Pto

You might also like

Download as pdf or txt
Download as pdf or txt
You are on page 1of 8

Ĭ ी बृ

ह प तवार त कथा Ĭ

Ĭ गु ा, ुव णु
ः, गुदवो महेरः l गुः सा ात्
परं
बृ, त मैी गु
रवे
नमः llĬ

ο सम त दे
वा धदे
व के
गुबृ
ह प त दे
वकο

Ĭ ी बृ
ह प तवार त कथा Ĭ

ο ॐ बृ

बृ
ह पये
नमः ο

Ĭ पू
जा व ध Ĭ

बृ
ह प तवार को जो भी ी-पुष त कर उनको चा हए क वह दन म एक ही समय भोजन कर
य क बृह प त भगवान का इस दन पू जन होता हैl भोजन पीलेचनेक दाल आ द का कर, परं तु
नमक नह खाए और पीले व पहन, इस त मे केले का पूजन कया जाता हैl के
लेकेपौधे मे
सा ात्ी बृह प त देव और ी सतनारायण व णु भगवान व मान रहते है
l पू
जन मेपीले ही
फल का योग कर पीले चं
दन सेपू
जन कर l पीले फू ल क माला अपण कर , सु ग धत धुप लगाए,
पीलेचावल, पीली ह द , पीली के
सर सेतलक कर l गु ड़, चनेक दाल, पीली मठाई, भु

ंला, आ द
का भोग लगाए l पर तुकेलेका भोग ना लगाए ना ही त मे केले
का सेवन कर l आप चाहे तो
साद मेसरो को के लेबांट सकतेहैl उसके बाद संक प ले सं
क प इस कार है l

Ĭ सं
क प या Ĭ

सव थम दा हने हाथ मेथोड़ा सा जल लेकर 11 बार ॐ बृ ंबृह पयेनमः इस मंका जाप कर


उसके बाद गणे श जी मरण कर ॐ गं गणपते नमः, ॐ गं गणपते नमः, इस मंका 11 बार जाप
कर और मन मे संक प ले जो इस कार है l हेपरम पता ! परमेर मै (अपना नाम ) (अपना गो )
(धन, स पदा, प रवार क सुख शांत, गृ
ह ले श र करने हेतु
, ववाह, पु ा त, सरकारी नौकरी मे
उ ीण, वसाय मे उ त, कारोबार मेसफलता ) या फर भी जो भी आपक मनोकामना हो
बृ
ह प त महाराज से मन मेकह ) क सफलता हे तुइस बृह प तवार के त का पाठ कर रहा ं ,
कृपया मु
झेइसम सफलता दान कर l फर ॐ ी व णु : ॐ ी व णु : ॐ ी व णु : का जाप
करतेए हाथ मेलए जल को धरती माता मे सम पत कर l

इस त को करने सेमन क इ छाय पू


री होती है
और बृ ह प त महाराज स होतेहैतथा धन पु
व ा तथा मनोवां
छत फल क ा त होती है प रवार को सुख शां
त मलती है
इस लए यह त
सव ेऔर अ त फलदायक सब ी व पुष केलए है l इस त म के
लेका पू
जन करना चा हए

1
शु जल के लौटे
मेश कर मलाकर अमृ त तै
यार करना चा हए l कथा के
प ात अपने सारे
प रवार और सु
ननेवालेेमय मे अमृत व साद बांटकर वयं भी हण कर l कथा और पूजन के
समय तन मन म वचन से शु होकर जो इ छा हो बृ
ह प त दे
व सेाथना करनी चा हए उनक
इ छा को बृह प त दे
व पू
ण करतेह ऐसा मन म ढ़ व ास रखना चा हए l

Ĭ ी बृ
ह प तवार त कथा Ĭ

Ĭ भारतवष मे एक राजा रा य करता था वह बड़ा तापी और दानी था l वह न य गरीब और


ा ण क सहायता करता था l यह बात उस क रानी को अ छ नह लगती थी, वह न ही गरीब
को दान देती न ही भगवान का पू जन करती थी और राजा को भी दान दे
नेसेमना कया करती थी
l एक दन राजा शकार खे लनेवन को गए ए थेतो रानी महल म अके ली थी उसी समय बृ ह पत
देव साधु केभेष म राजा के महल म भ ा लेनेकेलए गए और भ ा मां गी रानी नेभ ा दे नेसे
इनकार कर दया और कहा - हे साधु
महाराज म तो दान पुय सेतं
ग आ गई ँ l मे
रा प त सारा धन
लुटाता रहता है l मे
री इ छा है
क हमारा सम त धन न हो जाए फर ना रहे गा बां
स और ना
बजे गी बां
सु
री l

साधुने कहा - दे
वी तु
म तो बड़ी अजीब हो l धन सं तान तो सभी चाहतेह पुऔर ल मी तो पापी
के घर भी होनी चा हए l य द तुहारेपास अ धक धन है तो भूख को भोजन दो, यास केलए
याऊ बनवाओ, मु सा फर केलए धमशालाएँ खुलवाओ l जो नधन अपनी कु ंवारी क या का
ववाह नह करा सकते उनका ववाह करा दो l ऐसे और कई काम हैजनको करने सेतुहारा यश
लोक - परलोक मे फैलेगा l परं
तुरानी पर उपदे
श का कोई भाव न पड़ा वह बोली - महाराज आप
मुझेकुछ ना समझाएं म ऐसा धन नह चाहती जो हर जगह बाँ टती फ ँl साधु नेउ र दया - य द
तुहारी ऐसी इ छा हैतो तथा तु ! तुम ऐसा करना क बृह प तवार को घर लीपकर पीली म से
अपना सर धोकर नान करना, भ चढ़ाकर कपड़े धोना, ऐसा करनेसेआपका सम त धन न हो
जाएगा l इतना कह कर वह साधु महाराज वहां
से आलोप हो गए l

जै
सा वह साधु कहकर गया था रानी नेवै
सा ही कया l छ : बृ
ह प तवार ही बीते
थेक उनका
सम त धन न हो गया और भोजन केलए दोन तरसने लगे l सां
सा रक भोगो से:खी रहने लगेl
तब वह राजा रानी से
कहनेलगा क तु म यहाँपर रहो मेसरे दे
श मे जाता ँय क यहाँ पर मु
झे
सभी मनु य जानते है
इस लए कोई काय भी नह कर सकता l दे श चोरी परदे
श भीख बराबर है
ऐसा कहकर राजा परदेश चला गया l वहाँ
जंगल को जाकर लकड़ी काटता और उसे शहर मेबेचता,
इस तरह वह जीवन तीत करने लगा l एक दन ःखी होकर जं गल मे एक पेड़ के नीचेन त
प सेआसान जमाकर बै ठ गया वह अपनी दशा को याद करके ाकु ल होनेलगा l बृ
ह प तवार
का दन था l एकाएक उसने दे
खा क नजन वन मे एक साधुकट आ वह साधु भेष मेवयं
बृ
ह प त दे
वता थे, लकड़हारेकेसामने आकर बोले हे
- लकड़हारे ! तू
इस सुनसान जं गल मेचता

2
म न य बै
ठा है
? लकड़हारे
नेदोन हाथ जोड़कर णाम कया और उ र दया - महा मा जी आप
सब कु
छ जानतेहैमैया क ं
l यह कहकर वह रोने
लगा और साधु
को आ म कथा सुनाई l

महा मा जी ने
कहा - तुहारी ी ने बृ
ह प तवार केदन वीर भगवान का नरादर कया हैजसके
कारण होकर तुहारी यह दशा कर द गयी हैl अब तु
म चता को र करके मे
रे
कहनेपर चलो
तो तु
हारेसब क र हो जाएं गे
और भगवान पहले सेभी अ धक सं
प दगे l

तु
म बृह प तवार केदन पाठ कया करो पांच पयेके चना मु
न का मंगवाकर उसका साद
बनवाओ और शु जल के लौटे
मेश कर मलाकर अमृ त तै
यार करो? कथा केप ात अपने
सारे
प रवार और सुननेवालेे मय मे अमृत व साद बां
टकर आप भी हण करो ऐसा करने से
भगवान तु हारी सब मनोकामनाय पू
री करगेl

साधुकेऐसे वचन सु नकर लकड़हारा बोला - हेभो ! मु झे लकड़ी बेचकर इतना पै


सा नह मलता
जससे मेभोजन करने के उपरां
त कुछ बचा सकूँl मनेरा ी मे
अपनी ी को ाकु ल दे
खा है
l मे
रे
पास कुछ भी नह जससे उसक खबर मं गा सकूँसाधुनेकहा - हेलकड़हारेतु
म कसी बात क
चता मत करो l बृ
ह प त केदन तु म रोजाना क तरह लक ड़यां ले
कर शहर को जाओ l तु
मको
रोज सेगना धन ा त होगा जससे तुम भली - भांत भोजन कर लोगे तथा बृ
ह प त दे
व क पूजा
का सामान भी आ जाये गा इतना कहकर साधु अंत यान हो गए l

धीरे- धीरे
समय तीत होनेपर फर वही बृ
ह प तवार का दन आया l लकड़हारा जं
गल से
लकड़ी काटकर कसी शहर मे बे
चनेगया उसेउस दन और दन से अ धक पैसा मला राजा ने
चना
गु
ड़ आ द लाकर केगुवार का त कया l उस दन से उसकेसभी ले श र ए पर तु जब बारा
गुवार का दन आया तो बृ
ह प तवार का त करना भू
ल गया इस कारण बृ
ह प त भगवान नाराज
हो गए l

उस दन से उस नगर केराजा नेवशाल य का आयोजन कया तथा शहर मेयह घोषणा करा द
क कोई भी मनु य अपनेघर मेभोजन न बनावे
ना आग जलावे
सम त जनता मे रेयहाँ
भोजन
करनेआवे l इस आ ा को जो न माने
गा उसकेलए फां
सी क सजा द जाएगी l इस तरह क
घोषणा स पूण नगर मे
करवा द गई l

राजा क आ ानुसार शहर के सभी लोग भोजन करने गए ले


कन लकड़हारा कुछ दे
र सेपंचा l
इस लए राजा उसको अपने साथ घर लवा लेगए और ले जाकर भोजन करा रहे
थेक रानी क
उस खू

ट पर पड़ी जस पर उसका हार लटका आ था वह वहां पर दखाई न दया l रानी ने
न य कया क मेरा हार इसी मनु
य नेचु
रा लया है
l

उसी समय पु
लस को बुलाकर उसको जे
लखानेमे
डलवा दया l जब लकड़हारा जे
ल खाने
मेपड़
गया और ब त ःखी होकर वचार करने
लगा क ना जाने
कौन सेपू
व ज म केकम सेमु
झेःख

3
ा त आ है और उसी साधु को याद करने लगा जो क जं गल मेमला था l उसी समय त काल
बृ
ह प त दे व साधुके प म कट हो और उसक दशा को दे खकर करने लगे अरेमूख ! तू
ने
बृ
ह प तदे व क कथा नह करी इस कारण तु झे:ख ा त आ है अब चता मत कर बृ ह प तवार
केदन जे ल खाने केदरवाजे पर चार पैसे
पड़ेमलगे l उनसे तूबृह प त देव क पूजा करना तेरे
सभी क र हो जाये ग l बृ
ह प त के रोज उसे चार पै
सेमले l लकड़हारे नेकथा कही उसी रा
को बृह प त दे व नेउस नगर के राजा को व म कहा - हे ! राजा तुमनेजस आदमी को जे ल खाने
म बंद कर दया है वह नद ष है l वह राजा है
उसे छोड़ दे ना रानी का हार उसी खूट पर लटका है

अगर तू ऐसा नह करे गा तो म ते
रेरा य को न कर ं गा इस तरह रा केव को दे ख कर राजा
ात:काल उठा और खू ट पर हार दे
ं खकर लकड़हारे को बुलाकर मा मां गी तथा लकड़हारे को
यो य सु दर व व आभू
ं षण दे कर वदा कया तथा बृ ह प तदे व क आ ा अनु सार लकड़हारा
अपने नगर को चल दया l राजा जब अपने नगर केनकट प ं चा तो उसे बड़ा आ य आ l नगर
म पहले से अ धक बाग, तालाब और कु एं
तथा ब त-सी धमशाला मं दर आ द बन गई ह l राजा ने
पू
छा - यह कसका बाग और धमशाला है तब नगर के सब लोग कहने लगे यह सब रानी और बांद
के ह l तो राजा को आ य आ और गु सा भी आया l

जब रानी ने यह खबर सु नी क राजा आ रहे ह l तो उसने बांद से कहा क हे दासी ! दे


ख राजा
हमको कतनी बु री हालत म छोड़ गए थे l हमारी ऐसी हालत दे खकर वह लोट न जाए इस लए तू
दरवाजे पर खड़ी हो जा आ ानु सार दासी दरवाजे पर खड़ी हो गई राजा आए तो उ ह अपने साथ
लवा लाई l तब उ ह ने कहा हम यह सब धन बृ ह प तदे व के इस त के भाव सेा त आ है l
राजा नेन य कया क सात रोज बाद तो सभी बृ ह प त दे व का पू
जन करते ह परंतुरोजाना दन
म तीन बार कहानी कहा क ं गा रोज त कया क ं गा l अब हर समय राजा क प े म चने क
दाल बँधी रहती तथा दन म तीन बार कहानी कहता l एक रोज राजा नेवचार कया क चलो
अपनी बहन के यहाँ हो आव l इस तरह न य कर आजा घोड़े पर सवार हो अपनी बहन के यहाँ
को चलने लगा l माग म उसने देखा क कु छ आदमी एक मु द को लए जा रहे ह उ ह रोककर राजा
कहने लगा - अरे भाइय ! मे री बृह प तदे व क कहानी सु न लो वेबोले लो हमारा तो आदमी मर
गया है इसको अपनी कथा क पड़ी है परं
तु कु
छ आदमी बोले अ छा कहो हम तु हारी कथा भी
सुनगेl राजा ने
दाल नकाली और जब कथा आ द ई क मु दा हलने लग गया और जब कथा
समा त ई तो राम - राम करके मनु य उठकर खड़ा हो गया l आगे माग म उसे एक कसान खे तम
हल चलाता मला l राजा ने उसे देखा और उससे बोला - अरे भइया ! तु
म मेरी बृ
ह प तदे व क कथा
सुन लो कसान बोला जब तक म ते री कथा सुनग ँा तब तक चार हरै
ु या और जोत लू गा जा आपनी

कथा कसी और को सु नाना, इस तरह राजा आगे चलने लगा राजा के हटते ही बैल पछाड़ खाकर
गर गए तथा उसके पेट म बड़ी जोर का दद होने लगा उस समय उसक मां रोट ले कर आई उसने
जब यह दे खा तो अपने पुसे सब हाल पू छा और बे टेने सभी हाल कर दया तो बु ढ़या दौड़ी -दौड़ी
उस घुड़सवार के पास गई और उससे बोली म ते री कथा सु नगंी

4
तू
अपनी कथा मे
रे
खेत पर चलकर ही कहना l

राजा नेबुढ़या केखेत पर जाकर कथा कही जसके सु नतेही वह बै ल उठ खड़ेए तथा कसान
के पे
ट का दद बं
द हो गया l राजा अपनी बहन के घर प ं चा l बहन ने भाई क खू ब मेहमानी क l
सरेरोज ात:काल जगा तो वह दे खने लगा क सब लोग भोजन कर रहे ह l राजा नेअपनी बहन
से कहा क ऐसा कोई मनु य हैजसने भोजन नह कया हो मे री बृह प त दे
व क कथा सु न ले l
ब हन बोली - हेभै
या ! यह देश ऐसा ही है पहले यहांलोग भोजन करते ह बाद म अ य काम करते
ह अगर कोई पड़ोस म हो तो दे ख आऊं l वह ऐसा कह कर दे खने चली गई परं तुउसे कोई ऐसा
नह मला जसने भोजन ना कया हो अतः वह कुहार के घर गई जसका लड़का बीमार था
l उसेमालूम आ क उसके यहांतीन रोज सेकसी ने भोजन नह कया है रानी ने अपनेभाई क
कथा सु ननेकेलए कुहार से कहा वह तै यार हो गया l राजा ने जाकर बृह प तवार क कथा कही
जसको सु नकर उसका लड़का ठ क हो गया अब तो राजा क शं सा होनेलगी एक रोज राजा ने
बहन से कहांक हे बहन ! हम आपने घर को जाएं गेतुम भी तै यार हो जाओ राजा क बहन ने
अपनी सास से कहा सास ने कहा हाँ चली जा l परंतुअपने लड़क को मत ले जाना य क ते रे
भाई के कोई औलाद नह है l बहन नेअपने भाई सेकहा - हे भईया ! म तो चलू गी परं
ं तुकोई
बालक नह जाएगा राजा बोला जब कोई बालक नह चले गा, तब तुम भी या करोगी l बड़ेखी
मन से राजा अपनेनगर को लौट आया l

राजा ने अपनी रानी से


कहा हम नीरवंशी राजा है
हमारा मु

ह दे
खने का धम नह हैऔर कु छ भोजन
आ द नह कया l रानी बोली - हेभो ! बृ ह प तदे
व नेहम सब कुछ दया हैहम औलाद अव य
दगे उसी रात को बृ
ह प त दे
व नेराजा सेव मे कहा - हे
राजा उठ भी सोच याग दे
तेरी रानी गभ
से हैl राजा क यह बात सु
नकर रानी को बड़ी खुशी ई नव महीने म उसके गभ सेएक सु द
ंर पु
पैदा आ तब राजा बोला - हेरानी ी बना भोजन के रह सकती हैबना कहे नह रह सकती जब
मेरी बहन आवे तु
म उससे कु
छ कहना मत रानी ने सु
नकर हाँकर दया l

जब राजा क बहन ने यह शु
भ समाचार सु
ना तो वह ब त खुश ई तथा बधाई ले कर अपने भाई के
यहाँ
आई l तब रानी नेकहा क घोड़ा चढ़कर तो नह आई गधा चढ़ आई राजा क बहन बोली -
भाभी म इस कार ना कहती तो तुह औलाद कै सेमलती l बृ
ह प त दे
व ऐसे ही है
, जै
सी जसक
मन क कामनाय ह, सभी को पू
ण करते ह, जो सदभावना पू
वक बृह प तवार का त करता है एवं
कथा पड़ता हैअथवा सुनता है
बृह प तदे
व उसक मनोकामना पू ण करतेह l भगवान बृह प तदेव
उसक सदै व र ा करतेह सं
सार म स ावना से भगवान जी का पू
जन त करके स चेदय से
उसका मनन करतेए जयकारा बोलना चा हए l

Ĭ Il बोलो बृ
ह प त दे
व क जय ll व णु
भगवान क जय Il इ त llĬ

5
Ĭ ी बृ
ह प तवार त कथा Ĭ

ाचीन काल म एक ा ण था, वह ब त नधन था l उसक कोई सं तान नह थी l उसक ी ब त


मलीनता के साथ रहती थी l वह नान न करती, कसी देवता का पूजन न करती, इससे ा ण
दे
वता बड़े:खी थे बे
चारे
ब त कु छ कहते थेकतु उसका कुछ प रणाम नह नकला lभगवान क
कृ पा सेा ण क ी के क या - पी र न पै दा आ l क या बड़ी होनेपर ात: नान करके
व णु भगवान का जाप व बृह प तवार का त करने लगी l अपनेपू
जन -पाठ को समा त करके
कू ल जाती तो अपनी मु म जौ भरके लेजाती और पाठशाला के माग म डोलती जाती l तब ये
जौ वण के हो जातेलौटते समय उनको बीन कर घर को ले आती थी l एक दन वह बा लका सू प
म उस सोने जौ को फटककर साफ कर रही थी क उसकेपता ने दे
ख लया और कहा हे बेट !
सोने केजौ केलए सोने का सूप होना चा हए l

सरेदन बृ ह प तवार था इस क या नेत रखा और बृ ह प त देव सेाथना करके कहा - मने


आपक पू जा स चेमन से क हो तो मे रेलए सोनेका सू
प देदो l बृ
ह प तदे
व नेउसक ाथना
वीकार कर ली रोजाना क तरह वह क या जौ फै लाती ई जाने लगी जब लौटकर जौ बीन रही थी
तो बृह प त दे
व क कृपा से सोने का सूप मला उसेवह घर लेआई और उसम जौ साफ करने लगी
परंतुउसक मां का वही ढंग रहा l एक दन क बात है वह क या सोने केसूप म जौ साफ कर रही
थी l उस समय उस शहर का राजपुवहां होकर नकला l

इस क या के प और काय को दे खकर मो हत हो गया, तथा अपनेघर आकर भोजन तथा जल


याग कर उदास होकर लेट गया l राजा को जब इस बात का पता लगा तो अपनेधानमंी के साथ
उसके पास गए और बोले - हे
बे
टा तु ह कस बात का क है l कसने अपमान कया है अथवा कोई
और कारण हो सो कहो म वही काय क ँ गा जससे तुह स ता हो l अपनेपता क राजकु मार ने
बात सु
नी तो वह बोला मु
झे आपक कृ पा सेकसी बात का :ख नह हैकसी ने मे
रा अपमान नह
कया है
परंतुम उस लड़क सेववाह करना चाहता ँ जो सोनेकेसूप म जौ साफ कर रही थी l

यह सु
नकर राजा आ य म पड़ा और बोला - हे बेटा !इस तरह क क या का पता तु म ही लगाओ म
उसके साथ तेरा ववाह अव य ही करवा ंगा राजकु मार नेउस लड़क के घर का पता बतलाया
तब मंी उस लड़क के घर गए और ा ण दे वता को सभी हाल बतलाया l ा ण दे वता
राजकुमार केसाथ अपनी क या का ववाह करने केलए तै यार हो गए तथा व ध वधान के
अनुसार ा ण क क या का ववाह राजकु मार के साथ हो गया l क या केघर से जाते ही पहले
क भां त उस ा ण दे वता के
घर म गरीबी का नवास हो गया l अब भोजन केलए भी अ य बड़ी
मुकल सेमलता था l एक दन खी होकर ा ण दे वता अपने पुी केपास गए l बे
ट नेपता
क :खी अव था को दे खा और अपनी मांका हाल पू छा l तब ा ण ने सभी हाल कहा l क या ने
ब त - सा धन देकर अपनेपता को वदा कया इस तरह ा ण का कु छ समय सु खपू वक तीत

6
आ l कुछ दन बाद फर वही हाल हो गया l ा ण अपनी क या के यहाँ
गया और सारा हाल
कहा तो लड़क बोली - हेपताजी ! आप माताजी को यहाँलवा लाओ l मैउसेव ध बता ं गी
जससे गरीबी र हो जाए l वह ा ण देवता अपनी ी को साथ लेकर प ं
चेतो अपनी मांको
समझाने लगी - मां
तुम ात:काल थम नाना द करकेव णु भगवान का पू
जन करो तो सब
द र ता र हो जावे
गी l परं
तुउसक मांनेएक भी बात नह मानी और ात:काल उठकर अपनी
पुी केब च क जू ठन को खा लया l

इससेउसक पुी को भी ब त गु सा आया और एक रात को कोठरी से


सभी सामान नकाल दया
और अपनी मां को उसम बं
द कर दया l ात:काल उसेनकाला तथा नान आ द करके पाठ
करवाया तो उसक मांक बु ठ क हो गई और फर ये क बृह प तवार को त रखने लगी l इस
त के भाव से उसकेमां
-बाप ब त ही धनवान और पुवान हो गए और बृ
ह प त जी के भाव से
इस लोक के सु
ख भोग कर वग को ा त ए l

Ĭ l बोलो बृ
ह प त दे
व क जय Il व णु
भगवान क जय Il इ त llĬ

Ĭ आरती बृ
ह प त दे
वता क Ĭ

ॐ जय बृ
ह प त दे
वा, वामी जय बृ
ह प त दे
वा l छन छन भोग लगाऊं
कदली फल मे
वा ll ॐ ll

तु
म पू
ण परमा मा, तु
म अं
तयामी l जगत पता जगद र, तु
म सबकेवामी ll ॐ ll

चरणामृ
त नज नमल, सब पातक हता l सकल मनोरथ दायक, कृ
पा करो भता ll ॐ ll

तन, मन, धन अपण कर, जो जन शरण पड़े


l भुकट तब होकर, आकर ार खड़े
ll ॐ ll

द न दयाल दया न ध, भ न हतकारी l पाप दोष सब हता, भव बं


धन हारी ll ॐ ll

सकल मनोरथ दायक, सब सं


शय तारो l वषय वकार मटाओ, सं
तन सु
ख कारी ll ॐ ll

जो कोई आरती ते
री, े
म स हत गावे
l जेानं
द बं
द सो, सो न य पावे
ll ॐ ll

ॐ जय बृ
ह प त दे
वा, वामी जय बृ
ह प त दे
वा l छन छन भोग लगाऊं
कदली फल मे
वा ll ॐ ll

Ĭ सब बोलो व णु
भगवान क जय ll बोलो बृ
ह प त भगवान क जय ll Ĭ

Ĭ गु ा ुव णु
ः गुदवो महेरः ll गुः सा ात्
परं त मैी गु
रवे
नमः॥ Ĭ

Ĭ जय गुदे
व ll ॐ बृ

बृ
ह पतये
नमः Ĭ

7
8

You might also like