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चाँद मेरा नाराज़ है

ना बात करे, ना मिलता है


कै से उसको समझाऊँ ?
ना समझे रिश्ता दिल का है

हफ़्तों से कितने उसने ना बात की


मुझको पता भी नहीं किस बात की नाराज़गी

चाँद मेरा नाराज़ है


ना बात करे, ना मिलता है
कै से उसको समझाऊँ ?
ना समझे रिश्ता दिल का है

भीड़ है इतनी दुनिया में


पर कोई ना अपना दिखता है
लोग हैं पागल, क्या समझें
जो तेरा-मेरा रिश्ता है

तुझको भी तो है ना मोहब्बत
फिर क्यूँ दूरी रखता है?

ना शब में, ना सुबह में


ना शाम ढले वो मिलता है
कै से उसको समझाऊँ ?
ना समझे रिश्ता दिल का है

रस्में ऐसी दुनिया की हैं


जिनसे दिल ये डरता है
दिल बेबस है, मिलना चाहे
ये रोता है, तड़पता है

दिल मर सकता है तो तेरे बिन


पर अब जी नहीं सकता है

तेरे बिन बीते जो पल


हर पल लगता मुश्किल सा है
मुझको बात पता है ये
मैं समझूँ रिश्ता दिल का है

हफ़्तों से कितने उसने ना बात की


मुझको पता भी नहीं किस बात की नाराज़गी

चाँद मेरा नाराज़ है


ना बात करे, ना मिलता है
कै से उसको समझाऊँ ?
ना समझे रिश्ता दिल का है

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