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Ramsar Site 1
Ramsar Site 1
India adds 11 more wetlands to the list of Ramsar sites to make total 75 Ramsar sites covering an area of 13,26,677 ha in the country in the 75th
year of Independence.
The 11 new sites include: Four (4) sites in Tamil Nadu, Three (3) in Odisha, Two (2) in Jammu & Kashmir and One (1) each in Madhya Pradesh and
Maharashtra. Designation of these sites would help in conservation and management of wetlands and wise use of their resources.
India is one of the Contracting Parties to Ramsar Convention, signed in Ramsar, Iran, in 1971. India signed it on 1st Feb 1982.
Tamil Nadu has maximum no. of Ramsar sites (14 nos), followed by UP which has 10 nos. of Ramsar sites.
The Ramsar Convention on Wetlands defines wetlands as "areas of marsh, fen, peat land or water, whether natural or artificial, permanent or
temporary, with water that is static or flowing, fresh, brackish or salt, including areas of marine water the depth of which at low tide does not
exceed six meters."
यह दिन 2 फरिरी 1971 को राभसर, ईरान भे आर् द्रभ पर कनिेेन को अपनाने की तारीख को रिद्त करता है ।
दारत ने आजािी के 75िे िर् भे िे े भे 13,26,677 हे क्े यर केष को किर करने िाले कुल 75 राभसर साइ् बनाने के रलए राभसर साइ्ो की स्िी
भे 11 और आर् द्रभयाि जोडीि।
11 नई साइ्ो भे ेारभल है : तरभलनाडु भे िार (4), ओदडेा भे तीन (3), जमभ् और कशभीर भे िो (2) और भधय पिे े और भहाराष भे एक (1)।
इन स्लो को नारभत करने से आर् द्रभयो के सिरक् और पबिबन और उनके सिसाबनो के बुव्भानीप््् उपयोग भे भिि रभलेगी।
दारत 1971 भे राभसर, ईरान भे हसताककरत राभसर कनिेेन के अनुबिब पको भे से एक है । दारत ने 1 फरिरी 1982 को इस पर हसताकर दकए।
तरभलनाडु भे सबसे जयािा सिखया है . राभसर साइ्ो की सिखया (14), इसके बाि य्पी है , जहाि 10 सिखयाएि है । राभसर स्लो की.
िे्लैंस पर राभसर कनिेेन िे्लैंस को "िलिल, िलिल, पी् द्रभ या पानी के केष, िाहे पाका रतक या का वषभ, स्ायी या अस्ायी, सस्र या बहने
िाला, ताजा, खारा या नभक िाला केष, सजसभे सभुरी पानी की गहराई के केष ेारभल है " के रप भे पकरदावरत करता है । सजनभे से कभ जिार पर
छह भी्र से अरबक नहीि होता है ।"
पाका रतक िनसपरत
पाका रतक िनसपरत भे िे पौबे ससमभरलत दकए जाते है , जो भानि की प्यक अ्िा परोक सहायता के वबना उगते है और अपने आकार, सिरिना
त्ा अपनी आिशयकता को पाका रतक पया्िर् के अनुसार ढाल लेते है । दारत भे विरदनन पकार की िनसपरतयाि पाई जाती है । िनो के पकार कई
दौगोरलक त्िो पर रनद्र करते है सजनभे िरा्, तापभान, आर् ता, रभट्ी, सभुर तल से ऊििाई त्ा द्गरद्क सिरिना भह्िप््् है । इन त्िो के
पदािाबीन िे े के विरदनन दागो भे रदनन-रदनन पकार के िन उगते है । इस आबार पर िनो का रनमनरलसखत िग्कर् दकया जाता है ।
1. उष्कद्बिबीय सिाबहार एिि अ्् सिाबहार िन (Tropical Evergreen and Semi Evergreen Forests)
2. उष्कद्बिबीय प््पाती अ्िा भानस्नी िन (Tropical Deciduous Forests)- ये िन दारत भे बहुतायत भे पाए जाते है । इनहे 'भानस्नी िन' दी
कहा जाता है । ये िन 70-200 से्ीभी्र िावर्क िरा् िाले केषो भे पाए जाते है । जल की उपलबबता के आबार पर इन िनो को उष्कद्बिबीय आई
(Moist) प््पाती िन एिि उष्कद्बिबीय ेुषक (Dry) प््पाती िनो भे विदासजत दकया जाता है । उष्कद्बिबीय आर् प््पाती िन पाया दारत के
उतर-प्ि् राजयो, दहभालय के रगकरपि केषो, पस्भी घा् के प्ि् ढालो, ओदडेा आदि भे पाए जाते है । साल, सागिान, ेीेभ, भहुजा, आििला, कुसुभ,
िििन आदि पजारतयो के िाक इन िनो भे पाए जाते है । उष्कद्बिबीय ेुषक प््पाती िन दारत के उन केषो भे पाए जाते है , जहाि िरा् 70-100
से्ीभी्र होती है । ये िन पायदीपीय पठार के अरबक िरा् िाले केषो त्ा उतर पिे े एिि वबहार के भैिानी दागो भे पाए जाते है । ेुषक ऋतु पारि द
होते ही इन िनो के पेडो के पते झड जाते है । इन िनो भे भुखयतया अकसलिुड (Axlewood), तेि,ु पलाे, अभलतास, खैर, पीपल, नीभ, साल आदि के
िाक उगते है । आर् केषो की ओर ये िन आई प््पाती और ेुषक केषो की ओर काि्ेिार िनो भे रभल जाती है ।
3. उष्कद्बिबीय कि्ीले िन (Tropical Thorn Forests) ये िन दारत के उन केषो भे पाए जाते है जहाि िरा् 70 से्ीभी्र से कभ होती है । इन िनो
भे पाका रतक िनसपरत के रप भे कि्ीले िन, झादडयाि एिि कई पकार की घासे पाई जाती है । ये िन भुखयता दारत के उतर-पस्भी दागो भे पाए
जाते है । ये िन िसक्-पस्भी पिजाब, हकरया्ा, राजस्ान, गुजरात, छतीसगस, भधय पिे े और उतर पिे े के अ्् -ेुषक केषो भे रभलते है । अकारसया,
खज्र (पाभ), य्फोरवबया, बब्ल, बेर, नागफनी आदि इस िन की भुखय पािप पजारतयाि है ।
4. िेलाििली ि अन्प िन (Littoral and Swamp Forests)- दारत भे िेलाििली ि अन्प िनो का विकास भुखयता आर् द्रभ केषो, डे ््ाई केषो एिि सभुर
त्ीय केषो भे होता है । आई द्रभ केष के अितग्त (1) िसक् भे िककन पठार के जलाेय और िसक्-पस्भी त्ीय केष की लैग्न ि अनय आर्
द्रभ, (ii) राजस्ान, गुजरात एिि कचछ के लि्ीय जल िाली द्रभ, (ii) गुजरात के प्ि् से राजस्ान (केिलािे ि राषीय उदान) एिि भधय पिे े, (iv)
दारत के प्ि् त् पर डे ््ाई आर् द्रभ ि लैग्न (रि्का झील); (v) गिगा के भैिानी दाग भे सस्त ताजे जल के िलिली केष; (vi) ब्पुष घा्ी भे
बास के भैिान त्ा उतर-प्ि् दारत और दहभालयी रगकरपि केष भे सस्त िलिली एिि अन्प केष, (vii) जमभ् और कशभीर त्ा लदाख की पि्तीय
झीले एिि नदियाि, (viii) अिडभान और रनकोबार दीप सभ्ह के भैंोि िन एिि अनय आर् द्रभया।
भैंोि िनसपरत लि्ीय िलिली, जिारीय कीक, पिक भैिानो त्ा जिारनिभुख के त्ीय केषो भे पाए जाते है , सजनकी जडे पानी भे ड् बी रहती है ।
दारत भे भैंोि िनसपरतयो का अ्यरबक विकास पस्भ बिगाल के सुििरबन डे ््ा केष एिि अिडभान और रनकोबार दीप सभ्ह भे हुआ है ।
ये िनसपरतयाि भहानिी, गोिािरी, का ष्ा त्ा कािेरी नदियो के बे्िाई दाग भे दी रभलती है । सुििरबन भे सुििरी िाक की बहुलता है , सजसके नाभ से
ही इसे सुििरबन कहा जाता है ।
5. पि्तीय िन (Montane Forests) पि्तीय केषो भे ऊििाई भे िाव् के सा् तापभान भे आने िाली कभी के सा्-सा् पाका रतक िनसपरत के वितर्
भे दी पकरित्न होता है । पि्तीय िन को पि्तीय उपोष् कद्बिबीय िन (Montane Sub Tropical forests), पि्तीय सभेीतोष् বন (Montane
Temperate forests), उप-अ्पाइन िन (Sub Alpine forets) एिि अ्पाइन िन के रप भे विदासजत दकया जा सकता है । पि्तीय उपोष् कद्बिबीय
िनो के अितग्त िौडी पती िाले िन, पाइन एिि ेुषक सिाबहार िन आते है । िौडी पती िाले िन (Broad-leaved forests) प्ि् दहभालय एिि पस्भी
घा् के सा् ेाित घा्ी भे पाए जाते है । ेाित घा्ी भे जहाि इस पकार के िनो भे प्िसपार (Poon- spar), िालिीनी, रोडोडे नडोन त्ा सुगिरबत घारो
पाई जाती है , िहीि प्ि् दहभालय भे ओक, ए्डर, िेस्न्, बि् एिि िेरी जैसे पेड पाए जाते है । पाइन िन रेिारलक पि्त के ेुषक ढालो भे, पस्भी
एिि भधय दहभालय, खासी, नागा एिि भस्पुर पहादडयो पर पाए जाते है । यहाि िीड, ओक, रोडोडे नडोन एिि पाइन (Pine) िाक पाए जाते है । ेुषक
सिाबहार िन रेिारलक पि्त एिि दहभालय की तलहद्यो भे 1000 भी्र की ऊििाई तक पाए जाते है ।
पि्तीय ेीतोष् िनो को आर् (Wet), नभ (Moist) एिि ेुषक (Dry) िनो भे िग्का त दकया जाता है । पि्तीय आर् ेीतोष् िन उतर दारत भे
नेपाल के प्ि् एिि अर्ािल पिे े भे 1800-3000 भी्र की ऊििाई
पर 200 से्ीभी्र की िरा् िाले केषो भे पाए जाते है । िसक् दारत भे ये िन नीलरगकर पहाडी एिि केरल की ऊििाई िाले केषो भे पाए जाते है ।
भै उतर भे इन िनो के तीन परत पाए जाते है - उचि परत के रप भे ेिकुबारी िाक, भधयित् परत भे प््पाती िाक जैसे ओक एिि रनिली परत भे
रोडोडे नडोन एिि ििपा िाक पाए जाते है । पि्तीय नभ ेीतोष् िन पस्भी दहभालय से प्ि् दहभालय तक विसतात रप से पाए जाते है । इनके
अितग्त पस्भी दाग भे िौडी पते िाले ओक, द्रे ओक, अखरो्, रोडोडे नडोन आदि िाक पाए जाते है । प्ि् दहभालय भे अ्यरबक िर्् के कार्
सघन िनसपरतयाि पाई जाती है । यहाि िौडी पती िाले ि्ल, फन्, बािस के सा् ेिकुबारी िाक दी पाए जाते है । पि्तीय ेुषक ेीतोष् िन भुखयता
लाहुल, दकननौर, रससककभ एिि दहभालय के अनय दागो भे पाए जाते है । इन िनो भे छो्े ेिकुशबारी िाक, ओक, भैपल, ऐे जैसे िाक पाए जाते है ।
िहीि अरबक ऊििाई पर फर, जुरनपर, िे ििार एिि रिलगोजा दी पाए जाते है ।
उप-अ्पाइन िन कशभीर से अर्ािल पिे े के भधय 2900 से 3500 भी्र की ऊििाई तक पाए जाते है ।
पस्भी दहभालय भे इसके अितग्त ज्रनपर, रोडोडे नडोन, विलो (Willow) एिि फालसेब (Black Currant) िनसपरतयाि पाई जाती है । िहीि प्ि् दाग भे
लाल फर, काला ज्रनपर, बि् (दोजपष), लाि् (Larch) साभानय रप से पाए जाते है । #
अ्पाइन िनो को नभ (Moist) एिि ेुषक (Dry) के रप भे विदासजत दकया जाता है । नभ अ्पाइन िन दहभालय भे सदी स्ानो के सा्-सा्
मयािभार सीभा के रनक्ित् उचि पहादडयो भे पाए जाते है । इनभे छो्ी झादडयाि, काई एिि फन्, रोडोडे नडोन एिि बि् पाए जाते है । ेुषक अ्पाइन िन
3000 से 4900 भी्र की ऊििाई तक पाए जाते है त्ा इनभे काले ज्रनपर, भबुभालती (Honeysuckle) एिि विलो िनसपरतयाि पाई जाती है । दारत
िन सस्रत करपो्् , 2019 के अनुसार दारत भे पाए जाने िाले िन
पायदीपीय पहाडो पर भुखयता भैगनोरलया, लारे ल, युकेरलप्स आदि िाक पाए जाते है
Natural Vegetation
Natural Vegetation refers to the flora which grows naturally without human aid and they change their physical stability, shape, size with respect to
the environment. The Type of Vegetation found in an area depends on the Geographical factors such as humidity, temperature, soil, rainfall,
altitude, etc. On this basis, there are several types of vegetation found in India.
The tropical evergreen forest usually found in warm and humid areas receiving more than 200 cm rainfall and mean annual temperature above 22°
C. Relative humidity of this region is near about 70%. Due to high humidity and temperature, trees are very tall and intensive (dense). They are also
called as "Selvas".
There are a different time for leaf fall of different species of the tree due to which the entire forest is evergreen. The tropical evergreen forest in
India found is Assam, Kerala, West Bengal, Andaman-Nicobar islands, Meghalaya, Tripura, Mizoram and Western coastal plain.
The major species found in the tropical evergreen forest included Cinchona, Rubber, Coconut, Bamboo, Mahogany, Ebony, etc.
These forest consist of a variety of grasses and shrubs. In these forests, plants remains leafless for most of the year. Important species found are
babool, ber, wild date palm, khair, neem, khejri, palas, etc.
5. Delta Forest :-
Deltaic forest is also known as mangrove, swampy or littoral forest. Mangroves grow along the coast in the salt marshes, tidal creeks, mudflats and
estuaries. Deltaic forest develops in the deltaic region of Ganga, Godavari, Brahma- putra, Krishna river, etc. Sundarban forest is the best example
of deltaic forests.
6. Montane Forests:-
In mountainous areas, the decrease in temperature with increasing altitude leads to a corresponding change in natural vegetation. Mountain
forests can be classified into two types, the northern mountain forest and the southern mountain forest.
Alpine forest grow all along the Himalayas at altitudes ranging between 3000-4900 meter. Deodar, a highly valued endemic species grows mainly
in the western part of the Himalayan range at an altitude of 1500-2500 meter.
The southern mountain forest include the forests found in three distinct areas of peninsula e.g. the Western Ghats, the Vindhyas and the Nilgiris.
Vegetation in these forests is the temperature in higher regions and sub-tropical in lower regions. The temperature forests are called sholas in the
Nilgiris, Anamalai and Palani Hills.
Butea monosperma is called the "flame of the forest". It is also known as Dhak or Palash. Palash has been declared as the state flower of Uttar
Pradesh.
Shola Forests: These temperate forests are also called Sholas in the Nilgiris, Anaimalai and Palani hills.