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आरक्षण की आग में सुलगता दे श

किसी समाज अथवा जाति िो अगर अिममण्य अथवा तििम्मा बिािा


हो िो उसे बबिा िमम किये सुववधा प्रदाि िरिे जाइये। तिश्चिि ही एि समय िे
बाद अिममण्यिा एवं तििम्मापि उस जाति अथवा समाज में सवमत्र ददखाई दे गा।
भारि िी ववभाजििारी राजिीति िे आजादी िे बाद इस दे श और इसिे समाज
िो स्वावलम्बी बिािे िे बजाए अधधिाधधि संिीर्म एवं अिममण्य अवचय बिाया
है । जन्मिा जाति व्यवस्था िा दष्ु पररर्ाम इस दे श िो किििा िुिसाि पहुुँिायेगा
िहिा िदिि है । लेकिि इसिे िारर् जो सामाश्जि असमाििा फैली थी, उस
सामाश्जि असमाििा िो समाप्ि िरिे िे ललए स्विन्त्र भारि िे जो िैयारी और
िरिीबें तििाली उसिे यह खाई और बढ़ाई है । भारि िी जातिगि सामाश्जि
व्यवस्था िे दहन्द ू समाज में अपिे ही बन्धु-बान्धवों िे साथ श्जस प्रिार िा
व्यवहार किया उससे उबरिे िे ललए समाज में समिामूलि व्यवस्था लागू हो,
सामाश्जि रूप से अस्पचृ य और अछूि िहा जािे वाला यहाुँ िा बहुि बड़ा िबिा
अपिे िो समाज िी मुख्य धारा से जुड़ा हुआ महसूस िर सिे और गवम से इस
समाज और राष्र िा एि अलभन्ि अंग अपिे आप िो माि सिे , इसिे ललए
संववधाि में वके िे ललए आरदर् िी व्यवस्था दी गई थी। लेकि 01ि भारि िे
अन्दर सामाश्जि रूप से अछूि िहे जािे वाले श्जस िबिे िो सामाश्जि और
आधथमि रूप से समुन्िि बिािे िे ललए यह व्यवस्था िी गई थी, उसिी ईमािदारी
से िभी समीदा िहीं हुई। ईमािदारी से समीदा हुई होिी िो आरदर् िा यह
भयावह दृचय सामिे िहीं आिा। जब आरदर् िे साथ राजिीति ही जुड़ गई और
जब भी किसी अच्छे उद्देचय िे साथ राजिीति जड़
ु ग
े ी िो उसिा बंटाधार होिा ही
है । आरदर् िा लाभ प्रारम्भ में श्जसिे प्राप्ि किया, सामाश्जि और आधथमि रूप से
उसिे समुन्िि होिे िे बाद भी उसे ही यह लाभ प्राप्ि होिा गया। क्रीमीलेयर िी
बाि यहीं से शुरू भी होिी है । आरदर् िी जायजिाजायज माुँगों िी समीदा िे -
बजाए इसिा दायरा बढ़िा गया और बढ़ाया भी जा रहा है । सामाश्जि अथवा
आधथमि रूप से असयन्ि िमजोर िबिे िो आरदर् अथवा किसी भी प्रिार िी
सवु वधा प्रदाि िरिे िा ववरोध किसी िो िहीं है , लेकिि जब उि सवु वधाओं िो वह
व्यश्ति अथवा समुदाय ही तिगल जािा है जो पहले ही उस सुववधा से लाभाश्न्वि
हो िुिा है अथवा पहले से ही उसिी सामाश्जि और आधथमि श्स्थति बेहिर हो
िुिी है िो ववरोध स्वाभाववि भी है । यही िारर् है कि आजादी िे बाद आरदर्
प्राप्ि होिे वाले समद
ु ाय िे अन्दर भी एि िया समूह बि गया है जो पहले से ही
आरदर् िा लाभ पा रहा था वह ही आज भी लाभाश्न्वि हो रहा है ; जो वंधिि था
वह आज भी वंधिि है । दे खादे खी िरिे आज आरदर् िे दायरे में िमाम जातियों -
िे अपिे िो लािे िे ललए दहंसा िा मागम भी अपिािा प्रारम्भ िर ददया है ।
राजस्थाि िा गुजरम आि्दोलि इसी िड़ी िा दहस्सा है । सामान्य जातियों में
वपछड़ी जाति में शालमल होिे िी होड़, वपछड़ी जातियों में अिुसूधिि जाति अथवा
जिजाति में शालमल होिे िी होड़, भारि िी मािश
ृ श्ति िे अन्दर भी आरदर् पािे
िी प्रबल लालसा उन्हें स्वावलम्बी बिािे िे बजाए तया बिा रही है िहिा िदिि
है । लेकिि दे श िी ववभाजििारी राजिीति िे अपिे राजिीतिि स्वाथे िे ललए इस
दायरे िो बढ़ािे में िोई संिोि िहीं किया। आज इस खाई िो और भी िौड़ा
िरिे जहाुँ समाज में वगम संघकम िी श्स्थति पैदा िर ददया है वहीं इस आरदर् िे
दायरे िे संववधाि िी धश्जजयाुँ उड़ािे में भी िोई िोिाही िहीं बरिी। जब मजहबी
आरदर् िी माुँग िे ि िेवल जोर पिड़िा शरू
ु किया है अवपिु उसे िमाम राजय
सरिारें लागू िरिे िे ललए उिारू ददखाई पड़ रही हैं, िेन्र सरिार िे सच्िर
िमेटी गदिि िरिे इस िवायद िो और िेज किया है । आरदर् िा यह दायरा
किििा िुिसाि भारिीय प्रतिभाओं िा िरे गा िहा िहीं जा सििा। लेकिि यह
ससय है कि अगर इस राष्र िो स्वावलम्बी और शश्तिशाली बिािा है िो उसिा
उपिार आरदर् िहीं अवपिु राष्र िे प्रसयेि िागररि िी प्रतिभा िे अिरू
ु प
सम्माि दे िा ही हो सििा है ।

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