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Bihar Board 10th Social Science History Subjective Answers

Chapter 5 अथ व ा और आजी वका

व ुन ो र

नीचे दये गए के उ र के प म चार वक दये गये ह। जो आपको सवा धक उपयु लगे उनम सही का च
लगाय।

1.
नग जेनी का आ व ार कब आ ?
(क) 1769
(ख) 1770
(ग) 1773
(घ) 1775
उ र-(ख) 1770

2.
से ी लै का आ व ार कसने कया?
(क) जे हार ी
(ख) जॉन के
(ग) ा टन
(घ) ह डेवी.
उ र-(घ) ह डेवी.

3.
ब ई म सव थम सूती कपड़े के मल क ापना कब ई ?
(क) 1851
(ख) 1885
(ग). 1907
(घ) 1914
उ र-(क) 1851

4.
1917 ई० म भारत म पहली जूट मल कस शहर म ा पत आ?
(क) कलक ा
(ख) द ी
(ग) ब ई

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(घ) पटना
उ र-(क) कलक ा

5.
भारत म कोयला उ ोग का ार कब आ?
(क) 1907
(ख) 1914
(ग) 1916
(घ) 1919
उ र-(ख) 1914.

6.
जमशेदजी टाटा ने टाटा आयरन ए ील क नी क ापना कब क ?
(क) 1854
(ख) 1907
(ग) 1915
(घ) 1919
उ र-(ख) 1907

7.
वै ा नक समाजवाद का तपादन कसने कया?
(क) राबट ओवन
(ख) लुई ांक
(ग) काल मा
(घ) लाला लाजपत राय
उ र-(ग) काल मा

8.
इं गलड म सभी ी एवं पु ष को वय मता धकार कब ा आ?
(क) 1838
(ख) 1881
(ग) 1885
(घ) 1932
उ र-(ग) 1885

9.
‘अ खल भारतीय े ड यू नयन काँ ेस’ क ापना कब ई?
(क) 1848
(ख) 1881

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(ग) 1885
(घ) 1920
उ र-(घ) 1920

10.
भारत के लए पहला फै ीए कब पा रत आ?
(क) 1838
(ख) 1858
(ग) 1881
(घ) 1911
उ र-(ग) 1881

न ल खत म र ान को भर:

1.
सन् 1838 ई. म………..चा ट आ ोलन क शु आत ई।
उ र-
लंदन म

2.
सन्…………. म मजदूर संघ अ ध नयम पा रत आ।
उ र-
1926

3.
ूनतम मजदूरी कानून, सन् ……….ई. म पा रत आ।
उ र-
1948

4.
अ रा ीय मक संघ क ापना…………….ई. म ई।
उ र-
1920

5.
थम फै ीए म म हलाओं एवं ब क …………………एवं………………….. को न त कया।
उ र-
आयु, काम का घंटा

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सुमे लत कर

उ र-
1. (ङ), 2. (घ), 3. (ख), 4. (ग), 5. (क)।

अ तलघु उ रीय ो र (20 श म उ र द)

1.
फै ी णाली के वकास के क दो कारण को बताय।
उ र-
(i) मशीन एवं नये-नये यं का आ व ार।
(ii) मानव क आव कता।

2.
बुजुआ वग क उ त कैसे ई ?
उ र-
औ ो गक करण के फल प टश सहयोग से भारत के उ ोग म पूँजी लगाने वाले उ ोगप त पूँजीप त बन गए।
अतः समाज म तीन वग का उदय आ- पूँजीप त, बुजुआ वग (म म वग) एवं मजदूर वग।

3.
अठारहव शता ी म भारत के मु उ ोग कौन-कौन से थे?
उ र-
भारतीय ह कला, श उ ोग।

4.
न ोगीकरण से आपका ा ता य है ?
उ र-
कल कारखान क ापना के बाद भारत म कुटीर उ ोग ब होने क कगार पर प ँच गया? जसे इ तहासकार ने
न ोगीकरण क सं ा दी है।

5.
औ ो गक आयोग क नयु कब ई ? इसके ाउ े थे?
उ र-
सन् 1916 म औ ो गक आयोग क ापना ई जसका उ े था भारतीय उ ोग तथा ापार के भारतीय व से
संबं धत य के लए सहायक े का पता लगाना।

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लघु उ रीय ो र (60 श म उ र द)

1.
औ ोगीकरण से आप ा समझते ह ?
उ र-
रा ीय अथ व ा को सु ढ़ करने के लए कृ ष े म एवं उ ोग जगत म नई-नई मशीन को ा पत करना तथा
कल कारखाने ा पत करना औ ोगीकरण कहलाता है। और इसके कारण मनु के आ थक और सामा जक
जीवन म ए प रवतन को औ ो गक ां त कहते ह।

2.
औ ोगीकरण ने मजदूर क आजी वका को कस तरह भा वत कया ?
उ र-
साधारणतया औ ोगीकरण ऐसी या है, जसम उ ादन मशीन ारा कारखान म होता है जससे मजदूर क
आजी वका पर बुरा भाव पड़ने लगता ह क मशीन को संचा लत करने के लए कम सं ा म एवं वशेष
मजदूर क आव कता होती है ।

3.
म प त क शु आत कैसे ई?
उ र-
औ ोगीकरण के फल प जब मल मा लक ारा मजदूर का शोषण होने लगा तो उनक त दयनीय होती
गयी जससे वे सु वधा वहीन घर म रहने को बा हो गये, जसे ‘ म कहा जाने लगा।

4.
ूनतम मजदूरी कानून कब पा रत आ और इसके ाउ े थे?
उ र-
ूनतम मजदूरी कानून 1948 म पा रत आ जसके ारा कुछ उ ोग म मजदूरी क दर न त क गई और कहा
गया क मजदूरी ऐसी होनी चा हए जससे मजदूर केवल अपना ही गुजारा न कर सके, ब इससे कुछ और
अ धक हो, ता क वह अपनी कुशलता को भी बनाये रख सके।

5.
कोयला एवं लौह उ ोग ने औ ोगीकरण को ग त दान क । कैसे?
उ र-
कोयला एवं लोहा दोन को औ ोगीकरण या क रीढ़ माने जाते ह क कोयला धन क ज रत को पूरा
करता है और लोहा मशीन के नमाण म काम आता है। और कोई भी कारखाना बना इं धन और मशीन के नह चल
सकता। अतः कोयला एवं लोहा उ ोग
औ ोगीकरण क ग त को ती ता दान करता है।

दीघ उ रीय (लगभग 150 श म उ र द)

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1.
औ ोगीकरण क कारण का उ ेख कर।
उ र-
औ ोगीकरण के कारण न ह

 आव कता आ व ार क जननी-नई-नई आव कताओं क पू त के लए त ालीन समय म उ ोग का


वकास ारं भ आ।
 नये-नये मशीन का आ व ार-18व शता ी के उतरा म टेन म नये-नये यं एवं मशीन के
आव ार ने उ ोग जगत म ऐसी ां त का सू पात कया, जससे औ ोगीकरण एवं उप नवेशवाद दोन
का माग श आ।
 कोयले एवं लोहे क चुरता– कसी भी उ ोग क ग त कोयले एवं लोहे के उ ोग पर ब त अ धक नभर
करती है। टेन म लोहे एवं कोयले क खान थ जससे औ ोगीकरण
को बढ़ावा मला।
 फै ी णाली क शु आत-मशीन एवं नये-नये यं के आ व ार ने फै ी णाली को वक सत कया,
फल प उ ोग तथा ापार के नये-नये के का ज आ।
 स े म को उपल ता–18व शता ी के अ म वष म बड़ाब ी था क शु आत ई, जसम जम दार
ने छोटे -छोटे खेत को खरीदकर बड़े-बड़े फाम ा पत कर लये। अपनी जमीन बेच देने वाले छोटे कसान
मजदूर बन गए। ये आजी वका उपाजन के लए काम धंध क खोज म नकटवत शहर चले गए। इस तरह
मशीन ारा फै ी म काम करने के लए असं मजदूर कम मजदूरी पर भी तैयार हो जाते थे। स े म ने
उ ादन के े म सहायता प ँचाई।
 यातायात क सु वधा-फै ी म उ ा दत व ुओं को एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाने तथा क ा माल
को फै ी तक लाने के लए टेन म यातायात क अ ी सु वधा उपल थी। जहाजरानी उ ोग म यह
व म अ णी देश था और सभी देश के सामान का आयात नयात मु तः टेन के ापा रक जहाजी
बेड़े से ही होता था, जसका आ थक लाभ औ ोगीकरण क ग त को ती करने म सहायक बना।
 वशाल औप नवेशक त-औ ोगीकरण क दशा म टेन ारा ा पत वशाल उप नवेश ने भी
योगदान दया। इन उप नवेश से क ा माल स े दाम म ा करना तथा उ ा दत व ुओं को वहाँ के
बाजार म महं गे दाम पर बेचना टेन के लए आसान था।
2.
औ ोगीकरण के प रणाम प होनेवाले प रवतन पर काश डाल।
उ र-

 नगर का वकास-सन् 1850 से 1950 ई. के बीच भारत म व उ ोग, लौह उ ोग, सीमे उ ोग,
कोयला उ ोग जैसे कई उ ोग का वकास आ। जससे जमशेदपुर, स री, धनबाद, डाल मया नगर
इ ा द नये ापा रक नगर का वकास आ।
 कुटीर उ ोग का पतन जैस-
े जैसे बड़े-बड़े मशीन और यं का वकास आ वैस-
े वैसे श उ ोग, बुनकर
उ ोग इ ा द कुटीर उ ोग का पतन हो गया।

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 सा ा वाद का वकास औ ोगीकरण के प रणाम- प बड़े पैमाने पर उ ादन होना शु आ, जसक
खपत के लए यूरोप म उप नवेश क होड़ शु हो गयी और आगे चलकर इस उप नवेशवाद ने सा ा वाद
का प ले लया।
 समाज म वग वभाजन एवं बुजुआ वग का उदय औ ोगीकरण के फल प टश सहयोग से भारत के
उ ोग म पूंजी लगाने वाले उ ोगप त पूज
ँ ीप त बन गये। अतः समाज म तीन वग का उदय आ – पूँजीप त
वग, बुजुआ (म म) वग एवं मजदूर (वग)।
 फै ी मजदूर वग का ज बड़े-बड़े उ ोग म काय करने वाले मजदूर का उ ोगप तय ारा शोषण होने
लगा जससे उनका जीवन र काफ न होता गया, फल प मजदूर वग का ज आ।
 म प त क शु आत छोटे -छोटे घर म जहाँ कसी तरह क सु वधा उपल नह थी, वहाँ मजदूर वग के
लोग रहने को बा थे, ऐसे ही घर को म कहा जाता है ।
3.
उप नवेशवाद से आप ा समझते ह ? औ ोगीकरण ने उप नवेशवाद को ज दया। कैसे?
उ र-
उप नवेशवाद क ा ा व भ काल म व भ व ान ारा भ - भ कार से क गई है । पर, इ तहास क
से उ त एवं श शाली देश ारा पछड़े और नबल देश के राजनी तक तथा आ थक आ धप क त को
उप नवेशवाद कहते ह।

जैसे ही इं गलड म औ ोगीकरण आ वैसे ही वहाँ बड़ी-बड़ी फैि य क ापना होने लगी और कारखान म
वभ कार के औ ो गक व ुओं का उ ादन होने लगा। इन व ुओं क खपत के लए उसे व ृत बाजार क
आव कता पड़ी। ापा रक उ े क पू त के लए उसने व भ देश क ओर ख कया। संसाधन क चुरता
ने उसे भारत क तरफ ापार करने के लए आक षत कया। धीरे-धीरे उसने भारत म श का योग कर अपने
उप नवेश क ापना कर ली। इस कार उप नवेशवाद का ज आ। अ देश जैसे पुतगाल, ांस, अमे रका
इ ा द देश ने भी इसी कार से अपने उप नवेश क ापना क ।

4.
कुटीर उ ोग के मह एवं उसक उपयो गता पर काश डाल।
उ र-
कम पूँजी म घरेलू र पर ा पत उ ोग को कुटीर उ ोग कहते ह। कुटीर उ ोग कसी भी रा के वकास म काफ
मह पूण भू मका नभाता है क इसम देश क अ ध कांश आबादी क भागीदारी होती है । इसम कसी वशेष
तकनीक जानकारी क आव कता नह होती। इसम म, पूँजी और समय तीन कम लगते ह तथा घर बैठे लोग
अपना-अपना काम पर लेते ह। इसका सबसे मह पूण तो यह है क इसम घरेलू म हलाओं का योगदान भी
सराहनीय होता है । कुटीर उ ोग के कुछ मुख उदाहरण ह -सूत कताई, बुनाई, उनका रं ग रोगन करना, अचार
बनाना, पापड़ बनाना, सलाई कढ़ाई करना इ ा द। भारत म औ ोगीकरण के पूव कुटीर उ ोग काफ वक सत था
पर ु औ ोगीकरण के बाद उ क े माल के लाले पड़ने लगे और धीरे-धीरे यह मृत ाय हो गया।

कुटीर उ ोग क उपयो गता न ल खत है -

 यह म म एवं न वग के अ धकांश लोग को रोजगार उपल कराता है।

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 यह घरेलू म हलाओं को भी रोजगार का अवसर दान करता है।
 इसम रोजगार के तलाश म जाने वाले लोग के पलायन को रोकने म सहायता मलती है।
 यह सामा जक आ थक ग त व संतु लत े वार वकास के लए एक श शाली औजार का काय करता
है।
 यह कौशल म वृ , उ मता म वृ तथा उपयु तकनीक का बेहतर योग सु न त करता है ।
5.
औ ोगीकरण ने सफ आ थक ढाँचे को ही भा वत नह कया ब राजनै तक प रवतन का भी माग श
कया। कैसे?
उ र-
औ ोगीकरण ने आ थक ढाँचे को तो प रव तत कया ही ब राजनै तक प रवतन का भी माग श कया,
क औ ो गक ां त के फल प कुलीनता का गौरव समा ः हो गया। मजी वय को जम दार के शोषण से
मु मल गई। नए उ ोग-के म उनक त पहले से अ ी थी और उनक आय भी बढ़ गई थी। उनके
जीवन र म भी प रवतन हो गया था। शहर म ऊँच-नीच का भेदभाव नह था। इस तरह, का मह बढ़ गया
और लोग क गत तं ता भी बढ़ गई।

मल-मा लक मजदूर के शोषण के ारा अपनी पूँजी बढ़ा रहे थे। अतः मजदूर अपनी संगठन तथा े ड यू नयन
बनाकर और हड़ताल करके वे मल-मा लक को अपनी मांग पूरी करने के लए ववश करने लगे। इससे लोग म
नेतृ मता का वकास होने लगा।

औ ो गक ां त के कारण समाज म पूँजीवाद का वकास आ। फलतः समाज म पूँजीप त वग का ादुभाव आ।


पूँजीप तय ने शासन और राजनी त को भा वत कया। पूँजीवाद से ही सा ा वाद का ज आ। यूरोपीय रा
के ारा ए शया, अमे रका, अ का के महादेश म उप नवेश ा पत कए गए। यूरोपीय देश म ही नह , ब
सारे व म सा ा वादी होड़ के कारण अशां त एवं संघष का वातावरण उ हो गया। थम एवं तीय व यु
इसी व ा का अ भशाप था जसने व क राजनी त को काफ भा वत कया।

Bihar Board Class 10 History अथ व ा और आजी वका Additional Important


Questions and Answers
अ तलघु उ रीय ो र

1.
ा ग शटल का आ व ार कसने कया ?
उ र-
जॉन के।

2.
वा चा लत रेल इं जन का आ व ार कसने कया?
उ र-
जॉज ीफशन ने।

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3.
ई इं डया कंपनी ने गुमा को बहाल कया ?
उ र-
बुनकर पर नयं ण रखने के लए।

4.
जमशेदपुर म पहला लौह इ ात संयं कसने ा पत कया ?
उ र-
जे. एन. टाटा ने (1912)।

5.
आ द औ ोगीकरण कसे कहते ह ?
उ र-
यूरोप और इं गलड म कारखान म उ ादन होने के पूव क त को आ द-औ ोगीकरण कहते ह।

6.
चाटर ए का भारतीय ापार पर ा भाव पड़ा?
उ र-
चाटर ए (1813) के ारा भारतीय ापार पर से ई इं डया कंपनी का एका धकार को समा कर दया गया।

7.
कलक ा म पहली जूट मल कसने ा पत क ।
उ र-
कुम च ने।

8.
उ ादन अपने उ ाद का चार करने के लए कौन साधन अपनाते थे?
उ र-
उ ादक अपने उ ाद का चार करने के लए अपने सामान पर लेबल लगाते थे। लेबल से उ ाद क गुणव ा
होती थी। 19व सदी के अं तम चरण से उ ादक ने अपने-अपने उ ाद के चार के लए आकषक कैलडर
छपवाने आरं भ कए।

9.
वतमान समय म भारत म कतने ील ांट ह ? ।
उ र-
वतमान समय म भारत म 7 ील ांट कायरत ह।

10.
पहली देशी जूट मल कहाँ ा पत ई ?

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उ र-
पहली जूट मल बंगाल के रशरा नामक ान म 1855 म खोली गई।

लघु उ रीय ो र–

1.
जॉबर कौन थे ?
उ र-
कारखान तथा मल म मजदूर और कामगार क नयु का मा म जॉबर होते थे। ेक मल मा लक जॉबर
को नयु करते थे। यह मा लक का पुराना तथा व कमचारी होता था। वह आव कतानुसार अपने गाँव से
लोग को लाता था और उ कारखान म नौकरी दलवाता था। मजदूर को शहर म रहने और उनक आव कताओं
को पूरा करने का काम जॉबर ही करते थे।

2.
टेन म म हला कामगार ने नग जेनी पर हमले कए ?
उ र-
बेरोजगारी क आशंका से मजदूर कारखानेदारी एवं मशीन के वहार का वरोध कर रहे थे। इसी म म ऊन उ ोग
म नग जेनी मशीन का जब वहार होने लगा तब इस उ ोग म लगी म हलाओं ने इसका वरोध आरं भ कया।
उन लोग को अपना रोजगार छनने क आशंका दखाई पड़ने लगी। अतः टेन क म हला कामगार ने नग
जेनी मशीन पर आ मण कर उ तोड़ना आरं भ कया।

3.
लंदन को फ न शग सटर’ कहा जाता था?
उ र-
इं गलड के कपड़ा ापारी वैसे लोग से जो रे श के हसाब से ऊन छांटते थे। ( े से) ऊन खरीदते थे। इस ऊन
को वे सूत कातने वाल तक प ँचाते थे। तैयार धागा व बुनने वाल , चु टो के सहारे कपड़ा समेटने वाल (पुलजे)
और कपड़ा रं गने वाल (रं ग साज ) के पास ले जाया जाता था। रं गा आ व लंदन प ँचता था। जहाँ उसक
फ न शग होती थी। इस लए लंदन को फ न शग सटर कहा जाता था।

4.
इं गलड ने अपने व उ ोग को बढ़ावा देने के लए ा कया?
उ र-
इं गलड म यां क युग का आरं भ सूती व उ ोग से आ। 1773 म लंकाशायर के वै ा नक जान के वे ाइं ग
श ल नामक मशीन बनाई। इससे बुनाई क र ार बढ़ी तथा सूत क माँग बढ़ गई। 1765 म ैकबन के जे
हार ीज ने नग जेनी बनाई जससे सूत क कताई आठ गुना बढ़ गई। रचड आकराइट ने सूत कातने के लए
नग े म का आ व ार कया जससे अब हाथ से सूत कातने का काम बंद हो गया। ॉ टन ने नग ुल
नामक मशीन बनाई। इन मशीन के आधार पर इं गलड म कम खच म ही बारीक सूत अ धक मा ा म बनाए जाने
लगे। इससे व उ ोग म ां त आ गई। इन संयं क सहायता से इं गलड म व उ ोग को बढ़ावा मला तथा
1820 तक इं गलड सूती व उ ोग का मुख के बन गया।

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5.
भारत म न ोगीकरण आ?
उ र-
भारत इं गलड का सबसे मह पूण उप नवेश म से म था। सरकार ने भारत से क े , माल का आयात और इं गलड
के कारखान से तैयार माल का भारत म नयात करने क नी त
अपनाई। इसके लए सु नयो जत प स भारतीय उ ोग वशेषतः व उ ोग को न कर दया गया। 1850 के
बाद अंगरेजी सरकार क औ ो गक नी तयाँ मु ापार क नी त, भारतीय
व ुओं के नयात पर सीमा और प रवहन शु लगाने, रेलवे, कारखान म अंगरेजी पूंजी नवेश, भारत म अंगरेजी
आयात का बढ़ावा देने इ ा द के फल प भारतीय उ ोग का वनाश आ। कारखान क ापना क या
बढ़ी जससे देशी उ ोग अपना मह खोने लगे। इससे भारतीय उ ोग का न ोगीकरण आ।

दीघ उ रीय

1.
19व शता ी म यरोप म कुछ उ ोगप त मशीन के बजाए हाथ से काम करनेवाले मक को ाथ मकता देते थे।
इसका ा कारण था?
उ र-
19व शता ी म औ ोगीकरण के बावजूद हाथ से काम करनेवाले मक क मांग बनी रही। अनेक उ ोगप त
मशीन के ान पर हाथ से काम करनेवाले मक को ही ाथ मकता देते थे। इसके मुख न ल खत कारण थे-

(i) इं गलड म कम मजदूरी पर काम करनेवाले मक बड़ी सं ा म उपल थे। उ ोगप तय को इससे लाभ था।
मशीन लगाने पर आनेवाले खच से कम खच पर ही इन मक से काम करवाया जा सकता था। इस लए
उ ोगप तय ने मशीन लगाने ‘ म अ धक उ ाह नह दखाया।

(ii) मशीन को लगवाने म अ धक पूंजी क आव कता थी। साथ ही मशीन के खराब होने पर उसक मर त
कराने म अ धक धन खच होता था। मशीन उतनी अ ी नह थी, जसका दावा आ व ारक करते थे।

(iii) एक बार मशीन लगाए जाने पर उसे सदैव वहार म लाना पड़ता था, परं तु मक क सं ा
आव कतानुसार घटाई-बढ़ाई जा सकती थी। मौसमी आधार पर मक क सं ा क आव कता पड़ती थी।
उदाहरण के लए इं गलड म जाड़े के मौसम म गैस घट और शराबखान म अ धक काम रहता था। बंदरगाह पर
जाड़ा म ही जहाज क मर त तथा सजावट का काम कया जाता था। समस के अवसर पर बुक बाइं डर और
टर को अ त र मक क ज रत पड़ती थी। उ ोगप त मौसम के अनुसार उ ादन म कमी-बेशी को ान म
रखकर आसानी से मजदूर क सं ा घटा-बढ़ा सकते थे। इस लए उ ोमप त मशीन के वहार से अ धक हाथ से
काम करनेवाले मजदूर को रखना ादा पसंद करते थे।

(iv) वशेष कार के सामान सफ कुशल कारीगर ही हाथ से बना सकते थे। मशीन व भ डजाइन और आकार
के सामान नह बना सकते थे।

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(v) व ो रयाकालीन टे न म हाथ से बनी चीज क ब त अ धक मांग थी। हाथ से बने सामान प रव ृत,
सु चपूण, अ ी फ नशवाली, बारीक डजाइन और व भ आकार क होती थी। कुलीन वग इसक उपयोग
करना गौरव क बात मानते थे। इस लए आधु नक करण के युग म मशीन के वहार के बावजूद हाथ से काम
करनेवाली मक क मांग बनी रही।

2.
18व शता ी तक अंतरा ीय बाजार म भारतीय व क माँग बने रहने का ा कारण था?
उ र-
ाचीन काल से ही भारत का व उ ोग अ ंत वक सत त म था। यहाँ व भ कार के व बनाए जाते थे।
उनम महीन सूती (मलमल) और रे शमी व मु थे। उनक माँग अंतरा ीय बाजार म काफ थी। कंपनी स ा क
ापना एवं सु ढ़ीकरण के आरं भक चरण तक भारत के व नयात म गरावट नह आई। भारतीय व क मांग
अंतरा ीय बाजार म बनी ई थी जसका मु कारण था क टेन म व उ ोग उस समय तक वक सत तम
नह प ंचा था। एक अ कारण यह था क जहाँ अ देश म मोटा सूत बनाया जाता था, वह भारत म महीन
क का सूत बनाया जाता था जससे महीन सूती व बनाया जाता था। ” इस लए आम नयम और फारसी
ापारी पंजाब, अफगा न ान, पूव फारस और म ए शया के माग से भारतीय सामान ले जाकर इसे बेचते थे।
महीन कपड़ो के धान ऊँट क पीठ पर लादकर प मो र सीमा ांत से पहाड़ी दर और रे ग ान के पार ले जाए
जाते थे। म ए शया म इ यूरोपीय मं डय म भेजा जाता था।

3.
ई इं डया कंपनी ने भारतीय बुनकर से सूती और रेशमी व क नय मत आपू त के लए ा व ाक ?
उ र-
बंगाल म राजनी तक स ा क ापना के पहले ई इं डया कंपनी को भारतीय बुनकर से कपड़ा ा कर उनका
नयात करने म अनेक क ठनाइय का सामना करना पड़ता था। बुनकर से व ा करने के लए यूरोपीय
ापा रक कंप नय म त ं ता होती थी। इसका लाभ ानीय ापारी भी उठाते थे। बुनकर से व खरीदकर वे
ऊं ची क मत देनेवाली कंपनी को बेचते थे। कंपनी रा क ापना से प र बदल गया। सूती व उ ोग म
ा त ं ता को समा कर उसपर अपना एका धकार ा पत करने के लए ई इं डया कंपनी ने नयं ण एवं
बंधन क नई नी त अपनाई जससे उसे व क आपू त लगातार होती रही। इसके लए कंपनी ने न ल खत
कदम उठाए
(i) गुमा ो क नयु कपड़ा ापार परं एका धकार ा पत करने के लए बचौ लय को समा करना एवं
बुनकर पर सीधा नयं ण रखना आव क था। इसके लए कंपनी ने अपने नय मत कमचारी नयु कए जो
गुमा ा कहे जाते थे। इनका मु काम बुनकर पर नयं ण रखना, उनसे कपड़ा इक ा करना तथा बुने गए व
क गुणव ा का जांच करना था।

(ii) बुनकर क पेशगी क व ा बुनकर से यं तैयार सामान ा करने के लए कंपनी ने उ अ म रा श या


पेशगी देने क नी त अपनाई। अ म रा श ा कर बुनकर अब सफ कंपनी के लए ही व तैयार कर सकते थे। वे
अपना माल कंपनी के अ त र अ कसी क नी या ापारी को नह बेच सकते थे। बुनकर को क ा माल
खरीदने के लए ऋण भी उपल कराया गया। अ म रा श और कज से कपड़ा तैयार कर बुनकर को माल गुमा
को स पना पड़ा।

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4.
थम व यु के समय भारत का औ ो गक उ ादन बढ़ा? ा ा क जए।
उ र-
थम व यु तक भारत का औ ो गक उ ादन क धीमा रहा। परं तु यु के दौरान और उसके बाद भारत का
औ ो गक उ ादन म काफ तेजी आई जसके न ल खत मुख कारण थे

(i) थम व यु के दौरान टेन म सै नक आव कता के अनु प अ धक सामान बनाए जाने लगे जससे
मैनचे र म बनने वाले व उ ादन म गरावट आई। इससे भारतीय उ मय को अपने बनाए गए व क खपत
के लए देश म ही ब त बड़ा बाजार मल गया। फलतः सूती व का उ ादन तेजी से बढ़ा।

(ii) व यु के ल ा ख चने पर भारतीय उ ोगप तय ने भी सै नक क आव कता के लए सामान बनाकर


मुनाफा कमाना आरं भ कर दया। सै नक क आव कताओं क पू त के लए देशी कारखान म भी सै नक के
लए वद , जूत,े जूट क बो रयाँ, टे , जीन इ ा द बनाए जाने लगे। इससे देशी कारखान म उ ादन बढ़ा।

(iii) यु काल म कारखान म उ ादन बढ़ाने के अ त र अनेक नये कारखाने खोले गए। मजदूर क सं ा म भी
वृ क गई। इनके काय करने क अव ध म भी बढ़ोतरी ई। फल प थम व यु के समय भारत का
औ ो गक उ ादन ये तेजी से वृ ई।

Bihar Board Class 10 History अथ व ा और आजी वका Notes


 औ ो गक करण के कारण –
o आव कता आ व ार क जननी
o नये-नये मशीन का आ व ार
o कोयले एवं लोहे क चुरता
o फै ी णाली क शु आत
o स े म क उपल ता
o यातायात क सु वधा
o वशाल औप नवे शक त
 18व शता ी के उतरा म टेन ने नये-नये यं एवं मशीन के आ व ार ने उ ोग जगत म ऐसी ां त
का सू पात कया, जससे औ ो गक करण एवं उप नवेशवाद दोन का माग श आ।
 सन् 1769 म जे वाट ने वा इं जन का आ व ार कया।
 सन् 1815 म ह डेवी ने खान म काम करने के लए एक से ी लै का और इसी वष हे नरी वेसेमर ने
एक श शाली भ ी को वक सत करके लौह उ ोग को और भी बढ़ाने म सहायता क ।
 भारत म कारखान क ापना 1850 के बाद होने लगी, इसके बाद भारत म कुटीर उ ोग ब होने लगे।
भारतीय इ तहासकार ने इसे भारत के लए न ोगीकरण क सं ा दी।
 सव थम सूती कपड़े क मल 1851 म ब ई म ा पत क गयी।

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 1869 म ेनजहर के खुल जाने से ब ई के ब रगाह पर इं गलड से आने वाला सूती कपड़ का आयात
बढ़ने लगा।

 सूती व उ ोग टेन का सबसे बड़ा उ ोग 19व शता ी के पूवा तक बन चुका था।


 लवरपुल त लंकाशायर सूती व उ ोग का बड़ा के बन गया।
 1805 के बाद ू साउथ वे ऊन उ ादन का के बना।
 अं ेज ापारी एजट क मदद से भारतीय कारीगर को पेशगी रकम देकर उनसे उ ादन करवाते थे। ये एजट
‘गुमा ा’ कहलाते थे।
 1835 ई. म टश संसद ारा पा रत चाटर ए के ारा ापार पर से ई इं डया कंपनी का एका धकार
समा कर दया।
 कारखान क ापना के म म सन् 1830-40 के दशक म बंगाल म ारकानाथ टैगोर ने 6 संयु उ म
क नयाँ लगाई।
 सव थम सूती कपड़े क मल क न व 1851 ई. म ब ई म डाली गई।
 सन् 1917 म कलक ा म देश का पहला जूट मल एक मारवाड़ी वसायी कुम चंद ने ा पत कया।

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