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।।श्री।।

।।श्री शाांतिनाथाय नमः।।

मांच सांचालन

(ए) मांच व्यवस्था – माइक आदि िे खें , (ब) भजन प्रारम्भ करावें

1. सवव प्रथम मांच पर पधारने के ललए गुरु सांघ को अघव चढाकर


तनवेिन करें ।

2. साधु सांघ मांच पर पधार जाये, उसके बाि जयकार लगायें

(1) अनांिानांि लसद्ध परमेष्ठि भगवान की जय।


(2) िे वाधधिे व आद्य गरु
ु शाांतिनाथ भगवान की जय।
(3) चाररत्र चक्रविी आचायाव श्री शाांति सागर जी गुरुिे व की
जय।
(4) समाधध सम्राट आचायाव श्री महावीर कीतिव जी गरु
ु िे व की
जय।
(5) गणधराचायव श्री कांु थस
ू ागर जी गुरुिे व की जय।
(6) वैज्ञातनक आचायव श्री कनकनांिी जी गरु
ु िे व की जय।
(7) प्रज्ञायोगी आचायव श्री गष्ु तिनांिी जी गरु
ु िे व की जय।
(8) परमपूज्य मुतन श्री सय
ु शगुति जी गुरुिे व की जय।
(9) परमपूज्य मुतन श्री चन्द्र गुति जी गुरुिे व की जय।
(10) श्रि
ु िे विा ष्जनवाणी मािा की जय।

3. इसके पश्चाि ् सभी लोगों से नीचे बैिने के ललए कहें

“सभी श्रावक – श्रववकाए अपना- अपना स्थान ग्रहण करें ,िथा


गुरुिे व को नामोस्िु करें –

हे गुरुिे व नामोस्िु

हे आतयवका श्री वांिामी

हे क्षुष्ललका जी इच्छालम

4. तनवेिन करें !

‘हे गुरुिे व! हम सभी अज्ञानी जीवों के ललए ज्ञान – ध्यान

और भष्ति का अमि
ृ पान कराकर हमारा कलयाण कीष्जये।

नामोस्िु गुरुिे व, नामोस्िु गुरुिे व, नामोस्िु गुरुिे व

5. गुरुभष्ति होने के उपरान्द्ि प्रश्नमांच के ललए तनवेिन करें ।


‘हे गुरुिे व नामोस्िु! हे आतयवका श्री वांिामी। हे कृपालु
गुरुवर! प्रश्नमांच के माध्यम से हमारा ज्ञान बढाने की कृपा
करे ।

नामोस्िु गुरुिे व, वांिामी मािाजी।

6. सभी श्रावकों से आरिी के ललए खड़े होने के ललए कहें ।

सभी धमववप्रय बांधओ


ु ां से जय -ष्जनेंर।

गरु
ु आरिी हे िु सभी खड़े होकर गरु
ु – आराधना का
आनांि प्राति करें ।

7. स्वाध्याय के ललए तनवेिन करें ।

“नामोस्िु गरु
ु िे व

हे गुरुिे व! हमें शास्त्र- स्वाध्याय का लाभ िे कर हमारा


अज्ञान िरू कीष्जये।

नामोस्िु गरु
ु िे व”

8. ष्जनवाणी स्िुति करें ।

ष्जनवाणी के ज्ञान से , सूझे लोकालोक।


सो वाणी मस्िक धरूँ, सिा िे ि हूूँ ढोक।

( नौ बार णमोकर )

9. आभार व्यति करें ।

आज जो मुझे यहाूँ मांच सांचालन करने का सौभाग्य


प्राति हुआ, उसके ललए मैं सब का मन से आभार व्यति करिा
हूूँ / करिी हूूँ।

नामोस्िु गरु
ु िे व

वांिामी मािाजी

इच्छालम मािाजी

सबको जय ष्जनेंि

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