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पाठ -1 ह रहर काका

लेखक – ी म थले वर
तुत कहानी लेखक [ कथावाचक ] के गाँव क कहानी है | इस
कहानी के मुख पा ह रहर काका है | लेखक ने इस कहानी के
मा यम से धम के नाम पर होने वाले अपराध, मनु य म पनप रहे
वाथ और उनके लालची वभाव को उजागर कया है |
लेखक ह रहर काका का बहु त
स मान करते है | ह रहर काका
उनके पड़ोसी ह | एक पता अपने
ब चे से िजतना यार करता है , उससे
कह ं यादा यार ह रहर काका
लेखक से करते थे | लेखक क पहल
दो ती ह रहर काका से ह हु ई | काका
लेखक से कोई भी बात नह ं छपाते
थे | खूब बात करते थे | ले कन कुछ
दन से काका ने लेखक से भी बात
करना बंद कर दया | वे परे शान,
उदास और दुखी थे |
ह रहर काका क इस ि थ त का
कारण जानने के लए उनके गाँव का
प रचय दे ना आव यक है |
गाँव क कुल आबाद ढाई –तीन हज़ार होगी | गाँव म तीन मुख थान ह -
गाँव के पि चम कनारे बड़ा सा तालाब, म य ि थत बरगद का पेड़
पूरब म ठाकुर जी का वशाल मं दर, िजसे गाँव के लोग ठाकुरबार कहते ह |
ठाकुरबार क थापना के संबंध म कहानी च लत है क कह ं से एक संत आकर इस थान
पर झोपड़ी बनाकर रहने लगे | वे सुबह – शाम यहाँ ठाकुर जी क पूजा करते थे, लोग से
माँगकर खा लेते थे | बाद म लोग ने चंदा करके यहाँ छोटा सा मं दर बनवा दया | जैसे –
जैसे आबाद बढ़ती गई लोग क धा भी बढ़ती गई | कसी के यहाँ बेटा हो, शाद हो, नौकर
मले, कोई भी शुभ काम हो लोग ठाकुरजी पर पये, जेवर, अनाज चढ़ाते | अ छ फसल होने
पर खेत का छोटा सा टु कड़ा ठाकुर जी के नाम लख दे ते |
लोग के इसी व वास के प रणाम व प अब यह गाँव क सबसे
बड़ी ठाकुरबार है | इसके नाम पर बीस बीघे खेत है | धा मक लोग
क एक स म त है , इसक दे ख – रे ख और संचालन के लए येक
तीन साल पर एक महं त और एक पुजार क नयुि त क जाती है |
ह रहर काका का संयु त प रवार है | ह रहर काका चार भाई ह | सबक शाद हो चुक है , बाल- ब चे ह
| काका क अपनी कोई संतान नह ं है | औलाद के लए उ ह ने दो शा दयाँ क | ले कन उनक दोन
पि नयाँ वग सधार गयीं | काका अपने प रवार के साथ रहते ह | काका के प रवार के पास कुल 60
बीघे खेत ह | येक भाई के ह से 15 बीघे पड़गे | ये लोग खेती का काम करते ह |
काका के तीन भाई खेती करते थे | काका के तीन भाइय ने अपनी पि नय को यह सीख द थी क
काका क अ छ तरह सेवा कर, समय – समय पर खाना द | कुछ दन तक सबने सेवा क ले कन फर
वे अपने प तय को अ छे – अ छे यंजन खलाती और काका को बचा – कुचा खाना दे दे तीं | अगर कभी
काका बीमार पड़ जाये तो इतने बड़े प रवार म उनक खै रयत या सेवा करने वाला कोई नह ं था |
कसी तरह पुजार और महं त को काका क इस ि थ त का पता चल गया | महं त उ ह एकांत म यार
से समझाने लगा क प त प नी, बेटे, भाई – बंधु सब वाथ ह | तु हारे ह से म जब तक 15 बीघे खेत
है तब तक वे तु हारे साथी ह | िजस दन उ ह पता चला क तुम अपना ह सा उ ह नह ं दोगे, उस दन
वे तुमसे सारे संबंध तोड़ दगे | इस लए म चाहता हू ँ क तुम अपनी ज़मीन ठाकुरजी के नाम लख दो
और अपना यान ई वर म लगाओ | ऐसा करने से तुम वग को जाओगे और मरने के बाद भी लोग
तु ह याद करगे |
अपने उ दे य को पूरा करने के लए महं त ने ह रहर काका के रहने और खाने-पीने क यव था
ठाकुरबार म ह कर द | महं त ने उनक सेवा के लए दो सेवक का भी इंतजाम का दया |
इधर शाम को जब काका के भाई घर लौटे तब उ ह इस बात का पता चला | उ ह ने पि नय को खूब
बुरा-भला कहा और काका को वापस लाने ठाकुरबार चल दए | भाइय ने काका से माफ़ माँगी और
समझा-बुझा कर घर वापस ले आए |
घर पहु ँचते ह भाइय क पि नय ने काका से माफ़ माँगी | उस दन से वे सब काका क सेवा म लग
ग | काका जो भी माँगते वो चीज़ उनके सामने हािज़र हो जाती |
गाँव वाले भी ह रहर काका क घटना से अनजान नह ं थे | िजतने मुँह उतनी बात | गाँव के लोग दो
वग म बँट चुके थे | एक वग के लोग चाहते थे क काका अपनी ज़मीन ठाकुरबार के नाम लख दे तो
दूसरा वग, िजसम ह रहर जैसे आदमी और औरत पल रहे थे, इसके खलाफ़ था |
इधर ह रहर काका के भाई भी उनसे नवेदन करने लगे क वे अपनी ज़मीन उनके नाम लख दे | इस
वषय पर काका ने मुझसे (लेखक) अकेले म बहु त दे र तक बात क | आ खर म हमने नणय लया क
जीते जी ज़मीन कसी के भी नाम नह ं करगे | चाहे वह अपना भाई हो या महं त | य क गाँव म अनेक
लोग ऐसे थे िज ह ने जीते जी अपनी जायदाद अपने बेटे या भाई के नाम लख द और अब उनक हालत
कु े जैसी हो गई थी | अनपढ़ होते हु ए भी काका ने प रि थतय को समझते हु ए यह नणय लया क वे
जीते जी अपनी ज़मीन कसी के नाम नह ं करगे | अपने भाइय को भी समझा दया क मेरे मरने के बाद
अपने आप ज़मीन तु हार हो जाएगी, लखवाने क या ज़ रत ?
महं त ने काका क ज़मीन ह थयाने के लए ठाकुरबार के लोग के साथ मलकर काका के घर हमला कर
उनका अपहरण कर लया | एक ओर महं त कुछ सादे और लखे हु ए कागज़ पर काका के अंगूठे के
नशान ज़बरद ती लेने क को शश कर रहा था तो दूसर ओर काका के भाई उ ह ढू ँ ढते हु ए पु लस जीप
के साथ सुबह ठाकुरबार पहु ँच गए |
पु लस ने ठाकुरबार को चार तरफ से घेर लया और तलाशी लेने लगे | बहु त दे र तक खोज-बीन करने
के बाद उ ह एक बंद कमरे म काका बहु त बुर दशा म मले | उनके हाथ-पाँव बंधे हु ए थे, मुँह म कपड़ा
बाँध दया गया था | काका ने पु लस को महं त और ठाकुर बार के लोग क सार स चाई बताई क
कैसे उन लोग ने जबरन कागज़ पर उनके अँगूठे के नशान लए .... आ द | काका फर अपने भाइय
के साथ रहने लगे |
इस घटना के बाद काका के भाइय ने भी उन पर दबाव डालना शु कर दया क ज़मीन उनके नाम कर
द जाय | काका के मना करने पर भाइय ने भी महं त का प धारण कर लया | उ ह ने ह थयार लए
और काका को धमकाया क कागज़ पर अँगूठे के नशान लगा दे अ यथा वे उ ह मार डालगे और कसी
को कुछ भी पता नह ं चलेगा |
ले कन अब काका डरने वाले नह ं थे | उ ह ने सोच लया क भाई उ ह मार दे तो ह ठ क होगा ले कन
अपनी ज़मीन जीते जी कसी के नाम नह ं लखगे |
धमकाने पर भी जब काका नह ं माने तो भाइय ने उ ह पीटना शु कर दया |काका अपने बचाव के लए
ज़ोर-जोर से च लाने लगे | भाइय ने फ़ौरन उनके मुँह पर कपड़ा बाँध दया |ले कन तब तक पड़ोस और
गाँव के लोग उनक आवाज़ सुन चुके थे | महं त तुरंत पु लस के साथ उनके घर आ गए |
पु लस के आते ह भाई और भतीजे भाग खड़े हु ए | पु लस ने काका को बहु त बुर दशा म पाया | अगर
पु लस न पहु ँचती तो शायद व काका को जान से मार डालते |
इस घटना के बाद काका अपने प रवार से एकदम अलग रहने लगे ह | उनक सुर ा म राइफलधार
पु लस के चार जवान तैनात कर दए गए | ह रहर काका अपनी िज़ दगी के बचे हु ए दन काट रहे ह |
उ ह ने एक नौकर रख लया है , वह उ ह बनाता और खलाता है | काका ने मौन धारण कर लया है |
गाँव म अब भी उनके बारे म ह चचाएँ होती रहती ह |
इस कहानी को पढ़कर ऐसा लगता है क समाज
म िजतने भी र ते ह वे वाथ पर आधा रत ह।
महं त ने ह रहर काका क आवभगत इस लए क
य क वह उनक जमीन हड़पना चाहता था।
ह रहर काका के भाइय ने उनक दोबारा इ जत
करनी शु कर द य क वे पं ह बीघे जमीन को
अपने हाथ से जाने नह ं दे ना चाहते थे। गाँव म
ऐसे कई करण पहले भी हो चुके थे। धन दौलत
के आगे खून के र ते भी फ के पड़ने लगते ह।
यह कहानी यह उि त स ध करती है ---
‘बाप बड़ा न भैया,
सबसे बड़ा पैया |’

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