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201 इंसान को कब समझना चाहिए कि वह जिंदगी में अब कुछ नहीं कर

सकता?
रामू काका के पास कपिल नाम का इंसान एक दिन आया l कपिल बहुत बुरी तरह से टूटा हुआ, hara हुआ लग रहा
था l उसकी क्ल से ही महसूस हो रहा था कि , वह जिंदगी से बहुत दुखी था l कपिल काका को बताता है कि काका
उसने जिंदगी में कुछ भी तो नहीं किया , वह किसी भी लायक नहीं है और कुछ भी नहीं कर सकता l अब तो
उसका मर जाने का मन करता है l वह तो केवल ish धरती पर बोझ के समान है l

रामु kaka kapil ko समझाते है की, जब इंसान मृत्यु शय्या पर पड़ा हो , तो उससे पहले वो हर काम कर
सकता है जो उसको करना चाहिए l

अगर मृत्यु से पहले इंसान यह फैसला कर लेता है, की अब वह जिंदगी में कुछ नहीं कर सकता तो यह
उसकी सबसे बड़ी ग़लतफ़हमी है, और सोच की कमी भी l या से समझ ले की वो किसी भी चीज़ को
इम्पोर्टेंस नहीं दे रहा है l जबकि इंसान पेट साफ़ करना, नहाना धोना, खाना पीना या और भी जो
रोजमर्रा के काम होते है उनको फिर भी करता है क्योंकि उसकी नज़र में वो जरुरी काम है l इसी तरह से
वो अगर और कामो को भी जरुरी समझे तो अपनी जिंदगी रहते उनको कर सकता है. सवाल सिर्फ सोच और
इम्पोर्टेंस का है l चाहे कैसे भी परस्थिति kyo na ho, insaan ko कभी भी हार नही माननी चाहिये l

202 आप अपने आप को खुश कैसे रख़ते हैं?

Ramu kaka से tina ne poocha kaka मै अपने आप को खुश कैसे रख सकती हूँ l

Kaka Tina को मुस्करा कर बताते है की दुसरो को ख़ु देकर उनके दुःख दर्द को बाँट कर l आप हमे शखुश
रह सकते है l क्योकि जितना हम दूसरों को खु शबांटते हैं, उतनी ही खु शहमारे पास लौट कर आती है l

आप एक बार ऐसा करके देखे जो आनंद आपको प्राप्त होगा वो बड़े से बड़े महलों में , सत्संग में ,
लाखो करोडो रूपये में आपको नहीं मिलेगा l

जब आप किसी दुखी इंसान के चेहरे पे मुस्कान लादे , उसको भरोसा हो जाए की आप उसके हर कष्ट में
साथ है तो, तब उसके चेहरे पे जो शांति और सुकून का भाव देख कर आपकी आत्मा प्रस्सन हो जाएगी और
उससे ush दुखी व्यक्ति से ज्यादा ख़ुशी आपको मिलेगी l

203 अगर समस्या का कोई हल न मिले तो क्या करें?

रामू काका से किसी ने पूछा कि जब जिंदगी में बड़ी समस्या आये और उस समस्या का कोई भी हल ना
मिले तो क्या करें l काका बताते हैं कि, कुदरत ने हर इंसान को सोचने समझने का गुण दिया है जिससे
की इंसान पर जब कोई समस्या हो तो , वह उसका समाधान निकाल सके l लेकिन सोचने समझने की ताकत हर
इंसान में अलग अलग होती है l कोई ज्यादा गहराइ से सोचता है तो कोई ऊपर ऊपर से सोचता है l कोई
बहुत आगे की सोचता है कोई वर्तमान के बारे में भी पूरा नहीं सोच पाता है l

इसलिए कोई भी समस्या आने पर वो व्यक्ति अपने आप कोई समाधान खोजता है l लेकिन उस का हल ना
निकलने पर वो अपने करीबी लोगो से विचार विमर्करता है और तब भी अगर हल नहीं निकलता तो वो
किसी speciliast की राय लेता है l कहीं ना कहीं उसकी समस्या का तोड़ मिल ही जाता है l इस दुनिया में
समस्याएं हैं तो उनका तोड़ भी जरूर ही है l ऐसी कोई भी समस्या नहीं है कि उसका सलूशन ना हो l

यह परिवार और समाज इसीलिए बनाया गया है की कोई भी समस्या आने पर अगर एक व्यक्ति समाधान नहीं

Classification: Internal
C
निकाल पाए तो परिवार या समाज के लोगो से उसके बारे में सलाह मशवरा करके उस समस्या का समाधान
निकाला जा सके l और हर व्यक्ति के अलग अलग सोचने समझने के तरीके से समस्या का हल निकल ही
आता है l

204

रामू काका कहते हैं कि जिंदगी एक नोटबुक की तरह है जिसके दो पेज भगवान ऑलरेडी लिख कर देता
है पहला पन्ना हमारे जन्म से और लास्ट पेज हमारी मृत्यु से l

ये दोनों पन्ने भगवान खुद लिख कर देता है और जो भी जो बीच के पन्ने होते हैं वो सभी खाली होते
हैं जो आपको भरने होते हैं l अब आपको तय करना है कि इस अपनी इस किताब के पन्नों को कैसे
भरते हैं l अपनी कहानी को खुद कैसे लिखते हैं l तो ऐसी कहानी लिखे हैं जिससे पढ़कर आपका सीना
चौड़ा हो जाए जिससे खु शमिली जिससे प्यार मिले l

205 जैसा जिसके पास होगा वह वैसा ही दे सकता है

दीपक एक कंपनी में काम करता है उसका boss बहुत खड़ूस है उसको बोलने की तमीज नहीं है जो मन में
आता है बोल देता है कितना भी अच्छा काम कर लो गलतियां निकालना तो उसकी आदत में शामिल है दीपक
होकर रामू काका को फोन करके अपनी इस समस्या को बताता है l
परे ननशा

रामू काका दीपक को बताते हैं कि


असलियत में yah एक universal सत्य है की जिसके पास जो hota है वो वही देगा l जिसके दिल में दर्द
और दुःख समाया है वो वैसे ही जवाब देंगे और वैसी ही बातें करेंगे .जिसके दिल में ख़ुशी और सुख
समाया है वो खु शभरा ही जवाब देंगे और खु शवाली ही बातें करेंगे l जिस इंसान का नेगेटिव
एटीट्यूड है और वह अच्छाइयों को ना देखकर गलतियाे़ं या कमियों को ही नजर डालता है तो वह उसकी
आदत बन जाती है और इस वजह से वह वही देख पाएगा जो उसकी आदत में है l जैसा हम बोलते हैं
जैसा काम करते हैं वह 1 दिन की वजह से नहीं है यह सब कुछ हमारे रहन-सहन हमारे संस्कारों और
हम कहां बैठते हैं और किसके साथ बैठते हैं , हम कैसा सोचते हैं इन सभी पर निर्भर करता है l
गलतियां निकालना या बदतमीजी से बोलना यह तुम्हारे बॉस के सोच विचार है ना कि तुम्हारे l उन्हें
बदलना शायद आपके कंट्रोल में नहीं है l आप तो बस यही कर सकते हैं कि आप खुद सही बने रहें l आप
तो वैसे ही पेश आए उनके सामने जैसा दूसरों के सामने पेश आते हैं l उनके गलत व्यवहार से
अपने आप को गलत बनाने की जरूरत नहीं है हो सके आपको देखकर वो खुद भी अपने आप को बदलना
चाहेंगे l एक बार अपने अंदर भी झांक कर देख ले कि आपने भी कौन से इंप्रूवमेंट के area हैं और
अपने आपको भी continious improve करते रहें l

Classification: Internal
C

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