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Kaal Hindi Grammer
Kaal Hindi Grammer
काल का अर्थ होता है – समय, क्रिया के जिस रूप से कार्य करने या होने के समय का ज्ञान होता है उसे
‘काल’ कहते है।
इन तीनों वाक्यों में कर्ता एवं क्रिया एक ही है लेकिन किए जाने का समय अलग अलग है।
काल के भेद
क्रिया के जिस रूप से यह पता चले की काम अभी हो रहा है, उसे वर्तमान काल कहते हैं। इसका अर्थ होता है
कि दर्शाई गई क्रिया उसी वक़्त में ही रही है। जिन वाक्यों के अंत में ता, ती, ते, है, हैं आते हैं, वो वर्तमान
काल कहलाता है।
क्रिया के जिस रूप से कार्य की पूर्णता और अपूर्णता का पता न चले उसे सामान्य वर्तमान काल कहते
हैं। जिन वाक्यों के अंत में ता है, ती है, ते है, ता हूँ, ती हूँ आदि आते हैं उसे सामान्य वर्तमान काल कहते है।
क्रिया के जिस रूप से यह बोध हो कि वर्तमान काल में कार्य अभी पूर्ण नहीं हुआ, वह चल रहा है, उसे अपूर्ण
वर्तमान कहते हैं। जिन वाक्यों के अंत में रहा है, रहे है, रही है, रहा हूँ आदि आते है उसे अपूर्ण वर्तमान काल
कहते हैं।
क्रिया के जिस रूप से कार्य के अभी पूरे होने का पता चलता है, उसे पूर्ण वर्तमान काल कहते है।
क्रिया के जिस रूप से वर्तमान काल क्रिया के होने या करने पर शक हो, उसे संदिग्ध वर्तमान काल कहते
है। जिन वाक्यों के अंत में ता होगा, ती होगी, ते होंगे आदि आते हैं उसे संदिग्ध वर्तमान काल कहते हैं।
काल के जिस रूप से यह पता चलता है कि क्रिया वर्तमान काल में चल रही है उसे तात्कालिक वर्तमान
काल कहा जाता है।
इससे वर्तमान काल में काम के पूरे होने की संभावना होती है उसे संभाव्य वर्तमान काल कहते हैं।
भूतकाल दो शब्दों के मेल से बना है – भूत + काल। भूत का अर्थ होता है – बीत गया और काल को कहा
जाता है – समय अर्थात् जो समय बीत गया हो।
क्रिया के जिस रूप से बीते हुए समय का बोध होता है, उसे भूतकाल कहते है।
या
वे शब्द जिनसे क्रिया के हो चुकने का पता चले उन्हे भूतकाल कहते हैं।
भूतकाल के प्रकार :-
(1) सामान्य भूतकाल
(2) आसन्न भूतकाल
(3) पूर्ण भूतकाल
(4) अपूर्ण भूतकाल
(5) संदिग्ध भूतकाल
(6) हेतुहेतुमद् भूतकाल
क्रिया के जिस रूप से काम के सामान्य रूप से बीते समय में पूरा होने का बोध हो, उसे सामान्य भूतकाल
कहते हैं।
जिन वाक्यों के अंत में आ, ई, ए, था, थी, थे आते हैं वे सामान्य भूतकाल होता है।
क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि कार्य पहले ही पूरा हो चुका है, उसे पूर्ण भूतकाल कहते हैं।
पूर्ण भूतकाल में क्रिया के साथ ‘था, थी, थे, चुका था, चुकी थी, चुके थे आदि लगता है।
जिन शब्दों से यह पता चले कि काम भूतकाल में शुरू हो चुका था और अभी समाप्त नहीं हुआ है, उसे
अपूर्ण भूतकाल कहते हैं।
जिन वाक्यों के अंत में रहा था, रही थी, रहे थे आदि आते हैं वे अपूर्ण भूतकाल होते हैं।
भूतकाल की क्रिया के जिस रूप से उसके भूतकाल में पूरा होने में संदेह हो, उसे संदिग्ध भूतकाल कहते हैं।
जिन वाक्यों के अंत में गा, गे, गी आदि आते हैं वे संदिग्ध भूतकाल होते हैं।
जिन क्रिया पदों से भूतकाल में कार्य होने का संके त तो मिलता है, परन्तु किसी कारण से कार्य हो नहीं
पाया, उसे हेतु-हेतुमद् भूतकाल कहते हैं।
इसमें पहली क्रिया दूसरी क्रिया पर निर्भर होती है। पहली क्रिया तो पूरी नहीं होती लेकिन दूसरी भी पूरी नहीं
हो पाती।
क्रिया के जिस रूप से क्रिया के आने वाले समय में पूरा होने का पता चले उसे भविष्य काल कहते हैं।
जिन वाक्यों के अंत में गा, गे, गी आदि आते हैं वे भविष्य काल होते हैं।
क्रिया के जिस रूप से उसके आनेवाले समय में सामान्य रूप से होने का बोध हो उसे सामान्य भविष्यत
काल कहते हैं।
क्रिया के जिस रूप से आगे कार्य होने या करने की संभावना का पता चले उसे संभाव्य भविष्य काल कहते
हैं।
यदि वाक्य के अंत रहा होगा, रहे होंगे, रही होंगी आदि से हो तो उसे अपूर्ण भविष्य काल कहते हैं।
क्रिया के जिस रूप से एक कार्य का पूरा होना दूसरी आने वाले समय की क्रिया पर निर्भर हो उसे
हेतुहेतुमद्भविष्य भविष्य काल कहते है।