Professional Documents
Culture Documents
Mahalaxmi Ashtak Hindi
Mahalaxmi Ashtak Hindi
महालक्ष्मी अष्टकम देवराज इन्द्र द्वारा रचित माता लक्ष्मी को समर्पित एक स्तोत्र है , इसका उल्लेख पद्म
पुराण में हुआ है। इस स्तोत्र के र्ियर्मत पाठ से साधक महालक्ष्मी की कृ पा से धि-धान्य सं पन्न हो जाता
है, उसके महाि पातकों और शत्रुओं का िाश हो जाता है।
िूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशर्िमहोदरे ।
महापापहरे देर्व महालक्ष्मक्ष्म िमोऽस्तु ते ॥6॥
अर्ि – हे दे र्व ! तुम िूल, सूक्ष्म एवं महारौद्ररूर्पणी हो, महाशर्ि हो, महोदरा हो और बड़े-बड़े पापों का
िाश करिे वाली हो। हे देर्व महालक्ष्मी ! तुम्हें िमस्कार है।
अर्ि – जो मिुष्य भर्ियुि होकर इस महालक्ष्म्यष्टक स्तोत्र का सदा पाठ करता है, वह सारी चसर्ियों और
राज्य वैभव को प्राप्त कर सकता है।
एककाले पठे र्न्नत्यं महापापर्विाशिम् ।
र्द्वकालं युः पठे र्न्नत्यं धिधान्यसमचितुः ॥10॥
अर्ि – जो प्रर्तर्दि एक समय पाठ करता है , उसके बड़े-बड़े पापों का िाश हो जाता है। जो प्रर्तर्दि दो
समय पाठ करता है, वह धि-धान्य से सं पन्न होता है।
अर्ि – जो प्रर्तर्दि तीिों कालों में पाठ करता है, उसके महाि शत्रुओं का िाश हो जाता है और उसके
ऊपर कल्याणकाररणी वरदार्यिी महालक्ष्मी सदा ही प्रसन्न होती हैं।
र्वचध – श्री महलक्ष्मी अष्टक स्तोत्र का र्ित्य 11 पाठ तीिों समय करिा िार्हए ! इस स्तोत्र को शरद
पूचणिमा अर्वा दीपावली अर्वा िन्द्र ग्रहण की रात्री में 108 पाठ करके चसि कर लें !
िवरार्त्र में िौ र्दि तक प्रर्तदि 108 पाठ करें तो भी यह स्तोत्र चसि हो जाता है ! इसके अर्तररक र्कसी
भी शुक्रवार से यह अिुष्ठाि आरम्भ कर सकते है ! अिुष्ठाि 21 र्दि अर्वा ४१ र्दि का करें !
इस अिुष्ठाि को पूणि करिे पर आचर्िक समस्याओं से साधक मुि हो जाता है ! उसके कायि सरलता से पूणि
होिे लगते है ! जीवि की र्वघ्न बाधाएं िष्ट होती है! यर्द कोई धि हडप चलया है अर्वा िोरी र्कया है ,
तब भी उसकी पुिुः प्रार्प्त के चलए इस स्तोत्र का 21 र्दवसीय अिुष्ठाि कर सकते है !