभाि:
• संसाधनों का बेितर उपयोग: प्रजनन िर में कमी आने से भूवम, जि और अन्द्य संसाधनों पर िबाि कम िोगा और इससे पयाणिरर् संरिर् के िक्ष्यों
को प्राप्त करने में भी मिि वमिेगी।
• शैविक ििता: TFR में वगरािट आने से स्कू िों में बच्चों की संख्या भी कमी िोगी। इससे बच्चों पर बेितर ध्यान दिया जा सकता िै और इसके अच्छे
शैविक पररर्ाम प्राप्त िोंगे। इसके विए सरकार को प्रवत व्यवक्त अवतररक्त संसाधन भी खचण करने की जरूरत निीं पडेगी।
आगे की राि:
• सिायता में िृवद्ध: सरकारों और व्यिसाय जगत को बच्चों की िेखभाि में सिायता करनी चाविए, कर सवब्सिी प्रिान की जानी चाविए, बच्चों के
िेखभाि िेतु अिकाश संबंधी पािता मानिंिों में सुधार करने ध्यान िेना चाविए। इससे कामकाजी माता-वपता के विए बच्चों का पािन-पोषर्
ििनीय बनाया जा सकता िै।
• िैंवगक-समता को िेकर जागरूकता: मवििाओं को मातृ्ि की जिाबिेिी के साथ-साथ अपना कररयर भी जारी रखने में मिि करने के विए पुरुषों
को भी घर और िेखभाि संबंधी कायों की अवधक वजम्मेिारी उठानी चाविए।
• आर्थणक नीवतयों का वनमाणर् करना: सािणजवनक स्िास्थ्य संबंधी संभावित खतरों से वनपटने के विए, सामावजक सुरिा और पेंशन सुधारों के साथ-
साथ विकास और रोजगार सृजन को प्रो्सावित करने िािी आर्थणक नीवतयां बनानी चाविए। इससे, घटती प्रजनन िर के प्रभािों को कम करने में
मिि वमिेगी।
• कौशि विकास सुवनवश्चत करना: कायणशीि जनसंख्या को, चािे उनकी संख्या और आयु कु छ भी िो, की आर्थणक उ्पािकता बढाने के विए आिश्यक
कौशि प्रिान दकया जाना चाविए। इससे िेश की िृद्ध िोती आबािी को “आर्थणक आपिा” बनने से रोका जा सके ।
6.3.1. “िैं वगक असमानता सू च कां क (GII) 2022” • GII 2022 के मुख्य सबंिओं
ु पर एक नज़र
जारी दकया गया {Gender Inequality Index o सूचकांक में िेनमाकण को सिोच्च रैं ककं ग प्राप्त हुई िै। उसके बाि
(GII) 2022 Released} नॉिे और वस्िट्जरिैंि का स्थान िै।
o सूचकांक में शावमि विश्व के 193 िेशों में से भारत 108िें
• संयक्त
ु राष्ट्र विकास कायणिम (UNDP) ने “िैंवगक असमानता
स्थान पर िै। भारत का GII स्कोर 0.437 िै।
सूचकांक (GII) 2022” जारी दकया।
▪ GII 2021 में भारत 191 िेशों में से 122िें स्थान पर
• GII 2022 को UNDP की “मानि विकास ररपोटण 2023/2024” था।
में शावमि दकया गया िै। o भूटान (रैं क-80); श्रीिंका (90); और माििीि (76) जैसे
o िाि िी में, मानि विकास ररपोटण 2023/2024” को “ब्रेककं ग भारत के पडोवसयों ने बेितर प्रिशणन दकया िै।
ि वग्रििॉक री-इमेजसनंग को-ऑपरे शन इन ए पोिराइज्ि • िैंवगक असमानता सूचकांक (GII) िास्ति में मवििाओं और पुरुषों
िल्िण” शीषणक से जारी दकया गया िै। के बीच उपिवब्धयों में असमानता को िशाणने िािा एक समग्र
123 www.visionias.in ©Vision IAS
मापन िै। यि असमानता वनम्नविवखत तीन आयामों या मानिंिों 6.3.2. सं यु क्त राष्ट्र की िैं वगक समानता पर प्रर्ािी-
पर मापी जाती िै:
व्यापी रर्नीवत (UN System-Wide Gender
o प्रजनन स्िास्थ्य (Reproductive Health): इसके तित
Equality Acceleration Plan)
मातृ्ि मृ्यु अनुपात और दकशोर प्रजनन िर जैसे संकेतकों
का उपयोग दकया जाता िै। • अंतराणष्ट्रीय मवििा दििस (IWD) पर संयुक्त राष्ट्र मिासवचि ने
▪ इसमें मवििा प्रजनन स्िास्थ्य सूचकांक का भी उपयोग 'संयुक्त राष्ट्र की िैंवगक समानता पर प्रर्ािी-व्यापी रर्नीवत'
दकया जाता िै। योजना शुरू की। इस योजना का उद्देश्य मवििाओं और िडदकयों
o सशक्तीकरर् (Empowerment): इसके तित संसि में के सशवक्तकरर् को बढािा िेना िै।
मवििाओं और पुरुषों का अनुपात तथा कम-से-कम o 2012 में, संयक्त
ु राष्ट्र के मुख्य कायणकारी बोिण ने िैंवगक
माध्यवमक स्तर की वशिा प्राप्त करने िािी मवििा एिं पुरुष समानता और मवििा सशवक्तकरर् के विए एक अभूतपूिण
आबािी संकेतकों का इस्तेमाि दकया जाता िै। प्रर्ािी-व्यापी कायण योजना (UN-SWAP) को मंजूरी िी
▪ इनके विए मवििा एिं पुरुष सशक्तीकरर् सूचकांक का थी। इस योजना को संयक्त
ु राष्ट्र की समस्त प्रर्ािी में िागू
भी उपयोग दकया जाता िै। दकया जाना था।
o श्रम बाजार (Labour market): इसके तित मवििा एिं
o 2018 में UN-SWAP 2.0 जारी दकया गया था। इसका
पुरुषों की श्रम बि भागीिारी िर को मापा जाता िै।
उद्देश्य मौजूिा संकेतकों और सतत विकास के विए एजेंिा,
▪ इसमें मवििा और पुरुष श्रम बाजार सूचकांक का भी
2030 के अंतगणत फ्रेमिकण को मजबूत बनाकर जिाबिेिी में
उपयोग दकया जाता िै।
सुधार करना था।
• GII स्कोर 0 से 1 के बीच दिया जाता िै। 0 स्कोर से आशय िै दक
• संयुक्त राष्ट्र मिासवचि ने "बेक्ि-इन बायस" और समानता प्राप्त
मवििा और पुरुष के बीच समानता की वस्थवत िै। ििीं, 1 स्कोर करने में आने िािी बाधाओं को िूर करने के विए िवित कायणिमों
का अथण िै दक पुरुष और मवििा के बीच सभी आयामों या संकेतकों और कोटा की आिश्यकता पर जोर दिया िै।
में व्यापक असमानता मौजूि िै। o "बेक्ि-इन बायस" का ता्पयण समाज में दकसी विशेष सिंग,
जावत या समुिाय के प्रवत वनरं तर चिे आ रिे पूिाणग्रि से िै
जो इसके मूि में अंतर्नणवित िै।
• संयुक्त राष्ट्र मिासवचि ने तीन प्राथवमक कारण िाई िािे िेिों की
पिचान की िै, वजसमें वनम्नविवखत शावमि िैं -
o सतत विकास के विए दकफायती, िीघणकाविक वित्त-पोषर्
को बढाना,
o सरकारी नीवतयों में मवििाओं और िडदकयों के विए
समानता को प्राथवमकता िेना,
o नेत्ृ ि िािे पिों पर मवििाओं के प्रवतवनवध्ि में िृवद्ध करना
शावमि िै।
• इससे मवििाओं और िडदकयों की ज़रूरतों को पूरा करने िािी
नीवतयों और कायणिमों में वनिेश को बढाने में मिि वमि सकती िै।
के अनुरूप िै।
नोट: बाि यौन शोषर् संबंधी कं टेंट (CSAM) के बारे में और अवधक 6.3.8. िोमोसे प एटम (Homosep Atom)
जानकारी के विए, कृ पया VisionIAS मावसक समसामवयक,अक्टूबर
• यि सेवप्टक टैंक/ मैनिोि की सफाई में सिम भारत का पििा
2023 के संस्करर् में आर्टणकि 6.8. िेखें।
रोबोट िै। इस रोबोट को स्टाटण-अप सोिीनास ने विकवसत दकया
6.3.6. िल्िण पॉिटी क्िॉक (World Poverty िै। यि रोबोट िेश के 16 शिरों में सेिाएं िे रिा िै।
Clock: WPC) o सोिीनास को IIT मद्रास के विज्ञान और प्रौद्योवगकी विभाग
• िल्िण पॉिटी क्िॉक पर निीनतम आंकडों के अनुसार भारत ने
(DST)- टेक्नोिॉजी वबजनेस इनक्यूबटे र (TBI) में स्थावपत
'चरम वनधणनता' को अपनी आबािी के 3% से नीचे िाने में
दकया गया िै।
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• उद्देश्य:
o इसका उद्देश्य AI निाचार के विए सािणजवनक-वनजी भागीिारी197 के जररए इकोवसस्टम तैयार करना िै।
o इसके तित एििांस AI कं प्यूटटंग अिसंरचना तैयार करने के विए 10,000 से अवधक ग्रादफक्स प्रोसेससंग यूवनट्स (GPUs) की स्थापना की
जाएगी।
o िोकतंिीकरर्, िेटा की गुर्ित्ता में सुधार तथा स्ििेशी AI िमताओं का विकास करके भारत के AI इकोवसस्टम का उत्तरिावय्िपूर्ण ि
समािेशी विकास दकया जाएगा।
• मंिािय: यि इिेक्िॉवनक्स और सूचना प्रौद्योवगकी मंिािय (MeitY) के तित शुरू दकया गया एक अंब्रेिा कायणिम िै।
• वित्त-पोषर्: इस योजना के विए सािणजवनक-वनजी भागीिारी मॉिि के जररए 5 िषों की अिवध में वित्त उपिब्ध कराया जाएगा।
• कायाणन्द्ियन एजेंसी: इस योजना के विए कायाणन्द्ियन एजेंसी ‘इं विया AI’ एक स्ितंि व्यापार प्रभाग िै, वजसे विवजटि इं विया कॉपोरे शन के तित
गरठत दकया गया िै।
• भावषर्ी198: यि भारतीय भाषाओं के अनुिाि • ऐराित: भारत का AI सुपर कं प्यूटर C- • िेटा प्रबंधन कायाणिय: यि िेटा प्रबंधन के
िेतु AI आधाररत एक िैंग्िेज टू ि िै। DAC, पुर्े में स्थावपत दकया गया िै। मानकीकरर् में मिि करता िै।
• विवजटि इं विया • राष्ट्रीय सुपरकं प्यूटटंग वमशन • भारत िेटासेट प्रोग्राम और भारत िेटा प्िेटफ़ॉमण:
यि स्टाटण-अप और शोधकताणओं के विए गैर-
• इं विया स्टैक और AI • MeitY क्वांटम कं प्यूटटंग एप्िीके शन िैब
व्यवक्तगत िेटासेट तक पहुंच प्रिान करता िै।
AI, बौवद्धक संपिा (IP) और इनोिेशन AI में कौशि उन्नयन AI नैवतकता और शासन
• आर्टणदफवशयि इं टेविजेंस के विए उ्कृ ष्टता • फ्यूचर वस्कल्स प्राइम: AI प्रमार्न • RAISE199: सामावजक सशक्तीकरर् के विए
कें द्र
कायणिमों के विए नैसकॉम और MeitY उत्तरिायी AI
• MeitY स्टाटण-अप िब
की संयुक्त पिि।
• प्रस्तावित ‘AI पर राष्ट्रीय कें द्र (NCAI)’ • युिाओं के विए ररस्पॉवसबि AI: स्कू िी
छािों को AI के विए तैयार करने िेतु
सरकार का कायणिम।
• यि उन जरटि कायों को करने में सिम कं प्यूटर प्रर्ावियों को संिर्भणत करता िै, वजन्द्िें आम तौर पर वसफण इं सान िी कर सकता था, जैसे- तकण
करना, वनर्णय िेना या समस्याओं को सुिझाना।
जेनरे रटि प्री-िेन्द्ि िांसफामणर (GPT) बनाम िाजण िैंग्िेज मॉिि (LLM)
• इसमें विवभन्न प्रकार की प्रौद्योवगदकयां शावमि िैं, जैस-े
• GPT एक प्रकार का LLM िै, जो मनुष्यों की तरि टेक्स्ट जेनरे ट
o मशीन िर्निंग (ML): इसमें िेटा सेट पर प्रवशवित एल्गोररिम का
करने के विए िीप िर्निंग का उपयोग करता िै।
उपयोग करके कु छ विवशष्ट मॉिि तैयार दकए जाते िैं। इन मॉिल्स
की मिि से मशीनों को ऐसा कायण करने में सिम बनाया जा सकता • इनकी विशेषताएं िैं-
िै, जो आम तौर पर के िि मनुष्यों द्वारा िी दकए जा सकते िैं। o इन्द्िें “जनरे रटि” किा जाता िै, क्योंदक ये दिए गए इनपुट के
▪ जेनरे रटि AI (GAI): इसे मशीन िर्निंग से िी विकवसत दकया आधार पर नया टेक्स्ट सृवजत कर सकते िैं।
गया िै। इसमें कु छ विवशष्ट प्रकार के एल्गोररिम का प्रयोग o इन्द्िें “प्रीिेन्द्ि” किा जाता िै, क्योंदक इन्द्िें दकसी विवशष्ट कायण
दकया जाता िै, जो नए िेटा का सृजन करने में भी सिम िोते के विए ठीक से तैयार करने से पििे टेक्स्ट िेटा के एक बडे
सेट पर प्रवशवित दकया जाता िै।
िैं। इसमें BharatGPT’ द्वारा तैयार दकया गया ‘िनुमान
o इन्द्िें “िांसफॉमणर” किा जाता िै, क्योंदक ये इनपुट टेक्स्ट को
(Hanooman)’ या ChatGPT जैसे िाजण िैंग्िेज मॉिल्स
प्रोसेस करने और आउटपुट टेक्स्ट जेनरे ट करने के विए
(LLMs) और िीपफे क उ्पन्न करने के विए उपयोग दकए िांसफामणर आधाररत न्द्यरू ि नेटिकण आर्कण टेक्चर का उपयोग
जाने िािे जेनरेरटि एििसणररयि नेटिकण (GAN) शावमि करते िैं।
िोते िैं।
o िीप िर्निंग: इसके तित कं प्यूटर को सूचना को इस तरि से प्रोसेस करने के विए प्रवशवित दकया जाता िै दक िे मानि की न्द्यूरि प्रदियाओं
की नकि कर सकें ।
o नेचरु ि िैंग्िेज प्रोसेससंग (NLP): यि कं प्यूटर को मानि भाषा को समझने में सिम बनाता िै, जैस-े भावषर्ी।
• प्रवशवित पेशि
े रों की कमी: NASSCOM के अनुसार, ितणमान में भारत में िगभग 629 िजार प्रवशवित AI पेशेिरों की मांग िै, जबदक के िि
416 िजार AI पेशेिर मौजूि िैं। यि आंकडा 2026 तक 1 वमवियन तक पहुंच सकता िै।
• नौकररयों पर प्रभाि: विश्व आर्थणक मंच का अनुमान िै दक आर्टणदफवशयि इं टेविजेंस 2025 तक िुवनया भर में िगभग 85 वमवियन नौकररयों को
ख्म कर िेगा।
• अिसंरचना्मक चुनौवतयां- भौवतक और विवजटि: AI आधाररत अिसंरचना की कमी िै, जैस-े क्िाउि कं प्यूटटंग और ओपन-सोसण िेटा की वनम्न
गुर्ित्ता तथा सीवमत उपिब्धता।
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• नैवतकता और स्यवनष्ठा संबध
ं ी सचंताएं:
o AI-आधाररत वनर्णय अशुवद्धयों, भेिभािपूर्ण पररर्ामों तथा पूिाणग्रि से प्रभावित िो सकते िैं।
o िावशए पर मौजूि आबािी की AI तक असमान पहुंच के कारर् विवजटि विभाजन और अवधक बढ सकता िै।
• वनयामक चुनौवतयां:
o AI िैवश्वक प्रकृ वत का िै, वजसके कारर् अिग-अिग वनयामकों के बीच सािणभौवमक पररभाषा का अभाि िै।
▪ इसके अिािा, AI की विकवसत िोती प्रकृ वत के साथ तािमेि वबठाना भी चुनौतीपूर्ण िो सकता िै।
o AI प्रर्ािी में पारिर्शणता की कमी के कारर् उपयोगकताण इस बात से अनजान रि सकते िैं दक िे स्िचावित प्रर्ािी के संपकण में आ रिे िैं।
इससे विश्वास प्रभावित िो सकता िै।
o िावय्ि संबध
ं ी सचंताएं: AI की ब्िैक बॉक्स आधाररत प्रकृ वत और स्ियं से सीखने की िमता के कारर् इसके वनर्णयों को उवचत ठिराना और
िुरटयों के विए िावय्ि का वनधाणरर् करना करठन िो सकता िै।
▪ यि पता निीं िगाया जा सकता िै दक िीप िर्निंग प्रर्ावियां अपने वनर्णय कै से िेती िैं। इसे िी ‘ब्िैक बॉक्स समस्या’ किा जाता िै।
• िुरुपयोग के बढते मामिे: गित सूचना फै िाने के विए िीप फे क तैयार करने जैसे िुभाणिनापूर्ण उद्देश्य से AI का िुरुपयोग दकया जा रिा िै।
आगे की राि
• AI को पाठ्यिम में शावमि दकया जाना चाविए। साथ िी, वशिर् और िर्निंग को बढािा िेना चाविए तथा AI उद्यमों को प्रो्सावित दकया जाना
चाविए।
• कं पवनयों को कमणचाररयों की कु शिता बढाने का काम करना चाविए।
o सिंक्िइन की एक ररपोटण के अनुसार, भारत में िगभग 94% कं पवनयां AI के उन्नत िोने के कारर् कमणचाररयों का कौशि बढा रिी िैं।
• घरे िू स्तर पर AI एप्िीके शन को विकवसत करने के विए भारतीय स्टाटण-अप को प्रो्सािन प्रिान दकया जाना चाविए।
• AI शासन से जुडे कानूनों को तैयार करने के विए उपयुक्त नीवत वनमाणताओं और वनयामक संस्थानों को वचवन्द्ित दकया जाना चाविए।
• मौजूिा राष्ट्रीय प्रौद्योवगकी नीवतयों और अंतराणष्ट्रीय फ्रेमिकण के आधार पर उपयुक्त AI कानून तैयार दकए जाने चाविए।
नोट: अंतराणष्ट्रीय वनयामक फ्रेमिकण पर अगिे आर्टणकि में विस्तार से चचाण की गई िै।
7.1.1. AI के विए अं त राण ष्ट्रीय वनयामक फ्रे मिकण (International Regulatory Frameworks for AI)
• इस संकल्प में ऑफिाइन और ऑनिाइन, िोनों िी माध्यमों पर समान अवधकारों की आिश्यकता पर बि दिया गया िै। साथ िी, इसमें “िम
तकनीक को वनयंवित करें गे, न दक तकनीक िमें” का आह्िान दकया गया िै।
• इसके तित िेशों के बीच और उनके भीतर कृ विम बुवद्धमत्ता और अन्द्य विवजटि विभाजन को ख्म करने का संकल्प विया गया िै।
• यि सभी िेिों के सिस्य िेशों और वितधारकों को सुरवित, संरवित और भरोसेमंि कृ विम बुवद्धमत्ता का विकास करने के विए प्रो्सावित करके
वनयामक और प्रशासन आधाररत िृवष्टकोर् का समथणन करता िै।
• इसके अिािा, कृ विम बुवद्धमत्ता प्रर्ावियों की पूरी कायाणिवध में मानिावधकारों के संरिर् पर जोर दिया गया िै।
• यि व्यापार और मानिावधकारों पर संयक्त
ु राष्ट्र के मागणिशणक वसद्धांतों202 के अनुरूप िागू दकए गए अंतराणष्ट्रीय और घरे िू कानूनों का पािन करने
के विए वनजी िेिक को प्रो्सावित करता िै।
• इसमें AI प्रशासन पर वनरं तर चचाण का आह्िान दकया गया िै, तादक अंतराणष्ट्रीय िृवष्टकोर् AI प्रर्ािी के विकास के साथ तािमेि बनाए रख सकें
तथा समािेशी अनुसंधान, मानवचिर् और विश्लेषर् को बढािा िे सकें आदि।
• यूरोवपयन यूवनयन का आर्टणदफवशयि इं टेविजेंस अवधवनयम: इसमें AI वसस्टम के विए 4 स्तरों के जोवखम को पररभावषत करता िै- अस्िीकायण
जोवखम (Unacceptable Risk), उच्च-जोवखम (High-Risk), विवशष्ट पारिर्शणता जोवखम (Specific Transparency Risk) और न्द्यूनतम
जोवखम (Minimal Risk)।
o इसका उद्देश्य यि सुवनवश्चत करना िै दक उच्च जोवखम िािी कृ विम बुवद्धमत्ता (AI) से अवधकारों, विवध के शासन और पयाणिरर् की रिा की
जाए।
o व्यापक ररप्रेजेन्द्टेरटि िेटासेट पर AI को प्रवशिर् प्रिान करके नस्िीय और िैंवगक पूिाणग्रिों से वनपटना।
• चीन का मॉिि: इसके तित सुरिा उपायों से युक्त AI उपकरर्ों और निाचार को बढािा दिया जाता िै, तादक िेश के सामावजक और आर्थणक
िक्ष्यों को भविष्य में िोने िािे दकसी भी संभावित नुकसान से बचाया जा सके ।
o इसमें कं टेंट मॉिरेशन, व्यवक्तगत िेटा सुरिा और एल्गोररिम प्रशासन पर ध्यान कें दद्रत दकया जाता िै।
• UK का िृवष्टकोर्: इसने AI को विवनयवमत करने के विए एक िॉस-सेक्टर और पररर्ाम आधाररत फ्रेमिकण को अपनाया िै। इसके तित सुरिा,
संरिा और सुिढृ ता, पारिर्शणता तथा जिाबिेिी एिं शासन आदि के मुख्य वसद्धांतों को ध्यान में रखा जाता िै।
o इस फ्रेमिकण को अभी तक कानून में संविताबद्ध निीं दकया गया िै, िेदकन सरकार का अनुमान िै दक भविष्य में िवित विधायी िस्तिेप की
आिश्यकता िोगी।
o यि AI में मौजूिा ‘टेक्नोिॉजी न्द्यूिि रे गुिटे री फ्रेमिकण ’ को िागू करके निाचार और सुरिा को संतवु ित करता िै।
o AI और विवजटि िब को एक बहु-वनयामक सिािकार सेिा के रूप में आरं भ दकया जाएगा। इससे कानूनी और वनयामक िावय्िों को पूरा
करने में इनोिेटसण को मिि वमिेगी।
• घोस्ट पार्टणकल्स के बारे में: ये विद्युत आिेश रवित िगभग नगण्य द्रव्यमान िािे उप-परमावण्िक (Subatomic) कर् या पार्टणकि िोते िैं।
o वमल्की िे आकाशगंगा से परे खगोिीय पररघटनाओं से वनकिने िािे उच्च-ऊजाण युक्त न्द्यूरिनो को “एस्िोदफवजकि न्द्यूरिनो” के रूप में जाना
जाता िै।
o इन्द्िें घोस्ट पार्टणकल्स भी किा जाता िै, क्योंदक िगभग 100 रिवियन न्द्यूरिनो प्रवत सेकेंि िमारी जानकारी के वबना मानि शरीर से िोकर
गुजरते िैं।
• िगीकरर्: स्टैंििण मॉिि ऑफ पार्टणकि दफवजक्स के तित, इन्द्िें ‘िेप्टान (Lepton)’ के रूप में िगीकृ त दकया गया िै।
o स्टैंििण मॉिि ऑफ पार्टणकि वसद्धांत, ब्रह्माण्ि के ताने बाने को संचावित और आकार िेने में भूवमका वनभाने िािे पार्टणकल्स, फील्ड्स और
फं िामेंटि फोसेस के बारे में बताता िै।
स्टैंििण मॉिि ऑफ पार्टणकि दफवजक्स
• यि ब्रह्मांि के वनमाणर् में भूवमका वनभाने िािे मौविक कारकों203 का िर्णन करता
िै।
o यि बताता िै दक कै से क्वाकण और िेप्टॉन नामक कर्/ पार्टणकल्स सभी ज्ञात
पिाथों का वनमाणर् करते िैं। क्वाकण , प्रोटॉन और न्द्यूिॉन का वनमाणर् करते िैं
जबदक िेप्टॉन, इिेक्िॉन का वनमाणर् करते िैं।
o साथ िी, यि बताता िै दक बि को ििन करने िािे बोसॉन कर् क्वाकण और
िेप्टॉन को कै से प्रभावित करते िैं।
• इसके अिािा, यि ब्रह्मांि को संचावित करने िािे चार फं िामेंटि फोसण में से तीन
के बारे में भी बताता िै, ये िैं: इिेक्िोमैगनेरटज्म, स्िांग फोसण और िीक फोसण।
o फोटॉन, इिेक्िोमैगनेरटज्म फोसण के ििन कर् िोते िैं। इसमें विद्युत िेिों और
चुंबकीय िेिों के मध्य परस्पर दिया िोती िै।
o ग्िूऑन, स्िांग फोसण के ििन कर् िोते िैं। यि बि परमार्ु नावभकों को एक
साथ बांध कर उन्द्िें वस्थर बनाए रखता िै।
o W और Z बोसॉन द्वारा ििन दकया गया िीक फोसण, नावभकीय अवभदियाओं
का कारर् बनता िै जो िमारे सूयण और अन्द्य तारों के विए अरबों िषों से
ऊजाण के स्रोत के रूप कायण कर रिा िै।
o चौथा मौविक बि गुरु्िाकषणर् िै, वजसकी पयाणप्त व्याख्या इस मॉिि द्वारा
निीं की जा सकी िै।
• ब्रह्मांि के विकास को समझना: इससे िमें वबग-बैंग के तुरंत बाि, ब्रह्मांि के शुरुआती चरर्ों के बारे में समझने में मिि वमि सकती िैं।
o उिािरर् के विए- चीन ब्रह्मांि की उ्पवत्त को समझने के विए न्द्यूरिनो से जुडा एक वसमुिेशन बनाने के विए अपने सुपर कं प्यूटर, वतयानिे-2
का उपयोग कर रिा िै।
• िाकण मैटर और िाकण एनजी की बेितर समझ: िमारे ब्रह्मांि का 95% विस्सा िाकण मैटर (27%) और िाकण एनजी (68%) से बना हुआ िै।
• न्द्यवू क्िऑन की संरचना का अध्ययन करने में मिि: परमार्ुओं के नावभक में मौजूि प्रोटॉन और न्द्यूरिनो का अध्ययन करने से यि स्पष्ट िो सकता िै
दक पिाथण सरि कर्ों से अवधक जरटि कर्ों में कै से विकवसत हुआ।
• तारों से उ्सर्जणत न्द्यरू िनो: खगोिविि तारों से उ्सर्जणत न्द्यूरिनो का अध्ययन सूयण सवित अन्द्य तारों के आंतररक भाग के बारे में समझ को बेितर
करने और नए ग्रिों की खोज करने के विए कर सकते िैं।
• वचदक्सा के िेि में उपयोग: इसका उपयोग वचदक्सा के िेि में एक्स-रे मशीनों और MRI स्कै न के जैसे अन्द्य बेितर विकल्प तिाशने में भी दकया
जा सकता िै।
• परमार्ु प्रसार की वनगरानी: परमार्ु ररएक्टर के अंिर या परमार्ु विस्फोटों से विखंिन की प्रदिया से बीटा िय के जररए न्द्यूरिनो का उ्सजणन िोता
िै।
o शुद्ध पानी से भरे विटेक्टरों का उपयोग न्द्यूरिनो का पता िगाकर किीं िूर संपन्न िोने िािी परमार्ु अवभदियाओं की वनगरानी के विए दकया
जा सकता िै।
o उिािरर् के विए, USA-UK के संयक्त
ु प्रयास “िॉचमैन” का िक्ष्य न्द्यूरिनो की मिि से परमार्ु ररएक्टरों की िूर से िी वनगरानी करना िै।
• PFBR को भारतीय नावभकीय विद्युत वनगम विवमटेि या भाविनी (BHAVINI) द्वारा स्ििेशी रूप से विजाइन और वनर्मणत दकया गया िै। इसमें
200 से अवधक भारतीय उद्योगों की सिायता िी गई थी।
• परमार्ु ररएक्टर के कोर में परमार्ु ईंधन िािने को िी कोर िोसिंग किा जाता िै।
• फास्ट ब्रीिर ररएक्टसण (FBR) एक प्रकार के परमार्ु ररएक्टर िी िोते िैं। इन विवमटेि कं पनी के रूप में स्थावपत दकया गया था।
• उद्देश्य:
ररएक्टसण में वबजिी पैिा करने के िौरान अ्यंत तीव्र गवत िािे न्द्यूिॉन की
o तवमिनािु के किपक्कम में पििे 500 मेगािाट फास्ट ब्रीिर
मिि से खपत की तुिना में अवधक परमार्ु ईंधन का उ्पािन दकया जाता िै।
ररएक्टर (FBR) का वनमाणर् करना और उसे चािू करना;
• FBR में ईंधन के रूप में यूरेवनयम-प्िूटोवनयम वमवश्रत ऑक्साइि (MOX)
और
का उपयोग दकया जाएगा।
o परमार्ु ऊजाण अवधवनयम, 1962 के प्रािधानों के तित
• इस ररएक्टर में फ्यूि कोर के आस-पास का यूरेवनयम-238 ‘ब्िैंकेट’
विद्युत उ्पािन के विए आगे भी FBR का वनमाणर्,
न्द्यवू क्ियर िांसम्यूटेशन की प्रदिया से गुजरने पर अवतररक्त ईंधन का उ्पािन
करता िै। यिी कारर् िै दक इसे “ब्रीिर” किा जाता िै। कमीशसनंग, संचािन और रख-रखाि करना।
FBR का मित्त्ि
भारत में थोररयम के भंिार
• परमार्ु कायणिम के चरर् 2 की शुरुआत: PFBR का पररचािन भारत के • परमार्ु ऊजाण विभाग (DAE) ने अब तक 11 वमवियन टन से
तीन-चरर्ों िािे परमार्ु ऊजाण कायणिम के चरर् 2 की शुरुआत का प्रतीक अवधक इन सीटू मोनाजाइट (थोररयम युक्त खवनज) संसाधन का
• तीसरे चरर् के विए मागण प्रशस्त: FBR में, थोररयम-232 (Th-232) का • विश्व के िगभग 25% थोररयम का भंिार भारत में िै।
उपयोग ब्िैंकेट के रूप में दकया जाएगा। • ये भंिार के रि, तवमिनािु , ओविशा, आंध्र प्रिेश, पवश्चम बंगाि,
o िांसम्यूटेशन (एक त्ि का िूसरे त्ि में रूपांतरर्) द्वारा थोररयम- झारखंि आदि राज्यों के समुद्र तट और निी की रे त में पाए गए िैं।
232 को विखंिनीय U-233 में बिि दिया जाता िै, वजसका उपयोग
तीसरे चरर् में ईंधन के रूप में दकया जाता िै।
o इस प्रकार, FBR परमार्ु ऊजाण कायणिम के तीसरे चरर् पर पहुंचने के विए एक
मि्िपूर्ण किम िै, जो अंततः िेश के थोररयम भंिार के पूर्ण उपयोग का मागण
प्रशस्त करता िै।
• तकनीकी उन्नवत: एक बार इस संयंि के चािू िोने के बाि, रूस के बाि FBR का
िावर्वज्यक पररचािन करने िािा भारत िूसरा िेश िोगा।
o चीन ने फास्ट ब्रीिसण के संबंध में एक िघु स्तर का कायणिम शुरू दकया िै। िूसरी
ओर, सुरिा संबध
ं ी सचंताओं के कारर् जापान, फ्रांस और संयुक्त राज्य अमेररका
जैसे िेशों ने अपने FBR कायणिम बंि कर दिए िैं।
• अपवशष्ट में कमी: FBR में पििे चरर् में उपयोग दकए गए ईंधन का िी उपयोग दकया
जाता िै। इससे परमार्ु अपवशष्ट की मािा में भी काफी कमी आएगी। साथ िी, इससे
ऐसे अपवशष्ट के वनिारर् के समि आने िािी करठनाइयों को झेिना निीं पडेगा।
• भारत के पास िुवनया के यूरेवनयम भंिार का के िि 2-3% विस्सा मौजूि िै। िािांदक,
भारत िैवश्वक थोररयम भंिार िािे शीषण िेशों में से एक िै।
• भारत के परमार्ु कायणिम के जनक िॉ. िोमी जे. भाभा ने 1950 के िशक में तीन-
चरर्ीय परमार्ु ऊजाण कायणिम तैयार दकया था। इसका उद्देश्य भारत के सीवमत
यूरेवनयम भंिार और प्रचुर थोररयम भंिार का अवधकतम िाभ उठाना था।
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भारत में परमार्ु ऊजाण से वबजिी उ्पािन
• ितणमान में, िेश में कु ि स्थावपत परमार्ु ऊजाण से
वबजिी उ्पािन िमता िगभग 7.5 गीगािॉट िै।
इसका उ्पािन 23 परमार्ु ऊजाण संयि
ं ों से दकया
जाता िै। इन संयंिों में 19 PHWR, 2 बॉइसिंग
िाटर ररएक्टर (BWR) और 2 प्रेशराइज्ि िाटर
ररएक्टर (PWRs) शावमि िैं।
o िाि िी में, काकरापार परमार्ु ऊजाण संयंि
में िो स्ििेशी रूप से विजाइन दकए गए 700
मेगािाट के PHWR शावमि दकए गए िैं।
• िेश में कु ि विद्युत उ्पािन में परमार्ु ऊजाण की
विस्सेिारी 2022-23 में िगभग 2.8% थी।
• िक्ष्य: भारत का िक्ष्य 2030 तक परमार्ु ऊजाण
द्वारा वबजिी उ्पािन िमता को तीन गुना करना
िै।
• अन्द्य प्रमुख पििें:
o भारत स्मॉि मॉड्यूिर ररएक्टसण (SMR) का
विकास करने की दिशा में किम बढा रिा िै।
o SMR, एििांस परमार्ु ररएक्टसण िोते िैं
वजनकी प्रवत ररएक्टर विद्युत उ्पािन िमता
300 मेगािाट तक िोती िै।
o बडे परमार्ु संयंिों की तुिना में SMRs की
िागत और वनमाणर् में िगने िािा समय कम
िै। इनकी वनमाणर् प्रदिया सरि िोती िै और
ये अवधक सुरवित भी िोते िैं।
• भारत में क्िोज्ि फ्यूि साइकि प्रर्ािी को
अपनाया गया िै। इसका उद्देश्य उपयोग दकए गए
ईंधन को पुनः प्रसंस्कृ त करके यूरेवनयम और प्िूटोवनयम को प्राप्त करना एिं इसे ररसाइदकि करके पुनः ईंधन के रूप में ररएक्टर में उपयोग करना िै। इसके
चिते परमार्ु अपवशष्ट की मािा में कमी आती िै।
प्रौद्योवगकी विभाग ने 2020 में इसकी शुरुआत की थी। (CSIR) ने इसका वित्त पोषर् दकया था।
• ग्िोबि अिायंस फॉर जीनोवमक्स एंि िेल्थ
o भारत ने 2009 में अपने पििे पूर्ण मानि जीनोम की घोषर्ा की थी।
(GA4GH): इसे 2013 में गरठत दकया गया था। यि
• उद्देश्य: इस पररयोजना का उद्देश्य पूरे भारत में अिग-अिग िेिों के नागररकों से
एक गैर-िाभकारी गठबंधन िै। यि मानिावधकार
10,000 आनुिंवशक नमूने एकि करना तथा भारतीय नागररकों के विए एक रे फरें स
फ्रेमिकण के िायरे में रिकर जीनोवमक िेटा के उपयोग
जीनोम तैयार करना था। का विस्तार करने के विए मानक वनधाणररत करता िै।
o मानि जीनोम रे फरें स अनुिम मानि जीनोम अनुिम का एक स्िीकृ त िेटाबेस
िोता िै। इसे कई िोगों के DNA के संयोजन (Combination) से तैयार दकया जाता िै।
• पररयोजना/ वमशन के बारे में:
o इस वमशन में बेंगिुरु के सेंटर फॉर ब्रेन ररसचण के नेतृ्ि में 20 राष्ट्रीय संस्थानों के शोधकताण ने भाग विया था।
o तैयार दकए गए इस िेटासेट को फरीिाबाि में वस्थत इं वियन बायोिॉवजकि िेटा सेंटर में भंिाररत दकया जाएगा।
o यि मानि जीनोम पररयोजना (HGP) से प्रेररत थी। यि शोध का ऐसा पििा अंतराणष्ट्रीय प्रयास था, वजसे पूरे मानि जीनोम के DNA अनुिम
को वनधाणररत करने के विए दकया गया था।
▪ मानि जीनोम प्रोजेक्ट को 1990 में शुरू दकया गया था, जो 2003 में पूर्ण हुआ था। इसमें कु ि मानि जीनोम अनुिम का 92% विस्सा
किर दकया गया था।
▪ इस पररयोजना को ‘इं टरनेशनि ह्यूमन जीनोम सीक्वेंससंग कं सोर्टणयम’
के नेतृ्ि में पूरा दकया गया था। इसमें छि िेशों- फ्रांस, जमणनी,
जापान, चीन, U.K. और USA के 20 संस्थानों के िैज्ञावनक शावमि
थे।
o यि जीनोम अनुिमर् के अन्द्य िाभों के अिािा, भारत की विविधतापूर्ण
आबािी का एक िेटाबेस भी तैयार करे गा।
• वनष्पि प्रवतस्पधाण सुवनवश्चत करने और वितधारकों का विश्वास बनाए रखने के विए स्पष्ट वनयम वनधाणररत दकए जाने चाविए।
• जीनोवमक ररसचण के वित्त पोषर् को प्राथवमकता िेने के साथ-साथ कें द्रीकृ त अनुिमर् सुविधाएं स्थावपत की जानी चाविए।
• शोधकताणओं के विए प्रयोगा्मक और कम्प्यूटेशनि िोनों स्तरों पर उन्नत प्रवशिर् कायणिम विकवसत दकए जाने चाविए।
• विज्ञान से जुडे प्रकाशकों तथा ओपन एक्सेस प्रकाशन मॉिि की मिि से निीनीकृ त जीनोवमक िेटा तक बेितर पहुंच सुवनवश्चत की जानी चाविए।
• अिसंरचना संबध
ं ी आिश्यकता को कम करने के विए आधुवनक अनुिमर् प्रौद्योवगदकयों का उपयोग दकया जाना चाविए।
• िेटा के िुरुपयोग को रोकने और प्रौद्योवगदकयों का नैवतक उपयोग सुवनवश्चत करने के विए सिोत्तम प्रथाओं का पािन करना चाविए, जैसे- संयक्त
ु
राज्य अमेररका का जेनेरटक इं फॉमेशन नॉन-विवस्िवमनेशन एक्ट।
• पररभाषा: यि एक ऐसी तकनीक िै वजसमें बीमारी या विकार का इिाज, बचाि या इन्द्िें ठीक करने के विए जीन (एक या कई) का इस्तेमाि दकया
जाता िै।
o ज्यािातर जीन थेरेपी में, बीमारी पैिा करने िािे असामान्द्य जीन के प्रभाि को कम करने के विए एक सामान्द्य जीन को शरीर के DNA में
िािा जाता िै। इससे िवित कोवशका को िोबारा स्िस्थ बनाया जा सकता िै।
नोटः जैि प्रौद्योवगकी विभाग (DBT) और ICMR ने जीन थेरेपी उ्पाि (GTP) विकास और नैिावनक परीिर्ों के विए राष्ट्रीय दिशा-वनिेश (2019) जारी
दकए िैं। ये दिशा-वनिेश भारत में जीन थेरेपी उ्पािों (GTP)207 पर नैिावनक परीिर् करने के विए नैवतक, िैज्ञावनक, विवनयामकीय प्रदियाओं को व्यापक
रूप से वनधाणररत करते िैं।
• जमणिाइन जीन थेरेपी: जमणिाइन जीन थेरेपी के तित जमणिाइन सेि या प्रजनन कोवशकाओं (अंिार्ु या शुिार्ु) में कायाण्मक जीन इं जेक्ट करके
इन्द्िें संशोवधत दकया जाता िै। ये बाि में जीनोम में एकीकृ त िो जाते िैं।
• सोमेरटक सेि जीन थेरेपी: इसमें वचदक्सीय रूप से संशोवधत जीन को रोगी की सोमैरटक सेि या कावयक कोवशकाओं (जमणिाइन कोवशकाओं के
अिािा अन्द्य कोवशकाओं) में स्थानांतररत दकया जाता िै। दकसी भी प्रकार का संशोधन और उसका कोई भी प्रभाि के िि उस रोगी तक िी सीवमत
रिता िै। यि संशोवधत जीन भािी पीढी में स्थानांतररत निीं िोता िै।
• कैं सर एक ऐसी बीमारी िै वजसमें शरीर में कोवशकाएं अवनयंवित रूप से बढने • उच्च जोवखम िािे HPV के 12 प्रकार िैं। इनमें से िो (HPV 16
िगती िैं। जब कैं सर का विकास ग्रीिा/ सर्िणक्स (Cervix) में शुरू िोता िै, तो और HPV 18) के कारर् अवधकांश HPV कैं सर उ्पन्न िोते िैं।
• HPV एक सामान्द्य यौन संचाररत संिमर्208 िै, जो ्िचा, जननांग और गिे को प्रभावित कर सकता िै।
• ज्यािातर मामिों में शरीर की रोग प्रवतरोधक िमता HPV को शरीर से बािर वनकाि िेती िै।
• उच्च जोवखम िािे HPV से बार-बार संिमर् की वस्थवत में असामान्द्य कोवशकाएं विकवसत िो सकती िैं, जो बाि में कैं सर में बिि सकती िै।
o ितणमान में HPV से िोने िािे संिमर् का कोई इिाज निीं िै।
• िुवनया भर में HPV के 6 टीके उपिब्ध िैं। सभी टीके उच्च जोवखम िािे HPV 16
और HPV 18 से सुरिा प्रिान करते िैं। गौरतिब िै दक HPV 16 और HPV 18
के कारर् िी अवधकांश सिाणइकि कैं सर उ्पन्न िोते िैं।
• सभी िडदकयों को 9-14 साि की उम्र में HPV का टीका (1 या 2 खुराक)
िगिाना चाविए।
• 30 साि की उम्र (HIV से पीवडत मवििाओं में 25 साि) के बाि िर 5-10 साि में स्िीसनंग की जानी चाविए। इससे सिाणइकि रोग का पता िगाया
जा सकता िै। इसके इिाज से सिाणइकि कैं सर भी रोका जा सकता िै।
• जल्ि पता िगाना और उसके बाि उवचत इिाज जरूरी: HPV िायरस का कोई इिाज निीं िै। िािांदक, इसके कारर् िोने िािी स्िास्थ्य समस्याओं,
जैस-े सिाणइकि कैं सर के उपचार मौजूि िैं।
• SMCs समुद्र के ति पर वबछाई गई फाइबर ऑवप्टक के बि िैं जो िुवनया भर के िेशों को इं टरनेट और िूरसंचार सेिाएं प्रिान करने के विए जोडती
िैं।
• इन्द्िें विशेष रूप से इसी उद्देश्य के विए तैयार की गई जिाजों का उपयोग करके वबछाया जाता िै।
• भारत में 17 अंतराणष्ट्रीय SMCs िैं, जो समुद्र तट के पास 5 शिरों में 14 के बि िैंसिंग स्टेशनों (CLS) तक पहुंचती िैं।
• मुब
ं ई और चेन्नई में SMCs की अवधकतम संख्या िै।
• भारत में घरे िू सबमरीन के बि भी िैं, जैस:े
o चेन्नई-अंिमान और वनकोबार द्वीप समूि के बि (CANI) पोटण ब्िेयर को अंिमान और वनकोबार के सात अन्द्य द्वीपों के साथ जोडता िै।
o कोवच्च-ििद्वीप द्वीप (KLI) के बि प्रर्ािी: यि कोवच्च और ििद्वीप के 11 द्वीपों के बीच सीधे संचार सिंक स्थावपत करता िै।
• विवनयमन: िूरसंचार विभाग (DoT) इं टरनेशनि िॉन्द्ग विस्टेंस (ILD) िाइसेंस जारी करता िै।
o DoT की पूिण स्िीकृ वत से ILD िाइसेंसधाररयों को अपना CLS स्थावपत करने और भारत में सबमरीन के बि वबछाने के विए प्रावधकृ त दकया
जाता िै।
o यूवनफाइि िाइसेंस के तित िाइसेंस प्राप्त कर चुके इं टरनेट सेिा प्रिाता209 को भी पनिु ब्बी के बि के जररए इं टरनेशनि इं टरनेट गेटिे स्थावपत
करने, संचावित करने और चािू करने की अनुमवत िोती िै।
7.7. उपग्रि आधाररत टोि सं ग्र िर् प्रर्ािी (Satellite-Based Toll Collection System)
सुर्खणयों में क्यों ?
भारत सरकार राष्ट्रीय राजमागों पर ग्िोबि
नेविगेशन सैटेिाइट वसस्टम (GNSS) पर आधाररत
इिेक्िॉवनक टोि किेक्शन (ETC) प्रर्ािी का
पायिट-टेस्ट करने की योजना बना रिी िै।
• कायणप्रर्ािी: यि दकसी िािन की वस्थवत को िैक करने और तय की गई िूरी के आधार पर टोि एकि करने के विए उपग्रि-आधाररत इमेसजंग का
उपयोग करता िै।
• मुख्य घटक:
o ऑनिाइन बोिण यूवनट (OBU): िािनों द्वारा राजमागों पर तय की गई िूरी को मापने के विए एिं टोि की गर्ना करने के विए िािन में
GNSS-आधाररत वििाइस िगाया जाता िै।
o ऑटोमेरटक नंबर प्िेट रीिर (ANPR) कै मरे : इन कै मरों को िािनों की नंबर प्िेट को पिचानने और टोि के पैसे काटने के विए राजमागों पर
िगाया जाएगा।
▪ ANPR एक ऐसी तकनीक िै, जो िािन के रवजस्िेशन नंबर को पिचानने के विए रवजस्िेशन प्िेट की इमेज पर ऑवप्टकि कै रे क्टर
ररकवग्नशन का उपयोग करती िै। इससे िािन की िोके शन का भी पता चि जाता िै।
• िाभ:
o यि राजमागण पर टोि बूथ/ प्िाजा बनाने की जरूरत को कम करता िै।
o इससे िैदफक जाम कम िोता िै।
o यि टोि िसूिी की प्रभािशीिता को बढाता िै।
• चुनौवतयां:
o वसग्नि में व्यिधान या गित रीसिंग;
o गोपनीयता संबंधी वचताएं;
तकनीक ‘रे वियो फ्रीक्वेंसी आइिेंरटदफके शन’ (RFID) सैटेिाइट-बेस्ि इमेसजंग और ऑटोमेरटक नंबर प्िेट रीिर
(ANPR) कै मरे
िािनों के विए आिश्यक आिश्यक फास्टैग (RFID टैग) सिंिस्िीन पर वचपकाया जाता िै GNSS कनेवक्टविटी के साथ OBU
उपकरर्
टोि टैक्स की गर्ना टोि की िरें पििे से िी वनधाणररत िोती िैं राजमागण पर तय की गई िास्तविक िूरी के विसाब से
टोि का भुगतान िोगा
टोि प्िाजा की आिश्यकता FASTag को स्कै न करने के विए राजमागण पर टोि इसकी जरूरत निीं िोती िै
प्िाजा का िोना आिश्यक िै
7.8. मल्टीपि इं विपें िें ट िी टारगे टे ब ि री-एं िी व्िीकि (MIRV) तकनीक {Multiple
Independently Targetable Re-Entry Vehicle (MIRV) Technology}
सुर्खणयों में क्यों?
िाि िी में, DRDO211 ने मल्टीपि इं विपेंिेंटिी टारगेटेबि री-एंिी व्िीकि (MIRV) तकनीक
से िैस अवग्न-5 वमसाइि का सफितापूिणक फ्िाइट टेस्ट दकया िै। इस संपूर्ण टेस्ट ऑपरे शन को
‘वमशन दिव्यास्त्र’ (Mission Divyastra) नाम दिया गया िै।
• उ्पवत्त: यि तकनीक मूि रूप से 1960 के िशक की शुरुआत में विकवसत हुई थी। इस
तकनीक के जररए एक िी वमसाइि कई परमार्ु िवथयारों को िे जा सकती थी। इन
परमार्ु िवथयार को अिग-अिग िक्ष्यों पर िागा जा सकता था।
o इस तकनीक के जररए वमसाइि से अिग-अिग गवत के साथ अिग-अिग दिशाओं
में िवथयार िागे जा सकते िैं।
• पििा िेश: संयक्त
ु राज्य अमेररका MIRV तकनीक विकवसत करने िािा पििा िेश था।
o यि तकनीक रूस, यूनाइटेि ककं गिम, फ्रांस और चीन के पास भी िै।
o पादकस्तान ने 2017 में कवथत तौर पर MIRV तकनीक से िैस अबाबीि नामक एक
वमसाइि का परीिर् दकया था।
• MIRVs को जमीन से या पनिु ब्बी के जररए समुद्र से भी िॉन्द्च दकया जा सकता िै।
o िुश्मन की नजर में आने से बचने के विए इन वमसाइिों को स्थि की बजाए
पनिु वब्बयों से िागना बेितर विकल्प िोता िै। ऐसा इसविए िै क्योंदक ऐसी
वमसाइिों को िागने िािी परमार्ु पनिु वब्बयों का पता िगा पाना काफी मुवश्कि िोता िै।
वनष्कषण
इस संिभण में, भारत को िैवश्वक वनरस्त्रीकरर् के प्रवत अपनी प्रवतबद्धता को ध्यान में रखते हुए
तकनीकी प्रगवत, िेिीय ताकतों से जुडे घटनिमों और अंतराणष्ट्रीय धारर्ाओं के बीच नाजुक
संतुिन बनाना चाविए। अब चूंदक भारत के पास भी MIRV तकनीक िै, ऐसे में भारत के विए यि और भी जरूरी िो जाता िै िि रर्नीवतक िूरिर्शणता,
कू टनीवतक कौशि और एक वस्थर एिं सुरवित िैवश्वक व्यिस्था बनाए रखने के प्रवत िृढ प्रवतबद्धता को बनाए रखे।
अवग्न-5 वमसाइि
• इसके बारे में: यि DRDO द्वारा स्ििेशी रूप से विकवसत सति से सति पर मार करने िािी बैविवस्टक वमसाइि िै।
o बैविवस्टक वमसाइि, प्रोजेक्टाइि मोशन के जररए िवथयार को िक्ष्य तक पहुंचाती िै।
• रें ज: अ्यवधक सटीकता के साथ 5,000 दक.मी. से अवधक िूरी तक मारक िमता।
• ईंधन: इसमें ठोस ईंधन युक्त तीन चरर्ों िािे इं जन का उपयोग दकया जाता िै।
• इसे एकीकृ त वनिेवशत वमसाइि विकास कायणिम (IGMDP)212 के तित विकवसत दकया गया िै।
• िॉ. ए.पी.जे. अब्िुि किाम की अध्यिता में IGMDP को 1983 में आरं भ दकया गया था। इसका उद्देश्य भारत को वमसाइि प्रौद्योवगकी के िेि में
आ्मवनभणर बनाना था।
o IGMDP के तित विकवसत की गई वमसाइिें:
▪ पृथ्िी: यि कम िूरी की सति-से-सति पर मार करने िािी बैविवस्टक वमसाइि िै।
▪ अवग्न: यि मध्यम िूरी की सति-से-सति पर मार करने िािी बैविवस्टक वमसाइि िै।
▪ विशूि: यि कम िूरी की सति से ििा में मार करने िािी वमसाइि िै। इसे कम ऊंचाई के िक्ष्यों पर िार करने िेतु उपयोग में िाया जाता िै।
▪ आकाश: यि मध्यम िूरी की सति-से-ििा में मार करने िािी वमसाइि िै।
▪ नाग: यि तीसरी पीढी की एंटी टैंक वमसाइि िै।
7.9.3. तीन मि्िपू र्ण अं त ररि अिसं र चना इं टीग्रेटेि इं जन एंि स्टेज टेस्ट फ़ै वसविटी’ स्थावपत की जा रिी
िै। यि फ़ै वसविटी सेमी-िायोजेवनक इं जन और चरर्ों के
पररयोजनाओं का उद्घाटन दकया गया (Three
विकास को सिम करे गी। इससे ितणमान प्रिेपर् यानों की
Space Infrastructure Projects पेिोि िमता में िृवद्ध िोगी।
Inaugurated in Kerala) ▪ यि फ़ै वसविटी 200 टन तक के थ्रस्ट िािे इं जनों का
• प्रधान मंिी ने अपनी वतरुिनंतपुरम (के रि) की यािा के िौरान परीिर् करने के विए तरि ऑक्सीजन और के रोवसन
आपूर्तण प्रर्ावियों से सुसवित िै।
वििम साराभाई अंतररि कें द्र (VSSC) का भी िौरा दकया। ििां
o िायुमंििीय उडान के िौरान रॉके ट और विमानों के गुर्ों के
उन्द्िोंने िेश के अंतररि िेिक में सुधार के विए कु छ पररयोजनाओं िगीकरर् के विए एयरोिायनेवमक टेसस्टंग के विए सिंि
का उद्घाटन दकया। टनल्स आिश्यक िैं। VSSC में वजस "िाइसोवनक सिंि टनि"
• ये तीन पररयोजनाएं वनम्नविवखत िैं: का उद्घाटन दकया गया िै, िि एक जरटि तकनीकी प्रर्ािी
o सतीश धिन अंतररि कें द्र, श्रीिररकोटा में PSLV एकीकरर् िै।
• प्रधान मंिी ने भारत के पििे मानि अंतररि उडान वमशन
सुविधा (PIF) स्थावपत की जाएगी। इससे प्रवतिषण 15 ध्रुिीय
गगनयान वमशन की प्रगवत की भी समीिा की। उन्द्िोंने चार
उपग्रि प्रिेपर् यान (PSLV) िॉन्द्च दकए जा सकें गे। अभी नावमत अंतररि यावियों को 'एस्िोनॉट सिंग्स' प्रिान दकए,
एक िषण में छि PSLV िॉन्द्च दकए जाते िैं। जो विश्वास, सािस और अनुशासन के प्रतीक िैं।
▪ इस अ्याधुवनक सुविधा से SSLV और वनजी अंतररि
7.9.4. कु िशे ख रपरिनम स्पे स पोटण
कं पवनयों द्वारा विजाइन दकए गए अन्द्य छोटे प्रिेपर्
{Kulasekarapattinam Spaceport (KS)}
यानों को भी प्रिेवपत दकया जा सकता िै।
▪ PSLV चार चरर् िािा प्रिेपर् यान िै। यि उपग्रिों • िाि िी में, प्रधान मंिी ने तवमिनािु के तूत्तक्
ु कु वि में
को भू-तुल्यकाविक (Geosynchronous) और भू- कु िशेखरपरिनम स्पेसपोटण की आधारवशिा रखी िै।
• कु िशेखरपरिनम स्पेसपोटण के बारे में
भेजा जाएगा। इस वमशन की अिवध 3 दिन िोगी। o अ्यंत कम आभा िािी आकाशगंगाओं का अध्ययन करना,
• िाभ: जो री-आयोनाइजेशन के विए वजम्मेिार थी।
o यि ऐप एस्िोनॉट्स के स्िास्थ्य की वनगरानी करे गा। साथ िी, 7.9.8. गर्भण नी-GA2 (Garbhini-GA2)
उनके ब्िि प्रेशर, हृिय गवत आदि के बारे में जानकारी प्रिान
करे गा। • इसे िांसिेशनि िेल्थ साइं स एंि टेक्नोिॉजी इं स्टीट्यूट (THSTI)
o यि ऐप चािक िि को ऑनबोिण (यान पर िगे) कम्प्यूटसण और IIT मद्रास के शोधकताणओं ने विकवसत दकया िै।
और ग्राउं ि-बेस्ि स्टेशंस से कनेक्ट करके वनबाणध संचार सिंक o यि िूसरी और तीसरी वतमािी में गभणिती मवििा में भ्रूर् की
स्थावपत करे गा। सटीक रूप से आयु वनधाणररत करने के विए भारत-विवशष्ट
o यि आिाज ररकॉिण करने, टेक्स्ट और इमेज सवित कई फॉमेट मॉिि िै।
में वमशन पर िॉग बनाए रखने में मिि करे गा। • गर्भणनी-GA2 गर्भणनी/ GARBH-Ini यानी "इं टरविवसवप्िनरी
7.9.6. स्टे रटयो वशि शवक्त (Statio Shiv Shakti) ग्रुप फॉर एििांस्ि ररसचण ऑन बथण आउटकम-DBT इं विया
इवनवशएरटि" का विस्सा िै।
• इं टरनेशनि एस्िोनॉवमकि यूवनयन (IAU) ने चंद्रयान-3 के वििम
• गभण-इनी या गर्भणर्ी (Garbh-Ini) कायणिम के बारे में
िैंिर के िैंसिंग साइट के विए “स्टेरटयो वशि शवक्त” नाम को
o यि 2015 में शुरू दकया गया गभणिती मवििाओं का एक
मंजूरी प्रिान की िै।
समूि-अध्ययन िै।
• इस नाम को ग्रिों के नामकरर् के गजेरटयर में शावमि कर विया
गया िै। यि गजेरटयर उन ग्रिों के नामों का िस्तािेजीकरर् करता o उद्देश्य: नैिावनक, मिामारी विज्ञान संबंधी ि जीनोवमक
िै वजन्द्िें IAU ने अनुमोदित दकया िै। एल्गोररिम की पिचान करना और समय से पििे (प्रीटमण)
�रवीजन
�स�वल सेवा परी�ा क� तैयारी करने वाले अ��थ� य� क� पृ�भू�म, आयु, व�क�ग शे�ूल और पा�रवा�रक �ज�ेदा�रयां अलग-अलग होती ह�।
इसे �ान म� रखते हुए हमने समसाम�यक�: त्रैमा�सक �रवीजन डॉ�ूम�ट को तैयार �कया है। इससे उन अ��थ� य� को तैयारी म� काफ� सहायता
�मले गी, �जनका शे�ूल अ�धक �� होता है, �ज�� मा�सक समसाम�यक� मैगजीन को पढ़ने व �रवीजन करने के �लए कम समय �मलता है और
�सले बस के बारे म� बु�नयादी एवं थोड़ी बहुत समझ होती है।
त्रैमा�सक �रवीजन डॉ�ूम�ट को काफ� सावधानीपूवर्क और बारीक� से तैयार �कया गया है। इससे आपको �स�वल
सेवा परी�ा क� तैयारी के �लए आव�क ल�न� ग एवं �रवीजन के �लए मजबूत आधार �मले गा।
इस डॉ�ूम�ट म� हमने �वगत तीन माह क� मा�सक समसाम�यक� मैगजीन से सभी मह�पूणर् आ�ट�क� को कवर
�कया है। इससे मह�पूणर् टॉ�प� का �रवीजन करने के �लए आपको एक समग्र और सटीक �रसोसर् �मले गा।
सं��� पृ�भू�म: प्र�ेक आ�ट�कल से �व�े षण और मह�पूणर् त�: इससे आपको �� एवं सं��� जानकारी: इसम�
संबं�धत एक सं��� पृ�भू�म दी गई है, मह�पूणर् नज़�रए और अलग-अलग पहलु ओ ं इ�ॉम�शन को सु�व��त तरीके से
�जससे आपको संबं�धत आ�ट�कल को से जुड़ी जानकारी तथा त�� के बारे म� पता प्र�ुत �कया गया है, �जससे ��क और
समझने और उसका �व�े षण करने के चले गा। इफे��व �रवीजन म� मदद �मले गी।
�लए एक मजबूत आधार �मले गा।
हम� पूरी उ�ीद है �क यह त्रैमा�सक �रवीजन डॉ�ूम�ट समसाम�यक� घटनाक्रम� के �लए काफ� फायदेमंद होगा। PT 365 और
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8. सं स्कृ वत (Culture)
8.1. िवचत बोरफु कन (Lachit Borphukan)
सुर्खणयों में क्यों?
िाि िी में, प्रधान मंिी ने असम के जोरिाट में िवचत बोरफु कन की 125 फु ट ऊंची कांस्य प्रवतमा “स्टैच्यू ऑफ
िेिर” (िीरता की प्रवतमा) का अनािरर् दकया। िवचत बोरफु कन, अिोम साम्राज्य की शािी सेना के प्रवसद्ध
सेनापवत थे।
• जन्द्म स्थान: उनका जन्द्म असम के चराइिेि वजिे में हुआ था।
• माता: उनकी माता का नाम कुं ती मोरन था।
• वपता: उनके वपता का नाम मोमाई तमुिी बोरबरुआ था।
o उनके वपता अिोम साम्राज्य के प्रथम बोरबरुआ (सैन्द्य और न्द्यावयक प्रमुख) थे।
o उन्द्िोंने अिोम सेना के बरफु कन (सेनापवत) के रूप में, मुगि बािशाि जिांगीर
और शािजिां की सेनाओं के वखिाफ अिम्य सािस के साथ िडाई िडी।
o िे पाइक प्रथा के संस्थापक भी थे। पाइक प्रथा अिोम साम्राज्य में जबरन श्रम
यानी बेगार की एक प्रथा थी।
• कबीिा: अिोम समुिाय में कई कबीिे/ कु ि थे। िवचत बोरफु कन िुखरु ाखुन कबीिे
से थे।
• सेनापवत के रूप में भूवमका: राजा स्िगणिि
े चिध्िज ससंि ने िवचत बोरफु कन को
सेनापवत वनयुक्त दकया था।
o सेनापवत के रूप में िवचत बोरफु कन ने सराईघाट के युद्ध में अिोम सेना का
नेतृ्ि दकया था और इस युद्ध में विजय प्राप्त की।
• पृष्ठभूवम:
o 1662 में, मीर जुमिा के नेतृ्ि में मुगि बािशाि औरं गजेब की सेना ने अिोम
साम्राज्य को परावजत दकया और इसे कर-आधाररत सूबा में शावमि कर विया।
o 1669 में, राम ससंि के नेतृ्ि िािी मुगि सेना ने अिाबोई के युद्ध में
गुिािाटी पर अवधकार कर विया था।
• युद्ध मैिान: यि युद्ध ितणमान भारतीय राज्य असम के गुिािाटी शिर के वनकट
सराईघाट में ब्रह्मपुि निी के तट पर िडा गया था।
• युद्ध में शावमि पि: यि युद्ध काफी िि तक एक नौसैवनक युद्ध था। अिोम सेना का
नेतृ्ि िवचत बोरफु कन ने दकया था, जबदक मुगि सेना की कमान सेनापवत राम
ससंि ने संभािी थी।
• युद्ध का पररर्ाम: िवचत बोरफु कन के नेतृ्ि में अिोम सेना ने अपने से बडी मुगि
सेना को वनर्ाणयक रूप से परावजत दकया। इस तरि उन्द्िोंने अिोम साम्राज्य पर
कब्ज़ा करने के मुगिों के मंसूबे पर पानी फे र दिया।
• युद्ध का मित्त्ि: इस युद्ध ने मुगिों को असम और मौजूिा पूिोत्तर भारत के शेष िेिों
की ओर बढने से रोक दिया।
समाज • कबीिा: अिोम समाज, कु िों/ कबीिों में विभावजत था, वजन्द्िें “खेि” किा जाता था। एक खेि के वनयंिर् में प्रायः कई गांि
िोते थे।
o दकसान को अपने ग्राम समुिाय द्वारा जमीन िी जाती थी। समुिाय की सिमवत के बगैर राजा इसे िापस निीं िे सकता
था।
▪ अिोम राज्य में एक जनगर्ना की गई थी। जनगर्ना के बाि सघन आबािी िािे इिाकों से कम आबािी िािे
इिाकों में िोगों को स्थानांतररत कर दिया गया। इस प्रकार अिोम कु ि टू ट गए।
राजनीवतक विशेषताएं • पुरानी राजनीवतक-व्यिस्था की समावप्त: अिोम ने भुइयां (भू-स्िामी) िोगों की पुरानी राजनीवतक व्यिस्था को समाप्त करके
नए राज्य की स्थापना की।
• जबरन श्रम प्रर्ािी- पाइक: अिोम राज्य बेगार पर वनभणर था। राज्य के विए वजन िोगों से जबरन काम विया जाता था, िे
पाइक कििाते थे।
o अिोम साम्राज्य में एक जनगर्ना की गई। इसके अनुसार, प्र्येक गांि को अपनी बारी आने पर वनवश्चत संख्या में पाइक
भेजने िोते थे।
प्रशासन • कें द्रीकृ त प्रशासन: सिििीं शताब्िी का पूिाणद्धण के पूरा िोते-िोते अवधकांश प्रशासन कें द्रीकृ त िो चुका था।
• मंविपररषि:
o राजा की सिायता के विए एक मंविपररषि थी। इसे पाि मंिी के नाम से जाना जाता था।
o सबसे प्रमुख पाि मंिी मिान गोिेन (बुरागोिेन, बोरगोिेन और बरपािागोिेन) थे।
• मि्िपूर्ण पिावधकारी: बोरबरुआ (सैन्द्य और न्द्यावयक प्रमुख) और बोरफु कन (सेनापवत और नागररक प्रमुख)
o बोरफु कन का पि िायसराय के समान था।
अथणव्यिस्था • कारीगर: अिोम साम्राज्य में कारीगरों की बहुत कम जावतयां थी। इसविए, अिोम िेि में कारीगर वनकटिती िेिों से आए थे।
• नई कृ वष पद्धवतयां: अिोम िोगों ने धान की खेती की नई विवध भी शुरू की।
सैन्द्य रर्नीवत • अवनिायण सैन्द्य सेिा: िगभग सभी ियस्क पुरुष युद्ध के िौरान सेना में शावमि िोते थे।
• सैन्द्य रर्नीवत:
o शिुओं की गवतविवधयों पर नज़र रखने के विए जासूसों की वनयुवक्त की जाती थी। इसके अिािा, गुररल्िा युद्ध रर्नीवत
भी अपनाई जाती थी।
धमण • शुरुआत में अिोम िोग, अपने जनजातीय िेिताओं की उपासना करते थे। िािांदक, वसब ससंि (1714-1744) के शासनकाि में
सिंिू धमण ििां का प्रमुख धमण बन गया था।
शिाधान की पद्धवत • शिाधान पद्धवत के बारे में: चराइिेि मैिाम या मोइिम्स टीिेनुमा संरचनाएं िोती थीं। इनमें अिोम राजपररिार के सिस्यों को
(चराइिेि मैिाम या िफनाया जाता था। ये टीिे पटकाई पिणत श्रृखं िा की तििटी में पाए गए िैं।
मोइिम्स) • िवचत मैिाम: इसमें िवचत बोरफु कन को िफनाया गया था। इस मैिाम का वनमाणर् 1772 में स्िगणिि
े उियादि्य ससंि ने
जोरिाट के पास हुिुंगापारा में करिाया था।
• िैवश्वक मान्द्यता:
o चराइिेि मैिाम या मोइिम्स को आमतौर पर असम के वपरावमि के नाम से जाना जाता िै।
o ये यूनस्े को की विश्व धरोिर की अस्थायी सूची में शावमि िैं।
किा और संस्कृ वत • कारीगर: कवियों और विद्वानों को अनुिान के रूप में भूवम िी जाती थी।
• बुरंजी: यि असवमया भाषा में विखी हुईं ऐवतिावसक कृ वतयााँ िैं। अिोम राज्य सभा के पुरात्ि िेखों का संकिन बुरंजी में हुआ
िै।
o इनकी रचना शुरुआत में ताई-अिोम भाषा में की गई थी, िेदकन बाि में अिोम िोगों के सिंिू धमण में धमाणन्द्तररत िोने के
बाि इन्द्िें असवमया भाषा में विखा गया।
• संस्कृ त की पुस्तकों का अनुिाि: संस्कृ त की कई मि्िपूर्ण रचनाओं का स्थानीय भाषा में अनुिाि दकया गया।
शासन का अंत • अिोम राजिंश का शासन असम पर बमी आिमर् और दफर याण्िबू की संवध (1826) के बाि वब्ररटश ईस्ट इं विया कं पनी द्वारा
अवधकार कर िेने के साथ िी समाप्त िो गया।
• यि तेिग
ं ाना के जयशंकर भूपािपल्िी वजिे में वस्थत िै। यि स्थि विमािय पिणत श्रेवर्यों से भी पुराना िै।
• इसकी खोज िषण 1990 में हुई थी।
8.3.1. 10 नए उ्पािों को GI टै ग वमिा (GI Tag 8.3.2. मध्य प्रिे श के छि सां स्कृ वतक धरोिर स्थि
For 10 New Products)
यू ने स्को की अस्थायी सू ची में शावमि दकए गए (Six
• सरकार ने वनम्नविवखत िस उ्पािों के विए भौगोविक संकेतक Heritage Sites of Madhya Pradesh
(GI) टैग की घोषर्ा की: Included in Unesco’s Tentative List)
• माजुिी मास्क और माजुिी पांिुविवप वचिकिा भोजेश्वर मिािेि मंदिर, • यि भगिान वशि का मंदिर िै। इसका
असम
भोजपुर वनमाणर् 11िीं शताब्िी में राजा भोज के
विपुरा • ररसा िस्त्र शासनकाि में कराया गया था।
• यि मंदिर भूवमजा शैिी में वनर्मणत िै।
तेिग
ं ाना • िैिराबाि की िाख चूवडयां o भूवमजा शैिी नागर शैिी का एक
विकवसत रूप िै। इस शैिी का
गुजरात • कच्छ रोगन वशल्प
विकास परमार िंश के िौरान हुआ
• अम्बाजी सफे ि संगमरमर
था।
o इसका वनमाणर् तब िोता िै, जब चूना प्थर पृथ्िी
के िस्ट (भूपपणटी) के नीचे पुनः दिस्टिीकृ त िो रामनगर के गोंि स्मारक, • इन स्मारकों का वनमाणर् गोंि शासकों ने
जाता िै। मंििा कराया था। यिां वनर्मणत स्मारकों में
मोती मिि, रायभगत की कोठी, बेगम
• GI टैग का इस्तेमाि ऐसे उ्पािों पर दकया जाता िै, वजनकी एक
मिि आदि शावमि िैं।
विवशष्ट भौगोविक उ्पवत्त िोती िै। इसी उ्पवत्त के कारर् इन
उ्पािों में विवशष्ट गुर् या ख्यावत िोती िै। धमनार का ऐवतिावसक • यि एक रॉक-कट स्थि िै। यिां 51
• अंतराणष्ट्रीय स्तर पर मान्द्यता: स्थाप्य किा समूि
एकाश्म बौद्ध गुफाएं (5िीं-7िीं शताब्िी
o ‘औद्योवगक संपिा की सुरिा के विए पेररस कन्द्िश
ें न’ के तित
ईस्िी) और सिंिू मंदिर पररसर
GI को बौवद्धक संपिा अवधकार (IPR) के एक त्ि के रूप में (धमणराजेश्वर मंदिर) शावमि िैं।
शावमि दकया गया िै।
• दकसी धरोिर को यूनेस्को की विश्व धरोिर सूची में औपचाररक
o इसे विश्व व्यापार संगठन (WTO) के ‘बौवद्धक संपिा
रूप से शावमि दकए जाने से पििे “अस्थायी सूची में शावमि
अवधकार के व्यापार संबध
ं ी पििू (रिप्स/ TRIPS) समझौते’
दकया जाना” पििा किम िै।
के तित भी किर दकया गया िै।
8.3.3. अय्या िै कंु ि स्िामीकि (Ayya Vaikunda के विए दकया गया था, वजन्द्िें पििे उच्च जावत के कु ओं
Swamikal) का उपयोग करने से रोक दिया गया था।
o पुस्तकें : उन्द्िोंने अदकिा वथरुट्टू ; अरुिनूि;
अम्मानई जैसी पुस्तकों की रचना की।
नारायर् िीनानाथजी, िॉ. भाऊ िाजी और िािाभाई नौरोजी ▪ उन्द्िोंने शारिा (द्वारका), ज्योवतमणठ (बद्रीनाथ), गोिधणन
(पुरी) और श्रृग
ं रे ी (रामेश्वरम) नामक चार मठ स्थावपत
जैसी प्रवसद्ध िवस्तयों द्वारा की गई थी।
दकए थे।
o िि एवशयारटक सोसाइटी ऑफ मुब
ं ई के एक भारतीय सिस्य
भी थे।
▪ एवशयारटक सोसायटी की स्थापना 1804 में सर जेम्स
मैदकन्द्टोश ने की थी। इसका मुख्य उद्देश्य ओररएंटि
किा, विज्ञान और सावि्य की जांच और प्रो्सािन को
बढािा िेना िै।
• विरासत और प्रभाि:
o अथणशास्त्र के प्रवसद्ध विद्वान गंगाधर गािवगि ने उन्द्िें
"आधुवनक भारत का िास्तुकार" किा था।
o आर्थणक राष्ट्रिाि के उनके िृवष्टकोर् ने भारत की स्ितंिता
प्रावप्त में िािाभाई नौरोजी और जवस्टस रानािे जैसे स्ितंिता
सेनावनयों को प्रभावित दकया।
व्यवक्तगत, सामावजक और िैवश्वक स्तर पर खुशिािी के व्यापक घटकों को नजरअंिाज कर िेता िै।
उपयुणक्त विचार के संिभण में वनम्नविवखत प्रश्नों के उत्तर िीवजए:
• विकास के पारं पररक मापिंिों (उिािरर् के विए- GDP) तथा िास्तविक खुशिािी और समृवद्ध में योगिान िेने िािे बहुआयामी कारकों के बीच संभावित
संघषों का विश्लेषर् कीवजए।
• एक व्यापक ढांचे का प्रस्ताि कीवजए जो सभी के विए स्थायी खुशिािी को बढािा िेने की दिशा में िैवश्वक विकास के प्रयासों का मागणिशणन करने िेतु
आर्थणक, सामावजक, पयाणिरर्ीय और नैवतक विचारों को एकीकृ त करता िै।
9.2. बु वनयािी जरूरतें और िुिण भ सं साधन (Bare Necessities and Scarce Resources)
प्रस्तािना
िाि िी में, सुप्रीम कोटण ने सभी राज्यों और कें द्रशावसत प्रिेशों को राष्ट्रीय खाद्य सुरिा अवधवनयम (NFSA), 2013 के तित 80 वमवियन प्रिावसयों और
असंगरठत श्रवमकों को राशन कािण जारी करने का आिेश दिया। इसका कारर् यि िै दक उन्द्िें सरकारी खाद्यान्न का िािा करने के विए राशन कािण की
आिश्यकता िोती िै। यि खाद्यान्न उनकी बुवनयािी जरूरत का विस्सा माना जाता िै। िािांदक, कभी-कभी सरकारें संसाधनों की कमी के समय में
बुवनयािी ज़रूरतों को पूरा निीं कर पाती िैं, जो मानिता की सबसे बुवनयािी नैवतक िुविधाओं में से एक िै।
व्यवक्त और समुिाय • आिश्यक संसाधनों और सेिाओं के प्राप्तकताण। • संसाधनों की उपिब्धता में असमानता और अन्द्यायपूर्ण
• अच्छे स्िास्थ्य और कल्यार् के साथ जीिन की रिा। वितरर्।
• मानिावधकार और गररमा पूर्ण जीिन जीने में बाधा।
सरकार • बुवनयािी ज़रूरतों की पूर्तण िेतु नीवत वनमाणर्। • वनर्णय िेने में पारिर्शणता और जिाबिेिी का अभाि।
• संसाधन आिंटन को विवनयवमत करना। • राजकोषीय बाधाओं से वनपटना।
• आर्थणक िृवद्ध सुवनवश्चत करना और राष्ट्रीय िक्ष्यों की प्रावप्त का
प्रयास करना।
नागररक समाज • सिायता और प्र्यि राित प्रिाता। • बािरी फं सिंग पर वनभणरता और पूिाणग्रि की संभािना।
• सरकार और कॉपोरे ट जगत के कायों की वनगरानी। • िीघणकाविक विकास पर ध्यान कें दद्रत करने की बजाय त्काि
• बुवनयािी जरूरतों की पूर्तण में विद्यमान कमी को पूरा करना। जरूरतों को प्राथवमकता।
वनगम • संसाधनों के उपयोग और रोजगार के अिसरों पर प्रभाि। • संसाधनों का अ्यवधक संकेंद्रर् और अ्यवधक िोिन।
• कॉपोरे ट सामावजक उत्तरिावय्ि की पूर्तण करना। • पयाणिरर् को नुकसान।
बुवनयािी जरूरतें िे मूिभूत आिश्यकताएं िैं जो मानि अवस्त्ि और कल्यार् के विए आिश्यक िोती िैं। ये ज़रूरतें जीिन को बनाए रखने और यि
सुवनवश्चत करने के विए आिश्यक िैं दक व्यवक्त अपने िैवनक जीिन में कायण कर सके और आगे बढ सके ।
ये आिश्यकताएं सािणभौवमक रूप से पररभावषत निीं िैं तथा िेिीय, सामावजक, आर्थणक और राजनीवतक मतभेिों के कारर् वभन्न-वभन्न िैं। आर्थणक
सिेिर् 2020-21 में बेयर नेसवे सटीज़ इं िक्
े स (BNI) प्रस्तुत दकया था। इसमें पांच आयामों- जि, स्िच्छता, आिास, सूक्ष्म पररिेश और अन्द्य
सुविधाओं217 के आधार पर 26 संकेतकों का उपयोग दकया गया।
सरकार द्वारा बुवनयािी जरूरतों की पूर्तण के विए नैवतक िृवष्टकोर् कौन-से िैं?
• न्द्याय-आधाररत िृवष्टकोर्: िुिणभ संसाधनों का उवचत वितरर् सुवनवश्चत करना जो यथासंभि न्द्यायसंगत िो और शोषर् को कम करे ।
• उपयोवगतािाि: सीवमत संसाधनों से प्राप्त िाभों को अवधकतम करने का िक्ष्य रखते हुए, आिश्यकता और संभावित प्रभाि के आधार पर संसाधन आिंटन
को प्राथवमकता िी जाए।
• िमता िृवष्टकोर्: वशिा, स्िास्थ्य िेखभाि और अन्द्य आिश्यक सेिाओं तक पहुंचने के विए व्यवक्तयों की िमताओं में िृवद्ध को प्राथवमकता िेना चाविए
तथा उन्द्िें गरीबी और अभाि से उबरने के विए सशक्त बनाना चाविए।
• धमणशास्त्रीय िृवष्टकोर्: मानिावधकारों का सम्मान और उनकी सुरिा पर ध्यान िेना चाविए।
• अवधकार-आधाररत िृवष्टकोर्: यि बुवनयािी आिश्यकताओं को मौविक मानिावधकारों के रूप में मान्द्यता िेता िै। साथ िी, यि सरकारों और संस्थानों से
इन अवधकारों को पूरा करने के विए अपने िावय्िों को पूरा करने का आह्िान करता िै।
• िैवश्वक सािणजवनक िस्तुएं: कोविि-19 मिामारी, शरर्ाथी संकट, जििायु पररितणन आदि िैवश्वक समस्याओं ने िैवश्वक स्तर पर सािणजवनक िस्तुओं
की आिश्यकता को िशाणया िै।
• प्राथवमकता और कु शि आिंटन: उन प्रथाओं को प्रो्सावित दकया
जाना चाविए जो संसाधनों की बबाणिी को कम करती िैं, संधारर्ीय
िोती िैं और प्रकृ वत एिं मानिीय गवतविवधयों के बीच सामंजस्य
को बढािा िेती िैं।
o इसके अिािा, संसाधन आिंटन करते समय िावशए पर वस्थत
िोगों और कमजोर आबािी की जरूरतों पर ध्यान कें दद्रत
दकया जाना चाविए। गौरतिब िै दक गांधीजी के सिोिय की
पररकल्पना में भी यि विचार शावमि िै।
• बुवनयािी जरूरतों को पररभावषत करने के वसद्धांत: बुवनयािी
जरूरतों को पररभावषत करने के विए, बुवनयािी आिश्यकताओं के
मूि समूि की पिचान करने िेतु सािणजवनक िस्तुओं के प्रािधान के
वसद्धांत का उपयोग दकया जा सकता िै।
o नीिरिैंि सािणजवनक िस्तुओं को उपिब्ध करिाकर मूिभूत
आिश्यकताओं को पररभावषत करने का एक अच्छा उिािरर्
प्रिान करता िै। ये िस्तुएं सामावजक रूप से न्द्यायसंगत,
आर्थणक रूप से कु शि और िोकतांविक वसद्धांतों के अनुरूप िोनी चाविए।
• तकनीकी निाचार: संसाधन प्रबंधन में एििांस प्रौद्योवगकी को अपनाने से सीवमत संसाधनों के कु शि और प्रभािी उपयोग में मिि वमि सकती िै।
• संसाधनों का कन्द्िजेंस: संसाधनों के प्रभािी तरीके से प्रबंधन के विए सरकार के विवभन्न स्तरों, नागररक समाजों, उद्योगों के कॉपोरे ट सामावजक
उत्तरिावय्ि कोष और अंतराणष्ट्रीय संस्थानों के बीच सियोग की आिश्यकता िै।
9.3. धार्मण क विश्वास और िै ज्ञावनक प्रगवत (Religious Beliefs and Evolving Scientific
Advancements )
प्रस्तािना
धमण और विज्ञान के बीच संबंध काफी गवतशीि िै। इससे संबंवधत विमशण िंबे समय से तनाि, बिस और अक्सर संघषण का कारर् रिा िै। िोनों िी संसार
और िास्तविकता या स्य को समझने के विए अिग-अिग िृवष्टकोर् प्रिान करते िैं। धार्मणक विचारों को अक्सर ज्ञान के नए िेिों और िैज्ञावनक प्रगवत से
चुनौती वमिती िै। इन चुनौवतयों के बािजूि, धमण िोगों के जीिन में एक अवभन्न और रचना्मक भूवमका वनभाता िै। इस द्वंद्व से एक प्रश्न उठता िै दक
क्या धार्मणक मान्द्यताएं िैज्ञावनक प्रगवत के साथ सामंजस्यपूर्ण रूप से सि-अवस्त्ि में रि सकती िैं?
• आस्था पर आधाररत: धार्मणक विश्वास व्यवक्त की आस्था से आकार ग्रिर् करता िै। अिृश्य, पारिौदकक या परमा्मा में गिन ि व्यवक्तगत विश्वास िी
आस्था िै।
o यि एक मूिभूत त्ि िै जो अथण, उद्देश्य और पवििता से जुडाि की भािना प्रिान करता िै।
• सामूविक ज्ञान द्वारा व्यििार में शावमि: ये मान्द्यताएं अक्सर प्राचीन ग्रंथों, मौवखक परं पराओं और आध्याव्मक अनुभिों से उ्पन्न िोती िैं वजन्द्िोंने
सभ्यताओं की सामूविक चेतना को आकार दिया िै।
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िैज्ञावनक प्रगवत ने धार्मणक विश्वास को कै से चुनौती िी िै?
• अनुसूवचत जावत (SC) समुिायों की गरीबी को • मंिािय: सामावजक न्द्याय और अवधकाररता मंिािय
कम करने के विए रोजगार के अिसर सृवजत • योजना की शुरुआत 2021-22 में की गई थी।
करना। • िाभाथी: अनुसूवचत जावत समुिाय
• अनुसूवचत जावत समुिाय के सामावजक और o पृष्ठभूवम: PM-AJAY योजना को कें द्र प्रायोवजत तीन योजनाओं का वििय करके शुरू दकया
आर्थणक विकास से जुडे संकेतकों में सुधार िाना। गया िै। ये तीन योजनाएं िैं;
• अनुसूवचत जावत समुिाय की सािरता िर में ▪ प्रधान मंिी आिशण ग्राम योजना (PMAGY),
िृवद्ध करना। इसके अिािा, स्कू िों और उच्चतर ▪ अनुसूवचत जावत उप-योजना के विए विशेष कें द्रीय सिायता (SCA to SCSP)218,
वशिा संस्थानों में अनुसवू चत जावत के बच्चों के
और
नामांकन में बढोतरी करना।
▪ बाबू जगजीिन राम छािािास योजना (BJRCY)
o उपयुणक्त योजनाओं के तित आिंरटत सािणजवनक धनरावश को समेदकत करने और संसाधनों
के सिोत्तम उपयोग करने के विए योजनाओं का एक में वििय कर दिया गया िै।
• योजना के उप-घटक:
o अनुसूवचत जावत बहुि गांिों को “आिशण ग्राम” के रूप में विकवसत करना।
▪ पूिि
ण ती योजना: प्रधान मंिी आिशण ग्राम योजना
o अनुसूवचत जावत समुिाय के सामावजक और आर्थणक स्तर में सुधार िाने के विए वजिा/
राज्य-स्तर पर पररयोजनाओं को सिायता अनुिान प्रिान करना।
▪ पूिि
ण ती योजना: अनुसूवचत जावत उप-योजना के विए विशेष कें द्रीय सिायता (SCA
to SCSP)
o अनुसूवचत जावत के छाि-छािाओं के विए शैविक संस्थानों में छािािास का वनमाणर् या
मरम्मत करना।
▪ पूिि
ण ती योजना: बाबू जगजीिन राम छािािास योजना (BJRCY)
• आिशण ग्राम के बारे में: एक “आिशण ग्राम” में िे सभी मूिभूत सुविधाएं और सेिाएं प्रिान की
जाएंगी जो सम्मानजनक जीिन जीने के विए आिश्यक िोती िैं।
o पािता: िे सभी गांि वजनकी कु ि आबािी 500 या उससे अवधक िो और वजनमें
अनुसूवचत जावत समुिाय की आबािी 40 प्रवतशत से अवधक िो।
▪ एक बार जब इन गांिों को शावमि कर विया जाएगा तो बाि में इस योजना में उन
गांिों को भी शावमि दकया जाएगा वजनमें अनुसूवचत जावत की आबािी भिे िी 40
प्रवतशत से कम या उसके बराबर िो,परं तु ििां बहुत अवधक संख्या में अनुसूवचत
जावत आबािी रिती िो।