Download as docx, pdf, or txt
Download as docx, pdf, or txt
You are on page 1of 31

मनोविज्ञान

म नो वि कार एिं म नो वि वकत् सा - अिसाद, सामाविक द ुवचं ता म नो वि कार, वसिोफ्रे वनया, सामाविक द ुर्भीवत, विध्रुिी म नो वि कार।
म नो वि वकत् सा व्यवि के वरित विवकत्सा, व्यिहार विवकत्सा, तकक सं गत र्भािनात्मक व्यिहार विवकत्सा, सं ज्ञानात्मक व्यिहार
विवकत्सा, सकारात्मक विवकत्सा एिं पाररिाररक विवकत्सा।

मनोविज्ञान का पररिय
 मनोविज्ञान की उत्पवि ानी शब्दों "Psyche" (आत्मा) और "Logos" (अध्ययन) से हुई है।
यनू
 यह मा नि व्यिहार और वििारों को समझने का एक विज्ञान है।
 यह लेख मनोविज्ञान के अर्क, पररर्भाषाओ,ं प्रकृ वत और दायरे की ििाक करता है।
 मनोविज्ञान की विवर्भरन खाओं और उप-क्षेत्रों को िानें, विनमें से प्रत्येक मानि व्यिहार और मवततष्क के बारे में
अनोखी िानकारी प्रदान करता है।
मनोविज्ञान की विवर्भरन पररर्भाषाएँ
 विल्हेम िुंड्ट की पररर्भाषा: विलहेम ि ुंड्ट, विरहें अक्सर "म नो वि ज्ञा न के िनक" के रूप में िा ना िा ता है, ने
म नो वि ज्ञा न को "िे तन अनुर्भि का विज्ञान" के रूप में पररर्भावषत वकया। उनका मा नना र्ा वक म नो वि ज्ञा न को म न और
उसकी अं तिकततु, िै से वििार, र्भािनाओं और सं िे दना ओ ं के अध्ययन पर ध्यान दे ना िा वहए । ि ुंड्ट प्रयोगात्मक
म नो वि ज्ञा न में अग्रणी र्े। उरहोंने आत्मवनरीक्षण (अपने वििारों और र्भािनाओं की िा ं ि) को प्रार्वमक शो ध पद्धवत
के रूप में इततेमाल वकया।
 विवलयम िेम्स की पररर्भाषा: मनोविज्ञान के इवतहास में एक अरय प्रर्भाि लीलीशाव्यवि, विवलयम िेम्स ने मनोविज्ञान को
"वििारधाराओं के प्रिाह के अध्ययन" के रूप में पररर्भावषत वकया। उनका मानना र्ा वक मवततष्क लगातार बदल रहा है और
बह रहा है। मनोविज्ञान को िेतना की धारा की प्रकृ वत और कायक को समझने पर ध्यान देना िावहए। िेम्स मन और शरीर के
बीि के संबंध में र्भी रुवि रखते र्े। उरहोंने अपनी पुततक "द वप्रं वसपल्स ऑफ साइकोलॉिी" में इस विषय का पता
लगाया।
 िॉन डीिी की पररर्भाषा: िॉन डीिी ने मनोविज्ञान का िणकन वकया। उरहोंने कहा वक मनोविज्ञान मानि तिर्भाि और व्यिहार का अध्ययन
है।
 अल्बटक बंडुरा की पररर्भाषा: अल्बटक बंडुरा एक प्रवसद्ध मनोिैज्ञावनक हैं। उरहोंने इस बारे में ध वकया वक लोग कै से सीखते
हैं। बंडुरा ने कहा वक मनोविज्ञान मानि मवततष्क और कायों का अध्ययन है।
मनोविज्ञान के बदलते तिरूप
 आत्मा, मन और िेतना का विज्ञान
- प्रािीन यनू ानी दाशकवनकों ने मनोविज्ञान को आत्मा का विज्ञान माना र्ा।
- बाद में मन को अध्ययन का विषय बनाया गया, लेवकन मन की अतपष्ट प्रकृ वत इसे समझने में कविनाई उत्परन करती र्ी।
- आधव ु नक म नो वि ज्ञा न ने िे तना के आं तररक अनर्ु भिों का अध्ययन शरूु वकया।
 व्यिहार का विज्ञान
- 20िीं शताब्दी की शुरुआत में मनोविज्ञान को व्यिहार के विज्ञान के रूप में पररर्भावषत वकया गया।
- इस दृवष्ट कोण में के िल दे खे िा सकने िा ले कायों को ही म हत्ि
वदया गया। मनोविज्ञान के प्रकार
 मनोविज्ञान के विवर्भरन उप-क्षेत्र हैं िो मानि व्यिहार और मानवसक प्रवियाओं को समझने में योगदान देते हैं।
- कु छ उदाहरण:
 विकासात्मक म नो वि ज्ञा न (Developmental Psychology)
 व्यवित्ि म नो वि ज्ञा न (Personality Psychology)
 तिात्य मनोविज्ञान (Health Psychology)
 खेल मनोविज्ञान (Sports Psychology)
 पयाकिरण मनोविज्ञान (Environmental Psychology)
मनोविज्ञान की प्रकृ वत
म नो वि ज्ञा न एक सा विज्ञान है िो व्यिवतर्त रूप से अिलोकनीय व्यिहार और मा नवसक प्रवियाओं का अध्ययन करता
है। मनोविज्ञान की खाएँ
 मनोविज्ञान की विवर्भरन शाखाएँ हैं विनमें से कु छ का उल्लेख नीिे वकया गया है:
- सामारय म नो वि ज्ञा न (General Psychology)
- असामारय म नो वि ज्ञा न (Abnormal Psychology)
- नैदावनक म नो वि ज्ञा न (Clinical Psychology)
- शारीररक म नो वि ज्ञा न (Physiological Psychology)
- सामाविक म नो वि ज्ञा न (Social Psychology)

मनोविकृ वत (Psychosis) क्या है?


म नो वि कृ वत िा ततवि कता से अलग होना है। लोगोंको गलत विवास सश्वा
हो सकते हैं या सी िीिों का अनुर्भि हो सकता है िो िाततविक
नहीं हैं।
मनोविकृ वत कोई बीमारी नहीं है, बवल्क यह लक्षणों को बता ने िा ला
के समहू शब्द है।
मनोविकृ वत के दो महत्िपणू क प्रकार:
 मवतभ्रम (Hallucinations): ये तब होते हैं िब आपके म वततष् क
के कु छ वहतसे गलती से ऐसे कायक करते हैं िै से िे आपकी इं वियों (दृवष्ट , श्रिण, तपशक, गं ध और तिाद) िा रा िा तति
में हो रही वकसी िी ज़ का अनर्ु भि कर रहे हों। म वतभ्र म का एक उदाहरण ऐसी आिािें सनु ना है िो िहा ं नहीं हैं (श्रिण
म वतभ्र म )।
 भ्रम (Delusions): ये गलत विवास सश्वाहोते हैं विनको कोई व्यवि बहुत दृढ़ ता से मा नता है, र्भले ही अरय लोग उरहें न
मा नते हों या यह सावबत करने िाले बहुत से प्रमाण हों वक विवास सश्वासत्य नहीं है। उदाहरण के वलए, वनयंत्रण के भ्रम
िाले लोग मानते हैं वक कोई उनके वििारों या
कायों को से वनयंवत्रत कर रहा है।
दरू
अरय प्रकार
 वसिोफ्रे वनया (Schizophrenia): मवतभ्रम, भ्रम, विकृ त वििार प्रवियाएं और असामारय र्भािनाओं के लक्षणों िाला गंर्भीर
मानवसक विकार। व्यवि िाततविकता से परू ी तरह अलग हो िाता है।
 मैवनक वडप्रेव निशसाइकोवसस (Manic Depressive Psychosis): अत्यवधक खशी
ु या उरमाद से लेकर अत्यवधक उदासी या अिसाद तक
अत्यवधक मनोद के उतार-िढ़ािों की वि षता िाला म नो वि कृ वत।
 वडसोवसएवटि आइडेंवटटी वडसऑडकर (Dissociative Identity Disorder): विसे मवल्टपल पसकनावलटी वडसऑडकर के रूप में र्भी िाना
िा ता है, इस प्रकार के पहिान विकार में व्यवि की तमृवत और पहिान दो नों में गड़बड़ी शावमल होती है। एक शरीर में
दो या दो से अवधक विवर्भरन व्यवित्ि होते हैं।
 काबकवनक मनोविकृ वत (Organic Psychosis): मवततष्क के ऊतकों को नकु सान के कारण भ्रम और मवतभ्रम पैदा करने िाली वतर्वत।
(अनुपिाररत वसफवलस, अत्यवधक शराब और न ले लेशीपदार्ों का सेिन, मवततष् क ट ्य म ू र, मे वनरिा इवटस)
 ड्रग- प्रेररत मनोविकृ वत (Drug-induced Psychosis): कोकीन, माररिुआना या कै नावबस और अरय मवतभ्रम िैसी दिाएं उन
लोगों में म नो वि कृ वत के लक्षण पैदा कर सकती हैं िो पहले से ही आनिाु ं वशक रूप से कमिोर हैं।
संर्भावित कारण
 आनिाु ंवशकी: म नो वि कृ वत पररिारों में िल सकती है, विसका अर्क है वक यवद आपके पररिार में वकसी को यह हुआ है,
तो आपको र्भी यह होने का खतरा बढ़ िा ता है। हालां वक, इसका म तलब यह नहीं है वक यवद आपके पररिार में वकसी
को र्भी म नो वि कृ वत नहीं है, तो आपको यह नहीं हो सकता।
 मवततष्क का विकास: मवततष्क के विकास में कु छ समतयाएं मनोविकृ वत के खतरे को बढ़ा सकती हैं।
 पदार्ों का दुरुपयोग: म नो वि कृ वत उन लोगोंमें अवधक आम है िो वनयवमत रूप से म नो र ं िक दिा ओ ं या शराब का सेिन करते हैं।
 मानवसक बीमारी: कु छ मानवसक बीमाररयां, िैसे वक विध्रिीु विकार और गंर्भीर अिसाद, मनोविकृ वत के लक्षण पैदा कर सकती हैं।
 विवकत्सीय वतर्वतयां: कु छ विवकत्सीय वतर्वतयां, िैसे वक मवततष्क ट्यमू र, तरोक और कु छ संिमण, मनोविकृ वत का कारण बन सकती
हैं।
 आघात: मनोिैज्ञावनक आघात, िैसे वक बाल यौन शोषण या वकसी वप्रयिन की मृत्य,ु मनोविकृ वत के लक्षणों को वरगर कर सकता है।
मनोविकृ वत से पहले िेतािनी संके त (Warning Signs Before Psychosis)
 सोिने और समझने के तरीके में धीरे-धीरे बदलाि होना।
 ग्रेड या कायक प्रदकन में वगरािट।
 नी।शा
तपष्ट रूप से सोिने या ध्यान लगानेमें परे नी।
 दसू रों के प्रवत संदेह या बेिैनी।
 आत्म-देखर्भाल या तिच्छता की कमी।
 सामारय से अवधक समय अके लेवबताना।
 पररवतर्वत की मांग से कहीं अवधक मिबतू र्भािनाएँ।
 वबल्कु ल र्भी र्भािनाएँ ना होना।

प्रारंवर्भक मनोविकृ वत के संके त (Signs of Early Psychosis)


- ऐसी िीिें सुन, देख या िख सकते हैं िो अरय लोग नहींकर सकते।
- असामारय विवासोंसों श्वाया वििारों को बना ये रख सकते हैं, र्भले ही दस ू रे क्या कहें।
- पररिार और दो ततों से दर ू हो सकते हैं।
- अपना ख्याल रखना ब ं द कर सकते हैं।
- तपष्ट रूप से सोिने या ध्यान दे ने में सक्षम नहीं हो सकते।

 अवतर्र वििार पैटनक बाहरी लक्षण पैदा कर सकते हैं, िैसे:


- बातिीत के दौरान या कोई कायक करते समय अिानक अपने वििारों का िम खो दे
ना।
- तेि बोलना।
- लगातार बात करना ।

 यवद वकसी व्यवि की मनोविकृ वत अवधक गंर्भीर हो िाती है तो िे वनम्न का अनुर्भि कर सकते हैं:
- अव्यिवतर्त वििार
- आत्म-दे खर्भा ल में वगरािट
- असंगत या अर्कहीन र्भाषण
- वडप्रेन
- विंता
- नींद की समतया
- समाि से दरू ी
- प्रेरणा की कमी
- कायक करने में कविनाई

अिसाद (Depression)
क्या
 अिसाद मा नवसक तिात्य समतयाओं में से सबसे आम समतयाओं में से एक है और अक्सर विं ता (एं गिाइटी) के सार्
विकवसत होता है।
 अिसाद एक गं र्भीर मनो दशा ) विकार है। यह वदमाग से ि ुड़ी बी मा री
(मडू है, न वक कमिोरी का
लक्षण।
व वतिात्य संगिन (WHO) के अनसा
 विव ु र अिसाद
विकलांगता का प्रमख ु कारण है।
 यह ररतोंश्तों
को खराब कर सकता है, काम करने और तिात्य को बनाए
ु लश्ककर सकता है और गंर्भीर मामलों में आत्महत्या
रखना मवकल
की ओर ले िा सकता है।
 विव श्वततर पर, लगर्भग 5% ियतक अिसाद से ग्रतत हैं।
 मवहलाएं परुु षों की तल
ु ना में अिसाद से अवधक प्रर्भावित होती हैं।
 हर साल 700,000 से अवधक लोग आत्महत्या के कारण म र िाते हैं।
 अिसाद एक उपिार यो ग् य वतर्वत है, ले वकन 75% से अवधक
वनम्न और म ध् यम आय िाले दे शोंमें लोगों को कोई उपिार
नहीं वमलता है।
 यह ियतकों , वक रोंरोंशोऔर बच्िों को प्रर्भावित कर सकता है।

लक्षण:
 कम से कम 2 हफ्ते तक लगातार उदासी या रुवि में ू
 कमी महसस होना।

ििन में अिा नक कमी या िृवद्ध
होना। बहुत ज्यादा या बहुत कम

सोना। बेिै नी या स तती ु रहना।
 हर िि र्कान ू करना, र्भले ही कोई काम न वकया
 महसस हो।
बार-बार मृत्यु या आत्महत्या के बारे में
सोिना।
 काम पर ध्यान लगाने या वनणकय लेने में परे नीनीशाहोना।
 बेकार या वनरर्कक होने का र्भाि लगना।

कारक
 िैि रसायन (Biochemistry): म वततष् क में रासायवनक असं तल ु न अिसाद के लक्षणोंका कारण बन सकता है।
 आनुिंवशकी (Genetics): अिसाद पररिारों में िल सकता है।
 व्यवित्ि (Personality): कम आत्मसम्मान िाले, तनाि से आसानी से घबराने िाले या वनरा दी लोग अिसाद का
अनुर्भि करने की अवधक संर्भािना रखते हैं।
 पयाकिरणीय कारक (Environmental factors): वहंसा, उपेक्षा, दुव्यकिहार या गरीबी के लगातार संपकक में रहने से
कु छ लोग अिसाद के प्रवत अवधक सं िे दनशील हो सकते हैं।
 मवततष्क रसायन (Brain chemistry): अिसादग्रतत लोगोंमें म वततष् क के उन क्षेत्रों में रासायवनक असं तुलन हो सकता है िो
म नो दशा,
वििार, नींद, र्भखू और व्यिहार को वनयंवत्रत करते हैं।
 हामोन का ततर (Hormone levels): मवहलाओं में मावसक धमक िि,
प्रसिोिर अिवध, रिोवनिृवि से पहले का समय या रिोवनिृवि
के दौरान
एतरोिन और प्रोिेतरोन हामोन के ततर में बदलाि अिसाद के
खतरे को बढ़ा सकते हैं।
 पाररिाररक इवतहास (Family history): यवद आपके पररिार में अि सा द
या वकसी अरय म नो दशा सं ब ं धी विकार का इवतहास है, तो आपको
अिसाद होने का खतरा अवधक होता है।
 बिपन का आघात (Early childhood trauma): कु छ घटनाएं आपके रीर
के डर और क वतर्वतयों पर प्रवतविया करने के तरीके को प्रर्भावित करती
तनािपणू हैं।
 मवततष्क की संरिना (Brain structure): यवद आपके म वततष् क का फ्रं
टल लोब कम सविय है तो अिसाद का खतरा अवधक होता है। हालां वक,
िै ज्ञा वनकों को यह पता नहीं है वक यह अिसाद के लक्षण शुरू होने
से पहले होता है या बा द में ।
 विवकत्सीय वतर्वतयां (Medical conditions): कु छ वतर्वतयां, िैसे
वक पुरानी बी मा री , अवनिा, पुराना ददक, पावकिं सं स रोग, तरोक, वदल का
दौ रा और कैं सर आपको अवधक िोवखम में डालसकतेहैं।
 मादक िव्यों का सेिन (Substance use): मा दक िव् यों या शराब के द ुरुपयोग के इवतहास से आपका िो वखम प्रर्भावित हो सकता है।
 ददक (Pain): िो लोग लं बे समय तक र्भािनात्मक या शारीररक ददक म हसस ू करते हैं उनमें अिसाद होने की सं र्भािना काफी अवधक
होती है।

वलंग और अिसाद
 म वहला ओ ं में पुरुषों की तुलना में अिसाद होने की सं र्भािना लगर्भ
ग दो ग ुनी होती है।
 शोधकताकओं को अर्भी र्भीिीक से पता नहीं है वक सा क्यों है, लेवकन कु छ संर्भावित कारण हैं:
o हामोनल उतार-िढ़ाि, िैसे वक रिोवनिृवि से पहले का समय या प्रसि के बाद का समय
o लैं
वगक र्भेदर्भाि का सामना करना
o कु छ प्रकार का अिसाद म वहला ओ ं में अवधक पाया िाता है, िैसे वक प्रसिोिर

रों
अिसाद वक रों शोऔर बच्िों में अिसाद
 वक ररशोऔर बच्िे र्भी अिसाद का अनुर्भि कर सकते हैं। उनके लक्षण ियतकों से
कु छ वर्भरन हो सकते हैं।
 वक रोंरों शोमें अिसाद के लक्षणों में शावमल हो सकते हैं:
o विड़विड़ापन
o वतर्र न रह पाना
o दोततोंऔर पररिार से पीछे हटना
o तकू ल के काम में ध्यान लगानेमें कविनाई
o खुद को दोषी, असहाय या बेकार म हसस ू करना
 बच्िों में अिसाद के लक्षणोंमें शावमल हो सकते हैं:
o रोना
o कम ऊिाक
o विपकाने की आदत
o उद्दंड व्यिहार
o ज़ोर से गुतसा करना

अिसाद का इलाि कै से प्राप्त करें


 डॉक्टर या मा नवसक तिात्य पे र रशेिसे बा त करना ज़रूरी है।
 लक्ष णोंका आकलन कर सकते हैं और आपके वलए सबसे
उपयुि उपिार योि ना वनधाकररत कर सकते हैं।
 उपिार में शावमल हो सकता है:
o दिा इयाँ : अिसादरोधी दिा ए ं अके ले यार्ेरेपी के सार् लीिा सकती हैं।
o म नो वि वकत् सा : यह आपको अपनी र्भािनाओं और वििारों को समझने और उनसे वनपटने के तरीके सीखने में म दद
कर सकती है।
o िीि नशैली में बदलाि : तितर् र्भोिन करना, वनयवमत व्यायाम करना और पयाकप्त नींद ले
ना अिसाद के लक्षणोंको कम
करने में म दद कर सकता है।

अिसाद, बाइपोलर विकार, विंता, लत में तुलना


 अिसाद (Depression)

o यह लं बे समय तक रहने िा ला वनरा शका र्भाि है िो रोिमराक के िीि न को प्रर्भावित करता है।
o लक्षण: लगातार उदासी, गवतविवधयों में रुवि का ना कम लगना, बे कार करना, िल् दी गुतसा होना आवद।
होना, र्भखू महसस ू
o उपिार: इसमें र्ेरेपी, व्यायाम और सहायता समहू शावमल हो सकते हैं। कर्भी-कर्भी दिा ए ं र्भी दी िा ती हैं, लेवकन
बच्िों के इलाि
के वलए इनका इततेमाल नहीं करना िा वहए और ना ही वक रों रोंशोके वलए इलाि का पहला तरीका होना िा वहए ।
 बाइपोलर विकार (Bipolar Disorder)
o ु विकार है विसमें दो विपरीत वतर्वतयां होती हैं: अिसाद (उदासी) और उरमाद (हषक)।
यह मडू से ि ड़ा
o लक्षण: अिसाद में व्यवि लगातार उदास, वनराश और सुतत म हसस ू करता है। उरमाद में अत्यवधक खुशी, विड़विड़ापन, कम
नींद
की ज़रूरत, बहुत सारी योि ना ए ं बना ना और आिेग में खतरनाक काम करना शावमल है।
o उपिार: र्ेरेपी और दिाएं दी िा सकती हैं। सामाविक समर्कन र्भी इलाि का क वहतसा है।
एक महत्िपण ू
 विंता (Anxiety)
o यह दै वनक तनाि और समतयाओं से वनपटने का एक सामारय र्भाि है। लेवकन िब ये र्भाि लगातार, िरूरत से
ज्यादा और तकक हीन होते हैं, और वकसी व्यवि की कायक करने की क्षमता को प्रर्भावित करते हैं, तो विं ता
विकार बन िा ती है।
o लक्षण: बेिैनी, उलझन, घबराहट, असहायता की र्भािना, बार-बार आने िाले नकारात्मक वििार, मा ंसपेवयों
में िकड़न, धड़कन और सांस लेने में तकली फ।
o उपिार: इसमें विराम मश्रातकनीक और वनयवमत व्यायाम शावमल हैं। र्ेरेपी और दिा ए ं र्भी दी िा सकती हैं।
 लत (Addiction)
o यह तब होता है िब कोई व्यवि कु छ खास व्यिहारों को करने के वलए बा ध् य म हसस ू करता है, िा हे पररणाम कु छ र्भी
हों। लत
पदार्ों (न ले
लेशीपदार्क या शराब) या गवतविवधयों (ि आ
ु , सेक्स, इं टरने ट) से हो
सकती है। बोलना, लत को िारी रखने के
o लक्ष ण: कम आत्मसं यम , सामाविक समतयाएं , लत को िा री रखने के वलए बहा ने
बना ना या झि ू वलए िो वखम र्भरा व्यिहार करना।
o उपिार: इसमें व्यविगत या समहू र्ेरेपी और कर्भी-कर्भी दिा ए ं शावमल हो सकती हैं।

18% rise in depression cases in last decade, says WHO

 विव श्वतिात्य वदिस के अिसर पर मानवसक तिात्य पर ििाक को बढ़ािा देने के वलए विव श्वतिात्य संगिन (WHO) ने बताया वक
वडप्रेशन दवु नया र्भर में बीमारी और अक्षमता का प्रमखु कारण है।
 डब्ल्यएू िओ के अनुसार 2005 से 2015 के बीि दुवनयार्भर में वडप्रेशन के मामले 18% से अवधक बढ़े हैं।
 2015 तक 30 करोड़ से अवधक लोग वडप्रेशन से पीवड़त र्े।
 डब्ल्यएू िओ का लक्ष्य है वक दुवनयार्भर में वडप्रेशन रहे लोग वबना वकसी वहि के मदद लें।
से िझू
 डॉ. मागकरेट िान, डब्ल्यएू िओ महावनदेशक ने कहा वक "ये नए आंकड़े सर्भी दे शके वलए िेतािनी हैं वक िे मानवसक तिात्य के
वलए
अपने दृवष्टकोण पर पुनविकिार करें और इसे उस गंर्भीरता के सार् देखें विसके िे हकदार हैं।"
 र्भारत में र्भी वतर्वत गंर्भीर है। वपछले साल बेंगलुरु वतर्त राष्रीय मानवसक तिात्य और तंवत्रका विज्ञान संतर्ान (NIMHANS)
के एक सिेक्षण में बताया गया र्ा वक र्भारत में हर 20 में से 1 व्यवि कर्भी न कर्भी अपने िीिन में अिसाद से ग्रतत
होता है।
 डब्ल्यएू िओ ने मानवसक तिात्य सेिाओं में अवधक वनिेश की मांग की है। उरहोंने बताया वक कई दे शमें मानवसक रहे
रोगों से िझू
लोगों के वलए बहुत कम या कोई मदद उपलब्ध नहीं है। यहां तक वक उच्ि आय िाले दे शमें र्भी, अिसाद से ग्रतत लगर्भग
50% लोगों को इलाि नहीं वमल पाता है।
 डब्ल्यएू िओ के अनसा ु र मानवसक तिात्य पर सरकारी तिात्य बिट का औसतन के िल 3% खिक वकया िाता है, िो वनम्न-आय िाले
देशों में 1% से कम से लेकर उच्ि आय िाले देशों में 5% तक होता है।
विंता विकार (Anxiety Disorders)
 विं ता एक सामारय र्भािना है। यह आपके म वततष् क का तनाि का ििा ब
दे ने और आपको सं र्भावित खतरे के प्रवत सिेत करने का तरीका
है।
 हर कोई कर्भी न कर्भी विंता महससू करता है। उदाहरण के वलए, आप काम पर वकसी
समतया का सामना करने पर, परीक्षा देने से पहले या क वनणकय लेने से पहले
कोई महत्िपणू विंवतत हो सकते हैं।
 समय-समय पर र्ोड़ी विं ता होना िी क है। लेवकन विं ता विकार अलग हैं। िे मा नवसक
बी मा ररयों का एक समहू हैं िो लगातार और र्भारी विं ता और र्भय पैदा करते हैं।
अत्यवधक विं ता आपको काम, तकू ल, पाररिाररक मे लिो ल और अरय सामाविक
वतर्वतयों से बि ने के वलए मि ब ूर कर सकती है िो आपके लक्षणोंको वरगर
या खराब कर सकती हैं।
 उपिार के सार्, विं ता विकार िा ले बहुत से लोग अपनी र्भािनाओं को
प्रबं वधत कर सकते हैं।
विंता विकार के प्रकार
 सामारयीकृ त विंता विकार (Generalized anxiety disorder) : आप वबना वकसी
कारण या बहुत कम कारण के अत्यवधक, अिाततविक विं ता और तनाि म हसस ू करते हैं।
 पैवनक वडसऑडकर (Panic disorder) : आप अिानक, तीव्र र्भय म हसस ू करते हैं िो पैवनक अटैक का कारण बनता है। पैवनक
अटैक के
दौ रा न आपको पसीना आ सकता है, सीने में ददक हो सकता है और वदल की धड़कन तेि हो सकती है (palpitations)। कर्भी- कर्भी
आपको
ऐसा महससू हो सकता है वक आप घुट रहे हैं या वदल का दौरा पड़ रहा है।
 सामाविक विंता विकार (Social anxiety disorder) : इसे सोल फोवबया र्भी कहा
िाता है, यह तब होता है िब आप रोिमराक की सामाविक वतर्वतयों के बारे में
अत्यवधक विं ता और आत्म-िे तना म हसस ू करते हैं। आप इस बा त से ि ुनूनी रूप से
विंवतत रहते हैं रे लोग आपको िि करेंगे या आपकी बेइज्िती या उपहास
वक दसू
उड़ाएंगे।
 विवशष्ट फोवबया (Specific phobias) : आप वकसी विवशष्ट ितत ु या वतर्वत, िै से
ऊं िाई या उड़ान से अत्यवधक र्भय महससू करते हैं। यह र्भय उवित सीमा से अवधक हो
िा ता है और आपको सामारय पररवतर्वतयों से बि ने के वलए मि बर ू कर सकता है।
 अगोराफोवबया (Agoraphobia) : आपको वकसी ऐसी िगह पर िाने का तीव्र
र्भय होता है िहाँ आपातकालीन वतर्वत होने पर र्भागना या मदद वमलना
ु लश्कलगता है। उदाहरण के वलए, आप हिाई िहाि में , सािकिवनक
मवकल
पररिहन में या र्भीड़ िाली में खड़े
होने पर घबरा सकते हैं या विं वतत महसस ू कर सकते हैं।
 अलगाि विंता (Separation anxiety) : छोटेबच्िों को ही वकसी वप्रयिन के िले िाने पर डर याविंता नहींहोती है। अलगाि विंता
विकार वकसी को र्भी हो सकता है। यवद आप ऐसा करते हैं, तो आप वकसी ऐसे व्यवि के नज़रों से ओझल होने पर बहुत विंवतत या
र्भयर्भीत
म हसस ू करें गे िो आपके करीब है। आप हमे शविं ता करेंगे वक आपके वप्रयिन के सार् कु छ ब ुरा हो सकता है।
 ियनात्मक मवू तिाद (Selective mutism) : यह एक प्रकार की
सामाविक विंता है विसमें
छोटे बच्िे िो सामारय रूप से अपने
पररिार के सार् बा त करते हैं, िे सािकिवनक रूप से, िैसे
तकू ल में , बात नहीं करते।
 दिा प्रेररत विंता विकार (Medication-induced anxiety disorder) :
कु छ दिा ओ ं याअिैध दिा ओ ं का उप यो ग , याकु छ दिा ओ ं से िापसी,
विंता विकार के कु छ लक्षणोंको वरगर कर सकता है।
सामाविक विंता (Social Anxiety)

सामाविक विंता क्या है?


 द रों िा रा गलत आं का िा ने या ब ुरा प्रर्भाि डालने का
स अत्यवधक डर।
रों पर एक खास छाप छोड़ने की तीव्र

इच्छा, लेवकन सार् ही यह
 द


आत्मविवास सश्वाका ना होना वक िे ऐसा कर पाएंगे।
 यही कारण है वक सामाविक पररवतर्वतयों से पहले और दौरान विंता और र्भय
का अनुर्भि होना।
 सामाविक पररवतर्वतयों में घबराहट होना आम बा त है, लेवकन सामाविक
विं ता विकार में रोिमराक की बातिीतें र्भी विंता, आत्म-िेतना और शमक
का कारण बन िाती हैं।
 यह र्भय और विं ता आपके िीि न को बा वधत कर सकती है और ररतोंश्तों
, दै वनक
कायों, काम, तकू ल या अरय गवतविवधयों को प्रर्भावित कर सकती है।
 सामाविक विंता विकार, विसे सामाविक र्भय (phobia) के रूप में र्भी
िाना िाता है, सामाविक पररिेश में लोगोंके आसपास घबराहट और
घबराहट की वतर्वत है।
 इससे ग्रतत लोगों रों से घल ु ना-वमलना, नए दो तत बना ना और सामारय बा तिी त करना
ु लकहो
को दसू म वकल
िाता है।
 िे सामाविक संपकक के दौरान दसू रों िारा िांि या आंकलन वकए िाने के डर से अत्यवधक
आत्म-conscious और असहि हो िाते हैं।
 इस वतर्वतिरय तनाि को सं र्भालने में असमर्कता रों से बिते हैं और एकांत में
के कारण िे दस ू रहते हैं, िो उनके दैवनक िीिन को
बावधत करता है।

लक्षण

 सामाविक विं ता विकार के लक्षण कई प्रकार के हो सकते हैं, िै सा वक नीिे बता या गया है:
o व्यिहाररक लक्षण:
 कु छ पररवतर्वतयों में नकारात्मक रूप से आं का िा ने का डर
 अिनवबयों के सार् बा तिी त कर ने में तीव्र (intense) विंता
 इस बात का डर वक लोग उनकी घबराहट को देखेंगे
 शवमिंदगी के डर से गवतविवधयों या सामाविक संपकक से बिना
 उन िग हों से दर ू रहना िहा ं आप सबके ध्यान के कें ि में हो सकते हैं
 तकू ल या कायकतर्ल से बिने के वलए बातिीत से बिना
 सामाविक संपकक के बाद प्रदशकन या ं कन करना और खावमयों की तलाश करना
का मल्ू
o शारीररक लक्षण:
 तेि वदल की धड़कन
 कांपना
 पसीना आना
 वमतली या पेट खराब
 शरीर की वतर्वत में िकड़न
अरय लक्षण  ि क्क र आना
 शारीररक लक्षण: सामाविक पररवतर्वतयों में िा ने का
सोिते ही पसीना आना, वदल की धड़कन बढ़ िा ना , सां स
लेनेमें तकलीफ
होना, म ुंह सखू ना, मा ंसपेवयों में वखंिाि, िक्कर आना आवद।
 नी।शा
र्भािनात्मक लक्षण: घबराहट, बेिैनी, शवमिंदगी, अपमान का डर, दसू रों से निरें वमलाने में परे नी।
 सोि संबंधी लक्षण: रों की वनगाहों को अपने ऊपर रों के अपने बा रे में क्या सोि रहे हैं, इस पर बा र-बा र वििार
दसू आं कना, दस ू करना,
नकारात्मक आत्म-विंतन।
 व्यिहार संबंधी लक्षण: सामाविक कायकिमों से बि ना , नई लोगोंसे वमलने में वहिवकिाहट, कम बो लना या वबल्कु रों से
ल ना बो लना , दस ू
दर ू रहना।
कारण
 सामाविक विं ता विकार के सटीक कारणों का पता नहीं है, लेवकन मा ना िा ता है वक यह आनुिा ं वशक और पयाकिरणीय
कारकों के वमरणणश्रसे उत्परन होता है।
 विं ता विकार अक्सर पररिारों में िलते हैं।
 मवततष्क का एक र्भाग विसे अवमग्डाला (amygdala) कहा िाता है, र्भय प्रवतविया को वनयंवत्रत करने में र्भवू मका वनर्भा सकता है।
 कु छ लोगोंमें यह र्भाग अवतसविय हो सकता है, विससे सामाविक पररवतर्वतयों में विं ता बढ़ िा ती है।
 सामाविक विं ता विकार सीखा हुआ व्यिहार र्भी हो सकता है। कु छ लोगोंमें एक अवप्रय या शमकनाक सामाविक वतर्वत के
बा द गं र्भीर विं ता विकवसत हो सकती है।
सामाविक विंता का प्रर्भाि
 ररतोंश्तोंपर असर: दोतती, ररतेदादा
रीरीश्तेऔर रोमांवटक ररतोंश्तोंमें समतयाएँ पैदा हो सकती हैं।
 वशक्षा और कररयर पर असर: कक्षा में र्भाग लेने में परे नीनीशा, प्रततवु तकरण देने में
घबराहट, सामाविक कौशल की कमी के कारण नौकरी के अिसर िकू िाना।
 मा नवसक तिात्य पर असर: अिसाद, अके लापन और आत्महत्या के
वििार आना। सामाविक विंता से वनपटने के उपाय
अच्छी खबर यह है वक सामाविक विं ता का इलाि वकया िा सकता है। इसमें वनरं तरता
और आत्मविवास सश्वाकी आियकता
कताश्यहोती है। डॉ विियरी श्रीबिा ज़ िा रा सुझाई गई कु छ प्रर्भािी
रणनीवतयों में शा वमलहैं:
 संज्ञानात्मक-व्यिहाररक विवकत्सा (CBT): यह विवकत्सा व्यवि को सामाविक पररवतर्वतयों से संबंवधत नकारात्मक वििारों और सोि
को पहिानने और ि ुनौती दे ने में म दद करती है। सार् ही यह विं ता को प्रबं वधत करने के वलए म ुकाबला कौशल और
रणनीवतयों को र्भी वसखाती है।
 तिीकृ वत और प्रवतबद्धता विवकत्सा (ACT): इस प्रकार के उपिार में कविन र्भािनाओं के म योंके आधार पर िीिन िीने का
बाििदू ल्ू
तरीका खोिने के वलए ग्राहकों को परामशक देना शावमल है। इसमें व्यिहाररक तकनीक, तिीकृ वत और सिेतनता को लागू करना शावमल
है।
 धीरे-धीरे सामना करना (Gradual exposure therapy): इस विवकत्सा में उन सामाविक पररवतर्वतयों का सामना करना
शा वमलहैविनसे डर लगता है। यह व्यिवतर्त और धीमी प्रविया होती है। इसका उद्देय श्यव्यवि को धीरे-धीरे उन
पररवतर्वतयों के प्रवत असंिेदन ललशीबना ना होता है िो विं ता पैदा करती हैं और सार् ही सार् आत्मविवास सश्वाका
वनमाकण करना र्भी होता है।
 मनवचंतता और विराम मश्रा(Mindfulness and relaxation techniques): गहरी साँस लेने, ध्यान और प्रगवत ल मा ंसपे
विराम मश्रािैसे अभ्यास सामाविक पररवतर्वतयों में विं ता के लक्षणोंको कम करने और आराम को बढ़ािा दे ने में
म दद कर सकते हैं।
 सामाविक कौशल प्रवशक्षण (Social skills training): म ख
ु रता, प्रर्भािी संिार और संघषक समाधान िैसे सामाविक कौशलों
को सीखना और उनका अभ्यास करना आत्मविवास सश्वाबढ़ा सकता है और सामाविक सं पकक को आसान बना सकता है।
 यर्ावर्कक लक्ष्य वनधाकररत करना (Setting realistic goals): सामाविक संपकक के वलए छोटे और प्राप्त करने योग्य लक्ष्य वनधाकररत करना
विं ता को कम करने में म दद कर सकता है। छोटे और आसान सामाविक कायों से शुरुआत करें और धीरे-धीरे अवधक
ि नौ
ु तीपणू क पररवतर्वतयों की ओर बढ़ें ।
 सामाविक समर्कन प्राप्त करना (Seeking social support): वकसी र्भरोसेमं द दो तत , पररिार के सदतय या सहायता समहू से सामाविक
विं ता के बा रे में बा त करना र्भािनात्मक समर्कन और समझ प्रदान कर सकता है। अनुर्भिों को साझा करना और सलाह
लेना म ददगा र हो सकता है।
 ली (Healthy lifestyle): वनयवमत व्यायाम, सं तुवलत आहार, पयाकप्त नींद और शराब या कै फीन िै से पदार्ों से
तितर् िीिन लीशै
परहेि करना समग्र तिात्य को बे हतर बना ने और विं ता को प्रबं वधत करने में म दद कर सकता है।
 नकारा त् म क वििारों को िुनौ ती दें (Challenge negative thoughts): नकारात्मक आत्म-विंतन को िुनौती देनेका अभ्यास
करें और उरहें अवधक यर्ा र्किा दी और सकारात्मक वििारों से बदलें । कमिोररयों पर ध्यान दे ने के बिा य अपनी
शवियों और उपलवब्धयों पर ध्यान दें।
 पे मरशेिदद लें (Professional help): विंता विकारों में वि षज्ञता
र शेखने िाले मानवसक तिात्य पे र, िैसे
वक विवकत्सक या परामशकदाता से म दद लेनेपर वििार करें। िे व्यविगत आियकताओ कताओ श्य
ं के अनुरूप उपिार योि ना एँ
और समर्कन प्रदान कर सकते हैं।
 दिा (Medication): कु छ मा म लों में , तिात्य देखर् भा
ल प्रदाता िारा वनधाकररत दिाएं, िैसे वक एंटी-वडप्रेसेंट या एंटी-
विंता दिाएं, सामाविक विंता के वलए व्यापक उपिार योिना के वहतसे के रूप में ली िा सकती हैं।
आत्मकें वित सामाविक विंता
सामाविक सं के तों को गलत समझना सामाविक वतर्वतयों में विंता
सं के त लेनेया हातय समझने में परे नीनीशाहोती है डर के शारीररक लक्षण िै से शरमाना, पसीना आना, कां पना
वब्दकशासंके तों की व्याख्या करने में परे नीनीशाहोती है
अ वब्दक आत्म-िेतना का उच्ि ततर
र्भािनाओं को समझने और व्यि करने में परे नीनीशाहोना रयाय वकए िा ने का डर
वनयवमत पररितकनों के सार् तालमेल वबिाने में कविनाई सामाविक वतर्वतयों से बिना
दसू रों के दृवष्टकोण को समझने और समझने में परे नीनीशाहोना सामाविक पररवतर्वतयों में हमे शसबसे खराब की उम्मीद करना

वसिोफ्रे वनया (Schizophrenia)


 वसिोफ्रे वनया एक वदमागी बीमारी है विसमें व्यवि को
भ्रम (गलत विवास सश्वा ), म वतभ्र म (ऐसी िीिें दे खना या
सनु ना िो असल में हैं ही नहीं), असामारय रीररक
व्यिहार, और अव्यिवतर्त सोि
और बो लने की समतया हो सकती है।
 वसिोफ्रे वनया से पीवड़त लोगोंमें अक्सर सं दे ह
(पैरानॉय्ड) का ख्याल आना या आिािें सुनाई देना आम
है। उदाहरण के वलए, उरहें यह विवास सश्वाहो सकता है
वक कोई उनके वदमाग को वनयंवत्रत कर रहा है या
उरहें नुकसान पहुँिाने । ये psychotic episode
िालाहै
(म नो वि कृ वत के दौ र) अक्सर र्भयािह, भ्रामक और अलग-
र्लग कर ने िाले होते हैं।
 यह शब्द लैवटन से आया है विसका अर्क " विर्भावित
वदमाग" होता है, लेवकन इसका म तलब यह नहीं है वक
वसिोफ्रे वनया
डबल व्यवित्ि या बहु-व्यवित्ि रोग है। बवल् क ऐसे लोग अलग प्रकार के अनुर्भि करते है िो समारय लोगोंके वलए पागलपन
या विकृ वत के समान माने िाते है
 वसिोफ्रे वनया वकसी व्यवि के िीि न को बहुत प्रर्भावित कर सकता है, विससे तकू ल या काम पर िा ना , समय का पालन
ु लश्क
करना, लोगोंसे वमलना-ि ुलना, दै वनक कायक करना या अपना ख्याल रखना म वकल हो िा ता है। हालां वक, वनरं तर इलाि -
दिा , र्ेरेपी और सामाविक समर्कन के संयोिन से - वसिोफ्रे वनया से पीवड़त लोग इस बीमारी को मै नेि कर
सकते हैं और खुहाल िीिन िी सकते हैं।
वसिोफ्रे वनया के कारणों का पता लगाना
वसिोफ्रे वनया के िी क-िी क कारणों का अर्भी तक पता नहीं िल पाया है, लेवकन शोधकताकओं का मा नना है वक इसमें कई िीिें र्भवू मका
वनर्भाती हैं:
 आनुिंवशकी (Genetics): अगर आपके पररिार में वकसी को वसिोफ्रे वनया है तो आपको र्भी यह बीमारी होने का खतरा ज्यादा रहता
है।
 पयाकिरणीय कारक (Environmental Factors): ऐसा मा ना िा ता है वक गर्भाकितर्ा के दौ रा न या िरम के समय वकसी तरह
का सं िम ण, पोषण की कमी या िरम के िि ऑक्सीिन की कमी र्भी वसिोफ्रे वनया का कारण बन सकती है।
 मनोसामाविक कारक (Psychosocial Factors): बहुत ज्यादा तनाि, बि पन में हुए द ुव्यकिहार या वकसी सदमे का र्भी
वसिोफ्रे वनया से संब ंध हो सकता है।
 मादक पदार्ों (वि षतशे
षत: गांिा) का अत्यवधक सेिन (Heavy Cannabis Use): ज्यादा मा त्रा में गां िा पीने से वसिोफ्रे वनया
होने का खतरा बढ़ सकता है।
लक्षण
सकारात्मक
 भ्रम (Delusions): ये ऐसी िड़ हुई गलत धारणाएं होती हैं विनका उस व्यवि की संतकृ वत के सरदर्भक में कोई मतलब नहीं होता।
हालाँवक हर वकसी को कर्भी न कर्भी गलतफहमी हो सकती है, लेवकन वसिोफ्रे वनया से ग्रतत व्यवि को यह यकीन हो िाता है
वक उनकी ये गलत धारणाएं ही सि हैं और उरहें समझाया नहीं िा सकता वक उनकी सोि गलत है।
 मवतभ्रम (Hallucinations): ये ऐसी अनुर्भवू तयां होती हैं िो िा ततवि कता में नहीं होतीं। म वतभ्र म परू ी तरह से सिेत
अितर्ा में होते हैं, िब व्यवि न तो शराब के न शमें होता है और न ही वकसी न शकी दिा के प्रर्भाि में होता है।
 श्रिण मवतभ्रम (Auditory hallucinations): आिािें सुनना (सबसे आम)
 दृश्य मवतभ्रम (Visual hallucinations): िीिें दे खना
 तपक श संबंधी मवतभ्रम (Tactile hallucinations): छू ने का भ्रम (उदाहरण के वलए, त्ििा पर कीड़े रेंगना)
 तिाद संबंधी मवतभ्रम (Gustatory hallucinations): कु छ खाने का भ्रम
 घ्राण संबंधी मवतभ्रम (Olfactory hallucinations): कु छ संघू ने का भ्रम
 वििवलत बोलिाल (Disorganized Speech): इसे "अव्यिवतर्त शब्द िो ड़ " के रूप में र्भी िा ना िा ता है। वसिोफ्रे वनया से ि ुड़ी
अव्यिवतर्त बो लिा ल में , शब्दों को र्भाषा के सामारय वनयमों के अनुसार एक सार् नहीं िो ड़ा िा ता है, बवल् क ध्िवन,
तकु बं दी , िा क् य छेड़ यातितत्रं रूप से िड़े
ु वििारों के आधार पर िोड़ा िा सकता है।
 वििवलत व्यिहार (Disorganized Behavior): इस तरह के व्यिहार लक्ष्य-उरमखु नहीं होते हैं और उनका कोई मतलब नहीं होता।
उदाहरण के वलए, नहाने के वलए कपड़े उतारना एक समझने लायक बात है। लेवकन सािकिवनक बस में कपड़े उतारना
अव्यिवतर्त व्यिहार का एक उदाहरण है। अनुवित समय पर या वबना वकसी कारण के हं सना र्भी एक अव्यिवतर्त व्यिहार
है। अिीब म ुिा ए ं अपनाना या िम
िा ना ये काटातोवनक व्यिहार के उदाहरण हो सकते हैं।
नकारात्मक लक्षण
वसिोफ्रे वनया के सकारात्मक लक्षणों के अलािा, कु छ अरय लक्षण र्भी होते हैं विरहें वनवष्िय लक्षण कहा िाता है। इसका मतलब
यह नहीं है वक ये लक्षण कम गंर्भीर हैं। बवल्क, वनवष्िय लक्षणों का मतलब है वक व्यवि कु छ ऐसे गुणों या क्षमताओं को खो िुका है या
उनमें कमी आई है िो आमतौर पर तितर् लोगोंमें पाई िा ती हैं। इन वनवष्िय लक्षणोंके कु छ उदाहरणों में शावमल हैं:
 र्भािहीन िेहरा (Flattened Affect): इसका म तलब है वक व्यवि र्भािुक नहीं वदखाई दे ता या उसकी र्भािनाओं का दा यरा
बहुत सीवमत होता है। िे र्भािनात्मक या परे ननशाकरने िा ली वतर्वतयों या εικόνες (ईकोनेस - छवियों) पर बहुत कम
प्रवतविया वदखाते हैं। र्भािनाओं
को सीवमत रूप से व्यि करना दसू रों के वलए विंतािनक हो सकता है, क्योंवक ऐसा लग सकता है वक वसिोफ्रे वनया से पीवड़त व्यवि
उनसे
दरू होतािा रहा है।
 आनंद की कमी (Anhedonia): वसिोफ्रे वनया से ग्रतत व्यवि को उन िीिों में र्भी आनं द नहीं आता िो उरहें
पहले खुशी दे ती र्ीं। यह बदलाि उनके आसपास के लोगों िारा आसानी से देखा िा सकता है और यह वसफक
रुवि बदलने िैसी बात नहीं है।
 कम बोलना (Reduced Speech): वसिोफ्रे वनया का एक वनवष्िय लक्षण यह हो सकता है वक व्यवि पहले से काफी कम बोलता
है। इस खास लक्षण को इस रूप में र्भी दे खा िा सकता है वक व्यवि पहले की तलु ना में कम तपष्ट रूप से बो लता है।
 पहल की कमी (Lack of Initiative): िीिें करने की इच्छा का खो िा ना वसिोफ्रे वनया का एक वनवष्िय लक्षण है। या द रखें
षताको संदवर्भकत करता है िो व्यवि के दैवनक अनुर्भि से कम होती या गायब होती िा रही
वक एक वनवष्िय लक्षण उस वि षताशे
है। प्रेरणा और पहल की कमी, विसे अिolition (अविवच्छरन इच्छावि ) के रूप में र्भी िाना िाता है, एक आम
वनवष्िय लक्षण है।
वसिोफ्रे वनया के लक्षण
 आमतौर पर 16-30 साल की उम्र के बीि शुरू होता है।
 पुरुषों में , लक्षण आमतौर पर दे र से वक राितर्ा
राितर्ाशोऔर
शुरुआती 20 के दशक में शुरू होते हैं, और म वहला ओ ं में
20 के दशक के म ध् य से 30 के दक के शरुआत ु में शरूु
होते हैं।
 लक्षण एक व्यवि से रे व्यवि में वर्भरन होते हैं और समय के सार्
दसू बदल सकते हैं।
 कु छ लोगोंको वसफक एक बा र म नो वि कृ वत का दौ र आता है,
िबवक अरय को िीिन र्भर कई बार आ सकता है।
 लोग कई कारणों से इलाि नहीं कराते हैं, िै से इनकार करना वक िे
बी मा र हैं, गं र्भीर मा नवसक बी मा री का लेबल लगनेसे शमक
आती है, या यह नहीं समझ पाते हैं वक उनमें वसिोफ्रे वनया
के लक्षण वदख रहे हैं।
 गंर्भीर वतर्वत के दौरान वकसी व्यवि की सरु क्षा, उवित पोषण,
पयाकप्त नींद और अरय कारकों को सुवनवचत करने के वलए
अतपताल में र्भती की यआियकता
होय सकती है।
 भ्र म: सत्य सावबत करने पर ीमा रयता ए ं विरहें बदला नहीं िा
र्भी झिू सकता।
 म वतभ्र म : ऐसी िीिें देखना या सुनना िो िातति में नहीं हैं, िै से
मौि द ू आिािें आना।
 यह विवास सश्वावक दसू रे उनके वदमाग को पढ़ रहे हैं या वनयंवत्रत कर रहे हैं।
 अव्यिवतर्त सोि और बोलिाल: वबना वकसी तावकक क संबंध के एक रे वििार पर िाना, या ऐसे िाक्य बो लना रों को
वििार से दसू समझ में न आएं।
िो दसू
 बो लने और र्भािनाओं को व्यि करने में कविनाई, सार् ही ध्यान, या ददा श्त और सं गिन की समतयाएं ।
 अव्यिवतर्त या असामारय रीररक व्यिहार: अनवि ु त, दोहराि
िाला, अत्यवधक या अिीब हरकतें करना, या वबल्कु ल न
वहलना या बा त न करना।
 सामारय रूप से कायक करने की कम हुई क्षमता, िै से
व्यविगत तिच्छता को निरअंदािकरना या र्भािनाएं न
वदखाना।
वसिोफ्रे वनया का इलाि
वसिोफ्रे वनया से पीवड़त लोगों को िीिन र्भर इलाि की िरूरत होती
है। लेवकन वितनीिल्दी इलाि शुरू वकयािाता है, उनकी ररकिरी और
िीिन की ग ुणििा बेहतर होने की संर्भािना उतनी ही अवधक होती है।
दिाइयां और र्ेरेपी
वसिोफ्रे वनया के लक्षणों को प्रबंवधत करने में मदद कर सकती हैं,
और कई मामलों में, वसिोफ्रे वनया से पीवड़त लोग अपने लक्ष्यों को
प्राप्त कर सकते हैं, तितर् ररतेश्तेबना सकते हैं, नौकरी कर सकते हैं
और िरुरी नहीं िे वकसी पर वनर्भकर रहे िे
उत्पादक र्भी बन सकते है।
 दिाइयां: एंटी-साइकोवटक दिाएं लक्षणों को वनयंवत्रत करने
में मदद करती हैं, विससे िे कम परे ननशाकरने िाले
और विघटनकारी हो िाते हैं। कम से कम साइड इफे क्ट
िा ली सबसे कारगर दिा खोिने के वलए एक म नवि वकत् सक
को शायद अलग-अलग खुराक पर अलग-अलग दिाओं को
आिमाना पड़ सकता है। लक्षणोंमें सुधार वदखने में कई
सप्ताह लग सकते हैं।
 इलेक्रोकोनिवल्सि र्ेरेपी (ईसीटी): िो लोग दिा ओ ं के प्रवत
प्रवतविया नहीं दे ते हैं, उनके वलए इलेक्रोकोनिवल्सि
र्ेरेपी (ईसीटी) एक विकल्प हो सकता है। यह म वततष् क
उिेिना तकनीक वसिोफ्रे वनया के लक्षणोंको कम करने के
वलए मवततष्क के माध्यम से छोटी विद्युत धाराओं को पाररत
करती है।
 र्ेरेपी: दिा के अलािा, र्ेरेपी वसिोफ्रे वनया से पीवड़त
लोगोंऔर उनके पररिारों को मा गकदशकन और सहायता प्रदान
करती है:
o व्यविगत र्ेरेपी ("टॉक र्ेरेपी") लोगों को
सोिने के तरीकों को सामारय बनाने, शुरुआती
िेतािनी संके तों को पहिानने और तनाि से
वनपटने में म दद करती है।
o पाररिाररक विवकत्सा वसिोफ्रे वनया से िझ ू रहे पररिारों को
समर्कन, अंतदृकवष्ट और िागरूकता प्रदान करती है।
वसिोफ्रे वनया को मैनेि करना
वसिोफ्रे वनया का इलाि िीिन र्भर िलता है, लेवकन वितनी िल्दी आप इलाि शुरू करते हैं, कर सकते हैं। दिा इया ं और
उतना ही अच्छा महसस ू
र्ैरेपी आपकी बी मा री को कं रोल में रखने में म दद करेंगी। इनके सार्-सार् ये कु छ आदतें अपनाने से आप रोिमराक की
विं दगी को आसान बना सकते हैं:
 अपने इलाि को न छोड़ें: अपने डॉक्टर से वमलते
रहें और दिा इया ं िी क से लेतेरहें। र्भले ही आपको
लगेवक आप िी क हैं , वफर र्भी इलाि िा री रखना
ज़रूरी है। दिा इया ं या द रखने के वलए आप अलामक
लगा सकते हैं या हफ्ते र्भर की दिा रखने
िा ली वडब्बी इततेमाल कर सकते हैं।
 अपने डॉक्टर को बताएं: अगर आपको कोई परे नीनीशाहो
, तो तुरं त अपने डॉक्टर से
या लक्षण िा पस आने लगें
बा त करें।
 अपने लक्ष्य तय करें: ये लक्ष्य पढ़ाई, काम या ररतोंश्तोंसे िुड़े हो
सकते हैं। अपने पररिार और दोततों को अपने लक्ष्यों के बारे में बताएं तावक िो आपकी मदद कर सकें ।
 अपने खाने-पीने का ध्यान रखें: पौवष्टक आहार लें, व्यायाम करें और रात को लेशीपदार्ों
पान, शराब और न ले रहें।
अच्छी नींद लें। धम्रू से दर ू
 तनाि कम करें: योग, ध्यान या टहलना िैसी िीिें करने से तनाि कम होता
है।
 अके लेपन से बिें: रे लोगोंसे वमलें-ि ुलें
। ऐसे लोगोंका ढूंढें िो वसिोफ्रे वनया को समझते हैं। उनकी कहावनयां सुनने और
दस ू समहू उनसे
सीखने से आपको म दद वमलेगी।
 अपने बारे में िानकारी हावसल करें: वसिोफ्रे वनया के बा रे में वितना वितना िा नें गे , अपने इलाि को उतना ही
बे हतर तरीके से समझ पाएं गे। इससे आपके पररिार को र्भी आपकी बी मा री को समझने में म दद वमलेगी।
 सरकारी मदद लें: सरकार वकफायती आिास, नौकरी पाने में और रोिमराक के कामों में म दद दे ती है। इन कायकिमों
के बा रे में िा नकारी हावसल करें।
वसिोफ्रे वनया एक गंर्भीर बीमारी िरूर है, लेवकन आप दिाइयों, र्ैरेपी और अच्छी आदतों से इसे मै नेि कर सकते हैं और
खुहाल िीिन िी सकते हैं। वसिोफ्रे वनया का प्रर्भाि (प्रर्भाि और दायरा)
 द ुवनयार्भर में लगर्भग 2 करोड़ 40 लाख लोग वसिोफ्रे वनया से प्रर्भावित हैं, या नी हर 300 में से 1 व्यवि (0.32%)
इसका वशकार है । ियतकों में ये आंकड़ा और र्भी ज्यादा बढ़ िाता है, हर 222 में से 1 (0.45%) व्यवि को यह
बीमारी होती है। हालांवक, गौर करने िाली बात ये है वक अरय कई मा नवसक रोगों की तल ु ना में वसिोफ्रे वनया
उतना आम नहीं है ।
 यह बी मा री अक्सर दे र से वक राितर्ा
राितर्ा
शोया बी स के दशक में शुरू होती है। पुरुषों में म वहला ओ ं की तुलना में यह आमतौर पर
िल् दी शुरू हो
िाती है।
 वसिोफ्रे वनया पीवड़त व्यवि के व्यविगत, पाररिाररक, सामाविक, शैक्षवणक, व्यािसावयक और िीि न के क क्षेत्रों में परे नी
अरय म हत्ि पण ू
और कमी का कारण बनता है। आम िनता की तुलना में वसिोफ्रे वनया से ग्रतत लोगोंके िल् दी म ृत्यु होने की सं र्भािना 2
से 3 गुना अवधक होती है (3)। यह आमतौर पर हृदय, रि, ियापिय और संिामक रोगों िैसी शा रीररकबीमाररयों के
कारण होता है।
 वसिोफ्रे वनया से पीवड़त लोगोंको अक्सर मा नवसक तिात्य सं तर्ानों और समदाु यों में रहते हुए र्भी मा निा वधकारों के
उल्लं घन का सामना करना पड़ता है। इस वतर्वत िा ले लो गों के वखलाफ कलं क व्यापक है, विससे सामाविक बवहष् कार
होता है और पररिार और दो ततों सवहत उनके अरय लोगोंके सार् सं ब ं धों पर असर पड़ता है। इससे र्भेदर्भाि बढ़ ता
है, िो आम तिात्य दे खर्भा ल, वशक्षा, आिास और रोिगार तक पहुंि को सीवमत कर सकता है।
 मा निी य और सािकिवनक तिात्य आपात वतर्वतयों के दौ रा न, अत्यवधक तनाि और र्भय, सामाविक समर्कन का ट ूट ना ,
अके लापन और तिात्य दे खर्भा ल सेिाओं में व्यिधान पैदा हो सकता है। ये बदलाि वसिोफ्रे वनया से पीवड़त लोगों
के िीि न को प्रर्भावित कर सकते हैं,
विससे मौिदू ा लक्षण और र्भी बढ़ सकते हैं। आपातकाल के दौरान, वसिोफ्रे वनया से पीवड़त लोग उपेक्षा, पररत्याग, बेघरता,
दव्ु यकिहार और सामाविक बवहष्कार सवहत विवर्भरन मानिावधकारों के उल्लंघन के प्रवत अवधक संिेदन ललशीहोते हैं।
डब्ल्यएू िओ की प्रवतविया (WHO Response)
 विव श्वतिात्य सं गिन (WHO) ने 2013-2030 के वलए व्यापक मा नवसक तिात्य कायक योि ना बना ई है। इस योि ना में
वसिोफ्रे वनया सवहत मानवसक रोगों से ग्रतत लोगोंके वलए उवित सेिाएं प्रदान करने के वलए आियककश्यकदमों पर
प्रकाश डाला गया है। कायक योि ना की एक प्रमुख वसफाररश यह है वक सेिाओं को सं तर्ानों से हटाकर समुदा यों में ले
िा या िा ए ।
 डब्ल्य ि ओ की मा नवसक तिात्य के वलए वि षशे ष पहल का लक्ष्य 2013-2030 के वलए व्यापक मा नवसक तिात्य कायक योि ना के
एू उद्देयोंश्यों
की ओर और प्रगवत करना है। यह सुवनवचत करने के वलए वक 10 करोड़ से अवधक लोगों को मानवसक तिात्य वतर्वतयों के वलए
गुणििापणू क और वकफायती दे खर्भा ल तक पहं ुि प्राप्त हो सके ।
 डब्ल्य ि ओ का मा नवसक तिात्य अं तराल कायकिम (mhGAP) दे शों, वि षशे ष रूप से सं साधन-द ुलकर्भसेवटं ग्स में सेिाओं का
एू विततार करने
के वलए साक्ष्य-आ धा ररत तकनीकी मागकदशकन, उपकरण और प्रवशक्षण पैके ि का उपयोग करता है। यह मनोविकृ वत सवहत प्रार्वमकता प्राप्त
वतर्वतयों के एक सेट पर कें वित है, िो एक एकीकृ त दृवष्टकोण में गैर-विवशष्ट तिात्य देखर्भाल प्रदाताओं की क्षमता
वनमाकण की ओर वनदेवशत करता है िो दे खर्भा ल के सर्भी ततरों पर मा नवसक तिात्य को बढ़ािा दे ता है। ितकमा न में
mhGAP को 100 से अवधक
डब्ल्यएू ि ओ सदतय राज्यों में लागू वकया िा रहा है।
 डब्ल्य ि ओ गणििाु अवधकार पररयोिना में मा नवसक तिात्य और सामाविक दे खर्भा ल सवि ु धाओं में दे खर्भा ल की गणििा
ु और
एू
मा निा वधकारों की वतर्वत में सुधार करना और सं गिनों को मा नवसक तिात्य वतर्वतयों और म नो सा मा वि क विकलां ग लोगोंके
तिात्य की
ि कालत करने के वलए स निशबना ना शावमल है।
 समुदाय आधाररत मानवसक तिात्य सेिाओं और व्यवि-कें वित और अवधकार-आधाररत दृवष्टकोणों पर िओ का मागकदशकन उन
डब्ल्यएू
सर्भी वहतधारकों को िा नकारी और समर्कन प्रदान करता है िो अपनी मा नवसक तिात्य प्रणाली और सेिाओं को विकवसत या
बदलना
िा हते हैं तावक िे अं तरराष्रीय मा निा वधकार मा नकों के अनुरूप हों, विनमें विकलां ग व्यवियों के अवधकारों पर
सं य िु राष्र सम्मेलन र्भी शावमल है।
वसिोफ्रे वनया में भ्रम (Delusions) क्या होते हैं?
 झ ी मारयताएं: वसिोफ्रे वनया में भ्रम का म तलब होता है वकसी ऐसी िीि का पक्का विवास सश्वाकरना िो सि हों वक िो
िू नहीं है, िा हे सबतू
गलत है।
 अटटू विवास सश्वा
: हर गलत विवास सश्वाभ्रम नहीं होता। वसिोफ्रे वनया में भ्रम की खास बात ये है वक व्यवि को उस िीि पर अटटू
र्भरोसा होता है। र्भले ही उरहें वकतना र्भी समझाया िा ए , िे अपनी आतर्ा नहीं बदलते ।
 आकवतमक उत्पवि: वसिोफ्रे वनया में भ्रम अिानक से पैदा होते हैं। ये वकसी लं बे समय के वनष्कषक या
वििार का नतीिा नहीं होते। ये मा नवसक बीमारी के कारण अिानक वदमाग में आ िाते हैं।
 गंर्भीर बनाम मध्यम विवास सश्वा: मानवसक तिात्य वतर्वतयों में भ्र म को कै से पररर्भावषत वकया िाए, इस पर अर्भी र्भी बहस िल रही है। कु छ
षज्ञ मानते हैं वक भ्र म एक तपेक्रम (श्रेणी) पर होते हैं। या नी हल्के भ्रम िै से वििारों से लेकर गं र्भीर भ्रमों तक, िो वसिोफ्रे
वि षज्ञशे
मौिदू वनया
िैसी बीमाररयों में देखेिाते हैं।

वसिोफ्रे वनया में भ्रम के प्रकार (भ्रम


विषय)
ीबद्ध करता है। आ प इनमें से एक या कई तरह के भ्र मों (वमवरततश्रभ्र म) का अनुर्भि कर सकते हैं,
वसिोफ्रे वनया में भ्रम के 7 आम लेवकन
विषयों को सिू
सबसे आम भ्रम है - सताए िाने का भ्रम (Persecutory Delusions) विसे संवदग्ध भ्रम (Paranoid Delusions) र्भी कहा िाता है।
यहाँ भ्रम के कु छ विषयों को उदाहरण के सार् समझाया गया है:
 सताए िाने का भ्रम (Persecutory Delusions): आपको यह विवास सश्वाहो सकता है वक कोई याव्यवि आपको िोट पहँुिाने, परे ननशा
समहू करने या नुकसान पहँुिाने की योिना बना रहा है।
 संके तात्मक भ्रम (Referential Delusions): आपको लग सकता है वक रोज़मराक की िीिें , लोग, घटनाएं और ितत एु ं आपके िीि न से
ि ुड़ी हैं, र्भले ही उनका आपसे कोई तावकक क सं ब ं ध न हो। उदाहरण के वलए, वकसी को आइसिीम खाते दे ख यह सोिना वक
यह आपके
िीिन को प्रर्भावित करने िाली पररवतर्वतयों के बारे में कोई गुप्त संके त र्भेि रहा है।
 महानता का भ्रम (Grandiose Delusions): आपको यह अटटू विवास सश्वाहो सकता है वक आप दसू रों की तलु ना में वकसी प्रवतर्भा के धनी
हैं,
अत्यवधक धनिान हैं या बहुत प्रवसद्ध हैं। आप मान सकते हैं वक आपके पास वि षशे ष शवियां हैं या आप कोई अनोखी प्रवतर्भा हैं।
 प्रेम संबंध का भ्रम (Erotomanic Delusions): आपको यह गलत विवास सश्वाहो सकता है वक कोई आपसे प्यार करता है। उदाहरण
के वलए, आप यह सोि सकते हैं वक कोई मशहूर हतती आपसे प्यार करता है, र्भले ही आप उनसे कर्भी वमले र्भी न हों और
न ही उनसे कोई बातिीत की हो।
 शरू यिादी भ्रम (Nihilistic Delusions): ये भ्रम िीि न के अर्कहीन होने से ि ुड़े होते हैं। आपको लग सकता है वक कोई बड़ी तबाही
आने
िाली है या मा नि ता पहले से ही नरक में है।
 शारीररक भ्रम (Somatic Delusions): आपको अपने शरीर के अं गों और उनके कायों को लेकर गलतफहमी हो सकती है।
आपको लगसकता है वक आपका शरीर िी क से काम नहीं कर रहा है या प्राकृ वतक शा रीररक सं िे दना ओ ं के गलत अर्क
वनकाल सकते हैं, िै से वक र्भखू लगने को पेट का कैं सर होना समझ लेना।
 अिीबोगरीब भ्रम (Bizarre Delusions): ये परू ी तरह से असं र्भि िीिों पर आधाररत भ्रम होते हैं, विनका िा ततवि क िीि न से
कोई लेना- दे ना नहीं होता और ये वकसी सां तकृ वतक मा रयता से र्भी ि ड़ेु नहीं होते। िहाँ कोई व्यवि यह मा नता है वक
वकसी बा हरी शवि ने उसके अं गों को वनकालकर वकसी और के अं ग लगा वदए हैं।
भ्रमपणू क सोि के संके त
भ्रमप क सोि के लक्षण भ्रम के प्रकार और वकसी र्भी अंतवनकवहत मानवसक या शारीररक तिात्य वतर्वतयों के आधार पर वर्भरन हो सकते हैं।
णू सामारय तौर
पर, ये संके त बता सकते हैं वक कोई व्यवि भ्रम का अनुर्भि
कर रहा है: ों के बदला नहींिा सकता।
 ऐसी दृढ़ , असत्य धारणाएं व्यि करना विरहें त्यों बािि द ू
या सबतू
 विवास सश्वाके बा रे में बहस या तकों का पुरिोर
विरोध करना।
 भ्रम पर आधाररत असामारय व्यिहार, िै से "अपने वििारों की रक्षा करने" के वलए वि षशे
ष टो पी पहनना।
 काम, तकू ल या ररतोंश्तोंिै से िीि न के महत्ि पण ू क क्षेत्रों में कायक करने में कविनाई।
 भ्रम के कारण परे नीनीशाका अनुर्भि करना, िैसे अत्यवधक विंता, र्भय या विंता।
 संर्भावित रूप से मवतभ्रम िैसे मनोविकृ वत के अरय लक्षण र्भी मौिदू हो सकते हैं।
सामाविक र्भय (Social Phobia)
सामाविक र्भय (Social Phobia) एक प्रकार का विंता विकार है। सामाविक र्भय से ग्रतत लोगों को सामाविक वतर्वतयों या प्रदशकन के माहौल
में
शावमल होने पर बहुत ज्यादा और लगातार घबराहट होती है। उरहें इस बात का डर रहता रे लोग उरहें गौर से देखेंगे और उनकी आलोिना
है वक दसू करें गे ।
आमतौर पर कु छ सामाविक पररवतर्वतयों में लोग शमक या घबराहट म हसस ू करते हैं। बहुत से लोगोंको सािकिवनक र्भाषण दे ने या
अनिान लोगोंसे र्भरे
कमरे में िा ने पर विं ता हो सकती है। लेवकन इस तरह की आम घबराहट सामाविक र्भय का सं के त नहीं है। सामाविक र्भय से
ग्रतत लोगोंमें सामाविक वतर्वतयां वसफक घबराहट या घबराहट से कहीं ज्यादा गहरे डर पैदा करती हैं।
वकसी व्यवि में तब सामाविक र्भय विकार होता है, िब:
 उसे एक या एक से अवधक सामाविक या प्रदशकन वतर्वतयों का लगातार डर रहता है। ये िो वतर्वतयां होती हैं िहा ं िे अनिान
लोगोंके सामने
होते हैं या दस ू रों की िा ं ि-परख की सं र्भािना रहती है। उरहें डर रहता है वक िे कु छ ऐसा कर बैिें गे विससे उनकी
बे इज्ि ती होगी या उरहें
शवमिंदगी उिानी पड़ेगी।
 िे डरी हुई वतर्वतयों से बि ते हैं या वफर उनका सामना
बहुत तकलीफ और घबराहट के सार् करते हैं।
 िे समझते हैं वक उनकी सामाविक विं ता िरूरत से ज्यादा और गैर-
ि रूरी है, लेवकन िे इन र्भािनाओं या व्यिहार को बदल या
वनयं वत्रत नहींकर पाते।
 उनकी रोिमराक की विं दगी , विसमें काम, वशक्षा, पररिार और सामाविक
िीि न शावमल है, ब ुरी तरह प्रर्भावित होती है।
 उनका डर या बिाि का कारण कोई सामारय शारीररक बी मा री या वकसी
पदार्क (िै से ड्रग्स या दिा ओ )ं के शारीररक प्रर्भाि नहीं है।
अनमा
ु न के अनसा
ु र, ऑतरेवलयाई आबादी का लगर्भग तीन प्रवतशत वहतसा
वकसी एक साल में सामाविक र्भय का अनर्ु भि करता है। िहीं , 13
प्रवतशत आबादी अपने िीि नकाल में कर्भी न कर्भी सामाविक र्भय से
ग्रतत हो सकती है। हालां वक म वहला ओ ं और पुरुषों में समान रूप से
यह पाया िाता है, लेवकन इलाि कराने के वलए आमतौर पर पुरुष
ज्यादा आगे आते हैं।
राितर्ा
अक्सर, सामाविक र्भय बि पन में शमक के रूप में शुरू होता है और वक राितर्ा शोमें बढ़ िा ता है। सामाविक र्भय का असर आमतौर
पर 11 से 15 साल की उम्र के बीि शरूु होता है। सामाविक र्भय को सामाविक विंता विकार के नाम से र्भी िाना िाता है।
सामाविक र्भय के लक्षण (Social Phobia Symptoms)
ि ब कोई व्यवि वकसी ऐसी सामाविक वतर्वत का सामना करता है विससे िो डरता है, तो उसे बहुत ज्यादा घबराहट हो सकते हैं,
के लक्षण म हसस ू विनमें
शा :
वमल हैं
 शवमिंदगी से लाल होना (Blushing): िे हरे और गदकन का लाल हो िा ना ।
 कं पकं पी (Trembling): शरीर या हार्ों का कां पना।
 कु छ न कह पाना (Feeling as if you have nothing to say): बोलने के वलए शब्द न ढूंढ पाना।
 तेि धड़कन (Accelerated heart rate): वदल की गवत का तेि हो िा ना ।
 तेि और उर्ली सांस लेना (Shallow, fast breathing): घबराहट के कारण सां स लेनेमें तकलीफ होना।
 हर्ेवलयों में पसीना आना (Sweaty palms): घबराहट के कारण हार् पसीि िा ना ।
 म िी वमिलाना (Nausea): उबकाई आना।
 मांसपेवशयों में िकड़न (Tense muscles): शरीर की मा ं सपेवशयों में होना।
िकड़ न महसस ू
 मुंह िाना (Dry throat): म ुंह ना।
सखू सखू
 पेट में ददक (Stomach pain): घबराहट के कारण पेट में ददक होना।
 बेहोशी या िक्कर आना (Feeling faint or light-headed): बे हो शी या िक्क र आने िै सा महसस ू होना।

 आत्म-संदेह और अवनचय की र्भािना (Feelings of self-doubt and uncertainty): अपने आप पर शक करना और वकसी र्भी िीि
को लेकर पक्का न हो पाना।
 नकारात्मक वििार (Negative thoughts): म न में नकारात्मक वििार आना, िै से "मैं बेि कू फों िै सा व्यिहार कर रहा हँू"।
 विंता की शारीररक अनुर्भवू त, रों की आलोिना और नकारात्मक वििारों के अलािा वकसी और िीि पर ध्यान कें वित करने में कविनाई
दसू
(Difficulty concentrating on anything other than physical sensations of anxiety, negative feedback from others
and negative thoughts): घबराहट के कारण वकसी और िीि पर ध्यान लगा पाना म श्ु क il होना।
 वतर्वत से र्भागने की तीव्र इच्छा (An overwhelming urge to flee the situation): िहां से तरु ंत र्भाग िाने की इच्छा होना।
 यह अहसास वक ये र्भािनाएं अनुवित और िरूरत से ज्यादा हैं (The realisation that these feelings are irrational and out of
proportion): यह समझना वक ये डर बेिि ह है और वतर्वत की गं र्भीरता से कहीं ज्यादा है।

सामाविक र्भय - डरािनी सामाविक वतर्वतयां (Social Phobia – Feared Social Situations)
कु छ लोगोंको खास सामाविक पररवतर्वतयों (िै से सािकिवनक र्भाषण) का डर होता है, िबवक कु छ लोगोंको कई तरह की सामाविक वतर्वतयों
में
विं ता म हसस ू हो सकती है (सामाविक र्भय का सामारयीकृ त रूप - Generalised Social Phobia)।
एक व्यवि विसको सामाविक र्भय है, उसे कई तरह की वतर्वतयों से डर लग सकता है और िो उनसे बि ने की कोवशश कर सकता है,
विनमें ये शावमल हैं:
 र्भीड़ और पावटकयां
 सािकिवनक र्भाषण देना
 बा तिी त शरूु कर ना या बा तिी त करना
 बड़े समहू के सामने बा त करना
 अपनी राय दे ना
 वकसी नए व्यवि से वमलना, हार् वमलाना
 डेट पर िाना
 सािकिवनक शौिालय का उपयोग करना
 खरीदारी करना
 वकसी िररष्ठ या अवधकारी से बात करना
 कोई काम करते समय दे खा िा ना , िै से खाना, कागिातों पर हतताक्षर करना या फोन पर बा त करना
 ऐसी वतर्वतयां िो उरहें सबके कें ि में लाती हैं, िै से अपने िरम वदन की पाटी।

सामाविक र्भय के अंतवनकवहत र्भय (Underlying Fears of Social Phobia)


सामाविक वतर्वतयों के कारण लोगों में कई तरह के डर पैदा हो सकते हैं, विनमें कु छ आम डर शावमल हैं:
 शारीररक लक्षणों का डर: उरहें विंता है रों को उनकी घबराहट के शारीररक लक्षणोंका पता िल िा ए गा , िै से िे हरा लाल होना,
वक दसू पसीना आना और हकलाना।
 बेिकू फ वदखने का डर: उरहें डर रहता है रों के सामने क या हातयातपद वदखाई देंगे।
वक िे दसू बेि कू फ, मखू
 अनाकषकक वदखने का डर: उरहें ये र्भी विंता रहती है वक िे दसू रों के वलए शांत, उबाऊ और नीरस वदखाई देंगे।
 सामाविक रूप से अयोग्य समझे िाने का डर: उरहें इस बात का र्भी डर रहता है वक लोग उरहें सामाविक रूप से अयोग्य या
कमिोर समझ लेंगे

सामाविक र्भय की िवटलताएं (Complications of Social Phobia)
अगर इलाि न वकया िा ए , तो सामाविक र्भय िीि नशैली को गं र्भीर रूप से प्रर्भावित कर सकता है। इसकी कु छ सामारय िवटलता ओ ं
में शावमल हो सकते हैं:
 विंता से वनपटने के वलए मादक पदार्ों का सेिन (Substance Use to Cope With Anxiety): सामाविक कायकिमों के दौ रा न
विं ता का सामना करने के वलए राब या अरय न ले पदार्ों का सेिन।
 मादक पदार्ों का दुरुपयोग (Substance Abuse): विंता को कम करने के वलए शराब या अरय पदार्ों का वनयवमत या ज्यादा
मात्रा में सेिन।
 दिाओं का ग लत इततेमाल (Misuse of Medication): डॉक्टर के पिे के सार् वमलने िाली दिाओं या वबना पिे िाली
दिाओं का गलत इततेमाल, िैसे विंता कम करने िाली दिाओं का ज्यादा मात्रा में सेिन।
 ररतेश्तेबनाने में कविनाई (Difficulty Forming Relationships): सामाविक र्भय के कारण नए लोगोंसे वमलना-ि ुलना या ररतेश्ते
ु लश्कहो सकता है। मौि द ू ा ररतोंश्तों
बना ना म वकल को बना ए रखने में र्भी परे नीनीशाहो सकती है।
 वशक्षा या रोिगार के अिसरों में कमी (Limited Education or Employment Opportunities): सामाविक र्भय तकू ल, कॉलेि
या कायकतर्ल पर सामाविक वतर्वतयों से बिने के कारण वशक्षा या कररयर के अिसरों को सीवमत कर सकता है।
 अिसाद (Depression): सामाविक र्भय अक्सर अिसाद का कारण बन सकता है या वफर अिसाद सामाविक र्भय को और र्भी
बदतर बना सकता है।
 आत्महत्या के वििार (Suicidal Thoughts): गं र्भीर मा म लों में , सामाविक र्भय के कारण आत्महत्या के वििार आ सकते हैं।
 पररिार, दोततों और समुदाय से दरू ी (Isolation from Family, Friends and Community): सामाविक र्भय के कारण व्यवि
सामाविक वतर्वतयों से बि ने के वलए खुद को पररिार, दो ततों और कर सकता है।
समुदा य से दर ू
 घर से बाहर वनकलने में वहिवकिाहट (Agoraphobia): कु छ मामलों में, सामाविक र्भय इतना गंर्भीर हो सकता है वक व्यवि घर से
बाहर
वनकलने में र्भी वहिवकिाहट महससू कर सकता है।
सामाविक र्भय का इलाि (Treatment for Social Phobia)
उपयुि इलाि से सामाविक र्भय को दर ू वकया िा सकता है। व्यवि के आधार पर इलाि के विकल्पों में शावमल हो सकते हैं:
 सं ज्ञानात्मक व्यिहार विवकत्सा (Cognitive behavioural therapy - CBT)
 विं ता प्रबं धन तकनीक (Anxiety Management Techniques)
 सामाविक कौशल प्रवशक्षण (Social Skills Training)
 दिा (Medication)
संज्ञानात्मक व्यिहार विवकत्सा (CBT)
संज्ञानात्मक व्यिहार विवकत्सा (CBT) का उद्देय श्यलोगों को सामाविक पररवतर्वतयों में करने और व्यिहार करने के तरीके को
सोिने, महससू बदलने
में मदद करना है। ये तकनीक लोगों को उनके डर का सामना करने में मदद कर सकती हैं। समय के सार्, लोग यह रों के िारा
समझने लगते हैं वक दसू
उनके बा रे में बहुत किोर राय बना ए िा ने की सं र्भािना नहीं है - और अगर ऐसा होता र्भी है, तो िे यह िा न लेतेहैं वक यह कोई बड़ी
परे नीनीशानहीं है। िे
यह र्भी सीखते हैं वक िे अपने वििारों और र्भािनाओं पर कु छ वनयंत्रण रख सकते हैं।
सीबीटी का उपयोग करने िाले उपिार में शावमल हो सकता है:
 सामाविक विं ता की प्रकृ वत के बा रे में वशक्षा (Education About Social Anxiety): सामाविक र्भय क्या है और यह कै
से उत्परन होता है, इसके बा रे मेंसीखना।
 गलत सोि को बदलना (Challenging and Changing Negative Thoughts): अपने नकारात्मक वििारों को पहिानना और उरहें
िुनौती देना, िैसे "लोग मुझे बेि कू फ समझेंगे" इस वििार को सकारात्मक वििारों से बदलना, िैसे "ज्यादातर
लोग घबराते हैं और िे यद ही मुझे िि कर रहे हों"।
 धीरे-धीरे डरी हुई वतर्वतयों का सामना (Gradual Exposure to Feared Situations): सीबीटी र्ेरेवपतट के सार् वमलकर उन
वतर्वतयों
की एक सिू ी बनाना विनसे आप डरते हैं। वफर धीरे-धीरे उन वतर्वतयों का सामना करना, उदाहरण के वलए पहले वकसी दोतत से
बात करना,
वफर वकसी छोटे समहू में बात करना और इसी तरह से पररवतर्वतयों को कविन बनाते िाना।
 ध्यान प्रवशक्षण (Attention Training): यह सीखना वक विंता पैदा करने िाली वतर्वतयों के दौरान अपने ध्यान को कै से वनयंवत्रत
वकया
िाए।
विंता प्रबंधन तकनीक (Anxiety Management Techniques)
आराम और सां स लेनेकी तकनीक व्यवि को अपने विं ता के लक्षणोंको प्रबं वधत करने में म दद कर सकती है। ज्यादा सां स लेने
(hyperventilation) के कारण कर्भी-कर्भी शारीररक विं ता के लक्षण पैदा हो सकते हैं। सीने से तेि और उर्ली सां स लेनेके बिा य,
पेट से धीमी और गहरी सां स लेनेसे
घबराहट को कम वकया िा सकता है।
आराम की तकनीकों में शावमल हैं:
 प्रगवत ललशीमा ं सपे शविराम मश्रा(Progressive Muscle Relaxation): शरीर की अलग-अलग मा ं सपेवशयों को कस कर और
वफर ढीला छोड़कर तनाि कम करना।
 माइंडफु लनेस (Mindfulness): ितकमान क्षण पर ध्यान कें वित करने का अभ्यास।
 ध्यान (Meditation): शांत वदमाग पाने के वलए विवर्भरन ध्यान तकनीकों का अभ्यास।
 कल्पना (Visualisation): वकसी सुखदायक तर्ान या अनुर्भि की कल्पना करना।
 समवमतीय विराम मश्राव्यायाम (Isometric Relaxation Exercises): मा ं सपेवशयों को र्ोड़े समय के वलए सख्त वकए वबना
वहलाए रखने का व्यायाम।
सामाविक कौशल प्रवशक्षण (Social Skills Training)
कु छ लोगोंको, िो कई सालों से सामाविक र्भय से िझ ू रहे हैं, ऐसी आदतें पड़ िा ती हैं िो उरहें िी क होने में बा धा डालती हैं।
उदाहरण के वलए:
 आं खों का सं पकक बना ने या बना ए रखने में कविनाई होना
 धीमी या वझझक कर बात करना
 बंद बॉडी लैंग्िेि का इततेमाल करना
 िेहरे पर िमे हुए र्भाि होना
 कताश्यहोना
ज्यादा व्यविगत तपेस की आियकता
 बात सुनने या बातिीत को िारी रखने में कविनाई होना
सामाविक कौशल प्रवशक्षण में सही व्यिहार का मॉ डल बना ना , रोल-प्ले करना और वफर िा ततवि क िीि न की वतर्वतयों में अभ्यास
करना शावमल है। दिा (Medication)
हालांवक सीबीटी और अरय तकनीकें अक्सर सामाविक र्भय के वलए प्रार्वमक उपिार होती हैं, दिाएं र्भी मददगार हो सकती हैं, खासकर
गंर्भीर मामलों में या िब इरहें र्ेरेपी के सार् िोड़ा िाता है। यहां सामाविक र्भय के वलए इततेमाल की िाने िाली कु छ
दिाओं की िानकारी दीगई है:
 ियनात्मक सेरोटोवनन रीअपटेक इनवहवबटसक (SSRIs): ये सामाविक र्भय के वलए सबसे अवधक वनधाकररत दिाएं हैं। SSRIs
मवततष्क के
रसायन सेरोटोवनन के ततर को बढ़ाकर काम करती हैं, िो मडू और र्भािनाओं में र्भवू मका वनर्भाता है। SSRIs के उदाहरण
फ्लुओक्सेटीन
(प्रोज़ैक), सेराकलाइन (ज़ोलॉफ्ट), एवतसटालोप्राम (लेक्स apro), और पैरोक्सेटीन (पैवक्सल) शावमल हैं।
 बीटा-ब्लॉकसक: ये दिा ए ं आमतौर पर हाई ब् लड प्रेशर के इलाि के वलए इततेमाल की िा ती हैं, लेवकन ये सामाविक विं ता
के कु छ शारीररक लक्षणों, िै से िे हरा लाल होना, वदल की गवत तेि होना और कं पकं पी को प्रबं वधत करने में र्भी
म ददगा र हो सकती हैं। बी टा -ब् लॉ कसक
एड्रेनालाईन के प्रर्भाि को रोककर काम करते हैं, िो हॉमोन इन शारीररक लक्षणों का कारण बन सकता है। ये आम तौर पर सामाविक
पररवतर्वतयों से पहले अल्पकावलक राहत के वलए उपयोग की िाती हैं।

You might also like