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4695, 21-ए, द रयागंज, नयी द ली 110 002
शाखा
अशोक राजपथ, पटना 800 004
फ़ोन: +91 1123273167 फ़ै स: +91 1123275710
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sales@vaniprakashan.in

MAIN JO HOON, ‘JON ELIA’ HOON

by Jon (Jaun) Elia

ISBN: 978-93-5072-880-2

Ghazals

© 2016 लेखक व उनके उ रा धकारी


थम सं करण
इस पु तक के कसी भी अंश को कसी भी मा यम म योग
करने के लए काशक से ल खत अनुम त लेना अ नवाय है।
वाणी काशन का लोगो मक़बूल फ़दा सेन क कू ची से

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जॉन ए लया: एक ख़ुदरंग शायर
जॉन से रा ता बनने का एक अजीब सा क़ सा है। सौभा यवश म नया भर म जन
सा ह यक प से मह वपूण मह फल म उठता-बैठता ँ, यक़ नन मेरे आस-पास से
जॉन के कई शे’र पहले भी गुज़रे ह गे। ले कन जब मने एक मसरे म ‘न वो चाँदनी रही,
न वो चाँदना रहा’ सुना तो म वह ठहर गया। य क ‘चाँदना’ श द सफ़ प मी उ र
दे श के एक ख़ास अंचल म इ तेमाल होता है। बचपन म दाद के मुँह से सुनने के बाद
यह श द इसी शे’र म सुना। पा क तान के कई शायर के बीच इस शायर के अनूठे
योग ने मन म खलबली मचा द । लगा क जॉन को और यादा जानना चा हए।
उनको जानने के म म पहली सीढ़ पर पता चला क जॉन मूलत: अमरोहा के ह।
हेलख ड, मेरठ क म री, मुज़ फ़रनगर, बुल दशहर, सहारनपुर का जो इलाका है,
उसका जो इलाक़ाई कहन है, उसको जॉन ने लगातार अपनी शायरी म ढाला है:
कसी से अहद-ओ-पैमां कर न र हयो
तू इस ब ती म र हयो, पर न र हयो
सफ़र करना है आ ख़र दो पलक बीच
सफ़र ल बा है, बे- ब तर न र हयो
1957 म जब जॉन पा क तान क े न ले रहे थे तो उनके कु छ दो त उ ह छोड़ने आये
थे। उस मौक़े पर उ ह ने हज़रत का दद बयाँ कया था:
अंजुमन क उदास आँख से आँसु का पयाम कह दे ना
मुझको प ँचा के लौटने वाल सबको मेरा सलाम कह दे ना
हजरत क बात अपनी जगह, ले कन अगर उस समय का भेजा सलाम आज क नयी
पीढ़ तक प चँ रहा है तो ये उस साझी वरासत और मट् ट के शे’र कहने क जॉन क
आदत क वजह से हो रहा है। जब जॉन को और यादा जाना तो इस न कष पर
प ँचा क जॉन के अ दर एक कबीर ह। जॉन के अ दर गंगा-जमुना के दोआबे के बीच
क जो फ़क़ री है, जो गंगा के तट पर रहने वाले कबीर से आती है, जो सू फ़य क

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मज़ार से उठती ई आवाज़ से आती है, जो हज़रत नज़ामु न औ लया क दरगाह
से आती है, जो अजमेर शरीफ़ से आती है, वही फ़क़ री जॉन को जॉन बनाती है। मेरे
ख़याल से यही वजह है क मने जॉन क फ़क़ री पर कहा:
न कसी चाहराह मं ज़ल पर, न ही ख़ुद क नगाह म होना
जॉन होना, क औ लया-ए-ल ज़ का हो, ज़ दगी के गुनाह म होना
इस ज़ दगी जीने क गुनाह को जॉन ने जतनी ल ज़त के साथ कया है, वो शायद
कम शायर ने कया है। जॉन ने ख़ुद कहा है क—
है मुह बत हयात क ल ज़त, वरना कु छ ल ज़त-ए-हयात नह
है इजाज़त तो एक बात क ,ँ वो, मगर, ख़ैर, कोई बात नह
जॉन ब त ही पढ़े - लखे और बेहद ओहदे दार आदमी रहे। पा क तान सरकार ने उ ह
लुगद कमेट का चेयरमैन बनाया था। यह वही पद था जो ह तान म उस समय डॉ.
ह रवंशराय ब न का था। यह इतना मह वपूण पद था क रा क आ धका रक
भाषावली इसी मा यम से तय होनी थी। ले कन कह न कह जॉन उस पढ़ाई- लखाई
के ब न से बाहर आना चाहते थे। जॉन इस बात को अ वीकार करना चाहते ह क वे
ये सब बात जानते ह। वे अपनी तभा को पार रक पढ़े - लखे शायर क छ व से
बाहर रखना चाहते थे:
म जो ँ जॉन ए लया ँ जनाब
मेरा बेहद लहाज़ क जएगा।
ये जो उनके कहने क खु ारी है क म एक अलग े म का क व ँ, यह पर रागत
शायरी म ब त कम ही दे खने को मलती है। जैसे:
साल हा साल और इक ल हा, कोई भी तो न इनम बल आया
ख़ुद ही इक दर पे मने द तक द , ख़ुद ही लड़का सा म नकल आया
जॉन से पहले कहन का ये तरीका नह दे खा गया था। जॉन एक ख़ूबसूरत जंगल ह,

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जसम झरबे रयाँ ह, काँटे ह, उगती ई बेतरतीब झा ड़याँ ह, खलते ए बनफू ल ह, बड़े
-बड़े दे वदा ह, शीशम ह, चार तरफ कू दते ए हरन ह, कह शेर भी ह, मगरम भी
ह। उनक तुलना म आप यह कह सकते ह क बाक़ सब शायर एक उपवन ह, जनम
सलीके से बनी ई और करीने से सजी ई या रयाँ ह इस लए जॉन क शायरी म
वेश करना ख़तरनाक भी है। ले कन अगर आप थोड़े से एडवचरस ह और आप े म
से बाहर आ कर सब कु छ करना चाहते ह तो जॉन क नया आपके लए है।
जॉन कह न कह ह तान क उस पुरानी उ को च रताथ करते ह क:
लीक लीक तीन चल, कायर कू त कपूत
बना लीक तीन चल, सायर सह सपूत
जॉन शायर भी ह, और शेर भी ह जो कभी-कभी दहाड़ते भी ह। जो कहते ह बेधड़क
कहते ह।
नज़ामत म एक बात यह होती है क आपके पास च काने के लए या है। शे’र उ धृत
करने लायक बड़े शायर क एक पूरी फे ह र त हम जैसे सामा य संचालक के पास
होती है। ले कन जब मने ह द क व-स मेलन और उ मुशायर म नज़ामत के दौरान
जॉन को पढ़ना शु कया तो वो च काते थे।
शम, दहशत, झझक, परीशानी, नाज़ से काम य नह लेत
ये, मगर, वो, ये सब या है, तुम मेरा नाम य नह लेत ?
अगर कभी कसी कव य ी ने नोक-झ क म ये शे’र पढ़ दया तो ोता च क उठते ह।
पूरे माहौल म एक चमक सी पैदा हो जाती है। ऐसे ही शे’र से ह द के नये युवा
ोता ने जॉन को पहचानना शु कया। वह पीढ़ जो फे सबुक/ट् वटर क नया
पर जीती है, उस तक जब म जॉन को लेकर गया तो मने महसूस कया क जॉन सफ़
कसी वग- वशेष के लए नह , ब क हर क़ म के ोता के लए ह। मने दे खा क धीरे
-धीरे जॉन को ड जटल व पर ढूँ ढ़ने वाल क सं या म बढ़ोतरी होने लगी। 2010
के आसपास मने जॉन के शे’र मंच पर पढ़ने शु कए तो कम ोता मलते थे जो
उ ह जानते थे ले कन 2013 के आते-आते महसूस आ क एक बड़ा वग उनसे

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प र चत नज़र आने लगा। इसके दो कारण थे—एक तो यूट्यूब और सोशल मी डया का
तेज़ी से फै लाव आ और सरी यह क जॉन के शे’र ऐसे, क जो कोई एक शे’र सुन ले,
तो उनका र सया हो जाए।
जॉन के लए म अ सर ‘ख़ुदरंग’ श द का इ तेमाल करता ँ। जब म छोटा था तो एक
शाद के सल सले म हम शहर गये। वहाँ पीतल के बतन क ख़रीदारी होनी थी।
बालहठ म म भी पताजी और ताऊजी के साथ बाज़ार चला गया। हम कई कान म
घूम-घूम कर अ ा पीतल ढूँ ढ़ रहे थे। तभी एक कान वाले ने कहा क साहब, ये ले
जाइए। बड़ा ही ख़ुदरंग पीतल है, ऐसी ख़ुदरंग पीतल आपको कह नह मलेगी। मने
पहली बार यह श द सुना। मने पताजी से इसका मतलब पूछा तो उ ह ने बताया क
ख़ुदरंग का मतलब है अपने रंग का जो कसी और के पास न हो। इसी तरह जॉन भी
अपने ही रंग म ढले ए थे। उनके मंचीय जीवन म एक झुँझलाहट सी द खती है। अगर
उनके वी डयो आप दे ख तो पता नह य ऐसा महसूस होता है क उ ह लगता है वह
कु छ ऐसा कर रहे ह जो करना नह चाहते। उ ह ने कह ये कहा भी है क मुशायरे क
नया मुझे धीरे-धीरे ख़ म कर रही है। इसके पीछे हो सकता है क कु छ लोग का
अ वीकार एक बड़ा कारण रहा हो। उनक गत ज़ दगी म भी बड़ी उठा-पटक
थी। साथ ही वो उस समय के यादातर पा क तानी सा ह यकार क तरह पा क तान
के हालात से भी यादा ख़ुश नह थे। जॉन के रहते ए उनक वीकायता आज के
मुक़ाबले कम थी। ले कन तेज़ी से सोचने वाली इस नयी पीढ़ ने जॉन को हाथ -हाथ
लया है। अब जॉन को खूब पढ़ा जा रहा है। नये पढ़ने वाले उनक शायरी के नये-नये
पहलू नकाल रहे ह। अं ज़ े ी सा ह य म एक श द है—‘ रफरे स े म’, जसे ह द म
योजनीयता कह सकते ह। इसका मतलब है एक ही बात का अलग-अलग प र े य म
अलग-अलग मह व होना। यह कबीर म है। कबीर का एक-एक दोहा ऐसा है क जीवन
के अलग-अलग समय म उसके अलग-अलग मायने नकलते ह। ही ग़ा लब के साथ भी
है:
न था कु छ तो ख़ुदा था, कु छ न होता तो ख़ुदा होता
डु बोया मुझको होने ने, न होता म तो या होता
इसको आप जब-जब पढ़गे, यह आपको एक नयी प रभाषा दे गी।

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आप ऐसा मान कर चल क जॉन शायरी के चे’ वेरा ह। एक पूरी जमात है नौजवान क ,
ख़ास कर ह तान म ज ह चे के बारे म यादा पता नह है। ले कन उनके चेहरे से,
एट ट् यूड से, उनक बेतरतीब दाढ़ से, उनक कै प से एक अलग तरह का ा तकारी
बोध पैदा होता है। इसी वजह से उनके चाहने वाले पूरी नया म ह। इसी तरह जॉन
को म शायरी का चे’ वेरा मानता ँ जो एक टे टमट दे ते ए नज़र आते ह क म जो ,ँ
जैसा ,ँ वैसा ँ। मुझे ऐसा ही वीकार क जए। उनको पता है क म जॉन ए लया ँ
और जॉन ए लया होने के मानी या ह। इस एट ट् यूड से जतना वो आन दत होते ह,
उतना उनके चाहने वाले भी होते ह।
ख़ुद मुझ पर उनका ब त असर रहा है। जस तरह से जॉन ने ज़ दगी जी थी, और
जस तरह से शायरी को जया था, वो कमाल था। जस ओहदे पर वे थे, वहाँ बैठ कर
यह कहने क ह मत जॉन ही कर सकते ह क—
तेरा फ़राक़ जाने जहाँ, ऐश था या मेरे लए
या न तेरे फ़राक़ म ख़ूब शराब पी गयी
उनक गली से उठ के म आन पड़ा था अपने घर
इक गली क बात थी और गली-गली गयी
या फर ये कहना क:
तो या बाद-ए-बहारी जा रही है
मयाँ जी क सवारी जा रही है
है पहलू म टके क एक हसीना
तेरी फु रकत गुजारी जा रही है
ये एक अलग ही हनक का आदमी कर सकता है और वह है जॉन!
चारासाज़ क चारासाज़ी से दद बदनाम तो नह होगा
हाँ, दवा दो, मगर ये बतला दो, मुझको आराम तो नह होगा

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ये जो अदा है, जो कहन है और जो अ दाज़ है वो आपको उस मुकाम पर खड़ा कर
दे ती है जहाँ प च
ँ ना फर कसी के लए स व नह रह जाता। वयं के दद म
आन दत होना और फर उसको क वता कर दे ना सहज नह होता। महादे वी वमा जी
ने कहा था क ‘ मलन का मत नाम ले रे/म वरह म चर ँ।’ अं ज े ी भाषा क कव य ी
रोज़ेट के बारे म मश र है क वे अपनी जू तय म छोटे -छोटे कं कड़ भर लेती थ ता क
पीड़ा उनक क वता म उतर सके । ऐसे ही जॉन ह। उनको आराम से बेचनै ी है। चोट,
दद, बेचनै ी, तड़प इ या द से भी मज़े लेने का नाम जॉन है।
मल रही हो बड़े तपाक के साथ
मुझको य सर भुला चुक हो या
मेरे सब तंज बेअसर हो चुके
तुम ब त र जा चुक हो या
जॉन आपको दो तरह से मलते ह। एक दशन म और एक दशन म। दशन का जॉन
वह है जो आप आम तौर पर कसी भी मंच से पढ़ तो ोता म खूब कोलाहल मचता
है। दशन का जॉन वो है जो आप चु नदा मंच पर पढ़ सकते ह और वे शे’र वैसे होते ह
ज ह ोता अपने साथ अपने घर ले जा सकते ह। जहाँ मजमा हो वहाँ दशन सुनाइए
और जहाँ मह फ़ल हो वहाँ दशन सुनाइए। जैसे दशन का शे’र दे ख:
नकल आया म अपने अ दर से
अब कोई डर नह है बाहर से
अब जो डर है मुझे, तो इसका है
अ दर आ जाएँगे मेरे अ दर से
पा क तान के राजनी तक हालात हमेशा डाँवाडोल रहे ह। ले कन कम ही शायर इसके
ख़लाफ़ बोल पाये। ले कन ह तान म एक बार इमरजसी के दौरान जब थोड़ी सी
अ रता फै ली तो बाबा नागाजुन, य त कु मार और धमवीर भारती जैसे
सा ह यकार क आवाज़ पूरे ज़ोर के साथ सुनाई पड़ी थी। हालाँ क पा क तान म यह
कम स व था। ले कन जॉन अपने क व होने क वाधीन चेतना और अपने

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अभ के अ धकार का इ तेमाल यहाँ भी करते ह:
धम क बाँसुरी से राग नकले
वो सूराख से काले नाग नकले
वो गंगाजल हो या आब-ए-ज़मज़म
ये वो पानी है जनसे आग नकले
ख़ुदा से ले लया ज त का वादा
ये ज़ा हद तो बड़े ही घाघ नकले
है आ ख़र आद मयत भी कोई शै
तेरे दरबान तो बुलडॉग नकले
बरला होने के लए आप म श द को नभाने क यूनतम यो यता होनी चा हए, एक
वा भमान होना चा हए, एक ख़ुदरंग तबीयत चा हए और इस बात क सला हयत
चा हए क अपनी शायरी को आम आदमी से कै से वीकार करवाना है। यही जॉन ह।
जॉन बरले ह।
जॉन जहाँ प ँच गये ह, वहाँ क ख़बर उ ह ख़ुद भी नह है। वे वयं को कई बार फँ सा
आ महसूस करते ह। उ ह लगता है क वे गलत व त म पैदा ए ह। उ ह इस बात का
एहसास है क वो जतनी आज़ाद से अपनी बात कहना चाह रहे ह, वैसे कह नह पा
रहे और य द कह भी पा रहे ह तो लोग उस तरह से समझ नह पा रहे।
महक उठा है आँगन इस ख़बर से
वो खु बू लौट आयी है सफ़र से
म इस द वार पर चढ़ तो गया था
उतारे कौन अब द वार पर से
जैसे आप कबीर को दे ख:

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सु खया सब संसार है, खावे और सोवे
खया दास कबीर है, जागे और रोवे
ऐसा नह है क कबीर कसी सांसा रक बात से खी ह। उनका ःख यह है क संसार
जन काम को उपल मान कर स है वह उपल नह है। असली उपल और
असली सुख इन सबसे आगे है। ले कन यह बात कबीर नया को े षत नह कर पा
रहे ह। यही कबीर के फँ से होने और खी होने का कारण है। यही ःख जॉन का भी है।
जॉन ने शराब पर भी काफ शायरी क है। ले कन उनक शायरी बहकने वाली नह है।
उनक शायरी कह उमर ख याम या ब न क ‘मधुशाला’ के समक क शायरी है
जहाँ दशन को जीने के लए शराब का इशारा ले कर क वता परोई गयी है:
घर से हम घर तलक गये ह गे
अपने ही आप तक गये ह गे
हम जो अब आदमी ह, पहले कभी
जाम ह गे छलक गये ह गे
अं ज़े ी के सा ह यकार वड् सवथ ने कहा है क ‘पोए इज़ द टे नयस ओवर लो
ऑफ़ द पावरफु ल फ लग’, यानी क वता संवेदना से यादा संवेदना का छलक जाना
है। जॉन ने अपनी शायरी म कभी कोई ब न नह रखा। ले कन स व है क समय-
समय पर उनके म या उनके आलोचक उ ह सलाह दे ते रहे ह गे। उनक सलाह को
भी जॉन ने अपने ख़ास अ दाज़ म नभाया है:
ठ क है ख़ुद को हम बदलते ह
शु या मशवरत का, चलते ह
म उसी तरह तो बहलता ँ
और सब जस तरह बहलते ह
कु ल मला कर ज़ दगी के हर उतार-चढ़ाव को न सफ़ शायरी म ढालना, ब क उसको

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ए जॉय करना और ोता -पाठक से ए जॉय करवाना—ये जॉन होते ह।
तो जॉन को पढ़, जॉन को जएँ और एक ब कु ल नयी नया म वचरण कर के आएँ।
यक़ नन जब आप बाहर आएँगे तो जॉन आपक सोच का ायी ह सा हो चुके ह गे।
—कु मार व ास

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अनु म
ब त दल को कु शादा कर लया या
बेक़रारी-सी बेक़रारी है
कै सा दल और उस के या ग़म जी
वही हसाबे-तम ा है अब भी आ जाओ
कोई नह यहाँ ख़मोश, कोई पुकारता नह
नया इक र ता पैदा यूँ कर हम
कसी से अहदो-पैमां कर न र हयो
है बखरने को ये मह फ़ले-रंगो-बू
हम तो जैसे वहाँ के थे ही नह
तू अगर आइयो तो जाइयो मत
बद दली म बेक़रारी को क़रार आया तो या
हम आँ धय के बन म कसी कारवाँ के थे
सारी नया के ग़म हमारे ह
नयी वा हश रचाई जा रही है
धरम क बाँसुरी से राग नकले
दल जो द वाना नह आ ख़र को द वाना भी था
काम क बात मने क ही नह
कभी-कभी तो ब त याद आने लगते हो
ख़ुद से हम इक नफ़स हले भी कहाँ

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उठ समा ध से यान क , उठ चल
ये पैहम त ख़कामी-सी रही या
मुझ को आप अपना आप द जयेगा
तुझ से गले क ँ तुझे जानां मनाऊँ म
हम कहाँ और तुम कहाँ जानां
एक ही मु दा सु ह लाती है
मुझे ग़रज़ है मरी जान ग़ल मचाने से
तू भी चुप है म भी चुप ँ ये कै सी त हाई है
उ गुज़रेगी इ तहान म या
हमारे ज़ मे-तम ा पुराने हो गये ह
हम तरा ह मनाने के लए नकले ह
या यक़ और या गुमां चुप रह
तरी क़ मत घटाई जा रही है
म तो सौदा लये फरा सर म
जी ही जी म वो जल रही होगी
बे दली या यूँ ही दन गुज़र जाएँगे
ज़ मे-उ मीद भर गया कब का
वो जो था वो कभी मला ही नह
दल के अरमान मरते जाते ह
दल जो है आग लगा ँ उस को
नकल आया म अपने अ दर से

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सर ही अब फो ड़ये नदामत म
गुज़र आया म चल के ख़ुद पर से
जो ज़ दगी बची है उसे मत गँवाइये
याद उसे इ तहाई करते ह
अब जुनूँ कब कसी के बस म है
ज़ भी उस से या भला मेरा
वो जो या कु छ न करने वाले थे
घर से हम घर तलक गये ह गे
तूने म ती वजूद क या क
गाहे-गाहे बस अब यही हो या
मुझ को तो गर के मरना है
अपनी मं ज़ल का रा ता भेजो
सरे-स ा हबाब बेचे ह
दल क तकलीफ़ कम नह करते
ठ क है ख़ुद को हम बदलते ह
ह यासी कहाँ से आती है
तरे ग़ र का लया बगाड़ डालूँगा
शाम ई है यार आये ह यार के हमराह चल
जब हम कह न ह गे तब शह्र भर म ह गे
म स ँ कब- ज़ दगी कब तक
दल जो इक जाये थी नया ई आबाद इस म

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अज़ाबे- ह बढ़ा लूँ अगर इजाज़त हो
ह क आँख से आँख तो मलाते जाइये
गँवाई कस क तम ा म ज़ दगी मने
हवास म तो न थे फर भी या न कर आये
श शीर मेरी, मेरी सपर कस के पास है
ग़म हाय रोज़गार म उलझा आ ँ म
उस ने हम को गुमान म र खा
ख़ूब है शौक़ का ये पहलू भी
यहाँ तो कोई मनचला ही नह
करता है हा- मुझ म
कोई भी यूँ मुझ से श म दा आ
तुम से भी अब तो जा चुका ँ म
कौन से शौक़ कस हवस का नह
या ये आफ़त नह अज़ाब नह
ऐ सु ह! म अब कहाँ रहा ँ
तु हारा ह मना लूँ अगर इजाज़त हो
अपने सब यार काम कर रहे ह
महक उट् ठा है आँगन इस ख़बर से
कब उस का वसाल चा हए था
हम को सौदा था सर के मान म थे

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जुनूँ कर हवसे-नंगो-नाम के न रह
जुज़ गुमां और था ही या मेरा
ठै ँ न गली म तरी वहशत ने कहा था
त गी ने सराब ही ल खा
सारे र ते भुलाये जायगे
ईज़ादे ही क दाद जो पाता रहा ँ म
का आलम है यहाँ नालागर के होते
पहनाई का मकान है और दर है गुम यहाँ
कसी से कोई ख़फा भी नह रहा अब तो
ख़ुद से र ते रहे कहाँ उन के
जब तरी वा हश के बादल छँ ट गये

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ब त दल को कु शादा1 कर लया या
ज़माने भर से वादा कर लया या
तो या सचमुच जुदाई मुझ से कर ली
तो ख़ुद अपने को आधा कर लया या
नरमंद से अपनी दल का स हा2
मरी जां, तुम ने सादा कर लया या
जो यक सर जान है, उस के बदन से
कहो कु छ इ तफ़ादा3 कर लया या
ब त कतरा रहे हो मु बच 4 से
गुनाहे-तक-बादा5 कर लया या
यहाँ के लोग कब के जा चुके ह
सफ़र जादा-ब-जादा6 कर लया या
उठाया इक क़दम तूने न उस तक
ब त अपने को मांदा कर लया या
तुम अपनी कजकु लाही7 हार बैठ ?
बदन को बे लबादा कर लया या
ब त नज़द क आती जा रही हो
बछड़ने का इरादा कर लया या
1. व तृत
2. पृ

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3. लाभा वत
4. शराब क सेवा करने वाले ब े
5. शराब छोड़ने का गुनाह

6. रा ते-रा ते
7. तरछ टोपी, मान-अ भमान।

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बेक़रारी-सी बेक़रारी है
व ल1 है और फ़राक़2 तारी है
जो गुज़ारी न जा सक हम से
हम ने वो ज़ दगी गुज़ारी है
नघरे या ए क लोग पर
अपना साया भी अब तो भारी है
बन तु हारे कभी नह आयी
या मरी न द भी तु हारी है
आप म कै से आऊँ म तुझ बन
साँस जो चल रही है, आरी है
उस से क हयो क दल क ग लय म
रात- दन तेरी इ तज़ारी है
ह 3 हो या वसाल4....कु छ हो
हम ह और उस क यादगारी है
इक महक स ते- दल5 से आयी थी
म ये समझा तरी सवारी है
हादस 6 का हसाब है अपना
वरना हर आन सब क बारी है
ख़ुश रहे तू क ज़ दगी अपनी

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उ भर क उमीदवारी है
1. मलन
2. वयोग
3. जुदाई

4. मलाप
5. दल क तरफ़ से
6. घटना ।

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कै सा दल और उस के या ग़म जी
यूँ ही बात बनाते ह हम जी
या भला आ तीन और दामन
कब से पलक भी अब नह नम जी
उस से अब कोई बात या करना
ख़ुद से भी बात क जे कम-कम जी
दल जो दल या था एक मह फ़ल था
अब है दरहम1 जी और बरहम2 जी
बात बेतौर हो गयी शायद
ज़ म भी अब नह है महरम जी
हार नया से मान ल शायद
दल हमारे म अब नह दम जी
आप से दल क बात कै से क ँ
आप ही तो ह दल के महरम3 जी
है ये हसरत क ज़ ह4 हो जाऊँ
है शकन उस शकम क ज़ालम5 जी
कै से आ ख़र न रंग खेल हम
दल ल हो रहा है जानम जी
है ख़राबा,6 सै नया7 अपना
रोज़ म लस8 है और मातम9 जी

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व त दम भर का खेल है इस म
बेश-अज़-बेश10 है कम-अज़-कम जी
है अज़ल11 से अबद12 तलक का हसाब
और बस पल है पैहम13 जी
बे शकन हो गयी ह वो ज फ़
उस गली म नह रहे ख़म14 जी
द ते- दल15 का ग़ज़ाल ही न रहा
अब भला कस से क जए रम16 जी
1. बखरा आ
2. नाराज़, ो धत
3. प र चत

4. व धत

5. सही श द ज़ा लम है ले कन यहाँ भावा तरेक म भाषा के साथ खेलते ए ‘ज़ालम’


लखा है। एक अनौपचा रक अ भ है
6. श ु शासक दे श
7. हज़रत सैन से स ब त
8. वह जलसा जसम कबला के शहीद क चचा या शोक हो
9. शोक

10. अ धक से अ धक

11. आ दकाल

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12. अ तम दन
13. नर तर
14. पेज़

15. हल पी जंगल
16. भागना।

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वही हसाबे-तम ा1 है अब भी आ जाओ
वही है सर वही सौदा2 है, अब भी आ जाओ
जसे गये ए ख़ुद से अब इक ज़माना आ
वो अब भी तुम म खटकता है, अब भी आ जाओ
वो दल से हार गया है पर अपनी दा नश3 म
वो श स अब भी यगाना4 है, अब भी आ जाओ
म ख़ुद नह ँ कोई और है मरे अ दर
जो तुम को अब भी तरसता है, अब भी आ जाओ
म याँ से जाने ही वाला ँ अब मगर अब तक
वही है घर वही जरा5 है, अब भी आ जाओ
वही कशाकशे-अहसास6 है ब हर ल हा
वही है दल, वही नया है, अब भी आ जाओ
तु ह था नाज़ ब त जस क नामदारी का
वो सारे शह्र म वा है, अब भी आ जाओ
यहाँ से साथ ही वाब के शह्र जायगे
वही जुन,ूं वही स ा7 है, अब भी आ जाओ
मरी शराब का शुह्रा8 है अब ज़माने म
सो ये करम है तो कस का है, अब भी आ जाओ
ये तौर! जान जो है मेरी बद शराबी का
मुझे भला नह लगता है, अब भी आ जाओ

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कसी से कोई भी शकवा नह मगर तुम से
अभी तलक मुझे शकवा है, अब भी आ जाओ
वो दल क अब है ल थूकना नर जस का
वो कम से कम अभी ज़ दा है, अब भी आ जाओ
न जाने या है क अब तक मरा ख़ुद अपने से
वही जो था वही र ता है, अब भी आ जाओ
वजूद एक तमाशा था हम जो दे खते थे
वो अब भी एक तमाशा है, अब भी आ जाओ
अभी सदा-ए-जरस9 का आ आग़ाज़10
ग़बार अभी नह उट् ठा है, अब भी आ जाओ
है मेरे दल क गुज़ा रश क मुझ को मत छोड़ो
ये मेरी जां का तक़ाज़ा है, अब भी आ जाओ
कभी जो हम ने बड़े मान से बसाया था
वो घर उजड़ने ही वाला है, अब भी आ जाओ
वो ‘जॉन’ कौन है, जाने जो कु छ नह सुनता
है जाने कौन जो कहता है, अब भी आ जाओ
1. आकां ा क गणना
2. उ माद
3. ववेक
4. अ तीय

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5. कोठरी

6. संवेदना ज नत असमंजस

7. जंगल

8. स
9. या य के साथ चलने वाले जानवर के गले क घंटे क आवाज़
10. ार ।

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कोई नह यहाँ ख़मोश, कोई पुकारता नह
शह्र म एक शोर है और कोई सदा1 नह
आज वो पढ़ लया गया जस को पढ़ा न जा सका
आज कसी कताब म, कु छ भी लखा आ नह
अपने सभी गले बजा, पर है यही क दल बा
मेरा तरा मुआमला2 इ क़ के बस का था नह
ख़च चलेगा अब मरा कस के हसाब म भला
सब के लये ब त ँ म, अपने लये ज़रा नह
जाइये ख़ुद म रायगां3 और वो यूँ क दो तां
ज़ात का कोई माजरा, शह्र का माजरा नह
सीना-ब-सीना लब-ब-लब एक फ़राक़ है क है
फ़राक़ है क है, फ़राक़ या नह
अपना शुमार क जयो ऐ मरी जान! तू कभी
मने भी अपने आप को आज तलक गना नह
तू वो बदन है जस म जान, आज लगा है जी मरा
जी तो कह लगा तरा, सुन, तरा जी लगा नह
नाम ही नाम चारसू,4 एक जूम -ब- 5
कोई तो हो मरे सवा, कोई मरे सवा नह
अपनी जब 6 पे मने आज द कई बार द तक
कोई पता भी है तरा, मेरा कोई पता नह

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1. आवाज़, वन
2. स ब
3. थ
4. चार तरफ़
5. स मुख
6. ललाट।

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नया इक र ता पैदा यूँ कर हम
बछड़ना है तो झगड़ा यूँ कर हम
ख़मोशी से अदा हो र मे- री
कोई हंगामा बरपा यूँ कर हम
ये काफ़ है क हम मन नह है
वफ़ादारी का दावा यूँ कर हम
वफ़ा, इ लास,1 क़बानी, मुह बत
अब इन ल ज का पीछा यूँ कर हम
सुना द इ मते-म रयम2 का क़ सा?
पर अब इस बाब3 को वा4 यूँ कर हम
जलेख़ा-ए-अज़ीज़ां5 बात ये है
भला घाटे का सौदा यूँ कर हम
हमारी ही तम ा यूँ करो तुम
तु हारी ही तम ा यूँ कर हम
कया था अहद जब ल ह म हम ने
तो सारी उ ईफ़ा6 यूँ कर हम
उठा कर यूँ न फके सारी चीज़
फ़क़त कमर म टहला यूँ कर हम
जो इक न ले- फ़रोमाया7 को प ंचे
वो सरमाया8 इकट् ठा यूँ कर हम

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नह नया को जब परवा हमारी
तो फर नया क परवा यूँ कर हम
बरहना9 ह सरे-बाज़ार तो या
भला अ से पदा यूँ कर हम
ह बा शदे इसी ब ती के हम भी
सो ख़ुद पर भी भरोसा यूँ कर हम
चबा ल यूँ न ख़ुद ही अपना ढांचा
तु ह रा तब10 मुहैया यूँ कर हम
पड़ी रहने दो इंसान क लाश
ज़म का बोझ ह का यूँ कर हम
ये ब ती है मुसलमान क ब ती
यहाँ कारे-मसीहा11 यूँ कर हम
1. न छलता
2. म रयम-ईसा मसीह क माँ का सती व
3. पृ

4. खोलना

5. जुलेख़ा- म क रानी जो पैग़ बर युसुफ़ पर मु ध हो गयी थी इसके प त का नाम


अज़ीज़ था
6. त ा-पालन
7. अकु लीन वंश

8. पूँजी

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9. न न

10. तद न का भोजन
11. मसीहा का काय-मुद को जी वत करने का काम ईसा मसीह का है।

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कसी से अहदो-पैमां1 कर न र हयो
तू इस ब ती म र हयो पर न र हयो
सफ़र करना है आ ख़र दो पलक बीच
सफ़र ल बा है बे ब तर न र हयो
ह रक हालत के बैरी ह ये ल हे
कसी ग़म के भरोसे पर न र हयो
स लत से गुज़र जाओ मरी जां
कह जीने क ख़ा तर मर न र हयो
हमारा उ भर का साथ ठै रा*
सो मेरे साथ तो दन भर न र हयो
ब त ार हो जाएगा जीना
यहाँ तू ज़ात के अ दर न र हयो
सवेरे ही से घर आ जाइयो आज
है रोज़े-वा क़आ2 बाहर न र हयो
कह छप जाओ तहख़ान म जा कर
शबे- फ़ ना3 है अपने घर न र हयो
नज़र पर बार4 हो जाते ह मंज़र
जहाँ र हयो वहाँ अ सर न र हयो
1. ेम त ा
2. घटना का दन

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3. उप व क रात
4. बोझ

*उ क वता मे ठहरा के अथ मे ठै रा भी लखा जाता है।

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है बखरने को ये मह फ़ले-रंगो-बू,1
तुम कहाँ जाओगे, हम कहाँ जाएँगे
हर तरफ़ हो रही है यही गु तगू,2
तुम कहाँ जाओगे, हम कहाँ जाएँगे
हर मता-ए-नफ़स3 न े-आहंग4 क ,
हम को यारां हवस थी ब त रंग क
गुलजम से उबलने को है अब ल ,
तुम कहाँ जाओगे, हम कहाँ जाएँगे
अ वले-शब5 का महताब6 भी जा चुका
स े -मैख़ाना7 से अब उफ़क़8 म कह
आ ख़रे-शब9 है, ख़ाली है जामो-
सबू, तुम कहाँ जाओगे, हम कहाँ जाएँगे
कोई हा सल न था आरज़ू का मगर,
सा नहा10 ये है अब आरज़ू भी नह
व त क इस मसाफ़त11 म बेआरज़ू,12
तुम कहाँ जाओगे, हम कहाँ जाएँगे
कस क़दर र से लौट कर आये
ह, यूँ कहो उ बबाद कर आये ह
था सराब13 अपना सरमाया-ए-जु तजू,14
तुम कहाँ जाओगे, हम कहाँ जाएँगे

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इक जुन1ूं 5 था क आबाद हो शह्रे-
जां,16 और आबाद जब शह्रे-जां हो गया
ह ये सरगो शयाँ दर-ब-दर17 कू -ब-
कू ,18 तुम कहाँ जाओगे, हम कहाँ जाएँगे
द त19 म र से-शौक़े -बहार20 अब कहाँ,
बाद पैमाई21 द वानावार अब कहाँ
बस गुज़रने को है मौसमे-हा-ओ- ,22
तुम कहाँ जाओगे, हम कहाँ जाएँगे
हम ह वाकने- द ली-ओ-लखनऊ,23
अपनी या ज़ दगी अपनी या आब
‘मीर’ द ली से नकले, गये लखनऊ,
तुम कहाँ जाओगे, हम कहाँ जाएँगे
1. आन द क सभा
2. बात

3. साँसो क पूँजी
4. व न को भट
5. थम हर
6. – चाँद

7. मधुशाला का आँगन

8. तज

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9. अ तम हर
10. घटना
11. या ा
12. आकां ा र हत
13. मृगतृ णा
14. तलाश क पूँजी
15. उ माद
16. जान का नगर

17. ार- ार
18. गली-गली

19. जंगल

20. बस त का नृ य दे खने क च
21. जंगल क पदया ा
22. शोर-शराबे का मौसम

23. द ली और लखनऊ म बदनाम।

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हम तो जैसे वहाँ के थे ही नह
बेअमां1 थे अमां2 के थे ही नह
हम क ह तेरी दा तां यकसर3
हम तरी दा तां के थे ही नह
उन को आँधी म ही बखरना था
बालो-पर आ शयाँ के थे ही नह
अब हमारा मकान कस का है
हम तो अपने मकां के थे ही नह
हो तरी ख़ाके -आ तां4 पे सलाम
हम तरे आ तां के थे ही नह
हम ने रं जश म ये नह सोचा
कु छ सुख़न5 तो ज़बां के थे ही नह
दल ने डाला था द मयां जन को
लोग वो द मयां के थे ही नह
उस गली ने ये सुन के स कया
जाने वाले यहाँ के थे ही नह
1. असुर त
2. सुर ा-सुर ाम
3. नता त
4. ोढ़ क धूल

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5. बात, श द।

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तू अगर आइयो तो जाइयो मत
और अगर जाइयो तो आइयो मत
पासे-हालात1 है ज़ र सो तू
मु कु राओ तो मु कु राइयो मत
इक क़यामत2 अज़ाब3 है ये ज़म
तू इसे आ मां पे ढाइयो मत
जा रहे हो तो जाओ ले कन अब
याद अपनी मुझे दलाइयो मत
दल है वाबे-ज़म दै न-े ख़याल4
तू इसे अब कभी जगाइयो मत
है मरा ये तरा पयाला-ए-नाफ़5
इस से तू ग़ैर को पलाइयो मत
गोशागीरे - ग़बारे - द ते – उ मद6
तू कभी अपना घर बसाइयो मत
मेरी तो ख़ुद तुझी से री है
सो, मुझे तू गले लगाइयो मत
शबे-ज मानी-ए-स नापैद7
मु तसर दा तां8 सुनाइयो मत
ये ल थूकना है इक पेशा
कोई पेशावरी दखाइयो मत

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या भला जुज़9 ख़याल ह हम-तुम
मुझ से अपने को तू छु ड़ाइयो मत
जा वदानी10 है बात ल हे क
तू मुझे रोज़-रोज़ भाइयो मत
द ने- दल11 म जहाद12 है म नूअ13
तू यूँ ही अपना सर कटाइयो मत
ह ये ल हात, जा वदां जानी
अपनी बेचै नयाँ दबाइयो मत
शौक़ का इक बजार ँ म तो
तुम कभी भी मुझे सधाइयो मत
1. तय का लहाज, ब न
2. लय
3. क

4. ह रयाले सपन का वचार


5. ना भ- पी याला
6. आशा पी ग़बार के साथ
7. अँधरे ी रात और सु ह क कह पता नह
8. सं पे
9. सवाय
10. अमर

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11. दल के धम म
12. धम-यु

13. व जत।

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बद दली1 म बेक़रारी को क़रार आया तो या
पा पयादा2 हो के कोई शहसवार3 आया तो या
ज़ दगी क धूप म मुझा गया मेरा शबाब
अब बहार आयी तो या, अ े-बहार4 आया तो या
मेरे तेवर बुझ गये, मेरी नगाह जल गय
अब कोई आईना 5 आईनादार6 आया तो या
अब क जब जानाना तुम को है सभी पर एतबार
अब तु ह जानाना मुझ पर एतबार आया तो या
अब मुझे ख़ुद अपनी बाँह पर नह है इ तयार
हाथ फै लाये कोई बेइ तयार आया तो या
वो तो अब भी वाब है, बेदार7 बीनाई8 का वाब
ज़ दगी म वाब म उस के गुज़ार आया तो या
हम यहाँ बेगाना ह, सो हम म से ‘जॉन ए लया’
कोई जीत आया यहाँ और कोई हार आया तो या
1. म लनता, उदासी

2. पैदल

3. चतुर घुड़सवार

4. बस त का बादल
5. चमकता आ चेहरा, ेयसी
6. ृंगार कराने वाला

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7. जा त
8. ।

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हम आँ धय के बन म कसी कारवाँ के थे
जाने कहाँ से आये थे, जाने कहाँ के थे
ऐ जाने-दा तां!1 तुझे आया कभी ख़याल
वो लोग या ए जो तरी दासतां के थे
हम तेरे आ तां2 पे ये कहने को आये ह
वो ख़ाक हो गये जो तरे आ तां के थे
मल कर तपाक से न हम क जये उदास
ख़ा तर न क जये कभी हम भी यहाँ के थे
या पूछते हो नामो- नशाने-मुसा फ़रां
ह दो तां म आये ह, ह दो तां के थे
अब ख़ाक उड़ रही है यहाँ इ तज़ार क
ऐ दल! ये बामो-दर3 कसी जाने-जहां4 के थे
हम कस को द भला दरो-द वार का हसाब
ये हम जो ह, ज़म के न थे आ मां के थे
हम से छना है नाफ़ पयाला तरा मयाँ
गोया अज़ल5 से हम सफ़े -लब त गां6 के थे
हम को हक़ क़त ने कया है ख़राबो- वार7
हम वाबे- वाब और गुमाने-गुमां के थे
सद याद-याद जॉन वो हंगामे- दल क जब
हम एक गाम के न थे, पर ह त वां8 के थे

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वो र ता हाय ज़ात9 जो बबाद हो गये
मेरे गुमां10 के थे क तु हारे गुमां के थे
1. दा तान क आ मा
2. चौखट

3. छत और दरवाज़ा

4. ेयसी, सु दरी
5. अना दकाल

6. यास क पं
7. ख़राब और बदनाम

8. अ य त क ठन काय
9. अ त व के स ब म
10. म।

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सारी नया के ग़म हमारे ह
और सतम ये क हम तु हारे ह
दले-बबाद ये ख़याल रहे
उसने गेसू नह सँवारे ह
उन रफ़ क़ 1 से शम आती है
जो मरा साथ दे के हारे ह
और तो हम ने या कया अब तक
ये कया है क दन गुज़ारे ह
उस गली से जो हो के आये ह
अब तो वो राहरौ2 भी यारे ह
‘जॉन’ हम ज़ दगी क राह म
अपनी त हारवी3 के मारे ह
1. म
2. प थक

3. अके ला चलना।

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नयी वा हश1 रचाई जा रही है
तरी फ़क़त2 मनाई जा रही है
नभाई थी न हम ने जाने कस से
क अब सब से नभाई जा रही है
हमारे दल-मुह ले क गली से
हमारी लाश लाई जा रही है
कहाँ ल ज़त3 वो सोज़े-जु तजू4 क
यहाँ हर चीज़ पाई जा रही है
ख़ुशा5 अहवाल6 अपनी ज़ दगी का
सलीक़े 7 से गँवाई जा रही है
दरीचे8 से था अपने बैर हम को
सो ख़ुद द मक लगाई जा रही है
जुदाई मौसम क धूप सु नयो
मरी यारी जलाई जा रही है
मरी जां अब ये सूरत है क मुझ से
तरी आदत छु ड़ाई जा रही है
म पैहम9 हार के ये सोचता ँ
वो या शै10 है जो हारी जा रही है
1. इ ा
2. जुदाई

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3. आन द
4. तलाश क जलन
5. वाह-वाह

6. हाल का ब वचन, वृ ा त
7. श ता
8. झरोखा

9. नर तर
10. व तु।

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धरम क बाँसुरी से राग नकले
वो सूराख़ से काले नाग नकले
रखो दै रो-हरम1 को अब मुक़ फ़ल2
कई पागल यहाँ से भाग नकले
वो गंगा जल हो या हो आबे-ज़मज़म3
ये वो पानी ह जन से आग नकले
ख़ुदा से ले लया ज त का वादा
ये ज़ा हद4 तो बड़े ही घाघ नकले
है आ ख़र आद मयत भी कोई शै
तरे दरबान तो बुलडाग नकले
ये या अ दाज़ है ऐ नु ाचीनो!5
कोई त क़ द6 तो बेलाग नकले
पलाया था हम अमृत कसी ने
मगर मुँह से ल के झाग नकले
1. म दर और म जद
2. तालाब द
3. म के के प व कु एँ का पानी
4. संयमी

5. छ ा वेषी
6. आलोचना।

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दल जो द वाना नह आ ख़र को द वाना भी था
भूलने पर उस को जब आया तो पहचाना भी था
जा नया कस शौक़ म र ते बछड़ कर रह गये
काम तो कोई नह था पर हम जाना भी था
अजनबी-सा एक मौसम एक बेमौसम-सी शाम
जब उसे आना नह था जब उसे आना भी था
जा नये यूँ दल क वहशत1 द मयां म आ गयी
बस यूँ ही हम को बहकना भी था बहकाना भी था
इक महकता-सा वो ल हा था क जैसे इक ख़याल
इक ज़माने तक उसी ल हे को तड़पाना भी था
1. पागलपन।

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काम क बात मने क ही नह
ये मरा तौरे- ज़ दगी1 ही नह
ऐ उ मीद2! ऐ उ मीदे -नौमीदां3!
मुझ से म यत तरी उठ ही नह
म जो था उस गली का म त ख़राम4
उस गली म मरी चली नह
ये सुना है क मेरे कु च के बाद
उस क ख़ुशबू कह बसी ही नह
थी जो इक फ़ा ता उदास-उदास
सु ह वो शाख़ से उड़ी ही नह
मुझ म अब मेरा जी नह लगता
और सतम ये क मेरा जी ही नह
वो जो रहती थी दल मुह ले म
फर वो लड़क मुझे मली ही नह
जाइये और ख़ाक उड़ाइने आप
अब वो घर या क वो गली ही नह
हाय वो शौक़ जो नह था कभी
हाय वो ज़ दगी जो थी ही नह
1. जीने का ढं ग

2. आशा

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3. नराशा-सी आशा
4. नम ग त से चलना।

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कभी-कभी तो ब त याद आने लगते हो
क ठते हो कभी और मनाने लगते हो
गला तो ये है तुम आते नह कभी ले कन
जब आते भी हो तो फ़ौरन ही जाने लगते हो
ये बात ‘जॉन’ तु हारी मज़ाक़ है क नह
क जो भी हो उसे तुम आज़माने लगते हो
तु हारी शाइरी या है भला, भला या है
तुम अपने दल क उदासी को गाने लगते हो
सुना है कहकशान 1 म रोज़ो-शब ही नह
तो फर तुम अपनी जबां यूँ जलाने लगते हो
1. आकाशगंगाओ।

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ख़ुद से हम इक नफ़स1 हले भी कहाँ
उस को ढूँ ढ तो वो मले भी कहाँ
ग़म न होता जो खल के मुझाते
ग़म तो ये है क हम खले भी कहाँ
ख़ुश हो सीने क इन ख़राश 2 पर
फर तन फ़स3 के ये सले4 भी कहाँ
आगही5 ने कया हो चाक जसे
वो गरेबां भला सले भी कहाँ
अब ता मुल6 न कर दले-ख़ुदकाम7
ठ ले, फर ये स सले भी कहाँ
ख़ेमा-ख़ेमा गुज़ार ले ये शब
बामदादां8 ये क़ा फ़ले भी कहाँ
आओ, आपस म कु छ गले कर ल
वरना यूँ है क फर गले भी कहाँ
1. साँस

2. रगड़

3. साँसो का आना-जाना

4. इनाम, तफल
5. ववेक
6. असमंजस, वल ब

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7. व द
8. सवेरा।

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उठ समा ध से यान क , उठ चल
इस गली से गुमान1 क , उठ चल
मांगते ह जहाँ ल भी उधार
तूने वाँ यूँ कान क , उठ चल
बैठ मत एक आ तां2 पे अभी
उ है ये उठान क , उठ चल
कसी ब ती का हो न पाब ता3
सैर कर इस जहान क , उठ चल
दल है जस ग़म हमेशगी4 का असीर5
है वो बस आन क , उठ चल
ज म म पाँव ह अभी मौजूद
जंग करना है जान क , उठ चल
तू है बेहाल और यहाँ सा ज़श
है कसी इ तहान क , उठ चल
ह मुदार 6 म अपने स यारे7
ये घड़ी है अमान8 क , उठ चल
या है परदे स को जो दे स कहा
थी वो लुकनत9 ज़बान क , उठ चल
हर कनारा ख़रामे-मौज10 तुझे
याद करती है बान क , उठ चल

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1. म
2. ोढ़
3. बँधा आ
4. न यता
5. ब द
6. च कर
7. सतारे, ह
8. शा त
9. हकलाहट

10. लहराती ई चाल।

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ये पैहम1 त ख़कामी2-सी रही या
मुह बत ज़हर खा कर आयी थी या
मुझे अब तुम से डर लगने लगा है
तु ह मुझ से मुह बत हो गयी या
शक ते-एतमादे -ज़ात3 के व त
क़यामत आ रही थी, आ गयी या
मुझे शकवा नह बस पूछना है
ये तुम हँसती हो अपनी ही हँसी या
हम शकवा नह इक- सरे से
मनाना चा हए इस पर ख़ुशी या
पड़े ह एक गोशे4 म गुमां5 के
भला हम या, हमारी ज़ दगी या
म सत हो रहा ँ, पर तु हारी
उदासी हो गयी है मु तवी6 या
म अब हर श स से उकता चुका ँ
फ़क़त कु छ दो त ह, और दो त भी या
मुह बत म हम पासे-अना7 था
बदन क इ तहा8 सा दक़9 न थी या
नह र ता समूचा ज़ दगी से
न जाने हम म है अपनी कमी या

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अभी होने क बात ह, सो कर लो
अभी तो कु छ नह होना, अभी या
यही पूछा कया म आज दन भर
हर इक इ सान को रोट मली या
1. नर तर
2. अपूण मनोरथ

3. अपना भरोसा टू टना

4. कोने म

5. म
6. गत
7. अहं का शील संकोच

8. ुधा, इ ा
9. स ी।

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मुझ को आप अपना आप द जयेगा
और कु छ भी न मुझ से ली जयेगा
आप बे म ल,1 बे मसाल2 ँ म
मुझ सवा3 आप कस से री झयेगा
आप जो ह अज़ल4 से ही बेनाम
नाम मेरा कभी तो ली जयेगा
आप बस मुझ म ही तो ह, सो आप
मेरा बेहद याल क जये......गा
है अगर वाक़ई शराब हराम5
आप ह ठ से मेरे पी जयेगा
इ तज़ारी ँ अपना म दन-रात
अब मुझे आप भेज द जयेगा
आप मुझ को ब त पस द आय
आप मेरी क़मीस सी जयेगा
दल के र ते ह ‘जॉन’ झूठ क सच
ये मुअ मा6 कभी न बू झयेगा
है मरे ज मो-जां का माज़ी7 या
मुझ से बस ये कभी न पू छयेगा
मुझ से मेरी कमाई का सरे-शाम
पाई-पाई हसाब ली जयेगा

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ज़ दगी या है इक नर करना
सो, क़रीने8 से ज़ पी जयेगा
म जो ँ, ‘जॉन ए लया’ ँ जनाब
इस का बेहद लहाज़ क जयेगा
1. अनुपम

2. अतु य
3. अ त र

4. अना द काल

5. व जत

6. पहेली

7. अतीत

8. श ता।

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तुझ से गले क ँ तुझे जानां मनाऊँ म
इक बार अपने आप म आऊँ तो आऊँ म
दल से सतम क बेसरोकरी हवा को है
वो गद उड़ रही है क ख़ुद को गँवाऊँ म
वो नाम ँ क जस पे नदामत1 भी आब नह
वो काम ह क अपनी जुदाई कमाऊं म
यूँ कर हो अपने वाब क आँख म वापसी
कस तौर अपने दल के ज़मान म आऊँ म
इक रंग-सी कमान हो ख़ुशबू-सा एक तीर
मरहम-सी वारदात हो और ज़ म खाऊँ म
शकवा-सा इक दरीचा हो न शा-सा इक सुकूत2
हो शाम इक शराब-सी और लड़खड़ाऊं म
फर उस गली से अपना गुज़र चाहता है दल
अब उस गली को कौन-सी ब ती से लाऊँ म
1. ल ा
2. न त ता।

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हम कहाँ और तुम कहाँ जानां
ह कई ह 1 द मयां जानां
रायगां2 व ल3 म भी व त आ
पर आ ख़ूब रायगां जानां
मेरे अ दर ही तू कह गुम है
कस से पूछूँ तरा नशां जानां
आलमे-बेकराने-रंग4 है तू
तुझ म ठै ँ कहाँ-कहाँ जानां
म हवा से कै से पेश आऊँ
यही मौसम है या वहाँ जानां?
रोशनी भर गयी नगाह म
हो गये वाब बेअमां जानां
अब भी झील म अ स पड़ते ह
अब भी नीला है आ मां जानां
है जो पुर ख़ूं5 तु हारा अ से-ख़याल
ज़ म आये कहाँ-कहाँ जानां
1. वरह
2. थ
3. मलन
4. रंग का अ तु संसार

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5. र रं जत।

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एक ही मु दा1 सु ह लाती है
धूप आँगन म फै ल जाती है
रंग मौसम है और बादे -सबा2
शह्र-कू च म ख़ाक उड़ाती है
फ़श पर काग़ज़ उड़ते फरते ह
मेज़ पर गद जमती जाती है
सोचता ँ क उस क याद आ ख़र
अब कसे रात भर जगाती है
सो गये पेड़ जाग उठ ख़ुशबू
ज़ दगी वाब यूँ दखाती है
उस सरापा3 वफ़ा क फ़क़त4 म
वा हशे-ग़ैर5 यूँ सताती है
आप अपने से हमसुख़र6 रहना
हमनश !7 साँस फू ल जाती है
या सतम है क अब तरी सूरत
ग़ौर करने पे याद आती है
कौन इस घर क दे खभाल करे
रोज़ इक चीज़ टू ट जाती है
1. शुभ स दे श
2. ातःकालीन हवा

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3. सर से पाँव तक
4. जुदाई

5. अ य क इ ा
6. सहसभाषी

7. म ।

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मुझे ग़रज़1 है मरी जान ग़ल2 मचाने से
न तेरे आने से मतलब, न तेरे जाने से
अजीब है मरी फ़तरत3 क आज ही म लन
मुझे सुकून मला है तरे न आने से
इक इ तहाद4 का पहलू ज़ र है तुझ म
ख़ुशी ई तरे ना व त मु कु राने से
ये मेरा जोशे-मुह बत फ़क़त इबारत5 है
तु हारी च ई रान 6 को नोच खाने से
मुह ज़ब7 आदमी पतलून के बटन तो लगा
क इ तक़ा8 है इबारत बटन लगाने से
1. आशय

2. शोर

3. वभाव
4. जहाँ क़रान/हद स म कसी काम के लए आदे श न हो वहाँ अपनी बु से
उ चत-अनु चत का ान करना, य न करना
5. उ ेय
6. जाँघ

7. श
8. वकास।
तू भी चुप है म भी चुप ँ ये कै सी त हाई है

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तेरे साथ तरी याद आयी या तू सचमुच आयी है
शायद वो दन पहला दन था पलक बोझल होने का
मुझ को दे खते ही जब उस क अंगड़ाई शमाई है
उस दन पहली बार आ था मुझ को रफ़ाक़त1 का अहसास
जब उस के म बूस2 क ख़ुशबू घर प ंचाने आयी है
न से अज़-शौक़3 न करना न को ज़क प ँचाना4 है
हम ने अज़-शौक़ न कर के न को ज़क प च
ँ ाई है
हम को और तो कु छ नह सूझा अलब ा उस के दल म
सोज़े-रक़ाबत पैदा5 कर के उस क न द उड़ाई है
हम दोन मल कर भी दल क त हाई म भटकगे
पागल कु छ तो सोच ये तूने कै सी श ल बनाई है
इ क़े -पेचां6 क संदल पर जाने कस दन बेल चढ़े
यारी म पानी ठै रा है द वार पर काई है
न के जाने कतने चे े न के जाने कतने नाम
इ क़ का पेशा नपर ती7 इ क़ बड़ा हरजाई है
आज ब त दन बाद म अपने कमरे तक आ नकला था
जूँ ही दरवाज़ा खोला है उस क ख़ुशबू आयी है
एक तो इतना ह स8 है फर म साँस रोके बैठा ँ
वीरानी ने झाड दे के घर म धूल उड़ाई है

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1. मै ी
2. व

3. अ भलाषा क ाथना
4. ल त करना
5. त के लए जलन
6. लाल फू ल वाली एक बेल
7. सौ दय पासना
8. उमस।

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उ गुज़रेगी इ तहान म या
दाग़ ही दगे मुझ को दान म या
मेरी हर बात बेअसर ही रही
न स1 है कु छ मरे बयान म या
मुझ को तो कोई टोकता भी नह
यही होता है ख़ानदान म या
अपनी मह मयां2 छपाते ह
हम ग़रीब क आन-बान म या
ख़ुद को जाना जुदा ज़माने से
आ गया था मरे गुमान3 म या
शाम ही से काने-द द4 है ब द
नह नु सान तक कान म या
ऐ मरे सुबहो-शामे- दल क शफ़क़5
तू नहाती है अब भी बान6 म या
बोलते यूँ नह मरे हक़ म
आबले पड़ गये ज़बान म या
1. ुट
2. वंचनाएँ

3. म
4. य क कान

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5. ला लमा

6. अमरोहा मे बहने वाली नद ।

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हमारे ज़ मे-तम ा1 पुराने हो गये ह
क उस गली म गये अब ज़माने हो गये ह
तुम अपने चाहने वाल क बात मत सु नयो
तु हारे चाहने वाले दवाने हो गये ह
वो ज फ़ धूप म फ़क़त2 क आयी है जब याद
तो बादल आये ह और शा मयाने3 हो गये ह
जो अपने तौर से हम ने कभी गुज़ारे थे
वो सु हो-शाम तो जैसे फ़साने हो गये ह
अजब महक थी मरे गुल तरे श ब तां4 क
सो बुलबुल के वहाँ आ शयाने हो गये ह
हमारे बाद जो आय उ ह मुबारक हो
जहाँ थे कुं ज वहाँ कारख़ाने हो गये ह
1. आकां ा के घाव
2. जुदाई

3. छाया के लए ताना जाने वाला कपड़ा


4. शयनागार।

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हम तरा ह 1 मनाने के लए नकले ह
शह्र म आग लगाने के नकले ह
शह्र कू च म करो ह बपा2 आज क हम
उस के वाद को भुलाने के लए नकले ह
हम से जो ठ गया है वो ब त है मासूम
हम तो और को मनाने के नकले ह
शह्र म शोर है, वो यूँ के गुमां के सफ़री
अपने ही आप म आने के लए नकले ह
वो जो थे शह्रे-तह युर3 तरे पुरफ़न4 मेमार
वही पुरफ़न तुझे ढाने के लए नकले ह
रहगुज़र म तरी क़ालीन बछाने वाले
ख़ून का फ़श बछाने के लए नकले ह
हम करना है ख़ुदावंद5 क इमदाद6 सो हम
दै रो-काबा7 को लड़ाने के लए नकले ह
सरे-शब इक नयी त सील8 बपा होनी है
और हम पदा उठाने के नकले ह
हम सैराब9 नयी न ल को करना है सो हम
ख़ून म अपने नहाने के लए नकले ह
हम कह के भी नह पर ये है दाद10 अपनी
हम कह से भी न जाने के नकले ह

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1. वयोग
2. ऊधम मचाना

3. अच का नगर
4. कला मक इमारत बनाने वाले
5. ई र
6. सहायता

7. म दर और काबा
8. ात
9. स चना, तृ त
10. वृ ता त।

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या यक 1 और या गुमां2 चुप रह
शाम का व त है मयाँ, चुप रह
हो गया क़ सा-ए- वजूद3 तमाम4
है अब आग़ाज़े-दा तां,5 चुप रह
म तो पहले ही जा चुका ँ कह
तू भी जाना नह यहाँ, चुप रह
तू अब आया है हाल म अपने
जब ज़म है न आ मां चुप रह
तू जहाँ था जहाँ जहाँ था कभी
तू भी अब तो नह वहाँ, चुप रह
ज़ छे ड़ा ख़ुदा का फर तूने
यां है इ सां भी रायगां,6 चुप रह
सारा सौदा7 नकाल दे सर से
अब नह कोई आ तां,8 चुप रह
अहरमन9 हो, ख़ुदा हो, या आदम
हो चुका सब का इ तहां, चुप रह
द मयानी ही अब सभी कु छ है
तू नह अपने द मयां, चुप रह
अब कोई बात तेरी बात नह
नह तेरी, तरी जबां, चुप रह

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है यहाँ ज़ े -हाले-मौजूदा10
तू है अब अज़गु ज़ तगां,11 चुप रह
ह 12 क जांकनी13 तमाम ई
दल आ ‘जॉन’ बेअमां, चुप रह
1. व ास
2. म
3. अ त व का वृता त
4. स ण

5. दा तान का आर
6. थ
7. उ माद
8. चौखट

9. ईरा नय के मतानुसार ‘बद ’ का ई र


10. वतमान क चचा
11. व मृत मे से
12. वरह
13. मृ यु सा क ।

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तरी क़ मत घटाई जा रही है
मुझे फ़क़त सखाई जा रही है
ये है तामीरे- नया1 का ज़माना2
हवेली दल क ढाई जा रही है
वो शै3 जो सफ़ ह तान क थी
वो पा क तान लाई जा रही है
कहाँ का द न,4 कै सा द न, या द न
ये या गड़बड़ मचाई जा रही है
शऊरे-आदमी5 क सरज़म तक
ख़ुदा क अब हाई जा रही है
मुझे अब होश आता जा रहा है
ख़ुदा तेरी ख़ुदाई जा रही है
नह मालूम या सा ज़श है दल क
क ख़ुद ही मात खाई जा रही है
है वीरानी क धूप और एक आँगन
और उस पर लू चलाई जा रही है
1. नया क रचना
2. समय

3. व तु
4. धम

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5. आदमी का ववेक।

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म तो सौदा लये फरा सर म
ख़ाक उड़ती रही मरे घर म
न आ तू मुझे नसीब तो या
म ही अपने न था मुक़द्दर म
ले के स त 1 क एक बेस ती2
गुम आ ँ म आपने पैकर3 म
डू बये इस नगह के साथ कहाँ
धूल ही धूल है सम दर म
चा हए कु छ नर को उस का ख़याल
है जो बेमंज़री4-सी मंज़र म
माँग ले कोई याद प र से
व त पथरा गया है प र म
कै से प ँचे ग़मीज5 तक ये ख़बर
घर गया ँ म अपने ल कर म
एक द वार गर पड़ी दल पर
एक द वार ख़़च गयी घर म
1. दशा
2. दशाहीन
3. अ तव
4. यहीनता

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5. लुटेरा, मन।

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जी ही जी म वो जल रही होगी
चाँदनी म टहल रही होगी
चाँद ने तान ली है चादरे-अ 1
अब वो कपड़े बदल रही होगी
सो गयी होगी वो शफ़क़-अंदाम2
स ज़ क़ं द ल जल रही होगी
सुख़ और स ज़ वा दय क तरफ़
वो मरे साथ चल रही होगी
चढ़ते-चढ़ते कसी पहाड़ी पर
अब वो करवट बदल रही होगी
पेड़ क छाल से रगड़ खा कर
वो तने से फसल रही होगी
नीलगूं झील नाफ़3 तक पहने
संदल ज म मल रही होगी
हो के वो वाबे-ऐश से बेदार4
कतनी ही दे र शल5 रही होगी
1. बादल क चादर
2. उषा क - सी दे ह वाली

3. ना भ

4. जा त

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5. श थल आलसी।

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ज़ मे -उ मीद1 भर गया कब का
क़ै स2 तो अपने घर गया कब का
अब तो मुँह अपना मत दखाओ मुझे
नासेहो3 म सुधर गया कब का
आप अब पूछने को आये ह
दल मरी जान मर गया कब का
आप इक और न द ले लीजे
क़ा फ़ला कू च कर गया कब का
मेरा फे ह र त4 से नकाल दो नाम
म तो ख़ुद से मुकर गया कब का
1. आशा पी घाव
2. ‘मँजनू’ का नाम, जो लैला पर मु ध था

3. उपदे शक

4. सूची।

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वो जो था वो कभी मला ही नह
सो गरेबां कभी सला ही नह
उस से हरदम मुआमला1 है मगर
द मयां कोई स सला ही नह
बे मले ही बछड़ गये हम तो
सो गले है कोई गला ही नह
च म मैग2ूं से है मुग़ां3 ने कहा
म त कर दे मगर पला ही नह
तू जो है जान, तू जो है जानां
तू हम आज तक मला ही नह
म त ँ म महक से उस गुल क
जो कसी बाग़ म खला ही नह
हाय, जॉन उस का वो पयाला-ए-नाफ़4
जाम5 ऐसा कोई मला ही नह
तू है इक उ से फ़ग़ांपेशा6
अभी सीना तरा छला ही नह
1. लेन-दे न, स ब
2. शराब के रंग जैसी लाल आँख
3. शराब पलाने वाला
4. ना भ पी याला

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5. शराब पीने का याला
6. आतनाद करने वाला।

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दल के अरमान मरते जाते ह
सब घर दे बखरते जाते ह
मह मले-सु हे-नौ1 कब आयेगी
कतने ही दन गुज़रते जाते ह
मु कु राते ज़ र ह ले कन
ज़ेरे-लब2 आह भरते जाते ह
थी कभी कोहकन3 मरी शीर
अब तो आदाब बरते जाते ह
बढ़ता जाता है कारवाने-हयात4
हम उसे याद करते जाते ह
शह्र आबाद कर शह्र के लोग
अपने अ दर बखरते जाते ह
रोज़ अ ज़ू5ं है ज़ दगी का जमाल
आदमी ह क मरते जाते ह
‘जॉन’ ये ज़ म कतना कारी6 है
यानी कु छ ज़ म भरते जाते ह
1. नयी सु ह का कजावा
2. होठ म
3. पहाड़ काटने वाला, फ़रहाद क उपा ध
4. जीवन का कारवाँ

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5. जो त दन बढ़ता रहे
6. भरपूर।

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दल जो है आग लगा ँ उस को
और फर ख़ुद ही हवा ँ उस को
जो भी है उस को गँवा बैठा है
म भला कै से गँवा ँ उस को
तुझ गुमां पर जो इमारत क थी
सोचता ँ क म ढा ँ इस को
ज म म आग लगा ं उस के
और फर ख़ुद ही बुझा उस को
ह 1 क न 2 तो दे नी है उसे
सोचता ँ क भुला ँ उस को
जो नह है मरे दल क नया
यूँ न म ‘जॉन’ मटा ँ उस को
1. जुदाई

2. भेट।

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नकल आया म अपने अ दर से
अब कोई डर नह है बाहर से
सु ह द तर गया था यूँ इ सान
अब ये यूँ आ रहा है द तर से
मेरे अ दर कजी1 बला क है
या मुझे ख चता है म तर2 से
रन को जाता ँ पर नह मालूम
आ ख़रश ँ म कस के ल कर से
अहले-मज लस3 तो सोएँगे ता दे र
आप कब उत रयेगा मबर4 से
नह बदतर क बदतरीन ँ म
ँ ख़जल5 अपने न फ़ बेहतर6 से
बोल कर दाद के फ़क़त दो बोल
ख़ून थुकवा लो शोबदागर7 से
अब जो डर है मुझे तो इस का है
अ दर आ जाएँगे वो अ दर से
1. टे ढ़ापन

2. कागज़ पर मोड़ पर पं बनाने क दफ़ती


3. सभासद

4. स बोधन करने क चौक

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5. ल त
6. न फ़=आधा ला णक अथ प नी
7. जा गर, यहाँ शाइर अ भ ाय।

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सर ही अब फो ड़ये नदामत1 म
न द आने लगी है फ़क़त2 म
ह दलील तरे ख़लाफ़ मगर
सोचता ँ तरी हमायत3 म
ह ने इ क़ का फ़रेब4 दया
ज म को ज म क अदावत5 म
अब फ़कत आदत क व ज़श6 है
ह शा मल नह शकायत म
इ क़ को द मयाँ न लाओ क म
चीख़ता ँ बदन क उसरत7 म
ये कु छ आसान तो नह है क हम
ठते अब भी ह मुर वत8 म
वो जो तामीर9 होने वाली थी
लग गयी आग उस इमारत म
अपने जरे10 का या बयां क यहाँ
ख़ून थूका गया शरारत म
वो ख़ला11 है क सोचता ँ म
उस से या गु तगू12 हो ख़ वत13 म
ज़ दगी कस तरह बसर होगी
दल नह लग रहा मुह बत म

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हा सले-कु न14 है ये जहाने-ख़राब15
यही मु कन था इतनी उ लत16 म
फर बनाया ख़ुदा ने आदम को
अपनी सूरत पे ऐसी सूरत म
और फर आदमी ने ग़ौर कया
छपकली क लतीफ़ सनअत17 म
ऐ ख़ुदा (जो कह नह मौजूद)
या लखा है हमारी क़ मत म
1. श म दगी
2. वरह
3. तरफ़दारी

4. धोखा

5. श तु ा
6. अ यास
7. क ठनता

8. शील संकोच

9. नमाण
10. कोठरी

11. र होना, एकाक होना


12. वातालाप

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13. एका त
14. कु न=‘हो जा’, क़रआन के अनुसार ई र ने यह श द कहा और सृ उ प हो गयी
15. नया
16. ज द
17. बारीक कला।

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गुज़र आया म चल के ख़ुद पर से
इक बला तो टली मरे सर से
मु त क़ल1 बोलता ही रहता ँ
कतना ख़ामोश ँ म अ दर से
मुझ से अब लोग कम ही मलते ह
यूँ भी म हट गया ँ मंज़र से
म ख़मे-कू चा-ए-जुदाई2 था
सब गुज़रते गये बराबर से
जरा-ए-सद बला3 है बा तने-ज़ात4
ख़ुद को तो ख चयो न बाहर से
या स हो गयी दले-बे वाब5?
इक धुआँ उठ रहा है ब तर से
1. नर तर
2. वयोग क गली मे झुकाव
3. अन गनत आप य क कोठरी
4. अ त व के अ दर
5. अ न ा सत दल।

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जो ज़ दगी बची है उसे मत गँवाइये
बेहतर ये है क आप मुझे भूल जाइये
हर आन1 इक जुदाई है ख़ुद अपने आप से
हर आन का है ज़ म जो हर आन खाइये
थी म रत2 क हम को बसाना है घर नया
दल ने कहा क मेरे दरो-बाम3 ढाइये
थूका है मने ख़ून हमेशा मज़ाक़ म
मेरा मज़ाक़ आप हमेशा उड़ाइये
हर गज़ मरे ज़ूर कभी आइये न आप
और आइये अगर, तो ख़ुदा बन के आइये
अब कोई भी नह है कोई दल मुह ले म
कस- कस गली म जाइये और ग़ल4 मचाइये
इक तौ रदा सद था जो बेतौर हो गया
अब जंतरी5 बजाइये, तारीख़6 गाइये
इक लाल क़ला था जो मयाँ टज़द पड़ गया
अब रंगरेज़ कौन से, कस जा7 से लाइये
शाइर ह आप यानी क स ते लतीफ़ गो8
र त को दल से रोइये, सब को हँसाइये
जो हालत का दौर था, वो तो गुज़र गया
दल को जला चुके ह, सो अब घर जलाइये

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अब या फ़रेब9 द जये और कस को द जये
अब या फ़रेब खाइये और कस से खाइये
है याद पर मदार10 मरे कारोबार का
है अज़ आप मुझ को ब त याद आइये
बस फ़ाइल का बोझ उठाया कर जनाब
म ा11 ये जॉन का है इसे मत उठाइये
1. ण
2. परामश

3. ार और छत
4. शोर

5. डफली

6. इ तहास

7. जगह

8. चुटकु ले सुनाने वाला

9. धोखा

10. नभरता
11. शेर क एक पं शाइर क कसी पं को जब साथी-शाइर या ोता दोहराये तो
उसे पा रभा षक अथ मे म ा उठाना कहते ह।

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याद उसे इ तहाई1 करते ह
सो हम उस क बुराई करते ह
पस द आता है दल से यूसुफ़2 को
वो जो यूसुफ़ के भाई करते ह
है बदन वाबे-व ल3 का दं गल
आओ रोज़ आज़माई करते ह
उस को और ग़ैर को ख़बर ही नह
हम लगाई बुझाई करते ह
हम अजब ह क उस क बाँह म
शकवा-ए-नारसाई4 करते ह
हालते-व ल5 म भी हम दोन
ल हा-ल हा जुदाई करते ह
आप जो मेरी जां ह, म दल ँ
मुझ से कै से जुदाई करते ह
बावफ़ा एक- सरे से मयाँ
हर नफ़स6 बेवफ़ाई करते ह
जो ह सरहद के पार से आये
वो ब त ख़ुदसताई7 करते ह
पल क़यामत के सूद वार8 ह ‘जॉन’
ये अबद9 क कमाई करते ह

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1. अ य धक
2. नाम पैग बर का, जो कामदे व क तरह सु दर थे
3. मलन का सपना
4. प च
ँ न होने का उलाहना
5. मलन क दशा
6. साँस

7. आ म शंसा
8. याज खाने वाला
9. वह समय जसका अ त न पता हो।

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अब जुन1ूँ कब कसी के बस म है
उस क ख़ुशबू नफ़स-नफ़स2 म है
हाल उस सैद3 का सुनाइये या
जस का स याद4 ख़ुद क़फ़स5 म है
या है गर ज़ दगी का बस न चला
ज़ दगी कब कसी के बस म है
ग़ैर से र हयो तू ज़रा शयार
वो तरे ज म क हवस म है
पा शक ता पड़ा आ ँ मगर
दल कसी न मा-ए-जरस6 म है
‘जॉन’ हम सब क द तरस7 म ह
वो भला कस क द तरस म है
1. उ माद
2. साँस-साँस

3. शकार
4. शकारी
5. पजरा
6. या य के साथ रहने वाली जानवर के गले क घंट के मधुर गान/ व न
7. प च
ँ ।

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ज़ भी उस से या भला मेरा
उस से र ता ही या रहा मेरा
आज मुझ को ब त बुरा कह कर
आप ने नाम तो लया मेरा
आ ख़री बात तुम से कहना है
याद रखना न तुम कहा मेरा
अब तो कु छ भी नह ँ म वैसे
कभी वो भी था मु तला1 मेरा
वो भी मं ज़ल तलक प च
ँ जाता
उस ने ढूँ ढ़ा नह पता मेरा
तुझ से मुझ को नजात मल जाये
तू आ कर क हो भला मेरा
या बताऊँ बछड़ गया यारां
एक बलक़ स2 से सबा3 मेरा
1. आस

2. सुलेमान क प नी
3. यमन का एक नगर, जो सुलेमान को दहेज़ म मला था।

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वो जो या कु छ न करने वाले थे
बस कोई दम म मरने वाले थे
थे गले1 और गदबाद2 क शाम
और हम सब बखरने वाले थे
वो जो आता तो उस क ख़ुशबू म
आज हम रंग भरने वाले थे
सफ़ अ सोस है ये तंज़3 नह
तुम न सँवरे, सँवरने वाले थे
यूँ तो मरना है एक बार मगर
हम कई बार मरने वाले थे
1. उलाहने

2. धूल भरी हवा

3. कटा , ं य।

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घर से हम घर तलक गये ह गे
अपने ही आप तक गये ह गे
हम जो अब आदमी ह पहले कभी
जाम ह गे छलक गये ह गे
वो भी अब हम से थक गया होगा
हम भी अब उस से थक गये ह गे
शब जो हम से आ मुआफ़ करो
नह पी थी बहक गये ह गे
कतने ही लोग हस-शोहरत1 म
दार2 पर ख़ुद लटक गये ह गे
शु है उस नगाहे-कम3 का मयाँ
पहले ही हम खटक गये ह गे
हम तो अपनी तलाश म अ सर4
अज़ समा-ता-समक5 गये ह गे
उस का ल कर जहाँ-तहाँ यानी
हम भी बस बेकुमक6 गये ह गे
जॉन, अ लाह और ये आलम7
बीच म हम अटक गये ह गे
1. स क लालसा
2. सूली

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3. उपे ा भरी
4. ाय:
5. आकाश से पाताल तक

6. सहायता के बना
7. संसार, त।

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तूने म ती वजूद1 क या क
ग़म म भी थी जो इक ख़ुशी या क
नाज़बरदारे- दलबरां2 ऐ दल
तूने ख़ुद अपनी दलबरी3 या क
आ गया म लहत4 क राह पे तू
अपनी अज़ ख़ुद गुज़ तगी5 या क
रहरवे-शामे-रोशनी6 तूने
अपने आँगन क चाँदनी या क
तेरा हर काम अब हसाब से है
बे हसाबी क ज़ दगी या क
यूँ ही फरता है तू जो राह म
दल मुह ले क वो गली या क
इक न इक बात सब म होती है
वो जो इक बात तुझ म थी, या क
जल उठा दल, शमाले -शाम मरा
तूने भी मेरी दलदही या क
नह मालूम हो सका दल ने
अपनी उ मीदे - आ ख़री या क
‘जॉन’ नया क चाकरी कर के
तूने दल क वो नौकरी या क

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1. अ तव
2. ेयसी के नाज़ उठाने वाला
3. दल को मोह लेना
4. अपने अ े - बुरे का यान रखकर कोई काम करना
5. व क व मृ त
6. शाम के काश का या ी।

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गाहे-गाहे1 बस अब यही हो या
तुम से मल कर ब त ख़ुशी हो या
मल रही हो बड़े तपाक के साथ
मुझ को यकसर2 भुला चुक हो या
याद ह अब भी अपने वाब तु ह
मुझ से मल कर उदास भी हो या
बस मुझे यूँ ही इक ख़याल आया
सोचती हो तो सोचती हो या
अब मरी कोई ज़ दगी ही नह
अब भी तुम मेरी ज़ दगी हो या
या कहा इ क़ ज़ा वदानी3 है!
आख़री बार मल रही हो या
हाँ फ़ज़ा याँ क सोई-सोई-सी है
तो ब त तेज़ रोशनी हो या
मेरे सब तंज़4 बेअसर ही रहे
तुम ब त र जा चुक हो या
दल म अब सोज़े-इ तज़ार5 नह
शम्ए -उ मीद बुझ गयी है या
इस समु दर पे त ाकाम6 ँ म

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बान,7 तुम अब भी बह रही हो या
1. यदा- कदा

2. ब कु ल
3. अन र
4. कटा

5. ती ा क जलन
6. यासा
7. अमरोहा म बहने वाली नद का नाम। वभाजन से पूव शाइर अमरोहा ही म रहता
था।

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मुझ को तो गर के मरना है
बाक़ को या करना है
शह्र है चेहर् क त सील1
सब का रंग उतरना है
व 1 है वो नाटक जस म
सब को डरा कर डरना है
मेरे न शे-सानी2 को
मुझ म ही से उतरना है
कै सी तलाफ़ 3 या तदबीर4
करना है और भरना है
जो नह गुज़रा है अब तक
वो ल हा तो गुज़रना है
अपने गुमां का रंग था म
अब ये रंग बखरना है
हम दोपाये ह सो हम
मेज़ पे जा कर चरना है
चाहे हम कु छ भी कर ल
हम ऐस को सुधरना है
हम तुम ह इक ल हे के
फर भी वादा करना है
1. समानता

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2. सरे च को
3. तपू त
4. उपाय।

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अपनी मं ज़ल का रा ता भेजो
जॉन हम को वहाँ बुला भेजो
या हमारा नह रहा सावन
ज फ़ यां भी कोई घटा भेजो
नयी क लयाँ जो अब खली ह वहाँ
उन क ख़ुशबू को इक ज़रा भेजो
हम न जीते ह और न मरते ह
दद भेजो न तुम दवा भेजो
धूल उड़ती है जो उस आँगन म
उस को भेजो सबा-सबा भेजो
ऐ फ़क रो! गली के उस गली क
तुम हम अपनी ख़ाके -पा1 भेजो
शफ़क़े -शामे- ह 2 के हाथ
अपनी उतरी ई क़बा3 भेजो
कु छ तो र ता है तुम से कमब तो
कु छ नह , कोई बद् आ भेजो
1. चरणधू ल

2. वयोग क शाम क ला लमा


3. प रधान।

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सरे-सह्रा1 हबाब2 बेचे ह
लबे-द रया3 सराब4 बेचे ह
और तो या था बेचने के लए
अपनी आँख के वाब बेचे ह
ख़ुद सवाल सवाल उन लब से कर के मयाँ
ख़ुद ही उन के जवाब बेचे ह
शह्र म हम ख़राब हाल ने
हाल अपने ख़राब बेचे ह
जानेमन तेरी बेनक़ाबी ने
आज कतने नक़ाब बेचे ह
मेरी फ़रयाद5 ने सुकूत6 के साथ
अपने लब के अज़ाब7 बेचे ह
1. रे ग तान म
2. बु बुले
3. द रया के कनारे
4. मृगतृ णा
5. हाई
6. ख़ामोशी

7. :ख।

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दल क तकलीफ़ कम नह करते
अब कोई शकवा1 हम नह करते
जाने- जां तुझ को अब तरी ख़ा तर
याद हम कोई दम नह करते
सरी हार क हवस2 है सो हम
सरे-त लीम3 ख़म नह करते
वो भी पढता नह है अब दल से
हम भी नाले4 को नम नह करते
जुम म हम कमी कर भी तो यूँ
तुम सज़ा भी तो कम नह करते
1. उलाहना

2. लालसा

3. स मान/ वीकारो म सर झुकाना


4. आतनाद।

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ठ क है ख़ुद को हम बदलते ह
शु या म रत1 का, चलते ह
हो रहा ँ म कस तरह बबाद
दे खने वाले हाथ मलते ह
है वो ‘जान’ अब हर एक मह फल क
हम भी अब घर से कम नकलते ह
या तक लुफ़2 कर ये कहने म
जो भी ख़ुश ह हम उस से जलते ह
है उसे र का सफ़र दरपेश3
हम सँभाले नह सँभलते ह
तुम बनो रंग, तुम बनो ख़ुशबू
हम तो आपने सुख़न4 म ढलते ह
म उसी तरह तो बहलता ँ
और सब जस तरह बहलते ह
है अजब फ़ै सले का सह्रा भी
चल न प ड़ये तो पांव जलते ह
1. परामश

2. संकोच

3. सामने होना

4. का ।

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ह यासी कहाँ से आती है
ये उदासी कहाँ से आती है
है वो यकसर1 सुपुदगी2 तो भला
बदहवासी कहाँ से आती है
वो हम आग़ोश3 है तो फर दल म
ना सपासी4 कहाँ से आती है
एक ज़ दा ने-बे दली5 और शाम
ये सबा-सी कहाँ से आती है
तू है पहलू म फर तेरी ख़ुशबू
हो के बासी कहाँ से आती है
दल है शब- सो ता,6 सोऐ उ मीद
तू नदा-सी7 कहाँ से आती है
म ँ तुझ म और आस है तेरी
तो नरासी कहाँ से आती है
1. पूरी

2. आ म- समपण

3. आ लगन

4. कृ त ता
5. अनमने भाव का ब द गृह

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6. रात का जला

7. आवाज़।

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तरे ग़ र1 का लया बगाड़ डालूँगा
म आज तेरा गरेबान फाड़ डालूँगा
तरह-तरह के शगूफ़े2 जो छोडता है तू
म दल का बाग़े-नमू ही उजाड़ डालूँगा
कहाँ का सैले-अज़ल3 ता कनारगाहे-अबद4
म ँ अदम, म सभी को लताड़ डालूँगा
ब त अदा से तो गुज़रा है च मा सार से
ये सुन क राह म तेरी म बाड़ डालूँगा
शगु तगी5 क तरी याद जो दलाते ह
म ऐसे सारे ही पौधे उखाड़ डालूँगा
ये तय कया है क द रया-ए-मौज-म ती को6
सराबे-द ते-तपीदा7 म गाड़ डालूँगा
तमाम न शे-तम ा8 फ़रेब थे, सो थे
म सारे न शे-तम ा बगाड़ डालूँगा
जो र ता है दलो- जां का है सर-ब-सर झूठा
सो, म तो अब दलो- जां म दराड़ डालूँगा
झंडोले बाल क पुर फ़ ना,उस से कह दे ना
म इस कमीन को ज़ दा ही गाड़ डालूँगा
मुझे तो अब उसे दं गल म ग दा करना है

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सो, म उसे बुरे हाल पछाड़ डालूँगा
1. घम ड
2. नयी बात

3. अना दकाल का तूफ़ान

4. अ तम काल का तट
5. ह षत, खला आ
6. मौज-म ती का द रया
7. जलते ए जंगल क मृगतृ णा
8. आकां ा के च ह।

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शाम ई है यार आये ह यार के हमराह चल
आज वहाँ क़ वाली होगी जॉन चलो दरगाह चल
अपनी ग लयाँ अपने रमने अपने जंगल अपनी हवा
चलते-चलते व द1 म आय राह म बेराह चल
जाने ब ती म जंगल हो या जंगल म ब ती हो
है कै सी कु छ ना आगाही2 आओ चलो नागाह3 चल
कू च अपना उस उस शह्र तरफ़ है नामी हम जस शह्र के ह
कपड़े फाड़ ख़ाक-ब-सर4 ह और ब-इ ज़ो-जाह5 चल
राह म उस क चलना है तो ऐश करा द क़दम को
चलते जाय, चलते जाय यानी ख़ा तर वाह6 चल
1. आन दा तरेक
2. ववेकहीनता
3. अचानक

4. सर पर ख़ाक

5. त ा और पद
6. इ ानुसार।

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जब हम कह न ह गे तब शह्र भर म ह गे
प ँचगे ी जो न उस तक हम उस ख़बर म ह गे
थक कर गरगे जस दम बाँह म तेरी आ कर
उस दम भी कौन जाने हम कस सफ़र म ह गे
ऐ जाने- अहदो-पैमां हम घर बसायगे हाँ
तू अपने घर म होगा हम अपने घर म ह गे
म ले के दल के र ते घर से नकल चुका ँ
द वारो-दर के र ते, द वारो-दर म ह गे
तुझ अ स के सवा भी ऐ ने-व ते- सत1
कु छ और अ स भी तो उस च मे-तर2 म ह गे
ऐसे सराब3 थे वो ऐसे थे कु छ क अब भी
म आँख ब द कर लूँ तब भी नज़र म ह गे
उस के नक़ू शे–पा4 को राह म ढूँ ढना या
जो उस के ज़ेरे-पा5 थे वो मेरे सर म ह गे
वो बेशतर6 ह जन को कल का ख़याल कम है
तू क सके तो हम भी उन बेशतर म ह गे
आँगन से वो जो पछले दालान तक बसे थे
जाने वो मेरे साये अब कस ख र म ह गे
1. ेम त ा क जान- ेयसी

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2. वदाई के समय का सौ दय
3. भीगे नयन

4. मृगतृ णा
5. पद च ह

6. पैर तले।

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म स ँ कब- ज़ दगी1 कब तक
रहे आ ख़र तरी कमी कब तक
या म आँगन म छोड ँ सोना
जी जलाएगी चाँदनी कब तक
अब फ़कत याद रह गयी है तरी
अब फ़कत तेरी याद भी कब तक
म भला अपने होश म कब था
मुझ को नया पुकारती कब तक
ख़ेमागाहे- शमाल2 म आ ख़र
उस क ख़ुशबू रची-बसी कब तक
अब तो बस आप से गला है यही
याद आयगे आप ही कब तक
मरने वालो ज़रा बताओ तो
रहेगी ये चला-चली कब तक
जस क टू ट थी साँस आ ख़रे-शब
द न वो आरज़ू ई कब तक
दोज़खे-ज़ात3 बावजूद तरे
शबे-फु क़त4 नह जली कब तक
अपने छोड़े ए मुह ल पर

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रहा दौराने-जांकनी5 कब तक
नह मालूम मेरे आने पर
उस के कु चे म लू चली कब तक
1. जीवन का ख
2. आदत के त बू
3. अ त व का नरक
4. वरह रा
5. मरणास अव ा का दौर।

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दल जो इक जाये* थी नया ई आबाद इस म
पहले सुनते ह क रहती थी कोई याद इस म
वो जो था अपना गुमान आज ब त याद आया
थी अजब राहते-आज़ाद -ए-ईजाद1 इस म
एक ही तो वो मु हम2 थी जसे सर करना3 था
मुझे हा सल न कसी क ई इ दाद4 इस म
एक ख़ुशबू म रही मुझ को तलाशे-ख़दो-ख़ाल5
रंग फ़ ल मरी यारो बबाद इस म
बाग़े-जां तू कभी रात गये गुज़रा है
कहते ह रात म खेल ह परीज़ाद6 इस म
दल मुह ले म अजब एक क़फ़स7 था यारो
सैद8 को छोड़ के रहने लगा स याद9 इस म
* जगह का फ़ारसी प
1. आ व कार क वत ता का सुख
2. क ठन काय

3. पूण करना

4. स दयता
5. चेहरे-मोहरे क तलाश
6. प रय क स तान, ेयसी

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7. पजरा
8. शकार
9. शकारी।

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अज़ाबे- ह 1 बढ़ा लूँ अगर इजाज़त हो
इक और ज़ म म खा लूँ अगर इजाज़त हो
तु हारे आ रज़ो-लब2 क जुदाई के दन ह
म जाम मुँह से लगा लूँ अगर इजाज़त हो
तु हारा न, तु हारे ख़याल का चेह्रा
शबाहत 3 म छु पा लूँ अगर इजाज़त हो
तु ह से है मरे हर वाबे-शौक़4 का र ता
इक और वाब कमा लूँ अगर इजाज़त हो
थका दया है तु हारे फ़राक़5 ने मुझ को
कह म ख़ुद को गरा लूँ अगर इजाज़त हो
बरा-ए-नाम6 बनामे-शबे- वसाल7 यहाँ
शबे- फ़राक़8 मना लूँ अगर इजाज़त हो
1. वयोग का क
2. कपोल और ह ठ

3. आकृ त
4. ेम का व
5. वरह
6. नाम मा

7. मलन रा के नाम पर

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8. वरह क रात।

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ह 1 क आँखो से आँख तो मलाते जाइये
ह म करना है या ये तो बताते जाइये
बन के ख़ुशबू क उदासी र हये दल के बाग़ म
र होते जाइये नज़द क आते जाइये
जाते-जाते आप इतना काम तो क जे मरा
याद का सारा सरो-सामा2 जलाते जाइये
रह गयी उ मीद तो बबाद हो जाऊँगा म
जाइये तो फर मुझे सचमुच भुलाते जाइये
ज़ दगी क अंजमु न3 का बस यही द तूर है
बढ़ के म लये और मल कर र होते जाइये
आ ख़रश र ता तो हम म इक ख़ुशी इक ग़म का था
मु कु राते जाइये ाँसू बहाते जाइये
वो गली है इक शराबी च म4 का फ़र क गली
उस गली म जाइये तो लडखडाते जाइये
आप को जब मुझ से शकवा ही नह कोई तो फर
आग ही दल म लगानी है लगाते जाइये
आप का मेहमान ँ म आप मेरे मेज़बान
सो मुझे ज़ह्रे-मुर बत5 तो पलाते जाइये
है सरे-शब6 और मरे घर म नह कोई चराग़

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आग तो इस घर म जानाना लगाते जाइये
1. वयोग
2. सामान

3. सभा

4. म प-सी आँख
5. शील संकोच का वष
6. रा का ार -काल।

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गँवाई कस क तम ा म ज़ दगी मने
वो कौन है जसे दे खा नह कभी मने
तरा ख़याल तो है पर तरा वजूद1 नह
तरे लये तो ये मह फ़ल सजाई थी मने
तरे अदम2 को गवारा न था वजूद मरा
सो आपनी बेख़कनी3 म कमी न क मने
ह तेरी ज़ात से मंसूब4 सद फ़साना-ए-इ क़5
और एक सत् र6 भी अब तक नह लखी मने
ख़ुद आपने इ ा-ओ-अंदाज़7 का शहीद ँ म
ख़ुद अपनी ज़ात से बरती है बे ख़ी मने
ख़राशे-न मा8 से सीना छला आ है मरा
फु ग़ा9 क तक10 न क न मापरवरी11 मने
दवा से फ़ायदा म सूद12 था ही कब क फ़क़त
दवा के शौक़ म सेहत तबाह क मने
स रे-मै13 पे भी ग़ा लब रहा शऊर मरा
क हर रआयते-ग़म14 ज़हन म रखी मने
ग़मे-शऊर15 कोई दम तो मुझ को मुहलत दे
तमाम उ जलाया है अपना जी मने
इलाज ये है क मजबूर कर दया जाऊँ

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वगना यूँ तो कसी क नह सुनी मने
1. अ तव
2. परलोक

3. उ मूलन
4. स ब त
5. ेम क सौ कहा नयाँ
6. पं

7. हाव-भाव और ढं ग

8. न े क ख़राश
9. अ नाद
10. छोड़ना

11. न मे का पोषण

12. अभी

13. शराब का ह का नशा


14. चेतना

15. चेतना का ख।

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हवास1 म तो न थे फर भी या न कर आये
क दार2 पर गये हम और फर उतर आये
अजीब हाल के मजनूं थे जो ब इ ा ओ- नाज़3
ब सु-ए-बाद ये महमल4 म बैठ कर आये
कभी गये थे मयाँ जो ख़बर म सह्रा क
वो आये भी तो बगुल के साथ घर आये
कोई जुन5ूं नह सौदाइयाने-सह्रा6 को
क जो अज़ाब भी आये वो शह्र पर आये
बताओ दामे- गरव7 चा हए तु ह अब या
प रदगाने-हवा8 ख़ाक पर उतर आये
अजब ख़ुलूस9 से सत कया गया हम को
ख़याले-ख़ाम10 का तावान11 था सो भर आये12
1. चेतना

2. सूली, फाँसी

3. घम ड और गव के हावभाव
4. ऊँट पर बैठने का कजावा

5. उ माद
6. रे ग तान के द वाने
7. तकलीफ़

8. रहन के बदले

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9. हवा मे उडने वाले प ी
10. न छलता
11. वहम

12. तपू त।

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श शीर1 मेरी, मेरी सपर2 कस के पास है
वो मेरा ख़ुद, पर, मरा सर कस के पास है
दरपेश3 एक काम है हमत का सा थयो!
कसना है मुझ को, मेरी कमर कस के पास है
तरी4 हो मुझ पे कौन-सी हालत मुझे बताओ
मेरा हसाबे-नफ़अ-ओ-ज़रर5 कस के पास है
ऐ अहले-शह्र म तो आगो-ए-श त6 ँ
लब पर मरे आ है, असर कस के पास है
दादो- सतद7 के शह्र म होने को आयी शाम
वा हश है मेरे पास, ख़बर कस के पास है
पुर हाल ँ, पे सूरते-अहवाल कु छ नह
हैरत है मेरे पास नज़र कस के पास है
इक आ ताब8 है मरी जेबे- नगाह म
पहनाई-ए-नमूदे-सह्र9 कस के पास है
मेहमाने-क़ 10 ह हम कु छ र ज़11 चा हए
ये पूछ के बताओ ख डर12 कस के पास है
उथला-सा नाफ़13 याला हमारी नह तलाश
ऐ लड़ कयो! बताओ भँवर कस के पास है
नाख़ून बढ़े ए ह मरे, मुझ से कर हज़र14
ये जा के दे ख नेलकटर कस के पास है

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1. तलवार

2. ढाल

3. सामने

4. छाई ई
5. लाभ-हा न का हसाब
6. शहर के लए ाथना करने वाला
7. पर र लेन-दे न
8. सूरज

9. सु ह के ाक का व तार
10. महल के आग तुक
11. रह य
12. उ मे ख डहर, ख डर होता है
13. ना भ

14. बचाव।

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ग़म हाय रोज़गार म उलझा आ ँ म
इस पर सतम ये है उसे याद आ रहा ँ म
हाँ उस के नाम मने कोई ख़त नह लखा
या उस को ये लखूं क ल थूकता ँ म
ऐ ज़ दगी बता क सरे-जादा-ए-शबाब1
ये कौन खो गया है कसे ढूँ ढ़ता ँ म
ऐ वहशतो! मुझे उसी वाद म ले चलो
ये कौन लोग ह ये कहाँ आ गया ँ म
मने ग़मे-हयात2 म तुझ को भुला दया
ने-वफ़ा शआर3 ब त बेवफ़ा ँ म
मासूम कस क़दर था म आग़ाज़े-इ क़4 म
अ सर तो उस के सामने शमा गया ँ म
वो अहले-शह्र5 कौन थे वो शह्र था कहाँ
इन अहले-शह्र6 म से ँ इस शह्र का ँ म
1. सांसा रक ःख
2. सौ दय माग के कनारे
3. जीवन के ःख
4. नवाह करने क खूबी
5. ेम के आर मे

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6. शह्र वाले।

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उस ने हम को गुमान1 र खा
और फर कम ही यान म र खा
या क़यामत नुमू2 थी वो जस ने
ह 3 उस क उठान म र खा
जो शशे-ख़ू4 ने अपने फ़न का हसाब
एक चोब,5 इक चटान म र खा
ल हे-ल हे क आपनी थी इक शान
तूने ही एक शान म र खा
हम ने पैहम6 कु बूलो-रद7 कर के
उस को इक इ तहान म र खा
तुम तो उस याद क अमान म हो
उस को कस क अमान म र खा
अपना र ता जम से ही र को
कु छ नह आ मान म र खा
1. म
2. उलट-पुलट बढ़ाने वाली

3. हंगामा

4. र का उफान
5. लकडी

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6. नर तर
7. वीकार और अ वीकार।

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ख़ूब है शौक़ का ये पहलू भी
म भी बबाद हो गया तू भी
ने-म मूम,1 त कनत2 म तरी
फ़क आया न यकसरे-मू3 भी
ये न सोचा था ज़ेरे-साया-ए-ज फ़
क बछड़ जाएगी ये ख़ुशबू भी
न कहता था, छे ड़ने वाले
छे ड़ना ही तू बस नह छू भी
हाय वो उस का मौजखेज़4 बदन
म तो यासा रहा लबे-जू5 भी
याद आते ह मौजज़े6 अपने
और उस के बदन का जा भी
या म ! उस क ख़ास महरमे-राज़7
याद आया करेगी अब तू भी
याद से उस क है मरा परहेज़
ऐ सबा अब न आइयो तू भी
ह यही जॉन ए लया जो कभी
स त मग़ र भी थे बदख़ू8 भी
1. उदास सौ दय- ेयसी

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2. तड़क- भड़क, अ भमान

3. रोम बराबर

4. लहर मारने वाला

5. नद कनारे
6. चम कार

7. भेद जानने वाला, मम

8. बुरे, खे वभाव वाला।

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यहाँ तो कोई मनचला ही नह
क जैसे ये शह्रे-बला ही नह
तरे ह ती1 के है दल पर ये दाग़2
कोई अब तरा मु तला3 ही नह
ई उस गली म फ़जीहत4 ब त
मगर म वहाँ से टला ही नह
नकल चल कभी आप से जाने-जां
तरे दल म तो वलवला5 ही नह
दमे-आ ख़रे-शब6 जो बछड़े तो बस
पता फर कसी का चला ही नह
क़यामत थी उस के शकम7 क शकन8
कोई बस मरा फर चला ही नह
उसे ख़ून से अपने स चा मगर
तम ा9 का पौदा फला ही नह
कहाँ जा के नया को डालूँ भला
इधर तो कोई म बला10 ही नह
इक अंबोहे-ख़ूनी दलां11 है मगर
कसी म कोई हौसला ही नह
1. अ भलाषी

2. ःख

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3. आस

4. अपमान

5. आ म व मृ त
6. रात के अ तम हर म
7. पेट

8. बल, झुर , सलवट


9. आकां ा
10. कू ड़ा डालने का ान
11. दल के ख़ून ए लोग क भीड़।

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करता है हा- मुझ म
कौन है बेक़ाबू मुझ म
याद ह या बलवा है
चलते ह चाक़ू मुझ म
ले डू बी जो नाव मुझे
था उस का च पू मुझ म
जाने कन के चेह्रे ह
बेच मो-अब 1 मुझ म
ह ये कस के तेग़ो-अलम2
बेद तो-बाज़ू3 मुझ म
जाने कस क आँख से
बहते ह आँसू मुझ म
ढूँ ढती है इक आ 4 को
इक मादा आ मुझ म
म तो एक जह मु ँ
यूँ रहता है तू मुझ म
‘जॉन’ कह मौजूद नह
मेरा हमपहलू मुझ म
अब भी बहारां मु दा5 है
एक ख़जां ख़ुशबू6 मुझ म

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1. बना आँख और भ ह के
2. तलवार और झ डा
3. बना हाथ और बाज़ू के
4. हरण
5. बहार शुभ-स दे श
6. पतझड़ क ख़ुशबू।

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कोई भी यूँ मुझ से श म दा आ
म ँ अपने तौर का हारा आ
दल म है मेरे कई चे क याद
जा नये म कस से ँ ठा आ
शह्र म आया ँ अपने आज शाम
इक सराय म ँ म ठहरा आ
बेतअ लुक़1 ँ अब आपने दल से भी
म अजीब आलम2 म बे नया आ
है अजब इक तीरगी-दर- तीरगी3
कहकशान म ँ म लपटा आ
माल बाज़ारे-ज़म 4 का था म ‘जॉन’
आ मान म मरा सौदा आ
अब है मेरा कब-ज़ात5 आसां ब त
अब तो म उस को भी ँ भूला आ
1. जसे कोई लगाव न हो
2. त
3. घनघोर अँधरे ा

4. सावज नक ज़मीन

5. अ मता का ख।

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तुम से भी अब तो जा चुका ँ म
र हा र1 आ चुका ँ म
ये ब त ग़म क बात हो शायद
अब तो ग़म भी गँवा चुका ँ म
इस गुमाने-गुमां के आलम म
आ ख़रश या भुला चुका ँ म
अब बबर शेर इ तहा2 है मरी
शाइर को तो खा चुका ँ म
म ँ मेमार3 पर ये बतला ँ
शह्र के शह्र ढा चुका ँ म
हाल है इक अजब फ़राग़त4 का
अपना हर ग़म मना चुका ँ म
लोग कहते ह मने जोग लया
और धूनी रमा चुका ँ म
नह इमला5 त6 ग़ा लब का
शे ता7 को बता चुका ँ म
1. ब त र
2. ुधा, भूख
3. इमारत बनाने वाला

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4. मु ,स तोष
5. वतनी

6. शु

7. उ के एक शाइर का उपनाम जो समकालीन और श य थे।

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कौन से शौक़1 कस हवस2 का नह
दल मरी जान तेरे बस का नह
राह तुम कारवाँ क लो क मुझे
शौक़ कु छ न म-ए-जरस3 का नह
हाँ मरा वो मुआमला4 है क अब
काम याराने-नु ारस5 का नह
हम कहाँ से चले ह और कहाँ
कोई अ दाज़ा पेशो-पस6 का नह
हो गयी इस गले म उ तमाम
पास7 शोले को ख़ारो-ख़स8 का नह
मुझ को ख़ुद से जुदा न होने दो
बात ये है म अपने बस का नह
या लड़ाई भला क हम म से
कोई भी सैकड़ बरस का नह
1. अ भलाषा

2. लालच

3. या यो क ख़ानगी के समय बजाये जाने वाले घंटे क आवाज़


4. स ब
5. कला-मम दो त

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6. आगे-पीछे

7. लहाज़
8. कू ड़ा-करकट।

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या ये आफ़त1 नह अज़ाब2 नह
दल क हालत ब त ख़राब नह
बूद3 पल-पल क बे हसाबी है
क मुहा सब4 नह हसाब नह
ख़ूब गाओ बजाओ और पयो
इन दन शह्र म जनाब नह
सब भटकते ह अपनी ग लय म
ता-ब-ख़ुद5 कोई बारयाब6 नह
तू ही मेरा सवाल7 अज़ल8 से है
और साजन तरा जवाब नह
तुझ को दल-दद का नह अहसास
सो मरी पड लय को दाब नह
नह जुड़ता ख़याल को भी ख़याल
वाब म भी तो कोई वाब नह
1. वप
2. ःख
3. अ तव
4. हसाब करने वाला
5. वयं तक

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6. प च
ँ ा आ
7. आकां ा
8. अना दकाल।

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ऐ सु ह! म अब कहाँ रहा ँ
वाब म ही सफ़1 हो चुका ँ
सब मेरे बग़ैर मु मइन2 ह
म सब के बग़ैर जी रहा ँ
या है जो बदल गयी है नया
म भी तो ब त बदल गया ँ
गो अपने हज़ार नाम रख लूँ
पर अपने सवा म और या ँ
म जुम का एतराफ़3 कर के
कु छ और है जो छु पा रहा ँ
म और फ़क़त उसी क वा हश
अ लाक़4 म झूठ बोलता ँ
इक श स जो मुझ से व त ले कर
आज आ न सका तो ख़ुश आ ँ
हर श स से बे नयाज़5 हो जा
फर सब से ये कह क म ख़ुदा ँ
चक6 तो तुझे दये ह मने
पर ख़ून भी म ही थूकता ँ
रोया ँ म अपने दो त म

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पर तुझ से तो हँस के ही मला ँ
ऐ श स! म तेरी जू तजू7 से
बेज़ार8 नह ,ँ थक गया ँ
म शामो-सह्र9 का न मागर10 था
अब थक के कराहने लगा ँ
कल पर ही रखो वफ़ा क बात
म आज ब त बुझा आ ँ
1. ख़च

2. आन दपूवक
3. अंगीकार, वीकार
4. श ाचारवश
5. न: ृह
6. क दे ना
7. तलाश

8. ऊब जाना

9. सु ह और शाम
10. गायक।

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तु हारा ह मना लूँ अगर इजाज़त हो
म दल कसी से लगा लूँ अगर इजाज़त हो
तु हारे बाद भला या ह वादा-ओ-पैमां1
बस अपना व त गँवा लूँ अगर इजाज़त हो
तु हारे ह क शब-हाए-कार म जानां2
कोई चराग़ जला लूँ अगर इजाज़त हो
जुन3ूँ वही है, वही म, मगर है शह्र नया
यहाँ भी शोर मचा लूँ अगर इजाज़त हो
कसे है वा हशे-मरहम गरी4 मगर फर भी
म अपने ज़ म दखा लूँ अगर इजाज़त हो
तु हारी याद म जीने क आरज़ू है अभी
कु छ अपना हाल सँभालूँ अगर इजाज़त हो
1. ेम त ा
2. े मका के वयोग रा मे काम
3. उ माद
4. मरहम लगाने क इ ा।

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अपने सब यार काम कर रहे ह
और हम ह क नाम कर रहे ह
तेग़ बारी1 का शौक़ अपनी जगह
आप तो क़ ले-आम2 कर रहे ह
दादो-तहसीन3 का ये शोर है यूँ
हम तो ख़ुद से कलाम4 कर रहे ह
हम ह मस फ़े -इ तज़ाम5 मगर
जाने या इ तज़ाम कर रहे ह
है वो बेचारगी का हाल क हम
हर कसी को सलाम कर रहे ह
इक क़ताला6 चा हए हम को
हम ये ऐलाने-आम7 कर रहे ह
या भला साग़रे- सफ़ाल8 क हम
नाफ़9 याले को जाम कर रहे ह
हम तो आये थे अज़-मतलब10 को
और वो अह तराम कर रहे ह
न उठे आह का धुआँ भी क वो
कू -ए- दल11 म ख़राम कर रहे ह
उस के ह ठ पे रख के ह ठ अपने

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बात ही हम तमाम12 कर रहे ह
हम अजब ह क उस के कु चे म
बेसबब धूमधाम कर रहे ह
1. तलवार पैदा करना

2. सभी का वध

3. शंसा
4. बातचीत

5. ब करने म त
6. वध करने वाला, ेयसी
7. सवसाधारण मे घोषणा

8. म का म दरा पा
9. ना भ

10. आशय क ाथना


11. दल क गली
12. समा त।

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महक उट् ठा है आँगन इस ख़बर से
वो ख़ुशबू लौट आयी है सफ़र से
जुदाई ने उसे दे खा सरे-बाम1
दरीचे पर शफ़क़2 के रंग बरसे
म इस द वार पर चढ़ तो गया था
उतारे कौन अब द वार पर से
गला है इक गली से शह्रे- दल क
म लड़ता फर रहा ँ शह्र भर से
उसे दे खे ज़माने भर का ये चाँद
हमारी चाँदनी साये को तरसे
मरे मा नद3 गुज़रा कर मरी जां
कभी तो ख़ुद भी अपनी रहगुज़र4 से
1. छत पर

2. ला लमा

3. तरह

4. माग।

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कब उस का वसाल1 चा हए था
बस एक ख़याल चा हए था
कब दल को जवाब से ग़रज़ थी
ह ठ को सवाल चा हए था
शौक़2 एक न श3 था और फा को
पासे-महो-साल4 चा हए था
एक चे ा-ए-सादा था जो हम को
ब म लो- मसाल चा हए था
इक कु ब5 म ज़ातो- ज़ दगी ह
मु कन6 को मुहाल7 चा हए था
म या ँ बस इक मलाले-माज़ी8
उस श स को हाल9 चा हए था
हम तुम जो बछड़ गये ह हम को
कु छ दन तो मलाल चा हए था
1. मलाप
2. च, ेम
3. चह
4. महीने और साल का लहाज
5. ाकु लता

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6. स व
7. अस व
8. अतीत का ख
9. वतमान।

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हम को सौदा1 था सर के मान म थे
पाँव फसला तो आ मान म थे
है नदामत ल न रोया दल
ज़ म दल के कसी चटान म थे
मेरे कतने ही नाम और हमनाम
मेरे और मेरे द मयान म थे
मेरा ख़ुद पर से एतबार उठा
कतने वादे मरी उठान म थे
यादे -अ याम2 इक ज़माने म
हम कसी याद क अमान3 म थे
थे अजब यान के दरो-द वार
गरते- गरते भी अपने यान म थे
वाह उन ब तय के स ाटे
सब क़सीदे 4 हमारी शान म थे
आ मान म गर पड़े यानी
हम ज़म क तरफ़ उड़ान म थे
1. उ माद
2. बीते दन क मृ त
3. संर ण
4. शंसा गीत।

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जुन1ूँ कर हवसे-नंगो-नाम2 के न रह
मगर न यूँ हो क हम अपने काम के न रह
ज़बां है उस क रफ़ाक़त3 क उस के दोश-ब-दोश4
चल तो मंज़रे- ने- ख़राम5 के न रह
कहाँ है व ल6 से बढ़ कर कोई अता7 ले कन
ये ख़ूब है क पयामो-सलाम8 के न रह
नसीब हो कोई दम9 वो मुआशे-हाल क हम
हसाबे- स सला-ए-सु हो-शाम10 के न रह
ये बात भी है क ल ह के लोग जाए कहाँ
अगर फ़रेबे-बक़ा-ए-दवाम11 के न रह
ख़ुदा नह है तो या हक़ को छोड़ द ऐ शेख़!
ग़ज़ब ख़ुदा का हम अपने इमाम के न रह
1. उ माद
2. मयादा क लालसा
3. म ता
4. क े से क ा मलाकर
5. मृ ल चाल के सौ दय का य
6. मलन
7. दान

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8. सरे के ारा दो य क बातचीत
9. पल

10. रात- दन क ृंखला का हसाब


11. अन वरता का धोखा।

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जुज़ गुमां1 और था ही या मेरा
फ़कत इक मेरा नाम था मेरा
नकहते-पैरहन2 से उस गुल क
स सला बेसबा3 रहा मेरा
मुझ को वा हश ही ढूँ ढ़ने क न थी
मुझ म खोया रहा ख़ुदा मेरा
थूक दे ख़ून जान ले वो अगर
आलमे-तक-मुददआ4 मेरा
जब तुझे मेरी चाह थी जानां!
बस वही व था कड़ा मेरा
कोई मुझ तक प ँच नह पाता
इतना आसान है पता मेरा
आ चुका पेश वो मुर वत5 से
अब चलूँ काम हो चुका मेरा
आज म ख़ुद से हो गया मायूस
आज इक यार मर गया मेरा
1. वहम के सवाय
2. प रधान क ख़ुशबू
3. हवा के बना

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4. आशय छोड़ने क त
5. लहाज़।

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ठै ँ 1 न गली म तरी वहशत2 ने कहा था
म हद से गुज़र जाऊँ मुह बत ने कहा था
दर तक तरे लाई थी नसीमे-नफ़स अंगज़
े 3
दम भर न कूँ ये तरी नकहत4 ने कहा था
अहसान कसी सव5 के साये का न लूँ म
मुझ से ये तरे फ़ ना-ए-क़ामत6 ने कहा था
मारा ँ मशी यत7 का नह कु छ मरी मज़
ये भी तरी क़ामत क क़यामत ने कहा था
दल शह्र से कर जाऊँ सफ़र म सू-ए- नया8
मुझ से तो यही तेरी स लत9 ने कहा था
1. ठह ँ
2. पागलपन

3. ाणदायी
4. महक

5. एक पेड का नाम जससे शाइरी मे ेयसी के क़द क उपमा द जाती है


6. उप व करने वाले डील, ल बे क़द
7. ई वरे ा
8. संसार क तरफ़
9. सुगमता।

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त गी1 ने सराब2 ही ल खा
वाब दे खा था वाब ही ल खा
हम ने ल खा नसाबे-तीराशबी3
और ब सद4 आबो-ताब5 ही ल खा
न रखा हम ने बेशो-कम6 का ख़याल
शौक़7 को बे हसाब ही ल खा
दो तो! हम ने अपना हाल उसे
जब भी ल खा ख़राब ही ल खा
न लखा उस ने कोई भी म ू ब8
फर भी हम ने जवाब ही ल खा
हम ने इस शह्रे-द नो-दौलत9 म
म ख़र 10 को जनाब ही ल खा
1. यास
2. मृगतृ णा
3. अँधरे ी रात का पा म
4. सैकड़ बार
5. चमक-दमक

6. थोड़ा-ब त
7. अ भ च

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8. प

9. धम और धन के नगर मे
10. व षक ।

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सारे र ते भुलाये जायगे
अब तो ग़म भी गँवाये जायगे
जा नये कस क़दर बचेगा वो
उस से जब हम घटाये जायगे
उस को होगी बड़ी पशेमानी1
अब जो हम आज़माये जायगे
‘जॉन’ यूँ है क आज के मूसा
आग बस आग लाये जायगे
या ग़रज़ दौरे-जाम से हम को
हम तो शीशे चबाये जायगे
मेरी उ मीद को बजा कह कर
सब मरा ख बढ़ाये जायगे
कम-से-कम तुझ गली म जानाना
धूम तो हम मचाये जायगे
ज़ म पहले के अब मुफ़ द2 नह
अब नये ज़ म खाये जायगे
वो ख़ुदा हो क आदमो-इबलीस3
सब के सब आज़माये जायगे
शाख़सारो!4 तु हारे सारे प रद
इक नफ़स5 म उड़ाये जायगे

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हम जो अब तक कभी न पाये गये
कन ज़मान म पाये जायगे
जमअ हम ने कया है ग़म दल म
उस का अब सूद खाये जायगे
शह्र क मह फ़ल म हम और वो
साथ अब यूँ बुलाये जायगे
आग से खेलना है शौक़ अपना
अब तरे ख़त जलाये जायगे
ये नक मे तु हारे कू चे के
जाने या-कु छ कमाये जायगे
है हमारी रसाई6 अपने म
हम ख़ुद अपने म आये जायगे
हम न हो कर भी शह्रे-बू दश7 म
आये जायगे, जाये जायगे
मुझ से कहता था कल ये शाहे-बलूत8
सारे साये जलाये जायगे
होगा जस दन फ़ना9 से अपना वसाल10
हम नहायत सजाये जायगे
1. श म दगी
2. लाभकारी

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3. आदमी और शैतान

4. टह नय

5. साँस

6. प च

7. अ त व के नगर मे
8. ओक, बाँज, पहाड़ी पेड़

9. मृ यु
10. मलन।

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ईज़ादे ही1 क दाद2 जो पाता रहा ँ म
हर नाज़ आफ़र को सताता रहा ँ म
ऐ ख़ुश ख़राम!3 पाँव के छाले तो गन ज़रा
तुझ को कहाँ-कहाँ न फराता रहा ँ म
तुझ को ख़बर नह क तरा हाल दे ख कर
अ सर तरा मज़ाक़ उड़ाता रहा ँ म
जस दन से एतमाद4 म आया तरा शबाब5
उस दन से तुझ पे ज म ही ढाता रहा ँ म
बेदार कर के तेरे बदन क ख़ुद आगही6
तेरे बदन क उ घटाता रहा ँ म
इक स 7 भी कभी न लखी मने तेरे नाम
पागल तुझी को याद भी आता रहा ँ म
शायद मुझे कसी से मुह बत नह ई
ले कन यक़ न सब को दलाता रहा ँ म
इक ने-बे मसाल8 क त सील9 के लये
परछाइय पे रंग गराता रहा ँ म
अपना मसा लया10 मुझे अब तक न मल सका
ज़र को आ ताब11 बनाता रहा ँ म
या मल गया ज़मीरे- नर12 बेच कर मुझे

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इतना क सफ़ काम चलाता रहा ँ म
कल दोपहर अजीब-सी इक बे दली रही
बस ती लयाँ जला के बुझाता रहा ँ म
1. ःख प ँचाना
2. शंसा
3. सुगा मनी

4. व ास
5. ता य
6. व ववेक
7. पं

8. अनुपम सौ दय
9. उपमा

10. उदाहरण व प
11. सूय

12. कला क आ मा।

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का आलम1 है यहाँ नालागर 2 के होते
शह्र ख़ामोश है शोरीदासर 3 के होते
यूँ शक ता है तरा रंग मता-ए-सदरंग4
और फर अपने ही ख़ून जगर के होते
कारे-फ़ा रयादो-फ़ग़ां5 कस लये मौक़ू फ़6 आ
तेरे कु चे म तरे बा- नर के होते
या दवान ने तरे कू च है ब ती से कया
वरना सुनसान ह राह नघर के होते
जुज़ सज़ा7 और हो शायद कोई म सूद8 उन का
जा के ज़दां9 म जो रहते ह घर के होते
शह्र का काम आ फ़त- हफ़ाज़त10 से तमाम
और छलनी ए सीने सपर 11 के होते
अपने सौदाज़दगां12 से ये कहा है उस ने
चल के अब आइयो पैर पे सर के होते
अब जो र त म बँधा ँ तो खुला है मुझ पर
कब प रद उड़ नह पाते ह पर के होते
1. नजन ान जैसा सूनापन
2. आतनाद करने वाल

3. द वाने

4. सैकड़ रंगो क पूँजी वाला

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5. आतनाद और हाई का काय
6. गत
7. सज़ा के अतर
8. आशय

9. कारागार

10. अ य धक सतकता
11. ढाल

12. ेम म पागल होने वाल ।

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पहनाई1 का मकान है और दर है गुम यहाँ
राहे-गुरेज़पाई-ए-सरसर2 है गुम यहाँ
वुसअत3 कहाँ क स तो- जहत4 परव रश कर
बाल 5 कहाँ से लाय क ब तर है गुम यहाँ
है ज़ात का वो ज़ म क जस का शगाफ़े -रंग6
सीने से दल तलक है पे ख़ंजर है गुम यहाँ
बस तौर कु छ न पूछ मरी बूदो-बाश7 का
द वारो-दर ह जेब म और घर है गुम यहाँ
कस शाहराह8 पर ँ रवां9 म ब-सद शताब10
अ दाज़े-पा11 त है और सर है गुम यहाँ
ह स हा-ए-वजूद12 पे सतर13 खची ई
द वार पढ़ रहा ँ मगर दर है गुम यहाँ
1. व तार
2. पलायन करने के माग
3. व तार
4. दशा और आयाम
5. सरहाना
6. रंग क दरार
7. रहने का ान

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8. जनपथ

9. चलना

10. शी ा तशी
11. चलने का ढं ग

12. अ त व के पृ पर
13. लाइने।

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कसी से कोई ख़फा भी नह रहा अब तो
गला करो क गला भी नह रहा अब तो
वो का हश1 ह क ऐशे-जुनूं तो या यानी
ग़ रे-ज़ े -रसा2 भी नह रहा अब तो
शक ते-ज़ात3 का इक़रार4 और या होगा
क अददआ-ए-वफ़ा5 भी नह रहा अब तो
चुने ए ह लब पर तरे हज़ार जवाब
शकायत का मज़ा भी नह रहा अब तो
ँ मु ला-ए-यक़ 6, मेरी मु कल मत पूछ
गुमान7 उ दाकु शा8 भी नह रहा अब तो
मरे वजूद का अब या सवाल है यानी
म अपने हक़ म बुरा भी नह रहा अब तो
यही अ तया-ए-सु हे-शबे- वसाल9 है या
क स े-नाज़ो-अदा10 भी नह रहा अब तो
यक़ न कर जो तरी आरज़ू म था पहले
वो लु फ़ तरे सवा भी नह रहा अब तो
वो सुख वहाँ क ख़ुदा क ह ब शश या- या
यहाँ ये ख क ख़ुदा भी नह रहा अब तो
1. ीणता

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2. कसी बात को तुर त समझ लेने क तभा का अ भमान
3. अ द नी हार
4. वीकृ त
5. वफ़ा का दावा

6. व ास सत
7. म
8. गाँठ खोलने वाला

9. मलन-रा क अगली सुबह क भेट


10. हाव-भाव का जा ।

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ख़ुद से र ते रहे कहाँ उन के
ग़म तो जाने थे रायगां1 उन के
म त उन को गुमां म रहने दो
ख़ानाबबाद2 ह गुमा उन के
यार सुख न द हो नसीब उन को
ख ये है ख ह बेअमां उन के
कतनी सरस ज़3 थी ज़म उन क
कतने नीले थे आ मां उन के
नौहा वानी4 है या ज़ र उ ह
उन के न म ह नौहा वां5 उन के
1. थ
2. अभागे

3. उपजाऊ

4. शोक- वलाप

5. शोक- वलाप करने वाला।

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जब तरी वा हश के बादल छँ ट गये
हम भी अपने सामने से हट गये
रंग-े सरशारी1 क थी जन से रसद
दल क उन फ़ ल के जंगल कट गये
इक चराग़ां है हवस2 म दे र से
ज इस का है दलो-जां बँट गये
शह्रे- दल और शह्रे- नया अल वदा
हम तो दोन ही तरफ़ से कट गये
हो गया ख़रदमंद को जब
मात खाते ही द वाने डट गये
चाँद सूरज के अलम और वापसी
वो आ मातम क सीने फट गये
1. मदम ती का रंग
2. वासना।

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