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Indian Ecomomy
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भारतीय अर्थव्यवस्था हाल के वर्षों में धीमी गति से बढ़ रही है। हालांकि, COVID-19
महामारी के बाद आर्थिक पुनरुद्धार हो रहा है। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए, भारत की GDP वृद्धि
दर लगभग 6-6.5% के बीच रहने की उम्मीद है। यह वृद्धि मुख्य रूप से सेवा क्षेत्र और उद्योग
क्षेत्र के सुधार के कारण है, जबकि कृषि क्षेत्र में भी स्थिर वृद्धि हो रही है।
मुद्रास्फीति भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। खाद्य और ईंधन की
कीमतों में वृद्धि से उपभोक्ता मुद्रास्फीति बढ़ रही है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने
मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए नीतिगत ब्याज दरों में वृद्धि की है। मौद्रिक नीति का
उद्देय श्य
मांग को नियंत्रित करना और कीमतों की स्थिरता बनाए रखना है।
भारत में रोजगार सृजन एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है। अनौपचारिक क्षेत्र में बड़ी
संख्या में लोग कार्यरत हैं, जो आर्थिक अस्थिरता का कारण बन सकते हैं। हालाँकि, सरकार
ने आत्मनिर्भर भारत अभियान और उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं के माध्यम से
रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने के प्रयास किए हैं। स्टार्टअप और तकनीकी क्षेत्रों में
भी रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हो रहे हैं।
भारत ने विदे शनिवेश को आकर्षित करने के लिए कई सुधारात्मक कदम उठाए हैं, जैसे कि
विभिन्न क्षेत्रों में FDI (प्रत्यक्ष विदे शनिवेश) की सीमा में वृद्धि और व्यापार को सुगम
बनाने के लिए नीतिगत सुधार। इससे भारत में विदे शनिवेश में वृद्धि हो रही है। इसके
अलावा, वैविक कश्वि
आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भूमिका को मजबूत करने के प्रयास किए जा रहे
हैं।
कृषि क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। कृषि सुधारों और फसल बीमा योजनाओं के
माध्यम से किसानों की स्थिति को सुधारने के प्रयास किए जा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में
बुनियादी सुविधाओं के विकास और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए विभिन्न सरकारी
योजनाएँ चलाई जा रही हैं।
### चुनौतियाँ
भारतीय अर्थव्यवस्था को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें शामिल हैं:
- **आय असमानता**: आर्थिक विकास के बावजूद, आय और संपत्ति वितरण में असमानता बनी
हुई है।
### निष्कर्ष
भारतीय अर्थव्यवस्था वर्तमान में पुनरुत्थान और सुधार के दौर से गुजर रही है। सरकार द्वारा
उठाए गए नीतिगत सुधार और योजनाएँ आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित कर रही हैं, जबकि वैविक कश्वि
व्यापार और निवेश के अवसरों का लाभ उठाया जा रहा है। हालाँकि, चुनौतियों से निपटने के
लिए सतत और समावे शविकास की आवयकता कता श्य
है। भविष्य में, भारत की आर्थिक संभावनाएँ
उसके नीतिगत सुधारों, नवाचारों, और वैविक कश्विप्रतिस्पर्धा में उसकी भूमिका पर निर्भर
करेंगी।