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मिट्टी
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2. मृदा का वर्गीकरण
सर्वप्रथम 1879 ई० में डोक शैव ने मिट्टी का वर्गीकरण किया, जिसके बाद भारत की मिट्टियाँ मूल रूप से 5 वर्गो में विभाजित की गई है ।
1. जलोढ़ मृदा या कछार मिट्टी (Alluvial soil),
2. काली मृदा या रेगुर मिट्टी (Black soil),
3. लाल मृदा (Red soil),
4. लैटेराइट मृदा (Laterite) तथा
5. शुष्क मृदा (Arid soils)
भारतीय कृ षि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने भारत की मिट्टी को आठ समूहों में विभाजित किया है ।
(1) जलोढ़ मिट्टी (Alluvial Soil)/ कांप मिट्टी
(2) काली मिट्टी (Black Soil)
(3) लाल एवं पीली मिट्टी (Red and Yellow Soil)
(4) लैटराइट मिट्टी (Laterite Soil)
(5) शुष्क मृदा (Arid soils)
(6) लवण और क्षारीय मृदा (Saline and Alkaline soils)
(7) पीटमय मृदा (Peaty soil) तथा जैव मृदा (Organic soils)
(8) वन मृदा व पर्वतीय मिट्टी (Forest soils and Mountainous Soils)
(3) लाल मिट्टी & पीली मिट्टी (Red and Yellow Soil)
लाल मिट्टी भारत के कु ल क्षेत्रफल के 19% भाग में देखने को मिलती है।
लाल मिट्टी में फे रिक ऑक्साइड की अधिकता देखने को मिलती है इसके कारण यह लाल रंग की हो जाती है।
लाल मिट्टी में मैग्निशियम, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश की कमी होती है।
इस मिट्टी में अधिकतर मोटे अनाज जैसे- ज्वार, बाजरा, मूँगफली, अरहर, मक्का, आदि की उपज की जाती है।
लाल मिट्टी तमिलनाडु राज्य में सबसे अधिक विस्तृत है। महाराष्ट्र के दक्षिण-पूर्वी भाग में, मद्रास में, आंध्र में, मैसूर में और मध्य प्रदेश के
पूर्वी भाग में, उड़ीसा, झारखण्ड के छोटा नागपुर प्रदेश में और पश्चिमी बंगाल तक लाल मिट्टी (Red Soil) के क्षेत्र फै ले हुए हैं।
(7) पीटमय मृदा (Peaty soil) तथा जैव मृदा (Organic soils)
जैविक मिट्टी को दलदली मिट्टी भी कहा जाता है।
पीटमय मृदा तथा जैव मृदा नमी की अधिकता वाली जगह पर तथा जैविक पदार्थों के संचय से बनती हैं।
बारिश के दिनों में पीट मिट्टी वाली ज़मीन पानी में डू बी रहती है और पानी हटने के बाद इसमें धान की खेती की जाती है।
दलदल या पीट मिट्टी में क्षार की अधिकता होती है तथा फोस्फे ट और पोटाश की कमी होती है।
पीट मिट्टी वाली ज़मीन भारत के पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु , उड़ीसा, उत्तराखंड तथा उत्तर बिहार के मध्य भाग में देखने को मिलती है।