Raj sharma stories चूतो का मेला - Printable Version

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Raj sharma stories चूतो का मेला - Printable Version

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RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - sexstories - 12-29-2018

मैंने अपने कपडे उतारने शुरू किये और जल्दी ही मेरे कसरती बदन पर मात्र एक फ्रें ची ही थी , जिसमे मेरे लंड
का उभार साफ़ दिख रहा था मैंने देखा सुमन की नजरे कु छ पलो तक उस पर ही ठहरी रही फिर मैं नदी के पानी
में उतरने लगा , वो दोनों सहेलिया बाते करने लगी वही बैठ के
सुमन- सुनीता, तेरा भतीजा काफी जवान हो गया है
चाची – हां, अब चढ़ती उम्र है
सुमन- तूने देखा फ्रें ची में उसका हथियार कितना मोटा लग रहा था
चाची- तुझे पसंद आ गया क्या और उसकी तरफ आँख मार दी
सुमन, सकपका गयी और बोली- क्या यार मैं तो ऐसे ही बोल रही थी
चाची- नहीं कोई बात नहीं , अगर तेरे मन में उसका लेने की है तो ट्राई कर ले वैसे भी चूत को तो लंड की
खवाहिश रहती ही है
सुमन- चुप कर , आजकल बहुत बेशर्म हो गयी है तू
चाचीसुमन को अपनी बातो में उलझाने लगी और बोली-देख यार, अब तू को नादान तो है नहीं दुनियादारी को
अच्छे से समझती है , जब मर्द लोग अभी भूख कही भी मिटा सकते है तो क्या हम औरतो का हक़ नहीं बनता की
थोडा बहुत मजा हमे भी मिलना चाहिए
सुमन- कह तो तू सही रही है
चाची- अब देख , तेरा पति क्या बाहर मुह नहीं मारता होगा तू क्या इस बात की गारंटी ले सकती है , अब मुझे ही
देख मेरे होते हुए भी मेरे पति ने मुझे धोखा दिया तो क्या मैं अपने जिस्म की आग को ऐसे ही सुलगने दू , क्या
मेरा मन नहीं करता सेक्स के लिए
सुमन- सुनीता तू एक दम सही कह रही है , कितनी ही राते बिस्तर पर करवट बदलते हुए कट जाती है आखिर ये
मान- मर्यादा के झूठे आडम्बर हम औरतो के लिए ही क्यों है
चाची- देख, सुमन, इतनी सी जिंदगी है इसको चाहे रोके गुजार ले या फिर मस्ती करके और फिर मान ले अगर तू
एक आध बार और किसी से मजा ले भी ले तो किसको क्या पता चलने वाला है , अब मुझे देख मरे पति ने मुझे
धोखा दिया तो मैं अपने भतीजे से लग गयी हु
सुमन- क्या बात कर रही है
चाची- सच कह रही हु, तभी तो तुझे कह रही हु की इतना मत सोच , तेरी चूत में भी तो आग लगती है ना मैंने
देखा तू उसके लौड़े को कितनी प्यास भरी निगाहों से देख रही थी अगर तेरा दिल कर रहा है तो आजा वैसे भी
हम कु छ दिन रहेंगे यहाँ तो तू भी कु छ रात रंगीन कर ले
सुमन- पर याद किसी को पता चल गया तो
चाची- क्या पता चलेगा, तू अके ले तो रहती है न तू किसी को कहेगी और हम तो चले जाने ही है फिर , तू सोच ले
अपनी बहन मानती हु तुझे इसलिए बोल रही हु , आजा बस एक बार शर्म आएगी और फिर तू खुद उसके लंड
पर कू देगी , चल मैं नहा के आती हु तू सोच और नहाना है तो आजा
चाची ने फिर अपने कपडे उतारे और ब्रा-पेंटी में ही मेरी और चल दी , सुमन की निगाह चाची के गदराये हुस्न पर
जम गयी चाची पानी में उतर कर मेरे पास आ गयी
मैं- क्या हुआ
वो- समझ ले तेरा काम हो ही गया
मैं- तो यही पेल दू
वो-नहीं , वो थोडा झिझक रही है पर इतना पक्का है की दे देगी
फिर मैं और चाची पानी में अठखेलिया करने लगे चाची मेरे पास खड़ी थी उन्होंने निचे हाथ ले जाकर मेरे लंड को
पकड़ लिया और उस से खेलने लगी , मैंने देखा सुमन हमे ही घूर रही है तो मैं भी चाची की ब्रा के ऊपर से उनके
बोबे मसलने लगा कु छ देर हम लोग ऐसे ही अठखेलिया करते रहे अब मैं पानी में खड़े होकर चाची को चूम रहा
था चाची मेरी मुठ मार रही थी फिर वो मुझसे अलग हो गयी और सुमन को नहाने के लिए बुलाने लगी पहले तो
वो मन करती रही फिर वो मान गयी और जल्दी ही मैंने सुमन को ब्रा और पेंटी में हमारी और आते देखा , मेरे लंड
को झटके लगने लगे
गुलाबी ब्रा-पेंटी में क्या मस्त लग रही थी सुमन , जल्दी ही वो हमारे पास पानी में थी गर्दन तक पानी में डूबी हुई
पर वो थोडा सा सकु चा रही थी तो चाची बोली- सुमन इस से क्या शर्मना जैसे ये मेरा भतीजा है वैसे ही तेरा
चाची ने उसका हाथ मेरे हाथ में दे दिया तो मैंने उसके हाथ को हलके से दबाया तो वो शर्मा गयी चाची उसके
बोबो पर हाथ रखते हुए बोली- क्या सुमन यार तू तो ऐसे शर्मा रही है जैसे की पहले कभी तूने कु छ किया ही नहीं
हो , अच्छा तू शायद मेरी शर्म कर रही है अच्छा एक काम करो तुम दोनों थोडा टाइम साथ बिताओ मैं दूसरी तरफ
जाके मछलिया पकडती हु , सुमन कु छ कहती उस से पहले ही चाची पानी से बाहर निकल गयी और किनारे की
दूसरी तरफ चल पड़ी
रह गए हम दोनों सुमन अपनी नजरे झुकाए खड़ी थी , मैंने उसके हाथ को हल्का सा दबाया तो उसने मेरी और
देखा
मैं थोडा सा उसकी और आगे को हुआ तो वो पीछे को होने लगी मैंने उसकी कमर में हाथ डाला और अपने सीने
से लगा लिया उसको मेरा तना हुआ लंड सुमन की चूत पर रगड खाने लगा , मेरे स्पर्श से ही उसकी हालात खराब
होने लगी
मैं- कु छ परेशानी है क्या

वो हीं हीं
वो- नहीं , कु छ नहीं
मैं- तो फिर आप घबरा क्यों रहे हो देखो मैं आपसे जबरदस्ती तो कर नहीं सकता , चाची ने जो बताया तो मेरी
तोइतनी ही इच्छा है की कु छ ख़ुशी के पल आपको दे सकू ,लाइफ में ऐसे मौके बेहद कम होते है जब हम लोग
अपनी मर्ज़ी से कु छ ख़ास पलो को जी पाते है आज भी एक ऐसा ही पल सामने है इसे ऐसे बेकार मत करो
मैं आगे बढा और सुमन के होंठो पर अपने होठ रख दिया और किस करने लगा साथ ही मैं उसके दोनों चूतडो को
अपने हाथो से भीचने लगा तो वो कसमसाने लगी , अब इतने दिनों में मैं इतना तो अच्छे से समझ ही गया था की
औरतो को हैंडल कै से करना है तो दो मिनट में ही सुमन का मुह खुल गया और हम समूंच करने लगे , एक बार
जो मैं चालु हुआ तो फिर रुकना मुश्किल था मैंने अपने लंड पर उसका हाथ रख दिया और फिर से उसको किस
करने लगा एक के बाद एक कई किस किये मैंने सुमन को

RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - sexstories - 12-29-2018

जैसे जैसे मैं उसको चूमता जा रहा था सुमन की पकड़ मेरे लंड पर टाइट होती जा रही थी फिर जब उसने मेरे लंड
को कस के दबाया तो मैं समझ गया की गाड़ी पटरी पर आ गयी है , मैंने सुमन को अब पलटा और उसके पीछे
खड़ा होकर उसके बोबो को सहलाने लगा ब्रा के ऊपर से ही उसने अपनी टाँगे थोड़ी सी खोली और मेरे लंड को
पानी चिकनी जांघो के मध्य दबा लिया
मैं- कै सा लग रहा है
सुमन- आग सी लग रही है उफफ्फ्फ्फ़
वो अपनी गांड को दबाने लगी मैं उसकी ब्रा को थोडा सा ऊपर करके उसके बोबो पर अपने हाथो का कमाल
दिखाने लगा था सुमन पिघलने लगी थी उसके होंठो से मीठी मीठी आहे निकलने लगी थी मैंने उसके कं धे पर एक
चुम्बन लिया तो वो तड़प उठी उसके मदमस्त उभारो से कु छ देर खेलने के बाद मैंने अपना हाथ उसके योनी प्रदेश
पर रखा तो वो कामग्नी में झुलसने लगी अपनी टांगो को भीचने लगी सुमन अब गरम हो रही थी
मैं अब उसको पानी से बाहर किनारे पर ली आया और उसको वही मिटटी पे लिटा दिया और उसके पेट को चूमने
लगा उसकी नाभि को जीभ से सहलाने लगा ,
अब मैं उसकी पेंटी पर आया उफ्फ्फ क्या गजब खुसबू आ रही थी उसकी चूत से , सुमन पाने आप को कण्ट्रोल
नहीं कर पा रही थी और मैं चाहता भी नहीं था की वो कण्ट्रोल करे उसकी योनी से जैसे एक भाप सी उठ रही थी
मैंने अपने खुरदुरे होंठ उसकी गीली पेंटी पर रखे तो सुमन जैसे सातवे आसमान पर ही पहुच गयी थी उसके होंतो
से फू टी सिस्कारिया बता रही थी की अब वो पूरी तरह से गरम हो चुकी थी बस हथोडा मारने की जरुरत थी
मैंने धीरे से सुमन की कच्छी को निचे घुटनों तक सरकाया और फिर घुटनों से निचे को कर दिया और उसकी टांगो
को फै ला दिया चूत पर बालो का कोई नामोनिशान नहीं था दो पल तक मैं एक टक उसकी चूत को देखता रहा जो
आस बडी खुश हो रही थी की आज उसको अपना हमसफ़र मिलने वाला है मैंने सुमन की टांगो को अपने हाथो
में दबोचा और अपने चेहरे को उसकी जांघो के बीच घुसा लिया ज्योही मैंने उसकी चूत के छेद पर अपनी जीभ
रही नदी किनारे की उस गीली मिटटी पर पड़ी सुमन के बदन में चिनगारिया चलने लगी वो अपनी गांड को
पटकने लगी मैंने धीरे धीरे उसकी चूत को चुसना चालू किया सुमन की चूत बहुत गीली हो गयी थी कई दिनों सा
जमा कामरस आज हर बंधन को तोड़ कर बह चला था

मैंने अपनी नजरे उसकी तरफ की उसके चेहरे पर अजीब से भाव आ गए थे तो मैंने दो चार चुम्बन एक के बाद
एक उसकी योनी पर अंकित किये सुमन मोअन करने लगी थी मैं बड़े प्यार से उसकी चूत को चाट रहा था अब
मैंने हाथ से चूत को खोला और अन्दर के लाल वाले हिस्से पर अपनी जीभ रगड़ने लगा तो सुमन के चुतड ऊपर
को ने गे औ की हे ने गी मैं ड़े जे से की को ये हीं
को उठने लगे और उसकी आहे गुन्जने लगी , मैं बड़े मजे से उसकी चूत को खा रहा था पर ये मजा ज्यादा नहीं
चल पाया क्योंकि चाची वापिस आ गयी थी
हम दोनों को यु देख कर चाची बोली-अरे यही पर शुरू हो गए तुम दोनों
चाची को यु देख कर सुमन बुरी तरह से शर्मा गयी और पेड़ो के पीछे उस तरफ भाग गयी जहा पर कपडे और
सामान रखा हुआ था
मैं अपने लंड को मसलते हुए- क्या चाची अभी आना था आपको
चाची- मुर्ख लड़के , थोडा सबर कर अभी उसको तडपाना है थोड़ी देर ताकि उसके जिस्म में चुदाई की आग लग
जाये और वो खुद आके तेरे लंड पर बैठ जाए
चाची की बात सोलह आने सच थी , औरत जितना तडपे उतना ही मजा आता है उसको चोदने पर इधर मेरे लंड
का बुरा हाल था तो मैंने चाची को अपनी बाहों में भर लिया और चाची की पेंटी को निचे सरकाने लगा चाची- अब
देख अपन दोनों करेंगे और सुमन देखेगी फिर उसके जिस्म में आग भड़के गी
मैं- आप तो पूरी वाली हो चाची
वो- चाची भी तो तेरी हु पगले
चाची निचे बैठ गयी और मेरे लंड को चूसने लगी मैं उसके सर को पकडे लंड को मुह में आगे पीछे करने लगा तो
चाची मजे से मुखमैथुन का मजा उठा रही थी और मुझे भी आनंदित कर रही थी मैंने देखा पेड़ की साइड से
सुमन की निगाहे हमारी तरफ ही जमी हुई थी मैंने उसे आने का इशारा कर दिया पर उसने गर्दन हिला कर ना
कहा पर मैंने देखा की उसका एक हाथ उसकी चूत पर है जिसे वो खुजला रही थी कु छ देर लंड चुस्वाने के बाद
मैंने चाची को गोद में उठाया और पेड़ो की तरफ ले चला अब वहा पर मैं और चाची और सुमन ही थे इस साइड में
काफी घने पेड़ थे
मैंने चाची को जमीं पर घोड़ी बना दिया और अपना मुसल चूत में घुसा दिया और झटके मारने लगा
चाची- सुमन घूर के क्या देख रही है क्या तूने कभी लंड नहीं लिया , मुझे पता है तेरे मन में भी हां रहा है तो आजा
तू भी
सुमन कु छ नहीं बोली पर उसकी छातियो के तने हुए निप्पल बता रहे थे की वो किस हद तक गरम हो चुकी है
वासना की आग में उसका जिस्म किस हद तक गार्म हुआ पड़ा था उस समय उसकी आँखों में लाल लाल डोरे
मैंने साफ़ देखे वासना के पर चाची चुदते हुए उसके पुरे मजे ले रही थी उसको तडपा कर
चाची- ओह मेरे राजा और जोर से रगड़ मुझे क्या मस्त लंड है तेरा मेरी भोसड़ी की अच्छे से कु टाई कर
आआआह्ह्ह ओह्ह्ह्हह्ह और जोर से
मैं चाची के चूतडो को मसलते हुए उनको चोद रहा था पर मेरा मन सुमन की तरफ था जो धीरे धीरे अपने होंठो
को दांतों से काट रही थी पर जैसे की चाची ने कहा था की खुद पहल नहीं करनी तो मेरी भी मज़बूरी थी वर्ना
अबतक तो उसकी चूत मेरे लंड को चख चुकी होती अब मैंने चाची को खड़ा किया और उनके रसीले होंठो को
चुमते हुए चूत मारने लगा सुमन लगातार देख रही थी की कै से मेरा लंड चाची की चूत के पर्खाच्च्चे उड़ा रहा था
सुमन को तद्पाते हुए करीब आधे घंटे तक मैंने घिस घिस के चाची की चूत मारी चाची भी पूरा मजा लेकर सुमन
के दिल में आग लगा रही थी तो उस उमस भरे मौसम में चाची को अच्छे से पेला मैंने सुमन को दिखाते हुए चाची
ने मेरे वीर्य से अपने मुह को भर लिया मैं जानता था की अब सुमन जल्दी ही मेरे निचे होगी ,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - sexstories - 12-29-2018

फिर चाची नहाने चली गयी उसके जाते ही मैंने सुमन को दबोच लिया और उसको चूमने लगा सुमन की बाहे मेरी
पीठ पर कसती चली गयी कई देर तक हमने किस किया इस बीच उसने मेरे लौड़े को खूब भींचा
पर हम लोग कु छ ज्यादा नहीं कर पाए थे क्योंकि चाची जल्दी ही वापिस आ गयी थी फिर हमने कपडे पहने मैंने
देखा की चाची चार पांच मछलिया पकड़ लायी थी आज दावत होने वाली थी फिर हम लोग गाँव की और चल
पड़े रस्ते में मैंने दो तीन बार सुमन की गांड को मसल दिया था अब देखो रात क्या रंग लाने वाली थी
घर आने के बाद मैं सो गया फिर शाम को ही उठा तो मैंने देखा सुमन और चाची बाते कर रही थी मुझे उठा देख
कर चाची मेरे लिए चाय का कप ले आई और मुझसे बोली- आज रात तुझे सुमन के घर सोना है
मैं ये सुनते ही खुश हो गया और बोला- चाची आप भी चलो आप दोनों को साथ ही चोदुंगा मजा आएगा
चाची- वो भी कर लेना , पर अभी उसको रगड़ ठीक से तू भी क्या याद करेगा तेरे लिए मुझे तो बेशरम होना पड़ा
पर तू मौज कर मैंने चाची को किस किया और रात का इंतज़ार करने लगा टाइम था
धीरे धीरे कट ही गया रात को सुमन ने हमारे साथ ही भोजन किया और फिर करीब साढ़े नो बजे मैं उसके साथ
उसके घर आ गया दरवाजा बंद करते ही मैंने उसको पास की दिवार से लगाया और उसको किस करने लगा
सुमन तो पुरे दिन से तड़प रही थी वो भी मुझ पर टूट पड़ी उसके होंठो के पुरे रस को आज मैं अपने होंठो से
निचोड़ लेने वाला था
बहुत देर तक चूमा चाटी करते रहे उसका पूरा चेहरा थूक में सन गया था सांसे भारी हो चुकी थी और इस बिच
उसकी सलवार खुल कर उसके पैरो में गिर पड़ी थी सुमन का हाथ मेरी निक्कर में पहुच चूका था और वो
इत्मिनान से मेरे लंड को अपनी मुठ्टी में भर कर प्यार कर रही थी अब मैंने अपना मुह उसके चेहरे से हटाया और
उसकी कु र्ती को उतार दिया उसने अन्दर ब्रा नहीं पहनी हुई थी तो मेरा काम और आसन हो गया
उसकी मीडियम साइज़ चूचियो में भी बड़ी कसावट थी और निप्पलस तो ऐसे खड़े थे जैस की इक्कीस तोपों की
सलामी दे रहे हो मैंने भी अपने कपड़ो को जिस्म से जुदा कर दिया सुमन को अपनी गोदी में उठा कर बिस्तर पर
ले आया बिस्तर पर आते ही सुमन ने मुझे धक्का दिया और मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे चूमने लगी , एरा लंड
झनझनाने लगा मेरे सीने पर चुमते हुए वो कामुक महिला निचे को सरकने लगी मेरे पुरे बदन पर वो लव बिट्स
बनाते जा रही थी मुझे खुद बड़ा मजा आ रहा था उसकी इन हरकतों पर दिल कर रहा था की आज उसकी
जवानी को जी भरके पी जाऊ अब वो मेरे लंड तक पहुँच गयी थी
वो मेरी गोलियों पर अपनी जीभ चलाने लगी दांतों से काटने लगी मारे मस्ती के मेरा बुरा हाल हुआ मैं बावला होने
लगा अब उसने मेरे सुपाडे की खाल को निचे किया और मेरे लंड को देखने लगी उसके होंठो से टपकती लार
सुपाडे पर गिरने लगी तो मेरा लंड दहकने लगा अब सुमन अपने मुह को लंड पर लायी और मेरे डंडे पर जीभ
रगड़ने लगी तो मेरी मस्ती का कोई ठिकाना नहीं रहा उफ्फ्फ्फ़ कितने गरम होंठ थे उसके ऐसा लगा की जैसे
किसी ने गरम तंदूर रख दिया हो , सुमन बड़े ही इत्मीनान से मेरे लंड को अपने मुह में लिए हुए थी उसकी जीभ
पुरे लंड पर विचरण कर रही थी बस मजा ही मजा था पर असली मजा तो उसकी चूत में था
इधर मुझे लगने लगा था की कही इसका इरादा मुझे यही पर झाड़ने का तो नहीं तो मैंने उसके चेहरे को हटा दिया
और सुमन को पटका बिस्तर पर उसने अपनी गांड के निचे तकिया लगाया और अपनी टांग को एडजस्ट करके
मुझे चूत को बेधने का निमंत्रण दिया जिसे स्वीकार करते हुए मैंने अपने लंड को उसकी मंजिल के मुहाने पर लगा
दिया और बस अब देर कितनी थी मिलन होने में सुमन के बदन में एक हलकी सी झुरझुरी ली और मैंने अपने लंड
को चूत में घुसाना चालू किया आज लंड महाराज एक और चूत का भोग लगाने वाले थे किस्मत थी उसकी भी
पहले ही धक्के में आधे से ज्यादा लंड चूत में चला गया सुमन ने इसी के साथ मुझे अपनी और खीच लिया और
दो तन एक होने लगे

में ते ही भी फॉ र्म में यी वो मे रे में बो ली मो है


चूत में लंड जाते ही सुमन भी फॉर्म में आ गयी वो मेरे कान में बोली- बहुत मोटा है तुम्हारा
मैं- पसंद नहीं आया क्या
वो- पसंद आया तभी तो ले रही हु
मैं- तो फिर एन्जॉय कर मेरी रानी
मैंने सुमन की ठुड्डी पर किस किया और उसके होंठो की तरफ बढ़ते हुए उसकी चुदाई चालू की सुमन भी एक
अनुभवी औरत थी प्यास से भरपूर तो चुदाई करने में पूरा मजा आने लगा था जल्दी ही वो निचे से घस्से लगाने
लगी थी फिर उसने अपनी चूची मेरे मुह में दे दी तो मैं उसको चूसने लगा तो सुमन मीठी मीठी आहे भरते हुए
अपनी चूत मरवाने लगी , उफ्फ्फ्फ़ जब जब मेरा लौडा चूत के अन्दर बाहर होता उसकी चूत का छ्ल्ल्ला साथ
खींचता तो सुमन कसक उठती

उसने अपनी टांगो को अब खूब चौड़ा कर लिया था मैं अब थोडा सा उठा और अपने दोनों हाथो को उसके स्तनों
पर रख कर उन्हें दबाते हुए उसकी चूत मारने लगा सुमन ने अपने दोनों हाथो को मेरे कं धो पर रख दिया और
चुदाई का मजा लेने लगी वक़्त के साथ साँसों की रफ़्तार बढ़ने लगी मैं उसके ऊपर चढ़ा हुआ एक के बाद एक
धक्के लगाये जा रहा था सुमन ने कई महीनो से चुदाई नहीं की थी इसलिए वो ज्यादा मस्ती में भर गयी थी उसकी
चूत हद से ज्यादा गीली हो रही थी और वो झड़ने की तरफ बढ़ रही थी अब मैंने उसको बेड के किनारे की तरफ
खीचा और खुद बेड से उतर गया अब मैंने उसकी दोनों टांगो को जोड़ा और ऊपर उठा दिया
चूत की पाँखे आपस में कस गयी अब मैंने उसकी टांगो को थामा और लगा चोदने उसको अब मैं काफी तेज
घर्षण कर रहा था और सुमन अपनी आँखे बंद किये पड़ी थी मेरे धक्को से उसके बोबे बुरी तरह से हिल रही थी
उसकी आहे अब चरम पर पहुच गयी थी मैंने करीब पंद्रह बीस धक्के और मारे और फिर सुमन के शरीर ने उसका
साथ छोड़ दिया और उसकी चूत की पकड लंड पर से ढीली हो गयी , सुमन झड गयी थी पर हर चुदाई के साथ
मेरा स्टैमिना बढ़ता जा रहा था तो मैं अभी भी मैंदान में था
मैंने लंड को बाहर निकाला और सुमन की चूत पर ढेर सारा थूक लगाया और फिर से अपने लंड को जन्नत के
दरवाजे की तरफ धके ल दिया उसका पसीने से भरा बदन एक बार फिर से मेरे निचे था , वो अपने हाथो को
पटकने लगी तो मैंने मैंने उसकी कलाइयों को दबोच लिया और चोदने लगा उसको वो मेरे निचे पड़ी पड़ी
कसमसाने लगी पर आज मैं तो सोच कर ही आया था की उसको पूरी रात अपने लंड पर बिठाना है
सुमन- छोड़ दे ना आः अब नहीं सहा जा रहा है
मैं- पूरी रात तुझे प्यार करना है फिर पता नहीं तेरे दीदार हो ना हो
वो- तो कर लेना पर थोड़ी देर तो रुक ही सकते हो थोडा आराम कर लो
मैं- गाँधी जी कह गए, आराम हराम है तुम बस अभी रेडी हो जाओगी बस लगी रहो
सुमन भी जान गयी थी की उसकी कोशिश बेकार है तो वो शांत पड़ गयी मैं लगातार चोदे जा रहा था बिस्तर अब
चु छु करने लगा था करीब सात आठ मिनट बाद उसकी चूत फिर से गीली होने लगी थी वो भी मेरे रंग में रंगने
लगी थी उसकी चूत फिर से मेरे लंड से टक्कर लेने लगी थी उसकी आहे बढ़ने लगी थी सुमन ने अपने मुह को
खोल दिया और मुझे किस करते करते वो मेरी जीभ को चाटने लगी फिर उसने मेरी जीभ को अपने होंठो में दबा
लिया और लोलीपोप की तरह से उसको चूसने लगी कयामत ही हो जानी थी आज तो सेक्स के इस खेल में अब
खुल कर मजा बिखर रहा था

ने झे ने से औ में ले यी पि मे रे मैं
सुमन ने अब मुझे अपने ऊपर से हटाया और साइड में लेट गयी उसका मस्त पिछवाडा मेरे तरफ खुल गया था मैं
उसके चूतडो के नरम मांस कर बटके मारने लगा तो सुमन मस्ती भरे दर्द से दो चार होने लगी उसकी आँखों में दो
बोतल का नशा उतर आया था मैंने अब उसकी टांग को ऊपर किया और पीछे से कमर के निचे हाथ लगाते हुए
फिर से चुदाई शुरू कर दी अब मेरा एक हाथ कमर के निचे था दूसरा उसकी चूची पर और एक बार फिर से
पिलाई शुरू हो गयी थी सुमन की दोनों जांघे एक दूसरी पर रखी थी जिस से चूत थोड़ी टाइट सी हो गयी थी पर
अपना लंड भी कहा कम था वो लगातार किसी पिस्टन की तरह सुमन की चूत को फै लाये जा रहा था
धीरे धीरे मैं अपने स्खलन की तरफ बढ़ता जा रहा था और मेरे साथ सुमन भी मैं अब वापिस उस पर चढ़ गया
और दे दनादन रगड़ने लगा उसको और फिर मेरे बदन ने झटका खाया और गरम पानी पिचकारियो के रूप में
उसकी चूत की दिर्वारो को भिगोने लगा मेरे साथ साथ ही वो भी दूसरी बार ढेर हो गयी , झड़ने के बाद मैं उसके
ऊपर से उतरा और साइड में लेट गया लम्बी सांसे लेते हुए

कु छ देर हमने आराम किया और फिर से कार्यवाही शुरू हो गयी यारो उस पूरी रात न वो एक पल के लिए सोयी
ना मैं सुबह की भोर होने तक मैंने उसको चोदा एक समय ऐसा आया जब पानी छु टना ही बंद हो गया लंड सूज
सा गया था पर फिर भी मैं लगा रहा तो करीब सुबह ६ बजे मुझे नींद ने अपने आगोश में पनाह दी ..

RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - sexstories - 12-29-2018

बुरी तरह से थकन से चूर जब मैं सो कर उठा तो शाम के चार बज रहे थे आँखे मलते हुए मैं अपने कपडे पहने
और कमरे से बाहर आया तो देख की सुमन टीवी देख रही है मुझे देख कर वो शर्मा गयी और फिर चाय के लिए
पुछा पर मैंने उसको मना कर दिया और उसको अपनी गोदी में बिठा कर किस करने लगा पेशाब आने की वजह
से लंड खड़ा ही था तो मैंने उस से पूछ लिया चुदने के लिए पर वो बोली की उसकी चूत सूज गयी है और उसमे
दर्द हो रहा है तो फिर मैं कु छ देर बाद चाची के घर आ गया
चाची ने गरमा गरम नाश्ता करवाया तब थोडा चैन मिला फिर उन्होंने बताया की नाना का फ़ोन आया था वो लोग
कल आ रहे है तो परसों अपन लोग वापिस घर चलेंगे
मैं- ठीक है जैसा आप कहे
चाची उठ कर मेरे पास आई और बोली- सुमन कह रही थी पूरी रात उसको खूब रगडा है तूने उसकी आँखे भी
सूजी थी और निचे वाली भी क्या कर दिया तूने
मैं- मैं क्या कर सकता हु
वो- मुझे तो कभी नहीं पेला तूने ऐसा
मैं चाची से स्तनों को मसलते हुए- आज की रात आप को भी खूब पेलूँगा आज की रात यादगार
चाची- देखूंगी, कितना जोर है मेरे पतिदेव में
मैं- कहो तो अभी शुरू हो जाऊ
चाची- अभी नहीं , मुझे सुमन के साथ कही जाना है तो तू घर ही रहना मैं जल्दी ही लौट आउंगी
मैं- ठीक है
मैंने टीवी चलाया और टाइम पास करने लगा करीब घंटे भर बाद चाची वापिस आ गयी थी सुमन भी उसके साथ
ही थी चाची फिर रसोई में चली गयी डिनर की तयारी के लिए सुमन मेरे पास बैठी थी हरी साडी में गजब पटाखा
ही थी मैं ने नी चै खो ली औ को नि लि हे हो
लग रही थी मैंने अपनी चैन खोली और लंड को बाहर निकाल लिया सुमन –क्या कर रहे हो
मैं- जरा चुसो ना इसे तुम्हारे होंठो का स्पर्श पाने को बेताब हो रहा है
मैं लंड को मसलने लगा
सुमन- सुनीता है यहाँ
मैं- उस से क्या शर्मना वो तो अभी तुम्हारे सामने इस पर आके बैठ जायेगी आओ ना यार परसों तो हम चले ही
जायेंगे जब तक है साथ दो ना
मैं सोफे पर बैठा था अपनी टाँगे फै लाये मैंने निक्कर उतार दी मेरा लंड हवा में झूलने लगा सुमन फर्श पर घोड़ी
की तरह बैठ गयी उसने अपने होंठो पर जीभ फे र कर गीला किया और फिर अपने मुह को मेरे लंड पर झुका
दिया और मुह खोलते हुए लंड चूसने लगी उसके गीले मुह में जाते ही लंड बेकाबू होने लगा सुमन धीरे धीरे लंड
को पी रही थी मैं उसके बालो को सहलाने लगा मैंने देखा की चाची रसोई में व्यस्त है और ना भी होती तो क्या
फरक पड़ना था मुझे
सुमन की लिजलिजी जीभ ने मुझे पागल ही कर डाला था मैंने अब उसको खड़ी किया उसकी साड़ी को ऊपर
किया और उसकी कच्छी को खीच डाला , मैंने उसको अपने लंड पर बिठा लिया और धीरे धीरे ऊपर निचे
करवाने लगा उसको सुमन की आँखों में नशा बढ़ने लगा मैंने उसके ब्लाउज को उतार दिया और उसको चोदने
लगा जल्दी ही हमारी आहे गूंजने लगी तो चाची भी आ गयी सुमन को मेरे लंड पर बैठे देख कर चाची थोडा जल
सी गयी उन्होंने जल्दी से अपने कपडे उतारे और मेरे पास बैठ कर मुझे किस करने लगी हाय रे किस्मत आज दो
दो औरतो को साथ चोदने वाला था मैं कु छ देर किस करने के बाद चाची ने सुमन को मेरे लंड से हटा इया तो वो
बिफरने लगी
अब बीच चुदाई में कोई किसी को ऐसे रोके गा तो मजा तो किरकिरा होगा ही ना, चाची में सुमन की चूत रस से
सने लंड को अपने मुह में भर लिया और मजे से चूसने लगी इधर सुमन का बुरा हाल हुआ पड़ा था तो मैंने उसे
अपनी और आने को कहा और उसको अपने मुह पर बिठा के उसकी चूत को चाटने लगा तो उसको भी थोडा
करार आ गया , दोनों औरतो की मादक सिसकिया मुझे दीवाना बना रही थी अब चाची ने मेरे लंड को अपने मुह
से निकाल दिया और सोफे पर बैठ गयी मैंने सुमन को फर्श पर घोड़ी बनाया और उसको पेलने लगा चाची अपने
बोबो को सहलाते हुए हमारी चुदाई देख रही थी
मेरा लंड सुमन के चूतडो को छु ते हुए उसकी चूत में अन्दर बाहर हो रहा था मैंने देखा की चाची ने अपनी चूत में
दो उंगलिया घुसेड ली है और उनको अन्दर बाहर कर रही थी उनकी आँखे बंद थी इधर मेरे हर धक्के पर सुमन
का बदन बुरी तरह से लरज रहा था कु छ देर बाद मैंने उसे लिटा दिया और उस पर चढ़ कर उसको चोदने लगा तो
चाची हमारे पास आ गयी और सुमन की चूची को पिने लगी सुमन पर चुदाई का दोहरा रंग चढ़ गया था वो अपने
बदन को फर्श पर पटकने लगी चाची एक चूची को मुह में लिए हुए थी तो दूसरी को कस कस के दबा रही थी
उसकी चूत बुरी तरह से बह रही थी फच फच की आवाज अलग से ही सुन रही थी

सुमन ऊपर चाची को और निचे मुझे ज्यादा देर तक नहीं सह पायी और ठं डी आहे भरते हुए स्खलित हो गयी ,
उसके झाड़ते ही मने उसको हटाया और अब चाची को अपने निचे लिटा लिया चाची की गीली चूत में सर्रर्रर से
लंड अन्दर घुस गया मैंने चाची को किस करना चालू किया सुमन थोड़ी ही दूरी पर बेहोश सी पड़ी थी आँखे बंद
करके चाची के गुलाबी होंठो को अपने होठो से जोड़े हुए मैं चाची को चोद रहा था जल्दी ही वो भी निचे से झटके
मारने लगी जन्नत का सुख बरस रहा था चारो तरफ से चाची की चूत पर दे धक्के दे धक्के पूरा मजा प्राप्त हो रहा
था मैंने इस बात पर भी गौर किया की चाची सुमन से ज्यादा कामुक महिला है

नी भी लि मि थी तो दे औ चो ने के मैं ने नी ची की में छो दि औ र्श


पर अपनी भी लिमिट थी तो कु छ देर और चोदने के बाद मैंने अपना पानी चाची की चूत में छोड़ दिया और फर्श
पर ही सुमन के बाजु में लेट गया मैंने उसके सीने पर हाथ रखा और उसके उभारो से खेलने लगा तो उसने मेरा
हाथ हटा दिया चाची ने अपने कपडे समेटे और बाथरूम में चली गयी सुमन ने भी अपनी साड़ी को सही किया
और पहन लिया मैं वैसे ही पड़ा रहा नंगा का नंगा ही कु छ सांस लेने के बाद मैंने भी बाथरूम में जाकर अपने लंड
को साफ़ किया और फिर एक निक्कर पहन ली बिना कच्छे के ही तब तक चाची नाश्ता ले आई थी चाय के साथ
गरमा गर्म पकौडे खाकर मजा ही आ गया

बस हमारा खाना खाना-पीना हुआ ही था की नाना-नानी आ गए चाची उनके लिए भी चाय ले आई , चुस्कियो के
साथ ही बाते होने लगी फिर कु छ देर बाद सुमन अपने घर चली गयी , हमे भी कल निकलना था तो मैं बैग पैक
करना शुरू कर दिया उस रात हम लोग कु छ नहीं कर पाए क्योंकि चाची अपनी मम्मी के पास सो रही थी फिर
अगले दिन दोपहर तक हम लोग भी घर के लिए निकल पड़े
एक लम्बा और थका देने वाला सफ़र करके हम लोग गाँव पहुचे सब से दुआ सलाम किया चाय पानी के बाद मैं
तो सो गया फिर जब उठा तो अगला दिन हो चूका था नहा धोकर मैं घर से बाहर निकला तो मैंने देखा की बिमला
और चाचा बडे हंस हंस कर बाते कर रहे है तो मेरी गांड जल गयी मुझ को देख कर भी उनको कोई फर्क नहीं
पड़ा मैं उनको इगनोर करते हुए उनके पास से निकल गया मोहल्ले की तरफ गया तो देखा की रतिया काका की
दूकान पर राहुल बैठा था
मैं- तू दुकान पर
वो- हाँ , भाई अब दुकान तो खोलनी ही पड़ेगी ना वर्ना काम कै से चलेगा
मैं- हम्म, काका कै से है
वो- ठीक है जल्दी ही छु ट्टी मिल जाएगी
मैं- कल जाता हु मिलने
वो- ठीक है
कु छ देर उस से बातचीत की फिर मैं आगे की और जा निकला तो मैंने देखा की अवंतिका और गीता ताई पानी के
नलके पर बाते कर रही थी मेरी नजरे दोनों से मिली दोनों के लिए अलग अलग फीलिंग थी अवंतिका के होंठो पर
एक मुस्कान आ गयी मैं उधर से आगे बढ़ गया दरअसल आज मैंने पिस्ता से मिलना चाहता था बहुत दिन उए
उस से बात हुई नहीं थी और किस्मत की बात देखो की वो अपने दरवाजे पर ही कु र्सी डाले बैठी थी मुझे देखते ही
उसने मुझे आने को कहा मैं नजर बचा कर उसके घर में घुस गया

RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - sexstories - 12-29-2018

अन्दर जाते ही उसके किवाड़ बंद किया और मुझ से लिपट गयी एक के बाद एक चुम्बन मेरे चेहरे पर अंकित
करते गयी वो मैंने भी उसको अपनी बाहो में कै द कर लिया जब उसका मन भर गया तो वो मुझ से अलग हुई
और अब हम घर के अंदर वाले हिस्से में आ गए मैं सोफे पर बैठ गया वो मेरे लिए ठं डा लायी और मेरे पास ही बैठ
गया
वो- कहा गया हुआ था
मैं- यार, कु छ काम से चाची के साथ जाना पड़ा

वो औ जो मे है
वो- और जो इधर मेरा हाल खराब हुआ पड़ा है उसका क्या
मैं- अब आ गया हु ना अब तुझसे दूर नहीं जाऊं गा
वो- अब साथ रहने के दिन बचे ही कितने है
मैं- क्या हुआ
वो- ब्याह की तारीख हो गयी पक्की कार्ड भी छप कर आ गए है
मैं- तुझे बड़ी जल्दी है मुझसे दूर जाने की
वो- मेरे ससुराल वाले जल्दी कर रहे है
मैं- अब उनको जल्दी तो होगी ही तू चीज़ ही ऐसी है तेरे पतिदेव से रुका नहीं जा रहा होगा
वो- क्या कु छ भी बोलता रहता है
मैं- सच नहीं कहा क्या मैंने
वो- ये सब छोड़ तुझे कल मेरे साथ शहर चलना है मुझे ना शौपिंग करनी है ढेर सारी
मैं- तो कर ले, मैं क्या करूँ गा चल के
वो- मुझे नहीं पता पर तू कल चल रहा हैं मेरे साथ
मैं- ठीक है यार चलते है
वो- वोटो का क्या सोचा है
मैं- सोचना क्या है मैं था नहीं इधर तू भी तो लगी है परचार में तुझे ज्यादा पता होगा
वो- देख, बिमला भाभी का जोर ज्यादा है , अवंतिका खामखा में उलझ रही है बिमला आराम से जीत जाएगी
मैं- अब जिसे गाँव राम चाहेगा वो जीतेगा
वो- गाँव नहीं तू चाहेगा वो जीतेगा , तू भी तो खूब मेहनत कर रहा है
मैं- देख यार अपने को इस पचड़े में नहीं पड़ना जो भी जीते अपने को तेरे साथ जीना है कु छ दिन अभी का क्या
प्लान है आज देगी क्या
वो- आज तो नहीं कर पाऊँ गी पर एक दो दिन में जरुर
मैं- आज क्या हुआ
वो- मेरी माँ इधर ही है आती ही होगी तो अब तू भी निकल ले शायद मैं परसों जंगल में जाऊ लकड़ी तो उधर ही
प्रोग्राम करेंगे फिट
मैं- ठीक है तू बता देना जो भी हो
मैं उसके घर से निकल कर ताई गीता के घर पर गया पर उधर ताला लगा हुआ था तो निराश होकर वापिस घर
आ गया तो मम्मी मेरे पास आकर बैठ गयी और बोली- एक बात करनी थी तुझसे
मैं- जी

वो ते री कि सी की से दो ती है
वो- क्या तेरी किसी लड़की से दोस्ती है
मैं- नहीं तो , मैं भला किसी लड़की से क्यों दोस्ती करूँ गा
वो- एक फ़ोन आया था किसी लड़की का क्या नाम था उसका हां नीलम शायद वो तुझे पूछ रही थी
मैं- कब आया था तो आपने मुझे क्यों नहीं बताया
मम्मी- शांत हो जा, तू इधर नहीं था तो कै से बताती चल इतना तो पता चला की तू उसे जनता है दोस्त है तेरी
मैं- साथ पढ़ती है
वो- साथ पढ़ते पढ़ते दोस्ती हो गयी
मैं- क्या मम्मी कु छ भी अब साथ पढने वाले क्या फ़ोन नहीं कर सकते घर पर
वो- बिलकु ल कर सकते है बल्कि घर भी आ सकते है
मैं- तो आप शक कियो कर रहे हो
वो- मैंने तो बस इतना पुछा की क्या है आजकल के बच्चे कब बड़े हो जाते है पता ही नहीं चलता अब माँ-बाप को
तो ध्यान रखना होता है ना
मैं- ऐसा कु छ नहीं है ये बताओ क्या कह रही थी
वू- कु छ नहीं बोली की बाद में फोन करेगी
हाय रे मेरी तक़दीर हमेशा चुतिया ही बनना लिखा था नीनू के फोन की इतने दिनों से बाट देख रहा था पर उसने
भी जब फ़ोन किया जब मैं घर नहीं था पर क्या कीजिए जब चिड़िया चुग गयी खेत तो मैं ऊपर अपने कमरे में
चला गया चाची वहा थी नहीं अब ये कहा गयी करने को कु छ ख़ास नहीं था तो मैं थोड़ी देर लेट गया शाम हुई तो
ताऊ के साथ हॉस्पिटल जाना पड़ा रतिया काका की हालात पहले से काफी सुधर गयी थी हालाँकि अभी कई
दिन उनको बिस्तर पर ही रहना था फिर भी इम्प्रोव्मेंट तो थी ही काकी से नजरे मिली तो मैंने पूछ लिया कब दोगी
तो वो बोली मौका लगते ही अब रात को उधर ही रुकना था तो मैंने अपना बिस्तर गैलरी में बिछा लिया पर नींद
नहीं आ रही थी तो मैं और मंजू हॉस्पिटल की कैं टीन में आ गए
कु छ खाने का सामान लिया और बाते करने लगे
मैं- और मंजू क्या चल रहा है
वो- कु छ नहीं बस इधर से घर, घर से इधर
मैं- मैं इसके बारे में नहीं निचे वाले जुगाड़ के बारे में पूछ रहा हु
वो- बेशर्म नहीं हो गया आजकल तू कु छ ज्यादा
मैं- आज रात करे क्या
वो- पागल हुआ है क्या माँ है इधर और फिर जगह कहा है
मैं- चोदने वाले जगह का इंतजाम कर ही लिया करते है
वो- इधर नहीं करुँ गी , कल दिन में घर पे कर लेना जितना मर्ज़ी
मैं- तेरा भाई नहीं होगा घर
वो- वो तो दूकान पर बैठता है और तू उसकी जरा भी टेंशन मत ले
मैं- मंजू कल नहीं कर पाउँगा यार या तो आज दे या फिर बाद में क्योंकि कल मुझे पिस्ता के बाद जाना है कही
पर
मंजू- हां तो जा उसकी ही ले फिर , काम के लिए तो मैं और घूमना उसके साथ है बस आज पता चल गया तू ना
गरज का साथी है
मैं- समझा कर यार एक जरुरी काम है
वो- अब तो बिलकु ल नहीं दूंगी लेनी है तो कल आ जाना आज तो नहीं दूंगी कु छ भी करले

RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - sexstories - 12-29-2018

मंजू नाराज हो गयी थी उसको समझाना जरुरी था पर अभी उसका मूड ठीक नहीं लग रहा था तो मैंने ज्यादा
कु छ नहीं कहा वैसे भी जब उसका दिल करे तभी चोदने में मजा आता मेरे दिल में और भी बाते थी पर मंजू को मैं
कह नहीं सकता था थोड़ी देर और उधर बैठने के बाद हम लोग वापिस वार्ड में आ गए
हमने अपना बिसतर लगाया पर मुझे नींद नहीं आ रही थी काकी मेरे और मंजू के बीच में सो रही थी इधर मेरा
लंड मुझे परेशान कर रहा था मैंने काक़ी का हाथ अपने लंड पर रख दिया और दबाने लगा काकी ने धीरे से मेरे
कान में कहा-जवान बेटी साथ सो रही है कु छ तो परदा रहने दो
मैं-काकी आज कण्ट्रोल नहीं हो रहा है क्या करू
अब काकी की भी मज़बूरी थी जवान बेटी के आगे कै से वो चुद सकती थी तो उस रात बस मन मारके ही सोना
पड़ा अब चूत मिले तो एक पल में मिल जाए ना मिले तो कितने ही पापड़ बेल लो
सुबह घर आते ही मैंने खाना खाया और फिर कुँ ए पर चल पड़ा पुरे बदन में एक आग सी लगी पड़ी थी चूत की
सख़्त दरकार थी ,तो मैंने देखा की तायी गीता अपने घर के बरामदे मे ही बैठी थी उसको देख कर मेरा मन डोल
गया आज तायी की लेनी ही थी बस
मैं तायी के पास गया तायी मुझे देख कर खुश हो गयीं उसकी आँखो में एक चमक आ गयी उसने मुझे अंदर आने
का इशारा किया और मेरे घुसते ही किवाड़ बंद कर लिया मैंने तायी को अपनी बाहों में भर लिया और तायी के
रसीले होंठो पर कब्ज़ा कर लिया
होंठो पर लगी लिपिस्टिक मेरे मुह में घुलने लगी इधर होंठ अपना काम कर रहे थे इधर मेरे हाथ तायी के नितम्बो
पर पहुच गए थे ,गीत की 40 इन्ची गांड मुझे बहुत पसंद थी बस उसकी गांड ही तो थी जिसका मैं दीवाना था
मेरे छू ते ही तायी के नितम्बो में मदहोश करने वाली थिरकन शुरू हो गयी किस करते करते ही मैंने गीता के घागरे
का नाड़ा खोल दिया तो वो उसके पैरो में आ गिरा तायी ने कछि नहीं पहनी थी तो उनका पुरा हुस्न मेरे सामने
नुमाया हो रहा था मैं तायी के चूतड़ो को मसलने लगा
मैं ताई के निचले होंठ की लिपस्टिक को खा रहा था ताई मस्ती में भर चुकी थी पूरी तरह से,अब मैंने उसकी गांड
के छेद को सहलाना शुरू किया
ताई अपने चूतड़ भींचने लगी और साथ ही उन्होने मेरे लण्ड को भी बाहर निकाल लिया उसकी छातियाँ ब्लाउज़
फाड़ कर मेरे सीने में धंसने को बेताब हो रही थी

श्कि मैं ने ई को गो दी में औ रे की ई को बि


अब इंतज़ार मुश्किल था मैंने ताई को गोदी में उठाया और कमरे की तरफ बढ़ चला ताई को बिस्तर पर पटका
और अपने कपडे उतारने लगा गीता ने भी अपने ब्लाउज़ को खोल दिया
हम दोनों एक दूसरे के नंगे जिस्मो को देख रहे थे मैंने ताई की टांगो को फै लाया और अपने लंड को चूत पर घिसने
लगा ताई की चूत गीली होने लगी
ताई -क्यों तड़पा रहा है
मैं-और जो मुझे तड़पाती हो उसका क्या
ताई- मेरे राजा, अब डाल भी इसको अंदर
मैं एक हाथ से लण्ड को चूत पर घिस रहा था तो दूसरी हथेली को ताई की मांसल जांघ पर फिराने लगा ताई को
अब लण्ड की सख्त जरुरत थी
इधर मेरा हाल भी बुरा था अब काबू रखना मुश्किल था तो मैंने एक धक्का लगाया और काम बन गया ताई की
चूत का छल्ला लण्ड के हिसाब से फै लने लगा
ताई के चेहरे पर सुकू न आने लगा उन्होंने अब मुझ को पूरी तरह से अपने ऊपर खींच लिया और अपनी गोरी बाहे
मेरे गले में डाल दी
ताई की रसभरी चूत का पानी मुह लगते ही लंड पागल होकर चूत में ऊधम मचाने लगा ताई की गरम आहो ने मेरे
अंदर और गर्मी भर दी

मैं ताई की जीभ को चूसते हुए उसको चोदने लगा जल्दी ही वो भी अपनी गांड उठा उठा कर चुदाई का लुत्फ़ लेने
लगी ताई की टाँगे अपने आप खुलती जा रही थी
आज मैं ताई की जी भर के मारना चाहता था कु छ देर बाद मैं हट गया और ताई को उल्टा लिटा दिया और अब
फिर से उनपे लेट कर चुदाई शुरू कर दी
ताई के गालो पर अपने दांतो से काट रहा था ताई के मुलायम चूतड़ो की रगड़ खाता हुआ लंड चूत पर घस्से पे
घस्से लगा रहा था
गीता अब फु ल फ़ॉर्म में चुद रही थी एक चालीस बरस की महिला कामुकता की हर हद तोड़ रही थी ताई की चूत
से पानी टपक कर बिसतर पर अपने निशान छोड़ रहा था
मैं ताई के सुडोल कं धो को चूम रहा था उनकी गर्दन के पिछले हिस्से को चूम रहा था पल पल ताई का जिस्म
काम्प् रहा था उसने अपनी चूत को टाइट कर रखा था जिस से मैं भी स्खलन की ओर बढ़ रहा था
अब ताई ने इशारा किया तेज चोदने का तो मैंने और जोर लगाना चालू किया और करीब तीन चार मिनट बाद ही
हम झड़ने के कगार पर थे
ताई ने अपने बदन को सिकोड़ लिया और उसी पल मेरा वीर्य गीता की प्यासी चूत की प्यास बुझाने लगा आज
लगा की जैसे कितना मजा आया था
कु छ देर बाद मैं गीता की बगल में लेट गया और ताई की कमर को सहलाने लगा मेरे वीर्य से भरी ताई की चूत
बड़ी सुंदर लग रही थी
मैं- मेरी जान, कितनी गरम औरत है तू
ताई-मेरी गर्मी भी तू ही निकाल ता है ना
मैं- कभी रात को बुलाओ फिर
वो-तेरे ताऊ को बेटी के ससुराल भेजती हु फिर पूरी रात तुम्हारी
ताई ने चादर से ही अपनी चूत को साफ़ किया और फिर मेरे लण्ड से खेलने लगी ताई ने फिर अपने मुह को निचे
किया और मेरे अन्डकोशों पर अपने गर्म होठ रगड़ने लगी
तो मेरे जिस्म में सुरसुराहट होने लगी ताई मुझ् को फिर से तैयार कर रही थी एक और राउंड के लिए अब उसने
अपनी गर्म जीभ् गोटियो पर फिरानि शुरु की
तो मेरे लंड की प्रत्येक नस फड़क गयी करीब सात आठ मिनट बाद वो आगे बढ़ी और अब लण्ड पर अपने लबो
का जलवा दिखाने लगी
सुपाडे के छेद पर वो अपनी जीभ रगड़ कर मुझ् को दीवाना कर रही थी कामुकता से वशिभूत होकर मैं फिर से
गीता की चूत का मर्दन करने को तैयार था
गीता अब बड़ी अदा से अपनी गांड को सहलाते हुए बिस्तर पैट घोड़ी बन गयी उसकी पीछे की तरफ उभरी हुई
चूत क्या मस्त लग राही थी अब देर किस बात की थी
मैंने चूत की फाँको पर थोडा सा थूक लगाया और लण्ड को फिर से पेल दिया और वो भी अपनी गांड को आगे
पीछे करके पूरा सहयोग करने लगी
जल्दी ही फिरसे हम दोनों मस्ती से सरोबर एक दुसरे की बाहों में पड़े थे चुदाई का ऐसा नशा चढ़ा हुआ था की
क्या बताऊ पर उम्र का तकाजा या थकान ताई जल्दी ही फिर से झड़ गयी

तो ताई के कहने पर अब मैं गांड लेने को तैयार था मैं लेट गया और ताई ने अपनी गांड को थूक से खूब चिकना
किया और फिर मेरे हथियार पर बैठने लगी

कसम से आज तो मजा ही आ गया ताई मेरी गोद में बैठी थी अपनी गांड में मेरा पूरा लण्ड लिए गज़ब अब वो
धीरे धीरे दर्द भरी कराहे लेते हुई ऊपर निचे हो रही थी

मेरे आनंद का कोई ठिकाना नहीं था वो चुदाई की एक नदी थी जिसके साथ मुझ को बहना था पर अब वो थकने
लगी थी तो मुझे करने को कहा
तो अब मैं गांड मारने लगा दबा के ताई को जितना दर्द होता उतना ही मजा आता मुझे ऐसे ही करते करते अपना
मुकाम भी आ गया और एक बार फिर से मैं झडते हुए ताई पर ढेर हो गया

RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - sexstories - 12-29-2018

फिर मैं शाम को ही ताई के घर से वापिस आया आज उसने बुरी तरह से निचोड़ दिया था मुझे पर सुकू न भी था
जो सुख गीता ताई प्रदान करती थी उसके आगे सब फे ल था
इधर मैं उलझा हुआ था अपनी परेशानियों में उधर चुनाव की सरगर्मियॉ बढ़ रही थी गांव में तना तनी का माहौल
तो था ही इधर बिमला हर तरह से जीतने को बेताब थी

ची ज़ों प्रे कि भी तो ये मी ची ती तो
अब इन सब चीज़ों का प्रेशर पड़ रहा था मुझ पर ,पर किया भी तो क्या जाये मम्मी या चाची चुनाव लड़ती तो
बाय ही अलग थी अब बिमला का पंगा मेरे गले की फांस बन गया था
शाम को मुझे याद आया की आज तो पिस्ता के साथ बाजार जाना था पर मैं ताई के साथ बिजी था अब उसको
मनाना पड़ेगा आजकल पता नहीं मुझे क्या हो गया था बातो का ध्यान रहता ही नहीं था
मैं बैठा विचार कर रहा था की फोन की घण्टी बजी मेरे दिल में आया की नीनू है पर वो किसी और का निकला तो
दिल में एक टीस सी होने लगी
मन कही पर भी लग नहीं रहा था पर मन का क्या मन तो लगाने से लगता है फिर देर रात तक बस गाँव में ही
घूमना रहा इसी चक्कर में रात आधी से ज्यादा बीत गयी थी

मैं पैदल ही घर की तरफ आ रहा था की मैंने देखा पिस्ता लड़खड़ाते हुए कदमो से मेरी तरफ ही आ रही थी उसके
हाथ में बोतल थी उफ्फ्फ ये लड़की भी ना बस गजब ही थी

जैसे आवारगी की हर हद को पार कर जाना चाहती थी ये वरना कौन लड़की बेवक्त इस तरह गलियों में घुमटी वो
भी शराब के नशे में
मुझे देख कर उसके कदम रुक गये ,मैं उसकी ओर बढ़ा
वो- आया नहीं तू आज मेरे साथ
मैं-यार माफ़ करदे आज फसा पड़ा था काम में
वो-मेरी तो कु छ इज्जत ही न रही हिछह
मैं- तू दारू भी पीती है
वो- मैं गांड भी मरवाती हु तुझे नहीं पता क्या
मैं-चुप कर और मेरे साथ चल
वो-नहीं जाना मुझे कही भी,तू भी औरो की तरह निकला
मैं-मानता हु गलती हुई
वो-अब हम पराये जो हुए
मैं- तू जो पराई है तो अपना कौन है
वो-तो फिर आया क्यों नहीं पता है किन्ना इंतजारकिया पर तू नहीं आया
मैं-अब मेरी भी तो सुन यार
वो-क्या सुने हम अब तुम्हारी साला दिल भी आजकल हमारे काबू में रहता नहीं
आज पिस्ता बडे अजीब मूड में थी ,अब उसका और मेरा रिश्ता भी थोडा अजीब किस्म का था मैं मुसाफिर किस्म
का था वो अल्हड मस्तानी थी जैसे आग पानी साथ हो पर फिर भी अपनी थी वो
उसने बोतल अपने होंठो से लगायी और गटकने लगी पता नहीं नशे में क्या क्या बोल रही थी मैं किसी तरह
उसको समझा रहा था पर आज की रात बड़ी अलग होने वाली थी

वो मे गी की मैं के पी छे ये मे रे लि र्द हो ने
अचानक वो मेरा हाथ छु ड़ाकर भागी सड़क की तरफ मैं उसके पीछे भगा अब ये मेरे लिए सरदर्द होने वाला था
सच में चुनाव का टाइम था तो रात बेरात कोई न कोई तो घूमता ही रहता था
अब पिस्ता वैसे ही बदनाम गाँव में ऊपर से ब्याह सर पे उसका और वो नशे में टल्ली होके घूम रही अब ये कहा
समझदारी की बात थी
जैसे तैसे करके उसको अपने खेत में लाया और खीच कर एक रेहप्ता दिया तो उसकी आँखों के आगे तारे नाच
गए मैंने उसको खाट पर बिठाया और पानी दिया
पिस्ता को बहूत नशा हो रहा था पर अपन अब क्या करे कै से उतारू उसका नशा इधर मुझे नींद भी आ रही थी
पर सो नहीं सकता था तो पूरी रात बस उसको लिए बैठे रहा

सुबह पांच बजे के करीब उसको नींद आ गयी कु छ देर बाद मैं उसको सोती छोड़कर घर आ गया और सो गया,
फिर दोपहर को ही उठा तो निचे आते ही मैंने बिमला को देखा

हलके सफ़े द जरी की साडी में क्या मस्त माल लग रही थी मेरा लण्ड खड़ा हो गया पर अब ये चूत नसीब में कहा
थी तो उसको इग्नोर करके घर से बाहर आया तो मंजू मिली
आज हो क्या रहा था तो पता चला की अब मतदान के कु छ ही दिन बचे थे तो गाँव की हर महिला को पर्सनली
मिलना था पूरा जोर लगा देना था बिमला की जीत के लिये

घरवाले खर्च भी बहुत कर रहे थे मुझे कभी कभी आत्मग्लानि होती थी पर अपनी भी मज़बूरी थी मैं वापिस अंदर
आ गया और फिर से लेट गया पर दिल अनजानी शंका से धड़क रहा था
जैसे जैसे समय बीत रहा था घरवालो को तनाव होने लगा था पिताजी ने मुझे सख्त हिदायत दी थी की वोटिंग
वाले दिन मैं घर पर ही रहूँगा क्योंकि उस दिन पंगा होने की पूरी संभावना थी
अब आई कतल की रात यानि वोटिंग से पहले वाली रात आज की रात किसी को भी चैन नहीं था सब अपना
अपना जुगाड़ लगा रहे थे आज इतनी दारू और पैसे बांटने थे जितने की पुरे प्रचार में लगे थे

पर मैं घर में कै द था अब पिताजी की बात को काट भी नहीं सकता था तो मन मसोस कर रह गया सुबह सात
बजे से वोटिंग शुरू हो गयी थी
आज का दिन बड़ा भारी था सबपे एक एक मिनट जैसे की सदी लग रही थी दोपहर हुई फिर शाम हुई और फिर
वोटिंग बंद अब बस गिनती करनी थी सिचुएशन बड़ी टाइट थी
और फिर रिजल्ट तो आना ही था अवंतिका मात्र एक वोट से जीत गयी थी बिमला ने फिर से काउंटिंग की मांग
की पर उसकी किस्मत में जीतना था ही नहीं

निराशा से भरे सारे घरवाले घर आये,ऐसा लग रहा था की जैसे किसी की मौत हो गयी हो,उस रात हमारे घर में
चूल्हा नहीं जला
पता नहीं क्यों बिमला के हारने पर मुझे ख़ुशी नहीं हुई उसने रो रो कर सारा घर सर पर उठा लिया और फिर जैसे
की मुझे उम्मीद थी

तो मे
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - sexstories - 12-29-2018

अपनी हॉर का जिम्मेदार उसने मुझ को कहा उसने कहा जैसे मैं बरबाद हुई हु तू भी इसी आग में जलेगा अब तू
देख दुश्मनी क्या होती है
मेरा मन तो किया अभी उसकी गांड पे दू पर वैसे ही माहौल ठीक नहीं था तो जाने दिया एक शांति सी पसरी पड़ी
थी पर मुझे अंदाजा नहीं हुआ की ये आने वाले तोफान की आहट थी
इक तो हार का गम ऊपर से बिमला के आरोप से पिताजी का पारा चढ़ गया उन्होंने बिमला को जमकर फटकार
लगायी अब हार गए तो हार गए कोई आफत थोड़ी ना आई चुनाव तो फिर आये 5साल में बिमला अपनी हार को
पचा नहीं पा रही थी इधर मैं ये सोचकर घबरा रहा था की कही पिताजी मुझसे पूछ ना ले की कही मैंने कोई
गड़बड़ तो नहीं की
पर शुक्र किसी ने मुझ पर कोई शक नहीं किया फिर भी पिताजी और बाकि लोग जोड़ तोड़ में जुत गए की
किसने वोट किया किसने नहीं किया बिमला को हार का इतना गम था की उसने तो खाट ही पकड़ ली थी ,ऐसे ही
कु छ दिन गुजर गए मैं भी अब पढाई पे फोकस करने की कोशिश कर रहा था रतिया काका को भी हॉस्पिटल से
छु ट्टी मिल गयी थी

रोज मैं नीनू के फ़ोन का इंतज़ार करता पर निराश ही होना पड़ता था इधर पिस्ता के ब्याह में कु छ ही दिन बचे थे
तो वो अपनी रस्मो में व्यस्त थी उसका भाई भी आ गया था तो मुलाकात की कोई सम्भावना बन नहीं रही थी मैं
सुबह सवेरे ही घर से निकल जाता फिर शाम को ही वापिस आता गाड़ी धीरे धीरे पटरी पर लौट रही थी कम से
कम उस समय तो ऐसा ही लग रहा था
ऐसे ही दिन गुजर रहे थे पिस्ता के ब्याह में बस अब तीन दिन बचे थे तो मैं अब रोज़ ही उसके घर जाता था पर
बस निगाहे ही मिलकर रह जाया करती थी पुरे घर में रिश्तेदार भरे हुए थे अब दो पल बात करे भी तो कहा करे
पर मैं खुश था अपनी दोस्त गृहस्थी जो बसा रही थी उस रात जब मैं घर आया तो
पिताजी ने बताया की हम सब लोग खाटू श्याम जी के दर्शन को जा रहे है ,हम सब मतलब पूरा परिवार पर अगले
दिन मेरे को एक प्रोजेक्ट सबमिट करना था तो मैंने मना कर दिया तो पिताजी ने कहा कोई बात नहीं तुम रुक
जाओ पर तभी चाचा ने भी कहा की वो भी नहीं जा पायेगा क्योकि उसको काम है ऑफिस में
पर मैंने इतना ध्यान नहीं दिया क्योंकि वो नोकरी पेशा वाला आदमी था तो अगली सुबह गाडी आ गयी सारे लोग
तैयार थे जाने को पर ऐन टाइम पे बिमला ने खराब तबियत का बहाना मार के पलटी ले ली ,अब मेरा माथा
ठनका मुझे लगा की कु छ तो काला है दाल में वर्ना ये क्यों रुक रही है कही कु छ खुराफात तो नहीं कर रही
दरअसल जब से बिमला ने मुझ् को धमकी दी थी मैं थोडा सा डरने लगा था क्योंकि वो एक जहरीली नागिन तो
जो अपना फन जरूर मारती एक अनजाने भय से मेरा दिल भर गया ,भय से तातपर्य मुझे कु छ ठीक नहीं लग
रहा था पर फिर भी मैं अपनी साइकिल उठा के शहर की तरफ निकल गया

अब घर वालो का प्रोग्राम था की दो तीन दिन तक घूम फिर के आएंगे तो मुझे भी घर जाने की जल्दी नहीं थी घर
जाके उन दोनों नीचो का तमाशा क्यों देखना ,दोपहर को कैं टीन में मैं अपना खाना खाया मैंने और फिर मिल्ट्री
साइंस के लेक्चर के लिए चला गया उसके बाद मैं लाइब्रेरी जा रहा था की रस्ते में शान्ति मैडम मिल गयी

वो-अरे कहा गुम रहता है तुझे तो मेरा ख्याल ही नहीं


मैं-मैडम जी,आजकल व्यस्त हु थोड़ी फु रसत आने दो
वो- फु रसत मैं करवा देती हु मेरे प्यारे चल घर आज मूड बनाते है
मैं- आज नहीं फिर कभी आज काम है मुझे
वो-ना आज तेरा कोई बहाना नहीं चलेगा
मैं-समझा करो, ना कल पक्का पूरा दिन आपकी सेवा में रहूँगा
हम लोग बाते कर ही रहे थे की तभी राहुल दोडता हुआ आया मैंने देखा उसकी शर्ट पूरी तरह से पसीने से भीगी
हुई थी वो हांफ रहा था बुरी तरह से , अपने हाथो को घुटनो पर रखते हुए वो बोला -भाई, अभी चलना होगा
आपको
मैं-हां पर हुआ क्या
वो- अभी चलो
मैं- हां चलते है पर तू दो मिनट रुक तो सही रुक मैं पानी लाता हु तेरे लिए
तो राहुल ने मेरा हाथ पकड़ा और बोला- भाई चलो

RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - sexstories - 12-29-2018

मुझ् को लगने लगा था की कु छ तो लोचा है पर वो मुझे बता नहीं रहा था तो मैंने शांति मैडम को वाही पर छोड़ा
और राहुल के साथ बाहर की और चल पड़ा उसने गाड़ी स्टार्ट की और हम चल पड़े पर जब उसने गाड़ी को
सीकर की तरफ मोड़ा तो मेरा दिमाग सरक गया
मैं-सच बता क्या बात है गाड़ी कहा ले जा रहा है
उसने गाडी रोकी और रोते हुए बोला- भाई घर वालो का एक्सीडेंट हो गया है
क्क्या, ये सुनते ही जैसे मैं जम गया दिमाग सुन्न हो गया आँखों के सामने अँधेरा छा गया हाथ काम्पने लगे, आँखों
से आंसू से सैलाब बह चला दर्द का , दिल जोरो से धड़क रहा था मैंने खुद ड्राइविंग संभाली फिर कु छ याद नहीं
रहा बस याद था तो की जल्दी से जल्दी अपने परिवार तक पहुंचना

पुरे रस्ते में मैंने हर देवता को सुमर लिया मेरे होंठो से बस प्रार्थना ही थी उस उपरवाले से की सब ठीक रखना मैं
पूरी कोशिश कर रहा था पर हॉस्पिटल तक पहुँचने में घंटे भर से ज्यादा लग गया ,गाडी रोकते ही मैं तेजी से अंदर
भगा अंदर चारो तरफ गहमा गहमी मची हुई थी
फिर मुझे कु छ जाने पहचाने गाव के लोग मिले मैं तड़प रहा था घरवालो को देखने को पर उन लोगो ने मुझे पकड़
लिया
छोड़ो मुझको मैं चीखते हुए बोला पर वो मुझे पकडे रहे मेरा दिल धाड़ धाड़ करके बज रहा था तभी मैंने स्ट्रेचर पर
वार्ड बॉय को किसी को ले जाते देखा जब वो मेरे पास से गुजरा तो एक हाथ निचे को झूल गया खून से लथपथ
जैसे ही मेरी नजर उस कं गन पर पड़ी मेरी रुलाई छु ट पड़ी वो चाची थी मैंने जैसे तैसे खुद को छु ड़ाया और उस
स्ट्रेचर को रोक लिया

कांपते हाथो से मैंने वो खून से सनी चादर हटाई और जो देखा मेरा कालेजा कांप गया मेरी प्यारी चाची अब एक

यी थी मैं ड़े रो ने मे रे से हॉस्पि को


लाश बन गयी थी मैं दहाड़े मार कर रोने लगा मेरे रुदन से समूचा हॉस्पिटल काम्प् गया राहुल मुझ्को संभाल रहा
था पर आज किसे संभालना था तभी मुझे माँ का ध्यान आया तो मैंने पुछा-माँ कहा है
राहुल ने मुझे अपने सीने से लगा लिया और रोने लगा रोते हुए उसने अपने सर को हिलाया मुझ पर जैसे वज्रपात
हो गया तभी डॉक्टर आया और बोला- आपसे एक मिनट अर्जेंट बात करणी है वो मुझे ओटी में ले गया जहा मैंने
अपने जीवन का सबसे खुफनाक दृश्य देखा
ऐसा वीभत्स दृश्य मुजको उलटी आने को हुई ,पिताजी खून में डूबे हुए पर होश में थे डॉक्टर ने मुझहे कहा टाइम
कम है सांसे उखड रही है ये बार बार तुम्हे पुकार रहे है बात करलो
मैं- क्या टाइम कम है डॉक्टर ,कु छ भी करो पिताजी को कु छ नहीं होना चाहिये मैं तुझे तोल दूंगा रुपयो में पर
इनको कु छ नहीं होना चाहिये
पर आज नसिब खोटा था ,पिताजी का हाथ जरा सा हिला तो मैं उनके पास गया वो कु छ बोलना चाह रहे थे पर
आवाज साथ नहीं दे रही थी ,मैंने उनका हाथ अपने हाथ में लिया मेरे आंसू उन के हाथ पर गिरने लगे बस एक
मिनट ही बीता होगा की वो तड़पने लगे
मैं चिल्लआने लगा डॉक्टर बचाओ इनको डॉक्टर कोशिश कर रहे थे की उनके जिस्म ने एक झटका खाया और
सब शांत पड़ गया वो भी मुझे छोड़ कर चले गए थे ,मेरी सबसे बड़ी ताकत मेरा बाप आज मुझे अके ला कर गया
था
बहुत देर तक मैं उनके निर्जीव जिस्म से लिपटा रहा गर्मी अभी तक थी उसमे बस कु छ नहीं था तो सांसो की वो
डोर जो टूट कर बिखर गयी थी गाँव के लोगो ने बड़ी मुश्किल से काबू किया मुझे आज मेरी हर दुआ नामंजूर हुई
थी ऊपर वाले की अदालत में

जब कु छ होश आया तो मैंने माँ और बाकि घरवालो के बारे में पुछा तो राहुल मुझे अपने साथ एक सीली सी
जगह पर ले गया ,हल्का सा अँधेरा था पर अब मेरे घुटने जवाब दे गए थे मैं समझ गया था की अब मुझे क्या
देखना है हम मौर्ग में जो थे

RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - sexstories - 12-29-2018

तबी डॉक्टर ने मेरे कं धे पर हाथ रखा और बोला- आईएम सॉरी हम लोग एक को भी नहीं बचा सके
उसने एक चादर हटाई और मैं गिर पड़ा वो लाश मम्मी की थीमैं जोर जोर से रोने लगा किसी ने चुप करवाने की
कोशिश नहीं की अब दिल का दर्द तो आंसुओ के रस्ते ही निकलता है ना

मम्मी ,मम्मी बोलो न कु छ देखो मैं आ गया हु,मम्मी न्नाराज़ हो क्या बोलते बोलते मेरा गाला रुं ध गया पर वो कै से
बोलती उनका चेहरा हमेशा की तरह शांत था बस वो जनि पहचानी मुस्कान गायब हो गयी थी दिल किया की मैं
भी माँ बाप के साथ मर जाऊ पास में ही ताऊ ताई की लाशे भी रखी थी हस्ता खेलता मेरा परिवार बर्बाद हो गया
था
आज मैं अनाथ हो गया था ,अब दिल के हालात को क्या ब्याज करू मैं, ज़ुन्दगी ताश के पत्तो की तरह बिखर
गयी थी मेरी जिस परिवार के ऊपर मैं कू दता था वो आज मांस के निजीव लोथड़ों के रूप में बिखरा पड़ा था पर
अभी एक बिजली और गिरनी थी मुझ पर

और जो वो बिजली गिरी तो मैं टूट गया बिमला के दोनों बच्चों की लाश मुझ से ना देखि गयी,उनको जिनको कल
मैं ने धो पे बै की नि दे को जो ले जे से तो ले
तक मैं अपने कं धो पे बैठकर घुमाता था आज उनकी निष्प्राण देह को जो कलेजे से लगाया तो कलेजा फट गया
मेरा हे प्रभु ये कै सी सजा दी तूने ओह मेरे रब्बा तुझे जरा भी दया नहीं आई इन बच्चों पर क्रू रता करते हहुए
मुझको मार देता

आज दुनिया लूट गयी थी मेरी राहुल मुझ को सहारा देके वह से बाहर लाया पर ये एक ऐसा सच था जिस को मैं
झुठला भी नहीं सकता था, क्या से क्या हो गया था हर ख़ुशी आज रूठ गयी थी बहुत देर तक कागज़ी कार्यवाही
चालू रही अब एक्सीडेंट था तो फिर पुलीस कार्यआवहि के बाद सारि लाशे मेरे सुपुर्द कर दी गयी,जिन माँ बाप के
साथ कल तक मैं खूब हँसता खेलता था आज उनकी ही लाशो को लेकर चला मैं अब वो माँ का दुलार कभी ना
मिलने वाला था ना वो बाप की झिड़की।
अपने माँ बाप ही नहीं बल्कि पुरे परिवार की लाशो को ढोना किसी के लिये भी आसान नहीं होता जबकि मुझ पर
तो जैसे पहाड़ ही टूट पड़ा था पर शायद ये ही अग्निपथ होता होगा अपने अंतरमन से जूझते हुए जो ये मान ने को
तैयार नहीं था की सब खत्म हो गया है , हम लोग अंतिम संस्कार के लिए चल पड़े
पूरा ही गाँव जैसे टूट पड़ा था एक साथ सात लाशे जो थी जिन परिवार वालो की ऊँ गली पकड कर मैंने चलना
सीखा था आज उनको राख होते हुए देख रहा था मैं दिल का गुबार आंसू बन कर बह रहा था
जब तक उन चिताओ में लपटे उठती रही मैं वहीँ बैठा रहा फिर मंजू मेरे पास आई डबडबाई आँखों से मैंने उसको
देखा उसने मेरा हाथ पकड़ा और घर ले आई ,पर अब घर कहा था बस चार दीवारे ही रह गयी थी एक कोने में
बिमला बेहोश पड़ी थी कु छ महिलाये उसको समझा रही थी कु छ लोग चाचा के पास बैठे थे
मंजू मेरे लिए पानी का गिलास लायी पर वो भी मेरे सीने में धधकती आग को शांत नहीं कर पाया ,जी रोने को
कर रहा था पर आंसू सूख गए थे ,पर ये बहुत भारी समय था साँझ रात में ढल गयी पता नहीं कितने बज रहे थे मैं
अपने कमरे में बैठा था तनहा अके ला
की पिस्ता मेरे पास आकर बैठ गयी मैंने अपना सर उसकी गोद में रखा और रोने लगा वो कु छ नहीं बस चुपचाप
मेरे बालो में हाथ फिराती रही बहुत सुकू न मिला उन पलो में मुझे ले देकर अब वो ही तो बची थी जिसे अपना कह
सकता था जाने कब उसके आगोश में नींद आ गयी
जब मैं जागा तो वो वहा नहीं थी अब सामना हुआ वास्तविकता से ,चाहे दिल माने या ना माने पर यही हकीकत
थी जिसको अब हर रोज ही सामना करना था,धीरे धीरे रिश्तेदार आने शुरू हो गए थे घर में रोना पीटना मचा
हुआ था मैं घर से बाहर आकर उस कच्चे छप्पर की तरफ जाकर बैठ गया
थोड़ी डेर बाद पिस्ता मुझे ढूंढते हुए आ गयी कु छ देर बाद वो चुप्पी तोड़ते हुए बोली- कब तक ऐसे रहेगा,कल से
अन्न का दाना न लिया ,अब जो हुआ उसे कोई वापिस नहीं कर सकता पर तुझे तो जीना होगा ना मैं रोटी लाती हु
खा ले
मैं-भूख नहीं है
वो-भूख तो नहीं है पर फिर भी कु छ निवाले खा ले मेरा मान रखने को ही खा ले
वो एक थाली ले आई और अपने हाथो से खिलाने लगी पर रोटी गले से निचे उतरी ही नहीं जैसे तैसे पानी के
साहरे कु छ निवाले गटके तभी मेरा ध्यान पिस्ता के हाथो पर लगी मेहँदी पर गयी तो याद आया कल ब्याह है
उसका
तो मैं बोला-तुझे यहाँ नहीं आना चाहिए था तू बान बैठी हुई कल ब्याह है तेरा

वो फे रे हो ते तो भी ती दि तो तो हीं लो ने
वो-आज फे रे होते तो भी आती,ब्याह का क्या अब दिन आ गया तो ब्याह सरक तो नहीं सकता पर घरवालो ने
ससुराल खबर करदी है तो बस कु छ लोग आकर फे रे पड़वा लेंगे
मैं-ना री, तू ऐसा मत कर ब्याह बस एक बार होता है तू गाजे बाजे से ब्याह करवा
वो- तेरे दुःख पर अपनी खुशिया सजाउ अभी इतनी बेगैरत नहीं हुई हु मैं
मैं-पर?
वो-पर क्या मेरे लिए तू पहले है
पिस्ता को मैं कभी समझ नहीं पाया था कभी वो कु छ लगती थी कभी कु छ पर बस वो जानती थी या मैं जानता
था की हमारा रिश्ता किस तरह का था जैसे वो मेरे दर्द का मरहम थी उसकी भी मज़बूरी थी की वो ज्यादा देर मेरे
पास रुक नहीं सकती थी
मेरे ननिहाल से लोग आ गये थे मुझे संभालने को पर इस दुःख को तो मुझे ही झेलना था। वो बारह दिन तो
रिश्तेदारो के सहारे निकल गए ,पर अब अके लापन काट ता था मुझे घरवालो की कु छ पालिसी थी तो उसका पैसा
मिल गया था मुझे पर ये पैसा उनकी कमी पूरी नहीं कर सकता था
चाची के भाई ने मुझे कु छ डॉक्यूमेंट दिए जो ज़मीन पिताजी ने चाची को दी थी वो मेरे नाम कर गयी थी पर ये
सब मेरे किस काम का था मेरे मन में बस एक सवाल था की बिमला ने ऐन टाइम पे जाने को क्यों मना किया पर
दूसरी तरफ पुलिस रिपोर्ट थी जिसमे साफ़ लिखा था की गाडी कण्ट्रोल खो गयी थी जिस वजह से एक्सीडेंट हुआ
अब गाडी बुरी तहस नहस हो गयी थी तो जांच ज्यादा नहीं हो सकती थी

इधर मेरे नाना मेरे लिए बहुत चिंतित थे तो उन्होंने ये फै सला लिया की अब मैं ननिहाल में ही रहूँगा हालाँकि मैं
ऐसा नहीं चाहता था पर नाना मामाँ के आगे चली नहीं मेरी पर जाने से पहले कु छ काम करने थे मैंने अपनी सारी
जमीं की जिम्मेदारी गीता को दी पिस्ता के बाद वो ही थी अब मेरे पास

तो करीब दो महीने बाद मैं अपने ननिहाल आ गया शुरू शुरू में मेरा मन नहीं लगता था पर फिर आदत होने लगी
थी सबका व्यवहार मेरे प्रति ठीक था मैं रोज सुबह पढ़ने निकल जाता और साँझ ढले आता बस यही दिनचर्या
बन गयी थी वो लोग अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे थे पर मैं चाह कर भी उनसे घुलमिल नहीं पा रहा था
थोडा टाइम और गुजर गया अब मुझे भी उनकी आदत होने लगी थी पर पुराणी याद अब भी हावी थी मुझ पर
जबकि वर्तमान मुझे कह रहा था की घुटने मत टेक मंजिले और भी है इधर मेरी एक दोस्त बन गयी थी इंदु जो
मेरी मम्मी के चाचा की लड़की थी,मेरी मौसी लगती थी पर हमउम्र थी तो अक्सर बाते होने लगी

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