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पाठ 1 – गिल्लू

- महादे वी वमाा

1. सोन जूही में लगी पीली कली को दे ख लेखखका के मन में कौन से ववचार उमड़ने लगे?

उत्तर : सोन जह
ू ी में लगी पीली कली को दे खकर लेखखका के मन में छोटे से जीव गगलहरी
की याद आ गई, जजसे वह गगल्लू कहती थीीं।

2. पाठ के आधार पर कौए को एक साथ समादररत और अनादररत प्राणी क्यों कहा गया है ?

उत्तर : कौए को समादररत इसललए कहा गया है क्योंकक वह छत पर बैठकर अपनी आवाज़ से
वप्रयजनों के आने की सुचना दे ता है । वपतप
ृ क्ष में लोग इसे आदर से बल
ु ाकर भोजन दे ते हैं। इसे
अनादररत इसललए कहा गया है क्योंकक इसकी आवाज़ बहुत कड़वी होती है ।

3. गगलहरी के घायल बच्चे का उपचार ककस प्रकार ककया गया?

उत्तर : लेखखका गगलहरी के घायल बच्चे को उठाकर अपने कमरे में ले आई उसका घाव रुई से
पोंछा उस पर पें लसललन दवा लगाई किर उसके मुँह
ु में दध
ू डालने की कोलिि की परन्तु उसका
मुँह
ु खुल नहीीं सका। कई घींटे के उपचार के बाद उसने एक बुँद
ू पानी वपया। तीन ददन के बाद
उसने आुँखे खोली और धीरे -धीरे स्वस्थ हुआ।

4. लेखखका का ध्यान आकवषात करने के ललए गगल्लू क्या करता था?

उत्तर : लेखखका का ध्यान आकवषात करने के ललए गगल्लू उनके पैरों के पास आकर खेलता किर
सरा से पदे पर चढ़ जाता किर उसी तेज़ी से उतरता। वह इसी तरह भाग दौड़ करता रहता जब
तक लेखखका उसे पकड़ने के ललए उठ न जाती।

5. गगल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता क्यों समझी गई और उसके ललए लेखखका ने क्या
उपाय ककया?

उत्तर : बाहर की गगलहररयाुँ खखड़की के जाली के पास बैठ कर गचक् गचक् करती। उन्हें दे खकर
गगल्लू उनके पास आकर बैठ जाता उसको इस तरह बाहर ननहारते हुए दे खकर लेखखका ने इसे
मुक्त करना आवश्यक समझा। लेखखका ने खखड़की की जाली का एक कोना खोल ददया जजससे
गगल्लू बाहर आ जा सके।
6. गगल्लू ककन अथों में पररचाररका की भलू मका ननभा रहा था?

उत्तर : लेखखका की अस्वस्थता में गगल्लू उनके लसराहने बैठ जाता और नन्हें पींजों से उनके बालों
को सहलाता रहता। इस प्रकार वह सच्चे अथों में पररचाररका की भूलमका ननभा रहा था।

7. गगल्लू की ककन चेष्टाओीं से यह आभास लमलने लगा था कक अब उसका अींत समय समीप है ?

उत्तर: गगल्लू ने ददन भर कुछ भी नहीीं खाया न बाहर गया अींत समय की मुजश्कल के बाद भी वह
झूले से उतरकर लेखखका के बबस्तर पर आ गया और अपने ठीं डे पींजों से उुँ गली पकड़कर हाथ से
गचपक गया, जजसे पहले उसने घायल अवस्था में पकड़ा था। इन्हीीं चेष्टाओीं से आभास लमलने
लगा कक अब उसका अींत समय समीप है ।

8. 'प्रभात की प्रथम ककरण के स्पिा के साथ ही वह ककसी और जीवन में जागने के ललए सो
गया' −का आश्य स्पष्ट कीजजए।

उत्तर : इस कथन का आिय यह है कक सुबह होते होते गगल्लू की मत्ृ यु हो गई और वह हमेिा के


ललए सो गया ताकक वह कहीीं और जन्म लेकर नए जीवन को पा सके।

9. सोनजुही की लता के नीचे बनी गगल्लू की समागध से लेखखका के मन में ककस ववश्वास का
जन्म होता है ?

उत्तर : सोनजुही की लता के नीचे गगल्लू की समागध बनाई गई क्योंकक यह लता गगल्लू को बहुत
पसींद थी और साथ ही लेखखका को ववश्वास था कक इस छोटे से जीव को इस बेल पर लगे िूल
के रुप में दे खेगी। जुही में जब पीले िूल लगें गे तो लेखखका के समक्ष गगल्लू की स्मनृ त साकार हो
जाएगी। इससे उन्हे सींतोष लमलेगा।

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