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Raj sharma stories चूतो का मेला - Printable Version

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RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - sexstories - 12-29-2018

मैंने हाथ को ऊपर सरका कर बोबो पर पंहुचा दिया और उसको सहलाने लगा हलके से दबाने लगा मंजू थोडा सा
मेरी तरफ पीछे को हो गयी
मैं- मेरी जिंदगी में तू है , पिस्ता है ,नीनू है तुम तीनो मेरे लिए बहुत महत्त्व रखती हो पर एक ना क दिन सबक
साथ छु ट ही जाना है
वो- पर दोस्ती तो सदा रहती ना
मैं- अब मैं क्या जणू, सासरे जाने के बाद क्या पता मुलाक़ात हो ना हो
वो- वो सब छोड़ ये बता पिस्ता को पेल दिया तूने
मैं- मैंने तो तुझे भी पेल दिया है
वो- मतलब ले ली है
मैं- तू हर टाइम उसकी बात क्यों करती है
वो- ऐसे ही , मैं सोचती हु की तू उस जैसी चालू लड़की के चक्कर में आया कै से
मैं-वो मेरी दोस्त है यार ऐसे मत बोल
वो- ठीक है
मंजू की गांड बिलकु ल मेरे लंड से सटी हुई थी तो मेरा लंड खड़ा हो गया मैं उसके बोबो को मसलने के लिए
उसकी कु र्ती को ऊपर कर दिया और ब्रा को खोल दिया

मंजू- करके ही मानेगा क्या


मैं- इरादा तो है
मंजू- ठीक है फिर
उसने अपनी सलवार को कच्छी समेत उतार दिया और अपना मुह मेरी तरफ कर लिया मैं उसकी कमर को
सहलाते हुए उसे किस करने लगा मंजू ने मेरे लंड को पकड़ लिया और उसको भीचने लगी किस करते करते ही
मैं ने की ड्डी में दे दि औ की बि लो की से खे ने मे री लि के
मैंने उसकी चड्डी में हाथ दे दिया और उसकी बिना बालो की चूत से खेलने लगा , जब जब मेरी उंगलिया उसके
दाने को छू ती मंजू अपनी टांगो को टाइट कर लेती कु छ देर बाद उसकी कच्छी साइड में पड़ी थी

मंजू अब मेरे लंड को अपनी चूत के दरवाजे पर रगड़ रही थी और फिर बिना देर किये मैंने उसको अपने निचे
लिया और उसकी टांगो को खोल दिया अँधेरी रात में छत पर आज मंजू को जी भरके चोदने वाला था मैं , एक
तकिया उसके कु लहो के नीचे लगाया और अपने लंड को टिका दिया उसकी मुनिया पर पहले ही घस्से में आधा
लंड चूत में उतार दिया मैंने और फिर उस पर छाता चला गया दो जवान जिस्म एक हुए तो फिर बिस्तर पर
हलचल मचने लगी बिना किसी जल्दबाजी के धीरे धीरे घस्से लगाते हुए मैं उसके जिस्म का मजा ले रहा था
मंजू ने अपने चूतडो को ऊपर कर दिया था और आहे भरते हुए मेरे लंड को चूत में ले रही थी , होंठो में होठ, बाहो
में बाहे मंजू और मैं शारीरिक सुख को पाने की कोशिश कर रहे थे ,धीरे धीरे मेरे धक्को की रफ़्तार बढ़ने लगी और
उसकी कामुकता , बिस्तर की चादर पर पड़ी सिलवटे हमारी कहानी को ब्यान कर रही थी मंजू अब खुल के गांड
को ऊपर उठा उठा कर चुद रही थी , मैं उसको अपनी बाहों में समेटे हुए अपने साथ मंजिल की तरफ ले कर चल
रहा था , चुदाई का एक दौर अब थमने को था करीब बीस मिनट बाद मैंने उसकी चूत को अपने पानी से सींच
दिया और उस पर ही ढह गया , उस रात एक बार और ली मैंने उसकी...........
सुबह करीब दस बजे मैं और मंजू हॉस्पिटल पहुच गए , काका को अभी तक होश नहीं आया था पर हालत ठीक
थी ये भी अच्छी बात थी शाम तक मैं हॉस्पिटल में रहा फिर वापिस गाँव आ गया पिताजी के साथ, इधर चुनाव
अब जोर पकड़ने लगा था चाचा तो बिमला का दीवाना था ही इसलिए वो तो पूरा जोर लगाये हुए था, सारे तरीके
लगाये जा रहे थे , कु छ वादों से, कु छ बातो से तो कु छ दारु बाँट कर गाँव में मेरे परिवार का मेल मिलाप भी ठीक
था तो पलड़ा झुका सा लग रहा था बिमला के पक्ष में
और बस यही बात मुझे खटक रही थी ,रतिया काका का एक्सीडेंट गलत टाइम पर हो गया था दूकान अब बंद थी
और वो अपना अड्डा था, उधर से भी सप्लाई होती थी और वो वोट भी खीच रहे थे मैं लाख कोशिश के बाद भी मैं
खुद को चुनाव से दूर रख नहीं पा रहा था , जबकि पिताजी के पूरी कोशिश थी की मैं इन पचड़ो से दूर रहू , उस
शाम चाचा दारू बांटने गया हुआ था तो दूसरी पार्टी वालो के साथ कु छ बोल चाल हो गयी , मुझे पता चला तो
दिमाग खराब हो गया
अब चाचा जैसा भी था कोई दूसरा तो कै से कु छ बोल सकता था मेरा दिमाग सरक गया , रात को मैं अपने दोस्तों
के साथ मंदिर की सीढियों पर बैठा था तो दूसरी पार्टी का वो ही लड़का जिसने चाचा के साथ बदतमीजी की थी
वो भी आ निकला , मेरा तो वैसे ही दिमाग ख़राब था ऊपर से वो भी अकड़ में था वो लड़का जिसे गाँव में लादेन
कहते थे
लादेन- ओह देखो रे, अभी से इनको हार का डर लगने लगा कै से भगवान् के पांवो में पड़े है
मैं- तू अपना काम कर ,निकल यहाँ से
लादेन- हां निकलना तो है ही जैसे तेरा चाचा निकला था दुम दबा के बोलती ही बंद हो गयी थी उसकी
मैं- देख, वोट वोट की जगह है , तू हद में रह माहौल बिगाड़ने की कोशिस मत कर
लादेन- मैं तो जो मर्ज़ी करूँ गा , ये कहने के साथ उसने मुझे गाली दी और मेरा कोल्लोर पकड़ लिया
बस , एक तो मेरा दिमाग ख़राब था ही ऊपर से उसने जो गाली दी वो मुझे चुभ गयी मैंने एक लात उसके घुटनों
के बीच मारी और भाई की सारी हेकड़ी बाहर आ गयी, उबकाई लेता हुआ जो गिरा वो जमीं पर मैंने उसकी हॉकी
उठाई और जो चार पांच पंटर थे उनको पेलना शुरू किया तो मेरे दोस्त भी शुरू हो गए दे दबा दब सालो की रेल
बनायीं कु छ भाग गए कु छ अधमरे हो गए लादेन को मैंने उठाया और बोला- हां , तो क्या कह रहा था तू अब बोल

तो वो ई ई ने मे दि हो मैं ने ने दो से सी ईऔ ले को
तो वो भाई भाई करने लगा पर मेरा दिमाग आउट हो गया था मैंने अपने दोस्त से रस्सी मंगवाई और साले को
मंदिर के सामने वाले पेड़ से बाँध दिया , और बोला बेटा जा जिनके दम पर तू उछल रहा था ना बुला ले उनको माँ
चुदाय वोट, अब बात जरा दूसरी टाइप से होगी , मैंने हॉकी जो घुमा कर लादेन के घुटने पर दी तो उसकी चीख
वातावरण में गूंजती चली गयी , अब झगडा हुआ तो गाँव में बात फ़ै ल गयी मिनटों में तो दोनों पक्षों के लोग आ
गये बीच बचाव करने लगे
पर जो औरत बिमला की टक्कर में खड़ी थी उसका देवर जो की मेरी ही उम्र का था ज्यादा उचल रहा था तो मैंने
दो चार उसके धर दिए बात और बिगड़ गयी , अब हम साला नए नए जवान हुए थे खून गरम था जोश था जवानी
का एक बार जो शुरू हुए तो रुक ना पाए , ऊपर से बात बिगड़ी तो दोनों तरफ से लट्ठ तन गए , पुलिस आ गयी
गाँव का माहौल खिंच गया , गाँव के कु छ मौज़िज़ लोगो ने बात को संभाला मैंने भरी पंचायत में में ऐलान कर
दिया की अगर किसी ने भी मेरे परिवार को कु छ कहा तो ठीक नहीं रहेगा बात समझ में आये या नहीं
लड़ाई झगडे में आधी रात घुल गयी थी , जब हम घर आये तो मेरा दिमाग गुस्से से भनभना रहा था ऊपर से
पिताजी ने मुझे जम कर बाते सुनाई , पर हां अब इतना तय हो गया था की ये चुनाव अब एक तूफ़ान लेकर आया
था , सुबह मैं थोड़ी देर से उठा घर पर कोई नहीं था , मैं बाहर चबूतरे पर बैठा दातुन कर रहा था की पिस्ता आई
पिस्ता मेरे घर जरुर कोई बात तो थी ही, उसने मुझे इशारा किया और आगे को बढ़ गयी मैं भी पीछे हो लिया
थोडा आगे जाकर बस उजाड़ सा था तो वहा पर हमने बाते शुरू की
पिस्ता- मैंने सुना कल रात तूने मार पिटाई करी
मैं- हो गयी ऐसे ही दिमाग ख़राब , हुआ पड़ा था तो कु छ ज्यादा ही हो पाया
पिस्ता- देख, मेरी एक बात को अच्छे से समझ ले वोट तो दो दिन के है, खींचा तान होगी पर आराम से हो जाये तो
ठीक होगा, हर ज़ख्म भर जाता है पर वोटो की रंजिश नहीं भूली जाती है ,

RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - sexstories - 12-29-2018

मैं- तू टेंशन ना ले , कु छ नहीं होगा


वो- टेंशन नहीं ले रही हु बस तुझे समझ रही हु की किसी से भी दुश्मनी ठीक नहीं है प्यारे
मैं- चल ये सब छोड़ और बता
वो- बताना क्या है , तुझे तो सब पता ही है ना परसों लड़के वाले आ रहे है फोटो तो पसंद आ गयी थी उनको क्या
पता अब सगाई ही हो जाये
पिस्ता के रिश्ते की बात सुनते ही मेरा दिमाग ख़राब होने लगता था पर उसकी अपनी निजी जिन्दगी भी तो बस
.......

मैं- ये तो अच्छी खबर है , सगाई के बाद तो तू बस कु छ दिन की ही मेहमान रहेगी यहाँ पर


पिस्ता- हम्म्म , कु छ दिन रहू या एक इन भी नहीं रहू पर तेरे साथ हमेशा रहूंगी, खयालो में यादो में , मेरा जिस्म ही
तो जायेगा पर अपनी यादे दे कर जाउंगी तुझे , याद आती रहूंगी तुझे
और वैसे भी हम कहा इस दुनिया के बंधन में बंधे है , मैं तू हु तू मैं हु अपना किसी ने क्या बांटा है
मेरा दिल तो चाह रहा था की दिलरुबा को बाहों में भर लू पर नजाकत इस बात की इजाजत दे नहीं रही थी हाँ पर
पिस्ता को देख कर दिल को इतना अहसास था की कोई अपना है जो अपनी फ़िक्र करता है , कोई है जो दुआ में
झे भी है फीलिं ही हो ती है जो मे ती है कि तो
मुझे भी याद करता है , दरअसल बस कु छ फीलिंग्स ही होती है जो हमे टच कर जाती है बाकि सब तो बस टाइम
पास करने वाली बात होती है
पिस्ता से मिलके दिल जैसे झूम सा उठा था पर इस बात का अहसास भी था की अब वो जल्दी ही मुझे छोड़ कर
चली जाएगी पर यही तो जिंदगी होती है , अपनी मर्ज़ी से कोई कै से जी सकता है बस जिंदगी है जो कथ्पुतिली
की तरह कभी इधर कभी उधर करती रहती है बस अपनी अपनी हकीकत है अपने अपने फ़साने है
पता नहीं दिल में ये सुकू न सा था या कोई पुराना दर्द फिर से उभर आया था जैसे कोई अपना दूर जा रहा हो जैसे
कु छ छु ट रहा हो, दिल में दर्द सा होने लगा था मेरी वो बेचैनी फिर से आज मेरे साथ थी मैं वापिस घर आया पर
घर भी खाली था कोई था नहीं तो क्या करू, भरी दोपहर का टाइम काश पिस्ता थोड़ी देर और रुक जाती तो दो
चार बाते और कर लेता पर बातो का क्या जितनी करो उतना थोडा , फिर सोचा गीता ताई से मिल आऊ, तो
उनके घर की तरफ चल दिया फिर ध्यान आया की ताऊ भी होगा वहा फिर कु छ सोच कर एक बोतल दारू की
ली और पहुच गया उनके घर

ताऊ सामने ही खाट पर बैठा था ताई नहाने की बाल्टी लेकर बाथरूम की तरफ जा रही थी अब चोरी तो चोरी ही
होती है ताऊ के सामने ताई मुझे देख कर थोडा सा ठीक फील नहीं कर रही थी पर मैं मुस्कु राते हुए ताऊ के पास
बैठ गया और बात चीत करने लगा ताई ने मुझे पानी का गिलास पकडाया तो उनकी उंगलियों को दबा दिया मैंने
तो ताई थोडा सा हडबडा गयी , ताऊ से थोड़ी बहुत बात चित करके मैंने चुपके से बोतल ताऊ के तकिये के निचे
रख दी वो खुश हो गया

और ताऊ अन्दर चला गया शायद गिलास लाने को


ताई- अभी क्यों आया है
मैं- बस दिल कर रहा था तो आ गया
वो- अभी जा, तेरा ताऊ घर है
मैं- उसको बोतल दी ना वो फिट हो जायेगा थोड़ी देर में
ताई- तू मरवाएगा मुझे
मैं- अभी तो मारनी है आपकी, मैंने आँख मारी ताई को

तभी ताऊ आ गया तो ताई ने तौलिया लिया और अपनी गांड को मटकाते हुए बाथरूम की तरफ चली गयी
कसम से ताई की गांड को देख कर ही तो मर मिटा था मैं उस पर लंड बुरी तरह से फडफडा रहा था उसे बस
गीता की चूत चाहिए थी, जब से गीता ताई से नाता जुड़ा था , तब से और किसी को चोदने में मजा आता ही नहीं
था , इधर ताऊ पेग लगाते हुए मुझसे बात करने लगा जबकि मैं मौका देख रहा था की किसी तरह से बाथरूम में
घुस जाऊ और ताई की चूत में लंड घुसा दू , पर ताऊ साला पूरा नशेडी , मैंने सोचा था की फ़ै ल हो जायेगा पर
आज तक़दीर में चूत थी ही नहीं तो कई देर तक बैठने के बाद मैं वापिस घर आ गया सोचा की मुठ मार लू पर
जिसको चूत का स्वाद मुह लगा हो उसको मुठ मारने से चैन कै से मिले , शाम को मैं अपने दोस्तों के साथ गाँव की
चौपाल पर बैठा हुआ था तो मित्र मण्डली के एक सदस्य ने सुझाव दिया की क्यों ना गाँव में एक रागनी का
प्रोग्राम करवाया जाये, वैसे भी मीठी ग्यारस को गाँव में मीठा पानी पीने का प्रोग्राम तो होता ही था तो ये तय कर
लिया की उसी रात को रागनी प्रोग्राम करवाया जाये

में पै ने तो मैं ने दि की गाँ में दो कैं डि डे है ची के दो नों की र्ची


पर इसमें पैसा बहुत लगने वाला था तो मैंने सुझाव दिया की गाँव में दो कैं डिडेट है सरपंची के दोनों की पर्ची काट
दो और दोनों को अतिथि के रूप में बुला लो , तो सबको बात जंच गयी मैंने कहा आप लोग रात को घर आ जाना
, वैसे भी मेरी बड़ी इच्छा रहती थी की गाँव में जब भी कोई प्रोग्राम हो तो देखने जाऊ, किसी के यहाँ विडियो
आता या कोई भजन मण्डली पर पिताजी बहुत कण्ट्रोल करते थे पर अब चुनावी मौसम था तो अपना काम भी
हो जाना था इसी बहाने से

रात को चाचा ने 31हज़ार की पर्ची कटवाई तो मैंने चाची से कहा देख लो थारे कसम की करतुते
तो चाची ताना मारते हुए बोली- देख रही हु, परायी नारी के लिए जो प्यार उमड़ रहा है कर लेने दे जो करना है वैसे
भी छह महीने में तलाक हो जाना ही है , फिर ये कही भी मुह मारे मुझे क्या

मैं चाची के मन को खूब समझता था तो मैंने कहा – आज रात चाचा के पास जाओ क्या पता बुरा समय बीत ही
जाये

चाची- भाड़ में जाए वो , मुझे उसकी कोई परवाह नहीं है बिमला के साथ ही सोये वो जाके मैं खुश हु
तभी मम्मी आ गयी तो हम लोग चुप हो गए , रात को अक्सर देर तक मीटिंग होती थी वोटो की हर एक वोट को
अपनी तरफ खीचने की पूरी सेटिंग हो रही थी , सब लोगो ने पूरी तयारी कर ली थी बिमला को जिताने की पर
मेरी गांड बहुत जलती थी पर मज़बूरी ये थी की अगर वो हार जाती है तो परिवार की हार होती तो मैं बीच
मंझधार में फं सा हुआ था , पैसा पानी की तरह बह रहा था किसी को नकद किसी को दारू तो किसी को ठं डा ,
सब अपने अपने विचारो में डूबे थे जबकि पिताजी को ये सवाल सता रहा था की रतिया काका को किसने टक्कर
मारी क्योंकि खूब ढूंढें पर वो साधन नहीं मारा था जबकि डॉक्टर के अनुसार किसी बड़ी गाडी ने टक्कर मारी थी

अब सवाल भी जायज था , रतिया काका पिताजी के बचपन के दोस्त जो रह गए और ऊपर से वो चुनाव में पैसा
भी लगा रहे थे और वोटो की सेटिंग भी कर रहे थे पर अब एक्सीडेंट चूँकि मेन रोड पे हुआ था तो मैं ये सोच रहा
था की किसी ने टक्कर मारी और फिर घबरा के भाग गया तो सब लोग अपने अपने तरीके से संभावना ही ढूंढ रहे
थे , रात वैसे तो काफी हो गयी थी करीब 11 बज गए थे , मैं सोने की तयारी कर ही रहा था की गीता ताई का
पति आ निकला, अब पियक्कड़ो की तो ऐसे सीजन में मौज ही मौज होती है , पहले से ही वो टुन्न था तो पिताजी
ने कहा की इसको एक बोतल दे कर रवाना कर देना तो मैंने कहा की मैं कु वे पर जा रहा हु इसको छोड़ता हुआ
जाऊं गा वर्ना पड़ जायेगा कही पर टुन्न होके

मैं दो बोतल लेकर आया एक ताऊ को दी और एक अपने तौलिये में लपेट ली और घर से बाहर आ गए ताऊ ने
ढक्कन खोला और एक सांस में ही दारू को गटकने लगा
मैं- ताऊ , आराम से पानी ला देता हु सुखी ही खीच रहा है
ताऊ-अरे बेटा क्या सूखी, क्या गीली
ताऊ ने बोतल बंद की और हम साथ साथ चलने लगे कु छ दूर चलके हम एक पीपल के पेड़ के निचे बैठ गए और
बाते करने लगे
मैं- ताऊ, पीते बहुत हो आप , मेरी ताई दिन रात मेहनत करती है और आप पीने से रुकते ही नहीं
ताऊ कु छ नहीं बोला बल्कि एक दो घूँट और लगा ली
मैं- ताऊ , क्या कोई गम है जो इतना पीते हो
हीं बो तो मैं की तो दि है दे को मैं ने औ बो
ताऊ कु छ नहीं बोला तो मैं समझ गया की कु छ तो दिक्कत है इस बन्दे को मैंने ताऊ का हाथ पकड़ा और बोला-
ताऊ मैं भी तेरा ही बेटा हु ना, कोई परेशानी है तो मुझे बता सकते हो

ताऊ की आँखों में पानी आ गया और वो बोला- बेटे , ऐसे ही नहीं पीता हु , सब लोग मेरे को नाकारा समझते है
और मैं हु भी नाकारा, मुझे ना फौज की नोकरी मिल गयी थी पर मैं छोड़ कर भाग आया , कु छ छोटा मोटा काम
धंधा किया पर सब फ़ै ल हो गया फिर दारु की लत लग गयी

मैं- और आपकी लत के कारण जो घर बर्बाद हो रहा है उसका क्या


ताऊ कु छ नहीं बोला
मैं- कु छ काम धंधा फिर से शुरू कर लो

ताऊ- मुझे काम कौन देगा


मैं- ताऊ अगर दारू को छोड़ दो तो हज़ार काम है , देखो अपनी ओर जरा कितनी बदबू आती है तुमसे, दाढ़ी बढ़ी
हुई है , सब लोग बस आपको फ़ालतू आदमी समझते है , हर कोई कु छ भी बोलके जाता है , अपना नहीं तो कम
से कम ताई के बारे में सोचो , बस पीके पड़ जाते हो कभी देखा है घर में क्या सामान है क्या नहीं है , ताई को क्या
जरुरत है , आटा है घर में , और कु छ है

ताऊ ने गर्दन झुका ली,

RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - sexstories - 12-29-2018

मैं- नज़र नीचे मत करो ताऊ, आप बड़े हो मुझसे बड़े लोग बच्चो के सामने नजर नहीं
झुकाते कब तक ये जिल्लत की जिंदगी जियोगे , एक दिन मर जाओगे चार लोग
फूं क आयेगे और कहेंगे अच्छा हुआ बेवडा मर गया , जियो तो ऐसे जियो दो लोग
याद करे तुमको
ताऊ- बात तो सही है
मैं- सही है तो छोड़ दो दारु को
ताऊ ने कु छ जवाब नहीं दिया
मैं- क्या हुआ ताऊ,
वो- कु छ नहीं बेटा, तेरी बात मुझे समझ में आ गयी है तू देखना मैं अब काम करूँ गा
और गाँव बस्ती में अपनी खोयी हुई इज्जत को वापिस पाउँगा
मैं- ये हुई ना बात,
ताऊ- कल से दारू को तौबा बस ये मेरा लास्ट पेग होगा
मैं-० ताऊ मैं कोशिश करूँ गा तुम्हारे लिए कु छ काम तलाशने की
ताऊ- हां, अब मैं काम करूँ गा हिच्च बस ये बोतल जिंदगी की आखिरी बोतल होगी
मुझे वैसे उस से कोई उम्मीद थी नहीं पर एक आस तो सही , वैसे भी गीता ताई ने
बहुत झेला था इसको
करीब बारह बजने को आये थे ताऊ ने डेढ़ बोतल से ज्यादा टिका ली थी और कु छ
का कु छ बोल रहा था नशे में झूम रहा था तो मैंने कहा चल ताऊ तुझे घर छोड़ देता हु
मुझे भी नींद आ रही है तो ताऊ ने बची दारू भी टिका ली और डगमगाते हुए कदमो
से मेरे सहारे घर को चल पड़ा , ताई अभी तक जाग ही रही थी मैंने जाने ताऊ को
बिस्तर पर पटक दिया , वो थोड़ी देर बाद ही सो गया ताई थोड़ी परेशानी में लग रही
थी तो मैंने उनका हाथ पकड़ा और बस इतना ही कहा – बुरा समय है छंट जाएगा तो
ताई हलकी सी मुस्कु रा दी पर उनके मन के दर्द को महसूस कर लिया था मैंने
मैं और ताई कमरे से बाहर आ गए
मैं- ताऊ कह रहा था कल से दारू को छोड़ दूंगा
वो- उम्र बीत गयी मेरी सुनते हुए
मैं- देखो क्या होता है कल क्या पता छोड़ दे
ताई- वो सब छोड़ दिन में बड़ा उतावला हो रहा था कही तेरे ताऊ को शक हो जाता
तो
मैं- तो क्या, जो काम ताऊ नहीं करता वो कोई ना कोई तो करेगा ना
ताई- अच्छा
मैं- कहो तो अभी शुरू हो जाऊ, अब तो मौका भी है
ताई- कही जाग ना जाये
मैं- मेरे साथ कु वे पर चलो, मस्त मजा करेंगे सुबह अँधेरे वापिस आ जाना वैसे भी
इतना नशा है इस पर दोपहर को ही उठे गा
ताई- उधर तो नहीं चल सकुं गी , इधर ही आजा
मैं- चल ना ताई, कु वे पर पूरा मजा आएगा वैसे भी ऐसे मौके कम ही मिलते है
ताई- तू समझा कर मैं वादा करती हु की फिर कभी पक्का चलूंगी तेरे साथ तू आज
इधर ही कर ले
मैं- ठीक है मेरी जानेमन
ताई- दो मिनट रुक मैं अभी इंतजाम कर लेती हु
ताई ने गैलरी में फोल्डिंग लगा दी मेन गेट के पास और ताऊ के कमरे की कु ण्डी लगा
दी बाहर से और पुरे घर की लाइट बुझा दी चारो तरफ गहन सन्नाटा पसर गया मैंने
ताई को गोद में उठाया और फोल्डिंग पर लिटा दिया ताई अपने हाथो से मेरी शर्ट के
बटन खोलने लगी , एक उमरदराज औरत में कितनी आग होती है ये हर कोई नहीं
समझ सकता मैंने जल्दी से अपनी पेंट भी उतार दी और नंगा हो गया , अब गीता की
बारी थी
उसने अपने हाथ ऊपर किये और कु रते को उतार दिया अगले ही पल सलवार भी
उसके जिस्म से जुदा हो गयी ताई ने ब्रा नहीं पहनी हुई तो बस एक कच्छी ही थी और
मैं नंगा मैंने ताई को गोद में लिया और उसके गालो को चुमते हुए अपना हाथ चूत पर
घुमाने लगा ताई मेरे लंड को अपनी जांघो में दबाये हलकी हलकी सिसकिया भरने
लगी चूत वाला हिस्सा इतना गीला हो रहा था की मेरा हाथ भीग गया ताई थोड़ी सी
ऊपर हुई और कच्छी को भी उतरवा लिया अब वो नंगी मेरी गोद में बैठी थी
मैं ताई की गर्दन को चूमने लगा ताई कामुकता की आग में जलने लगी अब ताई मेरी
जांघ पर सरक आई और मेरे लंड को हिलाते हुए अपने होंठो को मुझे पिला रही थी ,
आँगन के किनारे से ठं डी हवा जो हमारे जिस्मो को लग रही थी फु ल मजा आ रहा था
मैं अहिस्ता अहिस्ता से उनके होंठो का रस निचोड़ रहा था , ताई ने मुझे धक्का दिया
और मेरे ऊपर चढ़ के मेरे सीने पर किस करने लगी निचे वो मेरे लंड को अपनी चूत
पर रगड़ रही थी मेरे सुपाडे पर उनकी रसभरी चूत के पानी पड़ रहा था

सीने को चुमते चुमते ताई मेरे लंड पर बैठ ने लगी मैंने ताई की चोटी को खोल दिया
कमर से नीचे तक आते उनके बाल, कु छ तो बात थी गीता में जो उसको देखते ही मैं
बेकाबू होकर उसके हुस्न के सागर में डुबकी लगाने को हर दम तैयार रहता था ताई
की चूत ने मेरे पुरे लंड को अपने अन्दर लील लिया था , चूत का छल्ला लंड पर बुरी
तरह से कसा हुआ था गीता थोड़ी सी ऊपर को उचकी अपने चूतडो को सेट किया
और फिर धीरे धीरे मेरे लंड पर ऊपर निचे होने लगी .
उफ्फ्फ ताई की चूत की गर्मी मेरे लंड को पिघलने लगी थी उस खामोश रात में
हमारी गरम साँसे महक उठी थी ताई मेरे सीने पर अपने दोनों हाथ रखे अपनी मोती
गांड को मेरे लंड पर उछाल रही थी मैं उनके नरम मांस से भरे चूतडो को सहला रहा
था दबा रहा था ताई धीमी धीमी मस्ती से भरी आवाज निकालते हुए मेरे लंड पर कू द
रही थी उनके कु ल्हो की थाप धीरे धीरे बढती जा रही थी सावन के मौसम में खुले
आँगन में चूत मारने का मजा ही कु छ और है उफ्फ्फ्फ़ ताई कितनी गरम औरत है तू
थोड़ी देर बाद ताई मेरे ऊपर से उतर कर साइड में लेट गयी मैं उस से चिपक गया
और ताई के बोबो से छेड़खानी करने लगा ताई ने अपनी गांड को मेरी तरफ किया
और अपनी एक टांग को ऊपर उठा लिया और मेरे लंड को अपने हाथ से चूत के
मुहाने पर सेट करने लगी, मैं समझ गया ताई इस पोजीशन में चुदना चाहती है तो मैंने
एक धक्का लगाया और मेरा लंड चूत में मुह को फै लाते हुए अन्दर को जाने लगा
ताई ने अपनी दोनों टांगो को कस लिया आपस में मैं उनके पेट को थोडा सहलाया
फिर उनकी बांयी चूची को अपनी मुट्ठी में भर लिया
और ताई को फिर से चोदना शुरू कर दिया , गीता के मुलायम चूतडो को छू ता हुआ
मेरा लंड चूत में अन्दर बाहर हो रहा था , तभी हलकी हलकी सी बरसात शुरू हो
गयी तो चुदाई करने में और मजा आने लगा गीता ताई किसी नागिन की तरह बल
खा रही थी बिस्तर पर , कई देर तक हम लोग वैसे ही लगे रहे ताई जब बार बार
अपने चूतडो को पीछे करती तो कसम से मजा आ जाता , अब मैं ताई के ऊपर आ
गया ताई ने अपनी टाँगे मेरी कमर पर जोड़ ली और फिर से धक्कम पेल शुरू हो
गयी , फोल्डिंग च्र्र्र चर्र करने लगा था पर हम दोनों अपनी हसरतो को हकीकत बनाने
में लगे हुए थे,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - sexstories - 12-29-2018

ताई की नरम छातिया मेरे सीने के निचे दबी हुई थी ताई मेरी जीभ को चूसते हुए मेरे लंड को चूत में झेल रही थी
पल पल ताई के झटके बढ़ते जा रही थी फिर ताई ने अपनी बाहों में मुझे कस लिया और लम्बी लम्बी साँसे लेटे
हुए ढह गयी, ताई का पानी छु ट गया था पर अपना हथियार अभी तक खड़ा था मैंने ताई को बिस्तर पर पलट
दिया अब ताई के चुतड मेरी निगाहों के सामने थे मैंने गांड पर थूका और उसको छेद पर अच्छे से मल दिया चूत
के रस से सने हुए लंड को ज्योही मैंने गांड पर लगाया तो ताई बोली- मत कर दर्द होगा

मैं- मेरी जान तू रोका मत कर, वैसे ही तू इतनी हॉट आइटम है बस मुझे जी भर कर तेरे हुस्न को पीने दे ,
ताई को भी पता था की मैं मानने वाला तो हु नहीं तो ताई ने अपने चुतड ढीले कर दिए और मेरा लंड गांड के
बुलंद दरवाजे को खोलता हुआ अन्दर जाने लगा , ताई को दर्द तो हो रहा था पर वो चिल्ला भी तो नहीं सकती थी
धी रे से मैं ने की में से दि औ ई की ने थो ड़ी दे ई भी ती से
धीरे से मैंने पूरा लंड उनकी गांड में घुसेड दिया और ताई की गांड मारने लगा थोड़ी देर बाद ताई भी मस्ती से गांड
मरवाने लगी , हालाँकि उनकी आवाज कु छ तेज हो गयी थी पर मजा पूरा ले रही थी
मैं- आवाज क्यों करती हो
वो- गांड में मुसल घुसा हुआ है आवाज भी ना करू
मैं- ताऊ जाग गया तो फिर दो दो लंड लेने पड़ेंगे तुझे
ताई- बारिश आ रही है वैसे भी कमरा दूर है तू लगा रह मेरी गांड फाड़ दे
मैं- मेरी जान फाडनी थोड़ी है मारनी है प्यार से , उफ्फ्फ कितनी मस्त गांड है तेरी मेरी जानेमन दिल करता है की
लंड बस घुसाए रखु
ताई- मेरा मन भी करता है की बस दिन रात तेरे लंड पर ही झूलती रहू, तेरे ताऊ ने तो बरसो पहले मेरी तरफ
देखना बंद कर दिया था , अब सारी कसर तुझे भी पूरी करनी है
मैं तेज तेज चोदते हुए, मेरी जान चिंता मत कर मेरा लंड बस तेरे लिए ही हैं तेरे हुस्न का मैं एक लौता हक़दार हु
मेरी जान
फिर हम दोनों खामोश हो गए बस गांड में लंड अन्दर होने की पुच पुच की ही आवाज आती रही करीब पंद्रह
मिनट तक ताई की गांड मारने के बाद मैंने अपने पानी गांड में ही छोड़ दिया
कु छ देर लेटे रहने के बाद मुझे पेशाब आया तो मैं वाही आँगन में मूतने लगा मूत के आया तो देखा ताई अपनी
गांड को साफ़ कर रही थी मैं फिर से लेट गया ताई मेरे सीने पर अपना सर रख कर लेट गयी
मैं- कितना मजा आता है मेरा लंड लेके
ताई- बहुत ज्यादा
मैं- तो फिर दिन में क्यों नहीं दी
ताई- तेरे ताऊ को पता चला जाता तो
मैं- मजा तो तभी आएगा जब ताऊ के सामने तेरी लूँगा
ताई- बड़ा बदमाश हो गया है तू
मैं- सच ताई जब से उस दिन तेरी मटकती गांड पर मेरी निगाह गयी थी तभी सोच लिया था की तेरी लेनी है कु छ
भी करके , ताई तू बस मेरी बनके रहना
ताई- मैं तो अब तेरी ही हो गयी हु मेरे राजा जी
मैं- लंड को मुट्ठी में ले ना
तो ताई मेरे लंड से खेलने लगी ताई के गरम हाथो का अहसास पाते ही वो तनने लगा
मैं- ताई, ताऊ और मेरे आलावा किसी और से चुदी है तू
ताई- ना बस तुम दोनों से ही
मैं- किसी और से ना चुदी तभी इतनी गरम है तू
ताई मेरे लंड को भीचते हुए- मैं क्या कोई रंडी हु जो सबके निचे लेटी रहू
मैं- ना, मैं सोच रहा था की फिर बिना लंड के तेरा काम कै से चलता होगा
ताई- बस चल जाता था
मैं- कै से, बता ना
ताई- कभी ऊँ गली डाल लिया करती थी तो कभी लम्बे वाला बैंगन या गाज़र भी पर असली मजा तो लंड का ही
आता है
ताई अब उठी और मेरे लंड को अपने मुह में भर लिया लंड आधा तो उनके हाथ में ही तन गया था ऊपर से अब
उसकी लिजलिजी जीभ अपना जलवा दिखाने लगी थी ताई ने मेरे सुपाडे की खाल को निचे सरकाया और किसी
कु ल्फी की तरह लंड पर जीभ चलाने लगी साथ ही वो मेरे अन्डकोशो को हाथ से मसल रही थी तो और मजा
आने लगा था गोलियों को छोड़ के अब ताई लंड चूसते चूसते मेरी गांड के छेद पर अपनी ऊँ गली रगड़ने लगी थी
उफ्फ्फ कितना मजा आ रहा था मुझे, मेरे चुतड ऊपर को होने लगे बदन अकड़ने लगा मेरा ताई ने पुरे लंड को
मुह में भर लिया था और छेड़खानी करते हुए मुख मैथुन का मजा मुझे दे रही थी

मेरे झांट ताई के थूक से पूरी तरह भीग गए थे ऐसे लग रहा था की जैसे पूरा नशा ताई आज मेरे लन्ड में भर देगी
अब मैं काबू से बाहर होने लगा था मैं ताई के सर को लंड पर दबाने लगा अब ताई ने लंड को आज़ाद कर दिया
गोलियों पर टूट पड़ी , गोलियों को चूसते हुए वो लंड को हाथ से हिलाने लगी मैं तो बस अपनी आँखे बंद किये
मस्ती के संसार में डूबा पड़ा था , आज ताई पुरे मूड में थी अब ताई ने अपनी जीभ को मेरी गांड के छेद पर रगड़ते
हुए मुठ मरना चालू किया कसम से मुझे लगा की बस मैं तो झड़ ही जाऊं गा उफ्फ्फ ताई क्या जुलम कर रही हो
तुम

मुझे लगा की ताई ऐसे ही लगी रही तो मैं तो पक्का झड जाऊं गा पर मुझे तो पानी चूत में निकालना था तो मैंने
ताई को हटाया और जमीं पर खड़ी कर दिया मैंने कमरे पर हाथ रख के झुकने का इशारा किया तो ताई फोल्डिंग
पर हाथ रख कर झुक गयी उनके मोटे चुतड मेरी तरफ हो गए मैंने लंड को चूत का रास्ता दिखाया और फिर से
हम लोगो ने चुदाई का कार्यक्रम शुरू कर दिया ताई की रसीली गांड को सहलाते हुए चूत चुदाई चालु थी गीता ने
अपनी दोनों जांघो को आपस में चिपका लिया था जिस से चूत थोड़ी और टाइट हो गयी थी तो मारने में पूरा मजा
आ रहा था ,

RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - sexstories - 12-29-2018

मैं अपने लंड को पूरा बाहर खीचता और फिर झटके से चूत मे पेलता तो ताई को भी बहुत मजा आ रहा था
ताई- बस ऐसे ही धीरे धीरे कर मजा आ रहा है
मैं- जानेमन तेरे मजे के लिए ही तो मैं इधर हु
मैंने हाथ आगे बढ़ा कर ताई की 36” की छातियो को दबाना शुरू किया तो ताई खुद अपने चूतडो को पीछे करने
लगी
उफ़ ताई आज तो क्या अदा दिखा रही थी तुम मैंने ताई के चूतडो को थोडा सा फै लाया और अब तेजी से चोदने
अलग क्या करता कण्ट्रोल हो ही नहीं रहा था अब ताई बिलकु ल खम्बे सी खड़ी हो गयी थी अपने चुतड मुझसे
चिपकाए लंड ले रही थी मैंने उनकी कमर कोथाम लिया और लापा लापा चोदे जा रहा था ताई इस चुदाई में पूरी
से हो यी थी मे रे धे खे को की ई यों में फी ही थी भी ई
तरह से पागल हो गयी थी बस मेरे कं धे पर हाथ रखे लंड को चूत की गहराईयों में फील कर रही थी पर तभी ताई
आगे को सरकी और लंड चूत से बाहर सरक गया

पर जस्ट ताई ने अपना मुह मेरी तरफ किया और टांग को फै लाके लंड को फिर से अन्दर कर लिया अब हम किस
करते हुए चुदाई का मजा लेने लगे मैं उनको खुद से चिपकाये गांड को दबाते हुए चोद रहा था ताई ने अपने होंठ
पूरी तरह से मेरे लिए खोल दिए थे , इस बार मैंने ताई के चूतडो को दबाया तो ताई ऊपर को हो गयी तो मैंने भी
उनको ऊपर उठा लिया अब ताई मेरी गोद में झूलते हुए चुदने लगी मेरा लंड उनकी बचेदानी के मुह से टकरा रहा
था उफ्फ्फ ये जिस्मो की आग हमे यु पिघला रही थी की क्या बताऊ

शरीर में मीठा सा अहसास होने लगा था मन तन में तरंग फू ट रही थी मैं झड़ने को हो रहा था तो मैंने गोदी में ही
ताई को कस के लंड पर बिठाया ताई समझ गयी की मैं छु टने वाला हु तो वो जोर जोर से लंड पर कू दने लगी मेरी
आँखे मस्ती के मारे बंद होने लगी , टाँगे कांपने लगी और फिर मेरा लावा ताई की चूत में गिरने लगा मेरा बदन
अकड़ गया मस्ती में और उसी समय ताई भी झड़ गयी , कु छ देर बाद ताई निचे उतरी , लंड चूत से बाहर आते ही
वीर्य निचे जमीं पर गिरने लगा चूत से बहकर ताई ने अपनी सलवार से चूत को साफ़ किया
मैं- ताई के बगल में बैठ गया
मैं- आज तो निचोड़ ही डाला तुमने
ताई- मैं तो खुद निचुड़ गयी हु बस अब सोऊं गी
मैं- ठीक है मैं भी बहुत थक गया हु कपडे पहन के जाता हु मैं दिन में मिलूँगा
फिर ताई को किस करके मैं कु वे पर आ गया
कु वे पर आके खाट बिछाई और सो गया तो फिर सुबह ही आँख खुली पढने तो जाना था नहीं तो सुबह सुबह
खेत के कामो को सलटाया और करीब १० बजे मैं घर पंहुचा घर पे कोई था नहीं तो मैंने फ़ोन से पिस्ता का नुम्बर
लगाया पर हाय रे किस्मत तीन चार बार ट्राई किया हर बार उसकी माँ ने फ़ोन उठाया बात नहीं बनी तो फिर मैंने
खाना खाया और लेट गया लाइट भी नहीं थी वर्ना टीवी ही देख लेता पर थोड़ी देर बाद मंजू , ताऊ और मम्मी आ
गए तो मैं समझ गया की ये हॉस्पिटल से ही आये होंगे
मैं- चाची नहीं आई
मम्मी- उसको बैंक का काम था तो वो उधर होके आएगी , खाना खाया तूने
मैं-हाँ
मम्मी- सुन तेरे पिताजी आज ऑफिस से सीधा हॉस्पिटल जायेंगे तो तुझे आज घर ही रहना है गाँव में जाना होगा
तो तेरे चाचा, और ताउजी जायेंगे
मैं- ठीक है
मम्मी- मैं जरा आती हु, तू मंजू से पूछ ले वो क्या खाएगी फिर मैं उसके लिए भी गरमा गर्म खाना बना देती हु
तब तक मंजू भी हाथ- मुह धोके आ गयी थी
मैं- खाने में क्या खाएगी बता मैं दूकान से सब्जी ले आता हु
मंजू- जो है वो ही खा लुंगी
मैं- बता ना धुप तेज हो रही है मैं बार बार चक्कर नहीं काटूँगा
मंजू- कहा ना जो है वो ही खा लुंगी
मैं- ठीक है रायता है और चटनी है खा लेना
तभी चाची भी आ गयी मैं उनके लिए पानी लेकर आया फिर ऐसे ही बाते करने लगे थोड़ी देर बाद चाची ने मुझे
इशारा किया और हम दोनों ऊपर आ गए
मैं- क्या हुआ
वो- मेरा और तेरे चाचा का जॉइंट अकाउंट था तो मैंने उसमे से आधे पैसे निकलवा लिए है कल मेरे साथ चलके
एक नया खाता खोलके ये पैसे उसमे जमा करवाना है
मैं- ठीक है
चाची ने आज हल्का नीला सूट पहना हुआ था जिसमे वो बड़ी घातक लग रही थी मेरा दिल मचलने लगा तो मैंने
चाची को पकड़ लिया और सलवार के ऊपर से ही चूत को मसलने लगा चाची बोली- अभी परेशान मत कर सब
घरवाले है शाम को करना तो मैंने उनको छोड़ दिया , खाना खाने के बाद मंजू भी ऊपर आ गयी थी पर वो चाची
के सामने थोडा असहज फील कर रही थी क्योंकि उस दिन चाची ने हमे रंगे हाथ जो पकड़ लिया था चाची ने
उसकी बेचैनी को समझ लिया और मंजू को आश्वस्त किया की वो फ्री फील करे , कु छ देर बाद चाची निचे चली
गयी बस मैं और मंजू रह गए

RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - sexstories - 12-29-2018

मंजू- ये तुम्हारा कमरा है


मैं- हाँ
वो- अच्छा सजाया है
मैं- बस ऐसे ही
मैं- एक चीज़ दिखाऊ
वो- क्या
मैं-रुक एक मिनट
मैंने अलमारी खोली और अपना एल्बम निकाल लाया मैं उसको अपनी जोधपुर ट्रिप की तस्वीरे दिखाने लगा
मंजू- पूरा मजा किया है तुमने तो
मैं- काश तू चल पाती
वो- अब मेरे नसीब में कहा ये सब
मैं- उदास क्यों होती है मेरे पास कै मरा है तुझे जब चाहे ले लेना खीच अपनी तस्वीरे
मंजू- शुक्रिया
मै- आजके क्या इरादे है
वो- कु छ नहीं , थोड़ी देर बाद घर जाउंगी फिर सफाई करुँ गी और कपडे वगैरा धोउंगी बस फिर खाना खाके सो
जाउंगी , सुबह फिर हॉस्पिटल जाउंगी
मैं- मैं मदद करवा दू
वो-नहीं मैं कर लुंगी
मैं- इस बहाने थोडा मजा भी कर लेंगे वैसे भी हमको अके ले टाइम कहा मिलता है
मंजू- दो तीन दिन पहले तो किया ही था
मैं- क्या करू यार जी भरता ही नहीं
वो- पर मैं नहीं कर पाऊँ गी, क्योंकि मेरा मन नहीं है
मैं- ठीक है यार , मन नहीं है तो मत कर चल तू थोड़ी देर आराम कर ले मैं आता हु
मैं निचे आया तो घर से बाहर चाचा और गीता का पति बात कर रहे थे , मैंने गौर किया आज वो एक दम नहाया
धोया लग रहा था कपडे भी साफ़ सुथरे पहने हुए थे , मुझे देख कर वो बोला- बेटा, देख ले तुझसे कल वादा किया
था ना की अब दारू बंद, छोड़ दी मैंने और भाई ने मुझे अपने महकमे में माली का काम भी दिलवाया है , अब तू
देखना मैं मन लगाके काम करूँ गा , बस समाज में अपनी खोयी हुई इज्जत वापिस पानी है मुझे
मैं- ताऊ, देर आये दुरुस्त आये
फिर मैं चाचा के पास गया और बोला- बड़ी मेहरबानी की , इस की वजह क्या है
चाचा- वजह क्या होगी, सुबह मैं जब ऑफिस जा रहा था तो ये मुझे मिला था कही लगवाने को बोल रहा था
ऑफिस जाके पता चला की माली की पोस्ट है तो इसको रखवा दिया है
पर मुझे उसकी बात जांची नहीं वैसे भी चोदु चचा पर मैं एक मिनट का भी विश्वास नहीं करता था पर ताऊ फिर
से एक नयी शुरुआत कर रहा था तो उसकी जितनी मदद हो उतना ही अच्छा था वैसे भी गीता ताई से अपने दिल
के तार जुड़े हुए थे, एक चक्कर गाँव में लगाया पर मन कही भी नहीं लग रहा था तो मैं पानी की टंकी के पास
वाले नीम के निचे बैठ गया शाम का समय हो रहा था तो औरते पानी भरने आ रही थी कु छ पानी भरके जा रही
थी , तभी मेरी नजर एक औरत पर पड़ी, और नजर ऐसे पड़ी की फिर हटी ही नहीं,

एक औरत करीब २६- २७ साल की उम्र की होगी पर फिगर एक नंबर था उसने ब्लाउज कु छ गहरे गले का पहना
हुआ था जब वो झुक कर पानी भर रही थी तो मेरी निगाह उसकी आधे से ज्यादा बाहर को छलक आई चूचियो
पर पड़ी , उफ्फ्फ्फ़ क्या बोबे थे मेरा लंड तो तन ही गया देख कर मैंने उसके चेहरे पर गौर किया एक दम टंच
माल थी पूरी की पूरी दिल में विचार आया की इसकी चूत मिल जाए तो मजा ही आ जाये , पर अभी तो बस
उसको निहार ही सकता था

थोड़ी देर बाद मैंने देखा की गीता ताई भी पानी लेने आई और उस औरत से हंस हंस कर बात कर रही थी तो मैं
समझ गया की ये इसकी दोस्त होगी शायद, मैंने उसी समय विचार कर लिया की अब गीता ताई ही सहायता
करेगी उस औरत की चूत दिलवाने में जवानी के उफनते जोश में अक्सर मैं ये भूल जाया करता था की चूत कहा
हथेली पे रक्खी होती है
ई गी से नि र्य से नी थी की सेटिं की मैं ऐ की गी से मि ही
ताई गीता से अनिवार्य रूप से बात करनी थी उस माल की सेटिंग की पर मैं कु छ ऐसा उलझा की गीता से मिल ही
नहीं पाया , रात को मुझे हॉस्पिटल में जाना पड़ा कभी कभी मुझे खुद पर बहुत गुस्सा आता था की बाहर तो चूत
मिल रही थी पर घर में चाची जैसा ग़दर माल जो पूरी तरह से देने को तैयार था बस उसकी ही नहीं मिल पा रही
थी एक तो दिमाग खराब ऊपर से हॉस्पिटल में रात काटनी किसी सजा से कम नहीं थी पर मैं ये भी जानता था
की कु छ काम करने ही पड़ते है
सुबह तक उस बेंच पर बैठे बैठ शरीर अकड़ गया था , आँख खुली ही थी की मंजू का भाई चाय ले आया तो मैं
चाय की चुसकिया लेते हुए , बालकनी तक आया और बाहर देखने लगा , हवा के साथ एक ताजगी मेरी रूह को
छू ने लगी रात को बरसात हुई होगी तभी कु छ ठं डक सी भी थी पता नहीं मेरा स्वभाव भी बड़ा अजीब सा क्यों था
जब भी अके ला होता खुद को बहुत तनहा सा फील करता , दिल में एक दर्द सा था जिसे कोई महसूस नहीं करता
था मेरे सिवाय
मैं अपने बारे में सोचने लगा की पिछले कु छ महीनो में किसी फिल्म के तरह मेरी जिंदगी किस तरह से बदल गयी
थी , कहा तो मैं बस ऐसे ही मुठ मारके जी रहा था और अब देखो हर तरफ चूत ही चूत थी पर उन सब से जायदा
इम्पोर्टेंट थे कु छ रिश्ते जिन से मैं जुडा हुआ था , मेरा दिल नीनू से बात करने को कर रहा था पर उसने शायद
अभी तक वहा पर जाके फ़ोन नहीं लिया था वर्ना वो कर देती कभी का , तमाम विचारो के बीच ऐसा लगा की
सरदर्द हो रहा है तो नर्स से एक गोली ली ,
पूरी रात परेशानी में काटी थी कु छ देर सो लेता तो चैन मिल जाता पर अपने नसीब में कहा चैन यारो, बस उलझ
कर रह गए थे खामखा अपने आप में , मैं सोचने लगा की काका को छु ट्टी दे दे तो रोज रोज आने जाने का पचड़ा
ख़तम हो जाये पर ऐसा हो नहीं सकता था , थोडा समय और काटा फिर मैं काकी के पास गया और बोला-काकी
मैं घर जा रहा हु , कु छ मंगवाना हो तो बता दो मैं मम्मी के हाथो से भिजवा दूंगा
काकी- बेटा तू थोड़ी देर और रुक फिर मैं भी तेरे साथ ही चलूंगी कु छ कपडे और पैसे लाने है घर से
मैं- ठीक है काकी
तो करीब आधे घंटे बाद मैं और काकी घर के लिए निकल पड़े ऑटो स्टैंड पहुचे पता नहीं क्यों आज टेम्पो में बहुत
भीड़ थी तो बैठने की जगह नहीं मिली ऊपर से उमस भरी गर्मी हाल बुरा होने लगा पर घर भी जाना ही था
अगला टेम्पो एक घंटे बाद मिलता तो कौन इंतज़ार करता तो टेम्पो झटके खाते हुए चलने लगा थोड़ी दूर जाने के
बाद उसने एक दम से ब्रेक लगाये तो काकी का थोडा सा बैलेंस बिगड़ा और उन्होंने जल्दबाजी में मेरे लंड पर
हाथ रख दिया लंड उनके हाथ से भिंच गया तो उसमे औरत के हाथ का अहसास पाते ही करंट आ गया
काकी संभल कर खड़ी हुई और मेरी तरफ देखा मैं मुस्कु रा दिया काकी की कु र्ती थोड़ी सी साइड में हो गयी थी तो
उनके पेट का साइड वाला हिस्सा दिख रहा था मेरा हाल बुरा होने लगा , अब मैं आपको काकी के बारे में बता दू ,
काकी एक पतली सी औरत थी छोटी छोटी चूचिया और मध्यम आकर की गांड हां रंग अवश्य गोरा था इतनी
ज्यादा माल नहीं लगती थी पर मंजू नाम की माल की माँ थी तो कु छ तो बात होगी ही , बेमतलब ही मेरे मन में
काकी की चुदाई के ख्याल आने लगे, लंड में ऐंठन होने लगी तो सफ़र मुश्किल होने लगा

RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - sexstories - 12-29-2018

अब हम तो ठहरे आवारा किस्म के प्राणी तो थोड़ी गुस्ताखी करने की सोची और काकी की गांड को हल्का सा
दबा दिया काकी ने तुरंत मुड कर मेरी तरफ देखा मैं ऐसे खड़ा हो गया जैसे कु छ हुआ ही नहीं , फिर मैंने ऐसा दो
तीन बार किया काकी के चूतडो में उठती थिरकन को समझ रहा था मैं , कु छ देर बाद सवारियां उतरी तो सीट
मिल गयी काकी बैठ गयी मैं उनके पास खड़ा हो गया , काकी की नजर बार बार मेरी पेंट के उभरे हुए हिस्से पर
पड़ रही थी जो लंड की वजह से फू ला हुआ दिख रहा था
की के चे रे जी से हे थे मैं ऐ से ही वो चो रो से ही दे
काकी के चेहरे पर अजीब से भाव आ जा रहे थे पर मैं ऐसे ही खड़ा रहा वो बार बार चोर नजरो से उधर ही देख
रही थी तो मैंने पुछा- क्या हुआ काकी कु छ परेशानी है
काकी थूक गटकते हुए- नहीं , कु छ नहीं
थोड़ी देर बाद काकी के पास वाली सवारी भी उतर गयी तो मैं काकी के पास बैठ गया उनके जिस्म से आती गंध
मुझे मदहोश करने लगी मैंने कपड़ो के बैग को गोद में रख लिया मेरी टांग काकी की जांघ से रगड़ खा रही थी
उफ्फ्फ ये हवस की आग साली जब इसमें जलता है बदन तो कु छ होश रहता नहीं मेरा हाल भी कु छ ऐसा ही हो
रहा था काकी ने अपना हाथ अपने घुटने पर रखा हुआ था मैंने उसे पकड़ कर बैग के निचे से अपने लंड पर रख
दिया काकी ने जलती नजरो से मुझे देखा और हाथ को हटाने लगी पर अब टेम्पो में कोई तमाशा भी नहीं कर
सकती थी वो
मैंने तो बेशर्मी की चादर ओढ़ ली थी मैं अपने हाथ से काकी के हाथ को लंड पर दबवाने लगा आहिस्ते आहिस्ते
से काकी का चेहरा पूरा लाल हो गया था पसीना टपक रहा था चेहरे से पर ये मजा ज्यादा देर चला नहीं क्योंकि
हमारा स्टॉप आ गया था तो हम उतर गए मैं किराया देने चला गया , मुझे पता था की काकी अब कु छ ना कु छ
कहेंगी पर वो चुप ही रही पैदल चुप चाप चलते हुए हम मोहल्ले की तरफ आये मैं घर जाने के लिए मुड रहा था
की काकी बोली- रुक जरा मेरे साथ आ
तो मैं काकी के घर आ गया , काकी ने ताला खोला और हम अंदर आये काकी ने दरवाजा बंद किया और मेरा
कालर पकड लिया
काकी- बड़ी आग लगी है तुझमे उम्र तो देख अपनी कल का छोरा है और माँ की उम्र की औरत पे डोरे डाल रहा
है
मैं समझ गया था की इसकी अभी लेनी पड़ेगी चाहे थोड़ी जोर- जबरदस्ती ही क्यों ना करनी पड़े
मैं काकी की चूत को दबोचते हुए- जब साथ में तेरे जैसा माल हो तो डोरे डालने पड़ते है और तू क्या जो बार बार
मेरे लंड को दबा रही थी , जब तुझे शर्म नही आ रही थी ,
काकी – चल तेरी माँ के पास तेरी सारी आग निकलवाती हु, उसे भी तो पता चले बेटा क्या काण्ड करते फिर रहा
है
मैं- ले चल जरुर पर अभी नहीं तुझे चोदने के बाद, शिकायत तो करेगी तू अच्छे से बताना कै से तुझे रगड़ के छोड़ा
मैंने
काकी मेरी और देखती रह गयी मैंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया रु बोला- देख इसे, अपनी चूत का
दरवाजा खोल इसके लिए घर पर कोई नहीं है चाहे जोर करना पड़े काकी आज तेरी चूत मारके ही रहूँगा
मैंने काकी को अपनी गोदी में उठा लिया वो मुझे गालिया देते हुए छु टने की कोशिश करने लगी
मैंने काकी को अपनी गोदी में उठा लिया वो मुझे गालिया देते हुए छु टने की कोशिश करने लगी
पर हम भी औरतो की नस नस को समझने लगे थे ,मैं जान गया था की ये फ़ालतू नखरे चोद रही है एक बार लंड
ले लेगी तो धडाधड कू देगी , टेम्पो में कै से बार बार लंड को ही देख रही थी और काकी को चोदने के बाद दोनों माँ-
बेटियों को रगड़ना आसान हो जाना था मेरे लिए
मैं काकी को बिस्तर पर पटकते हुए – देख काकी, मेरे लंड को देख , सोच जरा जब तेरी चूत और मेरे लंड का
मिलन होगा तो कितना मजा आएगा , मैं काकी ने हाथ में लंड देता हुआ- देख जरा क्या तुझे पसंद नहीं आया मैं
तो टेम्पो में ही समझ गया था की तुम्हे लंड की प्यास है , काकी अब घर की घर में लंड मिल रहा है तो क्यों नखरे
करती हो अपना दोनों का फायदा हो जायेगा
की थो ड़ी ढी ली ड़ी औ मे री आँ खों में दे ने गी
काकी थोड़ी ढीली पड़ी और मेरी आँखों में देख ने लगी

RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - sexstories - 12-29-2018

मैं- काकी मजा लेना कोई गुनाह नहीं है और मैंने भी तुम्हारी आँखों में उस प्यास को पढ़ लिया है देख मेरे लंड को
तेरी प्यास को जी भर के बुझाएगा , वैसे भी काका हॉस्पिटल में है क्या पता कब तक इस लायक हो सकें गे की
तेरी मारे, इतने दिन कै से गुजारा करेगी , ये शर्म वरं कु छ नहीं होती एक बार चुद ले फिर सब सेट हो जाता है
काकी मेरी तरफ आँख फाड़े देखे जा रही थी उनकी तो जैसे आवाज ही बंद हो गयी थी मैं उसकी जांघ को
सहलाने लगा और फिर धीरे से उनकी सलवार के नाड़े को पकड लिया और खीच दिया काकी बोली- क्या तू सच
में मुझे खराब करेगा
मैं- ख़राब नहीं , प्यार करूँ गा तुझसे, देख लंड की जरुरत हर चूत को होती है तुझे भी है पर तू बता नहीं रही
काकी- कितना गन्दा बोलता है तू
मैं उसकी सलवार को निचे करते हुए- मैं चोदता बहुत अच्छा हु
सलवार उतारते ही उसकी गोरी गोरी टाँगे मेरे सामने थी हलकी सी मोटी टाँगे मैं काकी के ऊपर लेट गया और
उसको चूमने की कोशिश करने लगा वो अपने मुह को इधर उधर करने लगी मेरा लंड उसकी चूत पर टक्कर
मारने लगा उसकी चूत गीली लगी तो मैं बोला- भोसड़ी की नौटंकी मत कर, चूत लंड के लिए मचल रही है तू
काकी विरोध तो बिलकु ल नहीं कर रही थी पर हाँ भी नहीं कर रही थी पर अपने को आज मंजू की माँ चोद्नी ही
थी वैसे भी लंड को बस चोदने से मतलब होता है फिर चूत चाहे किसी की भी हो क्या फरक पड़ता है काकी
चुपचाप लेटी हुई थी मैं उनकी टांगो को फै लाया और उनके ऊपर फिर से लेट गया काकी मेरे बोझ से दबते हुए
गहरी साँसे लेने लगी मैंने अपने लंड को चूत पर सेट किया तो काकी कसमसाने लगी और मेरा सुपाडा चूत को
फै लाते हुए अन्दर जो जाने लगा
काकी- कमीने, सुखी में ही पेल रहा है कम से कम थूक तो लगा लेता अआह्ह चीरेगा क्या
मैं- मेरी जान तू खुश होके कहा दे रही है वर्ना तुझे प्यार से चोदता
काकी- आः आःह्ह्ह
मैं-बस घुस गया , घुस गया
काकी की टाँगे अपने आप चौड़ी होती चली गयी मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुसा हुआ था
मैं- कै सा लग रहा है मेरी जान
काकी- दर्द कर दिया कमीने
मैं- बिना दर्द के कहा मजा मिलता है जानेमन
मैंने काकी के होंठो को अपने होंठो से लगा लिया और किस करते हुए लंड को चूत के अंदर बाहर करने लगा
काकी की चूत भी गीली होने लगी कु छ देर किस करने के बाद मैंने हाथ बढा कर उसकी कु र्ती और ब्रा को भी
खोल दिया और काकी को नंगी करके पेलने लगा , चूत चाहे किसी की भी हो एक बार लंड लेने के बाद पूरा मजा
देती है मैं काकी को मजे से चोद रहा था
मैं- मजा आ रहा है
की हीं बो ली
काकी कु छ नहीं बोली
मैं- बता ना
काकी- आ रहा है तभी तो तुझे ऊपर चढ़ा रखा है
मैं- तो फिर बार बार चुदेगी ना
काकी- एक बार तो कर पहले
जल्दी ही काकी की दोनों टाँगे हवा में उठी हुई थी उसकी छु हारे जैसे चूत को मेरे लंड ने चौड़ा किया हुआ था पर
दो बच्चो की माँ होने के बाद भी काकी को चोदने में आ पूरा मजा रहा था मुझे तो मैंने अब काकी को बिस्तर से
उतार दिया और दरवाजे के पास दिवार से लगा कर खड़ा कर दिया मैंने पीछे से अपने लंड को चूत के छेद पर
लगाया और घुसेड दिया अन्दर
काकी- आह रे,
मैंने उनकी छातियो को पकड़ लिया और दबाते हुए काकी को चोदने लगा काकी की सिस्कारिया अब तेज होने
लगी थी मेरी बाँहों में कै द वो चुदाई का सुख को अनुभव कर रही थी , तूफानी गति से मेरा लंड उसकी चूत में
अन्दर बाहर हो रहा था ऊपर से उसकी चूचियो की घुंडी को जब जब मैं मसलता तो कामुकता की लहर काकी के
पुरे बदन में दौड़े जा रही थी
मैं- मजा आ रहा है काकी
काकी- आह रे फाड़ ही डाली तूने तो
मैं- तभी तो मजा आएगा मेरी प्यारी काकी
काकी- थोडा और जोर से कर , ओह्ह्ह्हह मा कितना मोटा लौदा है रे तेरा
मैं- मेरा मोटा लंड और तेरी पतली चूत तभी तो मजा आएगा मेरी रानी
काकी पर अब चुदाई का पूरा खुमार चढ़ चूका था था ,काकी ने अपनी गांड को और पीछे की तरफ कर लिया
और मेरे धड धडाते लंड को अपनी चूत में अन्दर बाहर करवाने लगी , काकी के बदन से आती पसीने की खुशबू
ने मुझे और पागल कर दिया मैंने काकी को अब घुटनों पर झुका दिया और उनके कु लहो को पकड़ के उनको
चोदने लगा तो काकी की टाँगे उनके बोझ से बुरी तरह कांपने लगी थी काकी की चूत से टपकता रस मेरे
अन्डकोशो तक आ पंहुचा था मैं मजबूती से उनके चूतडो को अपनी हथेलियों में थामे धक्के पे धक्के लगाये जा
रहा था काकी की चूत पुच पुच करने लगी थी

उफ्फ्फ ये जवानी की आग , ये जिस्मो की अनबुझी प्यास इंसान से क्या से क्या करवा देती थी तक़दीर मुझे कहा
ले आई थी आज देखो बस एक नशा सा चढ़ गया था मुझ पर हर माध्यम उम्र की औरत बस माल लगती थी,
जिसे मैं अपने बिस्तर पर खीच लाना चाहता था ये चूत की प्यास मेरे सर चढ़ कर बोल रही थी काकी अब झड़ने
के कगार पर आ पहुची थी उन्होंने अपने चुतड ऊपर को उठा लिए और टांगो को भीच लिया आपस में कस में मैं
तेज तेज धक्के लगाने लगा काकी की चूत बाहर को फै लने लगी और कु छ मिनट बाद काकी तेज आवाज करते
हुए ढह गयी , काकी की बेकाबू साँसे , उसके जिस्म की गर्मी जो मेरे लंड को और दीवाना कर रही थी
काकी झड चुकी थी पर मैं अभी भी बेकाबू था काकी को मैंने बिस्तर पर पटका और फिर से उस पर चढ़ गया
और लंड को फिर से पेल दिया काकी भी अनुभवी औरत थी तो वो मेरे झटको को झेलती रही
मैं की ते री में सी ली है दे मे ही हीं है
मैं- काकी, तेरी चूत सच में बहुत रसीली है देख मेरा लंड झड़ ही नहीं रहा है
काकी अपनी तारीफ़ सुनकर खुश होने लगी
मैं- काकी अब रोज चुदवायेगी ना
काकी कु छ नहीं बोली
मैं- बता ना रोज देगी ना
काकी- रोज तो नहीं पर कभी कभी
मैं- चल ठीक है कभी कभी में ही तेरी चूत को रगड़ लूँगा
मैं मस्ती में काकी के गाल खाने लगा काकी मेरी पीठ पर अपना हाथ रगड़ने लगी थोड़ी देर बाद काकी पर फिर से
मस्ती छाने लगी तो उसने अपनी टांगो कु ऊपर की तरफ कर लिया और गांड को उचकाते हुए चूत मरवाने लगी
मैं काकी की जीभ को चूसने लगा तो वो और ज्यादा मस्ती से भर गयी थी मेरा मन कर रहा था की काकी को बूँद
बूँद करके चूस जाऊ , काकी की लिसलिसी जीभ को चूसने में बड़ा मजा आ रहा था कु छ देर बाद मैंने अपना मुह
हटाया और काकी को पलंग पर साइड में लिटा दिया

और खुद उनके पीछे आकर फिर से लंड को चूत की गहराइयों में उतार दिया मैं काकी के पेट को सहलाने लगा
काकी ने मेरे हाथ को अपने बोबे पर रखवा दिया और हलके हलके से दबाने लगी ,
मैं- मस्त हो रही हो
काकी- अब जब चुदना ही है तो मस्त होकर ही चुद लू
मैं- ये हुई ना बात मेरी रानी, तू अब देख तेरा कितना ख्याल रखता हु मैं तू बस एक इशारा करना मेरा लंड तुरंत
तेरी सेवा में हाज़िर हो जायेगा
अब मैं काकी को चोदते हुए उसकी चूत के दाने को ऊँ गली से सहलाने लगा तो काकी मचलने लगी और धीमी
धीमी सिसकिया भरने लगी चुदाई का आलम और ये मस्ती , दिल आज इतना खुश था की क्या बताऊ दरअसल
काकी की चूत मिलने से दो काम हो गए थे की एक तो नयी चूत का जुगाड़ हो गया था दूसरा मंजू की तरफ से
टेंशन फ्री बल्कि अब दोनों माँ-बेटी को ही चोदना था आजकल वैसे भी पांचो उंगलिया घी में और सर कडाही में
था मेरा

तो अब मेरे बदन में तरंगे मस्ती की कु छ ज्यादा जोर मारने लगी थी तो मैंने काकी को टेढ़ी से सीढ़ी करके लेटे लेटे
ही ऊपर को उठा लिया और निचे से चूत में धक्के लगाने लगा तो काकी सिस्याने लगी और बोली- मैं छु टने वाली
हु कस कस के पेल मार तो मैं तेज तेज धक्के मारने लगा हर धक्के के साथ मेरे लंड की नसों में मस्ती की
झनझनाहट बढती जा रही थी और फिर काकी लम्बी लम्बी साँसे लेने लगी और मेरे लंड ने भी अपना गरम वीर्य
काकी की चूत में छोड़ दिया मेरे वीर्य की धार से काकी की चूत भीगने लगी

RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - sexstories - 12-29-2018

कु छ देर बाद मैं और काकी एक दुसरे की बाहों में निढाल पड़े थे काकी ने मेरे मुरझाये हुए लंड को अपने हाथ में
ले रखा था और बोली- आज तो पस्त कर दिया तूने मुझे
मैं- काकी तुम भी कम नहीं हो
काकी- पर मेरी एक बात सुन ले , तूने ले तो ली मेरी पर अब इस बात का ध्यान रखियो की ये राज़ बस हम दोनों
तक ही रहना चाहिए
मैं- ऐसी बाते क्या किसी को बताने की होती है , तुम बेफिक्र रहो बस मेरे लंड का ध्यान रखना
काकी- वो तो अब रखना ही पड़ेगा ना , चल अब तू जा पुरे बदन में दर्द कर दिया है तूने मैं जल्दी से नहा लेती हु
फिर वापिस हॉस्पिटल भी जाना है मुझे
काकी नंगी ही उठी और बाथरूम में चली गयी मैं थोड़ी देर और लेटा रहा मन अभी भी पूरी तरह से नहीं भरा था
तो मैं भी फिर बाथरूम मे ही चला गया काकी का गीला बदन देख कर फिर से मेरा पपलू गरम होने लगा
काकी- अब क्या
मैं- मैं भी थक गया हु यही नहा लेता हु आपके साथ
काकी मुस्कु राई तो मैं भी हस दिया , मैंने अपने लंड को साबुन से अच्छे से धोया और फिर काकी को चूसने को
कहा
काकी न नुकु र करने लगी , पर मैंने उसको मना ही लिया काकी ने अपने होंठो पर जीभ फे री और घुटनों के बल
बैठ कर मेरे लंड को चूसने लगी , शुरू में बस वो सुपाडे को ही होंठो में दबा रही थी पर फिर धीरे धीरे उसने काफी
हिस्से को मुह में ले लिया मैं अपने हाथो से काकी के चेहरे पर आते हुए गीले बालो को हटाने लगा काकी की
आँखों में नशा भरने लगा फिर से वो अपनी नशीली आँखों से मेरी और देखते हुए लंड चूस रही थी , जल्दी ही मेरा
लंड तन कर फु ल फोरम में आ गया

मैंने काकी को कहा मेरे लंड पर बैठ जा , मैं बाथरूम के फर्श पर ही लेट गया और काकी ने अपनी गांड मेरे पेट
पर टिका दी काकी की छोटी छोटी चूचिया जिनमे कसावट बहुत थी मैं उनको दबाने लगा काकी थोड़ी सी निचे
को सरकी और फिर मेरे लंड पर बैठने लगी , फिर उसने अपने दोनों हाथ मेरे सीने पर रखे और मेरे लंड पर
अपनी गांड से घस्से लगाने लगी , हम दोनों के गीले बदन बीच बीच में वो डिब्बे से पानी भी उड़ेलती जा रही थी
हम दोनों पर तो और मजा आने लगा

धीरे धीरे आहे सिसकियो में बदलती गयी अबकी बार काकी मुझे अपना अनुभव दिखा रही थी वैसे भी मैं तो ये
पहले से ही मानता था की जो आग 35+ की औरतो में होती है वो लडकियों में हो ही नहीं सकती कहने को तो
मंजू और पिस्ता भी कम नहीं थी इस खेल में पर गीता ताई को ही देखो , कितनी आग भरी हुई थी उनमे जितना
मजा उसको चोदके आता था उतना मंजू में नहीं आता था , बिमला भी मस्त देती थी पर अब उसकी चूत कहा थी
नसीब में

काकी की चूत बार बार मेरे लंड पर ऊपर निचे हो रही थी मैंने तो अपनी आँखों को बंद कर लिया और खुद को
काकी के हवाले कर दिया कू द ले जब तक तेरा दिल चाहे , पर वो भी खिलाड़िन थी इस खेल की जल्दी ही फर्श
पर घोड़ी बनी हुई थी और मैं पीछे से उसकी चूत को पेल रहा था काकी की गेंद जैसी चूचियो को बेदर्दी से
मसलते हुए मैं दनादन उसको पेल रहा था उफ्फ्फ बस बाथरूम में आग ही लग गयी थी काकी ने तो आज समा
ही बाँध दिया था मेरे को तो अपनी किस्मत पर कभी कभी यकीन नही आता था ऐसे लगता था की जैसे कोई
हसीं ख्वाब है जो आँख खुलते ही टूट जायेगा

तो साहेबान काकी को तबियत से बाथरूम में पेलने के बाद अपनी हिम्मत भी कु छ पस्त सी हो गई थी उसके बाद
काकी को छोड़कर मैं अपने घर आ गया ,भूख लगी थी बड़ी तेज तो पहले पेट-पूजा की उसके बाद टीवी देखते
दे ते नीं यी हीं
देखते कब नींद आ गयी पता नहीं चला
शाम को उठा तो सर कु छ भारी भारी सा हो रहा था तो एक कड़क चाय पीकर प्लाट में चला गया घास काटी
भैंसों को नहलाया काफी सूखी घास भी इकट्ठी हो रखी थी तो उसको तीली लगा दी इन सब कामो में बहुत देर
लग गयी फिर नहा धोकर मैं अपने दोस्तों से मिलने मंदिर की तरफ चला गया तो वहा जाके पता चला की कल
मीठी ग्यारस है तो मीठा पानी पिलाने का प्रोग्राम कल सुबह से ही शुरू कर देंगे और फिर रात को रागनी का
प्रोग्राम भी है
सब तैयारी तो हो ही चुकी थी पर फिर भी हमने हर एक चीज़ को अच्छे से देख भाल लिया प्रोग्राम के लिए टेंट
वगैरा लगाया गया तो काफी रात हो गयी थी कई चीजों का बंदोबस्त करने में ऊपर से गाँव में चुनावी सीजन तो
कु छ और लोग भी आ गए तो वही महफ़िल जम गयी कु छ बाते कु छ मजाक काफी अच्छा लग रहा था सुबह
करीब दो बजे मैं घर गया कु छ ही देर सोया था की घर वालो ने जगा दिया मैंने घडी देखि तो सुबह के सात बज
रहे थे मैं नाश्ता करके सीधा गाँव में अड्डे पर पहुच गया
ऐसा प्रोग्राम मैंने पहले कभी नहीं देखा था सब लोग सड़क पर आती जाती गाडियों को बसों को रुकवा रुकवा
कर सबको शर्बत पिला रहे थे , मैं भी सहयोग कर रहा था की तभी लादेन अपने कु छ दोस्तों के साथ आया और
बोला -भाई ये एक बोरी चीनी और दूध भाभी ने पहुचवाया है
मैं- किसलिए
वो- प्रोग्राम में सहयोग के लिए
मैं कु छ बोलता उस से पहले ही मेरे दोस्त लोगो ने ऐतराज़ कर दिया की दूसरी पार्टी वाले लोगो का सामान नहीं
लेना
तो मैंने उनको समझाया की हम जो काम कर रहे है वो धर्म का काम है वोट अपनी जगह है उनका इस काम से
क्या लेना देना
मैंने लादेन से कहा की- भाभी जी को हमारी तरफ से शुक्रिया कहना की उन्होंने मदद की और तुम लोग भी हो
सके तो हमारे साथ जुट जाओ , ये तो सबका काम है , और हम सब एक ही तो है एक गाँव के
लादेन को मुझ से ऐसी उम्मीद नहीं थी पर वो लोग भी जुट गए चलो अच्छा ही था यार पिछले दिनों जो पंगा
बाज़ी हुई थी उसे भूलकर कु छ नयी शुरुआत हो जाये तो उस से बेहतर क्या हो सकता था
भगवन की दया से शाम तक खूब बरकत से प्रोग्राम चला अब रात को रागनी प्रोग्राम शुरू होना था तो दोस्त लोगो
से ऐसा बोल कर की मैं जल्दी ही आता हु मैं घर की तरफ चल पड़ा तो मैंने देखा की पिस्ता के घर के बाहर टेंट
लगा हुआ है , मैं समझ गया की आज सगाई वाले आये होंगे , पता नहीं क्यों यार बुरा सा लग रहा था ऐसा लग
रहा था की उसकी जुदाई सहन नहीं हो पायेगी पर फिर दिल को ऐसे समझा लिया की भाई दोस्त घर बसाने की
शुरुआत कर रही है तो उसको अच्छी दुआ दू
पर दिल साला गुस्ताख , कहा किसी की सुनता है घर आया और बैठ गया
चाची- क्या हुआ परेशान लग रहे हो
मैं- बस ऐसे ही
वो- मुझे बता क्या बात है
मैं- कहा न कु छ नहीं बस ऐसे ही
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - sexstories - 12-29-2018

मैं उठ के अपने कमरे में चला गया और दरवाजा कर लिया बंद रोने को जी कर रहा था तो कु छ आंसू बहा लिए
अब हम कोई उस टाइप के मर्द तो थे नहीं जिसे दर्द नहीं होता , थोड़ी देर रोने से जी कु छ हल्का सा हो गया पर
करार नहीं आया , रात को एक आधी रोटी ही खायी मैंने , फिर ध्यान आया की रागनी प्रोग्राम है तो नहा धोकर
नयी शर्ट पहनी आधी बाजु वाली और आँखों पर लगाया चश्मा थोडा पोंड्स का पाउडर लगाया खुशबु के लिये
और चल दिए प्रोग्राम में

स्टेज के पास ही दोनों साइड में सोफे लगाये गए थे अब दोनों पार्टी को निमंत्रण था तो उधर से भी कोई तो आना
ही था , मैं गया तो देखा की बिमला , ताई और चाचा पहले से ही मौजूद थे , अब इन सालो को कही चैन नहीं
मिलता , चाचा भोसड़ी का एक नुम्बर का चोदु लाल, मैं हाथ जोड़ कर लोगो का अभिवादन करते हुए स्टेज पर
चढ़ा तो बिमला की गांड बुरी तरह से सुलग गयी , आँखों पर चश्मा लगाये मैं खुद को अजय देवगन से कम नहीं
समझ रहा था

तभी मेरी नजर दूसरी तरफ पड़ी तो मैंने देखा लादेन, जो भाभी खड़ी थी उसका देवर, उसका पति और फिर जिस
चेहरे पर नजर पड़ी दिल मचल गया , ये तो वो ही औरत थी जो उस दिन पानीभर रही थी , मतलब ये ही थी जो
बिमला की टक्कर में खड़ी थी , मेरे तो सारे अरमान दिल में ही दम तोड़ गए कहा तो गीता ताई की मदद से
इसको चोदने का सोच रहा था और कहा ये सिचुएशन पर हम भी चाय कम पानी थे, खुराफात करनी पूरी

मैं आगे बढ़ा और जाके दूसरी पार्टी वालो से हाथ मिला लिया , नमस्कार किया उनको और साथ ही भाभी जी को
बड़ी गहरी निगाहों से देखा मैंने उसको , उसने भी हस कर मेरे प्रणाम का जवाब दिया फिर मैं आके बिमला के
पास बैठ गया और प्रोग्राम देखने लगा , पर निगाहे बार बार भाभी जी की तरफ ही जा रही थी उन्होंने भी गौर
किया की मेरी नज़रो की मंजिल किस तरफ है , पर चुनावी रंग आ ही गया प्रोग्राम में लादेन ने कलाकारों पर पैसे
वारने शुरू कर दिए तो चाचा ने भी अपना बैग खोल दिया

और होड़ मच गयी पर मेरा ध्यान इन फ़ालतू बातो के हट कर उस हुस्न के प्याले पर जमा हुआ था जिसकी
बेताकलुफ्फी मेरी हसरतो में आग लगा रही थी ,पता नहीं क्यों नजरे उसकी नजरो से ही जाके टकरा रही थी , हम
तो बस दीदार कर रहे थे उनका की तभी चाय- नाश्ता आ गया तो मैं स्टेज से उतर का अपने दोस्तों के पास चला
गया और व्यवस्था के बारे में पूछने लगा सब काम एक दम सही था पर चूँकि मुझे पिताजी का सख्त आदेश था
की ज्यादा देर उधर नहीं रहना है तो मेरी मज़बूरी थी घर जाने की

पर जाने से पहले अपना रंग तो छोड़ना जरुरी था,मैं स्टेज पर गया और जेब से नोटों की गड्डी निकाल ली तो
भाभी जी की नजर मिली मैंने नजरो नजरो में इशारा कर दिया की ये वारना आपके नाम , उन्होंने भी मुस्कु रा कर
शुक्रिया काहा फिर मैं घर आ गया
सुबह मुझे चाची ने जगाया तो मैंने देखा मेरा लंड खड़ा था तो मैंने चाची का हाथ अपने लंड पर रख दिया वो उसे
मसलने लगी ,
मैं- सारी दुनिया मेरी तरफ देखती है पर आप को ही मेरी परवाह नहीं है
वो- मैंने तुझसे कहा ना,
ठं डा कर दू क्या

मैं हीं को तो के हों ठो की हो ही है भी तो


मैं- नहीं इसको तो बस आपके होंठो की प्यास हो रही है अभी तो
तो चाची बोली- ठीक है चल तू भी क्या याद करेगा
चाची ने मेरी निक्कर को निचे किया और अपने मुह को मेरे लंड पर झुका लिया सुबह सुबह अपने लंड पर चाची
की गरम साँसे पाकर मैं तो मदहोश हो गया चाची ने मेरे सुपाडे की खाल को खीच कर निचे किया और फिर
अपने होंठो में मेरे सुपाडे को दबा लिया उफ्फ्फ जिस अंदाज से वो मेरे लंड को चूस रही थी बदन का हर तार
लरज गया उफ्फ्फ चाची कितना अच्छे से चुस्ती हो आप , शाबाश मेरी प्यारी चाची चाची ने मेरे लंड को पूरा
अपने मुह में लिया ही था की तभी निचे से मम्मी फिर इतना उतावला पण कै से
मैं- मुझसे कण्ट्रोल नहीं होता
चाची- तो क्या करू, इसको हाथ से की आवाज आई तो वो तुरंत निचे चली गयी हाय रे मेरी फू टी किस्मत तो मैंने
भी अपने अरमानो पर काबू पाया और बाथरूम में घुस गया
वापिस आया तैयार होके खाना खा ही रहा था की मंजू और उसका भाई भी आ गए ताऊ के साथ तो उनको भी
खाना परोस दिया गया , तो बातो बातो में पता चला की रतिया काका की हालात में सुधार हो रहा है आज एक
बड़ा डॉक्टर आएगा देखने फिर वो भी बताएगा की छु ट्टी कब तक मिलेगी उनको
मैं- छु ट्टी मिल जाए तो ठीक रहे, घर आ जायेंगे, ठीक होने में तो टाइम लगेगा पर घर के माहौल से फरक तो
पड़ेगा
फिर मैंने मंजू से चुपके से कहा की आज देगी क्या
मंजू- नहीं यार, आज भाई बोल रहा था देने के लिए तो तू समझ सकता है ना
मैं- चल कोई नहीं तुम लोग ऐश करो , वैसे भी हॉस्पिटल में रह कर बोर हो गए होंगे मंजू तुम दोनों आज इधर ही
रुक जाना रात को मैं जाता हु हॉस्पिटल काकी काका के पास
तो मंजू बात मान गयी और उसने वादा किया की वो जल्दी ही मुझे भी खुश कर देगी आसमान में सुबह से ही
बादल छाए हुए थे मोसम रोमांटिक सा हो रहा था तो मैं घर से बाहर निकल कर गीता ताई के घर की तरफ चल
पड़ा सोचा उसका भी हाल चाल पूछ लिया जाये जा रहा था की पानी की टंकी पर पिस्ता से मुलाकात हो गयी
कोई आस पास था नहीं तो मैं रुक गया
पिस्ता- कहा जा रहे हो
मैं- कु वे पर जा रहा हु
वो- ठीक है मैं उधर ही मिलती हु आधे घंटे में
मैं- तेरी मर्ज़ी है
वो- दुखी क्यों है तू
मैं- कौन दुखी है
वो- अच्छा , अब मुझसे भी झूठ बोलेगा
मैं- कु वे पर आजा , जल्दी से

मैं फि गी ई के तो जे तो मैं ने सो की ले ने कि सी से
मैं फिर गीता ताई के घर गया तो ताला लगा था दरवाजे पर तो मैंने सोचा की शायद घास लेने या किसी काम से
गयी होगी आज का दिन ही पनौती था जिधर भी जा रहा था हर रास्ता बंद ही मिल रहा था तो मैं कु वे पर आ गया
कमरे को खोला मोटर चलाके थोडा पानी का छिडकाव किया और पिस्ता का इंतज़ार करने लगा , कु छ देर बाद
वो भी आ गयी हाथो में एक डिब्बा लिए
मैं- इसमें क्या है
वो- इसमें मिठाई है तेरे लिए
मैं- जले पर नमक छिड़कने के लिए
वो- तू समझता क्यों नहीं बात को
मैं- कहा कु छ कह रहा हु , चल ला क्या लायी है वैसे भी तेरे हाथ का बना कु छ खाया नहीं काफी वक़्त से तेरे हाथ
का नहीं तो तेरी सगाई की मिठाई ही सही

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