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पश पाठ 7 झेन क दे न

- रव केलेवर

1. लेखक ने जापानय के दमाग म 'पीड' का इंजन लगने क बात #य कह% है ?


उ(तर:- जापानी लोग उ न त क होड़ म सबसे आगे ह इसलए लेखक ने जापा नय के दमाग म
!पीड का इंजन लगने क बात कह$ है ।

2. जापानी म चाय पीने क व,ध को #या कहते ह/?


उ(तर:- जापानी म चाय पीने क (व*ध को "चा-नो-यू" कहते ह िजसका अथ2 है - 'ट$-सेरेमनी' और
चाय (पलाने वाला 'चाजीन' कहलाता है ।

3. जापान म जहाँ चाय पलाई जाती है, उस थान क #या वशेषता है ?


उ(तर:- जापान म जहाँ चाय (पलाई जाती है, वहाँ क सजावट पार8प9रक होती है । :ाकृ तक ढं ग से
सजे हुए इस छोटे - से !थान म केवल तीन लोग बैठकर चाय पी सकते ह। वहाँ अ@य त शां त और
ग9रमा के साथ चाय (पलाई जाती है । शां त उस !थान क मुBय (वशेषता है ।

4. चाजीन ने कौन-सी 67याएँ ग9रमापूण ढं ग से पूर% क ?



उ(तर:- चाजीन ने ट$-सेरेमनी से जुड़ी सभी EFयाएँ ग9रमापूण2 ढं ग से क। यह सेरेमनी एक पण2कुट$
म पूण2 हुई। चाजीन Hवारा अ त*थय का उठकर !वागत करना ,आराम से अँगीठI सुलगाना, चायदानी
रखना, दस ू रे कमरे से चाय के बत2न लाना, उ ह तौलए से पछना व चाय को बत2न म डालने आद
क सभी EFयाएँ ग9रमापूण2 ढं ग अथा2त ् बड़े ह$ आराम से,अLछे व सहज ढं ग से क।

5. 'ट%-सेरेमनी' म 6कतने आद?मय को @वेश दया जाता था और #य?


उ(तर:- ट$-सेरेमनी म केवल तीन ह$ लोग को :वेश दया जाता है ताEक वहाँ शां त बनी रहे । इसका
कारण यह भी है Eक MयिNत भागदौड़ से भर$ िज दगी से दरू कुछ पल अकेले Oबताये और साथ ह$
जहाँ इंसान भत
ू काल और भ(वPयकाल क *चंता से मN
ु त हो कर वत2मान म जी पाए। अ*धक
आदमय के आने से शां त के !थान पर अशां त का माहौल बन जाता है इसलए यहाँ तीन ह$
लोग के :वेश क अनुम त है ।

6. चाय पीने के बाद लेखक ने वयं म #या प9रवतन महसूस 6कया?


उ(तर:- चाय पीने के बाद लेखक ने महसूस Eकया Eक जैसे उनके दमाग क ग त मंद पड़ गई हो।
धीरे -धीरे उसका दमाग चलना भी बंद हो गया यहाँ तक Eक उ ह कमरे म पसरे हुए स नाटे क
आवाज़ भी सुनाई दे ने लगीं। उ ह लगा Eक मानो वे अनंतकाल से जी रहे ह। वे भूत और भ(वPय
दोनR का *चंतन न करके वत2मान काल म जी रहे हो।
7. लेखक के ?मC ने मान?सक रोग के #या-#या कारण बताए? आप इन कारण से कहाँ तक सहमत
ह/?
उ(तर:- लेखक के मS ने मानसक रोग का मुBय कारण अमे9रका से आ*थ2क : त!पधा2 को बताया
िजसके प9रणाम!वTप दे श के लोग एक मह$ने का काम एक दन म करने का :यास करते ह । इस
कारण वे शार$9रक व ् मानसक Tप से बीमार रहने लगे ह। लेखक के ये (वचार स@य ह NयEक
शर$र और मन मशीन क तरह काय2 नह$ं कर सकते और यद उ ह ऐसा करने के लए (ववश Eकया
तो मानसक संतल
ु न Oबगड़ जाना !वाभा(वक है ।

8. लेखक के अनुसार स(य केवल वतमान है , उसी म जीना चाहए। लेखक ने ऐसा #य कहा होगा?
पGट क िजए।
उ(तर:- लेखक के अनुसार स@य वत2मान है । उसी म जीना चाहए। हम अNसर या तो गुजरे हुए दन
क बात म उलझे रहते ह या भ(वPय के सपने दे खते ह और इस तरह भूत या भ(वPय काल म
जीते ह। असल म दोन काल मWया ह। हम जब भूतकाल के अपने सुख एवं दख
ु  पर गौर करते ह
तो हमारे दख
ु बढ़ जाते ह। भ(वPय क कYपनाएँ भी हम दख
ु ी करती ह NयEक हम उ ह पूरा नह$ं
कर पाते। जो बीत गया ,वह स@य नह$ं हो सकता। जो अभी तक आया ह$ नह$ं ,उस पर कैसे
(वZवास Eकया जा सकता है । वत2मान ह$ स@य है NयEक वह हमारे सामने घटत हो रहा है । वत2मान
ह$ स@य है , उसी म जीना चाहए।

9. हमारे जीवन क रIतार बढ़ गई है । यहाँ कोई चलता नह%ं बिKक दौड़ता है । कोई बोलता नह%ं,
बकता है । हम जब अकेले पड़ते ह/ तब अपने आपसे लगातार बड़बड़ाते रहते ह/।
उ(तर:- इस पंिNत का आशय यह है Eक जापान के लोग के जीवन क ग त इतनी ती\ हो गई है
Eक यहाँ लोग सामा य जीवन जीने क बजाए असामा य होते जा रहे ह। जीवन क भाग-
दौड़,Mय!तता तथा आगे नकलने क होड़ ने लोग का चैन छIन लया है । हर MयिNत अपने जीवन
म अ*धक पाने क होड़ म भाग रहा है , इसी कारण वे तनावपूण2 जीवन Mयतीत करते ह।

10. सभी 67याएँ इतनी ग9रमापूण ढं ग से क ं 6क उसक हर भं,गमा से लगता था मानो जय -


जयवंती के सुर गँुज रहे ह।
उ(तर:- इस पंिNत का आशय यह है Eक चाय परोसने वाले ने अपना काय2 इतने सल$के से Eकया
मानो कोई कलाकार बड़ी ह$ त मयता से सरु म गीत गा रहा हो।

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