780df14b-47c9-4d39-90b8-1ab2736b6e63

You might also like

Download as pdf or txt
Download as pdf or txt
You are on page 1of 58

मुगलकालीन

स्थापत्य, कला एवं संस्कृति


बाबर
• बाबर के समय में मुगल स्थापत्य कला की शुरुआत होती है । उसने
पानीपत के ननकट ‘काबुलीबाग’ में एक मस्जिद (1529 ई.) में
बनवायी।

• बाबर ने रूहे लखण्ड में सम्भल की जामा-मस्जिद तथा आगरा में


लोदी नकले के भीतर एक मस्जिद बनवायी एवं ज्यानमतीय नवनध पर
आधाररत एक उद्यान आगरा में लगवाया नजसे नूरअफगान नाम
नदया।
हुमायूूँ
• नदल्री में दीनपनाह (नवश्व का शरण स्थल) नामक 1533 ई. में हुमायूूँ
ने एक नगर का ननमाा ण करवाया जो आज पुराना नकला के नाम से
नवख्यात है ।
अकबर कालीन इमारिें
• अकबर के समय में बनने वाली पहली इमारत ‘हुमायूूँ का मकबरा’
था।

• संगमरमर से नननमात इसका नवशाल गुम्बद एवं नि-गुम्बदीय प्रणाली


इस मकबरे को ताजमहल का पूवागामी कहा गया है ।

• अकबर कालीन इमारतों में मेहराबी और शहतीरी शैली का समान


अनुपात में प्रयोग नमलता हैं ।
आगरा में अकबर कालीन तनतमि ि इमारिें
• अकबर ने (1565-1573 ई.) अपनी राजधानी आगरा में एक नकला
बनवाया।

• 1572-1584 ई. तक अकबर फतेहपुर सीकरी में रहा।

• 1571 ई. में गुजरात नवजय के बाद अकबर ने सीकरी में एक शहर


की स्थापना की नजसे फतेहपुर सीकरी (अकबर की राजधानी) नाम
नदया गया।

• फतेहपुर सीकरी में अकबर िारा नननमात भवनों की नवशेषता थी


चापाकार एवं धरनणक शैनलयों का समन्रय।
• दीवाने आम और दीवाने खास लौनकक प्रयोग के नलए बनाये गये थे।
दीवाने आम एक आयताकार प्रां गण था।

• दीवाने-खास एक घनाकार आयोजन था इसके ननमाा ण में बौद्ध एवं


नहन्दू वास्तुकला की झलक नमलती है ।

• फतेहपुर सीकरी में नननमात जोधाबाई का महल यहां की सबसे बड़ी


इमारत है नजस पर गुजराती शैली का नवशेष प्रभाव है ।

• पंचमहल या हवा महल नपरानमड के आकार का पां च मंनजला भवन


था। यह नालन्दा के बौद्ध नबहारों की प्रेरणा पर आधाररत है ।
• 1571 ई. में अकबर ने फतेहपुर सीकरी में जामा मस्जिद तथा 1581
ई. में सलीम नचश्ती के मकबरे का ननमाा ण कराया था।

• अकबर ने अपनी गुजरात नवजय की स्मृनत में जामा मस्जिद के


दनिणी िार पर 134 फीट ऊूँचा एक बुलन्द दरवाजा बनवाया।

• फतेहपुर सीकरी के बाद 1585 ई. में अकबर लाहौर गया जहां


उसने लाहौर का नकला बनवाया।
जहाूँगीर
• जहां गीर की रुनच स्थापत्य कला की अपेिा नचत्रकला में अनधक थी।
नफर भी उसके समय कुछ भवनों का ननमाा ण हुआ।

• आगरा के पास नसकन्दरा में स्जस्थत अकबर का मकबरा नजसके


ननमाा ण की योजना अकबर ने बनायी थी।

• जहाूँ गीर के शासनकाल का सवोत्कृष्ट ननमाा ण काया 1622 ई.


एत्मादु द्दौला का मकबरा है ।
• यह पूरी तरह सफेद संगमरमर से नननमात है । इस्लानमक भवनों में
यह पहला भवन या मकबरा था नजसमें नपत्रादु रा का प्रयोग नकया
गया।

• कश्मीर में प्रनसद्ध शालीमार बाग की स्थापना जहां गीर ने की।

• जहां गीर एक मात्र मुगलशासक था नजसके समय में एक भी मस्जिद


का ननमाा ण नहीं हुआ।
शाहजहाूँ
• वास्तुकला की दृनष्ट से शाहजहां का काल स्वणा काल था।

• शाहजहां के समय संगमरमर जोधपुर के मकराना नामक स्थान से


नमलता था, जो वृत्ताकाल कटाई के नलए प्रयुक्त होता था।
शाहजहाूँ कालीन आगरा में तनतमि ि इमारिें
• शीश महल, खास महल, आगरा के नकले में बने नगीना मस्जिद एवं
मुसम्मन बुजा आनद पत्थरों से नननमात अन्य प्रमुख इमारतें हैं ।

• नदल्री में यमुना नदी के तट पर शाहजहां नाबाद शहर की नींव


शाहजहां ने 1638 ई. में रखी। यह 1648 ई. में जाकर पूरा हुआ और
इसी समय मुगल राजधानी नदल्री स्थानान्तररत हुई थी।
• अपनी नवीन राजधानी नदल्री (शाहजहां नाबाद) में लाल-बलुआ
पत्थर से नननमात होने के कारण लाल नकले के नाम से प्रनसद्ध हुआ।
इसका ननमाा ण काया 1648 ई. में पूणा हुआ।

• नदल्री के लाल नकले में स्जस्थत ‘दीवाने -खास’ की एक नवशेषता है ।

• 1644 ई. में शाहजहां ने शाहजहां नाबाद में नवशाल जामा मस्जिद


का ननमाा ण कराया जो भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है ।
िाजमहल
• ताजमहल कला जगत को शाहजहां की अनुपम दे न है ।

• 1631 ई. में ताजमहल का ननमाा ण शुरु हुआ तथा 22 वषों बाद 9


करोड़ की लागत से इसका ननमाा ण काया पूरा हुआ।

• उस्ताद अहमद लाहौरी - इस मकबरे का मुख्य स्थापत्यकार था।


नजसे शाहजहां ने ‘नानदर-उल-अस्र’ की उपानध प्रदान की और
इसका प्रधान नमस्त्री ‘उस्ताद ईसा’ था।
औरं गजे ब
• औरं गजेब ने अपनी नप्रय पत्नी रनबया दु राा नी की याद में 1678 ई. में
औरं गाबाद में एक मकबरा बनवाया। जो बीबी का मकबरा नाम से
प्रनसद्ध है । इसे ताजमहल को घनटया (फूहड़) नकल माना जाता है ।
मु गल तित्रकला
• इस्लाम नवरुद्ध होने पर भी मुगलकाल में भारत में नचत्रकला का
नवकास हुआ।

• फारस का प्रनसद्ध नचत्रकार, ‘नवहजाद’ (पूवा का रै फेल) सम्भवतः


बाबर के समय भारत आया था। क्ोंनक ‘तुजुके-बाबरी’ में एक मात्र
नचत्रकार ‘नबहजाद’ का ही नाम नमलता है ।
हुमायूूँ
• मुगल नचत्रकला का जन्मदाता हुमायूूँ को माना जाता है । फारस में
अपने ननवाा सन के दौरान उसकी भेंट सैय्यद अली और ख्वाजा
अब्दु रस्समद से हुई। नवहजाद के इन नशष्ों के सहयोग से हुमायूूँ ने
भारत में मुगल नचत्रकला की नींव रखी।

• मुगल नचत्रकला शैली में नचनत्रत सबसे प्रारस्जम्भक और महत्त्वपूणा


मुगलकालीन नचत्र संग्रह ‘हिनामा’ है जो दास्ताने आमीर हमजा
के नाम से भी प्रनसद्ध है ।
अकबर
• अकबर ने मुगल नचत्रकारी को एक सुव्यवस्जस्थत रूप नदया उसने
नचत्रकारी के नलए एक अलग नवभाग खोला।

• मीर सैय्यद अली और अब्दु स्समद के अलावा 15 प्रनसद्ध नचत्रकारों


के नाम आइने-अकबरी में प्राप्त होता है ।

• दसवन्त, वसावन, महे श, लाल मुकुन्द, सावल दास तथा अब्दु स्समद
अकबर कालीन प्रमुख नचत्रकारों में से थे।
• दसवंत ने माननसक रूप से नवनिप्त हो जाने के कारण 1584 ई. में
आत्महत्या कर ली। इसकी दो अन्यकृनत नमलती है - खानदाने -
तैमूररया एवं तूतीनामा।

• बसावन वह नचत्रकला के समस्त िेत्रों रे खां कन रं गों का प्रयोग, छनव


नचत्रकारी, भू-दृश्ों के नचत्रण आनद में ननपुण था।

• बसावन की सवोत्कष्ट कृनत है एक ‘कृशकाय घोड़े के साथ एक


मजनूं’ का ननजान िेत्र में भटकता हुआ नचत्र।

• अकबर के समय में रूप नचत्रकारी तथा नभनत्त नचत्रकार की


शुरुआत हुई।
जहाूँगीर
• जहां गीर ने हे रात के एक प्रनसद्ध नचत्रकार आकाररजा के ने तृत्व में आगरा में
एक नचत्रशाला की स्थापना की।

• जहां गीर के समय के प्रमु ख नचत्रकारों में उस्ताद मं सूर नवसनदास,


फारुखबेग, मनोहर तथा अबुल हसन शानमल थे ।

• मनोहर वसावन का पुत्र और अपने समय का एक प्रनसद्ध नचत्रकार था। उसने


अने क प्रनसद्ध छनव-नचत्रों का ननमाा ण नकया। ले नकन तुजुके-जहां गीरी में
मनोहर का नाम नहीं नमलता।

• उस्ताद मं सूर प्रनसद्ध ‘पिी नवशे षज्ञ’ नचत्रकार था जबनक अबुल हसन को
व्यस्जक्त-नचत्रों में महारथ हानसल थी।
शाहजहाूँ
• शाहजहाूँ के समय में पहली बाद रानत्र के दृश्ों का नचत्रण तथा एक
नई तकनीक ‘नसहायी कलम’ की शुरुआत हुई।

• शाहजहाूँ के समय प्रमुख नचत्रकारों में फकीरउल्रा, मीरहनशम,


मुरार, हुनर मुहम्मद नानदर, अनुप और नचत्र प्रमुख थे।
औरं गजे ब
• औरं गजेब ने नचत्रकला को इस्लाम नवरुद्ध मानकर बन्द करवा नदया
था।

• ‘‘औरं गजेब की आज्ञा से अकबर के मकबरे वाले नचत्रों को चूने से


पोत नदया गया था।’’
अकबर
• अबुल फजल के अनुसार अकबर के दरबार में 36 गायकों को
राजाश्रय प्राप्त था। नकन्तु उनमें सवाा नधक प्रनसद्ध तानसेन एवं
बाजबहादु र ही थे।

• अकबर स्वयं भी बहुत अच्छा नक्कारा (नगाड़ा) बजाता था।

• तानसेन अकबर के नवरत्नों में से एक था, नजसे अकबर ने रीवा के


राजा रामचन्द्र से प्राप्त नकया था।
• अकबर िारा तानसेन को ‘कण्ठा भरणवाणी नबलास’ की उपानध
प्रदान की गई।

• मुगलकाल के वे संगीतज्ञ नजन्हें अकबर के दरबार में संरिण प्राप्त


था- तानसेन, बाजबहादु र, बैजनाथ, गोपाल, हररदास, रामदास,
सुजानखाूँ , नमयाूँ चाूँ द, नमयाूँ लाल आनद।

• जहाूँ गीर के समय के संगीतज्ञों में तानसेन के पुत्र नवलास खाूँ ,


छतरखाूँ तथा शोकी आनद थे। शौकी को जहाूँ गीर ने ‘आनन्द खाूँ ’
की उपानध प्रदान की जो गजल गाया करता था।
शाहजहाूँ
• संगीतज्ञों में लालखाूँ , खु शहाल खाूँ , नबसराम खाूँ और जगन्नाथ शानमल थे ।

• शाहजहाूँ ने लाल खाूँ (नवलास खाूँ के दामाद) को ‘गुणसमु न्दर’ (गुण समु द्र)
की उपानध दी थी।

• औरं गजे ब स्वयं एक कुशल वीणा वादक था।

• औरं गजे ब के काल में फकीरूल्राह ने ‘मानकुतूहल’ का अनु वाद ‘रागदपाण’


नाम से कर औरं गजे ब को अनपात नकया था।

• बाबर ने एक नई काव्य शै ली-‘मु बइयान’ को प्रारम्भ नकया।

• बाबर ने कनवताओं का संग्रह-‘दीवान’ (तुकी भाषा) नाम से करवाया जो बहुत


प्रनसद्ध हुआ।
हुमायूूँ
• हुमायूूँ की बहन गुलबदन बेगम िारा नलस्जखत हुमायूूँनामा ग्रन्थ के
एक खण्ड में बाबर का इनतहास तथा दू सरे खण्ड में हुमायूूँ का
इनतहास नमलता है ।

• अकबर ने भारत में दरबारी इनतहास लेखन की परम्परा की


शुरुआत की।
नाफाइस-उल-मातसर
• मीर अलाउद्दौला कजवीनी िारा नलस्जखत अकबर के समय की प्रथम
ऐनतहानसक पुस्तक हैं , नजसमें 1565 ई. से 1575 ई. तक की
घटनाओं का नववरण नमलता है ।
अकबरनामा
• अबुल फजल िारा नलखी गयी यह पुस्तक अकबर कालीन शासन
प्रणाली तथा मुगल आनथाक जीवन का महत्त्वपूणा स्रोत है । इसके
अस्जन्तम भाग में अबुल फजल की जीवनी वनणात है ।
मु न्तखाब-उल-िवारीख
• इस पुस्तक की रचना बदायूूँनी िारा की गयी अकबर के
शासनकाल में 1590 ई. में प्रारम्भ इस पुस्तक को ‘नहन्दु स्तान का
आम इनतहास’ माना जाता है ।
अनु वाद तवभाग
• अकबर का राजकनव ‘फैजी’ (अबुल फजल का भाई) अपने समय
का श्रेष्ठ कनव था।

• अकबर के शासनकाल में बदायूूँनी ने रामायण का, राजा टोडरमल


ने भागवतपुराण का, इब्रानहम सरनहन्दी ने अथवावेद का।

• ‘नसंहासन बत्तीसी’ तथा ‘पंचतंत्र’ का कलीला एवं नदमना नाम से तथा


अबुल फजल ने ‘कानलया-दमन’ का अयारे -एन्दाननश (यार-ए-
दाननश) नाम से अनुवाद नकया गया।
• अकबर के आदे श से महाभारत के नवनभन्न भागों का फारसी में
अनुवाद नकया गया तथा उसका संकलन ‘रज्मनामा’ नाम से नकया
गया।

• दरबारी इनतहासकार अब्दु ल हमीद लाहौरी का ‘पादशाहनामा’,


मुहम्मद सानदक का ‘पादशाहनामा’, इनायत खाूँ का
‘शाहजहाूँ नामा’ तथा मुहम्मद सालेह का ‘अमले -सालेह’ प्रमुख है ।
औरं गजे ब
• औरं गजेब अपने साम्राज्य में इनतहास लेखन के नवरुद्ध था। इसनलए
खफी खाूँ को ‘मुन्तखब-उल-तवारीख’ की रचना गुप्त रूप से करना
पड़ा।

• अनेक अरबी ग्रन्थों की सहायता से औरं गजेब ने फारसी में एक नयी


कानून की पुस्तक ‘फतवा-ए-आलमगीरी’ का संकलन करवाया।
तहन्दी सातहत्य
• अकबर ने बीरबल को ‘कनवनप्रय’ (कनवराय) की उपानध प्रदान की
तथा नरहरर चहृवती को ‘महामात्र’ की उपानध दी थी।

• जहाूँ गीर के समय में सूरदास ने ‘सूरसागर’ की रचना की।

• अकबर के दरबार के प्रनसद्ध ग्रन्थकत्ताा ओं में सबसे प्रमुख कश्मीर


का ‘मुहम्मद हुसैन’ था। नजसे अकबर ने ‘जरीकलम’ की उपानध दी
थी।
मुगल साम्राज्य
अकबर की धातमि क नीति
• 1562 में अकबर ने गुलामी प्रथा पर रोक लगा दी।

• 1563 में अकबर ने नहन्दु के ऊपर से तीथा यात्रा कर हटा नलया।

• 1564 में अकबर ने जनजया समाप्त कर नदया।


• 1575 - इबादतखाना - फतेहपुर नसकरी

o यह मुख्यतः : नशया व सून्नीयों के बीच वाद-नववाद स्थल था


बाद में उसे अन्य धमों के नलए भी खोल नदया गया।

• 1579 - महजरनामा

• 1582 - दीन-ए-इलाही Divine Light

• इसका आधार सुलह-ए-कुल है ।


राजपूि नीति
1. वैवातहक सम्बन्ध : यह नीनत मुगल राजपूत नीनत को सुदृढ़ करना था
परन्तु यह उच्च पद प्रास्जप्त के नलए नहीं थी।

आमेर के भारमल की पुत्री - हरकाबाई या मररयम-उल-जमानी से नववाह।

2. नव साम्राज्यवाद नीति : जो राज्य स्वेच्छा से अकबर के सामने झुक जाते


थे उनके राज्यों को वह वापस कर दे ता था नजसे वतन-जागीर कहते थे। यह
परं परागत एवं वंशानुगत जागीर थी नजसे स्थानां तररत नहीं कर सकते थे।
3. पुरस्कार व दण्ड की नीति : मेवाड़ के शासक राणा प्रताप को जब
उन्होंने अकबर की आधीनता स्वीकार नहीं की नजसके पररणामस्वरूप
हल्दीघाटी की लड़ाई हुई।
नोट :

• शेख सलीम नचश्ती के आशीवाा द से अकबर को पुत्र प्रास्जप्त हुई नजसका


नाम सलीम पड़ा। परन्तु सलीम को समझाने हे तु अकबर ने अबुल फजल
को इलाहाबाद भे जा मगर अबुल फजल की हत्या मीर नसंह बुंदेला के िारा
कर दी गयी।

• 1605 में अकबर की मृ त्यु के बाद जहाूँ गीर नाम से गद्दी पर बैठा।

• अकबर ने 1561 में पहला नवजय अनभयान मालवा के स्जखलाफ नकया एवं
उसका मु स्जस्लम अनभयान 1601 में अहमदनगर राज्य के स्जखलाफ था।
नजसका शानसका चां दबीिी थी। इस अनभयान में अकबर ने आनसरगढ़ के
नकले पर अनधकार नकया था।
5. औरं गजेब (1656-1707)
• धातमिक नीति : औरं गजे ब धानमा क मामलों में कट्टरपंथी माना जाता है परन्तु इसने
खु द को इस्लाम के सुधारकताा के रूप में प्रस्तु त नकया।

• इसने एक अनधकारी मु हतानसव को ननयुस्जक्त की नजसका काया यह दे खना था नक


लोग इस्लाम के अनु सार जीवन यापन कर रहे हैं या नहीं।

o सभी नहं दु त्यौहारों पर प्रनतबंध।

o इसने भां ग व तंबाकु के प्रयोग पर प्रनतबंध लगा नदया।

o इसने तुलादान की प्रथा बन्द करवा दी।

o इसने झरोखा दशा न की प्रथा बन्द करवा दी।

o इसने नौरोज प्रथा भी बन्द करवा दी।


• 1679 में औरं गजे ब ने पुनः जनजया लागू नकया एवं मंनदरों को तुड़वाने का
व्यापक आदे श जारी नकया। इस आदे श से मथुरा एवं बनारस के मस्जन्दरों
को तोड़ा गया।

• औरं गजे ब ने नहं दु व मु स्जस्लम व्यापाररयों से अलग-अलग कर वसूला

• नहं दुओं से 5 प्रनतशत वानणस्जज्यक कर जबनक मुस्जस्लमों से 2.5 प्रनतशत


लेता था।

• औरं गजे ब की राजपू नत नीनत : मारवाड़ के शासक जसवंत की मृत्यु के


बाद उनका पु त्र अजीत नसंह पैदा हुआ। औरं गजेब ने इसे वैध
उत्तरानधकारी नहीं माना एवं उसे आगरा के नकले में बंद कर नदया एवं
मारवाड़ को खालीसा भूनम में शानमल कर नलया।
मुगल स्थापत्य कला
1. बाबर : दो मस्जिदों का ननमाा ण जो ईंटों से बनी थी नजसका ननमाा ण
सां भल व पानीपत में हुआ।

2. हुमायुूँ : हुमायुूँ के मकबरे का ननमाा ण उसकी बहन गुलबदन बेगम


की दे खरे ख में (नदल्री) इसे ताजमहल का पूवागामी कहा जाता था।
3. अकबर : इसके कई स्थापत्य फतेहपुर नसकरी में हैं नजसमें –

o बुलंद दरवाजा - गुजरात नवजय के उपलक्ष्य में

o जोधाबाई का महल

o इबादत खाना

o सलीम नचश्ती का मकबरा

o बीरबल का महल

• अकबर ने अपना मकबरा स्वयं बनवाया था – नसकन्दरा (आगरा,


उत्तर प्रदे श)। यह बौद्ध नवहार से प्रभानवत इमारत है ।
4. जहाूँगीर

• जहाूँ गीर के समय में इल्मादउद्दौला का मकबरा नूरजहाूँ की


दे खरे ख में। इस इमारत में पहली बार नपतरादु रा (पच्चीकारी)
तकनीक इजाद की।
5. शाहजहाूँ : शाहजहाूँ का काल मुगल स्थापत्य का स्वणा युग था।

• शाहजहानाबाद : यमुना के नकनारे बसाया गया नया शहर नदल्री


नजसके 2 मुख्य भाग हैं :

o लाल नकला

o जामा मस्जिद
6. औरं गजेब

• औरं गजेब ने औरं गाबाद, महाराष्टर में बीबी का मकबरा या रनबया


उद्दौरान का मकबरा बनवाया नजसे राजमहल का प्रारूप कहा
जाता है ।
मुगल संगीि
1. बाबर : बाबर-दीवान (कनवताओं का संग्रह) - तुकी भाषा में

2. हुमायुूँ : गुलबदन बेगम - हुमायुनामा (फारसी भाषा)

3. अकबर : इसके दरबार में कई कनव व संगीतज्ञ रहते थे ।

• सूरदास

• बैजू बाबरा

• रसखान

• तानसेन - तानसेन ने 3 महत्वपूणा राग की उत्पनत्त की

1. नमया की टोड़ी

2. नमया की राग

3. राग मल्हार
4. जहाूँगीर : एकमात्र मुगल शासक जो नहं दी कनवताएूँ नलखता था।

5. शाहजहाूँ : पस्जण्डत जगन्नाथ भट्ट


मुगल तित्रकला
• इरानी शासक के दरबार का पेन्टर ‘बेहजाद’ था। नजसे “पूवा का
राफेल” कहा जाता था।

• हुमायुूँ -

1. अब्दु ल समद

2. मीर सैयद अली


• अकबर : अकबर मुगल शासन में नचत्रकला का वास्तनवक संस्थापक
था।

• रज्मनामा (पेंतटं ग की तकिाब) : मीर सैयद अली िारा (महाभारत


की)

• हम्जनामा : अकबर के बाल्यकाल का नचत्रण (मीर सैयद अली के


नेतृत्व में)
• जहाूँ गीर : यह मुगल काल का स्वणा यु ग था।

• जहाूँ गीर के शासन काल में कई मशहूर

a) मन्ऱूर - यह नवलु प्तप्राय प्रजानतयों का नचत्रण करता था जै से - साइबे ररयन सारस

b) मनोहर - इसने मजनू का नचत्र बनाया।

c) नवशनदास - इसने इरान के शाह के पररवार का नचत्र बनाया।

d) नमस्जिन - यह यू रोपीय शै ली में नचत्र बनाने हे तु मशहूर था।

e) बसावन - नभनत्त नचत्र

f) दौलत - यह सभी नचत्रकारों का नचत्र बनाता था।

• जहाूँ गीर के समय में एक नयी तकनीक का नवकास हुआ नजसे “नसयाही कलम” कहते
थे।
मु गल मनसबदारी व्यवस्था
• मनसब - मनसब शब्द का वास्तनवक अथा है रैं क या है नसयत या
आनधकारीक स्जस्थनत। यह मध्य एनशया में व्यापक प्रचलन में था एवं
इसे अकबर ने भारत में प्रचनलत नकया इसके दो भाग होते थे-

(a) जात

(b) सवार
• सबसे कम जात 10 है जबनक सबसे उच्च जात 10,000 हैं ।
जहाूँगीर

• जहाूँ गीर ने दु आस्पा-नसंहआस्था का ननयम प्रचनलत नकया।

शाहजहाूँ

• शाहजहाूँ के सामने राजस्व का संकट उभरकर सामने आया नजसके


अंतगात जामा व हानसम ने एक नया अंतनवारोध उत्पन्न नकया।

o जामा - अनुमाननत आय।

o हानसल : संग्रहीत आय।

• इसके पररणामस्वरूप मनसबदारों के वेतन में कटौती की गयी एवं


महीना वेतन प्रणाली लागू की गयी।
औरं गजेब

• सवाा नधक मनसबदार की संख्या।

• सबसे अनधक नहं दु मनसबदार की संख्या।

• मराठों व अफगानों को मनसबदारी प्रथा दे ने वाला पहला शासक


जहाूँ गीर था।
मुगल भूतम प्रशासन (भू-रजस्व प्रशासन)
अकबर

• अकबर ने प्रथम राजस्व नवभाग की स्थापना की थी। नजसे आइन-ए-दहसाला

• अकबर ने राजा टोडरमल को अपना दीवान ननयुक्त नकया। दस साल के


उत्पादन का औसत ननकाला नजसके आधार पर भूनम का वगीकरण नकया
गया।

(a) पोलज - वह जमीन नजसमें प्रत्येक वषा कृनष की जाती थी।

(b) चाचर - एक या दो साल के अन्तर के बाद कृनष।

(c) परै ती - 4 या 5 वषा में एक बार।

(d) बंजर - 10 वषा बाद या कभी नहीं।

You might also like