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1. यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय - Watermark
1. यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय - Watermark
(इतिहास)
अध्याय-1: यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय
राष्ट्र
अरनेस्ट रेनर के अनुसार समान भाषा नस्ल धमम से बने क्षेत्र को राष्ट्र कहते हैं ।
राष्ट्र ऐसे लोगों का समूह है जो जानत, धमम, भाषा, रीनत-ररवाज, इनतहास आदद की साझ कारण
आपस में जुडे हुए है , जजनका सा ाँझा सभ्याचार है ह, जजनके अंदर मनोवैज्ञाननक सद्भाव की भावना
ववकससत हुई है ।
राष्ट्रवाद
अपने राष्ट्र के प्रनत प्रेम की भावना को राष्ट्रवाद कहते हैं । राष्ट्रवाद (nationalism) यह ववश्वास है
दक लोगों का एक समूह इनतहास, परंपरा, भाषा, जातीयता या जानतवाद और संस्कृनत के आधार
पर स्वयं को एकीकृत करता है । इन सीमाओ ं के कारण, वे इस ननष्कषम पर पहुं चे हैं दक उन्हें अपने
स्वयं के ननणमयों के आधार पर अपना स्वयं का संप्रभु राजनीनतक समुदाय, 'राष्ट्र' स्थापपत करने का
अधधकार है।
नेपोजलयन
• उसने कई युद्धों में फ्ांसीसी सेना को जीत ददलाई और अपार लोकपप्रयता हाससल कर ली
दिर उसने पीछे मुडकर नहीं देखा और फ्ांस का शासक बन गया।
उदारवाद
उदारवाद यानन Liberalism शब्द लानतनी भाषा के मूल शब्द liber पर आधाररत है। जजसका अथम
है स्वतंत्रता। नए मध्यम वगम के जलए उदारवाद का अधभप्राय था व्यक्ति के जलए आजादी व कानून
के समक्ष समानता।
ननरंकुशवाद
ननरंकुशवाद का सामान्य अथम एक ऐसी सरकार या शासन व्यवस्था है जजसकी सत्ता पर दकसी प्रकार
का कोई अंकुश नहीं होता। इनतहास में ऐसी राजशाही सरकारों को ननरंकुश सरकार कहते हैं जो
अत्यंत केन्द्रीकृत, सैन्य बल पर आधाररत और दमनकारी सरकारें होती थीं।
जनमत संग्रह
एक प्रत्यक्ष मतदान जजसके द्वारा एक क्षेत्र की सारी जनता से दकसी प्रस्ताव को स्वीकार या अस्वीकार
करने के जलए पूछा जाता है ।
यूटोपपया (कल्पनादशश)
एक ऐसे समाज की कल्पना जो इतना आदशम है दक उसका साकार होना लगभग असंभव होता है ।
रूमानीवाद
जुंकसश
(2)
प्रशा की एक सामाजजक श्रेणी का नाम जजसमें बडे – बडे जमींदार शाधमल थे।
फ्ांसीसी क्ांनत 1789 ⇒ नागररक संहहता 1804 ⇒ ववयना की संधध 1815 ⇒ उदारवाददयों की
क्ांनत 1848 ⇒ जममनी का एकीकरण 1866-1871 ⇒ इटली का एकीकरण 1859-1871
• दकसी भी राष्ट्र के ननमामण के जलए एक सामूहहक पहचान, संस्कृनत परंपरा आदद का समान
होना जरूरी है ।
• यूरोप में अलग – अलग समाज था। जैसे :- है ब्सबगम साम्राज्य में लोग जममन, अंग्रेजी,
फ्ेंच, इटली आदद अलग – अलग भाषाएं बोलते।
• कम जनसंख्या।
• उच्च वगम तथा वचमस्व जमाने वाला।
• जमींदार यानी ढे र सारे खेतों के माजलक।
(3)
1. अधधक जनसंख्या।
2. ननम्न वगम
3. जमीन हीन यानी या तो जमीन न थी या तो दकराए पर रहते थे।
4. दकसी भी प्रकार के अधधकार नहीं ददए जाते थे।
• यानी यूरोपपयन समाज असमान रूप से ववभाजजत।
• उन्नीसवीं सदी के बाद एक नया वगम जुड गया वह था नया मध्यवगम।
नया मध्यवर्श :-
इसमें सभी पढे – जलखे लोग थे जैसे :- जशक्षक, डॉ, उद्योगपनत, व्यापारी आदद।
पढे – जलखे होने के नाते उन्होंने एक समान कानून की मांग की यानी उदारवादी राष्ट्रवाद।
उदारवादी राष्ट्रवाद
जॉिवेराइन
(4)
यह एक जममन शुल्क संघ था जजसमें अधधकांश जममन राज्य शाधमल थे। यह संघ 1834 में प्रशा
की पहल पर स्थापपत हुआ था। इसमें ववधभन्न राज्यों के बीच शुल्क अवरोधों को समाप्त कर ददया
गया और मुद्राओ ं की संख्या दो कर दी गई। जो पहले बीस से भी अधधक थीं यह संघ जममनी के
आर्थथक एकीकरण का प्रतीक था।
19 वीं शताब्दी में यूरोपीय महाद्वीप में राष्ट्रवाद (nationalism) की एक लहर चली जजसने यूरोपीय
देशों का कायाकल्प कर ददया। जममनी, इटली, रोमाननया आदद नवननर्थमत देश कई क्षेत्रीय राज्यों
को धमलाकर बने जजनकी राष्ट्रीय पहचान 'समान' थी। यूनान, पोलैण्ड, बल्गाररया आदद स्वतन्त्र
• 1789 की फ्ांसीसी क्ांनत राष्ट्रवाद की पहली स्पष्ट् अधभव्यक्ति थी। इसने फ्ांस में राजतंत्र
समाप्त कर प्रभुसत्ता फ्ांसीसी नागररकों को सौंपी। इस क्ांनत से पहले फ्ांस एक ऐसा राज्य
था जजसके संपूणम भू – भाग पर एक ननरंकुश राजा का शासन था।
• फ्ांसीसी क्ांनत के आरंभ से ही फ्ांसीसी क्ांनतकाररयों ने ऐसे अनेक कदम उठाए जजनसे
फ्ांसीसी लोगों में एक सामूहहक पहचान (राष्ट्रवाद) की भावना पैदा हो सकती थी। बाद में,
नेपोजलयन ने प्रशासननक क्षेत्र में क्ांनतकारी सुधारों को प्रारंभ दकया जजसे 1804 की नागररक
संहहता (नेपोजलयन की संहहता) के नाम से जाना जाता है । इसके अलावा, यूरोप में उन्नीसवीं
सदी के शुरूआती दशकों में राष्ट्रीय एकता से संबंधधत ववचार उदारवाद से करीब से जुडे थे।
• प्रत्येक राज्य से एक स्टेट जनरल चुना गया और उसका नाम बदलकर नेशनल असेंबली कर
ददया गया।
• फ्ेंच भाषा को राष्ट्रभाषा घोपषत कर ददया गया।
• एक प्रशासननक व्यवस्था लागू की गई जजससे सबको समान कानून का अनुभव हो।
(5)
• आंतररक आयात ननयामत, सीमा शुल्क समाप्त कर ददया गया और भार तथा माि की एक
समान व्यवस्था लागू की गई।
• स्कूल और कॉलेज की छात्राओ ं द्वारा भी समथमन के रूप में क्लब का गठन दकया गया
जजनका नाम ददया गया जैकोनबन क्लब।
• फ्ांस की आमीी ने समथमन के तौर पर हर ववदेशी क्षेत्र में भेज ददए गए जजससे राष्ट्रवादी भावना
और बढती चली गई।
• जब नेपोजलयन फ्ांस पर अपना शासन चलाना शुरू दकया तो उन्होंने प्रजातंत्र को हटाकर
उन्हें राजतंत्र को स्थापपत कर ददया।
• नेपोजलयन के समय ही व्यापार आवागमन एवं संचार में बहुत ज्यादा ववकास हुआ।
• राष्ट्रीयवादी ववचार को बांटने के जलए उन्होंने कुछ क्षेत्रों में कब्जा कर जलया और कर को
बढाना और जबरन भतीी जैसे अनेक कानून व्यवस्था स्थापपत कर ददया।
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इसे 1804 में लागू दकया गया। इसने जन्म पर आधाररत ववशेषाधधकारों को समाप्त कर ददया।
इसने न केवल न्याय के समक्ष समानता स्थापपत की बल्कल्क सम्पजत्त के अधधकार को भी सुरजक्षत
दकया।
जार्ीरदारी
इसके तहत दकसानों जमींदारों और उद्योगपनतयों द्वारा तैयार समान का कुछ हहस्सा कर के रूप में
सरकार को देना पडता था।
रूढ़िवाद
ऐसा राजनीनतक दशमन जो परंपरा, स्थापपत संस्थानों और ररवाजों पर जोर देता है और तेज बदलावों
की बजाए क्धमक और धीरे धीरे ववकास को प्राथधमकता देता है ।
• 1815 में नेपोजलयन की हार के उपरांत यूरोप की सरकारों का झुकाव पुनः रूपढवाद की तरि
बढ गया।
• इसके बाद यूरोपीय सरकार पारंपररक संस्थाएं और पररवार को बनाए रखना चाहते थे।
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• इसके जलए उन्होंने नेपोजलयन के समय जजतने भी बदलाव हुए थे उन सब को खत्म कर ददया
गया जजसके जलए एक समझौता दकया गया। जजसका नाम था ववयना समझौता या ववयना
संधध।
ववयना कांग्रेस :-
1815 में निटेन, प्रशा, रूस और ऑल्कस्टरया जैसी यूरोपीय शक्तियों (जजन्होंने धमलकर नेपोजलयन को
हराया था) के प्रनतननधध यूरोप के जलए एक समझौता तैयार करने के जलए ववयना में इकट्ठा हुए
जजसकी अध्यक्षता आल्कस्टरयन के चांसलर ड्यूक मैटरननख ने की।
• पहला फ्ांस की सीमाओ ं पर कई राज्य कायम कर ददया गया तादक भववष्य में फ्ांस अपना
ववस्तार ना कर सके।
• फ्ांसीसी क्ांनत के दौरान हटाए गए बूवो वंश को सत्ता में बहाल दकया गया।
• तीसरा राजतंत्र को जारी रखा गया।
• यूरोपपयन सरकार के इन सारे ननणमय के ववरोध में क्ांनतकारी ने जन्म जलया। क्ांनतकाररयों
ने अंदर ही अंदर कुछ खुदिया समाज का ननमामण दकया।
• जजनका मुख्य मकसद (लक्ष्य) था।
1. राष्ट्रवाद को बढावा देना।
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कारण :-
नारीवाद स्त्री
ववचारिारा
एक खास प्रकार की सामाजजक एवं राजनीनतक र्दष्टष्ट् को इंधगत करने वाली ववचारों का समूह।
जमशनी का एकीकरण :-
इटिी का एकीकरण :-
• 1861 में इमेनुएल पद्वतीय को एकीकृत इटली का राजा घोपषत दकया गया।
ज्यूसेपे मेत्सिनी
• इनका जन्म 1807 में जेनोआ में हुआ था और कुछ समय पश्चात् वह काबोनारी में गुप्त
संगठन के सदस्य बन गए। चौबीस साल की युवावस्था में जलगुररया में क्ांनत करने के जलए
उन्हें 1831 में देश ननकाला दे ददया गया।
• तत्पश्चात् उन्होनें दो और भूधमगत संगठनों की स्थापना की। पहला था मासेई मैं यंग इटली
और दूसरा बनम में यंग यूरोप। मेत्सिनी द्वारा राजतंत्र का जोरदार ववरोध एवं उसके प्रजातांष्टत्रक
सपनों ने रूपढवाददयों के मन में भय भर ददया। “ मैटरननख ने उसे हमारी सामाजजक
व्यवस्थाओ ं का सबसे खतरनाक दुश्मन बताया।
• सार्डडनीया – पीडमॉण्ट का प्रमुख मंत्री था। इटली के प्रदेशों को एकीकृत करने वाले आंदोलन
का नेतृत्व दकया हा ाँलादक वह स्वयं न तो एक क्ांनतकारी था और न ही जनतंत्र में ववश्वास
रखने वाला।
• फ्ांस के साथ की गई चतुर संधध के पीछे कावूर का हाथ था जजसके कारण आल्कस्टरया को
हराया जा सका एवं इटली का एकीकरण संभव हो सका।
ज्यूसेपे र्ैरीबॉल्डी
वह ननयधमत सेना का हहस्सा नहीं था। उसने इटली के एकीकरण के जलए सशस्त्र स्वयंसेवकों का
नेतृत्व दकया।
1860 में वे दजक्षण इटली और दो ससससजलयों के राज्य में प्रवेश कर गए और स्पेनी शासकों को
हटाने के जलए स्थानीय दकसानों का समथमन पाने में सिल रहे ।
उसने दजक्षणी इटली एवं सससली को राजा इमैनुएल पद्वतीय को सौंप दी और इस प्रकार इटली का
एकीकरण संभव हो सका।
(11)
बाल्कन समस्या
(12)
• जैसे – जैसे ववधभन्न स्लाव राष्ट्रीय समूहों ने अपनी पहचान और स्वतंत्रता की पररभाषा तय
करने की कोजशश की, बाल्कन क्षेत्र गहरे टकराव का क्षेत्र बन गया। हर एक बाल्कन प्रदेश
अपने जलए ज्यादा इलाके की चाह रखता था।
• इस समय यूरोपीय शक्तियों के बीच इस क्षेत्र पर कब्जा जमाने के जलए यूरोपीय शक्तियों
के मध्य जबरदस्त प्रनतस्पधाम रहीं। जजससे यह समस्या गहराती चली गई व जजस कारण यहा ाँ
ववधभन्न युद्व हुए। जजसकी पररणनत प्रथम ववश्व युद्ध के रूप में हुई।
साम्राज्यवाद
प्रोिेसर शमाम के अनुसार," साम्राज्यवाद शक्ति तथा हहिं सा का प्रयोग करके ववदेशी शासन को
दकसी भी देश पर लागू करना हैं ।"
सी. डी. बनमस के अनुसार," ववधभन्न देश और जानतयों पर एक समान कानून व शासन व्यवस्था
लागू करना ही साम्राज्यवाद हैं ।"
ररचडम सट्टन के शब्दों में," साम्राज्यवाद ऐसी राष्ट्रीय नीनत हैं जो दूसरे देश अथवा उसकी सम्पजत्त
पर अपनी शक्ति अथवा ननयंत्रण का ववस्तार करना चाहती हैं ।"
साम्राज्यवाद की ववशेषताएं:
1. साम्राज्यवाद अपने राज्य की सीमाओ ं में वृजद्ध करने में ववश्वास करता हैं।
2. साम्राज्यवाद दकसी राज्य द्वारा दूसरे राज्यों पर अपने राजनीनतक और आर्थथक प्रभुत्व का
ववस्तार हैं।
3. साम्राज्यवाद के अंतगमत ववववध राष्ट्रीय इकाइयों पर एक ही राष्ट्र का आधधपत्य होता हैं ।
4. साम्राज्यवाद का मूल उद्देश्य तो आर्थथक होता हैं , परन्तु कभी-कभी सैननक व राजनीनतक
शोषण भी हो सकता हैं।
(13)
रूपक
• जब दकसी अमूतम ववचार (जैसे :- लालच, स्वतंत्रता, ईष्याम, मुक्ति) को दकसी व्यक्ति या
दकसी चीज के जररए इंधगत दकया जाता है तो रूपक कहते हैं ।
• 18 वीं और 19 वीं शताब्दी में रूपक का प्रयोग राष्ट्रवादी भावना के ववकास और मजबूत
बनाने में दकया जाता था।
• अठाहरवीं एवं उन्नीसवीं शताब्दी में कलाकारों ने राष्ट्र को कुछ यूाँ धचष्टत्रत दकया जैसे वह कोई
व्यक्ति हों। राष्ट्रों को नारी भेष में प्रस्तुत दकया जाता था। राष्ट्र को व्यक्ति का जामा पहनाते
हुए जजस नारी रूप को चुना गया वह असल जीवन में कोई खास महहला नहीं थी।
• यह तो राष्ट्र के अमूतम ववचार को ठोस रूप प्रदान करने का प्रयास था। यानी नारी की छवव
राष्ट्र का रूपक बन गई। फ्ांस में उसे लोकपप्रय ईसाई नाम माररआना ददया गया जजसने जन-
राष्ट्र के ववचार को रेखांदकत दकया। इसी प्रकार जमेननया, जममन राष्ट्र का रूपक बन गई।
प्रतीक महत्त्व
(15)
NCERT SOLUTIONS
प्रश्न (पृष्ठ संख्या 28)
1. ज्युसेपे मेत्सिनी
2. काउं ट कैधमलो दे कावूर
3. यूनानी स्वतंत्रता युद्ध
4. फ्ैंकिटम संसद
5. राष्ट्रवादी संघषों में महहलाओ ं की भूधमका।
उत्तर –
1. ज्युसेपे मेमसनी- वह इटली का एक क्ांनतकारी था। इसका जन्म 1807 में जेनोआ में हुआ
था और वह काबोनारी के गुप्त संगठन का सदस्य बन गया। 24 वषम की अवस्था में जलगुररया
में क्ांनत करने के जलए उसे देश से बहहष्कृत कर ददया गया। तत्पश्चात् इसने दो और भूधमगत
संगठनों की स्थापना की। पहला था मासेई में यंग इटली और दूसरा बनम में यंग यूरोप,
जजसके सदस्य पोलैंड, फ्ांस, इटली और जममन राज्यों में समान ववचार रखनेवाले युवा थे।
मेत्सिनी का ववश्वास था दक ईश्वर की मजीी के अनुसार राष्ट्र ही मनुष्यों की प्राकृनतक इकाई
थी। अतः इटली का एकीकरण ही इटली की मुक्ति का आधार हो सकता था। उसने राजतंत्र
का घोर ववरोध दकया और उसके मॉडल पर जममनी, पोलैंड, फ्ांस, त्सस्वट्जजरलैंड में भी गुप्त
संगठन बने। इसी कारण मैटरननख ने उसके ववषय में कहा दक वह हमारी सामाजजक व्यवस्था
का सबसे खतरनाक दुश्मन’ है ।
2. काउं ट कैममिो दे कावूर- सार्डडनीया-पीडमॉन्ट का मंत्री प्रमुख था जजसने इटली के प्रदेशों
को एकीकृत करने वाले आंदोलन का नेतृत्व दकया। वह ना तो एक क्ल्कन्तकारी था और ना
ही जनतंत्र में ववश्वास करने वाला। इतालवी अधभजात वगम के तमाम अमीर और जशजक्षत
सदस्यों की तरह वह इतालवी भाषा से कहीं बेहतर फ़्रेंच बोलता था। फ़्रांस से सार्डडनीया-
पपडमॉन्ट की एक चतुर कूटनीनतक संधध, जजसके पीछे कावूर का हाथ था, से सार्डडनीया-
(16)
पपडमॉन्ट 1859 में ऑल्कस्टरयाई बलों को हरा पाने में कामयाब हुआ, इससे इटली का उत्तरी
भाग जो ऑल्कस्टरयाई हैब्सवगों के अधीन था मुि हुआ।
3. यूनानी स्वतंत्रता युद्ध- यूरोप में उदारवाद और राष्ट्रवाद के ववकास के साथ क्ांनतयों का युग
आरंभ हुआ। 19वीं शताब्दी में, यूनान का स्वतंत्रता संग्राम भी राष्ट्रवादी भावना से प्रेररत था।
यूनान के स्वतंत्रता संग्राम ने यूरोप के जशजक्षत अधभजात वगम में राष्ट्रीयता की भावना का
संचार दकया।
यूनान 15वीं सदी से ही ऑटोमन साम्राज्य के अंतगमत था। यूरोप में क्ांनतकारी राष्ट्रवाद की
प्रगनत से यूनान के लोगों में राष्ट्रीयता की भावना का ववकास हुआ। 1821 ई. में यूनाननयों
का स्वतंत्रता संग्राम प्रारंभ हुआ। यूनान के राष्ट्रवादी नेताओ ं को ननष्काससत कर ददया गया
था। इन नेताओ ं ने यूरोप के देशों को यूनान की समस्याओ ं तथा अत्याचारों से अवगत कराया।
पजश्चमी यूरोप के लोगों का समथमन यूनानी स्वतंत्रता सेनाननयों को प्राप्त था। इसका कारण
यह था दक प्राचीन यूनानी संस्कृनत (Hellenism) के प्रनत सहानुभूनत की भावना। कववयों
और कलाकारों ने यूनान को यूरोपीय सभ्यता का मुख्य आधार बताया। अत: यूनान के प्राचीन
गौरव को स्थापपत करने तथा मुक्ट्स्लम साम्राज्य से मुक्ति ददलाने के जलए प्रयास आरंभ हुआ।
फ्ांस, इंग्लड
ैं और रूस ने भी यूनान के स्वतंत्रता संघषम के जलए जनमत जुटाने का काम
दकया।
अंग्रेज कवव लाडम बायरन ने धन एकत्र दकया और बाद में युद्ध में भी शाधमल हुए। लेदकन
दुभामग्यवश 1824 ई. में बुखार से उनकी मृत्यु हो गई। अंत में, 1832 ई. में कुस्तुनतुननया
की संधध ने यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता दी और यूनान का स्वतंत्रता संग्राम पूणम
हुआ।
4. फ्ैंकफटश संसद- जममन इलाकों में बडी संख्या में राजनीनतक संगठनों ने फ्ैंकिटम शहर में
धमलकर एक सवम-जममन नेशनल एसेंब्ली के पक्ष में मतदान का िैसला दकया। 18 मई,
1848 को, 831 ननवामधचत प्रनतननधधयों ने एक सजेधजे जुलूस में जाकर फ्ैंकिटम संसद में
अपना स्थान ग्रहण दकया। यह संसद सेंट पॉल चचम में आयोजजत हुई। उन्होंने एक जममन
राष्ट्र के जलए एक संववधान का प्रारूप तैयार दकया। इस राष्ट्र की अध्यक्षता एक ऐसे राजा को
सौंपी गई जजसे संसद के अधीन रहना था। जब प्रनतननधधयों ने प्रशा के राजा फ्ेडरीख ववल्हेम
(17)
प्रश्न 2 फ्ांसीसी लोगों के बीच सामूहहक पहचान का भाव पैदा करने के जलए फ्ांसीसी क्ांनतकाररयों
ने क्या कदम उठाए?
उत्तर – प्रारंभ से ही फ्ांसीसी क्ांनतकाररयों ने ऐसे अनेक कदम उठाए, जजनसे फ्ांसीसी लोगों में एक
सामूहहक पहचान की भावना उत्पन्न हो सकती थी। ये कदम ननम्नजलखखत थे
(18)
• एक केंद्रीय प्रशासननक व्यवस्था लागू की गई, जजसने अपने भू-भाग में रहनेवाले सभी
नागररकों के जलए समान कानून बनाए।
• आंतररक आयात-ननयामत शुल्क समाप्त कर ददए गए और भार तथा नापने की एक समान
व्यवस्था लागू की गई।
• क्षेष्टत्रय बोजलयों को हतोिाहहत दकया गया और पेररस में फ्ेंच जैसी बोली और जलखी जाती
थी, वही राष्ट्र की साझा भाषा बन गई।
प्रश्न 3 मारीआन और जमेननया याकौन थे? जजस तरह उन्हें धचष्टत्रत दक गया उसका क्या महत्त्व
था?
उत्तर – फ्ांस की क्ांनत के दौरान कलाकारों ने स्वतंत्रता, न्याय और गणतंत्र जैसे ववचारों को व्यि
करने के जलए नारी रूपक का प्रयोग दकया। इनमें मारीआन और जमेननया की छवव राष्ट्र रूपक बन
गई
• मारीआन-नारी रूपकों का आववष्कार कलाकारों ने 19वीं शताब्दी में दकया। फ्ांस में उसे
लोकपप्रय ईसाई नाम 'मारीआन' ददया गया जजसने जन-राष्ट्र के ववचारों को रेखांदकत दकया।
उसके धचह्न भी स्वतंत्रता और गणतंत्र के थे-लाल टोपी, नतरंगा और कलगी।
मारीआन की प्रनतमाएाँ सावमजननक चौराहे पर लगाई गई तादक जनता को एकता के राष्ट्रीय
प्रतीक की याद आती रहे और. लोगों का ववश्वास बना रहे । मारीआन की छवव ससक्कों और
डाक हटकटों पर अंदकत की गई। मारीआन की ये तसवीरें फ्ांसीसी गणराज्य का प्रनतननधधत्व
करती हैं ।
• जमेननया-जमेननया, जममन राष्ट्र का रूपक बन गई। चाक्षुष अधभव्यक्तियों में जमेननया बलूत
वृक्ष के पत्तों का मुकुट, पहनती है क्योंदक जममन बलूत वीरता का प्रतीक है । जमेननया की
तलवार पर, "जममन तलवार जममन राइन की रक्षा करती है " अंदकत है । यह तसवीर
स्वतंत्रता, न्याय और गणतंत्र जैसे ववचारों को प्रतीकात्मक रूप से व्यि करती है।
उत्तर – सन् 1848 ई० के यूरोप में राष्ट्रवाद का स्वरूप बदलने लगा था और यह जनतन्त्र एवं क्ाल्कन्त
के सैलाब से दूर हो गया था। राज्य की सत्ता को बढाने और पूरे यूरोप पर राजनीनतक प्रभुत्व प्राप्त
(19)
करने के जलए रूपढवाददयों ने अकसर राष्ट्रवादी भावनाओ ं का प्रयोग दकया। उस समय जममनी तथा
इटली के एकीकृत होने की प्रदक्या जजतनी कठठन थी उतनी ही भयावह भी थी। इस प्रदक्या के बाद
ही इटली तथा जममनी राष्ट्र-राज्य बन सके थे।
ज्ञातव्य है दक राष्ट्रवादी भावनाएाँ मध्यमवगीीय जममन लोगों में घर कर गयी थीं और उन्होंने सन्
1848 ई० में जममन महासंघ के ववधभन्न भागों को जोडकर एक ननवामधचत संसद द्वारा शाससत राष्ट्र-
राज्य बनाने का प्रयत्न दकया था। मगर राष्ट्र-ननमामण की यह उदारवादी पहल राजशाही और िौज
की शक्ति ने धमलकर दबा दी, जजनका प्रशा के बडे भूस्वाधमयों (Junkers) ने भी समथमन दकया।
उसके पश्चात् प्रशा ने राष्ट्रीय एकीकरण के आन्दोलन की बागडोर साँ भाली। उसका मन्त्री प्रमुख
ऑटोवान नबस्माकम इसे प्रदक्या का जनक था, जजसने प्रशा की सेना और नौकरशाही की सहायता
ली। सात वषम के दौरान ऑल्कस्टरया, डेनमाकम और फ्ांस से तीन युद्धों में प्रशा को ववजय प्राप्त हुई
और एकीकरण की प्रदक्या पूरी हुई। जनवरी, 1871 में, वसामय में हुए एक समारोह में प्रशा के राजा
ववजलयम प्रथम को जममनी का सम्राट घोपषत दकया गया।
जनवरी 18, 1871 ई० को प्रात: कडाके की सदीी पड रही थी। ऐसे मौसम में; वसामय का शीशमहल
जो दक पहले से ही बेहद सदम रहता था; जममन राजकुमारों, सेना के प्रनतननधधयों और मन्त्री प्रमुख
ऑटोवान नबस्माकम सहहत प्रशा के महत्त्वपूणम मल्कन्त्रयों ने एक सभा का आयोजन दकया। सभा ने
प्रशा के काइजर ववजलयम प्रथम के नेतृत्व में नये जममन साम्राज्य की घोषणा की। प्रशा राज्य की
शक्ति के प्रभुत्व के दशमन जममनी में उसके राष्ट्र-ननमामण की प्रदक्या में हुए। नये राज्य ने जममनी की
मुद्रा, बैंदकिंग और कानूनी तथा न्यानयक व्यवस्थाओ ं के आधुननकीकरण पर अधधक जोर ददया और
प्रशा द्वारा उठाये गये कदम और उसकी कायमवाहहया ाँ शेष जममनी के जलए एक मॉडल बने।
प्रश्न 5 अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन व्यवस्था को ज्यादा कुशल बनाने के जलए नेपोजलयन ने
क्या बदलाव दकए?
उत्तर – नेपोजलयन के ननयंत्रण में जो क्षेत्र आया वहा ाँ उसने अनेक सुधारों की शुरुआत की। उनके
द्वारा दकए गए सुधार ननम्नजलखखत थे-
• 1804 की नेपोजलयन संहहता ने जन्म पर आधाररत ववशेषाधधकार समाप्त कर ददए थे। उसने
कानून के समक्ष समानता और संपजत्त के अधधकार को सुरजक्षत बनाया।
• समान कर प्रणाली लागू की गई। प्रनतष्ठा मंडल की स्थापना करके ववद्वानों, कलाकारों व
देशभिों को सम्माननत दकया गया।
• डच गणतंत्र, त्सस्वट्जजरलैंड, इटली और जममनी में नेपोजलयन ने प्रशासननक ववभाजनों को
सरल बनाया।
• सामंती व्यवस्था को खत्म दकया और दकसानों को भू-दासत्व और जागीरदारी शुल्कों से
मुक्ति ददलाई।
• शहरों में कारीगरों के श्रेणी संघों के ननयंत्रणों को हटा ददया गया। यातायात और संचार
व्यवस्थाओ ं को सुधारा गया।
• आर्थथक सुधार करने के उद्देश्य से बैंक ऑि फ्ांस’ की स्थापना की गई।
• उसने दंड ववधान को कठोर बनाया तथा जूरी प्रथा व मुपद्रत पत्रों को पुनः प्रारंभ दकया।
• जशक्षा की उन्ननत के जलए यूननवमससटी ऑि फ्ांस की स्थापना की, जहा ाँ लैहटन, फ्ेंच भाषा,
साधारण ववज्ञान व गजणत की मुख्य तौर पर जशक्षा दी जाती थी।
• कैथोजलक धमम को राजधमम बनाया। इस प्रकार दकसानों, कारीगरों, मजदूरों और नए
उद्योगपनतयों ने नई-नई धमली आजादी को चखा।
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