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पंडित दीनदयाल उपाध्याय
पंडित दीनदयाल उपाध्याय
पंडित दीनदयाल उपाध्याय
एक अमर �चरस्मरणीय महापुरुष क रूप म� �लया जाता ह ै, उनक� दरू दृिष् के अंत्योदय क
माध्म से ह� समग्राष् ह� नह�ं, समग्र �वश्व का समएवं पूणा�ग �वकास हो सकता है।
लाना।
ह�, अनुस�ू चत जा�तय� एवं जनजा�तय� तथा अन् �पछड़े वग� के व्यिकय� के �लए अनेक
�वशेष स�व
ु धाएँ एवं �रयायत प्रदान क � ग� है । आर�ण व्यवस्था अनेकानेत्र� म� लागू है
आ�थरक लाभ� से लेकर �व�भन् �श�ा संस्थान�, प्रवेश पर�� ाओँ,क�रय� म� उनके �लए
पं�डत द�न दयाल उपाध्या क� दृिष म� अंत्योदय वतर्मान �पछड़े वग� के �वकास के
�लए चलाई जा रह� आर�ण व्यवस्थम� आकाश पाताल का अन्तर ह ै इस�लए ह� �पछड़� का
सामान्य वग� से काफ� �पछड़े हुए ह� रहते ह�। बिल्क गुणव के मामले म� इन समद
ु ाय� को
लोग �दन� �दन और भी ज्यादा �छड़ रहे ह�। लगता है वतर्मान व्यवस्था रह� तो वे युग� यु
तक �पछड़े ह� नह�ं बने रह� गे, बिल् कह�ं और भी ज्यादा �पछड़ते जाएँगे। भले ह� आ�थर या
अन्य सु�वधाओँ के मामले म� वे सामान्य वगर् बराबर या उनसे अ�धक उन्नत क्य� ने ह
जाएँ।
से �कसी बच्चे ने एक प्रश्न पूछा– “अनुस�ू चत वग� के �लए आर�ण व्यवस्था कब तक लाग
प्र था -- "मे�डकल क� प्रवेश प�ा तक म� य�द िजस बच्चेको �सफर् 4% अंक पाकर ह�
सीट �मल जाए, वह अव्व आने के �लए प्रयास ह� क करेगा? अनुस�ू चत वगर्के माँ-बाप भी
यह� कहते ह� �क उनके बच्चे अच्छे अंक हा�सल करने क�लए ज्यदा प्रयास ह� नह�ं करते। इ
प्रकार तवे मेधा एवं गण
ु ता क� दृिष्कभी भी सामान्य वगर् के बराबनह�ं आ सक�गे, बिल्क
�पछड़े बने रहने का प्रयास कर�ग अतः इससे क्या यह �सद्ध नह�ं होता � “आर�ण नी�त”
उन वग� को गण
ु ता के मामले सदा-सदा के �लए �पछड़ा ह� बनाए रखने के �लए बनाई गई है?
उन वग� के लोग� को राजनी�तक लाभ के �लए हमेशा के �लए कमजोर बनाए रखने के �लए है?
मायने समाज के अं�तम पंिक्त के अथार्गर�ब से गर�ब एवं �पछड़े से �पछड़े वग� को गणव�
ु ा
लागू �कया जाता तो आज दे श �फर से "�वश्वगुरु" का दजार् पाता। हरेकग�रक �वश्व के अन्
प�रचायक था। �पछड़े वग� को �व�भन्न स�वधाएँ प्रदान कर तो आवश्यक थ ह�, ले�कन
गण
ु ता के मामले म� तथाक�थत '�रयायत' पदान करके उन्ह� मान�सक एवं बौद्�धक रूप स
समाज को पंगु बना �दया। अगड़� और �पछड़� के बीच बड़ी खा� पैदा हो गई। �नचले वग� के
लोग� पर उच्च वगर् के लोग� द्वाशोषण, अत्याचार होन लगे। िजससे समाज का पतन हुआ।
का जूठा प्रसाद क� पण्डे पुजार� श्रद्धा से खाते ह�। सभी भगवान के समान भक्त ह�। इस
पं. द�नदयाल जी समस्त मानव जा� को एक ईश्वर क� संतान मानकर बराबर मानते थे। �कसी
के बीच कोई अंतर या भेदभाव नह�ं करते थे। �पछड़े वग� का हर तरह से उत्थान करना चाहते
भारतीय जनता पाट� के स�ा म� आने के बाद से पं�डत द�न दयाल उपाध्या जी के
�वचार�, �सद्धान्त� एवं संकल्प� को साकार करने के �लए क कुछ प्रयास �कए जा र हे ह कई
संस्थान के नाम उनके नाम पर रखा गया है, कई योजनाओं के नाम भी इन्ह� के नाम पर रखे
गए, यथा- द�नदयाल उपाध्याय ग्राम ज्यो�त यो मग
ु लसराय रे लवे स्टेशन का नाम,आगरा
महान �चन्त और संगठनकतार थे। वे भारतीय जनसंघ के अध्य भी रहे। उन्ह�न भारत क�
सनातन �वचारधारा को युगानुकूल रू म� प्रस् करते हुए देश को एकात् मानववाद जैसी
प्रग�तश �वचारधारा द�। उपाध्यायज �नतान् सरल और सौम् स्वभा के व्यिक थे। उनके
�हंद� और अंग्रे के लेख �व�भन् पत-प�त्रका म� प्रका� हुए ह�। केवल एक बैठक म� ह�
होता है और उनके बचपन के कुछ �कस्स ऐसे होते ह� जो उन्ह प्र�तभाशा बना देते ह�। उनम�
अपनी िजन्दग म� समय बबार् करने क� अपे�ा समाज के �लए नेक कायर करने म� समय
व्यती �कया। पं�डत द�नदयाल उपाध्या का जन् 25 �सतंबर, 1916 को ब् के मथुरा िज़ले
के छोटे से गांव म� हुआ था। 7 वषर क� कोमल अवस्थ म� द�नदयाल माता-�पता के प्या से
पढ़ाई पूर� क�। उपाध्या जी ने �पलानी, आगरा तथा प्रय म� �श�ा प्रा क�।
छात जीवन से ह� वे राष्ट् स्यंसेवक संघ के स�क् कायर्कता बन गए। �फर प्रचा
बन गये। पं�डत द�नदयाल उपाध्या ने अपनी चाची के कहने पर धोती तथा कुत� म� और अपने
�सर पर टोपी लगाकर सरकार द्वार संचा�लत प्र�तयो पर��ा द�। इस�लए लोग उन्ह 'पं�डतजी'
कहकर पुकारने लगे, जो उनका उपनाम बन गया। िजसे लाख� लोग बाद के वष� म� उनके �लए
सम्मा और प्या से इस्तेमा �कया करते थे। इस पर��ा म� वे चय�नत उम्मीदवार म� सबसे
ऊपर रहे। वे �स�वल सेवा पर��ा म� भी उतीणर हुए, �फर भी उसे त्या �दया। �वल�ण बुद्�,
प्रकाशम सय
ू र ने भारतवषर म� समतामल
ू क राजनी�तक �वचारधारा का प्रर एवं प्रोत्स करते
राष्टय स्वयंसेव संघ का ल�य भारत को �वश्-शिक् नह�ं, �वश्वगु बनाने तथा दे श
खोई हुई सनातन संस्कृ� को वापस है। राष्ट्रव, सामािजक, राजनै�तक, युवा वग� के बीच म�
कायर करने वाले, �श�ा के �ेत म� , सेवा के �ेत म� , सरु �ा के �ेत म� ,अन् कई �ेत् म� संघ
प�रवार के संगठन स�क् रहते ह�। भाजपा इसक� �वचारधारा का राजनै�तक दल है। द�नदयाल
उनका �वचार था -- “आ�थर् योजनाओं तथा आ�थर् प्रग का माप समाज के ऊपर क�
सीढ़� पर पहुँचे हुए व्यिक नह�ं, बल क� सबसे नीचे के स्त पर �वद्यावा व्यिक से होगा।”
इसी के अनस
ु ार उनक� अंत्योद्य दृिष्ट प�रव्याप्त होती– हर हाथ को काम क� संकल्पना
के साथ।
द�नदयालजी को जनसंघ के आ�थर् नी�त का रचनाकार बताया जाता है। आ�थर् �वकास
का मख
ु ् उद्देश समान् मानव का सख
ु है यह उनका �वचार था। इसम� साम्यवा, पँजीव
ू ाद ,
क� भावना रखने वाला मानव समूह एक जन ह�। उनक� जीवन प्रणा, कला, सा�हत्, दशर्
सब भारतीय संस्कृ� है। इस�लए भारतीय राष्ट्र का आधार यह संस्कृ� है। इस संस्कृ� म�
पहचान’ क� अपे�ा है।” एकात् मानववाद एक ऐसी धारणा है जो स�पर्लाका मण्डलाकृ� द्वार
से जड़
ु ा हुआ एक घेरा -समाज, जा�त, �फर राष्, �वश् और �फर अनंत बह्माड को अपने म�
पूरक एवं स्वाभा�व सहयोगी है। इनमे कोई संघषर नह�ं है।
�सतंबर तक सभी िजल� म� �व�भन् कायर्क आयोिजत �कये जा रहे ह�। आवास �वभाग द्वारा
एवं मध्य आय वगर के �लए 2 साल म� एक करोड़ आवास बनवाए जाएंगे। इसी के साथ प्र द
के सभी �वश्व�वद्याल म� पं द�न दयाल उपाध्या शोध पीठ क� स्थापन क� जा रह� है।
आ�खर म� ,यह अंत्योद क्य है? अंत्योद मतलब आ�थर् रू से कमज़ोर और �पछड़े वग� का
उदय या �वकास करने क� �क्र या भाव। अंत्योद केवल उपाध्या जी के द्वार ह� प्र�तिष
नह�ं हुई परं तु वह एक भाग है बाक� अवधारणाओं का जैसे ‘सव�दय’ यानी सबका �वकास।
इं�डया’, कायर्क के उद्देश को ध्या म� रखते हुए सामािजक तथा आ�थर् बेहतर� के �लए
कौशल �वकास आवश्य है। द�नदयाल अंत्योद योजना को आवास और शहर� गर�बी उपशमन
मंत्रा के तहत शुर �कया गया था। भारत सरकार ने इस योजना के �लए 500 करोड़ रुपय
का प्रावध �कया गया है। इस योजना का ल�य शहर� गर�ब प�रवार� �क गर�बी और जो�खम
अंत्योदययोजना क� मख
ु ् �वशेषताए ह�:
प्र�श� कर कुशल बनाने के �लए प्र�त व्य 15 हजार रुपये काप्रावध �कया गया
है, जो पूव��र और जम्म-कश्मी के �लए प्र व्िक् 18 हजार रुपय है। इसके अलावा,
शहर आजी�वका क�द् के ज�रए शहर� नाग�रक� द्वार शहर� गर�ब� को बाजारोन्मु
● सामिजक एकजट
ु ता और संस्थ �वकास - इसे सदस्य के प्र�श के �लए स्वय
सहायता समूह (एसएचजी) के गठन के माध्य से �कया जाएगा, िजसम� प्रत् समूह
को 10,000 रुपय का प्रारं� समथर् �दया जाता है। पंजीकृत �ेत् के स्त महासंघ�
● शहर� �नराश् के �लए आश् - शहर� बेघर� के �लए आश्र के �नमार् क� लागत
इसी तरह राज्यसेक्ट म� 166 पं द�न दयाल उपाध्या मॉडल �वद्यालय का संचालन
आदशर नगर पंचायत बनाया जाएगा। पांच साल� म� 375 आदशर नगर पंचायत� बनाई जाएंगी।
“हमार� राष्ट्र� का आधार भारत माता है, केवल भारत ह� नह�ं। माता शब् हटा
द�िजए तो भारत केवल जमीन का एक टुकड़ा बनकर रह जाएगा।” इतना बड़ा नेता होने के बाद
- एकता पंसार�
+3, द्�तीय वषर,
रमादेवी �वश्व�वद्या
भव
ु नेश्वर