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Parvat Pradesh
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• उर – हृदय
उच्चांकाक्षा - ऊुँच्चा उठने की • पहाड़ों पर उगे ऊुँचे-लम्बे पेड
कामना मानो पेडो के हृदय से उठ-
तरुर्र -पेड उठ कर आकाश को छू लेने
नीरर्, - शांत की इच्छा प्रकट करते हुए
• नभ- आकाश अथावत ऊुँचा उठने की
अतनमेर् - एक टक इच्छा मलए एक टक दृजष्ट
• अटल – जस्थर से जस्थर भार् से शांत
आकाश को इस तरह दे ख
रहे हैं, मानो र्ो ककसी
चचंता में डूबे हुए ह़ों।
अथावत र्े हमें तनरन्तर
ऊुँचा उठने की प्रेरर्ा दे
रहे हैं।
उड गया ,अचानक लो ,भध
ू र, फडका अपार पारद के पर !
रर् -शेर् रह गए हैं तनझवर ! है टूट पडा भू पर अम्बर !
भधू र - पहाड • इसमें कवर् ने बाररश के कारर्
पारद के पर- पारे के समान प्रकृतत का बबल्कुल बदला हुआ
धर्ल एर्ं चमकीले पंख रूप दशावया है ।
रर् -शेर् - केर्ल आर्ाज का रह • इस पदयांश में कवर् कहता है
जाना कक तेज बाररश के बाद मौसम
भू – धरती ऐसा हो गया है कक घनी धंुध
अम्बर – आकाश के कारर् लग रहा है मानो
पहाड अदृश्य हो गया अथावत
गायब हो गया। मानो पहाड
पक्षी बनकर अपने सफ़ेद पंख
फ़डफ़डाता हुआ कह ं उड गया हो।
झरऩों की केर्ल आर्ाज ह सन
ु ाई
दे रह थी ऐसा लग रहा है कक
पूरा आकाश ह धरती पर आ
गया हो
धुँस गए धारा में सभय शाल ! उठ रहा धआ
ु ुँ ,जल गया ताल !
।
-य़ों जलद -यान में वर्चर –वर्चर, था इंद्र खेलता इंद्रजाल
प्रश्न 1-: पार्स ऋतु में प्रकृतत में कौन -कौन से पररर्तवन आते हैं ? कवर्ता के आधार
पर स्पष्ट कीजजए।
प्रश्न 2-: 'मेखलाकार ' शब्द का क्या अथव है ?कवर् ने इस शब्द का प्रयोग यहाुँ क्य़ों
ककया है ?
प्रश्न 3-: 'सहस्र दृग - सम ु न ' से क्या तात्पयव है ?कवर् ने इस पद का प्रयोग ककसके
मलए ककया होगा ?
प्रश्न 4-: कवर् ने तालाब की समानता ककसके साथ हदखाई है और क्य़ों ?
प्रश्न 5 -: पर्वत के ह्रदय से उठ कर ऊुँचे ऊुँचे र्क्ष
ृ आकाश की ओर क्य़ों दे ख रहे थे
और र्े ककस बात को प्रततबबंबबत करते हैं ?
प्रश्न 6 -: शाल के र्क्ष
ृ भयभीत हो कर धरती में क्य़ों धस गए हैं ?
प्रश्न 7-: झरने ककसके गौरर् का गान कर रहे हैं ?बहते हुए झरने की तुलना ककस से
की गई है ?