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Law of Crimes - Sem-Ii - 2022-23
Law of Crimes - Sem-Ii - 2022-23
अपराध का कानून
पा म के उ े य
यह पा म अपराध के अथ और इसके आव यक स ांत को समझने के लए डज़ाइन कया गया है
भारतीय दं ड सं हता के तहत अपराध क एक ृंख ला के अ ययन ारा आपरा धक दा य व। इसका आगे ल य है
आप राधक दायव के आवयक ि◌सतॲ को समझने के ि◌लए ि◌डज़ाइन ि◌कया गया है। इसका उे य छाॲ को आप राधक
यायशा
ि◌सतॲ को समझने
के म ◌ूऔर
ल ि◌सतॲ
ि◌ वभ तवॲ
को समझने
का ि◌वल
और ◌ेि◌षण
वभकरने
तवॲ के का
तवॲि◌वका
यायशा
◌े
सशत
ि◌वल
षण के
करने
बनाना
◌ेष
मण◌ूकेल
करने
हैल
। अपराध
◌ेसशत
ष
केणतवॲ
करने
बनाना
काकाि◌लए
के ि◌वल
ि◌लए
है। अपराध का
छाॲ को अपराधीता और दं ड के ि◌सतॲ को समझने के ि◌लए सु सजत ि◌कया जाएगा। छा भारतीय दं ड संि◌हता
क सामाय योजना स अछ तरह वाकफ हॲगे और भारतीय दं ड संि◌हता म युत ि◌ वभ ि◌ वभशतं और शदावलीशतं
कोऔर शदावली को म युत
समझने म सम हॲगे। छाॲ को ि◌ वभ अपराधॲ क सामी का ि◌वल ◌ेषण करने और दं ड का अययन करने के ि◌लए
दं ड कान ◌ूतै
ि◌कया
नयार
के ि◌कया
तहत
जाएगा।
सामाय
जाएगा।
इसके
अपवादॲ
इसके
ि◌लए ि◌लए
ि◌न
क धरत
पहचान
ि◌न वेधरत
दंकरने
ड वेकान
और◌ूनसंकेयुततहत सामाय अपवादॲ क पहचान करने और ि◌कया जाएगा। इसके ि◌लए ि◌न धरत
पा म प रणाम
इस पा म को पूरा करने के बाद छा स म ह गे
म से पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
मॉ ूल .
भारतीय आपरा धक याय णाली जैसा क हम आज जानते ह कोई आधु नक वकास नह है। इसक उ प ाचीन काल से होती है। अपरा धय से
नपटने के लए अनोखे तरीके मौजूद ह येक रा य म सजा और याय का अपना अलग और अनोखा तरीका है। या यक ढांचा अदालत के संगठन के मा यम से
कानून के संगठन का बंधन करता है। ढाँचा उपकरण दे ता है
उन के समाधान के लए जनके कारण पी ड़त प अदालत क ओर ख करता है। इंसान के दल म बुरे प क पीड़ादायक अनुभू त से यादा कु छ भी परेशान
नह करता। कोई भी आम जनता ऐसी त को वक सत होने क इजाजत नह दे सकती जहां यह धारणा बनी रहे क शकायत के लए कोई बदलाव नह होगा।
आपरा धक याय णाली कानून को लागू करने गलत काय म म य ता करने और आपरा धक नेतृ व को सुधारने के आरोपी सरकार के संगठन क ओर
इशारा करती है। आपरा धक इ वट ढांचा सामा जक नयं ण का एक साधन है जसम समाज कु छ था पर वचार करता है
इतना जो खम भरा और नुक सानदायक क यह या तो उनक घटना को सावधानीपूवक नयं त करता है या आम तौर पर उ ह लूट लेता है। अपरा धय को सुर त
और दं डत करके या उनक भ व य क घटना को यान म रखकर इन था को रोकना समानता के संगठन क ग त व ध है।
आपरा धक इ वट ढाँचा बो झल महँगा और कु ल मलाकर खेदजनक है। वेश ा त करने और वैध लोकाचार के व म लगी भारी लागत के कारण
गरीब कभी भी इ वट के अभयार य तक नह प ंच सकते ह। अदालत का आदे श कई हत के साथ वैध समानता को परे रखता है
गरीब लोग क ेण ी. वैध च को महँगा बनाना य क समानता का घोर उ लंघन है और इससे सावज नक े म नया के कचरे पर ब त बुरा भाव पड़ा है।
वैधा नक ढाँचा है
नेटवक के अ धक नाजुक खंड के लए इसने अपनी व सनीयता खो द है।
का पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
इस सा ह य के अनुसार याय के फ वारे का मुख और उससे त दन कु छ घंटे याय नणय म बताने क अपे ा क जाती थी।
राजा क ाथ मक ज मेदारी उसक जा क सुर ा है जसम गलत काम करने वाले पर मुक दमा चलाना शा मल है। ाचीन भारत के कई शासक राजवंश म द वानी और फौजदारी मामल के
लए या यक संरचनाएँ आव यक वशेषताएँ थ । पाप क प रभाषा वह मानदं ड थी जसके ारा अपराध ा पत कया जाना था जब क नाग रक गल तयाँ बड़े पैमाने पर पैसे को लेक र होने वाले संघष पर
लागू होती थ । मनु मृ त या मनु के नयम सं कृ त मनु म त जसे मानव धमशा के प म भी जाना जाता है ह धम क धमशा पा परंपरा के ाचीन ऋ ष मनु ारा ल खत सबसे मह वपूण और
ारं भक छं दा मक काय है जो धम पालन के लए दस आव यक नयम को नधा रत करता है धैय धृ त मा मा धमपरायणता या आ म नयं ण दम स य न ा अ तेय प व ता अ तेय ोध ।
ोध । ोध । ोध ।
मनु आगे लखते ह अ हसा स य गैर लोभ शरीर और मन क प व ता इं य पर नयं ण ही धम का सार है। प रणाम व प न के वल ब क समाज म सभी लोग धा मक नयम ारा नयं त
होते ह।
मुक दमे के आधार और व भ कार के कानून मुक दम के लए आधार और कानून के व भ प मनु ारा
दए गए ये अठारह कानून के शीषक या मुक दमे के लए आधार उन कारण का उ लेख
करते ह जन पर मुक दमा भी लाया जा सकता है गैर ऋण का भुगतान जमा वा म व के बना बेचना
न त स ांत के अनु प संशोधन यायालय का क य दा य व बना प पात या भय के याय करने का यास करना था यह बात कई यायाधीश क पीठ ने सुनी और बमु कल अके ले बैठे यायाधीश
ने।
का यायन मृ त ारा दए गए अनुसार यायालय को उनके पदानु म के अनुसार छह म वभा जत कया गया है।
. कु ल पा रवा रक प रषद मता रा म कु ल को र तेदार या र के संबंध के समूह के प म व णत कया गया है। ाचीन भारत म कु ल या संयु प रवार अ सर ब त बड़े होते थे।
जब भी दो सद य के बीच मतभेद होता था तो बड़े बुज ुग उसे सुलझाने का यास करते थे। प रवार के बुज ुग के इस अनौपचा रक नकाय को कु ला कहा जाता था।
. ेनी ापार या पेशे क प रषद पा रवा रक म य ता का यास वफल होने पर मामला ेनी अदालत म लाया गया। ेनी श द का उपयोग ग अदालत का वणन
करने के लए कया गया था जो ईसा पूव से ाचीन भारत के वा ण यक जीवन क एक मुख वशेषता थी। ेनी क अपनी कायकारी स म तय के चार या पांच
सद य थे और यह संभव है क उ ह ने ेनी अदालत के प म भी काम कया होगा। अपने सद य के बीच ववाद को सुलझाएं। यह म से पृ था
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
पान बेचने वाल बुनकर जूते बनाने वाल आ द स हत लोग क सभा जो एक व श वसाय का पालन करते थे।
. अ धकृ त राजा ारा नयु यायालय ये याय दे ने के लए राजा ारा अ धकृ त यायालय ह जनम सू और मृ तय म पारंगत य को यायाधीश
के प म नयु कया जाता है। इस कार क अदालत अपने े ा धकार के अनु प व भ कार क होती थ । वे I त ा ह जो एक व श गाँव
या क बे म ा पत क गई थ । ii
अ त त एक ग तशील अदालत थी जो राजा के आ ान पर कसी चय नत मामले क सुनवाई के लए एक वशेष ान पर एक त होती थी। iii
मु ता अगले तर का यायालय था जसे शाही मुहर का उपयोग करने के लए अ धकृ त कया गया था।
. स सता क स कोट यह रा य म कानून का सव यायालय था। इसक अ य ता वयं राजा करते थे। राजा क सहायता के लए वक नामक एक
मु य यायाधीश और स य नामक यायाधीश का एक समूह होता था।
या यक या
ाचीन काल म अदालत एक सु व त या मक ढांचे पर संचा लत होती थ । य द कसी को सर ारा नुक सान प ंचाया गया है तो वह अदालत म
त ा दायर कर सकता है। वाद वा दन था और तवाद त वा दन था। धम कोसा वाद का सा य दे ता है क वह असं द ध होना चा हए। प गवाह पेश कर सकते
ह और अनुप त म यायाधीश ारा गवाह को स मन जारी करने का आदे श दया गया था। सा य का अनुमान अपराध का आरोप लगाने वाले पर लगाया गया
था। जयपा ा
इसम जीत के सभी द तावेज़ शा मल होते ह इसम आमतौर पर वाद के बारे म सं त बयान होते ह और वे ल खत प म होते ह और यायाधीश को उनके बयान के
संबंध म प पाती नह होना चा हए। आपरा धक याय णाली म राजा और उसके अ धकारी आमतौर पर वयं सं ान लेते ह।
महाभारत म कहा गया है क दं ड धम अथ और काम क र ा करता है और शा म इसे अ तरह से वीकार कया गया है। नणय इस तरह से दया
जाना चा हए जससे यायपा लका म व ास और भरोसे क गारंट हो। गलत करने वाले को सुधारने के लए सदै व एक नवारक क आव यकता होती है। दं ड को इस
कार वग कृ त कया गया था वा दं ड चेतावनी धगडंडा ससर शप धनदं ड ठ क अंग े ड़ा वकृ त वधदं ड मृ युदंड।
नणय और राजा ने मामले को अपनी राय के अनुसार नपटाने के अपने अ धकार का योग तभी कया जब जूरी सद य कसी न त नणय पर नह प ँचे।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
चूँ क वे धमशा म पारंगत थे ये स य आमतौर पर ा ण होते थे। हालाँ क जब मामले ववाद के प म संघष शा मल हो तो प व कानून के ान क कोई
आव यकता नह है
कसान ापा रय और वनवा सय के बीच। धमशा के लेख क ने वयं ता वत कया क मामल क सुनवाई वयं पा टय क जा तय या वसाय से चुने गए
जूरी सद य क सहायता से क जानी चा हए। सु ा का ता पय बचाव के लए कानून अदालत म मा यता ा त एजट को नयु करने क था से है
ऐसा मामला जब कोई प अपनी तता या कानून क अ ानता के कारण वयं ऐसा करने म असमथ था। ऐसा
एजट को नयो गन के नाम से जाना जाता था और उनसे अपे ा क जाती थी क वे अपनी पा टय के हत क ब त सावधानी से र ा करगे। इनका शु क संप के
मू य के अनुसार छह से आधा तशत तक होता था। य द उ ह ने सरे प के साथ मलीभगत क तो उ ह रा य ारा दं डत कया गया।
प रवार के सद य के बीच एक ही गांव म प रवार के समूह ारा आयो जत पुगा सभा ारा समाधान कया गया। गांव म छोटे मोटे आपरा धक अपराध को
या यक प रषद ारा नपटाया जाता था जब क गंभीर अपराध को
झूठे सा य कारीगर को चोट प ँचाना सामा य चोरी आ द। इन सभी मामल म शरीर को त व त कया गया है। सात कोड़े मारने स हत अठारह कार क
यातनाएँ द गई ह। दं ड सं हता वा तव म ासं गक थी.
आपरा धक सं हता ब त कठोर थी और स ती से लागू क जाती थी। इसका उ े य सर के लए एक मसाल कायम करना और उ ह गलत काम करने से
रोकना था। मेग नीज ने मौय कानून और व ा के लए क शंसा क है।
वह रपोट करता है क कु छ अपराध थे ह याएँ और चो रयाँ लगभग अ ात थ लोग शायद ही कभी अपने दरवाजे बंद करते थे और रा य जीवन और संप क
सुर ा क गारंट दे ता था।
गु तकालीन गु त सा ा य
अपनी संरचना क वशालता के कारण न के वल भावशाली था ब क परोपकारी भी था। इसम मं प रषद और रा य के उ अ धका रय के पम
संवैधा नक नयं ण थे। संपूण शासन ाय संवैधा नक वतं ता क ववेक पूण ा या ारा नद शत होता था
उपयोग करता है. गु त के अधीन या यक शासन ारं भक काल क तुलना म ब त अ धक वक सत था। इस अव ध के दौरान पहली बार कई कानून पु तक संक लत क ग । और वहाँ
अ तरह से प रभा षत नाग रक और आपरा धक नयम थे। मु य या यक अ धकारी को महाद डनायक कहा जाता था। ले कन मु य यायाधीश राजा स ाट थे। राजा रा य का सव
कानूनी नकाय था और इस लए उसने का पृ नधा रत कया
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
संघष. उनके नणय सवस मत थे ले कन अके ले राजा इतने बड़े सा ा य का या यक शासन जारी नह रख सकते थे। उनके या यक कत के नवहन म कई यायाधीश ने भी
उनक सहायता क ।
दरबार को चार वग म वभा जत कया गया था राजा का दरबार पूग ेनी कु लक। हम पहले ही यायालय के कार पर चचा कर चुके ह। गु त काल म द ड ब त
ह का था। मृ युदंड और ददनाक अंग व े दन जैसी सज़ाएं शायद ही कभी द गई ह । गु त शासनकाल के दौरान आपरा धक कानून मौय काल क तरह चरम पर नह थे। आपरा धक
मामले क य अदालत के सम रखे जाते थे ज ह आम तौर पर राजा या शाही ा धकरण के अधीन रखा जाता था। अपील क प त का योग कया गया और अपील का सव
नकाय स ाट था। वक ल क कमी ाचीन भारतीय कानूनी णाली क एक मह वपूण वशेषता थी। एक और उ लेख नीय वशेषता यह थी क याय का संचालन करने के लए
अ सर एक को एकमा याय शासक के प म नयु करने के बजाय दो या तीन यायाधीश क पीठ को चुना जाता था।
वतमान समय म पुरानी याय णाली क ासं गकता ाचीन भारत ने कसी भी पुरातनता के
उ तम मानक को बनाए रखा। यायपा लका क मता श ा ईमानदारी न प ता और वतं ता पर काबू नह पाया गया है और इन अपे ा को अब तक पार नह
कया गया है भारतीय यायपा लका म मु य यायाधीश वक के यायालय के शीष पर यायाधीश का एक पदानु म शा मल था येक उ यायालय को नचली अदालत
के नणय क समी ा करने का अ धकार दया गया है मामल का नणय मूल प से ाकृ तक याय अवधारणा के समान स ांत के अनु प कया जाता है क आपरा धक
मुक दम म आरोपी को तब तक दं डत नह कया जा सकता जब तक क उसका अपराध कानून के अनुसार सा बत न हो जाए क द वानी मामल म मुक दमे म कसी भी आधु नक
मुक दमे क तरह चार चरण होते थे मुक दमा जवाब सुनवाई और ड रेस यू डकाटा ांग याय जैसे स ांत भारतीय यायशा से प र चत थे आज के वपरीत मामल को
कई यायाधीश के पैनल ारा हल कया गया था और कसी भी यायाधीश ारा कसी भी मामले को अके ले हल नह कया गया था।
बंगाल उड़ीसा और पटना म ववाद को सुलझाने के लए ा पत कया गया। प रणाम व प और म कग गॉज III ने अ य दो क ापना क
ब बई और म ास म सव यायालय।
हालाँ क भारतीय सव यायालय अ ध नयम के लागू होने के तुरंत बाद कलक ा बॉ बे और म ास म सव यायालय को समा त कर दया गया और
इस लए कलक ा बॉ बे और म ास म अदालत ने सव यायालय के प म अपना कामकाज फर से शु कर दया। म लॉड लन लथगो क अ य ता वाली संयु
स म त ारा एक ताव पा रत कए जाने के बाद टश संसद ने भारत सरकार अ ध नयम लागू कया।
भारत सरकार अ ध नयम के कारण भारत म यायालय क ापना ई जसम मूल अपीलीय और सलाहकार े ा धकार के साथ सव यायालय क तुलना
म अ धक या यक श याँ न हत ह।
वतं ता के बाद जनवरी को भारत का सं वधान अपनाया गया और इस लए जनवरी को भारत के सव यायालय ने कामकाज फर से शु कया जसक
अ य ता माननीय यायाधीश ह रलाल जे कसुंदास का नया ने क ।
सं वधान के अनु ेद के अनुसार भारत म एक सव यायालय होना चा हए जसक अ य ता भारत के यायाधीश ारा क जाएगी और इसम अ त र
सात यायाधीश ह गे जब तक क संसद यायाधीश क सं या बढ़ाने के लए मसाल पा रत नह कर दे ती। हालाँ क वतमान म सव यायालय म यायाधीश ह और भारत के
वतमान यायाधीश यायमू त शरद अर वद बोडबे ह।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
. रट े ा धकार अनु ेद म कहा गया है क उ यायालय के पास उन सभी े मश होगी जसके बारे म वह कसी या ा धकारी को उ चत
मामल म कसी भी सरकार को उन े के भीतर नदश आदे श या रट जारी करने के अ धकार े का उपयोग करता है।
. अपीलीय े ा धकार ऐसा कहा जाता है क उ यायालय अपील क ाथ मक अदालत है यानी इसे अपने े के भीतर अधीन यायालय के फै सले के
खलाफ अपील सुनने क श है। इस श को अ सर े णय म वग कृ त कया जाता है नाग रक े ा धकार और आपरा धक े ा धकार नाग रक मामल म
इसके े ा धकार म जला अदालत अ त र जला अदालत और के आदे श और नणय शा मल होते ह।
अ य अधीन यायालय.
आपरा धक मामल म इसके अ धकार े मस यायालय और अ त र स यायालय से संबं धत नणय शा मल ह। इन मामल म साल से अ धक क कै द फांसी से पहले स यायालय ारा द गई
कसी भी मौत क सजा क पु शा मल होनी चा हए। . अधी ण क श उ यायालय के पास रा य के भीतर काम करने वाले सै नक को छोड़कर सभी अदालत और याया धकरण पर यह श
है। इस लए इस श के योग के भीतर यह होगा ई. ऐसी अदालत से वापसी शा मल है। एफ। ऐसी
अदालत क ै टस और कायवाही को व नय मत करने के लए सामा य नयम जारी कर सकता है और प नधा रत कर सकता है। जी। कसी के अ धका रय ारा बही खाते कस कार रखे जा रहे ह
उसका व प बताइये
अदालत।
एच। शे रफ लक अ धका रय और कानूनी च क सक को दे य फ स का नपटान कर।
सं वधान अधीन यायालय पर अधी ण क इस श पर कोई तबंध नह लगाता है यह के वल ारा अपील का उपयोग नह करता है यह अ सर वत
आदश वा य होता है। यह पुनरी ण क कृ त का है य क यह पहले के नणय का स यापन करता है। इस संबंध म इसे एक वशेष काय माना जाता है य क
सव यायालय के पास उ यायालय के समान कोई श नह है।
. अधीन यायालय पर नयं ण यह ब उपयु पयवे ी और अपीलीय े ा धकार का ही व तार है। इसम कहा गया है क उ यायालय कसी भी अधीन
यायालय के सम लं बत मामले को वापस ले सकता है य द इसम कानून का मह वपूण शा मल हो। मामला अ सर वयं ही नपट जाता है या कानून के को
हल करके समक अदालत म वापस आ जाता है। सरे मामले म सव यायालय ारा द गई राय अधीन यायालय पर बा यकारी होगी। यह पदो त पो ट
करने छु दे ने ानांतरण और सद य के अनुशासन से संबं धत मामल से भी नपटता है। इस संबंध म यह अ धका रय और सेवक क नयु मु य यायाधीश
या उ यायालय के ऐसे अ य यायाधीश ारा क जाती है जसे मु य यायाधीश नद शत कर सकते ह।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
. रकॉड यायालय इसम उ यायालय के नणय कायवा हय और कृ य क रकॉ डग शा मल है जसे ायी मृ त के लए दज कया जाता है। इन रकाड पर कसी भी
अदालत म आगे पूछताछ नह क जा सकती। इस रकॉड का समथन करते ए यह यायालय क अवमानना के लए साधारण कारावास या कारावास से दं डत करने क श
रखता है
ठ क है या दोन .
. समी ा उ यायालय क इस श म क और रा य दोन सरकार के वधायी और कायकारी आदे श क संवैधा नकता को दे ख ने क सु वधा शा मल है। यह यान दया
जाना चा हए क श द
हमारे सं वधान म कह भी समी ा का उ लेख नह है ले कन अनु ेद और प से उ यायालय को यह श दान करते ह।
.उ यायालय के े ा धकार का क शा सत दे श तक व तार संसद कानून ारा कसी उ यायालय के े ा धकार को कसी क शा सत दे श तक बढ़ा सकती है या
कसी उ यायालय के े ा धकार को बाहर कर सकती है।
के अंतगत अ याय VI म दे श म अधीन यायालय के नमाण से संबं धत ावधान शा मल ह। सव यायालय के नीचे जला यायाधीश का यायालय है जो अधीन यायालय म शीष यायालय
है। जला यायाधीश क नयु पो टग और पदो त संबं धत रा य के रा यपाल ारा संबं धत सव यायालय के परामश से क जाती है। जला यायाधीश के पद के लए पा ता के संबंध म एक जो
पहले से ही संघ या रा य क सेवा म नह है के वल तभी जला यायाधीश के प म नयु होने के लए पा होगा य द वह सात साल से कम समय तक वक ल या वक ल रहा हो और आमतौर पर संबं धत उ
रा य क या यक सेवा म जला यायाधीश के अलावा कसी अ य क नयु रा य के रा यपाल ारा संबं धत रा य लोक सेवा आयोग और संबं धत सव यायालय के परामश के बाद उनके
ारा बनाए गए नयम का पालन करते ए क जाएगी। जहां तक अधीन यायालय पर नयं ण का संबंध है जसम पो टग पदो त छु आ द के मामले शा मल ह संबं धत सव यायालय को अधीन
यायालय पर नयं ण रखने क श न हत है ले कन सव यायालय को सेवा क शत के तहत नयं ण का योग करना है। अधीन यायालय के संबंध म लागू कानून.
रा यपाल सावज नक अ धसूचना के मा यम से कसी भी अपवाद या संशोधन के अधीन संबं धत रा य के भीतर कसी भी वग या म ज े ट क े णय पर सं वधान
के अ याय VI के ावधान और इस कार उसके तहत बनाए गए स ांत को लागू करने का नदश दे सकते ह।
कानून का सं हताकरण
अपराध के मु लम कानून को संशो धत करने क पहली योजना म कॉनवा लस ारा शु क गई थी। लॉड कॉनवा लस ने नज़ाम को नज़ामत पर कसी भी
अ धकार से वं चत कर दया था। उ ह ने अबू हनीफा ारा तैयार कए गए मह वपूण मु लम कानून को नर त कर दया जसम अता कक प से यह कहा गया था क य द
अपराध गला घ टकर डू बकर जहर दे क र या कसी ऐसे ह थयार से कया गया हो जो लोहे से नह बना हो तो ह या करने वाला सजा के लए ज मेदार नह होगा। यह भी घो षत
कया गया क मृतक के प रजन को इसका कोई अ धकार नह है
चूं क ह या के कानून के भीतर कु छ ब पर कु छ म था इस लए कानून को म व नयमन के मा यम से बहाल कया गया था जसका उ े य उ रा धका रय
क इ ा के सभी काय को अंततः र करने का यास करना था। के वल ह या के मामले म यह नधा रत कया गया था क एक कै द को जानबूझ कर दोषी ठहराया जाएगा
ह या के लए मारे गए के उ रा धका रय क परवाह कए बना दं डत कया जाना था। उस समय कया गया एक और नवाचार र धन के लए कारावास का ान लेना था
ऐसे मामल म जहां मु लम कानून के तहत ह या का दोषी र धन का भुगतान करने के लए अ तसंवेदनशील था स कट क अदालत को उस अव ध के लए जुमाने को
कारावास म बदलना था। अपराध के लए पया त माना जाता है।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
का व नयमन XIV एक मह वपूण उपाय था जो मानवतावाद और परोपकारी भावना से े रत था य क इसने र धन का भुगतान करने म
असमथता के कारण पहले से ही जेल म बंद को राहत द थी। के व नयम म अपराध क से कड़ी सज़ा नधा रत क गई थी।
लॉड वेले ली क सरकार ारा कानूनी सं हता म कई बदलाव कये गये। के व नयमन के अनु प कोई भी ह या उ चत नह थी और
कु ल मलाकर यह ह या का मामला था
अपरा धय को मौत क सजा द जानी थी। के व नयम ने नधा रत कया क एक नजी दोषी ठहराया गया
जानबूझ कर और भावनापूण तरीके से एक क ह या करने का इरादा रखना और गलती से कसी अ य क ह या करना मृ यु को भुगतने के लए
अ तसंवेदनशील था। के व नयम ने अपराधी को समा त कर दया था
छोटे और मासूम ब क ब ल दे ने क घृ णत और अमानवीय था और ूण ह या को इरादतन ह या के प म दं डनीय घो षत कया गया और इसके लए मौत क
सजा का ावधान कया गया।
अपराध के मु लम कानून म बदलाव और अनुकू लन क या जारी रही झूठ गवाही और जालसाजी के लए दं ड दे ने क या को के
व नयमन II क शु आत के मा यम से बढ़ाया गया।
के व नयम VIII के मा यम से डकै ती के लए अनुक रणीय दं ड नधा रत कए गए य क अपराध ब त बढ़ गया था। के व नयम XVII ारा भचार
से संबं धत कानून को संशो धत कया गया था।
चार स म पु ष गवाह क आव यकता पर स ती से जोर दया गया था और अनुमा नत सबूत को अपराध के लए दोषी ठहराने के लए पया त नह माना गया था।
व नयमन म कहा गया है क भचार के अपराध के लए दोष स को वीकारो व सनीय गवाही या प र तज य सा य का समथन कया जा सकता है।
अपराध के लए द जाने वाली अ धकतम सजा उनतीस कोड़े और कारावास और सात साल तक क कड़ी सजा तय क गई थी। ववा हत म हला पर ऐसे आरोप
पर मुक दमा नह चलाया जाना था।
के बाद एक अ खल भारतीय वधानमंडल बनाया गया और बाद के वष म सुधार के मा यम से म भारतीय कानूनी सं हता लागू क गई।
क अव ध के दौरान कानूनी सं हता म प रवतन कए गए और इस लए मह वपूण लोग म ये शा मल थे ठग को कड़ी मेहनत के साथ सभी समय के
लए कारावास क सजा द जाने लगी दासता क त को कॉप रेट क कसी भी अदालत म गैर पहचानने यो य घो षत कर दया गया डकै त को सभी समय के
लए प रवहन या कसी भी कम समय के लए कारावास क सजा द जाने लगी। क ठन प र म के साथ श द. यहां तक क यह भी उ लेख कया जाएगा क टश
शासक ारा अपराध के लए नधा रत दं ड शु आत म ब त गंभीर थे ऐसा माना जाता है
अपराध को दबाओ. ले कन जैसे जैसे समाज र आ और कानून और व ाक त म सुधार आ और अपराध क घटनाएं कम उदारीकरण क वृ
शु ई और इस लए सजा क कठोरता कु छ हद तक कम हो गई।
या
कै द होना।
एल
दे यता यह एक नजी बनाता है यह के पृ के लए एक दा य व बनाता है
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
अ धकांश मामल म त के व आ थक
आरोपी को एक अव ध क कै द या जुमाना या दोन का
राहत दान करके याय दया जाता है।
सज़ा ावधान करके याय दया जाता है।
इसके उदाहरण लापरवाही गोपनीयता का हनन अ तचार ह या बला कार अपहरण चोरी आ द।
.
अ ध नयम
आ द।
जब इसे पहली बार म पा रत कया गया था तो आपरा धक या सं हता ने वशेषा धकार या अ धकार क जमकर र ा क जैसा क उ ह वैक पक प से व णत
कया गया था और कानून को शाही श का एक तीका मक और वा त वक माकर दोन बना दया। सं हता ने कानूनी े ता सु न तक यूरोपीय मूल क टश जा के लए वशेष
वशेषा धकार आर त करके जैसे यूरोपीय जूरी सद य के ब मत के साथ जूरी परी ण का अ धकार के वल टश यायाधीश और म ज े ट के लए उ रदायी और सी मत दं ड ये सब
अपराध क प रभाषा अठारहव शता द ई वी के एक त त अं ेज ी याय वद् लॉड व लयम लैक टोन ारा खूबसूरती से उ त क गई है अपराध एक ऐसा काय है जो सावज नक
कानून के उ लंघन म या तो उसे मना करता है या आदे श दे ता है। इस प रभाषा म लॉड लैक टोन ने बड़े पैमाने पर समुदाय को होने वाली हा न या चोट के प म अपराध पर जोर दया है।
का पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
अपराध के बारे म ारं भक वचार या तो धम या संप से जुड़े थे। अनै तक काय नै तकता और अप व ीकरण को पाप माना जाता था जो अपराध के बराबर था और
मु य प से चच ारा नपटा जाता था। इसके अलावा चच ने कानून और व ा अनुशासन और ईमानदारी भी बनाए रखी।
अपराध क साम ी
अपराध करने के लए चार त व या अवयव आव यक ह मानव होना कसी अपराध के लए आव यक पहला घटक यह है क गैरकानूनी काय
एक मानव ारा कया
जाना चा हए। ाचीन समय म जब आपरा धक कानून तशोध क अवधारणा से तय होता था तो कसी भी नुक सान के लए मनु य के साथ साथ जानवर
पर भी दं ड लगाया जाता था। उदाहरण के लए अ सर घोड़ या गाय को इंसान को नुक सान प ंचाने के लए मार दया जाता था जैसे कसी आदमी को लात मारना या
संप को न करना।
इस अवधारणा को अ धक ता कक नह माना गया फल व प याग दया गया। अपराध और आपरा धक यायशा के नयम म सुधार के लए बार बार
संशोधन कया गया है। अब अपराध का पहला घटक मनु य है। यह अ नवाय है क मनु य या को एक व श तरीके से काय करना कानूनी कत के तहत होना
चा हए और पुर कृ त दं ड के लए उपयु होना चा हए। इसके अलावा भारतीय दं ड सं हता आईपीसी क धारा इस अवधारणा पर व तार से बताती है और
कहती है क इंसान के अलावा श द म एक कं पनी या एसो सएशन या य का नकाय शा मल हो सकता है चाहे वह नग मत हो या नह । इस लए
श द म कृ म या या यक भी शा मल हो सकते ह।
मे स री दोषी दमाग
अपराध का सरा मह वपूण घटक मनः त या बुरा दमाग या इरादे ह। यह कहावत पर आधा रत है ए टस नॉन फै सट रेम नसी मे स सट री जसका
अथ है क दोषी कृ य और दोषी इरादे मलकर अपराध बनते ह। येक अपराध के लए एक मान सक त व या अवयव क आव यकता होती है जसे आपरा धक दा य व
का मूल स ांत माना जाता है। इस लए कसी भी को आपरा धक कायवाही म तब तक दं डत नह कया जा सकता जब तक यह सा बत न हो जाए क उसका
दमाग दोषी था।
चोट
अपराध करने के लए चौथी आव यकता है चोट। यह चोट कसी वशेष या पूरे समाज पर हो सकती है। भारतीय दं ड सं हता आईपीसी क धारा
म बताया गया है क अपराधी ारा अवैध प से क गई चोट शरीर दमाग त ा या संप को हो सकती है।
का.
अपराध का वग करण
लगभग हर कानूनी णाली व भ उ े य से जुड़े अपराध को कई े णय म वभा जत करती है
यायालय के कामकाज के साथ. सामा य कानून मु य प से अपराध को दो े णय म वभा जत करता है सामा य कानून गुंडागद गुंडागढ़
इस कार के अपराध आम तौर पर जघ य और गंभीर कृ त के होते ह। इस कार के अपराध म अ धकतर मौत क सज़ा द जाती है और अपराधी क ज़मीन और सामान ज त कर लया
जाता है। शु आत म पु लस के पास कसी को के वल संदेह के आधार पर गर तार करने क भी श है क उसने अपराध कया है।
का पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
उ ीसव सद क शु आत म चोरी क गई रा श क परवाह कए बना चोरी को एक घोर अपराध माना जाता था।
सरी ओर धोखाधड़ी या छल को कम माना जाता था चाहे वह कतना भी गंभीर य न हो। इस कार कए गए अपराध क गंभीरता के संबंध म कोई अंतर नह था। इस वसंग त को इस
त य के लए ज मेदार ठहराया जा सकता है क उस समय कानून का वकास धीमा और र था।
हालाँ क के दशक के अंत म ऐसे अपराध के बीच अंतर दान करने और कानून को अ धक भावशाली और यायसंगत बनाने के लए उपयु णाली म संशोधन कया गया था।
भारतीय कानून
सीआरपीसी क पहली अनुसूची आईपीसी के अपराध को सं ेय हतेप हतेप योय और गैर सं ेय गैर सं ेय े णय म वग कृ त करती है सं ेय हतेप हतेप योय
सं ेय अपराध या मामले को उस मामले के प म प रभा षत कया जाता है जसक जांच पु लस टे शन का भारी अ धकारी म ज े ट के आदे श के बना कर सकता है और बना
वारंट के गर तारी कर सकता है। ऐसे अपराध म शकायत या व सनीय जानकारी ा त होने पर त काल कारवाई करना अपराध ल का दौरा करना त य क जांच करना अपराधी को
पकड़ना और उसे अ धकार े वाले यायालय के सम पेश करना पु लस क सीधी ज मेदारी है। मामला।
एक और सट क य यादातर अपराध के ापक आंक ड़ ारा दान कया जाता है जो रा ीय अपराध रकॉड यूरो एनसीआरबी जैसे सरकारी वभाग ारा एक और का शत कए जाते
ह जो दे श म अपराध से संबं धत वा षक डेटा दान करता है। इसी तरह संघीय जांच यूरो एफबीआई सालाना अपराध आंक ड़े का शत करता है जसे यू नफ़ॉम ाइम रपोट के प म जाना
जाता है।
हालाँ क यह ात है क ब त सारे अपराध दज नह कए जाते ह और प रणाम व प डेटा अ सर वकृ त हो जाता है। वकृ त के लए ज मेदार अ य कारक वह प रमाण है जस
तक पु लस संसाधन का उ े य कसी अ य कार के अपराध क बजाय एक कार के अपराध क जांच करना है वशेष प से पी ड़त र हत अपराध जैसे नशीली दवा के क जे के संबंध
म। इस कार के अपराध तब तक सामने नह आते जब तक पु लस उनक जाँच म जुट न जाए।
इसके अ त र एक अ य कारक जो कसी व श कार के अपराध क सां यक य घटना पर उ लेख नीय भाव डाल सकता है वह है पु लस को अपराध क रपोट
करने के लए पी ड़त क इ ा म बदलाव।
पी ड़त अ सर व भ कारण से अपराध क रपोट करने म वफल रहते ह जाग कता क कमी व ास क कमी और अपराध क रपोट करने म आ म व ास
क कमी।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
म मेटन ारा दया गया तनाव स ांत सामा जक संरचना मक कोण पर आधा रत है। इस स ांत के अनुसार समाज के भीतर क सामा जक
संरचना समाज म आपरा धक कृ य को ज म दे सकती है। जब लोग अपने जीवन म तनाव या तनाव का अनुभव करते ह तो वे अपने जीवन से नकारा मकता को कम
करने के लए अपरा धय क तरह वहार करना शु कर दे ते ह। सामा य तनाव स ांत के आधार पर दो सामा य कार के तनाव या तनाव के कारण कोई
आपरा धक कृ य कर सकता है . i जब कोई कसी को उसके ल य ा त करने से रोकता है . ii जब कोई कसी क मू यवान चीज
ले लेता है।
ऊपर बताए गए ल य कशोर के लए पैसा तबा या वाय ता हो सकते ह। य द इन ल य को ा त करने के सी मत तरीके ह तो लोग अवैध तरीक का
उपयोग करके भी आपरा धक कृ य करते रहगे। इसके अलावा अगर कसी के लए कोई भी क मती चीज छ न ली जाती है तो संभावना है क वह इसे बहाल
करने के लए हर हद तक जाएगा भले ही उसे गैरकानूनी तरीके अपनाने पड़।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
के दशक के अंत म सगमंड ायड ारा दया गया साइकोडायना मक ल ण स ांत अपराध अ ययन और अनुसंधान के इ तहास म एक भावी कोण सा बत
आ है। इस स ांत के अनुसार बचपन के अनुभव य के भ व य के पार रक संबंध को बनाते ह। आईडी अहंक ार और तअहं य के वहार को भा वत करते ह।
आईडी वह मूल भाग है जो भोजन इ ा न द और अ य मूलभूत वृ य के लए हमारी आव यकता को नयं त करता है। अहंक ार सीमा नधा रत करके आईडी को नयं त
करता है और सुपरईगो के कारण लोग समाज क नै तकता और नयम को दशाते ए त का आकलन करते ह। यह वचार इस बात का समथन करता है क अपराधी म आईडी धान
व और वहार होता है। य द अहंक ार आईडी को नयं त नह करेगा तो अपराधी जैसा वहार करेगा। इन य म कु छ संचारी और सामा जक ज टलताएँ होती ह
जसके प रणाम व प अपराध घ टत होता है।
सरी ओर वहार मनो व ान का दावा है क लोग दं ड और पुर कार के मा यम से अपना वहार सीखते ह। इस कार आपरा धक ग त व धयाँ सु ढ करण के साथ बढ़ सकती ह और
दं ड और तशोध के साथ कम हो सकती ह।
अपराध व ानी पॉल ट पन ारा प से कया गया था जब उ ह ने दे ख ा क अपराध आपरा धक कानून का उ लंघन करने वाला एक जानबूझ कर कया गया काय है जसम बना बचाव या बहाने के कए गए
कानून के स कानून काय शा मल ह और रा य ारा दं डत कया जाता है। घोर अपराध या राचार । जा हर है इस कोण म अपराध को समझना त या मक प से आसान है ले कन यह आपरा धक कानून क
सापे ता और आपरा धक याय णाली के संचालन से त है। अपराध क ा या और ीकरण कानूनी व ा और ऐ तहा सक काल के सापे होना होगा और इसम वै ा नक ीकरण क त नह हो सकती
है।
एक श शाली कानूनी णाली और ल य को स त करने से समाज म अपराध क दर म कमी आ सकती है। वशेष प से कानून और दं ड क भावका रता से आपरा धक कृ य म
कमी आ सकती है। न प कानूनी णाली आकार और परेख ा दे ती है
संभा वत अपरा धय क नणय लेने क या सकारा मक है।
चौथा चरण है स
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
वै क होना काय कर
अपराध हमारी अपनी पसंद और हमारी अपनी वतं इ ा का उ पाद है। अ ध नयम वै क होना चा हए। कसी ारा कया गया काय एक वै क अ ध नयम बनाने के लए सचेत
पसंद का होना चा हए जसके लए उसे आपरा धक प से उ रदायी ठहराया जाता है। वै क अ ध नयम एक ऐसा अ ध नयम है जो पूरी तरह से वतं इ ा से उ प नह होता है और अमानवीय जीवन
के त अ य धक उदासीनता के साथ तब होता है। एक जाग क जसने सर पर बं क लोड क है उसे आम तौर पर आक मक नवहन के दौरान होने वाले कसी भी नुक सान के लए उ रदायी
ठहराया जाएगा य क बं क लोड करना एक वै क ग त व ध के प म माना जाता है।
कसी अपराध के मौ लक त व
आपरा धक दा य व ा पत करने के लए अपराध को उन त व म वभा जत कया जा सकता है जो अ भयोजन ह
उ चत संदेह से परे सा बत करना होगा। कसी अपराध के मूल प से चार त व इस कार ह मनु य धारा अपराध के पहले त व को पूरा करने के लए मनु य को गलत काय करना होगा
जसका अथ है क कसी भी नज व व तु या जानवर को
क ेण ी म नह माना जाता है। एक इंसान जब क ाचीन काल म जब आपरा धक कानून पर रटर बट स ांत का वचार ब त हावी था तो सज़ा द जाती थी
जानवर को उनके ारा प ंचाई गई चोट के लए भी लगाया जाता है। उदाहरण के लए य द कोई कु ा कसी को काट लेता है तो उसे दं डत कया जाता है कसी को लात मारने पर घोड़े को मार दया
जाता है ले कन भारतीय दं ड सं हता म य द जानवर चोट प ंचाता है तो हम जानवर को उ रदायी नह बनाते ह ले कन मा लक को ऐसी चोट के लए उ रदायी ठहराया जाता है इस लए अपराध का पहला
त व है इंसान
ऐसे ाणी ज ह उ चत दं ड दया जाना चा हए और उ ह आपरा धक प से उ रदायी ठहराने के लए कानूनी दा य व होना चा हए। भारतीय दं ड सं हता क धारा म को प रभा षत कया गया है
जसम कं पनी एसो सएशन या य का नकाय शा मल है चाहे वह नग मत हो या नह । श द म कृ म या या यक शा मल ह। वह कानून ारा बनाई गई एक कानूनी इकाई है जो एक
ाकृ तक नह है जैसे क रा य क़ानून के तहत बनाया गया नगम। यह एक कानूनी इकाई है जसक व श पहचान और कानूनी अ धकार ह
कानून के तहत दा य व.
इसका मतलब है क दोषी इरादा और दोषी अ ध नयम मलकर एक अपराध बनाते ह। यह एक कहावत है क कसी भी को आपरा धक कृ त क कायवाही म तब तक दं डत नह कया जा सकता
जब तक यह सा बत न हो जाए क उसका दमाग दोषी है।
सरा त व मनः त है जसे दोषी मन के व भ प म समझाया जा सकता है एक दोषी या ग़लत उ े य आपरा धक इरादा दोषी ान और इ ाश सभी एक ही चीज़ का गठन करते ह
आपरा धक मनः त।
एक चूक है. आयोग एक आपरा धक ग त व ध है जो वे ा से शरीर हलाने का प रणाम है। यह एक ऐसी शारी रक ग त व ध का वणन करता है जो कसी या संप को नुक सान प ँचाती है। मानव
शरीर के व शारी रक हमला ह या चोट शकायत चोट आ द शा मल ह और संप म चोरी डकै ती जबरन वसूली शा मल है
वगैरह।
यह चूक आपरा धक लापरवाही के अ ध नयम के प म ए टस रीस का सरा प है। उदाहरण के लए सर को चेतावनी दे ने म चूक हो सकती है क आपने एक खतरनाक त पैदा कर
द है। आपक दे ख भाल म छोड़े गए शशु को महसूस न करना या काम से संबं धत काय पूरा न करना जसके प रणाम व प घटना ई।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
ए टस रेउस का अथ
यह दोषी
अ ध नयम के लए एक लै टन श द है। अपराध करने के लए आपको जस अ ध नयम क आव यकता है। यह वा तव म एक वै क काय होना चा हए जैसे चोरी म कं गन लेना। यह कोई अनै क कृ य
नह है. हल बनाम बै सटर के मामले म दए गए अनै क काय का एक उदाहरण यह था क कसी ने कार पर नयं ण खो दया था य क उन पर मधुम खय के झुंड ने हमला कया था या य क उ ह दल का
ए टस रीस मानवीय आचरण का ऐसा प रणाम है जसे कानून रोकना चाहता है। इसे कानून ारा तबं धत कया जाना चा हए। यह अपराध का एक भौ तक पहलू है. मूल प से आपरा धक
कानून के दो मु य घटक ह ए टस रीस और मे स रीस।
ए टस रीस कसी ारा कया गया गलत काय या काय है और मे स रीस ऐसे कृ य के पीछे मान सक यो यता क त है। मे स री एक ऐसा श द है
जससे स लै टन कहावत ए टस नॉन फै सट रेम नसी मे स सट री क उ प ई है। ए टस नॉन फै सट रेम नसी मे स सट री आगे बताता है क कसी अपराध
या अपराध को करने म मे स री कै से लागू होता है। इसम कहा गया है क य द कसी दोषी मन या इरादे के साथ गलत काय कया जाता है तो के वल वही
उ रदायी होगा। इस सू का योग यह नधा रत करने के लए कया जाता है क कसी ारा कया गया काय अपराध या अपराध है या नह । कठोर द डा मक
कायवाही ह
काय म चूक मा से आपरा धक दा य व नह हो सकता जब तक क कोई क़ानून वशेष प से ावधान नह करता है या कोई सामा य कानून उस पर कोई
शु क नह लगाता है। नै तक कत को कसी अ ध नयम के कानूनी कत से अलग कया जाना चा हए।
अपराध म कारण
काय कारण स ांत को इस तक सी मत कया जा सकता है क या तवाद क अवैध कारवाई नुक सान का एक ऑपरे टव और पया त कारण थी
जसके प रणाम व प आ। कोट ने जो सवाल पूछा वह ले कन के लए था. ले कन तवाद कारवाई के लए नुक सान आ है. उदाहरण के लए अ बट ारा
व टो रया को जहर दे ना जब व टो रया क दल का दौरा पड़ने से मृ यु हो जाती है इससे पहले क जहर भावी हो जाए घटना को सरे तरीके से तुत कया
जाए हालां क इससे लाइलाज बीमारी वाले कसी के जीवन म गोली लगने से फक पड़ता है जससे उनक मृ यु हो जाती है य क गैरकानूनी आचरण के बना
वे ऐसा नह कर सकते। जस समय और उन प र तय म मृ यु ई है।
हालाँ क ले कन इसके लए स ांत म अभी भी कई संभा वत कारण शा मल ह हम कानूनी कारण भी पूछते ह यानी क या तवाद कारवाई नुक सान
का स य और पया त कारण है। यह है
सबसे मह वपूण जहां कसी अ य या पी ड़त क कारवाई और न यता घटना के सामा य पा म को बदल दे ती है। इसे तं का ए टस ह त ेप और एक
नया ह त ेप अ ध नयम के प म जाना जाता है।
का पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
ोफे सर हाड और ऑनर ने इस स ांत को उन प र तय के बीच अंतर का उपयोग करके वक सत कया है जो त या मक पृ भू म या तय से अलग ह और जो कारण ह। वे बताते ह क आग शु
करने के लए आपको एक मा चस ऑ सीजन और दहन साम ी क आव यकता होती है ले कन हम के वल उस आग का कारण बनगे। इस मामले म ऑ सीजन और वलनशील पदाथ सामा य तरीके ह
जब क गराए गए मा चस के कारण असामा य ह और उनके वचार म असामा य चीज ही कारण हो सकती ह। यह है क कौन सी चीज असामा य ह। इस बात पर जोर दया गया क के वल वै क प
से और कसी तीसरे प का अनौपचा रक काय ही वतं हो सकता है
आर बनाम मथ तवाद के मामले म एक सै नक ने सेना म झगड़ा कया और सरे सै नक को चाकू मार दया घायल सै नक को अ ताल ले जाया गया ले कन रा ते म दो बार छोड़ दया
गया। एक बार उनके ारा दए गए उपचार को गलत बताया गया। वे नदान करने म वफल रहे क उसका फे फड़ा फट गया और सपाही क मौत हो गई.
तवाद को ह या का दोषी ठहराया गया था और अपील म तक दया गया था क य द पी ड़त को सही च क सा उपचार दया जाता तो उसक मृ यु नह होती। यह माना गया क चाकू का घाव मौत का एक
कारण था और इस लए दोष स को बरकरार रखा गया। ऐसे मामल म अदालत तवा दय क इस शकायत पर वचार करने म अ न ु क थी क य द उ ह उ चत च क सा दे ख भाल मली होती तो उनके
पी ड़त बच जाते।
कारण कारण का शा दक अथ है ाथ मक कारण या काय का वतक। यह सभी कारण का कारण है। सभी कारण से होने वाली त को आम तौर पर कारण कारण से संद भत कया जाता
है। हजाना पाने के लए तवाद को अवैध अ ध नयम के कारण नुक सान होना चा हए जसे दावेदार ारा सा बत कया जाना चा हए। तवाद ारा हा न के मूल कारण को सा बत करने क कोई आव यकता
नह है। हालाँ क नुक सान का कारण नधा रत करते समय अदालत तवाद ारा नुक सान के मूल कारण के लए दए गए उ चत ीकरण पर वचार करेगी।
दे श रा य
मोती सह और जगदं बा साद अपीलकता को पांच अ य य के साथ मलकर धारा धारा धारा और धारा के साथ पढ़ा गया के तहत अपराध के लए उ ाव के स
यायाधीश ारा दोषी ठहराया गया था। उनम से येक को धारा के साथ धारा के तहत आजीवन कारावास क सजा सुनाई गई थी। भारतीय दं ड सं हता क धारा . आरोप है क जब पी ड़त प
रा ते से गुज रा तो आरोपी प के सद य ने रा ते के सरी तरफ कमरे के अंदर और बाहर दोन ओर से बं क और प तौल से फाय रग क । मोती सह क दोष स के लए जन सा य पर भरोसा कया
गया है उनम गया चरण का मृ युपूव बयान ए स खा और संभवतः अ भयोजन प के गवाह के बयान भी शा मल ह य क एचसी ने वशेष प से ऐसा नह कहा है। फर से उ यायालय ने दशन
खा पर भरोसा कया गया चरण का क थत मृ युक ालीन बयान नणायक था जो क भाग लेने वाले य क सं या तय करने का कारक था।
कमरे से और मंच से फाय रग. नतीजा यह आ क गया चरण ए स खा का बयान सा य म अ ा है। यह स के न कष को बरकरार रखने वाले एचसी के फै सले का मु य आधार था।
अपीलकता उन य म से थे ज ह ने कमरे और मंच से गोलीबारी क थी। इस लए इसने एचसी के आदे श के खलाफ अपील क अनुम त द और मोती सह और जगदं बा साद को उन अपराध से बरी
कर दया जनके लए उ ह दोषी ठहराया गया था और यह माना गया क मोती सह और जगदं बा साद ने उस घटना म भाग नह लया था। यह नदश दया गया क य द कानून क कसी या के तहत
हरासत म लेने क आव यकता नह है तो उ ह तुरंत रहा कर दया जाए। अदालत ने अपील वीकार कर ली.
रवाम बनाम म रा य
इस अपील म अपीलकता रवाम ारा दोष स को चुनौती द गई थी। दं ड सं हता क धारा के तहत प नी क ह या के लए उसे आजीवन कारावास क सजा सुनाई गई है।
नूर खान बनाम म रा य। उस मामले म लगी चोट का उ लेख करने के लए च क सीय सा य का उपयोग कया गया था। प रणाम व प अपील क अनुम त नह द गई और उस पर अमल नह कया
गया। दं ड सं हता क धारा के तहत अपीलकता रेवाराम को आजीवन कारावास क सजा क सजा क पु क जाती है।
अ या शत ह त ेप हर जदर सह बनाम द ली
शासन
इस मामले म द ली के जमीरवाली लेन म एक टन फै के सामने पानी के नल के पास अपीलकता दलीप कु मार और हर जदर सह के बीच झगड़ा आ। लड़ाई म हर जदर सह बुरी तरह
घायल हो गया और वह यह धमक दे क र वहां से चला गया क वह दलीप कु मार को सबक सखा दे गा। अपीलकता अपने भाई अमरजीत सह के साथ वापस जाने के लए लौटा ले कन इन दोन या दलीप
कु मार ने उसे घर से बाहर गली म ख च लया और जमीरवाली गली म लप पो ट के पास उसक पटाई कर द । हम ऐसा लगता है क उ यायालय ने इस बात पर वचार नह कया है क इस मामले म
तीसरा घटक स आ है या नह ।
हमारी राय म प र तयाँ इस न कष को उ चत ठहराती ह क अ भयु ने चोट प ँचाने का इरादा नह कया था। जब अपीलकता ने मृतक पर चाकू से वार कया तो उसे पता होगा क मृतक झुक ई
त म है। इन प र तय म उसने मृतक को चोट प ंचाने के इरादे से चाकू से हमला कया जससे मौत होने क संभावना काफ वैध थी। अपील वीकार क जाती है और
असल म कोई भी
काय तब अपराध बन जाता है जब वह बुरे इरादे से कया जाता है। अपराध करने के लए बुरा इरादा या दोषी दमाग आव यक है अ यथा कसी को उ रदायी नह ठहराया जा सकता और दं डत
नह कया जा सकता। मे स री एक स कहावत पर आधा रत है। ए टस नॉन फै सट रेम नसी मे स सट री जसका अथ है क अ ध नयम कसी को तब तक दोषी नह बनाता जब तक क उसका इरादा ऐसा
न हो। पहले अं ेज ी आपरा धक कानून म अपराध और अपकृ य के बीच कोई अंतर नह था। आपरा धक कानून स त दा य व पर आधा रत था और उन दन सज़ा मु य प से मौ क मुआ वजे के प म होती थी।
इस लए अपराध म मान सक त व अ ासं गक था ले कन बाद म त के ान पर शारी रक दं ड आ गया। अब यह से मे स री को मह व मल गया. इस समय अपराध म मान सक त व को मा यता द गई समय बीतने
के साथ अपराध का नणय करने म मान सक कारण एक त व बन गया। कसी भी आपरा धक दा य व के लए अ ध नयम वे ा से कया जाना चा हए। कसी भी को कसी डर या दबाव के तहत कए गए काय
के लए उ रदायी नह ठहराया जा सकता है। उदाहरण के लए A B पर रवॉ वर तानता है और कहता है क C के घर का ताला खोलो। यहां B अ ध नयम वै क नह है ब क यह उसक इ ा के व था।
इरादा और मकसद अपराध का एक अलग त व है मकसद अ ा या बुरा हो सकता है ले कन अगर इरादा अ ा नह है तो को अपराध के लए ज मेदार ठहराया जाता है।
उदाहरण के लए य द A भूख के कारण कसी कान से रोट चुराता है। यहां मकसद अ ा है ले कन फर भी वह चोरी के लए उ रदायी है।
आर बनाम स
राजकु मार ने वष से कम उ क एक लड़क को उसके पता क इ ा के व उसके पता के पद से हटा दया। स ने तक दया क लड़क ने उसे बताया क वह साल क है और
इरादा नेक था य क वह साल या उससे अ धक क लग रही थी। इस मामले म अदालत ने माना क उसे आपरा धक मनः त के स ांत का लाभ नह दया जा सकता य क यह कानून क गलती
का मामला है साल से कम उ क लड़क को ले जाना गैरकानूनी है इस लए उसे दोषी ठहराया गया।
सामा य स ांत
ए टस नॉन फे सट रेम नसी मे स सट री एक अ ध नयम वयं कसी को दोषी नह बनाता है जब तक क मन भी दोषी न हो। इस दोषी मन को मे स री के नाम से जाना जाता है। म स री के
दो त व ह पहला काय करने का इरादा और सरा उन प र तय का ान जो अ ध नयम को एक आपरा धक अपराध बनाते ह। मन क भावना अलग अलग प रवेश म अलग अलग कार क होती है
अथात एक कार के आपरा धक अपराध के लए जो बुरा इरादा होता है वह सरे कार के आपरा धक अपराध के लए नह हो सकता है। उदाहरण के लए ह या के मामले म चोरी का इरादा आपरा धक
मामला है तो चोरी के मामले म चोरी का इरादा आपरा धक मामला है।
मे स रया के अ य प
का पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
इरादा मकसद
ान
लापरवाही लापरवाही.
ये सभी व भ कार क मान सक यो यता को संद भत करते ह जो क मनः त का गठन करती है।
सु ीम कोट ने माना क वैधा नक दं ड ावधान को आपरा धक मनः त के त व के साथ पढ़ा जाना चा हए जब तक क कोई क़ानून प से या आव यक न हताथ से इसे खा रज न कर
दे ।
इरादा यह वह
उ े य या डज़ाइन है जसके लए कोई काय कया गया है। इरादा मूल प से कसी अपराध को करने म कसी वशेष समय पर मन क त और उसके गैरकानूनी भाव के भाव को दे ख ने क
आरोपी क इ ा है।
इरादा और मकसद
उ े य इरादे के लए धन का काम करता है। मकसद वह कारण है जसके लए कोई कु छ करने जा रहा है। यह वह फ वारा है जहां से याएं नकलती ह जब क इरादा वह ल य है जसके लए
उ ह नद शत कया जाता है। इरादा का अथ है कसी काय को करने का उ े य कसी काय को करने का कारण नधा रत करता है। इरादा कसी को अपराध के लए उ रदायी बनाने का मूल त व है जो
आमतौर पर मकसद से वपरीत होता है। इरादा वा तव म मकसद का उ पाद है मकसद कानूनी नह है
अपराध का त व. मकसद एक मह वपूण भू मका नभाता है य क यह समझे बना क लोग कु छ अपराध य करते ह हम यह समझना बाक रह जाता है क उ ह ने यह काम अ े मकसद से कया है या
बुरे इरादे से।
म से पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
कसी को नुक सान प ंचाना कसी क लापरवाही कहा जाता है इस लापरवाहीपूण काय को कसी के आपरा धक दा य व के लए एक उ े य माना जाता
है।
पया त दे यता
परो दा य व के स ांत के अनुसार जब कोई कसी अ य ारा कए गए गलत काय के लए उ रदायी होता है तो उस पहले को सरे के काय के लए
परो प से उ रदायी माना जाता है।
। यहां उन दोन के बीच संबंध होना ज री है।
A और B के बीच कु छ संबंध होना चा हए तभी A का कोई काय करने के लए B के त दा य व उ प हो सकता है।
रोजगार के दौरान सपल अपने एजट ारा कए गए अपराध के लए उ रदायी होता है। वाद के पास सपल या एजट या उन दोन पर मुक दमा करने का वक प है।
जो सरे के ारा काम करता है वह अपने ारा काम करता है वामी अपने दास के काम के लये उ रदायी होगा।
अपराधी दा य व
हमारे समाज म अ सर ऐसे अपराध घ टत होते रहते ह जो मानवता के स ांत के व होते ह। कसी अपराध के लए दोषी ठहराए गए
पर एक न त आपरा धक दा य व होता है। सामा य स ांत यानी ए टस रीस और मे स री आपरा धक दा य व तय करने म मह वपूण भू मका नभाते ह।
अपराध
हमारे समाज म ब त सारी बुराइयां ह उनम से एक अपराध भी है। अपराध क कोई सावभौ मक वीकृ त प रभाषा नह है हालाँ क कसी या लोग के समूह के कु छ काय जो लोग को नुक सान प ँचाते ह या
समाज क शां त और शां त को भंग करते ह उ ह अपराध कहा जा सकता है। वह जो अपराध करता है
कानून के अनुसार दं डत कया जाता है ता क भ व य म ऐसी ग त व धय क पुनरावृ न हो। सामा य तौर पर न न ल खत कृ य को अपराध माना जा सकता है जैसे सावज नक व ा पर
हमला सावज नक संप का पयोग या बाधा जनता को चोट प ंचाना य पर हमला करना और उनके अ धकार पर क जा करना य क संप पर हमला अ धकार इस
कार अपराध हो सकते ह दोहरी कृ त अथात द वानी या फौजदारी। कभी कभी एक दे श म अपराध कसी अ य दे श म अपराध नह हो सकता है य क अपराध का नणय रा के क़ानून
यासार अपराध मानव शरीर
ारा कया जाता है। समाजशा ी के अनु ऊपर संप सावज नक ान धम संबं धत साथ वगैरह।
अपराध क प रभाषाएँ
सर व लयम लैक टोन के अनुसार अपराध सावज नक कानून के उ लंघन म कया गया या छोड़ा गया काय है जो उसे मना करता है या आदे श दे ता है।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
ोफे सर एसड यू क टन के अनुसार आज एक अपराध कोई भी अवांछनीय काय तीत होता है जसे रा य कु छ घायल के ववेक पर छोड़ने के बजाय दं ड दे ने क कायवाही करके
सुधारना सबसे सु वधाजनक समझता है। ।
आईपीसी क धारा के अनुसार अपराध उस चीज को दशाता है जसे सं हता ारा दं डनीय बनाया गया है।
इं लड के है सबरी कानून के अनुसार अपराध एक गैरकानूनी काय या डफ़ॉ ट है जो एक है
जनता के व अपराध और को उस कृ य का दोषी या चूक करने वाला कानूनी दं ड का भागी बना दे ता है।
बीए रॉटली के अनुसार अपराध कानून के व अपराध है और आम तौर पर नै तकता के व अपराध है समाज के अपने साथी सद य के त एक के सामा जक कत के
व अपराध है यह अपराधी को सजा के लए उ रदायी बनाता है।
अपराधी दा य व
जब कोई कोई न त काय करता है तो उसके सकारा मक नकारा मक या तट प रणाम हो सकते ह। एक अपने कृ य के प रणाम के लए उ रदायी है। कानून म
आपरा धक दा य व को कसी अपराध के लए कसी के दा य व या ज मेदारी के प म प रभा षत कया जा सकता है जब उसने जानबूझ कर मता क कमी के कारण गलती से काय करने के
वपरीत आपरा धक इरादे से काय कया हो।
या को काय
य द अदालत म दा य व सा बत हो जाता है तो तदनुसार सजा सुनाई जाएगी। आपरा धक दा य व तय करने म ए टस रीस और मे स री मु य भू मका नभाते ह।
ए टस रीस आपरा धक दा य व का पहला सामा य स ांत है। यह एक लै टन श द है जसका अथ है दोषी कृ य । इसे कसी अपराध का बा त व या व तु न त व भी कहा जाता है।
क़ानून के अनुसार यह उस काय या चूक को संद भत करता है जसम अपराध के भौ तक त व शा मल होते ह।
अपने आपरा धक कानून म लेन वले व लय स ने कहा क ए टस रीस म सभी बाहरी चीज शा मल ह
भू मका नभाती है
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
मे स री मे स री
आपरा धक दा य व का एक और सामा य स ांत है। यह एक लै टन श द है जसका अथ है दोषी दमाग ए टस रीस के ठ क वपरीत। आम भाषा म इसे कसी के अपराध करने के इरादे के
मान सक त व के प म प रभा षत कया जा सकता है। अपराध करने के लए मान सक त बु नयाद त व म से एक है। इस लए हम कह सकते ह क आपरा धक कृ य के पीछे मन क मंशा ही ेरक श है।
पु ष क ड ी
एक अपराध से सरे अपराध का कारण अलग अलग होता है। ह या जबरन यौन उ पीड़न संप क चोरी ह या आ द के मामल म अपराधी के मन म इन अपराध को करने का इरादा होता था।
मे स री का स ांत लै टन मै सम ए टस नॉन फै सट रेम नसी मे स सट री पर आधा रत है जसका अथ है काय कसी को दोषी नह बनाता जब तक क मन भी दोषी न हो। इस स ांत के
अनुसार कसी अपराध को ग ठत करने के लए शारी रक कारवाई पया त नह है। इसके अलावा मे स री के तपादक ने वीकार कया है क येक म सही और गलत के बीच चयन करने क मता
है। एक सही दशा चुनने के लए अपनी बु और ववेक का उपयोग कर सकता है। चुनाव करने के बाद उसे उसक ज मेदारी भी लेनी होगी। मनु य वतं पैदा होता है और उसे वतं प से काय
करने क वतं ता है।
अ धकांश नयो जत या संग ठत अपराध समूह आपरा धक दा य व क ेण ी म आते ह। भारतीय दं ड सं हता म समूह दा य व से संबं धत ावधान को संयु दा य व के अंतगत शा मल
कया गया है। आईपीसी क धारा से अपराध करने म संयु दा य व के स ांत का तीक है।
अ ध नयम क धारा
का पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
यह धारा ऐसे कृ य को कवर करती है जो आपरा धक जानकारी या इरादे से कए जाने के कारण आपरा धक है।
इस धारा के ावधान के अनुसार जब भी कोई काय जो के वल आपरा धक ान या इरादे से कया जाने के कारण आपरा धक है कई य ारा कया जाता है तो ऐसे येक जो इस तरह के
ान या इरादे से काय म शा मल होता है। उस काय के लए उसी तरह से उ रदायी है जैसे क ान का इरादा।
उदाहरण के लए ए और बी ज़ेड को अलग अलग समय पर ज़हर क छोट खुराक दे क र उसक ह या करने के लए सहमत ह। समझौते के अनुसार ए और बी ने ज़ेड क
ह या करने के इरादे से ज़हर दया। ज़ेड को द गई ज़हर क कई खुराक के भाव से उसक मृ यु हो जाती है। यहां ए और बी जानबूझ कर ह या म सहयोग करते ह और चूं क उनम से
येक एक ऐसा काय करता है जसके कारण मौत होती है वे दोन अलग अलग दोषी ह।
रचना मक दा य व रचना मक दा य व
काफ हद तक समूह या संयु दा य व के समान है। यह इस स ांत पर आधा रत है क कानून क से एक सरे के काय के प रणाम के लए उ रदायी है भले ही उसने
ऐसा वयं न कया हो। कई बार यह पाया गया है क अपराध करने वाला महज एक साधन था जब क वा त वक और मु य अपराधी कोई अ य था। उकसावे का मामला
रचना मक दा य व का आदश उदाहरण है।
अलाउ न मयां बनाम बहार रा य मामले म भारतीय दं ड सं हता क धारा के मह व को समझाते ए सु ीम कोट ने कहा है क यह धारा रचना मक दा य व बनाती
है और गैरकानूनी सभा के येक सद य को अपराध या कए गए अपराध के लए उ रदायी बनाती है। घटना क या बशत क यह सामा य उ े य के अ भयोजन म तब था
कए गए थे या ऐसे थे थे जनके बारे म उस सभा के सद य को पता था क ऐसा होने क संभावना है।
रामा पासी और अ य बनाम यूपी रा य मामले म अदालत ने माना क धारा एक गैरकानूनी सभा के सभी सद य के लए परो या रचना मक आपरा धक दा य व
नधा रत करती है जहां ऐसी गैरकानूनी सभा के कसी भी सद य ारा सामा य अ भयोजन म अपराध कया जाता है। उस सभा का उ े य या उस सभा के सद य को पता था क उस
उ े य के अ भयोजन म तब होने क संभावना है।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
एक पूण या है जसम कई चरण होते ह हालां क इसके कु छ अपवाद भी ह जब कु छ आपरा धक ग त व धयां तुरंत कसी ान पर होती ह। पूव च तत म इस कार है अपराध इरादा.
यह कसी अपराध के घ टत होने का पहला चरण है इसे मान सक और मनोवै ा नक अव ा भी कहा जाता है।
इस अव ाम अपराधी नणय लेता है क उसे कोई आपरा धक कृ य करना है। इसके अलावा अपराधी अपराध करने का मकसद तय करता है और योजना बनाता है। कई
बु जीवी इस अव ा को चतन अव ा का नाम दे ते ह। नया के कसी भी कानून म कसी आपरा धक कृ य को करने का इरादा पैदा करने वाले को दं डत करने का कोई
ावधान नह है य क यह एक मान सक अवधारणा है जसे अदालत म सा बत नह कया जा सकता है।
तैयारी
इरादे के बाद तैयारी का चरण आता है जो कसी अपराध को अंज ाम दे ने म मह वपूण भू मका नभाता है। इस चरण म एक अपराधी जानबूझ कर आपरा धक कृ य को अंज ाम दे ने के लए
आव यक संसाधन क व ा करता है।
उदाहरण के लए य द कोई कसी अ य को कसी भी कारण से मारना चाहता है तो ारं भक चरण म वह अपनी मता के आधार पर ह थयार कराए
पर लोग या कसी अ य चीज़ क व ा कर सकता है।
आमतौर पर अपराध करने क तैयारी दं डनीय नह है हालां क कु छ मामल म यह दं डनीय हो सकता है जैसे सरकार के खलाफ यु छे ड़ने क तैयारी धारा म
वदे शी दे श के खलाफ धारा और डकै ती या डकै ती करना। धारा .
को शश करना
अपराध करने का यास तीसरा चरण है। यह अपराध करने का पहला चरण है। इसे इरादे और तैयारी के चरण के बाद कसी अपराध को अंज ाम दे ने क दशा म सीधे आंदोलन के
प म प रभा षत कया जा सकता है।
सर ट फ़न के अनुसार कसी अपराध को करने का यास उसे करने के इरादे से कया गया काय है और यह कृ य क एक ृंख ला का ह सा है जो अपराध बन सकता है
य द इसे बा धत न कया जाए।
गया है। ।
और
कई मामल म पूण अपराध और उसके लए अलग अलग सज़ा का ावधान कया गया है
को शश करना। ऐसे मामले धारा और के तहत ह.
बाक मामले धारा के अंतगत आते ह.
Accomplishment उप लध
यह अपराध करने का अं तम चरण है। यह अव ा तब मानी जाती है जब कोई अपराधी अपने इरादे को अंज ाम दे ने म सफल हो जाता है। त के आधार पर य द
अपराध पूरा हो जाता है तो दोषी हो जाएगा और असफल होने पर वह अपने यास का दोषी होगा।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
पहले छोटे अपराध को छोटा अपराध माना जाता था ले कन अब इसे गंभीर अपराध माना जाता है।
ऐसे काय ह जो अपने आप म अपराध नह हो सकते ह हालाँ क काय बढ़ते अपराध को आगे बढ़ाने के उ े य के प म काय कर सकते ह।
या ए
बहकाव
सरल श द म उकसाने का अथ है कु छ गलत करने के लए ो सा हत करना या सहायता करना वशेष प से अपराध करने के संदभ म। ेरण के दायरे म सहायता सह
ग त व ध और समथन शा मल है। कई बार कोई कु छ आपरा धक कृ य नह करना चाहता तथा प कसी अ य के भाव या उकसावे म आकर वह अपराध कर सकता है।
संज ू बनाम म य दे श रा य के मामले म माननीय सव यायालय ने ेरण को इस कार प रभा षत कया है जसका अथ है सहायता करना
सहायता करना या सहायता दे ना आदे श दे ना ा त करना या परामश दे ना समथन करना ो सा हत करना या कसी अ य को ा पत करना। तब करने
के लए।
आम तौर पर जस ने यह अपराध कया है वह इसके लए उ रदायी है ले कन उकसाने का स ांत इस बात पर जोर दे ता है क जसने अपराधी क मदद
क या उसे सहायता दान क उसे भी उ रदायी ठहराया जा सकता है। आईपीसी म ेरण से संबं धत ावधान।
धारा
उदाहरण के लए A एक सावज नक अ धकारी Z को पकड़ने के लए यायालय से वारंट ारा अ धकृ त है। B यह जानते ए भी क त य को जानता है और यह भी क C नह
है Z जानबूझ कर A को दशाता है क C Z है और इस कार जानबूझ कर A को C को पकड़ने के लए उकसाता है। यहां B C को पकड़ने के लए उकसाता है।
ेरक धारा
एक कसी अपराध का ेरण करता है जो या तो कसी अपराध को करने के लए उकसाता है या कसी ऐसे काय को करने के लए उकसाता है जो एक अपराध होगा य द
अपराध करने वाले के समान इरादे या जानकारी के साथ अपराध करने म कानून ारा स म ारा कया जाता है। . ेरण का अपराध ग ठत करने के लए यह आव यक नह है क
े रत काय कया जाए या ेरण का अपराध ग ठत करने के लए अपे त भाव हो।
अपराध आ. चा हए होना
उदाहरण के लए A B को C क ह या करने के लए उकसाता है। B ऐसा करने से इंक ार करता है। ए बी को ह या के लए उकसाने का दोषी है।
यह आव यक नह है क े रत कानून के अनुसार अपराध करने म स म हो या उसके पास े रत करने वाले के समान ही दोषी इरादा या ान हो या कोई दोषी इरादा
या ान हो।
उदाहरण के लए ए दोषी इरादे से कसी ब े या पागल को ऐसा काय करने के लए उकसाता है जो ऐसा करेगा
म से पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
यह एक अपराध है य द यह कसी ऐसे ारा कया गया है जो कानून ारा अपराध करने म स म है और जसका इरादा ए के समान है। यहां ए चाहे काय कया गया हो
या नह अपराध को बढ़ावा दे ने का दोषी है।
अ ध नयम क धारा
यह धारा उकसाने क सजा से संबं धत है य द े रत काय प रणाम व प कया जाता है और जहां इसक सजा के लए कोई ावधान नह कया गया है। इस धारा के ावधान के
अनुसार जो कोई भी कसी अपराध के लए उकसाता है य द उकसाया गया काय उकसाने के प रणाम व प कया जाता है और इस कोड ारा ऐसे उकसावे क सजा के लए कोई ावधान नह कया
गया है तो उसे अपराध क सजा से दं डत कया जाएगा।
दान कया के लए
अ ध नयम क धारा
यह धारा ेरण क सजा से संबं धत है य द े रत ेरक के इरादे से भ इरादे से काय करता है। इस धारा के ावधान के अनुसार जो कोई भी
कसी अपराध को करने के लए उकसाता है य द उकसाने वाला उकसाने वाले से अलग इरादे या जानकारी के साथ काय करता है तो उसे उस अपराध के लए दान
क गई सजा से दं डत कया जाएगा जो कया गया होगा। य द काय ेरक के इरादे या ान से कया गया हो कसी अ य के साथ नह ।
उदाहरण के लए A B को Z का घर जलाने के लए उकसाता है। बी ने घर म आग लगा द और साथ ही वहां क संप क चोरी भी क । क य प घर को जलाने
के लए उकसाने का दोषी है पर तु चोरी के लए उकसाने का दोषी नह है य क चोरी एक व श काय था न क जलाने का संभा वत प रणाम।
य द वह काय जसके लए ेरक अं तम पूववत धारा के तहत उ रदायी है े रत काय के अ त र कया गया है और एक अलग अपराध बनता है तो ेरक येक अपराध
के लए दं ड के लए उ रदायी है।
उदाहरण के लए ए बी को एक लोक सेवक ारा कए गए संक ट का बलपूवक वरोध करने के लए उकसाता है। प रणाम व प बी उस संक ट का
वरोध करता है। तरोध क पेशकश करते ए बी वे ा से संक ट को अंज ाम दे ने वाले अ धकारी को गंभीर चोट प ंचाता है। चूं क बी ने संक ट का वरोध करने का अपराध
कया है और
वे ा से गंभीर चोट प ंचाने का अपराध बी इन दोन अपराध के लए दं ड के लए उ रदायी है और य द ए को पता था क बी संक ट का वरोध करने के लए वे ा से गंभीर चोट प ंचा सकता है। ए भी अपराध
के लए दं ड का भागी होगा।
येक का
अ ध नयम क धारा
यह धारा ेरक ारा कए गए कृ य से भ भाव के लए ेरक के दा य व से संबं धत है। इस धारा के ावधान के अनुसार जब कसी काय को े रत करने वाले क ओर से वशेष
भाव उ प करने के इरादे से े रत कया जाता है और एक काय जसके लए ेरण के प रणाम व प ेरक उ रदायी होता है तो उस आशय से भ भाव उ प होता है ेरक ारा कए गए
भाव के लए ेरक उसी तरीके से और उसी सीमा तक उ रदायी है जैसे क उसने उस भाव को उ प करने के इरादे से काय को े रत कया था बशत क वह जानता हो क े रत काय से वह
भाव उ प होने क संभावना थी .
का पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
उदाहरण के लए A B को Z को गंभीर चोट प ँचाने के लए उकसाता है। B उकसाने के प रणाम व प Z को गंभीर चोट प ँचाता है प रणाम व प Z क मृ यु
हो जाती है। यहां य द ए को पता था क उकसाने वाली गंभीर चोट से मृ यु होने क संभावना है तो ए ह या के लए दान क गई सजा से दं डत होने के लए उ रदायी है।
अ ध नयम क धारा
यह धारा अपराध के लए उकसाने पर मौत या आजीवन कारावास से दं डनीय है य द अपराध नह कया गया है से संबं धत है। इस धारा के ावधान के अनुसार जो कोई मृ यु या आजीवन कारावास से
दं डनीय अपराध को करने के लए उकसाता है उसे य द उकसाने के प रणाम व प वह अपराध नह कया जाता है और सजा के लए इस सं हता ारा कोई ावधान नह कया गया है। इस तरह के उकसावे के
लए सात साल तक क कै द क सजा हो सकती है और जुमाना भी लगाया जा सकता है। वष य द नुक सान प ंचाने वाला काय प रणाम व प कया जाता है और य द कोई ऐसा काय जसके लए ेरक ेरण के
प रणाम व प उ रदायी है और जो कसी भी को चोट प ंचाता है कया जाता है तो ेरक दोन म से कसी भी कार के कारावास के लए उ रदायी होगा जसक अव ध चौदह वष तक बढ़ सकती है और
उदाहरण के लए A ने B को Z क ह या करने के लए उकसाया। अपराध नह कया गया है। य द B ने Z क ह या क होती तो उसे मृ युदंड या आजीवन कारावास
क सजा होती। इस लए ए उ रदायी है
एक अव ध के लए कारावास जसे सात वष तक बढ़ाया जा सकता है और जुमाना भी लगाया जा सकता है और य द कसी को कोई ठे स प ंचाई जाए
ज़ेड को उकसाने के प रणाम व प वह कारावास के लए उ रदायी होगा जसे चौदह जुमाने तक बढ़ाया जा सकता है।
साल और को
अ ध नयम क धारा
यह धारा अपराध के लए उकसाने से संबं धत है य द अपराध नह कया गया हो तो कारावास क सजा हो सकती है। इस धारा के ावधान के अनुसार जो कोई
भी कारावास से दं डनीय अपराध के लए े रत करता है य द वह अपराध ेरण के प रणाम व प नह कया गया है और इस सं हता ारा ऐसे ेरण क सजा के लए
कोई ावधान नह कया गया है तो उसे कारावास से दं डत कया जाएगा। उस अपराध के लए कसी अव ध के लए दान कया गया कोई भी ववरण जो उस अपराध
के लए दान क गई सबसे लंबी अव ध के एक चौथाई भाग तक बढ़ाया जा सकता है या उस अपराध के लए ावधा नत जुमाने से या दोन से।
उदाहरण के लए क एक जुलूस म शा मल होने के दौरान कसी तकू ल सं दाय के सद य पर हमला करने के उ े य से दस से अ धक सद य वाले एक सं दाय
को एक न त समय और ान पर मलने के लए उकसाने वाला एक सावज नक ान पर एक त ती लगाता है। ए ने इस धारा म प रभा षत अपराध कया है।
जो कोई मृ यु या आजीवन कारावास से दं डनीय कसी अपराध को सु वधाजनक बनाने का इरादा रखता है या यह जानता है क वह इसके ारा मृ युदंड या आजीवन
कारावास से दं डनीय अपराध को सु वधाजनक बनाएगा वे ा से कसी काय या अवैध चूक ारा ऐसे अपराध करने के लए कसी डज़ाइन के अ त व को छु पाता है या
कोई अपराध करता है। ऐसे अ भक प के संबंध म वह त न ध व जसके बारे म वह जानता है क वह म या है य द अपराध कया जाता है तो उसे दं डत कया जाएगा
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
कसी अव ध के लए कारावास जसे सात वष तक बढ़ाया जा सकता है या य द अपराध नह कया गया है तो कसी भी कार के कारावास से जसक अव ध तीन वष तक बढ़ाई जा सकती
है और
कसी भी मामले म जुमाना भी लगाया जा सकता है।
उदाहरण के लए ए यह जानते ए क बी म डकै ती होने वाली है म ज े ट को झूठ सूचना दे ता है क डकै ती सी म क जाने वाली है जो वपरीत दशा म एक जगह है और इस तरह डकै ती को अंज ाम दे ने को
सु वधाजनक बनाने के इरादे से म ज े ट को गुमराह करता है। अपराध। डजाइन के अनुसरण म बी म डकै ती क गई है। ए इस धारा के तहत दं डनीय है।
उदाहरण के लए A वसायी B का मन है A B को मारने क योजना बना रहा है A ह थयार खरीदता है और B को मारने का सही समय ढूं ढने के लए उसका पीछा करना शु कर
दे ता है। ए पर बी क ह या क सा जश का आरोप लगाया जा सकता है भले ही ह या का कभी यास कया गया हो या पूरा कया गया हो।
कसी को आपरा धक सा जश के लए दं डत करने के लए यह दखाने के लए पया त सबूत होने चा हए क दो या दो से अ धक लोग अपराध करने के लए सहमत थे।
बशत क कसी अपराध को करने के समझौते को छोड़कर कोई भी समझौता आपरा धक सा जश नह माना जाएगा जब तक क समझौते के अलावा कोई काय उसके अनुसरण म ऐसे समझौते
के एक या अ धक प ारा नह कया जाता है।
जो कोई उपरो ानुसार दं डनीय अपराध करने क आपरा धक सा जश के अलावा कसी आपरा धक सा जश म भागीदार है उसे छह महीने से अ धक क अव ध के लए कारावास या जुमाना
या दोन से दं डत कया जाएगा।
धारा बी
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
को शश करना
सु ीम कोट ने को पुला वकट राव बनाम आं दे श रा य म कहा क यास श द वयं प रभा षत नह है और इस लए इसे इसके सामा य अथ म लया
जाना चा हए। अपराध करने का यास एक काय है या काय क एक ृंख ला जो अ नवाय प से अपराध के कमीशन क ओर ले जाती है जब तक क ऐसा कु छ न हो
जसके बारे म काय करने वाले ने न तो पूवाभास कया हो और न ही इसे रोकने का इरादा कया हो एक यास को आं शक न पादन म कया गया काय कहा जा सकता है
एक आपरा धक डजाइन जो के वल तैयारी से कह अ धक है ले कन वा त वक प रण त म वफल रहता है और प रण त म वफलता को छोड़कर मूल अपराध के सभी
त व को अपने पास रखता है ।
कसी अपराध को करने के यास को तैयारी के चरण से अलग करने के लए भारत क अदालत ारा कु छ परी ण को सही ठहराया गया है। उनम से कु छ ह नकटता नयम लोकस पोए नट टया का
तक को शश करना के
भारतीय दं ड सं हता ह संबं धत म साथ आईपीसी द को शश करना
अ ध नयम क धारा
यह धारा दं डनीय अपराध करने के यास के लए सजा से संबं धत है
आजीवन कारावास या अ य कारावास ।
इस धारा के ावधान के अनुसार जो कोई भी इस सं हता ारा आजीवन कारावास या कारावास से दं डनीय अपराध करने का यास करता है या ऐसा अपराध
करने का कारण बनता है और ऐसे यास म अपराध करने क दशा म कोई काय करता है जहां इस सं हता ारा ऐसे यास क सजा के लए कोई ावधान नह कया
गया है वहां अपराध के लए दान कए गए कसी भी कार के कारावास से दं डत कया जाएगा जसक अव ध आजीवन कारावास क आधी अव ध तक बढ़ाई जा सकती
है या जैसा भी मामला हो हो सकता है उस अपराध के लए कारावास क अ धकतम लंबी अव ध का आधा ह सा या उस अपराध के लए ावधा नत जुमाना या दोन के
साथ।
इस धारा के ावधान के अनुसार जो कोई भी मज री करता है भारत सरकार के खलाफ या ऐसे यु छे ड़ने का यास करता है या ऐसे यु छे ड़ने के लए
उकसाता है तो मौत क सजा द जाएगी या आजीवन कारावास क सजा द जाएगी और जुमाना भी लगाया जाएगा।
ह या का यास धारा
जो कोई भी ऐसे ान के इरादे से और ऐसी प र तय म कोई काय करता है क य द उस काय से उसक मृ यु हो जाती है तो वह ह या का दोषी होगा उसे
कसी एक अव ध के लए कारावास से दं डत कया जाएगा जसे साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुमाना भी दे ना होगा और अगर चोट लगी है
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
इस तरह के कृ य से कसी भी को चोट लगने पर अपराधी या तो आजीवन कारावास या यहां पहले उ ल खत ऐसी सजा के लए उ रदायी होगा।
जैसा है
कसी एक अव ध के लए कारावास जसे तीन वष तक बढ़ाया जा सकता है या जुमाना या दोन से दं डत कया जाएगा और य द ऐसे कृ य से कसी को चोट प ंचती है तो उसे सात साल तक क
कै द या जुमाना या दोन से दं डत कया जाएगा।
अपने शासक क मता और श य के संबंध म जनता के मन म भय बनाए रखने के लए अपनी जा के व । कभी कभी द ड कसी सरे के अपमान के प म भी दये जाते थे। हालाँ क सबसे
आम सज़ा जससे हम सभी प र चत ह वह है डांट या ह क पटाई जो हम अपने माता पता से मलती है। उस त म गंभीर अपराध के मामले म वा तव म सजा के स ांत या ह उनका वकास कै से
आ लोग को दं डत करने के व भ तरीक के फायदे और नुक सान या ह या ह धम ंथ म भी इसके बाद उ ल खत दं ड का कोई वणन है इस पेपर के मा यम से हम ऐसे सभी सवाल के जवाब
दे ने क को शश करगे और समझगे क सजा के व भ स ांत वतमान युग म कहां तक लागू ह। सज़ा के स ांत इस कार ह
स ांत.
द ड का तकारा मक स ांत
दं ड का तशोधा मक स ांत या तशोध का स ांत जैसा क समाज म कई लोग इसे मानते ह कसी अपराधी को दं डा मक सजा दे ने का सबसे बु नयाद फर भी अ ववेक पूण स ांत
है। यह एक ब त छोटे स ांत पर आधा रत है जसका नाम है ले स टै लयो नस का स ांत जसका य द अनुवाद कया जाए तो इसका अथ है आंख के बदले आंख । अब अगर द ली सामू हक
बला कार मामले जैसे ब त गंभीर और जघ य अपराध के प र े य से दे ख ा जाए तो लोग को लग सकता है क इस तरह का तशोध दे ना बेहतर है
दं ड ता क यह सु न त कया जा सके क नकट भ व य म ऐसे अपराध को रोकने के लए समाज म एक नवारक ा पत कया जाए।
हालाँ क हम कभी कभी यह समझना भूल जाते ह क हमेशा तशोधा मक कोण रखने से समाज याय क एक आ दम णाली म बदल जाएगा जहाँ राजा या यायाधीश को सव
ाणी माना जाता था और उ ह वयं भगवान का दजा दान कया जाता था इस लए ए ेस माई लॉड और इस कार त न धय के सेवक होने क अवधारणा ही व त हो जाती है। इससे पहले क हम
तशोधा मक स ांत क गहरी समझ क ओर बढ़ हम दो ब त मह वपूण स ांत को समझने क आव यकता है। आइए उन दोन पर एक नजर डालते ह।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
जब समाज के कसी सद य पर ब त जघ य अपराध होता है जसके प रणाम व प पूरा समाज मानो वह कोई ाकृ तक हो उस अपराध को अपने ऊपर आ अपराध मानता है
या तो उस क र ा के लए सामने आता है। याय क मांग करने या उसे वयं संचा लत करने से समाज को कृ त कहा जाता है।
एक ब त ही आ म ा या मक स ांत. सीधे श द म कह तो इसका मतलब यह है क जब भी कोई अ त गंभीर अपराध होता है तो समाज एक ाकृ तक का प धारण कर लेता है
और याय पाने के लए सामू हक वहार करता है।
उदाहरण के लए द ली सामू हक बला कार मामले वतमान हाथरस बला कार मामले आ द के लए दे श ापी वरोध दशन। सुधारा मक
तशोध के स ांत को इस कार कहा जा सकता है
जब समाज याय पाने क चाहत म संबं धत अ धका रय से पी ड़त को नवारक बनाने के लए तशोधा मक मूल कृ य जतना ददनाक या उससे भी अ धक दं ड दे ने क मांग करता है
तो इसे सुधारा मक तशोध द शत करना कहा जाता है। उपरो प रभाषा भी अपनी कृ त म काफ आ म ा या मक है। अब जब हमने इन दो स ांत को समझ लया है तो हमारे
पास एक बु नयाद वचार है क वा तव म
तशोधवाद या तशोधा मक याय या है। आइए अब हम इस पर करीब से नज़र डाल।
नै तक प से आनुपा तक दं ड भुगतने के पा ह
. क यह आंत रक प से नै तक प से अ ा है कसी भी अ य सामान के संदभ के बना अ ा है जो उ प हो सकता है अगर कोई वैध दं डक उ ह वह सजा दे ता है
जसके वे हकदार ह और . जानबूझ कर कसी नद ष को दं डत करना या ता ड़त करना नै तक प से अ वीकाय है
गलत काम करने वाल को असंगत प से बड़ी सज़ाएँ। उपरो तीन स ांत तशोधा मक याय
क आव यकता को और भी अ धक करते ह। तशोधा मक याय को हम इस कार समझ सकते ह। वह ान जहां आपरा धक कानून और नै तक कानून दोन मलते ह वह ान
है जहां यादातर तशोधा मक दं ड उ प होते ह।
वा तव म हालां क लोग दं ड को सात अलग अलग कार म वग कृ त कर सकते ह ले कन वा तव म हर दं ड वा तव म कृ त म तशोधा मक होता है। यह दे ख ना ब त
दलच है क टोट के तहत दावा कए गए नुक सान या पयावरण उ लंघन के लए उपाय भले ही तपूरक ह ले कन उनके मूल म वे ह
कृ त म तशोधा मक. तो फर उ ह तशोधा मक के प म लेबल य नह कया जाता खैर का उ र सरल है। तशोधा मक दं ड अपनी कृ त म कु छ हद तक तशोधपूण होते
ह आँख के बदले आँख ।
हो सकता है क वे हमेशा तशोधी न ह ले कन शायद के वल नै तक प से तशोधी ह । जब हम यह कहते ह तो इसका अथ यह है क य प सज़ा व तुतः वह चीज़ नह है जो मूल प
से अपराधी ारा क गई थी फर भी यह अपनी गंभीरता के आधार पर तशोध के प म काय करती है।
उदाहरण के लए य द कोई कसी के साथ बला कार करता है तो तशोधा मक उपाय के प म मृ युदंड दया जा सकता है। अगर हम सचमुच उस को उसका
कया आ वापस लौटा द यानी से स तो यह उसके लए यातना दे ने के बजाय आनंददायक होगा। अब जब हमने सं ेप म समझ लया है क तशोधा मक दं ड वा तव म कै से काम करता
है तो आइए अब यह समझने के लए आगे बढ़ क ह ंथ और धम ंथ म तशोधा मक स ांत को कस कार द शत कया गया है।
तशोधा मक स ांत और ह धम ंथ
ह धम ंथ वशेष प से रामायण महाभारत और गा स तशती मु य प से तशोधा मक स ांत पर आधा रत ह ले कन साथ ही उ ह लागू करते समय आगे बढ़ने के
तरीक को भी दशाया गया है।
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रामायण रामायण म पूरी कहानी तशोध से ही शु होती है। ल मण ने रावण क बहन क नाक काट द थी जसके कारण उसने सीता का अपहरण कर लया था। उसे बचाने
और उसके अपहरण का बदला लेने के लए राम रावण को मारने गए । ले कन दोन के बीच तशोधा मक दं ड के योग म बड़ा अंतर यह था क रावण ने राम को अपने छोटे
भाई के कृ य के लए प ाताप करने का मौका भी नह दया ले कन राम ने रावण को अपने कृ य को सुधारने के लए कई मौके दए ।
महाभारत महाभारत एक बार फर इस बात का ब त अ ा उदाहरण है क कै से तशोधा मक दं ड दया जाना चा हए। पांडव ने अभी यु आरंभ नह कया था। उ ह ने कई
बार ी कृ ण को अपने शां त त के प म कौरव के पास भेज ा था ले कन उ ह ने हार नह मानी। महाभारत वशेष प से ीम गवद गीता उस समय के बारे म बात करती
है जब तशोधा मक मोड का उपयोग कया जाना चा हए। जैसा क हम सभी जानते ह क अजुन यु के मैदान को छोड़ने वाला था य क वह अपने ही र तेदार के खलाफ
जाने से ब त डर रहा था यह कृ ण ही थे ज ह ने कहा था क जब अ य सभी रा ते बंद हो जाएं तभी यु का सहारा लेना चा हए। य क य द तब लड़ने से इंक ार कर
दे ता है तो इससे पूरे समाज पर घोर अ याय होगा। गा स तशती इसम भी दे वी गा व भ रा स यानी म हषासुर और शुंभ नशुंभ को उन पर जानलेवा हमला शु करने
से पहले बार बार चेतावनी दे ती ह।
. नभया फै सला यह मामला वा तव म भारत म तशोधा मक याय के बारे म बात करते ए उ लेख कया जाने वाला पहला और सबसे मह वपूण मामला है। इस
फै सले म सव यायालय ने बेहद जघ य द ली सामू हक बला कार मामले म शा मल छह अपरा धय म से चार को मौत क सजा सुनाई जससे समाज को
ब त खुशी ई य क उ ह ने बेहद वीभ स साथ ही नै तक प से अक पनीय अपराध कया था।
. अनवर अहमद बनाम. उ र दे श रा य और अ य इस मामले म अदालत ारा आ धका रक तौर पर दोषी ठहराए जाने से पहले ही दोषी छह महीने क कारावास
क सजा काट चुक ा था। कोट ने माना क चूं क दोषी को दोषी ठहराया जा चुक ा है और साथ ही उस पर आव यक दोष भी लगाया जा चुक ा है इस लए
तशोधा मक दं ड के नाम पर उसे दोबारा सजा दे ना ज री नह है य क इससे ब त बड़ा नुक सान होगा। प रवार पर भी.
. ी आ शम द ा उफ नीलू बनाम प म बंगाल रा य इस मामले म यह दे ख ा गया क नवारक और तशोधा मक सजा दोन का उ े य कसी वशेष अपराध के लए अनुक रणीय सजा पा रत
करने वाले अ य लोग ारा अपराध क पुनरावृ को रोकना है। ले कन स यता और समाज तेज ी से ग त कर रहे ह। व ान एवं ौ ो गक क उ त हो रही है। पढ़े लखे लोग और ान
क व भ शाखा के वशेष अलग अलग तरीके से सोचने लगे। आंख के बदले आंख और दांत के बदले दांत को अब अपरा धय के त सही कोण नह माना जाता है। ऐसा स ांत
जंगल के शासन को कायम रख सकता है ले कन कानून के शासन को सु न त नह कर सकता।
प वप
पेशेवर
. एक मजबूत नवारक के प म काय करता है।
. पी ड़त को नै तक याय दलाने म मदद करता है।
. समाज के अंदर यायपा लका के त व ास क भावना पैदा करना।
दोष
. कभी कभी अपराध क गंभीरता से असंगत हो सकता है।
. समाज म तशोध क भावना वक सत होती है और वनाशकारी वृ याँ उ प होती ह।
. रा य अपने कामकाज म नरंकु श हो सकता है और द ड का योग लोग को पीड़ा दे ने के लए कर सकता है।
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कड़ी सज़ा हो तो शायद इसका प रणाम समाज के लोग को पता होगा या हो सकता है
कु छ कार के अपराध के लए कड़ी सज़ा का ावधान और समाज के लोग के मन म इस डर के कारण लोग कसी भी कार का अपराध या गलत काय करने से क
सकते ह। यहां मने कूं गा के ान पर क सकता है वा यांश का उपयोग कया है । यानी कोई भी अपराध करने या उसी अपराध को दोहराने क संभावना रहती
है.
सज़ा का नवारक स ांत कृ त म उपयो गतावाद है। बेहतर समझ के लए हम इस तरह कह सकते ह आदमी को न के वल इस लए दं डत कया
जाता है य क उसने कोई गलत काय कया है ब क यह सु न त करने के लए भी कया जाता है क अपराध न कया जाए। इसे बनट जे के श द म सबसे
अ तरह से कया गया है ज ह ने एक कै द से कहा था तु ह घोड़ा चुराने के लए फांसी नह द जानी चा हए ब क इस लए द जानी चा हए
ता क अ य घोड़े चोरी न ह ।
संभा वत अपरा धय को यह एहसास दलाकर क अपराध करने के लए भुगतान नह करना पड़ता है नवारक स ांत समाज म अपराध दर को नयं त
करने क उ मीद करता है।
यायशा ीय वचारधारा
नवारक स ांत यायशा के समाजशा ीय कू ल से संबं धत हो सकता है। समाजशा ीय व ालय समाज और कानून के बीच संबंध बनाता है। यह कानून
को एक सामा जक घटना होने का संके त दे ता है
समाज से य और या अ य संबंध के साथ। नवारण का एक मु य उ े य सजा का डर पैदा करके समाज म य के लए एक उदाहरण ा पत करना है।
नवारक स ांत क अवधारणा को थॉमस हॉ स सेसारे बेक रया जेरेमी बथम जैसे दाश नक के शोध से
सरल बनाया जा सकता है। इन सामा जक अनुबंध वचारक ने अपराध व ान म आधु नक नवारण क न व दान क ।
हॉ सयन कोण म लोग आम तौर पर भौ तक लाभ गत सुर ा और सामा जक त ा जैसे अपने वाथ का पीछा करते ह और मन बनाते
ह इस बात क परवाह नह करते क इस या म वे सर को नुक सान प ंचाते ह या नह ।
चूँ क लोग अपने वाथ को ा त करने के लए ढ़ ह इस लए सुर ा बनाए रखने के लए एक उपयु सरकार के बना प रणाम अ सर संघष और तरोध होता है।
बचने के लए लोग अपनी अहंक तता को छोड़ने के लए तब तक सहमत होते ह जब तक हर कोई लगभग एक जैसा ही काम करता है। इसे सामा जक अनुबंध कहा
जाता है। के अनुसार
इस सामा जक अनुबंध म उ ह ने कहा क य को सामा जक अनुबंध का उ लंघन करने के लए दं डत कया जाता है और रा य और लोग के बीच एक सामा जक अनुबंध के पम ावहा रक समझौते
को बनाए रखने के लए नरोध का कारण है।
सेज़ ारे बेक रया के अनुसार सज़ा के बारे म चचा करते ए अपराध का अनुपात
और दं ड समान होना चा हए ता क यह नवारक के प म काम कर सके या इसका नवारक मू य हो।
जे. बथम के अनुसार जो इस स ांत के सं ापक के प म जाने जाते ह मनु य क सुख वाद अवधारणा और य द सज़ा तेज ी से न त प से और गंभीर
प से लागू क जाती तो मनु य को अपराध करने से रोका जाता। ले कन यह जानते ए क सज़ा एक बुराई है वह कहते ह य द सज़ा क बुराई अपराध क बुराई से
अ धक हो जाती है तो सज़ा लाभहीन होगी उसने एक बुराई से सरी बुराई क क मत पर छू ट मोल ले ली होगी।
• उदारता अपराध को रोकने के लए कसी भी अपराध क सज़ा व रत होनी चा हए। सजा जतनी तेज ी से द और द जाती है अपराध को रोकने म इसका
भाव उतना ही अ धक होता है।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
इस लए नवारण स ांतकार का मानना था क य द सजा कठोर न त और व रत है तो एक तकसंगत कसी भी अपराध को करने से पहले लाभ या हा न को
माप लेगा और प रणाम व प य द नुक सान अ धक होगा तो को कानून का उ लंघन करने से रोका या रोका जाएगा। लाभ क तुलना म.
ऑ टन के स ांत के अनुसार कानून सं भु का आदे श है । उ ह ने अपने अ नवाय स ांत म तीन मह वपूण बात प से घो षत क जो इस कार ह
. सं भु।
. कमान.
. मंज ूरी.
ऑ टन का सवाल है क लोग नयम का पालन य करते ह उनका मानना है क लोग कानून का पालन करगे य क लोग को सजा का डर है. उनक मा यता के
आधार पर हम यहां एक छोटा सा उदाहरण दे ख सकते ह जब लोग बाइक चला रहे होते ह तो वे बाइ कग नयम के अनुसार हेलमेट पहनते ह। अब हम मान सकते ह
क कु छ लोग सड़क घटना से बचने के लए वा तव म हेलमेट पहनते ह ले कन सरी ओर कु छ लोग जुमाने से बचने या अपने बाइ कग लाइसस र होने के डर से
हेलमेट पहनते ह। तो उस त म वे जानते ह क य द वे लापरवाही से बाइक चलाते ह या बाइ कग नयम क अवहेलना करते ह तो उ ह भारी जुमाना दे क र दं डत
कया जाएगा या उनका बाइ कग लाइसस र कर दया जाएगा। अतः यहां हम कह सकते ह क नवारक स ांत का उ े य सफल भी है और लागू भी।
अब य द हम थोड़ा पहले समय म जाएं तो हमारे ह धम ंथ म भी हम दे ख ते ह क सावज नक फांसी जैसी कई सजाएं होती थ इतना ही नह ब क लोग
को गम तेल या पानी म डु बा दया जाता था। अ धकांश दं ड णा लय ने शु आती समय तक सजा तं के आधार के प म नवारक स ांत का उपयोग कया था
व सद । •इं लड
म भ व य म समान अपराध को तबं धत करने के लए सज़ाएँ अ धक कठोर और बबर कृ त क थ । वीन ए लज़ाबेथ थम के समय भ व य म होने
वाले अपराध को सी मत करने के लए सज़ा का नवारक स ांत लागू कया गया था यहाँ तक क पॉके टमारी जैसे ब त कम अपराध के लए भी।
•भारत म भी अमानवीय सज़ाएं द जाती ह.
जवाब नह ह. नवारक स ांत के अनुसार मु य उ े य डर पैदा करके या समाज के लए एक उदाहरण ा पत करके अपराध को रोकना है। अब तो मौत क सज़ा
एक कड़ी सज़ा है. नभया के स म कोट ने सामू हक कम करने वाले चार दो षय को मौत क सजा सुनाई है. हम कह सकते ह
क यह भ व य के अपरा धय के लए एक बड़ा उदाहरण है जो भ व य म बला कार जैसा अपराध करने के बारे म सोचगे। तो इस योरी के मुता बक नभया फै सले के
बाद रेप जैसे अपराध नह होने चा हए.
ले कन ये अब तक हो रहे ह. हमारे समाज म दन ब दन रेप के मामले बढ़ते जा रहे ह।
नभया सामू हक बला कार फै सले म यह सुझ ाव दया जा रहा है क आ खरकार भारत क बेट को याय मल गया है और हालां क यह फै सला
सात साल के च का दे ने वाले फै सले के बाद आया है इससे म हला क सुर ा सु न त करने और भ व य म बला कार के मामल को रोकने म मदद मलेगी।
ले कन यह साल क शु आत के प म आगे बढ़ता नजर आ रहा है
म बला कार के कई मामले लगातार जारी रहे। उदाहरण के तौर पर हम हाल ही म ए एक सामू हक बला कार को दे ख सकते ह
जो मामला अ टू बर को हाथरस बलरामपुर म आ था। तो हम सीधे तौर पर दे ख सकते ह क कड़ी सजा से भी कोई सुधार नह हो रहा है। मृ युदंड
बला कार के मामल को रोकने का काम नह करता है यह वा त वक संदेश है जसे हमने समझा है। तो इस लए हम कह सकते ह क आज क पीढ़ म द ड के
नवारक स ांत का कोई बड़ा न हताथ नह है।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
सज़ा का नवारक स ांत अपरा धय को अ म करके संभा वत अपराध को रोकने का यास करता है।
नवारक स ांत का मु य उ े य अपराधी को ायी या अ ायी प से प रव तत करना है।
इस स ांत के तहत अपरा धय को मृ युदंड या आजीवन कारावास आ द से दं डत कया जाता है।
अपराधी और उसक कु यात ग त व धय पर अंकु श लगने से अपराध को रोका जा सकता है। नःश ता से जाँच संभव है। वकलांगता व भ कार क हो सकती है। जेल के अंदर
कै द करना वकलांगता का एक सी मत प है जो अ ायी है और जब यह वकलांगता का असी मत प है तो वह ायी है। यह सुझ ाव दे ता है क कारावास अपराध क रोकथाम का
सबसे अ ा तरीका है य क यह अपरा धय को समाज से ख म करना चाहता है इस कार उ ह अपराध दोहराने से रोकता है। मृ युदंड भी इसी स ांत पर आधा रत है। यह स ांत
नवारक स ांत का सरा प है। एक है समाज को रोकना और सरा है अपराधी को अपराध करने से रोकना। सम अ ययन से हम पता चला क नवारक सज़ा के तीन सबसे
मह वपूण तरीके ह वे इस कार ह •सज़ा का डर पैदा करके । •अपराधी को कोई अ य अपराध करने से ायी या अ ायी प से अ म करके । •सुधार के मा यम से या उ ह समाज
का एक स य नाग रक बनाना।
के स कानून
. डॉ. जैक ब जॉज बनाम के रल रा य इस मामले म सु ीम कोट ने माना क सजा का उ े य नवारक सुधारा मक नवारक तशोधा मक और तपूरक होना चा हए। एक
स ांत को सरे पर ाथ मकता दे ना सज़ा क कोई अ नी त नह है। सज़ा के येक स ांत का उपयोग वतं प से कया जाना चा हए या मामले क यो यता
के आधार पर शा मल कया जाना चा हए। यह भी कहा गया है क येक संत का एक अतीत होता है और येक पापी का एक भा य होता है । अपराधी पूरी तरह से
समाज का ह सा ह इस लए यह समाज क भी ज मेदारी है क उ ह सुधारा जाए और उ ह समाज का स य नाग रक बनाया जाए। य क अपराध क रोकथाम समाज
और कानून दोन का मुख ल य है जसे नजरअंदाज नह कया जा सकता है।
. सुरजीत सह बनाम पंज ाब रा य इस मामले म आरो पय म से एक एक पु लसकम बला कार करने के इरादे से मृतक के घर म घुस गया ले कन ऐसा करने म असफल
रहा य क मृतक के बेट ने मदद के लए च लाया। एक अ य आरोपी ने पु लसकम को मृतक क ह या करने का सुझ ाव दया. आरोपी को भारतीय दं ड सं हता क
धारा के तहत उ रदायी ठहराया गया था। जब क इसके वपरीत मृ युदंड या मृ युदंड वकलांगता का एक अ ायी प है।
प रभाषा अ मता
अ मता स ांत का उ े य
इस स ांत का एक ाथ मक उ े य पया त प से खतरनाक य को समाज से बाहर नकालना है। अपरा धय ारा उ प जो खम काफ हद तक शु आत का
मामला है।
इस लए य द एक दे श एक अपराध को एक तरह से वहार करता है तो सरा दे श उसी अपराध को अलग तरीके से वहार करेगा। उदाहरण के लए अमे रका म वे अपरा धय को
ब त अ धक अ म करने के लए कारावास का उपयोग करते ह
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
दर अ य दे श क तुलना म। यह दे ख ा गया है क दं ड के अ य स ांत जैसे नवारण पुनवास और पुन ापन के वपरीत अ मता का स ांत समाज म अपरा धय के
वतरण को पुन व त करता है ता क समाज म अपराध क दर कम हो जाए। अ मता के स ांत का मु य उ े य सर को अतीत के अपरा धय से र करना है
ता क भावी पीढ़ इसका अनुसरण न करे।
उप
अ मता के स ांत क उ प व और व शता द के दौरान टे न म ई थी जहां दोषी अपरा धय को अ सर अमे रका और ऑ े लया जैसी जगह पर
ले जाया जाता था। बाद म व सद म स ांत को कु छ हद तक बदल दया गया जहां अपरा धय को अ मता क ाथ मक व ध म रहना था जो क अ धकांश
समकालीन दं ड णा लय म पाया जाता था।
इस लए स ांत आम तौर पर कारावास का प लेता है जसे अ मता के अ य तरीक के बजाय अ मता का सबसे अ ा प माना जाता है।
जेल क सं या म अनु चत वृ कए बना अपराध नयं ण म वृ हा सल करना। यह नी त कए गए अपराध क ड ी और या अपराधी अपने कै रयर म ज द है
पर नभर करेगा।
सज़ा का तपूरक स ांत
प रभाषा अपराध के
कानून म मु य उ े य अपराधी को दं डत करना और या यायालय और अ य सरकारी और गैर सरकारी संगठन के मा यम से उपल सभी संसाधन और स ावना के साथ उसके सुधार और पुनवास
क मांग करना है। यह दे ख ा जाना चा हए क अपरा धय को उनके ारा कए गए अपराध और पी ड़त तथा उनके प रवार के सद य और संप के त कए गए उ पीड़न के लए उ चत नणय मलना चा हए।
कसी अपराध म पी ड़त को मुआ वज़ा मु य प से दो आधार पर दया जा सकता है अथात् . जस अपराधी ने उस या य के समूह या संप को चोट प ंचाई है उसे पी ड़त को ए नुक सान क
भरपाई क जानी चा हए और . जो रा य अपने नाग रक को सुर ा दान करने म वफल रहा है उसे अव य ही मुआ वजा दे ना चा हए। के लए मुआ वजा ा त कर
नुक सान आ.
मुआ वज़ा नवारक सुधारा मक और तशोध का एक आव यक योगदान का स ा सार है।
के स कानून
• डीके बसु बनाम प म बंगाल रा य के ऐ तहा सक मामले म शीष अदालत ने माना क एक पी ड़ता जो हरासत के अ धकार के तहत है उसे जीवन के
अ धकार के प म मुआ वजा पाने का पूरा अ धकार है जो सं वधान के अनु ेद के तहत है। रा य के अ धकारी ारा उ लंघन कया गया। • गुज रात
और अ य रा य म। माननीय गुज रात उ यायालय के यायाधीश थॉमस ने कहा था क सुधारा मक और सुधारा मक स ांत
गंभीरता से वचार करने यो य ह जहां अपराध के पी ड़त या उसके प रवार के सद य को जेल म अ जत मज री से मुआ वजा मलना चा हए।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
अपराधी ारा। यायालय ने सुझ ाव दया क वशेष रा य को कसी अपराध के पी ड़त को दे य मुआ वजे के संबंध म एक ापक कानून बनाना चा हए।
इसके बाद युग के वेश के साथ सामा य वतं ता के मह व का व तार आ जसने सं ेप म सुधारा मक और पुनवासा मक प रक पना ारा तशोधा मक
प रक पना के त ापन का माग श त कया। सुधारा मक और पुनवास प रक पना के तहत दो षय को अनुशासन के लए ऐसी संरचनाएं द जाती ह जो उ ह
बदल दगी और उ ह ऐसे गलत काम करने से रोकगी।
अपरा धय को दं डत करने के बजाय उ ह दं डत करने के उ े य से भारत म दं ड का जो स ांत अपनाया जा रहा है वह भारत म अपराध क घटना से बचने के लए
उतना भावी नह है। कानून का मूल वचार र होना नह ब क कृ त म ग तशील होना है। ठ क उसी समय यह कानून आम जनता के सभी े म सफल होने म
स म होगा।
मु य उ े य सुधारा मक स ांत
अनुशासन क इस प रक पना का कारण अपराधी को उसके बुरे वहार के कारण परेशान करना है। यहां अनुशासन के पीछे क ेरणा गहराई से अनुकू लत
है और संबं धत या उसके प रवार के मान सक आउटलेट के चार ओर घूमती है। ाथ मक कारण पैरोल और प रवी ा को पूरा कया जा सकता है ज ह नया
भर म दोषी प को सुधारने क वतमान या के प म वीकार कया गया है। नतीजतन इस प रक पना के समथक कारावास को वैध नह ठहराते
वशेष प से ड़दं गय को अलग करने और उ ह समाज से मारने के लए। अनुशासन क कई उ त सुधारा मक याएँ अ नवाय प से दोषी प के इलाज के
लए उनक मान सक वशेषता के अनुसार नह बनाई गई ह उदाहरण के लए प रवी ा पैरोल अ न त सजा उपदे श और मा। कशोर वहार पहले गलत
काम करने वाल और म हला के मामले म सुधारा मक तकनीक उपयोगी सा बत ई ह। से स के मामले अ त र प से अनुशासन के लए सुधारा मक रणनी त पर
अ त या दे ते तीत होते ह। हाल ही म सुधारा मक प रक पना वा तव म बौ क प से वं चत अपरा धय के इलाज के लए एक तकनीक के पम ापक
प से उपयोग क जाती है।
आलोचना
. सुधारवाद स ांत जेल म बेहतर ढांचे और कायालय वभ नयं ण के बीच वैध सह नयु और अपरा धय को आकार दे ने के लए उनक ओर से
मेहनती यास क आशा करता है। इसके लए बड़े उप म क आव यकता है जसक क मत गरीब दे श वहन नह कर सकता।
. कानून के तउ स मान रखने वाले ब त से नद ष य को मौ लक श ाचार ा त करने म क ठनाई हो रही है जेल के अंदर बेहतर कायालय दे ने
के लए नै तक आ ान क प रक पना क गई है।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
. यह स ांत संभा वत गलत काम करने वाल और ऐसे लोग क उपे ा करता है ज ह ने गलत काम कया है हालां क कानून के दायरे म नह ह। इसके
अलावा यह उ लंघन से बचे लोग के मामल को नजरअंदाज करता है।
. बगड़ती सामा जक पा र तक गलत काय के लए उ रदायी है ले कन का कत नह है यह सुधारा मक सोचने का तरीका है जसे संसा धत
करना क ठन है। कसी भी मामले म पुन नमाण के स मानजनक वचार को पूरी तरह से नराशाजनक बताना उ चत नह है। सभी उन अवसर के
बारे म जानते ह जब तभाहीन अ ानी और जा हर तौर पर नराश कानून तोड़ने वाल ने जेल म यो यताएं पैदा क जसने उ ह बेहद मू यवान
लोग म बदल दया।
उसे तबंध के साथ आगे बढ़ाया गया य क वह इस समय गलत काम करने के लए उपयु नह है।
उपयो गतावाद सोच के तहत आपरा धक नेतृ व के लए अनुशासन का संके त दे ने वाले कानून का उ े य भ व य म आपरा धक य को हतो सा हत
करना होना चा हए। नराशा एक वशेष और सम तर पर काम करती है। सामा य हतो साहन का ता पय यह है क अनुशासन को सर को आपरा धक कृ य
करने से रोकना चा हए। अनुशासन समाज के शेष लोग के लए एक उदाहरण के प म काय करता है और यह सर को सलाह दे ता है क आपरा धक आचरण
का खंडन कया जाएगा। न साहन का अथ है क अनुशासन को उसी को उ लंघन करने से रोकना चा हए। रोकथाम दो अलग अलग तरीक से
काम करती है।
ारंभ म एक दोषी प को पूव नधा रत अव ध के लए कसी अ य गलत काम को करने से रोकने के लए जेल या जेल म रखा जा सकता है। सरे इस अपंगता
का उ े य इस हद तक अवांछनीय होना है क यह दोषी प को उसके आपरा धक आचरण को दोहराने से हतो सा हत कर दे गा।
सबसे ापक प से लागू नै तक प रक पना जो उपयो गतावाद है यह द शत करने के लए क मृ युदंड न त प से वैध है।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
उपयो गतावाद प रक पना को मृ युदंड के मु े पर लागू कया जा सकता है य क इस कार का अनुशासन सकारा मक और नकारा मक दोन प रणाम उ प करता है।
शु लाभ
मृ युदंड ारा दान कया जाने वाला मु य मह वपूण लाभ यह है क यह एक बड़ा हतो सा हत काय मानता है। आपरा धक इ वट ढांचे का सबसे मह वपूण उ े य य को
गलत काय म भाग लेने से कमजोर करना है।
यह इस ल य के साथ अनुशासन के उ लंघन को जोड़कर पूरा कया जाता है क एक गैरकानूनी ग त व धय म भाग लेने के लाभ को प रणाम से अ धक होने के पम
दे ख ता है। उस मता म एक आदश समाज वह होगा जहां कसी को भी अपमा नत नह कया जाता है य क अनुशासन का खतरा हर कसी को गलत काम म भाग लेने से बचाता है। मृ युदंड
सबसे कठोर अनुशासन है और इसक प ंच संभवतः उन य को हतो सा हत करेगी जो संभवतः लंबी जेल क सजा से भयभीत नह ह गे।
उपयो गतावाद कोण से रोकथाम का काम नै तक है य क यह आम जनता क सामा य संतु को बढ़ाता है। जब अपराधी गलत काम म भाग लेने से बचते ह तो आम जनता अ धक
सुर त होती है और लोग अपने नेटवक म स ाव और सुर ा क सराहना करते ह।
आम जनता को मृ युदंड से मलने वाला एक और बड़ा लाभ यह है क यह दोषी को हमेशा के लए कमजोर बना दे ता है। व भ कार के अनुशासन क तरह ब कु ल नह
जो दोषी प के अवसर के एक ह से को सी मत कर दे ता है मृ युदंड उसके जीवन को समा त कर दे ता है।
सजा दे ने का स ांत येक आपरा धक मामले म दो पहलु को यान म रखना होगा अपराध क जघ यता या वशालता और उस प र त पर आधा रत जसके तहत आरोपी ने अपराध
कया है। अ धकतम कारावास के संबंध म यह के वल यायाधीश के ववेक से ही दया जा सकता है जो उ चत और उ चत दं ड दे ने से पहले प र तय क सम ता पर वचार करेगा। उ े य भी
सजा नधा रत करने म मह वपूण भू मका नभाएंगे।
अपराध को रोकने क वृ ।
. तकारा मक स ांत तकारा मक स ांत अ धकार म भू म और याय पर आधा रत है । दोषी दं डत होने के पा ह और इस लए दं ड के लए ासं गक कोई नै तक वचार नह होना
चा हए जो अपराधी के आपरा धक रे ग तान से अ धक हो यह तशोधा मक स ांत का दशन है ।
. सुधारा मक स ांत क याणकारी रा य क अवधारणा के कारण सजा का उ े य पछली शता दय से काफ हद तक प रवतन क या म है। आपरा धक कानून म हम सजा क ू रता को
कम करना चा हए यही आज का कानून का दशन है
भारतीय दं ड सं हता क धारा के तहत दं ड के न न ल खत कार दए गए ह . मौत . आजीवन कारावास . इसे के अ ध नयम ारा नर त कर दया गया है
म से पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
. दो ववरण के साथ कारावास कठोर क ठन म सरल म . संप क ज ती . जुमाना आइए व तार से समझ क आईपीसी के तहत आरो पय ारा कए गए अपराध
. मौत क सज़ा
• मौत क सज़ा भारतीय दं ड सं हता के तहत सज़ा का सबसे कठोर प है इसम शा मल है
सजा के तौर पर या यक ह या या अ भयु क जान ले लेना।
• मृ युदंड न न ल खत अपराध के लए दान कया जाता है ए भारत सरकार के खलाफ यु छे ड़ने यास करने या उकसाने के प म दे श ोह धारा बी मौत क सजा वाले
अपराध को करने के लए आपरा धक सा जश धारा सी उकसाना कये गये व ोह का धारा घ
झूठ गवाही के प रणाम व प कसी नद ष को दोषी ठहराया गया और उसक मृ यु हो गई धारा ए ई कसी को झूठे सा य दे ने के लए
धमकाना या े रत करना। एफ ह या जी कसी नाबा लग या पागल या नशे म धुत ारा आ मह या के लए उकसाना ज आजीवन कारावास क
सजा काट रहे ारा ह या का यास I फरौती के लए अपहरण जे मौत का कारण बनना या बला कार पी ड़ता क हालत खराब करना k बला कार
करना साल से कम उ क लड़क पर एल साल से कम उ क लड़क पर सामू हक बला कार करना एम बार बार अपराधी एन
• ऐसे मामले जहां मृ युदंड क पु क गई त मलनाडु रा य बनाम न लनी य पर भारत के पूव धान मं ी राजीव गांधी क ह या क सा जश म शा मल होने का आरोप
लगाया गया। जय कु मार बनाम म य दे श रा य म जय कु मार को अपनी भाभी जो गभवती थी और उसक आठ वष य बेट क ह या करने के लए मौत क सजा सुनाई गई
थी य क वह उसे पया त भोजन नह दे ती थी। • के स कानून जहां मौत क सजा को आजीवन कारावास म बदल दया गया था ओम काश बनाम ह रयाणा रा य जहां एक
सेना के जवान ने त ं प रवार के सात सद य क ह या कर द । कशोरी बनाम द ली रा य दो सख य ारा त कालीन धान मं ी इं दरा गांधी क ह या के कारण
बड़े पैमाने पर सख क मौत।
. आजीवन कारावास
• धारा सरी बात आजीवन कारावास क बात करती है जसका अथ है कसी दोषी के ाकृ तक जीवन क शेष अव ध के दौरान कारावास क सजा जब तक क इसे स म
अ धका रय ारा कम या कम नह कया जाता है।
• गोपाल वनायक बनाम महारा रा य म कारावास क कृ त के संबंध म इसे कठोर कारावास माना गया है न क साधारण कारावास। यह के एम नानावती बनाम महारा रा य
और नायब सह बनाम पंज ाब रा य म भी आयो जत कया गया था जसम अदालत ने माना था क आजीवन कारावास का मतलब कठोर था।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
• इस लए आजीवन कारावास क सजा पाने वाले अ भयु को शेष जीवन जेल म ही रखना होगा।
यहां तक क एक रा य अ ध नयम भी आजीवन कारावास को साल के कारावास के बराबर करता है एक दोषी कारावास क अव ध समा त होने पर छू ट स हत वत रहाई का
हकदार नह है। • म य दे श रा य बनाम रतन सह म यह कोण दोहराया गया सव यायालय ने माना क यह सरकार का नदश था क वह अपने ववेक
का योग करते ए धारा के तहत सजा क पूरी या आं शक सजा माफ कर दे । वतमान सीआरपीसी क धारा के बराबर
• हालाँ क सरल सं करण म कै द को के वल जेल म कै द कया जाता है और उसे कसी भी कार क सजा नह द जाती है
काम का।
• भारतीय दं ड सं हता के तहत कु छ अपराध को कठोर और साधारण कारावास दोन ारा दं डनीय बनाया गया है। के वल ायल कोट को ही दोषी को सजा दे ने का अ धकार है।
. ठ क है
• भारतीय दं ड सं हता क धारा म जुमाने के प म धन क ज ती होती है ऐसे अपराध ह जनम एकमा सजा के प म जुमाना लगाया
जाता है। कु छ अपराध म वैक पक सज़ा के प म जुमाना लगाया जाता है। कु छ अपराध म अ त र सज़ा के तौर पर जुमाना भी लगाया जाता है।
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. मृ युदंड
मृ युदंड को मृ युदंड के प म भी जाना जाता है यह भारत म कानूनी था है जसम कसी को गंभीर अपराध के लए रा य ारा मौत क सजा द जाती है। यह
कानूनी है ले कन इस पर शायद ही कभी मतदान होता है और यह भारत म अ य धक बहस का मु ा भी है। आजीवन कारावास म बदलने क संभावना के कारण फांसी हमेशा नह द
जाती। के बाद से इसे के वल पांच बार म ऑटो शंक र म धनंज य चटज म अजमल कसाब म अफजल गु और म याकू ब मेमन पर इ तेमाल
कया गया है।
मृ युदंड मानव अ धकार का उ लंघन करता है य क यह जीवन के अ धकार का उ लंघन करता है जो सभी मानव अ धकार म सबसे बु नयाद है। चौरासी दे श ने मृ युदंड
के योग पर तबंध लगा दया
इस था का उपयोग करने वाले दे श क सं या घट रही है। एक स य रा य होने के नाते भारत को इसे समा त कर दे ना चा हए
मृ युदंड य क इस बात का कोई व सनीय सबूत नह है क यह आजीवन कारावास क सजा क तुलना म अपराध को अ धक भावी ढं ग से रोकता है।
और अय
यह पेपर संवैधा नक वैधता और प र तय का व ेषण करता है जसके तहत कु छ वीकाय मामल और बचन सह मामले म सु ीम कोट ारा नधा रत लभतम स ांत क मदद
से इसे दान कया जा सकता है। यह पेपर इस वचार के साथ समा त होता है क भारतीय यायपा लका हमेशा मृ युदंड के काया वयन से पीछे हटती है य क सजा के अ य वैक पक
तरीके मौजूद ह।
प रचय
मृ युदंड एक सरकार ारा वीकृ त था है जसके तहत कसी को ह या आतंक वाद कृ य सामू हक बला कार आ द जैसे गंभीर अपराध के लए सजा के
प म रा य ारा मौत क सजा द जाती है।
कसी अपराधी का जीवन समा त करने से अपराध कभी भी समा त नह होगा। इस कार अ सर यह तक दया जाता है क य द हम कसी अपराधी को फाँसी दे दगे तो हमम और
अपराधी म कोई अंतर नह रहेगा।
व के अ धकांश दे श ने अब मृ युदंड का योग बंद कर दया है। ले कन नया म अभी तक इसके इ तेमाल के खलाफ आम सहम त नह बन पाई है. नया म सबसे
अ धक आबाद वाला दे श चीन हर साल हजार लोग को फांसी दे ता है और सबसे श शाली दे श संयु रा य अमे रका नय मत प से इसका इ तेमाल करता है। चौरासी दे श म
मृ युदंड का इ तेमाल बरकरार है। हालाँ क मृ युदंड दे ने वाले दे श क सं या म गरावट आ रही है और यह संभव है क नया भर क राय और दबाव धीरे धीरे सभी दे श को इस था
को छोड़ने के लए भा वत करेगा।
मृ युदंड का इ तहास
मृ युदंड दं डा मक दं ड क एक प त है जो स यता जतनी ही पुरानी है। यह सज़ा के प म मौत क वैधा नक सजा है और ाचीन काल से इसका उपयोग व भ कार के
अपराध के लए कया जाता रहा है। यूना नय और रोमन दोन ने व भ कार के अपराध के लए मृ युदंड का ावधान कया।
सुक रात और यीशु शायद ाचीन काल म कसी बड़े अपराध के लए आलोचना कए गए सबसे स लोग थे। ह मुराबीस कोड पहले सा ा य के राजा ारा वक सत कानून का एक कोड
ईसा से पहले तीसरी या सरी सह ा द का है। इस सं हता का दावा है क तशोध आंख के बदले आंख और जीवन के बदले जान याय है। एं लो अमे रकन कानून म मृ युदंड एक थागत अपराध रहा है।
त या को न त कार का
म वतं ता के समय भारत ने क दं ड सं हता को बरकरार रखा जसम ह या के लए मृ युदंड का ावधान था। से के बीच
भारतीय सं वधान के नमाण के दौरान सं वधान सभा के कई सद य ने मृ युदंड को समा त करने का आदश कया ले कन सं वधान म ऐसा कोई ावधान
शा मल नह कया गया। अगले दो दशक म मृ युदंड को समा त करने के लए नजी वधेयक संसद के दोन सदन म पेश कए गए ले कन उनम से कसी को भी
अपनाया नह गया।
से के दशक के म य तक मौत क सज़ा पाने वाले और फाँसी पर चढ़ाए गए य क सं या के बारे म जानकारी मापना क ठन है। ऐसा अनुमान है
क त वष दो या तीन य को फाँसी द जाती थी।
के बचन सह फै सले म सु ीम कोट ने फै सला सुनाया क मौत क सजा द जानी चा हए
इसका उपयोग के वल लभतम मामल म ही कया जाना चा हए ले कन लभतम क प रभाषा या है यह नह है।
लभ से भी लभ स ांत
से तक वधायी नदश मौत क सजा को एक आदश से बदलकर एक अपवाद बन गया है और आव यक प से कारण के साथ होना
चा हए। बचन सह बनाम पंज ाब रा य मृ युदंड क धारा के साथ अनुकू लता के पर बढ़ती बहस म एक मील का प र था। सं वधान के . सव यायालय
ने मृ युदंड क वैधता पर वचार करते ए यह राय क क मानव जीवन क ग रमा के लए वा त वक और ायी चता का वषय है
कानून के मा यम से कसी क जान लेने का वरोध। लभतम मामल को छोड़कर ऐसा नह कया जाना चा हए जब वैक पक वक प न ववाद प से बंद हो।
हालाँ क यायालय ने कसी भी उ ेज क या कम करने वाले कारक को तैयार करने से इनकार कर दया य क इससे या यक ववेक बा धत होगा
ले कन यह माना गया क शैतानी ढं ग से क पना क गई और ू रता से क गई ह या के लए अ य धक दं ड दया जा सकता है। अदालत ने कहा यह संभव नह है क
एक अपूण और उतार चढ़ाव वाले समाज म असं य असा य प र तय को बढ़ावा दया जाए। ले कन वे लभतम अवसर कौन से ह यह वधा है।
एक यायाधीश को जो चीज़ जतनी ू र और वीभ स लगती है हो सकता है सरे को उतनी ू र और वीभ स न लगे। उदाहरण के लए एक मामले म ेमी
के साथ जीवन जीने के मकसद से प नी और दो ब क ह या कृ णा अ यर जे. को मौत क सजा के लए राजी नह कर सक जब क सेन जे. को आ य आ क
और या हो सकता है
मौजूदा मामले क तुलना म मृ युदंड के लए उपयु मामला होना चा हए। यह तुत कया गया है क य द दे श क सव अदालत के दो यायाधीश के बीच
धारणा म अंतर इतना है क दे श म ब त बड़ी सं या म स यायाधीश के बीच सापे त या है .
सामा य कृ त के मामल म आपरा धक अदालत ारा द गई मौत क सजा के संबंध म मौत क सजा क सम या ब त गंभीर नह है य क ह या के ब त कम मामल म मौत क सजा द जा रही है
और ह या के अ धकांश मामल म जीवन क वैक पक सजा द जा रही है। कारावास क सजा द जाती है.
हम मु कल से ही कोई अमीर फांसी पर चढ़ता आ मलेगा जसके पास महान तभा क सेवाएं लेने के लए पैसा है उसके पास फांसी से
बचने क उ चत संभावना है भले ही उसने वा तव म एक ह या क हो। के वल गरीब साधनहीन लोग ही जनका समथन करने वाला कोई नह होता आमतौर पर
फाँसी पर चढ़ जाते ह। इसके संचालन म मृ युदंड घोषणा मक है। मृ युदंड मृ युदंड के पम
बाहर
वाडन ारा इं गत कया गया वशेषा धकार गरीब है। डफ़ली ए का
उपरो ब को यान म रखते ए सव यायालय ने लभतम का स ांत तपा दत कया।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
जगमोहन सह बनाम यूपी रा य के फै सले म मृ युदंड क संवैधा नकता को एक असफल चुनौती शा मल थी। इसका मह व इस त य म न हत है क इसने मृ युदंड दे ते समय
वशेष कारण पर यान दे ने क आव यकता पर काश डाला। बचन सह बनाम पंज ाब रा य जो इसके बाद आया एक ऐ तहा सक नणय था जसने मृ युदंड क संवैधा नकता क पु
करने के बावजूद लभतम मामले का परी ण शु करके इसे लागू करने के दायरे को काफ हद तक कम कर दया।
के दोषी य के लए आजीवन कारावास एक नयम है और मौत क सजा एक अपवाद है। मानव जीवन क ग रमा के लए एक वा त वक और ायी चता कसी क जान
लेने के वरोध को दशाती है
कानून के साधन के मा यम से. लभतम मामल को छोड़कर ऐसा नह कया जाना चा हए जब वैक पक वक प न ववाद प से बंद हो।
मृ युदंड के संबंध म वतमान त जैसा क कोई स य समझे जाने का दखावा करने वाली कानून क कसी भी णाली के बारे म सोच सकता है यह है क इसका यथासंभव
संयम से उपयोग कया जाए अथात लभतम मामल म और यह णाली वैसी ही है जैसी भारत म है। इसे क़ानून क कताब म रखना ले कन इसका उपयोग शायद ही कभी करना एक
समझौता है जसे यायालय और हम एक रा के प म अपनाते ह। अपे ाकृ त हा लया मामले पंछ बनाम यूपी रा य म यायालय ने कहा जस तरह से ह या क गई थी उसक ू रता एक
आधार हो सकती है ले कन यह तय करने के लए एकमा मानदं ड नह है क मामला लभतम मामल म से एक है या नह ।
मौत क सज़ा कोई नयम नह ब क एक अपवाद है. के पूव मु य यायाधीश ी एम. हदायतु लाह
सु ीम कोट ने कहा क भारतीय यायशा म वशेष प से मौत क सजा के संबंध म उपयोग के लए वक सत लभतम का स ांत संभा वत ु टय और मंज ूरी के पयोग को रोकने म स म है।
जीवन का अ धकार कोई ऐसी चीज़ नह है जसे सं वधान बनाता है या दान करता है। के वल सं वधान
इस अ व े और अप रहाय अ धकार को मा यता दे ता है।
इस लए संवैधा नक ावधान के वल सा या मक मू य है। एलन लेड हल ने इसके संबंध म एक दलच बयान दया है जो इस कार है कु छ पुराने दे श म जीवन और वतं ता के
अ धकार को संवैधा नक स मेलन से अ धक भावी संर ण ा त है बजाय उन दे श क तुलना म जहां इस अ धकार का व तार करने वाले सं वधान ह। औसत भारतीय को ा त गत
वतं ता का तर कसी भी अ य संसद य लोकतं के नाग रक को ा त वतं ता से उ लेख नीय प से कम नह है।
मृ युदंड को ख़ म कया जाना चा हए या नह इस पर चल रही बहस के साथ इस सज़ा क संवैधा नकता का सवाल बार बार सु खय म आता है। मूल
कई लोग के मन म यह बात आती है क कोई चीज़ इतनी ू र बबर अस य अमानवीय और ू र या अपमानजनक कै से हो सकती है संवैधा नक हो सकती है। यायमू त कृ ण अ यर ने राज
साद म अवलोकन कया
मामला।
यह उ लेख करना उ चत है क दं ड सं हता क दं डा मक रणनी त के लए सव प र भारतीय सं वधान क मानवतावाद अ नवायता को कानून के हाथ जीवन या मृ यु के इस े
म अदालत ारा शायद ही खोजा गया है। हमारे फै सले का मु य फोकस सं वधान ारा द दं ड सं हता क सीमा के भीतर मानवा धकार यायशा म इस मा मक अंतर पर है।
इसे सारग भत प से कह तो नया भर म मानव के मू य को आवाज दे ने वाली एक सां कृ तक वरासत क णा से भरी एक सां कृ तक वरासत जीवन और वतं ता के
लए औप नवे शक उदासीनता से ा या मक मु गत याय क ा पत करने के प म सामा जक याय क चता वरासत के साथ बातचीत तावना और अनु ेद
और ारा अपे त ल य को ा त करने के लए दं ड सं हता का पाठ। फर भी सं वधान के अनु ेद म कहा गया है कसी भी को कानून ारा ा पत या के अलावा उसके
जीवन या गत वतं ता से वं चत नह कया जाएगा।
का पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
तदनुसार भारत का सव यायालय भारत के सं वधान पर वचार करते ए कु छ अ यंत गंभीर आपरा धक मामल म मृ युदंड के उपयोग को वैध दं ड मानता है।
बचन सह बनाम पंज ाब रा य मामले म सु ीम कोट क संवैधा नक पीठ ने इस सवाल पर व तार से चचा क क या ह या के लए वैक पक सजा के
प म मौत क सजा का ावधान सं वधान के अनु ेद और का उ लंघन है। यह फै सला ज टस पीएन भगवती ने सुनाया
सव यायालय ने गंभीर और कम करने वाली प र तय पर चचा करते ए उन स ांत को नधा रत कया जो ह या के मामल म द जाने वाली सजा का फै सला करते समय अदालत के लए दशा नदश के
प म काम करगे। म बनाम पंज ाब रा य सु ीम कोट क पूण पीठ का एक ऐ तहा सक फै सला है जसम अदालत ने आईपीसी क धारा को असंवैधा नक और सं वधान के अनु ेद और का उ लंघन घो षत कया
था।
यह माना गया क हम
दं ड सं हता क धारा को असंवैधा नक करार दे ते ह और इसे शू य घो षत करते ह। यह जोड़ने क आव यकता नह है क ह या के सभी मामले अब दं ड सं हता क धारा के तहत आएंगे
और ह या के अपराध के लए मौत क अ नवाय सजा नह होगी। इस लए मृ युदंड से संबं धत मामल म सु ीम कोट के पास संवैधा नक श है।
बी. मौत क सजा से संबं धत मामल म रा प त और रा यपाल क संवैधा नक श यां या यक णाली के तहत सभी उपचार समा त हो जाने के बाद मौत क सजा पाने वाले के पास दे श के थम नाग रक
के दरवाजे पर
द तक दे ने और मांग करने का अं तम उपाय होता है। दया या चका के पम मादान जसे दोषी ारा या तो अ धकृ त त न ध के मा यम से या जेल से वयं संबो धत कया जाना चा हए। अनु ेद
और के तहत सं वधान मशः रा प त और रा यपाल को कु छ मामल म सजा को नलं बत करने माफ करने या कम करने क श दान करता है।
सजा को कम करने या र करने के लए रा प त और रा यपाल का दया े ा धकार अदालत ारा दोष स और सजा सुनाए जाने के बाद ही भावी
होता है। साथ ही श
अनु ेद और के तहत रा प त और रा यपाल पर न प और उ चत काय करने का दा य व है। अनु ेद के तहत रा प त क श उस अथ म
रा यपाल क तुलना म ापक है जो रा प त के पास है
मौत क सज़ा और कोट माशल के मामले म माफ़ दे ने क वशेष श याँ।
कु लजीत सह उफ रंगा बनाम द ली के उपरा यपाल क या चका म यह घो षत करने क मांग क गई थी क रा प त ने उ ह मादान दे ने से इनकार करके
सं वधान के अनु ेद के तहत श का योग करते ए मादान दे ने क अपनी कायकारी श का उ लंघन कया है। सु ीम कोट ने मौत क सज़ा को कम करने
क रा प त क श पर चचा के बाद या चका खा रज कर द ।
मो हदर सह बनाम पंज ाब रा य म सु ीम कोट ने कहा क जब क दया या चका भारत के रा प त के सम लं बत है सु ीम कोट के पास फांसी पर रोक के लए
कसी भी आवेदन पर सुनवाई करने का कोई अ धकार े नह है य क यह सुनवाई यो य नह है। फांसी पर रोक लगाने के लए भारत के रा प त से संपक करना
होगा।
यह सच है क मृ युदंड का दायरा मूल प से सं वधान के अनु ेद के तहत पाया जा सकता है यह भी सच है क कई दे श के सं वधान या उनके कानून म ऐसे ावधान ह जो मृ युदंड के उपयोग क
अनुम त दे ते ह। यह न त प से सच है क इनम से अ धकांश दे श और व के अ धकांश लोकतां क दे श ने कानून म मृ युदंड को समा त कर दया है। हालाँ क मृ युदंड को लेक र संवैधा नक चुनौ तयाँ कई प
म आती ह और यह है क इसक संवैधा नक वैधता के संबंध म चुनौ तयाँ भारत के अनु े द के तहत जीवन के अ धकार के लए मृ युदंड तक सी मत नह ह। भगवती क मृ युदंड कसी भी सामा जक उ े य
क पू त नह करता है या कसी संवैधा नक मू य को आगे नह बढ़ाता है और यह पूरी तरह से मनमाना और अनु चत है जससे क यह भारतीय सं वधान के अनु ेद का उ लंघन है...
हालाँ क फलहाल मृ युदंड क संवैधा नक वैधता के संबंध म गहरी चता के बावजूद इसे सव यायालय ारा संवैधा नक माना गया है जैसा क
पहले ही ऊपर चचा क जा चुक है।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
इसी आधार से भारत क यायपा लका अपने अपूण आवेदन का बंधन करती है और इसी आधार से यह भी पता चलता है क कस आवेदन को आगे बढ़ना चा हए।
कोई भी व ेषण कोई भी चुनौती का वह
न कष
मृ युदंड के शासन से संबं धत मु म मृ युदंड कानून म कु छ ब त ही मह वपूण वकास ने संतुलन को काफ हद तक मृ युदंड के दो षय के प म मोड़ दया है। सबसे पहले वामी ानंद
वा य अय बजाय वा य मौत
यायालय ने माना क
....य द यायालय का वक प के वल दो दं ड तक ही सी मत है एक कारावास क सजा है और सरा मृ युदंड है तो यायालय लो भत महसूस कर
सकता है और खुद को मृ युदंड का समथन करने के लए े रत कर सकता है। ऐसा पा म वा तव म वनाशकारी होगा। यह कह अ धक यायसंगत तकसंगत
और उ चत माग होगा
वक प का व तार करना और जो वा तव म कानूनी प से यायालय का है उस पर क ज़ा करना।
इस कार यायालय ने वैक पक वक प क सीमा का व तार कया जसे मौत क सजा का वक प चुनने से पहले समा त करने क आव यकता थी
और सव यायालय ने बचन सह मामले के संदभ म दोषी के प म फै सला दया लभतम मामल को छोड़कर ऐसा नह कया जाना चा हए जब वैक पक
वक प न ववाद प से बंद है।
वामी ानंद मामले के बाद मौत क सजा के अ ययन से पता चलता है क कई मामल म जनम आम तौर पर कै दय को मौत क सजा द जाती उ ह यूनतम साल क सजा से लेक र
पूण जीवन क सजा के बीच व भ वैक पक वक प का लाभ मला है। इसके अलावा मृ युदंड पर भारतीय यायशा अंतररा ीय कानून के वकास के साथ साथ इस मु े पर व ापी झान से भी
अन भ नह है।
दसंबर संयु रा महासभा ने ताव को अपनाया जसम मृ युदंड को बरकरार रखने वाले दे श से मृ युदंड को ख म करने के उ े य से फांसी पर व ापी रोक लगाने का आ ान कया
गया।
हाल ही म वोडाफोन इंटरनेशनल हो स बीवी बनाम यू नयन ऑफ इं डया मामले म शीष अदालत ने कहा क न तता कानून के शासन का अ भ अंग है।
मृ युदंड दे ने से जुड़े मामले म अदालत अ न तता के तहत नणय जारी नह रख सकती ह। इस संबंध म नयामक मानक को अं तम प से तय कया जाना
चा हए और अ न तता को भुला दया जाना चा हए जो कम से कम यायपा लका कर सकती है। इस लए हम कह सकते ह क भारतीय यायपा लका मृ युदंड
के काया वयन से र जा रही है य क सजा के वैक पक तरीक और अंतररा ीय कानूनी वकास पर अ धक जोर दया जा रहा है जो ऐसी सजा के खलाफ ह।
. अपराध के चरण
अपराध को कसी ऐसे काय को करने के प म प रभा षत कया जाता है जो कानून ारा न ष है या कसी ऐसे काय को छोड़ना जो कानून ारा
बा य है। सरे श द म अपराध को कानून क अव ा के प म प रभा षत कया जा सकता है। एक और
कसी अपराध का मह वपूण पहलू यह है क यह कसी के अ धकार के बजाय सावज नक हत को भा वत करता है
गत जो नाग रक कानून का एक ह सा होगा।
भारत म आपरा धक कानून मूल और या मक कानून के मा यम से संचा लत होता है। मूल कानून म भारतीय दं ड सं हता सं हता शा मल है और या मक कानून म आपरा धक
या सं हता सीआरपीसी शा मल है। इन कानून ने और व भ मामल म प से यह तपा दत कया है क अपराध करने म चार चरण होते ह। वही वतमान लेख का दायरा बनाता है और
इसके बाद इस पर चचा क गई है।
अपराध के चरण
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
अपराध के चरण या अपराध के त व म इरादा तैयारी यास और उपल शा मल ह। कसी अपराध के गठन म सभी त व शा मल होते ह। इनम से कु छ त व सम ह
के मूल त व ह मे स री और ए टस रीस पहला है अपराध करने का इरादा और सरा है इरादे को आगे बढ़ाने के लए कया गया काय। कसी का आपरा धक दा य व तभी तय कया जाएगा
जब उसका इरादा गलत हो। यह उ े य पर वचार करने पर चुनी गई व तु के त आचरण क दशा है जो वक प का सुझ ाव दे ती है।
का शा दक अथ है दोषी मन। इसका मूल प से ता पय यह है क अपराध करने वाला अपने काय के त सचेत है और जानता है क उस काय को पूरा करने पर अपराध होगा। सरल श द म कह तो अपराध
अपराध करने के इरादे क ड ी के आधार पर इसे चार तर म वभा जत कया गया है। ये चार तर ह
. लापरवाही यह मनः त का सबसे छोटा और वा तव म सबसे ह का प है जहां अपने काय के त लापरवाही बरतता है और अपने काय चूक म उ चत दे ख भाल
सु न त नह करता है।
. लापरवाही लापरवाही यह लापरवाही क तुलना म थोड़ा अ धक आयाम का है जहां अपराध का अनुमान लगा सकता है जो काय चूक से उ प हो सकता है
ले कन उसने इसक उ मीद या इरादा नह कया था और लापरवाही से काय करता है।
. ान तीसरा तर ान है जहां अपने काय चूक पर होने वाले जो खम से जुड़ा होता है और फर भी ऐसे काय चूक को जारी रखता है। यहां वह लापरवाही नह कर
रहे ह.
. इरादा यह उ तम आयाम का है जहां अपराध करने के लए जानबूझ कर कोई काय करता है या कु छ छोड़ दे ता है।
आपरा धक कृ य
ए टस रीस का वह काय या चूक है जो अपराध का कारण बनता है और इसम कु छ शारी रक ग त व ध शा मल होती है। यह यान रखना ज री है क सफ एक काय
ही नह ब क एक चूक भी अपराध हो सकती है। उदाहरण के लए कर या भरण पोषण का भुगतान न करना अपराध है।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
. भारत सरकार के खलाफ यु छे ड़ने क तैयारी सं हता क धारा म ावधान है क ह थयार गोला बा द इक ा करना या रा य के खलाफ यु छे ड़ने के इरादे से
लोग के साथ जुड़ना एक दं डनीय अपराध होगा जसम एक अव ध के लए कारावास भी शा मल होगा। यह दस वष से अ धक नह हो सकता है और ऐसा अपराधी
जुमाने के लए भी उ रदायी होगा।
. नकली स के सं हता क धारा धारा और धारा भारतीय स के स हत कसी भी स के क जाली बनाने और कसी भी नकली स के को रखने पर सजा
का ावधान करती है। ये ावधान नकली स का बनाने या उपयोग करने क तैयारी के लए भी सजा का ावधान करते ह।
. स क के वजन म हेरफे र सं हता क धारा धारा और धारा कसी भी स के के वजन को बदलने या कम करने पर सजा का ावधान करती है। ऐसे म
ऐसे अपराध करने क तैयारी भी दं डनीय है.
. सरकारी टकट क जालसाजी सं हता क धारा म ावधान है क जो कोई भी राज व के योजन के लए सरकार ारा जारी कए गए कसी भी टकट क
जालसाजी करेगा या जानबूझ कर जालसाजी क या का कोई ह सा करेगा उसे आजीवन कारावास या दोन म से कसी एक कारावास से दं डत कया जाएगा।
ऐसी अव ध के लए ववरण जसे दस वष तक बढ़ाया जा सकता है और जुमाना भी लगाया जा सकता है। इसके अलावा यह ावधान नकली सरकारी टकट को
रखने धारा और बेचने धारा को भी अपराध मानता है।
. डकै ती करने क तैयारी सं हता क धारा म ावधान है क जो कोई भी डकै ती करने क तैयारी करता है उसे कठोर कारावास से दं डत कया जाएगा जसे दस
साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुमाने के लए भी उ रदायी होगा।
. जाली द तावेज का क ज़ा सं हता क धारा जाली द तावेज के क जे के लए सजा का ावधान करती है। ावधान के पीछे का उ े य ऐसे जाली द तावेज का
उपयोग करके होने वाली कसी भी कार क धोखाधड़ी को रोकना है।
य द अपराध कया जाता है तो उसके प रणाम क गंभीरता के कारण ये अपराध तैयारी के चरण म ही दं डनीय ह।
यास कसी
अपराध क तैयारी और उसे करने के यास के बीच अंतर क एक ब त ही पतली रेख ा मौजूद है। इसे कसी के अपराध करने के इरादे और तैयारी को आगे बढ़ाने क
कारवाई के प म प रभा षत कया जा सकता है। इस कार अपराध करने के यास को अ सर ारं भक अपराध कहा जाता है। अपराध करने का यास सं हता के तहत दं डनीय
है। इसे व श अपराध के लए व भ ावधान के तहत दान कया गया है। हालाँ क कसी वशेष अपराध को करने के यास के लए दं ड क अनुप त के मामले म सं हता क
धारा सामने आती है। सं हता के कु छ व श ावधान जनके तहत अपराध करने का यास कया गया है यहां नीचे दए गए ह धारा यु छे ड़ने का यास •धारा
कसी सै नक ना वक या वायुसै नक को उसके कत से वमुख करने का यास •धारा ह या का यास •धारा गैर इरादतन ह या का यास •धारा आ मह या
का यास •धारा बी आ मह या का यास •धारा चोरी करने का यास •धारा कसी को गलत तरीके से कै द करने का यास •धारा डकै ती करने
का यास
का पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
हालाँ क व सद के उ राध म अदालत ने इस धारणा को अता कक और अनु चत पाया और इस लए नणय को खा रज कर दया। यह पहली बार था
जब कसी असंभव काय को करने के यास को दं डनीय बनाया गया।
सं हता क धारा वशेष प से यह ावधान करती है क असंभव काय करने का कोई भी यास दं डनीय है। ावधान के तहत दए गए च इसी बात
के सूचक ह। इस कार के अंतगत
भारतीय दं ड सं हता के अनुसार असंभव काय करने का यास दं डनीय है।
व भ मामल म यायालय ने व भ परी ण के मा यम से दोन के बीच अंतर करने का यास कया है जस पर नीचे चचा क जाएगी।
अपराध करने के यास का नधारण करने के लए परी ण • नकटता संक टता नयम
नकटता नयम दान करता है क ऐसे मामल म जहां अ भयु अपराध करने के अपने इरादे को आगे बढ़ाने के लए काय क एक ृंख ला को पूरा करता
है दा य व नकटता के आधार पर तय कया जाएगा अ ध नयम का पूरा होना.
•लोकस पोए नट टया तपया का थान लोकस पोए नट टया का स ांत यह दान करता है क जहां कोई खुद को अपराध के वा त वक कमीशन से
रोकता है यह के वल तैयारी के समान होगा। यह स ांत यह व ेषण करने के बाद तपा दत कया गया क कसी के पास अपराध करने से
खुद को अलग करने का उ चत अवसर है। •समता परी ण समानता परी ण समता परी ण म कहा गया है क जब कसी का कोई काय
उ चत संदेह से परे अपराध करने क संभावना को सा बत कर सकता है तो इसे के वल तैयारी के
बजाय अपराध करने का यास माना जाएगा।
Accomplishment उप लध
कसी अपराध क स तब होती है जब अपराध करने का यास सफलतापूवक न पा दत कया जाता है।
येक उस काय अपराध या अपराध के लए उ रदायी होगा जो वह करता है या पूरा करता है। सं हता के ावधान दे श म व भ अपराध के लए व श दं ड
का ावधान करते ह।
ऐसे जघ य अपराध.
म से पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
हो गया क दोषी ने वयं अपने और पी ड़ता के कपड़े उतारे थे और उसका ऐसा इरादा था
यायालय ने यास के चरण का व ेषण करते ए कहा क यह तैयारी से परे का चरण है और यह अपराध के वा त वक कमीशन से पहले का चरण है।
कसी अपराध को करने के यास का मतलब के वल अपराध को पूरा करने क अं तम कारवाई को कवर करना नह है ब क इसम उन सभी कृ य या काय क
ृंख ला को भी शा मल कया गया है जो तैयारी के दायरे से परे जाते ह और कसी वशेष अपराध को करने के लए एक न त इरादे और ढ़ संक प को द शत करते
ह। अपराध। यह कोई ऐसा काय नह होना चा हए जो उस अं तम काय से ठ क पहले हो जसके घ टत होने पर वयं अपराध कया गया हो ब क इसम उन सभी
कृ य या कृ य क ृंख ला को शा मल कया गया है जो उस अपराध के घ टत होने क दशा म अं तम काय से पहले हो सकते ह।
म य दे श रा य बनाम. नारायण सह
इस मामले म माननीय सव यायालय ने माना क कसी अपराध के होने म चार चरण शा मल होते ह यानी इरादा तैयारी यास और कमीशन। इन
अपराध के पहले दो चरण दोषी नह ह गे हालाँ क अं तम दो चरण दोषी ह गे। इस मामले म उ रदाता म य दे श से महारा तक बना पर मट के उवरक का
नयात करने का यास कर रहे थे। इस लए इस कृ य को के वल तैयारी के बजाय अपराध का यास माना गया।
सं हता क धारा पर ट पणी करते ए यायालय ने कहा क यु छे ड़ने के लए कई चरण और चरण को पार करने क आव यकता होगी। पु ष
क लामबंद के साथ साथ ह थयार और गोला बा द का संचय भी करना होगा। इसके लए ठोस यास क आव यकता होगी। यु छे ड़ने क सा जश म शा मल
येक को एक वशेष काय आवं टत कया जा सकता है। एक को आदमी इक ा करने का काम स पा जा सकता है सरे को ह थयार रखने का
और तीसरा गोला बा द के साथ. इस संदभ म अ भ अ यथा तैयार करता है को एजु डेम जेने रस के स ांत के अनु योग पर नह लगाया जाना चा हए।
कोई धन जुटाने के काम म लगा रह सकता है। सु ढ करण दान करने के लए कोई अ य ज मेदार हो सकता है। कु छ लोग साजो सामान क व ा करने
म लगे हो सकते ह। कु छ लोग बौ क मोच पर त हो सकते ह। इसके कई आयाम हो सकते ह.
ये सभी अ यथा तैयारी के दायरे म आएंगे। ले कन जैसा क पहले ही माना जा चुक ा है जब बात आती है
ठोस त य पर ावधान लागू करने पर अदालत ऊं ची सीमा लागू करगी।
म से पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
कसी ारा कसी अ य ारा उ पीड़न के कारण कए गए आ मह या के यास का करण ऐसे को परेशान करने वाला आ मह या के लए उकसाने के यास के लए उ रदायी होगा। यायालय
ने नकारा मक उ र दे ते ए कहा क उकसाने का यास के वल तभी दं डनीय होगा य द उ अपराध कया गया हो इस लए सफल उकसावे का ावधान है। य द उ अपराध नह कया गया है तो ेरक को
परी ा के लए अपना एड मट काड भेज ने के बाद पता चला क जानकारी फज है। उ ह नचली अदालत और उ यायालय ारा सं हता क धारा के साथ
प ठत धारा के तहत दोषी ठहराया गया था।
माननीय सव यायालय के सम अपील के तहत अपीलकता का तक यह था क यह के वल धोखाधड़ी करने क तैयारी थी न क कोई यास। अदालत ने तक
को खा रज कर दया और माना क जब अपीलकता ने जाली जानकारी तुत क तो यह धोखाधड़ी करने क तैयारी थी और जब उ जाली द तावेज़ भेज े गए
तो यह एक यास था। अदालत ने दोहराया क कसी भी यास को के वल अं तम काय के प म नह दे ख ा जा सकता है ब क इसका मतलब कसी भी काय
को आगे बढ़ाना है।
तैयारी।
. लापरवाही के स ांत दा य व
कानूनी दा य व के आधार के प म लापरवाही है इरादे क तरह लापरवाही भी आपरा धक मनः त का एक और मह वपूण प है यह अपराध का भी
मह वपूण ह सा है।
अथ
प रभाषा
लापरवाही का अ नवाय त व
. उ लंघन तवाद ने एक न त तरीके से काय करके या काय करने म असफल होकर उस कानूनी कत का उ लंघन कया
का पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
. लापरवाही का परक स ांत सै मंड ारा तपा दत स ांत का अथ है क लापरवाही दोषी लापरवाही है। हालाँ क यह वचारशीलता या असावधानी के बराबर
नह है फर भी यह उदासीनता का एक कोण है। तदनुसार लापरवाही अ नवाय प से कसी के आचरण और उसके प रणाम के संबंध म अनु चत उदासीनता के
मान सक रवैये म शा मल होती है । कसी को लापरवाही के आधार पर उ रदायी ठहराया जा सकता है य द वह कसी वशेष प रणाम से बचने क पया त इ ा नह
रखता है। ोफ़े सर वनफ़ ज ह ने सै मंड के कोण का पुरजोर समथन कया ने यह भी कहा क लापरवाही का सरा अथ महज़ मन क एक आदत है
कसी कत के त असावधानी।
गढ़
भगवान का काय.
अप रहाय घटना. अंशदायी लापरवाही
मामल
डोनो यू बनाम ट वे सन म लॉड एट कन ने इसे इस कार रखा आपको उन काय या चूक से बचने के लए उ चत सावधानी बरतनी चा हए जनसे आप उ चत प से
अनुमान लगा सकते ह क इससे आपके पड़ोसी को चोट लगने क संभावना होगी। तो फर मेरा पड़ोसी कौन है इसका उ र उन य के लए तीत होता है जो मेरे
कृ य से नकट और सीधे तौर पर भा वत ह मुझ े उ चत प से उ ह इस बात पर यान दे ना चा हए क जब म अपने मन को उन कृ य या चूक क ओर नद शत कर रहा
ँ जो म ह।
हट बनाम स वरमैन य द कोई अपनी कारवाई या न यता के मा यम से खतरनाक त पैदा करता है और बाद म चोट लगने का उ चत अनुमान लगा सकता
है तो कसी क़ानून या अनुबंध का सहारा लए बना प र तय से उ लंघन सा बत कया जा सकता है।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
उनक औसत डेटा खपत त माह जीबी से अ धक है। यह सब भारत म इंटरनेट क प ंच और स ती दर के कारण संभव आ है।
यह जानकर आ य होगा क पहला साइबर अपराध वष म दज कया गया था। यह माना जाता है और तक दया जाता है क भारत म साइबर या ड जटल अपराध
से शु आ।
साइबर ेस या है
साइबर ेस को पर र जुड़े कं यूटर का एक े माना जा सकता है या अ धक व श प से कह तो इले ॉ नक उपकरण का एक नेटवक जसका उपयोग नेट पर डेटा को
सा रत या संशो धत करने के लए कया जाता है। यह आम तौर पर
इसम नया भर म इले ॉ नक उपकरण का एक ापक नेटवक शा मल है जो सूचना को साझा करने के लए आपस म जुड़ा आ काम करता है और साथ ही इसे ा त करने के लए वे
संचार करने और हवा म डेटा रखने के लए ट पीसी या आईपी ोटोकॉल का उपयोग करते ह। साइबर ेस अपने आप म लाख लोग वाली एक आभासी नया है
उपयोगकता.
साइबर ाइम या है
साइबर अपराध या ड जटल अपराध को उन अपराध के प म माना जा सकता है जो इले ॉ नक उपकरण जैसे माट फोन या इंटरकने टे ड कं यूटर का उपयोग करके कए
जाते ह। साइबर अपराध करने के कई उ े य हो सकते ह जैसे यौन शोषण धोखाधड़ी या तशोध। समय के साथ साथ भारत म साइबर ाइम के मामल म भी तेज ी से बढ़ोतरी हो रही है।
यह सं या दन ब दन बढ़ती ाहक क सं या के अनुपात म है। गृह मं ालय ने वष म लगभग साइबर अपराध के मामले दज कए
सेवा आ मण का वत रत खंडन
इस कार का हमला जो सेवा हमले से इनकार करके वत रत कया जाता है एक कदाचार है और ल य पर भीड़भाड़ करके ल त सवर सेवा और नेटवक के सामा य वाह को
बाढ़ और यातायात क बाढ़। इस हमले के कारण असु वधा होती है सवर हग हो जाता है द शत नह हो पाता
प रणाम आ द
फ़ शग
फ शग एक कार का साइबर अपराध है जसम पी ड़त या ल य को कसी ऐसे ारा ैम ईमेल टे लीफ़ो नक कॉल एसएमएस भेज ने के मा यम से मंज ूरी द जाती है जो आपक गत जानकारी
हा सल करने के लए खुद को वैध या संगठन बताता है। वे आम तौर पर ऐसे संदेश भेज ते ह जनम जानकारी तक प ंचने के लए आपके ववरण जैसे बक जानकारी या सोशल मी डया पासवड भरने क आव यकता
होती है। यह आपके गत खात तक गैरकानूनी प ंच हा सल करने और धोखाधड़ी करने और पैसे नकालने के लए कया जाता है।
ै मग
ै मग का काय एक साइबर अपराध है जसम ईमेल आईडी या गत प से दो के मा यम से अवां छत और अनुरो धत थोक संदेश भेज ना शा मल है। ै मग व भ कार क होती है जैसे
इंज न ै मग लॉग ै मग व ापन ै मग सोशल ै मग आ द। यह कसी वेबसाइट के व ापक को परेशान करता है।
है कग
यह ऐसे कं यूटर के अंदर डेटा तक गैरकानूनी और अन धकृ त प ंच हा सल करने के लए पहले सरे के कं यूटर म पछले दरवाजे क पहचान करने का एक काय है। कं यूटर
तक प ंच ा त करने के लए इस पछले दरवाजे का उपयोग कया जाता है।
का पृ
Machine Translated by Google
अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
ॉस साइट टग
ॉस साइट टग XSS हमले एक कार का इं टलेशन है जसम शरारती ट को अ यथा भरोसेमंद वेबसाइट म पेश कया जाता है। XSS हमले
तब होते ह जब एक हमलावर शरारती कोड को नद शत करने के लए एक वेब ए लके शन का उपयोग करता है आमतौर पर ाउज़र साइड ट के प म एक
अलग अं तम उपयोगकता के लए। इन हमल को बढ़ावा दे ने वाली वफलताएँ काफ च लत ह और तब होती ह जहाँ कोई वेब ए लके शन कसी उपयोगकता के
इनपुट को उसके ारा बनाए गए आउटपुट के भीतर मा णत या ए ट कए बना उपयोग करता है।
पहचान क चोरी यह
एक ल त क गत जानकारी चुराने और बाद म ऐसी जानकारी का उपयोग करके उसका त पण करने का काय है। ा त जानकारी क मदद
से अपराधी धोखाधड़ी करने के लए ल त होने का दखावा करता है या पी ड़त बनकर कानून का उ लंघन करता है।
ू र बल के हमले
इस कार के साइबर सुर ा हमले म हमलावर व भ कार के वणमाला और सं या मक संयोजन का यास और परी ण करता है जब तक क उसे पी ड़त
के खाते का सही पासवड नह मल जाता।
मैलवेयर
इसे व भ कार के वायरस या ो ाम के लए यु एक ापक श द माना जा सकता है जो पी ड़त क जानकारी को उसक जानकारी और सहम त के बना ा त
करने के लए डजाइन कए जाते ह।
ोजन
ोजन को भेष बदलने का अ भशाप माना जा सकता है य क दे ख ने पर यह एक उपयोगी सॉ टवेयर तीत हो सकता है
उपयोगकता के लाभ के लए ले कन वा तव म उपयोगकता के डवाइस को नुक सान प ंचाने के लए बनाया गया है।
साइबर अपराध को सूचना ौ ो गक अ ध नयम और भारतीय दं ड सं हता के तहत दं डत कया जाता है। आईट अ ध नयम साइबर अपराध और इले ॉ नक धोखाधड़ी से संबं धत है।
यह अ ध नयम व भ साइबर अपराध क प रभाषाएँ और साथ ही इसके लए सज़ा भी नधा रत करता है। इस कानून का मु य उ े य साइबर अपराध से आम आदमी क सुर ा करना और इंटरनेट पर
उ चत शासन ब कग और वा ण य सु न त करना है।
सूचना ौ ो गक अ ध नयम के तहत कु छ अपराध को इस कार नोट कया जा सकता है सूचना ौ ो गक अ ध नयम का अ याय XI अपराध से संबं धत है और इस अ ध नयम के तहत कए गए कु छ
सामा य अपराध इस कार ह
धारा
आईट अ ध नयम क धारा कं यूटर ोत द तावेज से छे ड़छाड़ से संबं धत है। जसम तीन साल क कै द और लाख तक का जुमाना हो सकता है। इसके
लए एक उदाहरण पर वचार कर a
का पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
टे लीकॉम कं पनी को एक ए स कं पनी के मोबाइल फोन के सी रयल नंबर के साथ छे ड़छाड़ करने का दोषी ठहराया गया ता क मोबाइल फोन के वल उनक कं पनी के सम
काड के साथ काम करे।
धारा
आईट अ ध नयम क धारा कं यूटर स टम क है कग और कं यूटर नेटवक और स टम के अन धकृ त और अ वीकृ त उपयोग से संबं धत है। इसम लाख
पये तक का जुमाना और या साल तक क जेल क सजा हो सकती है। इसके लए एक उदाहरण पर वचार कर और य द कोई हैक र कसी नेटवक सेवा दाता को
हैक करता है और हमारी सेवा का उपयोग करने के लए अ धकृ त य के पासकोड को बदल दे ता है ता क अ को अ वीकार कर दया जा सके तो ऐसा काय
आईट अ ध नयम क धारा के तहत आपरा धक है।
धारा सी आईट
अ ध नयम क धारा सी सर के साथ धोखाधड़ी को अंज ाम दे ने और पी ड़त का त पण करने के लए पासवड या बायोमे स यहां तक क ड जटल ह ता र का उपयोग करके पहचान क चोरी से
संबं धत है। इसके लए उदाहरण पर वचार कर अपराधी अनु चत तरीक से ई कॉमस खाते या बक खाते के पी ड़त क लॉ गन आईडी और पासवड ा त करता है और अपने खाते म धन ह तांत रत करता है यह
अवैध और गैरकानूनी है। इस तरह का ानांतरण अन धकृ त है और आईट अ ध नयम क धारा सी के तहत इसे अपराध माना गया है।
धारा डी धारा डी
कं यूटर संसाधन का उपयोग करके धोखाधड़ी करने से संबं धत है। यह एक दं डनीय अपराध है जसम साल तक क कै द और लाख तक का जुमाना हो सकता है। उदाहरण पर इस कार वचार कर एक
अपराधी खुद को इंटरनेट पर कसी और के पम तुत करता है और पी ड़त को भावनापूण तरीके से धन ह तांत रत करने के लए े रत करता है उसे आईट अ ध नयम क धारा डी के तहत दोषी पाया जा
सकता है।
धारा ई आईट
अ ध नयम क धारा ई अन धकृ त े के च को कै चर करने से संबं धत है इसे सावज नक करना या क सहम त के बना साझा करना आईट अ ध नयम के तहत अपराध है। ऐसे अपराध के
धारा F आईट
अ ध नयम क धारा F साइबर आतंक वाद को कवर करती है। साइबर आतंक वाद को राजनी त से े रत एजडा माना जा सकता है जो समाज म गंभीर पीड़ा और ापक संक ट और चता पैदा करने के
लए सूचना ौ ो गक का उपयोग करता है। यह एक ऐसा कायालय है जसम दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावास क सजा हो सकती है। इसका एक उदाहरण इस कार माना जा सकता है भारत के टॉक
ए सचज यानी बीएसई और एनएसई जहां धमक द गई थी क उनक साइबर सुर ा न हो जाएगी और इन टॉक ए सचज पर आतंक वाद हमले क आशंक ा थी हमलावर पकड़ा गया और उसे दं डत कया
गया। आईट ए ट क यह धारा.
धारा
आईट अ ध नयम क धारा ई लेटफॉम पर अ ील साम ी या न नता के काशन से संबं धत है। दोषी पाए गए कसी भी को साल तक क जेल और
लाख तक का जुमाना हो सकता है. इसका उदाहरण आरोपी ने पी ड़ता क न न और अ ील त वीर लीक कर द जब पी ड़ता ने आरोपी से शाद करने से इनकार
कर दया तो उसे आईट अ ध नयम क धारा के तहत दोषी ठहराया गया।
भारतीय दं ड सं हता म कु छ वकास जसके कारण इले ॉ नक मोड म भी अपराध क पहचान ई वे इस कार ह
धारा भारतीय दं ड
सं हता क धारा चोरी के लए सजा से संबं धत है। ऐसे अपराध के लए साल तक क कै द और या जुमाना हो सकता है। इस अनुभाग के व तृत य म चोरी कए गए उपकरण या कं यूटर का
धारा
का पृ
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उप अपराध कानून सेम मुंबई व व ालय नया पा म
भारतीय दं ड सं हता क धारा धोखाधड़ी या धोखाधड़ी से संबं धत है। धोखाधड़ी या धोखाधड़ी और भावनापूवक कसी को संप वत रत करने के लए े रत करना। कु छ सामा य साइबर
अपराध जैसे फज वेबसाइट प जी क म और ऑनलाइन ामक व ापन आईपीसी क धारा के तहत दं डनीय ह। यह अपराध आपको फं सा सकता है
साल तक क कै द या जुमाना।
धारा भारतीय दं ड
सं हता क धारा अमा य द तावेज़ और झूठे इले ॉ नक रकॉड बनाने या वक सत करने से संबं धत है इस अपराध के लए आपको साल तक क जेल और या जुमाना हो सकता है।
धारा
भारतीय दं ड सं हता क धारा जालसाजी से संबं धत है। धोखाधड़ी के इरादे से जालसाजी करने का काय आईपीसी क इस धारा को आक षत करेगा इसका एक उदाहरण ईमेल ू फग है
और यह साल तक क कै द और या जुमाने के साथ दं डनीय अपराध है।
कु छ मामले या बनाम
आकाश अरोड़ा यहां आरोपी ने डोमेन और े डमाक YahooIndia.com का इ तेमाल कया और ायी नषेधा ा मांगी गई। यह भारत म साइबर अपराध के सबसे शु आती मामल म से एक था।
नैसकॉम बनाम अजय सूद और अ य। यहां तवाद हेडहंटर थे और भत कता ने सबसे बड़े और त त सॉ टवेयर एसो सएशन के NASSCOM NASSCOM के नाम का
इ तेमाल कया और य से गत जानकारी ा त करने के लए व भ मेल भेज े। ये फ़ शग का मामला था. त मलनाडु रा य बनाम सुहास क । यहां आरोपी एक
तलाकशुदा म हला को अ ील और अपमानजनक साम ी भेज ता था। उ ह आईट अ ध नयम क धारा के तहत दोषी ठहराया गया था। कालंद चरण लका बनाम ओ डशा
रा य
यहां आरोपी ने गुमनाम प से च र को नुक सान प ंचाने वाले व भ संदेश भेज े आरोपी ने पी ड़ता का पीछा कया और उसका फज अकाउं ट बनाया। उसने पी ड़त के चेहरे से छे ड़छाड़
कर आप जनक त वीर बना द । उ ह साइबर टॉ कग के लए आईपीसी क धारा डी के तहत दोषी ठहराया गया था।
व ीय जो खम।
पासवड इतना लंबा होना चा हए क उसका अनुमान लगाना क ठन हो और इतना छोटा होना चा हए क आपको वह याद रहे यह छोटे और बड़े अ र दोन का संयोजन होना चा हए और
साथ ही सं या और तीक का भी संयोजन होना चा हए।
उदाहरण के लए
XaV ba B ऐसे संयोजन को डकोड करना मु कल है और यह आपको सुर त रखेगा।
सॉ टवेयर को नय मत प से अ तन रखना
सॉ टवेयर को नय मत प से अ तन रखने से आपका जो खम कम रहता है। कसी के लए सॉ टवेयर को अ तन रखना ब त मह वपूण है य क यह कसी भी क मय को रोकता है
और हटाता है और पछले सॉ टवेयर म मौजूद खा मय को र करता है और सुर ा को मजबूत करता है। कसी भी उपल और सबसे अ धक इ तेमाल कए जाने वाले कारनामे को हर नए सॉ टवेयर
अपडेट म पा रत कया जाता है जो यह सु न त करता है क आपक सुर ा और आपक गोपनीयता से समझौता नह कया गया है इस लए कसी के लए सॉ टवेयर को तुरंत अ तत रखना ब त
मह वपूण है।
जब आप इंटरनेट पर ाउज़ करते ह तो आपको ब त आकषक पॉप अप और व ापन मल सकते ह ले कन सावधान रह इनम से अ धकतर व ापन
घोटाले और धोखाधड़ी वाले होते ह। इंटरनेट यह दखाने के लए एआई आधा रत ए गो रदम का उपयोग करता है क आप कौन ह
का पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
ासं गक व ापन और उ ह आपके लए अ धक आकषक बनाने के लए। ऐसे व ापन से बचने का यास कर य क वे धोखाधड़ी वाले और ामक हो सकते ह। कई बार जब आप इंटरनेट
ाउज़ कर रहे होते ह तो एक पॉप अप दखाई दे ता है जो आपसे आगे बढ़ने के लए अपना आईडी और पासवड दज करने के लए कहता है यह एक लाल झंडा है जसे आपको प से
वापस जाना चा हए और
ऐसे व ापन म वेश न कर। इसके अलावा आजकल ईमेल भेज ने क धोखाधड़ी ग त व धयाँ जो आपको भरने के लए कहती ह
आपके आईडी पासवड ब त च लत ह सावधान रह एक वा त वक वसाय आपसे कभी भी ईमेल के मा यम से आईडी पासवड भरने के लए नह कहेगा। इंटरनेट पर स फग करते समय
सतक रहना होगा।
अ वीपीएन सेवा का उपयोग कर
एक अ वीपीएन सेवा से वयं को सुर त कर। वीपीएन का मतलब वचुअल ाइवेट नेटवक है। वीपीएन या करता है यह सभी सूचना को तब तक ए ट करता है जब
तक क यह अपने वां छत गंत तक नह प ंच जाती है इसका मतलब है क य द आप कसी साइबर हमले का शकार ह तो हमलावर आप तक नह प ंच पाएगा। जब भी आप कसी ान
पर ह तो वीपीएन का उपयोग कर
सावज नक नेटवक आपको साइबर हमल से सुर त रखेगा। वीपीएन के साथ आपको यह सु न त कया जाता है क आपको ै क या े स नह कया जा रहा है और आप सुर त प से
इंटरनेट ाउज़ कर सकते ह।
सोशल ोफाइल को इतना सोशल न रखना हालां क यह अजीब लग
सकता है ले कन सोशल मी डया पर हर चीज और कु छ भी पो ट करना जो आपके लए कु छ हद तक नजी है आपको सुर ा जो खम म डाल सकता है। आपक ज म त थ
आपके कु े का नाम आपके जीवन क मुख घटना जैसे कु छ पो ट करने से आप पूवानुमा नत हो जाते ह और आपके पासवड को ै क करना आसान हो जाता है।
साइबर हमलावर आपके सोशल मी डया अकाउं ट से ऐसी जानकारी तलाशते ह। इस कार आप सोशल मी डया पर जो भी पो ट करते ह उसे सी मत करने से आपको साइबर हमल से खुद को
सुर त रखने म मदद मल सकती है।
अ े एंट वायरस सॉ टवेयर का उपयोग करना
अपने पीसी म एंट वायरस और नेट ोटे टर इं टॉल रखना हमेशा एक अ ा वचार है। यह न के वल यह सु न त करता है क आपका पीसी कसी भी वायरस से मु है ब क यह
आपक ऑनलाइन ग त व धय को भी नयं त और संर त करता है। एंट वायरस आपके पीसी के भीतर कसी भी भावनापूण कोड या ग त व धय क लगातार जांच करता है और इसे
नय मत प से अपडेट रखने से यह सु न त होगा क आपका पीसी कसी भी जो खम से मु है। सरी ओर नेट ोटे टर आपक ऑनलाइन ग त व धय पर नज़र रखता है और य द उ ह
कोई भावनापूण या धोखाधड़ी वाली ग त व ध या ए लके शन का एहसास होता है जसम आप वेश कर सकते ह तो आपको सू चत करते ह। ये दोन आपके ऑनलाइन और ऑफलाइन
अनुभव को ु टहीन और साइबर हमल से मु बनाने के लए मलकर काम करते ह।
ऐसा न कर
मॉ ूल . व तार
. आपरा धक सा जश आईपीसी
अ याय वीए धारा ए और बी . यास आईपीसी अ याय
XXIII धारा . संयु
का पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
तावना जब क
भारत के लए एक सामा य दं ड सं हता दान करना समीचीन है इसे इस कार अ ध नय मत कया गया है धारा सं हता के संचालन का शीषक और सीमा।
इस अ ध नयम को भारतीय दं ड सं हता कहा जाएगा और इसका व तार ज मू क मीर रा य को छोड़कर संपूण भारत पर होगा।
भी पर कारवाई क जाएगी।
इस सं हता के ावधान के अनुसार भारत से बाहर कए गए कसी भी काय के लए उसी कार
य द ऐसा कृ य भारत के भीतर कया गया हो।
धारा अतर े ीय अपराध के लए सं हता का व तार। इस सं हता के ावधान कसी भी अपराध पर भी लागू होते
ह भारत के कसी भी नाग रक ारा भारत के बाहर और बाहर कसी भी ान पर . भारत म पंज ीकृ त कसी भी जहाज या वमान
पर कोई भी चाहे वह कह भी हो। भारत के बाहर या बाहर कसी भी ान पर कोई भी भारत म त
कं यूटर संसाधन को नशाना बनाकर अपराध कर रहा है।
मह वपूण के स कानून
धारा अपवाद के अधीन समझी जाने वाली कोड म प रभाषा इस सं हता के अंतगत आने वाले सभी अपराध क येक प रभाषा
दं डा मक ावधान और च ण को अ याय IV सामा य अपवाद म उ ल खत संबं धत अपवाद के वषय के प म पढ़ा जाना चा हए।
यह धारा प रभाषा को सामा य अपवाद अ याय IV का वषय घो षत करके अ याय IV क चता कए बना अपराध क यो यता को मा य करने म तबंध लगाती है।
मु य वशेषताएं
पृ का
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
• मूल प से धारा एक अपराधी के लए आपरा धक दा य व से छू ट है य द वह अ याय IV के कसी भी ावधान के अंतगत नह आता है। • अपवाद का बार बार उ लेख करने से बेहतर था क इसके
लए अलग अ याय बनाया जाए। एक एकल अपवाद
एक ही ेण ी के अपरा धय ारा कए गए एक से अ धक अपराध पर लागू होगा। उदाहरण वष से कम उ के ब े ह या आ द जैसे अपराध नह कर सकते • इस खंड को अ याय IV ावधान के एक
वषय के प म पढ़ा जाना है धारा से ।
मुख ता से दखाना
या य का नकाय चाहे नग मत हो या नह ।
मुख ता से दखाना
नगम आपरा धक प से उ रदायी हो सकते ह। धारा तब सुर ा दान करती है जब कोई नगम कसी अपराध का शकार हो जाता है और अपराधी को कारावास क सजा दे ता है।
. कु छ वशेष अ ध नयम नदे शक और अ य अ धका रय पर आचरण के लए नगम के मामल का आरोप लगाया जा सकता है
मामल को तब तक आपरा धक प से उ रदायी घो षत कया जाता है जब तक क वे यह सा बत नह कर दे ते क अपराध उनक जानकारी के बना कया गया था या उ ह ने उस अपराध को रोकने के
लए सभी उ चत प र म कए थे।
. भागीदार का आपरा धक दा य व शाम सुंदर बनाम ह रयाणा
रा य नणय दनांक अग त जेट एससी सु ीम कोट ने आव यक व तु अ ध नयम क धारा के संदभ म कहा के वल एक भागीदार ही उ रदायी
और ज मेदार है संचालन के लए फम के वसाय को तब तक दोषी ठहराया जा सकता है जब तक क वह यह सा बत न कर दे क उ लंघन उसक जानकारी के बना आ है या ऐसे उ लंघन को रोकने के लए सभी उ चत
प र म कए गए ह।
म से पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
धारा भारत
ज मू और क मीर रा य को छोड़कर भारत का े ।
मु य वशेषताएं
. इस सं हता क धारा ए ए आ द से संबं धत है और इसका आशय उन धारा से है जहां े ीय भाव मह वपूण त व है।
हाइलाइट जज
ह या नह •
के के तहत मुक दमे म अ धकार े का योग करने वाला एक कले टर यायाधीश होता है। • एक
म ज े ट उस आरोप के संबंध म े ा धकार का योग करता है जस पर उसे जुमाना या सजा दे ने क श है
कारावास अपील के साथ या अपील के बना यायाधीश है। • पंचायत
का एक सद य जसे म ास कोड के व नयमन VII के तहत मुक दम क सुनवाई और नधारण करने क श ा त है यायाधीश है। • एक म ज े ट
उस आरोप के संबंध
म े ा धकार का योग करता है जस पर उसके पास के वल कसी अ य अदालत म सुनवाई के लए स म त बनाने क श है यायाधीश क नह ।
धारा यायालय
जब न न ल खत या यक प से . एक यायाधीश जो
कानून ारा अके ले या यक प से काय करने के लए सश है और . यायाधीश का एक नकाय जो एक
नकाय के प म या यक प से काय करने के लए कानून ारा सश है।
हाइलाइट
मदरस के व नयमन VII के तहत काय करने वाली एक पंचायत जसके पास मुक दमा चलाने और नधा रत करने क श है एक है
यायालय।
धारा लोक सेवक
नीचे दए गए कसी भी ववरण के अंतगत आने वाला • भारत क सेना नौसेना
या वायु सेना म येक कमीशन ा त अ धकारी • येक यायाधीश या कोई जो कानून ारा वयं या कसी
सद य ारा अपने या यक काय का नवहन करने के लए सश है • याय का येक य छपा आ या खुला नह अ धकारी जसम प रसमापक रसीवर या आयु
शा मल ह जसका कत है • कानून या त य
के कसी भी मामले क जांच करना या रपोट करना
म से पृ
Machine Translated by Google
अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
मुख ता से दखाना
• एक नगर आयु एक लोक सेवक है। • धारा म उ ल खत लोक सेवक को सरकार ारा
नयु कया जा सकता है या नह । • एक लोक सेवक के पास त संभालने के अ धकार म कानूनी दोष हो सकता है। • चुनाव का अथ वधान नगरपा लका या
अ य सावज नक ा धकरण के सद य का चयन करना है। • लोक सेवक या नह • बक कमचारी कु छ व श बक कमचारी य द वधा यका चाहे। •
बक रा ीयकृ त बक का कमचारी एक लोक सेवक है जो भारत सरकार ारा नयं त सरकारी कं पनी या नगम का कमचारी है। • सहकारी स म त के अ य एवं स चव लोक सेवक
नह । • ाइवेट मे डकल ै टशनर लोक
• सव क बीमा दावे का सव क इस धारा के अंतगत नह आता है। • सांसद ाचार नवारण अ ध नयम क धारा के तहत
लोक सेवक। • वधायक लोक सेवक नह ह । • मं ी वे लोक सेवक ह य क वे • वेतन ा त करते ह जो वेतन से अ धक ापक अ भ है।
• रा यपाल ारा नयु भारत के सं वधान के अनु ेद
और • सावज नक काय करना। • सहकारी स म तयाँ ये रा य
के वा म व या नयं ण म नह ह। उनके अ धकारी लोक सेवक नह ह यहां तक क वे भी जो
सरकार म त नयु पर ह।
धारा चल संप
येक ववरण क कॉप रेट संप सवाय भू म और पृ वी से जुड़ी व तु और .
म से पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
• गलत तरीके से हारना ने गलत तरीके से नुक सान होने क बात कही जब उसे बाहर रखा गया और साथ ही गलत तरीके से वं चत कया गया।
धारा बेईमानी से कसी को गलत लाभ और सरे को गलत नुक सान प ंचाने के इरादे से कया गया कोई भी काम।
मुख ता से दखाना
मुख ता से दखाना
. अं ेज ी आपरा धक कानून म क ज़ा क ज़ा के लए मान सक त व क आव यकता होती है। कसी के पास कोई ऐसी व तु है जसके बारे म उसे पता नह है या वह उसके हडबैग कमरे
आ द म है ऐसा नह कहा जा सकता है।
जस पर उसका नयं ण है ।
. जब तक कोई नकली सा बत नह हो जाता तब तक यह माना जाता है क उसे धोखा दया गया है जैसे क समानता उसके अपने धोखे का मु ा रही हो।
कसी पदाथ पर पदाथ भौ तकवाद साम ी जैसे नयम और शत को करते ह वा त वक पदाथ जस पर नयम और शत बनाई जाती ह ।
. जब उस अ र अंक या च को बाद म सा य के प म उपयोग कया जाता है चाहे वह बाद म सा य के प म बनाया गया हो या नह द तावेज़ कहलाता है।
मुख ता से दखाना
• सारहीन त य • द तावेज़ का सार
या • अ भ के साधन अ र या अंक या च
ापा रक या अ य उपयोग म चाहे वह वयं इसे करे या नह । उदाहरण ापा रक उपयोग के अनुसार पर ा य लखत का अथ धारक को भुगतान एजडा के लए कया जाता है। तो चाहे
इसके ऊपर इसका उ लेख कया गया हो या नह फर भी इस खंड के योजन के लए भी इसे न हत प से उसी तरह से लया जाएगा।
का पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
मुख ता से दखाना
• उदाहरण व नमय बल जब बेचान का इरादा अ धकार को ह तांत रत करने का हो। • मू यवान सुर ा क आव यक शत कानूनी अ धकार या कानूनी दा य व
उ प कर रही ह। • अपवाद द तावेज़ के मा यम से रलीज़ कर य क यह अ धकार का दावा घोषणा करता है न क याग रलीज़ अ धकार का। • इस
अ ध नयम के तहत यो यता अपराध के खलाफ • मानव शरीर धारा • संप धारा • द तावेज धारा • मू यवान सुर ा होने का टकराव या नह •
अपंज ीकृ त
द तावेज जो पंज ीकृ त होने तक पूरी तरह से भावी नह है स त अथ म मू यवान सुर ा
नह है ले कन क थत प से मू यवान सुर ा है इस लए धारा मू यवान सुर ा
क जालसाजी के तहत आती है और • यहां
तक क आचरण के आधार पर धोखाधड़ी का अपराध भी
माना जाता है। • धारा का अपवाद एक क थत द तावेज़ मू यवान सुर ा क
एक त है।
धारा कृ य को संद भत करने वाले श द म अवैध चूक शा मल है • कोड म कए गए काय का संदभ दे ने वाले श द का
मतलब अपराधी ारा अवैध चूक से गुज रना भी है। • अपवाद प र त का कोई भी वरोधाभासी इरादा। • काय यायशा के अंतगत कोई भी मानव इ ा के अधीन है। •
अ ध नयम दान करता है • दरवाजे क कसी मान सक या शारी रक ग त व ध म इसक उ प • इसक प र तयाँ और
• इसके प रणाम। • चूक सं हता के अधीन होगी य द कया गया काय अवैध होगा। ले कन चूक जानबूझ कर नह होनी
चूक सं हता क चता नह करती य क तब यह एक जानबूझ कर कया गया अवैध आचरण होगा। • सशत
आचरण • दे ख भाल • य द दे ख भाल करना
है। • अपवाद सावधानी से काय करने म चूक मा क जाती है य द वह काय मान सक लैक आउट का उ पाद था। • वयंसेवक • आचरण दं डनीय नह है य द इससे भा वत हो दौरे या न द म चलना । • हो स
. एक भी सकारा मक काय.
कृ य क शृंख ला. .
धारा सामा य इरादे को आगे बढ़ाने के लए कई य ारा कया गया काय उनम से येक के लए सामा य इरादे से कई य ारा कया गया
आपरा धक काय ऐसा येक उसी तरीके से उ रदायी होगा जैसे क यह अके ले उसके ारा संचा लत कया गया हो।
हाइलाइट
का पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
अ नवायताएँ कसी क अनुप त कसी को दोषी सा बत करने म वफल हो सकती है काय म भागीदारी अपराध
म भागीदार
सामा य इरादा.
ासं गक मामले इं जीत
जब सहायक हमलावर सामा य इरादे के कारण आरोपी के साथ शा मल पाया जाता है तो अदालत को उ ले खत न होने पर भी इस धारा का सहारा मदद लेना पड़ता है।
पल क गम आचरण
जब आरोपी ने आवेश म आकर कारवाई क और वष तक जमानत पर रहा तो सजा आरआई से कम हो गई
वष से . वष तक का कठोर कारावास।
ासं गक मामला राज साद बनाम बहार रा य एआईआर एससी
समपण पया त नह
य द अपीलकता पु लस के सम आरोपी के साथ आ मसमपण करता है तो मन क बैठक संतु नह होती है और इस लए धारा ऐसी त को कवर नह कर सकती है।
अ भयु का अपराध
य द अ भयु पर अपराध होने के अलावा कोई न कष नह है तो दोष स उ चत होगी।
ासं गक मामला बसंती बनाम हमाचल दे श रा य एआईआर एससी
का पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
हर आरोप य कृ य म शा मल होना ज री नह
धारा या के तहत कसी को परो दा य व के लए दोषी ठहराने के लए उनके लए य कृ य म शा मल होना आव यक नह है।
ासं गक मामला राम बलास सह बनाम बहार रा य एआईआर एससी सामा य आशय ण भर म अचानक
या तेज ी से
साझा इरादे को उनके साझा इरादे को संसा धत करके ा पत करना है भले ही यह उछाल का प रणाम हो
पल।
ासं गक मामला मकसूदन बनाम उ र दे श रा य एआईआर एससी सामा य इरादे को साझा करना सामा य इरादे का
अनुमान लगाया जाता है
सरे आरोपी ने मृतक को बचाया तो पहले आरोपी ने उसे चाकू मार दया।
ासं गक मामला ब चतर
सह बनाम रा य द ली शासन एआईआर एससी कु छ आरो पय ने मृतक पर हमला कया सभी आरो पय को
दोष स के लए उ रदायी नह ठहराया जा सकता ासं गक मामला खमोचन पांडे बनाम बहार रा य एआईआर एस संदेह का लाभ एक बार इरादा सा बत आ सर का
आचरण नह एक आरोप का इरादा सा बत हो गया है ले कन सर का आचरण अभी सा बत नह आ है। ऐसे मामले म संदेह का लाभ
दे ते ए सजा को घटाकर साल कर
दया गया।
ासं गक मामला राणापरताप बनाम ह रयाणा रा य एआईआर एससी गवाह का ववरण आरोपी से मेल नह
खाता आरोपी ने मामले का नेतृ व कया बं क से लैस होकर घर म वेश कया
मृतक क ह या म भाग लया।
ासं गक मामला लोकपाल सह बनाम रा य म य दे श एआईआर एससी
च मद द गवाह के सा य से ह या के अपराध म उनक भागीदारी सा बत नह होने के कारण सभी आरो पय को बरी कर दया गया है। मु य आरोपी को उसी आधार पर संदेह का लाभ नह
दया जा सकता। संदेह का लाभ
कसी च मद द गवाह को पूरी तरह झूठा और ब कु ल अ व सनीय सा बत करके नह दया जा सकता।
ासं गक मामला जरनैल सह बनाम पंज ाब रा य एआईआर एससी धारा जब ऐसा काय आपरा धक
ान या इरादे से कया जाने के कारण आपरा धक है तो ऐसे येक जो इस तरह के ान या इरादे से काय म शा मल होता है उ रदायी है काय के लए उसी तरह से जैसे क काय अके ले उसके ारा
ान या इरादे से
धारा भाव आं शक प से काय ारा और आं शक प से चूक ारा होता है जहां कोई अपराध होता है जब कोई
कसी काय या चूक ारा भाव पैदा करता है या उस भाव को पैदा करने का यास करता है मामले म भाव का कारण या उस भाव को पैदा करने का यास आं शक प से होता है एक काय
और आं शक प से एक चूक के कारण यह एक अपराध भी है।
म से पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
उदाहरण A और
B ने Z को मार डाला गंभीर उकसावे के तहत क यह के वल गैर इरादतन ह या क ेण ी म आएगा के वल गैर इरादतन ह या का दोषी होगा।
मुख ता से दखाना
धारा मृ यु मृ यु श द ारा
धारा वष महीना जहां भी वष या माह श द का उपयोग कया जाता है यह समझा जाना चा हए क वष या महीने क गणना टश कै लडर के अनुसार क जानी है।
धारा स ावना स ावना म ऐसा कु छ भी नह कहा जाता है जसे कया या माना जाता है जो उ चत दे ख भाल और यान के बना कया या माना जाता है।
धारा ए बंदरगाह
का पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
• आ य भोजन पेय धन कपड़े ह थयार गोला बा द या प रवहन के साधन के साथ आपू त क गई या • उपयु चीज के साथ सहायता क गई या नह ।
एक और ऐ तहा सक फै सले म सु ीम कोट ने से साल क नाबा लग प नी के साथ यौन संबंध को अपराध घो षत कर दया। अदालत ने बला कार कानून म एक अपवाद को
पलट दया जसने एक प त को सजा स हत सहम त क परवाह कए बना साल और उससे अ धक उ क अपनी प नी के साथ यौन संबंध बनाने क अनुम त द थी। एनजीओ इं डपडट
थॉट ने अदालत म एक जन हत या चका दायर क जससे इस फै सले का रा ता साफ हो गया और यह नयम मु लम पसनल लॉ के मामले म भी लागू होगा। आपरा धक कानून भारत म इस
कार के मामल से नपटता है ज ह उनक कृ त के आधार पर व भ धारा म वग कृ त कया जाता है।
आपरा धक कानून म व भ दं ड शा मल ह जो हर मामले म अलग अलग होते ह। ले कन यह हमेशा ज री नह है क कसी को उसके ारा कए गए अपराध के लए सजा
मले। भारतीय दं ड सं हता आईपीसी अ याय IV म सामा य अपवाद के तहत बचाव को मा यता दे ता है। धारा से म ये बचाव शा मल ह जो इस धारणा पर आधा रत ह क
कोई कए गए अपराध के लए उ रदायी नह है। ये बचाव उस समय च लत प र तय सामा यतः पर नभर करते ह
अ याय IV का उ े य
येक अपराध पूण नह होता उनके कु छ अपवाद होते ह। जब आईपीसी का मसौदा तैयार कया गया था तो यह माना गया था क आपरा धक मामल म कोई अपवाद नह था
जो एक बड़ी खामी थी। इस लए सं हता के नमाता ारा संपूण अवधारणा पर लागू एक अलग अ याय IV पेश कया गया था।
सबूत का बोझ
•आम तौर पर अ भयोजन को आरोपी के खलाफ उ चत संदेह से परे अपना मामला सा बत करना होता है। •भारतीय सा य अ ध नयम के लागू होने से पहले अ भयोजन
प को यह सा बत करना था क मामला कसी अपवाद के अंतगत नह आता है ले कन सा य अ ध नयम क धारा ने दावेदार पर बोझ डाल दया।
•ले कन अपवाद म सा य अ ध नयम क धारा के अनुसार एक दावेदार को अपराध म सामा य अपवाद के अ त व को सा बत करना होगा।
इस संपूण सं हता म अपराध क येक प रभाषा येक दं डा मक ावधान और येक ऐसी प रभाषा या दं डा मक ावधान का येक च ण अ याय म न हत अपवाद के अधीन समझा
जाएगा।
शीषक सामा य अपवाद ।
सामा य अपवाद को े णय म वभा जत कया गया है
• य कृ य • या यक प से
यायसंगत कृ य मायो य कृ य
यायसंगत अ ध नयम
धारा और के तहत त य क गलती। यायाधीश का एक काय और धारा और के तहत एक आदे श के अनुसरण म कया गया काय।
नशा धारा और .
धारा के तहत दबाव.
का पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
य कृ य
मायो य अ ध नयम वह है जसम य प उस ने हा न प ंचाई है फर भी उस को मा कर दया जाना चा हए य क उस काय के लए उसे दोषी नह ठहराया जा सकता है।
उदाहरण के लए य द कोई वकृ त दमाग वाला कोई अपराध करता है तो उसे इसके लए ज मेदार नह ठहराया जा सकता य क उसके पास आपरा धक दमाग नह था। यही बात अनै क नशा
पागलपन शैशवाव ा या त य क ईमानदार गलती के लए भी लागू होती है।
गया काय या त य क भूल से वयं को कानून से बंधा आ मानना शा मल है। कु छ भी ऐसा अपराध नह है जो कसी ऐसे ारा कया जाता है जो त य क गलती के कारण या कानून क गलती के
कारण स ावना से ऐसा काय करने के लए खुद को कानून ारा बा य मानता है। यह कानूनी कहावत इ नोर टया फै ट डोथ ए स यूसैट इ नोर टया यू रस नॉन ए स यूसैट से लया गया है। •उदाहरण य द
कोई सै नक कानून के आदे श के अनु प अपने अ धकारी के आदे श से भीड़ पर गोली चलाता है तो वह उ रदायी नह होगा।
धारा के अंतगत कसी ारा वयं को कानून ारा उ चत ठहराए जाने या त य क भूल से कया गया काय शा मल है। कु छ भी ऐसा अपराध नह है जो कसी ऐसे ारा कया जाता है जो
कानून ारा उ चत है या जो त य क गलती के कारण और कानून क गलती के कारण स ावना म खुद को कानून ारा उ चत मानता है उस वशेष काय को करने म •उदाहरण ए उसने सोचा क Z एक
ह यारा है और अ े व ास म और कानून ारा यायसंगत है Z को पेश करने के लए पकड़ लेता है
उदाहरण मान ली जए क एम एक प ी को बं क से मारने क को शश कर रहा है ले कन भा य से ओक के पेड़ से पराव तत गोली एन को नुक सान प ंचा रही है तो एम उ रदायी नह होगा।
भारतीय श अ ध नयम क धारा ई के तहत द गई सजा को बढ़ाया जाना चा हए। तवाद ावधान के तहत उ रदायी था ले कन अब और नह । जैसा क उसने सोचा था उसने ह या करने के लए
कु छ मनट के लए बं क उधार ली थी
जंगली जानवर उस पर और उसके सा थय पर हमला कर सकते ह। सजा बढ़ाने संबंधी अज खा रज कर द गई।
म से पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
सु ीम कोट ने कहा क आरोपी बचाव का दावा कर सकता है य क भले ही वह कृ य क कृ त को जानता था ले कन वह नह जानता था क या गलत था।
धारा नशे म धुत कसी ारा कया गया अपराध जसके लए कसी वशेष इरादे या ान क आव यकता होती है।
यह उन मामल म लागू होता है जहां कया गया काय तब तक अपराध नह होता जब तक क वह कसी वशेष ान या आशय से न कया गया हो कोई जो नशे क हालत म काय
करता है उसके साथ वैसा ही वहार कया जाएगा मानो उसे वैसा ही ान था जैसा क उसे तब होता य द वह नशे म न होता जब तक क जस चीज ने उसे नशे म डाला वह उसे उसक
जानकारी के बना या उसक इ ा के व न द गई हो।
उदाहरण एक जो नशे म है कसी अ य को शराब के नशे म चाकू मार दे ता है जो उसे पाट म उसक जानकारी या इ ा के व द गई थी तो वह उ रदायी नह
होगा। ले कन य द उस ने वे ा से नशे क हालत म उस को चाकू मारा है तो वह उ रदायी होगा।
यायसंगत काय एक
यायसंगत काय वह है जो सामा य प र तय म गलत होता ले कन जन प र तय म काय कया गया वह इसे सहनीय और वीकाय बनाता है।
यायाधीश का काय और धारा और के तहत एक आदे श के अनुसरण म कया गया काय धारा या यक काय करते समय यायाधीश का
काय। ऐसा कु छ भी अपराध नह है जो कसी यायाधीश ारा या यक प से काय करते समय कसी श का योग करते ए कया जाता है जो उसे कानून ारा द गई है या जसके बारे
म वह स ावना से व ास करता है।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
धारा यायालय के नणय या आदे श के अनुसार कया गया काय। ऐसा कु छ भी जो कसी यायालय के अनुसरण म कया जाता है या जो उसके नणय या आदे श ारा
आव यक है य द उस नणय या आदे श के लागू रहने के दौरान कया जाता है तो अपराध है भले ही यायालय के पास ऐसा नणय पा रत करने का कोई अ धकार े न हो।
या आदे श बशत क स ावपूवक काय करने वाला यह मानता हो क यायालय के पास ऐसा े ा धकार है।
उदाहरण एक यायाधीश जो आजीवन कारावास क सज़ा दे ने का आदे श पा रत करता है यह व ास करते ए क अदालत का े ा धकार है उ रदायी नह होगा।
अ ध नयम के तहत आव यक
नुक सान प ंचाने क संभावना है ले कन आपरा धक इरादे के बना और अ य नुक सान को रोकने के लए कया जाता है। कोई भी चीज़ के वल इस कारण से अपराध नह है क
इसे इस ान के साथ कया गया है क इससे नुक सान होने क संभावना है अगर इसे नुक सान प ंचाने के कसी आपरा धक इरादे के बना और या संप को अ य
नुक सान को रोकने या टालने के उ े य से अ े व ास के साथ कया जाता है। .
उदाहरण एक जहाज के क तान ने अपनी जान बचाने के लए लोग के जहाज क दशा बदल द ले कन अपनी ओर से कसी भी इरादे या लापरवाही या गलती
के बना एक छोट नाव के लोग के जीवन को नुक सान प ँचाया। वह उ रदायी नह होगा य क आव यकता एक ऐसी त है जसम कोई बड़े
नुक सान से बचने के लए छोटा नुक सान करता है।
धारा और धारा धारा के तहत सहम त सहम त से कया गया काय न तो इरादा है
और न ही यह ात है क इससे मृ यु या गंभीर चोट लगने क संभावना है। ऐसा कु छ भी नह जसका उ े य मृ यु या गंभीर चोट प ंचाना नह है और जसके बारे म लोग को जानकारी नह है
ऐसा कता जसके कारण मृ यु या गंभीर चोट लगने क संभावना है वह कसी भी नुक सान के कारण अपराध है
वष से अ धक आयु के कसी भी को जसने सहम त द है चाहे वह या न हत हो उस नुक सान को सहने के लए े रत करना या करने का कता का इरादा
होना या कसी ऐसे नुक सान के कारण जसके बारे म कता को पता हो क इससे कसी ऐसे को होने क संभावना है जसने नुक सान के जो खम के लए सहम त द है।
उदाहरण ए और ई आनंद के लए एक सरे को घेरने पर सहमत ए। इस समझौते म एक सरे क सहम त से नुक सान सहने क सहम त शा मल है जो ऐसी बाड़
लगाने के दौरान बना कसी बेईमानी के हो सकता है और य द ए खेलते समय ई को काफ चोट प ंचाता है तो ए ने कोई अपराध नह कया है।
धारा के लाभ के लए स ावनापूवक सहम त से कया गया काय मृ यु का रत करने का इरादा नह है। कोई भी चीज़ जसका उ े य मृ यु का रत करना नह है
कसी ऐसे नुक सान के कारण अपराध है जो वह का रत कर सकता है या कता ारा का रत करने का इरादा रखता है या कता को पता होना चा हए क वह कसी ऐसे
को का रत करने क संभावना रखता है जसके लाभ के लए यह स ावना से कया गया है और जसने उस नुक सान को सहने या उस नुक सान का जो खम उठाने के लए
सहम त द है चाहे वह या न हत हो।
का पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
धारा कसी ब े या पागल के लाभ के लए अ भभावक क सहम त से स ावपूवक कया गया काय। बारह वष से कम उ के या वकृ त दमाग वाले के हत के लए अ भभावक या उस
का कानूनी भार रखने वाले कसी अ य क या न हत सहम त से स ावपूवक कया गया कोई भी काय अपराध नह है। कसी भी नुक सान के कारण जो इससे हो सकता है या कता ारा ऐसा
करने का इरादा हो या कता ारा उस को नुक सान प ंचाने क संभावना हो धारा सहम त के बना कसी के लाभ के लए स ावना म कया गया काय। कोई भी चीज़ कसी ऐसे नुक सान के कारण
अपराध नह है जो उस को प ंचा सकती है जसके लाभ के लए यह अ े व ास म कया जाता है यहां तक क उस क सहम त के बना भी य द प र तयां ऐसी ह क उस के लए सहम त
करना असंभव है या य द वह सहम त दे ने म असमथ है और उसका कोई संर क या कानूनी भारी कोई अ य नह है जससे लाभ के साथ
धारा डर या ग़लतफ़हमी के तहत द गई सहम त के बारे म जाना जाता है। सहम त ऐसी सहम त नह है जैसा क इस सं हता के कसी भी अनुभाग ारा अ भ ेत है
. य द कसी ारा सहम त चोट के डर से या त य क गलत धारणा के तहत द गई है और य द काय करने वाला जानता है या उसके पास व ास करने का कारण है क सहम त ऐसे डर
या गलत धारणा के प रणाम व प द गई थी या . पागल क सहम त य द सहम त कसी ऐसे ारा द गई है जो मान सक अ व ता या नशे के कारण उस चीज़ क कृ त और
असम रा य म यह बना कसी संदेह के सा बत आ क आरोपी ने शाद के झूठे वादे पर पी ड़ता के साथ यौन संबंध बनाए थे। गौहाट उ यायालय ने माना क कसी म हला ारा डर या त य क गलत धारणा
के तहत शरीर को स पना सहम त के प म नह माना जा सकता है और इस लए भारतीय दं ड सं हता क धारा और के तहत आरोपी को दोषी ठहराना उ चत था।
धारा उन कृ य का ब ह कार जो त से वतं प से अपराध ह। धारा और म अपवाद उन काय पर लागू नह होते ह जो कसी भी नुक सान से वतं प से अपराध ह जो वे सहम त दे ने वाले
को या जसके कारण हो सकते ह या करने का इरादा रखते ह या होने क संभावना जानते ह। क ओर से सहम त दान क गई है।
से कया गया कोई भी संचार उस को कसी भी तरह क हा न प ंचाने के कारण अपराध नह है जसे वह कया गया है य द वह उस के लाभ के लए कया गया हो।
उदाहरण एक डॉ टर ने नेक इरादे से प नी को बताया क उसके प त को कसर है और उसका जीवन खतरे म है। यह सुनकर प नी क सदमे से मौत हो गई। डॉ टर उ रदायी नह होगा य क उसने यह
को धम कय से मजबूर कया जाता है। ह या और रा य के खलाफ मौत क सजा वाले अपराध को छोड़कर कु छ भी ऐसा अपराध नह है जो कसी ारा धम कय के तहत ऐसा करने के लए मजबूर
कया जाता है जो ऐसा करने के समय उ चत प से यह आशंक ा पैदा करता है क अ यथा उस को तुरंत मौत हो जाएगी। प रणाम बशत क काय करने वाले ने अपनी मज से या त काल मृ यु से कम
खुद को नुक सान प ंचाने क उ चत आशंक ा से खुद को उस त म नह रखा जसके कारण वह इस तरह क बाधा के अधीन हो गया।
•उदाहरण ए को डकै त के एक गरोह ने पकड़ लया था और उसे त काल मौत का डर था। उ ह बं क उठाने के लए मजबूर कया गया और डकै त के वेश और प रवार को नुक सान प ंचाने के लए घर
म से पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
प ंचाने वाली छोट छोट बात को इस धारा के अंतगत शा मल कया गया है। कोई भी चीज़ इस कारण से अपराध नह है क वह कोई नुक सान प ंचाती है या क वह का रत करने का इरादा रखती है या यह जानती
है क उसके कारण कोई नुक सान होने क संभावना है अगर वह नुक सान इतना मामूली है क कोई भी सामा य समझ और वभाव का इस तरह के नुक सान क शकायत नह करेगा। .
कोई भी चीज़ अपराध नह है जसम एक नजी सुर ा के अ यास म सरे को नुक सान प ँचाता है।
धारा शरीर और संप क नजी सुर ा का अ धकार।
येक को नजी र ा का अ धकार है जो धारा के तहत उ चत तबंध के तहत दान कया गया है।
. कसी भी ऐसे अपराध के व अपने शरीर या कसी अ य के शरीर क र ा करना जसम खतरा हो
ज़दगी।
. चोरी डकै ती शरारत या आपरा धक अ तचार या चोरी डकै ती शरारत या आपरा धक अ तचार जैसे कसी भी अपराध के खलाफ अपनी या कसी अ य क चल या अचल
संप क र ा करना। •उदाहरण एक पता एक चोर के हमले से बेट क जान बचाने के लए उसके पैर म गोली मार दे ता है। ले कन पता उ रदायी नह होगा य क वह
अपनी बेट के जीवन क र ा कर
रहा था।
उदाहरण A पागलपन के भाव म Z को मारने का यास करता है ले कन A दोषी नह है। Z वयं को A से बचाने के लए नजी सुर ा का योग कर सकता है।
का पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
और न क
तबंध के तहत व ता रत होता है। वे ा से हमलावर को मौत के अलावा कोई नुक सान प ंचाना।
उदाहरण ए बी और सी बदला लेने के लए डी को मारने के लए उसका पीछा कर रहे थे ले कन अचानक उ ह ने एक पु लसकम को सरी तरफ से आते दे ख ा। वे डर गये
और भागने के लये पीछे मुड़ गये। ले कन डी ने बी के पैर म गोली मार द तब भी जब नुक सान का कोई आस खतरा नह था। डी उ रदायी होगा य क मृ यु या
खतरे क कोई आशंक ा नह थी।
उदाहरण सी ने डी के घर म चोरी करते समय भावनापूवक डी को चाकू मारने का यास कया। डी के मन म यह वा जब आशंक ा है क सी उसे गंभीर चोट प ंचाएगा
इस लए खुद को और संप को बचाने के लए सी ने डी क छाती म चाकू से उसका गला घ ट दया जससे उसक मौत हो गई। सी उ रदायी नह होगा.
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
य द अपराध जसे करना या करने का यास करना नजी र ा के अ धकार का योग करना संभव बनाता है चोरी शरारत या आपरा धक अ तचार है जो पछले
पूववत खंड म व णत कसी भी ववरण म से नह है तो वह अ धकार नह है इसका व तार वे ा से मृ यु का रत करने तक नह है ब क इसका व तार धारा
म उ ल खत तबंध के अधीन गलती करने वाले को वे ा से मृ यु के अलावा कोई अ य नुक सान प ँचाने तक है। उदाहरण य द ए ने बी को परेशान करने या उसे
चोट प ंचाने के लए आपरा धक अ तचार कया है तो बी के पास होगा
•या या तो सावज नक अ धका रय क सहायता ा त क गई है •या संप बरामद क गई है। लूट के व संप क
को मौत या चोट प ंचाता है या उसे चोट प ंचाने का यास करता है या गलत तरीके से रोकता है जब तक त काल मृ यु या त काल चोट या त काल चोट का डर
रहता है । गत संयम जारी है. •आपरा धक अ तचार या शरारत के व संप क नजी सुर ा का अ धकार तब तक जारी रहता
है
य द कसी हमले के खलाफ नजी बचाव के अ यास म कोई मौत क आशंक ा पैदा करता है जसम बचावकता के पास नद ष को नुक सान प ंचाने के
अलावा कोई वक प नह है तो उसका अ धकार जो खम उठाने तक व ता रत होगा।
उदाहरण सी पर एक भीड़ ने हमला कया है जो उसक ह या करने का यास कर रही है। वह भीड़ पर गोली चलाए बना नजी बचाव के अपने अ धकार
का योग नह कर सकता। खुद को बचाने के लए वह गोलीबारी करते समय नद ष ब को चोट प ंचाने के लए मजबूर है इस लए सी ने कोई
अपराध नह कया य क उसने अपने अ धकार का योग कया था।
. Abetment उकसाना
आईपीसी अ याय V धारा
कानून ारा दं डनीय कसी भी आपरा धक काय को करने के लए कसी को उकसाना ो सा हत करना और सहायता करना ेरण कहलाता है। यह लेख
भारतीय दं ड सं हता के अ याय V यानी ेरण के बारे म बात करता है।
कसी भी कार क सज़ा दे ते समय और कसी भी कार के अपराध के लए कसी को भी उ रदायी ठहराते समय आपरा धक कानून अपने आप म ब त है।
का पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
भारतीय दं ड सं हता का अ याय V पहला अपराध है जो भारतीय दं ड सं हता म शु होता है जसम कहा गया है क अपराध करने के पीछे के मा टरमाइंड को के वल इस आधार पर मु नह
कया जाना चा हए क अपराध पीछे वाले ारा नह कया गया है। अपराध कया गया है या अभी कया जाना है। उकसावे क अवधारणा ने इन आपरा धक इराद को शा मल करने और भारतीय दं ड
सं हता के अ याय V के तहत नधा रत ावधान के अनुसार उ ह दं डत करने के लए आपरा धक कानून के दायरे को व तृत कर दया है।
. मनु य ारा कये जाने वाले कसी भी आपरा धक कृ य म इरादा और ान मह वपूण भू मका नभाते ह। हालाँ क घरेलू उपयोग के लए चाकू खरीदने जैसा सरल गैर आपरा धक वहार तब
आपरा धक हो जाता है जब चाकू ा त करने के पीछे कसी कार का आपरा धक इरादा हो। दोषी मन से कया गया कोई भी काय अपने आप म अपराध माना जा सकता है।
. कसी इरादे के बनने के बाद के वल न पादन आव यक होता है जसके बाद ए टु सरेई होता है। यानी इरादे के बदले म कया गया काय सर को चोट प ंचाता है।
इस लए
उपरो चार चरण के बीच म उकसावे क कारवाई हो सकती है यानी योजना के शु आती चरण म जहां इरादा एक ारा वक सत कया जाता है ले कन अपराध करने के लए उकसाने के
प रणाम व प काय सरे ारा कया जाता है। उकसाना एक वा त वक अपराध है जहां अपराध नह कया गया है
माना जाता है एक को अपराध के लए सरे को उकसाने सा जश रचने और सहायता करने के लए उ रदायी ठहराया जाता है।
ेरण का अथ धारा
भारतीय दं ड सं हता क धारा ेरण के बारे म बात करती है। धारा के अनुसार जो ेरण का अथ समझाती है सामा यतः ेरण का अथ है उकसाना मदद करना अपने
आपरा धक इरादे को या वत करने के लए ो सा हत करना। ेरण म तीन काय शा मल ह जो धारा म नधा रत ह उकसाने से उकसाना आम तौर पर यह कहा जाता है क कोई सरे को दो
संभा वत तरीक से े रत कर सकता है जो एक को अ े कारण के लए े रत कर रहा है और सरे को बुरे कारण के लए े रत कर रहा है जो उकसाने से उकसाना है और इस लए इस तरह
के उकसावे के लए उ रदायी ठहराया जाता है भले ही उकसाया गया काय कया गया हो या नह । कोई कसी काय को करने के लए उकसाता है जो जानबूझ कर गलत बयानी करके या कसी भौ तक
त य को जानबूझ कर छपाकर जसका खुलासा करने के लए वह बा य है वे ा से कसी काय को कराता या ा त करता है या करवाने या ा त करने का यास करता है। उकसावे ारा ात ेरण।
यह है जैसा
उदाहरण A एक सावज नक अ धकारी Z को पकड़ने के लए यायालय ारा वारंट ारा अ धकृ त है। B इस त य को जानते ए क C Z नह है जानबूझ कर A को दशाता है क C Z है और इस तरह
जानबूझ कर A को C को पकड़ने के लए े रत करता है। यहां बी सी क आशंक ा को उकसाकर उकसाता है।
षडयं ारा ेरण षडयं ारा ेरण म उस काय को करने के लए कसी भी षडयं म एक या एक से अ धक य को शा मल करना शा मल होता है य द उस षडयं के अनुसरण म
कोई काय या अवैध चूक होती है। षडयं ारा ेरण तभी कहा जाता है जब कसी आपरा धक कृ य को करने के लए दो या दो से अ धक य के बीच षडयं कया गया हो य द काय कया जाता है तो
षडयं ारा ेरण माना जाएगा य द ऐसा नह कया जाता है तो षडयं माना जाएगा और दं डनीय होगा। धारा ए के तहत और सा जश ारा उकसाने के लए नह ।
सहायता ारा ेरण तीसरे कार का ेरण कसी आपरा धक अपराध को करने म जानबूझ कर कसी काय या अवैध चूक ारा सहायता करके ेरण है। धारा के ीकरण म कया गया
है क कसी काय को करने म सहायता करने वाला कहा जाता है जो कसी अपराध के घ टत होने से पहले या उसके समय उस काय के घ टत होने को सु वधाजनक बनाने के लए कु छ भी करता है।
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च ण एक पुज ारी ने एक अ ववा हत म हला के साथ एक ववा हत का ववाह समारोह संप कराया।
यहां पुज ारी जानबूझ कर सहायता करने के लए उ रदायी है और सहायता ारा उकसाने के लए उ रदायी है।
ेरक कौन है
भारतीय दं ड सं हता क धारा ेरक के बारे म बात करती है वह जो कसी अपराध के लए उकसाता है जो या तो कसी अपराध को करने के लए उकसाता है या कसी ऐसे काय को
करने के लए उकसाता है जो अपराध होगा य द वह कानून ारा स म ारा कया जाता है ेरक के समान इरादा या ान।
ेरण के संबंध म पांच ताव कसी काय को अवैध प से छोड़ने आईपीसी क धारा म न हत है जो इस कार ह
के लए ेरण एक अपराध क ेण ी म आ सकता है हालां क ेरक वयं उस काय को करने के लए बा य नह हो सकता है। इस कार य द कोई लोक सेवक सं हता ारा दं डनीय कत के अवैध चूक
पर दोषी है और एक नजी उसे उकसाता है तो वह उस अपराध को बढ़ावा दे ता है जसके लए लोक सेवक दोषी है हालां क उकसाने वाला एक नजी होने के नाते वयं नह हो सकता है
अपराध का दोषी.
ेरण का अपराध ग ठत करने के लए यह आव यक नह है क े रत काय कया गया है या नह । उकसाने का अपराध उकसाने वाले के इरादे पर नभर करता है न क उकसाने वाले ारा
कए गए वा त वक काय पर।
उदाहरण A B को C क ह या करने के लए उकसाता है। B ऐसा करने से इंक ार करता है। ए बी को ह या के लए उकसाने का दोषी है।
ेरण का अपराध ग ठत करने के लए यह आव यक नह है क े रत कानून के अनुसार अपराध करने म स म हो या उसके पास ेरक के समान ही दोषी इरादा या ान हो।
ेरण एक गंभीर अपराध है भले ही ेरक के आपरा धक इरादे या ान के समान ही हो के वल आपरा धक अपराध करने के लए उकसाना आव यक है और उस ेरक को ऐसा काय करने के लए
े रत नह करता है जो या तो कानून ारा स म है या नह ।
उदाहरण ए एक दोषी इरादे से एक ब े या पागल को ऐसा काय करने के लए उकसाता है जो एक अपराध होगा य द अपराध करने म कानून ारा स म ारा कया जाता है और ए के समान
इरादा रखता है। यहां ए का मौसम है काय कया जाए या नह कया जाए अपराध को बढ़ावा दे ने का दोषी है।
उदाहरण A B को Z क ह या करने के लए C को उकसाने के लए उकसाता है। तदनुसार B C को Z क ह या करने के लए उकसाता है और B के उकसाने के प रणाम व प वह अपराध करता है। बी
उस अपराध के लए ह या क सजा के साथ दं डत होने के लए उ रदायी है और चूं क ए ने बी को अपराध करने के लए उकसाया है ए भी उसी सजा के लए उ रदायी है।
षडयं ारा ेरण का अपराध ग ठत करने के लए यह आव यक नह है क ेरक उस अपराध को करने वाले के साथ मलकर अपराध करे। यह पया त है य द वह उस षडयं म शा मल होता है
जसके अनुसरण म अपराध कया गया है तो वह उ रदायी होगा।
धारा ए इस बारे म बात करती है क जब कोई इस सं हता के अथ के अंतगत कसी अपराध को े रत करता है जो भारत म भारत से बाहर कसी ऐसे काय को करने के लए े रत करता है
जो भारत म कए जाने पर अपराध के लए उ रदायी होगा।
धारा यद े रत काय प रणाम व प कया गया हो और जहां इसक सजा के लए कोई ावधान नह कया गया हो तो ेरण क सजा
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य द कोई कसी अपराध के लए उकसाता है और उकसाया गया काय उकसावे के प रणाम के तहत कया जाता है जहां इस कोड के तहत ऐसे उकसावे क सजा के लए कोई ावधान नह कया
गया है तो उसे उकसाने और कए गए अपराध के लए दान क गई सजा से दं डत कया जाएगा।
जब क ेरण के कु छ मामल म सजा का ावधान कया गया है। यह कया जाना चा हए क कोई काय या अपराध ेरण के प रणाम व प कया गया कहा जाता है जब वह उकसावे के
प रणाम व प या सा जश के अनुसरण म या सहायता के साथ कया जाता है जो ेरण बनता है। इसके अनुसार े रत अपराध सं ेय या गैर सं ेय जमानतीय या गैर जमानती अदालत ारा
वचारणीय और गैर शमनयो य है।
उदाहरण ए बी को
झूठे सा य दे ने के लए उकसाता है ए क शह पर बी एक अपराध करता है। यहां ए अपराध को बढ़ावा दे ने का दोषी है और बी के समान अपराध के लए उ रदायी है।
ए ए के त कु छ आ धका रक अनु ह दखाने के पुर कार के प म एक लोक सेवक बी को र त क पेशकश करता है। बी इसे वीकार करता है
र त ए ने अपराध को बढ़ावा दया है और आईपीसी क धारा म प रभा षत अपराध के लए उ रदायी है।
धारा यद े रत े रत करने वाले से भ इरादे से काय करता है तो ेरण क सजा इस धारा म ेरण के लए द ड का ावधान है अथात े रत यद े रत करने वाले से भ
ान या इरादे से काय करता है उस
अपराध के लए ावधा नत दं ड से दं डत कया जाए जो तब कया गया होता य द काय ेरक के समान इरादे और ान के साथ कया गया हो। कसी अपराध को करने और करने तथा काय करने के लए
े रत के वल इस आधार पर बचाव नह कर सकता क ेरण के प रणाम म कया गया काय ेरक क मंशा और ान से भ इरादे और ान के साथ कया गया है वह इसके लए समान प से
उ रदायी होगा सज़ा. इसके अनुसार े रत अपराध सं ेय या गैर सं ेय जमानतीय या गैर जमानती अदालत ारा वचारणीय और गैर शमनयो य है।
धारा जब े रत एक काय कया जाता है और सरा काय कया जाता है तो ेरक का दा य व जब एक े रत काय कया जाता है और एक अलग काय कया
जाता है तो ेरक उस काय के लए उसी कार उ रदायी होता है जैसे य द े रत कया गया हो बशत क कया गया काय सही हो। उकसाए गए अपराध के प रणाम व प होने क संभावना है और
उकसावे के भाव म या सहायता से या सा जश के अनुसरण म कया गया था जो उकसावे का गठन करता है। और य द कोई ऐसा काय कया जाता है जो ेरण के संभा वत प रणाम नह है तो ेरक
कसी भी अलग कार के अपराध के लए उ रदायी नह है। इसके अनुसार े रत अपराध सं ेय या गैर सं ेय जमानतीय या गैर जमानती अदालत ारा वचारणीय और गैर शमनीय है।
धारा ेरक जब उकसाए गए काय और कए गए काय के लए संचयी दं ड के लए उ रदायी हो धारा भारतीय दं ड सं हता क धारा का व तार है। धारा के अनुसार य द
कया गया अपराध े रत काय से भ है ले कन यह कसी काय को करने के लए उकसाने या सहायता करने के भाव म कए गए ेरण के संभा वत प रणाम ह। े रत करने वाले को उसी कार
उ रदायी ठहराया जाता है जैसे क े रत करने पर सीधे तौर पर।
इसके अलावा यह कहा गया है क इस धारा म यहां यु संचयी श द बताता है क े रत काय और ेरण के अनुसरण म कया गया काय कृ त से अ धक है और इसके प रणाम व प
अतर काय होता है जसके प रणाम व प े रत का अ त र अपराध होता है। ेरक अ त र अपराध के लए उ रदायी है य द वह अपराध ेरण के संभा वत प रणाम का प रणाम है।
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धारा ेरक ारा कए गए या े रत कसी भी आपरा धक कृ य म इरादे और ान क मह वपूण भू मका होती है। य द कसी भ इरादे से े रत काय के प रणाम व प भ भाव
उ प होता है तो ेरक भाव कारण के लए
उ रदायी होगा इस आधार पर क वह जानता था क े रत काय से ऐसा भाव उ प होने क संभावना है। य प इरादा का रत कए गए कृ य से भ होता है ले कन के वल
इस आधार पर भाव के लए उ रदायी होगा क
ान।
धारा और धारा के बीच मु य अंतर यह है क धारा कहती है क जब एक काय े रत और भ काय कया जाता है और धारा म े रत और तब
काय एक ही होता है ले कन भाव का कारण अलग होता है। जैसा क े रत अपराध सं ेय या असं ेय है
धारा जब अपराध कया जाता है तो ेरक उप त होता है इस धारा म कहा गया है क जब भी कोई
जो अनुप त है ेरक के प म दं डत कया जा सकता है वह उस समय उप त होता है जब ेरण के प रणाम म काय या अपराध कया जा रहा हो जसके लए वह दं डनीय
होगा। कानून यह मान लेगा क ेरक ने वयं ऐसा अपराध और कृ य कया है।
और ेरक अपराध के लए द ड का भागी होगा न क अपराध के लए ेरण के लए। इसके अनुसार े रत अपराध सं ेय या गैर सं ेय जमानतीय या गैर जमानती अदालत ारा
वचारणीय और गैर शमनयो य है।
धारा मौत या आजीवन कारावास से दं डनीय अपराध के लए उकसाना य द अपराध नह कया गया है
य द हा न प ंचाने वाला काय कया जाए तो उसके प रणाम भुगतने ह गे वष कारावास जुमाना
धारा अपराध के लए उकसाने पर कारावास क सजा य द अपराध नह कया जाता है उकसाने वाले अपराध के लए दान क गई सजा क सबसे लंबी अव ध जुमाना दोन के
यद ेरक एक लोक सेवक है जसका कत अपराध को रोकने के लए सजा क सबसे लंबी अव ध दान करना है। अपराध जुमाना दोन ।
धारा जनता ारा या दस से अ धक य ारा अपराध करने के लए उकसाना कोई भी जो आम तौर पर जनता ारा या दस से अ धक य क सं या
या वग ारा अपराध करने के लए उकसाता है उसे उस अव ध के लए कारावास से दं डत कया जाएगा। तीन साल तक क सज़ा या जुमाना या दोन । इसके अनुसार े रत अपराध सं ेय या
गैर सं ेय जमानतीय या गैर जमानती अदालत ारा वचारणीय और गैर शमनयो य है।
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बहकाव
धारा लोक सेवक अपराध करने के इरादे को छपा रहा है जसे तुत करना उसका कत है
यद ेरण अपराध के लए ावधा नत सजा क सबसे लंबी अव ध के प रणाम व प अपराध नह कया गया है तो जुमाना जुमाना दोन ।
य द अपराध कया गया है तो साल क कै द क सजा हो सकती है। मौत या आजीवन कारावास
धारा कारावास से दं डनीय अपराध करने के इरादे को छपाना अपराध के लए सजा क सबसे लंबी अव ध जुमाना दोन का ावधान।
य द अपराध नह कया गया है तो अपराध के लए उकसाने पर सजा क सबसे लंबी अव ध का भाग जुमाना दोन ।
के स कानून
गया क उकसाना य हो सकता है या यह प के मा यम से हो सकता है। जहाँ A B को C क ह या करने के लए उकसाने के लए एक प लखता है जैसे ही प क साम ी B के पास आती है उकसाने
से उकसाने का अपराध पूरा हो जाता है।
ने आरोपी य क उप त म खुद को सु ी बनने के लए तैयार कया। वे उसके पीछे पीछे चता तक आये और उसके सौतेले पु के पास खड़े होकर राम राम च लाने लगे। एक आरोपी ने यह भी
वीकार कया क उसने म हला से राम राम कहने को कहा था. यह माना गया क वे सभी जो उसके पीछे चता तक गए और उसके पास खड़े होकर राम राम च लाते रहे उकसाने के दोषी ह गे य क
उ ह ने स य प से उसे उकसाया था।
षडयं का अथ है गैरकानूनी उ े य के लए दो या दो से अ धक य का संयोजन। यह दो या दो से अ धक य के बीच कोई गैरकानूनी काय करने के लए कया गया समझौता है।
भारतीय दं ड सं हता आईपीसी के तहत आपरा धक सा जश एक गंभीर अपराध है। आम तौर पर आरोपी पर आईपीसी या कसी अ य कानून के तहत आपरा धक सा जश के अपराध के साथ साथ
कसी अ य मह वपूण अपराध का आरोप लगाया जाता है। म शा मल आईपीसी का अ याय वीए आपरा धक सा जश के अपराध से संबं धत है। इस लेख म ासं गक के स कानून क मदद से आपरा धक
सा जश के वा त वक अपराध का व ेषण करने का यास कया गया है।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
आईपीसी क धारा अवैध श द को इस कार प रभा षत करती है क वह सब कु छ जो अपराध है या कानून ारा न ष है या नाग रक कारवाई के लए
आधार दान करता है।
धारा ए से जुड़े ावधान म यह ावधान है क अपराध करने के लए मा सहम त आपरा धक सा जश मानी जाएगी और कसी य काय या अवैध चूक को सा बत करने क
आव यकता नह है। ऐसा य कृ य तभी आव यक है जब षडयं का उ े य कोई गैरकानूनी कृ य करना हो जो अपराध क ेण ी म न आता हो। यह मह वहीन है क या गैरकानूनी काय ऐसे
समझौते का अं तम उ े य है या है
उस व तु के लए मा आक मक।
सु ीम कोट ने आर वकटकृ णन बनाम सीबीआई मामले म आपरा धक सा जश के उपरो आव यक त व को रेख ां कत कया है।
सा जश का सबूत आपरा धक
सा जश का अपराध य या प र तज य सा य से सा बत कया जा सकता है। एक सा जश आम तौर पर एक गु त और नजी से टग म रची जाती है यही कारण है क आपरा धक सा जश
के गठन क तारीख के बारे म कोई भी सकारा मक सबूत पेश करना लगभग असंभव है।
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इसम शा मल या ऐसी सा जश का उ े य या ऐसी सा जश को कै से अंज ाम दया जाना है। यह सब कमोबेश अनुमान का वषय है।
यह माना जाता था क इस धारा के तहत सा जश को सा बत करने के लए सहम त या मन का मलना मु य सबूत म से एक है और इसे सा बत करना सबसे क ठन सबूत म से एक है य क
जैसा क हम सभी इस त य से जानते ह क अपराधी वयं सहमत नह होता है। एक त य यह है क वह कसी के साथ शा मल है यह के वल प र तय का मामला है क कोई यह सा बत कर सकता है क
उन दोन के बीच मन का मलन या समझौता आ है। इस लए आपरा धक सा जश प र तज य सा य पर आधा रत है यादातर मामल म इसे सा बत करने के लए कोई य सबूत नह है।
. यह व ास करने का उ चत आधार होना चा हए क दो या दो से अ धक य ने कोई अपराध या कारवाई यो य गलती करने क सा जश रची है।
. उनम से कसी एक ारा अपने सामा य इरादे के बारे म कही गई क गई या लखी गई कोई भी बात सर के खलाफ सबूत होगी बशत क वह उस समय के बाद कही क गई या लखी गई हो
जब उनम से कसी एक ारा ऐसा इरादा पहली बार बनाया गया था।
जहां कोई ऐसा अपराध करने क सा जश रचता है जो मौत या आजीवन कारावास या दो साल या उससे अ धक क अव ध के लए कठोर कारावास से दं डनीय है और इसक सजा के लए सं हता म
कोई ावधान नह कया गया है तो वह उ रदायी होगा उसी तरह सज़ा के लए जैसे उसने ऐसे अपराध के लए उकसाया हो। ेरण का अथ है कसी को अपराध करने के लए ो सा हत करना या सहायता करना।
य द दो या दो से अ धक य के बीच कोई ऐसा अपराध करने क सा जश रची गई है जसका उ लेख ऊपर नह कया गया है यानी ऐसे अपराध जनम मौत आजीवन कारावास या दो या
दो साल से अ धक क अव ध के लए कठोर कारावास क सजा नह है तो ऐसा छह महीने से अ धक क अव ध के लए कारावास या जुमाना या दोन से दं डत कया जाएगा।
के स कानून
चार आरो पय को पु लस ारा स ल जेल जयपुर से े न ारा सीजेएम भवानी क अदालत म पेश करने के लए ले जाया जा रहा था। रेलवे टे शन नांगल पठानी प ंचने पर चार युवा लड़के उनके
हरासत म मौजूद आरो पय ने भागने क भी को शश क और सरकारी काबाइन छ नने का भी यास कया गया. यह आरोप लगाया गया क एक आरोपी ने हेड कां टे बल पर गोली चला द
जो घायल हो गया और बाद म उसक मौत हो गई। एक आरोपी को पकड़ लया गया और बाक तीन भाग गए।
आरो पय पर आईपीसी क धारा बी और श अ ध नयम के तहत कु छ अपराध के तहत आरोप लगाए गए थे।
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आरो पय को स यायालय ारा दोषी ठहराया गया और अपील पर पंज ाब और ह रयाणा उ यायालय ने उनक सजा क पु क । अपीलकता परवीन उफ सोनू ने सु ीम कोट म अपील दायर क ।
माननीय उ तम यायालय ने माना क कसी भी सबूत के अभाव म आईपीसी क धारा बी के तहत अपराध के लए कसी को दोषी ठहराना सुर त नह है जससे यह पता चले
क सा जशकता के बीच आपसी सहम त है।
गैरकानूनी काय करने का इ त उ े य। यायालय ने अपीलकता को बरी करने का आदे श दया
यह माना गया क कसी अ य पु सा य के अभाव म सह अ भयु के क थत इकबा लया बयान पर अ भयु क दोष स को बरकरार रखना सुर त नह है।
इस मामले म यह दे ख ा गया क य सा य के साथ सा जश के आरोप का समथन करना मु कल है एकमा तरीका जसके ारा आपरा धक सा जश को सा बत कया जा सकता है
अ भयोजन प को व भ ृंख ला घटना के बीच संबंध ा पत करना होगा।
ह याकांड के नाम से जाना जाता है। इस मामले म यह माना गया क सा जश के बारे म ान कसी आरोपी को सा जशकता नह बना दे गा। यह माना गया क मु य अ भयु को आ य दान करने
पॉ टरस के स
इस मामले म टार चबर ारा पहली बार सा जश का आपरा धक पहलू वक सत कया गया था और सा जश को एक मह वपूण अपराध के प म मा यता द गई थी।
मामले के सं त त य इस कार ह एक वा टस ने अ य तवा दय के साथ मलकर टोन पर डकै ती का झूठा आरोप लगाया और उसके प रवार क त ा को बबाद करने के लए हर संभव यास कया।
अफवाह फै लाई ग क टोन एक स न चोर और था। हालाँ क टोन के पास एक बहाना था और वह लगभग लोग को यह मा णत करने के लए लाया था क जस दन क थत डकै ती ई थी वह
लंदन म था। जूरी को एक अ ानी और मला
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टोन ड चाज हो गया. इसके बाद टोन ने अपने खलाफ लगाए गए आरोप से खुद को मु करने और अपनी त ा को सही ठहराने के लए टार चबर के सम एक कारवाई क । तवा दय
ने मामले को अदालत के बाहर सुलझाने का यास कया और टोन को मुक दमा छोड़ने के लए मनाने क भी को शश क । हालाँ क जब या शु ई तो तवा दय ने टोन पर वहार
का आरोप लगाया और उसके कु छ गवाह को भी सू चत कया। अदालत ने माना क तवा दय के बीच सा जश क उप त भले ही टोन को गलत तरीके से दोषी ठहराया गया हो या बरी
कर दया गया हो अपराध का सार है और इसे अपराध माना जा सकता है।
जब सभी क थत सह सा जशकता को बरी कर दया गया है तो अके ले आरोपी को सा जश के लए दोषी नह ठहराया जा सकता है जब तक क यह सा बत न हो जाए क उसने न के वल
सह अ भयु के साथ अपराध करने क सा जश रची थी।
ले कन कसी तीसरे य के साथ जस पर मुक दमा नह चलाया गया है य क वह नाबा लग है या फरार है।
इस मामले म अपीलकता को सात अ य लोग के साथ आपरा धक सा जश के अपराध का दोषी ठहराया गया था। हालाँ क अके ले उन पर एसएस के तहत अपराध का आरोप
लगाया गया था। बी और आईपीसी क धारा सी और एल डी के तहत ाचार नवारण अ ध नयम क धारा के साथ प ठत। साथ ही अ य सभी
सह सा जशकता ायल कोट और हाई कोट से बरी कर दए गए। अंत म सु ीम कोट ने आरोपी को इस त य पर बरी कर दया क समझौते के साथ संवाद करने और उसे पूरा करने के लए
एक और होना चा हए और एक को कभी भी सा जश के लए ज मेदार नह ठहराया जा सकता है।
आं दे श रा य बनाम सु बैया
उपरो मामले म सु ीम कोट ने तक दया क जहां मामला महज सा जश के चरण से आगे बढ़ गया है और आरोप लगाया गया है क अपराध उसके अनुसरण म कए गए ह तो
आरोपी पर सा जश के तहत क थत व श अपराध का आरोप लगाया जा सकता है। सा जश के आरोप के साथ अदालत ने कहा अपराध करने क सा जश करना अपने आप म एक
अपराध है और ऐसी सा जश के संबंध म एक पर अलग से आरोप लगाया जा सकता है।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
बी के तहत दं डनीय है यह दखाने के लए य या प र तज य सा य होना चा हए क दो लोग के बीच कोई समझौता आ था। या अ धक य को अपराध करने के लए। इसम
प रक पना क गई है क कसी अपराध को अंज ाम दे ने के संबंध म सा जशकता ारा लए गए अं तम नणय के प रणाम व प दमाग क बैठक होनी चा हए। यह सच है क यादातर मामल म सा जश रचने के
समझौते का य माण ा त करना मु कल होगा ले कन कसी अपराध को करने के लए दो या दो से अ धक य के बीच समझौते के नणायक या अ तरो य न कष को ज म दे ने वाली प र तय से
. यास आईपीसी
अपराध करने का यास करता है आजीवन कारावास या कारावास या ऐसा अपराध करने का कारण बनता है और ऐसे यास म अपराध करने क दशा म कोई काय करता है जहां इस तरह के यास क सजा
के लए इस सं हता ारा कोई ावधान नह कया गया है उसे अपराध के लए दान क गई कसी भी कार क कारावास से दं डत कया जाएगा जसे आजीवन कारावास क आधी अव ध तक बढ़ाया जा
सकता है या मामला यह हो सकता है उस अपराध के लए कारावास क सबसे लंबी अव ध का आधा ह सा या अपराध के लए ावधा नत जुमाने से या दोन से।
उदाहरण ए ए एक
ब सा तोड़कर कु छ गहने चुराने का यास करता है और ब सा खोलने के बाद पाता है क उसम कोई गहना नह है। उसने चोरी का कृ य कया है अत वह इस धारा के अंतगत दोषी है। बी ए ज़ेड क जेब म
अपना हाथ डालकर ज़ेड क जेब काटने का यास करता है। Z क जेब म कु छ नह होने के प रणाम व प A यास म वफल रहता है। इस धारा के अंतगत क दोषी है।
भारत के सं वधान के अनु ेद बी म कहा गया है क सभी नाग रक को शां तपूण और बना ह थयार के इक ा होने का अ धकार होगा। इसका मतलब है क भारत के नाग रक को अपनी इ ा से
सावज नक सभा या जुलूस आयो जत करने क आजाद द गई है। ले कन इक ा होने का यह अ धकार भारत क सं भुता और अखंडता या सावज नक व ा के हत म भारत के सं वधान के अनु ेद
के खंड के तहत रा य ारा उ चत तबंध के अधीन है । इस कार एक उपयु ा धकारी जनता को इक ा होने से रोक सकता है। बैठक ऐसे मामले म जहां उनक राय है क सावज नक शां त और सौहाद
बाबूलाल पराते बनाम महारा रा य मामले म माननीय सव यायालय ने कहा क सावज नक बैठक आयो जत करने और सावज नक जुलूस नकालने का अ धकार सं वधान के अनु ेद
बी के तहत न हत है। भारत ने कहा क इसे सु न त करने के लए सावज नक व ा को पहले से बनाए रखना होगा और इस लए यह वधा यका के लए एक कानून पा रत करने के लए स म है
जो उ चत ा धकारी को अ म कारवाई करने या वशेष कार के
इस लए धारा बी दं ड या सं हता क धारा और के तहत द गई सभा क वतं ता पर उ चत तबंध लगाने के लए सभा के फै लाव क बात क गई है।
सीआरपीसी क धारा के अनुसार कसी भी गैरकानूनी जमावड़े या पांच या अ धक य के जमावड़े से सावज नक शां त भंग होने क संभावना हो तो उसे कसी भी कायकारी म ज े ट के
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सीआरपीसी क धारा के अनुसार य द ऐसी कसी सभा को अ यथा ततर बतर नह कया जा सकता है और य द सावज नक सुर ा के
लए यह आव यक है क इसे ततर बतर कया जाए तो उ तम रक का कायकारी म ज े ट जो मौजूद है उसे ततर बतर कर सकता है। सश बल ारा
ततर बतर कया जाए।
उपरो दो धारा अथात सीआरपीसी क धारा और को पढ़ने के बाद एक उठता है
पाठक का मन
गैरकानूनी सभा या है
कोई सभा अ नयं त हो सकती है और इससे संप या सावज नक व ा को नुक सान हो सकता है।
ऐसी अ नयं त सभा को गैरकानूनी सभा कहा जाता है। मोती दास बनाम बहार रा य म यह माना गया क एक सभा जो शु म वैध थी उस समय
गैरकानूनी हो गई जब सद य म से एक ने सर को पी ड़त और उसके सहयो गय पर हमला करने के लए बुलाया और त या म उनके नमं ण पर सभा के
सभी सद य ने पी ड़त का पीछा करना शु कर दया जब क वह भाग रहा था। गैरकानूनी सभा श द को भारतीय दं ड सं हता क धारा के तहत
प रभा षत कया गया है
जा सकता है जब तक क यह सा बत न हो जाए क यह गैरकानूनी है पूण सभा म दोषी य के अलावा कु छ अ य भी शा मल थे जनक पहचान नह क गई थी और इस लए उनका नाम नह
बताया जा सका।
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ii कानून या कानूनी या के न पादन का वरोध करना कसी सभा ारा कसी कानूनी या या कानून के न पादन का वरोध करना उदाहरण के लए अदालत के फै सले या
आदे श को न पा दत करना कानून के न पादन के अंतगत आता है इस लए बाबा राम के मामले म गर तारी पर रोक लगा द गई है। ह रयाणा म रहीम लोग ारा एक गैरकानूनी कृ य
था और सरकार ने आपरा धक या सं हता क धारा के तहत गैरकानूनी सभा को ततर बतर करने का फै सला कया। iii अपराध करने के लए जहां या अ धक
य क एक सभा म दशन करने का एक सामा य उ े य होता है ऐसा काय जो कानून ारा न ष है या भारतीय दं ड सं हता या अ य वशेष या ानीय कानून के तहत अपराध
है ऐसी सभा एक गैरकानूनी
सभा होगी। iv कसी संप पर जबरन क जा या बेदखली जहां कसी को रा ते के अ धकार या पानी या कसी अ य के उपयोग के अ धकार से वं चत करने के लए कसी सभा
ारा आपरा धक बल का उपयोग कया जाता है।
सही है क आनंद ले रहा है और उस पर क ज़ा कर रहा है। या कसी संप पर क ज़ा ा त करने या ऐसे अ धकार थोपने के लए उपरो कृ य भारतीय दं ड सं हता क धारा के खंड के तहत
नष ह। v कसी भी को अवैध काय करने के लए मजबूर करना य द आपरा धक बल का उपयोग करके इक ा कया जाता है सरे लोग उ ह ग़ैरक़ानूनी काय करने के लए बा य करते ह तो वह सभा
ग़ैरक़ानूनी
सभा होगी।
दं ड या सं हता क धारा या है
धारा का उ े य कसी भी आशंक ा वाले खतरे को रोकने के लए पहले से त काल आदे श पा रत करना या आपात त म तुरंत उपाय करना है । समाज म शां त और शां त का
संर ण रा य सरकार का मु य उ े य है इस लए सरकार आपातकालीन त म त काल कारवाई करने और आपरा धक सं हता क धारा के खंड के तहत उ ल खत
न न ल खत तीन तय म त काल उपाय दान करने के लए के तहत कायकारी म ज े ट को वशेष प से अ धकार दे ती है।
या रोकने के
लए . व धपूवक
पूरी तरह से तबं धत नह कया जा सकता ले कन आव यक तबंध लगाए जा सकते ह और नवारक उपाय कए जा सकते ह।
धारा क यो यता क अव ध
सीआरपीसी क धारा के खंड के अनुसार इस धारा के तहत कोई भी आदे श जारी होने क तारीख से दो महीने से अ धक समय तक लागू नह रहेगा बशत रा य
सरकार क राय हो क मामले म ऐसा करना ज री है। मानव जीवन वा य या सुर ा के लए खतरे को रोकने या दं गे को रोकने के लए आपातकाल क त म रा य सरकार
म ज े ट को धारा क यो यता क अव ध को छह महीने क अव ध से अ धक नह बढ़ाने का आदे श दे सकती है।
चूं क यह धारा आपातकालीन त म खतरे क आशंक ा के लए कु छ कारवाई करने के लए म ज े ट को पूण श दान करती है म ज े ट को यह दे ख ने के लए अपना
दमाग लगाना चा हए क या मामला ऐसी कृ त का है
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जसके लए इस धारा के तहत एक आदे श क आव यकता होती है अ यथा सावज नक उप व पैदा करने वाले गैरकानूनी जमावड़े को ततर बतर करने के
मामले को सीआरपीसी क धारा के तहत नपटाया जा सकता है।
उपरो धारा म कसी गैरकानूनी सभा का सद य बनने के लए ऐसी सभा म शा मल होने वाले क ओर से ान और इरादे क उप त होनी चा हए।
से लैस होकर गैरकानूनी सभा म शा मल होता है जससे मौत होने क संभावना होती है दो साल क कै द या जुमाना या दोन से दं डत कया जाएगा। iii आईपीसी क धारा के तहत जो कोई भी यह जानते ए
क इसे
ततर बतर करने का आदे श दया गया है गैरकानूनी जमावड़े म शा मल होता है या बना रहता है तो उसे साल क कै द या जुमाना या दोन से दं डत कया जाएगा। iv आईपीसी क धारा के तहत जहां एक
सभा कोई अपराध करती है तो उस गैरकानूनी सभा का येक सद य जो जानता था क ऐसा अपराध होने क संभावना है उस अपराध का दोषी होगा। और अपराध के लए समान
अव ध के लए दं डत कया जाएगा।
संयु आपरा धक दा य व के कोण से सामू हक बला कार या बला कार और सामू हक बला कार से संबं धत
कानून म कोई अंतर है
बला कार और सामू हक बला कार के अपराध भारतीय दं ड सं हता के तहत दं डनीय ह और इनके लए अलग अलग सजा का ावधान कया गया है। कसी म हला के साथ सामू हक बला कार एक से अ धक
य ारा कया जाता है जब क बला कार एक पु ष ारा कया जाता है। अपराध के लए सजा का ावधान इस कार है आईपीसी क धारा म कहा गया है क य द बला कार नीचे सूचीब
य ारा कया जाता है तो उ ह कम से कम साल क कठोर सजा द जाएगी ले कन इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है। इसका मतलब उस के शेष ाकृ तक जीवन के लए
कारावास होगा और जुमाना भी दे ना होगा।
के त व ास या अ धकार या नयं ण या भु व
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य द कोई अ य कसी म हला के साथ बला कार करता है तो उसे कसी भी अव ध के लए कठोर कारावास क सजा द जाएगी जो सात साल से कम नह होगी ले कन जसे आजीवन कारावास तक
बढ़ाया जा सकता है और जुमाना भी लगाया जा सकता है।
धारा ए कहती है क य द कोई ऐसा अपराध करता है जो धारा के तहत दं डनीय है जसके कारण म हला क मृ यु हो जाती है या म हला को लगातार न य अव ा म रहने का कारण
बनता है तो उसे कठोर कारावास क सजा द जाएगी जसक अव ध से कम नह होगी। साल ले कन इसे आजीवन कारावास या मौत तक बढ़ाया जा सकता है।
बशत क ऐसा जुमाना पी ड़त के च क सा य और पुनवास को पूरा करने के लए उ चत और उ चत होगा बशत क इस धारा के तहत लगाया गया कोई भी जुमाना पी ड़त को भुगतान कया
जाएगा।
तक यायपा लका बला का रय को दोषी ठहराने म इतनी स य नह थी और फै सला सुनाते समय म हला के यौन इ तहास को ाथ मक कारक माना जाता था। यही बात तब प रल त
ई जब माननीय सव यायालय ने मथुरा मामले म पी ड़ता के यौन इ तहास के आधार पर आरो पय को बरी कर दया। अदालत ने माना क पी ड़ता ने अपनी सहम त इस लए द य क वह संभोग क
आद थी और पी ड़ता क यो न दो उं ग लय को आसानी से वीकार कर सकती थी।
ले कन ापक वरोध दशन और कु छ बु जी वय ारा सु ीम कोट को खुले प के कारण आपरा धक अ ध नयम म संशोधन करना पड़ा। इस संशोधन म कहा गया क अगर कोई पी ड़ता कहती है क
उसने सहम त नह द तो कोट इसे मान लेगा.
बला कार के मामल म सज़ा क मा ा कै से तय क जाती है •बला कार के मामल के लए •सामू हक बला कार के
मामल के लए
बला कार के मामल म मृ युदंड रमेशभाई चं भाई राठौड़ बनाम गुज रात
रा य
मौजूदा मामले म जस पी ड़ता ने अपने जीवन म दस ग मयां भी नह दे ख ी थ वह आरोपी अपीलकता के यौन उ पीड़न और पशु वासना का शकार है। उसके साथ न के वल बला कार कया गया
कई मामल म सामा जक व ा पर इसके भाव पर वचार कए बना सजा दे ना वा तव म एक नरथक अ यास हो सकता है। अपराध का सामा जक भाव उदाहरण के लए जहां यह
म हला के खलाफ अपराध डकै ती अपहरण सावज नक धन का पयोग राज ोह और नै तक अधमता या नै तक अपराध से जुड़े अ य अपराध से संबं धत है जनका सामा जक व ा और
सावज नक हत पर ब त भाव पड़ता है को ख़ म नह कया जा सकता है। और त अनुक रणीय उपचार क आव यकता है। ऐसे अपराध के संबंध म कम सजा दे ने या के वल समय तीत होने के
आधार पर ब त अ धक सहानुभू तपूण कोण अपनाने वाला कोई भी उदार रवैया लंबे समय म प रणाम आधा रत तकू ल होगा और सामा जक हत के खलाफ होगा जसक दे ख भाल करने और उसे
मजबूत करने क आव यकता है। सजा णाली म अंत न हत तरोध।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
एक असहाय लड़क के साथ जघ य नृशंस अमानवीय कार का बबर बला कार और ह या क गई।
हमारी राय म कसी दए गए मामले म सज़ा क माप अपराध क ू रता पर नभर होनी चा हए अपराधी का आचरण और पी ड़त क र ाहीन और
असुर त त।
उ चत सज़ा दे ना वह तरीका है जससे अदालत अपरा धय के खलाफ याय के लए समाज क पुक ार का जवाब दे ती ह।
याय क माँग है क अदालत को अपराध के अनु प सज़ा दे नी चा हए ता क अदालत अपराध के त सावज नक घृण ा दशा सक। उ चत सज़ा दे ने पर वचार करते
समय अदालत को न के वल अपराधी के अ धकार को ब क अपराध के पी ड़त और बड़े पैमाने पर समाज के अ धकार को भी यान म रखना चा हए।
बंटू बनाम उ र दे श रा य
करीब पांच साल क पी ड़ता के साथ न सफ कम कया गया ब क उसक ू र तरीके से ह या कर द गई। यायालय ने यह कहते ए मौत क चरम
सजा सुनाई क कसी अपराध के लए द जाने वाली यायसंगत और उ चत सजा का नणय करने के लए जन गंभीर और कम करने वाले कारक और प र तय
म अपराध कया गया है उ ह यायालय ारा न प तरीके से संतु लत कया जाना चा हए।
वतमान मामले म दोषी का कृ य कानूनी और नै तक प से सबसे नदनीय है। अब यह अहसास करने का समय आ गया है क भारतीय सामा जक कानूनी
व ा म यौन प से वकृ त वहार क कु छ ेण ी पूरी तरह से अ वीकाय है जो एक म हला के पहले गुण शु ता क र ा करना चाहती है और ऐसा वहार महंगा
सा बत हो सकता है जैसा क वतमान मामले म आ है। .
दोषी के घृ णत और अमानवीय कृ य को यान म रखते ए दोषी को एक ठोस और कड़ी सजा दए जाने क आव यकता है ता क यह न के वल अपराध
क गंभीरता के अनु प हो ब क अ य लोग के लए एक उदाहरण भी बन सके । आप भी उसी व जत माग पर चल। दोषी कसी भी तरह क नरमी का हकदार नह
है।
यायालय उन लोग को ऐसी छू ट नह दे सकता है और उ ह ऐसा लाइसस नह दे ना चा हए जो भारतीय लड़ कय क भावना और असुर ा का शोषण
करने के अवसर क तलाश म रहते ह जो ववाह को एक सम या मानती ह।
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प व बंधन और दो शरीर के मलन के प म नह । गरीब और असहाय लड़ कय का इस तरह से शोषण करने के बाद ऐसे य को छू ट दे ना वधा यका का इरादा
नह हो सकता है जो बला कार को इतना जघ य मानता है क आजीवन कारावास तक हो सकता है।
उपरो चचा के म े नजर यहां अपीलकता पर लगाई गई सजा क पु क जाती है। तथा प
आजीवन कारावास क सजा को पये के जुमाने के साथ साल के लए आरआई म संशो धत कया गया है डफ़ॉ ट प से एक महीने के लए आरआई
से दं डत कया जाएगा।
इस मामले म हमने उ रदाता को दोषी ठहराते ए पहले से ही ऊपर बताए गए कारण से साल क स म कारावास क सजा और पये का
जुमाना लगाया है। और जुमाना अदा न करने पर आईपीसी क धारा के तहत अपराध के लए येक तवाद को एक वष के लए अ त र सज़ा द
जाएगी। इस लए हम मौजूदा मामले म उ ह कारण से पहले से लगाए गए जुमाने के अलावा कोई मुआ वजा दे ना वांछनीय नह मानते ह खासकर तब जब कोई योजना
भी अभी तक तैयार नह क गई है।
सज़ा के सवाल पर हम के वल इतना ही कह सकते ह क जब कोई वद धारी कशोराव ा म एक युवा लड़क के साथ बला कार जैसा गंभीर अपराध करता है तो
सहानुभू त या दया के लए कोई जगह नह होती है। ऐसे मामल म सज़ा अनुक रणीय होनी चा हए। इस लए हम नह लगता क ायल कोट ारा द गई सजा जो कठोर
नह है को कम करना उ चत होगा।
ओम काश बनाम उ र दे श रा य
पी ड़ता अदालत म थी य क उसके प त पर चालान क कायवाही चल रही थी। वह माह क गभवती थी. आरोपी उसी म शा मल होने आया था और जला
प रषद म उसे अके ला पाकर उसके साथ बला कार करने क को शश क । हालां क रेप का कोई सबूत नह मला ले कन पी ड़ता और च मद द के बयान के आधार पर ही
आरोपी को सात साल क सजा द गई.
ायल कोट ने यह मानते ए आरोपी को साल क सजा सुनाई थी क इस बात क पूरी संभावना थी क आरोपी को उसक गभाव ा के बारे म पता था।
ले कन शीष अदालत ने सज़ा कम कर द
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
साल इस लए य क अदालत म इस बात का कोई सबूत नह लाया गया क आरोपी को वा तव म उसक गभाव ा के बारे म जानकारी थी।
सामू हक बला कार श म स बला कार मामले के मामल म मृ युदंड मृ युदंड एक वष य फोटो प कार
ू रतापूवक बला कार कया गया था जब वह मुंबई म श म स नामक एक खराब हो चुक मल क त वीर ले रही थी। तीन को मौत क सजा दे ते ए अदालत ने कहा अगर यह ऐसा मामला नह है
म यह मानने के लए बा य ं क आरो पय क कम उ उनक सामा जक आ थक त और उनके सुधार क गैर मौजूदा संभावना जैसी कम करने वाली
पर तयां गंभीर प र तय के काश म मह वहीन हो जाती ह। इस लए यह मामला बना कसी संदेह के लभतम क ेण ी म आता है। इस लए य द सज़ा
का उ े य हा सल करना है तो इस मामले म अ धकतम सज़ा से ही समाज और समान वचारधारा वाले य को संदेश जाएगा। ऐसे जघ य अपराध के मामले म
और अ य धक मान सकता का दशन करने के बाद भी कोई प ाताप या पछतावा न दखाने वाले अ भयु पर नरमी या दया दखाना याय का मखौल होगा।
यह कोट ऐसा नह कर सकता.
नभया के स
इस मामले म शायद ही कसी त य को बताने क आव यकता है य क यह अभी भी रा क चेतना म ताजा है। एक पैरामे डकल छा ा को छह लोग ने
इस हद तक ता ड़त कया क उसक यो न म लोहे क रॉड घुसा द और उसक आंत पेट और गु तांग को गंभीर प से त त कर दया। उ ह ने उसे सद क रात
म बस से बाहर फक दया।
आरो पय म से एक कशोर था और उसे तीन साल के लए सुधार सु वधा म भेज दया गया था। एक अ भयु ने जेल म आ मह या कर ली और बाक को
मृ युदंड दया गया।
अदालत ने कहा क सजा दे ने का सवाल ववेक का वषय है और गत मामल म प र तय को बढ़ाने या कम करने पर वचार करते ए इसका
योग कया जाना चा हए समाज क सुर ा और अपराधी को रोकना कानून का वीकृ त उ े य है जघ य मामल म सजा का नधारण करते समय अपराध के
मामले म यायाधीश को समाज पर इसके भाव का आकलन करना चा हए और याय के लए सामू हक ववेक या समाज क पुक ार को यान म रखते ए पया त
सजा दे नी चा हए। उ चत सज़ा दे ने पर वचार करते समय अदालत को न के वल अपराधी के अ धकार को यान म रखना चा हए ब क पी ड़त और बड़े पैमाने पर
समाज के अ धकार को भी यान म रखना चा हए।
अ भयो ी अभयोई के साथ आरो पय ने तब सामू हक बला कार कया और उसे पीटा जब वह अपने घर जा रही थी। सभी तीन अपीलकता को दोषी ठहराया गया
और के पृ पर साल क कठोर सजा सुनाई गई
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कै द होना। हाई कोट ने सजा बरकरार रखी. अपीलकता पहले ही साल क सज़ा काट चुके थे। अ भयु और अ भयो ी और अपीलकता ववा हत ह एक सरे से
नह और अ भयो ी के दो ब े भी ह। घटना अब साल पुरानी हो गई है और अदालत के सामने कहा गया क दोन प ने समझौता कर लया है। इस लए
आरोपी को बरी कया जाए। शीष ने उपरो सभी सूचीब कारक को यान म रखा और आरोपी क सजा को उतना कम कर दया जतना आरोपी पहले ही भुगत
चुक ा था।
ले कन अदालत ने इन दलील को खा रज कर दया और कहा क बला कार एक गैर शमनयो य अपराध है और इसे सजा कम करने म अ णी कारक नह माना जा
सकता है। य क हो सकता है क पी ड़ता पर समझौते के लए दबाव बनाया गया हो.
आपरा धक कानून संशोधन ारा वह ावधान जसम कहा गया था क असाधारण प र तय म सजा कम क जा सकती है म हला के
खलाफ बढ़ते अपराध के म े नजर हटा दया गया है। हालाँ क इस वलोपन से यायपा लका को द गई ववेक ाधीन श य पर कोई असर नह पड़ेगा।
यायालय ने अधीन यायालय और उ यायालय को बार बार इन श द म चेतावनी द है यह अधीन यायालय और उ यायालय को सू चत
करने का एक और अवसर है क धारा आईपीसी के तहत बला कार के लए कड़े ावधान के बावजूद अतीत म कई यायालय ने ऐसे जघ य अपराध के लए
सज़ा सुनाते समय एक नरम कोण। इस यायालय ने अतीत म दे ख ा है क कु छ अधीन और
अदालत ने अ भयोजन प क कहानी पर व ास नह कया य क पी ड़ता ारा बताई गई प र तय म यह व ास करना मु कल था क अपीलकता आरोपी पी ड़त लड़क के साथ एक
के बाद एक अपराध करने म सफल हो सकता था। आरोपी अपीलकता को आईपीसी क धारा के तहत बरी कर दया गया ले कन धारा के तहत दोषी ठहराया गया।
इसी मामले म शीष अदालत ने अपील म कहा क आईपीसी क धारा को पढ़ने के बाद बला कार के वल पु ष ारा ही कया जा सकता है। धारा
क ा या के वल यह इं गत करती है क जब एक या अ धक कसी म हला के साथ बला कार करने के अपने सामा य इरादे को आगे बढ़ाने के लए काय
करते ह तो समूह के येक को सामू हक बला कार माना जाना चा हए। उस म पु ष और म हलाएं दोन शा मल थे।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
डकै ती को आईपीसी क धारा के तहत प रभा षत कया गया है और इसके लए सजा आईपीसी क धारा के तहत प रभा षत क गई है। लूट
और डकै ती के बीच एकमा अंतर तभा गय क सं या का है। धारा डकै ती म समूह के येक सद य को दं डत करती है चाहे वह स य भाग लेता
हो या नह । इस धारा के तहत साल तक क कै द और जुमाने का ावधान है।
डकै ती
ऑ सफोड के श दकोष के अनुसार डकै ती का अथ हसक डकै ती का एक काय है जो एक सश गरोह ारा कया जाता है। के वल एक ही कारक है जो
डकै ती को डकै ती से अलग करता है और वह है अपरा धय क सं या। एक भी डकै ती कर सकता है और से अ धक भी डकै ती कर सकते ह। ले कन
जब या से अ धक मलकर डकै ती करते ह तो उसे डकै ती कहा जाता है।
भारतीय दं ड सं हता क धारा डकै ती को प रभा षत करती है। इसम कहा गया है क जब या से अ धक मलकर डकै ती करते ह या करने का
यास करते ह या जहां डकै ती करने वाले या करने का यास करने वाले य क पूरी सं या और ऐसे कमीशन या यास म उप त और सहायता करने वाले
य क कु ल सं या पांच या अ धक होती है ऐसा करने यास करने या सहायता करने वाले येक को डकै ती करने वाला कहा जाता है।
ामीण ने उनका जोरदार पीछा कया और बदले म डकै त ने गोलीबारी क । प रणाम व प ामीण म से एक धमा क मृ यु हो गई ले कन गांव ने एक डाकू को
पकड़ लया। इस मामले म डकै त थे
भारतीय दं ड सं हता क धारा के तहत आरोप लगाया गया।
य द डकै ती करने वाले पांच या अ धक य म से कोई भी डकै ती करते समय ह या कर दे ता है तो उनम से येक ह या के लए उ रदायी होगा भले ही
उनम से कु छ ने डकै ती म भाग नह लया हो।
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ह या करना. आईपीसी क धारा के तहत यह सा बत करना ज री नह है क ह या कसी एक ने क थी या सभी ने क थी। इसे सा बत करना भी ज री नह है
सामा य इरादा. अ भयोजन प को के वल यह सा बत करना है क डकै ती करते समय ह या क गई थी। य द अ भयोजन सफलतापूवक यह सा बत कर दे ता है क डकै ती करते समय ह या क गई थी तो सभी
सद य को आईपीसी क धारा के तहत दं डत कया जाएगा।
य द अपराधी भाग रहे ह और उनका पीछा करते समय य द कोई डकै त कसी क ह या कर दे ता है तो गरोह के अ य सद य को आईपीसी क धारा के तहत दोषी नह ठहराया जा सकता
है। एक ऐ तहा सक के स कानून यानी ल लया बनाम राज ान रा य म यह दे ख ा गया क ह या डकै ती का ह सा है या नह यह पूरी तरह से उस समय क प र तय पर नभर करता है।
कोट ने तय कया क कसी नतीजे पर प ंचने से पहले इन ब पर यान दे ना होगा. ये ब ह •डकै त पीछे हटे या नह और पीछे हटने के दौरान ह या ई या नह •ह या के यास और डकै ती के बीच का
समय अंतराल या
है •उन ान के बीच कतनी री है जहां वे ह या का यास करते ह और डकै ती का यास करते ह
तब ता थी
एक मामले म यानी याम बहारी बनाम उ र दे श रा य म डकै त ने पी ड़त म से एक क ह या कर द जसने डकै ती करने के यास म डाकू के सहयोगी को पकड़ लया था। डाकू को आईपीसी क धारा
के तहत दोषी ठहराया गया य क लड़ाई के दौरान डकै त ारा क गई कोई भी ह या ह या के प म मानी जाएगी।
आईपीसी क धारा म कई य ारा सामा य इरादे को आगे बढ़ाने के लए कए गए काय को प रभा षत कया गया है। यह धारा कहती है क जब कोई आपरा धक कृ य कई य
ारा सभी के सामा य इरादे को आगे बढ़ाने के लए कया जाता है तो ऐसा येक उस कृ य के लए उसी तरह उ रदायी होता है जैसे क वह कृ य उसके ारा कया गया हो
अके ला।
इस धारा के लए एक वशेष आपरा धक इरादे या ान क आव यकता होती है और काय एक से अ धक य ारा कया जाना चा हए। येक जो प रणाम क जानकारी के साथ
इस कृ य म शा मल होता है उन सभी को इस धारा के तहत उ रदायी बनाया जाना चा हए।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
या यक घोषणाएँ
अजुन गणपत संदभोर बनाम महारा रा य
इस मामले म एक क ाइवर क ह या कर द गयी थी और क को डकै त अपने साथ ले गये थे. यह घटना अंधेरे म घट . मृतक के बेटे क गवाही जो उस
व क म था
जो घटना ई वह संदेह से मु नह थी। उ ह ने उस समय वीकार कया था क उनम भूलने क वृ थी. आपरा धक मैनुअ ल के तहत नधा रत दशा नदश के
अनुसार परी ण पहचान परेड आयो जत नह क गई थी। सा य क सम ता को दे ख ते ए अ भयु दोषमु का हकदार है।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
मॉ ूल
सभी अपराध को रा य या सरकार के व अपराध के प म दे ख ा जाता है उनम से कु छ रा य के अ त व के व ह जैसे राज ोह राज ोह और व ोह।
सभी रा य या दे श को अपने मु य वषय के प म आ म संर ण का समान अ धकार है। सरकार के खलाफ यु छे ड़ना या दे श ोह जैसे अपराध धारा के तहत आते ह रा प त या
रा यपाल जैसे उ पद के अ धका रय पर हमला करना धारा के तहत आते ह और रा य कै द या यु बंद के भागने म शा मल होना धारा से के तहत आता है। .
यु छे ड़ना यु छे ड़ना
सावज नक कृ त के कसी उ े य को हसा के मा यम से पूरा करने का यास है। यह तब होता है जब कई लोग इक ा होते ह और बल या हसा ारा सामा य कृ त क कसी व तु को ा त
करने के लए रा य के खलाफ उठते ह। रा य के व अपराध करने के लए उ े य और इरादे को यान म रखा जाता है न क ह या क जाती है या मजबूर कया जाता है।
भारतीय दं ड सं हता क धारा से तक सरकार के खलाफ यु छे ड़ने से संबं धत है। न न ल खत को ऐसे अपराध माना जाता है ज ह धारा के तहत सरकार के खलाफ अपराध
सा बत करने क आव यकता है • यु छे ड़ना • यु छे ड़ने का यास करना • यु छे ड़ने के लए उकसाना सरकार के खलाफ यु क तैयारी करना धारा के तहत आता है। भारतीय दं ड सं हता और
आव यक ह • आरोपी
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
• कसी व ध या डज़ाइन का माण जो सरकार के व यु छे ड़ने के लए तैयार कया गया हो। • यु शु करने के लए काय गु त प से कया जाना चा हए।
व ान या य त न ध व ारा कए जा सकते ह।
धारा ए के तहत राज ोह क सजा आजीवन कारावास है जसम रा य जुमाना भी जोड़ सकता है या साल तक क कै द जसम जुमाना जोड़ा जा सकता है या के वल जुमाना लगाया जा सकता है।
रा य के व या यु छे ड़ने के लए उकसाया। इस धारा का उ लंघन करने वाले के लए सजा आजीवन कारावास या सात साल क कै द या कु छ मामल म जुमाना है। धारा क अ नवायताएँ
धारा क अ नवायताएँ ह
धारा क अ नवायताएँ ह
• अपराध करते समय अपरा धय को आव यक प से लोक सेवक होना चा हए। • कै द अपराधी क हरासत म होना चा हए। • रा य के कै द को बचाया जाना
चा हए या वह भाग गया है। • ऐसा पलायन या बचाव आरोपी क लापरवाही के कारण होना चा हए।
धारा क अ नवायताएँ ह
का पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
. सेना नौसेना और वायु सेना से संबं धत अपराध आईपीसी अ याय VII धारा
भारतीय दं ड सं हता का अ याय VII भारत सरकार क सेना नौसेना और वायु सेना म अ धका रय के संबंध म नाग रक ारा कए गए अपराध से संबं धत है। इस अ याय का
मु य उ े य संघ के सश बल म अनुशासन और व ा बनाए रखना है।
नया भर के अ धकांश दे श म र ा कम अपने वयं के वशेष कानून ारा शा सत होते ह। ले कन य द वे गंभीर अपराध जैसे ह या करते ह तो उन पर द वानी या फौजदारी मुक दमा
चलाया जा सकता है
यायालय । हालाँ क अपराध होने पर सै य यायालय के पास े ा धकार का योग करने क श नह है
एक नाग रक ारा कया गया अपराध। इसी कार सं हता क धारा के अनुसार जो कोट माशल के अधीन ह उन पर सं हता के तहत कारवाई नह क जाएगी। भारत म उ ह नयं त
करने वाले वशेष कानून ह •सेना अ ध नयम का •भारतीय नौसेना अनुशासन अ ध नयम का और •भारतीय वायु सेना अ ध नयम
का ।
भारतीय दं ड सं हता और सेना अ ध नयम के बीच संबंध का अ ययन न न ल खत ता लका के तहत कया जा सकता है
सी नयर
अपने कत के न पादन म कसी व र अ धकारी पर हमले के लए धारा के तहत ऐसे हमले पर साल तक क सजा हो सकती
. उकसाना दं डनीय बनाती है। है।
धारा और प र याग के लए उकसाने और कसी भगोड़े को धारा के तहत उजाड़ने वाल और भगोड़ क सहायता करने
. आ य दे ने के बारे म बात करती है। पर साल तक क कै द क सजा हो सकती है।
धारा कसी अ धकारी सै नक ना वक या वायुसै नक ारा अव ा के अव ा का काय धारा के तहत साल क कै द से दं डनीय है।
. काय के लए दं डत करती है।
इस अनुभाग के दो भाग ह. पहला भाग व ोह के लए उकसाने को दं डनीय बनाता है और सरा भाग लोभन के यास को दं डनीय बनाता है। इस तरह से यह धारणा बनेगी क धारा
उन तय पर लागू होती है जहां व ोह उकसावे के प रणाम व प नह कया जाता है। धारा के तहत वचार कया गया अपराध एक ेरण है जसके बाद वा त वक व ोह नह होता
है या जो यह मानते ए क वा त वक व ोह के बाद होता है उस व ोह का कारण नह है।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
यायालय ारा यह दे ख ा गया क व ोह के अपराध म अ य धक अधीनता शा मल है जैसे क एक सै नक बलपूवक तरोध करता है न ही य द कई सै नक अपने सै य व र के खलाफ खड़े
होते ह या उनका वरोध करते ह तो ऐसे काय सै य कृ त क क थत या दखावट शकायत से उ प होते ह। सै य व र के बजाय सरकार या नाग रक अ धका रय के खलाफ नद शत दं गाई कृ त के
कृ य भी व ोह के समान तीत होते ह।
धारा के तहत य द सेना नौसेना या वायु सेना म कसी अ धकारी सै नक ना वक या वायुसै नक ारा ऐसे उकसावे के प रणाम व प व ोह कया जाता है तो ऐसे को मौत या
आजीवन कारावास या कारावास से दं डत कया जाएगा जो बढ़ सकता है। साल तक क सजा और जुमाना भी। दोन धारा और को एक साथ पढ़ा जाना चा हए।
धारा और कसी अ धकारी सै नक ना वक या वायुसै नक को कसी व र अ धकारी पर हमले के लए उकसाने से संबं धत है। धारा के तहत के वल हमले के लए उकसाना ही
दं डनीय है जब क धारा म हमले के लए उकसाना दं डनीय है जब ऐसा हमला ऐसे उकसावे के प रणाम व प कया गया हो।
प र याग का ेरण
धारा के तहत कोई भी जो भारत सरकार क सेना नौसेना या वायु सेना म कसी अ धकारी सै नक ना वक या वायुसै नक को यागने के लए उकसाता है उसे साल क कै द या
जुमाना या दोन से दं डत कया जाएगा। . धारा यह नह पहचानती क प र याग के लए उकसाना सफल है या नह । उकसाए गए प र याग क आव यकता नह है। मा उकसावे को दं डनीय बना दया
गया है।
भगोड़े को आ य दे ना
धारा म कहा गया है क य द कोई जो जानता है या उसके पास व ास करने का कारण है क भारत सरकार क सेना नौसेना या वायु सेना म कोई अ धकारी सै नक ना वक या
वायुसै नक भाग गया है तो वह ऐसे अ धकारी सै नक ना वक या वायुसै नक को शरण दे ता है। उसे कारावास से दं डत कया जाएगा जसे वष तक बढ़ाया जा सकता है या जुमाना या दोन से दं डत कया
जाएगा। अपवाद के वल प नी को दया गया है।
इस धारा का ता पय यह है क य द कोई भारत सरकार के अधीन काम करने वाले सेना नौसेना या वायु सेना को यागने वाले कसी अ धकारी को आ य आ य दे ता है उन य
को छोड़कर जन पर ऐसा भरोसा कया जाता है तो वह दं डत कया गया। इस धारा का सार भगोड़े क गर तारी को रोकने के लए उसे छपाना है।
धारा उस ापा रक जहाज के मा लक या भारी को दं डत करती है जस पर एक भगोड़े ने खुद को छु पाया है भले ही वह इस तरह के छपाव से अन भ हो। ले कन दे ख भाल म
कु छ कमी है
या अनुशासन बनाए रखना होगा। जुमाना पये से अ धक नह है।
हालाँ क इस धारा म जुमाना श द के बजाय जुमाना श द का योग कया गया है। जा हर तौर पर इसका उ े य अदालत को आरोपी को सजा दे ने से रोकना है। हाबर श द को कोड क धारा ए के
तहत प रभा षत कया गया है।
इनकार करना है। धारा म कहा गया है क कोई भी जो जानता है क यह अव ा का काय है वह सेना नौसेना या वायु सेना म कसी भी अ धकारी सै नक ना वक या वायुसै नक को
उकसाता है।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
य द ऐसे उकसावे के प रणाम व प कोई काय कया जाता है तो कारावास से दं डत कया जा सकता है जसे महीने तक बढ़ाया जा सकता है या जुमाना या
दोन से दं डत कया जा सकता है। धारा कहती है क कोई भी जो कसी अ धकारी को उसक अव ा के काय म उकसाता है उसे के वल तभी दं डत
कया जाएगा य द काय ऐसे उकसावे के प रणाम व प कया गया हो।
यह धारा कसी भी को ऐसी पोशाक पहनकर सर को गुमराह करने और यह आभास दे ने से रोकती है क वह एक सै नक है। सपाही क वेशभूषा पहनने वाले आरोपी का इरादा सर
को यह व ास दलाना है क वह इस समय सेवा म है। बना कसी खास इरादे के सफ वद पहनना या टोकन लेक र चलना कोई अपराध नह है। उदाहरण के लए अ भनेता अपनी भू मका के लए व भ
र ा सेवा क मय क वेशभूषा पहनते ह।
अपराध का वग करण
सं ेय जमानतीय
अनुभाग एवं प रभाषा के अंतगत सज़ा
गैर सं ेय गैर ारा परी ण यो य
भारतीय दं ड सं हता
जमानती
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
सुधार के लए ताव
पांचव व ध आयोग क रपोट म अ याय VII के तहत कु छ सुधार कए जाने का सुझ ाव दया गया है
भारतीय दं ड सं हता। कु छ सफ़ा रश पर इस कार चचा क गई है
•आयोग ने सफा रश क क यह अ याय के वल सेना नौसेना और वायु सेना तक ही सी मत नह होना चा हए ब क भारत संघ के सभी सश बल पर लागू होना चा हए। तदनुसार इसने अ याय
के शीषक को सेना नौसेना और वायु सेना से संबं धत अपराध से बदलकर सश बल से संबं धत अपराध म बदलने का ताव दया। आयोग ने यह भी सुझ ाव दया क सेना नौसेना
वायु सेना श द को एक नई धारा ए के तहत ापक प से प रभा षत कया जाना चा हए। •आयोग ने धारा को संशो धत करने का ताव रखा आयोग ने तपा दत कया
क ऐसे मामल म द गई आजीवन कारावास क सज़ा जहां व ोह उकसावे के प रणाम व प नह कया गया है या जहां यह के वल एक अ धकारी को बहकाने का यास है अनु चत प
से भारी है।
इसम ता वत कया गया क य द कोई र ा सेवा क मय के कसी भी अ धकारी को व ोह करने के लए उकसाता है और य द ऐसे उकसावे के प रणाम व प व ोह कया जाता
है तो उसे मौत या आजीवन कारावास या साल के कठोर कारावास और जुमाने से दं डत कया जाएगा। . कसी भी अ य मामले म साल क कै द और जुमाने क सजा द जानी
चा हए.
•धारा उन मामल के बीच अंतर नह करती है जब प र याग के लए उकसाना होता है और जब अ भ याग उकसाने के प रणाम व प होता है। तदनुसार आयोग ने सफा रश क क धारा
के तहत जहां प र याग का अपराध वा तव म होता है सजा को साल तक बढ़ाया जाना चा हए। •इसने सफ़ा रश क क मौजूदा धारा को हटा दया जाए य क धारा का कोई
प रणाम नह दखता । •इस अ याय म धारा ए और धारा बी जोड़ने का ताव है जो मशः व ोह या अव ा के अ य कृ य को उकसाने और सश बल म भत होने के बाद
व ोह या अव ा के लए उकसाने और उकसाने के अपराध से संबं धत है जसम
साधारण दं ड का ावधान है। या वष तक क स म कारावास या जुमाना या दोन से द डत कया जा सकता है। •आयोग ने अव ा के काय म उकसाने के सफल होने पर सजा को महीने के
कारावास से बढ़ाकर साल तक बढ़ाने
का ताव रखा।
•आयोग ने धारा को संशो धत करने का भी सुझ ाव दया ता क सजा को महीने के कारावास से बढ़ाकर महीने तक बढ़ाया जा सके और साथ ही असी मत जुमाना भी लगाया जा सके ।
पांचव व ध आयोग क इन सफा रश को भारतीय दं ड सं हता संशोधन वधेयक म लागू कया गया। चौदहव व ध आयोग ने ता वत प रवतन का समथन कया और यहां तक क वधेयक
के सार क पु भी क । फर भी इन सफ़ा रश को वैधा नक ावधान म प रव तत नह कया गया है य क म लोकसभा म पा रत संशोधन वधेयक इसके वघटन के कारण समा त हो गया था।
भारतीय दं ड सं हता के तहत सावज नक शां त के खलाफ अपराध म दं गा गैरकानूनी सभा झगड़ा समूह के बीच मनी को बढ़ावा दे ना और धा मक न लीय या सामा जक स ाव को
बगाड़ना शा मल है।
सावज नक शां त के व अपराध सावज नक शां त के व अपराध कई कार के आपरा धक कृ य को संद भत करते ह जो सावज नक जीवन के शां तपूण आचरण को बा धत करते ह।
इन अपराध को भारतीय दं ड सं हता आईपीसी म प रभा षत कया गया है जो भारत क मु य आपरा धक सं हता है। आईपीसी म दं ग से लेक र झगड़े तक व भ कार क सावज नक गड़बड़ी से नपटने
के लए व श ावधान ह। इस लेख म हम भारतीय दं ड सं हता के तहत सावज नक शां त के खलाफ अपराध से संबं धत ावधान पर चचा करगे।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
दं गा आईपीसी क धारा
दं गा एक अपराध है जो तब घ टत होता है जब तीन या अ धक हसा करने या संप को नुक सान प ंचाने के एक सामा य उ े य के साथ इक ा होते
ह। आईपीसी क धारा के तहत दं गा को अपराध के प म प रभा षत कया गया है। धारा म कहा गया है क दं गे म भाग लेने वाले कसी भी को दो साल
तक क कै द या जुमाना या दोन से दं डत कया जा सकता है।
धारा यह जानते ए क इसे ततर बतर करने का आदे श दया गया है गैरकानूनी जमाव म शा मल होना या बने रहना दो साल तक क कै द या जुमाना या
दोन ।
धारा दं गा करना दो साल तक क कै द या जुमाना या दोन ।
धारा दं गा करने पर सज़ा दो साल तक क कै द या जुमाना या दोन ।
धारा घातक ह थयार से लैस होकर दं गा करना तीन साल तक क कै द या जुमाना या दोन ।
धारा गैरकानूनी सभा का येक सद य सामा य उ े य के अ भयोजन म कए गए अपराध का दोषी छह महीने तक क कै द या जुमाना या दोन ।
धारा गैरकानूनी जमावड़े म शा मल होने के लए य को काम पर रखना या काम पर रखने म मलीभगत करना छह महीने तक क कै द या जुमाना या
दोन ।
म से पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
धारा पांच या अ धक य क सभा को ततर बतर करने का आदे श दए जाने के बाद भी जानबूझ कर उसम शा मल होना या बने रहना छह महीने तक क कै द या जुमाना या दोन ।
धारा दं गा आ द को दबाते समय कसी लोक सेवक पर हमला करना या बाधा डालना दो साल तक क कै द या जुमाना या दोन ।
धारा ए धम जा त ज म ान नवास भाषा आ द के आधार पर व भ समूह के बीच श ुता को बढ़ावा दे ना तीन साल तक क कै द या जुमाना या दोन ।
धारा बी रा ीय एक करण पर तकू ल भाव डालने वाले आरोप दावे पांच साल तक क कै द या जुमाना या दोन ।
धारा उस का दा य व जसके लाभ के लए गैरकानूनी सभा आयो जत क जाती है छह महीने तक क कै द या जुमाना या दोन ।
धारा मा लक या अ धभोगी के एजट का दा य व जसके लाभ के लए गैरकानूनी सभा आयो जत क जाती है छह महीने तक क कै द या जुमाना या दोन ।
म से पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
थम ेण ी का
लोक सेवक के प म आचरण करने वाले गैर
य को कारावास सं ेय वष या जुमाना म ज ेट
भारतीय दं ड सं हता
या दोन । जमानती
सावज नक सेवक ारा कपटपूण इरादे से उपयोग कए जाने वाले सं ेय जमानती प रधान पहनना या थम ेण ी का
जुमाना। पये या दोन . महीने के लए कारावास या जुमाने तक का म ज ेट
भारतीय दं ड सं हता
गैर महीने
के समन क तामील के लए कारावास से बचने के
लए साधारण फरारी या पये के
सं ेय जुमाना या लोक सेवक से अ य कायवाही। दोन ।
आईपीसी कोई भी म ज े ट जमानतीय
म से पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
साधारण य द
समन या नो टस के लए कारावास क आव यकता होती
है तो गैर महीने म उप त या
पये के सं ेय यायालय म पर जुमाना आ द लगाया जा सकता है। अथवा दोन ।
कोई भी म ज े ट जमानतीय
सरल य द
सरल य द
तब नह है।
कानूनी प से बा य को जमानती
महीने या जुमाना सं ेय पये या ऐसे दोन का उ पादन या वतरण। द तावेज़ ।
कोई
म से पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
कसी यायालय म ज े ट म तब
नह । कोई
गैर महीने
य द आव यक सूचना सूचना कसी या
के लए साधारण कारावास या सं ेय
अपराध आ द के घ टत होने के संबंध म है। जुमाना या
पये या दोन । कोई भी म ज े ट जमानतीय
सरल
कोई
म से पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
कसी यायालय म ज े ट म तब
नह । कोई
कोई
कोई भी म ज े ट जमानतीय
कसी सावज नक ा धकार का सं ेय या पये या दोन ।
नौकर.
नौकर.
म से पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
गैर महीने
के लए बा य होने पर नौकर के लए सावज नक
कारावास क सहायता के लए सरल चूक या
पये क ऐसी सं य
े सहायता दे ने के लए जुमाना कानून। दोन ।
आईपीसी कोई भी म ज े ट जमानतीय
वगैरह।
कानूनी वष क सजा या जुमाना या सुर ा के लए सं ेय आवेदन करने से दोन । चोट कोई भी म ज े ट जमानतीय
से.
सं ेय या जमानती से या
अनुभाग अपराध सज़ा न या गैर अदालत
उपल कया आ जमानती वचारणीय
म से पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
जुमाना.
य द नद ष को इसके ारा मृ यु द जाती है या दोषी ठहराया जाता है और फाँसी जैसा गैर गैर का यायालय
द जाती है। ऊपर। सं ेय जमानती स
या गैर
जमानतीय.
वह यायालय
जसके
आईपीसी क धारा के संबंध म जानबूझ कर गलत माणप जारी करना या उस पर ह ता र करना
ारा म या सा य
या गैर
जमानती दे ने का
त य यह है क ऐसा माण प सा य म वीकाय कानून ारा गलत गढ़ा गया है। माण सं ेय
अपराध
वचारणीय है
वह यायालय
जसके
आईपीसी दे ने वाले एक स े
माण प के प म उपयोग करने के समान ारा म या सा य
या गैर
झूठ बात गढ़ने वाली साम ी म झूठ के प म जाना जाता है। जमानती दे ने का
माण सं ेय
अपराध
वचारणीय है
म से पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
अपराध
वचारणीय है
वह यायालय
जसके
के लए भी वैसा ही
ारा म या सा य
ऐसे कसी भी आईपीसी को स य के प म उपयोग करना या गैर
जमानती दे ने का
घोषणा झूठ मानी जाती है। झूठे सा य गढ़ना सं ेय
अपराध
वचारणीय है
स यायालय.
जमानती
जानकारी के लए साल से लेक र जुमाने तक क सजा हो सकती है। सा य के मा यम से अपराधी क जांच क जाती है य द का रत क गई
सं ेय.
एक चौथाई के लए कारावास य द
वष से कम क अ धकतम वह यायालय
कारावास क सजा का ावधान है। सं ेय अपराध या जुमाना या दोन के लए अव ध न जसके ारा अपराध
जमानती
ावधान कया गया। वचारणीय है।
अस य जानकारी कारावास
गैर कोई
आईपीसी दे ते ए तब का स मान एक अपराध वष या जुमाना या सं ेय दोन जमानती
करना.
म ज ेट
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
आईपीसी म या त पण कसी भी काय के लए गैर योजन के लए कारावास या साल या जुमाना या कसी मुक दमे या थम ेण ी का जमानती म ज े ट
आपरा धक दोन म सं ेय कायवाही। अ भयोजन या जमानत या सुर ा बनने के लए।
कारावास
कोई
इसे वष क सज़ा या जुमाना या सं ेय ज़ ती या दोन क संतु के प म लेने से रोक। सज़ा के जमानती
तहत या ड के न पादन म ज ेट
म जुमाना।
vi लोक सेवक ारा अपराध आईपीसी क धारा से । एस झूठा सा य दे ना। जो कोई भी शपथ से या
कानून के ावधान ारा सच बताने के लए कानूनी प से बा य है या कसी भी वषय पर घोषणा करने के लए कानून ारा बा य है कोई भी ऐसा बयान दे ता है जो गलत है और जसे वह या तो
जानता है या झूठ मानता है या सच नह मानता है उसे झूठा सा य दे ना कहा जाता है। ीकरण . एक बयान इस धारा के अथ के अंतगत है चाहे वह मौ खक प से दया गया हो या अ यथा। ीकरण
. मा णत करने वाले के व ास के बारे म एक गलत बयान इस धारा के अथ के अंतगत है और एक यह कहकर झूठा सा य दे ने का दोषी हो सकता है क वह उस चीज़ पर व ास करता है
जस पर वह व ास नह करता है साथ ही साथ यह बताते ए क वह एक ऐसी चीज़ जानता है जो वह नह जानता है। यह अ याय आईपीसी क धारा से तक धाराएं शा मल ह झूठे सबूत
दे ने और गढ़ने धारा से और सावज नक याय के खलाफ अपराध धारा से से संबं धत है।
यह कहकर सा य क वह उस चीज़ पर व ास करता है जस पर वह व ास नह करता है साथ ही यह कहकर क वह उस चीज़ को जानता है जसे वह नह जानता है।
जालसाजी आईपीसी या
के लए कोई भी काय करने पर कारावास
गैर अदालत का
जालसाजी क सं ेय या म आजीवन कारावास या
कारावास वष और जुमाना। जमानती स
स का.
म
आईपीसी के ेरण के लए गैर अदालत का
जालसाजी भारत क सं ेय जालसाजी से बाहर स के क । भारत के अंदर ऐसा स का.
जमानती स
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
भारतीय दं ड सं हता क धारा के सं ेय वष और जुमाने के लए भारतीय कारावास के संबंध म भी यही गैर अदालत का
बात लागू है। स का.
जमानती स
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
भारतीय स के क संरचना. क ा
आजीवन कारावास या वष के लए
जालसाजी आईपीसी ए गैर यायालय का
सं ेय कारावास और जुमाना।
सरकारी मोहर. जमानती स .
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
थम ेण ी का
सरकारी टा क नकली सं ेय वष के लए कारावास और जुमाना। गैर
आईपीसी म ज ेट
ब . जमानती
या जुमाना या दोन । थम ेण ी का
गैर
आईपीसी म ज ेट
जमानती
सरकार को नुक सान प ंचाने के इरादे से इसके लए इ तेमाल
कया जाने वाला टांप।
के लए कारावास आईपीसी का थम ेण ी का
सूचक च मटाना
वष या जुमाना या सं ेय जमानती क टा का उपयोग कया गया है। म ज ेट
दोन ।
ए कोई
फज टकट पये का जुमाना सं ेय जमानती
भारतीय दं ड सं हता
भी म ज े ट.
झूठ का क ज़ा होना
के लए कारावास वष के कोई
लए गैर वजन या माप या जुमाना या दोन सं ेय कपटपूण जमानती
भारतीय दं ड सं हता
उपयोग म ज ेट
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
एक अपराधी अपराध पढ़ पाप करने से पहले कभी भी नद ष क उ के आधार पर भेदभाव नह करेगा य द उसने अपने मकसद को पूरा करने का फै सला
कया है। इस कार न के वल अपने अ धकार को जानने वाले ववेक शील को सहायता दान करने के लए यह अ याय शशु या अज मे जीवन को भी यान म
रखता है और माँ के साथ साथ उनके जीवन को बचाने को मुख मह व दे ता है।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
मॉ ूल
नै तकता को भा वत करने वाले अपराध आईपीसी अ याय XIV धारा . धम से संबं धत अपराध आईपीसी अ याय XV धारा . संप
के खलाफ अपराध आईपीसी अ याय XVII धारा .
अ याय XXI धारा . आपरा धक धमक अपमान और झुंझ लाहट आईपीसी अ याय XXII धारा
अ याय IXA धारा भारतीय दं ड सं हता म चुनाव से संबं धत अपराध से संबं धत है। भारत म चुनाव कसी योहार से कम नह ह और यह लोग को बेहद च तत करते ह। यह अ याय भारतीय
चुनाव अपराध और पूछताछ अ ध नयम क धारा ारा पेश कया गया था। यह र तखोरी त पण अनु चत भाव चुनाव के दौरान कसी क त ा को खराब करने के लए झूठे बयान दे ना आ द
जैसे अपराध के लए दं ड नधा रत करता है। इस अ याय का मु य उ े य वतं और न प चुनाव सु न त करना और लोग को वतं प से अपने मतदान अ धकार का अ यास करने क अनुम त दे ना है।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
उ े य राजनी तक
मामल के संदभ म वतं और न प चुनाव क अवधारणा को सु न त करने के लए वतं ता और समानता मूलभूत कारक ह। वतं और न प चुनाव का अथ है क अपने कानूनी
अ धकार का योग करते समय कोई भी भा वत नह होता है वे वयं नणय ले सकते ह और नणय ले सकते ह और बना कसी े ष या कसी अ य के अनु चत भाव के कसी सरे के बंधन से मु होकर
अपनी गत पसंद कर सकते ह। कसी रा य को सुचा प से चलाने के लए चुनाव मह वपूण ह और इ ह न प तरीके से कराया जाना चा हए। जब कोई अपना वोट डालता है तो वह कसी
पाट के अनुशासन धम लग भाषा जा त पंथ आ द के भाव या नयं ण म नह होता है। कोई र तखोरी या स ती चीज का उपयोग करने जैसे आचरण के लए भी बा य नह होता है। कसी
के चुनाव अ भयान को धू मल करने क रणनी त। इस कार वतं और न प चुनाव एक लोकतां क रा का तीक ह।
धारा बी के अनुसार एक को र तखोरी करने वाला माना जाता है जब वह कसी को अपने चुनावी अ धकार का योग करने के लए
े रत करने के उ े य से या ऐसे ारा अपने अ धकार का योग करने के बाद पुर कार के प म प रतोषण दे ता है। े रत होने के तुरंत बाद चुनावी अ धकार।
ऐसी र त लेने वाला और अपने चुनावी अ धकार का अलग तरीके से अ यास करने के लए े रत कया जाने वाला भी दोषी है
र तखोरी का अपराध.
इस अनुभाग के लए एक को संतु दे ने वाला कहा जाता है जब वे संतु क पेशकश ताव करते ह या संतु ा त करने का यास करते ह।
प रवतन के लए संतु वीकार करने वाला या ा त करने का यास करने वाला
उसके पूव नधा रत पा म और ऐसी संतु दे ने वाले क इ ा के अनुसार काय करना संतु ा त करना कहा जाएगा।
र तखोरी का अपराध करने वाले को धारा ई के ावधान के तहत कारावास जसे एक वष तक बढ़ाया जा सकता है या जुमाना या दोन
से दं डत कया जाएगा। हालाँ क इलाज के लए र त दए गए को के वल जुमाना दे ना होगा। उपचार का अथ है संतु के प म भोजन पेय मनोरंज न
या ावधान दान करना या वीकार करना।
धारा सी चुनाव म अनु चत भाव डालने से संबं धत है। यह वै क कावट या चुनावी अ धकार के वतं योग को बा धत करने के यास को
संद भत करता है। इस ावधान के अनुसार चुनावी अ धकार के वतं योग म ह त ेप म शा मल ह
यह यान रखना मह वपूण है क उस समय लागू कसी भी कानून के तहत कसी नवाचक के लए ॉ सी के प म मतदान करने के लए अ धकृ त
इस अपराध का दोषी नह होगा।
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धारा एफ के अनुसार चुनाव म नकल करने पर कारावास क सजा हो सकती है जसे एक वष तक बढ़ाया जा सकता है या जुमाना या दोन हो सकते
ह।
धारा जी म कहा गया है क जो कोई भी सावज नक प से कोई बयान दे ता है का शत करता है यह जानते ए मानता है क यह झूठ है या इसे सच नह मानता है और इसे एक उ मीदवार के
च र या आचरण को खराब करने के यास के साथ त य का बयान बताकर छु पाता है। चुनाव के प रणाम को बा धत करने पर जुमाना लगाया जाएगा।
हालाँ क य द ऐसा जसने पये से अ धक का खच वहन नह कया है। बना ा धकार के ऐसे य कए जाने क तारीख से कु छ दन के भीतर
उ मीदवार का ल खत ा धकार ा त करने का बंधन करता है यह ावधान लागू नह होगा य क ऐसे को उ मीदवार क अनुम त से काय कया आ माना
जाएगा।
आईपीसी के मौजूदा अ याय IX A म मह वपूण बदलाव से संबं धत कु छ सुधार का ताव रखा। हालाँ क इनम से कसी भी ावधान को आज तक वीकार या संक लत नह कया गया है। सुधार म
शा मल ह • चुनावी अ धकार क प रभाषा म संशोधन वतमान प रभाषा म चुनाव से अपनी उ मीदवारी वापस लेने का उ मीदवार का अ धकार शा मल नह है। वा यांश को शा मल करने के लए प रभाषा को
उपधारा यानी धारा बी और ई को बेहतर समझ के लए एक खंड के प म जोड़ा जाना चा हए। • र तखोरी के अपराध को गंभीरता से लया जाना चा हए और इसके लए अपे ाकृ त कठोर
दं ड नधा रत कया जाना चा हए य क यह न त प से काफ हद तक सुचा और न प चुनाव या म ह त ेप करता है।
अ च लत।
हालाँ क वधा यका या चौदहव कानून आयोग ारा इनम से कसी भी सफा रश पर यान नह दया गया।
ऐ तहा सक फै सले
ई अनूप बनाम के रल रा य
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या चकाकता क थत तौर पर पे रगलम नवाचन े के मोके री गवनमट यूपी कू ल म मतदान क पर उप त आ था और उसने अपना नाम बदल लया और मतदान क म खुद
को कु क प व न के पम तुत कया। उसने मतदान प ा त करने के लए ऐसा कया भले ही वह वह नह था जसके होने का उसने दावा कया था न ही वह उस नवाचन
े बूथ से संबं धत था। अदालत ने उ ह धारा डी और एफ के तहत त पण के अपराध का दोषी ठहराया।
य द संतु को र तखोरी के अंतगत शा मल कया जाता है तो इसका उपयोग के वल उन मामल को संद भत करने के लए कया जाएगा जहां उपहार क पेशकश पर भौ तक
लाभ दान कया जाता है। इस मामले म दए गए लाइसस म कोई ावधान नह कया गया
भौ तक लाभ और इस लए इसे र तखोरी के अंतगत शा मल नह कहा जा सकता। इसके अलावा र तखोरी के लए वोट क सौदे बाजी क आव यकता होती है। चूं क बं क लाइसस के
बदले वोट क सौदे बाजी के संबंध म कोई सबूत नह था इस लए मामला टक नह पाया और मामला खा रज कर दया गया।
भाव डालने का आरोप लगाया है य क चुनाव क पूव सं या पर तवाद ने एक टे ली अ भयान तु त तुत क जहां उ ह ने मतदाता से पये या पये वीकार करने का आ ह कया। या चकाकता से
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खतरनाक बीमारी का सं मण फै लना संभा वत हो धारा घातक काय जससे जीवन के लए खतरनाक बीमारी का सं मण फै लना संभा वत हो धारा
अव ा संगरोध नयम धारा ब के लए इ त भोजन या पेय म मलावट धारा हा नकारक भोजन या पेय क ब धारा दवा
म मलावट धारा मलावट दवा क ब धारा एक अलग दवा के पम
दवा क ब या तैयारी धारा सावज नक झरने या जलाशय के पानी को गंदा करना धारा वातावरण को
वा य के लए हा नकारक बनाना धारा सावज नक रा ते पर तेज ग त से
के लए कारावास थम ेण ी का
ए भावनापूण तरीके से धम का अपमान करने पर साल क सज़ा या गैर
जुमाना या उपल कया आ म ज ेट
भारतीय दं ड सं हता
कसी भी वग क धा मक मा यताएँ दोन जमानती
जबरन वसूली.
लूट और डकै ती.
संप का आपरा धक पयोग।
व ास का आपरा धक उ लंघन।
चोरी क संप ा त करना धोखा दे ना।
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और अपराध के लए दं ड नधा रत करता है। भारतीय दं ड सं हता क धारा मृत क संप के बेईमानी से पयोग से संबं धत है
शरारत.
भारतीय दं ड सं हता क धारा से धारा तक शरारत के ावधान से संबं धत है।
भारतीय दं ड सं हता क धारा शरारत को प रभा षत करती है भारतीय दं ड सं हता क धारा शरारत के लए सजा का ावधान करती है।
उ े य से जालसाजी धारा जाली द तावेज धारा जाली द तावेज को असली के प म उपयोग करना
के तहत दं डनीय जालसाजी करना धारा अ यथा दं डनीय जालसाजी करने के इरादे से
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धारा धारा या म व णत द तावेज को क जे म रखना यह जानते ए क वह जाली है और उसका असली उपयोग करने का इरादा रखना धारा धारा म व णत द तावेज को मा णत
जालसाजी करना या नकली च त साम ी को अपने पास रखना धारा धारा म व णत द तावेज के अलावा अ य द तावेज को मा णत करने के लए उपयोग कया जाने वाला नकली उपकरण या
च या नकली च त साम ी को अपने पास रखना धारा वसीयत गोद लेने के अ धकार
या मू यवान सुर ा को धोखाधड़ी से र करना न करना आ द धारा ए म याकरण खात क धारा नर त े ड माक।
का उपयोग करने के लए दं ड धारा कसी अ य ारा उपयोग कए गए संप च क जालसाजी करना धारा
कसी लोक सेवक ारा उपयोग कए गए संप च क जालसाजी करना धारा बनाना या क जा करना संप
च क जालसाजी के लए कसी उपकरण क धारा जाली संप च से च त माल को बेचना धारा माल
वाले कसी पा पर गलत च बनाना धारा ऐसे कसी भी झूठे च का उपयोग करने के लए सजा धारा चोट प ंचाने के इरादे से संप च के साथ छे ड़छाड़ धारा
ए नकली मु ा नोट या बक नोट धारा बी असली जाली या नकली मु ा नोट या बक नोट के प म उपयोग करना धारा सी
जाली या नकली मु ा का क ज़ा नोट या बक नोट धारा डी करसी नोट या बक नोट क जालसाजी या जालसाजी के लए उपकरण या साम ी
बनाना या अपने पास रखना धारा ई करसी नोट या बक नोट से मलते जुलते द तावेज बनाना या उपयोग करना
ववाह क आम तौर पर वीकृ त प रभाषा ववाह या ववाह है जो दो लोग के बीच मलन क सां कृ तक प से मा यता ा त सामा जक वीकृ त है। यह संघ इस संघ म एक साथ आने वाले दो लोग
हालाँ क ववाह क प व सं ा पी ढ़य से अ त व म है और इसने इसके व भ वकृ त सं करण को अपने अंदर समा हत कर लया है। उ ह ठ क करने के लए और बाद म यह सु न त कर क
कसी भी नद ष जीवन को क न हो। व भ अदालत ारा अलग अलग कानून और मसाल लाई गई ह जनम से सबसे अ धक रोशन करने वाली मसाल माननीय सव यायालय क ह। इस तरह के वहार
अथात् भचार प र याग या ू रता सर के बीच ववाह या वैवा हक अपराध के खलाफ अपराध के प म जाने जाते ह।
कानून ारा बनाए गए व भ सुर ा मक कानून और समाज के कानून व ा बनाए रखने वाल ारा उठाए गए कदम के बावजूद वैवा हक अपराध के मामल म लगातार वृ हो रही है और इनम
कोई बाधा नह आ रही है। हर गुज रते दन के साथ अ धक से अ धक म हलाएं इन कानूनी अपराध क पी ड़त क सूची म जुड़ती जा रही ह।
इससे भी बुरी बात यह है क समाज ारा इसके ण पहलु को वीकार करने क अ न ा और पी ड़त को शमसार करने के कारण इनम से अ धकतर मामले दज ही नह हो पाते ह। त तब और
बदतर हो जाती है जब इसे असुर ा और अ न त भ व य के साथ जोड़ दया जाता है। समाज वशेष प से म हला को कानून म ब त कम या ब कु ल भी व ास नह करने के लए बनाया गया है। वे आम तौर
पर लंबी अंतहीन कानूनी लड़ाइय से डरते ह और उ ह बनाए रखने के लए आव यक संसाधन क भारी मा ा से डरते ह।
सबूत का बोझ बीओपी अपराध के लए आ ह करने वाले वाद पर पड़ता है। यह सा बत करना क वैवा हक अपराध के प रणाम व प तलाक का आधार बनता है और म ज े ट के सम आवेदन
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
शाद के दौरान और बाद म व ीय राहत के लए अदालत। इस लेख म हम इनम से कई कानून और ऐ तहा सक मामले के फै सल पर चचा करगे।
भारत के सं वधान ारा येक नाग रक को स पी गई ज मेदारी का अनुपालन कया जाता है। इसके अलावा ववाह व े द के लए ू रता को भी एक बड़ा आधार बनाया गया।
Cohabitation सहवास after deceitfully छल से inducing a belief of marriage ि◌ववाह के ि◌वास को ◌ेरत करना
धारा हर उस पु ष के लए है जो कसी म हला को यह कहकर धोखा दे ता है क वह उससे शारी रक संबंध बनाती है। इसके लए भारतीय दं ड सं हता म जुमाने के साथ दस
साल क जेल क सजा का ावधान है। यह खंड काफ समय से कानून नमाता के बीच गरमागरम बहस का वषय रहा है
Marrying again during lifetime of husband or wife पत या पी के जीवनकाल म दोबारा शाद करना
धारा म कहा गया है क प त या प नी के जीवनकाल के दौरान दोबारा शाद करना ववाह है सा य अ ध नयम क धारा और सीआरपीसी क धारा सी के
साथ पढ़ ।
हालाँ क धारा आईपीसी क धारा के अपवाद का ावधान करती है जैसे ए य द पहली शाद को न न ल खत ारा शू य
घो षत कर दया गया है एक अदालत ारा स म े ा धकार रखते ए बी य द पछला प त या प नी लगातार
अनुप त रहा है
सात वष क अव ध के लए और
उपरो ावधान क बेहतर समझ के लए ह ववाह अ ध नयम क धारा और सा य अ ध नयम क धारा के साथ साथ ीमती के ऐ तहा सक फै सले म सव
यायालय का नणय भी शा मल है। सरला मु ल बनाम यू नयन ऑफ इं डया एवं अ य का संदभ अव य लया जाना चा हए। इस मामले ने इ लाम म धमातरण करके सरी शाद करने
क था के खलाफ स ांत नधा रत कए जसम पहली शाद को भंग नह कया गया था। फै सले म ववाह के मु े ववाह के मामल पर मौजूदा गत कानून के बीच संघष पर चचा
क गई है और भारतीय सं वधान के अनु ेद का आ ान कया गया है। इसे एक ऐ तहा सक नणय माना जाता है जसने समान नाग रक सं हता क आव यकता पर काश डाला।
धारा म ऐसे के लए जुमाने के साथ साथ सात साल तक क जेल क सजा का ावधान है जो बेईमानी से कपटपूण इरादे से शाद समारोह म शा मल होता है यह
जानते ए भी क उसने कानूनी तौर पर शाद नह क है।
भचार पहले
धारा के तहत कसी को जुमाने के साथ या बना जुमाने के पांच साल तक क जेल क सजा का ावधान था अगर वह कसी सरे क प नी के साथ उस क सहम त
या मलीभगत के बना यौन संबंध बनाता था। अगर यह बला कार नह था तो वह भचार के अपराध का दोषी होगा। इस बीच ऐसे मामले म प नी को ेरक के प म दं डत नह कया जाएगा।
यह यान रखना मह वपूण है क इस कानून को तब से अपराधमु कर दया गया है ले कन यह अभी भी मजबूत बना आ है
तलाक का आधार।
कसी ववा हत म हला को अवैध यौन संबंध के लए फु सलाना आईपीसी क धारा के तहत ऐसे कसी भी
को जो कसी भी म हला को ले जाता है छु पाता है हरासत म लेता है या फु सलाकर ले जाता है उसे जुमाने के साथ या बना जुमाने के दो साल क जेल क सजा का ावधान है। कसी अ य
पु ष क प नी जानती है या व ास करने का उसके पास कारण है इस इरादे से क वह कसी भी के साथ अवैध संबंध बना सकती है।
कशुरी बनाम रामा वामी म अदालत ने कहा यौन संभोग का सबूत होना चा हए
कसी मामले के त य और प र तय के आधार पर य सा य के प म अनुमान लगाना शायद ही कभी सा बत कया जा सकता है।
जब धारा के बारे म सवाल उठता है तो आलमगीर बनाम बहार रा य का एक ऐ तहा सक नणय लया जाता है जसम अदालत ने कहा था क य द
कोई जानबूझ कर कसी अ य क प नी को इस तरह से वं चत करने के लए चला जाता है य द प त अवैध संबंध बनाने के इरादे से उस पर नयं ण रखता है तो यह धारा
के तहत एक अपराध होगा।
शीष अदालत ने मोह मद के मामले म . होशन बनाम टे ट ऑफ एपी ने न कष नकाला क एक के ारा सरे पर ू रता का मु ा अ नवाय प से त य का
है और कृ त म काफ परक है। कसी पर ू रता क ेण ी म आने वाली शकायत आरोप या तान का भाव व भ कारक पर नभर करता है
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
क म हलाएं इन कानून का गलत इ तेमाल करती ह. यह आरोप अ सर पु लस राजनेता और यहां तक क उ यायालय और उ तम यायालय के यायाधीश
स हत व भ े ारा लगाया जाता रहा है।
पयोग का आरोप वशेष प से धारा ए और धारा बी म दहेज ह या के अपराध के खलाफ लगाया जाता है। एक दशक से भी कम समय पहले सु ीम कोट
ने सुशील कु मार शमा बनाम भारत संघ और अ य के ऐ तहा सक मामले म कहा था क ावधान का उ े य दहेज क सम या को रोकना था। ले कन तब से
ऐसे कई उदाहरण सामने आए ह जहां शकायत अ े व ास म नह ह और वकृ त मकसद से दज क गई ह।
कभी कभी तकू ल अवां छत मी डया कवरेज ख को बढ़ा दे ता है। हालाँ क व व ध आयोग क रपोट जो अग त म सामने आई ने कहा क
कानून का पयोग ावधान को उसक भावशीलता से हटाने का आधार नह है य क इसम जो शा मल है वह एक बड़ा सामा जक हत है।
ऐसे म सवाल यह है क नेक इरादे वाले कानून के ऐसे पयोग को रोकने के लए कौन से उपचारा मक उपाय कए जाने चा हए। कानून क संवैधा नकता और अंतरा
कृ त न त प से लोग को गत तशोध के लए सर को परेशान करने का लाइसस नह है। ऐसे म कानून नमाता के लए इसे खोजना ज री हो जाता
है
कै से तु शकायत या आरोप से उ चत तरीके से नपटा जा सकता है इसके तरीके बताए गए ह।
एक दशक से भी कम समय पहले अरनेश कु मार बनाम बहार रा य और अ य के एक अ य मामले म सु ीम कोट ने धारा ए के वशेष संदभ
म घोषणा क थी क आरो पय ारा क थत प से कए गए अपराध म तुरंत कोई गर तारी नह क जानी चा हए। और यह अपराध सं ेय और गैर जमानती है और
कई झूठ शकायत म वृ के कारण इस धारा के तहत क गई गर ता रय के संबंध म पु लस अ धका रय के लए कड़े दशा नदश बनाए गए।
समान अ धकार के इन आधु नक दन म दहेज और म हला दासता क ाचीन थाएँ अभी भी पूज नीय ह। दहेज के खतरे और म हला पर ू रता को रोकने के लए भारतीय दं ड सं हता
म धारा ए जोड़ी गई थी। आईपीसी क धारा ए म हला के अ धकार क र ा करती है और उ ह सश बनाती है। कसी म हला के साथ ू रता करके कसी भी कार क संप क जबरन
वसूली भारतीय दं ड सं हता क धारा ए के तहत आपरा धक है। दसंबर को भारत सरकार ने आपरा धक कानून तीय के साथ भारतीय दं ड सं हता आईपीसी को संशो धत
कया। संशोधन अ ध नयम भारतीय दं ड सं हता के अ याय XX ए के तहत एक नई धारा ए स म लत करता है। यह धारा दहेज ह या क संभावना के जवाब म पा रत क गई थी।
भारतीय सा य अ ध नयम क धारा ए को एक ववा हत म हला ारा आ मह या के लए उकसाने क धारणा को बढ़ाने के लए उसी अ ध नयम
ारा जोड़ा गया था। धारा ए का ाथ मक ल य उस म हला क र ा करना है जसके साथ उसके प त या उसके प रवार ारा वहार कया जा रहा है। यह
आईपीसी का एकमा ह सा है जो म हला के खलाफ घरेलू वहार को अपराध मानता है।
लेख क ने इस लेख म भारतीय दं ड सं हता क धारा ए के ऐ तहा सक संदभ और त व क ा या करते ए इसक पड़ताल क है। लेख म इस
धारा के मह व के साथ साथ इसके दं डा मक उपाय पर भी चचा क जाएगी।
धारा ए को म आक मक रसोई म आग के कारण युवा म हला क मृ यु म वृ के साथ ह त ेप करने वाली म हला के बारे म एक बड़ी
चता के जवाब म अ ध नय मत कया गया था। बाद म यह नधा रत कया गया क मौत ववा हत म हला के दहेज उ पीड़न के कारण । इसके अलावा धारा
बी भी
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
इसे दहेज मृ यु के प म जाना जाता है इसे म आईपीसी म पेश कया गया था। वतमान उपाय को के दहेज अ ध नयम को सु ढ़ करने के लए लागू कया गया था। तब से म हला
ने ू रता और अ य कार के वहार के मामल म धारा ए लागू क है। तक यह एकमा उपाय उपल था। म हला को इसक शकायत ानीय थाने म करना मु कल हो गया।
जब तक उ ह ने सबूत नह दखाया पु लस ने उनके मामल को गंभीरता से नह लया। भयानक घटना को कम करने के लए भारत सरकार ने अ ैल को दहेज नषेध
वधेयक को अपनाया। का दहेज नषेध अ ध नयम संसद के संयु स म पा रत कया गया और जुलाई को भावी आ। म और अ ध नयम को दो बार
संशो धत कया गया था। कु छ अ भयान जैसे क म हैदराबाद म रमीज़बी के बला कार के खलाफ दशन और म मथुरा म बला कार के आरोपी बरी कए गए अ धका रय के खलाफ
नए सरे से मुक दमा चलाने का आ ान साथ ही दहेज से संबं धत ह या के बेतुके आरोप एक नए का तीक बन गए। नारीवाद सावज नक वरोध का चरण। औप नवे शक काल म म हला के
व हसा क घटनाएँ होती थ ।
म आपातकाल क समा त के साथ भारत का म हला आंदोलन अपने सरे चरण म वेश कर गया। इस अव ध के आसपास द ली म आ मह या या घटना के प म कई
मौत । दहेज वरोधी अ भयान के दौरान भी नारीवा दय ने म हला के खलाफ हसा के कई प को दहेज क मांग से जोड़ा। वे पूरी तरह से म हला के त प त प नी क ू रता पर क त
थे। जैसे जैसे आंदोलन ने ग त पकड़ी कई पूव व जत वषय को काश म लाया गया और उनक जांच क गई। म हला ने बोलना और अपनी कहा नयाँ साझा करना शु कया। के दशक
म जैसे जैसे अ भयान आगे बढ़ा हसा क कई घटनाएँ सामने आ । से पहले घरेलू हसा को नयं त करने वाला कोई व श कानून नह था। हसा के खलाफ कानून के लए म हला
चारक क मांग के जवाब म भारत सरकार ने और म आपरा धक अ ध नयम ावधान को ख़ुशी से बदल दया।
धारा ए आईपीसी
हाल के वष म वैवा हक मतभेद म नाटक य प से वृ ई है। इस दे श म ववाह क सं ा को अ य धक मह व दया जाता है। धारा ए एक म हला को अपने प त और उसके
प रवार से होने वाले उ पीड़न के खतरे से नपटने के उ े य से बनाई गई थी।
धारा ए के अनुसार जो कोई भी कसी म हला का प त या प त का र तेदार होते ए ऐसी म हला के साथ ू रता करता है उसे तीन साल तक क कै द और जुमाने से दं डत कया जाना चा हए।
ू रता श द जैसा क अ ध नयम के तहत प रभा षत है का अथ है
. कोई भी जानबूझ कर कया गया वहार जो म हला के जीवन अंग या वा य के लए गंभीर खतरा पैदा करता है
चाहे शारी रक हो या मान सक या जो आ मह या के वचार को उकसाने क संभावना रखता हो
. म हला को या उससे जुड़े कसी भी को कसी संप या मू यवान सुर ा क कसी भी गैरकानूनी मांग को पूरा करने के लए मजबूर करने के इरादे से या य क वह या कोई भी
संबं धत मांग को पूरा करने म वफल रहा है इस लए उसे परेशान करना।
धारा एक ा या म ू रता क प रभाषा द गई है। धारा बी इसे प रभा षत नह करती है ले कन धारा ए म ू रता या उ पीड़न क प रभाषा धारा बी पर भी लागू
होती है।
आईपीसी क धारा ए ू रता को एक अपराध के प म प रभा षत करती है जब यह अपने आप घ टत होती है ले कन धारा बी दहेज ह या को एक अपराध के प म प रभा षत करती है जब यह
शाद के पहले सात वष के दौरान होती है। हालाँ क धारा ए म ऐसी कसी समय सीमा का कोई उ लेख नह है।
एक अ य मामले म इंदर राज म लक बनाम सुनीता म लक यह पाया गया क कसी म हला को कसी संप या मू यवान क गैरकानूनी मांग को पूरा करने के
लए मजबूर करने के लए उसे या कसी संबं धत प को परेशान करना पृ का
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
सुर ा ू रता क अवधारणा के अंतगत आती है। प त को आईपीसी क धारा के तहत अपनी प नी क आ मह या म सहायता करने का दोषी पाया गया य क प त का कसी अ य म हला के साथ अवैध संबंध
था और वह उसे पीटता था जो सा य अ ध नयम क धारा ए ारा प रभा षत नरंतर ू रता है।
के लए न न ल खत त व मौजूद होने चा हए . म हला ववा हत होनी चा हए . उसने वहार या उ पीड़न का अनुभव कया होगा और . वहार या उ पीड़न म हला के प त या प नी
या कसी र तेदार ारा कया गया होना चा हए
उसके प त।
इस ावधान क एक सरसरी जांच से पता चलता है क ू रता श द न न ल खत कृ य क घटना को शा मल करता है . कोई भी जानबूझ कर कया गया
काय जो कसी म हला के
जीवन अंग या सुर ा को खतरे म डालता है या जो उसे ऐसा करने के लए मजबूर कर सकता है।
आ मह या कर लो . एक
उसे कसी भी संप या मू यवान सुर ा के लए गैरकानूनी मांग का पालन करना होगा।
अपराध क त इस धारा के
सं ेय अपराध वे होते ह जनम एक पु लस अ धकारी के पास कसी को बना वारंट के गर तार करने का अ धकार होता है।
य द अ धकारी को अपराध के
ववा हत के साथ घ टत होने के बारे म जानकारी
म हला।
म लमथ स म त का अवलोकन
गृह मं ालय ने आपरा धक याय णाली म सुधार के तरीक पर वचार करने के लए म यायमू त म लमथ स म त का गठन कया। धारा ए क गहन जांच के बाद यह न कष नकाला गया
क क़ानून म कु छ खा मयाँ थ और संशोधन क सफा रश क गई। स म त ने इस बात पर काश डाला क धारा ए गैर जमानती और गैर शमनयो य होने के कारण प त और प नी दोन के हत के खलाफ काम
करती है य क . यह वभाजन के बीच ववाह संबंध क वापसी म एक मह वपूण बाधा तुत करता है
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
इस पुनवास उपकरण के गंभीर पयोग के बारे म च तत होकर अपराध गैर जमानती और गैर शमनीय होने के कारण एक नद ष को अपमान और क ठनाई का सामना करना पड़ता है स म त ने
A को एक जमानती और समझौता यो य अपराध बनाने का ताव दया।
माननीय उ तम यायालय ने ीमती म आईपीसी क धारा बी के तहत दहेज ह या के लए दोषी ठहराया । शां त एवं अ य. बनाम ह रयाणा रा य । मु ा यह था क या आईपीसी
क धारा बी और ए के ावधान पर र अन य थे और या धारा ए ारा दं डनीय उ लंघन से अपीलकता क रहाई से कोई फक पड़ा। चूं क आईपीसी क धारा ए के तहत बरी कर दया
गया था इस लए शीष अदालत ने फै सले के पैरा ाफ म उपयु ावधान क जांच क । हालाँ क अदालत ने न न ल खत ट पणी क क इन प र तय म धारा ए के तहत अपीलकता को बरी
करने मा से इस मामले म कोई फक नह पड़ता है।
ये धाराएं ए और बी दो अलग अलग अपराध को संबो धत करती ह। सच है ू रता दोन भाग म एक सामा य अ नवायता है और इसे स कया जाना चा हए। ू रता क
प रभाषा धारा ए के ीकरण म द गई है। धारा म ू रता क ऐसी कोई प रभाषा नह है। बी ले कन दोन अपराध के बीच समानता को दे ख ते ए हम यह मानना चा हए क ू रता या
उ पीड़न का वही अथ है जो धारा म दया गया है।
अ ण गग बनाम पंज ाब रा य के मामले म जो ब त बाद म रपोट कया गया था इस मु े को एक बार फर उठाया गया था। माननीय यायालय ने न कष नकाला क आईपीसी क धारा
बी और ए पर र अन य नह ह। वे व भ कार के व श अपराध को संबो धत करते ह। दोन भाग म ू रता एक लगातार वषय है।
सरी ओर ू रता एक अपराध है और धारा ए के तहत दं डत कया जाता है। दहेज ह या धारा बी के तहत दं डनीय है और यह शाद के सात साल के भीतर ई होनी चा हए। सेक .
इसके अलावा य द कोई मामला बनता है तो धारा बी के तहत मुक दमा चलाने वाले और बरी कए गए को बना कसी वशेष आरोप के धारा ए के तहत दोषी ठहराया जा सकता
है। मौजूदा मामले म व ान स यायाधीश ने अ भयु को दोषी ठहराने के साथ ही धारा के तहत दस साल तक क कै द क सजा भी सुनायी
बी पये का जुमाना लगाया। . सु ीम कोट ने नचली अदालत के फै सले के खलाफ ढ़ता से फै सला सुनाया जसम कहा गया क वह धारा बी के तहत दं ड के प म शु क लगाने के लए
अ धकृ त नह है।
ववा हत म हला के त ू रता पर रोक लगाने वाली आईपीसी क धारा ए क शु आत घरेलू हसा अ ध नयम डीवी अ ध नयम के लए मह वपूण है। ए और डीवी
अ ध नयम के बीच अंतर यह है क पूव के तहत कायवाही आपरा धक या सं हता ारा शा सत होती है जब क
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
उ रा के तहत याएं स वल या सं हता ारा शा सत होती ह। इस कार आईपीसी ए और डीवी अ ध नयम के तहत कायवाही एक साथ चल सकती है।
ववाह णाली म एक थागत था थी जसम हन के प रवार से धन हे के प रवार को स प दया जाता था। के दहेज नषेध अ ध नयम ने इस था को सामा जक प से अ वीकाय और
आपरा धक अपराध बना दया। गैरकानूनी मांग श द ए और दहेज कानून के बीच संबंध को सामने लाते ह।
पु ष सं कृ त पारंप रक प से म हला के साथ कठोरता से पेश आती है। इस तरह के कानून म हला को वापस लड़ने म सहायता करते ह। म हला को यह आभास होता है क उनक बात सुनी
. कु छ पाने के लए म हला को लगातार मजबूर कया जाता है ता ड़त कया जाता है डराया जाता है या उनके साथ वहार कया जाता है।
आईपीसी क धारा ए म हला को अदालत म जाने और अपराधी को दं डत करने क अनुम त दे ती है।
. कई तय म म हला को भावना मक यातना का भी शकार होना पड़ता है। कोई भी कानून म हला क भावना मक पीड़ा को कम करने म सहायता नह कर सकता। इस तरह के कृ य से म हला
. कानून चाहे कतना भी गलत तरीके से लागू कया गया हो भारतीय दं ड सं हता से हटाया नह जा सकता। वहाँ
तो जेल क सजा सुनाई जाएगी जो तीन साल तक हो सकती है या उ ह धारा ए के तहत जुमाना भरना होगा। घरेलू हसा से म हला का संर ण अ ध नयम भारतीय सा य अ ध नयम
का भारतीय सा य अ ध नयम उन मामल से संबं धत है जहां माना जाता है क म हला क मृ यु दहेज के प म भयानक शारी रक और मान सक शोषण या ू रता के प रणाम व प ई है। इस
धारा का आवेदन अभी भी अगले सात वष के लए वैध है। इस लए यह उन तय पर लागू होता है जहां प नी शाद के पहले सात वष के दौरान आ मह या कर लेती है या मर जाती है। A क कायवाही म
आईपीसी क धारा का भी काफ भाव पड़ता है। कसी को अपनी जान लेने म सहायता करने क सजा या तो जुमाना है या कसी भी कार क जेल क सजा है जो साल तक हो सकती है।
म हला के साथ अ याय आ है चाहे वह शारी रक भावना मक या यौन वहार हो तो उसे अ धका रय से मदद लेने से नह डरना चा हए। याय पाने गलत काम करने वाल को दं डत करने और
पी ड़त को ऐसे जीवनसाथी या उसके प रवार ारा भ व य म प ंचाए जाने वाले नुक सान से बचाने के लए अ धका रय से संपक कया जाना चा हए। एक कु शल आपरा धक वक ल को नयु करने के अलावा
ारं भक कदम एक एफआईआर दज करना है। पु लस से तुरंत संपक कया जाना चा हए और पी ड़त क ओर से एफआईआर दज क जानी चा हए।
य द पी ड़त गंभीर प से घायल हो गया है या शारी रक या ल खत शकायत एफआईआर दज करने के लए पु लस टे शन जाने म असमथ है तो कोई अ य म या प रवार का सद य ऐसा कर सकता है। य द
शारी रक प से पु लस म उप तह
टे शन संभव नह है नंबर पर पु लस हे पलाइन पर कॉल कया जाना चा हए। एक बार जब पु लस के पास ऐसी शकायत दज हो जाती है तो उसे पी ड़त के लए कानूनी कारवाई के लए आगे बढ़ने के लए
पु लस रपोट जसे अ सर एफआईआर के प म जाना जाता है आरोपी या अपराधी के खलाफ कानूनी कारवाई करने का ारं भक कदम है।
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द क हण।
. म ज े ट के सम आरोप प तुत करना इसके बाद पु लस म ज े ट के सम आरोप प लाती है। आरोपप अ भयु के व लगाए गए सभी आपरा धक आरोप क एक सूची है।
. आरोप तय करना मु करना अ भयु और उनके वक ल ारा आरोप प दे ख ने के बाद अदालत आरोप तय करने के लए आगे बढ़ती है जसम अ भयु
को उन अपराध के बारे म सू चत करना शा मल है जनके लए उन पर आरोप लगाए गए ह। यह वह चरण भी है जस पर म ज े ट यह नणय ले सकता है क
आरोपी पर मुक दमा चलाने और उसे आरोपमु करने के लए थम या कोई सबूत नह है।
. अदालत म बहस और आरोप तय करना नधा रत सुनवाई के दन म ज े ट उन आरोप पर प क दलील सुनता है जो उ ह तय करने से पहले लगाए गए ह।
. दोषी क दलील दं ड या सं हता क धारा म दोषी क दलील पर चचा क गई है। आरोप के गठन के बाद आरोपी को दोषी मानने का अवसर
दया जाता है और यह यायाधीश क ज़ मेदारी है क वह यह सु न त करे क दोषी क दलील वे ा से द गई है। यायाधीश अपने ववेक से अ भयु क
नदा कर सकता है।
. अ भयोजन सा य आरोप का मसौदा तैयार करने और अ भयु क दोषी नह होने क दलील के बाद अ भयोजन प पहले सा य तुत करता है सबूत का
ारं भक भार वहन करता है। मौ खक और द तावेज ी सा य दोन ही तुत कये जा सकते ह। म ज े ट के पास कसी को भी गवाह के प म बुलाने या कोई
द तावेज़ पेश करने का आदे श दे ने क श है।
. अ भयु के वक ल ारा गवाह से जरह जब अ भयोजन प के गवाह को अदालत के सम बुलाया जाता है तो मु य परी ण के बाद अ भयु के वक ल ारा उनसे जरह क जाती है।
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. य द अ भयु के पास अपने बचाव म कोई सबूत है तो उसे इस ब पर यायालय को पेश कया जाता है।
उसे अपना मामला मजबूत करने का यह अवसर दया जाता है। हालाँ क चूँ क अ भयोजन प पर सबूत का भार है इस लए अ भयु को सबूत पेश करने के लए बा य
नह कया जाता है।
.अ भयोजन प ारा गवाह से जरह अ भयु या उसका वक ल जरह करता है
अदालत म अ भयोजन प के गवाह.
.सा य न कष य द अ भयु के पास कोई सबूत है तो उसे इस ब पर अदालत म तुत कया जाता है। उसे अपने तक को मजबूत करने का अवसर दया जाता है।
हालाँ क अ भयु को सा य तुत करने क आव यकता नह है य क अ भयोजन प पर सबूत का भार है।
.मौ खक अं तम तक अं तम तक का चरण या के अंत के करीब है। इस मामले म दोन प अ भयोजन और बचाव बारी बारी से अदालत के सामने अं तम मौ खक
दलील दे ते ह।
. यायालय का नणय यायालय अपना नणय मामले के त य और प र तय के साथ साथ पेश कए गए तक और सबूत पर आधा रत करता है। अ भयु को बरी करने
या नदा करने के अपने आधार को करने के बाद यायालय अपना अं तम नणय दे ता है।
. दोषमु या दोष स य द अ भयु दोषी पाया जाता है तो उसे दोषी ठहराया जाता है य द नह मला
दोषी अ भयु को बरी कर दया जाता है।
. दोषी पाए जाने पर सजा क मा ा नधा रत करने के लए सुनवाई य द आरोपी को दोषी पाया जाता है और जेल क सजा सुनाई जाती है तो सुनवाई सजा क मा ा या सीमा
नधा रत करेगी।
वा य।
अरनेश कु मार बनाम बहार रा य और अ य के ऐ तहा सक मामले म सु ीम कोट ने फै सला सुनाया क सफ इस लए कोई गर तारी नह क जानी चा हए य क
आरोप गैर जमानती और सं ेय है और इस लए पु लस क मय के लए ऐसा करना वीकाय है। इस लए। यह त य क गर तार करने क मता मौजूद है एक बात है इसका उपयोग करने
का औ च य ब कु ल सरा है। गर तारी के अ धकार के अलावा पु लस क मय को अपने काय का बचाव करने म भी स म होना चा हए। कसी को के वल अपराध करने के आरोप
पर नय मत प से गर तार नह कया जा सकता है
एक उ लंघन. एक पु लस अ धकारी के लए यह समझदारी और बु म ा है क वह तब तक गर तारी न करे जब तक क दावे क स यता क कु छ जांच के बाद उ चत संतु न मल जाए।
हालाँ क एफआईआर दज होने के बाद अ म जमानत लेने क सलाह द जाती है। जब आरोपी अ म जमानत का अनुरोध करता है तो अदालत उस पर व श तबंध लगा
सकती है। आव यकता म से एक रखरखाव या अ य दा य व के ह से के प म प नी या अ य आ त के नाम पर डमांड ा ट जमा करना हो सकता है। हालाँ क जब प नी और ब े
के भरण पोषण के लए एक वशेष ावधान है तो धारा A के तहत जारी सशत अ म जमानत अवैध होगी।
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तुत को अपीलीय यायालय के प म जाना जाता है। कसी मामले के कसी प के पास अदालत म अपील करने का कोई अंत न हत अ धकार नह है
कसी उ तर या अ धक े यायालय का नणय या आदे श। अपील के वल तभी दज क जा सकती है जब इसे कानून ारा प से अनुम त द गई हो और इसे संबं धत अदालत म आव यक तरीके से
दायर कया जाना चा हए। अपील भी उ चत समय सीमा के भीतर तुत क जानी चा हए।
य द इसके ठोस कारण ह तो ऊपरी अदालत म अपील दायर क जा सकती है। जला म ज े ट अदालत के फै सले के खलाफ स यायालय म अपील
क जा सकती है। सेशन कोट से अपील क जा सकती है
उ यायालय और उ यायालय से उ तम यायालय तक। य द त य उ चत ह तो प नी और आरोपी दोन अपील दायर कर सकते ह। कसी भी को स
यायाधीश या अ त र स यायाधीश के सम या कसी अ य अदालत के सम मुक दमे म दोषी ठहराया गया और साल से अ धक क सजा सुनाई गई।
वयं या कसी अ य के लए उसी मुक दमे म जेल जाने पर वह उ यायालय म अपील कर सकता है।
शरीर और मन के त आ ामकता को संबो धत करता है। ववाह म यौन हसा क मह वपूण आवृ और इस त य के कारण क वैवा हक बला कार को भारतीय
दं ड सं हता क धारा के तहत बला कार क प रभाषा म शा मल नह कया गया है वशेष प से यौन हसा को ू रता के एक प के प म मा यता द जानी
चा हए।
ू रता ा पत करने क क ठनाई उ चत संदेह से परे
आईपीसी क धारा ए के अनुसार प त प नी और उसके प रवार को उ चत संदेह से परे ू र सा बत कया जाना चा हए जो क आपरा धक कानून
क एक शत है। जब अंदर वहार होता है
कसी घर क द वार पर शारी रक या मान सक शोषण को उ चत संदेह से परे द शत करना अ व सनीय प से क ठन और लगभग असंभव है।
उ े य और इसक मह वाकां ा का उ लंघन बढ़ रहा है जसम म हलाएं अपने प तय से छु टकारा पाने या सफ प रवार को नुक सान प ंचाने के लए उनके खलाफ झूठे झूठे दावे लाती ह। इस
धारा का पयोग बढ़ रहा है और अ तरह से श त म हलाएं पूरी तरह से जानती ह क यह सं ेय और गैर जमानती दोन है और म हला के आरोप पर तेज ी से कारवाई करती है और पु ष को जेल म डाल
दे ती है। जैसे क सा व ी दे वी बनाम रमेश चंद और अ य के मामले म अदालत ने प से न कष नकाला क ावधान का इस हद तक पयोग और शोषण कया गया था क वे ववाह को ही
अदालत ने कहा क ऐसा होने से रोकने के लए वधायक और सरकारी अ धका रय को मौजूदा प र तय और लागू कानून का आकलन करने क
ज रत है। यह धारा ववा हत म हला को बेईमान प तय से बचाने के लए बनाई गई थी ले कन कु छ म हला ारा इसका पयोग कया गया है जैसा क
स रता बनाम आर म कहा गया है।
रामच न जहां अदालत ने वपरीत वृ पर यान दया और व ध आयोग और संसद से अपराध को गैर सं ेय और जमानती बनाने का अनुरोध कया।
हालां क अपराध को गैर सं ेय और जमानती बनाने का कई म हला अ धकार संगठन ने वरोध कया है जनका मानना है क ऐसा करने से आरोपी को
अ भयोजन से बचने का मौका मलता है।
हालाँ क यह को उ चत अवसर दान करेगा और इससे भी मह वपूण बात यह है क याय के ल य को ा त करने म सहायता मलेगी।
याय को कमजोर लोग क र ा करनी चा हए और यह सु न त करना चा हए क पी ड़त को अपना हक वापस पाने का अवसर मले। जब प नयां
अपने प तय पर आईपीसी क धारा ए के तहत अपराध का आरोप लगाती ह जो अपराध को गैर जमानती और सं ेय बनाती है तो नद ष होने पर पु ष को
ज द से ज द याय ा त करने का अवसर नह मलता है य क याय म दे री याय से वं चत होने के समान है। इस लए वधायक
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
इस धारा को सभी के त नप कै से बनाया जाए इसके लए एक सुझ ाव तुत करना चा हए ता क अपराध करने वाल को दं डत कया जा सके और जो घायल ए ह उ ह
याय मल सके ।
समाज म भावी ढं ग से काय करने के लए उ ह अभी भी अ धकार क आव यकता है ले कन वे अ सर सर के अ धकार क अनदे ख ी करते ह जब क उनके
अपने अ धकार क र ा क जाती है। आज क श त म हला को समानता के वचार का समथन करना चा हए और इसक मांग करनी चा हए ले कन यह वृ धीरे धीरे
बदल रही है। उ ह दए गए अ धकार क गारंट के आधार पर म हलाएं इस त य का फायदा उठा रही ह क उ ह कमजोर लग माना जाता है और वे सर के अ धकार का
पयोग कर रही ह।
भारतीय दं ड सं हता क धारा ए के तहत गर तारी ा धकरण के मनमाने उपयोग को सी मत करने से लेक र पयोग को
रोकने के लए सु ीम कोट ने पु लस को नदश दए सु ीम कोट ने अरनेश कु मार बनाम बहार रा य मामले म कु छ ब त ज री नदश जारी कए जब पु लस बना वारंट और संबं धत वषय
के गर तार कया जा सकता है। इस मामले म या चकाकता जो धारा ए के तहत लाए गए मामले म गर तारी का सामना कर रहा था ने ऐसी राहत ा त करने के अपने पछले यास को उ यायालय ारा
अ वीकार कर दए जाने के बाद सु ीम कोट के सम एक एसएलपी दायर क थी। अपीलकता प त ने पये क मांग क । लाख पये एक मा त ऑटोमोबाइल और एक एयर कं डीशनर अ य चीज के अलावा
. पु लस अ धकारी कानूनी प से दायर चेक ल ट भेज ेगा और आरोपी को आगे क हरासत के लए म ज े ट के सम संद भत पेश करते समय गर तारी के आधार और द तावेज दान करेगा।
. अ भयु क हरासत को अ धकृ त करने से पहले म ज े ट पु लस अ धकारी ारा द गई रपोट को उ ल खत शत म पढ़े गा और उसक संतु दज करने के बाद
ही म ज े ट हरासत को अ धकृ त करेगा।
. जस दन मामला शु कया गया था उसके दो स ताह के भीतर कसी आरोपी को गर तार न करने का नणय म ज े ट को एक त के साथ म ज े ट को भेज ा
जाना चा हए इस समय सीमा को जला पु लस अधी क ारा उन कारण से बढ़ाया जा सकता है ज ह ल खत प म बताया जाना चा हए।
. जस दन मामला शु कया गया था उसके दो स ताह के भीतर अ भयु को आपरा धक या सं हता क धारा ए के तहत उनक उप त क सूचना
मलनी चा हए। जले के पु लस अधी क कसी कारण के लए व तार दे सकते ह जसे ल खत प म बताया जाना चा हए।
. उपरो नदश का पालन करने म वफलता पर संबं धत पु लस अ धका रय पर वभागीय कारवाई के साथ साथ अदालत क अवमानना के लए सजा भी द
जाएगी जसे े ीय े ा धकार वाले उ यायालय के सम लाया जाएगा।
. संबं धत या यक म ज े ट ारा उपरो कारण का द तावेज ीकरण कए बना हरासत को अ धकृ त करना स म उ यायालय ारा वभागीय कारवाई के
अधीन है।
इंदर राज म लक और अ य बनाम ीमती सु मता म लक के मामले म यह तक दया गया क यह धारा सं वधान के अनु ेद और अनु ेद
का उ लंघन करती है। दहेज नषेध अ ध नयम भी
इस कृ त क तय को संबो धत करता है इस लए दोन कानून का संयोजन एक ऐसी त पैदा करता है जसे दोहरा ख़तरा कहा जाता है। हालाँ क द ली उ
यायालय ने इस तक को खा रज कर दया और फै सला सुनाया क यह धारा ऐसा करती है
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दोहरे ख़तरे का प र य न बनाएं। धारा ए दहेज नषेध अ ध नयम क धारा से इस मायने म भ है क धारा के वल दहेज क मांग को दं डत करती है और ू रता के
कसी त व क आव यकता नह है जब क धारा ए अपराध के गंभीर सं करण से संबं धत है।
यह प नी या उसके प रवार के सद य से मह वपूण सुर ा या संप के उन अनुरोध को दं डत करता है जो उसके खलाफ वहार के साथ होते ह। इस लए
एक को दहेज नषेध अ ध नयम क धारा के अंतगत आने वाले दोन अपराध के लए आरोप का सामना करना पड़ सकता है। यह धारा अदालत को यह नधा रत
करने म ापक अ धकार भी दे ती है क कानून क भाषा क ा या कै से क जाए और अपरा धय को कै से दं डत कया जाए। यह धारा असंवैधा नक नह है. यह
अदालत को बेलगाम अ धकार नह दे ता।
वज़ीर चंद बनाम ह रयाणा रा य के स मामले म एक नव ववा हत म हला क जलकर ई मौत से संबं धत त य कसी तीसरे प ारा क गई
ह या या आ मह या को द शत नह करते ह। नतीजा यह आ क ससुराल वाले आईपीसी क धारा और के चंगुल से तो बच गए ले कन दहेज उ पीड़न क
रोकथाम के लए हाल ही म लागू क गई इस धारा के जाल म वे फं स गए। का उ लेख नह है
वे लड़क प से व तु क मांग करते रहते ह त य यह है क उसके नधन के बाद उसके पता ने उसके वैवा हक घर से काफ मा ा म संप हटा ली यह दशाता है क
उसके ससुराल वाल पर दबाव डाला गया था और अ त र ा त करने के लए यह उसक मृ यु तक जारी रहा। धन और संप .
आधु नक करण श ा व ीय रता और नई मली वतं ता के वकास के साथ क रपंथी नारीवाद ने ए को एक ह थयार म बदल दया है। कई
बद क मत प त प नी और ससुराल वाले अपनी े षपूण ब के शकार बने ह।
अ धकांश मामले जनम धारा ए का उपयोग कया जाता है वे फज सा बत होते ह जैसा क भारतीय उ यायालय और सव यायालय ने लगातार
वीकार कया है य क वे एक क ठन ववाह का सामना करने पर प नी या उसके करीबी र तेदार ारा लैक मेल क रणनी त मा ह। यादातर तय म ए
शकायत के बाद अदालत के बाहर मामले को नपटाने के लए बड़ी रकम या जबरन वसूली क मांग क जाती है।
के अ धकार पर जांच और संतुलन के लए एक या है अनु ेद । यह यह सु न त करने क एक या है क कोई भी कसी क त ा को नुक सान न प ंचाए
बदनामी करने वाले के बारे म जनता क नजर म गलत राय बनाने क वृ रखते ह।
आपको यह समझाने के लए क यह वा तव म या है मान ली जए क पाट के दो सद य मीरा और सुबोध चुनाव म खड़े ह। सुबोध कहते ह मीरा एक
ह मने उ ह पहले भी र त लेते दे ख ा है इस लए उ ह वोट न द. यह कथन अस य है और मीरा क त ा को नुक सान प ँचाता है य क जनता म कोई भी
को वोट नह दे गा। इसका सीधा असर मीरा क जीत पर पड़ेगा
चुनाव।
इसे रोकने के लए मानहा न से संबं धत ावधान धारा से धारा तक उपल ह
भारतीय दं ड सं हता. इस लेख म हम इ ह व तार से समझगे।
त ा कसी भी
पर मुक दमा चलाने के लए यह ा पत करना आव यक है क उस क त ा को वा त वक त या हा न ई है। के वल श द बोलना या लखना
च बनाना या इशारे करना मानहा न क ेण ी म नह आता जब तक क क त ा को नुक सान न प ँचाया गया हो।
त ा को नुक सान प ंचाना ही एकमा नकारा मक प रणाम है जो मानहा न के काय से उ प हो सकता है।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
यह आपके ोफे शनल क रयर के लए भी हा नकारक सा बत हो सकता है। उदाहरण के लए य द कोई कसी कानदार क ओर इशारा करते ए कहता है क
आपको उससे कराने का सामान नह खरीदना चा हए य क वह न न ेण ी क चीज ऊं चे दर पर बेचता है।
ऐसे म य द कथन अस य पाया जाता है तो कानदार क त ा को नुक सान प ंच रहा है य क इससे उसक कान पर आने वाले ाहक क कमी हो जाएगी।
काशन
बदनामी यह एक कार क मानहा न है जो अ ल खत प म मौजूद होती है जैसे बोले गए श द इशारे या हाथ से कया गया त न ध व।
अं ेज ी कानून म आपरा धक मानहा न और नाग रक मानहा न क े णय के तहत दोन प के बीच अंतर कया गया है।
आपरा धक कानून के तहत के वल मानहा न ही अपराध है बदनामी नह । जब क स वल कानून म मानहा न आपरा धक कानून क तरह ही एक अपराध है ले कन यहां प रवतन
यह है क बदनामी भी एक अपराध है बशत क
सबूत के साथ.
भारतीय कानून म बदनामी और मानहा न दोन को आईपीसी क धारा के तहत आपरा धक अपराध के प म मा यता द गई है। जब क टॉट् स के कानून म मानहा न वयं
कारवाई यो य है और नदा कारवाई यो य है। इसका मतलब है क बदनामी के मामले म मानहा न के कृ य का सबूत होना चा हए।
काशन के प काशन के व भ प
य द कोई मानहा न सीधे तौर पर बदनाम करने वाले क क जाती है और कसी अ य को इसक खबर नह होती है तो वह मानहा न नह है। यह आव यक है क कोई तीसरा प
इसे सुने जससे बदनामी करने वाले क त ा कम हो जाती है।
सीमा अ ध नयम इंटरनेट पर मानहा न क सीमा अव ध को वष कर दे ता है। इंटरनेट पर येक काशन के बाद यह अव ध नवीनीकृ त हो जाएगी।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
फै सला वष म आया था। इस मामले म द ली उ यायालय ने इसे र करने से इनकार कर दया था।
इंटरनेट पर एका धक काशन नयम और के वल एकल काशन नयम का पालन करना।
मु त साम ी संपादक एवं अ य का दा य व भारतीय दं ड सं हता क धारा मानहा नकारक चीज को छापने के बारे म बताती है। इसम कहा गया है क कोई भी जो ऐसे मामले
को छापता या उके रता है जसके बारे म वह जानता है या उसके पास यह व ास करने का कारण है क ऐसा मामला मानहा नकारक कृ त का है और इस लए वह इसे कम कर दे गा।
भारतीय दं ड सं हता क धारा कहती है क कोई भी जो कोई मु त साम ी बेचता है या बेचने क पेशकश करता है
ऐसी साम ी जसके बारे म वह जानता है या उसके पास यह व ास करने का कारण है क इसम मानहा नकारक बात है दं डत कया जाएगा।
सज़ा या तो कारावास होगी जसे दो साल तक बढ़ाया जा सकता है या
ठ क हो सकता है. कु छ मामल म दोन को लगाया जा सकता है।
अत इन दोन धारा के मा यम से मु ण या उ क णन व य या व य क पेशकश
ऐसा मामला जसम कु छ मानहा नकारक साम ी हो अपराध है और दं डनीय है।
मानहा न का मुक दमा जीतने के लए तवाद को यह सा बत करना होगा क उसके इरादे ईमानदार थे और कोई भावना नह थी और यह सफ एक ईमानदार गलती थी।
धारा मानहा न क प रभाषा और इसके अ ध नयम के सभी मामल और अपवाद को दान करती है
मानहा न। यह ीकरण स हत एक लंबा अनुभाग है और इसम कु ल मलाकर अपवाद शा मल ह।
धारा म मानहा न के कृ य के लए सजा का ावधान है।
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य द कसी काय का उ े य कसी कं पनी या एसो सएशन या लोग के समूह को नुक सान प ंचाना है तो यह मानहा न क ेण ी म आएगा। इसका मतलब है क इसके तहत कं प नयां या एसो सएशन कसी के
पहले यह समझना होगा क सामा य श द म इ युए ो का या अथ है। इनुए ो नकारा मक वा य को ब त ं या मक तरीके से बोलने का एक चतुर तरीका है जो सतह पर सकारा मक तीत हो
सकता है। धारा के तहत कसी भी को इशार म बदनाम करना आपरा धक मानहा न का एक प है।
च ण
बदले म ए ने सी क ओर इशारा कया और कहा अ ा आप जानते ह कौन कर सकता है। यह भेदभाव है या यह बात सी क ओर इशारा करते ए ं या मक ढं ग से कही गई थी।
ीकरण त ा को हा न या है
मानहा न एक ऐसा काय है जससे कसी क त ा को नुक सान प ंचता है ले कन त ा को नुक सान कससे प ंचता है
धारा म दए गए ीकरण के अनुसार कसी क त ा को तब नुक सान प ंचता है जब वह काय के नै तक या बौ क च र को चोट प ंचाता है या उसक साख कम
करता है। य द यह कृ य कसी के च र को उसक जा त या उसक बुलाहट के संबंध म नीचा दखाता है तो इससे त ा पर भी असर पड़ता है।
ये सभी कृ य क त ा को नुक सान प ंचाने वाले माने जाते ह और आपरा धक मानहा न के अपराध के अंतगत आते ह।
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उदाहरण य द रमेश
उ लेख करता है क वशेष अ धकारी Z अपनी नौकरी म ब त बुरा है तो यह न न ल खत अपवाद के तहत मानहा न नह है।
मामले ने इस बात को खा रज कर दया क यह सब मानहा न के दायरे म नह आता है। यह यान दया जाना चा हए क वहाँ एक है
चौथा अपवाद यायालय क कायवाही क रपोट य द यायालय क कोई कायवाही या यायालय ारा दए
गए कसी मामले का प रणाम का शत कया जाता है तो वह मानहा न क ेण ी म नह आएगी। इससे संबं धत शत ऐसी ह क काशन होना चा हए
स य और उपयु हो.
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य द ए कहता है क बी गवाह क त म झूठ बोलता आ तीत होता है। यहां यह शत इस अपवाद के दायरे म आएगी. ले कन अगर ए कहता है क बी टड पर
लेटा आ था तो म उसे एक ऐसे के प म जानता ं जो झूठ बोल सकता है।
यहां यह अपवाद क ेण ी म आएगा और मानहा न का मामला बनेगा। य य क वह अपने ान का योग कर रहा है जो अदालती कायवाही म शा मल नह है।
इसे समझाने के लए लेख क को कृ य ारा या प से अपना दशन जनता के नणय के सम तुत करना होगा। य द ऐसा नह है तो यह कृ य मानहा न के समान
होगा।
कु छ उदाहरण
. कसी पु तक का लेख क जो इसे का शत करता है इसे जनता के नणय के अधीन कर दे ता है।
. एक अ भनेता जो एक फ म करता है उसे अपना नणय दे ने के लए जनता के सामने तुत करता है।
. एक कलाकार जो दशक के सामने मंच पर दशन करता है उसे नणय के अधीन करता है
सावज नक।
यान दे ने वाली बात यह है क जो भी राय बने वह दशन को यान म रखकर हो।
च ण
ए स कहता है वाई अव य ही गलत मान सकता वाला होगा। यह अपवाद के अंतगत आएगा.
ले कन अगर ए स कहता है कोई आ य नह क उसक कताब अशोभनीय है य क म उसे एक ऐसे के प म जानता ं जो वयं अभ है। यह
इस अपवाद के अंतगत नह आएगा और मानहा न के समान होगा।
च ण
उदाहरण य द A
े ा धकार।
च ण
एक कमचारी D जसे उस े के कमचारी के आचरण पर मा सक रपोट बनाने के लए कहा गया है एक कमचारी Z के बुरे आचरण के बारे म लखता है तो वह इस अपवाद के
अंतगत आएगा।
दसवां अपवाद स ावना म सावधानी य द कोई सावधानी उस क
भलाई के लए या जनता क भलाई के लए क जाती है तो वह नह होगी
यह मानहा न के समान है।
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सरी ओर यायालय क अवमानना वह काय है जो याय शासन म बाधा डालता है और यायालय का अनादर करता है। सव यायालय और उ यायालय को मशः
सं वधान के अनु ेद और अनु ेद के तहत अपनी अवमानना के लए दं डत करने क श है।
पसपे टव प लके शन बनाम महारा रा य मामले म यह नोट कया गया था क मानहा न और यायालय क अवमानना के बीच अंतर कया जाना चा हए। यह नधा रत
करने के लए एक परी ण लया जाना चा हए क या है
यह कृ य यायाधीश का अनादर या कानून शासन क उ चत या म बाधा उ प करता है।
अपवाद म यह उ लेख कया गया है क यायालय क स ी एवं सट क कायवाही पर कोई असर नह पड़ेगा।
मानहा न के दायरे म उसी के संदभ म एक मामले पर नजर डालते ह.
डॉ. सुरेश चं बनज बनाम पु नत गोला म यह खा रज कर दया गया था क संसद क कायवाही क रपोट अपवाद के अंतगत नह आती है।
यह कानून क ओर से भेदभावपूण था। बाद म इसे तब बदल दया गया जब वष म व संशोधन अ ध नयम ारा अनु ेद ए पेश कया गया।
वष म आये संसद य कायवाही अ ध नयम के तहत समाचार प म काशन या वायरलेस टे ली ाफ ारा सारण को काफ हद तक स य के प म कानून ारा
संर ण दान कया गया है।
संसद के कसी भी सदन क कसी भी कायवाही क रपोट। इसके अलावा यह ावधान कया गया है क इसे अ े व ास म बनाया जाना चा हए।
मानहा नकारक आरोप लगाने के लए कसी समाचार प म कस पर मुक दमा चलाया जाना चा हए
समाचार प के मामले म आम तौर पर लोग यही सोचगे क मानहा नकारक साम ी का शत करने के लए के वल संपादक को ही ज मेदार ठहराया जाएगा ले कन सच तो
यह है क मानहा न के कृ य के लए मा लक लेख क संपादक या वतरक सभी को ज मेदार ठहराया जा सकता है। यह यान दया जाना चा हए क परो दा य व उ प होगा जो
समाचार प के मा लक को इससे होने वाले नुक सान का भुगतान करने के लए उ रदायी बना दे गा।
नारायण सह बनाम राजमल के मामले म समाचार प के संपादक अनुप त थे और उप संपादक ारा मानहा नकारक मामला का शत कया गया था। अदालत ने
फै सला सुनाया क संपादक ज़ मेदार नह था य क वह बना कसी बुरे इरादे के अनुप त था।
मोह मद कोया बनाम मुथुक ोया मामले म यह खा रज कर दया गया था क ेस और पु तक पंज ीकरण अ ध नयम कसी समाचार प म साम ी के काशन से
संबं धत मामले म के वल संपादक को कानूनी इकाई के प म मा यता दे ता है कसी और को नह ।
के एम मै यू बनाम के ए अ ाहम और अ य के एक अ य मामले म इसे और कया गया था एक पु तक के काशक पर मानहा न के अपराध का आरोप लगाया गया था।
उ ह ने यह कहते ए उ यायालय का ख कया क ेस और पु तक पंज ीकरण अ ध नयम क धारा के तहत के वल संपादक को उ रदायी ठहराया जा सकता है अखबार
के मु य संपादक को नह । उ यायालय ने उनक या चका खा रज कर द फर उ ह ने सव यायालय म या चका दायर क जसने भी इसे खा रज कर दया।
अदालत का तक यह था क संपादक के ख़लाफ़ यह धारणा बन सकती है क वह ज़ मेदार है य क वह उस साम ी क जाँच और चयन करता है जसे का शत कया
जाना है। ले कन यह एक ऐसा मामला है जसका खंडन कया जा सकता है और ेस और पु तक पंज ीकरण अ ध नयम क धारा के तहत यही धारणा कसी और के लए भी उ प
हो सकती है जसे सा बत करना होगा।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
ट जे पो ेन बनाम एमसी वग स के मामले म प त ने अपनी प नी को मानहा नकारक बात वाला एक प लखा था। अदालत ने माना क यह भारतीय सा य अ ध नयम क धारा के तहत था।
भारतीय दं ड सं हता भारत म आपरा धक ग त व धय को नयं त करने वाला मूल कानून है। सं हता का अ याय XXII जसम धारा धारा शा मल है ऐसे अपराध का ावधान
करता है जो आपरा धक धमक जानबूझ कर अपमान और झुंझ लाहट क कृ त म आते ह।
कानून का उ े य सभी कार के आपरा धक अपराध के लए अपरा धय को दं डत करना है ले कन समकालीन समय म कानून पूरी तरह से समाज म ए प रवतन को त ब बत नह करता
है।
य प ावधान ासं गक और बा यकारी ह फर भी वे आज क नया म तकनीक ग त को संबो धत करने म वफल ह। यह कानून पुराना है ले कन नए वकास के लए आधार दान करता है।
अपराध भारतीय दं ड सं हता क धारा के तहत प रभा षत कया गया है। ावधान म कहा गया है क जो कोई भी कसी अ य को न न ल खत आधार पर धमक दे ता है वह
इस धारा क ा या म कहा गया है क कसी मृत क त ा को नुक सान प ंचाने क धमक जसम धमक दे ने वाला च रखता है भी इस धारा के अंतगत आती है।
उदाहरण ए बी को उसके खलाफ शकायत दज करने से रोकने के लए े रत करने के उ े य से बी क प नी को मारने क धमक दे ता है। ए आपरा धक धमक के अपराध के लए दं डत होने के लए
उ रदायी है।
व म जौहर बनाम उ र दे श रा य के मामले म सु ीम कोट ने कहा है क कसी को गंद भाषा म गाली दे ने का मा काय आपरा धक धमक के अपराध के आव यक त व को
पूरा नह करता है। शकायत थी क आरोपी रवॉ वर लेक र शकायतकता के घर आया और उसे गंद गंद गा लयां द । उ ह ने उसके साथ मारपीट करने का भी यास कया ले कन पड़ो सय के आने पर वे
मौके से भाग गए। खंडपीठ ने कहा क उपरो आरोप थम या आपरा धक धमक का अपराध नह बनते।
पुरा उ यायालय ने ीप मोहन जमा तया बनाम ीमती के अपने हा लया फै सले म। झरना दास बै ने दे ख ा है क कसी राजनी तक नेता के भाषण के दौरान अपमानजनक
शद गंद भाषा और शारी रक मु ा का उपयोग आपरा धक ावधान के दायरे म शा मल नह है।
मा णक तनेज ा बनाम कनाटक रा य के मामले म शीष अदालत ने माना क फे सबुक पेज पर पु लस क मय ारा वहार के बारे म ट पणी पो ट करना आपरा धक धमक नह हो
सकती है। इस मामले म अपीलकता एक सड़क घटना म शा मल थी जसम उसक एक से भड़ंत हो गई थी
ऑटो र ा। ऑटो के या ी को चोट आ और बाद म उसे अ ताल म भत कराया गया। अपीलकता ने घायल के सभी खच का व धवत भुगतान कया और कोई एफआईआर दज नह क गई।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
अ मताभ आधार बनाम एनसीट ऑफ द ली मामले म यह माना गया क महज धमक का मामला नह बनता
आपरा धक धमक . धमक दे ने वाले को च तत करने का इरादा होना चा हए।
In Shri Vasant Waman Pradhan vs. Dattatraya Vithal Salvi it was held that intention is the
आपरा धक धमक क आ मा. इसे आस पास क प र तय के अनुसार एक त करने क आव यकता है।
उड़ीसा उ यायालय ने अमू य कु मार बेहरा बनाम नभागना बेहरा उफ नबीना मामले म अलाम श द के अथ क जांच क । यायालय ने माना क भय पैदा करने के
इरादे के बना कसी भी श द क अ भ धारा के दायरे म लाने के लए पया त नह है।
यायालय ने यह भी दे ख ा क यह ावधान अपे ाकृ त नया है और मूल प से अलाम के बजाय आतंक या संक ट जैसे श द ता वत कए गए थे।
इस मामले म शकायतकता ने तक दया क आरोपी ने उसके साथ गंद भाषा म वहार कया था और अगर गवाह ने ह त ेप नह कया होता तो उसे आरोपी से मारपीट के
अलावा और भी चोट लग सकती थ । शकायतकता ने वीकार कया क वह आरोपी ारा द गई धमक से घबराया नह था।
इस लए यायालय ने माना क चूं क अपराध का एक आव यक घटक गायब था इस लए कोई मामला ा पत नह कया जा सका।
सु ीम कोट ने रोमेश चं अरोड़ा बनाम रा य मामले म आईपीसी क धारा के दायरे को व तार से बताया। इस मामले म आरोपी अपीलकता पर आपरा धक धमक
का आरोप लगाया गया था। आरोपी ने ए स और उसक बेट को धमक द क अगर उसे पैसे नह दए गए तो वह लड़क क न न त वीर जारी करके उनक त ा को ठे स प ंचाएगी।
इरादा उनम भय उ प करना था। अदालत ने कहा क आरोपी का उ े य पैसे पाने के लए दहशत फै लाना था और यह सु न त करना था क वह धमक के साथ आगे न बढ़े ।
नुक सान प ंचाने वाली त वीर सावज नक मंच पर जारी करने का.
खतरे क कृ त क सीमा
यह आव यक नह है क ख़तरा य कृ त का हो। रे एके गोपालन बनाम म ास रा य भारत संघ ह त ेपकता मामले म यायालय ने कहा क य द कसी सावज नक
बैठक म एक व ा ने मालाबार म तैनात पु लस अ धका रय को उनके संप या त ा को नुक सान प ंचाने क धमक द तो वह आपरा धक धमक का अपराध करने के लए
उ रदायी था।
अनुराधा ीरसागर बनाम महारा रा य के मामले म आरोपी ने क थत तौर पर म हला श क को च लाकर धमक द क श क को उनके बाल से पकड़ा जाना
चा हए लात मारी जानी चा हए
उनक कमर और हॉल से बाहर ख च लया. बॉ बे हाई कोट ने फै सला सुनाया क ये ट प णयाँ ग ठत ह
आपरा धक धमक का अपराध.
चोट क कृ त खतरे म है
नंद कशोर बनाम स ाट के मामले म गोमांस बेचने वाले एक कसाई को धमक द गई थी क य द वह गोमांस खरीदने या बेचने के काय म शा मल होगा तो उसे जेल
भेज दया जाएगा। इसके अलावा नगर पा लका म उनका रहना भी खतरे म पड़ गया। यायालय ने माना क यह आपरा धक धमक है।
दोरा वामी अ यर बनाम राजा स ाट मामले म यह माना गया क ई र ारा दं ड क धमक को आपरा धक धमक के दायरे म शा मल नह कया जा सकता है। य द
धमक दे ने वाला धमक को अंज ाम दे ने म असमथ है तो उसे आपरा धक धमक के अपराध के लए उ रदायी नह ठहराया जा सकता है।
आपरा धक धमक के अपराध के लए सजा भारतीय दं ड सं हता क धारा के तहत नधा रत क गई है।
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
•ऐसा अपराध करवाना जसके लए सात साल तक क कै द आजीवन कारावास या मौत क सजा हो
• कसी ी को अप व ता का ेय दे ना।
फर उपयु मामल म नधा रत सजा सात साल तक क अव ध के लए साधारण या कठोर कारावास है या जुमाना अथवा दोन ।
ावधान का सरा भाग पहले भाग क तुलना म सज़ा नधा रत करने से संबं धत है
आपरा धक धमक के गंभीर प.
घन याम बनाम म य दे श रा य म आरोपी रात म चाकू से लैस होकर घर म घुस आया। उसने नवा सय को जान से मारने क धमक द । इसे ावधान के भाग II के तहत आपरा धक
धमक माना गया था।
उदाहरण य द कोई गुमनाम प से कसी X को प लखता है जसम वह धमक दे ता है क वह X का घर जला दे गा तो यह इस धारा के तहत एक अपराध है।
वचारणीय कोई भी म ज े ट
म से पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
उदाहरण वे संदेश जो व भ सोशल मी डया लेटफाम पर कसी वशेष पाठ को बीस अ य लोग को साझा करने या कसी चीज़ से र रहने के लए अ े षत कए
जाते ह अ यथा कोई दै वीय इकाई पीड़ा प ंचा सकती है या
दै वीय अ स ता का कोई अ य तरीका इस अपराध क ेण ी म आता है।
उदाहरण य द कोई ए बी को धमक दे ता है क य द बी कोई वशेष काय नह करता है तो ए अपने ही ब म से एक को ऐसी प र तय म मार
दे गा जससे माना जाएगा क ह या से बी को कोई व तु मल जाएगी।
दै वी अ स ता का. ऐसे मामले म ए ारा इस धारा के तहत अपराध कया गया है।
शां त भंग करने के इरादे से जानबूझ कर अपमान भारतीय दं ड सं हता क धारा
जानबूझ कर अपमान से संबं धत है। ावधान म कहा गया है क कोई भी जो जानबूझ कर अपमान करता है और प रणाम व प कसी को उकसाता है
यह इरादा रखते ए या जानते ए क यह संभावना है क ऐसा उकसावे उस को सावज नक शां त भंग करने या कसी अ य अपराध म शा मल होने के लए
े रत करेगा तो ऐसा कारावास से दं डत कया जाएगा जसे दो वष तक बढ़ाया जा सकता है या जुमाने के साथ अथवा दोन ।
अपराध का वग करण गैर सं ेय जमानती और अपमा नत ारा समझौता यो य इसके ारा वचारणीय कोई भी म ज े ट फयोना ीखंडे बनाम महारा रा य के मामले म
यह माना गया क जानबूझ कर कया गया अपमान इस
हद तक होना चा हए क इसे कसी को या तो सावज नक शां त भंग करने या कसी अ य अपराध म शा मल होने के लए उकसाना चा हए। के वल गाली दे ने से अपराध के त व संतु नह
होते।
रमेश कु मार बनाम ीमती म । सुशीला ीवा तव राज ान उ यायालय ने माना क जस तरह से आरोपी ने शकायतकता को संबो धत कया
वह थम या ऐसा था क यह दशाता है क का अपमान कया गया था और उसे उकसाया गया था। अपमान श द का अथ है या तो आप जनक अनादर
से वहार करना या
को अपमान दान करना। न कष के वल श द से नह ब क श द से भी नकालना होगा
जस लहज़े और तरीके से उ ह बोला गया था।
अ ाहम बनाम के रल रा य के मामले म के रल उ यायालय ारा यह कया गया था क के वल अ े श ाचार का उ लंघन इस धारा के
दायरे म नह आता है। अपराध का आव यक घटक अपराधी के इरादे का पता लगाना है।
फ लप रंगेल बनाम ए रर म आरोपी एक बक म शेयरधारक था और उसने शेयरधारक के लए एक बैठक क मांग क थी। बैठक म ताव रखा गया क उ ह न का सत कर दया जाये.
इस पर आरोपी ने अपश द कहकर त या क । बॉ बे हाई कोट ने कया क ये श द महज मौ खक वहार से कु छ अ धक होने चा हए। य द यायालय इस न कष पर प ंचता है क भाषा का कोई
मोह मद इ ा हम माराकायार बनाम इ माइल माराकायार म वे लोर म रहने वाले एक पता ने अपनी बेट और उसके प त को एक अपमानजनक
प लखा था। कोट ने कहा क अपमा नत क त या पर वचार करना ज री नह है। जानबूझ कर कया गया अपमान जससे उकसावे क त पैदा होगी
और बाद म शां त का उ लंघन होगा अपराधी को इस धारा के तहत उ रदायी बना दया जाएगा।
म से पृ
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
इसके पहले खंड म ावधान म कहा गया है क कोई भी जो इस इरादे से कोई बयान या अफवाह या रपोट बनाता है का शत या सा रत करता है . सेना म
कसी भी अ धकारी सै नक ना वक या एयरमैन को नुक सान
प ंचाना या जसके कारण होने क संभावना है नौसेना या
भारत क वायु सेना ारा व ोह करना या अ यथा उपे ा करना या अपने कत म असफल होना
. आम जनता या जनता के कसी वशेष वग को भय या भय पैदा करना या जसके कारण होने क संभावना है जससे कसी भी को रा य के
खलाफ या सावज नक शां त के खलाफ अपराध करने के लए राजी कया जा सके
. कसी वग या य के समुदाय को कसी अ य वग या समुदाय के व कसी भी कार का अपराध करने के लए उकसाना या उकसाने क संभावना
है।
उपरो सभी तय म अपराधी को कारावास क सजा द जाएगी
जसे तीन वष क अव ध तक बढ़ाया जा सकता है या जुमाने के साथ अथवा दोन ।
अपराध का वग करण गैर सं ेय गैर जमानती और गैर शमनयो य परी ण यो य कोई भी म ज े ट कालीचरण महापा बनाम
ी नवास सा मामले म उड़ीसा
उ यायालय ने दे ख ा क य प यह ावधान बोलने क वतं ता पर एक न त तबंध है और अ भ कया गया अपराध
इसे बचाव प के प म माना जाना चा हए। यायालय ने माना क जनता के कु छ वग ारा अ धका रय के व क गई शकायत को पच के काशन के मा यम
से द शत करना वैध है।
को इस ावधान के दायरे म नह लाया जा सकता. यह माना गया क ऐसा कृ य इस धारा के तहत अपराध नह बनता है।
के दार नाथ बनाम बहार रा य के मामले म भारतीय दं ड सं हता क धारा और धारा ए क संवैधा नक वैधता पर सवाल उठाया
गया था। शीष अदालत ने अपने फै सले म कहा क आईपीसी क धारा के येक घटक त व का एक संदभ और एक सीधा संबंध है।
रा य क सुर ा और सावज नक व ा पर भाव। इसने घो षत कया क आईपीसी क धारा अभ क वतं ता के अ धकार के योजन के
लए उ चत तबंध क सीमा को पार नह करती है और
अभ ।
ऐसे को कारावास से दं डत कया जाएगा जसे तीन साल तक क अव ध तक बढ़ाया जा सकता है या जुमाना लगाया जा सकता है या दोन व भ धा मक न लीय भाषाई या े ीय समूह या जा तय या
समुदाय के बीच श ुता घृण ा या े ष क भावना पैदा करने या बढ़ावा दे ने के लए या जो पैदा करने और बढ़ावा दे ने क संभावना है।
अपराध का वग करण सं ेय गैर जमानती और गैर शमनयो य वचारणीय कोई भी म ज े ट य द उपरो अपराध कसी पूज ा
ल या कसी सभा म कसी ारा
कया जाता है
धा मक पूज ा या धा मक समारोह के दशन म लगा आ है तो ऐसे को कारावास से दं डत कया जा सकता है जसे पांच साल तक क अव ध तक बढ़ाया जा
सकता है।
जुमाना भरने के लए.
अपराध का वग करण सं ेय गैर जमानती और गैर शमनयो य वचारणीय कोई भी म ज े ट
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
भारतीय दं ड सं हता क धारा के अपवाद म कहा गया है क य द कोई जो कसी बयान अफवाह या रपोट को का शत या सा रत करता है
उसके पास यह मानने के लए कु छ उ चत आधार ह क ऐसा बयान अफवाह या रपोट सच है और उसने इसे का शत या सा रत कया है। स ावना और बना कसी भावना
या इरादे के तो यह इस धारा के तहत अपराध नह है। स ावना श द को भारतीय दं ड सं हता क धारा के तहत प रभा षत कया गया है। इस ावधान के तहत
स ावना के गठन के लए उ चत दे ख भाल और यान क आव यकता होती है।
बलाल अहमद कालू बनाम आं दे श रा य मामले म यह माना गया क श द या अ भ का काशन भारतीय दं ड सं हता क धारा
के तहत अपराध ा पत करने के लए अ नवाय है । यायालय ने आगे कहा कहा गया क जो कोई भी श द बनाता है का शत करता है या सा रत करता है उसक ा या
असंब प से नह क जा सकती। वे एक सरे के पूरक ह।
मंज़ र सईद खान बनाम महारा रा य के मामले म शीष अदालत ने कहा क कसी अ य समूह या समुदाय के संदभ के बना के वल एक समूह या समुदाय
क भावना को भड़काना धारा के दायरे म नह लाया जा सकता है। . इसम इस बात पर भी जोर दया गया क श द के भाव को उ चत मजबूत दमाग वाले और
साहसी पु ष के मानक से आंक ा जाना चा हए। कमजोर और अ र मन के प र े य पर वचार नह कया जा सकता।
श द इशारे या काय से कसी म हला क ग रमा का अपमान करना भारतीय दं ड सं हता क धारा म
श द इशारे या कृ य के मा यम से कसी म हला क वन ता का अपमान करने का अपराध बताया गया है।
ावधान म कहा गया है क कोई भी जो कसी म हला क ग रमा का अपमान करने का इरादा रखता है और लगातार कोई भी श द बोलता है या कोई आवाज़
या इशारा करता है या कसी व तु को इस आशय से द शत करता है क ऐसी व न या श द सुना जाएगा या ऐसी व तु या इशारा ऐसी म हला ारा दे ख ा जाता है या य द
अपराधी ऐसी म हला क गोपनीयता म ह त ेप करता है तो ऐसे को एक अव ध के लए साधारण कारावास से दं डत कया जा सकता है जसे एक वष क अव ध तक
बढ़ाया जा सकता है या हो सकता है। जुमाना लगाया अथवा दोन ।
अपराधी क मंशा पर वचार कया जाना चा हए. भले ही सट क श द को रकॉड पर रखना संभव न हो अगर अदालत इस नतीजे पर प ंचती है क आरोपी का अपे त इरादा
था तो अपराधी को इसके लए दं डत कया जा सकता है।
अपराध का वग करण जस म हला का अपमान कया गया हो या जसक नजता म दखल दया गया हो यायालय क अनुम त से जमानतीय सं ेय और समझौता यो य।
पंज ाब रा य बनाम मेज र सह के मामले म अपराधी अ ाकृ तक वासना के काय म ल त था। उसने हाइमन को तोड़ दया और साढ़े सात महीने क ब ी
क यो न के अंदर ¾ का चीरा लगा दया। इस मामले म सु ीम कोट ने माना क कसी म हला क ग रमा को ठे स प ंचाने का कृ य पी ड़ता क उ तक सी मत नह है। यह इस
बात पर भी नभर नह था क पी ड़ता अपने साथ हो रहे कृ य के बारे म जानती थी या सचेत थी। उ ह ने माना क आरोपी ने एक म हला क ग रमा को ठे स प ंचाने का अपराध
कया है। यायमू त बचावत ने कहा क एक म हला क वन ता का सार उसका लग है जो कम उ क म हला म भी होता है। मु े क जड़ यह है
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अपराध उप कानून सेमे टर मुंबई व व ालय नया पा म
भरी सभा के सामने उसके साथ अभ ता क । सव यायालय ने माना क यह सु न त करने के लए अं तम परी ण यह है क या शील भंग कया गया है या अपराधी के काय को ऐसे माना जा सकता
है जो एक म हला क शालीनता क भावना को झकझोरने म स म ह। कोट ने आरोपी को अपराध का दोषी करार दया।
ावधान म कहा गया है क कोई भी जो नशे क हालत म है वह कसी सावज नक ान पर या कसी ऐसे ान पर दखाई दे ता है जहां अगर वह वेश
करता है तो यह अ तचार है और वहां य द वह ऐसा आचरण करता है जससे कसी भी को परेशानी हो सकती है तो ऐसा को साधारण कारावास से दं डत कया
जा सकता है जसे चौबीस घंटे तक बढ़ाया जा सकता है या उस पर जुमाना लगाया जा सकता है जो दस पये तक बढ़ाया जा सकता है अथवा दोन ।
अपराध का वग करण गैर सं ेय जमानती और गैर शमनयो य वचारणीय कोई भी म ज े ट यह ावधान नशे म धु के कृ य को कवर करता है जो
अ य लोग को परेशान करता है। यह यान रखना
आव यक है क यह ावधान नशे म धु को नयं त करता है जो परेशानी का कारण बनता है। के वल नशा करना इस ावधान के अंतगत नह आता है। इस अपराध क कृ त यह हो
सकती है क अपराधी सावज नक प से परेशानी पैदा कर रहा है या वे एक न त ान छोड़ने से इनकार कर रहे ह जहां उ ह मा लक क अनुम त के बना वेश करने का अ धकार नह है। यह भी यान
रखना मह वपूण है क इस अपराध के लए कसी आपरा धक मनः त क आव यकता नह है।
इसके अलावा इस धारा का समसाम यक प र े य से व ेषण करने पर यह दे ख ा जा सकता है क सजा का कोई मह व नह है। घंटे क कै द पया त नह है.
यहां तक क अपरा धय पर लगाए गए जुमाने क रा श भी नग य है। आपरा धक कानून म सुधार लाकर यथा त को फर से ा पत करना आव यक है जो इन मु का
समाधान करता है।
समा त
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