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अभ्यास नं- 44
सभापति महोदय, अब सच
ू ना और रे डियो के संबंध में मैं कहूंगा कक सच
ू ना और रे डियो इन
दोनों विषयों पर मंत्रालय ने मुझे पूरे-पूरे ब्यौरे ददए हैं जिनमें अनेक विशेष बािें हैं। मैं उन्हें इस सभा
के सामने पढूंगा नह ं, क्योंकक इसमें बहुि समय लग िाएगा और िो बहुि से आंकडे ददए गए हैं
उन्ह ं में यह सभा फंस िाएगी, लेककन इस सभा को उन ब्यौरों को िानना अिश्य चादहए और मैं
मंत्रालय को सुझाि दं ग
ू ा कक िह उन्हें इस सभा के सामने और िनिा के सामने उचचि रूप में रखे
जिससे कक िह समझ सके कक आि हमारे दे श में क्या हो रहा है। मेरा अपना मि रे डियो की व्यिस्था
के विषय में यह है कक हमें िहां िक हो सके ब्रिदिश नमूने पर कायय करना चादहए अथायि अच्छा यह
होगा कक हम सरकार की अधीनिा में एक अर्दयध स्िायत्त संस्था कायम करें जिसकी नीति अिश्य ह
सरकार र्दिारा तनयंब्रत्रि होगी, लेककन सरकार विभाग के रूप में नह ं, बजकक एक अर्दयध स्िायत्त संस्था
के रूप में चलायी िाएगी। मैं यह नह ं सोचिा कक ऐसा करना ित्काल संभि होगा। मैंने इस सभा से
केिल इसकी चचाय की है। मेरा ख्याल है कक हमारा उर्ददे श्य यह होना चादहए, चाहे हमारे सम्मुख
बहुि सी कदिनाइयां क्यों न हों। िास्िि में बहुि से मामलों में हमारा उर्ददे श्य इस िरह की अर्दयध
स्िायत्त संस्थाओं की स्थापना होनी चादहए जिसमें नीति िथा अन्य बािों का तनयंत्रण दरू से सरकार
के हाथों में हो, लेककन सरकार या सरकार विभाग हमारे काययक्रमों में हस्िक्षेप न करे , लेककन यह
िात्काललक प्रश्न नह ं है। यह स्पष्ि है कक हमार विलभन्न सेिाओं में समाचार वििरण भाषा के प्रश्न
आदद में कौन सी नीति लायी िाए इस विषय पर यहां होने िाले िाद-वििाद ने सभा के विचारों को
संकेि दे ददया है , लेककन इनका फल िभी तनकलेगा िब सलमतियों आदद र्दिारा इस िरह के िाद-
प्रस्िािों के संबंध में ककए गए भाषणों र्दिारा इस विषय पर िीक-िीक विचार हो पाना िास्िि में
असंभि है । मझ
ु े एक माननीय सदस्य से यह िानकर खेद है कक कुछ प्रांिों में सलाहकार सलमतियां
िीक-िीक नह ं चल रह हैं। मैंने समझा था कक रे डियो के संबंध में यह आिश्यक है कक ऐसी सलमतियां
िकद-िकद काम करिी रहें उनसे सलाह ल िाए और उन्हें बिाया िाए कक आि दे श में क्या हो रहा
है ।
उपाध्यक्ष महोदय, आि हम स्ििंत्रिा और उसकी शांतिपूणय खुल हिा का आनंद ले रहे हैं,
जिस शांति का अनुभि हम महसूस करिे हैं िह शांति और खुशी की लहर दे ने का योगदान में न
िाने ककिने दे शिालसयों ने अपनी िान गंिाकर द है। 15 अगस्ि का ददन िो ददन होिा है जिस ददन
हम स्ििंत्र हुए। 15 अगस्ि भारि का राष्र य त्योहार है जिसे हम बहुि ह खुशी और उकलास से
मनािे हैं। सियप्रथम 15 अगस्ि 1947 के ददन भारि के प्रथम प्रधानमंत्री पंडिि ििाहर लाल नेहरु
िी ने लाल ककले के ऊपर राष्र य ध्िि फहराया था। 200 साल की ब्रिदिश साम्रज्य की गुलामी के
बाद 15 अगस्ि 1947 का ददन हमारे दे श का सबसे स्िर्णयम ददन कहा िािा है।
शह दों की याद में आंखों में आंसू आ िािे हैं जिन्होंने अपनी िान दे कर हमें स्ििंत्रिा ददलायी और
हमें अंग्रेिों की गल
ु ामी से मक्
ु ि करिाया और आिाद को हमें एक उपहार के रूप में दे कर शह द हो
गए। अंग्रेिों के अत्याचार और उनसे िंग आकर भारिीय एकिुि हो गए इन अंग्रेिों से छुिकारा पाने
के ललए सुभाष चंद्र बोस, भगि लसंह और चंद्रशेखर आिाद ने क्रांति की मशाल िलाई और ककिने ह
दे शभक्िों ने अपने प्राणों की आहुति द जिनमें महात्मा गांधी, सरदार पिे ल ने सत्य और अदहंसा के
सहारे सत्याग्रह आंदोलन चलाकर उनकी लादियां खायीं और िेल गए। इन आंदोलनों की ििह से
अंग्रेि भारि छोडकर िाने के ललए मिबूर हो गए। आर्खरकार 15 अगस्ि 1947 का ददन हमारे दे श
के इतिहास का सबसे महत्िपूणय ददन कहा िा सकिा है जिससे हम खुल हिा में सांस ले सके और
प्रति हमारा शीश स्ियं ह निमस्िक हो िािा है जिन्होंने हमें स्ििंत्रिा ददलायी। इसललए हमारा
कियव्य बनिा है कक हम ऐसे कायय करें जिससे हमारे दे श का नाम रोशन हो इसके ललए हमें दे श में
कुछ खिरनाक रोग िैसे िमाखोर , कालाबािार , भ्रष्िाचार िैसी बीमाररयों को िड से खत्म करना