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ह प तवार त कथा Ĭ
Ĭ गु ा, ुव णु
ः, गुदवो महेरः l गुः सा ात्
परं
बृ, त मैी गु
रवे
नमः llĬ
ο सम त दे
वा धदे
व के
गुबृ
ह प त दे
वकο
Ĭ ी बृ
ह प तवार त कथा Ĭ
ο ॐ बृ
ं
बृ
ह पये
नमः ο
Ĭ पू
जा व ध Ĭ
बृ
ह प तवार को जो भी ी-पुष त कर उनको चा हए क वह दन म एक ही समय भोजन कर
य क बृह प त भगवान का इस दन पू जन होता हैl भोजन पीलेचनेक दाल आ द का कर, परं तु
नमक नह खाए और पीले व पहन, इस त मे केले का पूजन कया जाता हैl के
लेकेपौधे मे
सा ात्ी बृह प त देव और ी सतनारायण व णु भगवान व मान रहते है
l पू
जन मेपीले ही
फल का योग कर पीले चं
दन सेपू
जन कर l पीले फू ल क माला अपण कर , सु ग धत धुप लगाए,
पीलेचावल, पीली ह द , पीली के
सर सेतलक कर l गु ड़, चनेक दाल, पीली मठाई, भु
ग
ंला, आ द
का भोग लगाए l पर तुकेलेका भोग ना लगाए ना ही त मे केले
का सेवन कर l आप चाहे तो
साद मेसरो को के लेबांट सकतेहैl उसके बाद संक प ले सं
क प इस कार है l
Ĭ सं
क प या Ĭ
1
शु जल के लौटे
मेश कर मलाकर अमृ त तै
यार करना चा हए l कथा के
प ात अपने सारे
प रवार और सु
ननेवालेेमय मे अमृत व साद बांटकर वयं भी हण कर l कथा और पूजन के
समय तन मन म वचन से शु होकर जो इ छा हो बृ
ह प त दे
व सेाथना करनी चा हए उनक
इ छा को बृह प त दे
व पू
ण करतेह ऐसा मन म ढ़ व ास रखना चा हए l
Ĭ ी बृ
ह प तवार त कथा Ĭ
साधुने कहा - दे
वी तु
म तो बड़ी अजीब हो l धन सं तान तो सभी चाहतेह पुऔर ल मी तो पापी
के घर भी होनी चा हए l य द तुहारेपास अ धक धन है तो भूख को भोजन दो, यास केलए
याऊ बनवाओ, मु सा फर केलए धमशालाएँ खुलवाओ l जो नधन अपनी कु ंवारी क या का
ववाह नह करा सकते उनका ववाह करा दो l ऐसे और कई काम हैजनको करने सेतुहारा यश
लोक - परलोक मे फैलेगा l परं
तुरानी पर उपदे
श का कोई भाव न पड़ा वह बोली - महाराज आप
मुझेकुछ ना समझाएं म ऐसा धन नह चाहती जो हर जगह बाँ टती फ ँl साधु नेउ र दया - य द
तुहारी ऐसी इ छा हैतो तथा तु ! तुम ऐसा करना क बृह प तवार को घर लीपकर पीली म से
अपना सर धोकर नान करना, भ चढ़ाकर कपड़े धोना, ऐसा करनेसेआपका सम त धन न हो
जाएगा l इतना कह कर वह साधु महाराज वहां
से आलोप हो गए l
जै
सा वह साधु कहकर गया था रानी नेवै
सा ही कया l छ : बृ
ह प तवार ही बीते
थेक उनका
सम त धन न हो गया और भोजन केलए दोन तरसने लगे l सां
सा रक भोगो से:खी रहने लगेl
तब वह राजा रानी से
कहनेलगा क तु म यहाँपर रहो मेसरे दे
श मे जाता ँय क यहाँ पर मु
झे
सभी मनु य जानते है
इस लए कोई काय भी नह कर सकता l दे श चोरी परदे
श भीख बराबर है
ऐसा कहकर राजा परदेश चला गया l वहाँ
जंगल को जाकर लकड़ी काटता और उसे शहर मेबेचता,
इस तरह वह जीवन तीत करने लगा l एक दन ःखी होकर जं गल मे एक पेड़ के नीचेन त
प सेआसान जमाकर बै ठ गया वह अपनी दशा को याद करके ाकु ल होनेलगा l बृ
ह प तवार
का दन था l एकाएक उसने दे
खा क नजन वन मे एक साधुकट आ वह साधु भेष मेवयं
बृ
ह प त दे
वता थे, लकड़हारेकेसामने आकर बोले हे
- लकड़हारे ! तू
इस सुनसान जं गल मेचता
2
म न य बै
ठा है
? लकड़हारे
नेदोन हाथ जोड़कर णाम कया और उ र दया - महा मा जी आप
सब कु
छ जानतेहैमैया क ं
l यह कहकर वह रोने
लगा और साधु
को आ म कथा सुनाई l
महा मा जी ने
कहा - तुहारी ी ने बृ
ह प तवार केदन वीर भगवान का नरादर कया हैजसके
कारण होकर तुहारी यह दशा कर द गयी हैl अब तु
म चता को र करके मे
रे
कहनेपर चलो
तो तु
हारेसब क र हो जाएं गे
और भगवान पहले सेभी अ धक सं
प दगे l
तु
म बृह प तवार केदन पाठ कया करो पांच पयेके चना मु
न का मंगवाकर उसका साद
बनवाओ और शु जल के लौटे
मेश कर मलाकर अमृ त तै
यार करो? कथा केप ात अपने
सारे
प रवार और सुननेवालेे मय मे अमृत व साद बां
टकर आप भी हण करो ऐसा करने से
भगवान तु हारी सब मनोकामनाय पू
री करगेl
धीरे- धीरे
समय तीत होनेपर फर वही बृ
ह प तवार का दन आया l लकड़हारा जं
गल से
लकड़ी काटकर कसी शहर मे बे
चनेगया उसेउस दन और दन से अ धक पैसा मला राजा ने
चना
गु
ड़ आ द लाकर केगुवार का त कया l उस दन से उसकेसभी ले श र ए पर तु जब बारा
गुवार का दन आया तो बृ
ह प तवार का त करना भू
ल गया इस कारण बृ
ह प त भगवान नाराज
हो गए l
उस दन से उस नगर केराजा नेवशाल य का आयोजन कया तथा शहर मेयह घोषणा करा द
क कोई भी मनु य अपनेघर मेभोजन न बनावे
ना आग जलावे
सम त जनता मे रेयहाँ
भोजन
करनेआवे l इस आ ा को जो न माने
गा उसकेलए फां
सी क सजा द जाएगी l इस तरह क
घोषणा स पूण नगर मे
करवा द गई l
उसी समय पु
लस को बुलाकर उसको जे
लखानेमे
डलवा दया l जब लकड़हारा जे
ल खाने
मेपड़
गया और ब त ःखी होकर वचार करने
लगा क ना जाने
कौन सेपू
व ज म केकम सेमु
झेःख
3
ा त आ है और उसी साधु को याद करने लगा जो क जं गल मेमला था l उसी समय त काल
बृ
ह प त दे व साधुके प म कट हो और उसक दशा को दे खकर करने लगे अरेमूख ! तू
ने
बृ
ह प तदे व क कथा नह करी इस कारण तु झे:ख ा त आ है अब चता मत कर बृ ह प तवार
केदन जे ल खाने केदरवाजे पर चार पैसे
पड़ेमलगे l उनसे तूबृह प त देव क पूजा करना तेरे
सभी क र हो जाये ग l बृ
ह प त के रोज उसे चार पै
सेमले l लकड़हारे नेकथा कही उसी रा
को बृह प त दे व नेउस नगर के राजा को व म कहा - हे ! राजा तुमनेजस आदमी को जे ल खाने
म बंद कर दया है वह नद ष है l वह राजा है
उसे छोड़ दे ना रानी का हार उसी खूट पर लटका है
ं
अगर तू ऐसा नह करे गा तो म ते
रेरा य को न कर ं गा इस तरह रा केव को दे ख कर राजा
ात:काल उठा और खू ट पर हार दे
ं खकर लकड़हारे को बुलाकर मा मां गी तथा लकड़हारे को
यो य सु दर व व आभू
ं षण दे कर वदा कया तथा बृ ह प तदे व क आ ा अनु सार लकड़हारा
अपने नगर को चल दया l राजा जब अपने नगर केनकट प ं चा तो उसे बड़ा आ य आ l नगर
म पहले से अ धक बाग, तालाब और कु एं
तथा ब त-सी धमशाला मं दर आ द बन गई ह l राजा ने
पू
छा - यह कसका बाग और धमशाला है तब नगर के सब लोग कहने लगे यह सब रानी और बांद
के ह l तो राजा को आ य आ और गु सा भी आया l
4
तू
अपनी कथा मे
रे
खेत पर चलकर ही कहना l
राजा नेबुढ़या केखेत पर जाकर कथा कही जसके सु नतेही वह बै ल उठ खड़ेए तथा कसान
के पे
ट का दद बं
द हो गया l राजा अपनी बहन के घर प ं चा l बहन ने भाई क खू ब मेहमानी क l
सरेरोज ात:काल जगा तो वह दे खने लगा क सब लोग भोजन कर रहे ह l राजा नेअपनी बहन
से कहा क ऐसा कोई मनु य हैजसने भोजन नह कया हो मे री बृह प त दे
व क कथा सु न ले l
ब हन बोली - हेभै
या ! यह देश ऐसा ही है पहले यहांलोग भोजन करते ह बाद म अ य काम करते
ह अगर कोई पड़ोस म हो तो दे ख आऊं l वह ऐसा कह कर दे खने चली गई परं तुउसे कोई ऐसा
नह मला जसने भोजन ना कया हो अतः वह कुहार के घर गई जसका लड़का बीमार था
l उसेमालूम आ क उसके यहांतीन रोज सेकसी ने भोजन नह कया है रानी ने अपनेभाई क
कथा सु ननेकेलए कुहार से कहा वह तै यार हो गया l राजा ने जाकर बृह प तवार क कथा कही
जसको सु नकर उसका लड़का ठ क हो गया अब तो राजा क शं सा होनेलगी एक रोज राजा ने
बहन से कहांक हे बहन ! हम आपने घर को जाएं गेतुम भी तै यार हो जाओ राजा क बहन ने
अपनी सास से कहा सास ने कहा हाँ चली जा l परंतुअपने लड़क को मत ले जाना य क ते रे
भाई के कोई औलाद नह है l बहन नेअपने भाई सेकहा - हे भईया ! म तो चलू गी परं
ं तुकोई
बालक नह जाएगा राजा बोला जब कोई बालक नह चले गा, तब तुम भी या करोगी l बड़ेखी
मन से राजा अपनेनगर को लौट आया l
जब राजा क बहन ने यह शु
भ समाचार सु
ना तो वह ब त खुश ई तथा बधाई ले कर अपने भाई के
यहाँ
आई l तब रानी नेकहा क घोड़ा चढ़कर तो नह आई गधा चढ़ आई राजा क बहन बोली -
भाभी म इस कार ना कहती तो तुह औलाद कै सेमलती l बृ
ह प त दे
व ऐसे ही है
, जै
सी जसक
मन क कामनाय ह, सभी को पू
ण करते ह, जो सदभावना पू
वक बृह प तवार का त करता है एवं
कथा पड़ता हैअथवा सुनता है
बृह प तदे
व उसक मनोकामना पू ण करतेह l भगवान बृह प तदेव
उसक सदै व र ा करतेह सं
सार म स ावना से भगवान जी का पू
जन त करके स चेदय से
उसका मनन करतेए जयकारा बोलना चा हए l
Ĭ Il बोलो बृ
ह प त दे
व क जय ll व णु
भगवान क जय Il इ त llĬ
5
Ĭ ी बृ
ह प तवार त कथा Ĭ
यह सु
नकर राजा आ य म पड़ा और बोला - हे बेटा !इस तरह क क या का पता तु म ही लगाओ म
उसके साथ तेरा ववाह अव य ही करवा ंगा राजकु मार नेउस लड़क के घर का पता बतलाया
तब मंी उस लड़क के घर गए और ा ण दे वता को सभी हाल बतलाया l ा ण दे वता
राजकुमार केसाथ अपनी क या का ववाह करने केलए तै यार हो गए तथा व ध वधान के
अनुसार ा ण क क या का ववाह राजकु मार के साथ हो गया l क या केघर से जाते ही पहले
क भां त उस ा ण दे वता के
घर म गरीबी का नवास हो गया l अब भोजन केलए भी अ य बड़ी
मुकल सेमलता था l एक दन खी होकर ा ण दे वता अपने पुी केपास गए l बे
ट नेपता
क :खी अव था को दे खा और अपनी मांका हाल पू छा l तब ा ण ने सभी हाल कहा l क या ने
ब त - सा धन देकर अपनेपता को वदा कया इस तरह ा ण का कु छ समय सु खपू वक तीत
6
आ l कुछ दन बाद फर वही हाल हो गया l ा ण अपनी क या के यहाँ
गया और सारा हाल
कहा तो लड़क बोली - हेपताजी ! आप माताजी को यहाँलवा लाओ l मैउसेव ध बता ं गी
जससे गरीबी र हो जाए l वह ा ण देवता अपनी ी को साथ लेकर प ं
चेतो अपनी मांको
समझाने लगी - मां
तुम ात:काल थम नाना द करकेव णु भगवान का पू
जन करो तो सब
द र ता र हो जावे
गी l परं
तुउसक मांनेएक भी बात नह मानी और ात:काल उठकर अपनी
पुी केब च क जू ठन को खा लया l
Ĭ l बोलो बृ
ह प त दे
व क जय Il व णु
भगवान क जय Il इ त llĬ
Ĭ आरती बृ
ह प त दे
वता क Ĭ
ॐ जय बृ
ह प त दे
वा, वामी जय बृ
ह प त दे
वा l छन छन भोग लगाऊं
कदली फल मे
वा ll ॐ ll
तु
म पू
ण परमा मा, तु
म अं
तयामी l जगत पता जगद र, तु
म सबकेवामी ll ॐ ll
चरणामृ
त नज नमल, सब पातक हता l सकल मनोरथ दायक, कृ
पा करो भता ll ॐ ll
जो कोई आरती ते
री, े
म स हत गावे
l जेानं
द बं
द सो, सो न य पावे
ll ॐ ll
ॐ जय बृ
ह प त दे
वा, वामी जय बृ
ह प त दे
वा l छन छन भोग लगाऊं
कदली फल मे
वा ll ॐ ll
Ĭ सब बोलो व णु
भगवान क जय ll बोलो बृ
ह प त भगवान क जय ll Ĭ
Ĭ गु ा ुव णु
ः गुदवो महेरः ll गुः सा ात्
परं त मैी गु
रवे
नमः॥ Ĭ
Ĭ जय गुदे
व ll ॐ बृ
ं
बृ
ह पतये
नमः Ĭ
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