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मुगलकालीन स्थापत्य कला


बाबर

• बाबर ने 1526 ईस्वीं में पानीपत और रोहिलखंड में एक मस्स्िद का हनमााण करवाया।
• उसका शासनकाल हकसी भी नई शैली और रूप-रेखा के ललए बहुत छोटा था लेहकन वि
रूपात्मक उद्यानों के शौकीन थे।

हुमायूं

• हुमायं बाबर का उत्तराधिकारी बना लेहकन उसका शासनकाल शेरशाि सरी के साथ हनरंतर संघर्ा
और युद्ध से भरा हुआ था।
• उसने दीनपनाह नाम के एक शिर की स्थापना की, लेहकन वि इसे परा निीं कर सका।
• पिली मुगल स्थापत्य कला ददल्ली में हुमायूं का मकबरा थी, जिसे उनकी हविवा िमीदा बानो
बेगम ने बनवाया था। इसे आगरा में तािमिल के पवावती के रूप में भी िाना िाता िै और यि
लािौर के शािदरा स्स्थत ििांगीर के मकबरे की प्रहतकृहत को दशााता िै।
• इस काल के दौरान फारसी शैली प्रलसद्ध थी।
• लसकंदर लोिी का मकबरा भारत में हनर्मित पिला उद्यान-मकबरा था, लेहकन हुमायं के मकबरा ने
कला को अलौहकक सौंदया प्रदान हकया।
• रूपांकन की कुछ हवशेर्ताएं इस प्रकार थीं:
o मकबरा एक वगााकार उद्यान के केंद्र में एक बडे चबतरे पर बना िै।
o उद्यान चारबाग (पक्की सडक) द्वारा 4 भागों में हवभाजित हकया गया िै, जिसके केंद्र में
सतिी रूप में िल-मागा िै।
o पिली बार, सफेद के साथ लाल बलुआ पत्थर का उपयोग हकया गया था (सफेद का
उपयोग बुजद्धमानी से दरवािे और खखडहकयों के चारों ओर इमारत को प्रभावी बनाने के
ललए हकया गया)।
o इसी तरि वगााकार लाल बलुआ पत्थर; एक ऊंची वगााकार छत तक मकबरे की दो-
मंजिला संरचना; मण्डपनुमा श्ृंखलाएं; आदद शुरू हकए गए।
• नोट: मकबरा भारतीय परंपराओं और फारसी स्थापत्य कला का धमश्ण िै, मेिराबदार गुफाओं में,
गललयारों और ऊंचे दोिरे गुंबद के साथ-साथ हकयोस्क (छतरी) िो दूर से एक हपराधमड आकार
प्रदान करते थे।

शेरशाह सरी (सर वूंश)

• इनका शासनकाल लोिी शैली से मुगल शैली की वास्तुकला का पररवतान िै।


• इसने ददल्ली में ककला-ए-कुहना (पुराने हकले की मस्स्िद) का हनमााण करवाया।
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• इसने पाहकस्तान में प्रलसद्ध रोहतास का ककला बनवाया।


• पटना में अफगान शैली में शेरशाह सरी मस्स्िद का हनमााण करवाया।
• इसने एक पुराने मौया मागा के पुनर्निमााण और हवस्तार का काया हकया और इसका नाम बदलकर
सडक-ए-आज़म रखा, जिसे बाद में ग्रैंड ट्रूं क रोड किा गया। इसने याहियों के ललए सराय और
पौिों की व्यवस्था की।
• शेरशाि सरी का मकबरा उसके िन्मस्थान सासाराम, हबिार में बनाया गया था, िो लाल बलुआ
पत्थर से बना था और एक झील के अंदर स्स्थत था। प्रत्येक हकनारे मेिराब थे और बीच में एक
बडा गुंबद था।
• उन्िोंने लाल और िसर बलुआ पत्थर के िालीदार धचिपट, धचहित भीतरी छत और रंगीन खपरैलों
का उपयोग हकया।

अकबर

• इसने 1556 ईस्वीं में ददल्ली के ससििासन पर कब्िा हकया, इसका शासनकाल मुगल कला और
वास्तुकला का स्वर्णिम दौर था।
• लाल बलुआ पत्थर का उपयोग प्रमुख हवशेर्ता थी और इसने ट्यडर मेहराब (चार-केंदद्रत
मेिराब) का उपयोग शुरू हकया।
• इसके शासनकाल की कुछ प्रमुख इमारतें इस प्रकार िैं:
• आगरा का ककला-
o अकबर के शासनकाल के दौरान पिले हनमााणों में से एक।
o यमुना नदी के तट पर लाल पत्थर से हनर्मित।
o अंदर की कुछ इमारतें हनम्न िैं-
▪ मोती मस्स्िद, शािििां द्वारा हनर्मित
▪ दीवान-ए-आम (िन सभा कक्ष) शािििां द्वारा
▪ दीवान-ए-खास (हनिी सभा कक्ष) शािििां द्वारा
▪ ििांगीरी मिल
▪ शीश मिल (तुकी स्नानागार)

नोट: चारबाग शैली- हकले के अंदर के उद्यान इस शैली के अनुसार बनाए गए थे।

• फतेहपुर सीकरी-
o यि अकबर द्वारा बनाया गया नया राििानी शिर था और भारत-इस्लामी स्थापत्य कला
का एक नया युग था।
o इसे ‘इहतिास में सुनिरे पलों’ के रूप में वर्णित हकया गया िै क्योंहक यिां इमारतें हििदू और
फारसी शैली का एक अनठा संयोिन दशााती िैं।
o यिां के कुछ स्मारक िैं:
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▪ बुलूंद दरवािा (1576 ईस्वीं) – गुिरात पर अकबर की िीत के ललए बनवाया


गया। यि 40 मीटर ऊंची लाल बलुआ पत्थर की संरचना और दुहनया का सबसे
बडा प्रवेश द्वार िै।
▪ सलीम चचश्ती का मकबरा (1581 ईस्वीं) – सफेद संगमरमर में िाली का काम
और दीवारों पर कुरान की आयतों का लशलालेख।
▪ पूंच महल- पांच मंजिला संरचना िो फारसी बैिर (हविड-कैचर) से प्रेररत िै।
▪ िोिाबाई का मिल या मररयम-उज़-ज़मानी का महल
▪ इबादतखाना- हवभभन्न िमों के नेताओं के साथ हवचार-हवमशा के ललए बैठक का
स्थान।
▪ पच्चीसी न्यायालय- आंगन किा िाता िै यिां अकबर शतरंि खेलता था।
▪ कहरन मीनार- अकबर के पसंदीदा िाथी की याद में बनवाया गया। याहियों के
ललए प्रकाशस्तंभ के रूप में काया हकया।
• अकबर ने वृंदावन में गोवविंद दे व का मूंददर बनवाया।

िहाूंगीर

• इसने धचिकारी और अन्य कला के रूपों पर अधिक ध्यान ददया।


• उनके कुछ उल्लेखनीय स्मारक थे-
• लसकंदरा में अकबर का मकबरा
• लािौर में स्वयं का मकबरा
• कश्मीर में शालीमार बाग
• लािौर में मोती मस्स्िद
• नरििां के हपता इतमाद-उद-दौला का मकबरा, एक उत्कृष्ट उदािरण िै- यि मुगल काल के
दौरान पिला काया था िो परी तरि से सफेद संगमरमर से बना था। इसके अलावा दुहनया का
बेितरीन पर्चिंनकारी काम हकया गया।

शाहिहाूं

• इसके शासनकाल के दौरान, वास्तुकला अपने सवोच्च लशखर पर पहुंच गई और कुछ प्रमुख काया
हनम्नललखखत थे:
• ताि महल-
o वास्तुकला का बेितरीन उदािरण और प्यार की हनशानी।
o शािििां ने अपनी प्यारी पत्नी अिजामनबानो बेगम या मुमताज़ मिल की याद में बनवाया
था।
o इसकी हवशेर्ताओं में िस्तललहप, पर्चिनकारी काया (कीमती बहुरंगी पत्थरों के साथ सुंदर
िडाऊ काम), चारबाग शैली उद्यान, सिावट के ललए पररसर में पानी का उपयोग और
दूरदर्शिता तकनीक आदद शाधमल िैं।
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o फीतेदार िाली का काया और संगमरमर पर बारीक नक्काशी की गई थी।


• ददल्ली में लाल ककला-
o उसने अपनी राििानी आगरा से ददल्ली स्थानांतररत की।
o उसने सातवें शहर शाहिहानाबाद की नींव रखी, जिसका प्रलसद्ध दुगा लाल हकला था
(1639 ईस्वीं में शुरू हुआ)।
o लाल हकला दीवारों, दरवािों के साथ एक अहनयधमत अष्टभुिाकार आकृहत िै और लाल
बलुआ पत्थर में कुछ अन्य इमारतें हनर्मित की गईं, और मिलों के ललए संगमरमर का
उपयोग हकया गया।
o इसमें दीवान-ए-आम और दीवान-ए-खास शाधमल थे।
• ददल्ली में िामा मस्स्िद
• लािौर में शालीमार बाग भी यनेस्को की हवश्व िरोिर सची में िै।
• मयर ससिंहासन िातु के काम के बेितरीन उदािरणों में से एक िै।

औरूंगिेब

• इसके शासनकाल में मुगल वास्तुकला का पतन िोने लगा।


• इसने कला और वास्तुकला के काम में कोई हवशेर् रुधच निीं ली।
• इसके कुछ काया हनम्न थे:
o लािौर हकले में आलमकगरी द्वार, लािौर
o बादशाही मस्स्िद, लािौर- पाहकस्तान में तीसरी सबसे बडी और दुहनया में 7वीं सबसे
बडी िै। वास्तुकला का ढांचा ददल्ली की िामा मस्स्िद के समान िै।

मुहम्मद आज़म शाह

• अंहतम मुगल जिसने स्थापत्य कला हनमााण काया हकया।


• बीवी-का-मकबरा- औरंगाबाद में अपनी मां बेगम राहबया दुरानी (औरंगज़ेब की पत्नी) की याद
में तािमिल की खराब नकल का हनमााण कराया।
• ज़ीनत महल, ददल्ली- अपनी पत्नी की याद में।

इस काल के दौरान अन्य दो प्रमुख शैललयाूं कनम्न थीं:

लसख शैली:

• पंिाब में हवकलसत और मुगल स्थापत्य कला से प्रभाहवत िै।


• हनमााण काया के ऊपर कई छतररयों का उपयोग।
• उभारदार हकनारों का उपयोग।
• पीतल और तांबे के हगल्ड से धघरा िारीदार गुंबद और मेिराबों से सिा हुआ।
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• स्वर्ण मूंददर का हनमााण 1585 ईस्वीं में शुरू हुआ और 1604 ईस्वीं में अिान दे व ने परा हकया।

रािपत शैली:

• मुगलों से प्रभाहवत लेहकन आकार और हनमााण में अनठा।


• इसमें मिलों और हकलों का हनमााण शाधमल िै।
• कुछ अहद्वतीय हवशेर्ताएं िैं:
• सभी प्रहतरूपों और आकारों के साथ बाहर की ओर कनकली हुई बालकनी की अविारणा।
• हकनारे को एक मेिराब के आकार में इस प्रकार बनाया गया था ताहक छाया िनुर् के आकार की
िो।

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