Bayan Ul Quran Taarufe Quran Mobile

You might also like

Download as pdf or txt
Download as pdf or txt
You are on page 1of 219

[1] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.

com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

बयानुल
क़ु रान
हिस्सा अव्वल
तर्ुुमा व मुख़्तसर तफ़सीर
तआरुफ़े क़ु रान
अज़
डॉक्टर इसरार अिमद
[2] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

ْ َّ ٰ ْ َّ ِ ‫ه‬ ْ
‫حي‬ِ ‫ن الر‬
ِ ‫م ّٰللا الر‬
‫ْح‬ ِ ‫ِبس‬
ِ

अज़े मुरत्तब
क़ु रान िकीम नौए इन्सानी के हलये अल्लाि तआला का
आखरी और तकमीली (complete) पैगाम-ए-हिदायत िै,
हर्से नबी आहखरुज्ज़मान मुिम्मद रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬की
दावत व तब्लीग में मरकज़ (center) व मिवर (axis) की
िैहसयत िाहसल थी। आप ‫ ﷺ‬ने इस क़ु रान की बुहनयाद
पर ना हसर्ु दुहनया को एक हनज़ामे अद्ल इज्तमाई अता
फ़रमाया बहल्क इस आददलाना हनज़ाम पर मब्नी एक सालेि
मआशरा भी हबलर्अल क़ायम करके ददखाया। आप ‫ﷺ‬
ने इस क़ु रान की रिनुमाई में इन्क़लाब के तमाम मराहिल
तय करते हुए नौए इन्सानी का अज़ीम तरीन इन्क़लाब
बरपा र्रमा ददया। चुनााँचे यि क़ु रान मिज़ एक दकताब
निीं “दकताबे इन्क़लाब” िै, और इस शऊर के बगैर क़ु रान
मर्ीद की बहुत सी अिम िक़ीक़तें क़ु रान के क़ारी पर
मुन्कहशर् (ज़ाहिर) निीं िो सकतीं।
अल्लाि तआला र्ज़ा-ए-खैर अता फ़रमाये सदर
मौहसस मरकज़ी अंर्ुमन खुद्दामुल क़ु रान लािौर और बानी-
ए-तंज़ीमे इस्लामी मोितरम डॉक्टर इसरार अिमद
िर्ीज़ुल्लाि को हर्न्िोंने इस दौर में क़ु रान िकीम की इस
िैहसयत को बड़े वसीअ पैमाने पर आम दकया िै दक यि
दकताब अपनी दीगर (अन्य) इहम्तयाज़ी िैहसयतों के साथ-
साथ मौिम्मद रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬का आला-ए-इन्क़लाब
और आप ‫ ﷺ‬के बरपा करदा इन्क़लाब के मुख्तहलर्
[3] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

मराहिल के हलये ब-मंहज़ला-ए-मैन्युअल (manual) भी िै,


हलिाज़ा इसका मुताअला (study) आाँहुज़ूर ‫ ﷺ‬की
दावत व तिरीक और इन्क़लाबी र्द्दो-र्िद के तनाज़ुर
(दृहिकोण) में दकया र्ाना चाहिये और इसके क़ारी को खुद
भी “मन्िर्-ए-इन्क़लाबे नबवी ‫ ”ﷺ‬पर मब्नी इन्क़लाबी
र्द्दो-र्िद में शरीक िोना चाहिये। ब-सूरते दीगर (अन्यथा)
वि क़ु रान िकीम के मआरफ़ (तालीम) के बहुत बड़े खज़ाने
तक रसाई (पहुाँच) से मिरूम रिेगा।
मोितरम डॉक्टर सािब ने अपने दौरा-ए-तर्ुुमा-ए-
क़ु रान (बयानुल क़ु रान) में भी क़ु रान करीम की इस
इहम्तयाज़ी िैहसयत को पेशे नज़र रखा िै, हर्से दावत रुर्ू
इलल क़ु रान के इन्तिाई अिम संगे मील की िैहसयत िाहसल
िै। इस बात की ज़रूरत हशद्दत से मिसूस िो रिी थी दक
इस शिरा-ए-आर्ाक़ “बयानुल क़ु रान” को मुरत्तब करके
दकताबी सूरत में पेश दकया र्ाये। चुनााँचे रादक़मुल हुरूफ़ ने
अल्लाि तआला की ताईद व तौफ़ीक़ तलब करते हुए कु छ
अरसा क़ब्ल इस काम का बीड़ा उठाया और पिले “तआरुर्े
क़ु रान” और दर्र रफ्ता-रफ्ता सूरतुल फ़ाहतिा और सूरतुल
बक़रि की तरतीब व तस्वीद (आलेखन) मुकम्मल की। अब
तक मुकम्मल िोने वाला काम दकताबी सूरत में “बयानुल
क़ु रान” (हिस्सा अव्वल) के तौर पर पेश दकया र्ा रिा िै।
क़ारईन दकराम (पाठकों) से इस्तदआ (हनवेदन) िै दक वि
अल्लाि तआला के हुज़ूर इस आहर्ज़ के हलये उस हिम्मत व
इस्तक़ामत (दृढ़ता) की दुआ करें र्ो इस अज़ीम काम की
तकमील के हलये दरकार िै।
[4] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

िादर्ज़ खाहलद मिमूद हखज़र


मुदीर शौबा मतबूआत, क़ु रान अके डमी लािौर
नवम्बर, 2008
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद) [5] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com

ْ َّ ٰ ْ َّ ِ ‫ه‬ ْ
‫حي‬ِ ‫ن الر‬
ِ ‫م ّٰللا الر‬
‫ْح‬ ِ ‫ِبس‬
ِ

तक़दीम
इसरार अिमद
इन सतूर के नाचीज़ रादक़म को क़ु रान मर्ीद का
मुफ़हस्सर तो बहुत दूर की बात िै, मरव्वर्ा मफ़हूम के
ऐतबार से “आहलमे दीन” िोने का भी िरहगज़ कोई दावा
ّ ً
निीं िै, तािम (िालााँदक), खाहलसतन “‫( ”حتدیثا لِلنعمۃ‬बा-
ْ ّ َ َ ّ ْ ََ
िवाला “‫ )” َوا ّما ِب ِنع َم ِۃ َر ِبك َف َ ِدث‬अल्लाि तआला की उन
नेअमतों के ऐतराफ़ व इज़िार में कोई कबाित मिसूस निीं
िोती दक उसने अपने ख़ास र्ज़ल व करम से ऐसे िालात
पैदा कर ददये दक अवाइल (early) उमर िी में क़ु राने िकीम
के साथ एक ददली उन्स (घहनष्ठ पररचय) और ज़ेिनी
मुनास्बत (सम्बन्ध) क़ायम िोती चली गयी। चुनााँचे
अव्वलन हबल्कु ल िी नौउम्री में (िाई स्कू ल के इब्तदाई
सालों के दौरान) अल्लामा इक़बाल की शायरी के ज़ररये
क़ु रान की अज़मत, हमल्लते इस्लामी की हनशाते साहनया
की उम्मीद और इसके हज़मन में क़ु रान की अिहमयत का
एक गिरा नक़्श क़ल्ब पर क़ायम र्रमा ददया, दर्र एक
खानदानी ररवायत के मुताहबक़ िाई स्कू ल की तालीम के
दौरान अरबी को एक इज़ाफ़ी मज़मून की िैहसयत से
इहख़्तयार करने की सूरत पैदा र्रमा दी हर्ससे अरबी
ग्रामर की असासात (आधार) का इल्म िाहसल िो गया। और
दर्र मेरिक के इहम्तिान के बाद र्राग़त के ददनों में, र्बदक
[6] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

1947 ईस्वी के मुहस्लम कश र्सादात के नतीर्े में िम


लगभग एक माि क़स्बा हिसार (र्ो अब भारत की ररयासत
िरयाणा में िै) में हिन्दुओं के िमलों से ददफ़ाअ (बचाव) के
हलये चंद मुिल्लों पर मुश्तहमल एक ददर्ाई ब्लाक में
“मिसूर” थे, क़ु रान िकीम से पिले मानवी तआरुु फ़ की यि
सूरत पैदा र्रमा दी दक मुझे और मेरे बड़े भाई इज़िार
अिमद सािब मरहूम को एक महस्र्द में बैठ कर मौलाना
सय्यद अबुल आला मौदूदी मरहूम की मािनामा “तर्ुुमानुल
क़ु रान” में शाया िोने वाली तफ़सीर सूरि युसुर् के इज्तमाई
के मुताअले और उस पर बािमी मुज़ाकरे का मौक़ा हमला,
हर्ससे अंदाज़ा हुआ दक क़ु रान फ़साित व बलाग़त की
मेरार् और सरचश्मा-ए-हिदायत िी निीं, बहल्क हमम्बा-
ए-इल्म व हिकमत भी िै, और वादक़अतन इस लायक़ िै दक
बेितरीन ज़िनी व दर्क्री सलाहियतों को इसके इल्म व
फ़िम के हुसूल में इस तौर से सफ़ु (खचु) दकया र्ाये दक
अव्वलन इसके अमूमी (सामान्य) पैगाम को सिी तौर पर
समझें र्ो दक इल्म व हिकमत के बिर-ए-ज़खार की सति
पर हबल्कु ल उसी तरि तैर रिा िै र्ैसे दकसी तेल बरदार
(वािक) र्िाज़ में हशकस्त व रेख्त (हवनाश) के बाइस
(कारण) उससे हनकाल कर बिने वाला तेल सति समुन्दर
पर तैर रिा िोता िै, और दर्र इसकी गिराइयों में
गोताज़नी करके इसकी ति से इसके फ़लसफ़ा व हिकमत के
असल मोहतयों को तलाश करें!
अल्िम्दुहलल्लाि, सुम्मा अल्िम्दुहलल्लाि, दक यि इन
िी अमूरे सलासा के नतीर्े का ज़हूर था दक र्ब तक़सीमे
हिन्द के वक़्त एक सौ सत्तर मील का सफ़र (हिसार से िैड
[7] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

सुलेमानकी तक) पैदल कादफ़ले के साथ आग और खून के


दररया उबूर (पार) करके पादकस्तान पहुाँचना नसीब हुआ
तो फ़ौरन तिरीके र्माते इस्लामी के साथ अमली
वाबस्तगी (practical commitment) िो गयी। (र्ो
अव्वलन इस्लामी र्मीयते तलबा में शमूहलयत [सि-
भाहगता] की सूरत में थी, और उसके बाद र्माते इस्लामी
की रुदियत की शक्ल में!) और इस पूरे दस साला अरसे के
दौरान र्मीयत और र्माअत के इज्तमाआत में “दरसे
क़ु रान” की हज़म्मेदारी अमूमन मुझ पर आयद (लागू) िोती
रिी। हर्से हबलउमूम बहुत इस्तेिसान की नज़रों से देखा
र्ाता था। अगरचे मैं अच्छी तरि समझता था दक सामईन
(श्रोताओं) की र्ाहनब से यि तिसीन व तारीफ़ इक़बाल के
इस शेर के ऐन मुताहबक़ िै दक:
ख़ुश आ गयी िै र्िााँ को क़लंदरी मेरी,
वरना शेर मेरा क्या िै! शायरी क्या िै!!
मज़ीद बरााँ (इसके अलावा) मैं िरहगज़ इसका दावा भी
निीं करता दक मेरे इस तअल्लुम व तदब्बुर क़ु रान के ज़ोक़
व शौक़ में रोज़ अर्ज़ो (तेज़ी से) इज़ार्े में इस खारर्ी
पसंदीदगी की हबना पर पैदा िोने वाली “हिम्मत अर्ज़ाई”
को हसरे से कोई दखल िाहसल निीं था, लेदकन वाक़्या यि
िै दक मैं अपने दरूस (course) के हलये तैयारी के हज़मन
में र्ो मुताअला करता और मुख्तहलफ़ अरबी और उदूु
तर्ासीर से रुर्ू करता और दर्र अपने ज़ाती गौरो दफ़क्र से
भी काम लेता तो उसके नतीर्े में मुझ पर क़ु रान की अज़मत
मुन्कहशर् (स्पि) िोती चली गयी। और इस क़ौल को
िरहगज़ दकसी मुबालगे पर मब्नी ना समझा र्ाये दक क़ु रान
[8] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

ने मुझे अपना “असीर” (possess) कर हलया। चुनााँचे यि


इसी असीरी का मज़िर िै दक मैंने 1952 ईस्वी िी में (बीस
साल की उम्र में) मेहडकल एर्ुकेशन के ऐन वस्त (बीच) में
ये शऊरी र्ै सला कर हलया था दक अब यि हतब्ब (मेहडकल)
की तालीम भी और तबाबत (प्रैहक्टस) का पेशा भी, सब
मेरी तरर्ीिात में नम्बर दो पर रिेंगे, अव्वलीन तरर्ीि
हख़दमते क़ु रान िकीम और हख़दमते दीने मतीन को िाहसल
रिेगी! और दर्र 1971 ईस्वी में क़मरी हिसाब से चालीस
साल की उम्र में र्ब यि मिसूस हुआ दक अल्लाि तआला ने
َّ َ
अपने ख़ुसूसी फ़ज़ल व करम से मुझ पर अपनी शाने “ ‫عل َم‬
ٰ ُْ َ
َ ‫ ” َع ّل َم ُه ْال َب َي‬का भी दकसी दर्े में
‫ ”الق ْرا َن‬के साथ-साथ “‫ان‬
र्ै ज़ान र्रमा ददया िै तो अपने पेशा-ए-तबाबत को हबल्कु ल
खैरबाद कि कर अपने आप को िमातन (िर िाल) और
िमावक़्त (िर वक़्त) क़ु राने मुबीन और दीने मतीन की
हख़दमत के हलये वक़्फ़ कर ददया।
मुझ पर अल्लाि तआला का एक ख़ास फ़ज़ल व करम
इस ऐतबार से भी हुआ दक उसने मुझे दकसी एक लकीर का
फ़क़ीर िोने से बचा हलया। चुनााँचे क़ु रान के इल्म व फ़िम
के हज़मन में मेरे इस्तफ़ादे का िल्क़ा (दायरा) बहुत वसीअ
भी िै। और बाज़ ऐतबारात से तज़ाद (हवरोध) का िाहमल
(धारक) भी! मैंने अपनी एक तालीफ़ “दावत रुर्ूअ इलल
क़ु रान का मंज़र व पसमंज़र” में इसकी पूरी तर्सील दर्ु
कर दी िै दक मेरे इल्म व फ़िमे क़ु रान के “िौज़” में तफ़सीर
क़ु रान के चार हसलहसलों की निरों से पानी आता रिा, हर्न
पर पााँचवा इज़ार्ा मेरी तालीम में शाहमल उलूमे तबीइया
(प्राकृ हतक हवज्ञान) के मबादयात (आधार) का इल्म था।
[9] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

दर्र अल्लाि ने मुझे र्ो मन्तक़ी ज़िन अता फ़रमाया था


उसके ज़ररये इन पााँच हसलहसलों से िाहसलशुदा मालूमात
में “र्मीअ व तवादफ़क़” (synthesis) क़ायम दकया।
हर्सकी हबना पर बिम्दुहलल्लाि मेरे “बयानुल क़ु रान” को
एक र्ाहमयत िाहसल िो गयी। और ग़ाहलबन यिी इसकी
मक़बूहलयत का असल राज़ िै।(1) वल्लाहु आलम!
एक मुस्तनद “आहलमे दीन” ना िोने के बावर्ूद हर्स
चीज़ ने मुझे दसु व तदरीसे क़ु रान की र्ुराुत (बहल्क ठे ठ
मज़िबी िल्क़ों [दायरों] के नज़दीक “र्सारत”) की हिम्मत
अता फ़रमायी, वि नबी अकरम ‫ ﷺ‬का यि क़ौले
ًَ َ َّ
ْ ِ ‫ )) َب ِلغ ْوا ع‬याहन “पहुाँचा दो मेरी ُّ
मुबारक िै दक: ((‫ّن َول ْو آیۃ‬
र्ाहनब से ख्वाि एक िी आयत!” (सिी बुखारी, और उसके
अलावा हतरहमज़ी, और अिमद दारमी रिमतुल्लाि
अलै०)। चुनााँचे मेरे नज़दीक हर्न उलूमे दीनी की तिसील
को उल्माये दकराम लाज़मी क़रार देते िैं वि दकसी के
“मुफ़्ती” बनने के हलये तो लामिाला लाज़मी िैं, लेदकन
क़ु रान के दाई और मुबहल्लग़ बनने के हलये िरहगज़ ज़रूरी
निीं िैं। इसहलये दक क़ु रान का पैगाम अगरचे ता क़यामे
क़यामत पूरी नौए इं सानी के हलये था, तािम (िालााँदक)
इसके अव्वलीन मुख़ाहतब तो “उम्मी” थे। चुनााँचे क़ु रान के
असल पैगाम को अल्लाि तआला ने हनिायत “यसीर” सूरत
में, र्ैसे दक पिले अज़ु दकया गया, एक अथाि समुन्दर की
सति पर तैरने वाले तेल के माहनन्द पेश दकया (यिी वर्ि
िै दक सूरतुल क़मर में चार बार फ़रमाया गया):
[10] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

“िमने नसीित व हिदायत के ْ


َ ‫ال ُق ْر ٰا‬ َ ْ َّ َ ْ َ َ َ
हलये क़ु रान को बहुत आसान ‫ن‬ ‫َّسَن‬ ‫ولقد ي‬
बना ददया िै, तो िै कोई र्ो َّ ُّ ْ َْ َ ْ
‫ِلذك ِر فهل ِِم مدكِر‬ ِ ‫ل‬
इससे तज़क्कु र िाहसल करे !”
दक़स्सा मुख़्तसर--- लािौर में 1965 ईस्वी से मेरे
बाज़ाब्ता िल्क़ा मुताअला-ए-क़ु रान (organised
centers to understand Quran) क़ायम हुए तो उसके
नतीर्े में पिले 1972 ई० में मरकज़ी अंर्ुमन खुद्दामुल
क़ु रान लािौर क़ायम हुई, हर्सकी कोख़ से ज़ेली अंर्ुमनों
का एक हसलहसला बरामद हुआ (कराची, मुल्तान,
र्ै सलाबाद, झंग, कोएटा, इस्लामाबाद, पेशावर) दर्र
1976 ई० में लािौर में क़ु रान अके डमी क़ायम हुई, और
उसकी “बेरटयों” के तौर पर कराची, मुल्तान, र्ै सलाबाद
और झंग में भी अके डहमयााँ वर्ूद में आयीं। साथ िी
पादकस्तान के तूल व अज़ु में बड़े-बड़े शिरों में मेरे दसे क़ु रान
की मिदफ़लें मुनअहक्क़द (आयोहर्त) िोने लगीं। दर्र
क़ु रानी तरहबयत गािों (र्ो एक िफ़्ते से लेकर एक मिीने
तक के अरसे पर मुिीत िोती थीं) का हसलहसला शुरू हुआ।
इधर लािौर में सालाना क़ु रान कॉन्रें सों का हसलहसला
र्ारी हुआ और दर्र र्ब पादकस्तान टेहलहवज़न पर यि दसे
क़ु रान शुरू हुआ तो अव्वलन अल् दकताब दर्र अहलफ़ लाम
मीम दर्र नबी काहमल (‫ )ﷺ‬और हबल आहख़र “अल्
हुदा” का िफ़्तावार प्रोग्राम र्ो पूरे पन्रि मिीने इस शान
से र्री रिा दक िफ़्ते के एक िी ददन, एक िी वक़्त पर,
पादकस्तान के तमाम टी०वी० स्टेशनों से नशर (प्रसाररत)
िोता था। तो उस ज़माने में र्ो मक़बूहलयत िाहसल हुई
[11] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

उसकी हबना पर मुझे अपने बारे में वि शदीद अन्देशा लािक़


िो गया था हर्सका हज़क्र एक िदीस में आया िै दक आाँहुज़ूर
‫ ﷺ‬ने इरशाद फ़रमाया: “दकसी शख्स की तबािी के हलये
यि बात कार्ी िै दक उसकी र्ाहनब उाँ गहलयााँ उठनी शुरू
िो र्ायें!” इस पर दरयाफ्त दकया गया दक: “अगर यि दकसी
चीज़ की बुहनयाद पर िो तो क्या तब भी?” तो आप ‫ﷺ‬
ने फ़रमाया: “िााँ तब भी, इसहलये दक इससे इन्सान के
लग़हज़श में मुब्तला िोने (याहन उसमें उर्ुब [बदलाव] और
तकब्बुर र्ैसी िलाकत ख़ेज़ बीमाररयों के पैदा िो र्ाने) का
अन्देशा पैदा िो र्ाता िै। इल्ला (हसवाय) यि दक अल्लाि
की रिमत शाहमल िाल िो!” (इस िदीस को मुिदद्दस ज़िबी
रहि० ने िज़रत इमरान हबन हुसैन (रहज़०) से ररवायत
दकया िै, अगरचे इसकी ररवायत में दकसी क़दर ज़ौफ़ मौर्ूद
िै।) इसहलये दक उस ज़माने में दर्ल वाक़े अ कै दफ़यत यि िो
गई थी दक मैं हर्धर र्ाता था लोग एक-दूसरे को इशारों के
ज़ररये मेरी तरफ़ मुतवज्जा करते थे। यि भी उस ज़माने की
बात िै दक मुझसे मुतअदद्दद (कईं) लोगों ने तर्सीरे क़ु रान
हलखने की फ़रमाइश की, और एक पहब्लशर ने तो बहुत
इसरार दकया दक आप एक तर्ुुमा-ए-क़ु रान िी हलख दें।
लेदकन मैंने िमेशा और सबसे यिी किा दक मेरा मक़ाम निीं
िै! इस दावते क़ु रानी में अगरचे मेरा ज़्यादा ज़ोर क़ु रान के
चीदा-चीदा (ख़ास-ख़ास) मक़ामात पर मुश्तहमल
“मुताअला-ए-क़ु रान िकीम के एक मुन्तखब हनसाब” के दसु
पर रिा, लेदकन बिम्दुहलल्लाि दो बार पूरे क़ु रान मर्ीद
का दसु देने की सआदत (सौभाग्य) भी िाहसल हुई, अगरचे
वि सारा टेप ररकॉडुशुदा मौर्ूद निीं िै!
[12] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

इस दावते क़ु रानी का नुक़्ता-ए-उरूर् यि था दक 1948


ई० (1404 हिर्री) में नमाज़े तरावीि के साथ दौरा-ए-
तर्ुुमा-ए-क़ु रान का आग़ाज़ हुआ। चुनााँचे िर चार रकअत
तरावीि से क़ब्ल उन रकाअतों में पढ़ी र्ाने वाली आयात
का तर्ुुमा और मुख़्तसर तशरीि बयान िोती थी, दर्र
नमाज़ में उनकी समाअत िोती थी, हर्सके नतीर्े में, बाज़
लोगों में कम और बाज़ में ज़्यादा, वि कै दफ़यत पैदा िो
र्ाती थी हर्से इक़बाल ने अपने इस शेर में बयान दकया िै
दक:
तेरे ज़मीर पर र्ब तक ना िो नुज़ूले दकताब
हगरि कु शा िै ना राज़ी ना साहिबे कशाफ़!
इस अमल के नतीर्े में नमाज़े इशा और नमाज़े तरावीि की
तकमील में लगभग छ: घंटे सफ़ु (खचु) िोते थे। और
बिम्दुहलल्लाि सामईन का र्ोशो ख़रोश और ज़ोक़ो शौक़
दीदनी िोता था। और सुम्मा अल्िम्दुहलल्लाि दक अब यि
हसलहसला पादकस्तान के बहुत से मक़ामात पर मेरी सल्बी
और माअनवी औलाद के ज़ररये र्ारी िै!
इस हसलहसले में दौरा-ए-तर्ुुमा-ए-क़ु रान का र्ो
प्रोग्राम 1998 ई० में कराची की क़ु रान अके डमी की र्ामा
महस्र्द में हुआ, उसकी ऑहडयो-वीहडयो ररकॉर्डिंग आला
मैयार पर की गयी थी। चुनााँचे यि बिम्दुहलल्लाि ऑहडयो-
वीहडयो कै हसटों और C.Ds और D.V.Ds और टी०वी०
चैनल्स के ज़ररये पूरी दुहनया में हनिायत वसीअ पैमाने पर
फ़ै ल चुका िै। और अब इसे दकताबी शक्ल में भी शाया
(प्रकाहशत) करने का हसलहसला शुरू िो रिा िै, हर्सकी
पिली हर्ल्द आपकी हख़दमत में िाहज़र िै! इसकी तबाअत
[13] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

व अशाअत (printing & publishing) के हसलहसले में


अंर्ुमन खुद्दामुल क़ु रान सूबा सरिद के सदर र्नाब डॉक्टर
इक़बाल साफ़ी ने ताकीद (focus) का र्ो दबाव मरकज़ी
अंर्ुमन पर बरक़रार रखा और माली तआवुन (सियोग) भी
पेश दकया, उसकी हबना पर इससे इस्तर्ादि (फ़ायदा)
करने वाले िर शख्स पर उनका यि िक़ िै दक उनके हलये
दुआये खैर ज़रूर करे।
आखरी बात यि दक इस “बयानुल क़ु रान” के हज़मन में
अगर असिाबे इल्म मेरी गलहतयों की हनशानदेिी करें तो
मैं ममनून (आभारी) हूाँगा। और आइन्दा तबाअत (प्प्रंटटंग)
में तसिीि (सुधार) भी कर दी र्ायेगी। इस बात को
दोिराने की चंदआाँ ज़रूरत निीं िै दक मैं ना मुफ़हस्सर िोने
का मुद्दई हूाँ ना आहलम िोने का, बहल्क हसफ़ु अल्लाि के
कलामे पाक और उसके दीने मतीन का अदना ख़ाददम हूाँ।
और मेरी सब िज़रात से इस्तदआ (हनवेदन) िै दक मेरे िक़
में दुआ करें दक अल्लाि मेरी मसाई (कोहशशों) को शर्े
क़ु बूल अता र्रमाये और हनर्ाते उखरवी का ज़ररया बना
दे। आमीन! या रब्बल आलमीन!
(नोट: इस पूरी बिस में मैंने अक़ामते दीन की
अमली र्द्दो-र्िद के हलये तंज़ीमे इस्लामी के
दक़याम का हज़क्र निीं दकया। इसहलये दक यि एक
मुस्तदक़ल और र्ुदागाना बाब िै, और इस मुख़्तसर
‘तक़दीम’ में ना उसकी गुंर्ाइश िै ना ज़रूरत।
तािम उसके हलये मेरी तालीर्ात “तिरीक र्माते
इस्लामी: एक तिक़ीक़ी मुताअला” और
[14] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

“हसलहसला-ए-अशाअत तंज़ीमे इस्लामी” अज़


अव्वल ता दिम का मुताअला मुफ़ीद िोगा।)
दुआ का ताहलब
ख़ाकसार इसरार अिमद अफ़ी अन्हु
26 नवम्बर, 2008
[15] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

तक़दीम तबीअ साहलस

“बयानुल क़ु रान” (हिस्सा अव्वल) के पिले दो एहडशन


चंद िी माि में (याहन देखते िी देखते!) ख़त्म िो गये। और
यि बात मेरे हलये बहुत िैरतअंगेज़ िै। इसहलये दक मैं
अव्वलन तो मुफ़हस्सरे क़ु रान िी निीं हूाँ, साहनयन मेरा
दकसी मारूफ़ मज़िबी दफ़रक़े या मस्लक से कोई तंज़ीमी
ताल्लुक़ भी निीं िै। इन अमूर (हववादों) के अलल-रग्म
(बावर्ूद) इसकी इस क़दर पज़ीराई (अहभवादन) यक़ीनन
अल्लाि तआला की दकसी ख़ुसूसी मशीयत (मज़ी) की
मज़िर (घोषणा) िै। वल्लाहु आलम!!
क़ु रान िकीम की इस तर्ुुमानी में अगर कोई खैर वर्ूद
में आया िै तो वि सरासर अल्लाि तआला के फ़ज़ल व करम
से िै। और खाहलसतन उसकी अता व मरिम्मत (अनुदान)
का नतीर्ा िै। और अगर दकसी मक़ाम पर कोई गलती िो
गई िै तो वि सरासर मेरे इल्म या फ़िम का क़सूर िै, हर्सके
हलये अल्लाि तआला से भी अफ्व व दरगुज़र का तलबगार
हूाँ। और अिले इल्म िज़रात से भी तवक्क़ो रखता हूाँ दक इस
ُ ‫ ”الد‬के ُ َّ ْ ّ
पर खाहलसतन र्रमाने नबवी ‫ص ْي َحۃ“ ﷺ‬ ِ ‫ْی الن‬ ِ
मुताहबक़ मुतनब्बा (रटप्पणी) र्रमा कर सवाब िाहसल
करेंगे! और ज़ाती तौर पर मैं भी ममनूअ हूाँगा!!
इस हर्ल्द में अभी हसर्ु सूरतुल फ़ाहतिा और सूरतुल
बक़रि की तर्ुुमानी हुई िै, गोया दक अभी पिाड़ र्ैसा भारी
काम बाक़ी िै। तािम अल्लाि तआला के फ़ज़ल व करम से
तवक्क़ो िै दक र्ैसे उसने, मेरे दकसी इरादे या मंसूबाबंदी के
[16] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

बगैर और मेरी खाहलस ला-इल्मी में पेशे नज़र हर्ल्द शाया


करा दी, वैसे िी बाक़ी भी शाया करा देगा, ख्वाि ख़ुद मेरी
इस दुहनया से दारे आहख़रत की र्ाहनब रवानगी के बाद िी
सिी। आहख़र में दुआ िै:
ّ َّ َ َ ُ ّ ‫الم‬
ْ ‫تقب‬ ُ ‫خیر‬
ُ ّ ّ ّ ‫ھم‬ ّ ّٰ
ّ ‫الل‬
‫یفانک‬ ‫لینوتبعل‬ ‫ک‬ ‫فان‬ ‫ی‬ ‫من‬ ‫ل‬ ‫تقب‬
!!‫العلمین‬ ّ ‫الرحیم!آمین! ِّیا‬
ّٰ ‫رب‬ ّ ‫اب‬ ّ
ُ ‫التو‬ ‫انت‬

ख़ाकसार इसरार अिमद अफ़ी अन्हु


08 अगस्त, 2009
❀❀❀
[17] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

बाब अव्वल

क़ु रान के बारे में िमारा अक़ीदा


तआरुफ़े क़ु रान मर्ीद के हसलहसले में सबसे पिली बात
यि िै दक क़ु रान िकीम के बारे में िमारा ईमान, या
इस्तलािे आम में िमारा अक़ीदा क्या िै?
क़ु रान िकीम के मुताहल्लक़ अपना अक़ीदा िम तीन
सादा र्ुमलों में बयान कर सकते िैं:
1) क़ु रान अल्लाि का कलाम िै।
2) यि मुिम्मद रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬पर नाहज़ल हुआ
िै।
3) यि िर ऐतबार से मिफ़ू र् िै, और कु ल का कु ल मन
व अन मौर्ूद िै, और इसकी हिफ़ार्त का हज़म्मा ख़ुद
अल्लाि तआला ने हलया िै।
यि तीन र्ुमले िमारे अक़ाइद की फ़े िररस्त के ऐतबार
से, क़ु रान िकीम के बारे में िमारे अक़ीदे पर दकफ़ायत
करेंगे। लेदकन इन्िीं तीन र्ुमलों के बारे में अगर ज़रा
तफ़्सील से गुफ़्तगू की र्ाये और ददक़्क़ते नज़र से इन पर
ग़ौर दकया र्ाये तो कु छ इल्मी िक़ाइक सामने आते िैं।
तम्िीदी ग़ुफ़्तगू में इनमें से बाज़ की तरफ़ इज्मालन इशारा
मुनाहसब मालूम िोता िै।

(1) क़ु रान : अल्लाि तआला का कलाम


[18] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

सबसे पिली बात दक क़ु रान मर्ीद अल्लाि का कलाम


िै, ख़ुद क़ु रान मर्ीद से साहबत िै। चुनााँचे सूरतुल तौबा की
आयत 6 में अल्लाि तआला ने नबी अकरम ‫ ﷺ‬से
फ़रमाया:
“और अगर मुशररकीन में से कोई ُ ْ ‫ِم‬
َ ِ ٌ َ َ ْ َ
शख़्स पनाि मााँग कर तुम्िारे
‫ال‬ ‫واِن احد‬
पास आना चािे (तादक अल्लाि
का कलाम सुने) तो उसे पनाि दे
दो यिााँ तक दक वि अल्लाि का
कलाम सुन ले, दर्र उसे उसकी
अमन की र्गि तक पहुाँचा दो।”
र्ब सूरतुल तौबा की पिली छ: आयात नाहज़ल हुईं, हर्नमें
से मुशररकीने अरब को आहख़री अल्टीमेटम दे ददया गया
दक अगर तुम ईमान न लाये तो चार माि की मुद्दत के ख़ात्मे
के बाद तुम्िारा क़त्लेआम शुरू िो र्ायेगा, तो इस हज़मन
में नबी अकरम ‫ ﷺ‬को एक हिदायत यि भी दी गई दक
यि अल्टीमेटम ददये र्ाने के बाद अगर मुहश्रकीन में से कोई
आप ‫ ﷺ‬की पनाि तलब करे तो वि आप ‫ ﷺ‬के पास
आकर मुक़ीम िो और कलाम अल्लाि को सुने, हर्स पर
ईमान लाने की दावत दी र्ा रिी िै, दर्र उसे उसकी अमन
की र्गि तक पहुाँचा ददया र्ाये। याहन ऐसा निीं िोना
चाहिए दक विीं उससे मुतालबा दकया र्ाये दक फ़ै सला करो
दक आया तुम ईमान लाते िो या निीं। इस वक़्त मैंने इस
आयत का िवाला हसफ़ु “कलाम अल्लाि” के अल्फ़ाज़ के
हलये शिादत के तौर पर ददया िै।
[19] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

कलाम इलािी : र्ुमला हसफ़ाते इलाहिया का मज़िर


क़ु रान मर्ीद के कलाम अल्लाि िोने में िी इसकी असल
अज़मत का राज़ मज़्मर िै। इसहलये दक कलाम मुतकहल्लम
की हसफ़त िोता िै और उसमें मुतकहल्लम की पूरी शहख़्सयत
िवीदा िोती िै। चुनााँचे आप दकसी भी शख़्स का कलाम सुन
कर अंदाज़ा कर सकते िैं दक उसके इल्म और फ़िम व शऊर
की सति क्या िै। आ या वि तालीम याफ़्ता इं सान िै,
मिज़ब िै, मुतमदन िै या कोई उर्ड्ड गाँवार िै। इस ऐतबार
से दरिक़ीक़त यि कलाम अल्लाि, अल्लाि तआला की
र्ुमला हसफ़ात का मज़िर िै, इसी िक़ीक़त को अल्लामा
इक़बाल ने हनिायत ख़ूबसूरत अंदाज़ में बयान दकया:
फ़ाश गोयम आाँच दर ददल मज़मर अस्त
ईं दकताबे नीस्त, चीज़े दीगर अस्त
हमसल िक़ हपन्िााँ व िम पैदा सत ईं!
हज़न्दा व पाइन्दा व गोया सत ईं!
(र्ो बात मेरे ददल में छु पी हुई िै वि मैं साफ़-साफ़
कि देता हूाँ दक यि (क़ु रान िकीम) दकताब निीं िै,
कोई और िी शय िै। चुनााँचे यि िक़ तआला की
ज़ात के माप्नंद पोशीदा भी िै और ज़ाहिर भी िै।
नेज़ यि िमेशा हज़न्दा और बाक़ी रिने वाला भी िै
और यि कलाम भी करता िै।)
मुख़्तहलफ़ मफ़ािीम व मायने के हलये इस शेर का
िवाला दे ददया र्ाता िै, लेदकन क़ाहबले ग़ौर बात यि िै
दक इसमें इसके “चीज़े दीगर” िोने का कौनसा पिलू उर्ागर
दकया र्ा रिा िै। इसमें दर िक़ीक़त सूरतुल िदीद के उस
ْٰ ََ ْ ُ ُ
मुक़ाम की तरफ़ इशारा िो गया िै दक: { ‫ه َو اْل ّول َواْلخ ُِر‬
[20] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

َّ َ
ُ ‫الظا ِه ُر َو ْال َباط‬
‫ِن‬ ‫( } و‬आयत 3) याहन अल्लाि तआला की
शान यि िै दक वि ‫اْلول‬ ّ भी िै और ‫ اْلخر‬भी, वि ‫الظاهر‬
भी िै और ‫ الباطن‬भी। इसी तरि अल्लामा किते िैं दक इस
क़ु रान की भी यिी शान िै। नेज़ हर्स तरि अल्लाि तआला
की हसफ़त ‫القيوم‬ّ ‫احلی‬
ّ (आयतल कु सी, सूरतुल बक़रि) िै
इसी तरि यि कलाम भी हज़न्दा व पाइन्दा िै, िमेशा रिने
वाला िै। दर्र यि हसफ़ु कलाम निीं, ख़ुद मुतकहल्लम (बात
करने वाला) िै।
यिााँ कलाम और मुतकहल्लम के माबैन (दर्मुयान) र्क़ु
के िवाले से मुतकल्लमीन दक उस बिस की तरफ़ इशारा
करना ज़रूरी मालूम िोता िै दक ज़ाते िक़ की हसफ़ात, ज़ात
से अलैिदा और मुस्तज़ाद िैं या ऐन ज़ात? अल्लामा
इक़बाल ने भी अपनी मशहूर नज़्म “इब्लीस की मर्हलस-
ए-शूरा” में इस बिस का हज़क्र दकया िै:
िैं हसफ़ाते ज़ाते िक़, िक़ से र्ुदा या एैन ज़ात?
उम्मत मरहूम की िै दकस अक़ीदे में हनर्ात?
यि इल्मे कलाम का एक हनिायत िी पेचीदा, ग़ामज़
और अमीक़ मसला िै, हर्स पर बड़ी बिसें हुईं और
हबलआहख़र मुतकल्लमीन का इस पर तक़रीबन इज्माअ
हुआ दक “‫ی‬ٌ ‫ْی َوْل غ‬ َْ َ َْ َ
ٌ ‫ ”ْل ع‬याहन अल्लाि की हसफ़ात को ना
उसकी ज़ात का एैन क़रार ददया र्ा सकता िै ना उसका
ग़ैर। अगर इस िवाले से ग़ौर करें तो क़ु रान िकीम भी, र्ो
अल्लाि तआला की हसफ़त िै, इसी के ज़ेल में आयेगा, याहन
ना इसे अल्लाि का ग़ैर किा र्ा सकता िै ना उसका एैन।
[21] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

चुनााँचे इस िवाले से सूरतुल िश्र की आयत 21 क़ु रान


मर्ीद की फ़ी नफ़्सी अज़मत के हज़मन में अिम तरीन िै:
“अगर िम इस क़ु रान को दकसी ْ َ ٰ َ ْ َ َْ َْ
َ ‫ال ُق ْر ٰا‬
पिाड़ पर उतार देते तो तुम ‫ن‬ ‫لو اْنلنا هذا‬
देखते दक वि अल्लाि तआला की ٗ َ ْ َ َّ َ ٰ َ
‫لَع ج َبل ل َرايته‬
ख़हशयत और ख़ौर् से दब र्ाता
और र्ट र्ाता, और यि हमसालें ْ ً َ َ ُّ ً
‫دعا ِِم‬
َ
ِ ‫اشعا متص‬ ِ ‫خ‬
िैं र्ो िम लोगों के हलये बयान
करते िैं तादक वि ग़ौर करें ।” َ ْ ‫َ ْ َ ه‬
‫خشي ِة ّٰللاِ ۭ َو ِتلك‬
َُ ْ َ ُ َ ْ َ ْ
‫ْضُبا‬ ِ ‫اْلمثال ن‬
ُ َّ َ َ ِ َّ
‫اس لعله ْم‬ ‫ل ِلن‬

‫؀‬21‫ن‬ َ ‫ي َ َت َفكَّ ُر ْو‬

इस तम्सील को सूरतुल आराफ़ की आयत 143 के


िवाले से समझा र्ा सकता िै हर्समें अल्लाि तआला की
तलबी पर िज़रत मूसा अलै० के कोिे तूर पर िाहज़र िोने
का वादक़या बयान हुआ िै। यि विी तलबी थी हर्समें आप
अलै० को तौरात अता की गयी। उस वक़्त अल्लाि तआला
ने िज़रत मूसा अलै० को मुख़ातबि व मुकालमि से
सरफ़राज़ फ़रमाया तो उनकी आहतशे शौक़ कु छ और भड़की
और उन्िोंने फ़रमाइश करते हुए किा
“ऐ परवरददगार! मुझे अपना َ َ ُ ْ َ ْٓ َ َ
ۭ ‫ِن انظ ْر اِل ْيك‬
दीदार अता फ़रमा।” ِ ‫ب ا ِر‬
ِ ‫ر‬
[22] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

मुख़ातबि व मुकालमि के शफ़ु से तूने मुझे मुशरुर् फ़रमाया


िै, अब ज़रा मज़ीद करम फ़रमा। इस पर र्वाब हमला:
“(मूसा) तुम मुझे िरहगज़ निीं َٰ ْ َ
ْ ‫َت‬
देख सकते!” ‫ىن‬
ِ ‫لن‬

“लेदकन ज़रा उस पिाड़ की तरफ़ ْ


َ َ ‫ان ُظ ْر ا ََِل اْل‬
ْ ٰ َ
देखो, मैं उस पर अपनी एक ‫ل‬
ِ ‫ب‬ ‫ِن‬
ِ ‫ولك‬
तर्ल्ली डालूाँगा।”

“चुनााँचे अगर वि पिाड़ अपनी ٗ َ َ َ َ َ ْ َ


र्गि पर क़ायम रि र्ाये तो ‫اسـتــق َّر مَكنه‬ ‫ن‬
ِ ‫ا‬
ِ ‫ف‬
दर्र तुम भी गुमान कर लेना दक ٰ َ َ َ
ْ ‫َت‬
‫ىن‬ ‫ف َس ْوف‬
तुम मुझे देख सकोगे।” ِ

“दर्र र्ब अल्लाि तआला ने उस َ


َ ‫َفل َ َّما َت َ هّٰل َربُّ ٗه ل ِْل َج‬
पिाड़ पर अपनी तर्ल्ली डाली
‫ل‬ِ ‫ب‬
ًّ َ ًّ َ ٰ ُ َ ‫َ َ َٗ َ ا‬
तो वि “‫( ”دّک دّک‬रे ज़ा-रे ज़ा) िो ‫جعله دًّك َّوخ َّر م ْوٰس‬
गया और मूसा अलै० बेिोश ً َ
िोकर हगर पड़े।” ‫ص ِعقا‬
ًّ َ
यिााँ “‫ ”دّک‬के दोनों तर्ुुमे दकये र्ा सकते िैं, याहन रेज़ा-रेज़ा
िो र्ाना, टूट-र्ू ट कर टुकडे-टुकडे िो र्ाना, या कू ट-कू ट कर
दकसी शय को िमवार कर देना, बराबर कर देना। र्ैसे
ًّ َ ًّ َ ُ َ ْ َّ ُ َ َّ َ
सूरतुल फ़र्र की आयत 21 { ‫ت اْل ْرض دّک دّک‬ ِ ‫} لَك اِذا دك‬
में इन मायनों में वाररद हुआ िै। विी लफ़्ज़ यिााँ पिाड़ के
बारे में आया िै। यानी वि पिाड़ रेज़ा-रेज़ा िो गया या दब
गया, ज़मीन के साथ बैठ गया। मूसा अलै० ने अल्लाि
[23] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

तआला की यि तर्ल्ली देखी र्ो हबलवास्ता थी, याहन


बरािे रास्त िज़रत मूसा अलै० पर निीं बहल्क पिाड़ पर
थी और िज़रत मूसा अलै० हबलवास्ता उसका नज़ारा कर
रिे िै थे, लेदकन ख़ुद िज़रत मूसा अलै० की कै दफ़यत यि
हुई दक
“िज़रत मूसा (अलै०) बेिोश ً َ ٰ ُ َ
िोकर हगर पड़े।” ‫ص ِعقا‬ ‫َّوخ َّر م ْوٰس‬

यिााँ ज़ात व हसफ़ाते बारी तआला की बिस का एक


अक़ीदा िल िो र्ाता िै दक र्ैसे अल्लाि तआला ने अपनी
ज़ात की तर्ल्ली पिाड़ पर डाली तो वि पिाड़ दब गया
र्ट गया, रेज़ा-रेज़ा िो गया, इसी तरि क़ु रान मर्ीद के
मुताहल्लक़ फ़रमाया:
ً َ َ ُّ ً َ ٗ َ ْ َ َّ َ َ ٰ َ َ ٰ ُ ْ َ ٰ َ ْ َ ْ َ ْ َ
‫د عا‬ ِ ‫لو اْنلنا هذا الق ْران لَع جبل ل َرايته خ‬
ِ ‫اشعا متص‬
‫ْ َ ْ َ ه‬
ۭ ِ‫ِِم خشي ِة ّٰللا‬
याहन कलाम अल्लाि की भी विी कै दफ़यत और तासीर
िै र्ो कै दफ़यत व तासीर तर्हल्लये ज़ाते इलािी की िै।
इसहलये दक क़ु रान अल्लाि का कलाम और अल्लाि की
हसफ़त िै। तो तर्हल्लये हसफ़ात और तर्हल्लये ज़ात में कोई
फ़कु निीं।
अलबत्ता अल्लामा इक़बाल ने एक र्गि इस बारे में
ज़रा मुबालगा आराई से काम हलया। अल्लामा ने हुज़ूर
‫ ﷺ‬की मदि फ़रमाते हुए यि अल्फ़ाज़ इस्तेमाल दकये:
मूसा ज़े िोश रफ़त बैक र्लवये हसफ़ात
तो एैने ज़ात मी नगरी व तबस्समी!
[24] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

अल्लामा िज़रत मुिम्मद ‫ ﷺ‬का िज़रत मूसा अलै०


से तक़ाबुल कर रिे िैं दक वि तो तर्हल्लये हसफ़ात के
हबलवास्ता नज़ारे िी से बेिोश िोकर हगर गये, लेदकन ऐ
नबी ‫ !ﷺ‬आपने एैने ज़ात का दीदार दकया और तबस्सुम
की कै दफ़यत में दकया। इसमें दो ऐतबारात से मुग़ालता पाया
र्ाता िै। अव्वल तो वि तर्ल्ली, तर्हल्लये हसफ़ात निीं
तर्हल्लये ज़ात थी र्ो िज़रत मूसा अलै० की फ़रमाईश पर
अल्लाि तआला ने पिाड़ पर डाली। र्ैसा दक क़ु रान मर्ीद
ََ َّ َ ّ ْ ٗ ُ ّٰ َ َ َ َ
में िै: { ‫ل‬
ِ ‫ }فلما َتّل ربه لِلجب‬गोया यिााँ अल्लाि तआला के
हलये यि लफ़्ज़ इस्तेमाल हुआ िै दक वि ख़ुद मुतर्ल्ली
हुआ। दूसरे यि दक यि ख्याल भी मुख्तहलफ़ फ़े ि िै दक नबी
अकरम ‫ ﷺ‬ने शबे मेरार् में ज़ाते इलािी का मुशािदा
दकया। अगरचे िमारे असलाफ़ में यि राय भी िै दक आप
‫ ﷺ‬ने अल्लाि तआला को देख़ा िै, लेदकन अकसर व
बेशतर की राय इसके बरअक्स िै, इसहलये दक विााँ भी
“आयात” का हज़क्र िै। र्ैसा दक सूरतुल नज्म (आयत:21) में
ٰ ‫ت َر ّب ِه الك‬ ْ ُْ ْ
َ ٰٰ ٰ ََْ
आया: { ‫ْبى‬ ِ ِ ‫ } لقد راى ِِم ای‬इसमें कोई शक निीं
दक वि आयात, र्ो विााँ हुज़ूर नबी अकरम ‫ ﷺ‬ने देखीं,
अल्लाि तआला की अज़ीम-तरीन आयात में से िैं।
“उस वक़्त बेरी पर छा रिा था َ َ ْ َ َْ ْ
र्ो कु छ दक छा रिा था। हनगाि ‫السد َرة ما‬ِ ‫اِذ يغَش‬
ना चुहन्धयाई और ना िद से َ َ
َ ٰ َْ
‫؀ ما زاغ‬16 ‫يغَش‬
मुतर्ाहवज़ हुई। और उसने अपने
रब की बड़ी-बड़ी हनशाहनयााँ ْ ََ ٰ َ َ ُ َ َ ْ
‫؀ لقد‬17 ‫َص َوما طٰغ‬ ‫الب‬
देखीं।”
[25] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

ٰ ٰ ْ َٰ
ِ ‫ت َر ِب‬
‫ه‬ ِ ‫راى ِِم اي‬
ُْٰ ْ
‫؀‬18 ‫الكْبى‬

अब उससे ज़्यादा बड़ी आयात और उससे ज़्यादा बड़ी


तर्हल्लये इलािी और किााँ िोगी? लेदकन दोनों ऐतबार से
इस शेर में मुबालगा िै। अलबत्ता इस आयते मुबारका के
िवाले से अल्लामा के इस शेर
हमसले िक़ हपन्िााँ व िम पैदा सत ईं!
हज़न्दा व पाइन्दा व गोया सत ईं!
में मेरे नज़दीक क़तअन कोई मुबालगा निीं िै। और इस
आयत मुबारका के िवाले से वि बात किी र्ा सकती िै र्ो
अल्लामा इक़बाल ने इस शेर में किी िै।

तौरात की गवािी
अब ज़रा क़ु रान मर्ीद के कलामुल्लाि िोने के िवाले
से एक और बात ज़िननशीन कर लीहर्ये। तौरात में दकताबे
इस्तस्ना या सफ़रे इस्तस्ना र्ो सुहुफ़े मूसा में से एक सिीफ़ा
िै, के अट्ठारिवें बाब में नबी अकरम ‫ ﷺ‬के हलये र्ो
पेशनगोई बयान की गयी िै उसमें अल्फ़ाज़ यिीं िै दक:
“मैं उनके भाईयों में से उनके हलये तेरी माप्नंद एक
नबी बरपा करुाँ गा और उसके मुाँि में अपना कलाम
डालूाँगा और वि उनसे विी कु छ किेगा र्ो मैं उससे
कहूाँगा।”
मैंने यिााँ ख़ास तौर पर उन अल्फ़ाज़ का िवाला ददया
िै दक “मैं उसके मुाँि में अपना कलाम डालूाँगा।” यिााँ एक तो
[26] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

लफ़्ज़ कलाम आया िै र्ैसे दक क़ु रान िकीम की इस आयत


َٰ َ َ ّٰ َ
में आया { ِ ‫ }تَح ي ْس َمع ك َم ّٰللا‬दर्र “कलाम मुाँि में डालना”
के िवाले से क़ु रान मर्ीद में एक लफ़्ज़ दो मतुबा आया िै,
वि लफ़्ज़ “क़ौल” िै, यानी क़ु रान को क़ौल क़रार ददया गया
िै।
सूरतुल िाक़्क़ा में िै:
ً َ َ َ ُ َ ْ َ ُ َ َ ٗ َّ
‫؀ َّوما ه َو ِبق ْو ِل شا ِعر ۭ قلِ ْيًل‬40‫اِنه لق ْول َر ُس ْول ك ِرْي ڌ‬
َّ َ َ َّ ً ْ َ
َ ‫ك ُر ْو‬ َ َ َ َ ‫َّما ُت ْؤم ُن ْو‬
‫ن‬ ‫؀ َوْل ِبق ْو ِل ًّك ِهن ۭ قلِيًل ما تذ‬41 ‫ن‬ ِ

‫؀‬42ۭ
और सूरतुल तकवीर में यि अल्फ़ाज़ वाररद हुए िैं:
ُ
َ ْ َ ْ َّ ُ ْ ْ َ ْ ‫اِنَّ ٗه لَ َق ْول َر ُس‬
‫ذي الع ْر ِش‬ ِ ‫د‬ ‫ن‬ ‫ع‬
ِ ‫ة‬ ‫و‬ ‫ق‬ ‫ي‬ ‫ذ‬
ِ ‫ۙ۝‬ 19 ‫ْي‬ ‫ر‬
ِ ‫ك‬ ‫ل‬ ‫و‬
ُ َ
ُ ْ َ ْ ُ
‫ُك ِِبجن ْون‬ ‫حب‬ ‫ا‬ َ ‫ۙ۝ َو َما‬21ۭ ‫ۙ۝ ُّم َطاع َث َّ اَم ْْي‬20 ‫َمك ِْْي‬
‫ص‬
ِ ِ

‫ۙ۝‬22
और इसी सूरि में आगे चलकर आया:
ْ َّ ْٰ َ َْ َُ َ َ
‫؀‬25 ‫جي‬ِ ‫وما هو ِبقو ِل شيطن ر‬

क़ाहबले तवज्जोि अम्र यि िै दक इन दो मक़ामात में से


मौअक्खर अज़हज़क्र के मुताहल्लक़ तक़रीबन इर्माअ िै दक
यिााँ िज़रत हर्ब्राईल अलै० मुराद िैं। गोया क़ु रान को
उनका क़ौल क़रार ददया गया। और सूरतुल िाक़्क़ा में इसे
नबी ‫ ﷺ‬का क़ौल क़रार ददया र्ा रिा िै। अब ज़ाहिर िै
[27] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

यिााँ हर्न चीर्ों की नफ़ी की र्ा रिी िै दक “यि दकसी


शायर का क़ौल निीं” और “यि दकसी काहिन का क़ौल निीं”
इनसे यक़ीनन रसूल करीम ‫ ﷺ‬मुराद िैं। यूाँ समहझये दक
अल्लाि का कलाम पिले िज़रत हर्ब्राईल अलै० पर
नाहज़ल हुआ। अगर मैं दकताबे इस्तस्ना के अल्फ़ाज़ इस्तेमाल
करुाँ तो यिााँ “अल्लाि ने अपना कलाम उनके मुाँि मे डाला।”
तािम “उनके मुाँि” का िम कोई तसव्वुर निीं कर सकते, वि
हनिायत र्लीलो क़र फ़ररश्ते िैं। बिरिाल क़ौल का लफ़्ज़
क़ु रान मर्ीद के हलये इस्तेमाल हुआ िै हर्ससे ज़ाहिर िै दक
इब्तदाअन कलामे इलािी िज़रत हर्ब्रील अलै० के क़ौल की
शक्ल में उतरा और दर्र िज़रत हर्ब्रील अलै० के ज़ररये से
िज़रत मुिम्मद रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬के मुाँि में डाला गया,
और विााँ से यि क़ौले मुिम्मद ‫ ﷺ‬की सूरत में लोगों के
सामने आया, इसहलये दक यि आप ‫ ﷺ‬िी की ज़बाने
मुबारक से अदा हुआ, लोगों ने उसे हसफ़ु आप िी के ज़बाने
मुबारक से सुना। गोया यि क़ौल, क़ौले शायर निीं, यि
क़ौले काहिन निीं, यि क़ौले शैतान रर्ीम निीं, बहल्क यि
क़ौले रसूले करीम िै और रसूले करीम अव्वलन मुिम्मद
रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬िैं, यि लोगों के सामने उनके क़ौल की
िैहसयत से आया िै। दर्र सहनयन (दूसरे) यि िज़रत
हर्ब्राईल अलै० का क़ौल िै, इसहलये दक उन्िोंने यि क़ौल
हुज़ूर ‫ ﷺ‬को पहुाँचाया। और इसको आहख़री दर्े तक
पहुाँचाने पर यि अल्लाि का कलाम िै हर्सके मुताहल्लक़
तौरात में अल्फ़ाज़ आये िैं दक “मैं उसके मुाँि में अपना कलाम
डालूाँगा।”
[28] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

लौिे मिफ़ू ज़ और मुसिफ़ में मुताबक़त


कलाम िोने के िवाले से तीसरी बात यि नोट कीहर्ये
दक कलाम अल्लाि की हसफ़त िै और अल्लाि की हसफ़ात
क़दीम (प्राचीन) िै। अल्लाि की ज़ात की तरि उसकी
हसफ़ात का भी यिी मामला िै। ज़ाहिर िै दक अल्लाि
तआला मादद्दयत (पदाथुवादी) और हर्स्माहनयत (भौहतक
उपहस्थहत) से मा वरा िै। यिी मामला अल्लाि की हसफ़ात
का भी िै चुनााँचे कलाम अल्लाि, हर्से िफ़ो सूत की
मिदूददयत (पररसीमाओं) से आला व अरफ़ा ख़्याल दकया
र्ाता िै, उसे अल्लाि तआला ने इं सानों की हिदायत के हलये
िरूफ़ व असवात का र्ामा (हलबास) पिनाया और
सय्यदुल मुसुलीन ‫ ﷺ‬के क़ल्बे मुबारक पर बतरीक़े
तन्ज़ील नाहज़ल फ़रमाया। यिी कलाम लौिे मिफ़ू ज़ में
अल्लाि के पास मंदर्ु (हलखा हुआ मिफ़ू ज़ िै) िै हर्से
उम्मुल दकताब या दकताबे मकनून भी किा गया िै। िमारे
पास मौर्ूद क़ु रान मर्ीद या मुसिफ़ की इबारत बैन िी
(हबल्कु ल) विी िै र्ो लौिे मिफ़ू ज़ या उम्मुल दकताब में िै,
हबल्कु ल उसी तरि र्ैसे दकसी दस्तावेज़ की मस्दक़ि नक़ल
(xerox copy) िो, र्ो बगैर दकसी शोशे के फ़क़ु के असल
के मुताहबक़ िो। चुनााँचे सूरतुल बुरूर् में फ़रमाया:
“यि क़ु रान हनिायत बुज़ुगु व ٌ َّ ٌ ٰ ْ ُ َ ُ ْ َ
बरतर िै और यि लौिे मिफ़ू ज़ में ‫؀‬21 ‫َّم ْيد‬
ِ ‫بل هو قران‬
िै।” ُ ْ َّ َ ْ
‫؀‬22 ‫ِف ل ْوح َّمف ْوظ‬ ِ
इसी के मुताहल्लक़ सूरतुल वादक़या में इशाुद फ़रमाया गया:
[29] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

“यि तो एक दकताब िै बड़ी ْ ‫ۙ۝‬77 ٌ‫كر ْْي‬ َ ٌ ٰ ْ ُ َ ٗ َّ


करीम, बहुत बाइज़्ज़त, और एक ‫ِف‬ ِ ِ ‫اِنه لقران‬
ऐसी दकताब िै र्ो छु पी हुई िै। َّ ُ ْ َّ ٰ
‫ۙ۝ ْل‬78 ‫كِتب مكن ْون‬
हर्से छू िी निीं सकते मगर विी
ْ َّ ٗٓ َ َ
र्ो बहुत िी पाक कर ददए गए ‫ۙ۝‬79ۭ ‫ن‬ َ ‫ال ُم َط َّه ُر ْو‬ ‫َي ُّسه اِْل‬
िैं।”
यानी मलाइका मुक़रुबीन, हर्नके बारे में एक और मक़ाम
पर फ़रमाया गया:
“यि ऐसे सिीर्ों में दर्ु िै र्ो َ َ ُّ ُ ُ ْ
‫؀‬13 ‫ِف ُصف مك َّرمة‬
मुकरमु िैं, बुलंद मतुबा िै, ِ
पाकीज़ा िै, मौअज्ज़ज़ और नेक َّ ُّ َ ُ َّ
‫ۙ۝‬14 ‫م ْرف ْوعة م َطه َر ٍۢة‬
काहतबों के िाथों में रिते िैं।”
َ
(सूरि अ’बसा) َ
‫؀‬15 ‫دي َسف َرة‬
ْ ْ
ِ ‫ِِب‬
‫ي‬
َ َ ‫ام‬
‫؀‬16ۭ ‫َب َرة‬ ٍۢ ‫ك َِر‬

दर िक़ीकत यि दकताब मकनून उन र्ररश्तों के पास िै, वि


तुम्िारी रसाई (पहुाँच) से बईद व मा वरा (बहुत दूर) िै।
यिी बात सूरतुल ज़ुख़रर् में किी गयी िै:
“यि तो दर िक़ीक़त असल ٰ ْ ُ ْٓ ٗ َّ َ
दकताब में िमारे पास मिफ़ू ज़ िै,
‫ب‬
ِ ‫واِنه ِِف ا ِم الك‬
‫ِت‬
बड़ी बुलंद मतुबा और हिकमत से َ َ
ٌّ ‫ل َد ْي َنا ل َع‬
ٌ ‫ِل َحك ِْي‬
लबरे ज़ (भरी हुई िै)।” ِ
(आयत:4)
ُ
‫ ا ّم‬का लफ़्ज़ र्ड़ और बुहनयाद के हलये आता िै।
ُّ
इसहलये मााँ के हलये भी अरबी में लफ़्ज़ “‫ ”ام‬इस्तेमाल िोता
[30] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

िै, क्योंदक इसी के बतन से औलाद की हवलादत िोती िै,


वि गोया दक बमंहज़ले असास िै। चुनााँचे इस दकताब की
असल असास लौिे मिफ़ू ज़ में िै, दकताबे मकनून में िै।
मज़ीद वज़ाित कर दी गई दक “‫ ”لدینا‬याहन वि उम्मुल
َََْ
ٌّ ‫لَ َع‬
दकताब र्ो िमारे पास िै, उसमें यि क़ु रान दर्ु िै। “ ‫ل‬ ِ
‫ ” َحک ِْي ٌم‬इस क़ु रान की हसफ़ात यि िैं दक वि बहुत बुलंद व
बाला और हिकमत वाला िै, मुस्तिकम िै। वि अल्लाि का
कलाम और हनिायत मिफ़ू ज़ दकताब िै। इसे लौिे मिफ़ू ज़
किें, दकताबे मकनून किें या उम्मुल दकताब किें, असल
कलाम विााँ िै--- उसी आलम-ए-ग़ैब में, उसी आलम-ए-अम्र
में--- हर्से हसवाये उन पाक-बाज़ फ़ररश्तों के हर्नकी रसाई
लौिे मिफ़ू ज़ तक िो, कोई मस्स (छू ) निीं कर सकता, याहन
इस लौिे मिफ़ू ज़ के मज़ामीन पर मुत्तेलि निीं िो सकता।
अलबत्ता अल्लाि तआला ने इं सानों की हिदायत के हलये
मुिम्मद रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬पर अपने इस कलाम की
तन्ज़ील फ़रमाई और इसकी इबारत को ता-क़यामे क़यामत
तक मुसािफ़ में मिफ़ू ज़ फ़रमा ददया और नापाक िाथों से
छू ने पर मना फ़रमा ददया।

कलामे इलािी की तीन सूरतें


र्ब मैंने अज़ु दकया दक क़ु रान अल्लाि का कलाम िै तो
यिााँ सवाल पैदा िोता िै दक अल्लाि तआला इं सान से दकस
[31] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

तरि िमकलाम िोता िै! क़ु रान मर्ीद में इसकी तीन शक्लें
बयान हुई िैं।
“दकसी बशर का यि मक़ाम निीं ْ َ ‫ن ل َب ََش ا‬ َ َ َ َ
िै दक अल्लाि उससे रू-ब-रू ‫ن‬ ِ ‫وما ًّك‬
बात करे । उसकी बात या तो विी َ َّ ُ ‫ُّ َ ُ ه‬
‫يكِ َمه ّٰللا اِْل َو ْح ًيا ا ْو‬
(इशारे ) के तौर पर िोती िै, या
َ
पदे के पीछे से, या दर्र वि कोई ‫ي ِِحاب ا ْو‬
َ ۗ َ َّ ْ
ِ ‫ِِم ورا‬
पैग़म्बर (फ़ररश्ता) भेर्ता िै और
वि उसके हुक्म से र्ो कु छ वि َ ِ ‫ُيس َل َر ُس ْو ًْل َف ُي ْو‬
‫ِح‬ ُْ
ِ
चािता िै विी करता िै। यक़ीनन ۗ
वि बरतर और साहिबे हिकमत ٌّ َ ‫ِب ِ ْذنِهٖ َما ي َ َشا ُء ۭ اِنَّ ٗه‬
‫لَع‬ ِ ِ
िै।”
ْ
(सूरतुल शौरा) ‫؀‬51 ٌ ‫َحكِي‬

नोट करने की बात यि िै दक यि निीं फ़रमाया दक अल्लाि


के हलये यि मुमदकन निीं िै, अल्लाि तो िर शय पर क़ाददर
िै, वि र्ो चािता िै कर सकता िै, अल्लाि की क़ु दरत से
कोई चीज़ बईद (दूर) निीं िै, बहल्क किा दक इं सान का यि
मक़ाम निीं िै दक अल्लाि उससे बरािे रास्त कलाम करे,
दकसी बशर का यि मतुबा निीं िै दक अल्लाि उससे कलाम
करे, हसवाये तीन सूरतों के , या तो विी याहन मख्फ़ी इशारे
के ज़ररये से, या पदे के पीछे से, या वि दकसी रसूल (रसूले
मलक) को भेर्ता िै र्ो विी करता िै अल्लाि के हुक्म से
र्ो अल्लाि चािता िै।
[32] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

अब कलामे इलािी की मज़कू रा तीन शक्लें िमारे


सामने आई िैं। इनमें से दो के हलये लफ़्ज़ विी आया िै।
दरहमयान में एक शक्ल “‫ِم َو َرآ ِء ِِحاب‬ ْ ِ ” बयान हुई िै। َ
इसका तज़करा सूरतुल आराफ़ की आयत 143 के ज़ेल में िो
चुका िै। और यि तो अम्र वादक़या िै िी दक िज़रत मूसा
अलै० से अल्लाि तआला ने मुतादददद (कईं) मौक़ों पर इस
सूरत में कलाम फ़रमाया।
पिली मतुबा िज़रत मूसा अलै० र्ब आग की तलाश
में कोिे तूर पर पहुाँचे तो विााँ मुख़ातबा हुआ। यि मुख़ातबा
और मुकालमा-ए-इलािी (बात-चीत) िज़रत मूसा अलै० के
साथ “‫ِم َو َرآ ِء ِِحاب‬
َ
ْ ِ ” हुआ था, इसी हलये तो वि आहतशे
शौक़ भड़की थी दक:

क्या क़यामत िै दक हचलमन से लगे बैठे िैं


सार् छु पते भी निीं, सामने आते भी निीं!
ज़ाहिर िै दक र्ब िम कलाम िोने का शफ़ु िाहसल िो रिा
िै तो एक क़दम और बाक़ी िै दक मुझे दीदार भी अता िो
र्ाए, लेदकन यि मुख़ातबा ‫ِم َو َرآ ِء ِِحاب‬
ْ ِ था। नबी َ
अकरम ‫ ﷺ‬से यिी मुख़ातबा शबे मेरार् में पदे के पीछे
से हुआ। बाज़ िज़रात की राय िै दक हुज़ूर ‫ ﷺ‬को अल्लाि
तआला (याहन ज़ाते इलािी) का दीदार िाहसल हुआ, लेदकन
मेरी राय सलफ़ में से उन िज़रात के साथ िै र्ो इसके क़ायल
निीं िैं। उनमें िज़रत आयशा हसद्दीक़ा (रहज़०) बड़ी
अिहमयत दक िाहमल िैं, उन्िोंने हुज़ूर ‫ ﷺ‬से लाहज़मन
इन चीज़ों के बारे में इस्तफ़सार दकया (पूछा) िोगा, चुनााँचे
[33] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

उनकी बात के मुताहल्लक़ तो िम यक़ीन के दर्े में कि सकते


िैं दक वि मुिम्मद रसूल ‫ ﷺ‬से मरफ़ू अ िै। िज़रत आयशा
ّٰ َ ُ
(रहज़०) बयान करतीं िैं दक “‫ُن ٌر اّن ُ ُٰیی؟‬
ْ ” याहन अल्लाि
तो नूर िै, उसे कै से देखा र्ा सकता िै? (मुहस्लम, दकताबुल
ईमान, अन अबु ज़र (रहज़०) नूर तो दूसरी चीज़ों को देखने
का ज़ररया बनता िै, नूर ख़ुद कै से देखा र्ा सकता िै!
बिरिाल मेरी राय यि दक यि गुफ़्तग़ू भी ‫ِم َو َرآ ِء ِِحاب‬
ْ ِ َ
थी। वि वराये हिर्ाब (पदे के पीछे से) गुफ़्तग़ू र्ो िज़रत
मूसा अलै० को कोिे तूर पर मकालमा व मुख़ातबा में नसीब
हुई, उस वराये हिर्ाब मुलाक़ात और गुफ़्तगू (बात-चीत)
से अल्लाि तआला ने मुिम्मद रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬को शबे
َٰ ْ ْ
मेरार् में “‫ ” ِعند ِسد َر ِۃ ال ُمنَتی‬मुशरुफ़ फ़रमाया।
ْ َْ
अलबत्ता विी बरािे रास्त भी िै, याहन बग़ैर फ़ररश्ते के
वास्ते के । दूसरी दक़स्म की विी फ़ररश्ते के ज़ररये से िै और
क़ु रान मर्ीद से हर्स बात की तरफ़ ज़्यादा रिनुमाई
हमलती िै वि यि िै दक क़ु रान विी िै बवास्ता “मलक”।
र्ैसे क़ु रान मर्ीद में िै:
“इसे लेकर आपके ददल पर रूिे ُ ْ ُّ َ ََ
ِ ‫ْنل ِب‬
अमीन उतरा िै...” (अल् ‫ح‬ ‫و‬ ‫الر‬ ‫ه‬
शूराअ:194) ٰ َ ُ ْ ‫اْلم‬ َ ْ
‫؀ لَع‬١٩٣ ‫ْي‬ ِ
َ َْ
....‫بك‬ ِ ‫قل‬
और
[34] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

“पस इसे हर्ब्रील ने िी आपके َ ْ َ ٰ َ ٗ َ َّ َ ٗ َّ َ


क़ल्ब पर नाहज़ल दकया।” (अल् ‫ف ِانه ْنله لَع قل ِبك‬
बक़रि:97)
अलबत्ता फ़ररश्ते के बग़ैर विी, याहन ददल में दकसी बात का
अल्लाि तआला की तरफ़ से बरािे रास्त (सीधा) डाल ददया
र्ाना, याहन “इल्िाम” का हज़क्र भी हुज़ूर ‫ ﷺ‬ने दकया िै
ّ ‫ ”نفث ِِف‬के अल्फ़ाज़ भी َ ََ
और इसके हलये िदीस में “‫الروع‬
आये िैं। याहन दकसी ने ददल में कोई बात डाल दी, दकसी ने
र्ूाँ क मार दी बग़ैर इसके दक कोई आवाज़ सुनने में आई िो।
एक कै दफ़यत हसलहसलातुल र्सु की भी थी। हुज़ूर ‫ ﷺ‬को
घंरटयों की सी आवाज़ आती थी और उसके बाद हुज़ूर ‫ﷺ‬
के क़ल्बे मुबारक पर विी नाहज़ल िो र्ाती थी।
बिरिाल यक़ीन के साथ तो मैं निीं कि सकता, लेदकन
मेरा गुमाने ग़ाहलब िै दक दूसरी दक़स्म की विी (बज़ररये
फ़ररश्ता) पर पूरे का पूरा क़ु रान मुश्तहमल िै। और विी
बरािे रास्त याहन “‫ ”القاء‬तो दर िक़ीक़त विी ख़र्ी िै,
हर्सकी वज़ाित अंग्रेज़ी के दो अल्फ़ाज़़़ के दरहमयान फ़कु से
बख़ूबी िो र्ाती िै। एक लफ़्ज़ िै inspiration और दूसरा
revelation, हर्सके साथ एक और लफ़्ज़ verbal
revelation भी अिम िै। Inspiration में एक मफ़हूम, एक
ख़्याल या तसव्वुर इं सान के ज़िन व क़ल्ब में आ र्ाता िै,
र्बदक revelation बाक़ायदा दकसी चीज़ के दकसी पर
reveal दकये र्ाने को किते िैं। और इसमें भी ईसाईयों के
यिााँ एक बड़ी साहर्श चल रिी िै। वि revelation को
मानते िैं लेदकन verbal revelation को निीं मानते,
बहल्क उनके नज़दीक हसफ़ु मफ़हूम िी अहम्बया के क़ु लूब पर
[35] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

नाहज़ल दकया र्ाता था, हर्से वि अपने अल्फ़ाज़ में अदा


करते थे। र्बदक िमारे यिााँ इस बारे में मुस्तदक़ल इज़्माई
(िमेशा से पूरी उम्मत का) अक़ीदा िै दक यि अल्लाि का
कलाम िै र्ो मुिम्मद रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬पर नाहज़ल हुआ।
यि लफ़्र्न भी विी िै और मायनन भी, लफ़्र्न भी अल्लाि
का कलाम िै और मायनन भी, याहन यि verbal
revelation िै।
इस हज़मन (बारे) में एक ददलचस्प वादक़या लािौर िी
में ग़ाहलबन एर्० सी० कॉलेर् के हप्रप्संपल और अल्लामा
इक़बाल के दरहमयान पेश आया था। वि दोनों दकसी दावत
में इकट्ठे थे दक उन सािब ने िज़रते अल्लामा से किा दक
मैंने सुना िै दक आप भी verbal revelation के क़ायल िैं!
इस पर अल्लामा ने उस वक़्त र्ो र्वाब ददया वि उनकी
ज़िानत पर दलालत करता (सबूत देता) िै। उन्िोंने किा दक
र्ी िााँ, मैं verbal revelation को न हसफ़ु मानता हूाँ,
बहल्क मुझे तो इसका ज़ाहत तर्ुबाु िाहसल िै। चुनााँचे ख़ुद
मुझ पर र्ब शेर नाहज़ल िोते िैं तो वि अल्फ़ाज़ के र्ामे में
ढ़ले हुए आते िैं, मैं कोई लफ़्ज़ बदलना चाहूाँ तो भी निीं
बदल सकता, मालूम िोता िै दक वि मेरी अपनी तख़्लीक़
निीं िैं बहल्क मुझ पर नाहज़ल दकये र्ाते िैं। तो यि दर
िक़ीक़त दकसी को र्वाब देने का वि अंदाज़ िै हर्सको
अरबी में ُ ‫ ”اْلجوبۃ‬याहन चुप करा देने वाला
“‫المسکتۃ‬
र्वाब किा र्ाता िै। यि वि र्वाब िै हर्सके बाद फ़रीक़
सानी के हलये दकसी क़ै ल व क़ाल का मौका िी निीं रिता।
बिरिाल कलामे इलािी वादक़अतन verbal
revelation िै हर्सने अव्वलन क़ौले हर्ब्रील की शक्ल
[36] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

इहख़्तयार की। िज़रत हर्ब्रील अलै० के र्ररये क़ौल की


शक़्ल में नाहज़ल हुआ। और दर्र ज़बाने मुिम्मदी ‫ ﷺ‬की
शक़्ल में अदा हुआ। तो यि दर िक़ीक़त revelation िै,
inspiration निीं, और मिज़ revelation भी निीं बहल्क
verbal revelation िै, याहन मायने, मफ़हूम और अल्फ़ाज़
सबके सब अल्लाि तआला की तरफ़ से िैं और यि
बिैहसयत-ए-मर्मूई (पूरे का पूरा) अल्लाि का कलाम िै।

(2) क़ु रान का रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬पर नुज़ूल


क़ु रान मर्ीद के मुिम्मद रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬पर नुज़ूल
के हज़मन (बारे) में भी चन्द बातें नोट कर लें। पिली बिस
तो “नुज़ूल” की लग़्वी बिस से मुताहल्लक़ िै। यि लफ़्ज़
ََ‫نَزَ ل‬, َ‫ َی ْن ِزل‬सलासी मुर्रुद में भी आता िै। तब यि र्े अल
लाहज़म िोता िै, याहन “ख़ुद उतरना।” क़ु रान मर्ीद के हलये
इन मायनों में यि लफ़्ज़ क़ु रान में मुतादददद (कईं) बार
आया िै। मसलन:
“िमने इस क़ु रान को िक़ के साथ َ ْ َ ُ ْٰ َ َْ َ ْ َ
नाहज़ल दकया िै और यि िक़ के
‫ق‬
ِ ‫ـق اْنلنه و ِِبْل‬
ِ ‫و ِِبْل‬
साथ नाहज़ल हुआ िै।” (बनी َ ََ
ۭ ‫ْنل‬
इस्राइल:105)

यिााँ यि फ़े अल लाहज़म आ रिा िै, याहन नाहज़ल हुआ।


आम तौर पर फ़े अल लाहज़म को मुताददी बनाने के हलये इस
फ़े अल के साथ दकसी हसला (preposition) का इज़ार्ा
َََ
दकया र्ाता िै। चुनााँचे यि फ़अल ‫ب“ َنل‬ ِ ” के साथ
मुताददी िोकर भी क़ु रान मर्ीद में आया िै, बमायने उसने
[37] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

َ ‫“ َج‬वि आया” से ‫اء ِبه‬


उतारा, र्ैसे ‫اء‬ َ ‫“ َج‬वि लाया।”
मसलन:
“रूहुल अमीन (हर्ब्रील) ने इस ُ ْ ُّ َ ََ
ِ ‫ْنل ِب‬
क़ु रान को उतारा िै मुिम्मद ‫ح‬ ‫و‬ ‫الر‬ ‫ه‬
‫ ﷺ‬के क़ल्बे मुबारक पर।” ٰ َ ُ ْ ‫اْلم‬ َ ْ
‫؀ لَع‬١٩٣ ‫ْي‬ ِ
(अश शौअरा)
َ َْ
...‫بك‬ ِ ‫قل‬

नुज़ल
ू े क़ु रान की दो कै दफ़यतें : इन्ज़ाल और तन्ज़ील
सलासी मज़ीद फ़ीि के दो अबवाब याहन बाबे इर्् आल
और बाबे तफ़् ईल से यि लफ़्ज़ क़ु रान मर्ीद में बकसरत
इस्तेमाल हुआ िै। दोनों अबवाब से यि फ़े अल मुमताददी के
َ َ َْ
तौर पर बमायने “उतारना” इस्तेमाल िोता िै, याहन ‫اَنل‬,
ُ ُْ ً َْ َ َّ َ ُ ّ َ ُ ً ْ َ
‫ْنل‬ِ ‫ی‬, ‫ اَِناْل‬और ‫َنل‬, ‫ْنل‬ ِ ‫ی‬, ‫ْنیل‬
ِ ‫ت‬। इन दोनों के माबैन
फ़क़ु यि िै दक बाबे इफ़् आल में कोई फ़अल दफ्फ़तन और
एकदम कर देने के मायने िोते िैं र्बदक बाबे तर्् ईल में विी
फ़े ल तदरीर्न, अितमाम, तवज्जोि और मेिनत के साथ
करने के मायने िोते िैं। इन दोनों के माबैन फ़क़ु को “ईलाम”
और “तालीम” के मायने के र्क़ु के िवाले से बहुत िी नुमाया
तौर पर और र्ाहमयत के साथ समझा र्ा सकता िै।
“‫ ”اِعلم‬के मायने िैं बता देना। याहन आपने कोई चीज़ पूछी
तो र्वाब दे ददया गया। चुनााँचे “Information Office”
को अरबी में “मकतबुल ईलाम” किा र्ाता िै। र्बदक
[38] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

“तालीम” के मायने ज़िन नशीन कराना और थोड़ा-थोड़ा


करके बताना िै। याहन पिले एक बात समझा देना, दर्र
दूसरी बात उसके बाद बताना और इस तरि दर्ाु-ब-दर्ाु
मुख़ातब के फ़िम की सति बुलंद से बुलंदतर करना।
अग़रचे क़ु रान मर्ीद के हलये लफ़्ज़ “इन्ज़ाल” और
उससे मुशतक़ मुख़्तहलफ़ अल्फ़ाज़ इस्तेमाल हुए िैं, लेदकन
बकसरत (ज़्यादातर) लफ़्ज़ “तन्ज़ील” इस्तेमाल हुआ िै।
क़ु रान मर्ीद की असल शान तन्ज़ीली शान िै, याहन यि
दक इसको तदरीर्न, रफ़्ता-रफ़्ता, थोड़ा-थोड़ा और
नर्मन-नर्मन नाहज़ल दकया गया। चुनााँचे क़ु रान मर्ीद
के हुज़ूर ‫ ﷺ‬पर नुज़ूल के हलये सिीतर और ज़्यादा
मुस्तहमल लफ़्ज़ क़ु रान िकीम में तन्ज़ील िै, तािम दो
َْْ َُ َ
ُ ٌَ
َ ‫ ”ل ِْيلۃ ّم َب‬के साथ ٌَ
मक़ामात पर “‫ ”ل ْيلۃ القد ِر‬और “‫ارکۃ‬
َ َ ْ ُ ٰ ْ َ ْ َ َّ
इन्ज़ाल का लफ़्ज़ आया िै। फ़रमाया: { ‫ِف ل ْيل ِۃ‬ ِ ‫اِّن اَنلنه‬
َْ ْ َ َ ٰ ُّ َ ْ َ ْ ُ ٰ ْ َ ْ َ َّ
‫( }القد ِر‬अल् कर:1) और: {‫( } اِّن اَنلنه ِِف ليلۃ مْبكۃ‬अल्
ٰ ُْ َ ْ ُ ْ َّ َ َ َ َ ُ ْ َ
दुख़ान 3) इसी तरि {‫َنل ِف ْي ِه الق ْرا ُن‬ِ ‫}شهر رمضان ال ِذي ا‬
(अल् बक़रि:185) में भी लफ़्ज़ “इन्ज़ाल” इस्तेमाल हुआ िै।
दर्र हुज़ूर ‫ ﷺ‬पर नुज़ूल के हलये भी किीं-किीं लफ़्ज़
“इन्ज़ाल” आया िै, अग़रचे अकसर व बेशतर लफ्ज़
“तन्ज़ील” िी आया िै। इसकी तक़रीबन मज्मुआ अलय
तावील यि िै दक पूरा क़ु रान दफ्फ़तन लौिे मिफ़ू ज़ से
समाये दुहनया तक लैललतुल क़र में नाहज़ल कर ददया गया,
हर्से “लैलाि मुबारका” भी किा गया िै र्ो दक रमज़ानुल
मुबारक की एक रात िै। हलिाज़ा र्ब रमज़ानुल मुबारक
की लैललतुल क़र या लैलाि मुबारक में क़ु रान के नुज़ूल का
[39] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

हज़क्र हुआ तो लफ़्ज़ इन्ज़ाल इस्तेमाल हुआ। क़ु रान मर्ीद


समाये दुहनया पर एक िी बार मुकम्मल पूरे तौर पर नाहज़ल
िोने के बाद विााँ से तदरीर्न और थोड़ा-थोड़ा करके
मुिम्मद रसूल ‫ ﷺ‬पर नाहज़ल हुआ। हलिाज़ा हुज़ूर ‫ﷺ‬
पर नुज़ूल के हलये अकसर व बेशतर लफ़्ज़ तन्ज़ील इस्तेमाल
हुआ िै।
लफ़्ज़ तन्ज़ील के (हज़मन) बारे में सूरतुल हनशा की
आयत 136 हनिायत अिम िै। इशाुद हुआ:
“ऐ ईमान वालो! ईमान लाओ َ
َ ْ ‫آٰييُّ َھا الَّذ‬
ْٓ ‫ْي ٰا َم ُن‬
(र्ैसा दक ईमान लाने का िक़ िै) ‫ا‬ ‫و‬ ِ
अल्लाि पर और उसके रसूल पर ‫ه‬ ٰ
ٖ‫ا ِم ُن ْوا ِِبّٰللِ َو َر ُس ْولِه‬
और उस दकताब पर भी र्ो उसने
َ َّ َ ْ َّ ٰ ْ َ
अपने रसूल ‫ ﷺ‬पर नाहज़ल ‫ذي ْنل‬ ِ ‫ب ال‬ ِ ‫والكِت‬
फ़रमाई और उस दकताब पर भी
र्ो उसने पिले नाहज़ल की।” ٰ ْ َ ْ ُ َ ٰ َ
‫ب‬ ِ ‫لَع رسولِهٖ والكِت‬
َ َ َْ
ُ َ ْ ْٓ َّ
ۭ ‫ذي اْنل ِِم ق ْبل‬ ِ ‫ال‬
तौरात तहख़्तयों पर हलखी हुई, मकतूब शक्ल में िज़रत
मूसा अलै० को दी गई थी। वि चूाँदक दफ्फ़तन और र्ुमलतन
वाहिदतन (एक बार में पूरी) दे दी गई, इसहलये इसके हलये
लफ़्ज़ इन्ज़ाल आया िै, र्बदक क़ु रान थोड़ा-थोड़ा करके
बाइस-तेईस बरस में नाहज़ल हुआ। हलिाज़ा इसी के हज़मन
में लफ़्ज़ “नज़्ज़ला” इस्तमाल हुआ। चुनााँचे ऊपर वाली
आयत िैं “तन्ज़ील” और “इन्ज़ाल” एक-दूसरे के हबल्कु ल
मुक़ाबले में आये िैं। गोया यिााँ “ ‫اء‬
َ ْ ْ ُ ُْ
ُ ‫تع َرف اْلشی‬
[40] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

َ َْ
‫( ” ِِبضدا ِد َھا‬चीज़ें अपनी अज़्दाद से पिचानी र्ाती िैं) का
उसूल दुरुस्त बैठता िै।

हिकमते तन्ज़ील
अब िम यि र्ानने दक कोहशश करते िैं दक तन्ज़ील की
हिकमत क्या िै? यि थोड़ा-थोड़ा करके क्यों नाहज़ल दकया
गया और एक िी बार क्यों ना नाहज़ल कर ददया गया?
क़ु रान मर्ीद में इसकी दो हिकमतें बयान हुई िैं।
एक तो यि दक लोग शायद इसका तिम्मुल (बरदाशत)
ना कर सकते। चुनााँचे लोगों के तिम्मुल की ख़ाहतर थोड़ा-
थोड़ा करके नाहज़ल दकया गया तादक वि इसको अच्छी
तरि समझें, इस पर गौर करें और इसे िरज़े र्ान बनाएाँ
और इसी के मुताहबक़ उनके ज़िन व दफ़क्र की सति बुलंद
िो। यि हिकमत सूरि बनी इस्राइल की आयत 106 में
बयान की गई िै:
“और िमने क़ु रान को टु कड़ों- َٗ ْ َ ُ ْٰ َ ً ٰ ُ
टु कड़ों में मुन्क़हसम कर ददया ‫َوق ْراَن ف َرقنه لِتق َراه‬
तादक आप थोड़ा-थोड़ा करके ْ ُ ٰ َ َّ
ِ ‫الن‬
ََ
‫اس لَع مكث‬ ‫لَع‬
और वक़्र्े -वक़्र्े से लोगों को
ً ْ ْ َ ُ ٰ ْ َّ َ َّ
सुनाते रिें और िमने इसे ‫؁‬١٠٦ ‫ْنيًل‬ِ ‫وْنلنه ت‬
बतदरीर् उतारा।”
[41] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

इस हिकमत को समझने के हलये बाररश की हमसाल


मुलाहिज़ा कीहर्ये। बाररश अगर एकदम बहुत मूसलाधार
िो तो उसमें वि बरकात निीं िोती र्ो थोड़ी-थोड़ी और
तदरीर्न िोने वाली बाररश में िोती िै। बाररश अगर
तदरीर्न िो तो ज़मीन के अंदर र्ज़्ब िोती चली र्ायेगी,
लेदकन अगर मूसलाधार बाररश िो रिी िो तो उसका
अक्सर व बेशतर हिस्सा बिता चला र्ायेगा। यिी मामला
क़ु रान मर्ीद के इन्ज़ाल व तन्ज़ील का िै। इसमें लोगों की
मसलित िै दक क़ु रान उनके फ़िम में, उनके बाहतन में,
उनकी शहख़्सयतों में तदरीर्न सरायत करता चला र्ाये।
सरायत के िवाले से मुझे दर्र अल्लामा इक़बाल का शेर
याद आया िै:
चूाँ बर्ााँ दर रफ़त र्ााँ दीग़र शूद
र्ान चूाँ दीगर शद र्िााँ दीगर शूद!
“(यि क़ु रान) र्ब दकसी के बाहतन में सराित कर
र्ाता िै तो उसके अंदर एक इन्क़लाब बरपा िो
र्ाता िै, और र्ब दकसी के अंदर की दुहनया बदल
र्ाती िै तो उसके हलये पूरी दुहनया िी इन्क़लाब
की ज़द में आ र्ाती िै!”
तो र्ब यि क़ु रान दकसी के अंदर इस तरि उतर र्ाता
िै र्ैसे बाररश का पानी ज़मीन में र्ज़्ब िोता िै तो उसकी
शहख़्सयत में सराित कर र्ाता िै और उसके सराित करने
के हलये उसका तदरीर्न थोड़ा-थोड़ा नाहज़ल दकया र्ाना
िी हिकमत पर बनी िै। लेदकन इससे भी ज़्यादा अिम बात
सूरतुल फ़ु रक़ान में किी गयी िै, इसहलये दक विााँ कु फ़्फ़ारे
[42] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

मक्का हबल् ख़ुसूस सरदाराने क़ु रैश का बाक़ायदा एक


ऐतराज़ नक़ल हुआ िै। फ़रमाया:
“मुन्करीन किते िैं: इस शख़्स पर ْ ُ َ َ َ ْ َّ َ َ َ
सारा क़ु रान एक िी वक़्त में क्यों ‫ذْي كفروا‬ ِ ‫وقال ال‬
न उतार ददया गया? िााँ ऐसा ُ ٰ ْ ُ ْ ْ َ َ َ ُ َ ْ َ
‫ه القران‬ ِ ‫ْنل علي‬ ِ ‫لوْل‬
इसहलये दकया गया िै दक इसको
िम अच्छी तरि आप (‫ )ﷺ‬के َ َٰ ً َ
‫حدة ڔ كذلِك ڔ‬ َّ ً َ ْ ُ
ِ ‫ُجلة وا‬
ज़िेननशीन करते रिें और इसको
िमने बग़रज़े तरतील थोड़ा- َ َ َُ َ ‫ل ُن َثب‬
‫ت ِبهٖ فؤادك‬ ِ ِ
थोड़ा करके उतारा िै। और َ ً ْ َ ُ ٰ ْ َّ َ َ
(इसमें यि महस्लित भी िै दक) ‫؀ َوْل‬32 ‫َت ِت ْيًل‬ ‫ورتلنه‬
र्ब कभी वि आपके सामने कोई َّ َ َ َ َ ْ ُ َْ
हनराली बात (या अर्ीब सवाल) ‫ٰٓيُتنك ِِبثل ِاْل‬
लेकर आये, उसका ठीक र्वाब َ ْ َ ْ
َ ‫ك ِبْلَق َوا ْح َس‬ ٰ
बर वक़्त िमने आपको दे ददया ‫ن‬ ِ ِ ‫جئن‬ ِ
और बेितरीन तरीके से बात ۭ ‫ْيا‬ ً ْ ‫َتفس‬ ْ
खोल दी।” ‫؀‬33 ِ

ऐतराज़ यि था दक यि पूरा क़ु रान एकदम, एक बारगी


क्यों निीं नाहज़ल दर ददया गया? इस ऐतराज़ में र्ो वज़न
था, पिले इसको समझ हलहर्ये। उन्िोंने र्ो बात की दर
िक़ीक़त उससे मुराद यि थी दक र्ैसे िमारा एक शायर
दफ्फ़तन पूरा दीवान लोगों को फ़रािम निीं कर देता,
बहल्क वि एक ग़ज़ल किता िै, क़सीदा किता िै, दर्र
मज़ीद मेिनत करता िै, दर्र कु छ और तबा आज़माई करता
िै, दर्र कु छ और किता िै, इस तरि तदरीर्न दीवान बन
र्ाता िै, इसी तरीके से मुिम्मद (‫ )ﷺ‬कर रिे िैं। अगर
यि अल्लाि का कलाम िोता तो पूरा का पूरा एकदम
[43] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

नाहज़ल िो सकता था। यि तो दर िक़ीक़त इं सान की


कै दफ़यत िै दक पूरी दकताब दफ्फ़तन produce निीं कर
देता। पूरा दीवान तो दकसी शायर ने एक ददन के अंदर निीं
किा बहल्क उसे वक़्त लगता िै, वि मुसलसल मेिनत करता
िै, कु छ तकल्लुफ़ भी करता िै, कभी आमद भी िो र्ाती िै,
लेदकन वि कलाम दीवान की शक़्ल में तदरीर्न मदव्वन
िोता िै। तो यि तो इसी तरि की चीज़ िै।
“क्यों निीं यि क़ु रान इस पर ُ ٰ ْ ُ ْ ْ َ َ َ ُ َ ْ َ
ِ ‫ْنل علي‬
एकदम नाहज़ल िो गया?” ‫ه القران‬ ِ ‫لوْل‬
ً َ
‫حدة ڔ‬ َّ ً َ ْ ُ
ِ ‫ُجلة وا‬

अब इसका र्वाब ददया गया:


“यि इसहलये दकया िै तादक ऐ َ ‫ك ڔ ل ُن َثب‬َ َٰ
ٖ‫ت ِبه‬
नबी ‫ ﷺ‬िम इसके ज़ररये से ِ ِ ِ ‫كذل‬
आपके ददल को तस्बीत (र्माव) َ َ َ ُ
‫فؤادك‬
अता करें ।”
याहन वि बात र्ो आम इं सानों की महस्लित में िै वि
ख़ुद मुिम्मद रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬के हलये भी महस्लित पर
मब्नी िै दक आपके हलये भी शायद क़ु रान मर्ीद का
एकबारग़ी तिम्मुल करना मुहश्कल िो र्ाता। सूरतुल िश्र
के आहखरी रुकू में यि अल्फ़ाज़ वाररद हुए िैं:
“अगर िम पूरे के पूरे क़ु रान को ْ َ ٰ َ ْ َ َْ َْ
َ ‫ال ُق ْر ٰا‬
दफ्फ़तन दकसी पिाड़ पर ‫ن‬ ‫لو اْنلنا هذا‬
नाहज़ल कर देते तो तुम देखते दक ٗ َ ْ َ َّ َ ٰ َ
‫لَع ج َبل ل َرايته‬
वि अल्लाि के ख़ौर् से दब र्ाता
और र्ट र्ाता।” (आयत:21)
[44] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

ْ ً َ َ ُّ ً َ
‫دعا ِِم‬
ِ ‫اشعا متص‬ِ ‫خ‬
‫َ ْ َ ه‬
ۭ ِ‫خشي ِة ّٰللا‬

(नोट कीहर्ये दक यिााँ लफ़्ज़ “इन्ज़ाल” आया िै)। मालूम


हुआ दक क़ल्बे मुिम्मदी ‫ ﷺ‬को र्माव और ठिराव अता
करने के हलये इसे बतदरीर् नाहज़ल दकया गया िै:
“और िमने इसको बग़रज़े ً ْ َ ُ ٰ ْ َّ
‫َو َرتلنه َت ِت ْيًل‬
तरतील थो़़ड़ा-थोड़ा करके
उतारा िै।”
“रतल” छोटे पैमाने को, छोटे-छोटे टुकड़े करने को किते िैं।
अगली आयत में र्ो इशाुद हुआ उसके दोनों मफ़हूम िो
सकते िैं। एक यि दक ऐ नबी! र्ो ऐतराज़ भी यि िम पर
करेंगे िम उसका बेितरीन र्वाब आपको अता कर देंगे।
लेदकन दूसरा मफ़हूम यि भी िै दक यि एक मुसलसल
कशाकश िै र्ो आपके और मुश्रीकीने अरब के दरहमयान
चल रिी िै। आर् वि एक बात किते िैं, अगर उसी वक़्त
उसका र्वाब ददया र्ाये तो वि दर िक़ीक़त आपकी दावत
के हलये मौज़ूं िैं। अगर यि सारे का सारा कलामे इलािी एक
िी मतुबा नाहज़ल िो र्ाता तो िालात के साथ उसकी
मुताहबक़त और उनकी तरफ़ से पेश िोने वाले ऐतराज़ात
का बर वक़्त र्वाब न िोता और इसके अंदर र्ो असर
अंदाज़ िोने की कै दफ़यत िै वि िाहसल न िोती। इस तदरीर्
में अपनी र्गि मौज़ूहनयत िै और उसकी अपनी तासीर िै।
इस ऐतबार से क़ु रान मर्ीद को तदरीर्न नाहज़ल दकया
गया।
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)[45] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com

क़ु रान करीम का ज़माना-ए-नुज़ल


ू और अज़े नुज़ल

रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬पर क़ु रान करीम के नुज़ूल के
हज़मन में अब दो छोटी-छोटी चीज़ें और नोट कर लीहर्ये।
यि हसर्ु मालूमात के हज़मन में िैं। इसका ज़माना नुज़ूल
क्या िै? िम हर्स हिसाब (सन् ईसवी) से बात करने के
आदी िैं, उसी हिसाब से िमारे ज़िन का सुग़रा-कबरा बना
हुआ िै। इस ऐतबार से नोट कर लीहर्ये दक क़ु रान िकीम
का ज़माना-ए-नुज़ूल 610 ई० से 632 ई० तक 22 बरस
पर मुश्तहमल िै। क़मरी हिसाब से यि 23 बरस बनेंगे। 40
आमुल फ़ील से शुरू करें तो 12 साल क़ब्ले हिर्रत और 11
हिर्री साल हमलकर 23 साल क़मरी बनेंगे। हर्नके दौरान
यि क़ु रान बतज़े तन्ज़ील थोड़ा-थोड़ा करके नाहज़ल हुआ।
सिी िदीसों में यि शिादत मौर्ूद िै दक पिले सूरि अलक़
की पााँच आयतें नाहज़ल हुई, दर्र तीन साल का वक़्फ़ा
आया। सूरि अलक़ की यि पााँच आयात भी चूाँदक क़ु रान
मर्ीद का हिस्सा िैं, हलिाज़ा सिी क़ौल यिी िै दक क़ु रान
िकीम का ज़माना-ए-नुज़ूल 23 क़मरी या 22 शम्सी साल
िै।
अब यि दक नुज़ूल की र्गि कौनसी िै? इस हज़मन में
हसफ़ु एक लफ़्ज़ नोट कर लीहर्ये दक तक़रीबन पूरे का पूरा
क़ु रान “हिर्ाज़” में नाहज़ल हुआ। इसहलये दक अग़ाज़े विी
के बाद हुज़ूर अकरम ‫ ﷺ‬का कोई सफ़र हिर्ाज़ से बािर
साहबत निीं िै। अग़ाज़े विी से क़ब्ल आप ‫ ﷺ‬ने
मुतादददद सफ़र दकये िैं। आप ‫ ﷺ‬शाम का सफ़र करते
थे, यक़ीनन यमन भी आप ‫ ﷺ‬र्ाते िोंगे। इसहलये दक
ّ ‫الشتا ِء َو‬ َ َۗ ّ ََ
ِ ‫الص ْي‬
अल्फ़ाज़े क़ु रानी “‫ف‬ ِ ‫ ” ِر ْحلۃ‬की रू से क़ु रैश के
[46] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

सालाना दो सफ़र िोते थे। गर्मुयों के मौसम में हशमाल की


तरफ़ र्ाते थे, इसहलये दक फ़लस्तीन का इलाक़ा हनस्बतन
ठं डा िै, और सर्दुयों के मौसम में वि र्ुनूब की तरफ़ (यमन)
र्ाते थे, इसहलये दक वि गमु इलाक़ा िै। तो हुज़ूर अकरम
‫ ﷺ‬ने भी हतर्ारती सफ़र दकये िैं। बाज़ मुिक़्क़ीन ने तो
यि इम्कान भी ज़ाहिर दकया िै दक आप ‫ ﷺ‬ने उस ज़माने
में कोई बेिरी सफ़र भी दकया और ग़ल्फ़ को उबूर करके
मकरान के साहिल पर दकसी र्गि आप ‫ ﷺ‬तशरीफ़
लाये। (वल्लाहु आलम!) यि बात मैंने डाक्टर िमीदुल्लाि
सािब के एक लेक्चर में सुनी थी र्ो उन्िोंने िैदराबाद
(हसन्ध) में ददया था, लेदकन बाद में इस पर हर्रि हुई दक
यि बहुत िी कमज़ोर क़ौल िै और इसके हलये कोई सनद
मौर्ूद निीं िै। अलबत्ता “अल् ख़बर” र्िााँ आर् आबाद िै
विााँ पर तो िर साल एक बहुत बड़ा हतर्ारती मेला लगता
था और हुज़ूर ‫ ﷺ‬का विााँ तक आना साहबत िै। बिरिाल
आपको मालूम िै दक हुज़ूर ‫ ﷺ‬आग़ाज़े विी के बाद दस
साल तक तो मक्का मुकरुमा में रिे, इसके बाद ताईफ़ का
सफ़र दकया िै। दर्र आस-पास “अकाज़” का मेला लगता था
और मंहडयााँ लगती थीं, उनमें आपने सफ़र दकये िैं। दर्र
आप ‫ ﷺ‬ने मदीना मुनव्वरा हिर्रत फ़रमाई। इसके बाद
सब र्ंगें हिर्ाज़ के इलाक़े िी में हुईं, हसवाये ग़र्व-ए-तबूक
के । लेदकन तबूक भी असल में हिर्ाज़ िी का हशमाली हसरा
िै, इस ऐतबार से हिर्ाज़ िी का इलाक़ा िै हर्समें क़ु रान
करीम नाहज़ल हुआ था। तािम दो आयतें इस ऐतबार से
मुस्तसना क़रार दी र्ा सकती िैं दक वि ज़मीन पर निीं
बहल्क आसमान पर नाहज़ल हुईं। िज़रत अब्दुल्लाि हबन
[47] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

मसऊद (रहज़०) से सिी मुहस्लम में ररवायत मौर्ूद िै दक


शबे मेरार् में अल्लाि तआला ने आप ‫ ﷺ‬को र्ो तीन
तोिफ़े अता दकये उनमें नमाज़ की फ़र्ज़ुयत और दो आयाते
क़ु रानी शाहमल िैं। यि सूरतुल बक़रि की आहख़री दो
आयात िैं र्ो अशु के दो ख़र्ाने िैं र्ो मुिम्मद रसूल अल्लाि
‫ ﷺ‬को शबे मेरार् में अता हुए। तो यि दो आयतें
मुस्तसना िैं दक यि ज़मीन पर नाहज़ल निीं हुईं बहल्क आप
‫ ﷺ‬को हसरतुल मुन्तिा पर दी गयीं और ख़ुद आप ‫ﷺ‬
सातवें आसमान पर थे, र्बदक बाक़ी पूरा क़ु रान आसमान
से ज़मीन पर नाहज़ल हुआ िै। हर्योग्रार्याई ऐतबार से
हिर्ाज़ का इलाक़ा मिबत विी िै।

(3) क़ु रान िकीम की मिफ़ू हर्यत


मैंने अज़ु दकया था दक क़ु रान के बारे में तीन बुहनयादी
और ऐतक़ादी (हवश्वासी) चीज़ें िैं: अव्वल, यि अल्लाि का
कलाम िै दूसरा, यि मुिम्मद रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬पर
नाहज़ल हुआ। तीसरा, यि मन व अन कु ल का कु ल मिफ़ू ज़
िै। इसमें ना कोई कमी हुई िै ना कोई बेशी हुई िै। ना कमी
िो सकती िै ना बेशी िो सकती िै। ना कोई तिरीफ़ हुई िै
न कोई तब्दीली। यि गोया िमारे अक़ीदे (हवश्वास) का र्ुज़्वे
ला यन्र्क (वि हिस्सा र्ो कभी छोड़ा निीं र्ा सकता) िै।
इसमें कु छ इश्तबा (शक) अिले तशय्यो (हशया लोगों) ने
पैदा दकया िै, लेदकन उनकी बात भी मैं कु छ यक़ीन के साथ
इसहलये निीं कि सकता दक उनका यि क़ौल भी सामने
आता िै दक “िम इस क़ु रान को मिफ़ू ज़ मानते िैं।” अलबत्ता
अवाम में र्ो चीज़ें मशहूर िैं दक क़ु रान से फ़लाि आयात
[48] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

हनकाल दी गईं, फ़लाि सूरत िज़रत अली (रहज़०) की मदि


या शान में थीं, वि इसमें से हनकाल दी गई वग़ैरि, उनके
बारे में मैं निीं कि सकता दक यि उनमें से अवाम का ला
नाम की बातें िैं या उनके ऐताक़ादात (हवश्वास) में शाहमल
िैं। लेदकन यि दक बिरिाल अिले सुन्नत का इज्माई अक़ीदा
(पूरी उम्मत इस पर सिमत) िै दक यि क़ु रान िकीम
मिफ़ू ज़ िै और कु ल का कु ल मन व अन िमारे सामने मौज़ूद
िै। इसके हलये ख़ुद क़ु रान मर्ीद से र्ो गवािी हमलती िै
वि सबसे ज़्यादा नुमायां (साफ़) िोकर सूरतुल दक़यामा में
आई िै। फ़रमाया:
َ ٰ ُ ٗ َ ْ َ َ َ َ َّ َ َ ْ َ َ َ ْ َُ َ
ٗ ‫ِن عل ْينا ُجعه َوق ْرانه‬
‫؀ ا‬16ۭ ٖ‫ْل ُت ِرك ِبهٖ ل ِ َسانك لِتعجل ِبه‬

‫؀‬17‫ښ‬
रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬को अल्लाि तआला ने अज़रािे शफ़्क़त
(प्यार से) फ़रमाया: “आप इस क़ु रान को याद करने के हलये
अपनी ज़बान को तेर्ी से िरकत न दें। इसको याद करवा
देना और पढ़वा देना िमारे हज़म्मे िै।” आप ‫ ﷺ‬मुशक्क़त
(तकलीर्) न झेलें, यि हज़म्मेदारी िमारी िै दक िम इसे
आप ‫ ﷺ‬के सीने मुबारक के अंदर र्मा कर देंगे और
इसकी तरतीब क़ायम कर देंगे, इसको पढ़वा देंगे। हर्स
तरतीब से यि नाहज़ल िो रिा िै उसकी ज़्यादा दफ़क्र न
कीहर्ये। असल तरतीब हर्समें इसका मुरतब्ब दकया र्ाना
िमारे पेश नज़र िै, र्ो तरतीब लौिे मिफ़ू ज़ की िै उसी
ٗ َ َ َ َ َ َّ َّ ُ
तरतीब से िम पढ़वा देगें। { ‫؀‬19ۭ ‫ِن عل ْينا ب َيانه‬
‫ }َث ا‬दर्र
अग़र आपको दकसी चीज़ में इब्िाम मिसूस िो और वज़ाित
[49] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

(समझाने) की ज़रुरत िो तो इसकी तौज़ीि और तद्वीन भी


िमारे हज़म्मे िै।
यि सारी हज़म्मेदारी अल्लाि तआला ने ख़ुद अपने
ऊपर ली िै। अगर इन आयात को कोई शख्स क़ु रान मर्ीद
की आयात मानता िै तो उसको मानना पड़ेगा दक क़ु रान
मर्ीद पूरे का पूरा र्मा िै, इसका कोई हिस्सा ज़ाया निीं
हुआ। सराित के साथ यि बात सूरि अल् हिज्र की आयत 9
में मज़कू र िै। र्रमाया:
“िमने िी इस ‘अल् हज़क्र’ को ْ َ ْ َّ َ ُ ْ َ َّ
नाहज़ल दकया िै और िम िी ‫الذك َر‬
ِ ‫ن ْنلنا‬ ‫اَِن َن‬
इसकी हिफ़ाज़त करने वाले िैं।” َ ‫ْلف ُظ ْو‬
َ
ٰ ٗ َ َّ َ
‫ن‬ ِ ‫واَِن له‬
यि गोया िमेशा-िमेश के हलये अल्लाि तआला की तरफ़ से
गारंटी िै दक िमने इसे नाहज़ल दकया और िम िी इसके
मुिादफ़ज़ िैं। इस िक़ीक़त को अल्लामा इक़बाल ने ख़ूबसूरत
शेर में बयान दकया िै:
िफ़े ऊ रा रैब ने, तब्दील ने
आय इश शर्मिंदा तावील ने
“इसके अल्फ़ाज़ में ना दकसी शक व शुबि का
शायबा िै न रद्दो-बदल की गुंर्ाईश। और इसकी
आयत दकसी तावील की मोिताज़ निीं।”
इस शेर में तीन ऐतबारात से नर्ी की गई िै: (1) क़ु रान
के हुरूफ़ में याहन इसके मतन में कोई शक़ व शुबि की
गुंर्ाइश निीं। यि हमन व अन मिफ़ू ज़ िै। (2) इसमें किीं
कोई तिरीफ़ (पररवतुन) हुई िो, किीं तब्दीली की गयी िो,
क़तअन ऐसा निीं। (3) क्या इसकी आयात की उलट-पुलट
[50] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

तावील भी की र्ा सकती िै? निीं! यि आहख़री बात


बज़ाहिर बहुत बड़ा दावा मालूम िोता िै, इसहलये दक
तावील के ऐतबार से क़ु रान मर्ीद के मायने में लोगों ने
तिरीफ़ की, लेदकन वाक़्या यि िै दक क़ु रान मर्ीद में अगर
किीं माअन्वी तिरीफ़ की कोहशश भी हुई िै तो वि क़तअन
दर्ाु-ए-इस्तनाद को निीं पहुाँच सकी, उसे कभी भी
इस्तक़लाल और दवाम िाहसल निीं िो सका, क़ु रान ने ख़ुद
उसको रद्द कर ददया। हर्स तरि दूध में से मक्ख़ी हनकाल
कर र्ें क दी र्ाती िै, ऐसी िी तावीलात भी उम्मत की
तारीख़ के दौरान किीं भी र्ड़ निीं पकड़ सकी िै और इसी
तरि हनकाल दी गई िैं। इस बात की सनद भी क़ु रान में
मौर्ूद िै। सूरि िा मीम सर्दा की आयत 42 में िै:
“बाहतल इस (क़ु रान) पर ْۢ ِ ُ َ ْ ِ ْ َ َّ
ْ
िमलावर निीं िो सकता, ना ‫ِم‬ ‫ل‬ ‫ط‬
ِ ‫ا‬ ‫ب‬‫ال‬ ‫ه‬‫ي‬ ‫ت‬
ِ ‫ْل ٰٓي‬
सामने से ना पीछे से, यि एक ْ َ ْ ََ َْ
‫ه َوْل ِِم‬ِ ‫ْي يدي‬ ِ ‫ب‬
िकीम व िमीद की नाहज़ल
ٌْ َْ ْ َ
करदा चीज़ िै।” ْ ْ
‫ْنيل ِِم َحكِي‬ ِ ‫خل ِفهٖ ۭت‬
َ
‫ْح ْيد‬
ِ

यि बात हसरे से ख़ाररर् अज़ इम्कान (मुमदकन िी निीं)


िै दक इस क़ु रान में कोई तिरीफ़ (पररवतुन) िो र्ाये, इसका
कोई हिस्सा हनकाल ददया र्ाये, इसमें कोई ग़ैर क़ु रान
शाहमल कर ददया र्ाये। सूरतुल िाक़्क़ा की यि आयात
मुलाहिज़ा कीहर्ये र्िााँ गोया इस इम्कान की नफ़ी में
मुबालगे का अंदाज़ िै:
[51] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

“(कोई और तो इसमें इज़ार्ा َ ْ َ َ ْ َ َ َ َّ َ َ ْ َ َ


क्या करे गा) अगर यि (िमारे ‫ولو تقول علينا بعض‬
नबी मुिम्मद ‫ )ﷺ‬ख़ुद भी َ ْ َ َ َ ْ َ َ ْ
‫ ؀ ْلخذَن‬44 ‫ل‬ ِ ‫او‬
‫ي‬ ِ ‫اْلق‬
(बफ़ज़े मिाल) अपनी तरफ़ से
कु छ गढ़ कर इसमें शाहमल कर दें َّ ُ ْ َ ْ ُ ْ
‫؀ َث‬45 ‫ْي‬ ِ ‫ِمنه ِِبلي ِم‬
तो िम इन्िें दाहिने िाथ से
ْ ُ ْ َ ْ َ ََ
पकड़ेंगे और इनकी शि रग़ काट ‫؀‬46‫ْي ڮ‬ َ ْ ‫ال َوت‬
ِ ‫لقطعنا ِمنه‬
देंगे। दर्र तुम में से कोई (बड़े से َ ْ ْ ُ ْ ََ
बड़ा मुिादफ़ज़ व मददगार) निीं ‫ُك ِِم ا َحد‬ ‫َفا ِمن‬
िोगा दक र्ो उन्िें िमारी पकड़
َ ْ ‫ه ِٰحـز‬
ُ َْ
से बचा सके ।” ‫؀‬47 ‫ْي‬ ِ ِ ‫عن‬
यिााँ तो मुिम्मद रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬के हलये भी इस हशद्दत
के साथ नफ़ी कर दी गयी िै। कु फ़्फ़ारे मुहश्रकीन की तरफ़ से
मुतालबा दकया र्ाता था दक आप इस क़ु रान में कु छ नरमी
और लचक ददखायें यि तो बहुत rigid िै, बहुत िी
uncompromising िै, बिरिाल दुहनया में मामलात
“कु छ लो कु छ दो” (give and take) से तय िोते िैं,
हलिाज़ा कु छ आप नरम पड़ें कु छ िम नरम पड़ते िैं। इसके
बारे में फ़रमाया: (अल् क़लम, आयत:9)
“वि तो चािते िैं दक आप कु छ َ
ُ ‫َو ُّد ْوا ل ْو ُت ْد ِه‬
ढ़ीले िो र्ायें तो यि भी ढ़ीले िो
‫ن‬
र्ायेंगे।” َ ‫َف ُي ْده ُن ْو‬
‫ن‬ ِ
और सूरि यूनुस में इशाुद हुआ:
[52] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

“र्ब उन्िें िमारी आयाते ْ ‫عل َ ْْي‬ َ ُْ َ


बहय्यनात सुनाई र्ाती िैं तो वि ‫م‬ ِ ‫َواِذا تت ّٰٰل‬
लोग र्ो िमसे हमलने की َ َ ٰ َ َ ُ َ ٰ
‫آٰيتنا ب ِينت قال‬
तवक़्क़ो निीं रखते, किते िैं दक
इस क़ु रान के बर्ाये कोई और َ ۗ َ َ ْ ُ ْ َ َ َ ْ َّ
‫ن لِقا َءَن‬ ‫ذْي ْل ُيجو‬ ِ ‫ال‬
क़ु रान लायें या इसमें कु छ
َٓ َ ٰ َْ ْ
तरमीम कीहर्ये। (ऐ नबी!इनसे) ‫ْي ھذا ا ْو‬ ِ ‫ت ِبقران غ‬
ْٰ ُ
ِ ‫ائ‬
कि दीहर्ए मेरे हलये िर्ग़ुज़
मुमदकन निीं िै दक मैं अपने ْٓ ‫ن‬
‫ِل‬ ُ ‫ه ۭ ُق ْل َما يَكُ ْو‬ ُ ْ َ
‫دل‬
ِ ِ ‫ب‬
ख़्याल और इरादे से इसके अंदर ۗ َْ
ْ ِ َٗ َُ ْ َ
कु छ तब्दीली कर सकूाँ । मैं तो ख़ुद ‫ي‬ ِ ‫ا‬ ‫ق‬‫ل‬ ‫ت‬
ِ ‫ِم‬ ‫دله‬ ِ ‫ان اب‬
पाबंद हूाँ उसका र्ो मुझ पर विी َ َّ ُ َّ َ ْ ْ ِ ‫نَ ْف‬
दकया र्ाता िै। अगर मैं अपने रब ‫ِن ات ِبع اِْل ما‬ ‫ِس ا‬
की नाफ़रमानी करुाँ तो मुझे एक ْ ‫اف ا‬ ُ َ َ ْٓ َّ َ ‫ُي اِح ا‬ ُْ
बड़े िौलनाक ददन के अज़ाब का ‫ِن‬ ‫ِِل ا ِِِن اخ‬
डर िै।” َ ‫ّب عَ َذ‬ ْ ‫ت َر‬ ُ ‫ص ْي‬ َ ‫ع‬ َ
‫اب‬ ِ
ْ َ َْ
‫؀‬15 ‫ُيم ع ِظي‬

यि िै क़ु रान मर्ीद की शान दक यि लफ़्र्न, मायनन,


मतनन कु ल्ली तौर पर (िर तरि से) मिफ़ू ज़ िै।

❀❀❀
[53] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

बाब दोम (दूसरा)

चन्द मुतफ़र्रु क़ मुबाहिस

क़ु रान मर्ीद की ज़बान

अब आईये अगली बिस की तरफ़ दक क़ु रान मर्ीद की


ज़बान क्या िै और इस ज़बान की शान क्या िै। यि बात भी
क़ु रान मर्ीद ने बहुत तकरार और इआदि (दोिराना) के
साथ बयान की िै दक यि क़ु रान अरबी मुबीन में िै, याहन
सस्ता, साफ़, सलीस, खुली और वाज़ेि अरबी में िै।
क़ु रान मर्ीद अल्लाि का कलाम िै। इसने हर्न हुरूफ़
व अस्वात (आवाज़) का र्ामा पिना वि हुरूफ़ व अस्वात
लौिे मिफ़ू ज़ में िैं। इसके बाद वि कलामे इलािी, क़ौले
हर्ब्रील अलै० और क़ौले मुिम्मद ‫ ﷺ‬बनकर नाहज़ल
हुआ और लोगों के सामने आया। चुनााँचे सूरि अल् र्ुख़फ़ु के
आग़ाज़ में इशाुद हुआ:
“िा, मीम। क़सम िै इस वाज़ेि ٰ ْ َ ‫ٰ ۗ ڔ‬
दकताब की! िमने इसे क़ु राने ‫ب‬ِ ‫ۙ۝ والك‬Ǻ ‫حـم‬
‫ِت‬
अरबी बनाया िै तादक तुम समझ ُ ٰ ْ َ َ َّ ْ ُ ْ
‫ۙ۝ اَِن جعلنه‬Ą‫ْي ڒ‬ ِ ‫الم ِب‬
सको।”
ُ
ْ َّ ‫ع َرب ايا ل َّ َعل‬
‫ُك‬
َ ً ٰ ُْ
ِ ‫قرءَن‬

‫ۙ۝‬Ǽ ‫ن‬ َ ‫َت ْعقل ُ ْو‬


ِ
[54] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

क़ु रान की मुख़ाहतब अव्वल क़ौम हिर्ाज़ में आबाद थी।


उससे किा र्ा रिा िै दक िमने इस क़ु रान को तुम्िारी
ज़बान में बनाया। उसने अव्वलन हुरूफ़ व अस्वात का र्ामा
पिना िै, दर्र तुम्िारी ज़बान अरबी का र्ामा पिनकर
तुम्िारे सामने नाहज़ल दकया गया िै तादक तुम इसको समझ
सको।
यिी बात सूरि यूसुफ़ के शुरू में किी गयी िै:
“अहलफ़, लाम, रा। यि उस ٰ ْ ُ ٰ ٰ َ ْ ٰۗ
दकताब की आयात िै र्ो अपना ‫ب‬ِ ‫الر ۣ ِتلك ايت الك‬
‫ِت‬
मदअन साफ़-साफ़ बयान करती ُ ٰ ْ َ ْ َ ٓ َّ ْ ُ ْ
‫ ۣۙ۝ اَِن اْنلنه‬Ǻ ‫ْي‬ ِ ‫الم ِب‬
िै। िमने इसे नाहज़ल दकया िै
ُ
क़ु रान बनाकर अरबी ज़बान में ‫ُك‬ ْ َّ ‫ع َرب ايا ل َّ َعل‬َ ً ٰ ُْ
ِ ‫قرءَن‬
तादक तुम समझ सको।”
‫ۙ۝‬Ą ‫ن‬ َ ‫َت ْعقل ُ ْو‬
ِ
सूरि अल् शौरा में फ़रमाया:
“साफ़-साफ़ अरबी ज़बान में َ
(नाहज़ल दकया गया)।” ‫ع َر ِّب‬ ‫ِبلِ َسان‬
ْ ُّ
‫؀‬١٩٥ۭ ‫م ِبْي‬

सूरि अल् ज़ुमुर में इशाुद फ़रमाया:


“ऐसा क़ु रान र्ो अरबी ज़बान में ْ ََْ َ ً ٰ ُ
िै, हर्समें कोई टेढ़ निीं िै, तादक
‫ذي‬ ِ ‫ق ْراَن ع َر ِب ايا غْي‬
वि बच कर चलें।” َ ‫ع َوج ل َّ َعل َّ ُه ْم ي َ َّت ُـق ْو‬
‫؀‬28 ‫ن‬ ِ
[55] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

इसमें किीं कर्ी निीं, किीं कोई ऐच-पेच निीं, इसकी


ज़बान बहुत सलीस, सस्ता और हबलकु ल वार्ेि ज़बान िै।
इसमें किीं पिेहलयााँ बुझवाने का अंदाज़ निीं िै।
अब नोट कीहर्ये दक क़ु रान की अरबी कौनसी अरबी
िै? इसहलये दक अरबी ज़बान एक िै मगर इसके dialects
और इसकी बोहलयााँ बेशुमार िै। ख़ुद र्ज़ीरा नुमाए अरब
में कई बोहलयााँ थीं, तलफ्र्ु ज़ और लिर्े मुख़तहलफ़ थे।
बाज़ अल्फ़ाज़ दकसी ख़ास इलाक़े में मुस्तहमल थे और दूसरे
इलाक़े के लोग उन अल्फ़ाज़ को र्ानते िी निीं थे। आर् भी
किने को तो हमश्र, लीहबया, अल् र्ज़ाइर, मुरताहनया और
हिर्ाज़ की ज़बान अरबी िै, लेदकन उनके यिााँ र्ो फ़सीि
अरबी किलाती िै वि तो एक िी िै। वि दरिक़ीक़त एक
इसहलये िै दक क़ु रान मर्ीद ने उसे दवाम अता दकया िै।
यि क़ु रान मर्ीद का अरबी ज़बान पर अज़ीम अिसान िै।
इसहलये दक दुहनया में दूसरी कोई ज़बान भी ऐसी निीं िै
र्ो चौदि सौ बरस से एक िी शान और एक िी कै दफ़यत के
साथ बाकी िो। उदूु ज़बान िी को देहखये 100-200 बरस
पुरानी उदूु आर् िमारे हलये नाक़ाहबले फ़िम िै। दक्कन की
उदूु िमें समझ निीं आ सकती, इसमें दकतनी तब्दीली हुई
िै। इसी तरि फ़ारसी ज़बान का मामला िै। एक वि फ़ारसी
थी र्ो अरबों की आमद और इस्लाम के ज़ुहूर के वक़्त थी।
अरबों के िाथों ईरान फ़ति हुआ तो रफ़्ता-रफ़्ता उस
फ़ारसी का रंग बदलता गया। अब उसको दर्र बदला गया
िै और उसमें से अरबी अल्फ़ाज़ को हनकाल कर उसके लिर्े
भी बदल ददये गये िैं। एक फ़ारसी वि िै र्ो अफ़ग़ाहनस्तान
में बोली र्ाती िै, वि िमारी समझ में आती िै। इसहलये
[56] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

दक र्ो फ़ारसी यिााँ पढ़ाई र्ाती थी वि यिी फ़ारसी थी।


आर् र्ो फ़ारसी ईरान में पढ़ाई र्ा रिी िै वि बहुत
मुख़्तहलफ़ िै, अपने लिर्े में भी और अपने अल्फ़ाज़ के
ऐतबार से भी। लेदकन अरबी “फ़सीि ज़बान” एक िै। यि
असल में हिर्ाज़ के बद्दुओं की ज़बान थी। पूरा क़ु रान
िकीम हिर्ाज़ में नाहज़ल हुआ। िर्ाज़ में बाददया नशीन
थे। अरबों का किना िै दक ख़ाहलस ज़बान बाददया नशीनों
की िै, शिर वालों की निीं। र्बदक मक्का शिर था और विााँ
बािर से भी लोग आते रिते थे। क़ादर्ले आ रिे िैं, र्ा रिे
िैं, ठिर रिे िैं। र्िााँ इस तरि आमद व रफ्त िो विााँ ज़बान
ख़ाहलस निीं रिती और उसमें ग़ैर ज़बानों के अल्फ़ाज़
शाहमल िोकर मुस्तहमल िो र्ाते िैं और बोल-चाल में आ
र्ाते िैं। ख़ास इसी वर्ि से मक्का के शरफ़ा अपने बच्चों को
पैदाइश के फ़ौरन बाद बाददया नशीनों के पास भेर् देते थे।
एक तो दूध हपलाने का मामला था। दूसरा यि दक उनकी
ज़बान साफ़ रिे, ख़ाहलस अरबी ज़बान रिे और वि िर
हमलावट से पाक रिे। तो क़ु रान मर्ीद हिर्ाज़ के बाददया
नशीनों की ज़बान में नाहज़ल हुआ।
अलबत्ता यि साहबत िै दक क़ु रान मर्ीद में कु छ
अल्फ़ाज़ दूसरे क़बाइल और दूसरे इलाक़ों की ज़बानों के भी
आये िैं। अल्लामा र्लालुद्दीन स्यूती रहि० ने ऐसे अल्फ़ाज़
की र्े िररस्त मुरत्तब (हलस्ट बनाई िै) की िै। इसके अलावा
कु छ ग़ैर अरबी अल्फ़ाज़ भी क़ु रान मर्ीद में आये िैं र्ो
मौरब िो गये िैं। इब्रािीम, इस्माईल, इस्राईल, इस्िाक़ यि
तमाम नाम दरिक़ीक़त अबरानी ज़बान के अल्फ़ाज़ िैं।
लफ़्ज़ “ईल” अबरानी ज़बान में अल्लाि के हलये आता िै
[57] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

और यि लफ़्ज़ िमारे यिााँ क़ु रान मर्ीद के ज़ररये आया िै।


इसी तरीके से “हसज्जील” का लफ़्ज़ फ़ारसी से आया िै।
सिरा में किीं बाररश के नतीर्े में िल्की सी र्ु िार पड़ी िो
तो बाररश के क़तरों के साथ रेत के छोटे-छोटे दाने बन र्ाते
िैं और दर्र तेज़ धूप पड़ने पर ऐसे पक र्ाते िैं र्ैसे भट्टे में
ईंटो को पका ददया गया िो। यि कं कर “हसज्जील” किलाते
िैं र्ो “संगे गुल” का मौरब िै। बाक़ी अक्सर व बेशतर क़ु रान
मर्ीद की ज़बान हर्समें यि नाहज़ल हुआ, वि हिर्ाज़ के
इलाक़े के बाददया नशीनों की अरबी िै, हर्समें फ़साित व
बलाग़त नुक़्ता-ए-उरूर् पर िै और इसका लोिा माना गया
िै।
इसके अलावा क़ु रान मर्ीद में एक सौती आिंग िै।
इसका एक “मलकू ती हगना” (Divine Music) िै, इसकी
एक अज़ूबत और हमठास िै। यि दोनों चीज़ें अरब में पूरे
तौर पर तस्लीम की गई िैं और लोगों पर सबसे ज़्यादा
मरऊहबयत (पसंद) क़ु रान िकीम की फ़साित, बलाग़त और
अज़ूहबत िी से तारी हुई िै। उनकी अपनी ज़बान में िोने के
ऐतबार से ज़ाहिर बात िै दक क़ु रान के बेितरीन नाक़द भी
विी िो सकते थे। वाज़ेि रिे दक अदब में “तन्क़ीद” दोनों
पिलुओं को मुिीत िोती िै। दकसी चीज़ की क़र व क़ीमत
का अंदाज़ा लगाना, उसे र्ााँचना, परखना। उसमें कोई
ख़ामी िो तो उसको नुमाया करना, और अगर कोई
मुिाहसन िो तो उनको समझना और बयान करना। इस
ऐतबार से इसकी फ़साित व बलाग़त को तस्लीम दकया
गया िै।
[58] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

मैं अज़ु कर चुका हूाँ दक अरबी ज़बान आर् भी मुख़्तहलफ़


इलाक़ों में मुख़्तहलफ़ लिर्ों और बोहलयों की शक़्ल
इहख़्तयार कर चुकी िै। एक इलाक़े की आमी (colloquial)
रबी दूसरे लोगों की समझ में निीं आती थी। ख़ुद नुज़ूले
क़ु रान के ज़माने में नर्द के लोगों की ज़बान हिर्ाज़ के
लोगों की समझ में निीं आती थी। इसकी वज़ाित एक िदीस
में भी हमलती िै दक नर्द से कु छ लोग आए और वि हुज़ूर
‫ ﷺ‬से ग़ुफ़्तगु कर रिे थे र्ो बड़ी मुहश्कल से समझ में आ
रिी थी और लोग उसे समझ निीं पा रिे थे। आर् भी नर्द
के लोग र्ो गुफ़्तगु करते िैं तो वादक़या यि िै दक अरबी से
वाक़दफ़यत (र्ानने) िोने के बावर्ूद उनकी अरबी िमारी
समझ में निीं आती, उनका लबो लिर्ा हबल्कु ल मुख़्तहलफ़
िै। क़ु रान िकीम की ज़बान हिर्ाज़ के बाददया नशीनों की
िै। हलिाज़ा अगर तिक़ीक़ व तदब्बुर क़ु रान का िक़ अदा
करना िो तो र्ाहिहलयत की शायरी पढ़ना ज़रूरी िै।
अइम्मा-ए-लुग़त (Master of language) ने एक-एक
लफ़्ज़ की तिक़ीक़ करके और बड़ी गिराईयों में उतर कर
र्ाहिली शायरी के िवाले से हर्तने भी इस्तशिाद (प्रमाण)
िो सकते थे उनको ख़ंगाल कर क़ु रान में मुस्तहमल अल्फ़ाज़
के माद्दों के मफ़हूम मुअय्यन (अथु बता ददये) कर ददये िैं।
एक आम क़ारी को, र्ो क़ु रान से तज़्ज़कु र करना चािे, हसफ़ु
हिदायत िाहसल करना चािे, इस झगड़े में पड़ने की चंदान
ज़रूरत निीं िै। अलबत्ता तदब्बुर क़ु रान के हलये र्ब
तिक़ीक़ की र्ाती िै तो र्ब तक दकसी एक लफ़्ज़ की असल
पूरी तरि मालूम न की र्ाए और उसके बाल की ख़ाल न
उतार ली र्ाए तिक़ीक़ का िक़ अदा निीं िोता। इस
[59] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

ऐतबार से शेर र्ाहिली की ज़बान को समझना तदब्बुर


क़ु रान के हलये यक़ीनन ज़रूरी िै।

क़ु रान के अस्मा व हसफ़ात

अगली बिस क़ु रान िकीम के अस्मा (नाम) व हसफ़ात


(गुणों) की िै। अल्लाम र्लालुद्दीन स्यूहत रहि० ने अपनी
शिरा आफ़ाक़ दकताब “अल् इत्तेर्ाक़ फ़ी उलूमुल क़ु रान” में
क़ु रान िकीम के अस्मा व हसफ़ात क़ु रान िकीम िी से लेकर
पचपन (55) नामों की फ़े िररस्त मुरत्तब (तैयार) की िै। मैंने
र्ब इस पर ग़ौर दकया तो अंदाज़ा हुआ दक वि भी काहमल
निीं िै, मसलन लफ़्ज़ “बुरिान” उनकी फ़े िररस्त में शाहमल
निीं िै। दरिक़ीक़त (असल में) क़ु रान मर्ीद की हसफ़ात,
इसकी शानों और इसकी तासीर के हलये मुख़्तहलफ़ अल्फ़ाज़
को र्मा दकया र्ाये तो 55 िी निीं इससे ज़्यादा अल्फ़ाज़
बन र्ायेंगे। लेदकन मैंने इन्िें दो हिस्सों में तक़सीम दकया िै।
एक तो वि अल्फ़ाज़ िैं र्ो मुफ़रद की िैहसयत से और
मारफ़ा की शक्ल में क़ु रान मर्ीद में क़ु रान के हलये वाररद
हुए िैं, र्बदक कु छ हसफ़ात िैं र्ो मौसूफ़ के साथ आ रिी िैं।
मसलन “क़ु रान मर्ीद” में “मर्ीद” क़ु रान का नाम निीं िै,
दरिक़ीक़त हसफ़त िै। इसी तरि “अल् क़ु रान अल् मर्ीद”
में अग़रचे “अहलफ़ लाम” के साथ “अल् मर्ीद” आता िै,
लेदकन यि चूाँदक मौसूफ़ के साथ हमल कर आया िै हलिाज़ा
यि भी हसफ़त िै।
क़ु रान मार्ीद के हलये र्ो अल्फ़ाज़ बतौर-ए-इस्म आये
िैं, उनमें से अक्सर व बेशतर वि िैं हर्नके साथ लाम लगा
[60] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

िै। क़ु रान के हलये अिमतरीन नाम र्ो इसका इहम्तयाज़ी


(हवशेष) और इख़्तसासी (The Exclusive) नाम िै, “अल्
क़ु रान” िै। (मैं बाद में इसकी वज़ाित करूाँगा) इसके बाद
कसरत से इस्तेमाल िोने वाला नाम “अल् दकताब” िै।
क़ु रान की असल िक़ीक़त पर रोशनी डालने वाला
अिमतरीन नाम “अल् हज़क्र” िै। क़ु रान मर्ीद की
इफ़ाददयत के हलये सबसे ज़्यादा र्ामेअ नाम “अल् हुदा” िै।
क़ु रान मर्ीद की नौइयत और िैहसयत के ऐतबार से अिम
तरीन नाम “अल् नूर” िै। क़ु रान मर्ीद की एक इन्तिाई
अिम शान र्ो एक लफ़्ज़ के तौर पर आई िै “अल् फ़ु रक़ान”
िै याहन (िक़ व बाहतल में) फ़कु कर देने वाली शय, दूध का
दूध और पानी का पानी र्ुदा कर देने वाली शय। क़ु रान का
َ ْ ُ ْ ْ ُ ْ ُ َ َّ ْ ُ
एक नाम “अल् विी” भी आया िै: {‫ْح ڮ‬
ِ ‫} قل اِّنا ان ِذرُك ِِبلو‬
(अल् अहम्बया:45)। इसी तरि “कलामुल्लाि” का लफ़्ज़ भी
َٰ َ َ ّٰ َ
ख़ुद क़ु रान में आया िै: {ِ ‫( } تَح ي ْس َمع ك َم ّٰللا‬अत् तौबा:6)
चूाँदक यिााँ कलाम मुदाफ़ वाक़े अ हुआ िै, हलिाज़ा यि भी
मआरर्ा बन गया। मेरे नज़दीक हर्न्िें िम क़ु रान के नाम
क़रार दें, वि तो यिी बनते िैं। अग़रचे, र्ैसा दक मैंने अज़ु
दकया, र्ो लफ़्ज़ भी क़ु रान के हलये हसफ़त के तौर पर या
इसकी शान को बयान करने के हलये क़ु रान में आ गया िै
अल्लामा र्लालुद्दीन स्यूती रहि० ने उसको फ़े िररस्त में
शाहमल करके 55 नाम हगनवाये िैं, लेदकन यि फ़े िररस्त
भी मुकम्मल निीं।

क़ु रान करीम की मुख़्तहलफ़ शानों और हसफ़ात के हलये यि अल्फ़ाज़ आए िैं:


बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद) [61] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
करीमुन ٌ ْ َ ٌ ٰ ْ ُ َ ٗ َّ (अल् वाक़्या:77)
‫ۙ۝‬77 ‫ن ك ِرْي‬ ‫اِنه لقرا‬
अल् िकीम ْ
َْ ْٰ ُ ْ َ ۗ ٰ (यासीन:1-2)
‫ۙ۝‬Ą ‫ن اْلكِي‬ ِ ‫ۙ۝ والقرا‬Ǻ ‫يس‬
ِ
अल् अज़ीम ْ َ ٰ ُ ْ َ ْ َ ْ َ
َ ‫ن ال َعظِ ْي‬ ً ْ َ َ ْٰ َ ٰ ْ ََ َ
‫اِن والق ْرا‬ َ
ِ ‫ولقد اتينك سبعا ِِم المث‬
(अल् हिज्र:87)
‫؀‬87
मर्ीदुन और अल् ْٰ ُ ْ َ ۗ ٌ ْ َّ ٌ ٰ ْ ُ َ ُ ْ َ
मर्ीद ِ ‫ ق ڗوالقرا‬और ‫؀‬21 ‫َّميد‬
‫ن‬ ِ ‫بل هو قران‬
ْ (अल् बुरूर्:21) (क़ार्:
‫ۙ۝‬Ǻ ‫د‬ ْ َ
ِ ‫الم ِجي‬
अल् मुबीन ْ ُ ْ ٰ ْ َ ‫ٰ ۗ ڔ‬ (अल् ज़ुख़रुफ़:1-2)
‫ۙ۝‬Ą‫ْي ڒ‬ ِ ‫ب الم ِب‬ ِ ‫ۙ۝ والكِت‬Ǻ ‫حـم‬
रिमतुन َ ْ ‫ُه ًدى َّو َر ْْحَ ٌة ل ْل ُم ْؤمن‬ (यूनुस:57)
‫ ؀‬57 ‫ْي‬ ِ ِ ِ
अहलय्युन ٌ ْ َ َ َ َْ ََ ٰ ْ ُ ْٓ ٗ َّ َ
(अल् ज़ुख़रुफ़:4)
‫ۙ۝‬Ćۭ ‫ِل حكِي‬ ٌّ ‫م الكِتب لدينا لع‬
ِ ِ ِ ‫واِنه ِِف ا‬
बसाइर ُ
ْ‫ِم َّربُك‬
ۗ
ْ ِ ُ َ َ ْ َ َ ْ َ
ُ ۗ
(अल् अनआम:104)
ِ ‫قد جاءُك بصاىِٕر‬
बशीरुन व नज़ीरुन ً ْ ‫ْيا َّونَذ‬ ًْ َ (िा मीम सज्दा:4)
‫ُيا‬ ِ ‫ش‬ِ ‫ب‬
ि अल्फ़ाज़ अहम्बया के हलये आते िैं लेदकन यिााँ ख़ुद क़ु रान के हलये भी आये िैं। क़ु रान अपनी ज़ात में फ़ी नफ़्
र भी िै]
बुशरा َ ْ ‫َشى ل ِْل ُم ْسلِم‬ٰ ْ ُ ‫َّوب‬ (अल् निल:89, 102)
‫ْي‬ ِ
अज़ीज़ुन ٌ ْ َ ٌ ٰ َ ٗ َّ َ (िा मीम सज्दा:41)
‫؀‬41 ‫ب ع ِزْي‬ ‫واِنه لكِت‬
बलाग़ुन َّ ٌ ٰ َ َ ٰ
ِ ‫لن‬ (इब्रािीम:52)
‫اس‬ ِ ‫هذا بلغ ل‬
बयानुन َّ ٌ َ َ َ ٰ
ِ ‫ِلن‬ (आले इमरान:138)
‫اس‬ ‫ھذا بيان ل‬
मौइज़तुन
हशफ़ाउन ۗ َ ُ ۗ
ْ ِ ٌ َ ْ َّ ْ ُ ْ َ َ ْ َ
‫ُك َو ِشفا ٌء ل ِ َما ِِف‬
ْ ‫ِم َّرب‬
ِ ‫قد جاءتُك موعِظة‬
(यूनुस:57)
ُ ُّ
‫الصد ْو ِر ڏ‬
अिसनुलक़सस ْ
َ ‫ال َق‬ َ َ َ َ ُّ ُ َ ْ َ
َ ‫ك ا ْح َس‬ (यूसुफ़:3)
‫ص ِص‬ ‫ن‬ ‫ن نقص عل ْي‬ ُ ‫َن‬

अिसनुल िदीस
मुताशाहबि

मसाहनया َ َّ ً َ َ ُّ ً ٰ ْ
ْ َ َ َ ْ َ َ َّ َ ُ ‫َ ه‬ (अल् ज़ुमुर:23)
‫اِنَ ڰ‬
ِ ‫اُبا مث‬ِ ‫ث ك ِتبا متش‬ِ ‫دي‬ ِ ‫ّٰللا ْنل احسن اْل‬
मुबारकु न ٌ َ ٰ ُ َ َ ُ ْٰ ََْ ٌ ٰ (सुआद:29)
‫ب اْنلنه اِل ْيك مْبك‬ ‫ك ِت‬
मुसदद्दक़ु न

मुिहय्मनुन ََ ً َ ٰ ْ َ ْ ََ َ َْ َ ً َ ُ (अल् मायदा:48)


ِ ‫ب َو ُمه ْي ِمنا عل ْي‬
‫ه‬ ِ ‫ه ِِم الكِت‬
ِ ‫ْي يدي‬ ‫دقا ل ِما ب‬
ِ ‫مص‬
[62] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

क़हय्यम ُ ْ ُ َّ ْ ً ْ َ ً َْ َ ُْ ً َ (अल् किर्:2)


‫ديدا ِِم لدن ه‬ِ ‫ذر ِبسا ش‬
ِ ‫ق ِـِّي ل ِين‬

यि मुख़्तहलफ़ अल्फ़ाज़ िैं र्ो क़ु रान िकीम की


मुख़्तहलफ़ शानों के हलये आए िैं। र्ैसा दक अल्लाि तआला
के हनन्यानवे (99) नाम िैं, र्ो उसकी मुख़्तहलफ़ शानों को
ज़ाहिर करते िैं, इसी तरि हुज़ूर ‫ ﷺ‬के नामों की
फ़े िररस्त भी आपने पढ़ी िोगी। आप ‫ ﷺ‬की मुख़्तहलफ़
शानें िैं, इसके ऐतबार से आप बशीर भी िैं, नज़ीर भी िैं,
िादी भी िैं, मुअहल्लम भी िैं। क़ु रान मर्ीद के भी मुख़्तहलफ़
अस्मा व हसफ़ात िैं।

लफ़्ज़ “क़ु रान” की लुग़वी बिस:


क़ु रान मर्ीद के नामों में सबसे अिम नाम “अल् क़ु रान”
िै, हर्सके हलये मैंने लफ़्ज़ exclusive इस्तेमाल दकया था
दक यि दकसी और दकताब के हलये इस्तेमाल निीं हुआ,
वरना तौरात दकताब भी िै, हिदायत भी थी, और उसके
हलये लफ़्ज़ नूर भी आया िै। इशाुद हुआ:
“िमने तौरात नाहज़ल की हर्समें َ َ َّ َ ْ َ ْ َ ٓ َّ
हिदायत भी िै और नूर भी।” ‫اَِن اْنلنا الت ْو ٰرىة ِف ْْيا‬
(अल् मायदा:44) ْ ُ ‫ُه ًدى َّو‬
‫ُن ٌر‬

ख़ुद क़ु रान मर्ीद हिदायत भी िै, नूर भी िै, रिमत भी िै।


तो बदक़या तमाम औसाफ़ तो मुश्तररक (एक र्ैसे) िैं,
लेदकन अल् क़ु रान के लफ़्ज़ का इतलाक़ कु तुबे समाहवया
(आसमानी दकताबों) में से दकसी और दकताब पर निीं
िोता। यि इहम्तयाज़ी, इख़्तसासी और इस्तस्नाई नाम हसफ़ु
[63] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

क़ु रान मर्ीद के हलये िै। इसी हलये एक राय यि िै दक यि


इस्मे अलम िै, और इस्मे र्हमद िै, इस्मे मुश्तक़ निीं िै।
अल्लाि तआला के नाम “अल्लाि” के बारे में भी एक राय
यि िै दक यि इस्मे ज़ात िै, इस्मे अलम िै, इस्मे र्ाहमद िै,
मुश्तक़ निीं िै, यि दकसी और माद्दे से हनकला हुआ निीं िै।
र्बदक एक राय यि िै दक यि भी हसफ़त िै, र्ैसे अल्लाि
तआला के दूसरे हसफ़ाती नाम िैं। र्ैसे “अलीम” अल्लाि
तआला की हसफ़त िै और “अल् अलीम” नाम िै, “रिीम”
हसफ़त िै और “अरुिीम” नाम िै, इसी तरि इलाि पर “अल्”
दाहख़ल हुआ तो “अल् इलाि” बन गया और दो लाम मुद्ग़म
िोने (हमलने) से यि “अल्लाि” बन गया। यि दूसरी राय िै।
र्ो मामला लफ़्ज़ अल्लाि के बारे में इख़्तलाफ़ी िै बईना
विी इख़्तलाफ़ लफ़्ज़ क़ु रान के बारे में िै। एक राय यि िै
दक यि इस्मे र्ाहमद और इस्मे आलम िै, इसका कोई और
माद्दा निीं िै। र्बदक दूसरी राय यि िै दक यि इस्मे मुश्तक़
िै। लेदकन दर्र इसके माद्दे की ताईन में इख़्तलाफ़ िै।
एक राय के मुताहबक इसका माद्दा “‫ ”قرن‬िै, याहन
क़ु रान में र्ो “नून” िै वि भी िफ़े असली िै। दूसरी राय के
मुताहबक़ इसका माद्दा “‫ ”ق ر ء‬िै। यि गोया मिमूज़ िै। मैं
यि बातें अिले इल्म की ददलचस्पी के हलये अज़ु कर रिा हूाँ।
हर्न लोगों ने इसका माद्दा “‫ ”قرن‬माना िै, उनके भी दो
ْ ّ ‫َق َر َن‬ َ
राय िैं। एक राय यि दक र्ैसे अरब किते िैं “ ‫الّش َء‬
ْ َّ ‫( ” ِِب‬कोई शय [चीज़] दकसी दूसरे के साथ शाहमल कर
‫الّش ِء‬
दी गई) तो इससे क़ु रान बना िै। अल्लाि तआला की
आयात, अल्लाि तआला का कलाम र्ो वक़्तन-फ़-वक़्तन
[64] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

नाहज़ल हुआ, इसको र्ब र्मा कर ददया गया तो वि


“क़ु रान” बन गया। इमाम अश’अरी भी इस राय के क़ायल
िैं। र्बदक एक राय इमाम फ़राअ की िै, र्ो लुग़त के बहुत
बड़े इमाम िैं, दक यि क़रीना और क़राइन से बना िै।
क़राइन कु छ चीज़ों के आसार िोते िैं। क़ु रान मर्ीद की
आयात चूाँदक एक-दूसरे से मुशाबि िैं, र्ैसा दक सूरि अल्
ज़ुमुर में क़ु रान मर्ीद की यि हसफ़त वाररद हुई िै “ ‫كِت ًبا‬
ٰ
َ ً َ َ ُّ
ِ ‫اِبا َّمث‬
‫اّنَ ڰ‬ ِ ‫( ”متش‬आयत:23)। इस ऐतबार से आपस में यि
आयात क़ु रनाअ िैं। चुनााँचे क़रीना से क़ु रान बन गया िै।
र्ो लोग किते िैं दक इसका माद्दा ‫ ق ر ء‬िै वि क़ु रान
ً ُ ً ً َ ُ َْ َ َ
को मसदर मानते िैं। ‫اءۃ َو ق ْرآّن‬
َ ‫ َوق َِر‬،‫ ق ْرآ‬،‫ یق َرآ‬،‫ق َرآ‬। यि अग़रचे
मसदर का मारूफ़ वज़न निीं िै लेदकन इसकी हमसालें
َ ََ ُ
अरबी में मौर्ूद िैं। र्ैसे ‫ َر َجع‬से ‫ ُرحجان‬और ‫ غف َر‬से ‫غفران‬।
इनके मादि में “नून” शाहमल निीं िै। र्ैसे ग़ुफ़रान और
रुर्िान मसदर िैं, ऐेसे िी ‫ قرآ‬से मसदर क़ु रान िै याहन
पढ़ना। और मसदर बसा औक़ात मफ़ऊल का मफ़हूम देता
िै। तो क़ु रान का मफ़हूम िोगा पढ़ी र्ाने वाली शय, पढ़ी
َ َ
गयी शय। “‫ ”ق َرآ‬में र्मा करने का मफ़हूम भी िै। अरब किते
ْ
िैं: ‫اء ِِف احلَ ْو ِض‬ َ ‫ت‬
َ ‫الم‬ ُ ‫“ قرآ‬मैंने िौज़ के अंदर पानी र्मा कर
हलया।” इसी से क़ु ररया बना िै, याहन ऐसी र्गि र्िााँ लोग
र्मा िो र्ायें। गोया क़ु रान का मतलब िै अल्लाि का
कलाम र्िााँ र्मा कर ददया गया। तमाम आयात र्ब र्मा
कर ली गयीं तो यि क़ु रान बन गया। र्ैसे क़ु ररया वि र्गि
[65] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

िै र्िााँ लोग आबाद िो र्ायें, हमल-र्ुल कर रि रिे िों। तो


َ
र्मा करने का मफ़हूम ‫ ق َر َء‬में भी िै और ‫ قرن‬में भी िै। यि
दोनों माद्दे एक-दूसरे से बहुत क़रीब िैं। बिरिाल यि इस
लफ़्ज़ की लुग़वी बिस िै।

क़ु रान का अस्लूबे कलाम

अब मैं अगली बिस पर आ रिा हूाँ दक इसका अस्लूबे


कलाम क्या िै! क़ु रान मर्ीद ने शद व मद के साथ हर्स
बात की नफ़ी की िै वि यि िै दक यि शेर निीं िै:
(यासीन:69)
“िमने अपने इस रसूल को शेर َ ْ ُ ٰ َّ َ َ َ
‫الشع َر َوما‬
ِ ‫وما عل ْمنه‬
हसखाया िी निीं, ना इनके यि
शायाने शान िै।” ٗ َ ْ َ ْۢ َ
ۭ ‫ٰغ له‬ ِ ‫ينب‬
शायरों के बारे में सूरि अल् शौराअ में आया िै:
“और शायरों की पैरवी तो विी ُ ‫الش َع َرا ۗ ُء ي َ َّتب ُع ُه‬
ُّ َ
लोग करते िैं र्ो गुमराि िों। ‫م‬ ِ ‫و‬
क्या तूने निीं देखा दक वि िर َ َ ْ ََ ۭ َ ‫او‬ٗ ‫ال َغ‬ ْ
‫ل َت‬ ‫؀ ا‬٢٢٤ ‫ن‬
वादी में घूमते रिते िैं (िर मैदान
में सरगदािं रिते िैं) और यि दक ُ ْ ْ ُ َّ َ
‫ك َواد‬ ِ ‫اَّنم ِِف‬
वि किते िैं र्ो निीं करते।”
ُ َّ َ َ ‫ََّّي ْي ُم ْو‬
‫؀ َواَّن ْم‬٢٢٥ ‫ن‬ ِ
[66] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

َ َ َ ُْ ْ َُ
‫ن ما ْل‬ ‫يقولو‬
َ ‫ي َ ْف َعل ُ ْو‬
‫؀‬٢٢٦ ‫ن‬
ٰ ّ ٰ ُ َ َ ْ ُ َ ٰ َ ْ َّ َّ
अगली आयत में {....‫ت‬
ِ ‫ }اِْل ال ِذْی امنوا وَعِلوا الص ِلح‬के
अल्फ़ार् के साथ इस्तसना भी आया िै, और इस्तसना
क़ायदा-ए-कु हल्लया की तौसीक़ करता िै (Exception
proves the rule)--- चुनााँचे क़ु रान मर्ीद के ऐतबार से
शेर गोयी कोई अच्छी शय निीं िै, कोई ऐसी मिमूद हसफ़त
निीं िै दक र्ो अल्लाि तआला अपने रसूल को अता
फ़रमाता। बहल्क हुज़ूर अकरम ‫ ﷺ‬का मामला तो यि था
दक आप ‫ ﷺ‬कभी कोई शेर पढ़ते भी थे तो ग़लती िो
र्ाती थी। इसहलये दक नबी अकरम ‫ ﷺ‬पर से अल्लाि
तआला शायरी की तोिमत िटाना चािता था, हलिाज़ा
आपके अंदर शायरी का वस्फ़ (ख़ूबी) िी पैदा निीं दकया
गया। सीरत का एक ददलचस्प वाक़या आता िै दक हुज़ूर
‫ ﷺ‬ने एक मतुबा एक शेर पढ़ा और उसमें ग़लती हुई। इस
ُ َْ
पर िज़रत अबु बकर (रहज़०) मुस्कु राये और अज़ु की: ‫اش َهد‬
ُ َ َ َّ َ
ِ‫ک ل َر ُس ْول ّٰللا‬ ‫“ ان‬मैं ग़वािी देता हूाँ दक यक़ीनन आप अल्लाि
के रसूल िैं।” इसहलये दक अल्लाि ने फ़रमाया िै: { ‫َو َما‬
َ َ ْْۢ َ َ َ َ ْ ّ ُ ٰ ْ َّ َ
ۭ ‫ِغ ل ٗه‬
ْ ِ ‫الشعر وما ینب‬ ِ ‫( }علمنه‬यासीन:69) तो वादक़अतन
आपको शेर से याहन शेर के वज़न और उसकी बिर वग़ैरि
से मुनासबत निीं थी। बाक़ी र्िााँ तक शेर के मफ़हूम का
और आला मज़ामीन का ताल्लुक़ िै तो ख़ुद हुज़ूर ‫ ﷺ‬का
[67] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

ً ْ َ ْ ّ
َ ِ ‫ِم ال َب َيان ل ِس ْح ًرا َوا ِّن‬ َ
َ ِ ‫))ا ِّن‬ َ ْ َ
फ़रमान िै: ((‫الشع ِر حلِک َمۃ‬
ِ ‫ِم‬ ِ
याहन बहुत से बयान बहुत से ख़ुत्बे और तक़रीरें र्ादू असर
िोते िैं और बहुत से अशआर के अंदर हिकमत के ख़र्ाने
िोते िैं। बाज़ शायरों के अशआर हुज़ूर ‫ ﷺ‬ने ख़ुद पढ़े भी
िैं और उनकी तिसीन फ़रमाई िै, लेदकन क़ु रान बिरिाल
शेर निीं िै।
अलबत्ता एक बात किने की र्ुरुत कर रिा हूाँ दक क़दीम
ज़माने की शायरी हर्समें बिर, वज़न और रदीफ़ व
क़ादफ़या की पाबंदी सख़्ती के साथ िोती थीं, उसके ऐतबार
से यक़ीनन क़ु रान शेर निीं िै, लेदकन एक शायरी हर्सका
ररवार् असरे िाहज़र में हुआ िै और उसके हलये ग़ाहलबन
क़ु रान िी के अस्लूब को चुराया गया िै, हर्से आप “आज़ाद
नज़्म” (Blank Verse) किते िैं, उसके अंदर र्ो हसफ़ात
और ख़ुसूहसयात आर्कल िोती िैं उनका हमन्बा और
सरचश्मा क़ु रान िकीम िै। इसहलये दक इसमें एक ररदम
(Rythm) िोता िै, इसमें फ़वासल भी िैं, क़वानी के तज़ु
पर सौती आिंग भी िै, लेदकन वि र्ो मारूफ़ शायरी थी
उसके ऐतबार से क़ु रान बड़ी ताकीद के साथ किता िै दक
क़ु रान शेर निीं िै।
क़ु रान के अस्लूब के हज़मन में दूसरी अिम बात यि िै
दक आम मायने में क़ु रान दकताब भी निीं िै। मैं यिााँ इक़बाल
का हमसरा qoute कर रिा हूाँ, अग़रचे इसके वि मायने
निीं “ईं दकताबे नीस्त चीज़े दीग़र अस्त!”
आर् िमारा दकताब का तसव्वुर यि िै दक उसके
मुख़्तहलफ़ अबवाब (Chapters) िोते िैं। आप दकसी
दकताब या तस्नीफ़ में एक मौज़ू को एक बाब की शक़्ल देते
[68] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

िैं। एक बाब (Chapter) मे एक बात मुकम्मल िो र्ानी


चाहिये। अगले बाब में बात आगे चलेगी, कोई हपछली बात
निीं दोिराई र्ायेगी, तीसरे बाब में बात और आगे चलेगी।
दर्र एक दकताब मज़मून के ऐतबार से एक विादत बनेगी
और उसके अंदर मौज़ूआत (हवषय) और उन्वानात (शीषुकों)
के िवाले से अबवाब (Chapters) तक़सीम िो र्ायेंगे।
गोया िमारे यिााँ मारूफ़ मायने में दकताब का इत्लाक़ हर्स
चीज़ पर दकया र्ाता िै, उस मायने में क़ु रान दकताब निीं
िै। अल्बत्ता यि “अल् दकताब” िै ब-मायने हलखी हुई शय।
अल्लाि तआला ने इसे दकताब क़रार ददया िै और इसके
हलये सबसे ज़्यादा कसरत से यिी लफ़्ज़ “दकताब” िी क़ु रान
में आया िै। यि अल्फ़ाज़ साढ़े तीन सौ (350) र्गि आया
िै। क़ु रान और क़ु रआनन तक़रीबन 70 मक़ामात पर आया
िै। लेदकन “क़ु रान” exclusive आया िै, र्बदक दकताब का
लफ़्ज़ तौरात, इं र्ील, इल्मे ख़ुदावंदी और तक़दीर के हलये
भी आया िै और क़ु रान मर्ीद के हिस्सों और अिकाम के
हलये भी आया िै। बिरिाल दकताब इस मायने में तो िै।
माज़अल्लाि, कोई यि निीं कि सकता दक क़ु रान दकताब
निीं िै, लेदकन हर्स मायने में िम लफ्ज़ दकताब बोलते िैं
उस मायने में क़ु रान दकताब निीं िै।
तीसरी बात यि दक यि मज्मुआ मक़ालात
(collection of essays) भी निीं िै। इसहलये दक िर
मक़ाला अपनी र्गि पर ख़ुद मकतफ़ी और एक मुकम्मल
शय िोता िै। लेदकन क़ु रान मर्ीद के बारे में िम यि बात
निीं कि सकते। तो दर्र यि िै क्या? पिली बात तो यि
नोट कीहर्ये दक इसका अस्लूब ख़ुत्बे का िै। अरब में दो िी
[69] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

चीर्ें ज़्यादा मारूफ़ थीं, हख़ताबत या शायरी। शौअरा


(शायर का plural) उनके यिााँ बड़े मिबूब थे। शायरी का
उनको बड़ा ज़ौक (पसंद) था और वि शौअरा की बड़ी क़र
करते थे। उनके यिााँ क़सीदा गोई के मुक़ाबले िोते थे। दर्र
िर साल र्ो सबसे बड़ा शायर शुमार िोता था उसकी
अज़मत को तस्लीम करने की अलामत के तौर पर सब शायर
उसके सामने बाक़ायदा सर्दा करते थे। दर्र उसका क़सीदा
ّ
बैतुल्लाि पर लटका ददया र्ाता था। यिी क़सीदे “ ‫معلقۃ‬
‫ ”سبعۃ‬के नाम से मारूफ़ िैं। चुनााँचे अरब या तो शेरों से
वादक़फ़ थे या ख़ुत्बों से। तो क़ु रान मर्ीद उस दौर की दो
सबसे ज़्यादा मारूफ़ अस्नाफ़ (शायरी और ख़ुत्बा) में ख़ुत्बे
के अस्लूबी पर िै। इस ऐतबार से िम कि सकते िैं दक क़ु रान
िक़ीम मज्मुआ-ए-ख़ुत्बाते इलाहिया (A collection of
divine orations) िै, हर्समें िर सूरत एक ख़ुत्बे की
मांप्नंद िै।
ख़ुत्बे के ऐतबार से चंद बाते नोट कर लें। ख़ुत्बे में
मुख़ातब (दशुक) और ख़तीब (वक्ता) के दरहमयान एक
ज़िनी ररश्ता िोता िै। मुख़ाहतब (वक्ता) को मालूम िोता िै
दक मेरे सामने कौन लोग बैठे िैं, उनकी दफ़क्र क्या िै, उनकी
सोच क्या िै, उनके अक़ाइद क्या िैं, उनके नज़ररयात क्या
िैं। वि उनका िवाला ददये बग़ैर अपनी गुफ़्तुगू के अंदर उन
पर तन्क़ीद भी करेगा, उनकी तसीि भी करेगा, लेदकन कोई
तम्िीदी कहलमात निीं िोंगे दक अब मैं तुम्िारी फ़लााँ ग़लती
की तसीि करना चािता हूाँ, मैं अब तुम्िारे इस ख़्याल की
नफ़ी करना चािता हूाँ। यि अंदाज़ निीं िोगा बहल्क वि
रवानी के साथ आगे चलेगा। मुख़ाहतब (वक्ता) और मुख़ातब
[70] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

(दशुक) के माबैन एक ज़िनी िम-आिंगी िोती िै, वि एक-


दूसरे से वादक़फ़ िोते िैं, और ख़ास तौर पर मुख़ाहतबीन के
फ़िम, उनकी समझ, उनके अक़ीदे, उनके नज़ररयात से
ख़तीब वादक़फ़ िोता िै। यि दर िक़ीक़त ख़ुत्बे की शान िै।
यिी वर्ि िै दक इसमें तिवीले हख़ताब िोती िै और बग़ैर
वारप्नंग के िोती िै। बसा औक़ात ग़ायब को िाहज़र फ़ज़ु
करके उससे हख़ताब दकया र्ाता िै। चुनााँचे ऐसा भी िोता
िै दक एक ख़तीब महस्र्द में ख़ुत्बा दे रिा िै और वि
मुख़ाहतब कर रिा िै सदरे ममलकत को, िालााँदक वि विााँ
मौर्ूद निीं िोते। इस तरि र्ो लोग बैठे हुए िैं बसा औक़ात
उनसे सीग़ा ग़ायब में गुफ़्तगू शुरू िो र्ायेगी, और यि भी
बलाग़त का अंदाज़ िै। कभी वि एक तरफ़ बात कर रिा,
कभी दूसरी तरफ़ कर रिा िै, कभी दकसी ग़ायब से बात कर
रिा िै और हख़ताबत का विी अंदाज़ िोगा अग़रचे वि
ग़ायब विााँ मौर्ूद निीं िै। इसको तिवीले हख़ताब किते िैं।
क़ु रान मर्ीद पर ग़ौर करने के हज़मन में इसकी बहुत
अिहमयत िोती िै। अगर हख़ताब का रुख़ मुअय्यन िो दक
यि बात दकससे किी र्ा रिी िै, मुख़ातब कौन िै, तो इस
बात का असल मफ़हूम उर्ागर िोकर सामने आता िै, वरना
अगर मुख़ातब का तअय्युन न िो तो बहुत से बड़े-बड़े
मुग़ालतें र्न्म ले सकते िैं।
ख़ुत्बे और मक़ाले में एक वार्ेि फ़कु यि िोता िै दक
मक़ाले में आम तौर पर हसफ़ु अक़्ल से अपील की र्ाती िै।
इसमें महन्तक़ और अक़्ली दलीलें िोती िैं, र्बदक ख़ुत्बे में
अक़्ल के साथ-साथ र्ज़्बात से भी अपील िोती िै। गोया
[71] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

दक इं सान के अंदर झााँक कर बात की र्ाती िै। लोगों को


दावत दी र्ाती िै दक अपने अंदर झााँको। और:
“और ख़ुद तुम्िारे अंदर भी َ َ َ ْ ُ ُ ْ َ ْٓ َ
(हनशाहनयााँ िैं) तो क्या तुमको ‫ُك ۭ افًل‬ ‫و ِِف انف ِس‬
सूझता निीं िै?” ُ ‫ُت ْب‬
َ ‫َص ْو‬
‫؀‬21 ‫ن‬ ِ
(अज़ ज़ाररयात:21)
और:
“(ज़रा ग़ौर करो) क्या अल्लाि के َ ٌّ َ ‫ه‬ َ
बारे में शक करते िो र्ो ज़मीन
‫ط ِر‬ِ ‫ا ِِف ّٰللاِ شك فا‬
और आसमान का बनाने वाला َ ْ
ِ ‫ت َواْل ْر‬
ۭ‫ض‬ ِ ‫الس ٰم ٰو‬
َّ
िै?” (इब्राहिम:10)
यि अंदाज़ बिरिाल दकसी तिरीर या मक़ाले में निीं िोगा,
यि ख़ुत्बे का अंदाज़ िै।
एक और बात र्ो ख़ुत्बे के ऐतबार से उसके ख़साइस
(गुणों) में से िै वि यि दक एक मौस्सर (असरदार) ख़ुत्बे के
शुरू में बहुत र्ामेअ गुफ़्तुगू िोती िै। कामयाब ख़ुत्बा विी
िोगा हर्सका आग़ाज़ ऐसा िो दक मुक़रुर और ख़तीब अपने
मुख़ातबीन (दशुकों) और सामईन (श्रोताओं) की तवज्जोि
अपनी तरफ़ मब्ज़ूल करा ले (पलटा ले)। और दर्र अग़रचे
ख़ुत्बे के दौरान मज़मून (हवषय) दायें-बायें र्ै लेगा, इधर
र्ायेगा, उधर र्ायेगा लेदकन आहख़र में आकर वि दर्र
दकसी मज़मून के ऊपर मुतुकज़ (कें रीत) िो र्ायेगा। यि
अगर निीं िै तो गोया दक वक़्त ज़ाया िो गया। िमारे यिााँ
बड़े-बड़े ख़तीब पैदा हुए िैं। ख़ासतौर पर मर्हलसे अिरार
ने बड़े अवामी ख़तीब पैदा दकये, हर्नमें से अताउल्लाि शाि
बुख़ारी रहि० बहुत बड़े ख़तीब थे। उनकी तक़रीर का यि
[72] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

आलम िोता था दक गुफ़्तगू चार-चार घंटे, पााँच-पााँच घंटे


चल रिी िै। उसमें कभी मशररक़ की, कभी मग़ररब की,
कभी हशमाल की और कभी र्ुनूब की बात आ र्ाती। कभी
िाँसाने का और कभी रुलाने का अंदाज़ िोता, किीं लतीफ़ा
गोई भी िो र्ाती। लेदकन अव्वल और आहख़र बात हबल्कु ल
वाज़ेि िोती। ख़ूब घुमा दर्रा कर भी मुख़ातब को दकसी
एक बात पर ले आना दक उठे तो कोई एक बात, कोई एक
पैग़ाम लेकर उठे , कोई एक र्ज़्बा उसके अंदर र्ाग चुका
िो, एक पैग़ाम उस तक पहुाँच चुका िो, यि ख़ुत्बे के औसाफ़
िैं।
आपको मालूम िै ख़्वाि ग़ज़ल िो या क़सीदा, शायरी
में मुताला और मक़्ता दोनों की बड़ी अिहमयत िै। मुताला
र्ानदार िै तो आप पूरी ग़ज़ल पढ़ेंगे और अगर मुताला िी
र्ु सर्ु सा िै तो आगे आप क्या पढ़ेंगे! इसी तरि मक़्ता भी
र्ानदार िोना चाहिये। इसी हलये मक़्ता और मुताला के
अल्फ़ाज़ अलैिदा से वाज़ेि दकए गये िैं। ख़ुतबात के अंदर
भी इब्तदा और इख्तताम पर हनिायत र्ामेअ और अिम
मज़मून िोता िै। क़ु रान मर्ीद की सूरतों की इब्तदा और
इख्तताम भी हनिायत र्ामेअ मज़ामीन पर िोती िै। चुनााँचे
क़ु रान मर्ीद की सूरतों की इब्तदाई आयात और इख्ततामी
आयात की र्ज़ीलत पर बहुत सी िदीसें हमलती िैं। सूरतुल
बक़रि की इब्तदाई आयात और इख्ततामी आयात, इसी
तरि सूरि आले इमरान की शुरू की आयात और दर्र
इख्ततामी आयात हनिायत र्ामेअ िैं। यि अंदाज़ अक्सर व
बेशतर सूरतों में हमलेगा। यि िै असल में हबल् अमूम क़ु रान
का असलूब, र्ो ज़ाहिर बात िै शायरी का निीं िै। आम
[73] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

मयाने में वि दकताब निीं, मज्मुआ-ए-मक़ालात निीं।


इसका असलूब अगर िै तो वि ख़ुत्बे से हमलता िै। यि गोया
ख़ुत्बाते इलाहिया िैं हर्नका मज्मुआ िै क़ु रान!

❀❀❀
[74] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

बाब सौम (तीसरा)

क़ु रान मर्ीद की तरकीब व तक़सीम

आयात और सूरतों की तक़सीम


बहुत सी चीज़ों से हमल कर कोई शै मुरक्कब (हमश्रण)
बनती िै। क़ु रान कलामे मुरक्कब िै। इसकी तक़सीम सूरतों
और आयात में िै। दर्र इसमें अिज़ाब और ग्रुप िैं। आम
तसव्वुरे दकताब तो यि िै दक इसके अबवाब िोते िैं, लेदकन
क़ु रान िकीम पर इन इस्तलािात का इत्लाक़ निीं िोता।
क़ु रान िकीम ने अपनी इस्तलािात ख़ुद वाज़ेि की िै। इन
इस्तलािात की दुहनया में मौर्ूद दकसी भी दकताब की
इस्तलािात से कोई मुशाहबित निीं िै। चुनााँचे अल्लामा
र्ािज़ ने एक बड़ा ख़ूबसूरत उन्वान क़ायम दकया िै। वो
किते िैं दक अरब इससे तो वादक़र् थे दक उनके बड़े-बड़े
शायरों के दीवान िोते थे। सारा कलाम दकताबी शक़्ल में
र्मा िो गया तो वि दीवान किलाया। हलिाज़ा दकसी भी
दर्े में अगर हमसाल या तशबीि से समझना चािें तो दीवान
के मुक़ाबले में लफ़्ज़ क़ु रान िै। दर्र दीवान बहुत से क़सीदों
का मज्मुआ िोता था। िमारे यिााँ भी दकसी शायर का
दीवान िोगा तो उसमें क़सीदें िोंगे, ग़ज़लें िोंगी, नज़्में
िोंगी। क़ु रान िकीम में इस सति पर र्ो लफ़्ज़ िै वि सूरत
िै। अल्लाि तआला का यि कलाम सूरतों पर मुश्तहमल िै।
अगर कोई नस्र (गद्य) की दकताब िै तो वि र्ुमलों पर
मुश्तहमल िोगी और अगर नज़्म (कहवता) की िै तो वि
[75] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

अशआर पर मुश्तहमल िोगी। इसकी र्गि क़ु रान मर्ीद की


इस्तलाि आयत िै। शायरी में अशआर के ख़ात्मे पर रदीफ़
के साथ-साथ एक लफ़्ज़ क़ादर्या किलाता िै और ग़ज़ल के
तमाम अशआर िम क़ादर्या िोते िैं। क़ु रान मर्ीद पर भी
िम आमतौर पर इस लफ़्ज़ का इत्लाक़ कर देते िैं, इसहलये
दक क़ु रान मर्ीद की आयतों में भी आहख़री अल्फ़ाज़ के अंदर
सौती आिंग िै। यिााँ इन्िें फ़वाहसल किा र्ाता िै, क़ादर्या
का लफ़्ज़ इस्तेमाल निीं दकया र्ाता दक दकसी भी दर्े में
शेर के साथ कोई मुशाहबित ना पैदा िो र्ाये।
क़ु रान मर्ीद का सबसे छोटा यूहनट आयत िै। याहन
क़ु रान मर्ीद की इब्तदाई इकाई के हलये लफ़्ज़ आयत अखज़
दकया गया िै। आयत के मायने हनशानी के िैं। क़ु रानी आयत
गोया अल्लाि के इल्म व हिकमत की हनशानी िै। आयत का
लफ़्ज़ क़ु रान मर्ीद में बहुत से मायनों में इस्तेमाल हुआ िै।
मसलन आयाते आर्ाक़ी और आयाते अन्र्ु सी। इस
कायनात में िर तरफ़ अल्लाि तआला की हनशाहनयााँ िैं।
कायनात की िर शय अल्लाि तआला की क़ु दरत, उसके
इल्म और उसकी हिकमत की गवािी दे रिी िै। गोया िर
शय अल्लाि की हनशानी िै। दर्र कु छ हनशाहनयााँ िमारे
अंदर िैं। चुनााँचे फ़रमाया:
“और ज़मीन में हनशाहनयााँ िैं ٌ ‫ٰا ٰي‬ َ ْ
ِ ‫اْل ْر‬ ‫َو ِِف‬
यक़ीन लाने वालों के हलये। और ‫ت‬ ‫ض‬
ख़ुद तुम्िारे अपने वर्ूद में भी। ْٓ ‫َو‬ َ ْ ‫ل ْل ُم ْوقن‬
‫ِف‬ ‫؀‬20‫ْي‬ ِِ ِ
क्या तुमको सूझता निीं?” ِ
(अज़ ज़ाररयात:20-21)
[76] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

َ ََ ُ
‫افًل‬ ْ ‫ا َ ْن ُفس‬
ۭ ‫ُك‬ ِ
ُ ‫ُت ْب‬
َ ‫َص ْو‬
‫؀‬21 ‫ن‬ ِ
मज़ीद फ़रमाया:
“अनक़रीब िम उनको अपनी َ ٰ ٰ ْ ُ َ
‫َّي ْم اي ِتنا ِِف‬
हनशाहनयााँ आफ़ाक़ में भी ِ ‫ُن‬ِ ‫س‬
ददखायेंगे और उनके अपने नफ़्स ُ ْ َ ْٓ َ َ ْٰ
‫ِف انف ِس ِه ْم‬ ِ ِ ‫اْل‬
‫و‬ ‫اق‬ ‫ف‬
में भी, यिााँ तक दक उन पर यि
बात वाज़ेि िो र्ायेगी दक यि ُ َّ َ ُ َ َ َّ َ َ َ ‫َ ه‬
‫ْي له ْم انه‬ ‫ّتَح يتب‬
क़ु रान वाक़ई बरिक़ िै।” (िा
मीम सर्दा:53) ُّ َ ْ
ۭ ‫اْلق‬

अंग्रेर्ी में आयत के हलये िम लफ़्ज़ verse बोल देते िैं, मगर
verse तो शेर को किते िैं र्बदक क़ु रान की आयात ना तो
शेर िैं, ना हमसरे िैं, ना र्ुमले िैं। बस बायना लफ़्ज़ आयत
िी को आम करना चाहिये। बिरिाल कु छ आयाते आफ़ाक़ी
िैं, याहन अल्लाि की हनशाहनयााँ, कु छ आयाते अन्र्ु सी िैं,
वि भी अल्लाि की हनशाहनयााँ िैं और आयाते क़ु राहनयााँ भी
दरिक़ीक़त अल्लाि तआला की हिक़मते बालग़ा और इल्मे
काहमल की हनशाहनयााँ िैं। यि लफ़्ज़ क़ु रान की इकाई के
तौर पर इस्तेमाल हुआ िै।
र्ान लेना चाहिये दक आयात का तअय्युन दकसी ग्रामर,
बयान या नह्व (syntax) के उसूल पर निीं िै, इसमें कोई
इज्तिाद (अपनी राय) दाहख़ल निीं िै, बहल्क इसके हलये
एक इस्तलाि “तौक़ीफ़ी” इस्तेमाल िोती िै, याहन यि रसूल
अल्लाि ‫ ﷺ‬के बताने पर मौक़ू फ़ (हनभुर) िै। चुनााँचे िम
[77] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

देखते िैं दक आयात बहुत तवील (लम्बी) भी िैं। एक आयत


आयतल कु सी िै हर्समें मुकम्मल दस र्ुमले िैं, लेदकन बाज़
आयात िफ़े मुक़त्आत पर भी मुश्तहमल िैं। {‫ـم‬ ۗ ‫ } ٰح‬एक
आयत िै, िालााँदक इसका कोई मफ़हूम मालूम निीं िै, आम
ज़बान के ऐतबार से इसके मायने मुअय्यन निीं दकये र्ा
सकते। यि तो हुरूर्े तिज्जी िैं। इसको मुरक्कबे कलाम भी
निीं कि सकते, क्योंदक इसको अलैिदा-अलैिदा पढ़ा र्ाता
िै। इसहलये यि हुरूर्े मुक़त्आत किलाते िैं। {‫ـم‬ ۗ ‫}ع ۗس ۗق{ } ٰح‬ ۗ
इनको र्मा निीं कर सकते, यि तोड़-तोड़ कर अलैिदा-
अलैिदा पढ़े र्ायेंगे। इसी तरि “अहलफ़ लाम मीम” को
“अलम्” निीं पढ़ा र्ा सकता। लेदकन यि भी आयत िै। इस
बारे में एक बात याद रहखये दक र्िााँ हुरूफ़े मुक़त्आत में से
َ ْ ّ ٰ ُْ ۗ
ِ ‫ۗن { } ص والق ْرا ِن ِذي‬
एक-एक िफ़ु आया िै र्ैसे {‫الذك ِر‬
َ ََْ ْ ٰ ُْ ۗ
‫} َوالقل ِم َو َما ي ْس ُط ُر ْو َن‬
{‫ }ق َڗوالق ْرا ِن ال َم ِج ْي ِد‬यिााँ
एक िफ़ु पर आयत निीं बनी, लेदकन दो-दो हुरूफ़ पर आयतें
बनी िैं। “िा मीम” क़ु रान में सात र्गि आया िै और यि
मुकम्मल आयत िै। अहलफ़ लाम मीम आयत िै। अल्बत्ता
“अहलफ़ लाम रा” तीन हुरूफ़ िैं और वि आयत निीं िै।
मालूम हुआ दक इसकी बुहनयाद दकसी उसूल, क़ायदे या
इज्तिाद (अपनी राय) पर निीं िै बहल्क यि अमूर
कु हल्लयतन तौक़ीर्ी (अल्लाि के द्वारा हसखाया हुआ) िैं दक
हुज़ूर ‫ ﷺ‬के बताने से मालूम हुए िैं। अलबत्ता दर्र हुज़ूर
‫ ﷺ‬से चूाँदक मुख़्तहलफ़ ररवायात िैं, इसहलये इस पिलु से
किीं-किीं फ़क़ु वाक़े अ हुआ िै। चुनााँचे आयाते क़ु राहनया की
तादाद मुत्तदफ़क़ अलै निीं िै। इस पर तो इत्तेर्ाक़ िै दक
[78] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

आयतों की तादाद छ: िज़ार से ज़्यादा िै, लेदकन बाज़ के


नज़दीक कमोबेश 6216, बाज़ के नज़दीक 6236 और बाज़
के नज़दीक 6666 िै। इसके मुख़्तहलफ़ असबाब िैं। बाज़
सूरतों के अंदर आयतों के तअय्युन में भी फ़क़ु िै। लेदकन यि
सब दकसी का अपना इज्तिाद (अपनी राय) निीं िै, बहल्क
सब के सब अदद व शुमार हुज़ूर ‫ ﷺ‬की नक़ल िोने की
बुहनयाद पर िै। एक र्क़ु यि भी िै दक आयत हबहस्मल्लाि
क़ु रान िक़ीम में 113 मबुता सूरतों के शुरू में आती िै
(क्योंदक सूरतों की कु ल तादाद 114 िै और उनमें से हसफ़ु
एक सूरत सूरि तौबा के शुरू में हबहस्मल्लाि निीं आती)।
अगर इसको िर मतुबा शुमार दकया र्ाये तो 113 तादाद
बढ़ र्ायेगी, िर मतुबा शुमार ना दकया र्ाये तो 113
तादाद कम िो र्ायेगी। इस ऐतबार से आयाते क़ु राहनया
की तादाद मुत्तदफ़क़ अलै निीं िै, बहल्क इसमें इख़्तलाफ़ िै।
र्ैसा दक पिले हज़क्र िो चुका दक हुरूर्े मुक़त्आत पर भी
आयत िै, मुरक्कबाते नादक़सा पर भी आयत िै, र्ैसे
{‫ص‬ ْ َ َْ
ِ ‫ }والع‬किीं आयत मुकम्मल र्ुमला भी िै, और ऐसी
आयतें भी िैं हर्नमें दस-दस र्ुमले िैं।
क़ु रान िकीम की आयतें र्मा िोती िैं तो सूरतें वर्ूद में
आती िैं सूरत का लफ़्ज़़़ “सूर” से माख़ूज़ िै और यि लफ्ज़
सूरि अल् िदीद में फ़सील के मायने में आया िै। हपछले
ज़माने में िर शिर के बािर, हगदाु-हगदु (चारों तरफ़) एक
फ़सील (firewall) िोती थी र्ो शिर का इिाता कर लेती
थी, शिर की हिफ़ाज़त का काम भी देती थी और िद बंदी
भी करती थी। आयतों को र्ब र्मा दकया गया तो उससे
र्ो फ़सीलें वर्ूद में आयीं वि सूरतें िैं। फ़सल अलैिदा करने
[79] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

वाली शय को किते िैं। तो गोया एक सूरि दूसरी सूरि से


अलैिदा िो रिी िै। र्सील अलैिदगी की बुहनयाद िै।
फ़सील के हलये “सूर” का लफ़्ज़ मुस्तहमल िै, दर्र इससे
सूरत बना िै। अलबत्ता यि सूरतें “अबवाब” निीं िैं, बहल्क
हर्स तरि आयत के हलये लफ़्ज़ verse मुनाहसब निीं इसी
तरि सूरत के हलये लफ़्ज़ “बाब” या chapter दुरुस्त निीं।
अब र्ान लीहर्ये दक र्ैसे आयात का मामला िै ऐसे िी
सूरतों का भी िै। चुनााँचे सूरतें बहुत छोटी भी िैं। क़ु रान
मर्ीद की तीन सूरतें हसफ़ु तीन-तीन आयात पर मुश्तहमल
िैं: सूरि अल् अस्र, सूरि अल् नस्र, सूरि अल् कौसर। र्बदक
तीन सूरतें 200 से ज़्यादा आयतों पर मुश्तहमल िैं। सूरि
अल् बक़रि की 285 या 286 आयतें िैं। (सूरि अल् बक़रि
की आयतों की तादाद के ऐतबार से राय में फ़कु िै)। सबसे
ज़्यादा आयतें सूरि अल् बक़रि में िैं। दर्र सूरि अश् शौरा
में 227 और सूरि आराफ़ में 206 आयतें िैं। मुिक़्क़ीन
उलेमाओं का इस पर इज्मा िै दक आयतों की तरि सूरतों
का तअय्युन भी हुर्ूर ‫ ﷺ‬ने ख़ुद फ़रमाया। अग़रचे एक
ज़ईफ़ सा क़ौल हमलता िै दक शायद यि काम सिाबा
दकराम (रहज़०) ने दकसी इज्तिाद से दकया िो, मगर यि
मुख़्तार क़ौल निीं िै, ज़ईफ़ िै। इज्मा इसी पर िै दक आयतों
की ताईन भी तौक़ीर्ी और सूरतों की ताईन भी तौक़ीर्ी
िै।

क़ु रान िकीम की सात मंहज़लें


दौरे सिाबा (रहज़०) में िमें एक तक़सीम हमलती िै और
वि िै सात मंहज़लों की शक़्ल में सूरतों की ग्रुप्पंग। इन्िें
[80] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

अिज़ाब भी किते िैं। “िज़्ब” का लफ़्ज़़़ अिादीस में हमलता


िै, लेदकन वि एक िी मायने में निीं िोता। यि लफ़्ज़ इस
मायने में भी इस्तेमाल िोता था दक िर शख़्स अपने हलये
हतलावत की एक हमक़दार मुअय्यन कर लेता था दक मैं
इतनी हमक़दार रोज़ाना पढू ाँगा। यि गोया दक उसका अपना
िज़्ब िै। चुनााँचे िज़रत उमर हबन ख़त्ताब (रहज़०) से मरवी
एक िदीस में आया िै दक रसूल ‫ ﷺ‬ने इशाुद फ़रमाया:
َ ْ َ َ ْ َ َ ٗ َ َ َ َ ُ ْ ْ َ ْ َ ْ َ ْ َّ َ
‫ْی َصل ِۃ الف ْج ِر‬ ‫ فقرآہ ما ب‬،‫ او َع َشء مِنه‬،‫َع ح ِْز ِبهٖ ِِم اللي ِل‬ ْ َ ‫ِم َّن َم‬
ْ َ
َّ َ َ ُّ َ َ َ
‫)اخرجه اجلماعۃ‬ َ ِ ‫ب لَ ٗه َّکَ ّّنَا َق َرآ ٗہ‬
‫ِم الل ْي ِل‬ َ ‫ کُ ِت‬،‫الظ ْهر‬ ‫و صل ِۃ‬
ِ
(‫اْل البخاری‬
“र्ो शख़्स नींद (या बीमारी) की वर्ि से रात को
(तिज्जुद में) अपने िज़्ब को पूरा न कर सके , दर्र
वि फ़र्र और ज़ुिर के दरहमयान उसकी हतलावत
कर ले तो उसके हलये उतना िी सवाब हलखा
र्ायेगा गोया उसने उसे रात के दौरान पढ़ा िै।”
(यि िदीस बुख़ारी के हसवा दीगर अइम्मा-ए-
िदीस ने ररवायत की िै)
याहन र्ो शख़्स दकसी वर्ि से दकसी रात अपने िज़्ब
को पूरा न कर सके , हर्तना भी हनसाब उसने मुअय्यन दकया
िो, दकसी बीमारी की वर्ि से, य़ा नींद का ग़लबा िो र्ाये,
तो उसे चाहिये दक अपनी इस दक़रात या हतलावत को वि
ददन के वक़्त ज़रूर पूरा कर ले। सिाबा दकराम (रहज़०) में
से अक्सर का मामूल था दक िर िफ्ते क़ु रान मर्ीद की
हतलावत ख़त्म कर लेते थे। हलिाज़ा ज़रूरत मिसूस हुई दक
क़ु रान के सात हिस्से ऐसे िो र्ायें दक एक हिस्सा रोज़ाना
हतलावत करें तो िर िफ्ते क़ु रान मर्ीद का दौर मुकम्मल
[81] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

िो र्ाये। इसहलये सूरतों के सात मज्मुऐ या ग्रुप बना ददये


गये। इन ग्रुपों के हलये आर्-कल िमारे यिााँ र्ो लफ़्ज़
मुस्तहमल िै वि “मंहज़ल” िै, लेदकन िदीसों और ररवायतों
में िज़्ब का लफ़्ज़ आता िै।
अिज़ाब या मंहज़लों की इस तक़सीम में बड़ी ख़ूबसूरती
िै। ऐसा निीं दकया गया दक यि सातों हिस्से हबल्कु ल
मसावी (बराबर) दकये र्ायें। अगर ऐसा िोता तो ज़ाहिर
बात िै दक सूरतें टूट र्ातीं, उनकी फ़सील ख़त्म िो र्ाती।
चुनााँचे िर िज़्ब में पूरी-पूरी सूरतें र्मा की गईं। इस तरि
अिज़ाब या मंहज़लों की हमक़दार मुख़्तहलफ़ िो गईं। चुनााँचे
कु छ िज़्ब छोटे िैं कु छ बड़े िैं, लेदकन इनके अंदर सूरतों की
फ़सीलें निीं टूटीं, यि इनका हुस्न िै। ग़ौर करें तो मालूम
िोता िै दक यि शय भी शायद अल्लाि तआला िी की तरफ़
से िै। अग़रचे यि निीं किा र्ा सकता दक मंहज़लों की ताईन
भी तौक़ीफ़ी िै, लेदकन मंहज़लों की इस तक़सीम में हगनती
के ऐतबार से र्ो हुस्न पैदा हुआ िै उससे मालूम िोता िै दक
यि भी अल्लाि तआला की हिकमत िी का एक मज़िर िै।
सूरतुल फ़ाहतिा को अलग रख ददया र्ाये दक यि तो क़ु रान
िकीम का मुक़दमा या ददबाचा िै तो इसके बाद पिला िज़्ब
या मंहज़ल तीन सूरतों (अल् बक़रि, आले इमरान, अल्
हनसा) पर मुश्तहमल िै। दूसरी मंहज़ल पााँच सूरतों पर,
तीसरी मंहज़ल सात सूरतों पर, चौथी मंहज़ल नौ सूरतों पर,
पााँचवीं मंहज़ल ग्यारि सूरतों पर, और छठी मंहज़ल तेरि
सूरतों पर मुश्तहमल िै, र्बदक सातवीं मंहज़ल (िज़्बे
मुफ़स्सल) र्ो दक आहखरी मंहज़ल िै, इसमें 65 सूरतें िैं।
आहख़र में सूरतें छोटी-छोटी िैं। याद रिे दक 65 भी 13 का
[82] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

multiple बनता िै (13x5=65)। सूरतों की तादाद र्ैसा


दक हज़क्र िो चुका 114 िै। यि तादाद मुत्तदफ़क़ अलै िै,
हर्समें कोई शक व शुबि की गुंर्ाइश निीं।
आर्कल र्ो क़ु रान िकीम हुकु मत सऊदी अरब के ज़ेरे
अितमाम बहुत बड़ी तादाद में बड़ी ख़ूबसूरती और नफ़ासत
से शाया (प्रकाहशत) िोता िै, उसमें िज़्ब का लफ़्ज़ हबल्कु ल
एक नये मायने में आया िै। उन्िोंने िर पारे को दो िज़्ब में
तक़सीम कर हलया िै, गोया हनस्फ़ पारे की बर्ाये लफ़्ज़
िज़्ब िै। दर्र वि िज़्ब भी चार हिस्सों में मुन्क़हसम िै: ‫ُربع‬
ُ ُ
ِ ‫ثلثۃ‬। इस तरि
‫ نصف احلزب‬،‫ احلزب‬और दर्र ‫ارِبع احلزب‬
उन्िोंने िर पारे के आठ हिस्से बना हलये िैं। यि लफ़्ज़ िज़्ब
का हबल्कु ल नया इस्तेमाल िै। इसकी क्या सनद और दलील
िै और यि किााँ से माख़ूज़ िै, यि मेरे इल्म में निीं िै।
इं सानी कलाम हुरूफ़ और अस्वात (आवाज़) से मुरत्तब
(बना) िोता िै और िर ज़बान में हुरूर्े हिर्ाइया िोते िैं।
दर्र हुरूफ़ हमल कर कहलमात बनाते िै। कहलमात से
कलाम वर्ूद में आता िै, ख़्वाि वि कलाम मंज़ूम (नज़्म में)
िो या नसर िो। इस तरि क़ु रान मर्ीद की तरकीब िै।
हुरूफ़ से हमलकर कहलमात बने, कहलमात ने आयात की
शक़्ल इहख़्तयार की, आयात र्मा हुईं सूरतों की शक़्ल में
और सूरतें र्मा िो गयीं मंहज़लों की शक़्ल में।

रुकु ओं और पारों की तक़सीम


सूरतों की पिली तक़सीम रुकु ओं में िै। यि तक़सीम दौरे
सिाबा (रहज़०) और दौरे नबवी ‫ ﷺ‬में मौर्ूद निीं थी।
[83] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

यि तक़सीमें ज़माना मा बाद की पैदावार िैं। रुकु ओं की


तक़सीम बड़ी सूरतों में की गई। 35 सूरतें ऐसी िैं र्ो एक
िी रुकु पर मुश्तहमल िैं, याहन वि इतनी छोटी िैं दक इन्िें
एक रकात में आसानी से पढ़ा र्ा सकता िै, लेदकन बदक़या
सूरतें तवील िैं। सूरि अल् बक़रि में 285 या 286 आयात
िैं और उसके 40 रुकु िैं। हुज़ूर ‫ ﷺ‬से मंक़ूल िै दक आप
‫ ﷺ‬ने एक रात इन तीन सूरतों (अल् बक़रि, आले
इमरान, अल् हनसा) की मंहज़ल एक रकात में मुकम्मल की
िै। लेदकन यि तो इस्तसनात (exceptions) की बात िै।
आम तौर पर हतलावत की वि हमक़दार र्ो एक रकात में
बा-आसानी पढ़ी र्ा सकती िो, एक रुकु पर मुश्तहमल िोती
िै। रुकु रकात से िी बना िै। यि तक़सीम िज्जार् हबन युसुफ़
के ज़माने में याहन ताबईन के दौर में हुई िै। लेदकन ऐसा
नज़र आता िै दक यि तक़सीम बड़ी मेिनत से मायने पर
ग़ौर करते हुए की गई िै दक दकसी मक़ाम पर एक मज़मून
मुकम्मल िो गया और दूसरा मज़मून शुरु िो रिा िै तो विााँ
अगर रुकु कर हलया र्ाये तो बात टूटेगी निीं। अग़रचे िमारे
यिााँ आमतौर पर अइम्मा-ए-मसाहर्द पढ़े-हलखे लोग निीं
िोते, अरबी ज़बान से वादक़र् निीं िोते, हलिाज़ा अक्सर
ऐसी तकलीफ़देि सूरते िाल पैदा िोती िै दक वि ऐसी र्गि
पर रुकु कर देते िैं र्िााँ कलाम का रब्त मुंक़ति िो र्ाता िै।
दर्र अगली रकात में विााँ से शुरु करते िैं र्िााँ से बात
मायनवी ऐतबार से बहुत िी हगरााँ गुज़रती िै। रुकु ओं की
तक़सीम हबलउमूम बहुत उम्दा िै, लेदकन चंद एक मक़ामात
पर ऐसा मिसूस िोता िै दक अगर यि आयत यिााँ से िटा
कर रुकु मा क़ब्ल में शाहमल की गई िोती या रुकु का हनशान
[84] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

इस आयत से पिले िोता तो मायने और मफ़हूम के ऐतबार


से बेितर िोता। बिरिाल अक्सर व बेशतर रुकु ओं की
तक़सीम मायनवी ऐतबार से सिी िै र्ो बड़ी मेिनत से
गिराई में ग़ौर करके की गई िै।
इसके अलावा एक तक़सीम पारों की शक़्ल में िै। यि
तक़सीम तो और भी बाद के ज़माने की िै और बड़ी भूंडी
तक़सीम िै, इसहलये दक इसमें सूरतों की फ़सीलें तोड़ दी गई
िैं। ऐसा मिसूस िोता िै दक र्ब मुसलमानों का र्ोशे ईमान
कम हुआ और लोगों ने मामूल बनाना चािा दक िर मिीने
में एक मतुबा क़ु रान ख़त्म कर लें तब उनको ज़रूरत पेश
आई दक इसको तीस हिस्सों में तक़सीम दकया र्ाये। इस
मक़सद के हलये दकसी ने ग़ाहलबन यि िरकत की दक उसके
पास र्ो मुस्िफ़ मौर्ूद था उसने उसके सफ्िें (पन्ने) हगन कर
तीस पर तक़सीम करने की कोहशश की। इस तरि र्िााँ भी
सफ़्िा (पन्ना) कट गया विीं हनशान लगा ददया और अगला
पारा शुरू िो गया। इस भूंडी तक़सीम की हमसाल देहखये
दक सूरि अल् हिज्र की एक आयत तेिरवें पारे में िै र्बदक
बाक़ी पूरी सूरत चौदिवें पारे में िै। िमारे यिााँ र्ो मुस्िफ़
िै उनमें आपको यिी शक़्ल नज़र आयेगी। सऊदी अरब से
र्ो क़ु रान मर्ीद बड़ी तादाद में शाये िोकर (छप कर) पूरी
दुहनया में र्ै ला िै, यि अब पादकस्तानी और हिन्दुस्तानी
मुसलमानों के हलये इसी अंदाज़ से शाया दकया र्ाता िै
हर्ससे दक िम मानूस (पररहचत) िैं। अलबत्ता अिले अरब
के हलये र्ो क़ु रान मर्ीद शाया दकया र्ाता िै उसमें रमूज़े
अवक़ार् और अलामाते ज़ब्त भी मुख़्तहलफ़ िैं और उसमें
चौदिवााँ र्ुज़ सूरि अल् हिज्र से शुरू दकया र्ाता िै। गोया
[85] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

वि तक़सीम र्ो िमारे यिााँ िै उसमें उन्िोंने इज्तिाद से


काम हलया िै, अगरचे पारों की तक़सीम बाक़ी रखी िै। बाज़
दूसरे अरब मुमाहलक (देशों) से र्ो क़ु रान मर्ीद शाये िोते
िैं, उनमें पारों का हज़क्र िी निीं िै। इसहलये दक यि कोई
मुत्तदफ़क़ अलै चीज़ निीं िै और ज़मान-ए-ताबईन में भी
इसका कोई तज़करा निीं िै, यि इससे बहुत बाद की बात
िै। िज़रत अब्दुल्लाि हबन मसऊद (रहज़०) और िज़रत
इमरान इब्ने हुसैन (रहज़०) से मरवी मुत्तदफ़क़ अलै िदीस िै
दक रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬ने इशाुद फ़रमाया:
ُ َ ْ َّ َّ ُ ْ ُ َ ُ َ َ ْ َّ َّ ُ ْ ْ َ َّ ُ ْ َ
‫ْی یَل ْو ََنُ ْم‬ ِ ‫الن‬
‫اس قر ِّن ثم الل ِذْی یلوَنم ثم الل ِذ‬ ‫خی‬
इस िदीस की रू से बेितरीन अदवार (वक़्त) तीन िी िैं।
दौरे सिाबा, दौरे ताबईन, दर्र दौरे तबे ताबईन। इन तीन
ٌ ” किते िैं। बाक़ी इसके ٌ
ज़मानों को िम “‫قرن مشهود لها ِِبخلی‬
बाद का मामला हुज्जत निीं िै, इसकी दीन के अंदर कोई
मुस्तदक़ल और दायमी अिहमयत निीं िै।

तरतीबे नुज़ल
ू ी और तरतीबे मुस्िफ़ का इख़्तलाफ़
क़ु रान िकीम की तरतीब के हज़मन में पिली बात र्ो
हबल्कु ल मुत्तदफ़क़ अलै और िर शक व शुबि से बाला िै वि
यि िै दक तरतीबे नुज़ूली हबल्कु ल मुख़्तहलफ़ िै और तरतीबे
मुस्िफ़ हबल्कु ल मुख़्तहलफ़ िै। अक्सर व बेशतर र्ो सूरतें
इब्तदा में नाहज़ल हुईं वि आहख़र में दर्ु िैं और हिर्रत के
बाद र्ो सूरतें नाहज़ल हुई िैं (अल् बक़रि, आले इमरान,
अल् हनसा, अल् मायदा) उनको शुरू में रखा गया िै। तो
[86] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

इसमें दकसी शक व शुबि की गुंर्ाईश निीं दक तरतीबे


नुज़ूली और तरतीबे मुस्िफ़ मुख़तहलफ़ िै।
र्िााँ तक तरतीबे नुज़ूली का ताल्लुक़ िै, इससे िर
ताहलबे इल्म को ददलचस्पी िोती िै र्ो क़ु रान मर्ीद पर
ग़ौर करना चािता िै। इसहलये दक तरतीबे नुज़ूली के िवाले
से क़ु रान िकीम के मायने और मफ़्हूमों का एक नया पिलु
सामने आता िै। एक तो यि दक एक ख़ास पसमंज़र के साथ
सूरतें र्ुड़ती हुई चली र्ाती िैं। इब्तदा में क्या िालात थे
हर्नमें यि सूरतें नाहज़ल हुईं, दर्र िालात ने क्या पलटा
खाया तो अगली सूरतें नाहज़ल हुईं। चुनााँचे तरतीबे नुज़ूली
के िवाले से क़ु रान िकीम को मुरत्तब दकया र्ाये तो एक
ऐतबार से वि सीरतुन नबी ‫ ﷺ‬की दकताब बन र्ायेगी।
इसहलये दक आग़ाज़े विी के बाद से लेकर आप ‫ ﷺ‬के
इन्तेक़ाल तक वि ज़माना िै हर्समें क़ु रान नाहज़ल हुआ।
दूसरे यि दक इस पूरे ज़माने के साथ क़ु रान मर्ीद की
आयात और सूरतों का र्ो मज्मुई रब्त िै, तरतीबे नुज़ूली
की मदद से उसे समझने और ग़ौर दर्क्र करने में मदद
हमलती िै। पस (इसहलये) क़ु रान मर्ीद के िर ताहलबे इल्म
को इससे ददलचस्पी िोना समझ में आता िै। चुनााँचे बाज़
सिाबा (रहज़०) के बारे में ररवायात हमलती िैं दक उन्िोंने
तरतीबे नुज़ूली के ऐतबार से क़ु रान िकीम को मुरत्तब (set)
दकया था। िज़रत अली (रहज़०) के बारे में यि बात बहुत
शद व मद (हवस्तार) के साथ किी र्ाती िै दक उन्िोंने भी
इसको तरतीबे नुज़ूली के ऐतबार से क़ु रान िकीम को मुरत्तब
दकया था, और अवाम की सति पर यि मशहूर िै दक अिले
तशय्य (हशया) उसी को असल और मुस्तनद क़ु रान मानते
[87] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

िैं और िज़रत अली (रहज़०) का यि मुस्िफ़ उनके बारिवें


इमाम के पास िै, र्ो एक ग़ार में रू पोश िैं। क़यामत के
क़रीब र्ब वि ज़ाहिर िोंगे तब वि अपना यि मुस्िफ़ याहन
“असल क़ु रान” लेकर आयेंगे। गोया अिल तशय्य (हशया)
यि क़ु रान उस वक़्त तक के हलये िी क़ु बूल करते िैं। आमतौर
पर उनकी तरफ़ यिी बात मन्सूब िै, लेदकन दौरे िाहज़र के
बाज़ हशया उल्मा इस तसव्वुर के क़ायल निीं िैं। एक हशया
आहलमे दीन सय्यद िादी अली नक़वी ने बहुत शद व मद
(हवस्तार) के साथ इस तसव्वुर की नफ़ी की िै और किा िै
दक “िम इसी क़ु रान को मानते िैं, यिी असल क़ु रान िै और
इसे मन व अन मिफ़ू ज़ मानते िैं। िमारे नज़दीक कोई आयत
इससे ख़ाररर् निीं हुई और कोई शय बािर से बाद में इसमें
َّ ُ
दाहखल निीं हुई। यिी र्ो “‫ ”دفتْی‬याहन हर्ल्द के दो गत्तों
के माबैन िै, यिी िक़ीक़ी और असली क़ु रान िै।”
बिरिाल अगर िज़रत अली (रहज़०) के पास ऐसा कोई
मुस्िफ़ था हर्से आपने तरतीबे नुज़ूली के मुताहबक़ मुरत्तब
दकया था तो इसमें कोई िर्ु की बात निीं। अमली और
िक़ीक़ी ऐतबार से क़ु रान िकीम पर ग़ौरो दफ़क्र करने के
हलये क़ु रान मर्ीद के बाज़ अंग्रेज़ी तर्ुुमें में भी तरतीबे
नुज़ूली के ऐतबार से सूरतों को मुरत्तब करके तर्ुुमा दकया
गया िै। (मुिम्मद इज़तु दरहवज़ा ने भी अपनी तफ़्सीर “अल्
तफ़्सीर अल् िदीस” में सूरतों को नुज़ूली ऐतबार से तरतीब
ददया िै।) अमली ऐतबार से इसमें कोई िर्ु निीं, लेदकन
असल हुज्जत तरतीबे मुस्िफ़ की िै। यि तरतीब तौक़ीफ़ी
(अल्लाि के द्वारा बताया हुआ) िै। यि मुिम्मद रसूल
अल्लाि ‫ ﷺ‬की दी हुई तरतीब िै और यिी तरतीब लौिे
[88] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

मिफ़ू ज़ में िै। असल क़ु रान तो विी िै। अज़रूए अल्फ़ाज़े


क़ु रानी:
ُ ْ َّ ٰ ْ ٌ ْ َ ٌ ٰ ْ ُ َ ٗ َّ
} और (अल् ‫ۙ۝‬78 ‫ِف كِتب مكن ْون‬ ِ ‫ۙ۝‬ 77 ‫}اِنه لقران ك ِرْي‬
ُ ْ َّ َ ْ ٌ ْ َّ ٌ ٰ ْ ُ َ ُ ْ َ
‫؀‬22 ‫ِف ل ْوح َّمف ْوظ‬ِ ‫؀‬21 ‫د‬ ِ ‫بل هو قران‬वादक़या:77-78) {
‫َّمي‬
(अल् बुरुर्:21-22) {
“अल् इतक़ान फ़ी उलूमुल् क़ु रान” में र्लालुद्दीन स्यूहत
रहि० ने बहुत िी ज़ोर और ताकीद के साथ दकसी का यि
क़ौल नक़ल दकया िै दक अगर तमाम इं सान और हर्न्न हमल
कर कोहशश कर लें तब भी तरतीबे नुज़ूली पर क़ु रान को
मुरत्तब निीं दकया र्ा सकता। इसहलये दक इसके बारे में
िमारे पास मुकम्मल मालूमात निीं िैं। बहुत सी सूरतों के
अंदर बाद में नाहज़ल िोने वाली आयतें पिले आ गई िैं और
शुरू में नाहज़ल िोने वाली बाद में आई िैं। इस ऐतबार से
एक-एक आयत के बारे में मुअय्यन करना और उसकी
तरतीब के बारे में इज्मा नामुमदकन िै। चुनााँचे असल मुस्िफ़
विी िै र्ो िमारे पास िै और इसकी तरतीब भी तौफ़ीक़ी
(अल्लाि के द्वारा बताया हुआ) िै र्ो मुिम्मद रसूल ‫ﷺ‬
ने बताई िै।
इस तरतीबे मुस्िफ़ के ऐतबार से इस दौर में सूरतों की
एक नयी ग्रुप्पंग की तरफ़ रिनुमाई हुई िै। मौलाना
िमीदुद्दीन फ़रािी रहि० ने ख़ासतौर पर अपनी तवज्जि को
नज़्मे क़ु रान पर मरकू ज़ दकया, आयात का बािमी रब्त
तलाश दकया। नेज़ यि दक आयतों की वि कौनसी क़र
मुशतरक िै हर्सकी हबना पर उनको सूरतों में र्मा दकया
गया--- दर्र यि दक िर सूरत का एक अमूद और मरकज़ी
[89] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

मज़मून िै, बज़ाहिर आयतें ग़ैर मरबूत (असंबंहधत) नज़र


आतीं िैं लेदकन दरिक़ीक़त उनके माबैन (बीच) एक मन्तक़ी
(वैचाररक) रब्त मौर्ूद िै और िर आयत उस सूरत के अमूद
(कें रीय हवचार) के साथ मरबूत (संबंहधत) िै--- मज़ीद यि
दक सूरतें र्ोड़ों की शक़्ल में िैं--- इन चीर्ों पर मौलाना
फ़रािी रहि० ने ज्यादा तवज्जि की। मौलाना इस्लािी
सािब ने इस बात को मज़ीद आगे बढ़ाया िै।
इस बारे में एक इश्तबाि (शक) पैदा िो सकता िै, हर्से
रफ़ा (दूर) कर देना ज़रूरी िै दक क़ु रान मर्ीद का यि पिलु
इस ज़माने में क्यों सामने आया और इससे पिले इस पर
ग़ौर क्यों निीं िो सका? क्या िमारे अस्लाफ़ (पूवुर्) क़ु रान
मर्ीद पर तदब्बुर का िक़ अदा निीं करते थे? इस इस्तबाि
(शक) को अपने ज़िन में न आने दें, इसहलये दक क़ु रान
मर्ीद की शान यि िै दक इसके अर्ायब (अर्ूब)े कभी ख़त्म
َ َْ َ
ْ ِ ‫ْل تنق‬
निीं िोंगे। हुज़ूर ‫ ﷺ‬का अपना क़ौल िै: “ ‫ِض‬
ُ ََ
‫”َعائ ُِبه‬। अगर कोई शख़्स यि समझता िै दक दकसी ख़ास
दौर के मुिद्दसीन, मुिक़्क़ीन, मुफ़स्सरीन क़ु रान मर्ीद के
इल्म का बतमाम व कमाल इिाता कर चुके तो वि सख़्त
ग़लती पर िै। अगर ऐसा िोता तो यि क़ु रान मर्ीद पर भी
तअन िोता और ख़ुद हुज़ूर ‫ ﷺ‬के इस क़ौल की भी नफ़ी
िोती। यि तो र्ैसे-र्ैसे ज़माना आगे बढ़ेगा क़ु रान मर्ीद के
अर्ायब, इसकी हिकमतें, इसके उलूम (अध्ययन) व मारफ़
के नये-नये ख़ज़ाने बरामद िोते रिेंगे। चुनााँचे िमारा तज़े
अमल यि िोना चाहिये दक मुताअला क़ु रान के बाद िम यि
मिसूस करें दक िमने अपनी इस्तताअत (क्षमता) के
मुताहबक़ इसको सीखा िै और बाद में आने वाले इसमें से
[90] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

कु छ और भी िाहसल करेंगे, वि िमेशा इसके हलये कोशां


रिेंगे, इसमें ग़ौरो दफ़क्र और तदब्बुर करते रिेंगे और नये-
नये उलूम (अध्ययन) और नये-नये हनकात इसमें से बरामद
िोते रिेंगे। अल्लाि तआला दक हिकमत में यिी ज़माना इस
इन्कशाफ़ के हलये मुअय्यन था, और ज़ाहिर बात िै दक
हिकमते क़ु रानी का र्ो भी कोई नया पिलु दरयाफ़्त िोगा
वि दकसी इं सान िी के ज़ररये से िोगा। हलिाज़ा इसके हलये
तहबयत के अंदर बुअद मिसूस ना करें। बिरिाल मौलाना
र्रािी रहि० ने नज़्मे क़ु रान को अपना ख़ुसूसी मौज़ू
(हवषय) बनाया। वि तफ़्सीर क़ु रान हलखना चािते थे मगर
हलख निीं सके , हसफ़ु चंद सूरतों की तर्ासीर उन्िोंने हलखी
िैं। उनमें से भी बाज़ ना-मुकम्मल िैं। वि एक मुर्दक्कर
दक़स्म के इं सान थे मुसहन्नफ़ दक़स्म के इं सान निीं थे।
मुर्दक्कर इं सान मुसलसल ग़ौर करता रिता िै और उसके
सामने नये-नये पिलू आते रिते िैं। चुनााँचे उनका तस्नीफ़ व
तालीफ़ का अंदाज़ यि था दक उन्िोंने मुख़्तहलफ़ मौज़ुआत
(हवषयों) पर फ़ाइल खोल रखे थे। र्ब कोई नया ख़्याल
आता तो काग़ज़ पर हलख कर मुतालक़ा फ़ाइल में शाहमल
कर लेते। यिी वर्ि िै दक उनकी अक्सर तसानीफ़ उनकी
वफ़ात के बाद दकताबी शक्ल में शाया (छपी) हुई िैं, र्बदक
उनके ज़माने में वि हसफ़ु फ़ाइलों की शक़्ल में थीं और दकसी
शय के छपने की नौबत आई िी निीं। सोच-हवचार का
तसलसुल उनके आहख़री लम्िें तक र्ारी रिा। “मुकद्दमा
हनज़ामुल क़ु रान” वादक़अतन उनके दफ़क्र और सोच की सिी
नुमाइन्दगी (प्रहतहनहधत्व) करता िै। इस हज़मन में उनके
शाहगदु रशीद अमीन अिसन इस्लािी सािब ने बात को
[91] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

आगे बढ़ाया िै। नज़्मे क़ु रान के बारे में इन िज़रात के नतीर्े


दफ़क्र के चंद हनकात मुलाहिज़ा िों:
(i) िर सूरत का एक अमूद (कें रीय हवचार) िै, र्ैसे एक
िार की डोरी िै उसमें मोती हपरोये हुए िैं। यि डोरी
देखने वालों को नज़र निीं आती, मोती नज़र आते िैं,
लेदकन उनको बााँधने वाली शय तो डोरी िै हर्समें वि
हपरोये गए िैं। इसी तरि िर सूरत का एक मरकज़ी
मज़मून या अमूद (कें रीय हवचार) िै हर्सके साथ उसकी
तमाम आयतें मरबूत (र्ुड़ी) िैं।
(ii) क़ु रान मर्ीद की अक्सर सूरतें र्ोडों की शक़्ल में िैं और
यूाँ कि सकते िैं दक एक िी मज़मून का एक रुख एक
सूरत में आ र्ाता िै और उसी का दूसरा रुख़ उस र्ोड़े
के दूसरे हिस्से में आकर मज़मून की तकमील कर देता
िै। मौलाना इस्लािी सािब ने भी ऐसा िी फ़रमाया िै।
अलबत्ता र्िााँ तक इस उसूल के इन्तबाक़ (अनुपालन)
का ताल्लुक़ िै इसमें इहख़्तलाफ़ की गुाँर्ाइश िै और र्ो
िज़रात मेरे दरसों में तसलसुल (sequence) से
कसरत करत रिे िैं उन्िें मालूम िै दक मुझे बहुत से
मौक़ों पर इस्लािी सािब से इहख़्तलाफ़ भी िै, लेदकन
उसूलन यि बात दुरुस्त िै दक क़ु रान मर्ीद की अक्सर
सूरतें र्ोड़ों की शक़्ल में िैं। तािम बाज़ सूरतें मुनफ़ररद
िैहसयत की माहलक िैं, उनका र्ोड़ा उस र्गि पर
मौर्ूद निीं िै। अग़रचे मैंने तिक़ीक़ की िै दक अक्सर व
बेशतर ऐसी सूरतों के र्ोड़े भी मायनन क़ु रान में मौर्ूद
िैं। मसलन सूरि अल् नूर तन्िा और मुनफ़ररद िै, सूरि
अल् अिज़ाब भी मुनफ़ररद और तन्िा िै, लेदकन यि
[92] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

दोनों आपस में र्ोड़ा िैं और इनमें र्ोड़ा िोने की


हनस्बत ब-तमाम व कमाल मौर्ूद िै। इसी तरि सूरि
अल् फ़ाहतिा मुनफ़ररद (अनोखी) िै। वि तो इस
ऐतबार से भी मुनफ़ररद (अनोखी) िै दक वादक़अतन
उसका ब-तमाम व कमाल र्ोड़ा बनना मुमदकन निीं,
َ ِ ‫َس ْبعا‬ َ ً
वि अपनी र्गि पर क़ु रान िकीम और ‫اّن‬ ِ ‫ِم المث‬
िै, लेदकन सूरि अन्नास में ग़ौर करें तो मायनन यि सूरत
सूरि अल् फ़ाहतिा का र्ोड़ा बनती िै। इसहलये दक
सूरि अल् फ़ाहतिा में इस्तआनत (मदद) िै और सूरि
अन्नास में इस्तआज़ि (शरण)। दर्र सूरतुल फ़ाहतिा में
अल्लाि तआला की तीन शानें रब, माहलक, इलाि िैं
और यिी तीन शानें सूरतुन्नास में भी िैं।
(iii) हतलावत के हलये सात मंहज़लों के अलावा क़ु रान िकीम
में सूरतों की एक मायनवी ग्रुप्पंग भी िै। इस ऐतबार से
भी सूरतों के सात ग्रुप िैं और िर ग्रुप में एक मक्की और
मदनी दोनों तरि की सूरतें शाहमल िैं। िर ग्रुप में एक
या एक से ज़्यादा मक्की सूरतें और उसके बाद एक या
एक से ज़्यादा मदनी सूरतें िैं। एक ग्रुप की मक्की और
मदनी सूरतों में विी हनस्बत िै र्ो एक र्ोड़े की दो
सूरतों में िोती िै। र्ैसे एक मज़मून की तकमील एक
र्ोड़े की सूरतों में िोती िै, याहन एक रुख़ एक फ़दु में
और दूसरा रुख़ दूसरे फ़दु में, इसी तरि िर ग्रुप का एक
मरकज़ी मज़मून और अमूद (कें रीय हवचार) िै, हर्सका
एक रुख़ मक्की सूरतों में और दूसरा रुख़ मदनी सूरतों में
आ र्ाता िै। इस तरि ग़ौर व दफ़क्र और तदब्बुर करके
नये मैदान सामने आ रिे िैं। र्ो इन्सान भी इनका अमूद
[93] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

मुअय्यन करने में ग़ौरो दफ़क्र करेगा वि दकसी नतीर्े


पर पहुाँचेगा, अग़रचे अमूद मुअय्यन करने में इहख़्तलाफ़
िो सकता िै। सबसे बड़ा ग्रुप पिला िै हर्समें मक्की सूरत
हसफ़ु एक याहन सूरतुल फ़ाहतिा र्बदक मदनी सूरतें
चार िैं र्ो सवा छ: पारों पर र्ै ली हुई िै, याहन सूरतुल
बक़रि, आले इमरान, अल् हनसा और अल् मायदा।
दूसरा ग्रुप इस ऐतबार से मुतवाहज़न िै दक उसमें दो
सूरतें मक्की और दो मदनी िैं। सूरतुल अनआम और
सूरतुल आराफ़ मक्की िैं र्बदक सूरतुल अन्फ़ाल और
सूरतुल तौबा मदनी िैं। तीसरे ग्रुप में सूरि युनुस से
सूरि अल् मोहमनून तक चौदि मक्की सूरतें िैं। यि
तक़रीबन सात पारे बन र्ाते िैं। इसके बाद एक मदनी
सूरत िै और वि सूरतुल नूर िै। इसके बाद चौथे ग्रुप में
सूरतुल् फ़ु रक़ान से सूरतुल सज्दा तक मदक्कयात िैं, दर्र
एक मदनी सूरत सूरतुल अिज़ाब िै। पााँचवें ग्रुप में सूरि
सबा से लेकर सूरतुल अिक़ाफ़ तक मदक्कयात िैं, दर्र
तीन मदनी सूरतें िैं, सूरि मुिम्मद, सूरतुल फ़ति और
सूरि अल् हुर्रात िैं। इसके बाद छठे ग्रुप में दर्र सूरि
क़ाफ़ से सूरतुल वादक़या तक सात मदक्कयात िैं हर्नके
बाद दर्र दस मदहनयात िैं सूरि अल् िदीद से सूरि
अल् तिरीम तक। इसी तरि सातवें ग्रुप में भी पिले
मक्की सूरतें िैं और आहख़र में दो मदनी सूरतें िैं। इस
तरि यि सात ग्रुप बनते िैं। यि ग्रुप मौलाना इस्लािी
सािब के मुरत्तब करदा िैं, इनमें पिला और आहख़री
ग्रुप इस ऐतबार से अक्सी हनस्बत रखते िैं दक पिले ग्रुप
में हसफ़ु एक सूरत सूरि फ़ाहतिा मक्की िै और सवा छ:
[94] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

पारों पर मुश्तहमल चार तवील-तरीन सूरतें मदनी िैं,


र्बदक आहख़री ग्रुप में सूरतल मुल्क से लेकर पूरे दो
पारे तक़रीबन मदक्कयात पर मुश्तहमल िैं, आहख़री में
हसफ़ु दो सूरतें “मौअव्वज़तैन” मदनी िैं। याहन यिााँ
हनस्बत हबल्कु ल अक्सी िै। लेदकन दूसरा ग्रुप भी
मुतवाहज़न िै, याहन दो सूरतें मक्की, दो मदनी-- और
छठा ग्रुप भी मुतवाहज़न िै दक उसमें सात सूरतें मक्की िैं
(सूरि क़ाफ़ से सूरि वादक़या तक) र्बदक दस सूरतें
मदनी िैं (सूरि अल् िदीद से सूरि अल् तिरीम तक)
लेदकन हुज्म (volume) के ऐतबार से तक़रीबन बराबर
िैं। यि भी ग़ौरो दर्क्र और सोच-हवचार का एक मौज़ू
िै और इससे भी क़ु रान मर्ीद की हिकमत व हिदायत
और उसके इल्म के नये-नये गोशे (corner) सामने आ
रिे िैं।
क़ु रान िकीम की सूरतों के र्ोड़े िोने का मामला क़ु रान
मर्ीद में बाज़ र्गिों पर तो बहुत िी नुमाया िै। “अल्
मौअव्वज़तैन” आहख़री दो सूरतें िैं र्ो तअव्वुज़ पर
ََْ
ّ ‫ }قل اع ْوذ ِ َِب‬और { ‫قل اع ْوذ ِ َِب ّب‬ ُ َُ ُْ ُ َُ ُْ
मुश्तहमल िैं: {‫ب الفل ِق‬ِ ِ
َّ
‫اس‬ ِ ‫ }الن‬इसी तरि “अज़ ज़िरावैन - दो हनिायत ताबनाक
सूरतें” अल् बक़रि और आले इमरान िैं। हुज़ूर ‫ ﷺ‬इन
दोनों को भी एक नाम ददया र्ैसे आहख़री दो सूरतों को एक
नाम ददया। इसी तरि सूरतुल मुज़हम्मल और सूरतुल
मुदहस्सर में और सूरि अद् दुिा और सूरि अलम नशरि में
मायनवी रब्त िै। सूरि अल् तिरीम और सूरि अत् तलाक़
में तो यि रब्त बहुत िी नुमाया िै। दोनों सूरतों का आग़ाज़
[95] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

ّ ُ ُ ْ َ َ ُّ َّ َ ُّ ٰ ۗ َّ َ
हबल्कु ल एक र्ैसा िै: {‫الن َسا َء‬
ِ ‫ } ٰيّيا الن ِب اِذا طلقتم‬और
َ َ ُ َّ َ َ َ ُ ّ َ ُ َ ُ َّ َ ُّ َ ٰ
ّ ِ ‫ } ٰيّيا الن‬मज़मून के अंदर भी बड़ी
{ ‫ب ِِل حت ِرم ما احل ّٰللا لك‬
गिरी मुनासबत िै। इसके बाद सूरि अस्सफ़ और सूरतुल
َ ّ
र्ुमा का र्ोड़ा िै। सूरि अस्सफ़ ‫ ِِل ِ َس ّب َح‬से और सूरतुल
ُ ّ
र्ुमा ‫ ِِل ِ ي َس ِ ّب ُح‬के अल्फ़ाज़ से शुरु िो रिी िैं। सूरि अस्सफ़
की मरकज़ी आयत र्ो रसूल ‫ ﷺ‬के मक़सदे बेअसत को
ُ ْ ٰ ْ َٗ َ َ َّ ُ
मुअय्यन कर रिी िै { ‫ْی‬ َ ْ ُ َ َ ْ ْ َ
ِ ‫هو ال ِذي ارسل رسوله ِِبلهدى و ِد‬
ُّ ْ ّ َ َ ٗ َ ْ ُ َّ ْ
ٖ‫ْی ك ِه‬
ِ ‫الد‬
ِ ‫( } احل ِق لِيظ ِهره لَع‬आयत:9) िै, र्बदक सूरतुल
र्ुमा की मरकज़ी आयत र्ो हुज़ूर ‫ ﷺ‬के इन्क़लाब का
َ َ َّ ُ
असासी हमन्िार् मुअय्यन कर रिी िै { ‫ه َو ال ِذ ْي َبعث ِِف‬
ّ ْ ّ َ ُ َ ٰ ٰ ْ ْ َ‫ْن ْم َی ْت ُل ْوا َعل‬
ُ ْ ‫ْی َر ُس ْو ًْل ِّم‬ ُْ
‫ِْي ْم َویُ َع ِل ُم ُه ُم‬
ِ ‫ْيم ای ِتهٖ وُيك‬ِ
َ ّ ٖ ‫اْل ِّم‬
َ ْ ْ َ ٰ ْ
‫ب َواحلِك َمۃ‬ ‫( } الكِت‬आयत:2) िै। बिरिाल सूरतों का र्ोड़ा
िोना, सूरतों का ग्रुप की शक्ल में िोना, इन ग्रुप्स का अपना
एक अमूद और एक मरकज़ी मज़मून िोना, दर्र इसके दो
रुख़ बन र्ाना र्ो इसकी मदक्कयात और मदहनयात में आते
िैं, क़ु रान मर्ीद के इल्म व हिकमत के ख़ज़ाने के वि दरवाज़े
िैं र्ो अब खुले िैं। इस तरि दरवाज़े िर दौर में खुलते रिे
िैं और आइन्दा भी खुलते रिेंगे। चुनााँचे क़ु रान मर्ीद पर
तज़क्कु र (याद) और तदब्बुर (सोच-हवचार) तसलसुल
(हनरंतर) के साथ र्ारी रिना चाहिये।
पीछे सात मंहज़लों और सात अिज़ाब का हज़क्र िो
चुका। अब मक्की और मदनी सूरतों के सात ग्रुप्स का बयान
हुआ। यि दोनों दक़स्म के ग्रुप दो र्गि पर आकर हमल र्ाते
[96] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

िैं। पिली मंहज़ल तो सूरि अल् हनसा पर ख़त्म िो र्ाती िै


और पिला ग्रुप सूरि मायदा पर ख़त्म िोता िै। सूरि अल्
तौबा पर दूसरी मंहज़ल भी ख़त्म िोती िै और दूसरा ग्रुप भी
ख़त्म िोता िै। सूरि यूनुस से तीसरी मंहज़ल शुरु िोती िै
और तीसरा ग्रुप भी शुरु िोता िै। इसी तरि एक मक़ाम
और िै। सूरि क़ाफ़ से आहख़री मंहज़ल भी शुरु िो रिी िै
और उसी से छठा ग्रुप भी शुरु िो रिा िै। सूरि क़ाफ़ छठे
ग्रुप की पिली मक्की सूरत िै। यि छठा ग्रुप सूरि अल् तिरीम
पर ख़त्म िो र्ाता िै और आहख़री ग्रुप सूरतुल मुल्क से शुरु
िोता िै, लेदकन र्ो मंहज़ल सूरि क़ाफ़ से शुरु िोती िै वि
सूरि अन्नास तक एक िी िै।
यि वि चीज़ें िैं र्ो मालूमात के दर्े में सामने रिें और
ज़िन में मौर्ूद रिें तो इं सान र्ब ग़ौर करता िै तो इनके
िवाले से बाज़ अवक़ात हिकमत के बड़े क़ीमती मोती िाथ
लगते िैं।

❀❀❀
[97] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

बाब चािरम (चौथा)

तद्वीने क़ु रान (क़ु रान की पररपूर्तु)

क़ु रान मर्ीद की तद्वीन के बारे में यि बात हबल्कु ल


वाज़ेि िै दक यि रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬की ियाते तैय्यबा में
मुकम्मल िो गयी थी। दकसी शायर का दीवान उसकी
गज़लों और कसीदों पर मुश्तहमल िोता िै। क़ु रान मर्ीद
अल्लाि का कलाम िै और उसकी भी तद्वीन हुई िै। यि भी
एक दीवान की शक्ल में िै, इसको भी र्मा दकया गया िै।
र्मा व तद्वीने क़ु रान अपनी र्गि पर बहुत अिम मौज़ू
(हवषय) िै। इसके बारे में ख़ास मालूमात िमारे ज़िनों में
िर वक़्त मुसतिज़र (याद) रिनी चाहिये, क्योंदक आमतौर
पर अिले तशय्यो के िवाले से िमारे यिााँ र्ो चीज़ें मशहूर
िैं (वल्लाहु आलम वि िक़ीक़त पर मब्नी िैं या मिज़
मुख़ाहलफ़ीन का प्रोपेगंडा िै) इनकी वर्ि से लोगों के ज़िनों
में शुबिात पैदा हुए िैं और वि काफ़ी बड़े िलक़े के अंदर
र्ै ले िैं।
िमारे यिााँ र्ुमे के ख़ुत्बे र्ो मुरत्तब दकये गए िैं और
आम ख़तीब पढ़ते िैं, उनमें भी ऐसे अल्फ़ाज़ आ गये िैं र्ो
बहुत बड़े-बड़े मुग़ालतों की बुहनयाद बन गये िैं। िो सकता
िै दकसी दुश्मने इस्लाम ने, दकसी बाहतनी ने, दकसी ग़ाली
दक़स्म के राफ्दी ने यि अल्फ़ाज़ शाहमल कर ददये िों।
बज़ाहिर तारीफ़ िो रिी िै मगर िक़ीक़त में तनक़ीस िो
[98] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

रिी िै और दीन की र्ड़ काटी र्ा रिी िै। इसकी हमसाल


भी इसी तद्वीने के ज़ेल (below) में आयेगी।
क़ु रान मर्ीद की तद्वीन तीन मराहिल (steps) में
मुकम्मल हुई। पिली तद्वीन रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬की ियाते
तैय्यबा में िो गई थी, लेदकन वि तद्वीन उस शक्ल में थी दक
सूरतें मुअय्यन िो गईं, सूरतों की तरतीब मुअय्यन िो गई।
दकताबी शक्ल में क़ु रान मर्ीद हुज़ूर ‫ ﷺ‬की ियाते
तैय्यबा में मौर्ूद निीं था। लोगों के पास मुख्तहलर् हिस्सों
में हलखा हुआ क़ु रान था। लोग ऊाँट के शाने (shoulder) की
िड्डी (र्ो कार्ी चौड़ी िोती िै) पर हलखते थे या कु ल्िे की
िड्डी पर हलखा र्ाता था। ऊाँट की पसहलयााँ (ribs) भी बड़ी
चौड़ी िोती िैं यि भी इस मक़सद के हलये इस्तेमाल िोती
थीं। कागज़ उस ज़माने में किााँ था, कपड़ा ज़्यादा दस्तयाब
था, हलिाज़ा कपड़े पर भी हलखा र्ाता था। इसी तरि छोटे-
छोटे पत्थरों पर भी आयात हलख लेते थे। याद रिे दक क़ु रान
ُ َ َ ٗ َّ
मर्ीद की असल िैसीयत “कौल” की िै: { ‫اِنه لق ْول َر ُس ْول‬
َ
‫( }ك ِر ْیم‬अल् िाक्क़ा:40) ना तो यि हुज़ूर ‫ ﷺ‬को हलखी
हुई शक्ल में ददया गया ना हुज़ूर ‫ ﷺ‬ने हलखी हुई शक्ल
में उम्मत को ददया। हुज़ूर ‫ ﷺ‬को भी यि पढ़ाया गया िै।
अज़ रुए अल्फ़ाज़े क़ु रानी:
“िम आपको पढ़ायेंगे, दर्र आप ْ َ َ َ َ ُ ُْ
भूलेंगे निीं।” ‫َسنق ِرئك فًل تن اِس‬
(अल् आला:6)
यि अव्वलन क़ौले हर्ब्राईल (अलै०) दर्र क़ौले मुिम्मद
‫ ﷺ‬बन कर लोगों के सामने आया। हर्ब्राईल (अलै०) से
[99] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

हुज़ूर ‫ ﷺ‬ने सुना, हुज़ूर ‫ ﷺ‬से सिाबा (रहज़०) ने सुना।


चुनााँचे असल में तो क़ु रान पढ़ी र्ाने वाली शय िै। लेदकन
र्ैसे-र्ैसे क़ु रान नाहज़ल िोता आप ‫ ﷺ‬उसे हलखवा भी
लेते। बाज़ सिाबा दकराम (रहज़०) दकताबते विी की
हज़म्मेदारी पर मामूर (तैनात) थे। और हुज़ूर ‫ ﷺ‬ने इस
َ
बात का हुक्म भी दे ददया था दक (( ‫ْل‬
ُ ْ َ َّْ ُْ ُ ْ َ
‫ّن غ ْیا الق ْرآ ِن‬
ِ ‫“ ))تکتبوا ع‬मेरी तरफ़ से हसवाये क़ु रान के
कु छ ना हलखो।”
अिादीस को हलखने से हुज़ूर ‫ ﷺ‬ने मना फ़रमा ददया
था तादक किीं अल्लाि और रसूल ‫ ﷺ‬का कलाम गडमड
ना िो र्ाये, हसफ़ु क़ु रान मर्ीद को िी हलखने का हुक्म
ददया। लेदकन असल क़ु रान अल्लाि ताला ने हुज़ूर ‫ ﷺ‬के
सीने में र्मा दकया और मुिम्मद रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬ने
सिाबा (रहज़०) के सीनों में र्मा कर ददया। वि क़ौल से
क़ौल की शक्ल में गया िै, लोगों ने हुज़ूर ‫ ﷺ‬के दिन
मुबारक से सीखा िै। बिरिाल रसूल ‫ ﷺ‬के दौर में हलखा
हुआ क़ु रान भी था लेदकन दकताबी शक्ल में र्माशुदा निीं
था। र्माशुदा शक्ल में हसर्ु सीनों में था, हुफ्र्ाज़ को याद
था। उन्िें याद था दक क़ु रान इस तरतीब के साथ िै। इसके
हलये सबसे बड़ी दलील यि िै दक सिी ररवायात के
मुताहबक़ िर रमज़ानुल मुबारक में हर्तना क़ु रान उस वक़्त
तक नाहज़ल िो चुका था, हुज़ूर ‫ ﷺ‬और िज़रत हर्ब्राइल
(अलै०) उसका दौर करते थे, र्ैसा दक िमारे यिााँ रमज़ान
के आने से पिले हुफ्र्ाज़ दौर करते िैं, एक िादफ़ज़ सुनाता
िै, दूसरा सुनता िै तादक तरावीि में सुनाने के हलये ताज़ा
िो र्ाये। तो रमज़ानुल मुबारक में हुज़ूर ‫ ﷺ‬और िज़रत
[100] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

हर्ब्राईल (अलै०) मुज़ाकरि करते थे, क़ु रान मर्ीद का दौर


िोता था। आप ‫ ﷺ‬की हज़न्दगी के आख़री रमज़ान में आप
‫ ﷺ‬ने हर्ब्राईल (अलै०) से क़ु रान मर्ीद का दो मरतबा
मुक्ममल दौर दकया। चुनााँचे र्िााँ तक िाफ़र्े में और सीने
में क़ु रान का मुदहव्वन िो र्ाना िै वि तो नबी अकरम
‫ﷺ‬की ियात तैय्यबा के दौरान मुक्ममल िो गया था।
तद्वीने क़ु रान का दूसरा मरिला िज़रत अबुबकर
(रहज़०) के अिदे हख़लाफ़त में आया र्ब मुरतद्दीन (वि
शख्स र्ो इस्लाम क़बूल करने के बाद दर्र दोबारा कादफ़र,
यहूद या इसाई िो र्ाये) और माहनईन ज़कात (ज़कात देने
से मना करने वाले) से र्ंगें हुईं। र्ंगे यमामा में तो बहुत
बड़ी तादाद में सिाबा (रहज़०) शिीद हुए। यि बड़ी खूंरेज़
र्ंग थी और इसमें कसीर तादाद में हुफ्र्ाज़े क़ु रान शिीद
िो गए तो तशवीश पैदा हुई और यि ख्याल आया दक इस
क़ु रान को अब दकताबी शक्ल में र्मा कर लेना चाहिये। यि
ख्याल सबसे पिले िज़रत उमर (रहज़०) के ददल में आया।
िज़रत उमर (रहज़०) ने यि बात िज़रत अबुबकर (रहज़०)
से किी तो वो बड़े मुतरदद्दद (परेशान) हुए दक मैं वि काम
कै से करूाँ र्ो हुज़ूर ‫ ﷺ‬ने निीं दकया! लेदकन िज़रत उमर
(रहज़०) इसरार (आग्रि) करते रिे और रफ्ता-रफ्ता िज़रत
अबुबकर (रहज़०) को भी इस पर इन्शरािे सर िो गया
(ददल ने मान हलया)। उन्िोंने िज़रत उमर (रहज़०) से किा
दक अब तुम्िारी इस बात के हलये अल्लाि ने मेरे सीने को
कु शादाि (बड़ा) कर ददया िै। इसके बाद यि हज़म्मेदारी
िज़रत ज़ेद हबन साहबत (रहज़०) पर ड़ाली गयी र्ो हुज़ूर
‫ ﷺ‬के ज़माने में काहतबे विी थे। आप ‫ ﷺ‬के चंद ख़ास
[101] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

सिाबा र्ो दकताबते विी पर मामूर (तैनात) थे, उनमें


िज़रत ज़ेद हबन साहबत (रहज़०) बहुत मारूफ़ (मशहूर) थे।
उनसे िज़रत अबुबकर (रहज़०) ने फ़रमाया दक तुम यि
काम करो, और उनके साथ कु छ और सिाबा की एक कमैटी
तशकील दे दी (गरठत कर दी)। वि भी पिले बहुत मुतरदद्दद
रिे। उनकी दलील भी यि थी दक र्ो काम हुज़ूर ‫ ﷺ‬ने
निीं दकया वि मैं कै से करूाँ! इलावज़ि (इससे बड़ी बात) यि
तो पिाड़ र्ैसी हज़म्मेदारी िै, यि मैं कै से उठाऊाँ! लेदकन र्ब
िज़रात अबुबकर और उमर (रहज़०) दोनो का इसरार
(आग्रि) हुआ तो उनका भी सीना खुल गया। दर्र हर्न
सिाबा (रहज़०) के पास क़ु रान िकीम का र्ो हिस्सा भी
हलखी हुई शक्ल में था, उनसे हलया गया और मुख्तहलर्
शिादतों और हुफ्र्ाज़ की मदद से अिदे हसद्दीक़ी में क़ु रान
पाक को एक दकताब की शक्ल में मुरत्तब (र्मा) कर हलया
गया। याद रिे दक एक दकताब की शक्ल में भी क़ु रान मर्ीद
की तद्वीन रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬के इन्तेक़ाल के दो साल के
अंदर-अंदर मुकम्मल िो गई। िज़रत अबुबकर (रहज़०) का
अिदे हख़लाफ़त कु ल सवा दो बरस िै।
िज़रत अबुबकर (रहज़०) की मर्हलसे शूरा में यि
मसला भी ज़ेरे गौर आया दक हुज़ूर ‫ ﷺ‬के ज़माने में तो
क़ु रान एक हर्ल्द के माबैन र्मा निीं दकया गया, हलिाज़ा
इसका नाम क्या रखा र्ाए! एक तर्वीज़ यि आयी दक इसे
भी इन्र्ील का नाम ददया र्ाये। एक राय यि दी गयी दक
इसका नाम “सफ़र” िो, इसहलये दक सफ़र का लफ्ज़ तौरात
की दकताबों के हलये मारूफ़ चला आ रिा था, र्ैसे सफ़र
अय्यूब एक दकताब थी। तो सफ़र दकताब को किते िैं हर्स
[102] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

की र्मा “असफ़ार” िै और यि लफ्ज़ क़ु रान में भी आया िै।


सफ़र का लफ्ज़ी मतलब िै रोशनी देने वाली। दर्र
अबदुल्लाि हबन मसऊद (रहज़०) ने तर्वीज़ पेश की दक
इसका नाम “मुस्िफ़” िोना चाहिये। उन्िोंने किा दक मेरा
आना-र्ाना िब्शा िोता िै, विााँ के लोगों के पास एक
दकताब िै और वि उसे मुस्िफ़ किते िैं। अब “मुस्िफ़” के
लफ्ज़ पर इत्तेफ़ाक़ और इज्माअ िो गया। चुनााँचे क़ु रान के
हलये िज़रत अबुबकर (रहज़०) के अिदे हख़लाफ़त में िज़रत
अबदुल्लाि हबन मसऊद (रहज़०) की तर्वीज़ पर मुस्िफ़
नाम रखा गया और इस पर लोगों का इज्माअ हुआ। तद्वीने
क़ु रान का यि दूसरा मरिला िै।
क़ु रान िकीम की हतलावत के हज़मन में एक मामला
चला आ रिा था, र्ैसा दक िदीस में आता िै दक क़ु रान
मर्ीद सात हुरूफ़ पर नाहज़ल हुआ था। अरबों की ज़बान
तो एक थी लेदकन बोहलयााँ मुख़्तहलफ़ थीं, अल्र्ाज़ के लिर्े
मुख़्तहलफ़ थे। तो सब लोगों को इर्ाज़त दी गई थी दक वि
अपने-अपने लिर्े के अंदर क़ु रान पढ़ हलया करें तादक
सहूलत रिे, वरना बड़ी मशक़्क़त की ज़रूरत थी दक सब
लोग अपने लिर्े बदलें। यि वि ज़माना था दक इन्क़लाबी
र्द्दो-र्िद का tempo इतना तेज़ था दक इन कामों के हलये
ज़्यादा फ़ु रसत निीं थी दक इसके हलये बाक़ायदा इदारे
क़ायम िों, मुख़्तहलफ़ र्गिों से लोग आयें और अपना लिर्ा
बदल कर क़ु रैश के लिर्े के मुताहबक़ करें , हिर्ाज़ी लिर्ा
इहख़्तयार करें। चुनााँचे इर्ाज़त दी गई थी दक अपने-अपने
लिर्ों में पढ़ लें। मुख़्तहलफ़ लिर्ों में पढ़ने के साथ कु छ
लफ्ज़ी फ़क़ु भी आने लगे। िज़रत उस्मान (रहज़०) के ज़माने
[103] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

तक पहुाँचते-पहुाँचते नौबत यि आ गई दक मुख़्तहलफ़ लिर्ों


में लफ्ज़ी फ़क़ु के साथ भी क़ु रान पढ़ा र्ाने लगा। कोई शख़्स
क़ु रान पढ़ रिा िोता, दूसरा किता दक यि गलत पढ़ रिा
िै, यि यूाँ निी िै, र्ैसे मैं पढ़ रिा हूाँ वि सिी िै। इस पर
उस र्ज़्बाती क़ौम के अंदर तलवारें हनकल आती थीं। अंदेशा
हुआ दक अगर इस तरि से ये बात र्ै ल गई तो क़ु रान का
कोई एक टेक्स्ट (text) मुत्तदफ़क़ अलैि निी रिेगा। उम्मत
को र्मा करने वाली शय तो यि क़ु रान िी िै, इसमें लफ्ज़ी
र्क़ु के नतीर्े में दाइमी (अहवनाशी) इफ़तेराक़ (हवभार्न)
व इन्तेशार (गड़बड़) पैदा िो र्ायेगा। चुनााँचे िज़रत
उस्मान (रहज़०) ने सिाबा (रहज़०) के मशवरे से तय दकया
दक क़ु रान का एक टेक्स्ट (text) तैयार दकया र्ाये। इस
टेक्स्ट के हलये लफ्ज़ “रस्म” िै। रस्मुल ख़त का लफ्ज़ िम
इस्तेमाल करते िैं। “‫ ”ا ب ت‬हुरूफ़ िै, लेदकन अरबी में हलखे
र्ाऐंगे तो इनका रस्मुल ख़त कु छ और िै, उदूु में हलखे र्ाऐंगे
तो इनकी शक्ल और िै। िज़रत उस्मान (रहज़०) ने एक
रस्मुल ख़त और एक टेक्स्ट पर क़ु रान र्मा दकया। उन्िोंने
भी एक कमेटी बनाई और हुक्म दे ददया गया दक तमाम
लिर्ों को रद्द करके क़ु रैश के लिर्े पर क़ु रान का टेक्स्ट
तैयार दकया र्ाये र्ो मुत्तदफ़क़ अलैि टेक्स्ट िोगा। चुनााँचे
इस कमेटी ने बड़ी मेिनते शाक्क़ा से इस काम की तकमील
की। इस तरि क़ु रान का रस्मुल ख़त मुअय्यन िो गया और
मुत्तदफ़क़ अलैि टेक्स्ट वर्ूद में आ गया। रस्मे उस्मानी के
मुताहबक़ सूरि फ़ाहतिा में “‫ ”ملک ویم الدْی‬हलखा र्ायेगा,
हलखने की शक्ल यि निीं िोगी: “‫”مالک ویم الدْی‬। एक
[104] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

ِ ‫ َم ِل‬भी िै तो “‫ ”ملک‬को “‫ ” ٰم ِل ِک‬भी पढ़ा


दक़रात में चूाँदक ‫ک‬
र्ा सकता िै और “‫ک‬ ِ ‫ ” َم ِل‬भी। तो यि बहुत बड़ा कारनामा
िै र्ो िज़रत उस्मान (रहज़०) ने सिाबा (रहज़०) के मशवरे
से सरअंर्ाम ददया दक क़ु रान का एक रस्मुल ख़त मुअय्यन
िो गया और मसाहिफ़े उस्मान (रहज़०) तैयार िो गये। बाज़
ररवायात के मुताहबक़ उसकी चार नक़ू ल (copies) तैयार
की गईं, बाज़ ररवायात के मुताहबक़ पााँच और बाज़ में सात
का अदद भी हमलता िै। उनमें से एक मुस्िर् official
version के तौर पर मदीने में रखा गया और बाक़ी नक़लें
मक्का मुकरुमा, दहमश्क़, कू फ़ा, यमन, बिरीन और बसरि
को भेर् दी गईं। उनमें से कोई-कोई नक़ल अब भी मौर्ूद
िै। तुकी और ताशक़न्द में वि “मुसाहिफ़े उस्मानी” मौर्ूद िैं
र्ो िज़रत उस्मान (रहज़०) ने तैयार कराये थे।
यिााँ एक अिम बात तवज्जोि तलब िै दक िमारे यिााँ
ख़ुत्बाते र्ुमा में बाज़ ख़तीब ये र्ुमला पढ़ र्ाते िैं: “ ‫جامع‬
ُ

‫ٰيت القرآن عامثن نب عفان ریض ّٰللا عنه‬


ِ ‫ ”آ‬यिााँ िम-क़ादफ़या
अल्फ़ाज़ र्मा करके सौती आिंग के साथ एक ख़ास अन्दाज़
पैदा दकया गया िै, लेदकन यि अल्फ़ाज़ इस क़दर गलत और
इतने गुमरािकु न िैं दक इससे यि तसव्वुर पैदा िोता िै दक
आयाते क़ु राहनया को सबसे पिले िज़रत उस्मान (रहज़०)
ने र्मा दकया। यि बात क़ु रान पर से ऐतमाद को िटा देने
वाली िै। आयाते क़ु राहनया तो रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬के
ज़माने में र्मा िो चुकी थीं, सूरतें हुज़ूर ‫ ﷺ‬के ज़माने में
वर्ूद में आ चुकी थीं, सूरतों की तद्वीन िी निीं तरतीब भी
हुज़ूर ‫ ﷺ‬के ज़माने में अमल में आ चुकी थी। दकताबी
[105] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

शक्ल में क़ु रान अबुबकर (रहज़०) के ज़माने में र्मा हुआ।


िज़रत उस्मान (रहज़०) और अबुबकर (रहज़०) के ज़माने में
दस-पन्रि साल का र्सल िै। अगर “‫ٰيت القرآن‬
ُ
ِ ‫”جامع آ‬
िज़रत उस्मान (रहज़०) को क़रार ददया र्ाये तो कोई शख़्स
कि सकता िै दक क़ु रान की तद्वीन हुज़ूर ‫ ﷺ‬के पन्रि या
बीस साल बाद हुई िै। िज़रत उस्मान (रहज़०) का अिदे
हख़लाफ़त बारि बरस िै और हुज़ूर ‫ ﷺ‬के इन्तेक़ाल के
24 बरस के बाद उनका इन्तेक़ाल हुआ। तो इस तरि क़ु रान
के मतन (text) के बारे में शुकूक व शुबिात पैदा दकये र्ा
सकते िैं, र्बदक िक़ीक़त यि िै दक िज़रत उस्मान (रहज़०)
आयाते क़ु रानी के र्मा करने वाले निीं िैं बहल्क उम्मत को
क़ु रान के एक टेक्स्ट और रस्मुल ख़त पर र्मा करने वाले
िैं। इसहलये आर् दुहनया में र्ो मुस्िफ़ मौर्ूद िैं यि “मुस्िफ़े
उस्मान” किलाता िै। इसका नाम “मुस्िफ़” िज़रत अबुबकर
(रहज़०) ने रखा था और मुस्िफ़े उस्मान में रस्मुल ख़त और
टेक्स्ट मुअय्यन िो गया दक अब क़ु रान इसी तरीक़े से हलखा
र्ायेगा और यिी पूरी दुहनया के अंदर official टेक्स्ट िै।
िमारे यिााँ अक्सर व बेशतर क़ु रान पाक की इशाअत
(प्रकाशन) के इदारे रस्मे उस्मानी का पूरा अितमाम निीं
करते और इस ऐतबार से उनमें रस्म की गलहतयााँ भी आ
र्ाती िैं, इसहलये दक उनके सामने अपने-अपने मफ़ादात
(फ़ायदे) िोते िैं यानी कम ख़चु से ज़्यादा नफ़ा िाहसल करने
की कोहशश---- लेदकन अब सऊदी हुकू मत ने इसका
अितमाम करके बड़ी नेकी कमाई िै। क़ु रान मर्ीद की
हिर्ाज़त के िवाले से एक नेकी हमस्र ने कमाई थी। र्ब
इस्राईल ने दक़राअते क़ु रान मर्ीद के अन्दर तिरीफ़ करके
[106] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

उसको आम करने की कोहशश की तो हुकू मते हमस्र ने अपने


चोटी के क़ु राुअ, क़ारी मिमूद ख़लील हुसरी और अब्दुल
बाहसत अब्दुस्समद से पूरा क़ु रान मर्ीद मुख्तहलफ़ दक़रातों
में हतलावत कराया और उनके के हसट्स तैयार करके दुहनया
में र्ै ला ददये दक अब गोया वि रेफ़रेंस का काम देंगे। उनके
िोते हुए अब दकसी के हलये मुमदकन निीं िै दक इस तरि
दक़रात के िवाले से क़ु रान में कोई तिरीफ़ कर सके । इसी
तरि सऊदी अरब की हुकू मत ने करोड़ों रूपये के ख़चु से
बहुत बड़ी र्ाउं डेशन बनाई िै, हर्सके ज़ेरे अितमाम बड़े
उम्दा आटु पेपर पर आलमी मैयार (quality) की बड़ी उम्दा
हर्ल्द के साथ लाखों की तादाद में यि क़ु रान मर्ीद छापे
र्ा रिे िैं, र्ो िज़रत उस्मान (रहज़०) के मुअय्यन करदा
रस्मुल ख़त के मुताहबक़ िैं।
बिरिाल िज़रत उस्मान (रहज़०) “‫”جامع آٰيت القرآن‬
ٰ ‫ ”جامع اْل ّم ِۃ‬यानी उम्मत َُ
की बर्ाये “‫لَع رمس واحد‬
को क़ु रान िकीम के एक रस्मुल ख़त पर र्मा करने वाले िैं।
यि तद्वीन भी हुज़ूर ‫ ﷺ‬के इन्तेक़ाल के 24 बरस के अंदर
मुकम्मल िो गई। यिी वर्ि िै दक दुहनया मानती िै और
तमाम मुस्तशररक़ (orientalist) मानते िैं दक हर्तना
ख़ाहलस मतन (pure text) क़ु रान का दुहनया में मौर्ूद िै,
दकसी दूसरी दकताब का मौर्ूद निीं िै। यि बात “ ‫الفضل‬
‫ ”ما شهدتبه اْلعداء‬का हमस्दाक़ िै, यानी फ़ज़ीलत तो वि
िै, हर्सको दुश्मन भी तस्लीम करने पर मर्बूर िो र्ाये।
और यि दकसी शय की िक्क़ाहनयत (सत्यता) के हलये
आख़री सबूत िोता िै। पस यि बात पूरी दुहनया में मुसल्लम
[107] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

(accepted) िै दक क़ु रान िकीम का टेक्स्ट मिफ़ू ज़ िै या


हर्तना मिफ़ू ज़ टेक्स्ट क़ु रान का िै इतना और दकसी दकताब
का निीं िै। यानी दक़रात के र्क़ु भी ररकॉडु पर िैं, सबाअ
(सात) दक़रात और अशरा (दस) दक़रात ररकॉडु पर िैं, उनमें
भी एक-एक िफ़ु का मामला मदवन (recorded) िै दक
फ़लााँ दक़रात में यि लफ्ज़ ज़बर के साथ पढ़ा गया िै या ज़ेर
के साथ। और यि तमाम official दक़रात िैं। बाक़ी र्िााँ तक
रस्मुल ख़त का ताल्लुक़ िै उसका टेक्स्ट िज़रत उस्मान
(रहज़०) ने मुअय्यन कर ददया। उम्मते मुहस्लमा पर यि
उनका बहुत बड़ा अिसान िै। क़ु रान िकीम की
compilation और उसकी तद्वीन के मुताहल्लक़ यि चीज़ें
ज़िन में रिनी चाहिये। यि िक़ाईक़ सामने ना िों तो कु छ
लोग ज़िनों में शुकूक व शुबिात पैदा कर सकते िैं।

❀❀❀
[108] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

बाब पन्र्म (पााँचवा)

क़ु रान मर्ीद का मौज़ू

अब िम अगली बिस पर आते िैं दक क़ु रान का मौज़ू


क्या िै। क्या क़ु रान फ़लसफ़े की दकताब िै? क्या यि साइं स
की दकताब िै? क्या यि हर्योलॉर्ी या दर्हज़क्स की
दकताब िै? दकस दक़स्म की दकताब िै? तो पिली बात यि
समहझये दक क़ु रान का मौज़ू िै इं सान--- लेदकन इं सान की
एनाटोमी, उसकी दर्हज़योलॉर्ी या anthropology निीं
िै, बहल्क इं सान की हिदायत। यि हिदायत का लफ़्ज़ क़ु रान
मर्ीद के हलये बुहनयादी िैहसयत रखता िै। चुनााँचे देहखये
َ ‫}ھدى لِل ُمت ِق‬
सूरतुल बक़रि के शुरु िी में फ़रमाया: {‫ْی‬
ْ َّ ْ ّ ًُ
ًُ
(आयत:2) दर्र उसके वस्त (बीच) में इशाुद हुआ: { ‫ھدى‬
َّ ّ
‫اس‬ ِ ‫ِلن‬ ‫( }ل‬आयत:185) याहन पूरे नोए इं सानी के हलये
हिदायत। सूरि यूनुस में फ़रमाया: {‫ْی‬ َ ْ ‫} ُه ًدى َّو َر ْْحَ ٌۃ ّلِ ْل ُم ْؤ ِم ِن‬
ً ْ ًُ
(आयत:57)। सूरि लुक़मान में फ़रमाया: { ‫هدى َّو َرْحَۃ‬
َ ْ ‫( } ّلِ ْل ُم ْح ِس ِن‬आयत:3)। सूरि बक़रि (आयत:97) और सूरि
‫ْی‬
नम्ल (आयत:2) में {‫ْی‬ َ ْ ‫ْشى ل ِْل ُم ْؤ ِم ِن‬ ٰ ْ ُ‫ } ُھ ًدى َّوب‬र्बदक सूरि
आले इमरान में {‫ْی‬ َ ْ ‫( } ُھ ًدى َّو َم ْو ِع َظ ٌۃ ّل ِْل ُم َّت ِق‬आयत:138) और
सूरतुल मायदा में {‫ْی‬ َ ْ ‫( } ُه ًدى َّو َم ْو ِع َظ ًۃ ّل ِْل ُم َّت ِق‬आयत:46) के
ًُ
अल्फ़ाज़ आये। मालूम हुआ दक “‫ ”ھدی‬का लफ़्ज़ क़ु रान
[109] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

िकीम के हलये कसरत के साथ आया िै। दर्र यि हसफ़ु


नकरि निीं “‫ ”ال‬के साथ मारर्ा बन कर भी कई र्गि
आया िै। तीन मतुबा तो इस आयत मुबारका में आया र्ो
रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬के मक़सदे बअसत को बयान करती िै:
ْ ّ َ َ ٗ َ ْ ُ ّ َ ْ ْ َ ٰ ُ ْ ٗ َ ْ ُ َ َ َ ْ َ ْ َّ َ ُ
{ ‫ْی‬ِ ‫ْی احل ِق لِيظ ِهره لَع ال ِد‬
ِ ‫هو ال ِذي ارسل رسوله ِِبلهدي و ِد‬
ُّ
ٖ‫( } كِه‬अल् तौबा: 33, अल् फ़ति:28, अस् सफ़:9) ‫ُھ ًدی‬
ٰ َْ
नकरि था, ‫ ال ُهدی‬मारफ़ा िो गया। याहन हिदायते
काहमला, हिदायते ताम्मा, हिदयाते अब्दी। इसी तरि सूरि
अल् नज्म (आयत:23) में फ़रमाया: { ‫ِب ُم‬ ّ َّ ْ ْ َ َ ّ ُ ۗ ََْ
ِ ِ ‫ولقد جا َءُه ِِم ر‬
ٰ ْ
‫} ال ُهدى‬। सूरतुल हर्न्न का आग़ाज़ हर्न्नात की एक र्मात
َ َ ً ٰ ُ َ ْ َ َّ
के इस क़ौल: {‫َسعنا ق ْراّن َع ًبا‬
ِ ‫( }اِّن‬आयत:1) से िोता िै।
َّ ٰ ٰ ْ َ ْ َ ‫َّواَ َّّن لَ َّما‬
आगे चल कर अल्फ़ाज़ आते िैं: {ۭ ٖ‫َسعنا ال ُهدى ا َمنا ِبه‬
ِ
} (आयत:13) गोया सूरतुल हर्न्न ने मुअय्यन दकया दक
ََ ً ٰ ُ ٰ َْ
“‫ ”ق ْراّن َع ًبا‬और “‫ ”ال ُهدی‬मुतराददफ़ (बराबर) अल्फ़ाज़ िैं।
सूरि बनी इस्राईल और सूरि अल् किफ़ में आया िै:
“क्या शय िै र्ो लोगों को ईमान ْ َ ‫اس ا‬
َ َّ َ َ َ َ َ
लाने से रोकती िै र्बदक उनके ‫ن‬ ‫وما منع الن‬
पास अल् हुदा आया िै?” (बनी ۗ
ُ ُ َ ْ ُ ْ ُّ
‫ُّي ِمن ْٓوا اِذ جا َءُه‬
इसराइल:94, अल् किफ़:55)
ُْٰ
‫الهدى‬

तो गोया क़ु रान का मौज़ू िै इं सान की हिदायत।


[110] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

अब यि बात ज़िन में रहखये दक इं सान के इल्म के दो


गोशे (corner) िैं, इल्मे इं सानी दो हिस्सों में मुन्क़हसम
َ َْ ْ َ ْ ْ
(हवभाहर्त) िै। मशहूर किावत िै: ( ‫اْلدٰي ِن َو ِعل ُم اْل ْبدا ْن‬
ْ َْ َ ْ ُ ْ
‫ان ال ِعل ُم‬
ِ ‫ ِعلم‬:‫ ) ِعلم‬एक हिस्सा िै माद्दी दुहनया (Physical
World) का इल्म, माद्दी िक़ाइक़ का इल्म, र्ो िवास
(senses) के ज़ररये से िाहसल िोता िै। देखना, सुनना,
सूाँघना, चखना, छू ना िमारे िवासे ख़म्सा (five senses)
िैं। यि तमाम सलाहियतें िैं हर्नसे कु छ मालूमात िाहसल
िोती िैं और अक़्ल का कं प्यूटर इनको प्रोसेस करता िै, इनसे
नतीर्े हनकालता िै और उन्िें स्टोर कर लेता िै। दर्र िवास
के ज़ररये से मज़ीद (ज़्यादा) कोई मालूमात िाहसल िोती िैं
तो अब इनको भी वि प्रोसेस करके अपने साबक़ा (हपछली)
“memory store” के साथ िमआिंग (compatible)
करके कोई और नतीर्ा अख़्ज़ करता (हनकालता) िै। इस
तरि रफ़्ता-रफ़्ता इं सान का यि इल्म बढ़ता चला र्ा रिा
िै और िम निीं कि सकते दक यि अभी और किााँ तक
र्ायेगा। आर् से सौ साल पिले भी इं सान तसव्वुर निीं कर
सकता था दक इं सानी इल्म विााँ पहुाँच र्ायेगा र्िााँ आर्
पहुाँच चुका िै। यि इल्म हबल् िवास व अल् अक़्ल िै और
इस इल्म का विी से कोई ताल्लुक़ निीं िै। इसका ताल्लुक
उस इल्मे अस्मा से िै र्ो हबल्कु ल शुरू में िज़रत आदम
(अलै०) में वदीयत (रखना) कर ददया गया था और यिी
दुहनया में सरबुलंदी की बुहनयाद िै।
इल्में इं सानी के दो ग़ोशों के हज़मन में सूरतुल बक़रि
का चौथा रुकु बहुत अिम िै। इल्मुल अस्मा का हज़क्र उसके
शुरू में िैं। र्ब अल्लाि तआला ने फ़ररश्तों से फ़रमाया दक
[111] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

मैं ज़मीन में एक ख़लीफ़ा बनाने वाला हूाँ तो फ़ररश्तों की


तरफ़ से यि बात इस्तफ़िामन पेश की गई (पूछी गयी):
“क्या आप उसको ज़मीन में ُ ْ ُّ ْ َ َ ُ َ ْ ََ
ख़लीर्ा बनाएाँगें र्ो उसमें ‫اَتعل ِف ْْيا ِم يف ِسد‬
फ़साद र्ै लाएगा और खूाँरेहज़यााँ ۗ ُ َْ َ َ ْ
َ‫ك الد َماء‬‫ِفْيا ويس ِف‬
करे गा?” (आयत:30) ِ

फ़ररश्तों का यि अश्क़ाल इस तरि दूर दकया गया:


“और अल्लाि ने आदम को तमाम ۗ َ ْ َ ْ
َ ‫ْسا‬ َ َ ٰ َ َّ َ َ
नाम हसखा ददये।” (आयत:31)
‫ء‬ ‫اْل‬ ‫م‬ ‫وعلم اد‬
َ َّ ُ
‫ُكها‬

यि इल्मे अस्मा र्ो आदम को ददया गया, यिी हुकू मते


अरज़ी (ज़मीन की हख़लाफ़त) की बुहनयाद िै। र्ो क़ौम इस
इल्म के अंदर तरक्की करेगी विी इक़्तदारे अरज़ी (सत्ता) की
िक़दार ठिरेगी। अलबत्ता इस रुकू के आहख़री में फ़रमाया
गया दक र्ब िज़रत आदम (अलै०) से ख़ता िो गई और
शैतान के अग़वा (लालच) से मुताहस्सर िोकर अल्लाि
तआला के हुक्म की हख़लाफ़वज़ी िो गई तो उन्िोंने अल्लाि
तआला के हुज़ूर तौबा की और अल्लाि तआला ने उनकी
तौबा क़ु बूल करने का बायन तौर ऐलान कर ददया:
ََ ْ ِ ُ َ ٰ ‫َ َ َ ا‬
(आयत:37) ۭ ‫ه‬ َ ‫ِم َّربهٖ َُك ٰمت َف َت‬
ِ ‫اب عل ْي‬ ‫فتلـّق ادم‬
ِ ِ
इसके बाद हज़क्र िै दक र्ब आदम और िव्वा अलैहिस्सलाम
को हुक्म ददया गया दक अब ज़मीन में र्ाकर रिो और विााँ
का चार्ु संभालो तो फ़रमाया:
[112] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

“तो र्ब भी मेरी तरफ़ से तुम्िारे ْ‫ُك ِمـن‬


ُ ْ
ْ ‫َفا َّما َٰٓيت َي َّن‬
पास कोई हिदायत आये तो र्ो ِ ِ ِ
लोग मेरी उस हिदायत की पैरवी َ َ ُ َ َ ْ َ َ ً ُ
‫ن ت ِبع ھداى‬ ‫ھدى َف‬
करें गे उनके हलये दकसी ख़ौर्
और रं र् का मौक़ा ना िोगा।“ َ
‫ْي ْم َوْل‬ ْ َ ‫َف ًَل َخ ْو ٌف عَل‬
ِ
(आयत:38)
ْ ُ ‫َي َز‬
َ ‫ُن‬ َْ ْ ُ
‫؀‬38 ‫ن‬ ‫ھم‬

वि इल्मे हिदायत िै।


यि दो चीज़ें हबल्कु ल अलैिदा-अलैिदा िैं। इल्मे अस्मा
दरिक़ीक़त यूाँ समहझये दक र्ैसे आम की गुठली में आम का
पूरा दरख़्त िोता िै। विी गुठली तो िै र्ो आप ज़मीन में
दबाते िैं। दर्र अगर विााँ पानी पड़ता िै और ज़मीन में
रुईदगी की सलाहियत भी िै तो वि गुठली र्टेगी। उसमें से
र्ो दो पत्ते हनकलेंगे वि र्लें-र्ू लेंगे, परवान चढ़ेंगे तो दरख़्त
बनेगा। वि पूरा दरख़्त आम की गुठली में हबलक़ु वत
(potentially) मौर्ूद था, अल्बत्ता उसे हबल् फ़अल
(actually) पूरा दरख़्त बनने में तीन-चार साल लगेगें। तो
हर्स तरि पूरा दरख़्त आम की गुठली में हबल् क़ु व्वत मौर्ूद
था लेदकन वि आम का दरख़्त कई साल के अंदर हबल् फ़अल
वर्ूद में आया, बयीना यि मामला कु ल माद्दी िक़ाइक़ का
िै दक इस हज़मन में कु ल इल्म िज़रत आदम (अलै०) के वर्ूद
में हबल् क़ु व्वत (potentially) वदीयत कर ददया गया! अब
इसकी exfoliation िो रिी िै, वि बढ़ता र्ा रिा िै,
बगोबार ला रिा िै। और र्ैसा दक मैंने अज़ु दकया, इस इल्म
का कोई ताल्लुक़ आसमानी हिदायत से निीं िै। अब यि
ख़ुद रू पौदा िै र्ो बढ़ता चला र्ा रिा िै, और मालूम निीं
[113] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

किााँ तक पहुाँचेगा। अल्लामा इक़बाल ने इसकी सिी ताबीर


की िै:
उरूर्-ए-आदम-ए-ख़ाकी से अंर्ुम सिमे र्ाते िैं
दक यि टूटा हुआ तारा मय काहमल ना बन र्ाये!
अल्लामा की हज़न्दगी में तो इं सान ने चााँद पर क़दम
निीं रखा था, लेदकन अब इं सान चााँद पर क़दम रख कर आ
गया िै। मज़ीद यि दक अब तो र्ेनेरटक इं र्ीहनयटरंग अपने
कमालात ददखा रिी िै। क्लोप्नंग के तरीक़े से िैवानात पैदा
दकये र्ा रिे िैं। इस इं सानी इल्म के साथ अगर इल्मे विी
याहन इल्मे हिदायत ना िो तो यि इल्म बर्ाये ख़ैर के शर
का ज़ररया बन र्ाता िै। चुनााँचे आर् यि इल्म वादक़अतन
शैतानी क़ु व्वत बन चुका िै, िलाकत का सामान बन चुका
िै, तबािी का ज़ररया बन चुका िै।
ًُ ّ ُ َّ َ ْ َ َ
ْ ِ ‫ُك ِّم‬
{‫ـّن ھدى‬ ْ ‫ }ف ِا ّما َٰيتِین‬ने िज़रत आदम अलै० से
लेकर िज़रत मुिम्मद रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬तक इरतक़ाई
मराहिल तय दके ये। र्ैसे-र्ैसे नौए इं सानी शऊर की मंहर्लें
तय करती गई, अल्लाि तआला की तरफ़ से हिदायत में भी
इज़ाफ़ा िोता गया, ता आाँके (यिााँ तक दक) यि इल्मे
ٰ َْ
हिदायत क़ु रान िकीम में आकर “‫( ”ال ُهدی‬Final
Guidance) की सूरत में मुकम्मल िो गया। इस हिदायत
में र्ो इरतक़ा हुआ िै उसे भी आप समझ लीहर्ये। पिली
ًُ
दकताबें र्ो नाहज़ल हुईं उनमें भी “‫ ”ھدی‬तो थीं। सूरतुल
मायदा में इशाुद हुआ:
[114] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

“िमने तौरात नाहज़ल की थी, َ َ َّ َ ْ َ ْ َ ٓ َّ


उसमें हिदायत भी थी नूर भी ‫اَِن اْنلنا الت ْو ٰرىة ِف ْْيا‬
था।” (आयत:44) ْ ُ ‫ُه ًدى َّو‬
‫ُن ٌر‬

इसी रुकू में (सूरतुल मायदा का सातवााँ रुकू ) इं र्ील के बारे


में फ़रमाया:
“उसमें हिदायत भी थी नूर भी ْ ُ ‫ه ُه ًدى َّو‬
‫ُن ٌر‬ ِ ‫ِف ْي‬
था।”
(आयत:46)
लेदकन यि हिदायत और नूर दर्ाु-ब-दर्ाु तरक़्क़ी करता
रिा िै, यिााँ तक दक क़ु रान में आकर यि काहमल हुआ िै
ٰ َْ ًُ ٰ َْ
और ‫ ال ُهدی‬बन गया िै। अब यि ‫ ھدی‬निीं, ‫ ال ُهدی‬िै, याहन
हिदायते ताम्मा (मुकम्मल)।
इसकी वर्ि क्या िै? देहखये एक बच्चे को अगर आप
तालीम देना चािते िैं तो उसकी ज़िनी सति को मल्हूज़
(ध्यान में) रखे बग़ैर निीं दे सकते। आप प्राइमरी में ज़ेरे
तालीम दकसी बच्चे के हलये चािे पी०एच०डी० उस्ताद रख
दें, लेदकन वि उस्ताद बच्चे की ज़िनी इस्तअदाद (क्षमता)
की मुनाहसबत से िी उसे तालीम दे सके गा। बच्चा रफ़्ता-
रफ़्ता आगे बढ़ेगा। यिााँ तक दक र्ब वि अपनी अक़्ल और
शऊर की पूरी हशद्दत, क़ु व्वत और बलूग़त को पहुाँच र्ायेगा
तब उसे आहख़री इल्म पढ़ाया र्ायेगा। पिले वि तारीख़
पढ़ रिा था, अब फ़लसफ़ा-ए-तारीख़ पढ़ेगा। इस िवाले से
अल्लाि तआला ने अपनी हिदायत तदरीर् के साथ उतारी
िै। तौरात में हसफ़ु अिकाम िैं, हिकमत िै िी निीं, र्बदक
[115] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

इं र्ील में हिकमत िै, अिकाम िैं िी निी। दोनों चीज़ें हमल
कर एक बात को मुकम्मल करतीं िैं। तौरात में हसफ़ु अिकाम
िैं। र्ैसे आप बच्चे को बता देते िैं दक भई खाने-पीने से रोज़ा
टूट र्ाता िै, रोज़े का मतलब यि िै दक अब ददन भर खाना-
पीना कु छ निीं िै। चािे बच्चा अभी छ: सात साल का िै, वि
यि बात समझ लेता िै। इस तरि उसे अिकाम तो दे ददये
र्ायेंगे दक यि करो, यि ना करो, यि Do’s िैं यि Donts
िैं।
चुनााँचे तौरात में अिकामे अशरा (The Ten
Commandments) दे ददये गये, लेदकन अभी इनकी
हिकमत निीं बताई गई। इसहलये दक अभी हिकमत का
तिम्मुल (समझना/धैयु) इं सान के हलये मुमदकन निीं था।
अभी नौए इं सानी का अिदे तर्ू हलयत (बचपन) था। यूाँ
समहझये दक वि आर् से साढ़े तीन िज़ार साल क़ब्ल का
इं सान था। तौरात चौदि सौ क़ब्ल मसीि में िज़रत मूसा
अलै० को दी गई। इसके चौदि सौ साल बाद िज़रत ईसा
अलै० को इं र्ील दी गई, हर्समें हसफ़ु हिकमत िै, अिकाम
िैं िी निीं। लेदकन आर् से दो िज़ार साल पिले िज़रत
मसीि अलै० के यि अल्फ़ाज़ इं र्ील में मौर्ूद िैं (अब भी
मौर्ूद िैं) दक आप अलैहिस्सलाम ने अपने िवारीन से
फ़रमाया था: “मुझे तुमसे और भी बहुत सी बातें किनी थीं,
मगर अभी तुम उनका तिम्मुल निीं कर सकोगे, र्ब वि
फ़ारक़लीत आयेगा तो तुम्िें सब कु छ बतायेगा।” यि
मुिम्मद रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬की पेशनगोई थी। िज़रत
मसीि अलै० ने फ़रमाया दक अभी तुम तिम्मुल निीं कर
सकते। गोया तुम्िारी ज़िनी बलूग़त के हलये छ: सौ बरस
[116] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

मज़ीद दरकार िैं। चुनााँचे अल् हुदा क़ु रान िकीम में आकर
मुकम्मल हुआ िै।
क़ु रान मर्ीद र्ो हिदायत देता िै उसके भी दो हिस्से
िैं। एक दफ़क्रो नज़र की हिदायत िै, हर्सका उन्वान “ईमान”
िै। इसका मौज़ू विी िै र्ो फ़लसफ़े का िै। याहन कायनात
की िक़ीकत क्या िै, हर्न्दगी की िक़ीक़त क्या िै, हज़न्दगी
का माल क्या िै, इसका आग़ाज़ क्या िै, अन्र्ाम क्या िै,
सिी क्या िै, गलत क्या िै, ख़ैर क्या िै, शर क्या िै, इल्म
क्या िै? क़ु रान मर्ीद का दूसरा मौज़ू हिदायते अमली िै,
इन्फ़रादी सति पर भी और इज्तमाई सति पर भी। यि
अवामर व नवािी (करना ना करना) और िलाल व िराम
के अिकाम पर मुश्तहमल िै। दर्र इसमें मआशी व
मआशरती अिकाम भी िैं। यि हिदायते दफ़क्रो नज़र और
हिदायते र्अल व अमल (इन्फ़रादी व इज्तमाई) क़ु रान
िकीम का मौज़ू िै।
इस हज़मन में यि बात नोट कर लीहर्ये दक साइं स और
टेिोलॉर्ी क़ु रान िकीम का मौज़ू निीं िै, क़ु रान मर्ीद
दकताबे हिदायत िै, साइं स की दकताब निीं िै, अलबत्ता
इसमें साइं सी उलूम (studies) की तरफ़ इशारे मौर्ूद िैं
और उनके िवाले मौर्ूद िैं। क़ु रान मर्ीद कायनाती
िक़ाइक़ को आयाते इलाहिया क़रार देता िै। सूरतुल बक़रि
की आयत 164 मुलाहिज़ा कीहर्ये, हर्से मैं “आयातुल
आयात” क़रार देता हूाँ:
[117] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

“यक़ीनन आसमानों और ज़मीन ْ َ ْ َّ


की साख़्त िैं, रात और ददन के ‫ت‬ ِ ‫الس ٰم ٰو‬ َّ ‫ق‬ ِ ‫اِن ِِف خ‬
‫ل‬
पेिम एक-दूसरे के बाद आने में, َ ْ َ
ِ ‫َواْل ْر‬
َ ْ
‫ف‬ ِ ‫ض واخ ِتًل‬
उन क़हश्तयों में र्ो इं सान के नफ़े
ُْ ْ َّ
की चीज़ें हलये हुये दररयाओं और ‫ك‬ ِ ‫ار َوالفل‬
َ َّ َ
‫الَّن‬ ‫و‬ ‫ل‬ ‫ي‬ ْ ‫ال‬
ِ
समुंदरों में चलती-दर्रती िैं, ِ
ْ ْ ْ ْ َّ َ
बाररश के उस पानी में हर्से َ
‫ِت َت ِري ِِف ال َبح ِر ِِبا‬
ْ
ِ ‫ال‬
अल्लाि ऊपर से बरसाता िै, َ َ َْ ٓ َ َّ ُ َ ْ َ
दर्र उसके ज़ररये से मुदाु ज़मीन ‫ينفع الناس َوما اْنل‬
َ
को हज़न्दगी बख़्शता िै और ۗ ۗ
َّ ْ َ ِ ُ ‫ه‬
(अपने इसी इन्तेज़ाम की ‫الس َما ِء ِِم ماء‬ َّ ‫ِم‬ ‫ّٰللا‬
बदौलत) ज़मीन में िर दक़स्म की َ َْ َ َ ْ َ َ
र्ानदार मख़्लूक़ को र्ै लाता िै, ‫ه اْل ْرض بعد‬ ِ ‫فا ْح َيا ِب‬
िवाओं की गर्दुश में, और उन ْ َ َّ َ َ َ
बादलों में र्ो आसमान और ‫م ْو ِِتا َوبث ِف ْْيا ِِم‬
ज़मीन के दरहमयान ताबेअ ْ ْ َ َّ َّ ۗ َ ُ
‫ف‬ ِ ‫ـَصي‬ ‫ت‬ ‫و‬ ۠ ‫ة‬ ‫ب‬ ‫ا‬ ‫د‬ ‫ك‬
फ़रमान बना कर रखे गये िैं, उन ِ ِ
लोगों के हलये बेशुमार َ َّ َ ٰ
‫اب‬ ِ ‫والسح‬ ‫ٰي‬
ِ ‫الر‬
हनशाहनयााँ िैं र्ो अक़्ल से काम ِ
ۗ ْ
लेते िैं।” ‫الس َما ِء‬ َّ ‫ْي‬ َ ْ َ ‫ال ُم َس َّخر ب‬
ِ
َ ٰ َٰ ِ َْ ْ َ
‫ض ْليت لِق ْوم‬ ‫واْلر‬

‫؁‬١٦٤ ‫ن‬ َ ‫ي َّ ْعقل ُ ْو‬


ِ
यि सब अल्लाि की हनशाहनयााँ िैं। इनमें अल्लाि की
क़ु दरत, अल्लाि की अज़मत, अल्लाि का इल्मे काहमल,
अल्लाि की हिकमते बालगा (प्रभावी) सब कु छ शाहमल िै।
[118] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

तो यि र्ो मज़ाहिर तबीई (Physical Phenomena) िैं,


क़ु रान िकीम इनका र्ा-बर्ा िवाला देता िै। बाज़
कायनाती िक़ाइक़ वि िैं हर्नका ताल्लुक़ फ़हल्कयात
(Astronomy) से िै। फ़रमाया: (यासीन:40)
याहन यि “तमाम अर्रामे َ ‫ِف َفلَك ي َّ ْس َب ُح ْو‬
ٌّ
ْ ‫َو ُك‬
समाहवया अपनेअपने- मदार ‫ن‬ ِ
(orbit) में तैर रिे िैं।”
‫؀‬40

मालूम हुआ िर शय िरकत में िै। इं सान पर एक दौर ऐसा


गुज़रा िै र्ब वि समझता था दक ज़मीन सादकन िै और
सूरर् इसके हगदु िरकत कर रिा िै। दर्र एक दौर आया
हर्समें किा गया दक निीं, सूरर् सादकन िै, ज़मीन िरकत
करती िै, ज़मीन सूरर् के हगदु चक्कर लगाती िै, और आर्
िमें मालूम हुआ दक िर शय िरकत में िै। सूरर् का भी
अपना एक मदार (orbit) िै, उसमें वि अपने पूरे कु न्बे समेत
िरकत कर रिा िै। यि हनज़ामे शम्सी उसका कु न्बा िै, इस
पूरे कु न्बे को लेकर वि भी एक मदार में िरकत कर रिा िै।
َّ ََ ٌّ ُ
तो मालूम हुआ दक अल्फ़ाज़े क़ु रानी: {‫ِف فلك ي ْس َب ُح ْو َن‬
ْ ِ ‫} َوك‬
ٌّ ُ
में “‫ ”ك‬का लफ़्ज़ हर्स तरि मन्क़ि और मुबरिन िोकर,
हर्स शान के साथ आर् िोवीदा (ज़ाहिर) हुआ िै, आर् से
पिले इं सान को मालूम निीं था। क़ु रान मर्ीद में कायनाती
मज़ाहिर के बारे में र्ो बात किी गई िै वि कभी गलत निीं
िो सकती। यि वि िक़ीक़त िै र्ो इस दौर में आकर पूरी
तरि वाज़ेि हुई िै।
[119] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

डाक्टर मोररस बोकाई एक रााँहससी सर्ुन थे। उन्िोंने


क़ु रान और बाइहबल दोनो का तक़ाबली मुताला दकया।
वाज़ेि रिे दक बाइहबल से मुराद अिदनामा क़दीम (Old
Testament) और अिदनामा र्दीद (New
Testament) दोनों िैं। तक़ाहबली मुताला के बाद वि इस
नतीर्े पर पहुाँचे दक पूरे क़ु रान में कोई एक लफ़्र् भी ऐसा
निीं िै हर्से िमारे साइं सी इन्कशाफ़ात में से दकसी ने ग़लत
साहबत दकया िो, र्बदक तौरात में बेशुमार चीज़ें ऐसी िैं
दक साइं स उन्िें ग़लत साहबत कर चुकी िै। इस पर उन्िोंने
250 सर्ों की दकताब तिरीर की: “The Bible, The
Quran and Science”। सवाल यि पैदा िोता िै दक
तौरात भी तो अल्लाि की दकताब िै, दर्र उसमें ऐसी चीर्ें
क्यों आ गईं र्ो साइं सी िक़ाइक़ के हखलाफ़ िैं। इसका
र्वाब यि िै दक असल तौरात तो छठी सदी क़ब्ल मसीि
िी में गुम िो गई थी र्ब बख़्त नसर के िाथों येरुशलम की
तबािी हुई थी। इसके डेढ़ सौ वषु बाद कु छ लोगों ने तौरात
को याददाश्तों से मुरत्तब दकया। हलिाज़ा उस वक़्त इं सानी
इल्म की र्ो सति थी उसके ऐतबारात से तावीलात तौरात
में शाहमल िो गयीं, क्योंदक इं सान तो अपनी ज़िनी सति
के मुताहबक़ िी सोच सकता िै। तौरात में तिरीफ़ िोने की
वर्ि से इसमें ऐसी चीर्ें दर्ु िैं र्ो साइं स की रू से ग़लत
साहबत हुईं। अलबत्ता क़ु रान में ऐसी कोई तावील निीं हुई
और इसकी हिफ़ार्त का अल्लाि तआला ने ख़ुद हज़म्मा
हलया िै। यि बात बड़ी अिम िै इसको बड़े ख़ूबसूरत अंदाज़
में डाक्टर रर्ीउद्दीन मरहूम ने किा िै दक यि कायनात
अल्लाि का र्अल िै। उसकी तख्लीक़ और उसकी तदबीर
[120] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

िै, र्बदक क़ु रान अल्लाि का क़ौल िै, और अल्लाि तआला


के क़ौल व अमल में तज़ाद (हवरोध) मुमदकन निीं िै। दकसी
इन्सान के क़ौल व अमल में भी अगर कोई तज़ाद िो तो वि
इं साहनयत की सति से नीचे उतर र्ाता िै, अल्लाि तआला
के क़ौल और अमल में तज़ाद कै से िो सकता िै? यिााँ यि िो
सकता िै दक एक दौर में इं सानों ने बात समझी ना िो,
उनका ज़िन विााँ तक पहुाँचा ना िो, उनकी मालूमात का
दायरा अभी इस िद तक िो दक इन िक़ाइक़ तक ना पहुाँचा
र्ा सके । लेदकन र्ैस-र्ैसे वक़्त आयेगा मज़ीद िक़ाइक
मुन्कहशफ़ िोंगे और यि बात ज़्यादा से ज़्यादा वाज़ेि से
वाज़ेितर िोती चली र्ायेगी दक र्ो कु छ क़ु रान ने फ़रमाया
िै विी बरिक़ िै। यिााँ आर् से पिले इं सानी ज़िन इस िद
तक रसाई िाहसल करने का अिल निीं था। सूरि िा मीम
सर्दा की आहख़री से पिली आयत ज़िन में रहखये:
“िम उन्िें ददखाते चले र्ायेंगे َ ٰ ٰ ْ ُ َ
अपनी हनशाहनयााँ आफ़ाक़ में भी ‫َّي ْم اي ِتنا ِِف‬
ِ ‫ُن‬ِ ‫س‬
और ख़ुद उनकी र्ानों में भी, ُ ْ َ ْٓ َ َ ْٰ
‫ِف انف ِس ِه ْم‬ ِ ‫اق و‬
ِ ‫اْلف‬
यिााँ तक दक यि बात पूरी तरि
हनख़र कर उनके सामने वाज़ेि ُ َّ َ ُ َ َ َّ َ َ َ ‫َ ه‬
‫ْي له ْم انه‬ ‫ّتَح يتب‬
िो र्ायेगी दक यि क़ु रान िी िक़
िै।” ُّ َ ْ
ۭ ‫اْلق‬

डॉक्टर कीथल मूर कनाडा के बहुत बड़े एम्ब्रॉयलाहर्स्ट


िैं। उनकी दकताब इल्मे र्नीन (Embryology) में सनद
मानी र्ाती िै और यूहनवर्सुटी की सति पर बतौर टेक्स्ट
बुक पढ़ाई र्ाती िै। उन्िोंने क़ु रान िकीम का मुताला करने
के बाद इन्तिाई िैरत का इज़िार दकया िै दक आर् से चौदि
[121] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

सौ वषु क़ब्ल र्बदक ना माइक्रोस्कोप मौर्ूद थी और ना िी


dissection िोता था, क़ु रान ने इल्मे र्नीन के मुताहल्लक़
र्ो मालूमात दी िैं वि सिी तरीन िक़ाइक़ पर मुश्तहमल
िैं। डॉक्टर मौसूफ़ सूरतुल मोहमनून की आयात 12 से 14
का मुताला करते हुए अंगश्त बद नदााँ िैं:
“िमने इं सान को हमट्टी के सत् से َ ‫اْلنْ َسا‬ ْ َ َْ َ ْ ََ َ
बनाया, दर्र उसे एक मिफ़ू ज़ ‫ن‬ ِ ‫ولقد خلقنا‬
र्गि टपकी हुई बूाँद में तब्दील ْ ْ َ ٰ ُ ْ
‫؀‬12 ‫طْي‬ ِ ‫ِِم سلـلـة ِِم‬
दकया, दर्र उस बूाँद को लोथड़े
की शक़्ल दी, दर्र लोथड़े को َ ْ ً َ ْ ُ ُ ٰ ْ َ َ َّ ُ
‫ِف ق َرار‬ ِ ‫َث جعلنه نطفة‬
बोटी बना ददया, दर्र बोटी की ُ
िहड्डयााँ बनाईं, दर्र िहड्डयों पर َ ْ َ َ َّ ْ َّ
‫۠ۙ۝ َث خلقنا‬13 ‫مكِْي‬
गोश्त चढ़ाया, दर्र उसे एक َ
दूसरी िी मख़्लूक़ बना कर खड़ा َ ْ َ َ ً َ َ َ َ َ ْ ُّ
‫النطفة علقة َفـلقنا‬
दकया।” َ
َ ََْ ً َ ْ ُ َ ََ َ ْ
‫العلقة مضغة َفـلقنا‬
َ َ َ ٰ َ َ ْ ْ
‫ال ُمضغة ِعظ ًما فك َس ْوَن‬
ُ ٰ ْ َ ْ َ َّ ُ ً ْ َ َ ٰ ْ
‫ال ِعظم ْلــما ۤ َث انشانه‬
َ ٰ ًْ َ
ۭ ‫خلقا اخ َر‬

उनका किना िै दक वाक़्या यि िै दक इं सानी तख़्लीक़


के मराहिल की इससे ज़्यादा सिी ताबीर मुमदकन निीं िै।
तो यि िक़ीक़त ज़िन में रहखये दक अग़रचे क़ु रान मर्ीद
साइं स की दकताब निीं िै, लेदकन हर्न साइं सी िक़ाइक़ या
साइं सी मज़ाहिर (phenomena) का क़ु रान ने िवाला
[122] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

ददया िै वि यक़ीनन िक़ िैं, चािे ता-िाल िम उनकी


िक्क़ाहनयत को ना समझ पाये िों। मसलन आर् भी मुझे
निीं मालूम दक क़ु रान र्ो “सात आसमान” किता िै तो
इनसे क्या मुराद िै। लेदकन मुझे यक़ीन िै दक एक वक़्त
आयेगा र्ब इं सान समझेगा दक “सात आसमान” के यि
अल्फ़ाज़ ठीक-ठीक उस िक़ीक़त पर मुन्तहबक़ िोते िैं र्ो
आर् िमारे इल्म में आयी िै, पिले निीं आयी थी। अलबत्ता
र्ैसा दक मैं अज़ु कर चुका हूाँ, अमली ऐतबार से यि नुक़्ता
बहुत अिम िै दक क़ु रान साइं स या टेिोलॉर्ी की दकताब
निीं िै और इसके िवाले से एक बड़ा मन्तक़ी नतीर्ा यि
हनकलता िै दक अगर िमारे अस्लाफ़ ने अपने दौर की
मालूमात की सति पर क़ु रान की इन आयात का कोई ख़ास
मफ़हूम मुअय्यन दकया तो िमारे हलये लाहज़म निीं िै दक
िम उसकी पैरवी करें। िम क़ु रान में बयानकरदा साइं सी
मज़ाहिर को उस साइं सी तरक़्क़ी के िवाले से समझेंगे र्ो
रोज़ ब रोज़ िो रिी िै। यिााँ तक दक आहखरी बात अज़ु कर
रिा हूाँ दक इस मामले में ख़ुद मुिम्मद रसूल अल्लाि ‫ﷺ‬
से भी अगर कोई बात मन्क़ू ल िो तो वि भी क़तई निीं
समझी र्ायेगी, क्योंदक हुज़ूर ‫ ﷺ‬यि चीज़ें हसखाने के
हलये निीं आये थे। यि बात अग़रचे बहुत से लोगों पर
सक़ील और हग़रााँ गुज़रेगी लेदकन सिी तज़े अमल यिी िोगा
दक साइं स और टेिोलॉर्ी के हज़मन में अगर हुज़ूर ‫ ﷺ‬की
कोई िदीस भी सामने आ र्ाये तो उसको भी िम दलीले
क़तई निीं समझेग।ें
इस हसलहसले में ताबीरे नख़ल का वाक़्या बहुत अिम
िै। आपको मालूम िै दक हुज़ूर ‫ ﷺ‬की पैदाइश मक्के की िै,
[123] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

हिर्रत तक सारी हज़न्दगी आपने विााँ गुज़ारी, वि वादी-


ए-ग़ैर हज़ज़रा िै, र्िााँ कोई पैदावार, कोई ज़राअत, कोई
काश्त िोती िी निीं थी, हलिाज़ा आप ‫ ﷺ‬को उसका
कोई तर्ुबाु हसरे से था िी निीं। िााँ हतर्ारत का भरपूर
तर्ुबाु था और उसके तमाम असरारो रमूज़ से आप ‫ﷺ‬
वादक़फ़ थे। आप ‫ ﷺ‬मदीना तशरीफ़ लाये तो आप ‫ﷺ‬
ने देखा दक खर्ूरों के हसलहसले में अंसारे मदीना “ताबीरे
नख़ल” का मामला करते थे। खर्ूर एक ऐसा पौधा िै हर्सके
नर और मादा र्ू ल अलैिदा-अलैिदा िोते िैं। अगर इसके
नर और मादा र्ू लों को क़रीब ले आयें तो इसके बारआवर
(उपर्ाऊ) िोने का इम्कान ज़्यादा िो र्ाता िै। अिले
मदीना को यि बात तर्ुबे से मालूम हुई थी और वि इस
पर अमल पैरा (पालन करते) थे। मदीना तशरीफ़ आवरी
पर रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬ने र्ब अिले मदीना का यि मामूल
देखा तो उनसे फ़रमाया दक अगर आप लोग ऐसा ना करें तो
क्या िै? ऐसा ना करना शायद तुम्िारे िक़ में बेितर िो।
यि बात आप ‫ ﷺ‬ने अपने इज्तिाद और फ़िम के
मुताहबक़ इस बुहनयाद पर फ़रमायी दक दफ़तरत अपनी
देखभाल ख़ुद करती िै। अल्लाि तआला ने दफ़तरत का
हनज़ाम इं सानों पर निीं छोड़ा, बहल्क यि तो ख़ुदकार
हनज़ाम िै। चुनााँचे आप ‫ ﷺ‬ने फ़रमाया दक आप लोग इस
क़ु दरती हनज़ाम में दख़ल ना दें तो क्या िै? अलबत्ता आप
‫ ﷺ‬ने रोका निीं। लेदकन ज़ाहिर बात िै दक सिाबा कराम
ररज़वान अल्लाहु तआला अलैहिम अज्मईन के हलये हुज़ूर
‫ ﷺ‬का इतना किना भी गोया हुक्म के दर्े में था। उन्िोंने
उस साल वि काम निीं दकया, लेदकन फ़सल कम िो गई।
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद) [124] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com

अब वि ड़रते-डरते, हझझकते-हझझकते हुज़ूर ‫ ﷺ‬की


हख़दमत में आये और अज़ु दकया दक हुज़ूर! िमने इस मतुबा
ताबीरे नख़ल निीं की िै तो फ़सल कम हुई िै। इस पर आप
ُ ُْ َ ََْ ُ َْ
‫ ﷺ‬ने फ़रमाया: ((‫())انت ْم اعل ُم ِِب ْم ِر دن َياک ْم‬1) इस िदीस
का एक-एक लफ़्ज़ याद कर लीहर्ये। आप ‫ ﷺ‬ने फ़रमाया
दक यि र्ो तुम्िारे अपने दुनयवी और माद्दी मामलें िैं
हर्नकी बुहनयाद तर्ुबे पर िै, यि तुम मुझसे बेितर र्ानते
िो। तुम ज़्यादा तर्ुबेकार िो, तुम इन िक़ीक़तों से ज़्यादा
वादक़र् िो। एक दूसरी ररवायत में रसूल ‫ ﷺ‬के यि
अल्फ़ाज़ नक़ल हुए िैं:
ُ ُ َ َ َُُ ُ ُ َ
ْ ِّ ‫ّشء‬
‫ َواِذا ا َم ْرتک ْم‬، ٖ‫ِم ِد ْی ِنک ْم َفذ ْوا ِبه‬ ٌ َ َ‫ا ِّّنَا اَ َّن ب‬
ْ َ ‫ ا َِذا اَ َم ْر ُتک ْم ِب‬،‫ْش‬
َ َْ
(2) ‫ْش‬ ٌ َ َ‫ِی َف ِا ّّنَا ب‬ ْ ِ ‫ّشء‬
ْ ‫ِم رآ‬ ْ َ ‫ِب‬
ِ
“मैं तो एक बशर हूाँ। र्ब मैं तुम्िें तुम्िारे दीन के
बारे में कोई हुक्म दूाँ तो उससे सरताबी ना करना,
लेदकन र्ब मैं तुम्िें अपनी राय से कोई हुक्म दूाँ तो
र्ान लो दक मैं एक बशर िी हूाँ।”
गोया आप ‫ ﷺ‬ने वाज़ेि फ़रमा ददया दक मैं यि चीज़ें
हसखाने निीं आया, मैं र्ो कु छ हसखाने आया हूाँ वि मुझसे
लो! इस ऐतबार से यि िदीस बुहनयादी अिहमयत रखती
िै। ज़ाहिर िै आप ‫ ﷺ‬टेिोलॉर्ी हसखाने निीं आये थे।
आप ‫ ﷺ‬हतब्ब व र्राित हसखाने निीं आये थे, आप
‫ ﷺ‬कोई और साइं स पढ़ाने निीं आये थे। वरना तो िम
हशकवा करते दक आप ‫ ﷺ‬ने िमें एटम बम बनाना क्यों
निीं हसखा ददया? र्ब रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬ने यि फ़रमा
ُ ُْ َ ََْ َُْ
ददया दक ((‫ ))انت ْم اعل ُم ِِب ْم ِر دن َياک ْم‬तो िमारे हलये यि
[125] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

बात आहख़री दर्े में सनद िै दक र्ैसे-र्ैसे साइं सी


इन्कशाफ़ात (खुलासे) िो रिे िैं, र्ैसे-र्ैसे इल्मे इं सानी की
exploration िो रिी िै, वैसे-वैसे िक़ीक़ते दफ़तरत िमारी
हनगािों के सामने मुन्कहशफ़ िो रिे िैं। र्ैसे आम की गुठली
से आम का पूरा दरख़्त वर्ूद में आता िै ऐसे िी िज़रत
आदम अलै० के वर्ूद में इल्म हबल् िवास और इल्म हबल
अक़्ल का र्ो mechanism रख ददया गया था, यि उसी
का नतीर्ा िै दक इल्म र्ै ल रिा िै। इससे र्ो भी चीज़ें िमारे
सामने आईं उनमें किीं रुकावट निीं िै दक िम सलफ़ की
बात को लेकर बैठ र्ाएाँ दक साइं स ख़्वाि कु छ भी किे िम
तो असलाफ़ की बात मानेगें। यिााँ पर इस तज़े अमल के
हलये कोई दलील और बुहनयाद निीं।
क़ु रान का असल मौज़ू ईमान िै। मा वराउल तबीयाती
िक़ाइक़ (Beyond Physical Facts) आलमे ग़ैब से
मुताहल्लक़ िैं, र्ो िमारे आलमे मिसुसात (feelings) से
मा वरा (beyond) िैं, हर्सकी ख़बरें िमें हसफ़ु विी से हमल
सकती िैं। इल्मे िक़ीक़त हर्से िम इज्माली तौर पर ईमान
किते िैं यि क़ु रान का असल मौज़ू िै, याहन हिदायते दफ़क्री
व अमली। तमद्दुनी मैदान में, मआशी व इक़तसादी और
मआशरती मैदान में यि करो और यि ना करो। यि चीज़ें
खाने-पीने की िैं, यि चीज़ें खाने-पीने की निीं िैं। यि िराम
िैं, यि नहर्स िैं। यि इल्म हुज़ूर ‫ ﷺ‬ने ददया िै और
क़ु रान का मौज़ू असल में यिी िै। अलबत्ता क़ु रान में र्ो
साइं सी रेर्रेन्सेस आये िैं, वि ग़लत निीं िैं, वि लाहज़मन
दुरुस्त िैं।
[126] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

इं सानी इल्म के तीन दायरे िैं। एक इल्म हबल् िवास िै,


यि इं सानी इल्म का पिला दायरा िै। िवास के ज़ररये िमें
मालूमात िाहसल िोती िैं, हर्न्िें आर्-कल िम sense
data किते िैं। आाँख ने देखा, कान ने सुना, िाथ ने उसकी
पैमाइश की। इसके बाद दूसरा दायरा इल्म हबल अक़्ल िै।
अक़्ल sense data को प्रोसेस करती िै। इस हज़मन में
इस्तदलाल और इस्तनबात के उसूल मुअय्यन दकये गये िैं।
इं सान अपने िवासे ख़म्सा (five senses) के ज़ररये इल्म
िाहसल करता िै, दर्र अक़्ल इन मालूमात को process
करती िै तो इं सान दकसी नतीर्े पर पहुाँचता िै। यूाँ अक़्ल
िवास की मोितार् हुई, लेदकन अक़्ल व िवास के मा वरा
(के ऊपर) भी एक इल्म िै हर्से शाि इस्माईल शिीद रहि०
ने इल्म हबल् क़ल्ब का नाम ददया िै। आर् इसे extra
sensory perceptions किा र्ा रिा िै। यि इल्म का
तीसरा दायरा िै। इससे पिले अदब में इसके हलये वज्दान
(intuition) का लफ़्ज़ था। यि इल्म हबल् क़ल्ब दरिक़ीक़त
वि ख़ास इं सानी इल्म िै हर्ससे आर् के माद्दा परस्त
वादक़फ़ निीं िैं। विी का ताल्लुक़ इसी तीसरे दायरे से िै।
इसहलये दक विी का नुज़ूल क़ल्ब पर िोता िै। अज़रुए
अल्फ़ाज़ क़ु रानी: (अल् शौरा:193-194)
َ ََ
َ ِ َ ُْ َ َ َْ ٰ َ ُ ْ َ ْ ُ ْ ُّ
ِ
‫؀ لَع قل ِبك لِتكون ِم‬١٩٣ ‫ْنل ِبه الروح اْل ِمْي‬
ْ
َ ْ ‫ال ُم ْنذر‬
‫؀‬١٩٤ ‫ْي‬ ِ ِ
अक़्ल और िवास से िाहसल िोने वाले उलूम (अध्ययन)
में तमाम दफ़हज़कल साइं स, मेहडकल साइं स और टेिोलॉर्ी
के मज़ामीन (articles) शाहमल िैं। इं सान के मुख़्तहलफ़
[127] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

चीज़ो के ख़वास (गुण) मालूम दकये, कु छ तबीई (भौहतक)


और दकहमयाई (रासायहनक) तब्दीहलयों के उसूल दरयाफ़्त
(खोर्) दकये। दर्र उन उसूलों से र्ो मालूमात िाहसल हुईं
उनको इस्तेमाल दकया। इससे इं सान की टेिोलॉर्ी तरक़्क़ी
करती र्ा रिी िै और अभी ना मालूम किााँ तक पहुाँचेगी।
यि एक इल्म िै हर्सका हज़क्र क़ु रान िकीम में { ‫َوعل َم ادم‬
َ َ ٰ َّ َ
َّ ُ ۗ َ ْ َ ْ
‫َسا َء ك َها‬ ‫ } اْل‬के अल्फ़ाज़ में कर ददया गया। अलबत्ता इं सान
हसफ़ु इस इल्म पर क़ानेअ (कार्ी/पयाुप्त) निीं रिा, इसहलये
दक इससे तो हसफ़ु र्ुज़वी (partly) इल्म िहसल िोता िै,
इं सान एक-एक र्ज़्व (ingredients) क़दम-ब-क़दम
सीखता िै। इं सान की एक तलब (urge) िै दक वि माहियत
(nature) मालूम करना चािता िै दक कायनात की िक़ीक़त
क्या िै? मेरी िक़ीक़त क्या िै? इल्म की िक़ीक़त, ख़ैर
(अच्छे) व शर (बुरे) की िक़ीक़त क्या िै? ज़ाहिर बात िै दक
आर् से एक िज़ार साल पिले के इं सान की मालूमात (इल्म
हबल् िवास और इल्म हबल् अक़्ल के ऐतबार से) बड़ी मिदूद
थीं, लेदकन उस वक़्त के इं सान को भी इस चीज़ की ज़रुरत
थी दक वि कोई राय क़ायम करे दक यि कायनात हर्सका
मैं एक फ़दु हूाँ, उसकी िक़ीक़त क्या िै, ख़ुद मेरी िक़ीक़त
क्या िै? मेरी हज़न्दगी का आग़ाज़ क्या िै? मेरा इसके साथ
रब्त (link) व ताल्लुक़ क्या िै? इस सफ़र की मंहज़ल क्या
िै? मैं अपनी हज़न्दगी में क्या करूाँ, क्या ना करूाँ? क्या
करना सिी िै क्या करना ग़लत िै? यि इं सान की ज़रुरत
िै। हलिाज़ा इस ज़रुरत के तित र्ब इं सान ने सोचना शुरू
दकया तो फ़लसफ़े का आग़ाज़ हुआ र्ो गुहत्थयों को
सुलझाना चािता िै। इन गुहत्थयों को सुलझाने के हलये दर्र
[128] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

इं सान ने अक़्ल के घोड़े दौड़ाये, अपनी महन्तक़ (तकु ) को


इस्तेमाल दकया। फ़लसफ़ा, मा बाद अल् तबीअ’यात,
इलाहियात, अख्लादक़यात और नहफ्सयात, यि तमाम
उलूम (studies) इं सानी उलूम (studies) में से िैं। गोया
दक इल्म हबल् िवास और इल्म हबल् अक़्ल के नतीर्े में यि
दो इल्म वर्ूद में आये। एक दफ़हज़कल साइं स का इल्म
हर्सका ताल्लुक़ टेिोलॉर्ी से िै। दूसरा सोशल साइं स का
इल्म हर्समें दर्लोसर्ी, सोहशयोलॉर्ी, नहफ़्सयात,
अख्लादक़यात, इक़्तसादयात (economics) और
हसयाहसयात वगैरि शाहमल िैं।
ًُ
र्ान लीहर्ये दक ‫ ھدی‬हर्सकी तकमीली शक्ल
ٰ َْ
“‫ ”ال ُهدی‬क़ु रान मर्ीद िै, उसका मौज़ू इं सानी इल्म का
दायरा-ए-अव्वल निीं िै। यि साइं स की दकताब निीं िै और
ना िी साइं स पढ़ाने या टेिोलॉर्ी हसखाने आई िै। अहम्बया
इसहलये निीं भेर्े गये। अग़रचे क़ु रान मर्ीद में साइं सी
मज़ाहिर (घटनाओं) की तरफ़ िवाले मौर्ूद िैं और वि
लाहज़मन दुरुस्त िैं, लेदकन वि क़ु रान का असल मौज़ू निीं
िै। र्ैस-े र्ैसे इं सान के साइं सी इल्म में तदरीर्न तरक़्की िो
रिी िै इसी तरि इन रेर्रेन्सेस को समझना भी इं सान के
हलये मुमदकन िो रिा िै। अलबत्ता क़ु रान का असल मौज़ू
मा बाद अल् तबीअ’यात िै। दर्र दफ़क्र व अमल दोनों के
हलये रिनुमाई दरकार िै, र्ैसे दक दकसी रास्ते पर चलने
वाले “रोड साइं ज़” की ज़रुरत िोती िै दक इधर ना र्ाना,
इधर ख़तरा िै, िलाकत िै। इसी तरि इं सान को सफ़रे
ियात में इन cautions की ज़रूरत िै दक इधर ख़तरा िै,
यि तुम्िारे हलये मम्नूअ (मना) िै, यि िराम िै, यि
[129] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

नुकसानदेि िै, इसमें िलाकत िै, चािे तुम्िें िलाकत नज़र


निीं आ रिी लेदकन तुम उधर र्ाओगे तो तुम्िारे हलये
िलाकत िै। दरिक़ीक़त यि क़ु रान का असल मौज़ू िै।
❀❀❀
[130] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

बाब शशम (छठा)


फ़िम-ए-क़ु रान के उसूल
(क़ु रान को समझने के हसद्धान्त)

फ़िम-ए-क़ु रआन के हसलहसले में दर्ु ज़ेल


(हनम्नहलहखत) उन्वानात (शीषुक) की तफ़िीम (समझ)
ज़रूरी िै।

1) क़ु रान करीम का अस्लूबे इस्तदलाल (तकु का


अंदाज़)
क़ु रान के ताहलबे इल्म को र्ानना चाहिये दक क़ु रान का
अस्लूबे इस्तदलाल मन्तक़ी (logical) निीं, दफ़तरी
(naturally) िै। इं सान हर्स फ़लसफ़े से वादक़फ़ िै उसकी
बुहनयाद महन्तक़ िै। चुनााँचे िमारे फ़लासफ़ा (दाशुहनक)
और मुतकहल्लमीन (धमुहवज्ञानी) इस्तख़रार्ी महन्तक़
(Deductive Logic) से ऐतना (उपेक्षा) करते रिे िैं,
र्बदक क़ु रआन मर्ीद ने इसे हसरे से इहख़्तयार निीं दकया।
वक़्ती तक़ाज़े के तित िमारे मुतकहल्लमीन ने इसे इहख़्तयार
करने की कोहशश की लेदकन इससे कोई ज़्यादा फ़ायदा निीं
पहुाँच पाया। ईमानी िक़ाइक़ को र्ब इस्तख़रार्ी महन्तक़
के ज़ररये से साहबत करने की कोहशश की गई तो यक़ीन कम
और शक ज़्यादा पैदा हुआ। इस हज़मन में कें ट की बात िफ़े
आहख़र का दर्ाु रखती िै, हलिाज़ा अल्लामा इक़बाल ने भी
अपने ख़ुत्बात का आग़ाज़ इसी िवाले से दकया िै। कें ट ने
[131] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

ित्मी (अंहतम) तौर पर साहबत कर ददया दक दकसी मन्तक़ी


दलील से ख़ुदा का वर्ूद साहबत निीं दकया र्ा सकता।
महन्तक़ में अल्लाि की िस्ती के अस्बात (यक़ीन) के हलये
एक दलील लायेंगे तो महन्तक़ की दूसरी दलील उसे काट
देगी। र्ैसे लोिा लोिे को काटता िै इसी तरि महन्तक़,
महन्तक़ को काट देगी। क़ु रआन अग़रचे किीं-किीं महन्तक़
को इस्तेमाल तो दकया िै लेदकन वि भी मन्तक़ी इस्तलािात
(वाक्यांश) में निीं। क़ु रआन मर्ीद का अस्लूबे इस्तदलाल
दफ़तरी िै और इसका अंदाज़ हख़ताबी िै। र्ैसे एक ख़तीब
र्ब ख़ुत्बा देता िै तो र्िााँ वि अक़ली दलीलें देता िै विााँ
र्ज़्बात से भी अपील करता िै। इससे उसके ख़ुत्बे में गिराई
व गैराई (प्रभाव) पैदा िोती िै। एक लेक्चर में ज़्यादातर
दारोमदार महन्तक़ पर िोता िै। याहन ऐसी दलील र्ो अक़्ल
को क़ायल कर सके । लेदकन शौला बयान ख़तीब इं सान के
र्ज़्बात को अपील करता िै। इसको हख़ताबी दलील किा
र्ाता िै। यिी हख़ताबी अंदाज़ और इस्तदलाल क़ु रआन ने
इस्तेमाल दकया िै।
इं सान की दफ़तरत में कु छ िक़ीक़तें मौर्ूद िैं। क़ु रान के
पेशे नज़र इन िक़ीक़तों को उभारना मक़सूद िै। याहन इं सान
को अमादा दकया र्ाए दक:
“अपने मन में डू ब कर पा र्ा सुराग़े हज़न्दगी!”
अक़्ल और महन्तक़ का दायरा तो बड़ा मिदूद िै। इं सान
अपने अंदर झााँके तो उसके अंदर हसफ़ु अक़्ल िी निीं िै, कु छ
और भी िै। बक़ौल अल्लामा इक़बाल:
िै ज़ौक़े तर्ल्ली भी इसी ख़ाक में हपन्िााँ
ग़ादफ़ल! तो नरा सािब अदराक निीं िै!
[132] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

यि र्ो इसके अंदर “कोई और” शय भी िै, उसे अपील


करना ज़रूरी िै तादक इं सान दफ़तरत की बुहनयाद पर अपने
अंदर झााँके और मिसूस करे दक िााँ यि िै! तािम उसके हलये
कोई मन्तक़ी दलील भी पेश कर दी र्ाये। तो यि नूरुन अला
नूर (सोने पे सुिागा) िोगा। यि िै दरिक़ीक़त क़ु रआन का
दफ़तरी तज़े इस्तदलाल। बाज़ मक़ामात पर ऐसे मालूम
िोता िै दक र्ैसे क़ु रआन अपने मुख़ाहतब की आाँखों में आाँखें
डाल कर कु छ कि रिा िै और उसे तवज्जोि ददला रिा िै
दक ज़रा ग़ौर करो, सोचो, अपने अंदर झााँको। र्ैसे सूरि
इब्राहिम की आयत 10 में फ़रमाया गया:
“क्या अल्लाि की िस्ती में कोई َ ٌّ َ ‫ه‬ َ
शक िै र्ो आसमानों और ज़मीन ‫ط ِر‬ِ ‫ا ِِف ّٰللاِ شك فا‬
को पैदा करने वाला िै?” َ ْ
ِ ‫ت َواْل ْر‬
ۭ‫ض‬ ِ ‫الس ٰم ٰو‬
َّ

यिााँ कोई मन्तक़ी दलील निीं िै, लेदकन मुख़ाहतब को दरूाँ


बीनी पर आमादा दकया र्ा रिा िै दक अपने अन्दर झााँको,
तुम्िें अपने अंदर सुबूत हमलेगा, तुम्िें अपने अन्दर अल्लाि
की िस्ती की शिादत हमलेगी। सूरतुल अनाम की आयत 19
में इशाुद हुआ:
“क्या तुम वाक़ई इस बात की َّ َ ‫ن ا‬ ُ
َ ‫ُك لَ َت ْش َه ُد ْو‬
ْ ‫اَى َّن‬
गवािी दे रिे िो दक अल्लाि के
‫ن‬ ِٕ
हसवा कोई और इलाि भी िै?” ُْ ً َ ٰ ‫َ َ ه‬
ۭ ‫مع ّٰللاِ الِهة اخ ٰري‬

याहन तुम यि बात कि तो रिे िो, लेदकन ज़रा सोचो तो


सिी क्या कि रिे िो? क्या तुम्िारी दफ़तरत इसे तस्लीम
करती िै? अपने बाहतन में झााँको, क्या तुम्िारा ददल इसकी
[133] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

गवािी देता िै? िालााँदक ज़ाहिर िै दक वि तो इसके मुद्दई


थे और अपने माअबुदाने बाहतल के हलये कट मरने को तैयार
थे। इस हख़ताबी दलील के पसमंज़र में यि िक़ीक़त मौर्ूद
िै दक तुम र्ानते िो दक यि मिज़ एक अक़ीदा (dogma)
िै र्ो चला आ रिा िै, तुम्िारे बाप-दादा की ररवायत िै,
इसकी िैहसयत तुम्िारे नस्ली ऐतक़ादात (racial creed)
की िै। क़ु रआन मर्ीद दरिक़ीक़त इं सान की दफ़तरत के
अंदर र्ो शय मुज़मर (र्ाँ सी) िै उसी को उभार कर बािर
लाना चािता िै। चुनााँचे क़ु रआन का अस्लूबे इस्तदलाल
मन्तक़ी निीं िै, बहल्क दफ़तरी िै। इसको हख़ताबी अंदाज़
किा र्ायेगा।

2) क़ु रान िकीम में मुिक्कम और मुताशाबेि की


तक़सीम
सूरि आले इमरान की आयत 7 मुलाहिज़ा कीहर्ये!
इशाुद हुआ िै:
“विी िै (अल्लाि) हर्सने (ऐ َ ْ َ َ َ َ ْ َ ْٓ َّ َ ُ
मुिम्मद ‫ )ﷺ‬आप पर दकताब ‫ك‬ ‫ذي اْنل علي‬ ِ ‫ھو ال‬
नाहज़ल की, उसमें से कु छ आयाते ٌ ‫ه ٰا ٰي‬ُ ْ َ ٰ ْ
‫ت‬ ‫الكِتب ِمن‬
मुिक्क्मात िैं, विी दकताब की
َ
र्ड़ बुहनयाद िैं और दूसरी ُّ ُ َّ ُ ٌ ٰ ْ ُّ
‫ن ام‬ ‫َّمَكت ھ‬
मुतशाबेि िैं।”
َ ُ ٰ ْ
‫ب َواخ ُر‬ ِ ‫الك‬‫ِت‬
ٰ َٰ ُ
ٌ ‫ِب‬
ۭ‫ت‬ ِ ‫متش‬
[134] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

इस आयत में लफ़्ज़ दकताब दो दफ़ा आया िै, दोनों के


मफ़हूम में बारीक सा फ़कु िै। मुताशाबेि इन मायने में दक
असल मफ़हूम को समझने में इश्तबाि (गलती) िो र्ाता िै,
वि आयाते मुताशाहबिात िैं। आगे फ़रमाया:
“तो वि लोग हर्नके ददलों में ْ‫ِف ُقل ُ ْوُبم‬
ْ ‫ْي‬
َ
َ ْ ‫َفا َّما الَّذ‬
कर्ी िै वि मुतशाबेि आयात के ِِ ِ ِ
पीछे पड़ र्ाते िैं (उन्िीं पर गौरो َ َ ْ ُ َّ َ َ ٌ ْ َ
‫ن ما‬ ‫زيغ فيت ِبعو‬
दफ़क्र और उन्िीं में खोर् कु रेद में
ۗ َ ْ ُ ْ َ َ َ
लगे रिते िैं) उनकी नीयत िी ‫تشابه ِمنه اب ِتغا َء‬
َ
दफ़तना उठाने की िै, और वि भी ْ ۗ ْ ْ
िैं र्ो उसका असल मफ़हूम ٖ‫اب ِت َغا َء َتو ْي ِله‬ َ ‫الف ْت َن ِة‬
‫و‬ ِ
ِ
र्ानना चािते िैं।”

“िालााँदक उसके िक़ीक़ी मायने व َّ ٗٓ َ ْ ْ َ ُ َ ْ َ َ َ


मुराद अल्लाि िी र्ानता िै।”
‫م ت ِويله اِْل‬ ‫و ما ي ع ل‬
ُ ‫ه‬
‫ّٰللا ڤ‬

“अलबत्ता र्ो लोग इल्म में ْ ْ َ ُْ ‫َ ه‬


पुख्तगी के िाहमल िैं वि किते िैं ِ ‫والر ِِسون ِِف ال ِعل‬
‫م‬
दक िम ईमान रखते िैं इस पूरी ٌّ ُ َّ َ ٰ َ ْ ُ ْ ُ َ
‫ن امنا ِبهٖ ك‬ ‫يقولو‬
दकताब पर (मुिक्क्मात पर भी
और मुतशाबेिात पर भी), यि َ
‫د َر ِبنا‬
ْ ْ
ِ ‫ِِم ِعن‬
सब िमारे रब की तरफ़ से िै।”

“लेदकन नसीित निीं िाहसल ُ ُ ٓ َّ َّ َّ َ َ


करते मगर विी र्ो िोशमन्द िैं।” ‫َوما يذك ُر اِْل اولوا‬
ْ
‫اب‬ َ َ ْ
ِ ‫اْللب‬
[135] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

अल्लाि तआला िमें उन अक़्लमन्दों और िोशमन्दों में


َ ِ ‫ َر‬में िमारा शुमार िो! ْ ُ
शाहमल करे, ِ ‫اِس ْون ِِف ال ِع‬
‫لم‬
मुिक्कम और मुतशाबेि से मुराद क्या िै? र्ान लीहर्ये
दक “मुिक्कम क़तई” याहन वि मुिक्कम हर्नके क़तई िोने में
ना पिले कोई शुबि िो सकता था ना अब िै, ना आइं दा
िोगा, वि तो क़ु रआन िकीम के अवाहमर व नवािी (Do’s
and Donts) िैं। याहन यि करो, यि ना करो, यि िलाल
िै, यि िराम िै, यि र्ायज़ िै, यि नार्ायज़ िै, यि
पसंदीदा िै, यि नापसंदीदा िै, यि अल्लाि को पसंद और
यि अल्लाि को नापसंद िै!
क़ु रान िकीम का अमली हिस्सा दरिक़ीक़त मुिक्कमात
िी पर मुश्तहमल िै। यिी वर्ि िै दक इस आयत में दकताब
का लफ़्ज़ दो मतुबा आया िै। पिले बिैहसयत मज्मुई पूरे
ٰ ْ َ َ َ َ َ َْ َّ ُ
क़ु रान के हलये फ़रमाया: {‫ب‬َ ‫}ھ َو ال ِذ ْي اَنل عل ْيك الكِت‬
क़ु रआन मर्ीद का र्ो हिस्सा अमली हिदायतों पर
मुश्तहमल िै उसके हलये भी लफ़्ज़ “दकताब” मख्सूस िै।
चुनााँचे दूसरी मतुबा र्ो लफ़्ज़ दकताब आया िै:
َ ُ
ّ ‫ھ‬
{‫ن‬
‫ب‬ ‫ِت‬ٰ ‫ }اُ ُّم ْالك‬वि इसी मफ़हूम में िै। र्िााँ कोई शय वाहर्ब
ِ
की र्ाती िै विााँ “‫ب‬ َ ‫ ” ُك ِت‬का लफ़्ज़ आता िै। र्ैसे { ‫ب‬ َ ‫ُك ِت‬
ُ ْ ُُ ََْ ُ ُ ‫ب َعلَ ْي‬ ْ ُ ‫ب َعلَ ْي‬
‫ُك ال ِق َتال‬ ‫ام{ }علي‬ ُ ‫الص َي‬
ِّ ‫ُك‬ َ ‫} ُك ِت‬ { ‫ُك‬ َ ‫ُك ِت‬
‫ت‬ ُ ‫ُك ْال َم ْو‬ُ ُ ‫َض اَ َح َد‬
َ َ ‫ }ا َِذا َح‬नमाज़ के बारे में सूरि हनसा
(आयत:103) में फ़रमाया: { ‫ْی‬ َ ْ ‫لَع ْال ُم ْؤ ِم ِن‬
َ َ ْ َ َ َ ٰ َّ َّ
‫اِن الصلوة ّکنت‬
ً ُ َ
‫ }ك ِٰت ًبا ّم ْوق ْوت‬यिााँ दकताब से मुराद वि हुक्म िै र्ो ददया
[136] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

ٰ ْ ُّ ُ َ ُ
गया िै, तो इन मायने में {‫ب‬ ِ ‫ }ھ ّن ام الكِت‬से मुराद क़ानून,
शरीअत, अमली हिदायात, अवाहमर व नवािी िैं और
असल में विी मुिक्कमात िैं।
दायमी मुतशाहबिात आलमे ग़ैब और उसके हज़मन में
आलम-ए- बरज़ख, आलम-ए-आहख़रत, आलम-ए-अरवाि,
मलाइका का आलम और आलम-ए-इमसाल वग़ैरि िैं। यि
दरिक़ीक़त वि दायरे िैं र्ो िमारी हनगािों से ओझल िैं
और इसकी िक़ीक़तों को कव्व कमािक़, इस हज़न्दगी में
समझना मिाल और नामुमदकन िै। लेदकन इनका एक इल्म
ददया र्ाना ज़रूरी था। मा बाद अल् तबीअ’यात
ईमाहनयात के हलये ज़रूरी िै दक इस सबका एक इज्माली
ख़ाका सामने िो। िर इं सान ने मरना िै, मरने के फ़ौरन बाद
आलम-ए-बरज़ख में यि कु छ िोना िै, बा’अस बाद अल्
मौत (मौत के बाद उठना) िै, िश्र-नश्र िै, हिसाब-दकताब
िै, र्न्नत व दोज़ख़ िै। इन िक़ीक़तों का इज्माली इल्म
मौर्ूद ना िो तो बुहनयादी ज़रुरत के तौर पर इं सान को र्ो
फ़लसफ़ा दरकार िै वि उसको फ़रािम निीं िोगा। लेदकन
इनकी िक़ीक़तों तक रसाई इस हज़न्दगी में रिते हुए िमारे
हलये मुमदकन निीं, हलिाज़ा इनका र्ो इल्म ददया गया िै
वि आयाते मुतशाहबिात िैं, और वि दाईमन मुतशाहबिात
िी रिेंगी। िााँ र्ब उस आलम में आाँख खुलेगी तो असल
िक़ीक़त मालूम िोगी, यिााँ मालूम निीं िो सकती।
अलबत्ता मुतशाहबिात का एक दूसरा दायरा िै र्ो
तदरीर्न मुतशाहबिात से मुिक्कमात की तरफ़ आ रिा िै।
वि दायरा मज़ाहिर तबीई (Physical Phenomena) से
मुताहल्लक़ िै। आर् से िज़ार साल पिले इसका दायरा बहुत
[137] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

वसीअ (wide) था, आर् यि कु छ मिदूद हुआ िै, लेदकन


अब भी बहुत से िकों को िम निीं र्ानते। सात आसमानों
की िक़ीक़त आर् तक िमें मालूम निीं िै। िो सकता िै कु छ
आगे चल कर िमारा मैटेररयल साइं स का इल्म इस िद तक
पहुाँच र्ाये दक मालूम िो दक यि िै वि बात र्ो क़ु रआन ने
सात आसमानों से मुताहल्लक़ किी थी, लेदकन इस वक़्त यि
िमारे हलये मुतशाहबिात में से िै। इसी तरि एक आयत
(सूरि यासीन:40)
“िर शय अपने मदार में तैर रिी َ ‫ِف َفلَك ي َّ ْس َب ُح ْو‬
ٌّ
ْ ‫ُك‬
िै।” ‫ن‬ ِ

‫؀‬40

इसको पिले इं सान निीं समझ सकता था, लेदकन आर् यि


िक़ीक़त मुिक्कम िोकर सामने आ गई िै दक:
“लहु ख़ुशीद का टपके अगर ज़रे का ददल चीरें!”
अगर आप हनज़ामे शम्सी को देखें तो िर चीज़ िरकत में िै।
किकशां को देखें तो िर शय िरकत में िै। किकशांऐं एक-
दूसरे से दूर भाग रिी िैं, फ़ासला बढ़ता चला र्ा रिा िै।
एक ज़रे (atom) का मुशाहिदा करें तो उसमें इलेक्िोन और
प्रोटोन िरकत में िैं। गोया िर शय िरकत में िै आर् से कु छ
अरसा क़ब्ल यि बात मुतशाहबिात में थी, आर् वि
मुिक्कमात के दायरे में आ गई िै। चुनााँचे बहुत सी वि साइं सी
िक़ीक़तें र्ो अभी तक इं सान को मालूम निीं िैं और उनके
िवाले क़ु रआन में िैं, वि आर् के ऐतबार से तो
मुतशाहबिात में शुमार िोंगे लेदकन इं सान का दफ़हज़कल
[138] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

साइं स का इल्म आगे बढ़ेगा तो वो तदरीर्न मुतशाहबिात


के दायरे से हनकल कर मुिक्कमात के दायरे मे आ र्ायेंगे।

3) तफ़्सीर और तावील का फ़क़ु


तफ़्सीर और तावील दोनो लफ़्ज़ क़ु रआन मर्ीद में आये
िैं। सूरि आले इमरान की मुतज़दक्कर बाला आयत में इशाुद
हुआ िै:
“इसकी तावील कोई निीं र्ानता َّ ٗٓ َ ْ ْ َ ُ َ ْ َ َ َ
मगर अल्लाि।” ‫ِْل‬‫وما يعلم ت ِويله ا‬
ُ ‫ه‬
‫ّٰللا‬

तफ़्सीर का लफ़्र् क़ु रआन मर्ीद में सूरतुल फ़ु रक़ान में आया


िै:
“और निीं लाते वि आपके सामने َّ َ َ َ َ ْ ُ َْ َ َ
कोई हनराली बात मगर िम ‫وْل ٰٓيُتنك ِِبثل اِْل‬
पहुाँचा देते िैं (उसके र्वाब में) َ ْ َ ْ
َ‫ك ِبْلَق َوا ْح َسن‬ ٰ
आपको ठीक बात और बेितरीन ِ ِ ‫جئن‬ ِ
तरीक़े से बात खोल देते िैं।” ۭ ‫ْيا‬
‫؀‬33 ً ْ ‫َت ْفس‬
ِ
यि लफ़्ज़ क़ु रआन में एक िी मतुबा आया िै, र्बदक तावील
का लफ़्ज़ सत्रि (17) बार आया िै। इसके कु छ और मफ़हूम
भी िैं और क़ु रआन के अलावा कु छ और चीज़ों पर भी इसका
इत्लाक़ (लागू) हुआ िै। तफ़्सीर और तावील में फ़कु क्या िै?
तफ़्सीर का मादि “‫ ”ر س ف‬िै। यि गोया “सफ़र” की
मुन्क़हलब शक़्ल िै। सफ़र ब-मायने Journey भी िै--- और
[139] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

इसका मतलब रोशनी भी िै, दकताब भी िै। हुरूफ़ ज़रा


आगे-पीछे िो गये िैं, लफ़्ज़ एक िी िै। तफ़सीर के मायने िैं
दकसी शय को खोलना, वाज़ेि कर देना, दकसी शय को
रोशन कर देना, लेदकन यि ज़्यादातर मुर्रादात और
अल्फ़ाज़ से मुताहल्लक़ िोती िै, र्बदक तावील बिैहसयत
मज्मुई कलाम का असल मद्लूल िोती िै दक इससे मुराद
क्या िै, इसका असल मक़सूद क्या िै, इसकी असल िक़ीक़त
क्या िै। हलिाज़ा ज़्यादातर यिी लफ़्ज़ क़ु रआन के हलये
मुस्तहमल िै। अग़रचे िमारे यिााँ उदूुदान लोग ज़्यादातर
लफ़्ज़ तफ़्सीर इस्तेमाल करते िैं दक र्लााँ आयत की
तफ़्सीर, फ़लााँ लफ़्ज़ की तफ़्सीर, लेदकन इसके हलये क़ु रआन
की असल इस्तलाि तावील िी िै और िदीस में भी यिी
लफ़्ज़ आया िै। िज़रत अब्दुल्लाि हबन अब्बास (रहज़०) के
ْ ّ ُ ْ ّ ُّ ّ َ َ ّٰ َ
हलये हु़़ज़ूर ‫ ﷺ‬की दुआ मन्क़ू ल िै: (( ‫ْی‬
ِ ‫اللهم ف ِقهه ِِف ال ِد‬
َ َّ ُ ْ ّ َ َ
‫التا ِو ْیل‬ ‫ ))وع ِلمه‬याहन ऐ अल्लाि! इस नौर्वान को दीन
का फ़िम और तफ़क्कक़ो अता फ़रमा और तावील का इल्म
अता फ़रमा! चुनााँचे कलाम की असल िक़ीक़त, असल
मुराद, असल मतलूब, असल मद्लूल को पा लेना तादक
इं सान असल मक़सूद तक पहुाँच र्ाये, इसे तावील किते िैं।
“र्ो शय की िक़ीक़त को ना देखे वि नज़र क्या!”
“‫ا‬,‫و‬,‫ ”ل‬का माद्दा अरबी ज़बान में दकसी शय की तरफ़
लौटने के मफ़हूम में आता िै। इसी हलये लोग किते िैं िम
फ़लााँ की आल िैं, याहन वि दकसी बड़ी शहख़्सयत की तरफ़
अपनी हनस्बत करते िैं। “आले दफ़रऔन” का मतलब
दफ़रऔन की औलाद निीं िै, बहल्क दफ़रऔन वाले
[140] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

“दफ़रऔनी” िै। वि दफ़रऔन की िी इताअत करते थे और


उसी को अपना माबूद याहन िादकम और पेशवा समझते थे।
इसी मायने में दकसी इबारत को उसके असल मफ़हूम की
तरफ़ लौटाना तावील िै। तफ़्सीर और तावील के माबैन इस
फ़क़ु को ज़िन में रखना ज़रूरी िै।

4) तावील-ए-आम और तावील-ए-ख़ास
क़ु रआन िकीम की दकसी एक आयत या चंद आयात के
मज्मुए या दकसी ख़ास मज़मून र्ो चंद आयात में मुक्कमल
िो रिा िै, पर ग़ौर करने में दो मरिले िमेशा पेशे नज़र
रिने चाहियें: एक तावीले ख़ास और दूसरा तावीले आम।
इस हसलहसले में याद रिे दक क़ु रआन िकीम ज़मान (समय)
व मकान के एक ख़ास तनाज़र (Perspective) में नाहज़ल
हुआ िै। इसका ज़माना-ए-नुज़ूल 610 ईस्वी से 632 ईस्वी
के अरसे पर मुिीत (शाहमल) िै और इसके नुज़ूल की र्गि
सरज़मीं हिर्ाज़ िै। इसका एक ख़ास पसमंज़र िै। ज़ाहिर
बात िै दक अगर उस वक़्त और उस इलाक़े के लोगों के
अक़ीदे व नज़ररयात और उनकी ज़िनी सति को मलहूज़
(ध्यान में) ना रखा र्ाता तो उन तक इब्लाग़
(communication) मुमदकन िी निीं था। वि तो उम्मी थे
(अहशहक्षत), पढ़े-हलखे ना थे। अगर उन्िें फ़लसफ़ा पढ़ाना
शुरू कर ददया र्ाता, साइं सी उलूम के बारे में बताया र्ाता
तो यि बातें उनके सरों के ऊपर से गुज़र र्ातीं। क़ु रआनी
आयात तो उनके ददल और ददमाग़ में पैवस्त (attached)
िो गई, क्योंदक बरािेरास्त इब्लाग़ (communication)
था, कोई barrier मौर्ूद निीं था। तो क़ु रआन िकीम का
[141] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

यि शाने नुज़ूल ज़िन में रहखये। वैसे तो “शाने नुज़ूल” की


इस्तलाि (term) दकसी ख़ास आयत के हलये इस्तेमाल िोती
िै, लेदकन एक ख़ास time and space complex में
क़ु रआन िकीम का एक मज्मुई शाने नुज़ूल िै हर्समें यि
नाहज़ल हुआ। विााँ के िालात, उस अरसे के वाक़्यात, उन
िालात में तदरीर्न र्ो तब्दीली हुई, दर्र कौन लोग इसके
मुख़ाहतब थे, अिले मक्का के अक़ीदे, उनकी रस्में-रीतें, उनके
नज़ररयात, उनके मुसल्लमात, उनकी ददलचहस्पयााँ......
र्ब क़ु रआन को इस सयाक़ व सबाक़ (context) में रख कर
ग़ौर करेंगे तो यि तावीले ख़ास िोगी। इसमें आप मज़ीद
तफ़्सील में र्ायेंगे दक फ़लााँ आयत का वाक़्याती पसमंज़र
क्या िै। याहन क़ु रआन मर्ीद की दकसी आयत या चंद
आयात पर ग़ौर करते हुए अव्वलन इसको इसके context
में रख कर ग़ौर करना दक र्ब यि आयात नाहज़ल हुईं उस
वक़्त लोगों ने इनका मफ़हूम क्या समझा, यि तावीले ख़ास
िोगी। अलबत्ता क़ु रआन मर्ीद चूाँदक नौए इं सानी की अब्दी
(अनन्त) हिदायत के हलये नाहज़ल हुआ िै, हसफ़ु ख़ास इलाक़े
और ख़ास ज़माने के लोगों के हलये तो नाहज़ल निीं हुआ,
हलिाज़ा इसमें अब्दी (अनन्त) हिदायत िै, इस ऐतबार से
तावीले आम करना िोगी।
तावीले आम के ऐतबार से अल्फ़ाज़ पर ग़ौर करेंगे दक
अल्फ़ाज़ क्या इस्तेमाल हुए िैं। यि अल्फ़ाज़ र्ब तरकीबों
की शक़्ल इहख़्तयार करतें िैं तो क्या तरकीबें बनती िैं। दर्र
आयात का बािमी रब्त क्या िै, सयाक़ व सबाक़ क्या िै?
यि आयात हर्स सूरि में आई उसका अमूद क्या िै, उस
सूरि का र्ोड़ा कौनसा िै, यि सूरि दकस हसलहसला-ए-सूर
[142] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

का हिस्सा िै। दर्र वि सूरतें मक्की और मदनी कौनसे ग्रुप में


शाहमल िैं, उनका मरकज़ी मज़मून क्या िै? इस पसमंज़र
में एक सयाक़ व सबाक़ मतन (text) का िोगा, हर्ससे िमें
तावीले आम मालूम िोगी और एक सयाक़ व सबाक़
वाक़्यात का िोगा, हर्ससे िमें उन आयतों की तावीले ख़ास
मालूम िोगी।
अगर िम क़ु रआन मर्ीद की मौर्ूदा तरतीब के ऐतबार
से आयतों पर ग़ौर करें तो मालूम िोगा दक हर्स तरतीब से
इस वक़्त क़ु रआन मर्ीद मौर्ूद िै असल हुज्जत यिी िै,
यिी असल तरतीब िै, यिी लौिे मिफ़ू ज़ की तरतीब िै।
तावीले आम के ऐतबार से एक उसूली बात याद रखें:
‫ اْلعتبار لعموم اللفظ ْل خلصوص السبب‬याहन असल
ऐतबार अल्फ़ाज़ के अमूम का िोगा ना दक ख़ास शाने नुज़ूल
का। देखा र्ायेगा दक र्ो अल्फ़ाज़ इस्तेमाल हुए िैं उनका
मफ़हूम व मायने, नेज़ मद्लूल क्या िै। कलामे अरब से
दलाइल लाये र्ायेंगे दक वि इन्िें दकन मायने में इस्तेमाल
करते थे। उस लफ़्ज़ के अमूम का ऐतबार िोगा ना दक उसके
शाने नुज़ूल का। लेदकन इसके यि मायने भी निीं दक इसे
हबल्कु ल नज़र अंदाज़ कर ददया र्ाये। सबसे मुनाहसब बात
यिी िोगी दक पिले इसकी तावीले ख़ास पर ग़ौर करें और
दर्र इसके अब्दी सरचश्मा-ए-हिदायत िोने के नाते अमूम
पर ग़ौर करें। इस ऐतबार से तावीले ख़ास और तावीले आम
के फ़क़ु को ज़िन में रखें।

5) तज़क्कु र व तदब्बुर
[143] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

तज़क्कु र व तदब्बुर दोनों अल्फ़ाज़ अलग-अलग तो


बहुत र्गि आये िैं, सूरि सुआद की आयत 29 में यकर्ा
(एक साथ) आ गये िैं:
“यि एक बड़ी बरकत वाली َ َ ُ ْٰ َ َْ ٌ ٰ
दकताब िै र्ो (ऐ नबी ‫)ﷺ‬ ‫ب اْنلنه اِل ْيك‬‫كِت‬
िमने आपकी तरफ़ नाहज़ल की िै ٰ ُ َّ َّ َ ٌ َ ٰ ُ
ٖ‫َب ْٓوا ا ٰي ِته‬ ‫مْبك ل ِيد‬
तादक यि लोग इसकी आयात पर
ُ ُ َّ َ َ
गौर करें और अक़्ल व दफ़क्र रखने ‫َول ِ َيتذك َر اولوا‬
वाले इससे सबक़ लें।”
َْ ْ
‫؀‬29 ‫اب‬ َ ‫اْلل‬
‫ب‬
ِ
इन दोनों का मतलब क्या िै? एक िै क़ु रआन मर्ीद से
हिदायत अखज़ कर लेना, नसीित िाहसल कर लेना, असल
रिनुमाई िाहसल कर लेना, हर्सको मौलाना रूम ने किा:
“माज़ क़ु रााँ मग़ज़िा बरदा शतीम” याहन क़ु रआन का र्ो
असल मग़ज़ िै वि तो िमने ले हलया। इसका असल मग़ज़
“हिदायत” िै। इस मरिले पर क़ु रआन र्ो लफ़्ज़ इस्तेमाल
करता िै वि “तज़क्कु र” िै। यि लफ़्ज़ हज़क्र से बना िै।
तज़क्कु र याददेिानी को किते िैं। अब इसका ताल्लुक़ उसी
बात से र्ुड़ र्ायेगा र्ो क़ु रआन के अस्लूबे इस्तदलाल के
हज़मन में पिले बयान की र्ा चुकी िै। याहन क़ु रआन मर्ीद
हर्न असल िक़ाइक़ (माबाद अल्तबीअ’यात िक़ीक़तों) की
तरफ़ रिनुमाई करता िै वि दफ़तरते इं सानी में मुज़मर िैं,
उन पर हसफ़ु ज़हूल और हनस्यान (भूलने) के पदे पड़ गये िैं।
मसलन आपको कोई बात कु छ अरसे पिले मालूम थी,
लेदकन अब उसकी तरफ़ ध्यान निीं रिा और वि आपकी
याददाश्त के र्ख़ीरे में गिरी उतर गई िै और अब याद निीं
[144] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

आती, लेदकन दकसी रोज़ उसकी तरफ़ कोई िल्का सा


इशारा हमलते िी आपको वि पूरी बात याद आ र्ाती िै।
र्ैसे आपका कोई दोस्त था, दकसी ज़माने मे बेतकल्लुफ़ी थी,
सुबि शाम मुलाक़ातें थीं, अब तवील अरसा िो गया,कभी
उसकी याद निीं आयी। ऐसा निीं दक आपको याद निीं रिा,
बहल्क ज़हूल िै, हनस्यान िै, तवज्जि उधर निीं िै, कभी
ज़िन उधर मुन्तदक़ल िी निीं िोता। लेदकन अचानक दकसी
रोज़ आपने अपना िंक खोला और उसमें से कोई क़लम या
रुमाल र्ो उसने कभी ददया िो बरामद िो गया तो फ़ौरन
आपको अपना वि दोस्त याद आ र्ायेगा। यि
phenomenon तज़क्कु र िै। तज़क्कु र का मतलब तअल्लम
निीं िै। तअल्लम इल्म िाहसल करना याहन नई बात र्ानना
िै, र्बदक तज़क्कु र पिले से िाहसलशुदा इल्म हर्स पर
ज़हूल और हनस्यान के र्ो पदे पड़ गये थे, उनको िटाकर
अंदर से उसे बरामद करना िै। दफ़तरते इं सानी के अंदर
अल्लाि की मोिब्बत, अल्लाि की माफ़ु त के िक़ाइक़
मुज़मर िैं। यि दफ़तरत में मौज़ूद िैं, हसफ़ु उन पर पदे पड़
गये िैं, दुहनया की मोिब्बत ग़ाहलब आ गई िै:
दुहनयााँ ने तेरी याद से बेगाना कर ददया
तुझसे भी ददलफ़रेब िैं ग़म रोज़गार के ! (फ़ै ज़)
यिााँ की ददलचहस्पयों, मसाइल, मुहश्कलात, मशरूदर्यात,
मशागुल की वर्ि से ज़हूल िो गया िै, पदाु पड़ गया िै।
तज़क्कु र यि िै दक इस पदे को िटा ददया र्ाये।
सरकशी ने कर ददये धुंधले नक़ू शे बन्दगी
आओ सज्दे में हगरें, लौिे र्बीं ताज़ा करें! (िफ़ीज़)
[145] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

याददाश्त को recall करना और अपनी दफ़तरत में


मुज़मर िक़ाइक़ को उर्ाग़र कर लेना तज़क्कु र िै। क़ु रआन
का असल िदफ़ यिी िै और इस ऐतबार से क़ु रआन का दावा
सूरि अल् क़मर में चार मतुबा आया िै:
“िमने क़ु रान को तज़क्कु र के ْ َ َّ َ ْ َ َ َ
َ ‫ال ُق ْر ٰا‬ ْ ‫ولقد ي‬
हलये बहुत आसान बना ददया िै, ‫ن‬ ‫َّسَن‬
तो कोई िै नसीित िाहसल करने َّ ُّ ْ َْ َ ْ
‫ِلذك ِر فهل ِِم مدكِر‬ ِ ‫ل‬
वाला?”
‫؀‬32

इसके हलये बहुत ग़िराई में गोताज़नी करने की ज़रुरत निीं


िै, बहुत मशक्क़त व मेिनत मतलूब निीं िै। इं सान के अंदर
तलब-ए-िक़ीक़त िो और क़ु रआन से बरािेरास्त राब्ता
(communication) िो र्ाये तो तज़क्कु र िाहसल िो
र्ायेगा। इसकी शतु हसफ़ु एक िै और वि यि दक इं सान को
इतनी अरबी ज़रूर आती िो दक वि क़ु रआन से िम कलाम
िो र्ाये। अगर आप तर्ुुमा देखेंगे तो कु छ मालूमात तो
िाहसल िोगी, तज़क्कु र निीं िोगा। इक़बाल ने किा था:
तेरे ज़मीर पर र्ब तक ना िो नुज़ूले दकताब
हग़रि कशा िै ना राज़ी ना साहिबे कशाफ़!
तज़क्कु र के अमल का असर तो यि िै दक आपके अंदर के
मुज़मर िक़ाइक़ उभर कर आपके शऊर की सति पर दोबारा
आ र्ायें। यि ना िो दक पिले आपने मतन को पढ़ा, दर्र
तर्ुुमा देखा, िाहशया देखा, इसके बाद अगली आयत की
तरफ़ गये तो तसलसुल टूट गया और कलाम की तासीर
ख़त्म िो गई। तर्ुुमे से कलाम की असल तासीर बाक़ी निीं
रिती। शेक्सहपयर की कोई इबारत अगर आप अाँग्रेज़ी में
[146] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

पढ़ेंगे तो झूम र्ायेंगे, अगर उसका तर्ुुमा करेंगे तो उसका


वि असर निीं िोगा। इसी तरि ग़ाहलब का शेर िो या मीर
का, उसका अाँग्रेज़ी में तर्ुुमा करेंगे तो वि असर बाक़ी निीं
रिेगा और आप वर्द में निीं आयेंगे, झूम-झूम निीं र्ायेंगे।
अरबी ज़बान का इतना इल्म दक आप अरबी मतन को
बरािेरास्त समझ सकें , तज़क्कु र की बुहनयादी शतु िै।
चुनााँचे अव्वलन (पिला) हुस्ने नीयत िो, तलबे हिदायत िो,
तास्सुब की पट्टी ना बंधी िो, और सानयन (दूसरे) अरबी
ज़बान का इतना इल्म िो दक आप बरािेरास्त उससे िम
कलाम िो रिे िों, यि दोनों शतें पूरी िो र्ायें तो तज़क्कु र
िो र्ायेगा।
दोबारा ज़िन में ताज़ा कर लीहर्ये दक आयत का
मतलब हनशानी िै। हनशानी उसे किते िैं हर्सको देख कर
ज़िन दकसी और शय की तरफ़ मुन्तदक़ल िो र्ाये। आपने
क़लम या रुमाल देखा तो ज़िन दोस्त की तरफ़ मुन्तदक़ल
िो गया हर्ससे हमले हुए बहुत अरसा िो गया था और
उसका कभी ख़्याल िी निीं आया था। मौलाना रूम किते
िैं।
ख़ुश्क तार व ख़ुश्क मग़ज़ व ख़ुश्क पोस्त
अज़ कर्ा मी आयद ईं आवाज़े दोस्त?
िमारा एक अज़ली दोस्त िै “अल्लाि” विी िमारा ख़ाहलक़
िै, िमारा बारी िै, िमारा रब िै। उसकी दोस्ती पर कु छ
पदे पड़ गए िैं, उस पर कु छ ज़हूल तारी िो गया िै। क़ु रआन
उस दोस्त की याद ददलाने के हलये आया िै।
इसके बरअक्स तदब्बुर गिराई में गोताज़न िोने को
किते िैं। “क़ु रआन में िो गोताज़न ऐ मदे मुसलमान!”
[147] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

तदब्बुर के ऐतबार से क़ु रान िकीम मुहश्कलतरीन दकताब


िै। इसकी वर्ि क्या िै? यि दक इसका हमन्बा और
सरचश्मा इल्मे इलािी िै और इल्मे इलािी ला-मुतनािी
(अन्तिीन) िै। यि िक़ीक़त िै दक कलाम में मुतकहल्लम की
सारी हसफ़ात मौर्ूद िोती िैं, हलिाज़ा यि कलाम ला-
मुतनािी िै। इसको कोई शख़्स ना अबूर कर सकता िै ना
गिराई में इसकी ति तक पहुाँच सकता िै। यि नामुमदकन
िै, चािे पूरी-पूरी हज़न्दहगयााँ खपा लें। वि चािे साहिबे
कश्शाफ़ िों, साहिबे तफ़्सीर कबीर िों, कसे बाशद। इसका
अिाता करना दकसी के हलये मुमदकन निीं। बाज़ लोग ग़ैर
मितात अंदाज़ में यि अल्फ़ाज़ इस्तेमाल कर देते िैं दक “उन्िें
क़ु रआन पर बड़ा अबूर िाहसल िै।” यि क़ु रआन के हलये बड़ा
तौिीन आमेज़ कलमा िै। अबूर एक दकनारे से दूसरे दकनारे
तक पहुाँच र्ाने को किते िैं। क़ु रआन का तो दकनारा िी कोई
निीं िै। दकसी इं सान के हलये यि मुमदकन निीं िै दक वि
क़ु रआन पर अबूर िाहसल करे। यि ना मुमदकनात में से िै।
इसी तरि इसकी गिराई तक पहुाँच र्ाना भी ना मुमदकन
िै।
इस हसलहसले में एक तम्सील (उदािरण) से बात दकसी
क़दर वाज़ेि िो र्ायेगी। कभी ऐसा भी िोता िै दक समुन्दर
में कोई टेंकर तेल लेकर र्ा रिा िै और दकसी वर्ि से
अचानक तेल लीक करने लग र्ाता िै। लेदकन वि तेल सति
समुन्दर के ऊपर िी रिता िै, नीचे निीं र्ाता। सति
समुन्दर पर ऊपर तेल की ति और नीचे पानी िोता िै और
वि तेल पााँच-दस मील तक र्ै ल र्ाता िै। समुन्दर की
अथाि गिराई के बावर्ूद तेल सति आब पर िी रिता िै।
[148] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

इसी तरि समहझये दक क़ु रआन मर्ीद की असल हिदायत


और असल तज़क्कु र इसकी सति पर मौर्ूद िै। इस तक
रसाई के हलये साइं सदान या फ़लसफ़ी िोना, अरबी अदब
(साहित्य) का माहिर िोना, कलामे र्ाहिली का आहलम
िोना ज़रुरी निीं। हसफ़ु दो चीज़ें मौर्ूद िों। पिली ख़ुलूसे
नीयत और तलबे हिदायत, दूसरी क़ु रआन से बरािेरास्त
िमकलामी का शफ़ु और इसकी सलाहियत। यि दोनों िैं तो
तज़क्कु र का तक़ाज़ा पूरा िो र्ायेगा। अलबत्ता तदब्बुर के
हलये गिराई में उतरना िोगा और इस बिरे ज़ख़्ख़ार में
गोताज़नी करना िोगी। तदब्बुर का िक़ अदा करने के हलये
शेरे र्ाहिली को भी र्ानना ज़रूरी िै। िर लफ़्ज़ की पिचान
ज़रूरी िै दक हर्स दौर में क़ु रआन नाहज़ल हुआ उस ज़माने
और उस इलाक़े के लोगों में इस लफ़्ज़ का मफ़हूम क्या था,
यि दकन मायने में इस्तेमाल िो रिा था? क़ु रआन ने
बुहनयादी इस्तलािात विीं से अख़ज़ की िैं। विी अल्फ़ाज़
हर्नको अरब अपने अशआर और ख़ुत्बात के अंदर इस्तेमाल
करते थे उन्िीं को क़ु रआन मर्ीद ने हलया िै। चुनााँचे नुज़ूले
क़ु रआन के दौर की ज़बान को पिचानना और उसके हलये
ज़रूरी मिारत का िोना तदब्बुर के हलये नाग़ज़ीर (ज़रूरी)
िै। दर्र यि दक अिादीस, इल्मे बयान, महन्तक़, इन सबको
इं सान बतरीक़े तदब्बुर र्ानेगा तो दर्र वि इसका िक़ अदा
कर सके गा।
मौलाना अमीन अिसन इस्लािी सािब ने अपनी
तफ़्सीर का नाम िी “तदब्बुरे क़ु रआन” रखा िै और वि
तदब्बुरे क़ु रआन के बहुत बड़े दाई िैं। इसके हलये उन्िोंने
अपनी हज़न्दगी में बहुत मेिनत की िै। उनके बाज़ शाहगदु
[149] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

िज़रात ने भी मेिनतें की िैं और वक़्त लगाया िै। इसके उन


तक़ाज़ों को तो उन िज़रात ने बयान दकया िै, लेदकन
तदब्बुरे क़ु रआन का एक और तक़ाज़ा भी िै र्ो बददक़स्मती
से उनके सामने भी निीं आया। अगर वि तक़ाज़ा भी पूरा
निीं िोगा तो असरे िाहज़र के तदब्बुर का िक़ अदा निीं
िोगा। वि तक़ाज़ा यि िै दक इल्मे इं सानी आर् हर्स लेवल
तक पहुाँच गया िै, मेटेररयल साइं स के मुख़्तहलफ़ उलूम के
हज़मन में र्ो कु छ मालूमात इं सान को िाहसल िो चुकी िैं
और वि ख़्यालात व नज़ररयात हर्नको आर् दुहनया में
माना र्ा रिा िै उनसे आगािी िाहसल की र्ाये। अगर
इनका इज्माली इल्म निीं िै तो इस दौर के तदब्बुरे क़ु रआन
का िक़ अदा निीं दकया र्ा सकता। क़ु रआन िकीम वि
दकताब िै र्ो िर दौर के उफ़क़ (Horizon) पर ख़ुशीदे
ताज़ा की माहनन्द तुलूअ िोगी। आर् से सौ बरस पिले के
क़ु रआन और आर् के क़ु रआन में इस िवाले से फ़क़ु िोगा।
मतन और अल्फ़ाज़ विी िैं, लेदकन आर् इल्मे इं सानी की
र्ो सति िै उस पर इस क़ु रआन के फ़िम और इसके इल्म
को हर्स तरीक़े से र्लवागर िोना चाहिये अगर आप इसका
िक़ अदा कर रिे िैं तो आप सौ बरस पिले का क़ु रआन पढ़ा
रिे िैं, आर् का क़ु रआन निीं पढ़ा रिे। र्ैसे अल्लाि की शान
ْ َ ُ َّ ُ
ْ ِ ‫( } ك َ ْویم ه َو‬सूरि रिमान:29) इसी तरि का
िै: {‫ِف شان‬
मामला क़ु रआन िकीम का भी िै।
इसी तरि हिदायते अमली के हज़मन में इक़्तसादयात,
समाहर्यात और नहफ़्सयाते इं सानी के हसलहसले में
रिनुमाई और िक़ाइक़ क़ु रआन में मौर्ूद िैं, उन्िें कै से
समझेंगे? क़ु आरन की असल तालीमात की क़र व क़ीमत
[150] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

और उसकी असल evaluation कै से मुमदकन िै अग़र


इं सान आर् के इक़्तसादी मसाईल को ना र्ानता िो? इसके
बग़ैर वि तदब्बुरे क़ु रआन का िक़ निीं अदा कर सकता।
मसलन आर् के इक़्तसादी मसाईल क्या िैं? पेपर करेंसी की
िक़ीक़त क्या िै? इक़्तसादयात के उसूल व मबादी क्या िैं?
बैंककं ग की असल बुहनयाद क्या िै? दकस तरि कु छ लोगों ने
इस पूरी नौए इं सानी को मआशी ऐतबार से बेबस दकया
हुआ िै। इस िक़ीक़त को र्ब तक निीं समझेंगे तो आर् के
दौर में क़ु रआन िकीम की इक़्तसादी तालीमात वाज़ेि करने
का िक़ अदा निीं िो सकता।
वाक़या यि िै दक आर् तदब्बुरे क़ु रआन दकसी एक
इं सान के बस का रोग िी निीं रिा, इसके हलये तो एक
र्माअत दरकार िै। मेरे दकताबचे “मुसलमानों पर क़ु रआन
मर्ीद के हुक़ू क़” के बाब “तज़क्कु र व तदब्बुर” में यि
तसव्वुर पेश दकया गया िै दक ऐसी यूहनवर्सुटीज़ क़ायम िों
हर्नका असल मरकज़ी शौबा (हवभाग) “तदब्बुरे क़ु रआन”
का िो। र्ो शख़्स भी इस यूहनवर्सुटी का ताहलबे इल्म िो,
वि अरबी ज़बान सीखे और क़ु रआन पढ़े। लेदकन इस
मरकज़ी शौबे के हगदु तमाम उलूमे अक़्ली, र्ैसे महन्तक़, मा
बाद अल् तबीअ’यात, अख़्लादक़यात, नहफ़्सयात और
इलाहियात, उलूमे अमरानी (सामाहर्क) र्ैसे मआहशयात,
हसयाहसयात और क़ानून, और उलूमे तबीई, र्ैसे ररयाज़ी
(गहणत), कीहमया (रसायन), तबीअ’यात (भौहतक),
अरददयात (भूहवज्ञान) और फ़हल्कयात (खगोलीय) वग़ैरि
के शौबों का एक हिसार (ददवार) क़ायम िो, और िर एक
ताहलबे इल्म “तदब्बुरे क़ु रआन” की लाहज़मन और एक या
[151] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

उससे ज़्यादा दूसरे उलूम की अपने ज़ौक़ (समझ) के


मुताहबक़ तिसील (study) करे और इस तरि इन शौबा
िाए उलूम में क़ु रआन के इल्म व हिदायत को तिक़ीक़ी तौर
पर अख़ज़ करके मुअस्सर (प्रभावी) अंदाज़ में पेश कर सके ।
ताहलबे इल्म वि भी पढ़े तब मालूम िोगा दक इस शौबे में
इं सान आर् किााँ खड़ा िै और क़ु रआन क्या कि रिा िै। फ़लााँ
शौबे में नौए इं सानी के क्या मसाईल िैं और इस हज़मन में
क़ु रआन िकीम क्या किता िै। मुख़्तहलफ़ शौबे हमल कर
तदब्बुरे क़ु रआन की ज़रूरत को पूरा कर सकते िैं र्ो वक़्त
का अिम तक़ाज़ा िै।
र्ैसा दक मैंने अज़ु दकया, तज़क्कु र के ऐतबार से क़ु रआन
आसान तरीन दकताब िै र्ो िमारी दफ़तरत की पुकार िै।
“मैंने यि र्ाना दक गोया यिी मेरे ददल में था!” अगर इं सान
की दफ़तरत मस्ख़शुदा (हवकृ त) निीं िै, बहल्क सलीम (ठीक)
िै, सालेि िै, सलामती पर क़ायम िै तो वि क़ु रआन को
अपने ददल की पुकार मिसूस करेगा, उसके और क़ु रआन के
दरहमयान कोई हिर्ाब ना िोगा, वि उसे अपने ददल की
बात समझेगा, उसके हलये अरबी ज़बान का हसफ़ु इतना
इल्म काफ़ी िै दक बरािेरास्त िमकलाम िो र्ाये। र्बदक
तदब्बुर के तक़ाज़े पूरे करने दकसी एक इं सान के बस का रोग़
निीं िै। र्ो शख़्स भी इस मैदान में क़दम रखना चािे उसके
ज़िन में एक इज्माली ख़ाका ज़रूर िोना चाहिये दक आर्
र्दीद साइं स के ऐतबार से इं सान किााँ खड़ा िै। र्ब इं सान
को अपने मक़ाम की मारफ़त िाहसल िो र्ाये तो वि
क़ु रआन मर्ीद से बेितर तौर पर फ़ायदा उठा सकता िै।
इसकी हमसाल ऐसी िै दक समुन्दर में तो बेतिाशा पानी िै,
[152] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

आप अग़र पानी लेना चािते िैं तो हर्तना बड़ा कटोरा,


कोई देग, देगची या बाल्टी आपके पास िै उसी को आप भर
लेंगे। याहन हर्तना आपका ज़फ़ु (container) िोगा उतना
िी आप समुन्दर से पानी अख़ज़ कर सके गें। इसका यि
मतलब तो िरहगज़ ना िोगा दक समुन्दर में पानी िी इतना
िै! इं सानी ज़िन का ज़र्ु उलूम से बनता िै। यि ज़फ़ु आर्
से पिले बहुत तंग था। एक िज़ार साल पिले का ज़फ़े ज़िनी
बहुत मिदूद था। इं सानी उलूम के ऐतबार से आर् का ज़फ़ु
बहुत वसीअ िै। अगर आर् आपको क़ु रआन मर्ीद से
हिदायत िाहसल करनी िै तो आपको अपना ज़फ़ु इसके
मुताहबक वसीअ करना िोगा। और अगर कु छ लोग अभी
उसी साहबक़ दौर में रि रिे िैं तो क़ु रआन िकीम के मख़्फ़ी
िक़ाइक़ उन पर मुन्कहशफ़ निीं िोंगे।

6) अमली हिदायात और मज़ाहिरे तबीई के बारे


में मुतज़ाद तज़े अमल
क़ु रआन िकीम में साइं सी उलूम के र्ो िवाले आते िैं
और उसमें र्ो अमली हिदायात हमलती िैं, उनके हज़मन में
यि बात पेशेनज़र रिनी चाहिये दक एक ऐतबार से िमें आगे
से आगे बढ़ना िै और दूसरे ऐतबार से िमें पीछे से पीछे
र्ाना िै। चुनााँचे क़ु रआन िकीम पर ग़ौरो दफ़क्र करने वाले
का अंदाज़ (attitude) दो ऐतबारात से हबल्कु ल मुतज़ाद
(opposite) िोना चाहिये। साइं सी िवाले र्ो क़ु रआन में
आये िैं उनकी ताबीर करने में आगे से आगे र्ाइये। आर्
इं सान को क्या मालूमात िाहसल िो चुकी िैं, कौनसे िक़ाइक़
पाये सबूत को पहुाँच चुके िैं, उनके िवाले पेशेनज़र रिेंगे।
[153] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

इसमें पीछे र्ाने की ज़रूरत निीं िै। इमाम राज़ी और दीगर


क़दीम मुर्हस्सरीन को देखने की ज़रूरत निीं िै। बहल्क इस
हज़मन में नबी अकरम ‫ ﷺ‬ने भी कु छ फ़रमाया िै तो वि
भी िमारे हलये लाहज़म निीं िै। इसहलये दक हुज़ूर ‫ﷺ‬
साइं स और टेिोलॉर्ी हसखाने निीं आये थे। ताबीरे नख़ल
का वाक़या पीछे गुज़र चुका िै, इसके हज़मन में आप ‫ﷺ‬
َُْ ََْ َ ُ ُْ
ने फ़रमाया था: ((‫“ ))دن َياُك ِِب ْم ِر اعل ُم انت ْم‬अपने
दुहनयावी मामलात के बारे में तुम मुझसे ज़्यादा र्ानते िो।”
तर्ुबाुती उलूम के मुताहबक़ र्ो तुम्िें इल्म िाहसल िै उस
पर अमल करो। लेदकन दीन का र्ो अमली पिलू िै उसमें
पीछे से पीछे र्ाइये। यिााँ यि दलील निीं चलेगी दक र्दीद
दौर के तक़ाज़े कु छ और िैं, र्बदक यि देखना िोगा दक रसूल
‫ ﷺ‬ने और ‫ ﷺ‬के सिाबा (रहज़०) ने क्या दकया। इस
िवाले से क़ु रआन के ताहलबे इल्म का रुख़ पीछे की तरफ़
िोना चाहिये दक अस्लाफ़ ने क्या समझा। मुताख़रीन को
छोड़ कर मुतक़दमीन की तरफ़ र्ाइये। मुतक़दमीन से तबअ
ََ ََ َْ
ताबईन, दर्र ताबईन से िोते हुए “‫اب َو عل ْي ِه اّن َما‬
ْ َ‫ ”اْص‬याहन
ِ
हुज़ूर ‫ ﷺ‬और सिाबा (रहज़०) के अमल तक पहुाँहचये। इस
ऐतबार से इक़बाल का यि शेर सिी मुन्तहबक़ िोता िै।
बमुस्तफ़ा ‫ ﷺ‬बरसााँ ख़वीश रा दक दीं िमा ऊस्त
अग़र बऊव नरसीदी तमाम बू-लिबी सत!
दीन का अमली पिलू विी िै र्ो अल्लाि के रसूल ‫ﷺ‬
से साहबत िै। इसमें अग़रचे ररवायात के इख़्तलाफ़ की वर्ि
َ َ ْ ُّ َ
से कु छ फ़कु िो र्ायेगा मगर दलील यिी रिेगी: (( ‫صلوا کما‬
ْ ّ ِ ‫ّن اُ َص‬
‫ل‬ ْ ِ ‫()) َراَ ْی ُت ُم ْو‬1) नमाज़ इस तरि पढ़ो र्ैसे तुम मुझे
[154] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

नमाज़ पढ़ते हुए देखते िो।” अब नमाज़ के र्ुज़यात के बारे


में ररवायात में कु छ फ़क़ु हमलता िै। दकसी के नज़दीक एक
ररवायत क़ाहबले तरर्ीि िै, दकसी के नज़दीक दूसरी। इस
ऐतबार से र्ुज़यात में थोड़ा बहुत फ़क़ु िो र्ाए तो कोई िर्ु
निीं। अलबत्ता दलील यिी रिेगी दक रसूल ‫ ﷺ‬और
सिाबा (रहज़०) का अमल यि था। हुज़ूर अकरम ‫ ﷺ‬का
َ ‫اشد‬ ّ ‫ْی‬َ ‫ال َم ْه ِدی‬ ْ َ ّْ ْ
यि फ़रमान भी नोट कर लीहर्ये: (( ‫ْی‬ ِ ِ ‫الر‬
ْ ُ ‫()) ْاخلُلَ َفا ِء ُس َّن ِۃ َو ب ُس َّن ِت َف َعلَ ْي‬2) “तुम पर मेरी सुन्नत
‫ُك‬ ِ
इहख़्तयार करना लाहज़म िै और मेरे ख़ुल्फ़ा-ए-राहशदीन की
सुन्नत र्ो हिदायत याफ़्ता िैं।” चुनााँचे हुज़ूर ‫ ﷺ‬का अमल
और ख़ुल्फ़ा-ए-राहशदीन का अमल िमारे हलये लायक़
तक़लीद िै। दर्र इसी से मुत्तहसल (connecting) वि चीज़ें
िैं हर्न पर िमारी चौदि सौ बरस की तारीख़ में उम्मत का
इज्माअ रिा िै। अब दुहनया इस्लामी सर्ाओं को
विहशयाना क़रार देकर िम पर असर अंदाज़ िोने की
कोहशश कर रिी िै और िमें बुहनयादपरस्त
(fundamentalist) की गाली देकर चािती िै दक िमारे
अंदर माज़रत ख़वािाना रवैया पैदा कर दे, मगर िमारा
तज़े अमल यि िोना चाहिये दक इन बातों से क़तअन
मुताहस्सर हुए बग़ैर दीन के अमली पिलू के बारे में पीछे से
ٗ َ َ َ ْ َّ َ ِ ُ ْ ُ َّ ٌ َّ َ ُ
पीछे र्ाते हुए {‫( }ُممد رسول ّٰللا ۭ وال ِذْی معه‬सूरि फ़ति:1)
तक पहुाँच र्ायें!
बददकस्मती से िमारे आम उल्माओं का िाल यि िै दक
उन्िोंने अरबी उलूम तो पढ़े िैं, अरबी मदरसों से फ़ाररग़
अल् तिसील िैं, मगर वि आगे पढ़ने की सलाहियत से आरी
[155] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

(मुक्त) िैं। उन्िोंने साइं स निीं पढ़ी, वि र्दीद उलूम से


वादक़फ़ निीं, वि निीं र्ानते आइं स्टीन दकस बला का नाम
िै और उस शख़्स के ज़ररये तबीअ’यात के अंदर दकतनी बड़ी
तब्दीली आ गई िै। न्यूटोहनयन इरा क्या था और आइं स्टीन
का दौर क्या िै, उन्िें क्या पता! आर् कायनात का तसव्वुर
क्या िै, एटम की साख़्त क्या िै, उन्िें क्या मालूम! एटम तो
पुरानी बात िो गई, अब तो इं सान न्यूिॉन प्रोटोन से भी
किीं आगे की बारीदकयों तक पहुाँच चुका िै। अब इन चीज़ों
को निीं र्ानेंगे तो इन िक़ाइक़ को सिी तौर पर समझना
मुमदकन निीं िोगा। मज़ाहिर तबीई का मामला तो आगे से
आगे र्ा रिा िै। इसकी ताबीर र्दीद से र्दीद िोनी
चाहिये। अलबत्ता इस हज़मन मे यि फ़क़ु ज़रूर मल्हूज़ रिना
चाहिये दक एक तो साइं स के मैदान के मिज़ नज़ररयात
(theories) िैं हर्न्िें मुसल्लमा िक़ाइक़ का दर्ाु िाहसल
निीं िै, र्बदक एक वि चीज़ें िैं तर्ुबाुती तौसीक़ (मान्यता)
िो चुकी िै और उन्िें अब मुसल्लमा िक़ाइक़ का दर्ाु
िाहसल िै। इन दोनो में फ़क़ु करना िोगा। ख़्वािमोंख़्वाि
कोई भी नज़ररया सामने आ र्ाये या कोई मफ़रूज़ा
(hypothesis) मंज़रे आम पर आ र्ाये इस पर क़ु रान को
मुन्तहबक़ करने की कोहशश करना सई ला िाहसल बहल्क
मज़र (ख़तरनाक) शय िै। लदकन उसूली तौर पर िमें इन
चीज़ों की ताबीर में आगे से आगे बढ़ना िै। और र्िााँ तक
दीन के अमली हिस्से का ताल्लुक़ िै हर्से िम शरीअत किते
िैं, याहन अवाहमर व नवािी, िलाल व िराम, हुदूद व
ताहज़रात वग़ैरि, इन तमाम मामलात में िमें पीछे से पीछे
र्ाना िोगा, यिााँ तक की मुिम्मद रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬के
[156] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

क़दमों में अपने आप को पहुाँचा दीहर्ये। इसहलये दक दीन


इसी का नाम िै। : बमुस्तफ़ा ‫ ﷺ‬बरसााँ ख़वीश रा दक दीं
िमा ऊस्त!

7) फ़िमे क़ु रान के हलये र्ज़्बा-ए-इन्क़लाब की


ज़रूरत
फ़िमे क़ु रआन के हलये बुहनयादी उसूल और बुहनयादी
हिदायात या इशारात के हज़मन में मौलाना अबुल आला
मौदूदी (रहि०) ने यि बात बड़ी ख़ूबसूरती से तफ़्िीमुल
क़ु रआन के मुक़दमे में किी िै दक क़ु रआन मिज़ नज़ररयात
और ख़्यालात की दकताब निीं िै दक आप दकसी ड्राइं गरूम
में या कु तुबख़ाने में आराम से कु सी पर बैठ कर इसे पढ़ें और
इसकी सारी बातें समझ र्ायें। कोई मुिहक़्क़क़ या ररसचु
स्कॉलर हडक्शनररयों और तफ़्सीरों की मदद से इसे समझना
चािे तो निीं समझ सके गा। इसहलये दक यि एक दावत और
तिरीक की दकताब िै। मौलाना मरहूम हलखते िैं:
“......अब भला यि कै से मुमदकन िै दक आप
हसरे से नज़ाए कु फ़्र व दीन और मारका-ए-
इस्लाम व र्ाहिहलयत के मैदान में क़दम िी
ना रखें और इस कशमकश की दकसी मंहज़ल से
गुज़रने का आपको इत्तेफ़ाक़ िी ना हुआ िो और
दर्र मिज़ क़ु रआन के अल्फ़ाज़ पढ़-पढ़ कर
इसकी सारी िक़ीक़तें आपके सामने बेनक़ाब
िो र्ायें! इसे तो पूरी तरि आप उसी वक़्त
समझ सकते िैं र्ब इसे लेकर उठें और दावत
[157] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

इलल्लाि का काम शुरू करें और हर्स-हर्स


तरि यि दकताब हिदायत देती र्ाये उसी तरि
क़दम उठाते चले र्ायें.....”
क़ु रान मर्ीद की बहुत सी बड़ी अिम िक़ीक़तें इसके
बग़ैर मुन्कहशफ़ निीं िोगी, इसहलये दक क़ु रआन एक
“दकताबे इन्क़लाब” (Manual of Revolution) िै। इस
क़ु रआन ने इं सानी र्द्दोर्िद के ज़ररये अज़ीम इन्क़लाब
बरपा दकया िै। मुिम्मद रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬और आप
‫ ﷺ‬के साथी (रहज़०) एक हिज़्बुल्लाि थे, एक र्माअत
और एक पाटी थे, उन्िोंने दावत और इन्क़लाब के तमाम
मराहिल को तय दकया और िर मरिले पर उसकी
मुनाहसबत से हिदायात नाहज़ल हुईं। एक मरिला वि भी
था दक हुक्म ददया र्ा रिा था दक मार खाओ लेदकन िाथ
ُ َ َْ
ْ ‫( }كف ْوا ای ِدی‬सूरतुहन्नसा 77)। दर्र एक ُّ ُ
मत उठाओ: {‫ُك‬
मरिला वि भी आया दक हुक्म दे ददया गया दक अब आगे
बढ़ो और र्वाब दो, उन्िें क़त्ल करो। सूरि अन्फ़ाल में इशाुद
हुआ:
“और इनसे र्ंग करते रिो यिााँ َ ‫َ ُ ُ ْ َ ه‬
तक दक दफ़तना ख़त्म िो र्ाये ‫َوقا ِتل ْوُه ّتَح ْل‬
और दीन कु ल का कु ल अल्लाि के َ ‫ن ف ْت َن ٌة َّويَكُ ْو‬
َ ‫َتكُ ْو‬
‫ن‬ ِ
हलये िो र्ाये।” (आयत:39)
ُّ
‫ْ ُ ُ ٗ ه‬
ِ‫ْي ُكه ِّٰلل‬ ‫الد‬
ِ
सूरि अल् बक़रि में फ़रमाया:
[158] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

“और उनको क़त्ल कर दो र्िााँ ُ َ ْ ُ ُْ ُ ْ َ


किीं तुम उनको पाओ और उन्िें ‫ح ْيث‬ ‫واقتلوھم‬
हनकालो र्िााँ से उन्िोंने तुमको ُ ُ ْ َ
‫ث ِقفت ُم ْوھ ْم‬
हनकाला िै।” (आयत:191)
ْ ُ ُ َْ
‫َواخ ِرج ْوھ ْم ِِم‬
ُ
ْ ُ َْ ُ
‫َح ْيث اخ َرج ْوُك‬

दोनों मराहिल में यक़ीनन फ़क़ु िै, बहल्क बज़ाहिर


तज़ाद (contradiction) िै, लेदकन र्ानना चाहिये दक यि
एक िी र्द्दोर्िद, के दो मुख़्तहलफ़ मराहिल िैं। दर्र एक
दाई र्ब दावत देता िै तो र्ो मसाईल उसे दरपेश िोते िैं
उनको एक ऐसा शख्स क़त्अन निीं र्ान सकता हर्सने उस
कू चे में क़दम िी निीं रखा िै। उसे क्या अिसास िोगा दक
मुिम्मद रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬से यि क्यों किा र्ा रिा िै:
“क़सम िै क़लम की और र्ो कु छ हलखतें िैं! आप अपने रब
के फ़ज़ल से मर्नून निीं िैं। और आपके हलये तो बेइन्तिा
अज्र िै।” याहन ऐ नबी ‫ ﷺ‬आप मिज़ून और ग़मग़ीन ना
िों। आप इनके किने से (मआज़ अल्लाि) मर्नून तो निीं
िो र्ायेंगे। ऐसे अल्फ़ाज़ र्ब दकसी को किे र्ाते िैं तो
उसका िी ददल र्ानता िै दक उस पर क्या गुज़रती िै।
अंदाज़ा लगाइये दक क़ु रैशे मक्का से इस दक़स्म के अल्फ़ाज़
सुन कर क़ल्बे मुिम्मदी ‫ ﷺ‬पर क्या कै दफ़यत तारी िोती
िोगी। यि क़ु रआन िम पर reveal निीं िो सकता र्ब तक
उन अिसासात व कै दफ़यात के साथ िम ख़ुद दो-चार ना
िों। र्ब तक दक िमारी कै दफ़यात व अिसासात उसके साथ
[159] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

ममास्लत (समानता) ना रखें िम कै से समझेंगे दक क्या किा


र्ा रिा िै और दकस कै दफ़यत के अन्दर किा र्ा रिा िै।
मेहडकल कॉलेर् में दाहखल िोने वाले तलबा
(students) सबसे पिले हर्स दकताब से मुतारफ़
(indtroduced) िोते िैं वि “Manual of Dissection”
िै। उसमें हिदायात िोती िैं दक लाश के बदन पर यिााँ
शग़ाफ़ (चीर) लगाओ और खाल िटाओ तो तुम्िें यि चीज़
नज़र आयेगी, यिााँ शग़ाफ़ लगाओ तो तुम्िें फ़लााँ शय नज़र
आयेगी, इसे यिााँ से िटाओगे तो तुम्िें इसके पीछे फ़लााँ चीज़
छु पी हुई नज़र आयेगी। इस ऐतबार से क़ु रआन िकीम
“Manual of Revolution” िै। र्ब तक कोई शख़्स
इन्क़लाबी र्द्दोर्िद में शरीक निीं िोगा क़ु रआन िकीम के
मआरफ़ (Teachings) का बहुत बड़ा ख़र्ाना उसके हलये
बंद रिेगा। एक शख़्स फ़क़ीि िै, मुफ़्ती िै तो वि दफ़क़्िी
अिकाम को ज़रूर उसके अंदर से हनकाल लेगा। आपको
मालूम िोगा दक बाज़ तफ़ासीर “अिकामुल क़ु रान” के नाम
से हलखी गई िैं हर्नमें हसफ़ु उन्िीं आयात के बारे में गुफ़्तगू
और बिस िै हर्नसे कोई ना कोई दफ़क़्िी हुक्म मुस्तनबत
(derived) िोता िै। मसलन िलत (हसद्धान्त) व हुरमत का
हुक्म, दकसी शय के फ़ज़ु िोने का हुक्म हर्ससे अमल का
मामला मुताहल्लक़ िै। बाकी तो गोया क़सस (दक़स्से) िैं,
तारीखी िक़ाइक़ व वाक़्यात िैं। यिााँ तक दक दक़स्सा आदम
व इब्लीस र्ो सात मतुबा क़ु रआन में आया िै, या ईमानी
िक़ाइक़ के हलये र्ो दलीलें व बरािीन (arguments) िैं
उनसे कोई गुफ़्तगू निीं की गई, बहल्क हसफ़ु अिकामुल
[160] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

क़ु रआन र्ो क़ु रान का एक हिस्सा िै, उसी को अिहमयत दी


गई िै।
क़ु रआन के तदरीर्न नुज़ूल का सबब यि िै दक साहिबे
क़ु रआन ‫ ﷺ‬की र्द्दोर्िद के मुख़्तहलफ़ मराहिल को
समझा र्ाये, वरना दफ़क़्िी अिकाम तो मुरत्तब करके ददये
र्ा सकते थे, र्ैसा दक िज़रत मूसा अलै० को दे ददये गए थे
“अिकामे अशरा” तहख़्तयों पर कन्दि (खुदे हुए) थे र्ो मूसा
अलै० के सुपुदु कर ददये गये। लेदकन मुिम्मि रसूल अल्लाि
‫ ﷺ‬की इन्क़लाबी र्द्दोर्िद हर्स-हर्स मरिले से
गुज़रती रिी क़ु रआन में उस मरिले से मुताहल्लक़ आयतें
नाहज़ल िोती रिीं। तंज़ील की तरतीब के अंदर मुज़मर
असल हिकमत यिी तो िै दक आाँहुज़ूर ‫ ﷺ‬की र्द्दोर्िद,
िरकत और दावत के मुख़्तहलफ़ मरिले सामने आ र्ाते िैं।
अब भी क़ु रआन की बुहनयाद पर और मन्िर्े इन्क़लाबे
नबवी ‫ ﷺ‬पर र्ो र्द्दोर्िद िोगी उसे इन तमाम मरिलों
से िोकर गुज़रना िोगा। चुनााँचे कम से कम यि तो िो दक
इस र्द्दोर्िद को इल्मी तौर पर फ़िम के हलये इं सान सामने
रखे। अगर इल्मी ऐतबार से सीरतुन्नबी ‫ ﷺ‬का ख़ाका
ज़िन में मौर्ूद ना िो तो फ़िम दकसी दर्े में भी िाहसल
निीं िोगा। फ़िमे िक़ीक़ी तो उसी वक़्त िाहसल िोगा र्ब
आप ख़ुद इस र्द्दोर्िद में लगे हुए िैं और विी मसाईल
आपको पेश आ रिे िैं तो अब मालूम िोगा दक यि मक़ाम
और मरिला या मसला वि था हर्सके हलये यि हिदायते
क़ु रआनी आई थी।
[161] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

8) क़ु रान के मुनज़्ज़ल हमनल्लाि िोने का सुबत



इस हज़मन में यि र्ानना भी ज़रूरी िै दक क़ु रआन के
मुनज़्ज़ल हमनल्लाि िोने का सुबूत क्या िै। याद रहखये दक
सुबूत दो दक़स्म के िोते िैं, ख़ारर्ी और दाहख़ली। ख़ारर्ी
सुबूत ख़ुद मुिम्मद रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬का यि फ़रमाना िै
दक यि कलाम मुझ पर नाहज़ल हुआ। दर्र आप ‫ ﷺ‬की
शिादत भी दो िैहसयतों से िै। आप ‫ ﷺ‬की शख़्सन
शिादत ज़्यादा नुमाया उस वक़्त थी र्बदक क़ु रान नाहज़ल
हुआ और हुज़ूर ‫ ﷺ‬ख़ुद मौर्ूद थे। वि लोग भी विााँ
मौर्ूद थे हर्न्िोंने आप ‫ ﷺ‬की चालीस साला हज़न्दगी
का मुशािदा दकया था, हर्न्िें कारोबारी शहख़्सयत की
िैहसयत से आप ‫ ﷺ‬के मामलात का तर्ुबाु था। हर्नके
सामने आप ‫ ﷺ‬की सदाक़त, दयानत, अमानत और इफ़ा-
ए-अिद का पूरा नक्शा मौर्ूद था। बहल्क उससे आगे बढ़
कर हर्नके सामने चेिरा-ए-मुिम्मदी ‫ ﷺ‬मौर्ूद था।
सलीमुल दफ़तरत इं सान आपका रुए अनवर देख कर पुकार
َّ َ َ ٰ ُ
उठता था: ‫ِب ْج ِه کذاب‬ َ ِ ‫ان ّٰللاِ َماھذا‬ َ َ ‫( بُس‬अल्लाि पाक िै, यि
चेिरा दकसी झूठे का िो िी निीं सकता)। तो हुज़ूर ‫ﷺ‬
की शहख़्सयत, आप ‫ ﷺ‬की ज़ात और आप ‫ ﷺ‬की
शिादत दक यि क़ु रआन मुझ पर नाहज़ल हुआ, सबसे बड़ा
सुबूत था।
इस ऐतबार से याद रहखये दक मुिम्मि रसूल अल्लाि
‫ ﷺ‬और क़ु रआन बािम एक दुसरे के शाहिद (गवाि) िैं।
क़ु रआन मुिम्मि ‫ ﷺ‬की ररसालत पर गवािी देता िै:
ْ َ َ َّ ْ ْٰ ُ ْ َ
َ ْ ‫ال ُم ْر َسل‬ ْ َ ۗ ‫} ٰي‬
{‫ۙ۝‬Ǽ ‫ْي‬ ِ ‫ن‬َ ‫ك ل ِم‬ ‫ۙ۝ اِن‬Ą ‫ن اْلكِي‬ ِ ‫ا‬ ‫ۙ۝ والقر‬Ǻ ‫س‬
ِ
[162] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

क़ु रआन गवािी दे रिा िै दक आप ‫ ﷺ‬अल्लाि के रसूल िैं


और क़ु रान के मुनज़्ज़ल हमनल्लाि िोने का सुबूत ज़ाते
मुिम्मदी ‫ ﷺ‬िै। इसका एक पिलु तो वि िै दक नुज़ूले
क़ु रआन के वक़्त रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬की ज़ात, आप ‫ﷺ‬
की शहख़्सयत, आप ‫ ﷺ‬की सीरत व दकरदार, आप ‫ﷺ‬
का अख्लाक़, आप ‫ ﷺ‬का वर्ूद, आप ‫ ﷺ‬की शबीिा
(छहव) और चेिरा सामने था। दूसरा पिलु र्ो दायमी िै
और आर् भी िै वि हुज़ूर ‫ ﷺ‬का वि कारनामा िै र्ो
तारीख़ की अनहमट शिादत िै। आप एच० हर्० वेल्ज़,
एम० एन० राय या डॉक्टर माइकल िाटु से पूहछये दक वि
दकतना अज़ीम कारनामा िै र्ो मुिम्मद रसूल अल्लाि
‫ ﷺ‬ने सरअंर्ाम ददया। और आप ‫ ﷺ‬ख़ुद कि रिे िैं
दक मेरा आला इं क़लाब क़ु रआन िै, यिी मेरा अस्लिा और
असल ताक़त िै, यिी मेरी क़ु व्वत का सरचश्मा और मेरी
तासीर का हमन्बा िै। इससे बड़ी गवािी और क्या िोगी?
यि तो क़ु रआन के मुनज़्ज़ल हमनल्लाि िोने की ख़ारर्ी
शिादत िै। याहन “हुज़ूर ‫ ﷺ‬की शहख़्सयत।” शिादत का
यि पिलु हुर्ूर ‫ ﷺ‬के अपने ज़माने में और आप ‫ ﷺ‬की
ियाते दुनयवी के दौरान ज़्यादा नुमाया था। और र्िााँ तक
आप ‫ ﷺ‬के कारनामे का ताल्लुक़ िै इस पर तो अक़्ल दंग
रि र्ाती िै। देहखये माइकल िाटु मुिम्मद रसूल अल्लाि
‫ ﷺ‬के बारे में यि किने पर मर्बूर हुआ िै:
“He was the only man in history who
has supremely successful on both
the religious and secular levels.”
[163] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

याहन तारीखे इं सानी में हसफ़ु विी वाहिद


शख़्स िैं र्ो सेक्युलर और मज़िबी दोनों
मैदानों में इन्तिाई कामयाब रिे---
और आप ‫ ﷺ‬का यि इशाुद िै दक यि अल्लाि का
कलाम िै। तो ख़ारर्ी सुबूत गोया बतमाम व कमाल िाहसल
िो गया।
क़ु रान के मुनज़्ज़ल हमनल्लाि िोने का दाहख़ली सुबूत
यि िै दक इं सान का ददल गवािी दे। दाहख़ली सुबूत इं सान
का अपना बाहतनी तर्ुबाु िोता िै। अगर िज़ार आदमी किें
चीनी मीठी िै मगर आपने ना चखी िो तो आप किेंगे दक
र्ब इतने लोग कि रिे िैं मीठी िै तो िोगी मीठी। ज़ाहिर
िै एक िज़ार आदमी मुझे क्यों धोखा देना चािेंगे, यक़ीनन
मीठी िोगी। लेदकन “िोगी” से आगे बात निीं बढ़ती।
अलबत्ता र्ब इं सान चीनी को चख ले और उसकी अपनी
हिसे ज़ायका (sense of taste) बता रिी िो दक यि मीठी
िै तो अब “िोगी” निीं बहल्क “िै”। “िोगी” और “िै” मे
दरिक़ीक़त इं सान के ज़ाती तर्ुबे का फ़क़ु िै। अफ़सोस यि
िै दक आर् की दुहनया हसफ़ु ख़ारर्ी तर्ुबों को र्ानती िै।
एक तर्ुबाु इससे किीं ज़्यादा मुअत्बर िै और वि बातनी
तर्ुबाु िै, याहन दकसी शय पर आपका ददल गवािी दे।
इक़बाल ने क्या ख़ूब किा िै:
तू अरब िो या अर्म िो तेरा ला इलािा इल्ला
लुग़ते ग़रीब, र्ब तक तेरा ददल ना दे गवािी!
ला इलािा इल्लल्लाि के हलये अगर ददल ने गवािी ना
दी तो इं सान ख़्वाि अरबी नस्ल िो, अरबी ज़बान र्ानता
िो, लेदकन उसके हलये यि कलमा लुग़ते ग़रीब िी िै,
[164] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

नामानूस सी बात िै, उसके अंदर पेवस्त निीं िै, उसको


मुताहस्सर निीं करती। क़ु रआन इं सान की अपनी दफ़तरत
को अपील करता िै और इं सान को अपने मन में झााँकने के
हलये आमादा करता िै। वि किता िै अपने मन में झााँको,
देखो तो सिी, ग़ौर तो करो
“क्या तुम्िें अल्लाि के बारे में शक َ ٌّ َ ‫ه‬ َ
िै र्ो आसमानों और र्मीन का ‫ط ِر‬ِ ‫ا ِِف ّٰللاِ شك فا‬
पैदा करने वाला िै?” َ ْ
ِ ‫ت َواْل ْر‬
ۭ‫ض‬ ِ ‫الس ٰم ٰو‬
َّ
(इब्रािीम:10)
“क्या तुम वादक़अतन यि गवािी َّ َ ‫ن ا‬ ُ
َ ‫ُك لَ َت ْش َه ُد ْو‬
ْ ‫اَى َّن‬
देते िो दक अल्लाि के साथ कोई ‫ن‬ ِٕ
और माबूद भी िै?” (अल् ُْ ً َ ٰ ‫َ َ ه‬
ۭ ‫مع ّٰللاِ الِهة اخ ٰري‬
अनाम:19)
देखना तक़रीर की लज़्ज़त दक र्ो उसने किा
मैंने यि र्ाना दक गोया यि िी मेरे ददल में िै!
अल्लामा इब्ने क़हय्यम (रहि०) ने इसकी बड़ी ख़ूबसूरत
ताबीर की िै। वि किते िैं दक बहुत से लोग ऐसे िैं दक र्ब
क़ु रआन पढ़ते िैं तो यूाँ मिसूस करते िैं दक वि मुस्िफ़ से निीं
पढ़ रिे बहल्क क़ु रआन उनके लौिे क़ल्ब पर हलखा हुआ िै,
विााँ से पढ़ रिे िैं। गोया दफ़तरते इं सानी को क़ु रआन मर्ीद
के साथ इतनी िम-आिंगी (एकता) िो र्ाती िै।
िमारे दौर के एक सूफ़ी बुज़ुगु किा करते िैं दक रूिे
इं सानी और क़ु रआन िकीम एक िी गााँव के रिने वाले िैं।
र्ैसे एक गााँव के रिने वाले एक दूसरे को पिचानते िैं और
बािम इहन्सयत (attached together) मिसूस करते िैं
ऐसा िी मामला रूिे इं सानी और क़ु रआन िकीम का िै।
[165] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

क़ु रआन को पढ़ कर और सुन कर रूिे इं सानी मिसूस करती


िै दक इसका हमन्बा और सरचश्मा विी िै र्ो मेरा िै। र्िााँ
से मैं आई हूाँ यि कलाम भी विीं से आया िै। यक़ीनन इस
कलाम का हमन्बा और सरचश्मा विी िै र्ो मेरे वर्ूद, मेरी
िस्ती और मेरी रूि का हमन्बा और सरचशमा िै। यि िम-
आिंगी (एकता) िै र्ो असल बाहतनी तर्ुबाु बन र्ाये तब
िी यक़ीन िोता िै दक यि कलाम वादक़अतन अल्लाि का
िै।

❀❀❀
[166] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

बाब िफ़्तम (सातवााँ)

एर्ाज़े क़ु रआन के अिम और बुहनयादी


वर्ूि (वर्िें)

क़ु रान और साहिबे क़ु रान ‫ ﷺ‬का बािमी ताल्लुक़


मैं अज़ु कर चुका हूाँ दक क़ु रआन मर्ीद और नबी अकरम
‫ ﷺ‬दोनों एक-दूसरे के शाहिद िैं। क़ु रआन के मुनज़्ज़ल
हमनल्लाि िोने की सबसे बड़ी और सबसे मौअतबर
(trusted) ख़ारर्ी गवािी नबी अकरम ‫ ﷺ‬की अपनी
गवािी िै। आप ‫ ﷺ‬की शहख़्सयत, आप ‫ ﷺ‬का
दकरदार, आप ‫ ﷺ‬का चेिरा-ए-अनवर अपनी-अपनी
र्गि पर गवाि िैं। िमारे हलये अग़रचे आप ‫ ﷺ‬की
सीरत आर् भी हज़न्दा व पाइन्दा िै, दकताबों में दर्ु िै,
लेदकन एक मुर्स्सम इं सानी शहख़्सयत की सूरत में आप
‫ ﷺ‬िमारे सामने मौर्ूद निीं िैं, िम आप ‫ ﷺ‬के रूए
अनवर की हज़यारत से मिरूम िैं। तािम आप ‫ ﷺ‬का
कारनामा हज़न्दा व ताबन्द िै और इसकी गवािी िर शख़्स
दे रिा िै। िर मौर्रुख (इहतिासकार) ने तस्लीम दकया िै,
िर मुफ़दक्कर (Thinker) ने माना िै दक तारीखे इं सानी का
अज़ीम-तरीन इन्क़लाब वि था र्ो हुज़ूर ‫ ﷺ‬ने बरपा
दकया। आप ‫ ﷺ‬की यि अज़मत आर् भी मुबरिन (स्पि)
िै, अशकारा (openly) िै, अज़िर हमनश्शम्श (express
evident) िै। चुनााँचे क़ु रआन के मुनज्ज़ल हमनल्लाि और
कलामे इलािी िोने पर सबसे बड़ी ख़ारर्ी गवािी ख़ुद नबी
[167] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

अकरम ‫ ﷺ‬िैं, और नबी अकरम ‫ ﷺ‬के नबी और रसूल


िोने का सबसे बड़ा गवाि, सबसे बड़ा शाहिद और सबसे
बड़ा सुबूत ख़ुद क़ु रआन मर्ीद िै।
इस ऐतबार से यि दोनों हर्स तरि लाहज़म व मलज़ूम
िैं इसके हलये मैं क़ु रआन िकीम के दो मक़ामात से
इस्तशिाद (शपथपत्र) कर रिा हूाँ। सूरि अल् बहय्यना
(आयत:1) में फ़रमाया:
“अिले दकताब में से हर्न लोगों َ َ َ ْ َّ ُ َ ْ َ
ने कु फ़्र दकया और मुशररक बाज़ ‫ْي كف ُر ْوا‬ ‫ذ‬
ِ ‫ن ال‬ ِ ‫ل يك‬
आने वाले ना थे यिााँ तक दक ٰ ْ َْ ْ
उनके पास “बहय्यना” आ र्ाती।”
‫ب‬ِ ‫ل الكِت‬ ِ ‫ِِم ا‬
‫ه‬
َ ْ ‫ِْي ُم ْن َفك‬ ْ َ
َ ْ ‫ال ُم َْشك‬
‫ِْي‬ ِ ‫و‬
ُ َ ْ ُ ُ َ َْ ‫َ ه‬
‫م ال َب ِينة‬ ‫ّتَح ت ِتْي‬
ّ
“‫ ”بینۃ‬खुली और रोशन दलील को किते िैं। ऐसी रोशन
िक़ीक़त हर्सको दकसी ख़ारर्ी दलील की मज़ीद िार्त ना
ّ
िो वि “‫ ”بینۃ‬िै। र्ैसे िम अपनी गुफ़्तगू में किते िैं दक यि
बात हबल्कु ल बहय्यन िै, हबल्कु ल वाज़ेि िै, इस पर दकसी
क़ील व क़ाल की िार्त िी निीं िै। बहल्क अगर बहय्यना
पर कोई दलील लाने की कोहशश की र्ाये तो दकसी दर्े में
शक व शुबि तो पैदा दकया र्ा सकता िै, उस पर यक़ीन में
इज़ाफ़ा निीं दकया र्ा सकता। और यि ‫ بینۃ‬क्या िै?
ّ
फ़रमाया:
[168] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

“एक रसूल अल्लाि की र्ाहनब से ْ‫ّٰللاِ ي َ ْتلُوا‬


‫َ ه‬ ٌ
र्ो पाक सिीफ़े पढ़ कर सुनाता ‫َر ُس ْول ِم‬
ِ
िै, हर्नमें हबल्कु ल रास्त (सच) َ ً َّ ُّ ً ُ ُ
‫ۙ۝ ِف ْْيا‬Ą ‫ُصفا م َطه َرة‬
और दुरुस्त तिरीरें हलखी हुई
िों।” (आयत:2-3)
ٌ َ ُ
‫ۙ۝‬Ǽۭ ‫ب ق ِي َمة‬ ٌ ‫ك ُت‬

यिााँ क़ु रान िकीम की सूरतों को अल्लाि की दकताबों से


ताबीर दकया गया िै, र्ो क़ायम व दायम िैं और िमेशा-
िमेश रिने वाली िैं। तो गोया रसूल ‫ ﷺ‬की शहख़्सयत
और अल्लाि का यि कलाम र्ो उन पर नाहज़ल हुआ, दोनों
हमलकर “‫ ”بینۃ‬बनते िैं।
ّ
मैंने क़ु रान फ़िमी का यि उसूल बारिा (बार-बार) अज़ु
दकया िै दक क़ु रआन मर्ीद में अिम मज़ामीन (articles)
कम से कम दो र्गि ज़रूर आते िैं। चुनााँचे इसकी नज़ीर
(उदािरण) सूरि अत् तलाक़ में मौर्ूद िै। इसकी आयत 10
इन अल्फ़ाज़ पर ख़त्म िोती िै:
“अल्लाि ने तुम्िारी तरफ़ एक ُ ُ ‫َ ْ َْ َ َ ه‬
ْ ‫ّٰللا اِلَ ْي‬
हज़क्र नाहज़ल कर ददया िै।” ‫ُك‬ ‫قد اْنل‬
ْ
‫ ۙ۝‬10 ‫ذك ًرا‬ِ

और यि हज़क्र क्या िै? फ़रमाया:


“एक ऐसा रसूल र्ो तुम्िें पढ़ कर ُ
ْ ‫َّر ُس ْو ًْل ي َّ ْتل ُ ْوا عَل َ ْي‬
सुना रिा िै अल्लाि की आयात
‫ُك‬
र्ो िर शय को रोशन कर देने ٰ ُ ‫ه‬ ٰ ٰ
‫م َب ِينت‬ ِ‫ّٰللا‬ ‫ت‬
ِ ‫اي‬
वाली (और िर िक़ीक़त को
मुबरिन [स्पि] कर देने वाली)
[169] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

िैं, तादक ईमान लाने वालों और ُ َ ٰ َ ْ َّ َ ْ ُ


नेक अमल करने वालों को ‫ْي امن ْوا‬ ‫ذ‬
ِ ‫ل ِيخ ِرج ال‬
तारीदकयों (अंधेरों) से हनकाल َ ٰ ‫ه‬ ُ َ َ
‫ت ِِم‬ ِ ‫َعلوا الص ِلح‬ ِ ‫و‬
कर रोशनी में ले आये।”
ُّ َ ُ ُّ
ۭ ‫ت اَِل الن ْو ِر‬
ِ ‫الظل ٰم‬
ٰ ٰٰ ٰ ُ ٰٰ
यिााँ “‫ ”ایت َب ِّينت‬के बर्ाये “‫ ”ایت ّم َب ِّينت‬आया िै।
“बहय्यन” वि चीज़ िै र्ो ख़ुद रोशन िै और “मुबहय्यन” वि
चीज़ िै र्ो दूसरी चीज़ों को रोशन करती िै, िक़ाइक़ को
उज़ागर करती िै। तो यिााँ पर हज़क्र की र्ो तावील की गई
ٰ
दक {‫ت ّٰللا ِ ُم َب ِّينت‬
ٰٰ ُ ََ ُ ْ َّ ً
ْ ‫ } َّر ُس ْوْل یتل ْوا عل ْي‬इससे वाज़ेि हुआ
ِ ‫ُك ای‬
दक क़ु रआन और मुिम्मद रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬एक-दूसरे के
साथ इस तरि र्ुड़े हुए और हमले हुए िैं दक एक ियातयाती
वर्ूद (Organic Whole) बन गये िैं। यि एक-दूसरे के
हलये शाहिद भी िैं और एक-दूसरे के हलये
complimentary भी िैं। इस िवाले से यि दोनों िक़ीक़ते
इस तरि र्मा िैं दक एक-दूसरे से र्ुदा निीं की र्ा सकतीं।

मुिम्मि रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬का असल मोअज्ज़ि


(चमत्कार): क़ु रान िकीम
अगली बात यि समहझये दक नबी अकरम ‫ ﷺ‬की
ररसालत का असल सबूत या बा अल्फ़ाज़े दीगर आप ‫ﷺ‬
का असल मोअज्ज़ि (चमत्कार), बहल्क वाहिद मोअज्ज़ि
क़ु रआन िकीम िै। यि बात ज़रा अच्छी तरि समझ
लीहर्ये। “मोअज्ज़ि” का लफ्ज़ िमारे यिााँ बहुत आम िो
[170] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

गया िै और िर ख़क़े आदत शय को मोअज्ज़ि शुमार दकया


र्ाता िै। मोअज्ज़ि के लफ़्ज़ी मायने आहर्ज़ कर देने वाली
शय के िैं। क़ु रआन मर्ीद में “‫ ”َعز‬माद्दे से बहुत से अल्फ़ाज़
आते िैं, लेदकन िमारे यिााँ इस्तलाि के तौर पर इस लफ्ज़
का र्ो इत्लाक़ दकया र्ाता िै वि क़ु रआन िकीम में
मुस्तहमल निीं िै, बहल्क अल्लाि के रसूलों को र्ो
मोअज्ज़ात ददये गये उन्िें भी आयतें किा गया िै। अहम्बया
व रुसुल अल्लाि तआला की आयात याहन अल्लाि की
हनशाहनयााँ लेकर आये।
इस ऐतबार से मोअज्ज़ि का लफ़्ज़ हर्स मायने में िम
इस्तेमाल करते िैं, उस मायने में यि क़ु रआन मर्ीद में
मुस्तहमल निीं िै। अलबत्ता वि तबीई क़वानीन (Physical
Laws) हर्नके मुताहबक़ यि दुहनया चल रिी िै, अगर
दकसी मौक़े पर वि टूट र्ायें और उनके टूट र्ाने से अल्लाि
तआला की कोई महशयते ख़ुसूसी (special will) ज़ाहिर िो
तो उसे ख़क़े आदत किते िैं। मसलन क़ानून तो यि िै दक
पानी अपनी सति िमवार रखता िै, लेदकन िज़रत मूसा
अलै० ने अपने असा (लाठी) की ज़बु (चोट) लगाई और
समुन्दर र्ट गया, यि ख़के आदत िै, याहन र्ो आदी क़ानून
िै वि टूट गया। “ख़क़ु ” र्ट र्ाने को किते िैं, र्ैसे सूरि अल्
َ َ
किफ़ में यि लफ्ज़ आया िै “‫ ”خ َرق َها‬याहन उस अल्लाि के
बन्दे ने र्ो िज़रत मूसा अलै० के साथ कश्ती में सवार थे,
कश्ती में शग़ाफ़ (दरार) डाल ददया। पस (बस) र्ब भी कोई
तबीई क़ानून टूटेगा तो वि ख़क़े आदत िोगा। अल्लाि
तआला इन ख़क़े आदत वाक़्यात के ज़ररये से बहुत से
क़वानीने क़ु दरत को तोड़ कर अपनी ख़ुसूसी महशयत और
[171] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

ख़ुसूसी क़ु दरत का इज़िार फ़रमाता िै। और यि बात िमारे


िााँ मुसल्लम िै दक इस ऐतबार से अल्लाि तआला का
मामला हसफ़ु अहम्बया के साथ मख़्सूस निीं िै, बहल्क
अल्लाि तआला अपने नेक बंदों में से भी हर्नके साथ ऐसा
मामला करना चािें करता िै, लेदकन इस्तलािन िम उन्िें
करामात किते िैं। ख़क़े आदत या करामात अपनी र्गि पर
एक मुस्तदक़ल मज़मून िै।
मोअज्ज़ि भी ख़क़े आदत िोता िै, लेदकन रसूल का
मोअज्ज़ि वि िोता िै र्ो दावे के साथ पेश दकया र्ाये और
हर्समें तिदी (challenge) भी मौर्ूद िो। याहन हर्से
रसूल ख़ुद अपनी ररसालत के सुबूत के तौर पर पेश करे और
दर्र उसमें मुक़ाबले का चैंलेर् ददया र्ाये। र्ैसे िज़रत मूसा
अलै० को अल्लाि तआला ने र्ो मोअज्ज़ात अता दकये उनमें
“‫ ”بيضا ی ِد‬और “‫ ”عصا‬की िैहसयत असल मोअज्ज़ेि की थी।
वैसे आयतें और भी दी गई थीं र्ैसा दक सूरि बनी इस्राईल
में िै:
“और बेशक िमने मूसा को नूर َ ٰ ُ َ ْ َ ٰ ْ ََ
रोशन हनशाहनयााँ दीं।” ‫َولقد اتينا م ْوٰس ت ِْسع‬
(आयत:101) ٰ َ ٰ ٰ
‫ت ب ِينت‬
ٍۢ ‫اي‬

मगर यि उस वक़्त की बात िै र्ब आप अलै० अभी हमस्र


के अंदर थे। र्ब आप अलै० हमस्र से बािर हनकले तो असा
की करामात ज़ाहिर हुईं दक उसकी ज़बु से समुन्दर र्ट गया,
उसकी ज़बु से चट्टान से बारि चश्में र्ू ट पड़े। यि तमाम
चीज़ें ख़क़े आदत िैं, लेदकन असल मोअज्ज़ेि दो थे हर्नको
[172] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

िज़रत मूसा अलै० ने दावे के साथ पेश दकया दक यि मेरी


ररसालत का सुबूत िै।
र्ब आप अलै० दर्रऔन के दरबार में पहुाँचें और आपने
अपनी ररसालत की दावत पेश की तो दलीले ररसालत के
ٌ ‫ْی ُسل َط‬
ٌ ‫} ّمب‬ ْ ْ ُ
तौर पर फ़रमाया दक मैं इसके हलये सनद {‫ان‬ ِ
भी लेकर आया हूाँ। दर्रऔन ने किा दक लाओ पेश करो तो
आप अलै० ने यि दो मोअज्ज़ेि पेश दकये। यि दो मोअज्ज़ेि
र्ो अल्लाि की तरफ़ से आप अलै० को अता दकये गये, आप
अलै० की ररसालत की सनद थे। इसमें तिदी भी थी।
हलिाज़ा मुक़ाबला भी हुआ और र्ादूगरों ने पिचान भी
हलया दक यि र्ादू निीं िै, मोअज्ज़ि िै। मोअज्ज़ि हर्स
मैदान का िोता िै उसे उसी मैदान के अफ़राद िी पिचान
सकते िैं। र्ब र्ादूगरों का िज़रत मूसा अलै० से मुक़ाबला
हुआ तो आम देखने वालों ने तो यिी समझा िोगा दक यि
बड़ा र्ादूगर िै और यि छोटे र्ादूगर िैं, इसका र्ादू ज़्यादा
ताक़तवर हनकला, इसके असा ने भी सााँप और अस्दिा की
शक़्ल इहख़्तयार की थी और इन र्ादूगरों की रहस्सयों और
छहड़यों ने भी सााँपों की शक़्ल इहख़्तयार कर ली थी,
अलबत्ता यि ज़रूर िै दक इसका बड़ा सााँप बाक़ी तमाम
सााँपों को हनगल गया। यिी वर्ि िै दक मर्मा ईमान निीं
लाया, लेदकन र्ादूगर तो र्ानते थे दक उनके फ़न की रसाई
किााँ तक िै, इसहलये उन पर यि िक़ीक़त मुन्कहशफ़ (प्रकट)
िो गई दक यि र्ादू निीं िै, कु छ और िै।
इसी तरि क़ु रान िकीम के मोअज्ज़ि िोने का असल
अिसास अरब के शायर, ख़तीबों और ज़बान दानों को हुआ
था। आम आदी ने भी अगरचे मिसूस दकया दक यि ख़ास
[173] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

कलाम िै, बहुत पुरतासीर और मीठा कलाम िै, लेदकन


इसका मोअज्ज़ि िोना याहन आहर्ज़ कर देने वाला मामला
तो इसी तरि साहबत हुआ दक क़ु रआन मर्ीद में बार-बार
चैलेंज़ ददया गया दक इस र्ैसा कलाम पेश करो। इस ऐतबार
से र्ान लीहर्ये दक रसूल ‫ ﷺ‬का असल मोअज्ज़ि
क़ु रआन िै।
आप ‫ ﷺ‬के ख़क़े आदत मोअज्ज़ात तो बेशुमार िैं।
शक़्क़ क़मर (चााँद के दो टुकड़े) क़ु रआन िकीम से साहबत िै,
लेदकन यि आप ‫ ﷺ‬ने दावे के साथ निीं ददखाया, ना िी
इस पर दकसी को चैलेंर् दकया, बहल्क आप ‫ ﷺ‬से
मुतालबे (मााँग) दकये गये थे दक आप ‫ ﷺ‬यि-यि करके
ददखाइये, उनमें से कोई बात अल्लाि तआला के यिााँ मन्ज़ूर
निीं हुई। अल्लाि चािता तो उनका मुतालबा (मााँग) पूरा
करा देता, लेदकन उन मुतालबों को तस्लीम निीं दकया
गया। अलबत्ता ख़क़े आदत वाक़्यात बेशुमार िैं। र्ानवरों
का भी आप ‫ ﷺ‬की बात को समझना और आप ‫ ﷺ‬से
अक़ीदत का इज़िार करना बहुत मशहूर िै। िज्जतुल हवदाि
के मौक़े पर 63 ऊाँटों को हुज़ूर ‫ ﷺ‬ने ख़ुद अपने िाथों से
निर (हज़बि) दकया था। क़तार में सौ ऊाँट खड़े दकये गये थे।
ररवायात में आता िै दक एक ऊाँट र्ब हगरता था तो अगला
ख़ुद आगे आ र्ाता था। इसी तरि “सतूने िनाना” का
मामला हुआ। हुज़ूर ‫ ﷺ‬महस्र्द नबवी ‫ ﷺ‬में खर्ूर के
एक तने का सिारा लेकर ख़ुत्बा इशाुद फ़रमाया करते थे,
मग़र र्ब इस मक़सद के हलये हमम्बर बना ददया गया और
आप ‫ ﷺ‬पिली मतुबा हमम्बर पर खड़े िोकर ख़ुत्बा देने
लगे तो उस सूखे हुए तने में से ऐसी आवाज़ आई र्ैसे कोई
[174] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

बच्चा हबलख़-हबलख़ कर रो रिा िो, इसी हलये तो उसे


“िनाना” किते िैं। ऐसे िी कई मौकों पर थोड़ा खाना बहुत
से लोगों को दकफ़ायत कर गया।
इन ख़क़े आदत वाक़यात को बाज़ अक़हलयत पसंद
(Rationalists) और साइं सी हमज़ार् के िाहमल लोग
तस्लीम निीं करते। हपछले ज़माने में भी लोग इनका इन्कार
करते थे। इस पर मौलाना रूम ने ख़ूब फ़रमाया िै दक:
फ़ल्सफ़ी को मुन्कर िनाना अस्त
अज़ िवासे अहम्बया बेगाना अस्त!
बिरिाल ख़क़े आदत वाक़्यात हुज़ूर ‫ ﷺ‬की ियाते
तैय्यबा में बहुत िैं। (तफ़्सील देखना िो तो “सूरतुन नबी
‫ ”ﷺ‬अज़ मौलाना हशबली की एक ज़ख़ीम हर्ल्द हसफ़ु
हुज़ूर ‫ ﷺ‬के ख़क़े आदत वाक़्यात पर मुश्तहमल िै) लेदकन
र्ैसा दक ऊपर ग़ुज़रा, मोअज्ज़ि दावे के साथ और ररसालत
के सुबूत के तौर पर िोता िै।
क़ु रान मर्ीद में इसकी दूसरी हमसाल िज़रत ईसा
अलै० की आई िै दक आप अलै० लोगों से फ़रमाते िैं दक
देखो मैं मुदों को हज़न्दा करके ददखा रिा हूाँ। मैं गारे से पररन्दे
की सूरत बनाता हूाँ और उसमें र्ूाँ क मारता हूाँ तो वि अल्लाि
के हुक्म से उड़ता हुआ पररन्दा बन र्ाता िै। ख़क़े आदत का
मामला तो ग़ैर नबी के हलये भी िो सकता िै। अल्लाि
तआला अपने नेक बन्दों के हलये भी इस तरि के िालात
पैदा कर सकता िै। उनका अल्लाि के यिााँ र्ो मक़ाम व
मतुबा िै उसके इज़िार के हलये करामात का ज़हूर िो सकता
िै। यि चीज़ें बईद (असम्भव) निीं िैं, लेदकन अहम्बया की
करामात को अफ़े आम (आम तौर) में “मोअज्ज़ात” किा
[175] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

र्ाता िै और ग़ैर अहम्बया और औहलया के हलये “करामात”


का लफ़्ज़ इस्तेमाल िोता िै। लेदकन मोअज्ज़ि वि िै हर्से
अल्लाि का रसूल दावे के साथ पेश करके और चैलेंर् करे।
यि बात दक क़ु रान मर्ीद िी हुज़ूर ‫ ﷺ‬का असल
मोअज्ज़ि िै, दो ऐतबारात से क़ु रआन में बयान की गई िै।
एक मुस्बत अंदाज़ िै, र्ैसे सूरि यासीन में इब्तदाई आयतों
में फ़रमाया:
“यासीन! क़सम िै क़ु रान िकीम ْٰ ُ ْ َ ۗ ٰ
की (और क़सम का असल फ़ायदा ‫ن‬ ِ ‫ۙ۝ والقر‬Ǻ ‫يس‬
‫ا‬
शिादत िोता िै, याहन गवाि िै َ َ َّ
َ‫ك ل ِمن‬ ْ َ
ْ
‫ۙ۝ ِان‬Ą ‫اْلكِي‬
यि क़ु रान िादकम) दक यक़ीनन ِ
(ऐ मुिम्मद ‫ )ﷺ‬आप अल्लाि َ ْ َ ُْ ْ
‫ۙ۝‬Ǽ ‫المرس ِلْي‬
के रसूल िैं।”
हख़ताब बज़ाहिर हुज़ूर ‫ ﷺ‬से िै, िालााँदक हुज़ूर ‫ ﷺ‬को
यि बताना मक़सूद निीं िै, बहल्क मुख़ाहतबीन याहन अिले
अरब और अिले मक्का को सुनाया र्ा रिा िै दक यि क़ु रआन
शाहिद िै, यि सुबूत िै, यि दलीले क़तई िै दक मुिम्मद
‫ ﷺ‬अल्लाि के रसूल िैं, यि क़ु रान पुकार-पुकार कर
मुिम्मद रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬की ररसालत का सुबूत पेश कर
रिा िै।
इसके अलावा क़ु रान िकीम के चार मक़ामत और िैं
हर्नमें यिी आयत मुक़द्दर िै, अग़रचे बयान निीं हुई। सूरि
सुआद का आग़ाज़ िोता िै:
[176] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

“सुआद, क़सम िै इस क़ु रान की ْٰ ُ ْ َ ۗ


र्ो नसीित (याद ददिानी) वाला ‫ذي‬ ِ ‫ن‬ِ ‫ص والقرا‬
िै। लेदकन वि लोग दक र्ो मुन्कर َ ْ ‫ۙ۝ بَل الَّذ‬Ǻۭ ‫الذ ْكر‬
‫ْي‬
िैं, घमण्ड और हज़द में पड़े हुए ِ ِ ِ ِ
िैं।” َ َّ ْ ْ ُ َ َ
‫ِف ِعزة َّو ِشقاق‬ ِ ‫كفروا‬

‫ۙ۝‬Ą

यिााँ “सुआद” एक िफ़ु िै, लेदकन इससे आयत निीं बनी,


र्बदक “यासीन” एक आयत िै। सूरि सुआद की पिली
ْ
आयत क़सम पर मुश्तहमल िै। “‫ ” َبل‬से र्ो दूसरी आयत शुरु
िो रिी िै यि साहबत कर रिी िै दक मुक़स्सम अलैि (हर्स
चीज़ पर क़सम खाई र्ा रिी िै) यिााँ मिज़ूफ़ िै और वि
ْ ْ َ َ َّ
َ ‫ }اِنك ل ِم َن ال ُم ْر َس ِل‬िै। गोया
{‫ْی‬ दक मायनन इसे यूाँ पढ़ा
र्ायेगा:
َ ْ ‫ال ُم ْر َسل‬ْ َ َ َّ ْ ْٰ ُ ْ َ ۗ
( ‫ۙ۝ )اِن‬Ǻۭ ِ ‫}ص والقر‬
َ َ ‫ك ل ِم‬
‫ل‬ِ ‫ب‬ ‫ْي‬ ِ ‫ن‬ ‫الذك ِر‬
ِ ‫ذي‬ ِ ‫ن‬ ‫ا‬
َ َ ْ َّ
ْ ُ ‫ك َف‬
.... {‫روا‬ ‫ذْي‬ِ ‫ال‬
इसी तरि सूरि क़ाफ़ में िै:
َ َْ َ ْ َ ْ َ َ َّ ْ ْٰ ُ ْ َ ۗ
ِ ‫ۙ۝ ) اِنك ل ِمن المرس ِلْي( بل‬Ǻ ‫د‬
‫َع ُب ْٓوا‬ ِ ‫}ق ڗوالقرا‬
ُْ َ ْ َ
ِ ‫ن الم ِجي‬
ُ ْ ْ ُّ ْ ُ َ ۗ َ ْ َ
{....‫ذ ٌر ِمَّن ْم‬ِ ‫ان جاءُه م‬
‫ن‬
ऐसी िी दो सूरतें अल् ज़ुख़रफ़ और अल् दुख़ान “‫ـم‬ ۗ ‫” ٰح‬
से शुरू िोती िैं। इनकी पिली दो आयतें हबल्कु ल एक र्ैसी
िैं
[177] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

ْ ُ ْ ٰ ْ َ ‫ٰ ۗ ڔ‬
‫ۙ۝‬Ą‫ْي ڒ‬
ِ ِ‫ب‬‫م‬ ‫ال‬ ‫ب‬
ِ ‫ۙ۝ والك‬Ǻ ‫حـم‬
‫ِت‬
पिली आयत हुरूफ़े मुक़त्आत पर और दूसरी आयत क़सम
َ ‫اِنك ل ِم‬ َ َ َّ
पर मुश्तहमल िै। इसके बाद मुक़सम अलैए { ‫ن‬
َ ْ ‫ } ْال ُم ْر َس ِل‬मिज़ूफ़ मानना पड़ेगा। गोयााः
‫ْی‬
َّ ْ
َ ْ ‫ال ُم ْر َسل‬ َ َ َّ ْ ُ ْ ٰ ْ َ ‫ٰ ۗ ڔ‬
‫ْي( اَِن‬ ِ َ ‫ك ل ِم‬
‫ن‬ ‫ۙ۝ )اِن‬Ą‫ْي ڒ‬ ِ ِ ‫ب‬‫م‬ ‫ال‬ ‫ب‬ ِ ‫ۙ۝ والك‬Ǻ ‫حـم‬
‫ِت‬
ُ
ْ َّ ‫ع َرب ايا ل َّ َعل‬
َ ‫ُك َت ْعقل ُ ْو‬
‫ۙ۝‬Ǽ ‫ن‬
َ ً ٰ ْ ُ ُ ْٰ َ َ
ِ ِ ‫جعلنه قرءَن‬
और:
ٓ َّ ْ َ َ َّ ْ ُ ْ ٰ ْ َ ‫ٰ ۗ ڔ‬
َ ْ ‫ال ُم ْر َسل‬
‫ْي( اَِن‬ َ ‫ك ل ِم‬
‫ن‬ ‫ۙ۝ )اِن‬Ą‫ْي ڒ‬ ‫ب‬ ‫م‬ ‫ال‬ ‫ب‬
ِ ِ ِ ِ ‫ۙ۝ والك‬Ǻ ‫حـم‬
‫ِت‬
ُ َّ َ َ ٰ ُّ َ ْ َ ْ ُ ٰ ْ َ ْ َ
َ ْ ‫ك َّنا ُم ْنذر‬
‫ۙ۝‬Ǽ ‫ْي‬ ِ ِ ‫اْنلنه ِِف ليلة مْبكة اَِن‬
यि एक अस्लूब िै दक मुिम्मद रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬की
ररसालत को साहबत करने के हलये क़ु रआन की क़सम खाई
गई, याहन क़ु रआन की गवािी और शिादत पेश की गई।
यि इस बात को किने का एक अस्लूब िै दक हुज़ूर ‫ ﷺ‬की
ररसालत का असल सुबूत या आप ‫ ﷺ‬का असल
मोअज्ज़ि क़ु रआन िै।

क़ु रान का दावा और चैलर्


ें
पिले गुज़र चुका िै दक मोअज्ज़ि मैं तिदी (चैलेंर्) भी
ज़रूरी िै और दावा भी। हलिाज़ा वि मक़ामात हगन
लीहर्ये हर्नमें चैलेंर् िै दक अगर तुम्िारा यि ख़्याल िै दक
यि मुिम्मद ‫ ﷺ‬का कलाम िै, इं सानी कलाम िै हर्से
मुिम्मद ‫ ﷺ‬ने ख़ुद गढ़ हलया िै, यि उनकी अपनी
[178] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

इख्तरा (खोर्) िै तो तुम मुक़ाबला करो और ऐसा िी


कलाम पेश करो। क़ु रआन मर्ीद में ऐसे पााँच मक़ामात िैं।
सूरि अत्तूर (आयत:33-34) में फ़रमाया:
“क्या उनका यि किना िै दक यि َْ ٗ َ َ َ َ ُْ ْ َُ َْ
मुिम्मद ‫ ﷺ‬ने ख़ुद गढ़ हलया ‫ن تـق َّوله بل‬ ‫ام يقولو‬
िै? बहल्क िक़ीक़त यि िै दक यि َ ‫ُّيم ُن ْو‬ ْ ُ َّ
‫؀‬33 ‫ن‬ ِ ‫ْل‬
मानने को तैयार निीं। दर्र
ْ
चाहिये दक वि इसी तरि का ٓ ْ ْ َ ُْ َ َْ
ٖ‫ديث ِمث ِله‬ ‫ِب‬
ِ ِ ‫ا‬ ‫ُت‬ ‫ا‬ ‫فلي‬
कोई कलाम पेश करें अगर वि
सच्चे िैं।” ۭ ‫ْي‬ َ ْ ‫ُنا ٰصدق‬ ْ ُ ‫ِن ًَّك‬
ْ ‫ا‬
‫؀‬34 ِ ِ
َ َ ُ ُ ََََ ََُ
‫قال‬,‫ یَق ْول‬का मायने िै किना। र्बदक ‫تق ّول‬,‫ یَ َتق ّول‬का
मफ़हूम िै तकल्लुफ़ करके किना, याहन मेिनत करके कलाम
मौज़ूाँ करना (हर्सके हलये अाँग्रेज़ी में composition का
लफ़्ज़ िै)। तो क्या उनका ख़्याल िै दक यि मुिम्मद ‫ﷺ‬
ने ख़ुद कि हलया िै? िक़ीक़त यि िै दक यि मानने को तैयार
निीं, हलिाज़ा इस तरि की कट हुज्जहतयााँ कर रिे िैं। अगर
यि सच्चे िैं तो ऐसा िी कलाम पेश करें। आहख़र ये भी इं सान
िैं, इनमें बड़े-बड़े शायर और बड़े क़ददरुल कलाम ख़तीब
मौर्ूद िैं। इनमें वि शायर भी िै हर्नको दूसरे शायर सर्दा
करते िैं। ये सबके सब हमल कर ऐसा कलाम पेश करें। सूरि
बनी इस्राईल (आयत:88) में फ़रमाया गया:
“(ऐ नबी ‫ !ﷺ‬इनसे) कि َ َ َ ْ َّ ُْ
दीहर्ये दक अगर तमाम हर्न्न व ‫ت‬ِ ‫ع‬ ‫م‬ ‫ت‬ ‫اج‬ ‫ِٕى‬
ِ ِٕ ‫ل‬ ‫ل‬ ‫ق‬
इन्स र्मा िो र्ायें (और अपनी ْ َ ‫ْ ْ ُ َ ْ ُّ َ ا‬
‫اْلن لَع ان‬ ِ ‫اْلنس و‬
पूरी क़ु व्वत व सलाहियत और ِ
[179] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

अपनी तमाम ज़िानत व ْٰ ُ ْ َ ٰ ْ ْ ُ ْ َّ


फ़तानत, क़ाददरुल कलामी को ‫ن‬ ِ ‫ل هذا القرا‬ ِ ‫ِبث‬
ِ ِ ‫ٰٓيُتا‬
र्मा करके कोहशश करें ) दक इस َ َ ْ َ َ ْ َ ْ ُ َْ َ
‫ِبث ِلهٖ ولو ًّكن‬
ِ ِ ‫ْل ٰٓيُتن‬
क़ु रआन र्ैसी दकताब पेश कर दें
तो वि िरहग़ज़ ऐसी दकताब निीं ‫ْيا‬ ً ْ ‫ض ُه ْم ل َب ْعض َظه‬
ِ
ُ َْ
‫بع‬
ला सके गें चािे वि एक-दूसरे दक
ِ
दकतनी िी मदद करें ।” ‫؀‬88

यि तो बिैहसयत-ए-मज्मुई पूरे क़ु रान मर्ीद की नज़ीर


पेश करने से मख़्लूक़ के आहर्ज़ िोने का दावा िै र्ो क़ु रान
मर्ीद ने दो मक़ामात पर दकया िै। सूरि युनुस में इससे
ज़रा नीचे उतर कर, हर्से बर सबीले तनज्ज़ुल किा र्ाता
िै, फ़रमाया दक पूरे क़ु रान की नज़ीर निीं ला सकते तो ऐसी
दस सूरतें िी गढ़ कर ले आओ! इशाुद हुआ: (सूरि हूद,
आयत:13)
“क्या यि किते िैं दक यि क़ु रआन ُ َٰ ْ َ ُْ ْ َُ َْ
ख़ुद गढ़ कर ले आया िै? (ऐ नबी ۭ ‫ن افَتىه‬ ‫ام يقولو‬
‫ !ﷺ‬इनसे) कहिये पस तुम भी ْ َ ُْ َْ ُْ
‫َش ُس َور‬
ِ ‫قل فاُتا ِبع‬
दस सूरतें बना कर ले आओ ऐसी
िी गढ़ी हुई और बुला लो हर्सको ُ ْ ََٰ ُْ
‫ِمثلِهٖ مفَتيت َّوادع ْوا‬
ْ
बुला सको अल्लाि के हसवा अगर
तुम सच्चे िो।” ُْ ْ ُْ ْ َ َ ْ َ
ِ ‫ِم استطعُت ِِم دو‬
‫ن‬ ِ
َ ْ ‫ُت ٰصدق‬ ُ ْ ‫ه‬
ْ ُ ‫ك ْن‬
‫ْي‬ ِ ِ ‫ّٰللاِ اِن‬

‫؀‬13
[180] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

इसके बाद दस से नीचे उतर कर एक सूरत का भी चैलेंर्


ददया गया: (सूरि युनुस, आयत:38)
“क्या यि किते िैं दक यि क़ु रान ُ َٰ ْ َ ُْ ْ ُ َ َْ
ख़ुद बना कर ले आया िै? (ऐ ۭ ‫ن افَتىه‬ ‫ام يــقولو‬
ْ
नबी ‫ !ﷺ‬इनसे) कहिये पस ْ ُْ َ ُْ
ٖ‫ُتا بِ ُس ْو َرة ِمثلِه‬ ‫قل فا‬
तुम भी एक सूरत बना कर ले
आओ ऐसी िी और बुला लो ْ ُ ‫اس َتـ َـط ْع‬
‫ُت‬ ْ ‫ع ْوا َِم‬ ُ ْ َ
‫واد‬
हर्सको बुला सको अल्लाि के ِ
ُ ْ
हसवा अगर तुम सच्चे िो।” ْ ُ ‫ك ْن‬ ‫ه‬
‫ن ّٰللاِ اِن‬ ُْ ْ
‫ُت‬ ِ ‫ِِم دو‬
َ ْ ‫ٰصدق‬
‫؀‬38 ‫ْي‬ ِ ِ

यि चारों मक़ामात तो मक्की सूरतों में िैं। पिली मदनी सूरत


“ अल् बक़रि” िै। इसमें बड़े अितमाम के साथ यि बात
किी गई िै:
“अगर तुम लोगों को शक िै इस َّ ْ ْ ُْ ُْ ْ َ
कलाम के बारे में र्ो िमने अपने ‫ُت ِِف َريب ِّما‬ ‫واِن كن‬
ُْ َ َ
बन्दे पर नाहज़ल दकया िै (दक यि ْ ْ َ ٰ َ َ ْ َّ َ
‫دَن فاُتا‬ ِ ‫ْنلنا لَع عب‬
अल्लाि का कलाम निीं िै) तो
इस र्ैसी एक सूरत तुम भी (मौज़ूं ْ ْ
۠ ٖ‫ِب ُس ْو َرة ِِم ِمث ِله‬
करके ) ले आओ और अपने तमाम ُ
मददगारों को बुला लो (उन ْ ِ ْ َۗ َ َ ُ ُْ ْ َ
‫وادعوا شهداءُك ِم‬
सबको र्मा कर लो) अल्लाि के ُ ْ ‫ه‬
हसवा अगर तुम सच्चे िो। और ْ ُ ‫ك ْن‬ ُْ
‫ُت‬ ‫ن ّٰللاِ اِن‬ِ ‫دو‬
अगर तुम ऐसा ना कर सको, और
ْ َّ ‫ن‬ ْ ‫؀ َفا‬23 ‫ْي‬ َ ْ ‫ٰصدق‬
तुम िरहगज़ ऐसा ना कर सकोगे, ‫ل‬ ِ ِ ِ
तो बचो उस आग से हर्सका
[181] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

ईंधन आदमी और पत्थर िोंगे, ُ َ ْ َ َ َ ُْ َ ْ َ


यि मुन्करों के हलये तैयार की ‫ن تفعل ْوا‬ ْ ‫تفعلوا ول‬

गयी िै।” َّ َ َّ
ْ ‫ار ال‬ ُ َّ َ
‫ِت‬ ِ ‫فاتقوا الن‬
ُ َّ َ ُ ُ
‫َوق ْودھا الناس‬
ْ
ْ َّ ُ ُ َ َ
‫ارة ښ ا ِعدت‬ ‫َواْلِج‬

‫؀‬24 ‫ْي‬َ ْ ‫ل ِْل ٰكفر‬


ِ ِ
यिााँ यि वाज़ेि दकया र्ा रिा िै दक िक़ीक़त में तुम सच्चे
निीं िो, तुम्िारा ददल गवािी दे रिा िै दक यि इं सानी
कलाम निीं िै, लेदकन चूाँदक तुम ज़बान से तन्क़ीद
(आलोचना) कर रिे िो और झुठला रिे िो तो अगर
वादक़अतन तुम्िें शक िै तो इस शक को रफ़ा (अस्वीकृ त)
करने के हलये िमारा यि चैलेंज़ मौर्ूद िै।
यि िैं क़ु रआन मर्ीद के मोअज्ज़ि िोने के दो अस्लूब।
एक मुस्बत (positive) अंदाज़ िै दक क़ु रआन गवाि िै इस
पर दक ऐ मुिम्मद! (‫ )ﷺ‬आप अल्लाि के रसूल िैं, और
दूसरा अंदाज़ चैलेंर् का िै दक अगर तुम्िें इसके कलामे
इलािी िोने में शक िै तो इस र्ैसा कलाम तुम भी बना कर
ले आओ।

क़ु रान दकस-दकस ऐतबार से मोअज्ज़ि िै?


अब इस हज़मन में तीसरी ज़ेली (उप) बिस यि िोगी
दक क़ु रआन मर्ीद दकस-दकस ऐतबार से मोअज्ज़ि िै। यि
मज़मून इतना वसीअ और इतना मुतनव्वा अल् ऐतराफ़ िै
[182] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

दक “‫ ”القرآن اَعاز وجو ِه‬पर पूरी-पूरी दकताबें हलखी गई िैं।


ज़ाहिर बात िै इस वक़्त इसका इिाता मक़सूद निीं िै, हसफ़ु
मोटी-मोटी बातें हज़क्र की र्ाती िैं।
असल शय तो इसकी तासीरे क़ल्ब िै दक यि ददल को
लगने वाली बात िै। इसका असल ऐर्ाज़ यिी िै दक यि
ददल को र्ाकर लगती िै बशते दक पढ़ने वाले के अंदर
तास्सुब, हज़द्द और िठधमी ना िो और उसे ज़बान से इतनी
वाहक़्फ़यत िो र्ाए दक बरािेरास्त क़ु रआन उसके ददल पर
उतर सके । यि क़ु रआन के ऐर्ाज़ का असल पिलु िै। लेदकन
इज़ाफ़ी तौर पर र्ान लीहर्ए दक हर्स वक़्त क़ु रआन
नाहज़ल हुआ उस वक़्त के ऐतबार से इसके मोअज्ज़ि िोने
का नुमाया और अिमतर पिलु इसकी अदहबयत, इसकी
फ़साित व बलाग़त, इसके अल्फ़ाज़ का इन्तखाब, बंददशें
और तरकीबें, इसकी हमठास और इसकी सौती आिंग िै।
यि दरिक़ीक़त नुज़ूल के वक़्त क़ु रआन के मोअज्ज़ि िोने का
सबसे नुमाया पिलु िै।
यिााँ यि बात पेशे नज़र रिे दक िर रसूल को उसी तज़ु
का मोअज्ज़ि ददया गया हर्न चीज़ों का उसके ज़माने में
सबसे ज़्यादा चचाु और शगुफ़ था। िज़रत मूसा अलै० के
ज़माने में र्ादू आम था हलिाज़ा मुक़ाबले के हलये आप
अलै० को वि चीज़ें दी गईं हर्नसे आप अलै० र्ादूगरों को
हशकस्त दे सकें । हुज़ूर ‫ ﷺ‬ने हर्स क़ौम में अपनी दावत
का आग़ाज़ दकया उस क़ौम का असल ज़ौक कु दरते कलाम
था। वि किते थे दक असल में बोलने वाले तो िम िी िैं,
बाकी दुहनया तो गूाँगी िै। उनकी ज़बानदानी का यि आलम
था दक वि अपनी पसंद की अशयाअ (चोज़ों) के नाम रखना
[183] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

शुरू करते तो िज़ारो नाम रख देते। चुनााँचे अरबी में शेर


और तलवार के हलये पााँच-पााँच िज़ार अल्फ़ाज़ िैं। घोड़े और
ऊाँट के हलये ला-तादाद अल्फ़ाज़ िैं। यि उनकी क़ाददरुल
कलामी िै दक दकसी शय को उसकी िर अदा के ऐतबार से
नया नाम दे देते। घोड़ा उनकी बड़ी मिबूब शय िै, हलिाज़ा
उसके नामालूम दकतने नाम िैं। शेरो-शायरी में उनके ज़ौक़
व शौक़ का यि आलम था दक उनके यिााँ सालाना मुक़ाबले
िोते थे तादक उस साल के सबसे बड़े शायर का तअय्युन
दकया र्ाये। शायर अपने-अपने क़सीदे हलख कर लाते थे,
मुक़ाबला िोता था। दर्र र्ब फ़ै सला िोता था दक दकसका
क़सीदा सब पर बाज़ी ले गया िै तो बाक़ी तमाम शायर
उसकी अज़मत के ऐतराफ़ के तौर पर उसको सर्दा करते
थे। दर्र वि क़सीदा ख़ाना काबा की दीवार पर लटका ददया
र्ाता था दक यि िै इस साल का क़सीदा। चुनााँचे इस तरि
के सात क़सीदे ख़ाना काबा में आवेज़ा (प्रदर्शुत) दकये गए
َ َّ َ َ ُ ّ
थे हर्न्िें “‫ ” َس ْبعۃ ُمعلقۃ‬किा र्ाता था। “‫ ” ُمعلقۃ سبعۃ‬के
आहख़री शायर िज़रत लबीद (रहज़०) थे र्ो ईमान ले आए।
ईमान लाने के बाद उन्िोंने शेर किने छोड़ ददये। िज़रत
उमर (रहज़०) ने उनसे किा दक ऐ लबीद! अब आप शेर क्यों
निीं किते? तो र्वाब में उन्िोंने बड़ा प्यारा र्ुमला किा
َْ َ ُْ
दक “‫ ”القرآ ِن؟ ا َبعد‬याहन क्या क़ु रआन के नुज़ूल के बाद भी?
अब दकसी के हलये कु छ किने का मौक़ा बाक़ी िै? क़ु रआन
के आ र्ाने के बाद कोई अपनी फ़साित व बलाग़त के
इज़िार की कोहशश कर सकता िै? गोया ज़बाने बंद िो गईं,
उन पर ताले पड़ गये, माहलकु ल शौरा (शायरों के रार्ा) ने
शेर किने छोड़ ददये।
[184] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

हर्न लोगों की मादरी ज़बान अरबी िै वि आर् भी


क़ु रान के इस ऐर्ाज़ को मिसूस कर सकते िैं। ग़ैर अरब
लोगों के हलये इसको मिसूस करना मुमदकन निीं िै। अगर
कोई अपनी मेिनत से अरबी अदब के अंदर मौलाना अली
हमयााँ(1) की सी मिारत िाहसल कर ले तो वि वादक़अतन
इसको मिसूस कर सके गा और इसकी तिसीन कर सके गा
दक फ़साित व बलाग़त में क़ु रआन का क्या मक़ाम िै। िम
र्ैसे लोगों के हलये यि मुमदकन निीं िै, अलबत्ता इसका
सौती आिंग िम मिसूस कर सकते िैं। वाक़्या यि िै दक
क़ु रआन की दक़रात के अंदर एक मोअज्ज़ाना तासीर िै र्ो
क़ल्ब के अंदर अर्ीब कै दफ़यात पैदा कर देती िै। क़ु रआन
का सौती आिंग िमारी दफ़तरत के तारों को छेड़ता िै।
क़ु रआन की यि मोअज्ज़ाना तासीर आर् भी वैसी िै र्ैसी
नुज़ूले क़ु रआन के वक़्त थी। इसमें मरवरे अय्याम (ददन
गुज़रने) से कोई फ़कु वाक़े अ निीं हुआ।
क़ु रआन की फ़साित व बलाग़त, इसकी अदहबयत,
अज़ूबत और इसके सौती आिंग की मोअज्ज़ाना तासीर पर
मुस्तज़ाद (top) अिदे िाहज़र में क़ु रान के ऐर्ाज़ के हज़मन
में र्ो चीज़ें बहुत नुमाया िोकर सामने आती िैं उनमें से एक
चीज़ तो वि िै हर्सका क़ु रान मर्ीद ने बड़े सरीि अल्फ़ाज़
(िा मीम अस्सज्दा:53) में हज़क्र दकया िै:
“िम अनक़रीब उन्िें अपनी َ ٰ ٰ ْ ُ َ
आयतें ददखाएाँगे आफ़ाक़ में भी ‫َّي ْم اي ِتنا ِِف‬
ِ ‫ُن‬
ِ ‫س‬
और उनकी अपनी र्ानों में भी ُ ْ َ ْٓ َ َ ْٰ
‫ِف انف ِس ِه ْم‬ ِ ِ ‫اْل‬
‫و‬ ‫اق‬ ‫ف‬
यिााँ तक दक यि बात उन पर
[185] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

वाज़ेि िो र्ाएगी दक यि ُ َّ َ ُ َ َ َّ َ َ َ ‫َ ه‬
क़ु रआन िक़ िै।” ‫ْي له ْم انه‬ ‫ّتَح يتب‬
ُّ َ ْ
ۭ ‫اْلق‬

इस आयत मुबारका में इल्मे इं सानी के दायरे में साइं स और


टेिोलॉर्ी की तरक्क़ी और र्दीद इकतशाफ़ात (खोर्) व
इन्कशाफ़ात (खुलासे) की तरफ़ इशारा िै। यि आयाते
आफ़ाक़ी िैं। रााँसीसी सर्ुन डॉक्टर मौररस बकाई का पिले
भी िवाला ददया र्ा चुका िै दक क़ु रआन का मुताअला करने
के बाद उसने किा दक मेरा ददल इस पर मुत्मईन िो गया िै
दक इस क़ु रआन में कोई बात ऐसी निीं िै हर्से साइं स ने
ग़लत साहबत दकया िो। अलबत्ता उस दौर में र्बदक इं सान
का अपना ज़िनी ज़फ़ु वसीअ निीं हुआ था, ऊलूमे इं सानी
और मालूमाते इं सानी का दायरा मिदूद था, उस वक़्त
साइं सी इशारात की िाहमल आयाते क़ु राहनया का क्या
मफ़हूम समझा गया, वि बात और िै। कलामुल्लाि िोने के
ऐतबार से असल अिहमयत तो क़ु रआन के अल्फ़ाज़ को
िाहसल िै। डॉक्टर मौररस बकाई ने क़ु रआन का तौरात के
साथ तक़ाबुल (मुक़ाबला) दकया िै! तौरात से मुराद Old
Testament िै। इं र्ीले अरहबया र्ो िज़रत ईसा अलै०
की तरफ़ मन्सूब िै, उनमें तो कई चीज़ें ऐसी िैं र्ो ग़लत
साहबत िो चुकी िैं। इं र्ील में ज़्यादातर अख़्लाक़ी मुवाअज़
(उपदेश) िैं या दर्र िज़रत ईसा अलै० के स्वान्िे ियात
(र्ीवनी) िैं। तौरात में यि मुबाहिस मौर्ूद िैं दक कायनात
कै से पैदा हुई, अल्लाि ने कै से इसे बनाया। मुख़्तहलफ़ साइं सी
phenomena उसमें मौर्ूद िैं।
[186] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

आपको मालूम िै दक दफ़हज़क्स में आर् सबसे ज़्यादा


अिम मौज़ू हर्स पर तिक़ीक़ िो रिी िै, यिी िै दक
कायनात कै से वर्ूद में आई, इब्तदाई िालात क्या थे और
बाद अज़ा (बाद में) उनमें क्या तब्दीहलयााँ हुईं। डाक्टर
मौररस बकाई ने इस ऐतबार से मिसूस दकया दक तौरात में
तो ऐसी चीर्ें िैं र्ो ग़लत साहबत िो चुकी िैं। इसहलये दक
असल तौरात तो छठी सदी क़ब्ले मसीि िी में गुम िो गई
थी। बख़्त नसर के िमले में येरुशलम को तिस-निस कर
ददया गया और िैकले सुलेमानी की ईंट से ईंट बर्ा दी गई,
उसकी बुहनयादें तक खोद डाली गईं और येरुशलम के बसने
वाले छ: लाख की तादाद में क़त्ल कर ददये गए र्बदक बख़्त
नसर छ: लाख को क़ै दी बना कर भेड़-बकररयों की तरि
िााँकते हुए अपने िमराि बाबुल (ईराक़) ले गया। चुनााँचे
येरुशलम में एक मुतनहफ्र्स (र्ीव) भी बाक़ी निीं रिा।
आप अंदाज़ा करें, अगर यि आदादो और शुमार (आंकड़े)
सिी िैं तो िज़रत मसीि अलै० से भी छ: सौ साल क़ब्ल
याहन आर् से 2600 बरस क़ब्ल येरुशलम बारि लाख की
आबादी का शिर था और उस शिर पर क्या क़यामत गुज़री
िोगी! इसके बाद से वि असल तौरात दुहनया में निीं िै।
मूसा अलै० को र्ो अिकामे अशरि (Ten
Commandments) ददये गये थे वि पत्थर की तहख़्तयों
पर हलखे हुए थे। यि तहख़्तयााँ भी लापता िो गईं और बाक़ी
तौरात का वर्ूद भी बाक़ी ना रिा। क़ु रआन िकीम में
ُ
ِ ُ‫وس َو ا ِِْبا ِه ْي َم ْص‬
“‫ف‬ ٰ ‫ ” ُم‬का हज़क्र िै। मूसा अलै० के सिीफ़े
पााँच िै र्ो अिद नामा-ए-क़दीम (Old Testament) की
पिली पााँच दकताबे िैं। सानेिा येरुशलम (Tragedy of
[187] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

Jerusalem) के तक़रीबन डेढ़ सौ बरस बाद लोगों ने


तौरात को अपनी याददाश्तों से मुरत्तब दकया। चुनााँचे उस
वक़्त की नौए इं सानी की ज़िनी और इल्मी सति र्ो थी वो
इस पर लाहज़मी तौर पर असर अंदाज़ हुई।
डॉक्टर मौररस बकाई के अलावा मैं डाक्टर कीथल मूर
का िवाला भी दे चुका हूाँ दक वि क़ु रआन िकीम में इल्मे
र्नीन (भ्रूणहवज्ञान) से मुताहल्लक़ इशारात पाकर दकस
क़दर िैरान हुआ दक यि मालूमात चौदि सौ बरस पिले
किााँ से आ गईं! दफ़हज़कल साइं स के मुख़्तहलफ़ फ़ील््स िैं,
उनमें र्ैसे-र्ैसे इल्मे इं सानी तरक़्क़ी करता र्ायेगा यि बात
मज़ीद मुबरिन (स्पि) िोती चली र्ायेगी दक यि कलामे
िक़ िै और यि कलाम मज़ाहिर तबीई (भौहतक घटनाओं)
के ऐतबार से भी िक़ साहबत िो रिा िै। यि एक वाज़ेि
सुबूत िै दक यि क़ु रआन अल्लाि का कलाम िै और मुिम्मद
‫ ﷺ‬अल्लाि के रसूल िैं।
अिदे िाहज़र के ऐतबार से क़ु रआन िकीम के ऐर्ाज़ का
दूसरा अिमतर पिलु इसकी हिदायते अमली िै। इसमें
इन्फ़रादी (व्यहक्तगत) हज़न्दगी से मुताहल्लक़ भी मुकम्मल
हिदायतें िैं और इं सानी अख़्लाक़ व दकरदार और इं सान के
रवैये में भी पूरी तफ्सीलात मौर्ूद िैं। इन्फ़रादी हज़न्दगी से
मुताहल्लक़ यि तमाम चीज़ें साबक़ा अहम्बया की तालीमात
में भी मौर्ूद िैं। यि अख़्लाक़ी इक़दार (moral values)
वैसे भी दफ़तरते इं सानी के अंदर मौर्ूद िैं। क़ु रआन का
َْ َ
َ ‫( }فال َه َم َها ُف ُ ْو َرها َوتق ٰو‬अश्शम्स:8) ُ َْ َ
अपना किना िै: {‫ىها‬
याहन नफ़्से इं सानी को इलिामी तौर पर यि मालूम िै दक
फ़ु र्ूर (अनैहतकता) क्या िैं और तक़वा (नैहतकता) क्या िै।
[188] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

परिेज़गारी दकसे किते िैं और बद्कारी दकसे किते िैं।


अलबत्ता क़ु रआन िकीम का ऐर्ाज़ यि िै दक इसमें अद्ल
व दक़स्त (न्याय) पर मब्नी (आधाररत) इज्तमाई हनज़ाम
ददया गया िै हर्समें इन्तिाई तवाज़ुन (संतुलन) रखा गया
िै।
इं सान ग़ौर करे तो मालूम िोगा दक नौए इं सानी को
तीन बड़े-बड़े उक़द िाए ला यन्िल (dilemmas) दरपेश िैं
र्ो तवाज़ुन (संतुलन) के मत्क़ाज़ी (अपेहक्षत) िैं और इनमें
अदमे तवाज़ुन (असंतुलन) से इं सानी तमद्दुन (सभ्यता)
फ़साद और हबगाड़ का हशकार िै। इसमें पिला उक़दा-ए-
ला यन्िल यि िै दक मदु और औरत के हुक़ू क़ व फ़राइज़ में
क्या तवाज़ुन िै? दूसरा यि दक सरमाया और मेिनत के
माबैन (बीच) क्या तवाज़ुन िै? दर्र तीसरा यि दक फ़दु
और ररयासत या फ़दु और इज्तमाइयत के माबैन हुक़ू क़ व
फ़राइज़ के ऐतबार से क्या तवाज़ुन िै? इन तीनों मामलात
में तवाज़ुन क़ायम करना इन्तिाई मुहश्कल िै। अगर फ़दु को
ज़रा ज़्यादा आज़ादी दे दी र्ाती िै तो अनारकी (chaos)
फ़ै लती िै। आज़ादी के नाम पर दुहनया में क्या कु छ िो रिा
िै! दूसरी तरफ़ अगर फ़दु की आज़ादी पर क़दग़नें
(controls) और बंददशें लगा दी र्ाऐं तो वि रद्दे अमल
िोता िै र्ो कम्युहनज़्म के हख़लाफ़ हुआ। दफ़तरते इं सानी
और तबीयते इं सानी ने यि क़द्ग़नें क़ु बूल निीं कीं और इनके
हख़लाफ़ बग़ावत की।
औरत और मदु के हुक़ू क़ के माबैन तवाज़ुन का मामला
भी इन्तिाई िस्सास (संवेदनशील) िै। इस मीज़ान का
पलड़ा अगर ज़रा सा मदु की र्ाहनब झुका ददया र्ाये तो
[189] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

औरत की कोई िैहसयत निीं रिती, वि हबल्कु ल भेड़-बकरी


की तरि मदु की हमहल्कयत बन कर रि र्ाती िै, उसका
कोई तशख्खुस (पिचान) निीं रिता और वि मदु की र्ूती
की नोक क़रार पाती िै। लेदकन अगर दूसरा पलड़ा ज़रा
झुका ददया र्ाये तो औरत को र्ो िैहसयत हमल र्ाती िै
वि क़ौमों की दक़स्मतों के हलये तबािकु न साहबत िोती िै।
इससे ख़ानदानी इदारा ख़त्म िो र्ाता िै और घर के अंदर
का चैन और सुकून बबाुद िोकर रि र्ाता िै। इसकी सबसे
बड़ी हमसाल सेकेण्ड यूहनयन मुमाहलक िैं। मआशी और
इक़तसादी (economic) ऐतबार से यि किा र्ा सकता िै
दक रूऐ अरज़ी (ज़मीन) पर अगर र्न्नत देखनी िो तो इन
मुल्कों को देख हलया र्ाये। विााँ के शिररयों की बुहनयादी
ज़रूरतें दकस उम्दगी के साथ पूरी िो रिी िै! विााँ इलार्
और तालीम की सहुहलयतें सबके हलये यकसा (बराबर) िैं
और इस हज़मन में ख़ैरात (charity) पर पलने वालों और
टेक्स अदा करने वालों के माबैन कोई फ़क़ु व तफ़ावत
(असमानता) निीं िै। लेदकन इन मुल्कों में मदु और औरत
के हुक़ू क़ के माबैन तवाज़ुन बरक़रार निीं रखा गया हर्सके
नतीर्े में ख़ानदान का इदारा मज़्मिल (उलट) हुआ, बहल्क
टूट-र्ू ट कर ख़त्म िो गया और घर का सुकून नापीद
(हवलुप्त) िो गया। चुनााँचे आर् ख़ुदकु शी की सबसे ज़्यादा
शरि (अनुपात) स्वीडन में िै। इसहलये दक घर का सुकून
ख़त्म िो र्ाने के बाअस (कारण) आसाब (nerves) पर
शदीद तनाव िै।
अल्लाि का शुक्र िै दक िमारे यिााँ ख़ानदान का इदारा
बरक़रार िै। अगरचे यिााँ भी नाम-हनिाद तौर पर बहुत
[190] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

ऊाँची सति के लोगों के यिााँ तो वि सूरतें पैदा िो गईं िैं,


तािम मज्मुई तौर पर िमारे यिााँ ख़ानदान का इदारा अभी
काफ़ी िद तक मिफ़ू ज़ िै। इस हज़मन में क़ु रआन मर्ीद में
लफ़्ज़ “‫ ”سكون‬इस्तेमाल हुआ िै। सूरतुल रूम की आयत 21
मुलाहिज़ा िो:
“और उसकी हनशाहनयों में से यि ََ َ ْ َ ٓ ٰ ٰ ْ َ
िै दक उसने तुम्िारे हलये तुम्िारी ‫ن خلق‬ ‫و ِِم اي ِتهٖ ا‬
िी नौअ (र्ाहत) से र्ोड़े बनाये, ُ
ْ ‫ِم ا َ ْن ُفس‬ْ ِ ْ ُ َ
‫ُك‬ ِ ‫لُك‬
तादक तुम उनके पास सुकून
िाहसल करो और तुम्िारे َ َ ُُ َ ً َْ
‫از َواجا ل ِت ْسكن ْٓوا اِل ْْيا‬
दरहमयान मुिब्बत और रिमत
ً َّ َّ ْ ُ َ ْ َ َ َ َ َ
पैदा कर दी।” ‫ُك م َودة‬ ‫وجعل بين‬
ًَ ْ
ۭ ‫َّو َرْحة‬

अगर इं सान को यि सुकून निीं हमलता तो अगरचे उसकी


खाने-पीने की ज़रूरतें, हर्न्सी तस्कीन (यौन सन्तुहि) और
दूसरी ज़रूरयाते हज़न्दगी खूब पूरी िो रिी िों लेदकन
हज़न्दगी इं सान के हलये र्िन्नम बन र्ाएगी।
मज़कू रा बाला तीन उक़द िाए ला-यन्िल में से
मआहशयात का मसला सबसे मुहश्कल िै। सरमाये को ज़्यादा
खल-खेलने का मौका देंगे तो सूरते िाल एक इन्तिा को
पहुाँच र्ायेगी और मज़दूर का बद्तरीन इस्तेिसाल (शोषण)
िोगा, र्बदक मज़दूर को ज़्यादा हुक़ू क़ दे देंगे तो सरमाए को
कोई तिफ़्फ़ु ज़ िाहसल निीं रिेगा। अगर नेशनलाईज़ेशन िो
र्ाये तो लोगों में काम करने का र्ज़्बा िी निीं रिता।
आपको मालूम िै दक िमारे यिााँ नेशनलाईज़ेशन के बाद
[191] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

क्या हुआ! रूस की इक़्तसादी मौत की अिम वर्ि यिी


नेशनलाईज़ेशन थी। तो अब सरमाए और मेिनत में तवाज़ुन
के हलये क्या शक़्ल इहख़्तयार की र्ाये? यि िै दरिक़ीक़त
अिदे िाहज़र में क़ु रआन की हिदायत का अिमतरीन हिस्सा!
आर् इस पर भरपूर तवज्जि मरकू ज़ करने की ज़रूरत िै।
दफ़हज़कल साइं स से क़ु रआन की िक्क़ाहनयत के सुबूत ख़ुद-
ब-ख़ुद हमलते चले र्ायेंगे। र्ैसे-र्ैसे साइं स तरक़्क़ी कर रिी
िै नए-नए गोशे सामने आ रिे िैं और इनसे साहबत िो रिा
िै दक यि क़ु रआन िक़ िै। लेदकन आर् ज़रूरत इस अम्र की
िै दक क़ु रआन िकीम ने अमराहनयाते इं साहनया और
इज्तमाइयात मसलन इक़्तसादयात, हसयाहसयात और
समाहर्यात के हज़मन में र्ो अदले इज्तमाई ददया िै उसके
मुबरिन दकया र्ाये। अल्लामा इक़बाल के यि दो शेर इसी
िक़ीक़त की हनशानदेिी कर रिे िैं:
िर कु र्ा बीनी र्िाने रंग व बू
आाँ दक अज़ ख़ादकश बरवीद आरज़ू!
या ज़ नूर मुस्तफ़ा ‫ ﷺ‬ऊ रा बिास्त
या िनूज़ अंदर तलाशे मुस्तफ़ा ‫ ﷺ‬अस्त!
याहन दुहनया में र्ो सोशल इं क़लाब आया िै उसकी सारी
चमक-दमक और रोशनी या तो नूरे मुस्तफ़ा ‫ ﷺ‬िी से
मुस्तआर (उधार ली गई) और माख़ूज़ (प्राप्त) िै या दर्र
इं सान चार व नाचार हुज़ूर ‫ ﷺ‬के लाये हुए हनज़ाम िी
की तरफ़ बढ़ रिा िै। वि दायें-बायें की ठोकरें और अफ़रात
व तफ़रीत (ऊाँच-नीच) के धक्के खाकर लड़खड़ाता हुआ चार
व नाचार उसी मंहज़ल की तरफ़ र्ा रिा िै र्िााँ मुिम्मद
[192] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬और क़ु रआन िकीम ने उसे पहुाँचाया


था।

अिदे िाहज़र में ऐर्ाज़े क़ु रान का मज़िर: अल्लामा


इक़बाल
वुर्ूि ऐर्ाज़े क़ु रआन के हज़मन में एक अिम बात अज़ु
कर रिा हूाँ दक मेरे नज़दीक अिदे िाहज़र में क़ु रआन के
ऐर्ाज़ का सबसे बड़ा मज़िर अल्लामा इक़बाल की
शहख़्सयत िै। मैंने अज़ु दकया था दक क़ु रआन िकीम ज़मान
(समय) व मकान (र्गि) के एक ख़ास तनाज़ुर (दृहिकोण)
में आर् से चौदि बरस क़ब्ल नाहज़ल हुआ था। इसके
अव्वलीन मुख़ाहतब अरब के उर्ड्ड, देिाती, बद्दू और ना-
ख़वान्दा (अहशहक्षत) लोग थे हर्न्िें क़ु रआन ने “उहम्मय्यीन”
َ َّ ُّ
ً ‫ ”لدا ق‬क़रार ददया िै। लेदकन इस क़ु रान ने उनके
और “‫وما‬
अंदर हबर्ली दौड़ा दी। उनके ज़िन, क़ल्ब और रूि को
मुताहस्सर दकया, दर्र उनमें वलवला पैदा दकया, उनके
बाहतन को मुनव्वर दकया। उनकी शहख़्सयतों में इं क़लाब
आया और अफ़राद बदल गये। दर्र उन्िोंने ऐसी क़ु व्वत की
िैहसयत इहख़्तयार की दक हर्सने दुहनया को एक नया
तमद्दुन, नयी तिज़ीब और नये क़वानीन देकर एक नये
दौर का आग़ाज़ दकया। लेदकन बीसवीं सदी में अल्लामा
इक़बाल र्ैसा एक शख़्स हर्सने वक़्त की आला तरीन सति
पर इल्म िाहसल दकया, हर्सने मशररक़ व मग़ररब के
फ़लसफ़े पढ़ हलये, र्ो क़दीम और र्दीद दोनों का र्ामेअ
था, र्ो र्मुनी और इं हग्लसतान में र्ाकर फ़लसफ़े पढ़ता
रिा, उसको इस क़ु रआन ने इस तरि possess दकया और
[193] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

उस पर इस तरि अपनी छाप क़ायम की दक उसके ज़िन को


सुकून हमलता तो हसफ़ु क़ु रआन िकीम से और उसकी
हतशनगी-ए-इल्म (इल्म की प्यास) को आसूदगी (चैन)
िाहसल िो सकी तो हसफ़ु दकताबुल्लाि से। गोया बक़ौल ख़ुद
उनके :
ना किीं र्िााँ में अमााँ हमली, र्ो अमााँ हमली तो किााँ
हमली
मेरे र्ुमे ख़ाना ख़राब को तेरे अफ़ू -ए-बंदा नवाज़ में!
मेरा एक दकताबचा “अल्लामा इक़बाल और िम” एक अरसे
से शाया िोता िै। यि मेरी एक तक़रीर िै र्ो मैंने एहचसन
कॉलेर् में 1973 ईसवी में की थी। इसमें मैंने अल्लामा
इक़बाल के हलये चंद इस्तलािात इस्तेमाल की िैं। “इक़बाल
और क़ु रान” के उन्वान से मैंने अल्लामा इक़बाल को (1)
अज़मते क़ु रान का हनशान, (2) वादक़फ़े मतुबा व मक़ामे
क़ु रान, और (3) दाई इलल क़ु रान के हख़ताबात ददये िैं। मैं
अल्लामा इक़बाल को इस दौर का सबसे बड़ा तर्ुुमानुल
क़ु रान समझता हूाँ। क़ु रान मर्ीद के उलूम व मआरफ़
(Studies & Teachings) की र्ो ताबीर अल्लामा
इक़बाल ने की िै इस दौर में कोई दूसरी शहख़्सयत इसके
आस-पास भी निीं पहुाँची। उनसे लोगो ने चीज़ें मुस्तआर
(उधार) ली िैं और दर्र उनको बड़े पैमाने पर र्ै लाया िै।
उन िज़रात की यि हख़दमत अपनी र्गि क़ाहबले क़र िै,
लेदकन दफ़क्री ऐतबार से वि तमाम चीर्ें अल्लामा इक़बाल
के ज़िन की पैदावार िैं।
मज़कू रा बाला दकताबचे में मैंने मौलाना अमीन अिसन
इस्लािी सािब की गवािी भी शाया की िै। कई साल पिले
[194] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

का वाक़्या िै दक मौलाना आाँखों के ऑपरेशन के हलये


ख़ानक़ा डोगरां से लािौर आये हुए थे और ऑपरेशन में
दकसी वर्ि से ताख़ीर िो रिी थी। घर से बािर िोने की
वर्ि से उनके हलखने-पढ़ने का हसलहसला मौअत्तल
(delay) िो गया। तािम फ़ु रसत के उन अय्याम में मौलाना
ने अल्लामा इक़बाल का पूरा उदूु और फ़ारसी कलाम
दोबारा पढ़ हलया। इसके बाद उन्िोंने उसके बारे में मुझसे
दो तास्सुर (impression) बयान दकये। मौलाना का पिला
तास्सुर तो यि था दक “क़ु रआन िकीम के बाज़ मक़ामात के
बारे में मुझे कु छ मान सा था दक मैंने उनकी ताबीर हर्स
अस्लूब से की िै शायद कोई और ना कर सके । लेदकन
अल्लामा इक़बाल के कलाम के मुताअले से मालूम हुआ दक
वि उनकी ताबीर मुझसे बहुत पिले और मुझसे बहुत बेितर
कर चुके िैं!” मौलाना इस्लािी सािब का दूसरा तास्सुर यि
था दक “इक़बाल का कलाम पढ़ने के बाद मेरा ददल बैठ सा
गया िै दक अग़र ऐसा िदी ख़वााँ (extent reader) इस
उम्मत में पैदा हुआ, लेदकन यि उम्मत टस से मस ना हुई
तो िमा-शमा (forgive us) के करने से क्या िोगा!” र्ो
क़ौम अल्लामा इक़बाल से िरकत में निीं आई उसे कौन
िरकत में ला सके गा।
वाक़्या यि िै दक मेरे नज़दीक इस दौर का सबसे बड़ा
तर्ुुमानुल क़ु रआन और सबसे बड़ा दाई इलल क़ु रान
अल्लामा इक़बाल िै। इसहलये की क़ु रान मर्ीद की अज़मत
का हर्स गैराई (हवस्तार) और गिराई के साथ अिसास
अल्लामा इक़बाल को हुआ िै मेरी मालूमात की िद तक
(अग़रचे मेरी मालूमात मिदूद िै) इस दर्े क़ु रआन की
[195] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

अज़मत का इन्कशाफ़ (खोर्) दकसी और इं सान पर निीं


हुआ। र्ब वि क़ु रआन मर्ीद की अज़मत बयान करते िैं तो
ऐसा मिसूस िोता िै दक यि उनकी दीद और उनका तर्ुबाु
िै, क्योंदक हर्स अंदाज़ से वि बात बयान करते िैं वि
तकल्लुफ़ और आवदु (अवतरण) से मावरा (बढ़ कर) अंदाज़
िोता िै। मुलाहिज़ा कीहर्ये दक अल्लामा इक़बाल क़ु रआन
मर्ीद के बारे में क्या किते िैं:
आाँ दकताबे हज़न्दा क़ु रआने िकीम
हिकमत ऊ ला यज़ाल अस्त व क़दीम
नुस्ख़ा इसरारे तकवीन ियात
बे सबात अज़ कौतश गीरद सबात
िर्े ऊ रा रैब ने, तब्दील ने
आया इश शर्मिंदा-ए-तावील ने
र्ाश गोयम आाँच दर ददल मुज़मर अस्त
ईं दकताबे नीस्त चीज़ें दीगर अस्त
हमस्ल िक़ हपन्िााँ व िम पैदा सत ईं
हर्न्दा व पाइन्दा व गोया अस्त ईं
चूाँ बर्ााँ दर रफ़्त र्ााँ र्ो दीगर शूद
र्ााँ चू दीगर शद र्िााँ दीगर शूद!
“वि हज़न्दा दकताब, क़ु रआन िकीम, हर्सकी
हिकमत लाज़वाल भी िै और क़दीम भी!
हज़न्दगी के वर्ूद में आने ख़ज़ाना, हर्सकी ियात
अफ़रोज़ और क़ु व्वत बख़्श तासीर से बेसबात भी
सबात व दवाम िाहसल कर सकते िैं।
[196] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

इसके अल्फ़ाज़ में ना दकसी शक व शुबि का शाइबा


िै ना रद्दो बदल की गुंर्ाईश। और इसकी आयतें
दकसी तावील की मोिताज़ निीं।
(इस दकताब के बारे में) र्ो बात मेरे ददल में
पोशीदा िै उसे ऐलाहनया िी कि गुज़रूाँ? िक़ीक़त
यि िै दक यि दकताब निीं कु छ और िी शय िै!
यि ज़ाते िक़ सुब्िानहु व तआला (का कलाम िै
हलिाज़ा उसी) के माहनन्द पोशीदा भी िै और
ज़ाहिर भी, और र्ीती-र्ागती बोलती भी िै और
िमेशा क़ायम रिने वाली भी!
(यि दकताबे िकीम) र्ब दकसी के बाहतन में
सरायत (र्म) कर र्ाती िै तो उसके अंदर एक
इं क़लाब बरपा िो र्ाता िै, र्ब दकसी के अंदर की
दुहनया बदल र्ाती िै तो उसके हलये पूरी दुहनया
िी इं क़लाब की ज़द में आ र्ाती िै।”
क़ु रान िकीम के बारे में मज़ीद हलखते िैं:
सद र्िाने ताज़ा दर आयाते ऊस्त
अस्र िा पेचीदा दर आनाते ऊस्त!
“इसकी आयतों में सैंकड़ों ताज़ा र्िान आबाद िैं
और इसके एक-एक लम्िें में बेशुमार ज़माने मौर्ूद
िैं।” (गोया िर ज़माने में यि क़ु रआन एक नई शान
और नई आन-बान के साथ दुहनया में आया िै और
आता रिेगा।)
अब आप अल्लामा इक़बाल के तीन अशआर मुलाहिज़ा
कीहर्ए र्ो उन्िोंने नबी अकरम ‫ ﷺ‬से मुनार्ात
(प्राथुना) करते हुए किे। इनसे आपको अंदाज़ा िोगा दक
[197] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

उन्िें दकतना यक़ीन था दक मेरे दफ़क्र का हमम्बा (स्रोत)


क़ु रआन िकीम िै। चुनााँचा “मस्नवी इसरारो रमूज़” के
आहख़र में “अज़े िाले मुसहन्नफ़ बहुज़ूर रिमतुल
हलल्आलमीन ‫ ”ﷺ‬के ज़ेल में यिााँ तक हलख ददया दक:
गर ददलम आईना बे र्ौिर अस्त
वर बिफ़ु म ग़ैर क़ु रााँ मज़मर अस्त
पदाु-ए-नामूसे-ए-दफ़करम चाक कु न
ईं ख़याबााँ रा ज़ख़ारम पाक कु न!
रोज़े मिशर ख़्वार व रुस्वा कु न मरा!
बे नसीब अज़ बोसा पा कु न मरा!
“अगर मेरे ददल की हमसाल उस आईने की सी िै
हर्समें कोई र्ौिर िी ना िो, और अग़र मेरे कलाम
में क़ु रआन के हसवा दकसी और शय की तर्ुुमानी
िै, तो (ऐ नबी ‫ )!ﷺ‬आप मेरे नामूसे दफ़क्र का
पदाु ख़ुद चाक फ़रमा दें और इस चमन को मुझ र्ैसे
ख़ार से पाक कर दें। (मज़ीद बीरााँ) िश्र के ददन मुझे
ख़्वार व रुसवा कर दें और (सबसे बढ़ कर यि दक)
मुझे अपनी क़दमबोसी की सआदत से मिरूम
फ़रमा दें!”
मैंने अपनी इम्कानी िद तक क़ु रआन िकीम का पूरी
बारीक बीनी से मुताअला दकया िै और इस पर ग़ौर दफ़क्र
और सोच-हवचार दकया िै। मैंने अल्लामा इक़बाल का उदूु
और फ़ारसी कलाम भी पढ़ा िै। इसके बाद मैंने यि बात
ररकॉडु करानी ज़रूरी समझी िै दक अल्लामा इक़बाल के
बारे में मैंने र्ो बात 1973 ईसवी में किी आर् भी मैं उसी
बात पर क़ायम हूाँ दक “इस दौर में अज़मते क़ु रआन और
[198] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

मतुबा व मक़ामे क़ु रआन का इन्कशाफ़ हर्स हशद्दत के साथ


और हर्स दर्े में अल्लामा इक़बाल पर हुआ शायद िी दकसी
और पर हुआ िो।” और यि दक मेरे नज़दीक इस दौर का
सबसे बड़ा तर्ुुमानुल क़ु रआन और दाई इलल क़ु रआन
इक़बाल िै। अल्लामा इक़बाल मुसलमानों की क़ु रआन से
दूरी पर मर्सुया किते:
र्ानता हूाँ मैं यि उम्मत िाहमले क़ु रााँ निीं
िै विी सरमाया दारी बंदा-ए-मोहमन का दीं!
मुसलमानों को क़ु रआन की तरफ़ मुतवज्जि करते हुए किते
िैं:
बायाहतश तरा कारे र्ुज़ ईं नीस्त
दक अज़ यासीन अव आसााँ बमीरी!
“इस क़ु रआन के साथ तुम्िारा इसके हसवा और कोई
सरोकार निीं रिा दक तुम दकसी शख़्स को आलमे
नज़ा में इसकी सूरि यासीन सुना दो, तादक उसकी
र्ान आसानी से हनकल र्ाए।”
िमारे यिााँ सूफ़ी और वाअज़ िज़रात ने क़ु रआन को
छोड़ कर अपनी मर्ाहलस और अपने वाज़ के हलये कु छ और
चीज़ों को मुन्तख़ब कर हलया िै, तो इस पर इक़बाल ने दकस
क़दर ददुनाक मर्सुये किे िैं और दकस क़दर सिी नक्शा
खींचा िै:
सूफ़ी पशहमना पोशे िाल मस्त
अज़ शराबे नग़मा क़वाल मस्त
आहतश अज़ शेरे इराक़ी दर ददलश
दर नमी साज़द ब-क़ु रााँ मुफ़दर्लश
और:
[199] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

वार्े़़ दस्तााँ ज़न व अफ़साना बंद


मानी ऊ पस्त व िफ़े ऊ बुलंद
अज़ ख़तीब व देलमी गुफ्तारे अव
बा ज़ईफ़ व शाज़ व मरहसल कारे ऊ!
“अदना हलबास में मल्बूस और अपने िाल में मस्त
सूर्ी क़व्वाल के नग़मे की शराब िी से मदिोश िै।
उसके ददल में इराक़ी के दकसी शेर से तो आग सी
लग र्ाती िै लेदकन उसकी मिदफ़ल में क़ु रआन का
किीं गुज़र निीं!
(दूसरी तरफ़) वाइज़ का िाल यि िै दक िाथ भी
ख़ूब चलाता िै और समााँ भी ख़ूब बााँध देता िै और
उसके अल्फ़ाज़ भी पुर हशकवा और बुलंद व बाला
िैं, लेदकन मायने के ऐतबार से हनिायत पस्त और
िल्के ! उसकी सारी गुफ़्तगू (बर्ाए क़ु रआन के ) या
तो ख़तीब बग़दादी से माख़ूज़ िोती िै या इमाम
देलमी से, और उसका सारा सरोकार बस ज़ईफ़,
शाज़ और मरहसल िदीसों से रि गया िै!”
अल्लामा इक़बाल के नज़दीक मुसलमानों के ज़वाल व
इज़्मिलाल (तड़प) का और उम्मते मुहस्लमा के नक्बत (कि)
व इफ़लास (तंगी) और हज़ल्लत व ख्वारी का असल सबब
क़ु रआन से दूरी और दकताबे इलािी से बादुिी िै। चुनााँचे
“र्वाबे हशकवा” का एक शेर मुलाहिज़ा कीहर्ये:
वो ज़माने में मौअज़्ज़ज़ थे मुसलमााँ िोकर
और तुम ख़्वार हुए ताररके क़ु रााँ िो कर!
[200] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

बाद में इसी मज़मून का इआदा (repeat) अल्लामा मरहूम


ने फ़ारसी में हनिायत पुर हशकवा अल्फ़ाज़ और िद दर्ाु
ददुअाँगेज़ और िसरत आमेज़ पैराए में यूाँ दकया:
ख़्वार अज़ मिर्ूरी क़ु रााँ शदी
हशकवा सन्र् गर्दुशे दौरााँ शदी
ऐ चू शबनम बर ज़मीन अफ़्तनदि
दर बग़ल दारी दकताबे हज़न्दाि!
“(ऐ मुसलमान!) तेरी हज़ल्लत और रुसवाई का
असल सबब तो यि िै दक तू क़ु रआन से दूर और बे-
ताल्लुक़ िो गया िै, लेदकन तू अपनी इस ज़बूं िाली
पर इल्ज़ाम गर्दुशे ज़माना को दे रिा िै! ऐ वो क़ौम
र्ो शबनम के माहनन्द ज़मीन पर हबखरी हुई िै
(और पााँव तले रौंदी र्ा रिी िै)! उठ दक तेरी बग़ल
में एक दकताबे हज़न्दा मौर्ूद िै (हर्सके ज़ररये तू
दोबारा बामे उरूज़ [हशखर] पर पहुाँच सकती िै।)”
मैं अपना यि तास्सुर एक बार दर्र दोिरा रिा हूाँ दक
असरे िाहज़र में क़ु रान की अज़मत हर्स दर्ाु उन पर
मुन्कहशफ़ हुई थी, मैं अपनी मिदूद मालूमात की िद तक
किने को तैयार हूाँ दक वि मुझे किीं और नज़र निीं आती।
मेरे नज़दीक अल्लमा इक़बाल दौरे िाहज़र में ऐर्ाज़े
क़ु रआन का एक अज़ीम मज़िर िैं।
❀❀❀
[201] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

बाब िशतम (आाँठवा)

क़ु रान मर्ीद से िमारा ताल्लुक़


क़ु रान “िबलुल्लाि” िै!
र्ब िम किते िैं दक क़ु रान “िबलुल्लाि” िै! तो इसके
क्या मायने िैं? “िबल” के एक मायने रस्सी के िैं और यिी
ِْ
असल मायने िैं। सूरतुल लिब में यि लफ्ज़ आया िै: { ‫ِف‬
ْ ِ ّ ‫ }ج ْي ِد َها َح ْب ٌل‬यानी मूंर् की बटी हुई रस्सी। इमाम
‫ِم َّم َسد‬ ِ
राहग़ब रहि० ने इसकी ताबीर की िै: “ ‫استعی للوصل وللک‬
‫ ”ما یتوسل به ایل َشء‬यानी दकसी शय से र्ुड़ने के हलये और
हर्स शय से र्ुड़ा र्ाये उसके हलये इस्तआरतन (रूपक) यि
लफ्ज़ इस्तेमाल िोता िै। अिद, क़ौल व करार और मीसाक़
दो र्रीक़ों को बािम (एक साथ) र्ोड़ देता िै। चुनााँचे यि
लफ्ज़ अिद के मायने में भी आता िै, और क़ु रान िकीम में
यि ऐसे अिद के हलये आया िै हर्ससे दकसी को अमन हमल
रिा िो, हिफ़ाज़त और अमान िाहसल िो रिी िो। सूरि
आले इमरान (आयत 112) में यहूद के बारे में इशाुद हुआ:
“यि र्िााँ भी पाये गये इन पर ُ َّ ُ ‫عل َ ْْي‬
َ ْ َ ُ
हज़ल्लत की मार िी पड़ी, हसवाय
‫ة‬‫ل‬‫الذ‬
ِ ‫م‬ ِ ‫ُضبت‬
ِ
इसके दक किीं अल्लाि के हज़म्मे َ َّ ُ ُ َ َ َْ
‫ْي ما ثـ ِقف ْٓوا اِْل ِِب ْبل‬ ‫ا‬
या इन्सानों के हज़म्मे में पनाि
हमल गयी। यि अल्लाि के ग़ज़ब ‫ِم‬ َ ِ ‫ه‬
‫ِِم ّٰللاِ َو َح ْبل‬
َ
में हघर चुके िैं, इन पर मोितार्ी
[202] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

और कम हिम्मती मुसल्लत कर َ َ ۗ َّ
दी गयी िै।” ‫اس َو َِب ُء ْو ِبغضب‬
ِ ‫الن‬
ُ َ
ْ َ ‫ُضب‬ ‫ه‬ َ
‫ت‬ ِ ‫ِِم ّٰللاِ و‬
ُ ََ ْ
ُ ‫عل َ ْْي‬
َ
ۭ ‫م ال َم ْسكنة‬ ِ
गोया खुद अपने बल पर, अपने पााँव पर खड़े िोकर, ख़ुद
मुख्तारी की असास (self-sufficient foundation) पर
उनके हलये इज़्ज़त का मामला इस दुहनया में निीं िै। यि
क़ु रान मर्ीद की पेशनगोई िै और मौर्ूदा ररयासते
इसराइल इसका वाज़ेि सबूत िै। अमेररका अगर एक ददन
के हलये भी अपनी हिफ़ाज़त िटा ले तो इसराइल का वर्ूद
बाक़ी निीं रिेगा।
क़ु रान मर्ीद (आले ईमरान:103) में अिले ईमान से
फ़रमाया गया िै:
“अल्लाि की रस्सी को मज़बूती ‫ه‬ ْ َ ْ ُ ‫اع َت‬
ْ َ
ِ‫ل ّٰللا‬
से पकड़ लो सब हमल कर।” ِ ‫صموا ِِبب‬
ِ ‫و‬
ً َ
‫ُج ْيعا‬
ِ
अलबत्ता “िबलुल्लाि” क्या िै? क़ु रान में इसकी सराित
(हववरण) निीं िै। और क़ु रान मर्ीद में र्ो बात पूरी तरि
वाज़ेि ना िो, मुज्मल (संहक्षप्त) िो, उसकी तशरीि
(व्याख्या) और तबयीन (समझाना) रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬का
र्ज़े मन्सबी (कतुव्य) िै। अज़रुए अल्फ़ाज़े क़ु रानी:
[203] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

“और िमने (ऐ नबी ‫)ﷺ‬ ْ َ ْ َ ٓ َ ْ َ َْ َ


َ‫ك الذكر‬
आपकी तरफ़ ‘अज़ हज़क्र’ नाहज़ल ِ ‫واْنلنا اِلي‬
दकया, तादक र्ो चीज़ उनके हलये َ ُ
َ ِ َّ َ َ ُ
‫ْنل‬ِ ‫اس ما‬ ‫لِتب ِْي ل ِلن‬
उतारी गयी िै आप उसे उन पर
वाज़ेि करें ।” (सूरि निल:44) ‫ْي ْم‬ ْ َ‫اِل‬
ِ
चुनााँचे अिादीस नबवी ‫ ﷺ‬में सराित मौर्ूद िै दक
“िबलुल्लाि” क़ु रान मर्ीद िै। सिी मुहस्लम में िज़रत ज़ैद
हबन अरक़म (रहज़०) से मरवी यि िदीस नक़ल हुई िै दक
रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬ने इशाुद फ़रमाया:
َّ َ
ُ ‫ اَ َح ُد ُھ َما کَ َت‬،‫ک ف ِْي ُک ْم ثَ َقلَ ْْی‬
.... ‫اِبّٰللاِ َع ّز َو َجل ُھ َو‬
ّ َ ََ
ٌ ‫ِّن َتر‬
ِ ِ ْ ِ ‫اْل وا‬
ُ
ِ‫َح ْبل ّٰللا‬
“आगाि रिो! मैं तुम्िारे माबैन (बीच) दो ख़ज़ाने
छोड़े र्ा रिा हूाँ, उनमें से एक अल्लाि की दकताब
िै, विी िबलुल्लाि िै.....”
क़ु रान िकीम के बारे में िज़रत अली (रहज़०) से एक तवील
ُ ُ
िदीस मरवी िै, हर्समें अल्फ़ाज़ आये िैं: (( ِ‫ھ َو َح ْبل ّٰللا‬
ُ ْ ‫“ )) ْال َم ِت‬यि (क़ु रान) िी अल्लाि की मज़बूत रस्सी िै।”
‫ْی‬
यि ररवायत सुनन हतरहमज़ी और सुनन दारमी में मौर्ूद
िै। मज़ीद बरााँ (बढ़ कर) िज़रत अब्दुल्लाि हबन उमर
(रहज़०) से र्ो ररवायत रज़ीन में आयी िै उसमें भी यिी
ْ ْ ُ
ُ ‫“ ))ھ َو َح ْبل ّٰللاِ ال َم ِت‬यि क़ु रान िी अल्लाि ُ
अल्फ़ाज़ िैं: ((‫ْی‬
की मज़बूत रस्सी िै।” सुनन दारमी में िज़रत अब्दुल्लाि
हबन मसऊद (रहज़०) से ररवायत िै दक अल्लाि के रसूल
ُ ُْ َ ٰ َ
अल्लाि ‫ ﷺ‬ने इशाुद फ़रमाया: ِ‫ا ِّن ھذا الق ْرآ َن َح ْبل ّٰللا‬
[204] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

ُ ْ ‫الن ْو ُر ْال ُمب‬


‫ْی‬
ُّ َ
‫“ و‬यक़ीनन यि क़ु रान िबलुल्लाि और नूरे
ِ
मुबीन िै।”
क़ु रान को “रस्सी” दकस ऐतबार से किा गया िै, इसके
दो पिलु िैं। एक तो बंदा इस रस्सी के ज़ररये अल्लाि से
र्ुड़ता िै। यि रस्सी िमें अल्लाि से र्ोड़ने वाली िै।
“ताल्लुक़ माअ अल्लाि” और “तक़रुु ब इलल्लाि” दोनों
तसव्वुफ़ (रिस्यवाद) की इस्तलािें (मुिावरे) िैं। ताल्लुक़ के
मायने िैं लटक र्ाना। “अलक़” लटकी हुई शय को किते िैं।
“ताल्लुक़ माअ अल्लाि” का मफ़हूम िोगा अल्लाि से लटक
र्ाना, याहन अल्लाि से हचमट र्ना, अल्लाि के साथ र्ुड़
र्ाना। इसी तरि “तक़रुु ब इलल्लाि” का मतलब िै अल्लाि
से क़रीब से क़रीब तर िोने की कोहशश करना। सलूक
(व्यविार) और तरीक़त (रास्ता) का मक़सद यिी िै।
ताल्लुक़ माअ अल्लाि में इज़ाफ़े और तक़रुु ब इलल्लाि का
मौअसर तरीन (सबसे प्रभावी) और सिल तरीन (सबसे
आसान) ज़ररया क़ु रआन िकीम िै।
इस ऐतबार से दो िदीसें मुलाहिज़ा कीहर्ए। एक के
रावी िज़रत अबदुल्लाि हबन मसऊद (रहज़०) िैं। िदीस के
अल्फ़ाज़ िैं:
َْ َ َّ َ ِ ُ ْ ُ ْ َ ْ ُ ُ َْ
‫الس َما ِء اِیل اْل ْر ِض‬ ‫الق ْرآ ُن َح ْبل ّٰللاِ الممدود ِم‬
“यि क़ु रान अल्लाि की रस्सी िै र्ो आसमान से
ज़मीन तक तनी हुई िै।”
यिी अल्फ़ाज़ िज़रत ज़ैद हबन अरक़म (रहज़०) से मरफ़ू अन
भी ररवायत दकये गए िैं। यानी अगर अल्लाि से र्ुड़ना िै,
अल्लाि से ताल्लुक़ क़ायम करना िै तो इस क़ु रान को
[205] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

मज़बूती के साथ थाम लो, इससे तुम अल्लाि से र्ुड़


र्ाओगे, अल्लाि का क़ु बु िाहसल कर लोगे।
दूसरी मौअज्जम कबीर (क़ीमती खज़ाना) हतबरानी की
बड़ी प्यारी ररवायत िै। उसमें इन अल्फ़ाज़ में नक़्शा खींचा
गया िै दक हुज़ूर ‫ ﷺ‬अपने हुर्रे से बरामद हुए तो आप
‫ ﷺ‬ने महस्र्द के गोशे (कोने) में देखा दक कु छ सिाबा
(रहज़०) क़ु रान का मुज़करा (discussion) कर रिे थे,
क़ु रान को समझ और समझा रिे थे। हुज़ूर ‫ ﷺ‬उनके पास
तशरीफ़ लाये और बड़ा प्यारा सवाल दकया:
ُْ َ ََ ُ ُ ‫آَلَ ْس ُتم ت َ ْش َه ُد ْو َن اَ ْن َّْل اِلٰ َه ا َِّْل‬
ْ ّ ِ َ‫ّٰللا َوا‬
‫ّن َر ُس ْول ّٰللاِ َوا ّن ٰھذا الق ْرآ َن‬
‫ِم ع ِْن ِد ّٰللاِ؟‬ َ ‫َج‬
ْ ِ ‫اء‬
“क्या तुम इस बात की गवािी निीं देते दक अल्लाि
के हसवा कोई माबूद निीं और मैं अल्लाि का रसूल
हूाँ और यि क़ु रान अल्लाि के पास से आया िै?”
सिाबा (रहज़) का र्वाब इसके हसवा और क्या िो सकता
َ
था: “ِ‫ ”! َب ٰل َٰي َر ُس ْول ّٰللا‬यानी “क्यों निीं ऐ अल्लाि के रसूल
‫ﷺ‬, िम इसके गवाि िैं! इस पर आप ‫ ﷺ‬ने फ़रमाया:
ُ ُ َ ُ ُْ َ َ َ ُ َْ ْ َ
ِ ‫ْش ْوا ف ِا ّن ٰھذا الق ْرآ َن َط َرف ٗه ِِب ْی ِد ْیک ْم َو َط َرف ٗه ِب َي ِد ّٰللا‬
ِ ‫فاستب‬
“पस तुम खुहशयााँ मनाओ, इसहलये दक यि क़ु रान
वि शय िै हर्सका एक हसरा तुम्िारे िाथ में िै और
दूसरा हसरा अल्लाि के िाथ में िै।”
इन अिादीस मुबारका से “िबलुल्लाि” का यि तसव्वुर
वाज़ेि िो र्ाता िै दक यि अल्लाि के साथ र्ोड़ने वाली
शय िै।
[206] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

अभी िमने हर्स िदीस का मुताअला दकया उसमें


क़ु रआन िकीम के हलये “ِ‫ِم ِعن ِد ّٰللا‬ ْ ِ ‫اء‬ ْ
َ ‫ ” َج‬के अल्फ़ाज़ आये
िैं, दक यि क़ु रान अल्लाि के पास से आया िै। मुस्तदरक
िादकम और मरासील अबु दाऊद में िज़रत अबुज़र गफ़ारी
(रहज़०) से रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬की यि िदीस नक़ल हुई िै:
ُْ َ َ َ َ َْ ْ َ
‫ّشء افضل ِمَّا خ َرج م ِْن ُه یَ ْع ِّن الق ْرآ َن‬
َ ْ َ ‫اِنَّ ُک ْم َْل‬
‫َت ِج ُع ْو َن اِیل ّٰللاِ ِب‬
याहन “तुम लोग अल्लाि तआला की तरफ़ रुर्ू और
उसके यिााँ तक़रुु ब उस चीज़ से बढ़ कर दकसी और
चीज़ से िाहसल निीं कर सकते र्ो ख़ुद उसी
(अल्लाि तआला) से हनकली िै, याहन क़ु रान
मर्ीद।”
दरिक़ीक़त क़ु रान चूाँदक अल्लाि का कलाम िै और कलाम
मुतकहल्लम की हसर्त िोता िै, तो इससे बढ़ कर क़रीब
िोने का कोई और ज़ररया िो िी निीं सकता। चुनााँचे र्ब
कोई शख्स क़ु रान पढ़ता िै तो गोया वि अल्लाि से
िमकलाम िोता िै। िज़रत अब्दुल्लाि हबन मुबारक रहि०
तबै ताबईन के दौर की शहख्सयत िैं। उन्िोंने अपना मामूल
बना हलया था दक साल में छ: मिीने सरिदों पर हर्िाद में
शरीक िोते। उस दौर में दारुल इस्लाम की सरिदें बढ़ रिी
थीं और उसके हलये हर्िाद र्ारी था। र्बदक छ: मिीने आप
रहि० घर पर गुज़ारते और इस अरसे में लोगों से हमलने-
र्ुलने से ित्तल इम्कान गुरेज़ करते। हसर्ु नमाज़ बा-र्मात
के हलये महस्र्द में आते, बाक़ी वक़्त घर पर िी रिते। दकसी
ने किा दक अब्दुल्लाि! आप तन्िाई पसंद िो गए िैं, तन्िाई
से आपकी तबीयत उकताती निीं? उन्िोंने फ़रमाया: “क्या
तुम उस शख्स को तन्िा समझते िो र्ो अल्लाि से
[207] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

िमकलाम िोता िै और रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬की सोिबत से


र्ै ज़याब िोता िै?” लोग िैरान हुए दक यि क्या कि रिे िैं।
र्ब इसकी वज़ाित तलब की गई तो फ़रमाया दक देखो र्ब
मैं अके ला िोता हूाँ तो क़ु रान पढ़ता हूाँ या िदीस पढ़ता हूाँ।
र्ब क़ु रान पढ़ता हूाँ तो अल्लाि से िमकलाम िोता हूाँ और
र्ब िदीस पढ़ता हूाँ तो रसूल अल्लाि ‫ ﷺ‬की सोिबत से
फ़ै ज़याब िोता हूाँ। तुम मुझे तन्िा ना समझो:
दीवाना-ए-चमन की सैरें निीं िैं तन्िा
आलम िै इन गुलों में, र्ू लों में बहस्तयााँ िैं!
मसनद अिमद, हतरहमज़ी, अबु दाऊद, हनसाई, इब्ने मार्ा
और सिी इब्ने िब्बान में िज़रत अब्दुल्लाि हबन उमर
(रहज़०) से यि िदीसे नबवी मन्क़ू ल िै:
ُ َُّ َ ُْ ََ ّْ َ َ َ ْ َ َْ ْ ْ ُ ْ َ ُ َُ
‫َتتِل‬ ‫ِب القرآ ِن اقرآ وارت ِق ورتِل کما کنت‬ ِ ‫یقال لِصاح‬
ُ َْ َ َ َ ْ َ َّ َ َ ْ ُّ
‫ک ع ِْند آخِ ِر آیَۃ تق َرآ َھا‬‫ْنل‬
ِ ‫ِِف الدنيا ف ِان م‬
“(क़यामत के ददन) साहिबे क़ु रान से किा
र्ायेगा दक क़ु रान शरीफ़ पढ़ता र्ा और (र्न्नत
के दरर्ात पर) चढ़ता र्ा, और ठिर-ठिर कर
पढ़ र्ैसा दक तू दुहनया में ठिर-ठिर कर पढ़ता
था। पस तेरा मक़ाम विी िै र्िााँ आखरी
आयत िर पहुाँचे।”
लेदकन वाज़ेि रिे दक साहिबे क़ु रान से मुराद हसफ़ु िादफ़ज़े
क़ु रान या िमारे यिााँ पाए र्ाने वाले क़ारी निीं िैं, बहल्क
वि िादर्ज़ व क़ारी मुराद िैं र्ो क़ु रान के इल्म व हिकमत
से भी वादकफ़ िैं, उसको पढ़ते भी िैं और उस पर अमल पैरा
(पालन करना) भी िैं। र्न्नत में इस क़ु रान के ज़ररये उनके
दरर्ात में तरक्क़ी िोती चली र्ायेगी और उनका आखरी
[208] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

मक़ाम विााँ मुअय्यन िोगा र्िााँ उनका सरमाया-ए-क़ु रान


ख़त्म िोगा। तो वाक़्या यि िै दक तक़रुु ब इलल्लाि और
वसल इलल्लाि का मौअस्सर तरीन (असरदार) ज़ररया
क़ु रान िकीम िी िै। मैंने इसी हलये इमाम राहग़ब रहि० के
अल्फ़ाज़ का िवाला ददया था दक “िबल” का लफ्ज़ वसल के
हलये इस्तआरतन (रूपक) इस्तेमाल िोता िै और यि िर
उस शय के हलये इस्तेमाल िोगा हर्सके ज़ररये दकसी शय
के साथ र्ुड़ा र्ाये। इस मायने में िबलुल्लाि क़ु रान मर्ीद
िै।
अगर पैराशूट की हमसाल सामने रखें तो र्ुमला
ईमाहनयात इस क़ु रान के साथ इस तरि र्ुड़े हुए िैं हर्स
तरि पैराशूट की छतरी की रहस्सयााँ नीचे आकर एक र्गि
र्ुड़ र्ाती िैं। र्ब पैराशूट खुलता िै तो उसकी छतरी दकस
क़दर वसीअ (चौड़ी) िोती िै, लेदकन उसकी सारी रहस्सयााँ
एक र्गि आकर र्ुड़ी हुई िोती िैं। बा-अल्फ़ाज़ दीगर (दूसरे
लफ़्ज़ों में) हर्तने भी शोबे िैं वि सबके सब क़ु रान के साथ
मुन्सहलक (र्ुड़े हुए) िैं। चुनााँचे क़ु रान पर यि यक़ीन मतलूब
िै दक यि इन्सानी कलाम निीं िै, बहल्क इसका हमम्बा और
सरचश्मा विी िै र्ो मेरी रूि का हमम्बा और सरचश्मा िै।
यि कलाम भी ज़ाते बारी तआला िी से सादर (र्ारी) हुआ
िै और मेरी रूि भी अल्लाि िी के अम्रे कु न (हुक्म) का ज़हूर
(िाहर्र) िै। इस अन्दाज़ से क़ु रान पर यक़ीन, अल्लाि
तआला पर यक़ीन और क़ु रान लाने वाले मुिम्मद रसूल
अल्लाि ‫ ﷺ‬पर यक़ीन मतलूब िै। (“िकीक़ते ईमान” के
मौज़ू पर मेरी पााँच तक़ारीर में यि मज़मून आ चुका िै)।
[209] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

एक ईमान तो तक़लीदी (बनावटी) िै, याहन गैर शऊरी


ईमान, दक एक यक़ीन की कै दफ़यत पैदा िो र्ाती िै, चािे
वि अला वर्ि अल् बसीरत (अंतरुहि में) ना िो, और वि
भी बहुत बड़ी दौलत िै, लेदकन इससे किीं ज़्यादा क़ीमती
ईमान वि िै र्ो अला वर्ि अल बसीरत िो। अज़रुए
अल्फ़ाज़े क़ु रानी:
“(ऐ नबी ‫ )!ﷺ‬कि दीहर्ये दक ُ ْ َ ْٓ ْ َ ٰ ُْ
‫ِل ادع ْٓوا‬ ‫ي‬ ‫ب‬ ‫س‬ ‫ه‬ ‫ذ‬ ‫ه‬ ‫قل‬
यि मेरा रास्ता िै, मैं अल्लाि की ِ ِ ٖ ِ
तरफ़ बुलाता हूाँ समझ-बूझ कर ََ َ ْ َ ٰ َ ‫َ ه‬
‫صْية اَن‬ ِ ‫ لَع ب‬۷ ِ‫اَِل ّٰللا‬
और र्ो मेरे साथ िैं (वि भी)।”
(युसुर्:108)
َّ
ْ ‫ات َب َع‬ َ َ
ۭ‫ن‬ ِ ‫ِم‬
ِ ‫و‬
अला वर्ि अल् बसीरत ईमान याहन शऊरी ईमान,
इकतसाबी (प्राप्त) ईमान और िक़ीक़ी ईमान का वाहिद
हमम्बा और सरचश्मा क़ु रान िकीम िै। मौलाना ज़फ़र अली
खान बहुत िी सादा अल्फ़ाज़ में एक बहुत बड़ी िक़ीक़त
बयान कर गये िैं:
वो हर्न्स निीं ईमान हर्से ले आऐं दुकान-ए-फ़लसफ़ा से
ढू ंढे से हमलेगी आदक़ल को यि क़ु रआं के हसपारों में
आदक़ल यानी गौरो दफ़क्र करने वाले और सोच-हवचार करने
वाले के हलये ईमान का हमम्बा व सरचश्मा हसफ़ु क़ु रआने
िकीम िै।
क़ु रान िकीम के “िबलुल्लाि” िोने का एक दूसरा पिलु
भी िै और वि यि दक अिले ईमान को र्ोड़ने वाली रस्सी,
उनको बािम एक-दूसरे से बााँध देने वाली शय, उनको
बुहनयादे मरसूस बनाने वाली चीज़ यि क़ु रान िै। इसहलये
दक क़ु रान िकीम में र्िााँ अल्लाि की रस्सी को मज़बूती के
[210] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

साथ थामने का हुक्म आया िै विााँ उसके साथ िी बािम


मुतफ़र्रुक़ (अलग) िोने से रोका गया िै। फ़रमाया:
“और मज़बूती से थाम लो ‫ه‬ ْ َ ْ ُ ‫اع َت‬ ْ َ
ِ‫ل ّٰللا‬
अल्लाि की रस्सी को सब हमल- ِ ‫صموا ِِبب‬ ِ ‫و‬
र्ुल कर और तफ़रक़ा मत ُ َ َ َ ً َ
۠ ‫ُج ْيعا َّوْل تف َّرق ْوا‬
डालो!”
ِ

अिले ईमान को र्ोड़ने वाली और बुनयाने मरसूस


(ठोस बुहनयाद) बनाने वाली रस्सी यिी क़ु रान िकीम िै।
इसहलये दक इन्सानी इत्तेिाद विी मुस्तिकम (हस्थर) और
पायेदार िोगा र्ो दफ़क्र व नज़र की िम आिंगी के साथ िो।
बहुत से इत्तेिाद वक़्ती तौर पर वर्ूद में आ र्ाते िैं। र्ैसे
कु छ हसयासी मसलितें िैं तो इत्तेिाद क़ायम कर हलया, कोई
दुहनयावी मफ़ादात िैं तो उनकी हबना पर इत्तेिाद क़ायम
कर हलया। यि इत्तेिाद िक़ीक़ी निीं िोते और ना िी
पायेदार और मुस्तिकम िोते िैं। इन्सान िैवाने आदक़ल िै।
यि सोचता िै, ग़ौर करता िै, इसके नज़ररयात िैं, इसके
कु छ एिरार् व मक़ाहसद िैं, कोई नस्बुल ऐन (लक्ष्य) िै।
नज़ररयात, मक़ाहसद और नस्बुल ऐन का बड़ा गिरा ररश्ता
िोता िै। तो र्ब तक उनमें िम आिंगी ना िो कोई इत्तेिाद
पायेदार और मुस्तिकम निीं िोगा। इस ऐतबार से अल्लाि
की इस रस्सी को मज़बूती से थामोगे तो गोया दो ररश्ते
क़ायम िो गये। एक ररश्ता अिले ईमान का अल्लाि के साथ
और एक ररश्ता अिले ईमान का एक-दूसरे के साथ। र्ैसे
कु ल शरीअत को ताबीर दकया र्ाता िै दक शरीअत नाम िै
हुक़ू क़ु ल्लाि और हुक़ू क़ु ल इबाद का। अल्लाि के साथ र्ोड़ने
वाली सबसे बड़ी इबादत नमाज़ िै और बन्दों के साथ
[211] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

ताल्लुक़ क़ायम करने वाली शय ज़कात िै। इसी तरि


िबलुल्लाि एक तरफ़ अिले ईमान को अल्लाि से र्ोड़ रिी
िै और दूसरी तरफ़ अिले ईमान को आपस में र्ोड़ रिी िै।
َ
यि उन्िें बुनयाने मरसूस (ठोस बुहनयाद) और “ ‫ک َج َسد‬
‫ ” َوا ِحد‬बना देने वाली शय िै। यिी वि बात िै हर्से अल्लमा
इक़बाल ने इन्तिाई ख़ूबसूरती से किा िै:
अज़ यक आईनी मुसलमााँ हज़न्दा अस्त
पैकर हमल्लत अज़ क़ु रआं हज़न्दा अस्त
मा िमा ख़ाक व ददले आगाि ऊस्त
ऐतशामशे कु न दक िबलुल्लाि ऊस्त!
“विदते आईन िी मुस्लमान की हज़न्दगी का असल
राज़ िै और हमल्लते इस्लामी के र्सद-ए-ज़ाहिरी
में रुिे बाहतनी की िैहसयत हसफ़ु क़ु रान को िाहसल
िै। िम तो सर से पााँव तक ख़ाक िी ख़ाक िैं, िमारा
क़ल्बे हज़न्दा और िमारी रूिे ताबंदाि (र्ॉस्र्ोरस)
तो असल में क़ु रान िी िै। हलिाज़ा ऐ मुस्लमान! तू
क़ु रान को मज़बूती से थाम ले दक ‘िबलुल्लाि’ यिी
िै।”
िबलुल्लाि के बारे में मुफ़हस्सरीन के यिााँ बहुत से
अक़वाल हमलते िैं दक िबलुल्लाि से मुराद क़ु रान िै,
कलमा-ए-तैय्यबा िै, इस्लाम िै। यि सारी चीज़ें अपनी
र्गि पर दुरुस्त िैं लेदकन अिादीस नबवी ‫ ﷺ‬की रोशनी
में इसका हमस्दाक़े काहमल क़ु रान िी िै। और दर्र इसकी
हर्स क़दर उम्दा ताबीर अल्लामा इक़बाल ने की िै, यि
र्साित व बलाग़त के ऐतबार से भी मेरे नज़दीक बहुत
उम्दा मक़ाम िै:
[212] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

मा िमा ख़ाक व ददले आगाि ऊस्त


ऐतशामशे कु न दक िबलुल्लाि ऊस्त!
नोट कीहर्ये दक क़ु रान मर्ीद में: { ِ ‫ص ُم ْوا ِِبَ ْب ِل ّٰللا‬
َ ْ
ِ ‫َواعت‬
ُ َََ ََ َ
‫ج ْي ًعا ّوْل تف ّرق ْوا‬
ِ } के अल्फ़ाज़ के बाद फ़रमाया गया िै:
(आले इमरान:103)
“और याद करो अपने ऊपर ‫َ ْ ُ ُ ْ ْ َ َ ه‬
ِ‫ت ّٰللا‬
अल्लाि की उस नेअमत को दक ‫واذكروا نِعم‬
र्ब तुम बािम दुश्मन थे, दर्र ۗ َ ْ َ ُْ ُْ ْ ْ ُ ََْ
‫ُت اعدا ًء‬ ‫عليُك اِذ كن‬
उसने तुम्िारे ददलों को र्ोड़
ُ ُ ُ َ ْ َ َ َّ َ َ
ददया तो तुम उसके फ़ज़ल से ‫ُك‬ْ ‫فالف بْي قل ْوب‬
ِ
भाई-भाई िो गये।” َ
ٓ ْ ُْ ْ َ ْ َ
‫ُت ِب ِنع َم ِت ٖھ‬‫فاصبح‬
ً ْ
‫اِخ َواَن‬

यि क़ु रान मर्ीद िी िै र्ो अिले ईमान के ददलों को र्ोड़ता


और उनको बािम पेवस्त (संयुक्त) करता िै, और यि ददली
ताल्लुक़ और ददली िम आिंगी िी िै र्ो मुसलमानों को
बुनयाने मरसूस (ठोस बुहनयाद) बनाने वाली शय िै।

मुसलमानों पर क़ु रान मर्ीद के हुक़ू क़


तआरुफ़े क़ु रान के हज़मन में र्ो कु छ मैंने अज़ु दकया उन
सब बातों का र्ो अमली नतीर्ा हनकलना चाहिये वि क्या
िै? याहन क़ु रान िकीम के बारे में मुझ पर और आप पर क्या
हज़म्मेदारी आयद (लागू) िोती िै? इसके ऐतबार से मैं ख़ास
तौर पर अपनी दकताब “मुसलमानों पर क़ु रान मर्ीद के
[213] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

हुक़ू क़” का हज़क्र करना चािता हूाँ र्ो िमारी तिरीक रुर्ू


इलल क़ु रान के हलये दो बुनयादों में से एक बुहनयाद की
िैहसयत रखती िै। िमारी इस तिरीक का आगाज़ 1965
ईस्वी से हुआ था। इब्तदाई छ: सात साल तो मैं तन्िा था।
ना कोई अंर्ुमन थी, ना कोई इदारा, ना र्माअत। दर्र
अंर्ुमन खुद्दामुल क़ु रान क़ायम हुई, दर्र 1976 ईस्वी में
क़ु रान अके डमी का संगे बुहनयाद रखा गया। क़ु रान अकै डमी
की तामीरात मुकम्मल िोने के बाद दर्र उसी के बतन से
क़ु रान कालेर् की हवलादत हुई, हर्सके सर पर क़ु रान
ऑहडटोररयम का तार् सर्ा हुआ िै। इस पूरी र्द्दो-र्िद
की बुहनयाद और असास दो दकताबचे िैं: (1) “इस्लाम की
हनशाते साहनया। करने का असल काम।” यि मज़मून मैंने
1967 ईस्वी में मीसाक़ के इदारे के तौर पर हलखा था। (2)
मुसलमानों पर क़ु रान मर्ीद के हुक़ू क़।” यि दकताबचा मेरी
दो तक़रीरों पर मुश्तहमल िै र्ो मैंने 1968 ईस्वी में की थीं।
इसका पसमंज़र यि िै दक उस ज़माने में र्शने ख़ैबर
और र्शने मेिरान वगैरि र्ैसे मुख्तहलफ़ उनवानात से
र्शन मनाये र्ा रिे थे, हर्नमें राग-रंग की मिदफ़लें भी
िोती थीं। सदर अय्यूब खान का ज़माना था। अगरचे
हशकस्त व रेख्त (हवनाश) के आसार ज़ाहिर िो रिे थे,
लेदकन “सब अच्छा िै” के इज़िार के हलये यि शानदार
तक़रीबात मुनअहक्क़द की र्ा रिी थीं। यि गोया उनके दौरे
हुकू मत की आख़री भड़क थी, र्ैसे बुझने से पिले हचराग़
भड़कता िै।
अल्लमा इक़बाल ने अपनी नज़म “इब्लीस की मर्हलसे
शूरा” में इब्लीस की तर्ुुमानी इन अल्फ़ाज़ में की िै: “मस्त
[214] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

रखो हज़क्र व दफ़क्रे सुबि गािी में इसे!” लेदकन उन ददनों


हज़क्र व दफ़क्र की बर्ाये लोगों को राग-रंग की मिदफ़लों में
मस्त रखने का अितमाम िो रिा था। उसी ज़माने में
मज़िबी लोगों को ररशवत के तौर पर “र्शने नुज़ूले क़ु रान”
अता दकया गया दक तुम भी र्शन मनाओ और अपना ज़ोक़
व शोक़ पूरा कर लो। चुनााँचे चौदि सौ साला “र्शने नुज़ूले
क़ु रान” का इनअक़ाद (आयोर्न) हुआ। इसके हज़मन में
दक़रात की बड़ी-बड़ी मिदफ़लें मुनअक्कदक़द (आयोहर्त) हुईं,
हर्नमें पूरी दुहनया से क़ु राु (क़ारी) िज़रात शरीक हुए। इसी
हसलहसले में सोने के तार से क़ु रान हलखने का प्रोर्ेक्ट शुरू
हुआ।
उस वक़्त मेरा ज़िन मुन्तदक़ल हुआ (बदला) दक क्या
क़ु रान िकीम का िम पर यिी िक़ िै? क्या अपने इन कामों
से िम क़ु रान मर्ीद का िक़ अदा कर रिे िैं? चुनााँचे मैंने
महस्र्दे ख़ज़रा समनाबाद में अपने दो खुत्बाते र्ुमा में
मुसलमानों पर क़ु रान मर्ीद के हुक़ू क़ बयान दकये दक िर
मुसलमान पर िस्बे इस्तअदाद (ताक़त के अनुसार) क़ु रान
मर्ीद के पााँच हुक़ू क़ आयद िोते िैं:
1) इसे माने र्ैसा दक मानने का िक़ िै। (ईमान व
ताज़ीम)
2) इसे पढ़े र्ैसा दक पढ़ने का िक़ िै। (हतलावत व
तरतील)
3) इसे समझे र्ैसा दक समझने का िक़ िै। (तज़क्कु र
व तदब्बुर)
4) इस पर अमल करे र्ैसा दक अमल करने का िक़ िै।
(हुक्म व अक़ामत)
[215] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

इन्र्रादी हज़न्दगी में हुक्म हबल क़ु रआन यि िै दक


िमारी िर राय और िर फ़ै सला क़ु रान पर मब्नी िो। और
इज्तमाई हज़न्दगी में क़ु रान पर अमल की सूरत अक़ामत मा
अनज़ल हमनल्लाि याहन क़ु रान के अता करदा हनज़ामे
अदले इज्तमाई को क़ायम करना िै। क़ु राने िकीम में इरशाद
िै:
“ऐ दकताब वालो! तुम्िारा कोई ْ ُ ْ َ ٰ ْ َ َْ‫ُْ ا‬
मक़ाम निीं र्ब तक दक तुम ‫ُت‬ ‫س‬ ‫ل‬ ‫ب‬ ِ ‫قل ٰٓيهل الك‬
‫ِت‬
क़ायम ना करो तौरात और ُ ‫َ ٰ َ ْ َ ه‬
‫َشء ّتَح ت ِق ْي ُموا‬ ‫لَع‬
इन्र्ील को और र्ो कु छ तुम्िारी
ٓ َ ْ
र्ाहनब नाहज़ल दकया गया िै ‫اْلْن ْيل َو َما‬ ْ َ َ ٰ ْ َّ
ِ ِ ‫التورىة و‬
तुम्िारे रब की तरफ़ से।” (सूरि َ ُْ
ُ ْ ِ ْ ُ َْ
मायदा:68) ْ ‫ِم َّرب‬
‫ُك‬ ‫ُك‬ ‫ي‬‫ِل‬
‫ا‬ ‫ل‬ ‫ْن‬
ِ ِ ‫ا‬

5) क़ु रान को दूसरों तक पहुाँचाना, इसे र्ै लाना और


आम करना। (तबलीग व तबईन)
इन पााँच उन्वानात के तित अल्िम्दुहलल्लाि सुम्मा
अल्िम्दुहलल्लाि यि बहुत र्ामेअ दकताबचा मुरत्तब हुआ
और हबला मुबालगा यि लाखों की तादाद में छपा िै। दर्र
अंग्रेज़ी, अरबी, फ़ारसी, पश्तो, तहमल, मलेहशया की ज़बान
और हसन्धी में इसके तराहर्म हुए। र्ो िर्रात भी िमारी
इस तिरीक रुर्ू इलल क़ु रान से कु छ ददलचस्पी रखते िैं,
मेरे दुरूस (कोसु) में शरीक िोते िैं या िमारे हलिेचर का
मुताअला करते िैं उन्िें मेरा नासिाना मशवरा िै दक इस
दकताबचे का मुताअला ज़रूर करें। यि दरिक़ीक़त “तआरुर्े
क़ु रान” पर मेरे हख़ताबात का लाज़मी नतीर्ा और उनका
ज़रुरी तकहमला िै।
[216] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

यि भी र्ान लीहर्ये दक अगर िम यि हुक़ू क़ अदा निी


करते तो अज़रुए क़ु रान िमारी िैहसयत क्या िै। क़ु रान
मर्ीद के हुक़ू क़ को अदा ना करना क़ु रान को तकु कर (छोड़)
देने के मुतराददर् (बराबर) िै। सूरतुल र्ु रक़ान में मुिम्मद
रसूल्लाि ‫ ﷺ‬की फ़ररयाद नक़ल हुई िै:
“और पैग़म्बर किेगा दक ऐ मेरे ُ َ
َّ ‫َو َقال‬
َ ٰ ‫الر ُس ْول‬
रब! मेरी क़ौम ने इस क़ु रान को ‫ب‬ ِ ‫ُي‬
छोड़ रखा था।” َ ٰ ُ َ َّ َ َّ
‫ِن ق ْو ِِم اَّتذ ْوا ھذا‬ ‫ا‬
َْ َ ْٰ ُ ْ
‫؀‬30 ‫ن مه ُج ْو ًرا‬ ‫القرا‬

मौलाना शब्बीर अिमद उस्मानी रहि० ने इस आयत


के ज़ेल में िाहशये में हलखा िै:
“आयत में अगरचे मज़कू र हसफ़ु कादफ़रों का िै
तािम क़ु रआन की तस्दीक़ ना करना, उसमें तदब्बुर
ना करना, उस पर अमल ना करना, उसकी
हतलावत ना करना, उसकी तसिीिे दक़रआत की
तरफ़ तवज्जो ना करना, उससे ऐराज़ करके दूसरी
लहग्वयात या िक़ीर चीज़ों की तरफ़ मुतवज्जि
िोना, यि सब सूरतें दर्ाु-ब-दर्ाु हिर्राने क़ु रान
के तित में दाहख़ल िो सकती िैं।”
बिैहसयत मुसलमान िम पर क़ु रआन मर्ीद के र्ो हुक़ू क़
आयद िोते िैं, अगर उन्िें िम अदा निीं कर रिे तो हुज़ूर
‫ ﷺ‬के इस क़ौल और फ़ररयाद का इतलाक़ (लागू) िम पर
भी िोगा। गोया दक हुज़ूर ‫ ﷺ‬अल्लाि तआला की
बारगाि में िमारे हख़लाफ़ मुद्दई की िैहसयत से खड़े िोंगे।
[217] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

अल्लामा इक़बाल इसी आयते क़ु रानी की तरफ़ अपने


इस शेर में इशारा करते िैं:
ख्वार अज़ मिर्ूरी क़ु रााँ शुदी
हशकवा सन्र् गर्दुशे दौरााँ शुदी!
“(ऐ मुस्लमान!) तेरी हज़ल्लत और रुसवाई का
असल सबब तो यि िै दक तू क़ु रान से दूर और
बेताल्लुक़ िो गया िै, लेदकन तू अपनी इस ज़बूाँ
िाली (बदिाली) का इल्ज़ाम गर्दुशे ज़माना को दे
रिा िै!”
क़ु रान मर्ीद में दो मक़ामात पर क़ु रान के हुक़ू क़ अदा
ना करने को क़ु रान की तकज़ीब क़रार ददया गया िै। आप
लाख समझें दक आप क़ु रान मर्ीद पर ईमान रखते िैं और
उसकी तस्दीक़ करते िैं, लेदकन अगर आप उसके हुक़ू क़ की
अदायगी अपनी इस्तअदाद (ताक़त) के मुताहबक़, अपनी
इम्कानी िद तक निीं कर रिे तो दरिक़ीक़त क़ु रान को
झुठला रिे िैं। साबक़ा उम्मते मुहस्लमा याहन यहूद के बारे
में सूरि र्ुमा में यि अल्फ़ाज़ आये िैं:
“हमसाल उन लोगों की र्ो ُ ُ َ ْ َّ ُ َ َ
िाहमले तौरात बनाए गए, दर्र ‫ْحلوا‬ ِ ‫ذْي‬ ِ ‫مثل ال‬
उन्िोंने उसकी हज़म्मेदाररयों को َ ُ ْ َ ْ َ َّ ُ َ ٰ ْ َّ
‫ل َي ِمل ْوها‬ ‫التورىة َث‬
अदा ना दकया, उस गधे की सी िै
ْ ََ َ
र्ो दकताबों का बोझ उठाये हुए
ُ َْ
‫ار َي ِمل‬ َ
ِ ‫ل اْلِم‬ ِ ‫َك‬‫ث‬
िो। बुरी हमसाल िै उस क़ौम की
हर्सने अल्लाि की आयात को
ُ َ َ
‫س مثل‬ َ ‫ارا ۭ ب ْئ‬ ً ‫ا َ ْس َف‬
ِ
झुठलाया। और अल्लाि ऐसे
ْ ُ ‫ك َّذ‬
‫ُبا‬
َ َ ْ َّ
‫ذْي‬ ْ َ ْ
ِ ‫القو ِم ال‬
[218] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

ज़ाहलमों को हिदायत निीं देता।” َ ُ ‫ه َ ه‬ ٰ


ٰ
ِ
‫ت ّٰللا ۭ وّٰللا ْل‬
ِ ‫ِِبي‬
(आयत:5)
‫ْ َْ َ ه‬
َ ْ ‫الظلم‬ َْ
‫ْي‬ ِِ ‫دي القوم‬ ِ ‫َّي‬
िमें कााँपना चाहिये, लरज़ना चाहिये दक किीं िमारा शुमार
भी इन्िीं लोगों में ना िो र्ाये।
इस हज़मन में दूसरा मक़ाम सूरतुल वादक़या के तीसरे
रुकू अ की इब्तदाई आयात िैं:
“पस निीं, मैं क़सम खाता हूाँ तारों َ ُ ‫ا ُ ْقس‬ ٓ َ َ
‫ِِب ٰو ِقع‬
के मौक़ों की, और अगर तुम
‫م‬ ِ ‫فًل‬
ِ
समझो तो यि बहुत बड़ी क़सम ٗ َّ ُّ
‫َواِنه‬ ‫ۙ۝‬75 ‫الن ُج ْو ِم‬
िै, दक यि एक बुलन्द पाया
क़ु रान िै, एक मिफ़ू ज़ दकताब में ٌ ‫ع ِظ ْي‬ َ َ ْ ُ َ ْ َ ْ َّ ٌ َ َ َ
‫لقسم لو تعلمون‬
सब्त, हर्से मुतिरीन (पाक) के
हसवा कोई छू निीं सकता। यि ٌ ْ َ ٌ ٰ ْ ُ َ ٗ َّ
‫ۙ۝‬77 ‫ن ك ِرْي‬ ‫ۙ۝ اِنه لقرا‬76
रब्बुल आलमीन का नाहज़ल
करदा िै। दर्र क्या इस कलाम के
َّ ُ ْ َّ ٰ ْ
‫ۙ۝ ْل‬78 ‫ِف كِتب مكن ْون‬ ِ
साथ तुम बेऐतनाई (लापरवािी) ْ َّ ٗٓ َ َ
َ ‫ال ُم َط َّه ُر ْو‬
बरतते िो, और इस नेअमत में ‫ن‬ ‫َي ُّسه اِْل‬
अपना हिस्सा यि रखा िै दक इसे ٌْ َْ
َّ ْ ۭ
झुठलाते िो?” ‫ب‬ ِ ‫ْنيل ِِم ر‬ ِ ‫ۙ۝ ت‬79
َ ٰ ََ َ ْ ‫ال ٰعلَم‬ ْ
‫؀ اف ِبھذا‬80 ‫ْي‬ ِ
ْ
َ ‫ُت ُّم ْده ُن ْو‬ ْ ُ ‫اْلَد ْيث ا َ ْن‬
‫ن‬ ِ ِ ِ
[219] For more books visit: TanzeemDigitalLibrary.com
बयानुल क़ु रान हिस्सा अव्वल, तआरुफ़े क़ु रान (डॉक्टर इसरार अिमद)

ُ
ْ ‫ن ر ْز َق‬
‫ُك‬ َ ‫ۙ۝ َو ََتْ َعل ُ ْو‬81
ِ
َ ُ
‫؀‬82 ‫ن‬َ ‫ُب‬ْ ُ ‫ُك ُتكذ‬ ْ َّ‫اَن‬
ِ
इस क़ु रान, इस अज़मत वाली दकताब, र्ो दकताबे करीम
िै, दकताबे मकनून िै, के बारे में तुम्िारी यि सुस्ती, तुम्िारी
यि कस्लमंदी, तुम्िारी यि नाक़री और तुम्िारा यि अमली
तअहतल (रुकावट) दक तुम इसे झुठला रिे िो! तुमने अपना
हिस्सा और नसीब यि बना हलया िै दक तुम इसकी तकज़ीब
कर रिे िो? तकज़ीब इस मायने में भी दक क़ु रान का इन्कार
दकया र्ाए, इसे अल्लाि का कलाम ना माना र्ाये--- और
तकज़ीब अमली के हज़मन में वि चीज़ भी इसके ताबेअ और
शाहमल िोगी र्ो मैं बयान कर चुका हूाँ। याहन िाहमल-ए-
दकताबे इलािी िोने के बावर्ूद उसकी हज़म्मेदाररयों को
अदा ना दकया र्ाये। अल्लाि तआला िमें इस अन्र्ाम से
मिफ़ू ज़ रखे दक िम भी ऐसे लोगों में शाहमल िों। िम में से
िर शख्स को इन हुक़ू क़ के अदा करने की अपनी इम्कानी
िद तक भरपूर कोहशश करनी चाहिये।
‫اقولقولیھذاواسغفرہللالیولکمالسائرالمسلمین‬
‫والمسلمات۔‬

❀❀❀

You might also like