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Guru Gorakhnath Ki Aarti
Guru Gorakhnath Ki Aarti
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गल सेली विच नाग सश
ु ोभित तन भस्मी धारी।
आदि परु
ु ष योगीश्वर सन्तन हितकारी॥
आप अलख अवधत
ू ा उत्तराखण्ड वासी॥
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ब्रह्मा विष्णु तम्
ु हारा निशिदिन गण
ु गावें ।
चारों यग
ु में आप विराजत योगी तन धारी।
सतयग
ु द्वापर त्रेता कलयग
ु भय टारी॥
गरु
ु गोरखनाथ की आरती निशदिन जो गावे!
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● हनम
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