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Notes-Ausekar Sir 9403934459

समास ( Compound ) 4 अंक

कक्षा - 10 Rose,Lotus विषय: ह द


ं ी

Short Notes { 2 Page } - Ausekar Sir {9403934459}

परिभाषा – “ परस्पर संबंध रखने वाले दो या दो से अधधक शब्दों को मिलाकर जब नया


शब्द बनाया जाता है । उसे सिाज कहते हैं।

1 सम – संक्षिप्त 2 आस – कथन = संिेपीकरण

प ला पद – पूववपद दस
ू िा पद – उत्तरपद = सिस्तपद

‘सिास’ शब्द का अथव है -संक्षिप्त करने की प्रक्रिया या संिेपीकरण अथावत ् जब दो या दो से अधधक


शब्दों को पास-पास लाकर एक नया साथवक शब्द बनाया जाता है तो शब्दों को इस तरह संिेप करने
की प्रक्रिया को सिास कहते हैं।

* पूिव पद – सिस्त पद के पहले पद को पूवव पद कहते हैं; जैसे –


1. राजा का कुिार = राजकुिार
िन से चाहा हुआ = िनोवांछित
दे श के मलए भक्तत = दे शभक्तत
इन सिस्त पदों िें राज, िनो और दे श पव
ू व पद हैं।

* उत्ति पद - सिस्त पद के अंछति पद को उत्तर पद कहते हैं; जैसे –


क्स्थछत के अनुसार = यथाक्स्थछत
प्रत्येक ददन = प्रछतददन
नीला है गगन = नीलगगन
इन सिस्त पदों िें क्स्थछत, ददन और गगन उत्तर पद हैं।
* समास-विग्र -सिस्त पद िें प्रयुतत शब्दों को पहले जैसी क्स्थछत िें लाना अथावत ् अलग-
अलग करना सिास-ववग्रह कहलाता है।

समास - विग्र = सिस्त पद / सािामसक पद के सभी पदों को अलग करना ।


उदाहरण - पव
ू वपद + उत्तरपद = सिस्तपद / सािामसक पद

1
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ििांक पव
ू वपद उत्तरपद सिस्तपद /
सािामसक पद
1 दश + आनन = दशानन
2 घोडा + सवार = घुड़सवार
3 राजा + ( का ) पुत्र = राजपुत्र
4 यश + ( का ) प्राप्त = यशप्राप्त

* समास की विशेषताएँ – औसेकर सर 9403934459

(i) सिास िें दो या दो से अधधक पदों का िेल होता है।


(ii) सिास िें शब्द पास-पास आकर नया शब्द बनाते हैं।
(iii) पदों के बीच ववभक्तत धचह्नों का लोप हो जाता है।
(iv) सिास से बने शब्द िें कभी उत्तर पद प्रधान होता है तो कभी पूवव पद और कभी-कभी अन्य पद। इसके
अलावा कभी कभी दोनों पद प्रधान होते हैं। Notes-औसेकर सर 9403934459

---------------- भाग 1 Short Notes with Trick Chart -------------------------------------

समास - 6 मुख्य भेद


भेद / प्रकाि Trick / विशेषता उदा िण
I) पहला पद िोटा, पहला पद प्रधान, उपसगव, 1 आिरण -
अव्ययीभाव वारं वारता िरण तक
2 प्रछतददन =
ददन - ददन
II) तत्पुरुष दस
ू रा पद िोटा, ववभक्तत – (को, के, से, के िे, पर) 1 यशप्राप्त -
यश को प्राप्त
2 भूखिरा -
भूख से िरा
3 सत्याग्रह -
सत्य के ललए
आग्रह
1किव 2करण 3संप्रदान 4अपादान 5संबंध 6अधधकरण 7नत्र 4 पथभ्रष्ट -
पथ से भ्रष्ट
1 को 2 से 3 के,को 4 से ( 5 6िें 7 5 सेनापछत -
द्वारा मलए(आना) दे ना) का,के,की पर न,अ,अन ् सेना का पछत
(व्यक्तत)

2
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6 दानवीर -
दान में वीर
7 अनथव - न
अथव
III)किवधारय 1 पहला पद ववशेषण ( उपिान ) 2 दस
ू रे पद की तल
ु ना ववशेष्य ( 1 अधपका –
उपिेय ) ववशेषण
3 ववग्रह – है जो, के सिान ववशेष्य
IV) द्ववगु 1 संख्या वाले शब्दों का प्रयोग 1 सप्तमसंधु -
2 सिूह / सिाहार का बोध सात मसंधुओं का
सिूह
V) द्वंद्व 1 दोनों शब्द एक-दस
ू रे से उल्टे होते है। 1 सुख-दख

2 दोनों पद प्रधान होते है, प्राय: योजक धचन्ह ( - ) सुख औि दख

VI) बहुव्रीदह 1 ववग्रह करने पर छतसरा अथव (संज्ञा) होता है। 2 कोई पद प्रधान नह ं। 1 पंकज – पंक
3 व्यक्तत, स्थान, वस्त,ु रूढ़ शब्द (कीचड़) िें पैदा
हो जो (किल)

----------------------------- भाग 2 Short Notes with Trick Chart --------------------------

समास भेद परिभाषा / Trick उदा िण


I)अव्ययीभाि क) प्रथि पद प्रधान 1 आजन्ि- जन्ि से लेकर
समास ख) प्रथि पद अव्यय/उपसगव 2 यथाशक्तत - शक्तत के अनस
ु ार
( Adverbial ग) पहला पद संज्ञा / ववशेषण 3 बेशक - बबना संदेह
compound ) घ) पहला पद – िोटा 4 भरपेट - पेट भरकर
ङ) बारं बारता 5 प्रछतददन = ददन – ददन
च) Note- एक ह शब्द कई बार आने पर A) हाथों-हाथ = हाथ + हाथ
भी B) ददनों-ददन = ददन + ददन
II) तत्पुरुष समास क) दस
ू रा पद प्रधान
ख) कारक धचन्ह ( को,से ) लुप्त
ग) ववभक्तत का लोप ( को, से ) Notes-औसेकर सर 9403934459

घ) दस
ू रा पद िोटा

A) कमव तत्पुरुष को,का लोप


1 सुखप्राप्त - सुख को प्राप्त

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2 शरणागत - शरण को आगत


B) किण तत्परु
ु ष से, के द्वारा का लोप
( व्यक्तत ) 1 तल
ु सीकृत तल
ु सी से कृत
2 स्वरधचत – स्व से रधचत
C) संप्रदान तत्परु
ु ष के मलए का लोप
( आना ) 1 यज्ञशाला - यज्ञ के मलए शाला
2 दे शाअपवण - दे श के मलए अपवण
D)अपादान तत्परु
ु ष से ( अलग होना ) का लोप
( जाना ) 1 धनह न - धन से ह न
2 रोगिुतत - रोग से िुतत
E) संबंध तत्पुरुष का,की,के का लोप
1 दे वदास - दे व का दास
2 सधचवालय - सधचन का आलय
3 परछनंदा- पर की छनंदा
4 राजसभा - राजा की सभा
F)अधधकिण िें, पर का लोप
तत्पुरुष 1 युद्धछनपुण - युद्ध िें छनपुण
2 मसरददव - मसर िें ददव

G) नत्र तत्पुरुष न,अ, या अन ् का प्रयोग, नकारात्िक पद,


पूवववद छनषेधात्िक 1 अन्याय – न न्याय
2 अनपढ़ – न पढ़ा मलखा

III)कमवधािय समास क) पहला पद ववशेषण दस


ू रा ववशेष्य 1 नीलकिल - नील है जो किल
( oppositional ख) दस
ू रे पद की तल
ु ना 2 श्वेतांबर - श्वेत है जो अंबर
Compound ) ग) ववग्रह करने पर िध्य िें ‘ है जो ‘ उपिान - उपिेय
‘ के सिान ‘ आते हैं । 1 दे हलता - लता रूपी दे ह
घ) एक पद उपिान दस
ू रा उपिेय 2 चरणकिल - किल के सिान
चरण
IV) द्विगु समास क) संख्यावाले शब्दों का प्रयोग 1 द्ववगु - दो गायों का सिाहार /
गुण ( संख्या ) ख) सिास का पहला पद संख्यावाचक सिूह
(Numeral ग) सिूह का ववशेष बोध होता है। 2 शताब्द – शत (सौ) अब्दों (वषों)
Detminative का सिूह
Compound) 3 चौराह – चार राहों का सिाहार

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V) द्िंद्ि समास क) दोनों शब्द एक-दस


ू रे से उल्टे होते हैं। 1 पाप-पण्
ु य = पाप और पण्
ु य
ख) दोनों पद प्रधान 2 राधा-कृष्ण = राधा और कृष्ण
ग) ववग्रह करने पर और, या, एवं लगता 3 गण
ु -दोष = गण
ु और दोष
है।
घ) योजक धचन्ह ( - ) प्रयोग
VI) ब ु व्रीह समास क) ववग्रह करने पर तीसरा अथव छनकलता 1 चतुभुवज - चार हैं भुजाएं क्जनकी
( Attributive है। अथावत (ववष्णु)
Compound ) ख) कोई पद प्रदान नह ं । 2 दशानन दस है आनन क्जसके
ग) अन्य संज्ञा का बोध ( ववशेषण ) अथावत (रावण)
घ) ववग्रह करने ‘वाला’, ‘वाल ’, ‘क्जसका’, 3 चारपाई - चार हैं पाए क्जसके
‘क्जसकी’, ‘क्जससे’ आदद। अथावत चारपाई
ङ) व्यक्तत, स्थान, वस्तु के मलए रूढ़ 4 प्रधानिंत्री - िंबत्रयों िें प्रधान है
क्रकया हो। जो प्रधानिंत्री

------------------------------------------ समास विग्र भाग 3 ------------------------------------------------

समास विग्र – Compound words in Hindi


सािामसक शब्दों के बीच के सम्बन्ध को स्पष्ट करने को सिास-ववग्रह कहते हैं। ववग्रह के बाद सािामसक
शब्द गायब हो जाते हैं अथातव जब सिस्त पद के सभी पद अलग-अलग क्रकय जाते हैं, उसे सिास-ववग्रह
कहते हैं।
जैसे –
िाता-वपता = िाता और वपता।
राजपत्र
ु = राजा का पत्र
ु ।

समास के भेद – Distinction of Compound


समास के मुख्यतः छः भेद माने जाते ैं – 4. द्विगु समास
1. अव्ययीभाि समास 5. द्िंद्ि समास
2. तत्पुरुष समास 6. ब ु ब्रीह समास
3. कमवधािय समास

1 अव्ययीभाि समास
क्जस सिास का पूवव पद प्रधान हो, और वह अव्यय हो उसे अव्ययीभाव सिास कहते हैं। इसिें अव्यय
पद का प्रारूप मलंग, वचन, कारक, िें नह ं बदलता है, वो हिेशा एक जैसा रहता है।
दस
ू रे शब्दों िें – यदद एक शब्द की पन
ु राववृ त्त हो और दोनों शब्द मिलकर अव्यय की तरह प्रयोग हों, वहााँ

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पर अव्ययीभाव सिास होता है। संस्कृत िें उपसगव युतत पद भी अव्ययीभाव सिास ह िने जाते हैं।
इसिें पहला पद उपसगव होता है जैसे अ, आ, अनु, प्रतत, ि, भि, तन, तनि, यथा, याित आदद उपसगव
शब्द का बोध होता है।

जैसे – यथाशक्तत = शक्तत के अनस


ु ार अभतू पि
ू व = जो पहले नह ं हुआ
प्रततहदन = प्रत्येक ददन तनभवय = बबना भय के
आजन्म = जन्ि से लेकर अनुकूल = िन के अनुसार
घि-घि = प्रत्येक घर भिपेट = पेट भरकर
िातों िात = रात ह रात िें बेशक = शक के बबना
आमिण = ित्ृ यु तक खब
ु सिू त = अच्िी सरू त वाल

2 तत्परु
ु ष समास
क्जस सिास का उत्तरपद प्रधान हो और पव
ू वपद गौण हो उसे तत्परु
ु ष सिास कहते हैं। यह कारक से जड़
ु ा
सिास होता है। इसिें ज्ञातव्य-ववग्रह िें जो कारक प्रकट होता है उसी कारक वाला वो सिास होता है। इसे
बनाने िें दो पदों के बीच कारक धचन्हों का लोप हो जाता है, उसे तत्पुरुष सिास कहते हैं।
इस सिास िें साधारणतः प्रथि पद ववशेषण और द्ववतीय पद ववशेष्य होता है। द्ववतीय पद, अथावत
बादवाले पद के ववशेष्य होने के कारण इस सिास िें उसकी प्रधानता रहती है।
जैसे – धमव का ग्रन्थ = धिवग्रन्थ
िाजा का कुमाि = राजकुिार
तुलसीदासकृत = तुलसीदास द्वारा कृत
इसिें कताव और संबोधन कारक को िोड़कर शेष ि: कारक धचन्हों का प्रयोग होता है। जैसे – किव कारक,
करण कारक, सम्प्रदान कारक, अपादान कारक, सम्बन्ध कारक, अधधकरण कारक इस सिास िें दस
ू रा पद
प्रधान होता है।

कमव तत्पुरुष – इसिें दो पदों के बीच िें किवकारक छिपा हुआ होता है। किवकारक का धचन्ह ‘को’ होता
है। ‘को’को किवकारक की ववभक्तत भी कहा जाता है। उसे किव तत्पुरुष सिास कहते हैं। ‘को’के लोप से
यह सिास बनता है।
जैसे – ग्रंथकाि = ग्रन्थ को मलखने वाला

किण तत्पुरुष – जहााँ पर पहले पद िें करण कारक का बोध होता है। इसिें दो पदों के बीच करण
कारक छिपा होता है। करण कारक का धचन्ह या ववभक्तत ‘के द्वारा’और ‘से’होता है। उसे करण तत्पुरुष
कहते हैं। ‘से’और ‘के द्वारा’के लोप से यह सिास बनता है।
जैसे – िाक्ममककिधित = वाल्िीक्रक के द्वारा रधचत

सम्प्प्रदान तत्पुरुष – इसिें दो पदों के बीच सम्प्रदान कारक छिपा होता है। सम्प्रदान कारक का धचन्ह
या ववभक्तत ‘के मलए’होती है। उसे सम्प्रदान तत्पुरुष सिास कहते हैं। ‘के मलए’ का लोप होने से यह
सिास बनता है।
जैसे – सत्याग्र = सत्य के मलए आग्रह

अपादान तत्परु
ु ष – इसिें दो पदों के बीच िें अपादान कारक छिपा होता है। अपादान कारक का धचन्ह
या ववभक्तत ‘से अलग’ होता है। उसे अपादान तत्पुरुष सिास कहते हैं। ‘से’का लोप होने से यह सिास

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बनता है।
जैसे – पथभ्रष्ट = पथ से भ्रष्ट

सम्प्बन्ध तत्पुरुष – इसिें दो पदों के बीच िें सम्बन्ध कारक छिपा होता है। सम्बन्ध कारक के धचन्ह
या ववभक्तत ‘का, ‘के, ‘की’होती हैं। उसे सम्बन्ध तत्पुरुष सिास कहते हैं। ‘का, ‘के, ‘की’आदद का लोप होने
से यह सिास बनता है।
जैसे – िाजसभा = राजा की सभा

अधधकिण तत्पुरुष – इसिें दो पदों के बीच अधधकरण कारक छिपा होता है। अधधकरण कारक का
धचन्ह या ववभक्तत ‘िें, ‘पर’होता है। उसे अधधकरण तत्पुरुष सिास कहते हैं। ‘िें’और ‘पर’का लोप होने से
यह सिास बनता है।
जैसे – जलसमाधध = जल िें सिाधध

नञ तत्पुरुष समास
इसिें पहला पद छनषेधात्िक होता है उसे नञ तत्पुरुष सिास कहते हैं।
जैसे –
असभ्य = न सभ्य असंभि = न संभव
अनाहद = न आदद अनंत = न अंत

3 कमवधािय समास
क्जस सिास का उत्तरपद प्रधान होता है, क्जसके मलंग, वचन भी सािान होते हैं। जो सिास िें ववशेषण-
ववशेष्य और उपिेय-उपिान से मिलकर बनते हैं, उसे किवधारय सिास कहते हैं।
किवधारय सिास िें व्यक्तत, वस्तु आदद की ववशेषता का बोध होता है। किवधारय सिास के ववग्रह िें ‘है
जो, ‘के सिान है जो’ तथा ‘रूपी’शब्दों का प्रयोग होता है।
जैसे – िन्रमुख – चन्रिा के सािान िुख वाला – (ववशेषता)
द ीिडा – दह िें डूबा बड़ा – (ववशेषता)
गरु
ु दे ि – गरु
ु रूपी दे व – (ववशेषता)
ििण कमल – किल के सिान चरण – (ववशेषता)
नील गगन – नीला है जो असिान – (ववशेषता)

4 द्विगु समास
द्ववगु सिास िें पूववपद संख्यावाचक होता है और कभी-कभी उत्तरपद भी संख्यावाचक होता हुआ दे खा जा
सकता है। इस सिास िें प्रयत
ु त संख्या क्रकसी सिह
ू को दशावती है, क्रकसी अथव को नह ं। इससे सिह
ू और
सिाहार का बोध होता है। उसे द्ववगु सिास कहते हैं।

जैसे – निग्र = नौ ग्रहों का सिूह शताब्दी = सौ अब्दों का सिूह


दोप ि = दो पहरों का सिाहार सप्तऋवष = सात ऋवषयों का सिूह
त्रत्रिेणी = तीन वेणणयों का सिूह त्रत्रकोण = तीन कोणों का सिाहार
पंितन्त्र = पांच तंत्रों का सिूह सप्ता = सात ददनों का सिूह
त्रत्रलोक = तीन लोकों का सिाहार

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ततिं गा = तीन रं गों का सिूह


ितुिेद = चार वेदों का सिाहार

द्विगु समास के भेद


1. सिाहारद्ववगु सिास
2. उत्तरपदप्रधानद्ववगु सिास

समा ािद्विगु समास


सिाहार का ितलब होता है सिुदाय, इकट्ठा होना, सिेटना उसे सिाहारद्ववगु सिास कहते हैं।
जैसे –
तीन लोकों का सिाहार = बत्रलोक
पााँचों वटों का सिाहार = पंचवट
तीन भव
ु नों का सिाहार = बत्रभव
ु न
उत्तिपदप्रधानद्विगु समास
इसका दस
ू रा पद प्रधान रहता है और पहला पद संख्यावाची। इसिें सिाहार नह ं जोड़ा जाता।
उत्तरपदप्रधानद्ववगु सिास दो प्रकार के होते हैं।
(1) बेटा या क्रिर उत्पन्न के अथव िें।
जैसे –
दो िााँ का =दि
ु ाता
दो सूतों के िेल का = दस
ु ूती।
(2) जहााँ पर सच िें उत्तरपद पर जोर ददया जाता है।
जैसे –
पांच प्रिाण = पंचप्रिाण
पांच हत्थड = पंचहत्थड

5 द्िंद्ि समास
इस सिास िें दोनों पद ह प्रधान होते हैं इसिें क्रकसी भी पद का गौण नह ं होता है। ये दोनों पद एक-
दस
ू रे पद के ववलोि होते हैं लेक्रकन ये हिेशा नह ं होता है। इसका ववग्रह करने पर और, अथवा, या, एवं
का प्रयोग होता है उसे द्वंद्व सिास कहते हैं। द्वंद्व सिास िें योजक धचन्ह (-) और ‘या’ का बोध होता
है।

जैसे – अन्न-जल = अन्न और जल


जलिायु = जल और वायु नि-नािी = नर और नार
अपना-पिाया = अपना या पराया गुण-दोष = गुण और दोष
पाप-पुण्य = पाप और पुण्य दे श-विदे श = दे श और ववदे श
िाधा-कृष्ण = राधा और कृष्ण

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द्िंद्ि समास के भेद


1. इतरे तरद्वंद्व सिास
2. सिाहारद्वंद्व सिास
3. वैकक्ल्पकद्वंद्व सिास

इतिे तिद्िंद्ि समास


वो द्वंद्व क्जसिें और शब्द से भी पद जुड़े होते हैं और अलग अक्स्तत्व रखते हों उसे इतरे तर द्वंद्व
सिास कहते हैं। इस सिास से जो पद बनते हैं वो हिेशा बहुवचन िें प्रयोग होते हैं तयोंक्रक वे दो या दो
से अधधक पदों से मिलकर बने होते हैं।
जैसे –
राि और कृष्ण = राि-कृष्ण
िााँ और बाप = िााँ-बाप
अिीर और गर ब = अिीर-गर ब
गाय और बैल = गाय-बैल
ऋवष और िुछन = ऋवष-िुछन
यहााँ ध्यान रखना चादहए क्रक इतरे तर द्वन्द्व िें दोनों पद न केवल प्रधान होते है, बक्ल्क अपना अलग-
अलग अक्स्तत्व भी रखते है।

समा ािद्िंद्ि समास


सिाहार का अथव होता है – सिूह। जब द्वंद्व सिास के दोनों पद और सिुच्चयबोधक से जुड़ा होने पर
भी अलग-अलग अक्स्तव नह ं रखकर सिूह का बोध कराते हैं, तब वह सिाहारद्वंद्व सिास कहलाता है।
इस सिास िें दो पदों के अलावा तीसरा पद भी िुपा होता है और अपने अथव का बोध अप्रत्यि रूप से
कराते हैं।
जैसे –
दालरोट = दाल और रोट
हाथपााँव = हाथ और पााँव
आहारछनंरा = आहार और छनंरा

िैकक्मपक द्िंद्ि समास


इस द्वंद्व सिास िें दो पदों के बीच िें या, अथवा आदद ववकल्पसूचक अव्यय छिपे होते हैं उसे
वैकक्ल्पक द्वंद्व सिास कहते हैं। इस सिास िें ज्यादा से ज्यादा दो ववपर ताथवक शब्दों का योग होता है।
इस सिास िें ववकल्प सूचक सिुच्चयबोधक अव्यय ‘वा’, ‘या’, ‘अथवा’ का प्रयोग होता है, क्जसका सिास
करने पर लोप हो जाता है।
जैसे –
पाप-पुण्य = पाप या पुण्य
भला-बुिा = भला या बुरा
थोडा-ब ु त = थोडा या बहुत

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6 ब ु ब्रीह समास
इस सिास िें कोई भी पद प्रधान नह ं होता। जब दो पद मिलकर तीसरा पद बनाते हैं तब वह तीसरा पद
प्रधान होता है। इसका ववग्रह करने पर “वाला, है, जो, क्जसका, क्जसकी, क्जसके, वह”आदद आते हैं, वह
बहुब्रीदह सिास कहलाता है।
दस
ू रे शब्दों िें– क्जस सिास िें पूववपद तथा उत्तरपद- दोनों िें से कोई भी पद प्रधान न होकर कोई अन्य
पद ह प्रधान हो, वह बहुव्रीदह सिास कहलाता है।
क्जस सिस्त-पद िें कोई पद प्रधान नह ं होता, दोनों पद मिल कर क्रकसी तीसरे पद की ओर संकेत करते
है, उसिें बहुव्रीदह सिास होता है। ‘नीलकंठ’, नीला है कंठ क्जसका अथावत मशव। यहााँ पर दोनों पदों ने
मिल कर एक तीसरे पद ‘मशव’ का संकेत क्रकया, इसमलए यह बहुव्रीदह सिास है।
इस सिास के सिासगत पदों िें कोई भी प्रधान नह ं होता, बक्ल्क पूरा सिस्तपद ह क्रकसी अन्य पद का
ववशेषण होता है।
जैसे –
गजानन = गज का आनन है क्जसका (गणेश) दशानन = दश हैं आनन क्जसके (रावण)
बत्रनेत्र = तीन नेत्र हैं क्जसके (मशव) चतुभुवज = चार भुजाओं वाला (ववष्णु)
नीलकंठ = नीला है कंठ क्जसका (मशव) पीताम्बर = पीले हैं वस्त्र क्जसके (कृष्ण)
लम्बोदर = लम्बा है उदर क्जसका (गणेश) चिधर= चि को धारण करने वाला (ववष्ण)ु

ब ु ब्रीह समास के भेद


1. सिानाधधकरण बहुब्रीदह सिास
2. व्यधधकरण बहुब्रीदह सिास
3. तल्
ु ययोग बहुब्रीदह सिास
4. व्यछतहार बहुब्रीदह सिास
5. प्राद बहुब्रीदह सिास

समानाधधकिण ब ु ब्रीह समास


इसिें सभी पद कताव कारक की ववभक्तत के होते हैं लेक्रकन सिस्त पद के द्वारा जो अन्य उतत होता है,
वो किव, करण, सम्प्रदान, अपादान, सम्बन्ध, अधधकरण आदद ववभक्ततयों िें भी उतत हो जाता है उसे
सिानाधधकरण बहुब्रीदह सिास कहते हैं।
जैसे –
प्राप्त है उदक क्जसको = प्रप्तोद्क
जीती गई इक्न्रयां हैं क्जसके द्वारा = क्जतेंदरयााँ
दत्त है भोजन क्जसके मलए = दत्तभोजन
छनगवत है धन क्जससे = छनधवन
नेक है नाि क्जसका = नेकनाि
सात है खण्ड क्जसिें = सतखंडा

व्यधधकिण ब ु ब्रीह समास


सिानाधधकरण बहुब्रीदह सिास िें दोनों पद कताव कारक की ववभक्तत के होते हैं लेक्रकन यहााँ पहला पद तो
कताव कारक की ववभक्तत का होता है लेक्रकन बाद वाला पद सम्बन्ध या क्रिर अधधकरण कारक का होता है,

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उसे व्यधधकरण बहुब्रीदह सिास कहते हैं।


जैसे –
शूल है पाणी िें क्जसके = शूलपाणी
वीणा है पाणी िें क्जसके = वीणापाणी

तम
ु ययोग ब ु ब्रीह समास
क्जसिें पहला पद ‘सह’ होता है वह तुल्ययोग बहुब्रीदह सिास कहलाता है। इसे सहबहुब्रीदह सिास भी
कहती हैं। सह का अथव होता है साथ और सिास होने की वजह से सह के स्थान पर केवल स रह जाता
है।
इस सिास िें इस बात पर ध्यान ददया जाता है की ववग्रह करते सिय जो सह दस
ू रा वाला शब्द प्रतीत
हो वो सिास िें पहला हो जाता है।
जैसे –
जो बल के साथ है = सबल
जो दे ह के साथ है = सदे ह
जो पररवार के साथ है = सपररवार

व्यतत ाि ब ु ब्रीह समास


क्जससे घात या प्रछतघात की सच
ु ना मिले उसे व्यछतहार बहुब्रीदह सिास कहते हैं। इस सिास िें यह प्रतीत
होता है की ‘इस चीज से और उस चीज से लड़ाई हुई।
जैसे –
िुतके-िुतके से जो लड़ाई हुई = िुतका-िुतकी
बातों-बातों से जो लड़ाई हुई = बाताबाती

प्रादी ब ु ब्रीह समास


क्जस बहुब्रीदह सिास पूववपद उपसगव हो वह प्राद बहुब्रीदह सिास कहलाता है।
जैसे –
नह ं है रहि क्जसिें = बेरहि
नह ं है जन जहााँ = छनजवन

------------------------------------------ अंति भाग 4 --------------------------------------------


कमवधािय औि ब ु व्रीह समास में अंति
इन दोनों सिासों िें अंतर सिझने के मलए इनके ववग्रह पर ध्यान दे ना चादहए। किवधारय सिास िें एक
पद ववशेषण या उपिान होता है और दस
ू रा पद ववशेष्य या उपिेय होता है। जैसे – ‘नीलगगन’ िें ‘नील’
ववशेषण है तथा ‘गगन’ ववशेष्य है। इसी तरह ‘चरणकिल’ िें ‘चरण’ उपिेय है और ‘किल’ उपिान है।
अतः ये दोनों उदाहरण किवधारय सिास के है।
बहुव्रीदह सिास िें सिस्त पद ह क्रकसी संज्ञा के ववशेषण का कायव करता है।
जैसे – ‘चिधर’ चि को धारण करता है जो अथावत ‘श्रीकृष्ण’।

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नीलकंठ – नीला है जो कंठ – (किवधारय)


नीलकंठ – नीला है कंठ क्जसका अथावत मशव – (बहुव्रीदह)
लंबोदर – िोटे पेट वाला – (किवधारय)
लंबोदर – लंबा है उदर क्जसका अथावत गणेश – (बहुव्रीदह)
िहात्िा – िहान है जो आत्िा – (किवधारय)
िहात्िा – िहान आत्िा है क्जसकी अथावत ववशेष व्यक्तत – (बहुव्रीदह)
किलनयन – किल के सिान नयन – (किवधारय)
किलनयन – किल के सिान नयन हैं क्जसके अथावत ववष्णु – (बहुव्रीदह)
पीतांबर – पीले हैं जो अंबर (वस्त्र) – (किवधारय)
पीतांबर – पीले अंबर हैं क्जसके अथावत कृष्ण – (बहुव्रीदह)

द्विगु औि ब ु व्रीह समास में अंति


Compound words in hindi – द्ववगु सिास का पहला पद संख्यावाचक ववशेषण होता है और दस
ू रा
पद ववशेष्य होता है जबक्रक बहुव्रीदह सिास िें सिस्त पद ह ववशेषण का कायव करता है। जैसे-
ितुभुवज – चार भज
ु ाओं का सिूह – द्ववगु सिास।
ितुभुवज – चार है भज ु ाएाँ क्जसकी अथावत ववष्णु – बहुव्रीदह सिास।
पंििटी – पााँच वटों का सिाहार – द्ववगु सिास।
पंििटी – पााँच वटों से छघरा एक छनक्श्चत स्थल अथावत दं डकारण्य िें क्स्थत वह स्थान जहााँ वनवासी राि
ने सीता और लक्ष्िण के साथ छनवास क्रकया – बहुव्रीदह सिास।
त्रत्रलोिन – तीन लोचनों का सिूह – द्ववगु सिास।
त्रत्रलोिन – तीन लोचन हैं क्जसके अथावत मशव – बहुव्रीदह सिास।
दशानन – दस आननों का सिूह – द्ववगु सिास।
दशानन – दस आनन हैं क्जसके अथावत रावण – बहुव्रीदह सिास।

द्विगु औि कमवधािय में अंति


(i) द्ववगु का पहला पद हिेशा संख्यावाचक ववशेषण होता है जो दस
ू रे पद की धगनती बताता है जबक्रक
किवधारय का एक पद ववशेषण होने पर भी संख्यावाचक कभी नह ं होता है।
(ii) द्ववगु का पहला पद ह ववशेषण बन कर प्रयोग िें आता है जबक्रक किवधारय िें कोई भी पद दस
ू रे पद
का ववशेषण हो सकता है। जैसे-
निित्न – नौ रत्नों का सिूह – द्ववगु सिास
िति
ु वणव – चार वणो का सिह
ू – द्ववगु सिास
पुरुषोत्तम – पुरुषों िें जो है उत्ति – किवधारय सिास
िततोत्पल – रतत है जो उत्पल – किवधारय सिास

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-------------------------------- ब ु विकमपी प्रश्न भाग 5 ------------------------------------


Q1. समास का शाक्ब्दक अथव तया ोता ै
A) संिेप
B) ववस्तार
C) ववग्रह
D) ववच्िे द
Answer (A)
Trick: सिास िें शब्दों को संिेप याछन िोटा क्रकया जाता है।
Q2. इन में से कौन सा अव्ययीभाि पद ै
A) गह
ृ ागत
B) आचारकुशल
C) प्रछतददन
D) कुिार
Answer (C)
Trick: पहला पद (प्रछत) है।
Q3. तनम्प्न में कौन सा कमवधािय समास ै
A) चिपाणी
B) चतुयुवगि
C) श्वेतांबर
D) िाता - वपता
Answer (C)
Trick: श्वेतांबर - श्वेत है जो अंबर
Q4. गजानन में कौन सा समास ै
A) द्वंद्व
B) बहूव्रीदह
C) तत्पुरुष
D) किवधारय
Answer (B)
Trick: गज जैसा आनन वाला (गणेश)
Q5. दे िासुि में कौन सा समास ै
A) बहूव्रीदह
B) किवधारय

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C) तत्परु
ु ष
D) द्वंद्व
Answer (D)
Trick: दे व और असुर एक दस
ू रे के ववलोि शब्द है।
Q6. िनगमन में कौन सा समास ै
A) बहूव्रीदह
B) द्ववगु
C) तत्पुरुष
D) किवधारय
Answer (C)
Trick: वनगिन - वन को गिन
Q7. पंितंत्र में कौन सा समास ै
A) किवधारय
B) बहूव्रीदह
C) द्ववगु
D) द्वंद्व
Answer (C)
Trick: पंचतंत्र - पााँच तंत्रों का सिूह
Q8. दे शभक्तत कौन सा समास ै
A) द्ववगु
B) तत्परु
ु ष
C) द्वंद्व
D) बहूव्रीदह
Answer (B)
Trick: दे शभक्तत - दे श के मलए भक्तत
Q9. कौन सा ब ू त्रब्र ी समास का उदा िण ै
A) छनमशददन
B) बत्रभुवन
C) नीलकंठ
D) परु
ु षमसंह
Answer (C)
Trick: नीला है कंठ क्जसका (मशव)
Q10. त्रत्रलोिन में कौन सा समास ै
A) अव्ययीभाव

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B) किवधारय
C) बहूव्रीदह
D) इनिे से कोई नह ं
Answer (C)
Trick: तीन आाँखों वाला (मशव)
Q11. िौिा ा में कौन सा समास ै
A) बहूव्रीदह
B) तत्पुरुष
C) अव्ययीभाव
D) द्ववगु
Answer (D)
Trick: चौराहा - चार राहों का सिूह
Q12. दशमुख में कौन सा समास ै
A) किवधारय
B) बहूव्रीदह
C) तत्पुरुष
D) द्ववगु
Answer (C)
Trick: दस हैं िुख क्जसके (रावण)
Q13. म ादे ि में कौन सा समास ै
A) तत्परु
ु ष
B) अव्ययीभाव
C) किवधारय
D) द्वंद्व
Answer (C)
Trick: िहादे व - िहान है जो दे व
Q14. विशेषण औि विशेष्य के योग से कौन सा समास बनता ै
A) द्ववगु
B) द्वंद्व
C) किवधारय
D) तत्परु
ु ष
Answer (C)
Trick: पहला पद ववशेषण तथा दस
ू रा पद ववशेष्य होता
Q15. ककस शब्द में द्विगु समास ै

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A) आजीवन
B) भद
ू ान
C) सप्ताह
D) परु
ु षमसंह
Answer (C)
Trick: सप्ताह - सात ददनों का सिाहार
Q16. ककसमें स ी सामालसक पद ै
A) पुरुषधन्वी
B) ददवाराबत्र
C) बत्रलोकी
D) िंत्रीपररषद
Answer (B)
Hide Answer
Q17. द्विगु समास का उदा िण ै
A) अन्वय
B) ददन - रात
C) चतुरानन
D) पंचतत्व
Answer (D)
Trick: पंचतत्व - पााँच तत्व

Hide Answer
Q18. इनमें से द्िंद्ि समास का उदा िण ै
A) पीताम्बर
B) नेत्रह न
C) चौराहा
D) रुपया-पैसा
Answer (D)
Trick: रुपया और पैसा
Q19. अव्ययीभाि समास का एक उदा िण यथाशक्तत का स ी विग्र तया ोगा
A) जैसी शक्तत
B) क्जतनी शक्तत
C) शक्तत के अनस
ु ार
D) यथा जो शक्तत

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Answer (C)
Trick: पहला पद (यथा) है।
Q20. पाप पुन्य में कौन सा समास ै
A) किवधारय
B) द्वंद्व
C) तत्पुरुष
D) बहूव्रीदह
Answer (B)
Trick: पाप और पुन्य
Q21. ितभ
ु वज
ु में कौन सा समास ै
A) द्वंद्व
B) द्ववगु
C) तत्पुरुष
D) बहूव्रीदह
Answer (D)
Trick: चतुभुवज - चार हैं भुजाएाँ क्जसकी (ववष्णु)
Q22. गंगाजल में कौन सा समास ै
A) अव्ययीभाव
B) तत्पुरुष
C) द्ववगु
D) बहूव्रीदह
Answer (B)
Trick: गंगाजल - गंगा का जल
Q23. म ात्मा में कौन सा समास ै
A) द्ववगु
B) किवधारय
C) तत्पुरुष
D) अव्ययीभाव
Answer (B)
Trick: िहात्िा - िहान है जो आत्िा
Q24. गुण ीन में कौन सा समास ै
A) तत्परु
ु ष
B) द्वंद्व
C) किवधारय

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D) द्ववगु
Answer (A)
Trick: गुणह न - गुणों से ह न

Q25. निग्र में कौन सा समास ै


A) द्ववगु
B) तत्पुरुष
C) द्वंद्व
D) किवधारय
Answer (A)
Trick: नव ग्रहो का सिूह

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समास Worksheet Answer Subject - Hindi Mark - 50


Q.1: ‘दे शांति’ में कौन-सा समास ै ?
(A) द्िंद्ि (B) तत्पुरुष (C) ब ु व्रीह (D) द्विगु

Q.2: ‘दशानन’ में कौन-सा समास ै ?


(A) तत्पुरुष (B) कमवधािय (C) ब ु व्रीह (D) द्विगु

Q.3: ‘िौिा ा’ शब्द में कौन-सा समास ै ?


(A) कमवधािय (B) द्िंद्ि (C) द्विगु (D) अव्ययीभाि

Q.4: ‘ततिं गा’ में कौन-सा समास ै ?


(A) द्िंद्ि (B) द्विगु (C) अव्ययीभाि (D) तत्परु
ु ष

Q.5: ‘दे ि जो म ान ै’ य ककस समास का उदा िण ै ?


(A) कमवधािय (B) ब ु व्रीह (C) तत्पुरुष (D) अव्ययीभाि

Q.6: ‘घुडदौड’ का समास-विग्र बताइए ?


(A) घोडे जैसी तेज़ दौड (B) घोडे की दौड (C) दौडने िाला घोडा (D) घोडा औि दौड

Q.7: “िाजपत्र
ु ” में कौन-सा समास ै ?
(A) तत्पुरुष (B) द्विगु (C) द्िंद्ि (D) कमवधािय

Q.8: क्जस समास का पूिवपद(प लापद) प्रधान ो, उसे कौन-सा समास क ते ै ?


(A) संबंध तत्पुरुष (B) कमवधािय (C) अव्ययीभाि (D) द्िंद्ि

Q.9: ‘योगदान’ में कौन-सा समास ै ?


(A) ब ु व्रीह (B) अव्ययीभाि (C) तत्पुरुष (D) कमवधािय

Q.10: तत्पुरुष समास के ककतने भेद ोते ै ?


(A) 4 (B) 10 (C) 8 (D) 6

Q.11: समास ककतने भेद ोते ै ?


(A) तीन (B) नौ (C) छः (D) आठ

Q.12: अगोिि में कौन-सा समास ै ?


(A) अव्ययीभाि (B) पंिमी तत्पुरुष (C) नञ ् तत्परु
ु ष (D) कमवधािय

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Q.13: मग
ृ नयन में कौन-सा समास ै ?
(A) तत्पुरुष (B) द्िंद्ि (C) कमवधािय (D) द्विगु

Q.14: यथाक्रम में कौन-सा समास ै ?


(A) कमवधािय (B) अव्ययीभाि (C) तत्पुरुष (D) द्विगु

Q.15: िाधा-कृष्ण में कौन सा समास ै ?


(A) द्िंद्ि (B) द्विगु (C) तत्पुरुष (D) अव्ययीभाि

Q.16: िनिास में कौन-सा समास ै ?


(A) द्िंद्ि (B) कमवधािय (C) अव्ययीभाि (D) तत्पुरुष

Q.17: पंििटी में कौन-सा समास ै ?


(A) द्िंद्ि (B) द्विगु (C) कमवधािय (D) तत्पुरुष

Q.18: अनायास में कौन-सा समास ै ?


(A) द्िंद्ि (B) द्विगु (C) कमवधािय (D) नञ ् तत्परु
ु ष

Q.19: िक्रपाणण में कौन सा समास ै ?


(A) अव्ययीभाि (B) तत्पुरुष (C) ब ु व्रीह (D) कमवधािय

Q.20: क्जस समास में उत्तिखंड प्रधान ो , ि समास तया क लाता ै ?


(A) अव्ययीभाि (B) तत्पुरुष (C) ब ु व्रीह (D) द्िंद्ि

Q.21: सप
ु रु
ु ष में कौन सा समास ै ?
(A) द्विगु (B) द्िंद्ि (C) कमवधािय (D) अव्ययीभाि

Q.22: साग-पात में कौन सा समास ै ?


(A) द्विगु (B) अव्ययीभाि (C) द्िंद्ि (D) कमवधािय

Q.23: दे िासुि में कौन सा समास ै ?


(A) तत्पुरुष (B) ब ु व्रीह (C) द्िंद्ि (D) कमवधािय

Q.24: दे शप्रेम में कौन सा समास ै ?


(A) तत्पुरुष (B) द्विगु (C) ब ु व्रीह (D) अव्ययीभाि

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Q.25: कन्यादान में कौन-सा समास ै ?


(A) तत्पुरुष (B) द्विगु (C) कमवधािय (D) द्िंद्ि
Q.26: ििन्नी में कौन सा समास ै ?
(A) द्विगु (B) द्िंद्ि (C) अव्ययीभाि (D) तत्पुरुष

Q.27: बज्रायुध में कौन सा समास ै ?


(A) द्विगु (B) द्िंद्ि (C) कमवधािय (D) ब ु व्रीह

Q.28: क्जस समास में दोनों खंड प्रधान ों, ि समास तया क लाता ै ?
(A) ब ु व्रीह (B) अव्ययीभाि समास (C) द्िंद्ि समास (D) तत्पुरुष समास

Q.29: घनश्याम में कौन सा समास ै ?


(A) द्िंद्ि (B) अव्ययीभाि (C) ब ु व्रीह (D) कमवधािय

Q.30: क्जस समास में दोनों खंड अप्रधान ो, ि समास तया क लाता ै ?
(A) द्िंद्ि (B) ब ु व्रीह (C) अव्ययीभाि (D) तत्पुरुष

Q.31: ििणकमल में कौन सा समास ै ?


(A) कमवधािय (B) द्िंद्ि (C) द्विगु (D) तत्पुरुष

Q.32: निोत्तम में कौन सा समास ै ?


(A) तत्पुरुष(अधधकिण तत्पुरुष) (B) कमवधािय (C) द्वितीया तत्पुरुष (D) तृतीया तत्पुरुष

Q.33: धिडीमाि में कौन सा समास ै ?


(A) ब ु व्रीह (B) कमवधािय (C) द्वितीया तत्पुरुष (D) अव्ययीभाि

Q.34: त्रत्रलोिन में कौन सा समास ै ?


(A) ब ु व्रीह (B) तत्पुरुष (C) द्िंद्ि (D) अव्ययीभाि

Q.35: मग
ृ ें र में कौन सा समास ै ?
(A) अव्ययीभाि (B) तत्पुरुष (C) द्िंद्ि (D) ब ु व्रीह

Q.36: प्रधानमंत्री में कौन सा समास ै ?


(A) अव्ययीभाि (B) ब ु व्रीह (C) तत्परु
ु ष (D) द्िंद्ि

Q.37: मत्ृ युंजय में कौन सा समास ै ?


(A) तत्पुरुष (B) ब ु व्रीह (C) अव्ययीभाि (D) द्िंद्ि

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Q.38: नििात्र में कौन सा समास ै ?


(A) तत्पुरुष (B) द्विगु (C) कमवधािय (D) ब ु व्रीह

Q.39: सप्तलसंधु में कौन सा समास ै ?


(A) द्विगु (B) तत्पुरुष (C) कमवधािय (D) ब ु व्रीह

Q.40: पंिमढी में कौन सा समास ै ?


(A) ब ु व्रीह (B) कमवधािय (C) द्विगु (D) तत्पुरुष

Q.41: िंरमुख में कौन सा समास ै ?


(A) द्विगु (B) तत्पुरुष (C) कमवधािय (D) ब ु व्रीह

Q.42: कनकलता में कौन सा समास ै ?


(A) द्विगु (B) कमवधािय (C) ब ु व्रीह (D) तत्पुरुष

Q.43: दे लता में कौन सा समास ै ?


(A) तत्परु
ु ष (B) ब ु व्रीह (C) द्विगु (D) कमवधािय

Q.44: पिमानंद में कौन सा समास ै ?


(A) तत्परु
ु ष (B) कमवधािय (C) ब ु व्रीह (D) द्विगु

Q.45: अनुरुप में कौन सा समास ै ?


(A) अव्ययीभाि (B) द्िंद्ि (C) द्विगु (D) कमवधािय

Q.46: प्रततकूल में कौन सा समास ै ?


(A) द्विगु (B) द्िंद्ि (C) कमवधािय (D) अव्ययीभाि

Q.47: करुणापूणव में कौन सा समास ै ?


(A) अव्ययीभाि (B) तत्पुरुष (C) कमवधािय (D) द्िंद्ि

Q.48: यज्ञशाला में कौन सा समास ै ?


(A) तत्पुरुष (B) द्िंद्ि (C) द्विगु (D) कमवधािय
Q.49: धन ीन में कौन सा समास ै ?
(A) द्विगु (B) द्िंद्ि (C) तत्पुरुष (D) कमवधािय
Q.50: पापमुतत में कौन सा समास ै ?
(A) तत्पुरुष (B) द्िंद्ि (C) ब ु व्रीह (D) कमवधािय

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समास Worksheet Answer Subject - Hindi Mark - 50


Q.1: ‘दे शांति’ में कौन-सा समास ै ?
(A) द्िंद्ि (B) तत्पुरुष (C) ब ु व्रीह (D) द्विगु

Q.2: ‘दशानन’ में कौन-सा समास ै ?


(A) तत्पुरुष (B) कमवधािय (C) ब ु व्रीह (D) द्विगु

Q.3: ‘िौिा ा’ शब्द में कौन-सा समास ै ?


(A) कमवधािय (B) द्िंद्ि (C) द्विगु (D) अव्ययीभाि

Q.4: ‘ततिं गा’ में कौन-सा समास ै ?


(A) द्िंद्ि (B) द्विगु (C) अव्ययीभाि (D) तत्पुरुष

Q.5: ‘दे ि जो म ान ै’ य ककस समास का उदा िण ै ?


(A) कमवधािय (B) ब ु व्रीह (C) तत्पुरुष (D) अव्ययीभाि

Q.6: ‘घुडदौड’ का समास-विग्र बताइए ?


(A) घोडे जैसी तेज़ दौड (B) घोडे की दौड (C) दौडने िाला घोडा (D) घोडा औि दौड

Q.7: “िाजपुत्र” में कौन-सा समास ै ?


(A) तत्परु
ु ष (B) द्विगु (C) द्िंद्ि (D) कमवधािय

Q.8: क्जस समास का पूिवपद(प लापद) प्रधान ो, उसे कौन-सा समास क ते ै ?


(A) संबंध तत्पुरुष (B) कमवधािय (C) अव्ययीभाि (D) द्िंद्ि

Q.9: ‘योगदान’ में कौन-सा समास ै ?


(A) ब ु व्रीह (B) अव्ययीभाि (C) तत्पुरुष (D) कमवधािय

Q.10: तत्पुरुष समास के ककतने भेद ोते ै ?


(A) 4 (B) 10 (C) 8 (D) 6

Q.11: समास ककतने भेद ोते ै ?


(A) तीन (B) नौ (C) छः (D) आठ

Q.12: अगोिि में कौन-सा समास ै ?


(A) अव्ययीभाि (B) पंिमी तत्पुरुष (C) नञ ् तत्पुरुष (D) कमवधािय

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Q.13: मग
ृ नयन में कौन-सा समास ै ?
(A) तत्पुरुष (B) द्िंद्ि (C) कमवधािय (D) द्विगु

Q.14: यथाक्रम में कौन-सा समास ै ?


(A) कमवधािय (B) अव्ययीभाि (C) तत्परु
ु ष (D) द्विगु

Q.15: िाधा-कृष्ण में कौन सा समास ै ?


(A) द्िंद्ि (B) द्विगु (C) तत्पुरुष (D) अव्ययीभाि

Q.16: िनिास में कौन-सा समास ै ?


(A) द्िंद्ि (B) कमवधािय (C) अव्ययीभाि (D) तत्पुरुष

Q.17: पंििटी में कौन-सा समास ै ?


(A) द्िंद्ि (B) द्विगु (C) कमवधािय (D) तत्पुरुष

Q.18: अनायास में कौन-सा समास ै ?


(A) द्िंद्ि (B) द्विगु (C) कमवधािय (D) नञ ् तत्पुरुष

Q.19: िक्रपाणण में कौन सा समास ै ?


(A) अव्ययीभाि (B) तत्पुरुष (C) ब ु व्रीह (D) कमवधािय

Q.20: क्जस समास में उत्तिखंड प्रधान ो , ि समास तया क लाता ै ?


(A) अव्ययीभाि (B) तत्पुरुष (C) ब ु व्रीह (D) द्िंद्ि

Q.21: सुपुरुष में कौन सा समास ै ?


(A) द्विगु (B) द्िंद्ि (C) कमवधािय (D) अव्ययीभाि

Q.22: साग-पात में कौन सा समास ै ?


(A) द्विगु (B) अव्ययीभाि (C) द्िंद्ि (D) कमवधािय

Q.23: दे िासुि में कौन सा समास ै ?


(A) तत्पुरुष (B) ब ु व्रीह (C) द्िंद्ि (D) कमवधािय

Q.24: दे शप्रेम में कौन सा समास ै ?


(A) तत्पुरुष (B) द्विगु (C) ब ु व्रीह (D) अव्ययीभाि

Q.25: कन्यादान में कौन-सा समास ै ?

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(A) तत्पुरुष (B) द्विगु (C) कमवधािय (D) द्िंद्ि


Q.26: ििन्नी में कौन सा समास ै ?
(A) द्विगु (B) द्िंद्ि (C) अव्ययीभाि (D) तत्पुरुष

Q.27: बज्रायध
ु में कौन सा समास ै ?
(A) द्विगु (B) द्िंद्ि (C) कमवधािय (D) ब ु व्रीह

Q.28: क्जस समास में दोनों खंड प्रधान ों, ि समास तया क लाता ै ?
(A) ब ु व्रीह (B) अव्ययीभाि समास (C) द्िंद्ि समास (D) तत्पुरुष समास

Q.29: घनश्याम में कौन सा समास ै ?


(A) द्िंद्ि (B) अव्ययीभाि (C) ब ु व्रीह (D) कमवधािय

Q.30: क्जस समास में दोनों खंड अप्रधान ो, ि समास तया क लाता ै ?
(A) द्िंद्ि (B) ब ु व्रीह (C) अव्ययीभाि (D) तत्पुरुष

Q.31: ििणकमल में कौन सा समास ै ?


(A) कमवधािय (B) द्िंद्ि (C) द्विगु (D) तत्परु
ु ष

Q.32: निोत्तम में कौन सा समास ै ?


(A) तत्परु
ु ष(अधधकिण तत्परु
ु ष) (B) कमवधािय (C) द्वितीया तत्परु
ु ष (D) तत
ृ ीया तत्पुरुष

Q.33: धिडीमाि में कौन सा समास ै ?


(A) ब ु व्रीह (B) कमवधािय (C) द्वितीया तत्पुरुष (D) अव्ययीभाि

Q.34: त्रत्रलोिन में कौन सा समास ै ?


(A) ब ु व्रीह (B) तत्पुरुष (C) द्िंद्ि (D) अव्ययीभाि

Q.35: मग
ृ ें र में कौन सा समास ै ?
(A) अव्ययीभाि (B) तत्पुरुष (C) द्िंद्ि (D) ब ु व्रीह

Q.36: प्रधानमंत्री में कौन सा समास ै ?


(A) अव्ययीभाि (B) ब ु व्रीह (C) तत्पुरुष (D) द्िंद्ि

Q.37: मत्ृ युंजय में कौन सा समास ै ?


(A) तत्पुरुष (B) ब ु व्रीह (C) अव्ययीभाि (D) द्िंद्ि

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Notes-Ausekar Sir 9403934459

Q.38: नििात्र में कौन सा समास ै ?


(A) तत्पुरुष (B) द्विगु (C) कमवधािय (D) ब ु व्रीह

Q.39: सप्तलसंधु में कौन सा समास ै ?


(A) द्विगु (B) तत्परु
ु ष (C) कमवधािय (D) ब ु व्रीह

Q.40: पंिमढी में कौन सा समास ै ?


(A) ब ु व्रीह (B) कमवधािय (C) द्विगु (D) तत्पुरुष

Q.41: िंरमुख में कौन सा समास ै ?


(A) द्विगु (B) तत्पुरुष (C) कमवधािय (D) ब ु व्रीह

Q.42: कनकलता में कौन सा समास ै ?


(A) द्विगु (B) कमवधािय (C) ब ु व्रीह (D) तत्पुरुष

Q.43: दे लता में कौन सा समास ै ?


(A) तत्पुरुष (B) ब ु व्रीह (C) द्विगु (D) कमवधािय

Q.44: पिमानंद में कौन सा समास ै ?


(A) तत्पुरुष (B) कमवधािय (C) ब ु व्रीह (D) द्विगु

Q.45: अनुरुप में कौन सा समास ै ?


(A) अव्ययीभाि (B) द्िंद्ि (C) द्विगु (D) कमवधािय

Q.46: प्रततकूल में कौन सा समास ै ?


(A) द्विगु (B) द्िंद्ि (C) कमवधािय (D) अव्ययीभाि

Q.47: करुणापूणव में कौन सा समास ै ?


(A) अव्ययीभाि (B) तत्पुरुष (C) कमवधािय (D) द्िंद्ि

Q.48: यज्ञशाला में कौन सा समास ै ?


(A) तत्पुरुष (B) द्िंद्ि (C) द्विगु (D) कमवधािय

Q.49: धन ीन में कौन सा समास ै ?


(A) द्विगु (B) द्िंद्ि (C) तत्पुरुष (D) कमवधािय
Q.50: पापमुतत में कौन सा समास ै ?
(A) तत्पुरुष (B) द्िंद्ि (C) ब ु व्रीह (D) कमवधािय

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Notes-Ausekar Sir 9403934459

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