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शिववास विचार
शिववास विचार
शिववास विचार
2020
।। वशववास ववचार ।।
कहा जाता है भोलेनाथ अपने भक्तों की भक्तक्त से क्तििश होकर हर समय उनकी प्राथथनायें पूरी करने में जटु े रहते
थे. क्तजससे ब्रह्ाांड के कामकाज प्रभाक्तित होने लगे.
देिताओ ां के समक्ष बडे सांकट की क्तथथक्तत उत्पन्न हो गई. साथ ही क्तशि जी के पररिार के लोग उनका साथ पाने
को तरसने लगे. तब भगवान ववष्णु ने क्तशि िास का क्तनयम बनाया. ताक्तक भोलेनाथ को भक्तों की पुकार सनु ने के साथ
ही ससां ार का सचां ालन करने का भी समय क्तमल सके . साथ ही िे कुछ समय अपने पररिार को भी दे सकें ।
नारद ऋक्ति द्वारा रक्तचत क्तशि िास से पता चलता है क्तक इस समय भगिान क्तशि क्या कर रहे हैं. उनसे प्राथथना का
कौन सा समय उक्तचत है.
• विव ं च विगण
ु ी कृत्वा, पनु ः पञ्च समवन्विम् । मवु नवभस्िु हरेदभागं शेषं च वशववासनम् ॥
• एके न वासः कै लाशे वििीर्े गौरी सवन्नधौ । िृिीर्े वषृ भारुढ़ः सभार्ां च चिु ंके ॥
• पंचमे भोजने चैव क्रीड़ार्ां च रसात्मके । श्मशाने सप्तमे चैव वशववासः उदीररिः ॥
• कै लाशे लभिे सौख्र्ं गौर्यर्ाय च सि
ु सम्पदौ । वषृ भेभीष्ट वसवधः स्र्ाि् सभार्ािं ापकारकौ ॥
• भोजने च भवेि् पीड़ा क्रीडार्ां कष्टमेव च । श्मशाने मरणं ज्ञेर्ं फलमेवं ववचारर्ेि् ॥
क्तजस क्ततक्तथ को कायथ करने का क्तिचार है, उस क्ततक्तथ को दो से गुणा करके , पाचां जोडें और सात से भाक्तजत
करे । प्राप्त शेिानसु ार थथान की जानकारी होती है । पररणाम िास-थथान पर ही क्तनभथर है ।
पूिथ श्लोक में कही गयी क्तिक्ति से गक्तणत करने पर यक्तद एक शेि बचे तो क्तशििास कै लाश पर जाने, दो शेि
बचने पर गौरी साक्तनध्य में, तीन शेि में िृिभारुढ, चार में सभामध्य, पाचां में भोजन करते हुए, छः शेि में क्रीडारत
और सात यानी शन्ू य शेि रहने पर क्तशि को श्मशान िासी जाने ।
• क्तशििास कहााँ देखें रुद्राक्तभिेक, क्तशिाचथन, महामृत्यजुां य ईत्याक्तद
• क्तशििास कहााँ न देखें सोमिार, प्रदोि, क्तशिराक्ति, ज्योक्ततक्तलिंग क्षेि, सामान्य पूजा अचथना, मानस
पूजा, जनक्तहताथथ
वशववास ज्ञाना य साररणी
कृष्ण पक्ष विव र्ााँ शुक्ल पक्ष विव र्ााँ वशववास फल
1, 8, 30 2, 9 गौरी सावनध्र् सुि, सम्पदा
2, 9 3, 10 सभा िाप
3, 10 4, 11 क्रीड़ा कष्ट
4, 11 5, 12 कै लास सुि
5, 12 6, 13 बृषभ आरुढ़ अभीष्ट वसवध
6, 13 7, 14 भोजन पीड़ा
7, 14 1, 8, 15 श्मशान मरण