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RAS

RAJASTHAN PUBLIC SERVICE


COMMISSION

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Hkkx – 6

भारत + विश्व + राजस्थान का भूगोल


प्रस्तावना
प्रिय पाठकों, िस्तुत नोट्स “RAS (Rajasthan Administrative Service) (प्रारं भिक
एवं मुख्य परीक्षा हेत)
ु ” को एक प्रिभिन्न अपने अपने प्रिषयों में ननपुण अध्यापकों एिं
सहकनमियों की टीम के द्वारा तैयार प्रकया गया है / ये नोट्स पाठकों को राजस्थान लोक
सेवा आयोग (RPSC) द्वारा आयोजित करायी िाने िाली परीक्षा “Rajasthan State and
Subordinate Services Combined Competitive Exams” िती परीक्षा में पूणण संिि
मदद करें गें /

अंततः सतकक प्रयासों के बावजूद नोट्स में कुछ कभमयों तथा त्रुटियों के रहने की
संिावना हो सकती है / अतः आप सूचि पाठकों का सुझाव सादर आमंटत्रत हैं/

प्रकाशक:

INFUSION NOTES

ियपुर, 302029 (RAJASTHAN)

मो : 9887809083

ईमेल : contact@infusionnotes.com

िेबसाइट : http://www.infusionnotes.com

Whatsapp Link- https://wa.link/uwc5lp

Online Order Link- https://bit.ly/3X6MGue

मूल्य : ` संस्करण : नवीनतम (2024)


विश्व भूगोल

क्र.सं. अध्याय पेज नं.

1. पृथ्वी की सरं चना एिं भू िैज्ञाननक समय साररणी 1

 भूपपपटी
 मेंटल
 पृथ्वी की आन्तररक संरचना
 भू िैज्ञाननक समय साररणी

2. प्रमुख स्थलाकृतियााँ / भौतिक भू – आकृतियााँ 7


 पिपि
 पठार
 मैदान
 मरुस्थल
3. प्रमुख नददयााँ एिं झीलें 15

 नददयों के दकनारे बसे नगर


 विश्व की प्रमुख जलसन्धियााँ इत्यादद
4. भूकंप एिं ज्वालामुखी 21
 प्रकार
 वििरण
 इसका प्रभाि
 महाद्वीप
5. कृषि एिं इसके प्रकार 36

 कृषि के प्रकार
 विश्व की प्रमुख फसलें इत्यादद

6. प्रमुख औद्योतगक प्रदे श 41

 आकार पर आधाररि उद्योग


 कच्चे माल पर आधाररि उद्योग
 उद्योग को प्रभाविि करने िाले कारक
 विश्व के प्रमुख उद्योग
 विश्व के प्रमुख औद्योतगक नगर
7. पयापिरणीय मुद्दे 46
 पाररस्थस्थकी िंत्र
 प्रमुख पयापिरणीय समस्याएं
 मरुस्थलीकरण
 िनोन्मूलन
 जलिायु पररििपन
 ग्लोबल िानमिंग
 ओजोन अिक्षय
 जनसाँख्या संकट
 भारि में सुधार के प्रयास

8. प्रमुख भू – राजनीतिक समस्याएं 64

 बदलिा भू – पररदृश्य
भारि का भूगोल

1. सामान्य पररचय 68
 अर्प
 शाखाएं उपशाखाएाँ
 सारांश
 परीक्षा हेिु महत्वपूणप प्रश्न

2. भारि की स्थस्थति ि विस्तार 70


 सामान्य पररचय
 क्षेत्रफल एिं विनभन्न रे खाएं
 पड़ोसी दे शों के सार् भारि की सीमा
 सारांश
 प्रारं नभक एिं मुख्य परीक्षा हेिु महत्वपूणप प्रश्न

3. प्रमुख स्थलाकृतियााँ / भौतिक भू - आकृतियााँ 76


 पिपि
o रहमालय, दरे एिं इसका िगीकरण
 मैदान
o भाबर, खादर, िराई, बांगर, रे ह इत्यादद
 पठार
o मालिा का पठार
o बुंदेलखंड
o छोटानागपुर
o बघेलखंड
o दं डकारणय
o मेघालय या शशलोंग
o विध्यांचल पिपि
o सिपुड़ा पिपि
o पश्चिमी एिं पूिी घाट
 मरुस्थल
 प्रमुख द्वीप
 िटििी मैदान
 सारांश
 प्रारं नभक एिं मुख्य परीक्षा हेिु महत्वपूणप प्रश्न
4. जलिायु 95
 मानसून िंत्र (भारि की जलिायु)
 ििाप का वििरण
 मानसून की उत्पत्ति
 जलिायु की विशेििाएं
 जलिायु प्रदे श
 अल नीनो – ला नीना पररकल्पना
 कोपेन का जलिायु िगीकरण
 सारांश
 प्रारं नभक एिं मुख्य परीक्षा हेिु महत्वपूणप प्रश्न
5. प्रमुख नददयााँ एिं झीलें 108

 उद्गम के आधार पर
 रहमालय से ननकलने िाली नददयााँ
 प्रायद्वीपीय नददयााँ
 समुद्र में जल विसजपन के आधार पर
 अरब सागर में तगरने िाली नददयााँ
 बंगाल की खाड़ी में तगरने िाली नददयााँ
 भारि की प्रमुख झीलें
 सारांश
 प्रारं नभक एिं मुख्य परीक्षा हेिु महत्वपूणप प्रश्न
6. प्राकृतिक संसाधन एिं इनका उपयोग 124

 मृदा संसाधन
 िन संसाधन
 सारांश
 प्रारं नभक एिं मुख्य परीक्षा हेिु महत्वपूणप प्रश्न
7. प्रमुख फसलें (कृषि) 130

 गेह,ाँ चािल, गन्ना, कपास, चाय, एिं कॉफ़ी


इत्यादद
 सारांश
 प्रारं नभक एिं मुख्य परीक्षा हेिु महत्वपूणप प्रश्न
8. प्रमुख खननज संसाधन 138

 धात्वत्वक एिं अधात्वत्वक खननज


 सारांश
 प्रारं नभक एिं मुख्य परीक्षा हेिु महत्वपूणप प्रश्न
9. ऊजाप संसाधन 144
 परम्परागि स्रोि
 गैर परम्परागि स्रोि
 सारांश
 प्रारं नभक एिं मुख्य परीक्षा हेिु महत्वपूणप प्रश्न
10. प्रमुख औद्योतगक प्रदे श 150
 विनभन्न महत्वपूणप उद्योग
 प्रारं नभक एिं मुख्य परीक्षा हेिु महत्वपूणप प्रश्न
11. राष्ट्रीय राजमागप एिं प्रमुख पररिहन 163
 रे ल पररिहन
 सड़क पररिहन
 िायु पररिहन
 जल पररिहन
 सारांश
 प्रारं नभक एिं मुख्य परीक्षा हेिु महत्वपूणप प्रश्न
12. जनसंख्या – 2011 173
 िृद्धि
 वििरण
 घनत्व
 शलिंगानुपाि
 साक्षरिा
 नगरीय एिं ग्रामीण जनसाँख्या
 सारांश
राजस्थान का भूगोल

1. सामान्य पररचय 178


 राजस्थान की स्थस्थति
 सीमायें
 रे खाएं
 पड़ोसी राज्य
 प्राचीन भौगोशलक क्षेत्र इत्यादद
 सारांश
 प्रारं नभक एिं मुख्य परीक्षा हेिु महत्वपूणप प्रश्न
2. प्रमुख भू – आकृतिक प्रदे श 197
 पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदे श (मरुस्थल)
 अरािली पिपि माला (पिपि)
 पूिी मैदानी भाग (मैदान)
 दक्षक्षणी पूिी पठारी प्रदे श (पठार)
 भू – आकृतिक प्रदे शों की विशेििाएं
 सारांश
 प्रारं नभक एिं मुख्य परीक्षा हेिु महत्वपूणप प्रश्न
3. जलिायु 209
 जलिायु को प्रभाविि करने िाले करक
 प्रमुख जलिायु प्रदे श
 जलिायु की विशेििाएं
 कोपेन का जलिायु का िगीकरण
 सारांश
 प्रारं नभक एिं मुख्य परीक्षा हेिु महत्वपूणप प्रश्न
4. प्रमुख नददयााँ एिं झीलें 221
 क्षेत्र के आधार पर िगीकरण
 अपिाह िंत्र के आधार पर िगीकरण
o बंगाल की खाड़ी में तगरने िाली नददयााँ
o अरब सागर में तगरने िाली नददयााँ
 नददयााँ एिं उनके दकनारे बसे प्रमुख नगर
 राजस्थान में शजलेिार नददयााँ
 राजस्थान की प्रमुख झीलें
o खारे पानी की झीलें
o मीठे पानी की झीलें
 सारांश
 प्रारं नभक एिं मुख्य परीक्षा हेिु महत्वपूणप प्रश्न
5. प्राकृतिक िनस्पति एिं िन्यजीि 242
 राज्य में प्रमुख िनस्पतियों के प्रकार
 िन्यजीि अभ्यारण्य
 सारांश
 प्रारं नभक एिं मुख्य परीक्षा हेिु महत्वपूणप प्रश्न
6. मृदा 252
 मृदा का िगीकरण
 सामान्य िगीकरण
 अमेररकी िैज्ञाननकों के आधार पर
 मृदा अपरदन
 मृदा अपरदन को रोकने के उपाय
 सारांश
 प्रारं नभक एिं मुख्य परीक्षा हेिु महत्वपूणप प्रश्न
7. प्रमुख फसलें 258
 गेह,ाँ मक्का, जौ, कपास, गन्ना, बाजरा
इत्यादद
 राजस्थान में कृषि पितियााँ
 फसलों का उत्पादन, वििरण इत्यादद
 कृषि जलिायु क्षेत्र
 सारांश
 प्रारं नभक एिं मुख्य परीक्षा हेिु महत्वपूणप प्रश्न
8. राजस्थान में पशुपालन 269
 20 िीं पशुगणना
 डेयरी विकास
 प्रमुख पशु मेले
 सारांश
 प्रारं नभक एिं मुख्य परीक्षा हेिु महत्वपूणप प्रश्न
9. प्रमुख उद्योग 277
 सूिी िस्त्र उद्योग, चीनी उद्योग, सीमेंट
उद्योग, कांच उद्योग, ऊन उद्योग, नमक
उद्योग, रासायननक उद्योग इत्यादद
 प्रारं नभक एिं मुख्य परीक्षा हेिु महत्वपूणप प्रश्न
10. प्रमुख शसिंचाई पररयोजनाएाँ एिं जल संरक्षण 280
िकनीकें
 सारांश
 प्रारं नभक एिं मुख्य परीक्षा हेिु महत्वपूणप प्रश्न
11. जनसंख्या 289
 महत्त्वपूणप आंकड़े
o िृद्धि
o घनत्व
o साक्षरिा
o शलिंगानुपाि
 प्रमुख जनजातियााँ
 सारांश
 प्रारं नभक एिं मुख्य परीक्षा हेिु महत्वपूणप
प्रश्न
12. खननज 300
 खननजों के प्रकार
o धात्वत्वक खननज
o अधात्वत्वक खननज
 प्रमुख खननज भंडार
 खननजों का वििरण
 खननजों का औद्योतगक उपयोग
 सारांश
 प्रारं नभक एिं मुख्य परीक्षा हेिु महत्वपूणप
प्रश्न
13. ऊजाप संसाधन 312
 परम्परागि स्रोि
 गैर परम्परागि स्रोि
 राजस्थान में ऊजाप विकास
 राजस्थान में ऊजाप की अनधष्ठाषपि
उत्पादन क्षमिा
 सारांश
 प्रारं नभक एिं मुख्य परीक्षा हेिु महत्वपूणप
प्रश्न
14. िन्य जीि एिं जैि विविधिा और इनका संरक्षण 322
 चुनौतियााँ एिं सरं क्षण
 मुख्य परीक्षा हेिु महत्वपूणप प्रश्न
15. पयपटन स्थल एिं पररपर् 326
 राज्य में पयपटन
 राजस्थान में पयपटन नीति 2020
o महत्वपूणप निीनिम आंकड़ें
 राजस्थान में पयपटन विकास
 पररपर्, राष्ट्रीय राजमागप, रे लिे, िायु सेिा
 विनभन्न सड़क योजनायें
 सारांश
 प्रारं नभक एिं मुख्य परीक्षा हेिु महत्वपूणप प्रश्न
16. यूनेस्को की भू – पाकप एिं भू – धरोहर स्थल 342
संकल्पना
 राजस्थान में संभािनाएं
 मुख्य परीक्षा हेिु महत्वपूणप प्रश्न
17. प्रमुख पयापिरणीय सम्बिी मुद्दे 343
 मुख्य परीक्षा हेिु महत्वपूणप प्रश्न
विश्व भूगोल km/s हो जाती है। P-तरं गों के िेग में यह पररिततन क्रस्ट
तथा मैंटल के मध्य एक असंबद्धता को प्रदलशित करता है।
अध्याय – 1 इसे मोहो असंबद्धता या मोहोरोविवकक असंबद्धता के नाम
से जाना जाता है।
पृथ्वी की संरचना एिं भूिज्ञ
ै ाननक समय साररणी  मैंटल को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जा सकता है:-
नीचे स्थित मध्यमंडल (Mesosphere) तथा इसके ऊपर
'भूकंपीय तरं गों के विभभन्न प्रकार की चट्टानों से संचररत होने
स्थित दुबतलतामंडल या एिेनोस्फेयर (Asthenosphere)
और उनके व्यिहार में होने िाले पररिततन के आधार पर हम
 'एस्टे नो' शब्द का अथत दुबतलता से है। इसका विस्तार 400
यह ननष्कर्त ननकाल सकते हैं वक पृथ्वी का आंतररक भाग
वकमी तक आँका गया है। ज्वालामुिी उद्गार के दौरान जो
ननम्नललखित तीन प्रमुि संकेन्द्रीय परतों में विभक्त है:
लािा धरातल पर पहुँ चता है,उसका मुख्य स्रोत दुबतलतामंडल
 भूपपतटी या क्रस्ट (Crust) है। मेंटल पृथ्वी के आन्तररक भागों में होने िाली सभी
 मेंटल (Mantle) प्रवक्रयाओं में महत्त्वपूित भूनमका ननभाता है।
 कोर (Core)  दुबतलतामंडल का ननचला भाग भी मध्यमंडल की तरह ठोस
है, वकन्तु ऊपरी भाग प्लास्टस्टक और आंलशक रूप से वपघली
भूपपपटी या क्रस्ट
हुई अििा में पाया जाता है। दुबतलतामंडल में भूकंपीय तरं गों
यह पृथ्वी की सबसे बाह्य परत है। क्रस्ट अन्य दो परतों की
का िेग कम हो जाता हैं अत: इसे ननम्न िेग प्रदेश (Low
तुलना में अनधक पतली, ठोस, कठोर तथा भंगुर (Brittle)
Velocity Zone) भी कहते हैं।
प्रकृतत की होती है। क्रस्ट की मोटाई सभी जगह एक समान
 मेंटल उच्च घनत्व िाले पदाथों जैसे ऑक्सीजन, लोहा और
नहीं है। महासागरीय क्रस्ट की मोटाई महाद्वीपीय क्रस्ट की
मैग्नीलशयम से नननमित है। मैंटल के पदाथों के औसत घनत्व
तुलना में कम है। महासागरों के नीचे इसकी औसत मोटाई
में 3.5 g/cm3 से 5.5 g/cm3 के बीच पररिततन होता है।
लगभग 5 वकमी. हैं, जबवक महाद्वीपों के नीचे यह 30 वकमी.
इस परत का तापमान 900 0C से 2200 0C के बीच होता
तक विस्तृत होती है। पितत श्ृि ं लाओं के क्षेत्र में यह मोटाई
है। इसका कारि मैग्मा की उपस्थितत है। ऊपरी परत का
और भी अनधक है। हहमालय पितत श्ेभियों के नीचे क्रस्ट
दबाि क्रस्ट के ननचले हहस्से और मैंटल के ऊपरी हहस्से
की मोटाई लगभग 70 वकमी तक है। महाद्वीपीय क्रस्ट
को लगभग एक ठोस रूप प्रदान करता है। यहद यह दबाि
अनधकांशत: प्राचीन और आवकियन है जबवक महासागरीय
जारी रहता है तो पृथ्वी के अंदर से वपघला हुआ मैग्मा क्रस्ट
क्रस्ट का ननमाति जुरैलसक काल के बाद हुआ है।
की दरारों से ज्वालामुिी विस्फोट के माध्यम से सतह तक
क्रस्ट को दो भागों में विभालजत वकया जाता है: पहुं चने का प्रयास करता है।
 ऊपरी क्रस्ट: क्रस्ट की ऊपरी परत ऐसी चट्टानों से नमलकर  संिहन धाराओं की उत्पलि दुबतलतामंडल में होती है। जो
बनी है लजनका अनधकांश भाग लसललका और एल्यूनमननयम महाद्वीपीय प्रिाह, भूकंप, ज्वालामुिी आहद जैसी घटनाओं
से बना है। इसललए इसे लसयाल (SIAL= Silica + के ललए ऊजात की आपूतति करता है।
Aluminum) कहा जाता है। इस प्रकार, महाद्वीपों का असंबद्धता का आशय ऐसे सतह से है , जहाँ पर
अनधकांश भाग लसयाल का बना हुआ है। इसका औसत भूकंपीय तरं गों की गतत अचानक पररिततित हो
घनत्व 2.7 g/cm3 है और मोटाई लगभग 28 वकमी है। जाती है, इस पररिततन का कारि पृथ्वी की
 ननचली क्रस्ट: क्रस्ट की ननचली परत अपेक्षाकृत भारी भौततक रासायननक संरचना में आया पररिततन
चट्टानों से नननमित है। लजसमें मूलरूप से लसललका (Si) और है। भूकंपीय असम्बद्धता भी पृथ्वी की आतंररक
मैग्रीलशयम (Mg) की प्रधानता है। इसललए इस भाग को संरचना को समझने में अत्यंत सहायक लसद्ध हुई
सीमा (SIMA= Silica + Magnesium) कहा जाता है। हैं। कुछ प्रमुि भूकंपीय असंबद्धताएं ननम्नललखित
महासागरीय भूपटल इसी प्रकार के चट्टानी संस्तर से बना हैं:-
हुआ है। इसकी औसत मोटाई 6-7 वकमी और घनत्व  कोनार्प असंबद्धता - बाह्य क्रस्ट एिं आतंररक
लगभग 3.0g/cm3 हैं। लसयाल और सीमा की मोटाई संयुक्त क्रस्ट के मध्य
रूप से 70 वकमी से अनधक नहीं है तथा यह पृथ्वी के समस्त  मोहो असंबद्धता - आतंररक क्रस्ट एिं बाह्य मैंटल
आयतन का लगभग 1% है। पृथ्वी की त्रत्रज्या लगभग 6378 के मध्य
वकमी. हैं इसकी तुलना में क्रस्ट की मोटाई नगण्य है।  रे पपटी असंबद्धता - बाह्य मैंटल एिं आतंररक
मेंटल मैटल के मध्य
 कोर से ऊपर तथा क्रस्ट के नीचे एक मोटी मध्यिती परत  गुटेनबगप विशाटप असंबद्धता- आतंररक मैंटल एिं
है लजसे मेंटल कहा जाता है। इसकी मोटाई 2900 वकमी है। बाह्य कोर के मध्य
इसका आयतन समस्त पृथ्वी के आयतन का 83% है। क्रस्ट  लहमेन असंबद्धता- बाह्य कोर एिं आतंररक कोर
के ननचले भाग में P तरं गों की गतत 6.4 km/s बढ़कर 8 के मध्य

https://www.infusionnotes.com/ 1
 पृथ्वी की आंतररक संरचना सकता है, लजसके कारि उच्च तापमान और दबाि के
बािजूद आतंररक कोर ठोस बना रहता है।
कोर:- यह पृथ्वी का सबसे आतंररक भाग है, जो मेंटल के  KTH रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ टे क्नोलॉजी के
नीचे पृथ्वी के केंद्र तक पाया जाता है। इसका विस्तार 2900 अनुसंधानकतातओ ं ने पृथ्वी की सतह से लगभग 6,400
वकमी की गहराई से पृथ्वी के केंद्र तक है। यह पृथ्वी की वकलोमीटर नीचे पृथ्वी के केंद्र में होने िाली िायुमंडलीय
सबसे आन्तररक परत है लजसका प्रारं भ गुटेनबगत असंबद्धता प्रवक्रयाओं के समान स्थितत नननमित करने हेतु वियोललथ
से होता है। अथातत गुटेनबगत असंबद्धता (2900 वकमी) के (ण्विहडश सुपर कंप्यूटर) का प्रयोग वकया।
द्वारा कोर तथा मेंटल को विभक्त करती है। कोर को दो  धातुओ ं की परमाण्विक संरचना तापमान और दबाि के साथ
उपभागों में विभक्त वकया जाता है: पररिततित होती रहती हैं। सामान्य तापमान और दाब पर
लोहा बॉडी सेंटडत क्यूत्रबक (BCC) अििा में रहता है,
(1)बाह्य कोर (2)आंतररक कोर
लेवकन जब उच्च दबाब की स्थितत में यह एक हेक्सागोनल
 बाह्य कोर का विस्तार 2900 वकमी. की गहराई से 5150
क्लोज्ड पैक्ड (HCP) अििा में चला जाता है।
वकमी. तक है लजसका औसत घनत्व 10 g/cm है। बाह्य कोर
 यह अब तक माना जाता है वक पृथ्वी के केंद्र के भीतर BCC
संभितः पूरी तरह से तरल या अद्धत-तरल अििा में है। S
अििा के अस्थस्तत्व के ललए स्थितत बहुत अस्थिर थी और
तरं ग,ें गुटेनबगत असम्बद्धिा पर विलुप्त हो जाती है।
कोर में स्थित लोहा HCP अििा में पाया जाता है लेवकन
 आन्तररक कोर ठोस अििा में है , लजसका विस्तार 5150
नए शोध के अनुसार, केंद्र का अनधक ताप BCC अििा
वकमी की गहराई से पृथ्वी के केंद्र (6378 वकमी गहराई)
को पररिततित नहीं करता है अवपतु उसको और अनधक
तक है। P-तरं गों की गतत बाह्य और आतंररक कोर की सीमा
मजबूत करता है।
पर बढ़ जाती है। यहाँ कोर का घनत्व 12-13 g/cm3 के
 आंतररक कोर की संरचना में 96 प्रततशत के लगभग शुद्ध
बीच है। कोर पृथ्वी के समस्त आयतन का 16% और
लोहा तथा शेर् भाग ननकल तथा कुछ अन्य धातुओ ं से
द्रव्यमान का 32% है। कोर मुख्य रूप से लोहे और ननकेल
नननमित होता है। आंतररक कोर जैसी अिस्थितत में BCC
जैसे भारी धातुओ ं से बना है। इसललए इस हहस्से को ननफे
अििा में लोहा के परमािु 'परमाण्विक विसरि' की प्रवक्रया
(NIFE = Nickel + Ferrous) कहा जाता है। इसे
दशातते हैं, इस कारि यद्यवप वक्रस्टल संरचना तो भंग हो
बैरीस्फीयर भी कहा जाता है।
जाती है लेवकन लोहे की BCC अििा बनी रहती है।
 'परमाण्विक विसरि' में आतंररक कोर के वकनारों पर
अत्यनधक उच्च दबाि के कारि वक्रस्टल संरचना के टु कड़े
अपने मूल विन्यास में पुनःप्रिेश के ललए लगातार वपघलते
और प्रसाररत होते रहते हैं। यह ऊजात वितरि चक्र (एनजी
हडस्ट्िीब्यूशन साईकल) वक्रस्टल को स्थिर और कोर को
ठोस बनाये रिता है।
पृथ्वी के कोर में जेट स्ट्रीम
 यूरोपीय अंतररक्ष एजेंसी (ESA) के िामत उपग्रहों ने पृथ्वी
के आतंररक भाग के बाह्य कोर में जेट स्ट्िीम की उपस्थितत
की िोज की है। िामत उपग्रह (Swarm satellites) पृथ्वी
के कोर, पपतटी, महासागरों, मैंटल, आयनमंडल और
चुम्बकीय मंडल (magnetosphere) के कारि उत्पन्न विभभन्न
चुंबकीय क्षेत्रों का आकलन और ननगरानी करते हैं।
 यह जेट स्ट्िीम वपघले हुए लोहे के त्वरिशील बैंड की तरह
हैं, जो उिरी ध्रुि के चक्कर लगाती है। यह िायुमंडल में
बहने िाली जेट स्ट्िीम के समान होती है।
उच्च तापमान के पश्चात् भी आतंररक कोर ठोस अिस्था  इस िोज से िैज्ञाननकों को पृथ्वी के आंतररक भाग की
में कैसे रह पाता हैं? प्रवक्रयाओं के बारे में और अनधक समझने में मदद नमलेगी
 पृथ्वी का केंद्र अत्यनधक तप्त है और इसका तापमान सूयत तथा भूकंप एिं ज्वालामुिी जैसी घटनाओं के गहन शोध
की तुलना में भी अनधक है। ऐसे में सैद्धांततक रूप से इतने में भी मदद नमलेगी।
उच्च तापमान पर पदाथत गैस और तरल अििा में मौजूद  यह पूित में सम्पन्न एक अनुसंधान को प्रमाभित करती है
होते हैं, लेवकन पृथ्वी का आतंररक कोर ठोस अििा में है। लजसमें यह िोज की गयी थी वक उिरी गोलाद्धत में विशेर्
 िैज्ञाननकों का मानना है वक ऐसा पृथ्वी के केंद्र में लोहे के रूप से अलास्का और साइबेररया के नीचे बाह्य कोर में लोहा
वक्रस्टलीय बॉल' जैसी परमाण्विक संरचना के कारि हो (iron) तुलनात्मक रूप से तीव्रता से गततशील है।
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 पृथ्वी की आतंररक संरचना का संक्षेप में वििरण

परत सापेक्षक्षक अिस्थस्थतत घनत्व रासायननक संगठन

क्रस्ट सबसे बाह्य परत 50 से 70 वकमी. न्यूनतम घनत्व, इसके अंतगतत हल्के तत्व Si, O, Al, Ca, K, Na,
की गहराई तक विस्तृत महाद्वीपों के महासागरीय आहद शानमल हैं। फेल्डस्पर सामान्य रूप से पाया
ननचे अनधक मोटी, क्रस्ट एिं ऊपरी (बेसाल्ट) जाने िाला िननज है।
मैंटल को सस्थिललत रूप से महाद्वीपीय क्रस्ट
ललथोस्फेयर कहा जाता है। (ग्रेनाइट) की
तुलना में अनधक
घनत्व िाला हैं।
2.75 -
2.90g/cm 3

मेंटल मध्यिती परत तथा सबसे मोटी गहराई बढ़ने के यह क्रस्ट के समान ही लसललकन और ऑक्सीजन
परत, उपरी भाग एसथेनोस्फेयर कहा साथ आरोवपत से बना हुआ है लेवकन | इसमें लोहा और मैग्नेलशयम
जाता है। ऊपरी मैंटल (मोहो से 410 दबाि में िृनद्ध से की प्रधानता है।
वकमी तक) | मध्यिती क्षेत्र (410 घनत्व में िृनद्ध इसमें ओलीिाइन और पाइरॉक्सीन प्रचुर मात्रा में
से 660 वकमी) आन्तररक मैंटल होती है। 3.4- नमलता है।
(660 से 2891 वकमी) 5.6g/cm3 कुछ सीमा तक ठोस और कुछ सीमा तक प्लास्टस्टक
के गुि।
गलनांक त्रबदुिं के पास इसका व्यिहार भारी ठोस
पदाथत की तरह होता है।

कोर बैरीस्फीयर या आतंररक परत | भारी धात्वत्वक ननफे (NIFE) तरल या प्लास्टस्टक अििा में
(2900- 5150 वकमी. बाह्य कोर) तत्वों से नननमित, लेवकन अत्यनधक ऊपरी
तथा (5150 से 6378 वकमी. अनधकतम घनत्व दबाि के कारि कठोर
आतंररक कोर) युक्त परत 5.10 -
13.00g/cm3

पृथ्वी की आंतररक संरचना के बारे में विनभन्न ननफे- यह सीमा के नीचे की परत है 1 इसमें ननकेल
पररकल्पनाएं (Nickle-Ne)एिं लोहा (Ferrous-fe) की प्रधानता पायी
स्वेस की पररकल्पना जाती है1 इस परत का घनत्व 11 से 13 होता है 1 पृथ्वी के
स्वेस (1835-1909) नामक भूगभतशास्त्री ने पृथ्वी के आंतररक कोर में लोहे की उपस्थितत पृथ्वी की चुम्बकीय
रासायननक संगठन के आधार पर पृथ्वी की उपरी परतदार शनक्त को प्रमाभित करती है 1
चट्टानों के नीचे तीन परतों की स्थितत का उल्लेि वकया है,
ये हैं- लसयाल, सीमा, ननफ़े 1
ससयाल- अिसादी शैलों के नीचे लसयाल की परत पायी
जाती है 1 इसकी रचना लसललका (si-Silica) एिं
एल्युनमननयम (al-Aluminium) से हुई है 1 इसकी औसत
गहराई 50-300 वक.मी. तथा घनत्व 2.75 से 2.90 तक है1
लसयाल में पोटे शीयम, सोहडयम एिं एल्युनमननयम के
लसललकेट अनधक हैं 1 महाद्वीपों का ननमाति लसयाल से ही
हुआ है 1
सीमा- यह लसयाल के नीचे की परत है1 इसमें लसललका
और मेगनीलशयम (si-ma) की अनधकता पायी जाती है1
इसकी गहराई 1000 से 2000 वक.मी. तक है1 इस परत का
घनत्व 2.90 से 4.75 है 1 इसमें क्षारीय अंश की प्रधानता
पायी जाती है1 र्े ली की पररकल्पना
डेली ने तीन स्तरों को मान्यता प्रदान की है -

https://www.infusionnotes.com/ 3
बाहरी परत- यह लसलीकेट से नननमित है1 इसका घनत्व 3 4. ड्यूनाईट, वपरीडोटाइट या इक्लोजाईट परत
तथा इसकी मोटाई 1600 वक.मी. है 1
मध्यिती परत- यह लौहे एिं लसलीकेट से नननमित है1 इसका भूिैज्ञाननक समय सारणी
घनत्व 4.5 से 9 तथा इसकी मोटाई 1280 वक.मी. है 1 पृथ्वी का ननमाति आज से करीब 450 करोड़ िर्त पूित हुआ1
केंद्रीय क्षेत्र- यह लौह पदाथत से बनी है1 इसका घनत्व 16 तब से लेकर आज तक के इततहास में पृथ्वी पर अनेकों
एिं मोटाई 7040 वक.मी. है1 क्रनमक पररिततन हुए, इन क्रनमक पररिततनों के समय सीमा
हेराल्ड जेफ्री पररकल्पना युक्त अध्ययन को भूिैज्ञाननक समय सारिी कहते हैं। अथिा
हेराल्ड जेफ्री द्वारा 4 परतों को मान्यता दी गयी है - पृथ्वी के इततहास की घटनाओं का कैलेंडर भूिैज्ञाननक समय
1. बाहरी या अिसादी परत सारिी कहलाता है।
2. ग्रेनाईट परत
3. थैकीलाइट या डायोराइट परत
पृथ्वी के सम्पूित जीिन काल को 5 युग (Epoch) शक(Period) कल्प के प्रारम्भ
महाकल्पों(era) का 4 युगों(epoch) तथा 16 होने का समय
कल्पों(period) में िगीकृत वकया गया। कल्प
(Era)
1. एजोइक 1. प्री केस्टियन या
एलोगोननकन
2. आवकियन
2. पेल्योजोइक प्रथम युग 1. केस्टियन 600 नमललयन
(Primary) 2. आडोविलसयन िर्त पूित
3. लसल्युररयन
4. हडिोननयन
5. काबोननफेरस
6. पनमियन
3. मेसोजोइक हद्वतीय युग 1. वियालसक 225 नमललयन
(Secondary) 2. जुरैलसक िर्त पूित
3. वक्रटे लसयस
4. सेनोजोइक तृतीय युग 1. इयोसीन 70 नमललयन
(Tertiary) 2. ओललगोलसन िर्त पूित
3. मायोसीन
4. प्लायोलसन
5. ननओजोइक चतुतथ युग 1. प्लीस्टोसीन 1 नमललयन िर्त
(Quarternary) 2. होलोसीन पूित

1. प्री पेसलयोजोइक महाकल्प Pre palaeozoic (Azoic)era: चननियन हलचल से अरािली, धारिाड़, छोटानागपुर, कुटप्पा,
यह सबसे प्राचीनतम महाकल्प है, लजसका समय काल 4.6 लारे लशयन पितत का ननमाति हुआ1
अरबिर्त पूित से 60 करोड़ 600 िर्त पूित तक माना जाता है.
(2) आर्कि यन कल्प
इसके अंतगतत दो कल्प आते हैं-:
यह सबसे प्राचीनतम कल्प है1
(1) प्रीकैंत्रियन कल्प (2)आवकियन कल्प
इस युग में ग्रेनाइट एिं नीस चट्टानों की प्रधानता थी। इस
(1) प्रीकैंतियन (प्रोटोरोजोइक) कल्प कल्प में जीिों की उत्पलि नहीं हुई थी अथातत यह जीि रहहत
इस कल्प में पृथ्वी तरलाििा से ठोस अििा में पररिततित कल्प था।
हुई लजससे भू-पटल का ननमाति हुआ। 2. पुराजीिी महाकल्प (Paleozoic Era):
पृथ्वी के ठण्डे होने से जलिाष्प किों का ननमाति एिं तीव्र इसे प्राथनमक युग भी कहा जाता है । इसका समय काल
िर्ात हुई, लजससे महासागरों का विकास हुआ। वकिं तु लगभग 600नमललयन िर्त से 230 नमललयन िर्त तक रहा।
महासागरों में गमत जल था। इसे 6 कल्पों में विभालजत वकया जा सकता है-:
1. कैंत्रियन कल्प

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अध्याय – 3 Stream) कहते हैं।
 अनुिती नदी में नमलने िाली सहायक नदी को परिती नदी
प्रमुख नर्दयााँ एिं झीलें
कहते हैं।
नर्दयााँ  ऑक्सीजन द्वारा शैलों पर होने िाले प्रभाि को ऑक्सीकरि
कहते हैं।
 लजस िान पर नदी जन्म लेती है, उसे नदी का उद्गम िान
 जब जल में घुला हुआ काबतन चट्टानों पर प्रभाि डालता है
कहा जाता है।
तो उसे काबोनीकरि कहा जाता है।
 लजस िान पर नदी सागर या वकसी बड़ी झील में जाकर
 जब हाइड्रोजन जल में नमलकर चट्टानों का अपक्षय करती
नगरती है, उसे नदी का मुि या मुहाना कहते हैं।
 लजस मागत से नदी की धारा गुजरती है, उसे नदी घाटी कहा है तो इसे जलयोजन (Hydration) कहते हैं।
जाता है।  भारत में लसन्धु नदी द्वारा लसन्धु गाजत, सतलज नदी द्वारा
 नदी घाटी के विकास में जब सहायक नहदयाँ मुख्य नदी से लशपकी-ला गाजत तथा िह्मपुत्र नदी द्वारा कोरबा गाजत का
आकर नमलती है तो अपिाह बेलसन (Drainage System) ननमाति हुआ है।
का ननमाति होता है।  सं. रा. अमेररका में कोलोरे डो नदी के शुष्क पठार पर
 दो अपिाह बेलसनों के बीच के उच्च भाग को जल विभाजक कोलोरे डो नदी द्वारा नननमित कोलोरे डो कैननयन विश्व में सबसे
(Watershed or Water Divider) कहते हैं।
अनधक प्रलसद्ध कैननयन है।
 भारत की पश्चिमी घाट की पितत श्ेिी जल-विभाजक का
 भेड़ा गाजत (भेड़ा घाट, जबलपुर) भारत का सबसे बड़ा
काम करती है 1
संगमरमर का गाजत है।
o क्योंवक इसके पूित में बहने िाली नहदयाँ बंगाल की िाड़ी में
नगरती हैं, जबवक पश्चिम में बहने िाली नहदयाँ अरब सागर  भारत में कनातटक राज्य में शरािती नदी पर स्थित जोग या
में नगरती हैं। गरसोप्पा जल प्रपात 260 मीटर की ऊँचाई से नगरता है।
 िह क्षेत्र, लजसमें से होकर नदी बहती है और जल ग्रहि  हुं डरू जलप्रपात िितरेिा नदी पर स्थित है।
करती है, नदी का अपिाह क्षेत्र (Catchment Area)  कवपलधारा जलप्रपात मध्य प्रदे श के अनुपुर लजले में नमतदा
कहलाता है। नदी पर स्थित है। लशिसमुद्रम जलप्रपात कनातटक के माण्ट्ड्या
 प्रारं भभक भौततक ढ़ाल पर बहने िाली नदी को अनुिती नदी लजले में कािेरी नदी पर अिस्थित है।
(Conseqment
विश्व की प्रमुख झीलें नर्दयााँ

नाम उद्गम स्थान तगरने का स्थान लम्बाई (र्कमी)

1. नील विक्टोररया झील (बुरुंडी) भूमध्य सागर 6,690

2. अमेजन लैगो विलफेरो अटलांवटक महासागर 6,296

3. नमसीलसपी-नमसौरी रे ड रॉक स्रोत (अमेररका) मैक्सक्सको की िाड़ी 6,240

4. यांग्सी ततब्बत का पठार चीन सागर 5,797

5. ओबे अल्टाई पितत ओब की िाड़ी 5,567

6. ह्ांगहो क्युनलुन पितत लचहहल की िाड़ी 4,667

7. येननसी रान्नु-ओला पितत आकतवटक महासागर 4,506

8. काँगो लूआलया ि लआपूला के संगम अटलांवटक महासागर 4,371

9. आमूर लशल्का रूस आरगून के संगम टाटत र स्ट्िे ट 4,352

10. लीना बेकाल पितत (रूस) आकतवटक महासागर 4,268

11. मेकेंजी हफनले नदी के मुहाने से ब्यूफोटत सागर 4,241

12. नाइजर नगनी (अफ्रीका) नगनी की िाड़ी 4,184

13. मीकांग ततब्बत के पठार दक्षक्षिी चीन सागर 4,023

https://www.infusionnotes.com/ 15
 उन्होंने इन जलिायु समूहों को तापक्रम एिं िर्ात की मौसमी
कोपेन का जलिायु िगीकरण विशेर्ताओं के आधार पर कई उप-प्रकारों में विभालजत
 कोपेन द्वारा जलिायु के िगीकरि में आनुभविक पद्धतत का वकया लजन्हें अंग्रज़
े ी के छोटे अक्षरों द्वारा अभभहहत वकया।
व्यापक उपयोग वकया गया है।  कोपेन ने शुष्कता िाले मौसमों को छोटे अक्षरों f, m, w
 कोपेन ने सितप्रथम 1918 में और पूित रूप से 1936 में विश्व तथा s से प्रदलशित वकया।
जलिायु का िगीकरि प्रस्तुत वकया।  इसमें f शुष्क मौसम के न होने को m मानसून जलिायु
 उन्होंने तापमान तथा िर्ति के कुछ ननश्चित मानों का चयन को w शुष्क शीत ऋतु को तथा s शुष्क ग्रीष्म ऋतु को
करते हुए उनका िनस्पतत के वितरि से संबंध िावपत वकया दशातता है।
और इन मानों के आधार पर जलिायु का िगीकरि प्रस्तुत  a, b, c तथा d का प्रयोग तापमान की उग्रता िाले भाग
वकया। को दशातने के ललये वकया गया है।
 कोपेन ने मोटे तौर पर जलिायु के पाँच मुख्य िगत बनाए
और प्रत्येक िगत को अंग्रज़
े ी के एक बड़े अक्षर A, B, C, D
और E द्वारा नामांवकत वकया।
https://www.infusionnotes.com/ 105
जलिायु प्रकार क्षेत्र ि विशेषता
1. लघु शुष्क ऋतु सहहत मानसूनी AMW  ऐसी जलिायु मुम्बई के दक्षक्षि में पश्चिमी तटीय क्षेत्रों में पायी जाती है।
जलिायु इन क्षेत्रों में दक्षक्षि-पश्चिमी मानसून से ग्रीष्म ऋतु में 250-300 सेमी. से
अनधक िर्ात होती है।
 मालाबार एिं कोंकि तट, गोिा के दक्षक्षि तथा पश्चिमी घाट पितत का
पश्चिमी ढाल, अंडमान-ननकोबार द्वीप समूह
उष्ण कवटबंधीय सिाना जलिायु AW  यह जलिायु कोरोमण्डल एिं मालाबार तटीय क्षेत्रों के अततररक्त प्रायद्वीपीय
प्रदे श पठार के अनधकांश भागों में पायी जाती है।
 अथातत् यह जलिायु ककत रे िा के दक्षक्षि में स्थित प्रायद्वीपीय भारत के
अनधकांश भागों में पायी जाती है।
 यहाँ सिाना प्रकार की िनस्पतत पायी जाती है। इस प्रकार के प्रदे श में
ग्रीष्मकाल में दक्षक्षि-पश्चिम मानसून से लगभग 75 सेमी. िर्ात होती है
जबवक शीत काल सूिा रहता है।
शुष्क ग्रीष्म ऋतु एिं आद्रत शीत ऋतु AS  यहाँ शीतकाल में िर्ात होती है और ग्रीष्म ऋतु शुष्क रहती है।
मानसूनी जलिायु  यहाँ शीत ऋतु में उिर-पूिी मानसून (लौटते हुए मानसून) से अनधकांश
िर्ात होती है। िर्ात ऋतु की मात्रा शीतकाल में लगभग 75-100 सेमी. होती
है
 इसके अन्तगतत तटीय तनमलनाडु और आंध्र प्रदेश के सीमािती प्रदे श आते
हैं।
अद्धत शुष्क स्टे पी जलिायु BShw  यहाँ ग्रीष्म काल में 30-60 सेमी. िर्ात होती है।
 शीत काल में िर्ात का अभाि रहता है।
 यहाँ स्टे पी प्रकार की िनस्पतत पायी जाती है।
 इसके अन्तगतत मध्यिती राजिान, पश्चिमी पंजाब, हररयािा, गुजरात के
सीमािती क्षेत्र एिं पश्चिमी घाट के िृखष्ट छाया प्रदेश शानमल हैं।
उष्ण मरूिलीय जलिायु BWhw  यहाँ िर्ात काफी कम (30 सेमी. से भी कम) होती है तापमान अनधक रहता
है।
 यहाँ प्राकृततक िनस्पतत कम होती है एिं काँटेदार मरूिलीय िनस्पतत
पायी जाती है।
 इस प्रदेश के अंतगतत राजिान का पश्चिमी क्षेत्र उिरी, गुजरात एिं
हररयािा का दक्षक्षिी भाग शानमल हैं।
शुष्क शीत ऋतु की मानसूनी Cwg  इस प्रकार की जलिायु गंगा के अनधकांश मैदानी भागों पूिी राजिान,
जलिायु असम और मालिा के पठारी भागों में पायी जाती है।
 यहाँ गमी में तापमान 40°C तक बढ़ जाता है जो शीतकाल में 27°C तक
पहुँ च जाता है। िर्ात मुख्यत: ग्रीष्म ऋतु में होती है तथा शीत काल शुष्क
रहता है।
लघु ग्रीष्मकाल युक्त शीत आद्रत Dfc  इस प्रकार की जलिायु लसण्वक्कम, अरुिाचल प्रदे श और असम हहमालय
जलिायु के पूिी भागों में पायी जाती है।
 शीत काल ठण्डा, आद्रत एिं लंबी अिनध का होता है तथा शीतकाल में यहां
तापमान 10°C तक होता है।
टु ण्ट्ड्रा तुल्य जलिायु ET  यहाँ तापमान िर्तभर 10°C से कम रहता है।
 शीत काल में हहमपात के रूप में िर्ात होती है। इसके अंतगतत उिरािण्ड
के पिततीय क्षेत्र, कश्मीर, लद्दाि एिं हहमाचल प्रदेश के 3000 से 5000
मी. ऊँचाई िाले क्षेत्र शानमल हैं।
ध्रुिीय तुल्य जलिायु E  यहाँ तापमान िर्त भर 0°C से कम (हहमाच्छहदत प्रदेश) होता है। इसके
अन्तगतत हहमालय के पश्चिमी और मध्यिती भाग में 5000 मी. से अनधक
ऊँचाई िाले क्षेत्र (जिू-कश्मीर एिं हहमाचल CS प्रदेश) शानमल हैं।

https://www.infusionnotes.com/ 106
अभ्यास प्रश्न (D) चेन्नई ठं डी हिाओं के मागत में नहीं पड़ता है, जबवक
कोलकाता पड़ता है
1. जैट स्ट्रीम सजसका अंग है, िह है
उिर (C)
(A) विभभन्न िायुपजुं
(B) िाताग्र
8. भारत के र्कस राज्य में जाड़े के मौसम में िषाप होती
(C) चक्रिात
है ?
(D) उच्चस्तरीय िायु संचरि (D)
(A) केरल (B) तनमलनाडु
(C) प. बंगाल (D) ओहड़शा (C)
2. मानसून की उत्पत्ति के विषय में पारम्पररक अिधारणा
है 9. ननम्नसलखखत कथनों पर विचार कीसजये -
(A) जैट स्ट्िीम पररकल्पना 1. दक्षक्षणी भारत से उिरी भारत की ओर मानसून की
(B) अन्तर- उष्ण कवटबन्धीय अभभसरि पररकल्पना अिनध घटती है।
(C) संिावपत पररकल्पना 2. उिरी भारत के मैदानों में िापषिक िृक्षष्ट की मात्रा पूिप
(D) अल नीनो - ला नीना प्रभाि (C) से पश्चश्चम की ओर घटती है।
उपयुपक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं ?
3. विनभन्न िायुपुंजों के नमलने से बने िाताग्रों के कारण (A) केिल 1
मानसून की उत्पत्ति सजस विद्वान ने मानी है, िह है (B) केिल 2
(A) फ्लोन (B) कोटे श्वरम (C)1 और 2 दोनों
(C) स्पेट (D) हैनमल्टन (C) (D) न तो 1 और न ही 2 उिर (C)

10. भारत के र्कस भाग में सिापनधक दै ननक-तापांतर


4. यर्द भूमध्य रे खा भारत के मध्य से गुजरती तो भारत
पाया जाता है?
की जलिायु होती –
(A) पूिी तटीय प्रदे श
(A) उष्ण एिं आद्रत (B) शीत ि आद्रत
(B) छिीसगढ़ मैदान के आंतररक क्षेत्रों में
(C) उष्ण ि शुष्क (D) शीत ि शुष्क (A)
(C) अंडमान द्वीपों में
(D) राजिान के मरूिलीय क्षेत्रों में उिर (D)
5. यर्द पश्चश्चमी घाट नहीं होते तो पश्चश्चमी तटीय भाग में
िषाप होती-
अन्य महत्त्वपूणप प्रश्न :-
(A) अनधक (B) त्रबल्कुल नहीं
(C) कम (D) अननश्चित (C) 1. भारत के कौनसे क्षेत्र शीतकालीन िर्ात प्राप्त करते हैं? [RAS
– 2016]
6. ननम्नांर्कत में से र्कस समुच्चय के राज्यों में िापषिक 2. भू-मध्य सागरीय जलिायु प्रदेश में नम शीत ऋतु तथा शुष्क
िषाप 200 से.मी. से अनधक होती है ? ग्रीष्म ऋतु के क्या कारि हैं ? [RAS – 2013]
(A) नागालैण्ड, मेघालय, मभिपुर एिं अरूिाचल प्रदेश 3. भारत की Bshw प्रकार की जलिायु को स्पष्ट कीलजए?
(B) मेघालय, मभिपुर, उिर प्रदे श एिं मध्य प्रदेश [RAS – 2016]
(C) नागालैण्ड, तनमलनाडु , अरूिाचल प्रदेश एिं पश्चिम 4. भारतीय मानसून पर “ला-नीनो” के प्रभाि को स्पष्ट
बंगाल कीलजए ? [RAS – 2016]
(D) मध्य प्रदे श, मभिपुर, उिर प्रदे श एिं मेघालय 5. भारत में िर्ात के वितरि पर पिततीय प्रभाि का वििेचन
उिर :- (A) कीलजए ? [RAS – 2018]
6. “ला-नीनो” का भारतीय मानसून से वकस प्रकार संबध ं
7. चेन्नई की जलिायु कोलकाता की जलिायु की तुलना िावपत वकया गया है ? [RAS – 2012]
में गमप क्यों रहती है, जबर्क दोनों स्थान समुद्र तट पर
स्थस्थत है ?
(A) क्योंवक चेन्नई कोलकाता की अपेक्षा समुद्र तट से कुछ
ही दूरी पर है
(B) चेन्नई के आस-पास रे त ही रे त है
(C) चेन्नई विर्ुित रे िा के अनधक समीप है

https://www.infusionnotes.com/ 107
अध्याय – 5 अपिाह ि अपिाह तंत्र (Drainage and Drainage
System)
प्रमुख नर्दयााँ एिं झीलें ननश्चित िाहहकाओं (Channels) के माध्यम से हो रहे जल
प्रिाह को अपिाह (Drainage) तथा इन िाहहकाओं के जाल
को अपिाह तंत्र (Drainage System) कहा जाता हैं ।
भारत नहदयों का देश हैं । भारत के आतथिक विकास में जलग्रहण क्षेत्र (Catchment Area)-
नहदयों का महत्त्वपूित िान हैं । नहदयॉं यहॉं आहदकाल से एक नदी विलशष्ट क्षेत्र से अपना जल बहाकर लाती है लजसे
ही मानि की जीविकोपाजतन का साधन रही हैं । जलग्रहि क्षेत्र कहते है ।
 भारत में 4000 से भी अनधक छोटी ि बड़ी नहदयॉं हैं, लजन्हें अपिाह द्रोणी –
23 िृहत् तथा 200 लघु नदी श्ेभियों में विभालजत वकया एक नदी ि उसकी सहायक नहदयों द्वारा अपिाहहत क्षेत्र को
जा सकता हैं । अपिाह क्षेत्र कहते है ।
 वकसी नदी के रे िीय िरूप को प्रिाह रे िा कहते हैं। कई
प्रिाह रे िाओं के योग को प्रिाह संजाल (Drainage
Network) कहते है ।

जल संभर क्षेत्र / Wateshad area अपिाह प्रिृत्ति


जल संभर क्षेत्र के आकार के आधार पर भारतीय अपिाह 1. पूिपिती अथिा प्रत्यानुिती अपिाह –
श्ेभियों को तीन भागों में बॉंटा गया हैं  िे नहदयॉं, जो हहमालय पितत के ननमाति के पूित प्रिाहहत होती
1. प्रमुि नदी श्ेिी: लजनका अपिाह क्षेत्र 20000 िगत थी तथा हहमालय के ननमाति के पिात् महािण्ट्ड़ बनाकर
वकलोमीटर से अनधक हैं । इसमें 14 नहदयॉं श्ेभियॉं शानमल अपने पूित मागत से प्रिाहहत होती हैं । जैसे गंगा, िह्मपुत्र,
हैं । जैसे - गंगा, िह्मपुत्र, कृष्णा, तापी, नमतदा, माही, पेन्नार, सतलुज, लसन्धु 1
साबरमती, बराक आहद । 2. अनुिती नर्दयॉं –
2. मध्यम नदी श्ेिी: लजनका अपिाह क्षेत्र 2000 से 20,000  िे नहदयॉं, जो सामान्य ढाल की हदशा में बहती है। ।
िगत वकलोमीटर के बीच हैं । इसमें 44 नदी श्ेभिया हैं, जैसे प्रायद्वीपीय भारत की अनधकतर नहदयॉं अनुिती नहदयॉं हैं।
- काललिंदी, पेररयार, मेघना आहद । 3. परिती नर्दयॉ –
3. लघु नदी श्ेिी: लजनका अपिाह क्षेत्र 2000 िगत वकलोमीटर  चम्बल, लसिंध, बेतिा, सोन आहद नहदयॉं गंगा और यमुना
से कम हैं । इसमें न्यून िर्ात के क्षेत्रों मे बहने िाली बहुत में जाकर समकोि पर नमलती हैं । गंगा अपिाह तंत्र के
सी नहदयॉं शानमल हैं । परिती अपिाह का उदाहरि हैं ।

https://www.infusionnotes.com/ 108
4. द्रुमाकृततक अपिाह – 8. अरीय प्रततरूप –
 इस अपिाह प्रततरूप में वकसी केन्द्रीय िान से नहदयों का
बहहगतमन होता हैं, इस प्रततरूप में शीर्त भाग से नहदयाँ
ननकलकर चारो हदशाओं में प्रिाहहत होती है | उदाहरि –
पारसनाथ की पहाड़ी, अमरकंटक की पहाड़ी

 िह अपिाह जो शािाओं में फैला हो, जो हद्वभालजत हो तथा


िृक्ष के समान प्रतीत हो उसे दुमाकृततक अपिाह कहते हैं ।

9. िलयाकार प्रततरूप –
 इस प्रकार के अपिाह प्रततरूप में, पितती नहदयॉं अनुिती नदी
से जुड़ने से पहले िक्र अथिा चापाकार मागत से होकर
गुजरती हैं । यह आंलशक रूप से भूनमगत िृिाकार संरचना
के अनुकूलन का पररिाम हैं ।
रहमालयी अपिाह तंत्र
5. जालीनुमा अपिाह – यह एक आयताकार प्रततरूप हैं । जहॉं  हहमालय से ननकलने िाली नहदयाँ बफ़त और
मुख्य नहदयॉं एक दूसरे के समान्तर बहती हैं और सहायक ग्लेलशयरों(हहमानी या हहमनद) के वपघलने से बनी हैं अत:
नहदयॉं समकोि पर पायी जाती हैं । इनमें पूरे िर्त के दौरान ननरन्स्तर प्रिाह बना रहता है। हहमालय
6. कंटकीय प्रततरूप – जब नदी के ऊपरी भाग में ऐसी की नहदयों के बेलसन बहुत बड़े हैं एिं उनके जलग्रहि क्षेत्र
सहायक जलधाराएँ नमलती है, लजनकी प्रिाह की हदशा मुख्य सैकड़ों-हजारों िगत वकमी. में फैले हैं। हहमालय की नहदयों को
नदी के विपरीत हुआ करती है, तो ऐसे प्रततरूप कंटकीय तीन प्रमुि नदी-तंत्रों में विभालजत वकया गया है।
प्रततरूप कहलाता है | उदाहरि – लसन्धु एिं िह्मपुत्र नहदयाँ  उिर भारत के अपिाह तंत्र में हहमालय का अनधक महत्त्व
अपने ऊपरी भाग में इसका ननमाति करती है हैं ।
 ये नहदयॉं तीव्र गतत से अपनी घावटयों को गहरा कर रही हैं ।
 उिरी भारत की नहदयॉं अपरदन से प्राप्त नमट्टी को बहाकर
ले जाती हैं तथा मैदानी भागों में जल प्रिाह की गतत मंद
पड़ने पर मैदानों और समुद्रों में जमा कर दे ती हैं । इन्ही
नहदयों द्वारा लायीं गई नमट्टी से उिर भारत के विशाल मैदान
का ननमाति हुआ है।
 इस क्षेत्र की नहदयॉं बारहमासी (Prennial) हैं क्योंवक ये
िर्ति एिं बफत वपघलने दोनों वक्रयाओं से जल प्राप्त करती
हैं । ये नहदयॉं गहरे महािण्ट्ड़ों से गुजरती हैं । जो हहमालय
7. आयताकार अपिाह – िह अपिाह प्रततरूप, लजसकी के उत्थान के साथ - साथ होने िाली अपरदन वक्रया द्वारा
विशेर्ता सहायक नहदयों एिं मुख्य नदी के बीच समकोिीय नननमित हैं ।
घुमाि एिं समकोिीय सस्थिलन हैं । प्रश्न:- ननम्न िक्तव्यों पर विचार कर सही उिर का चयन
कीसजए :
कथन (A) : रहमालय से ननकलने िाली नर्दयााँ सतत
िारहनी हैं ।
कारण (R) : रहमालयन नर्दयों का उद्गम स्रोत रहमाननयों
में स्थस्थत है ।

https://www.infusionnotes.com/ 109
झेलम नदी (वितस्ता)

यह लसन्धु की सहायक नदी हैं, जो कश्मीर घाटी के दक्षक्षि  इस नदी पर जिू कश्मीर में तुलबुल पररयोजना बनी हुई
- पूिी भाग में पीरपंजाल नगररपद में स्थित िेरीनाग के है ।
ननकट शेर्नाग झरने से ननकलती हैं ।  इसकी प्रमुि सहायक नदी ‘’वकशनगंगा’’ है लजस पर जिू
कश्मीर में वकशनगंगा पररयोजना का ननमाति वकया गया
 प्रिाह क्षेत्र- जिू कश्मीर है।
 पावकस्तान में प्रिेश करने से पहले यह नदी श्ीनगर और
िुलर झील से बहते हुए एक तंग ि गहरे महािण्ड से गुजरती गंगा नदी तंत्र
हैं । पावकस्तान में झंग के ननकट यह लचनाब नदी से नमलती गंगा नदी
है ।

https://www.infusionnotes.com/ 113
गंगा नदी का उद्दगम उिरािंड राज्य के उिरकाशी लजलें दे िप्रयाग भागीरथी + अलकनंदा
में गोमुि के ननकट गंगोत्री हहमनद से हुआ है। जहाँ यह  गंगा नदी हररद्वार (उिरािंड) के बाद मैदानी क्षेत्रो में प्रिेश
भागीरथी के नाम से जानी जाती है। करती है तथा अपने दक्षक्षि पूित में बहते हुए इलाहाबाद
 गंगा नदी की कुल लम्बाई 2525 वकलोमीटर, उिरािंड (उिर प्रदेश) में पहुँ चती है जहाँ इससे यमुना नदी (गंगा
में 110 वकलोमीटर, उिरप्रदेश में 1450 वकलोमीटर तथा की सबसे बड़ी सहायक नदी) आकर नमलती हैं।
त्रबहार में 445 वकलोमीटर ि पश्चिम बंगाल में 520  इसके बाद यह त्रबहार ि पश्चिम बंगाल मे प्रिेश करती है।
वकलोमीटर बहती हैं। पश्चिम बंगाल में यह दो वितररकाओं (धाराओं) में विभालजत
 उिरािंड में दे िप्रयाग में भागीरथी नदी, अलकनंदा नदी से हो जाती है। एक धारा हुगली नदी कहलाती है जो कलकिा
नमलती है तथा इसके बाद यह गंगा कहलाती हैं । में चली जाती है तथा मुख्य धारा पश्चिम बंगाल बहती हुए
 अलकनंदा नदी का स्त्रोत बद्रीनाथ के ऊपर सतोपथ हहमनद बांग्लादेश में प्रिेश कर जाती हैं।
से हुआ है।  बांग्लादेश में प्रिेश करने के बाद इससे िह्मपुत्र नदी आकर
 अलकनंदा, धौली गंगा और विष्णु गंगा धाराओं से नमलकर नमलती है इसके बाद यह पदमा के नाम से जानी जाने
बनती है, जो जोशीमठ या विष्णु प्रयाग में नमलती है । लगती हैं।
 भागीरथी से दे िप्रयाग में नमलने से पहले अलकनंदा से कई  अन्त में यह बंगाल की िाड़ी में अपना जल नगराती हैं।
सहायक नहदयाँ आकर नमलती है। राष्‍टरीय जलमागप संख्या 1: इलाहाबाद-हश्चल्दया
स्थान नदी संगम जलमागत को भारत में राष्ट्रीय जलमागत संख्या-1 का
विष्णु प्रयाग धौलीगंगा + अलकनंदा दजात हदया गया है। यह जलमागत गंगा-भागीरथी-
नंद प्रयाग मंदावकनी + अलकनंदा हुगली नदी तंत्र में स्थित है। यह 1620 वकमी लंबाई
कित प्रयाग वपिंडार + अलकनंदा के साथ भारत में सबसे लंबा राष्ट्रीय जलमागप है।
रूद्रप्रयाग मंदावकनी + अलकनंदा

https://www.infusionnotes.com/ 114
3. भारत में राजिान उिर - पश्चश्चम में स्थित हैℓ दे खिए
मानलचत्र -4 (भारत)]
अब तक हमने देिा वक राजिान शब्द का उद्भि कैसे
हुआ? तथा हम ने समझा वक पृथ्वी पर राजिान की स्थितत
कहां पर है? अब हम अपने अगले त्रबदुिं “राजिान का
विस्तार” के बारे में पढ़ते हैं-
राजस्थान का विस्तार -इसका अध्ययन करने से पहले
इससे जुड़े हुए कुछ अन्य महत्वपूित त्रबदुिं ओं को समखझए-
1. भूमध्य रे िा (विर्ुित रे िा)
2. ककत रे िा
3. मकर रे िा
मानलचत्र – 2 4. अक्षांश
5. दे शांतर
वप्रय छात्रों ऊपर हदए गए मानलचत्र के बारे में एक बार
इन मानचचत्र को ध्यान से समखझए–
समझते हैं 1
 पृथ्वी को भूमध्य रे खा (विर्ुित रे िा) से दो भागों में
विभालजत वकया गया है –
1. उिरी गोलाद्धत
2. दक्षक्षिी गोलाद्धत
इसे आप मानलचत्र – 1 के माध्यम से समझ सकते हैं1
इसी प्रकार ग्रीनविच रे िा पृथ्वी को दो भागों में बांटती है–
1. पूिी क्षेत्र
2. पश्चिमी क्षेत्र
लजसे आप मानलचत्र – 2 में देि सकते है 1

मानलचत्र – 1

नोट - भूमध्य रे खा :- “विर्ुित रे िा या भूमध्य रे िा”


मानलचत्र – 3 पृथ्वी की सतह पर उिरी ध्रुि एिं दक्षक्षिी ध्रुि से समान दूरी
पर स्थित एक काल्पननक रे िा है1 यह पृथ्वी को दो गोलाद्धो,
नोट :–
उिरी ि दक्षक्षिी में विभालजत करती है1
1. विश्व (अथातत् पृथ्वी पर) में राजिान “उिर - पूि”प हदशा
इस रे िा पर प्राय: िर्त भर हदन और रात की अिनध बराबर
में स्थित हैℓ (दे िे मानलचत्र– 3)
होती, यही कारि है वक इसे विषुित रे खा या भूमध्य रे खा
2. एलशया महाद्वीप में राजिान “दक्षक्षणी -पश्चश्चम” हदशा में
कहा जाता है1
स्थित है ℓ (दे खिए मानलचत्र – 3, 4)
विर्ुित रे िा के उिर में ककत रे िा है ि दक्षक्षि में मकर
रे िा है1
नोट- पृथ्वी या ग्लोब को दो काल्पननक रे िाओं द्वारा “उिर
- दक्षक्षि तथा पूित - पश्चिम”में विभालजत वकया गया है 1
इन्हें अक्षांश ि दे शांतर रे िाओं के नाम से जानते हैं 1
अक्षांश रे खाएाँ - िह रे िाएं जो ग्लोब पर पश्चिम से पूित
की ओर बनी हुई है, अथातत् भूमध्य रे िा से वकसी भी िान
की उिरी अथिा दक्षक्षिी ध्रुि की ओर की कोिीय दूरी को
अक्षांश रे िा कहते हैं1
मानलचत्र – 4
https://www.infusionnotes.com/ 180
भूमध्य रे खा को अक्षांश रे खा माना गया है1 (दे िें मानलचत्र 78०17” पूिी दे शांतर है1 लजसका अंतर 8°47 नमनट है1
-1) (दे िें मानलचत्र A, B)
ग्लोब पर कुछ अक्षांशों की संख्या (900 उिरी गोलाद्धत में
और 900 दक्षक्षिी गोलाद्धत में) कुल 1800 है तथा अक्षांश
रे िा को शानमल करने पर इनकी संख्या 1810 होती है1

दे शांतर रे खाएं :- उिरी ध्रुि से दक्षक्षिी ध्रुि को नमलाने


िाली 3600 रे िाओं को देशांतर रे िाएँ कहा जाता है1
पृथ्वी के उिरी एिं दक्षक्षिी ध्रुि को नमलाने िाली और उिर
- दक्षक्षि हदशा में िींची गयी1 काल्पननक रे खाओ ं
को याम्ोिर, दे शान्तर, मध्यान्तर रे खाएं कहते हैं।
 ग्रीनविच, (जहाँ त्रिवटश राजकीय िैधशाला स्थित है) से
गुजरने िाली याम्ोिर से पूित और पश्चिम की ओर नगनती

(मानचचत्र-A)

नोट- राजिान का कुल अक्षांशीय विस्तार


7०9”(30°12”- 23°03”) है तथा कुल दे शांतरीय विस्तार
8°47” (78°17” - 69°30”) है |

1° = 4 नमनट
1” =111.4 र्कलोमीटर होता है |

 राजिान का कुल क्षेत्रफल 3,42,239 िगप र्कलोमीटर है


शुरू की जाए | इस यामोिर को प्रमुि यामोिर कहते हैं| जो वक संपूित भारत का 10.41% है1
 इसका मान दे शांतर है तथा यहाँ से हम 180० हडग्री पूित या  भारत का कुल क्षेत्रफल 32,87,263 िगत वकलोमीटर है1
180० हडग्री पश्चिम तक गिना करते हैं1 प्रश्न. 1 भारत के कुल भू – भाग का र्कतना प्रततशत क्षेत्र
नोट –उपयुतक्त विर्य को अनधक विस्तार से समझने के राजस्थान में है 1 (RAS-2016)
ललए हमारी अन्य पुस्तक ‘’भारत एिं विश्व का भूगोल पढ़े”1 (A) 10.4 प्रततशत (B) 7.9 प्रततशत

(c) 13.3 प्रततशत (D) 11.4 प्रततशत


उिर :- (A)

 जो हहमाच्छाहदत हहमालय की ऊंचाइयों से शुरू होकर दक्षक्षि


के विर्ुितीय िर्ात िनों तक फैला हुआ है। जो संपि ू त विश्व
का 2.42% है 1
 1 निंबर 2000 से पूित क्षेत्रफल की दृखष्ट से भारत का सबसे
बड़ा राज्य मध्यप्रदे श था, लेवकन 1 निंबर 2000 के बाद
मध्यप्रदे श से छिीसगढ़ को अलग होने हो जाने पर भारत
का सबसे बड़ा राज्य (क्षेत्रफल की दृखष्ट से) राजिान बन
गया1
2011 में राजिान की कुल जनसंख्या 68,548,437 थी1
राजिान का अक्षांशीय विस्तार 23०03" से 30०12" जो वक कुल देश की जनसंख्या का 5.67% है|
उिरी अक्षांश ही तक है लजसका अंतर 7°09 नमनट  ककप रे खा राजस्थान में स्थस्थत:-
है। जबवक राजिान का दे शांतरीय विस्तार 69०30” से

https://www.infusionnotes.com/ 181
जैसलमेर है1 अतः जैसलमेर में सबसे अंत में सूयोदय ि श्ीगंगानगर लजले के कोिा गाँि से दक्षक्षि में बाँसिाड़ा
सूयातस्त होता है1 लजले की कुशलगढ़ तहसील के बोरकुंड गाँि तक है1
इसी प्रकार पूिप से पश्चश्चम तक की चौड़ाई 869 र्कलोमीटर
है तथा विस्तार पूित में धौलपुर लजले के जगमोहनपुरा की
ढािी, लसलाना गाँि, राजािेड़ा तहसील से पश्चिम में
जैसलमेर लजले के कटरा गाँि (सम-तहसील) तक है1

आकृतत
विर्म कोिीय चतुभुतज या पतंग के आकार के समान है1
राज्य की स्थलीय सीमा 5920 र्कलोमीटर (1070
अंतरापष्ट्रीय ि 4850 अंतरापज्यीय) है1

रे र्ल्क्लफ रे खा
 रे डल्सक्लफ रे िा भारत और पावकस्तान के मध्य स्थित है1
इसके संिापक सर लसररल एम रे डल्सक्लफ को माना जाता
विस्तार:- है1
 रे डल्सक्लफ रे िा 17 अगस्त 1947 को भारत विभाजन के बाद
राजिान राज्य की उिर से दक्षक्षण तक की कुल लंबाई
भारत और पावकस्तान के बीच सीमा बन गई 1
826 र्कलोमीटर है तथा इसका विस्तार उिर में
 इसकी भारत के साथ कुल सीमा 3310 वकलोमीटर है1

https://www.infusionnotes.com/ 183
17. राजिान में सितप्रथम सूयोदय वकस लजले में होता है - राजिान के साथ लजन राज्यों की सीमा लगती है उन
धौलपुर राज्यों के नाम :-
18. उहड़या पठार वकस लजले में स्थित है - लसरोही शोटप वरक :- “पं. हरर उिर में गुम गयों’’
19. राजिान में वकन िनों का अभाि है – शंकुधारी िन सूत्र राज्य
20. राजिान के क्षेत्रफल का वकतना भू-भाग रे नगस्तानी है – पं - पंजाब
लगभग दो-ततहाई हरर - हररयािा
21. राजिान के पश्चिम भाग में पाए जाने िाला सिातनधक उिर - उिर प्रदेश
विर्ैला सपत – पीििा सपत में - मध्य प्रदेश
22. राजिान के पूिततया: िनस्पतत रहहत क्षेत्र - समगाँि गु – गुजरात
(जैसलमेर)
पंजाब (89 र्कमी0)
23. राजिान के वकस लजले में सूयत वकरिों का ततरछापन
 राजिान के दो लजलों की सीमा पंजाब से लगती है तथा
सिातनधक होता है -श्ीगंगानगर
पंजाब के दो लजले फालजल्का ि मुक्तसर की सीमा राजिान
24. राजिान का क्षेत्रफल इजरायल से वकतना गुना है - 17
से लगती है।
गुना बड़ा है
 पंजाब के साथ सिातनधक सीमा श्ीगंगानगर ि न्यूनतम
25. राजिान की 1070 वकमी0 लम्बी पावकस्तान से लगी सीमा
सीमा हनुमानगढ़ की लगती है।
रे िा का नाम – रे डल्सक्लफ रे िा
 पंजाब सीमा के नजदीक लजला मुख्यालय श्ीगंगानगर तथा
26. ककत रे िा राजिान के वकस लजले से छूती हुई गुजरती है दूर लजला मुख्यालय हनुमानगढ़ है।
– डू ंगरपुर ि बाँसिाड़ा को  पंजाब सीमा पर क्षेत्रफल में बड़ा लजला हनुमानगढ़ ि छोटा
27. राजिान में जनसंख्या की दृखष्ट से सबसे बड़ा लजला - श्ीगंगानगर लजला है।
जयपुर शोटप वरक
28. थार के रे नगस्तान के कुल क्षेत्रफल का वकतना प्रततशत पंजाब की सीमा से सटे राजिान राज्य के लजले है।
राजिान में है - 58 प्रततशत
‘’श्ी हनुमान’’
29. राजिान के रे नगस्तान में रे त के विशाल लहरदार टीले को
सूत्र सजला
क्या कहते हैं - धोरे
श्ी - श्ीगंगानगर
30. राजिान का एकमात्र जीिाश्म पाकत स्थित है – आँकल
हनुमान - हनुमानगढ़
गाँि (जैसलमेर)
हररयाणा (1262 र्कमी0)
राजस्थान की अन्य राज्यों से सीमा

https://www.infusionnotes.com/ 186
केकड़ी :- राजस्थान के संभाग
सजला मुख्यालय - केकड़ी
30 माचत 1949 को राजिान में संभागीय व्यििा की
अजमेर और टोंक लजले को पुनगतहठत करके नया लजला
शुरुआत हुई थी 1
केकड़ी बनाया गया है।
शुरुआत में राजिान में 5 संभाग (जयपुर, जोधपुर, कोटा,
केकड़ी लजले में 5 उपिंड शानमल वकए गए हैं। इनमें केकड़ी,
उदयपुर, बीकानेर)थे1
सािर, भभनाय, सरिाड़ और टोडारायलसिंह शानमल है।
24 अप्रैल 1962 को संभागीय व्यििा को तत्कालीन
सलूम्बर :-
मुख्यमंत्री मोहनलाल सुिाहडया ने बंद कर हदया 1
सजला मुख्यालय - सलूम्बर
संभागीय व्यििा की पुनः शुरुआत 26 जनिरी 1987 को
उदयपुर लजले का पुनगतठन करके नए लजले सलूम्बर का तत्कालीन मुख्यमंत्री हररदे ि जोशी नें की तथा अजमेर को
गठन वकया गया है। जयपुर से अलग कर छठा संभाग बनाया 1
सलूंबर लजले में 4 उपिंड (सराडा, सेमारी, लसाहडया और 4 जून 2005 को तत्कालीन मुख्यमंत्री श्ीमती िसुंधरा राजे
सलूम्बर) शानमल वकए गए हैं। नें भरतपुर को सातिाँ संभाग बनाया 1
शाहपुरा :- 7 अगस्त 2023 को रामलुभाया कमेटी की लसफाररश पर
सजला मुख्यालय - शाहपुरा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा सीकर, पाली और बांसिाड़ा
भीलिाड़ा लजले का पुनगतठन करके नया लजला शाहपुरा 3 नये संभाग ि 19 नये लजले बनाये गये 1
बनाया गया है। 3 निगहठत ि 7 पुराने संभागों को नमलाकर राजिान में
शाहपुरा लजले में 6 उपिंड (शाहपुरा, जहाजपुर, कुल 10 संभाग हो गये है1
फूललयाकलां, बनेड़ा और कोटडी) शानमल वकए गए हैं। राजिान के 10 संभागो के नाम ननम्नललखित है-
सांचौर :- 1. अजमेर 2. उदयपुर
लजला मुख्यालय – सांचौर 3. कोटा 4. जयपुर
जालौर लजले का पुनगतठन करके नए लजले सांचौर का गठन 5. जोधपुर 6. पाली
वकया गया है। 7. बांसिाडा 8. बीकानेर
सांचौर लजले में 4 उपिंड (सांचौर, बागोड़ा, लचतलिाना 9. भरतपुर 10. सीकर
और रानीिाड़ा) शानमल वकए गए हैं।

https://www.infusionnotes.com/ 191
 राजिान के प्रतापगढ़ लजले के केसरपुरा गाँि के 10. राजस्थान में बेररसलयम उत्पादक दो प्रमुख सजले हैं?
समीप हीरे के भंडार प्राप्त हुए हैं। A. उदयपुर और जयपुर
 राजिान के लचिौड़गढ़ लजले में त्रिटे न की सहायता
B. अलिर और झुंझुनूं
से "सुपर लजिंक स्मेल्टर" की िापना भारत सरकार
C. नागौर और पाली
ने की थी।
D. लसरोही और डू ंगरपुर उिर - A
महत्त्वपूणप प्रश्न
अन्य महत्त्वपूणप प्रश्न
1. खो दरीबा क्षेत्र में र्कस खननज का भंर्ार है?
A. बेररललयम B. लौह अयस्क
1. राजिान के जस्ता उत्पादक क्षेत्रों का उल्लेि कीलजए?
C. ताँबा मैंगनीज D. मैंगनीज उिर – C
[RAS – 2021]
2. राजिान के प्रमुि अधात्वत्वक िननजों के नाम ललखिए?
2. ननम्न में से र्कस क्षेत्र से सीसा जस्ता नहीं ननकाला [RAS – 2016]
जाता। 3. राजिान के प्रमुि धात्वत्वक िननजों के वितरि की संक्षेप
A. जािर B. आमेट में वििेचना कीलजए [RAS – 2021]
C. रामपुरा - दरीबा D. अगूचा – गुलाबपुरा उिर – B 4. राजिान में इमारती पत्थरों के प्रकार एिं वितरि को संक्षपे
में समझाइये ? [RAS – 2016]
3. राजस्थान में तााँबे की खान कहााँ है? 5. राजिान में ललग्नाइट कोयले के वितरि और औद्योनगक
A. जािर B. गोटन उपयोग के बारे में ललखिए? [RAS – 2016]
C. िेतड़ी D. अगूचा उिर – C 6. राजिान में लजप्सम उत्पादक क्षेत्र ललखिए? [RAS–2012]
7. राजिान में पाये जाने िाले कोयलों के प्रकार ललखिए?

4. फेल्सपार का सिापनधक उत्पादन र्कस सजले में होता


है?
A. भीलिाड़ा B. जयपुर
C. अजमेर D. कोटा उिर - C

5. राजस्थान में टं गस्टन के भंर्ार र्कस सजले में है?


A. भीलिाड़ा B. जयपुर
C. अजमेर D. कोटा उिर - C
6. राजस्थान के र्कस सजले में तेल और प्राकृततक गैस
के भंर्ार की संभािनाएाँ अच्छी है?
A. बाड़मेर B. जैसलमेर
C. जालौर D. श्ीगंगानगर उिर – B

7. बाड़मेर में तेल की खुदाई करने िाली कंपनी है-


A. ONGC B. Indian Oil
C. केयनत एनजी D. हहिंदुस्तान पैिोललयम उिर –C

8. ननम्न में से कौनसा राजस्थान के तेल क्षेत्र का नाम


नहीं है?
A. ऐश्वयात B. सरिती
C. लक्ष्मी D. रागेश्वरी
9. बाड़मेर- सांचौर बेसन प्रससद्ध है?
A. पेिोललयम हेतु B. िननज पदाथत हेतु
C. बायो गैस हेतु D. लजप्सम हेतु उिर – A
https://www.infusionnotes.com/ 311
प्रिय दोस्तों, अब तक हमारे नोट्स में से विभिन्न परीक्षाओ ं में आये हुए िश्नों के
पररणाम दे खने के लिए क्लिक करें - (Proof Video Link)
RAS PRE. 2021 - https://shorturl.at/qBJ18 (74 िश्न , 150 में से)

RAS Pre 2023 - https://shorturl.at/tGHRT (96 िश्न , 150 में से)

Rajasthan CET Gradu. Level - https://youtu.be/gPqDNlc6UR0

Rajasthan CET 12th Level - https://youtu.be/oCa-CoTFu4A

RPSC EO / RO - https://youtu.be/b9PKjl4nSxE

VDO PRE. - https://www.youtube.com/watch?v=gXdAk856WI8&t=202s

Patwari - https://www.youtube.com/watch?v=X6mKGdtXyu4&t=2s

PTI 3rd grade - https://www.youtube.com/watch?v=iA_MemKKgEk&t=5s

SSC GD – 2021 - https://youtu.be/ZgzzfJyt6vI

EXAM (परीक्षा) DATE हमारे नोट्स में से आये


हुए िश्नों की संख्या

RAS PRE. 2021 27 अक्तूबर 74 प्रश्न आये

RAS Mains 2021 October 2021 52% प्रश्न आये

RAS Pre. 2023 01 अक्टूबर 2023 96 प्रश्न (150 मेंसे)

SSC GD 2021 16 नवम्बर 68 (100 में से)

whatsapp - https://wa.link/uwc5lp 1 web.- https://bit.ly/3X6MGue


SSC GD 2021 08 दिसम्बर 67 (100 में से)

RPSC EO/RO 14 मई (1st Shift) 95 (120 में से)

राजस्थान S.I. 2021 14 ससतम्बर 119 (200 में से)

राजस्थान S.I. 2021 15 ससतम्बर 126 (200 में से)

RAJASTHAN PATWARI 2021 23 अक्तूबर (Ist सिफ्ट) 79 (150 में से)

RAJASTHAN PATWARI 2021 23 अक्तूबर (2nd सिफ्ट) 103 (150 में से)

RAJASTHAN PATWARI 2021 24 अक्तूबर (2nd सिफ्ट) 91 (150 में से)

RAJASTHAN VDO 2021 27 दिसंबर (1st सिफ्ट) 59 (100 में से)

RAJASTHAN VDO 2021 27 दिसंबर (2nd सिफ्ट) 61 (100 में से)

RAJASTHAN VDO 2021 28 दिसंबर (2nd सिफ्ट) 57 (100 में से)

U.P. SI 2021 14 नवम्बर 2021 1st सिफ्ट 91 (160 में से)

U.P. SI 2021 21नवम्बर2021 (1st सिफ्ट) 89 (160 में से)

Raj. CET Graduation level 07 January 2023 (1st सिफ्ट) 96 (150 में से )

Raj. CET 12th level 04 February 2023 (1st सिफ्ट) 98 (150 में से )

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Mukesh ji RAS Pre 1562775 newai tonk

Govind Singh RAS 1698443 UDAIPUR


S/O Sajjan Singh

Govinda Jangir RAS 1231450 Hanumang


arh

N.A Rohit sharma RAS N.A. Churu


s/o shree Radhe
Shyam sharma

DEEPAK SINGH RAS N.A. Sirsi Road ,


Panchyawa
la

N.A LUCKY SALIWAL RAS N.A. AKLERA ,


s/o GOPALLAL JHALAWAR
SALIWAL

N.A Ramchandra RAS N.A. diegana ,


Pediwal Nagaur

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Monika jangir RAS N.A. jhunjhunu

Mahaveer RAS 1616428 village-


gudaram
singh,
teshil-sojat

N.A OM PARKSH RAS N.A. Teshil-


mundwa
Dis- Nagaur

N.A Sikha Yadav High court LDC N.A. Dis- Bundi

Bhanu Pratap Rac batalian 729141135 Dis.-


Patel s/o bansi Bhilwara
lal patel

N.A mukesh kumar 3rd grade reet 1266657 JHUNJHUN


bairwa s/o ram level 1 U
avtar

N.A Rinku EO/RO (105 N.A. District:


Marks) Baran

N.A. Rupnarayan EO/RO (103 N.A. sojat road


Gurjar Marks) pali

Govind SSB 4612039613 jhalawad

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Jagdish Jogi EO/RO (84 N.A. tehsil
Marks) bhinmal,
jhalore.

Vidhya dadhich RAS Pre. 1158256 kota

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