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प्रेमचंद-उत्तर

युग
(1936-1947 ई.)
BY: SANVI KHANDELWAL
STUTI PALIWAL
अवलोकन
परिचय उपन्यासकार

जानकारी उस समय के लेखन

विशेषताएँ
परिचय
प्रेमचंद उत्तर भारत के महान और प्रसिद्ध हिंदी और उर्दू लेखक थे। उन्हें 'हिंदी के
उपन्यासकार के जनक' के रूप में जाना जाता है। इस युग के उपन्यासकारों में
वृंदावनलाल वर्मा, भगवतीचरण वर्मा, अमृतलाल नागर, प्रतापनारायण श्रीवास्तव,
निराला, भगवतीप्रसाद बाजपेयी तथा हजारीप्रसाद द्विवेदी मुख्य हैं। प्रेमचंद के बाद
कथा साहित्य में दृष्टिकोण, विषय आदि में कई प्रकार के परिवर्तन दिखाई पड़े। यह
परिवर्तन जैनेन्द्र कु मार, इलाचंद्र जोशी, अज्ञेय, यशपाल आदि के उपन्यासों में इतना
प्रबल हो गये कि धारा ही बदल गई।
जानकारी
इस समय के आत्मिक विचारों, सामाजिक परिवर्तनों, और राष्ट्रीय उद्दीपनाओं का
प्रभाव प्रेमचंद की रचनाओं में दिखाई देता है। प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं में जनता के
दर्द, दुख, और संघर्ष को प्रकट किया। उन्होंने आम आदमी के जीवन की सामाजिक
और आर्थिक समस्याओं को उजागर किया और लोगों को उन्हें समाधान करने के लिए
प्रेरित किया।
इस समय काल में प्रेमचंद की प्रमुख रचनाएँ उनके लेखन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थीं,
जो उन्होंने भारतीय समाज की सामाजिक और आर्थिक समस्याओं के प्रति उनके गहरे
संवेदनशीलता को दिखाते हैं। उनका यह काल समाज के प्रति उनकी समझ,
सहानुभूति, और साहित्यिक कला के प्रति उनकी भावनाओं का प्रतीक है।
विशेषताएँ
1. सार्वजनिक प्रभाव:
2. विविधता:
प्रेमचंद की रचनाओं का अधिकांश लक्ष्य
प्रेमचंद के लेखन में विविधता थी। उन्होंने
सार्वजनिक साहित्य को प्रोत्साहन देना
किसी भी वर्ग, जाति या लिंग के लोगों की
और मानवता की भावना को उत्तेजित
जीवनी को प्रस्तुत किया। उनकी
करना था। उनकी कहानियाँ आम आदमी
कहानियों में गाँव-शहर, जीवन-मृत्यु,
की जीवनी की कहानियों पर आधारित
सामाजिक-राजनीतिक समस्याओं, प्रेम-
थीं।
विवाह, आदि जैसे विषयों पर ध्यान दिया
गया।
विशेषताएँ
3. सरल भाषा:
प्रेमचंद की रचनाओं की विशेषता यह 4. मानववादी दृष्टिकोण:
थी कि वे बहुत ही सरल भाषा में लिखी प्रेमचंद की कहानियों में मानववादी
गई थीं, जिसके कारण उनकी दृष्टिकोण था। उन्होंने अधिकांश
कहानियाँ साधारण लोगों तक आसानी लेखों में इंसानियत के महत्व को
से पहुंच पाती थीं। उजागर किया और धर्म, जाति और
लिंग के भेद को लेकर सवाल उठाया।
विशेषताएँ

5. साहित्यिक योगदान:
प्रेमचंद ने अपने लेखन से हिंदी साहित्य को
6. कला का प्रशंसक:
नई दिशा दी और उसे उत्तर भारतीय
प्रेमचंद कला का प्रशंसक थे और उनके
लेखकों के लिए प्रेरित किया। उनके
लेखन में कला के साथ-साथ सामाजिक
उपन्यास, कहानियाँ और नाटक हिंदी
संदेश को भी महत्व दिया गया। उनकी
साहित्य के गौरवशाली अंग हैं।
कहानियों में छवियों को विविधता और
गहराई
अन्य
उपन्यासकार
जयशंकर प्रसाद वृंदावनलाल
वर्मा

सुदर्शन

विश्वंभर नाथ प्रताप नारायण


शर्मा 'कौशिक' श्रीवास्तव
उस समय के
लेखन
जैनेन्द्र-'परख', 'सुनीता', 'कल्याणी', 'त्यागपत्र',
उपन्यास
इलाचन्द्र जोशी- 'सन्यासी', 'पर्दे की रानी', 'जहाज का
पंछी', 'मुक्ति पथ', उपन्यास
अज्ञेय-'नदी के द्वीप', 'शेखर की जीवनी', 'अपने अपने
अजनवी' तथा
यशपाल - 'दिव्या', 'अमिता', 'देशद्रोही' उपन्यास
साहित्य में अमर हैं।
धन्यवाद

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