मिट्टी

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Types of Indian Soil in Hindi | भारत की मिट्टी के प्रकार

Types of Indian Soil in Hindi | भारत की मिट्टी के प्रकार


1. मृदा किसे कहते है?
पृथ्वी के ऊपरी सतह पर मोटे, मध्यम और बारीक कार्बनिक तथा अकार्बनिक मिश्रित कणों को ‘मृदा‘ या मिट्टी कहा जाता है ।

2. मृदा का वर्गीकरण
सर्वप्रथम 1879 ई० में डोक शैव ने मिट्टी का वर्गीकरण किया, जिसके बाद भारत की मिट्टियाँ मूल रूप से 5 वर्गो में विभाजित की गई है ।
1. जलोढ़ मृदा या कछार मिट्टी (Alluvial soil),
2. काली मृदा या रेगुर मिट्टी (Black soil),
3. लाल मृदा (Red soil),
4. लैटेराइट मृदा (Laterite) तथा
5. शुष्क मृदा (Arid soils)

भारतीय कृ षि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने भारत की मिट्टी को आठ समूहों में विभाजित किया है ।
(1) जलोढ़ मिट्टी (Alluvial Soil)/ कांप मिट्टी
(2) काली मिट्टी (Black Soil)
(3) लाल एवं पीली मिट्टी (Red and Yellow Soil)
(4) लैटराइट मिट्टी (Laterite Soil)
(5) शुष्क मृदा (Arid soils)
(6) लवण और क्षारीय मृदा (Saline and Alkaline soils)
(7) पीटमय मृदा (Peaty soil) तथा जैव मृदा (Organic soils)
(8) वन मृदा व पर्वतीय मिट्टी (Forest soils and Mountainous Soils)

(1) जलोढ़ मिट्टी (Alluvial Soil)/ कांप मिट्टी


 जलोढ़ मिट्टी (Alluvial Soil) को दोमट और कछार मिट्टी के नाम से भी जाना जाता है,
 भारत के कु ल क्षेत्रफल का लगभग 43.4 प्रतिशत भाग पर जलोढ़ मिट्टी,
 जलोढ़ मिट्टी निर्माण नदियों के निक्षेपण से,
 नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस की मात्रा कम,
 भारत में उत्तर का मैदान (गंगा का क्षेत्र), सिंध का मैदान, ब्रह्मपुत्र का मैदान तथा दक्षिण भारत के नर्मदा, तापी, महानदी, कावेरी घाटी,
कृ ष्णा, गोदावरी के प्रदेश में,
(2) काली मिट्टी (Black Soil)
 भारत के कु ल क्षेत्रफल का लगभग 15% भाग में फै ली हुई है।
 काली मिट्टी (Black Soil) नमी को अधिक समय तक बनाये रखती है और नमी खत्म हो जाने पर इसमें दरार आ जाती है।
 इस मिट्टी को कपास की मिट्टी या रेगड़ मिट्टी भी कहते हैं।
 यह मिट्टी लावा प्रदेश में पाई जाती है।
 काली मिट्टी वाली ज़मीन में लोहा, एलुमिनियम, मैग्निशियम कार्बोनेट, चुना, पोटाश व कै ल्शियम प्रचुर मात्रा में पाई जाती है।
 काली मिट्टी में भी नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस की मात्रा कम पायी जाती है।
 इस मिट्टी के क्षेत्र में गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश का पश्चिमी भाग और मैसूर का उत्तरी भाग आते हैं।

(3) लाल मिट्टी & पीली मिट्टी (Red and Yellow Soil)
 लाल मिट्टी भारत के कु ल क्षेत्रफल के 19% भाग में देखने को मिलती है।
 लाल मिट्टी में फे रिक ऑक्साइड की अधिकता देखने को मिलती है इसके कारण यह लाल रंग की हो जाती है।
 लाल मिट्टी में मैग्निशियम, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश की कमी होती है।
 इस मिट्टी में अधिकतर मोटे अनाज जैसे- ज्वार, बाजरा, मूँगफली, अरहर, मक्का, आदि की उपज की जाती है।
 लाल मिट्टी तमिलनाडु राज्य में सबसे अधिक विस्तृत है। महाराष्ट्र के दक्षिण-पूर्वी भाग में, मद्रास में, आंध्र में, मैसूर में और मध्य प्रदेश के
पूर्वी भाग में, उड़ीसा, झारखण्ड के छोटा नागपुर प्रदेश में और पश्चिमी बंगाल तक लाल मिट्टी (Red Soil) के क्षेत्र फै ले हुए हैं।

पीली मिट्टी (Yellow Soil)


 भारत के के रल राज्य में सबसे अधिक पीली मिट्टी पायी जाती है।
 लाल मिट्टी में अधिक वर्षा हो जाती है, तो अधिक वर्षा के कारण लाल मिट्टी के रासायनिक तत्व अलग हो जाते है, जिसकी वजह से उस
मिट्टी का रंग पीला दिखाई देने लगता है।

(4) लैटराइट मिट्टी (Laterite Soil)


 भारत में क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से लैटेराइट मिट्टी का चौथा स्थान है।
 लैटेराइट मिट्टी में लौह ऑक्साइड एवं एल्यूमिनियम ऑक्साइड की अधिक मात्रा पायी जाती है,
 नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाष, चूना एवं कार्बनिक तत्व की कमी होती है।
 लैटेराइट मिट्टी चाय एवं कॉफी फसल के लिए सबसे उपयोगी मानी जाती है|
 इस मिट्टी में काजू की फसल अच्छी होती है।
 भारत में लैटेराइट मिट्टी असम, कर्नाटक एवं तमिलनाडु राज्य में अधिक पायी जाती है।
(5) शुष्क मृदा (Arid soils)
 घुलनशील लवण एवं फास्फोरस की मात्रा अधिक पायी जाती है।
 नाइट्रोजन एवं कार्बनिक तत्व की कमी होती है।
 तिलहन के उत्पादन के लिए उपयोगी।
 तिलहन के अतरिक्त ज्वार, बाजरा एवं रागी की फसल की पैदावार अच्छी होती है।
 यह राजस्थान के थार प्रदेश में, पंजाब के दक्षिणी भाग में और राजस्थान के कु छ अन्य भागों में मिलती है ।

(6) लवण और क्षारीय मृदा (Saline and Alkaline soils)


 लवणीय और क्षारीय मिट्टी को रेह, उसार, कल्लर, रकार, थूर और चोपन भी कहा जाता है।
 लवण और क्षारीय मिट्टी में सोडियम, कै ल्सियम और मैग्निशियम की मात्रा अधिक होने के कारण यह मिट्टी अनुपजाऊ होती है।
 इसमें नाइट्रोजन की मात्रा कम पायी जाती है।
 लवणीय और क्षारीय मिट्टी
भारत में पश्चिमी राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, के रल के तटवर्ती क्षेत्र में और बिहार में पाई जाती है।

(7) पीटमय मृदा (Peaty soil) तथा जैव मृदा (Organic soils)
 जैविक मिट्टी को दलदली मिट्टी भी कहा जाता है।
 पीटमय मृदा तथा जैव मृदा नमी की अधिकता वाली जगह पर तथा जैविक पदार्थों के संचय से बनती हैं।
 बारिश के दिनों में पीट मिट्टी वाली ज़मीन पानी में डू बी रहती है और पानी हटने के बाद इसमें धान की खेती की जाती है।
 दलदल या पीट मिट्टी में क्षार की अधिकता होती है तथा फोस्फे ट और पोटाश की कमी होती है।
 पीट मिट्टी वाली ज़मीन भारत के पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु , उड़ीसा, उत्तराखंड तथा उत्तर बिहार के मध्य भाग में देखने को मिलती है।

(8) वन मृदा व पर्वतीय मिट्टी (Forest soils and


Mountainous Soils)
 पर्वतीय मिट्टी हिमालय की घाटियों तथा ढलान वाले क्षेत्रों के वनों में हिमालय की तराई वाले क्षेत्रों में स्थित है।
 वन मृदा
वृक्ष के गिरे हुए पत्तों से ढकी रहती है और सड़ने से इसकी उर्वरकता बढ़ जाती है और सड़ने से जंगली मिट्टी का ऊपरी भाग काला हो जाता है।
 चाय, कॉफी, गरम मसाले, गेहूं, मक्का, धान इत्यादि फसलें।
 वन मृदा व पर्वतीय मिट्टी असम कश्मीर हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड जैसी जगहों पर देखने को मिलते हैं ।

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