गुरु मंत्र साधना से संबंधित महत्वपूर्ण न्यास

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गरु

ु मंत्र साधना से संबंधधत महत्वपूर्ण न्यास


गुरु मंत्र साधना
विननयोगः ॐ अस्य गुरु मंत्रस्य ब्रह्म-विष्णु-महे श्िरा ऋषयः गायत्री उष्ष्णक् -
अनष्ु टुप छन्ांसस, महाकाली-महालक्ष्मी-महासरस्िती ्े िताः, ब्रह्म शाकम्भरी भीमा
शक्तयः ब्रह्माण्ड बीजानन, ॐ कीलकं अष्नन िायु सय
ू ायः तत्िानन अमक
ु कायय
ससद्धयर्थे मंत्र जपे विननयोगः ।

ऋष्यादि न्यास – इस नयास को करने से सारा शरीर द्व्य और चैतनय हो जाता है


ॐ ब्रह्म विष्णु महे श्िर ऋवषभ्यो नमः – सशरसस

ॐ गायत्री-उष्ष्णक् -अनष्ु टुप छन्े भ्यो नमः – मख


ु े

ॐ महाकाली-महालक्ष्मी-महासरस्िती ्े िताभ्यो नमः – ह्रद्

ॐ ब्रह्म शाकम्भरी-भीमा-शष्क्तभ्यो नमः – ्क्ष स्तने

ॐ ब्रह्माण्ड बीजानन नमः – िाम स्तने

ॐ ह्रीं कीलकाय नमः – नाभौ

ॐ अष्नन-िाय-ु सय
ू य तत्िेभ्यो नमः – नेत्रयो

ॐ अमक
ु कायय ससद्धयर्थे मंत्र जपे विननयोगः नमः – सिाांगे

वर्ण मातक
ृ ा न्यास – इससे गरु
ु , ब्रह्म स्िरुप बनकर साधक के शरीर में समादहत
हो जाते हैं ।

ॐ ॐ अं आं कं खं गं घं डं इं ईं – ह्र्याय नमः

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ॐ परम उ ऊं चं छं जं झं ञं ऋं – ससरसे स्िाहा

ॐ तत्िाय लं टं ठं डं ढं णं लं लं – सशखायै िौषट्

ॐ नारायणाय एं तं र्थं ्ं धं नं ऐं – किचाय हुम ्

ॐ गुरुभ्यो ओं पं फं बं भं मं औं – नेत्र त्रयाय िौषट्

ॐ नमः अं यं रं लं िं शं षं सं हं लं क्षं अं: – अस्त्राय फट्

सारस्वत न्यास – इसके करने से शरीर के जडता, आलस्य और पाप नष्ट हो जाते
हैं ।

इसमें गरु
ु मंत्र का जप ननम्न स्र्थानों पर ्ादहने हार्थ की उं गसलयां रखते हुये करें ।

कननष्ष्ठका – 6 बार हस्त – 9 बार

अनासमका – 6 बार ह्र्य – 10 बार

मध्यमा – 3 बार ससर – 11 बार

तजयनी – 4 बार सशखा – 12 बार

अंगष्ु ठ – 6 बार ्ोनों किच – 6 बार

करतलकरपष्ठ – 6 बार ्ोनों नेत्र – 6 बार

पष्ठभाग – 11 बार सिाांग – 15 बार

मणणबनध – 8 बार

मातक
ृ ा न्यास – यह नयास करने से साधक त्रत्रकालज्ञ, एिं त्रैलोक्य विजयी हो जाता है ।

ॐ गरु
ु भ्यो ब्राह्मी पि
ू त
य ो मां पातु । ॐ गरु
ु भ्यो माहे श्िरी आननेय मां पातु । ॐ गरु
ु भ्यो
कौमारी ्क्षक्षणे मां पातु । ॐ गरु
ु भ्यो िैष्णिी नैऋते मां पातु । ॐ गरु
ु भ्यो िाराही पष्श्चमे मां
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पातु । ॐ गुरुभ्यो इनराणी िायव्ये मां पातु । ॐ गुरुभ्यो चामण्
ु डे उत्तरे मां पातु । ॐ गुरुभ्यो
महालक्ष्मी ऐशानये मां पातु । ॐ गुरुभ्यो व्योमेश्िरी ऊध्िे मां पातु । ॐ गुरुभ्यो सप्त-
द्िीपेश्िरी भम
ू ौ मां पातु । ॐ गरु
ु भ्यो कामेश्िरी पाताले मां पातु ।

ब्रह्म न्यास – इस नयास से साधक चचरयौिन मय बना रह कर सभी दृष्ष्टयों से पण


ू त
य ा प्राप्त
करता है ।

ॐ ब्रह्म शन
ू य आसनायै नमः – पि
ू ाांगे मां पातु

ॐ विमक्
ु तायै ज्ञान खड्गे हस्तायै नमः – ्क्षक्षणे मां पातु

ॐ चैतनय पल्लिायै नमः – पष्ठे मां पातु

ॐ गुरुिै सिय ससद्चध हस्तायै नमः – िामांगे मां पातु

ॐ सिय ससद्चध प्र्ायै नमः – मस्तकाद् चरणानतं मां पातु

ॐ सशष्य वप्रयायै नमः – पा्ाद् मस्तकानतं मां पातु

शन्
ू य न्यास – इस नयास को करने से साधक के मन की सभी कामनाओं की पनू तय होती है ।

ॐ ब्रह्मणे नमः – पा्ाद् नासभ पययनतं स्ा मां पातु

ॐ नारायणाय नमः नाभौ विशद्


ु चध पययनत मां पातु

ॐ रुराय नमः ब्रह्म रनरानते नेत्रयोः मां पातु

ॐ त्रत्रलोचनाय नमः पा्योः मां पातु

ॐ द्व्याय नमः करयोः मां पातु

ॐ ज्ञानाय नमः नेत्रयोः मां पातु

ॐ द्व्य चेतनायै नमः सिाांगे मां पातु

ॐ आनन्-मय परमात्मने नमः परात्पर-्े हभागे मां पातु

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िे वी न्यास – इस नयास को करने से साधक को ससद्धाश्रम प्राष्प्त होती है ।

ॐ गुरुिै अष्टा्श भज
ु ायै नमः मध्ये मां पातु ।

ॐ चैतनय षोडश भज
ु ायै नमः ऊध्िय मां पातु ।

ॐ कालक्षयायै ्श भज
ु ायै नमः अधः मां पातु ।

ॐ शत्रम
ु ्य नायै नमः हस्तयोः मां पातु ।

ॐ ज्ञानाय नमः नेत्रयोः मां पातु ।

ॐ द्व्यायै नमः पा्यो मां पातु ।

ॐ महे शाय नमः सिाांगे मां पातु ।

वर्ण न्यास – इस नयास से जीिन के सभी रोग समाप्त हो जाते हैं ।

ॐ परम नमः – ब्रह्म रनरे ॐ तत्िाय नमः – ्क्ष नेत्रे ॐ नारायणाय नमः – िाम नेत्रे ॐ
गरु
ु भ्यो नमः – ्क्ष-िाम कणे ॐ नमः मख
ु े ॐ ॐ नमः – सिाांगे ।

ववन््य न्यास – इस नयास से जीिन के सभी ्ख


ु ्रू हो जाते हैं ।

ॐ परम तत्िाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ।

पैरों से लगाकर ससर तक और ससर से लगाकर पैरों तक ९ – ९ बार यह मंत्र उच्चारण करत हुए
स्पशय करें ।

व्यापक न्यास – इस नयास से समस्त ्े िताओं का साननध्य प्राप्त होता है ।

1. गरु
ु मंत्र को मस्तक से पैरों तक उच्चारण करते हुए आठ बार जपें ।
2. ॐ परम – पैरों से मस्तक तक आठ बार जपें ।
3. ॐ तत्िाय – सामने के भाग पर स्पशय करते हुए आठ बार मंत्र जपें ।
4. ॐ नारायणाय – उच्चारण करते हुए ससर पर स्पशय करते हुए आठ बार मंत्र जपें ।
5. ॐ गुरुभ्यो – उच्चारण करते हुए पीछे के भाग पर आठ बार मंत्र जपें ।
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6. ॐ नमः – मंत्र उच्चारण करते हुए परू े शरीर पर आठ बार मंत्र उच्चारण करें ।

षडंग न्यास -- इस नयास को करने से त्रैलोक्या साधक के िश में हो जाता है ।

ॐ परम तत्िाय नारायणाय गरु


ु भ्यो नमः ह्र्यायै नमः

ॐ परम तत्िाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ससरसे स्िाहा

ॐ परम तत्िाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः सशखायै िषट्

ॐ परम तत्िाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः किचाय हुम ्

ॐ परम तत्िाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः नेत्र-त्रयाय िौषट्

इसके बा् “नारायण” बीज को गौरिणय का ध्यान करते हुए गुरु स्तोत्र (पेज) का पाठ करें ।

इसके बा् “गुरुभ्यो” बीज का शक्


ु ल िणय का ध्यान करते हे ननम्न श्लोक का उच्चारण करें ।

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