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Assignment-Subject 5-Law of Crime
Assignment-Subject 5-Law of Crime
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सूची:
2) अपराध के चरण
क) इरादा (मेन्स री)
बी) तैयारी
ग) प्रयास
घ) अपराध करना
ई) पररणाम और सजा
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अपराध का कानून क्या है?
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शब्द "अपराध का कानून" आम तौर पर उन कानून ं के समूह क संदधभित
करता है ज धवधभन्न आपराधधक अपराध ं क पररभाधित करते हैं और ऐसे
अपराध करने वाले व्यक्तिय ं के धलए दं ड धनधाि ररत करते हैं । इसमें कई कानूनी
धसद्ां त और कानून शाधमल हैं ज समाज के भीतर व्यक्तिय ं के आचरण क
धनयंधित करते हैं , उन व्यवहार ं पर धवशेि ध्यान दे ते हैं धजन्हें साविजधनक
व्यवस्था, सुरक्षा और कल्याण के धलए हाधनकारक, धमकी दे ने वाला या
हाधनकारक माना जाता है ।
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सुनवाई का अधधकार और उनके क्तखलाफ लगाए गए आर प ं के क्तखलाफ बचाव
पेश करने का अधधकार।
3. दं ड और सजा:
अपराध का कानून दं ड और सजा के धवकल् ं की सीमा धनधािररत करता है ज
आपराधधक कृत्य ं के धलए द िी पाए गए व्यक्तिय ं पर लगाए जा सकते हैं । इन
दं ड ं में जुमाि ना, कारावास, पररवीक्षा, सामुदाधयक सेवा, या भधवष्य में
आपराधधक व्यवहार क र कने और अपराधधय ं के पुनवाि स क बढावा दे ने के
उद्दे श्य से सुधारात्मक या पुनवाि स उपाय ं के अन्य रूप शाधमल ह सकते हैं ।
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अपराध के चरण
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भारतीय दं ड संधहता (आईपीसी) धकसी अपराध के धवधभन्न चरण ं की रूपरे खा
बताती है , धजनमें से प्रत्येक आर पी की द िीता और संबंधधत कानूनी पररणाम ं
क धनधाि ररत करने में महत्वपूणि भूधमका धनभाता है । इन चरण ं क एक
आपराधधक अपराध के तत्व ं क स्थाधपत करने और यह सुधनधित करने के धलए
धडजाइन धकया गया है धक धकसी अपराध के कमीशन क भारतीय कानूनी
प्रणाली के भीतर उधचत रूप से मान्यता दी गई है और सं ब धधत धकया गया है ।
यहां आईपीसी के तहत अपराध के चरण ं के बारे में धवस्तार से बताया गया है :
उदाहरण:
मेन्स री का एक उदाहरण, ज धकसी आपराधधक कृत्य क करने के समय
आर पी की मानधसक क्तस्थधत या इरादे क संदधभित करता है , क भारतीय दं ड
संधहता के तहत एक धवधशष्ट अपराध के संदभि में धचधित धकया जा सकता है ।
आइए आईपीसी की धारा 378 के तहत पररभाधित च री के अपराध पर धवचार
करें :
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क्तस्थधत, ज दू सरे की संपधत्त क बेईमानी से हधथयाने के धवधशष्ट इरादे की
धवशेिता है , आईपीसी के तहत च री के अपराध क स्थाधपत करने में एक
आवश्यक तत्व बनाती है ।
2. तैयारी:
तैयारी के चरण में आपराधधक कृत्य करने के अपने इरादे क आगे बढाने के
धलए अधभयुि ं द्वारा की गई कारि वाई शाधमल ह ती है । हालााँ धक महज तैयारी
हमेशा आईपीसी के तहत अपराध नहीं ह सकती है , कुछ तैयारी संबंधी कायि
ज धकसी धवधशष्ट आपराधधक अपराध क करने का स्पष्ट इरादा प्रदधशित करते
हैं , आईपीसी के प्रावधान ं के तहत दं डनीय ह सकते हैं । उदाहरण के धलए,
आईपीसी की धारा 120-ए के तहत आपराधधक साधजश का अपराध तैयारी के
चरण क शाधमल करता है , जहां व्यक्ति आपराधधक कृत्य करने के धलए ठ स
प्रयास में संलग्न ह ते हैं ।
उदाहरण:
आपराधधक कानून के संदभि में तैयारी की अवधारणा क स्पष्ट करने के धलए,
आइए भारतीय दं ड संधहता (आईपीसी) की धारा 120-ए के तहत आपराधधक
साधजश के अपराध से जुडे एक काल्धनक पररदृश्य पर धवचार करें :
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मान लीधजए धक व्यक्तिय ं का एक समूह एक स्थानीय आभूिण की दु कान में
डकैती करने की साधजश रचता है । अपनी य जना के शुरुआती चरण ं में, वे
स्ट र के सुरक्षा उपाय ,ं लेआउट और नकदी जमा करने के समय के बारे में
जानकारी इकट्ठा करते हैं । वे आपस में भूधमकाओं और धजम्मेदाररय ं के
धवभाजन पर भी चचाि करते हैं , धजसमें ट ही, रसद और डकैती क अंजाम दे ने
जैसे धवधशष्ट कायों क सौंपना शाधमल है ।
इस पररदृश्य में, डकैती करने की अपनी य जना क आगे बढाने में समूह द्वारा
की गई कारि वाइयां आईपीसी के तहत तैयारी के चरण का गठन करती हैं ।
हालााँ धक समूह ने अभी तक डकैती क अंजाम नहीं धदया है , लेधकन उनके ठ स
प्रयास और तैयारी कायि, जैसे जानकारी इकट्ठा करना, उपकरण खरीदना और
रसद की य जना बनाना, डकैती के आपराधधक कृत्य क अंजाम दे ने के स्पष्ट
इरादे क प्रदधशित करता है ।
3. प्रयास:
प्रयास का चरण इक्तित अपराध के प्रधत अधभयुि के प्रत्यक्ष, प्रकट कायि क
दशाि ता है । अपराध करने का प्रयास आईपीसी के तहत दं डनीय है , बशते धक
आर पी ने अपराध करने के इरादे से अपराध करने की धदशा में एक महत्वपूणि
कदम उठाया ह । आईपीसी धवधशष्ट धाराओं के तहत प्रयास धकए गए अपराध ं
क मान्यता दे ता है , जैसे हत्या का प्रयास (धारा 307), च री का प्रयास (धारा
511), और डकैती का प्रयास (धारा 393), और अन्य।
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आपराधधक कानून के संदभि में प्रयास की अवधारणा का एक उदाहरण प्रदान
करने के धलए, आइए भारतीय दं ड संधहता (आईपीसी) की धारा 307 के तहत
हत्या के प्रयास के अपराध से जुडे एक काल्धनक पररदृश्य पर धवचार करें :
4. अपराध का आयोग:
अपराध के कमीशन का चरण आईपीसी के प्रासंधगक प्रावधान ं के तहत
पररभाधित आपराधधक कृत्य के वास्तधवक अपराध क संदधभित करता है ।
आईपीसी धवधभन्न अपराध ं क अलग-अलग वगीकरण ं में वगीकृत करता है ,
धजसमें मानव शरीर, संपधत्त, साविजधनक शां धत और राज्य के क्तखलाफ अपराध
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शाधमल हैं । अपराध की प्रत्येक श्रेणी क आईपीसी की धवधशष्ट धाराओं के तहत
पररभाधित धकया गया है , धजसमें अपराध के धलए संबंधधत दं ड धनधाि ररत हैं ।
उदाहरण:
भारतीय दं ड संधहता (आईपीसी) के तहत अपराध की अवधारणा क स्पष्ट
करने के धलए, आइए आईपीसी की धारा 390 के तहत पररभाधित डकैती के
अपराध से जुडे एक काल्धनक पररदृश्य पर धवचार करें :
5. पररणाम और सजा:
पररणाम चरण में अपराध के धलए द िी ठहराए जाने पर अधभयुि पर लगाए
गए कानूनी नतीजे और दं ड शाधमल ह ते हैं । आईपीसी में धकए गए अपराध की
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प्रकृधत और गंभीरता के आधार पर कई प्रकार की सजाओं का प्रावधान है ,
धजसमें कारावास, जुमाि ना या द न ं शाधमल हैं। सजा की गंभीरता प्रत्येक अपराध
के धलए आईपीसी में उक्तल्लक्तखत धवधशष्ट प्रावधान ं और पररक्तस्थधतय ं के आधार
पर धनधाि ररत की जाती है , धजसमें अपराध की गंभीरता, गंभीर या कम करने
वाली पररक्तस्थधतय ं की उपक्तस्थधत और पीधडत और समाज पर प्रभाव जैसे
कारक ं क ध्यान में रखा जाता है ।
उदाहरण:
आपराधधक कानून के संदभि में पररणाम ं और सजा का एक उदाहरण प्रदान
करने के धलए, आइए भारतीय दं ड संधहता (आईपीसी) की धारा 325 के तहत
गंभीर च ट पहुं चाने के अपराध से जुडे एक काल्धनक पररदृश्य पर धवचार करें :
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पहुं चाने के आधार पर धनधाि ररत की जाती है । धनधाि ररत दं ड लगाना एक धनवारक
और आपराधधक कृत्य के पररणाम ं के धलए जवाबदे ही सुधनधित करने के साधन
के रूप में कायि करता है , धजससे कानून के शासन क बनाए रखने और
भारतीय कानूनी प्रणाली के भीतर न्याय के धसद्ां त ं क बढावा दे ने के महत्व
पर ज र धदया जाता है ।
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