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Class8 W.S.5
Class8 W.S.5
– Sanskrit
कक्षा – अष्टमी कार्यपत्रकः – ५ विषर्ः – संस्कृतम्
किय छात्ोीं ! कपछिे िायापत्िोीं में हमने पाठ 1-‘सुभासितासन’ िा अध्ययन किया।
इस िायापत्ि में हम एि िहानी पढें गे – “सबलस् वाि न कदासप मे श्रुता” (गु फ़ा क आवाज़ मैंने कभ नह िं सुन )
ित्येि सींस्कृत शब्द िे नीचे उसिा कहन्दी में अथा भी कदया गया है , उनिी सहायता से िथा िो समझने िा ियास िरें ।
क्षुधाततः न सकसिदसप आहारिं प्राप्तवान् । ततः सूर्ातस्तसमर्े एकािं महत िं गुहािं दृष्ट्वा सः असिन्तर्त् –
भू ख से परे शान िुछ भी भोजन (नही)ीं खोज पाया। तभी सूयाा स्त समय में एि बड़ी गुफ़ा िो दे खिर उसने सोचा-
“नूनम् एतस्ािं गुहार्ािं रात्रौ कोऽसप ज वः आगच्छसत। अतः अत्रैव सनगूढो भू त्वा सतष्ठासम” इसत
“कनश्चय ही इस गु फ़ा में रात में िोई जानवर आता है । इसकिये यही ीं कछपा हुआ रहिर रुि जाता हूँ ।”
पश्यसत तावत् ससिं हपदपद्धसतः गुहार्ािं प्रसवष्टा दृश्यते, न ि बसहरागता। शृगालः असिन्तर्त्-
दे खता है वहाूँ ति शेर िे पैरोीं िे कनशान गु फ़ा में घुसते हुए कदखते हैं , न कि बाहर आते हुए। कसयार ने सोचा-
“अहो सवनष्टोऽस्मि। नूनम् अस्मिन् सबले ससिं हः अस्त सत तकतर्ासम। तत् सकिं करवासि ?”
“ओह (आज) मैं मरा। कनश्चय ही इस गु फ़ा में शेर है (ऐसा) मानता हूँ । तो क्या िर
ूँ ?”
एविं सवसिन्त्य दू रस्थः रविं कतुतमारब्धः - “भो सबल! भो सबल! सकिं न िरसस, र्न्मर्ा त्वर्ा
ऐसा सोचिर दू र स्थथत आवाज़ िरना शुर िरता है - ओ गु फ़ा ! ओ गु फ़ा ! क्या याद नही ीं है , कि मेरे द्वारा तु म्हारे
सह समर्ः कृतोऽस्मस्त र्त् र्दाहिं बाह्यतः प्रत्यागसमष्यासम तदा त्विं माम् आकारसर्ष्यसस।
साथ वादा किया है कि जब मैं बाहर से िौटू ूँ गा तब तु म मुझिो पुिारोगे ।
र्सद त्विं मािं न आह्वर्सस तसहत अहिं सित र्िं सबलिं र्ास्ासम” इसत।
अगर तु म मुझे नही ीं बु िाते हो तो मैं दू सरी गु फ़ा िो चिा जाऊूँगा।“
अथ एतच्छुत्वा ससिं हः असिन्तर्त् – “नूनमेिा गुहा स्वासमनः सदा समाह्वानिं करोसत परन्तु
तो यह सु निर शेर ने सोचा- “ज़रर यह गु फ़ा स्वामी िा हमेशा आह्वान िरती है िेकिन
रे खाीं कित शब्दोीं िे अथा याद िरिे नीचे कदये गये किीं ि पर स्िि िरें और Quiz खे ििर अपना स्कोर दे खें।