लेह-लद्दाख यात्रा वृतांत- Anjusha

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लेह- लद्दाख: बौद्ध संस्कृति का सरु म्य देस स्िास््य जागरुकता संबधं ी घोषणाएँ की जा रही थीं

(Laddakh: Land of Lamas and Passes) यथा- "अप ऄत्यसधक उँचाइ पर है ऄतः कम से कम
डॉ. अंजूषा तसंह 24 से 36 घंटे पूणय रूप से अराम करें तत्पश्चात ही
पयय टन स्थिों का भ्रमण करें"। हिाइ ऄड् डे से टैक्सी
द्वारा हम ऄपने पूिय तय ठहराि स्थि बीअरओ गेस्ट
पयय टन हमारे शारीररक और मानससक सिकास
हाईस’ पहुचँ गए िहाँ भी हमें पणू य अराम की सिाह दी
के सिए अिश्यक माना गया है। यात्राएँ जीिन के
गइ। िजह पूछने पर बताया गया सक यहाँ की हिा में
ऄनभु िों के सिस्तार के साथ मानि के बौसिक सिकास में
ऑक्सीजन की मात्रा कािी कम है ऄतः यहाँ अने िािे
महत्त्िपूणय भूसमका सनभाती हैं। स्ियं जीिन भी एक यात्रा
पयय टकों को ससर ददय , चक्कर अना, साँस िूिना जैसे
है। प्राचीन समय से ही कसि और मनीषी यात्राओं को
िक्षण सदखाइ देना अम है। ऄतः हमने आस सदन अराम
महत्त्ि देते रहे हैं। पंचतंत्र में ऄसभव्यक्त है- ‘पयय टन् पथृ थवीं
करना ईसचत समझा।
सववां , गुणवन्वेषणतत्परः’ ऄथाय त जो गुणों की खोज में
15 जून को हमने बौि संस्कृसत के प्रतीक
ऄग्रसर हैं, वे संपूणय पथ्ृ वी कव भ्रमण करते हैं। ऄसधकांश
'हेसमस मठ' (Hemis monastery) तथा सथकसे मठ
िोग आसी दृसिकोण से देश सिदेश के सिसभन्न स्थानों पर
(Thiksay monastery) का भ्रमण सकया और भगिान
भ्रमण के सिए जाते हैं। समूचा भारतिषय पयय टन की दृसि
बि ु एिं बौि धमय के बारे में कइ ऄनसनु ी जानकारी प्राप्त
से महत्िपणू य , रोमांचक, ऐसतहाससक और मनोहारी स्थिों
की। यह दोनों मठ िेह - मनािी मागय पर िेह से क्रममश:
से भरा हुअ है परंतु कुछ स्थि ऐसे हैं जो भौगोसिक
55 एिं 30 सकिोमीटर दूर सस्थत हैं। यहाँ जाने के सिए
सस्थसत और मौसम की सिषमताओं के कारण साि के
सनजी िाहन और टैसक्सयों का प्रयोग सकया जाता है।
कुछ ही महीने यात्रा ि पयय टन हेतु खि ु े रहते हैं ईन्हीं में
द्रक्ु पा िंश से संबसं धत हेसमस मठ की स्थापना 11िीं सदी
से एक है 'िेह-िद्दाख' जो सक बौि संस्कृसत के सिकास
में स्टैगसंग रास्पा निांग ग्यात्सो द्वारा की गयी थी और
के सिए सिश्व प्रससि है।
बाद में 17 िी सदी में राजा सेंगगे नामग्याि ने पनु सनय माय ण
स्कूि की छुरियों में बच्चों का ईत्साह घूमने
कराया। आसमें भगिान बि ु की तांबे की धातु से बनी
जाने के सिए सििश कर ही देता है। ऄतः हमने पररिार के
प्रसतमा स्थासपत है। यह मठ सतब्बती स्थापत्य शैिी में
साथ आस ऄनोखे पिय तीय क्षेत्र को देखने के सिए जून की
बना धासमय क सिद्यािय है सजसको धमय की सशक्षा देने के
छुरियों में घूमने का कायय क्रमम बनाया। भारत के सिाय सधक
ईद्देश्य से बनाया गया था। आसमें एक पस्ु तकािय भी है
उँचाइ पर सस्थत शहरों में शमु ार िेह-िद्दाख की यात्रा
जहाँ सतब्बती पस्ु तकों का संग्रह है साथ ही एक संग्रहािय
का कायय क्रमम पूिय सनधाय ररत नहीं था मात्र 10-15 सदन
है जो पयय टकों के अकषय ण को बढाता है। यह सतब्बती
पहिे बने यात्रा के कायय क्रमम को िेकर मन में ऄपार
मठों में सबसे धनी मठों में से एक है। समुद्र ति से
ईत्साह एिं ऄनेक सजज्ञासाएँ थीं। िेह पहुचँ ने के सिए 2-
िगभग 11800 िीट की उंचाइ पर सस्थत सथकसे मठ
3 सिकल्प हैं जैसे सक- सदल्िी से सीधा िेह िाययु ान
का सनमाय ण 15 िी शताब्दी के मध्य प्िाडन सांगो ने
द्वारा या जम्मूतिी तक रेि से सिर जम्मू से िेह िाया
करिाया था। मठ में मैत्रेय बि ु की कांसे की बहुत बड़ी
श्रीनगर बस द्वारा या सिर सहमाचि राज्य सड़क पररिहन
मूसतय है। यहाँ होने िािा सथकसे महोत्सि पयय टकों के
सनगम की सीधी बस सेिा सदल्िी से िेह िाया मनािी/
अकषय ण का कें द्र है। आस मठ में एक बड़ा-सा स्तंभ है
के िांग (मइ से जि ु ाइ तक) ईपिब्ध होती है।
सजसमें भगिान बि ु द्वारा सदए गए ईपदेश ि संदशे ऄंसकत
14 जून 2016 को यात्रा अरम्भ करते हुए हम
हैं। आसी मागय पर िेह शहर के नजदीक पयय टन स्थि शे
िायमु ागय से िेह शहर के हिाइ ऄड् डे पहुचँ े जो सक मख्ु य
पैिेश (Shey palace) भी सस्थत है।
नगर से 4 सकमी दूर श्रीनगर रोड पर है। घाटी में सस्थत
छोटे से संदु र हिाइ ऄड् डे पर ईतरते ही कइ प्रकार की
1
हेतमस मठ
ऄगिे सदन 16 जून को, हमारी योजना श्रीनगर
मागय पर सस्थत दो-तीन दशय नीय स्थिों के भ्रमण की थी।
पहिे हम दूरस्थ, दो नसदयों ससंधु (Indus) एिं जांस्कर गरु
ु द्वारा पत्थर सातहब
(Zanskar) के संगम स्थि पर गए, यहाँ दोनों नसदयों के सिर हम ऄगिे पयय टन स्थि 'हॉि ऑि िे म'
संगम का बड़ा ही सिहंगम दृश्य सदखाइ देता है। संगम तथा 'सैसनक एडिेंचर पाकय' पहुचँ े। ‘हॉि ऑि िे म’
स्थि पर सैिानी रास्टंग का भी अनंद िे सकते हैं। भारतीय सैसनकों की याद में बनाया गया बड़ा ही
यहाँ पर कािी समय सबताने के बाद हम िौटने िगे, और खूबसूरत संग्रहािय है जो कारसगि मागय पर िेह शहर से
ईन स्थिों पर रुके सजनको िापसी में देखने का प्िान िगभग 4 सकिोमीटर दूर सस्थत है। आसमें ऄिग-ऄिग
समय पर हुए कइ युिों में भारत की सिजय और िीरों की
था। पहिे हम 'चंबु कीय पहाड़ी' (मैग्नेसटक सहि) पर रुके
शौयय गाथा को दशाय या गया है। संग्रहािय में 'चाआना बॉडय र',
और प्ृ िी के गरुु त्िाकषय ण के सिरुि चंबु कीय बि के 'पाक बॉडय र', 'जोसििा युि', 'कारसगि यि ु ' एिं ऄन्य
कारण िाहनों को गसतशीि होते देखा जो सक ऄपने अप िड़ाआयों में हमारे परम िीर सैसनकों के हौसिे एिं यि ु
में अश्चयय जनक िगा। आसके बाद हम 300 िषय परु ाने गरुु कौशिों की याद ताजा होती है। एडिेंचर पाकय में सैसनकों
नानक देि के साधना स्थि 'गरुु द्वारा पत्थर सासहब' के मागय दशय न में सिसभन्न प्रसतकूि पररसस्थसतयों में अगे
पहुचँ े। नाम के ऄनरू
ु प आस गुरुद्वारे में रखे पत्थर में एक बढने, कूदने, रेंगकर चिने असद के कइ एडिेंचसय का
सैिानी सिशेष रूप से यिु ा और बच्चे अनंद िेते हैं। शाम
मानि अकार की छाप स्पि नजर अती है सजसके पीछे
होने में कुछ समय शेष था तो हम ऄब िेह शहर में सस्थत
यह कथा है सक 'वषों पूवय एक रवक्षस ने गुरु नवनक देव की ‘शासन्त स्तूप’ की ओर चि सदये। िेह शहर के सिोच्च
सवधनव भंग करने के थिए ऊंची पहवडी की चोटी से एक स्थान पर 25 ऄगस्त 1985 को 14 िें दिाइ िामा
बडव पत्थर थगरवयव। वह पत्थर गुरु नवनक देव के ऊपर तेंनसजन ग्यात्सो के द्वारा आसकी नींि रखी गयी थी। कुछ
थगरव िेथकन उस पत्थर से नवनक सवथहब को कोई क्षथत िषों पिू य सनसमय त यह भव्य स्तूप बौि धमय का संदु र प्रतीक
नहीं पहचुँ ी बथकक पत्थर में स्वतः ही एक मवनव अकृथत है। यहाँ से िेह शहर तथा िेह से दरू स्थ सिसभन्न दराय ओ ं
(passes) को दरू बीन की मदद से देखा जा सकता है।
जैसव गड् ढव बन गयव थजससे गुरु नवनक देव सुरथक्षत रहे'।
यात्रा के चौथे सदन 17 जून को हमने ऄसधक
मैंने सपररिार गरुु द्वारे में माथा टेक ऄरदाश की और दरू स्थ पयय टन स्थिों को घूमने की योजना बनाइ और
िंगर प्रसाद ग्रहण सकया। प्रातः 7:00 बजे ही सनकि पड़े। हमारा पहिा पड़ाि
2
'चांगिा पास' था। बोिेरो गाड़ी में सहिते-डुिते हम 4 घंटे िेह से 310 सकिोमीटर दूर पेंगोंग त्सो नाम से
बाद 'चांगिा पास' पहुचँ े, यहाँ सदय हिाएँ चि रहीं थीं ि देश सिदेश में प्रससि सिशाि झीि मानि जासत के सिए
तापमान शून्य से भी कम था। सड़क के दोनों ओर िै िी प्रकृसत का नायाब तोहिा है। यह प्रससि झीि 134
बर्य की मोटी चादर के बीच सभी सैिानी नैससगय क सकिोमीटर िम्बे क्षेत्र में िै िी है, आसका 40 % भाग
सौन्दयय का अनन्द िे रहे थे। ‘चांगिा पास’ समद्रु ति से (िगभग 45 सकिोमीटर) भारत में और बाकी चीन के
17688 िीट की उंचाइ पर सस्थत है। यहाँ हिा में ऄसधकार क्षेत्र में है। नैससगय क रूप से संदु र झीिों में शमु ार
ऑक्सीजन की कािी कमी है आससिए सैिासनयों को 20
आस झीि के चारों ओर ऄिग-ऄिग रंगों के पहाड़ हैं
से 30 समनट ही रुकने की सिाह दी जाती है। हम भी
सजनका पानी में सदखाइ पड़ने िािा प्रसतसबंब झीि की
यहाँ कुछ समनट रुके , तस्िीरें खीचीं और अगे चि पड़े।
संदु रता मे चार चाँद िगाता है। यहाँ की समिी में पाये
रास्ते में अने िािे मनोहारी दृश्यों का अनंद िेते हुए,
पिय तीय जानिरों याक, भेड़ असद की तस्िीरें िेते हुए जाने िािे सिसभन्न खसनज तत्िों के कारण झीि के पानी
अगे बढ रहे थे सक तभी कुछ अगे हमें बहुत बड़े का रंग सामान्य पानी के रंग से ऄिग है। यहाँ का सनमय ि
मरुस्थि का ऄद्भतु नजारा हुअ। तत्पश्चात हमने एक जि कइ रंगों में नजर अता है जैसा सक हमने 3 idiot
नया जन्तु 'पिय तीय चूहा' (Marmot) देखा। सिल्म में देखा था। खारे पानी की यह झीि शीत ऊतु में
जम जाती है। झीि के सकनारे सैिासनयों के रासत्र सिश्राम
हेतु ऄस्थाइ तंबओ ु ं के अिािा पास में बसे एक छोटे से
गांि में भी ठहरने की व्यिस्था हो सकती है। ऄसद्वतीय
सन्ु दर और मनोरम स्थि से मन तो नहीं भरा था परन्तु
हमें िेह िौटना था सो कुछ घण्टे सबताने के बाद हमने
िापसी का रुख़ सकया। प्राकृसतक दृश्यों का अनंद िेते
हुए, रुकते चिते हम ऄद्भतु झीि की यादों के साथ रासत्र
मटमैिे रंग का खरगोश जैसे अकार िािा यह चूहा 8:00 बजे के करीब गेस्ट हाईस पहुचँ े।
आंसानों से दूर ही रहता है सकं तु खाने की चीजें करीब 18 जून को पूिाय ह्न में बच्चों की पसंद, िेह शहर
अकर ग्रहण कर िेता है। िगभग 6 घंटे की यात्रा के बाद के नजदीक 'उँट प्रजनन कें द्र (Camel Breeding
हम बहु-प्रतीसक्षत सिश्व प्रससि पयय टन िक्ष्य 'पेंगोंग झीि’ Centre)' और अस-पास की सैर पर जाने का प्िान
(Pangong lake) पहुचँ े। था। हािाँसक ितय मान में िेह-िद्दाख में ऊँटों का
उपयोग कम ही रह गया है ऐसे में ऊँटों की इस लप्तु
होिी प्रजाति को बचाने हेिु सरकार का यह कें द्र
सराहनीय कायय कर रहा है। आस संरक्षण कें द्र पर दो
कूबड़ (double hump) िािे और बिीिे िातािरण में
भी स्िस्थ रहने िािे कइ उंट सदखाइ पड़े। तिलुप्त होिी
प्रजाति के ऊँटों के तलए लद्दाख क्षेत्र में बनाए गए इस
छोटे से कें द्र में लगभग 20-30 ऊँटों का पालन पोषण
पेंगोंग झील तकया जा रहा था।

3
ऄचय ना करते हैं। मंसदर के असपास के क्षेत्र में हिा में
ताजगी िगी और ऑक्सीजन की कमी ऄनुभि नहीं हुइ।
मैंने बच्चों के संग नदी में घस ु कर िोटो सखंचिाए,
प्राकृसतक दृश्यों का अनंद सिया। यहाँ और ऄसधक िक्त
सबताने का मन था पर शाम होने के कारण हमें जल्दी ही
सनकिना पड़ा और गेस्ट हाईस अ गए।
ऄगिा सदन 19 जून, हमारा िेह से प्रस्थान का
सदन था। ऄतः हमने सबु ह ही सामान असद की पैसकं ग की
ऊँट प्रजनन के न्द्द्र और गेस्ट हाईस की मैस में पासंदीदा ऄल्पाहार ि िि
बच्चों ने यहाँ उँट- सिारी का भी थोड़ा सा असद का ब्रंच कर गेस्ट हाईस के स्टाि को ऄिसिदा
अनंद सिया ईसके बाद हम स्टोक गोम्पा मठ पहुचँ े। कहा और श्रीनगर जाने के सिए िेह के सरकारी बस
यहाँ महात्मा बि ु की सिशािकाय मूसतय दशय नीय है जो सक स्टैंड की राह पकड़ी। िेह से श्रीनगर जाने िािी सदन की
एक भव्य मंसदर के उपर बनी है। आसी के पास बौि धमय एकमात्र बस दोपहर को छूटती है। सदन के िगभग 2:00
से सम्बंसधत एक संग्रहािय है जो सक बच्चों को ऄच्छा बजे जम्मू कश्मीर राज्य सड़क पररिहन सनगम
िगता है। सिर हम गेस्ट हाईस पहुचँ े और िंच के बाद (JKSRTC) की बस (2X2) द्वारा हमारी िेह- कारसगि-
कुछ देर सिश्राम सकया। दोपहर बाद हम िेह नगर में श्रीनगर यात्रा शरू ु हो गइ। पिय तीय मागय से गजु रते हुए
सस्थत स्टेटस गोम्पा मठ ि कािी मंसदर देखने सनकिे हमने पहाड़ों को कइ रंग रूपों में देखा। सड़क के दोनों
यह मठ ि मंसदर एयरिोसय कैं प के नजदीक है। 50-60 ओर संदु र दृश्यों का अनंद िेते हुए, कइ छोटे-बड़े शहरों
सीसढयां चढने के बाद बौि धमय ि सहंदू धमय की साझा ि कस्बों से होते हुए हम देर शाम कारसगि शहर पहुचँ े।
संस्कृसत से बने आस ऄद्भतु मंसदर में मां दगु ाय के कइ रूपों यहाँ पहुचँ ते ही करसगि िॉर की यादें ताजा हो ईठी।
के दशय न होते हैं सजसमें कािी रूप प्रमख
ु है। संभित: िेह 1999 का करसगि युि करीब करीब दो महीने चिा था.
शहर में सहंदू संस्कृसत से संबसं धत यह एकमात्र प्राचीन आस युि में ऄपने शौयय और पराक्रमम से भारतीय सेना ने
पूजा स्थि है। आस मंसदर में दशय न-पूजन के पश्चात हमें पासकस्तानी िौसजयों को खदेड़ सदया था और युि
एक ऄद्भतु शांसत की ऄनभु ूसत हुइ। पहाड़ की चोटी पर जीतकर 26 जि ु ाइ 1999 को दगु य म चोसटयों पर सतरंगा
सस्थत आस मंसदर से, पास की घाटी के कािी ऄच्छे संदु र िहराया था। 26 जुिाइ का सदन हर साि करसगि
नजारे सदखते हैं। मंसदर पर िोगों से बातचीत में पता चिा सिजय सदिस (Kargil Vijay Diwas) के रूप में मनाया
सक नजदीक ही एक सशि मंसदर है सजसके चारो ओर जाता है। िेह के बाद िद्दाख का दूसरा बड़ा शहर
नैससगय क संदु रता ि नदी का ऄनपु म नजारा है। सिर हम कारसगि है। कारसगि के सनकट ड्रास कस्बे में हमने रासत्र
शीघ्र ही सशि मंसदर की ओर सनकि पड़े मात्र 5-7 समनट सिश्राम सकया। ऄगिी भोर यात्रा पनु ः अरंभ हुइ और
की िाहन यात्रा से हम मंसदर के पास पहुचँ गए। िहाँ 5:00 बजे के करीब बड़े-बड़े संदु र बिीिे पहाड़ों के बीच
पहुचँ ते ही सूखे-पथरीिे शहर का एक नया हरा-भरा रूप ‘जोजीिा -पास’ पर बस रुकी। यहाँ पर ऄंतजय नपदीय
सदखाइ सदया। यहाँ भरपूर हररयािी है, हरे-भरे पेड़-पौधे सीमा पर चेसकं ग के कारण बस को कुछ देर रुकना था
हैं, स्थानीय िसिें भी हैं। हरी-हरी घास से भरा मैदान क्योंसक हमारी बस में कुछ-एक ऄंतराय ष्ट्रीय पयय टक भी
और पत्थरों के बीच से कि-कि करती नदी के सकनारे सिार थे सजनको ऄपने पासपोटय की जांच ि कुछ प्रसिसि
सस्थत सशि मंसदर में अने िािे पयय टक श्रिा भाि से पूजा करिानी होती है। ‘जोजीिा-पास’ के निारे ऄद्भुत और

4
खासे मनोरम थे, यहाँ के बिीिे क्षेत्र के बाद अगे चिते- सिए टैक्सी का प्रयोग करते हैं परंतु हमने JKSRTC की
चिते कश्मीर के हरे-भरे पहाड़ सदखाइ देने िगते हैं। बस का ईपयोग सकया सजसमें 30-40 समनट की यात्रा
हरी-भरी िासदयों से गज ु रते हुए, िगभग 425 कािी ऄच्छी रही और सकर्ायती भी। दोपहर की ईड़ान
सकमी की यात्रा कर 20 जून को प्रात: 9:00 बजे हम में सिार हो हम एक यादगार यात्रा पूरी कर शाम तक घर
श्रीनगर/ कश्मीर पहुचँ े। बस से ईतरकर हमने सीधे होटि अ पहुचँ े।
का रुख सकया, ऄल्प-सिश्राम ि् िंच ईपरान्त हम यात्राएँ चाहे भ्रमण, धासमय क या शैसक्षक ईद्देश्य से
श्रीनगर शहर में सस्थत स्थानीय पयय टन स्थिों की सैर की जायें सनसश्चत ही हमारे जीिन में महत्ि रखती हैं।
पर सनकिे। यहाँ कइ संदु र बाग-बगीचे हैं, शािीमार, चश्मे यात्राओं से हमें ऐसतहाससक ि भौगोसिक ज्ञान प्राप्त होता
शाही घूमते हुए हम श्रीनगर की शान ‘डि झीि’ पहुचँ े। है साथ ही सिसभन्न संस्कृसतयों, मानि सभ्यताओं से
Dal lake में िोसटंग का िुत्र् भिा कौन नहीं िेना
पररचय होता है और क्षेत्र या देश सिशेष के िोगों के
चाहेगा? यहाँ अने िािा िगभग हर पयय टक सशकारा
जीिन-यापन संबंधी जानकारी समिती है। िेह-िद्दाख
(small boat) में बैठकर डि झीि में नौका-सिहार करते
हुए ऄिौसकक अनन्द का ऄनभु ि करता है सो हमने भी और काश्मीर के कुछ भाग की पयय टन यात्रा मेरे सिए बहुत
एक सशकारा सरकारी दर पर बक ु सकया और एक-डेढ ज्ञानिधय क, अनंदमयी, ऄनूठी और ऄसिस्मणीय रही।
घंटे की सैर की। झीि के सकनारों पर सस्थत सिसभन्न सवभवर:- सीमव सडक संगठन, भवरत सरकवर
view-points से गज ु रते हुए, नाि में बनी ्िोसटंग-शॉप
से कुछ खरीददारी भी की जो ऄपने अप में ऄनूठा लेतखका- संतक्षप्त पररचय-
ऄनभु ि था।

अजं षू ा स ंह
जन्म- 26 मार्च, 1976
सिक्षा- सहन्दी में स्नातक आन ,च एम.ए., एम. सिल., पीएर्.डी.,
डल-झील यजू ी ी-नेट, बी.एड., एम.एड.
ंप्रसत- सिसक्षका, पररषदीय सिद्यालय, उत्तर प्रदेि राज्य रकार
नौका सिहार करते-करते शाम हो चिी थी। सिर प्रकािन- सिसिन्न िोध आलेख, 10 े असधक पस्ु तक मीक्षाएं
झीि के सकनारे-सकनारे टहिते हुए हम समीप में सस्थत और अनेक ासहत्य म्मेलनों में प्रसतिाग।
जाने माने शि
ु शाकाहारी भोजनािय कृष्ट्णा ढाबा पहुचँ े, ंपकच - 9837263545
ई-मेल- anjushasingh26@gmail.com
और स्िासदि भोजन ग्रहण कर रात्री सिश्राम सकया।
21 जून यात्रा का अठिाँ और ऄंसतम सदन था
सिु भ अहार ग्रहण कर हम सरकारी बस स्टैंड की ओर
रिाना हुए। िैसे तो ज्यादातर सैिानी एयरपोटय जाने के
5

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