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Videha 392
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विदे ह ३९२ म अं क १५ अप्रै ल २०२४ (िर्ष १७ मास १९६ अं क ३९२)
[विदे ह (since 2000) ISSN 2229-547X VIDEHA (since 2004) www.videha.co.in ]
मै धथिी भाषा जगज्जननी सीतायााः भाषा आसीत् । हनुमन्द्ताः उक्तिान- मानुषीधमह सं स्कृताम् ।
अनुक्रम
ऐ अं कमे अथि:-
२.गद्य
२.१.प्रो दमन कुमार झा- ने पािमे मै धथिी नाटकक विकास आ परर ाम (पृ.
२१-३४)
२.९.अरविन्द्द गुप्ता- केदार िािूाः दीघा जीिन यािा, महान उपिस्ब्ि (पृ. ९९-
१०५)
३.पद्य
खण्ड एक
प्रत्यक्ष
= https://plato.stanford.edu/archives/sum202
0/entries/gangesa/ ]
४९.
जीिे
दे िानन्दद पञ्जी ३०=५ िादनसाँ उपायकारक म.म. पा. िद्धष मान सुताि
खण्डिलासाँ विश्वनाथ सुत त्रशिनाथ पत्नी गं गेश- म.म. िद्वषमान/
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सुपन/ हररशम्मष
मुन्ना जी
श्यामानन्द िौधरी
ऐ नूतन सने स ले ल आभार।
वनममला किम
बहुत नीक उपन्दयास बनल अचि हार्दिक बधाई अपने के।
२.गद्य
मल्लिं शीय राजा लोकवन स्ियं नािकक रिना करै त िलाह।आ हुनक
शासन कालमे से हो विपुल मािा मे नािक रिल गे ल , जे मै चथलाक्षर
आ ने िारी भार्ामे उपलब्ध अचि। लगभग डे ढ़ सय िर्ष धरर ने पालमे
मै चथली नािकक ले खन आ मं िन होइत रहल। नािकक कथानक
पौराणणक रहै त िल । मं िन विशे र् अिसर पर वनयचमत रूपसाँ कयल
जाइत िल। एवह नािक सभमे सम्िाद आ गीत मै चथलीमे रहै त िल ,आ
मं िीय वनदे श ने िारीमे कहल जाइत िल।
मल्ल नरे शक समयमे ने पाल मै चथली नािकक स्िर्णिम काल िल। मुख्य
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भक्तपुर िा भातगां ि
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मै चथली सावहत्य ओ सावहत्यकार केँ सं रक्षण दे वनहार ने पालक ई प्रमुख
राज्य चथक। एवहठाम पवहल मै चथली नािक विद्याविलाप विश्वमल्ल क
आदे श साँ रिल गे ल ,जकर अत्रभनय राजसभाक समक्ष भे ल िल। एवह
समय धरर सं स्कृत - प्राकृचत भार्ा आमजन साँ दूर भ रहल िल।
सं स्कृत- प्राकृचत लोक केँ बुझय मे कदठन भ गे ल िलै क।आन जनभार्ा
केँ सावहत्त्यक मयाषदा प्राप्त नवह भे ल िलै क। पररणामत मै चथली
वनबाषध रूपेँ बढ़ै त गे ल।
ओकर बाद मै चथलीक महान उन्दनायक भे लाह राजा जगज्ज्योचतमषल।
वहनक त्रलखल आ समयक प्रमुख नािक चथक - हरगौरीवििाह नािक,
मुददतकुिलयाश्व नािक, कं ु जविहार नािक।
एकर बाद वहनक पौि मै चथलीक सिाषचधक से िा कयलवन। वहनक
त्रलखल िओ गोि नािक प्रभाितीहरण नािक, नलीय नािक,
मलयगं चधनी नािक, उर्ाहरण नािक ,पाररजातहरण नािक, मूलदे ि
शत्रशदे िोपाख्यान नािक ने पालक राष्रीय अत्रभले खागार मे सुरणक्षत
अचि।
वहनक पश्चात णजताचमि मल्लक समयमे िओ गोि नािक त्रलखल गे ल।
मदालसाहरण नािक, बरूचथनीहरण नािक, कालीय मथनोपाख्यान
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काष्न्दतपुर िा काठमां डू
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नरें रमल्लक समयमे रामायण नािक ओ महाभारत नािक त्रलखल गे ल।
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लत्रलतपुर िा पािन
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एवहठाम हररश्चं रनृत्यम नािक त्रलखल गे ल, जकर प्रकाशन सन्दत
अगस्िस कोनरे डी जमषवनसाँ 1891 ई मे प्रकात्रशत करबाओल।
(मै चथली लोकनायक विस्तृत अध्ययन एिं विश्ले र्ण , महें र मलं वगया
पृ 57।)
हुनक एवह कृत्य साँ ष्नू दे शक सम्बन्दध केँ जोरगर झिका लगलै क। जे
दूध पावन सं ग मीत्रल गे ल िल , से एकाएक फावि गे ल।
एकर बाद िीर शमशे र राणाक शासन आयल।वहनक शासन कालमे
पुन सां स्कृचतक ििा चििक' लगल। वहनक दरबारमे भरतीय नािक
आ नृत्यक प्रभाि बढ़ लागल। गीत, सं गीत ,नृत्य आ नािकक विकास
भे ल।वहनक समयमे ने पालमे पै घ सं गीत सम्मे लन भे ल, जे सं गीतक सं ग
सं ग नािकक क्षे िमे पै घ हलिल उत्पन्दन कयलक। लगभग सभ दरबार
नाि गान आ नािकक अत्रभनय स्थल भ गे ल।बिी हसीना आ िोिी
हसीना ,जे भारतीय िलीह से ओवहठाम खूब यश प्रचतिा अर्जित
कयलवन।
अणजत कु मार झा
विकास सचमचत
खरीदनाहर नवह । केओ नवह िाहै त िलचथ जे हुनकर मे हनत केर कमाई
पावन मे ित्रल जाइक। अवह िीरान जलमग्न इलाका मे वकनको
भविष्यक कोनो सं भािना नवह नजर आवब रहल िलवन। समय
पररितषनशील िै क आ पररितषन प्रकृचत केर वनयम िै क आ जे समय
केर गचत केँ समणझ जाइत अचि िै ह त्रसकन्ददर कहाइत अचि।
समय केँ गचत बूझय िाला लोग सब आपदा केँ अिसर मे कोनो
पररिर्तित कैल जाइत िै क तावह कला मे वनपुण होइत िचथ आ ओ सब
जाग्रत भे लाह। शहरी करण केर दौि शुरु भे ल आ गाि िृक्ष सब बे धिक
किाय लागल। डबरा आ खत्ता सब केँ के पूिय बिका बिका पोखरर
सब मे से हो मावि भराय लागल। दे खखते दे खखते महानगर िाला खे ला
सब अवह ठाम से हो शुरु भ' गे ल। शहर मे जमीन खरीदबाक बे गरता
लोग सब केँ बुझाय लगलवन। कागज पर प्लािक नक्शा बनय लागल
आ सगरो प्रॉपिी डीलर सब कुकुरमुत्ता जाँ का उवग आयल। जावह जमीन
केँ लोग माविक मोल नवह ले बय िाहै त िलचथ तकर दाम से हो दे खखत
दे खखते आकाश ठे कय लागल। एक तरहें गामक जमीन बे चि शहर मे
जमीन खरीदबाक जे ना उजावह उदठ गे लै।
हम जावह आदशष लोक कॉलोनी केर कथा कवह रहल िलहुाँ ओहो अही
दौि मे आकार ले बय लागल िल। ओवह समय एकर नामकरण नवह
भे ल िलै मुदा वकिु त' नाम रहले हे तैक जे हमरा नीँक जाँ का नवह बूझल
अचि। खै र ओकर कोन प्रयोजन जे लोग एकरा खजुरबन्दनी कहै त िलै
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अपन एकिा िोि चिन बसे रा ठाढ़ करबाक वििार मोन मे जोर मारय
लागल। अवह वििार केँ मूतषरूप दे बाक उपक्रम मे लावग गे लहुाँ । सं योग
साँ होम लोन से हो भे वि गे ल त' गृह वनमाषण केर कायष जोर पकवि ले लक
आ एक ददन अपन घर मे प्रिे श करबाक शुभ मुहूतष से हो आयल। आब
एकरा माया कवहयौ अथिा वकिु आओर मुदा ई त' सत्य िै क जे अपना
साँ वनमाषण कराओल घर मे प्रिे श करबाक अनुभूचत वनस्सं देह सुखद
होइत िै क। अवह कॉलोनी केर नामकरण हमरा आबय साँ लगभग दू
बरख पवहनहे भ' िुकल िल। हाँ आदशष लोक कॉलोनी एकर नाम पिल
िल। लगभग आधा साँ बे सी कॉलोनी बत्रस िुकल िल। जे सब शुरु मे
आयल िलचथ हुनका सब केँ बड्ड तपस्या करय पिल िलवन। सिक
कच्िी िलै आ बरसात मे लगभग डााँ ि भरर पावन लागल रहै त िलै ।
धीरे धीरे लोग सब मावि आ िाउर भरबा क' कहुना िलय लायक रास्ता
बनाबय मे सफल भे ल िलाह। वबजली केँ पोल नवह िलै त' कहुना
बााँ स बल्लाक सहारा साँ तार घीचि क' आनल गे ल िल। एत्तह महानगर
िाला प्लान कैल प्लाहििग थोिबे होइत िै क। एत्तह त' बस कहुना मावि
भरर क' जमीन बे िल गे ल िल। वबजली, पानी एिं सिक सन बुवनयादी
सुविधाक हे तु लोग दौिै त रहय। जे ना जे ना लोग गृह वनमाषण करै त गे लाह
अवह कॉलोनीक क्रचमक विकास होइत गे ल। हमर गृह प्रिे श साँ पूिष एत्तह
सिक पर खरं जा भ' गे ल िल। गृह प्रिे शक उपरां त पवहल राचत हमरा
मोन मे डर पै त्रस गे ल जे कहीं हमर मकानक पिबररया वहस्सा पोखरर
मे नवह भात्रस जाय। पिबररया खखिकी साँ हमर सबहक िौक पर
अिच्छस्थत अवह शहरक नामी वगरामी विद्यालय सोझे दे खाई पिै त िल।
बुझु जे पोखरर केँ एक वकनार पर हमर घर आ दोसर वकनार पर ओ
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मीवडया त' कोनो िीज केँ तते क न' भयािह रुप मे दे खबै त अचि जे
लोग सब डे रायल िल आ सबहक मनोबल िू वि रहल िलै । वनत्य एहन
अने को घिना केर िणषन भे िैत िल जावह साँ बुणझ ओिै त िल जे
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मानिता कलं वकत भ' रहल अचि। अवह बात केँ पूणषरूपे ण नकारल त'
नवह जा सकैत िल मुदा पूणषतया स्िीकार करबा योग्य से हो नवह िल।
अवह बातक अनुभूचत हमरा तखन भे ल जखन हम स्ियं कोरोनाक िपे ि
मे अयलहुाँ । हमर सबहक अवह आदशष लोक कॉलोनी मे सं भित हमहीं
प्रथम व्यक्क्त िलहुाँ जे वक कोरोना पाःणजिीि घोवर्त भे ल िलहुाँ । हम
अपन समस्त पररचित केँ अवह बातक सूिना अचत शीघ्र व्हाि् स एप्प पर
शे यर क' दे लहुाँ तावक जे भी हमरा सं पकष मे िलचथ से अपन जााँ ि करबा
सकचथ। ररपोिष अवबते हम अपन जरुरत केँ वकिु सामान आ ले खन
सामग्री ल' क' अपन एकिा कमरा मे कैद भ' गे लहुाँ । हाँ अपन मोबाइल
आओर िाजषर ले नाइ आखखर कोना वबसरर सकैत िलहुाँ ? लगभग पन्दरह
ददन हम एकान्दत िास मे रहलहुाँ मुदा पररिारक सब सदस्य आ
काःलोनी िासी हमरा एक पल केँ ले ल एकान्दत मे नवह रहय दे लवन।
लगातार फोनक माफषत सब हमर हौसला बढ़बै त रहलवन। जे बाजार केँ
तरफ जाइथ से एक बे र हमरा सब साँ पूचि लै त िलचथ जे कोनो समान
मं गाबय के अचि वक नवह? आखखर हम कोना कहू जे मानिता खत्म भ'
रहल अचि। हमर कॉलोनी मे बहुत गोिा कोरोना साँ पीवित भे लाह मुदा
सब एक दोसर केर सहारा बनल रहलाह। कहबा मे हमरा कवनको
ष्विधा नवह भ' रहल अचि जे विपत्रत्तक अवह क्षण मे से हो हमरा सुखद
अनुभूचत होइत रहल। समय िाहे सुख केर होउक अथिा ष् ख केर
सबहक एकिा समय सीमा होइत िै क। आम जन जीिन धीरे धीरे पिरी
पर आबय लागल। जान माल केँ जे क्षचत भे लैक तकर सही जानकारी
भे िनाइ त' मुत्श्कल अचि मुदा एकिा बात यथाथष िै क जे मानि समाज
केँ बहुत वकिु त्रसखा क' गे ल कोरोना।लाःक डाउन त' खत्म भे ल मुदा
बहुत ठाम खास क' आइ िी से क्िर मे िकष फ्रॉम होम केर कल्िर जे
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बीि अखखल विश्व जावह िासदी केर सामना कयलक से वकनको साँ
िु पल नवह अचि। कमोबे श सब गोिे अवह साँ प्रभावित भे लहुाँ । ईश्वर केर
कृपा साँ अपन सबहक कॉलोनी मे कोनो ते हन सन ष्खद घिना नवह
घिल। अवह भीर्ण िासदी साँ त्रशक्षा ले ब बहुत जरुरी अचि, विशे र् रुप
साँ स्ििता केँ ल' क'। एहन मे कॉलोनीक विकास साँ जुिल कायषक
वनष्पादन हे तु एकिा विकास सचमचत बनबाक िाही।" अते क सुवनते
उपच्छस्थत जन समूह कतषल ध्िवन साँ अपन सहमचत जनौलवन। दू िारर
गोिे और अवह सभा केँ सं बोचधत कयलवन आ प्रोफेसर साहे ब केँ सुझाि
पर अपन सहमचत जनौलवन। पवहने त' एकिा सचमचत केर गठन भे ल
जावह मे अध्यक्ष, सचिि, कोर्ाध्यक्ष एिं अन्दय पााँ ि गोि नितुररया अवह
सचमचत मे रहय तावह पर सहमचत बनल। सिषसम्मचत साँ कॉलोनीक एक
िररि सदस्य प्रोफेसर साहे ब केँ अध्यक्ष, एकिा नियुिक केँ सचिि आ
बैं क मे कायषरत शमाष जी केँ कोर्ाध्यक्ष बनाओल गे ल आ सं गवह पााँ ि
िा नियुिक केँ से हो सहयोगक हे तु ओवह सचमचत मे राखल गे ल।
उपच्छस्थत लोकवन आ निगदठत सचमचत केर सहयोग साँ सचमचतक वक्रया
कलापक विर्य मे विस्तृत ििाषक उपरान्दत वनम्न वबन्दष् पर सहमचत बनल
:-
1. घरक कूिा किरा पोत्रलचथन मे भरर क' कोनो भी खाली प्लाःि,
नाली अथिा यि-ति-सिषि नवह फेकल जाय। नगर वनगम साँ किरा
उठाबय िाला जे गािी अबै त अचि तावह मे राखल जाय।
2. पानी िं की केर पाईप , ित एिं बरामदा साँ पानी सिक पर नवह
खसाओल जाय।
3. परमाने न्दि िाहन पार्किग सिक पर नवह कैल जाय। बे र कुबे र गली
साँ वनकलय मे काफी कष्ट केर सामना करय पिै त िै क। कोनाें तरहें
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आदशष लोक कॉलोनी केर विकास सचमचत अपन कायष मे पूणष उत्साह
साँ लावग गे लाह। मात्रसक शुल्क जमा होबय लागल। घरे घरे जा क'
सबकेँ जागरुक करबाक अत्रभयान शुरु भे ल। िाडष पार्षद केर सहयोग
साँ नगर वनगम केर कमषिारी साँ सं पकष कैल गे ल आ किरा उठाि िाला
गािी अपन कॉलोनी मे वनयचमत रूप साँ आबय लागल। नाली सबहक
सफाई करबाओल गे ल आ ब्लीचििग पािडर केर चििकाि भे ल।
नियुिक सबहक मे हनत रं ग लावब रहल िल मुदा अवगला बै सार साँ दू
ददन पूिष प्रोफेसर साहे ब व्हाि् स एप्प ग्रुप पर सचमचतक अध्यक्ष पद साँ
त्याग पि पोस्ि कय सब केँ अिं त्रभत कय दे लवन। वकनको वकिु समझ
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अवह केर उपरान्दत बै सार खत्म भे ल मुदा व्हाि् स एप्प ग्रुप पर घाें घाउज
शुरु भ' गे ल आ सााँ झ होइत होइत प्रोफेसर साहे ब आ अन्दय िारर गोिे
अवह ग्रुप साँ विदा ले लवन। कहबाक प्रयोजन नवह जे ओ सब गोिे
जातीयता केर आधार पर भे द भाि केर आरोप लगा क' अपना आप
केँ अलग थलग क' ले लवन। नबका अध्यक्ष महोदय अथाषत् मास्िर
साहे ब सब गोिे साँ भेँ ि कय समझाबय केर प्रयास त' कयलवन मुदा
सफलता नवह भे िलवन। आदशष लोक कॉलोनी मे भे दभाि केर बीज
अं कुररत होबय लागल। फेर वकिु गोिे ग्रुप िोिलवन। अवह बे र ओ
व्यक्क्त लोकवन िलचथ णजनका घरक ित, बरामदा अथिा पानी िं की
साँ पावन सिक पर खसै त िल। एक तरहें दूगोला भ' गे लै। णजनका
सुधार कायष हे तु िोकल जाइत िल िै ह ग्रुप िोवि दै त िलचथ। गजब
तमासा ित्रल रहल िल। ददन राचत उकिा पैं िी होइत रहै त िल मुदा
सचमचतक नियुिक सब दृढ़तापूिषक पररच्छस्थचतक सामना करै त अपन
लक्ष्य प्रात्प्त ले ल सतत् प्रयास करै त रहलाह। सबहक सोि एक समान
त' भ' नवह सकैत िै क। वकिु गोिे अपन पाइप सिक पर साँ हिबा ले ने
िलचथ। साल भरर मे विकास सचमचत द्वारा बहुत रास काज भे ल।
वबजली विभाग साँ पोलक आिं िन त' भ' गे ल मुदा आपसी तनातनी
केर कारण एकरा लगबाबय मे तीन वडवबया ते ल जिल। एक गोिा अपन
घरक दीिाल के सामने पोल गािय पर आत्म दाह केर धमकी तक द'
दे लवन। अन्दत मे एकिा पोल वबजली विभाग िापस ल' जाय ले ल मजबूर
भे ल। पग पग पर बाधा िल मुदा सचमचत सं घर्ष करै त रहल आ
समझबूझ केँ साथ सतत् आगू बढ़ै त रहल। कॉलोनी मे नबका
रान्दसफामषर से हो लागल आ सं गवह पोल पर िै पर लाइि लावग गे ल।
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सचमचतक सदस्य सब केँ अवह साँ न'ब ऊजाष भे िलवन आ हुनकर सबहक
अथक प्रयास साँ कॉलोनीक सिक पास भ' गे ल मुदा सिक ढ़लाई केर
समय एकिा अलगे समस्या ठाढ़ भ' गे ल। नाला वनमाषण ले ल गड्ढा केर
कोन तरफ साँ काज शुरु कैल जाय तावह पर वििाद भे ल आ विभागीय
जााँ ि केर आदे श आवब जाय केर कारण काज शुरु होबय मे विलम्ब भे ल
मुदा खुशी केर गप्प जे कहुना काज शुरु भे ल। आब प्रकृचत अपन रूप
दे खौलक आ सप्ताह भरर जचम क' बरखा होइत रहल। खरं जा उखिल
िल। नाला ले ल गड्ढा खोदल िल आ गली सब मे भरर ठे हुन पावन जमा
भ' गे ल िल। काज बाचधत भे ल से अलग च्छस्थचत कुल चमला क'
नारकीय भ' गे ल िल। लगभग एक महीना बाद पुन: कायष शुरू भे ल।
नाला वनमाषण केर बाद सिक पर मावि भराई केर काज भे ल। सिक
ढ़लाई ले ल आब सोसलिग िाला काज शुरू भे ल आ दठकेदार मै िेररयल
खसायब शुरु कैलक। एक ददन मजूर आ मसीन ल' क' ढ़लाई केर
काज शुरू करबाक ले ल दठकेदार उपच्छस्थत भे ल मुदा दोसर गुि अिं गा
लगा दे लक आ ओवह ददन काज शुरू नवह भ' सकल। दोसर ददन से हो
िै ह च्छस्थचत बनल आ काज शुरू नवह भ' सकल। विकास सचमचत बै सार
कैलक आ भारी सं ख्या मे लोग सब जुिल आ नगर वनगम िाला जुवनयर
इं जीवनयर आ ठे केदार साँ कहल गे ल जे या त' काज शुरु करु अन्दयथा
मै िेररयल आ अपन तामझाम हिा क' हमर सबहक सिक खाली करु।
ई धमकी कारगर रहलै एिं अवगला ददन सचमचत ओ मोहल्ला िासी केर
उपच्छस्थचत मे ई शुभ कायष शुरु भे ल। धीरे धीरे काज अपन रफ्तार
पकिलक। आरोप प्रत्यारोप से हो िलै त रहलै । मनुक्खक स्िभाि होइत
िै क जा ओकर मोन लायक बात करै त रवहयौ त' अहााँ साँ नीँक केओ
नवह आ जाैँ ठााँ वह पठााँ वह सत्य बाणज ददयौ त' फेर अहााँ सन अधलाह
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लाल दे ब कामत
लघुकिा- पं िबे दीमे धवनयां / नन्द विलास राय जीक पवहल कृचत:
सखारी-पे टारी
शमषनाक विर्यके पकिै त कोनू ओकर अपे णक्षत केँ पााँ िसय एकािन
िाकाके जाचमनी बनय दे खय िाहै त रहय। से गरे श गिौिी भे ला आ
धनाईजी सीताराम केँ अपना ददस साँ अढाई सय िाका क्षचतपुर्ति दै त
अपन वििारधारा केर मजरौिी बढे लक। बालगोविन फेर समय साँ ढौआ
नवह दै त १५ ददनक ओरो समयके मोहल्लत मां गलक। आब ताँ पाँ िके
मुख्य लोक पर ग्रामीण सब दिाब बनौलक जे कोनू सािषजवनक काज
दण्ड के पाय साँ हुअय ,से णजनका लग जते क पाउना अचि से तते क
रात्रश अवबलम्ब बैं क कोर्मे जम्मा करी। आब धवनयााँ क सुिादक सं ग
गाममे सिषहारा िे तना जावग गे लैक।
नि ले खनक नाम पर एम्हर वकिु काज हुअय लागल अचि। वकिु एहन-
रहन रिनाकार लोकवन प्रगि भे लाह अचि जे अपन त्रलखल अपने िा
बुझैत िचथ, आनाें बुझय तकर परिाह नवह करै त रजनी सजनी करै ि।
तावहके विपरीत एकिा एहन हस्ताक्षर जे सौभाग्यिस विविध अनिु अल
विर्य पर अपन कलम िलौलवन अचि। एकिा नि मै चथली पोथी रिना
जगतमे " सखारी-पे िारी" केर धमक सुनल गे ल हन् । एवहबीि
सावहत्यसे िी श्री नन्दद विलास जीक मै चथली भार्ा मेँ पोथी 'कथा सं ग्रह
' केर सगर राचत दीप जरय वनमषली कायषक्रममे पोथी लोकापषण भे ल य।
ऐ पोथीक पवहल प्रकाशन २०१३ ई०मे भे ल रहय,जकर पुन: सं स्करण
पल्लिी प्रकाशन साँ २०२४ मे भे ल अचि। एवह पोथीमे १२१ गोि पृि िै ,
जकर वकमत भारू० दूसय िाका िै । शव्दक पररचध अनुसारे एवहमे वकिु
58 || विदे ह (since 2000) ISSN 2229-547X VIDEHA (since 2004) www.videha.co.in
नि ले खनक नाम पर एम्हर वकिु काज हुअय लागल अचि। वकिु एहन-
रहन रिनाकार लोकवन प्रगि भे लाह अचि जे अपन त्रलखल अपने िा
बुझैत िचथ, आनाें बुझय तकर परिाह नवह करै त रजनी सजनी करै ि।
तावहके विपरीत एकिा एहन हस्ताक्षर जे सौभाग्यिस विविध अनिु अल
विर्य पर अपन कलम िलौलवन अचि। एकिा नि मै चथली पोथी रिना
जगतमे " सखारी-पे िारी" केर धमक सुनल गे ल हन् । एवहबीि
सावहत्यसे िी श्री नन्दद विलास जीक मै चथली भार्ा मेँ पोथी 'कथा सं ग्रह
' केर सगर राचत दीप जरय वनमषली कायषक्रममे पोथी लोकापषण भे ल य।
ऐ पोथीक पवहल प्रकाशन २०१३ ई०मे भे ल रहय,जकर पुन: सं स्करण
पल्लिी प्रकाशन साँ २०२४ मे भे ल अचि। एवह पोथीमे १२१ गोि पृि िै ,
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जकर वकमत भारू० दूसय िाका िै । शव्दक पररचध अनुसारे एवहमे वकिु
लघुकथा आ िे सी दीघष कथा दे खल जाईि,मुदा प्रकाशक वबहै न कथा
कवह रहलाह अचि। वबहै न कथाके एक गररमा कम शव्दक होईि से
नवह बुझाइि। सब कथा समाजमे अपन आभा अनुसारे सं देश दै त
दे खाएल गे ल िै क। ग्रामीण क्षे िमे बे िी'क वियाह-दद्वरागमनमे
विदाएकाल वकिु सं ियन कयल बौस्त सखारीमे सां ठल जाइत िै क। ई
सखारी-पे िारी ग्रामीण लघु कलाके से हो प्रतीक िी, जे त्रसकी - मूइज
साँ बनै त िै क। एवहके बीनयमे तरह- तरहके पीढ़ी दर पीढ़ी साँ चििकारी
सीखै त चमचथलामे धरोहर रूपेँ सहे जने अचि ललना सब। से आजुक
िात्रलका लोकवन लुरर वबसरल ित्रल जा रहल िै क। चमचथला पें हििग आ
हस्त त्रशल्प कला रूपें एवह पौराणणक पै घ पौतीकेँ वबनबाक लुरर अक्षु ण्ण
राखल आ सहे जबाक आिश्यकता अचि। जीिनोपयोगी िस्तुजात
ओररयाउन करै त धीयाक माय अपन मनोरथ पूर करय ले ई एकिा
खुशीक प्रतीक से हो प्रदर्शित करै ि। तावह सखारी-पे िारी मेँ प्रो०
हररमोहन झा 'क िर्िित कृचत कन्दयादान ओ दद्वरागमन "पोथी सिणष
समाज सां ठैत रहय,सयह प्रिृत्रत्त केँ सिषहारा समाजक बे िी वियाहमे
आब सखारी-पे िारी 'क जगह रं क िा बिका काठक बाकसमे सां ठ-
उसार कयल जाईि *सखारी-पे िारी मेँ । एवह पोथीके कथाकार अपना
पररिे शमे आ जीिनमे भोगल व्यथा केँ खखस्सा बनाकय पाठकगण बीि
परसलवन हन। वहनक भार्ा शै ली से हो वनिि दे हाती य ,जावहमे दे शज
शब्दक नीक विन्दयास कयल दे खाईत अचि। वबहै न कथा -, लघुकथा साँ
बढ़ै त अने को कथा स्तरीय त्रलख िुकल िचथ-रायजी। आओर कते को
विधामे मै चथली पोथी से हो वहनक पल्लिी प्रकाशन वनमषली साँ िवप
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गोपाल मास्िर जी ,जे तानु भाय बवहनके युशनो पढ़े ने रहचथन ;जीतन
जीक आकच्छस्मक वनधनके खबे र सबके दै त तीलयुगा नदीक किे रमे
अं चतम सं स्कार िादमे पक्की भोजक आयोजन थे तो भे लैक। मास्िर
जीक कहबके प्रत्युत्तरमे सुकल हाथजोवि कहलकैन -" नै गुरूदे ि,हम
दूनू भााँ ई बाबूजीक असल बे िा नै िी। हम सब बाबूजीक से िा िहल
कहााँ केत्रलऐन। हमरा सभक हाथक एक वगलास पावनयाेँ कहााँ भे िलवन
बाबूजीकेँ । असल बे िा ताँ हमर बवहन सुकनी आ बहनोई शं करजी
िचथन। जे बाबूजीकेँ से िा सुश्रुर्ा केलखखन।" रायजी अपन नि रिनाक
तीनगोि पोथी मै चथली भार्ा मेँ आरो त्रलख रहलाह िचथ। एक वहन्ददीमे
से हो पुस्तक वनमाषण केर योजना बना रहलाह हन। सावहत्य अकादमी
धरर वहनक पोथीक पहुाँ ि भे ल रहय। शुभ कामना रहत।
-लाल दे ब कामत मो० ७६३१३९०७६१
-6-
"ओ!"
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"अहााँ के िी?"
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" मुदा हमर ताँ वकिु करू । अहााँ ताँ अपन लोक िी । अहााँ नवह
मदचत करब ताँ के करत? वपतासाँ बवढ़ कए के भए सकैत अचि?" । "
"महाकाल!
"एेँ !"
"आओर के करत?"
-7-
कुदब ? अपन हालपर अपने हाँ सी लावग रहल अचि। एक मोन कहै त
अचि-
"बे कारक बहस नवह करू। की पुिबाक अचि से बाजू नवह ताँ
फेर ई मौका नवह भे ित?"
-8-
"अहााँ के िी?"
"अहााँ के िी?"
"से वकएक?"
-9-
"अहााँ के िी?"
"अन्दतदृषचष्ट"
"से की भे लैक।"
"कारण?"
"तखन?"
"तखन की?"
" से वकएक?"
-10-
"तखन की करी?"
अधिः पतन
फेर उठलै नहहि। बूिही अथबल आ बौक ..... िावहयो कs साईत वकिु
कs नहहि पाओल हे तै आ अहुाँ चिया कावि कs अं तत ओहो प्राण त्यावग
दे ने हे तै। फ्लै ि सs सिाईन ष्गषन्दध पसरलै तखन पिोसी पुत्रलस के
बजे लकै आ पुत्रलस केबाि तोवि ष्नू नर-कंकाल बहार केलकै।
कनडे ररये हमरा ददस तावक नूनू अपना घर ददसका बाि पकिलक ते
हम अकिकाके खूब जोरसे िोकार मारत्रलयै - त्रसताहल नवढ़या जकााँ
मूहाँ िु पाके वकए भागल जाइ िेँ रे नुनुिााँ ! ओहो तुरुचिके खूब जोरसे
गारर पढ़ै त कहलक -गााँ ..मा .. स्स ःा.. सब के ! रखै जाइ जो अपन
दोस्ती यारी !! ने नाढ़ो बे ल तर जे ती,ने बे लक मारर भिा भि खे ती !
-आखखर भे लौए की से ते कह !
-भोरे भोर बजा के कतौ लाल चमरिाइक बुकनी चमलौल शरित वपयौल
गे ल ए ते कतौ नोनगरहा िाह ! तहू से ही नै भरलै भोलिा कवनयााँ के ते
भै ररयो वगलास झौिा ने िो गाररके वपया दे लक ।उपरे परान रवह गे ल
।एमहर नात्रभसे ल के लोल तकक लहै र आ ओमहर बकररक वकदै न
जकााँ मुहाँ केने केने प्रान आिन्दन भ' गे ल ।आब तूाँ की करै ले बजबै िेँ
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?
- ओह.. ! ओ सब आइ अप्रैल फूल बनौलकौ तोरा ,हम माि भात
खुएबौ ! जे सप्पत खुिालेँ । हाँ सैत बाजल गोनू ।
२
त्लक त्लक (लघुकिा)
प्रिि कु मार झा
पोथी केर विर्य-िस्तु के मोि मोि तीन िगष मे हम िगीकृत करय िाहब
: - i) श्री गजे न्दर आ श्रीमती प्रीचत ठाकुर केर पाररिाररक जीिन के
गाथा आ ओय सब से जुिल सं स्मरण आदद। ii) ऐ सावहत्यकार द्वय
के द्वारा मै चथली सावहत्य एिं मै चथल सं स्कृचत के द्योतक कागजात
सबहक अनुिाद आ वडणजिाईजे शन के अचत महत्िपूणष काज मे योगदान
आ ओकर यािा केर गाथा आ iii) सावहत्यकार द्वय द्वारा कैल गे ल
काज सबहक विर्य जे ना पं जी प्रणाली आदद सं बष्न्दधत विर्य सब पर
आले ख आ ििाष ।
भौचतक रूप से से हो पोथी नीक बनल अचि। पोथी केर किर पे ज, एकर
कागत केर क्िात्रलिी, फॉण्ि, फॉण्ि साइज़, मुख्य आिरण आ पृि पे ज
केर रं ग सं योजन, वडज़ाइन, फॉरमे ि आदद नीक गुणित्ता के बनल अचि
जे पाठक के हाथ मे ल क पढ़े मे एकिा सुखदगर अनुभि कराबय िै क।
पोथी डॉि कॉम के एकरा ले ल सराहना कैल जा सकय अचि। पुन ऐ
पोथी ले ल श्री आशीर् अनचिन्दहार जी, श्री गजे न्दर ठाकुर जी आ श्रीमती
प्रीचत ठाकुर जी के खूब रास बधाई।
अरविन्द गुप्ता
केदार बाबूिः दीघम जीिन यात्रा, महान उपलब्ब्ध
वनखश्चत रूपें दीघष जीिन यािा, महान उपलच्छब्ध। प्रभात फाउं डे शनक
मुकेश जी हमरा फोन कयलवन आ ष्खद समािार दे लवन जे हमर चप्रय
मै चथली ले खक केदार बाबू नवह रहलाह। ई खबरर अप्रत्यात्रशत नवह
िल, वकएक ताँ ओ विगत वकिु बखषसाँ दमासाँ पीवित िलाह, जावह
कारणे हुनका ले ल घरसाँ बाहर वनकलब मुत्श्कल भऽ गे ल िलवन। मुदा
हमरा ले ल ई समािार विनाशकारी िल। दरभं गा णजलाक ने हरा
गाममे 3 अप्रैल, 1936 केँ जन्दमल श्री केदार नाथ िौधरी 2 अप्रैल,
2024क सााँ झ 88 िर्षक आयुमे अपन शरीर िोवि दे लवन। ई घिना
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कोनो सावहत्य प्रेमीक ले ल ष्खद अचि। हुनका बाद हुनक पररिारमे िृद्ध
पत्नी श्रीमती कुमुद िौधरी आ दूिा बे िी क्रमश वकरण आ अिषना
िचथन। ममता गाबय गीत मै चथली भार्ाक पवहल िलचिि
चथक। सं गे ६ िा उपन्दयास से हो ओ त्रलखलवन। हमर पररिय श्री केदार
नाथ िौधरी जी साँ भे ल जखन हम लहररयासरायमे रवह रहल िलहुाँ ।
जखन ओ अपन पवहल उपन्दयास िमे लीरानीक सृजन
कयलवन, ओ 2004मे एकरा प्रकात्रशत करबाक ले ल ददल्ली आवब
गे लाह। एवह पुस्तकमे राज्यक राजनीचतमे नै चतक पतनक ििाष कयल
गे ल अचि। हमर िोि भाय दीपक ने शनल बुक रस्िमे वहन्ददी सम्पादक
िचथ; तेँ ओ सभ हुनका साँ भेँ ि करबाक ले ल हमर घर अयलाह। दीपक
हुनका कहलकवन जे ई पुस्तक एन. बी. िी. द्वारा प्रकात्रशत नवह होयत।
हाँ , यदद ओ िाहै त िचथ ताँ राष्रीय पत्रिका 'साक्षी भारत' क प्रकाशक
आ प्रधान सम्पादक बि भाइ सावहब अरविन्दद गुप्ताजी अपन पुस्तक
प्रकात्रशत कऽ सकैत िचथ। हुनका ई 'प्रस्ताि' पत्रसन्दन पिल। जखन
हमरा कहल गे ल ताँ हमरा से हो एकिा कुलीन व्यक्क्तक से िा करबामे
खुशी भे ल आ हम राजी भऽ गे लहुाँ । पुस्तक तै यार कयल गे ल आ अन्दतमे
प्रकात्रशत भे ल। हमरा सभ लग तखन आइएसबीएन से हो नवह िल, तेँ
ई पुस्तक वबना आइएसबीएनके िपायल गे ल िल। लोकसभ वकताब
लऽ ले लवन आ तेँ सं योगसाँ हम प्रकाशक से हो बवन गे लहुाँ ।
दू साल बाद 2006 मे हुनकर दोसर वकताब करार आयल। ई एकिा
अलग भािसाँ त्रलखल गे ल पुस्तक िल। उपन्दयास, जे जीिनक
दाशषवनक पक्षकेँ उजागर करै त अचि, सामान्दय पाठकक ले ल ददलिस्प
नवह भऽ सकैत अचि, मुदा गं भीर पाठकसभ एकर सराहना केलवन।
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ले ल युिा सभक सं घर्षक कथा एवह पुस्तकमे बड्ड रोिक रूपसाँ अं वकत
अचि। एवह पुस्तकक कथा ई अचि जे एक ददन मै चथली-चमचथलाक से िा
करै त काल एवह युिक सभकेँ कोना 'अबारा' घोवर्त कयल गे ल िल।
एवह उपन्दयासक अन्दत धरर वकिु तथाकचथत मै चथली से िकक दोहरा
िररि पर अहााँ व्यं ग्यात्मक भािसाँ भरर जायब।
केदार बाबूक ले खनक जादू आब साधारण पाठक िगषकेँ पार कऽ
त्रशणक्षत ले खक आ सम्पादक सभ धरर पहुाँ िल। कोलकातासाँ प्रकात्रशत
पत्रिका चमचथला दशषनक सम्पादक श्री रामलोिन ठाकुर हुनका अपन
पत्रिका ले ल एकिा धारािावहक उपन्दयास त्रलखबाक आग्रह कयलवन।
केदार बाबूक धारािावहक उपन्दयास 'हीना' आब हुनक पत्रिका मे
प्रकात्रशत होबऽ लागल। ई पुस्तक हुनक प्रिासक अनुभि पर आधाररत
अचि जखन उपन्दयासक नाचयका सै न फ्रां त्रसस्कोसाँ वबहारक एकिा िोि
गाममे अबै त िचथ। जखन एवह पुस्तकक प्रकाशनक बात आयल तखन
ले खक हमरा स्मरण कयलवन। हीनाक पवहल सं स्करण 2013 मे
प्रकात्रशत भे ल िल। दोसर ददस 'अबारा नवहतन' लोकचप्रयताक सभ
सीमा पार कऽ रहल िल। दरभं गा के हुनकर बहुत रास डॉक्िर दोस्त, जे
मै चथली वकताब पवढ़कऽ थवक गे ल िलाह, हुनका ई वकताब वहन्ददी मे
उपलब्ध कराबय के आग्रह केलवन। जखन ई खबरर हमरा लग आयल
तखन हम तुरन्दत अनुजित कुमार पररमल द्वारा एकर वहन्ददीमे अनुिाद
करौने िलहुाँ आ 2013मे ई पुस्तक से हो प्रकात्रशत कयलहुाँ आ एवह
तरहेँ वहन्ददी पाठकसभक णजज्ञासा शां त भे ल। पुस्तक 'अबारा
नवहतन' क मै चथली सं स्करण िपायल गे ल आ दोसर सं स्करण से हो
ओही साल प्रकात्रशत भे ल। एवह बीि, मै चथली भार्ाक ले ल राष्रीय
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वकिु मे लागल रही। ओ ष्नू बे कती आपसमे बहुत नीक मै चथलीमे गप्प-
सप्प करचथ। एवह बातसाँ हम बहुत प्रभावित भे लहुाँ । असलमे ओ सभ
झं झारपुरक लगीिक गामक रहचथ, मुदा कैक सालसाँ ददल्लीमे रहै त
िचथ। गाममे बहुत पै घ घर बनओने िचथ। तकरा हे तु रखबार रखने
िचथ। गामपर बाबू रहै त िचथन एसगरे । माए वकिु साल पूिष पिपन
सालक बएसमे मरर गे लखखन। हुनका बे र-बे र एवह बातक हे तु ष्ख प्रकि
सुवनअवन जे ओ अपन माएकेँ नवह बिा सकलचथ। कुल-चमला कए
हमरा ओ सभ बहुत नीक लोक बुझेलचथ। हम हुनकर प्रशं सा केत्रलअवन।
तकर बाद ताँ ओ सहवि कए हमरे लग बै त्रस गे लचथ। हमरा रे नमे बहुत
कम वनन्दन भे ल। आखखर जे ना-ते ना राचत वबतल, भोर भे ल। हमर
सहयािी हमर सददखन ध्यान रखने रहचथ। बे र-बे र पुिचथ- "कोनो काज
होअए ताँ कहब।"
दोसर ददन साढ़े नओ बजे हमसभ दरभं गा िीसनपर पहुाँ चि गे ल
रही। ओवहठामसाँ आिोसाँ थोिबे कालमे पीिीसी अचतचथगृह पहुाँ िलहुाँ ।
अचतचथगृहक रखबार बीरुकेँ फोन केलहुाँ । ओ तुरंत उपच्छस्थत भए गे ल।
सूि नं बर तीनकेँ खोत्रल दे लक। हम अपन सामानसभ ओवहमे रखबे लहुाँ ।
यद्यवप ओ कोठरी पुरान सन लगै त िल, मुदा ओवहमे सभ सुविधा िल।
एसी, िीभी, मिरदानी लागल सुसञ्ज्जत पलं ग, कुसी िे बुल, सोफा।
मोन गद-गद िल। बीरुकेँ ओवहठामक भोजनाददक व्यिस्थाक बारे मे
पुित्रलऐक। ओ कहलक-"हमरा एवहसभक जनतब नवह अचि। अपने
सं जयजीसाँ िा सहायक वनदे शकजीसाँ गप्प कए त्रलअ। ओएहसभ वकिु
कहताह।"हम सं जयजीसाँ गप्प केलहुाँ । तकर बाद सहायक वनदे शकजी
से हो भे िलाह। हुनकासाँ जानकारी भे िल जे ओवहठाम प्रत्रशक्षु लोकवन
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अचि। कतहु केओ नवह िल। मं ददरमे ताला लागल िल। कवह नवह
ओवहमे पूजा होइतो अचि वक नवह? कनीके फिकी िोिसन त्रशि मं ददर
से हो दे खाएल। ई मं ददर सभ कवहआ बनल, के बनओलचथ, ितषमानमे
एना उजरल-उपिल वकएक अचि से नवह बुणझ सकलहुाँ ।
शां चतपूिषक हुनकर बाि तकैत रहलहुाँ । तकर बाद हुनका ताकए लगलहुाँ ।
आखखर ओ गे लाह कतए? तकैत-तकैत िारूकात घुचम गे लहुाँ । िाहन
िालक कारमे िापस जाए लगलाह। तखन हुनका बामा कात एकिा
िोिकी मं ददरमे पूजा करै त दे खलहुाँ । हुनका दे खखतवह हम चिकरलहुाँ । ओ
हमरा ददस नवह तकलाह। तकर बादो ओ आन-आन मं ददरसभमे पूजा
करै त रहलाह। तखन कएले की जा सकैत िल? कारमे जा कए बै त्रस
गे लहुाँ आ धै यषपूिषक हुनकर प्रतीक्षा करए लगलहुाँ । पन्दरह बीस चमनि
आर ओवहना रहलहुाँ वक हहाइत-फुफाइत तमसाएल सुरेन्दरजीकेँ अबै त
दे खलहुाँ -
"एही ले ल हम ककरो सं गे महादे िक पूजा हे तु नवह जाइत िी।
पूजामे ताँ समय लवगते िै क।"
कवपले श्वरसाँ वनकत्रल थोिबे कालक बाद गाम पहुाँ िलहुाँ । पता
लागल जे शल्लुजीक ओवहठाम ब्राह्मण भोजन शुरु भए गे ल अचि।
तुरंत ओवहठामसाँ भोजन हे तु गे लहुाँ । दरबाजापर िे बुल -कुसी लागल
िल। लोकसभ सुविधानुसार भोजन करै त िलाह। हमहूाँ सभ भोजन हे तु
िे बुल-कुसीपर बै सलहुाँ । िूरा-दही, तरकारी, रसगुल्ला, गुलाबजामुन
खाइत-खाइत थावक गे लहुाँ । तइओ सभ वकिु नवह सठा सकलहुाँ ।
पातपर बहुत वकिू िु वि गे ल। भोजन समात्प्तक बाद तामक
लोिा, डोपिा वबदाइमे भे िल। ओहीक्रममे सालाें बाद कैक तरहक गप्प-
सप्प भे ल, कैकगोिे साँ भें ि भे ल। फेर अपना ओवहठाम आवब पाररिाररक
ििाषमे भाग ले लहुाँ । आब सााँ झ पररतए। िापस वबदा भे लहुाँ दरभं गा।
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वबदा हे बासाँ पूिष भगितीकेँ प्रणाम केलहुाँ आ सात बजे अपन डे रापर
थाकल-झमारल पहुाँ चि गे लहुाँ ।
२२ मािष २०२४। आइ हमर यािाक पााँ िम ददन िल। आइ दरभं गे
रहबाक िल। अजुका प्रमुख कायषक्रममे डाक्िर रमण झा जीसाँ भें ि
करबाक िल। आकाशिाणी भिन से जे बाक िल। अचतचथगृहक
वहसाब-वकताब करबाक िल।
अग्ननत्शखा खे प -३८
पूिमकिा
आब आगू
वकिु ददन धरर महामात्य एवह आशा में शासन करै त रहलाह जे हुनकर
सम्राि ठीक भs जयचथन्दह, मुदा हुनकर आस िकनािूर भs गे लवन।
राजा ठीक नवह भे लाह, ओ ओवहना विणक्षप्त सन रहलचथ। अं तत थावक
हारर गे लाक बाद ओ महान विद्वान, ऋवर् लोकवन साँ पुिलचथ आ
कुलपचत ित्रशि केँ आमं त्रित कs अपन समस्या हुनक सोझााँ राखख
राजाक च्छस्थचतक विस्तृत वििरण दे लखखन्दह हुनका । पुन हुनका साँ s
उचित परामशष मं गलचथ । कारण राज्य िलाबय ले ल राजा रहब
आिश्यक अचि, सब गोिे आपस में ििाष कय सिषसम्मचत साँ s वनणषय
ले लचथ जे पुरूरिाक ज्ये ि पुि आयु के राज्यात्रभर्े क कयल जाय।
आयु केँ कुलपचत ित्रशि द्वारा श्रे ि ऋवर् लोकवनक मागषदशषन में
राज्यात्रभर्े क कयल गे लवन।ओ राज्यक ससिहासन पर बै सलचथ। राज्य
केँ राजा भे िलखन्दह, मुदा ओ अनुभिहीन आ युिा िलाह । कतय िलाह
अनुभिी िक्रिती सम्राि पुरूरिा! आ कतय िचथ हुनक युिा आ
अनुभिहीन पुि आयु ?की ओ सम्पूणष धरती पर शासन कs सकैत
िचथ ?मुदा एतय महामात्य जे राज्यक अनन्दय भक्त आ पूणष अनुभिी
िलाह हुनका सहयोग केलचथ । ओ राजा पुरूरिाक शासन काल में
हुनक प्रशासन दे खने िलचथ! एतबवह नवह ओ सहयोगी रहल िलाह
ओवह शासन-प्रशासन के।ओ अपन सम्पूणष अनुभि लगा दे लचथ
नियुिक राजा आयु के द्वारा शासन व्यिस्था सुिारू ढं ग साैं सं िालन
करियिा में । ओ आयु के सुरक्षा दे लचथ,आ ओवह मात्रि-वपतृहीन बालक
के एकिा सक्षम सम्राि बनबाक प्रत्रशक्षण दे मय लगलाह।
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...
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अतीतक वबम्ब आब राजाक मोन साँ विलुप्त भs गे ल िलखन्दह ।आब
हुनकर हालत एहन भs गे ल िल जे ना एखनवह आकाश साँ s खींि कs
धरती पर खसा दे ल गे ल होचथ।हुनकर मोन एकदम शून्दय भs गे ल
िलखन्दह। माि उिषशीक िवि के स्मरण एखनहु ओवह में अिच्छस्थत िल।
एकर अतररक्त ओ सभ वकिु वबसरर गे ल िलचथ।
जखन ओ अपन हृदय केँ अतीतक गभष साँ s खींि कs अपन हृदय केँ
ितषमान क्रम में एवह िन प्रां त में अनलचथ तखन सूयषक भीर्ण तप्त
वकरण अपन तीव्रतम आभा साैं पृथ्िी पर पसरर ओकर आाँ िर के तप्त
कs रहल िल। आकाश में चििइ सभ िृक्षक त्रशखर साैं उवि-उवि गगन
मं डल में एवह िृक्षक त्रशखर साैं ओवह िृक्षक त्रशखर पर भावग रहल िल।
बुझाइत िल जे ना ओ सभ आकाश में कोनहु दौि प्रचतयोवगता में भाग
लs रहल होय,प्रचतयोवगता स्थल बनल िल एवह िृक्षक त्रशखर साैं ओवह
िृक्षक त्रशखर!ओवहना आकाश में सब उवि रहल िल । पुरूरिा उदठ
कs बै त्रस गे लाह।तखन ओ एकिा अनजान लक्ष्य विहीन बाि पर
उद्देश्यहीन िलय लगलचथ ।
वकयो अिक्के हुनका रोवक दे लकैन । ओ व्यक्क्त आश्चयषिवकत भs
कs हुनका ददस तावक रहल िल। कवन काल धरर हुनका ददस तकलाक
बाद ओ पूचि दे लक-
" राजे न्दर अहााँ ? एतय की कs रहल िी? अहााँ हमरा सं ग आवब जाउ
हमर सभहक दरबार में । हमर महाराज अहााँ साँ भें ि कs कs अत्यं त
प्रसन्दन होयताह।"
पुरूरिा ओवह व्यक्क्त ददस ध्यान साँ तकलचथ मुदा चिन्दहलचथ नवह। आ
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ओ जखन कवनको स्मरण नवह पाइब सकलचथ तखन हुनका नवह चिन्दहैत
पुिलचथ -
"अहााँ के चथकहुाँ , आ हमरा कतs लs जे बाक अचि?"
"अरे , अहााँ हमरा नवह चिन्दहैत िी? हम कश्मीर के राजाक महामात्य
िी। हम अहााँ केँ हुनका साँ भें ि कराबs हे तु लs जाय िाहै त िी। अहााँ
केँ दे खख ओ अत्यं त प्रसन्दन होयताह।"
राजा फेर ओवह आदमी ददस ध्यान साँ दे खैत पुिलवन, -की अहााँ हमरा
कवह सकैत िी जे हम के िी?
"हाँ !- हाँ ! वकएक नवह, अहााँ केँ के नवह चिन्दहैत अचि? अहााँ महान
िक्रिती सम्राि पुरूरिा िी" - ओ सम्मानपूिषक उत्तर दे लवन |
"हा हा हा हा हा हा...हम...हम...सम्राि िी!...सम्राि पुरूरिा !
महामात्य! एते क असत्य नवह बाजह!नवह बाजह! पचथक ! हम तs
माि उिषशीक प्रेमी िी! उिषशी...उिषशी.." स्िगषक .....
अप्सरा"...त्रिलोक सुन्ददरी..."उिषशी" बुझलह पचथक ! हमरा ओकर
प्रेमी, भक्त कहब, आवक हमरा ओकर पुरोवहत कहब! ई सभ सत्य
होयत! हम ओकर प्रेम मे आकंठ डू बल एकिा सामान्दय मनुक्ख चथकहुाँ !
हम पुरूरिा नवह िी। हमरा कवहयो कोनो पुरूरिा साँ s कोनो पररिय नवह
भे ल अचि! हमरा पुरूरिा फूत्रसयो नवह कहब। हा....हा....हा..."
पुरूरिा उन्दमत्त सन हाँ सैत आगू बढ़लाचथ । सम्राि पुरूरिा!...जे ... िलचथ
िक्रिती, णजनका सोझााँ पृथ्िी की स्िगष पयं त नतमस्तक भे ल िल ?
ओवह सम्राि पुरूरिा के आइ एहे न च्छस्थचत भे ल िलवन। हुनका एवह दशा
में दे खख कश्मीर के राजाक महामात्य अत्यं त उदास भs गे ल िलचथ।
ष्:खी मोन साँ s ओ अपन लक्ष्य ददस बढ़लचथ । पवहने सुनने िलाह आ
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रूस, अमे ररका, फ़्ां स, िीन ि भारत विगत के समयां तराल में अं तररक्ष
में अपन-अपन िै ज्ञावनक अन्दिेर्ण, परीक्षण ि पयषिेक्षण गचतविचध में
गचतशील रहचथन्दह I अं तररक्ष में मानि के समािे श ि अत्रभयान िै ज्ञावनक
ि सै न्दय गचतविचध के उद्देश्य साँ रूस ि अमे ररका के बीि में मुख्यतया
प्रचतस्पधाषत्मक होएत िलै क I गत ४ दशक में िीन से हो अं तररक्ष में
अपन ििषस्ि स्थावपत करए ले ल जी तोि प्रयत्न क रहल अचि I मुदा
अं तररक्ष में पयषिन एक एहन निीनतम परन्दतु अत्यं त महग गचतविचध
शुरू भ गे ल अचि I महग ताँ एहन जे विगत में विश्व के वकिु अचतसमृद्ध
जन डे ढ़ साँ दू अरब िाका खिष कए नजदीकी अं तररक्ष के ्मण कएल
रहचथन I सुदूर अं तररक्ष के ्मण मानि ले ल एखनहुाँ स्िप्न माि
अचि I मानल जाइि जे अमे ररकी िााँ द तक गे ल रहवन I
अन्दतररक्ष पयषिन यान में तकवनकी खराबी के अलािे वकिु अन्दय जोखखम
से हो अचि I सभु पाठक गण केँ अं तररक्ष पयषिन के जोखखम साँ अिगत
होिए सोहो आिश्यक अचि I अं तररक्ष में िायुमंडल नहहि होएि अत
स्पे सक्राफ्ि में अपे णक्षत दिाब पर ऑक्सीजन युक्त एतै क हिा रहे िै क
जे यािी ि िालक दल लए पयाषप्त होए I िायुमंडल साँ ऊपर सूयष के
वकरण एतै क ते ज ि घातक होए िै क जे त्ििा जरर जाए I िायुमंडल
साँ ऊपर िोि या बि उल्का या पृथ्िी के कक्षा साँ विलग उपग्रह साँ
सम्बद्ध कल-पुजाष / कूिा-ककषि / मालिा एतै क अचधक ऊजाषिान
होएत िै क जे पयषिनयान केँ आसानी साँ क्षचतग्रस्त कए सकैि जे वह
साँ सभु पयषिक के जीिन जोखखम में पवि जाएत I अं तररक्ष पयषिन के
गुरुत्िाकर्षण विहीन या भार विहीन शुरुआत के क्षण में अलग अलग
तरहक ष्रासर होए िै क जावह में ओकाई या उल्िी होएब,
'स्पात्रसयल वडसोररएन्दिेशन', ऊपर-नीिााँ के ददशा ्म आदद
सत्म्मत्रलत अचि I भार विहीन क्षण में खाए-वपय, प्रसाधन आदद के
उपयोग अत्यचधक ञ्क्लष्ट होए िै क I अत प्रत्ये क
पयषिक केँ 'ियस्क डायपर' पवहरा दे ल जाए िै क जे यदद ककरो
आकच्छस्मक लघु या दीघष शं का भे ल ताँ ओ डायपर में ही त्रसचमत
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स्पे स एडिें िर/िू ररज्म पयषिक िा ग्राहकक के वकिु न्दयूनतम अपे क्षा
होए िै क जे ओकर जीिनपयषन्दत कमाई के तुल्य भ सकए I दोसर
ददस, अं तररक्ष एजें सी प्रचतस्पधी रूप सं लगभग सुरणक्षत िापसी
के गारं िी, बे हतर पै केज / विकल्प प्रदान क सकय िै , जे वह मे
वनम्नत्रलखखत मे सं एक या अचधक अनुभि होयत िै :--
ओररणजन" स्पे सक्राफ्ि पूणष रूप स॑ पुन उपयोग करलऽ जाय िाला
रॉकेि िै जे २-िरण म॑ िलै िै । विरदीन गै लेच्छक्िक पृथ्िी सतह साँ
लगभग 100 वकमी ऊपर जाएत िै क मुदा "ब्लू ओररणजन" पृथ्िी स॑
१५० वकमी ऊपर जाय सकै िै । ई ष्नू के िास्तविक गुरुत्ि विहीन क्षण
माि वकिु चमनिक ले ल प्रदान करै त अचि । ई ष्नू में साँ कोनो पयषिक
के उपरोक्त सभु अपे क्षा के पूर्ति नहहि क सकैि I
एकर बाद िायुमंडलीय अभाि में VSS Unity क्राफ्ि वनमुषक्त रूपे ण
नीिा खसए लागल I धरती सतह साँ 200 हज़ार
फुि AMSL ऊंिाई पर ३ चमनि ४० से कंड पश्चात क्राफ्ि पायलि
आगामी वकिु से कंड में िायुमंडल म॑ तथाकचथत 'पुन प्रिे श' के
घोर्णा करलकै जखन सब यािी अपन-अपन स्थान पर िापस भ सीि
बे ल्ि बाखन्दह ले लखन्दह I एवह तरहें गुरुत्ि विहीन अिचध माि 2 चमनि सं
वकिु बे सी' अनुभि भे ल जे वह में क्षण भरर ले ल यािी लोकवन कें
सं कीणष केवबन में तै रैत दे खल जा सकैत िल I ठाढ़ सीि हुनका
लोकवनक फ्री-फ्लोि मे बाधा बुझाइत िल I
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"न्दयू शे फडष " कैप्सूल केरऽ ऊाँिऽ आरू िौिा खखिकी स॑ 'िू ररस्ि
व्यूअरत्रशप' या बाहरी दृश्य नीक जकााँ ददखए अचि I पृथ्िी केरऽ
िक्रता, ओकरऽ िारो तरफ के पतला िायुमंडलीय नीला आिरण के
साथ-साथ अं तररक्ष के घुप्प अन्दधकार सभु पयषिक नीक जकााँ दे खलखन्दह
हएब । िीएसएस यूवनिी मे केवबन के भीतर सूयष के तीव्रता चििताजनक
बुझाएल I
सकैि मुदा कंपनीक कमषिारी आ ओकर मात्रलक ताँ कोनाें एहन शब्द
बाजताह जे पयषिक कें आकर्र्ित कराए में बाधक होए I बे शी मुरा
कमाओक उद्देश्य साँ बनाएल अरबाें डॉलर के उद्यम में ई सब विर्मता
ताँ अपे णक्षत अचि I हालााँ वक अं तररक्ष पयषिन के एखन बाल्यकाल
अचि, दोनाें उद्यमी केँ पयषिक के अपे क्षा पूर्ति कराए में वकिु अचतररक्त
कायष अिश्य करएक पित जे वह साँ ओवह लोकवन के आकर्षण बवढ़
सकए I
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अनुभि साँ पयषिक कें बे शी आकर्र्ित करत I एवह में वकिु वडजाइन
समीक्षा ि पररितषन अपे णक्षत होएत जे वह साँ पयषिक केँ बे शी
सं तोर्जनक आनं द भे िए, बे शी फायदे मं द भ सकैत अचि I अं तररक्ष
पयषिन में अग्रसर दूनू एजें सी केरऽ तुलनात्मक िणषन वनम्नत्रलखखत
तात्रलका में दे लऽ गे लऽ अचि:
दोनाें उद्यमी के स्पे सक्राफ्ि में जीिन सुरक्षा के वकिु िोि-मोि चििता
से हो बुझाइत अचि I वक पयषिक लोकवन केँ सामान्दय
ओिरआल/आउिवफि/कैजुअल मे अन्दतररक्ष के यािा करबाक
िाही ? वबना स्पे स-सूि कें, वबना पसषनल लाइफ सपोिष त्रसस्िम के
पृथ्िी के िायुमंडलीय िादर साँ ऊपर यािा करनाय खतरनाक होए
िै क I उल्काहपिड ओवह ऊंिाई पर बहुत बि खतरा पै दा क सकैि आरू
कोनो भी कारन यदद यािीगण के केवबन स॑ हिा के दबाि कम भे ल ताँ
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सभु यािी के जीिन दां ि पर लावग जाएत I वबना पूरा दबाि िाला
स्पे स सूि के अभाि में सब यािी आरू िालक दल के क्षणणक मृत्यु भ
सकै अचि । केवबन प्रेशर ररलीफ िाल्ि के अप्रत्यात्रशत विफलता
भयािह भ सकैत अचि I ररिसष ऑक्सीजने शन रक्त साँ ऑक्सीजन
के िूत्रस क बाहर वनकालय ले ल सक्षम अचि जे मुत्श्कल सं 7 से केंड
मृत्यु के समक्ष क दे त I अं तररक्ष उिान में केवबन के दबाि कम होए साँ
मृत्यु एक किु िास्तविकता ि सं भािना अचि । अत , सब के पास
अप्रत्यात्रशत आपातकालीन च्छस्थचत के ले ल स्पे स सूि या फु ल प्रेशर
गारमें ि होबाक िाही, जे वकिु चमनि तक जीिन के महत्िपूणष समय द
सकय जखन वक िालाक ते जी साँ नीिााँ उतरब शुरू क सकय I मानल
जाएत िै वक पवहनें दूनू उद्यमी यािी सुरक्षा ले ली स्पे स सूि उपलब्ध
करै के योजना बनयने िे लै ले वकन बाद म॑ पयषिक के असुविधा दे खख
अपन-अपन वििार बदत्रल ले लकै । यद्द्यवप, हिा दबाि केरऽ
आपातकालीन नुकसान के तहत जान बिाबै बे शी आिश्यक िै ।
िै ज्ञावनक मं तव्य
३.पद्य
नि-पुरान
बा ह रे वन खख ध मि़ुआ !
जगलै ओकर भा ग,
अन्दतराष ष्री य भो ज मे ,
पवह रा ओल गे लै पा ग।
ता मक था री -बा िी सभ,
सजल डा इहनि ग-िे बुल पर,
महा भा रतक पुन प्रसा रण,
दे खख रहल लो क केबुल पर।
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नव्यता ििषस्ि ले ल,
अचि बि भे ल अपत्रस आाँ त,
पुरना िा उरक इडली कवह आ
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लऽ ली सभिा श्रे य,
अती तक प्रेत घूमैि बवन
'उपमा न' ने वक 'उपमे य'।
ओहो नी क, वक िु नी क इहो ,
दूनू चम त्रल कऽ महो -महो ।
आिायम रामानं द मं डल
माय/ मे घ/ छठ परब
माय
माय
माय
प्रेम आं सू बनै त है य।
माय
प्रेम भय बनै त है य।
माय
माय
माय
मे घ
तुलसी के घोिा,
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कात्रलदास के दूत,
शास्िी के ने ता,
जे उपरे उपरे
पी जाइत िे !
मे घ िे वक बादल !
मे घ बईन के बरसईयत,
मोर के निऔले ,
कएं दय िी ,
छठ परब
प्रकृचत परब है य।
सूयष के आराधना है य।
िठ परब
नदी आ तालाब सं ग
सूयष के आराधना है य।
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िठ परब
जल सूयष के सं बंध
िठ परब
मं ि पुजारी वबन
सूयष के आराधना है य।
िठ परब
सूयष के पूजा है य।
िठ परब
प्रकृचत परब न
आराधना न पूजा है य।
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िठ परब
िठ परब
प्रकृचत परब के
प्रिि कु मार झा
नब युग छै
की ने ता अपराधी आ की ्ष्टािारी
एं कर बै सल कोरा में सब बे रा बे री