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भगवान कृ ण ारा दे वी गा के प का लभ वणन सेतु हनुमान

चुनना

हद श द

दे वी गा के नौ प का लभ वणन
भगवान कृ ण

उन पाठक के लए संग जो सेतु के लए नए ह भगवान हनुमान अमर ह। जंगल म तप या कर रहे संत के साथ वे हमेशा य संवाद म रहे ह ले कन क लयुग म पहली
बार उनक लीलाएं समाज क मु यधारा म प ंची ह। नीचे द गई घटना कु छ महीने पहले भगवान हनुमान ने मातंग को बताई थी जब वे उनसे मलने आए थे। यह घटना भगवान
हनुमान क क लयुग लीला का ह सा है जसे सेतु मा टस ारा समझा जा रहा है। इन लीला म सव ान अपने शु तम प म समा हत है वह ान जो वेद और पुराण जैसे
ाचीन ंथ से पछली कई शता दय म क गई गलत ा या और गलत अनुवाद के कारण गायब हो गया था।

महाभारत यु म जब सेना के दोन प कु े क भू म म आ गए थे मेरे भगवान कृ ण प म भगवान व णु ने मुझ से कहा हनुमान पांडव ने हमेशा अपने जीवन म
संघष कया है। उनके पछले ज म के कम ने उ ह हमेशा ख और पीड़ा द है। जैसा क म दे ख रहा ँ वे इस यु म भी अपने पछले कम के कारण परा जत होने जा रहे ह। यह
यु अब पांडव का यु नह रहा। यह संपूण मानव जा त के क याण के लए यु है। इस लए उनके पूरे अ त व को शु करने क आव यकता है ता क वे भा य से छु टकारा
पा सक और इस यु को जीत सक। उनके अ त व को शु करने के लए हम यु से पहले उनके लए नव गा पूज ा करने क आव यकता है

पूज ा म भगवान कृ ण ने सभी उप त लोग को बताया था क कै से दे वी गा पूरे अ त व को शु करने के लए प लेती ह


उ ह ने बताया

जब पानी म अशु याँ होती ह तो हम आसवन वा पीकरण और पानी के संघनन क या ारा इसे शु करते ह।
इसी कार दे वी गा एक के पूरे अ त व को अवशो षत कर सकती ह और इसे शु प म वापस छोड़ सकती ह।

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भगवान कृ ण ारा दे वी गा के प का लभ वणन सेतु हनुमान

कसी का अ त व जीवन समय के आयाम म फै ला आ है अतीत वतमान और भ व य। कसी के अतीत को शु करने के लए दे वी गा अपने पहले प
शैलपु ी चा रणी और चं घंटा लेती ह। वह अपने अगले प कु मांडा कं दमाता और का या यनी को कसी के वतमान को शु करने के लए लेती ह।
वह कसी के भ व य को शु करने के लए अपने अं तम प कालरा महागौरी और स दा ी लेती ह। इस कार का संपूण अ त व प व हो
जाता है।

अतीत क शु

हमारा अतीत मु य प से तीन चीज से बना है

बाहरी नया के बारे म हमारे पास जो याद ह हमने अतीत म जो कु छ भी अनुभव कया है उसक याद हमारे पास ह।
ले कन दे वी गा के शैलपु ी प म कोई याद नह ह जस तरह एक शैल च ान क कोई याद नह ह। इसके बजाय वह भ क याद को साफ करने का काम करती ह। बुरी याद
जैसे चोट धोखे आ द क याद के लए भा य लेक र आती ह।
इस लए उ ह ओ म बदल दया जाना चा हए।

बाहरी नया पर हम जो छाप छोड़ते ह अतीत म हमने जो भी ग त व ध क है उसक छाप हमने बाहरी नया पर छोड़ी है। अगर हमने अ े कम कए ह भले ही हम ऐसा
करते ए कसी ने नह दे ख ा हो ांड ने दे ख ा है और इसका आभास होता है। अगर हमने बुरे कम कए ह भले ही हम ऐसा करते ए कसी ने नह दे ख ा हो तो ांड ने दे ख ा
है और इसका आभास होता है। दे वी गा अपने चा रणी प म बाहरी नया से पूरी तरह से अलग ह।

वह बाहरी नया पर अपने वजूद क कोई छाप नह छोड़ती। इसके बजाय वह बाहरी नया पर हमारे ारा छोड़ी गई छाप को साफ करने का काम करती है। बुरे कम के सं कार
हमारे लए भा य लाते ह इस लए उ ह बदलने क ज रत है।

हमारा वभाव हम सभी का वभाव अ तीय होता है। दो अलग अलग लोग एक त पर दो अलग अलग तरीक से त या करते ह। हमारी कृ त हमारी चं रा श राशी
ारा शा सत होती है। दे वी गा अपने चं घंटा प म चं मा ारा शा सत नह ह। उसका एकमा वभाव हमारे वभाव को शु करना है।

वतमान क शु

हमारा वतमान चीज से बना है

सूचना क हम पर बमबारी हम बाहरी नया से व भ प म सूचनाएं ा त कर रहे ह काश क करण हम व तु के रंग और प दखाती ह व नय क तरंग हम
व तु क आवाज बताती ह गंध के कारण हम व तु क गंध आ द मलती है। यह जानकारी हमारे होने के तरीके को भा वत करती है। इस लए इसे शु करना चा हए। दे वी
कु मांडा नकारा मक सूचना के लैक होल कु मांडा क तरह काम करती ह। वह हम पर पेश क जा रही सभी नकारा मक सूचना को अवशो षत कर लेती है।

हमारी इं य ारा संसा धत क जा रही सभी जानकारी कभी कभी हम अ जानकारी मलती है ले कन हमारी इं याँ इसे गलत समझती ह। उदाहरण के लए कोई
अ सलाह दे ता है ले कन हम उस के बारे म हमारी इं य ारा रखे गए पूवा ह के कारण उसे मानने से इंक ार कर दे ते ह। जैसा क कहा जाता है पी लया त आंख को सब
कु छ पीला दखाई दे ता है। इस लए सूचना को समझने क हमारी मता को शु कया जाना चा हए। दे वी गा अपने कं दमाता प म उस कौशल कं द को शु करती
ह।

वतमान समय म वभाव वभाव को पशु प के संदभ म भी वग कृ त कया जा सकता है। उदाहरण के लए कभी कभी हम गाय क तरह शांत होते ह कभी कभी हम
ब ली क तरह बेचैन होते ह कभी कभी हम एक प ी क तरह वतं महसूस करते ह कभी कभी हम कु े क तरह वन महसूस करते ह और कभी कभी हम एक बैल क
तरह आ ामक महसूस करते ह और इसी तरह। दे वी गा अपने का यायनी प म हमारे वभाव को शु करती ह।

भ व य क शु

भ व य तीन चीज से बनता है

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भगवान कृ ण ारा दे वी गा के प का लभ वणन सेतु हनुमान

भ व य के बारे म डर भ व य के बारे म डर हम जैसे ह वैसे ही भा वत होते ह और भा य लाते ह। इस लए इनक शु करनी चा हए।


दे वी गा अपने कालरा प म हमारे नराधार भय को अवशो षत करने का काय करती ह।

भ व य के बारे म क पना और सपने य द हम क पना और सपन म ब त अ धक रहते ह तो यह हमारे भा य को भा वत करता है। दे वी गा अपने महागौरी प म हमारे
सपन को शु करती ह।

हमारे ारा कए गए काम के लं बत प रणाम कभी कभी हम सभी काम पूरी तरह से करते ह ले कन जब प रणाम आने का समय आता है तो चीज गलत हो जाती ह।
इस लए हमने जो कम कया है उसका फल शु होना चा हए। दे वी गा अपने स दा ी प म हमारे भ व य के उस ह से को शु करती ह।

सेतु क ट पणी ाचीन काल म ान पूज ा का मह वपूण ह सा था। इन दन ोक का उ ारण मा तीकवाद बनकर रह गया है। ान के बना पूज ा मन क अ ायी
शां त दे सकती है ले कन यह वां छत प रणाम नह दे ती है। हमसे पहले क कई पी ढ़यां म और अ ानता म मरी ह। हमारी पीढ़ भा यशाली है क हम सव ान अपने
शु तम प म वयं भगवान हनुमान से मला है। अपनी पूज ा को सफल बनाने के लए भगवान हनुमान क लीला के अ याय को पढ़।

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