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ाचीन भारत म

मूितकला की
शैिलयां

मथुरा गांधार अमरावती

मथुरा े िवकिसत ई कौशां बी गां धार के आसपास भारत के उ र- दि ण भारत म अमरावती और कृ ा-


और सारनाथ इसके मह पूण क पि मी भाग म िवकिसत गोदावरी े के अ क ों
थे। म िवकिसत
किन के शासन के दौरान पहली
पहली शता ी सीई म िवकिसत लेिकन शता ी म कुषाण शासन म उ ष इसकी उ ि 3 शता ी ईसा पूव
गु काल के बाद तीसरी शता ी सीई के आस पास की है । सातवाहन काल के
और उ रो र म ाित ा यह शैली ीक और हे लेिन क कला दौरान यह अपने उ ष पर रही।
की। ारा े रत है ।
यह एक दे शी शैली थी और िच
यह कला का एक दे शी शैली थी और मु प से बौ थे और िवषयों म काफी हद तक बौ होते थे हालां िक
गां धार शैली की तरह इसम कोई बा बु के िच और उनके जीवन की कुछ िच िहं दू दे वी-दे वताओं के
भाव मौजूद नहीं था। घटनाएं शािमल थीं। भी बनाए गए थे।

िहं दू धम, बौ धम और जैन धम के बु की छिवयों को या तो बैठा िच जातक कथाओं के आ ानों से


िवषयों को शािमल िकया गया िदखाया गया है या िविभ मु ाओं े रत थे।
का िच ण िकया गया है ।
पहले बौ िवषय बु के तीक जैसे बु के जीवन की घटनाओं के ों
कमल, खाली िसंहासन आिद थे, लेिकन भाव िनमल है ; घुंघराले बाल, आँ खों को गत छिवयों के बजाय
बाद म बु की छिवयों को भी की तेज िवशेषताएँ , कानों की िचि त िकया गया था
शािमल िकया गया। पुतिलयाँ और भारीपन की अनुप थित
िविश िवशेषताएं ह। मूितयों को गहरी भावनाओं और शरीर
बु की छिवयां या तो बैठी ई थीं की ब त सी मु ाओं के साथ िचि त
या उनके चारों ओर बड़ी सजावट वाली कपड़े की िचलमन और िसलवटों से िकया गया था।
ढोल के साथ होती थीं। पारदिशता की छिव बनती है
मूितयां आमतौर पर सफेद संगमरमर या
छिवयों म एक िविश तेज़ होता है मूितयां े और नीले े बलुवा कई बार हरे संगमरमर से बनाई जाती थीं।
और वे बड़ी और अ िधक सजी होती प र से बनाई गई थीं, हालां िक
ह। चेहरे गोल और मु ु राते ए िम ी, चूने और ा र का भी
होते ह। छिव का प ायः भरा पूरा उपयोग िक
होता था।

िच ीदार लाल बलुवा प र से


मूितयां बनाई गई थीं।

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