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मेरी बेकरार वीवी और म वेचारा पित - Printable Version http://www.sexbaba.net/printthread.php?

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मेरी बेकरार वीवी और म वेचारा पित - Printable Version

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RE: मेरी बेकरार वीवी और म वे चारा पित - desiaks - 08-01-2016

ये रब भी िकतनी ज ी अपना बदला पूरा कर लेता है ..

अभी कुछ दे र पहले ही म अपने केिबन म यासमीन को नंगा करके उसके रसीले म े चूस रहा था ...

और अब िवकास अपने ही केिबन म मेरी बीवी के टॉप को ऊपर कर उसके म े चूस रहा था ...

म उसके गोरे िज की क ना कर रहा था...

मने उसकी लो वे जी दे खी थी ...


पहले भी वो कई बार पहन चुकी थी ...
मगर क ी के साथ ही पहनती थी ...
जी उसके मोटे गदराये चूतड़ से ३-४ इं च नीचे तक ही आती थी ...
उसकी क ी का काफी िह ा िदखता रहता था ..

और अभी तो उसने िबना क ी के पहनी है ...

उसकी जी का बटन उसकी चूत की लकीर से १ इं च ऊपर ही था और िफर २ इं च की चेन थी ..


िजसको खोलते ही उसकी चूत भी साफ़ िदख जाती थी ..
जी इतनी टाइट थी िक बटन खुलते ही चेन अपने आप खुल जानी थी ..

म यही सोच रहा था िक िवकास पूरा मजा ले रहा होगा ..


१०० % उसकी उँ गिलयाँ मेरी बीवी िक चूत पर होंगी...

उधर उनकी आवाज आनी कम तो हो गई थी ं ..

मतलब अब उनके हाथ ादा काम कर रहे थे ...

जूली: ओह िवकास ीज मत करो ...


अह्हाआआआआ
दे खो मान जाओ ..कोई आ जायेगा अभी ...
और बखेरा हो जायेगा ....

पुच च च च च
श ्र् र शपर र् र
पुच

िवकास: ा लग रही हो तुम यार ????


सच पूरा बम का गोला हो ...
यार तु ारी मुिनआ तो और भी ारी हो गई ...
लगता है जैसे ू ल म पड़ने वाली लड़की की हो ...

जूली: हाँ मुझे पता है ...

1 of 31 02-09-2016 03:32
मेरी बेकरार वीवी और म वेचारा पित - Printable Version http://www.sexbaba.net/printthread.php?tid=1446&page=6

मेरी ब त छोटी हो गई है ...


और तु ारा ब त बड़ा ....हा हा ...
अब अपना ये मुहं बंद करो ....ओके
ादा लार मत टपकाओ ...
अपना हाथ मेरी जी से बहार िनकालो ..चलो ..
मुझे जाना भी है ...यार...
बाहर अनु वेट कर रही होगी ...

अह्हाआआआ ओह ब ् ्
् ह
न यार ...ओह ह्हह ् ह
् ह
् ह
् ह
् ह
् ह ् ह

िवकास: वाओ यार सच यहाँ से तो नजर ही नही ं हटती ..


ा मजेदार और िचकनी है ...
और ा खु बू है यार ....

जूली: अ ा हो गया बस ब त याराना ....


चलो अब पीछे हो ...

िवकास: नही ं यार ऐसा जु मत करो ...


ओह नही ं यार
अभी को तो ...
बस एक िमनट ...यार
अभी कर लेना बंद ...

जूली: ों अब ा अंदर घुसोगे ...

िवकास: अरे नही ं यार इतनी जगह कहाँ है इसम ..


बस जरा अपने प ू को भी िदखा दू ँ ...
ब त िदनों से उसने कोई अ ी मुिनया नही ं दे खी ...

जूली: जी नही ं रहने दो ...ये कोई दशनी नही ं है ..जो कोई भी आये और दे ख ले ...
उउउउइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइ
री रे रे
बाप रे याआआआअरर् र् र
ये तो ब त बड़ा और िकतना गरम है ....
अह्हह ् ह् ह
् ाआआआआ

ओह लगता है िवकास ने अपना ल बाहर िनकाल िलया था ....

िवकास: अह्हह ् ऐसे ही जान ..


िकतना सुकून िमल रहा है इसको ...
ये तो तु ारे हाथ की गम से ही िपघलने लगा ...

मुझे पता था ...


ये जूली की सबसे बड़ी कमजोरी थी ..
ल दे खते ही उसे अपने हाथ से पकड़ लेती थी ...
इस समय वो ज र िवकास का ल पकड़ ..ऊपर से नीचे नाप रही होगी ...

् ह
िवकास: अह्हह ् ाआआआ

जूली: सच यार ...िकतना मोटा और बड़ा हो गया है यार ये तो ...

िवकास: आअह्हह ् ह
् ह
् ाआ ....
अरे हाँ यार मुझे भी आज ये पहली बार इतना मोटा नजर आ रहा है ..
लगता है तु ारी मुिनया दे ख फूल रहा है शाला ...हा हा

जूली: ओह सीधे रहो ना ..


मेरी जी ों खी ंच रहे हो ...

िवकास: अरे अह्हह ् ाआआ ओह यार ये इतनी टाइट ों है ... नीचे ों नही ं हो रही ...
ीज जरा दे र के िलए उतार दो न ...

2 of 31 02-09-2016 03:32
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जूली: िबलकुल नही ं ....


दे खो मेरी जी भी मना कर रही है ...
हमको और आगे नही ं बढ़ना है समझे ...

् ाआ
िवकास: यार म तो मर जाऊँगा .....अह्हह

जूली: हाँ जैसे अब तक कुछ नही ं िकया तो जैसे मर ही गए ....

िवकास: यार जरा सी तो नीचे कर दो ..


मेरे प ू को मत तरसाओ ...
एक चु ा तो करा दो ना अपनी मुिनया का ....

जूली: तो यार पूरी तो बाहर है ...


लो अह्हह् ह
् ाआआआ
िकतना गरम है यार ...
हो गया ना चु ा ...

ओह लगता है जूली ने िवकास का ल अपनी चूत से िचपका िलया था ....

िवकास: आआआआह्हह ् ह
् ह
् ह
् ह
् ह
् ाआ नहीईईईईईईईईई
ओर् र करो याआआआअरर् र

जूली: ा मोटा सुपाड़ा है यार ..


िबलकुल लाल मोटे आलू जैसा ....

िवकास: हाइई न ह ...क ा बोला तुमने ...

जूली: अरे यार इसको आगे वाले को सुपाड़ा ही कहते हों ना ...

िवकास: हे हे ो हाँ िबलकुल ..


लेिकन तु ारे मुहं से सुनकर मजा आ गया ...
एक बात पूछूं .. ा तुम से के समय इनके दे शी नाम भी बोलती हो ...

जूली: आर ए हाँ यार ..वो सब तो अ ा ही लगता है ना ...

िवकास: वाओ यार म तो वैसे ही शमा रहा था ...


यार ीज मेरा ल को कुछ तो करो यार ...

जूली: अरे तो कर तो रही ँ ...


पर ीज उसके िलए मत कहना ...
म अभी तु ारे साथ कुछ भी करने के िलए िबलकुल भी तैयार नही ं ँ ....

िवकास: ीज यार अह्हह ् ह् ाआआआआ


ऐसे ही अह्हह ् ह
् ाआआआ
तु ारे हाथ म तो जादू है यार ...
अह्हह् ाआआआआ ओह्हह ् ह् ह
् ह
् ह
् ह
् ह
् ह

आअह्हह ् ह
् ाआआआआआआ

पता नही चल रहा था िक जूली िवकास के ल से हाथ से ही कर रही थी ..या मुहं से ..


वैसे उसको तो चूसने की ब त आदत थी .....

तभी ...
आह्हह् ह
् ाआआआआआआआआ उउउउउ

जूली: ओह तुमने मेरा पूरा हाथ ख़राब कर िदया ...


वैसे ...ब ु ◌ुु ु ु ◌ु ु ु िकतना सारा ...
ु ु ु
यार आराम से ......
ब ् ्स ना हो गया अब तो ....

ठक ठक ...ठक ठक ...

जूली: अर् र रे कौन आया ..????

3 of 31 02-09-2016 03:32
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िवकास: अरे रामू होगा ...


कॉफ़ी लाया होगा ....
ज ी से सही कर लो ...

.............
........................

िवकास: आओ कौन है ...

....: हम ह सर ...कॉफ़ी ....

िवकास: अरे इधर ू ल पर ों बैठ रही हो ..


सामने कुस पर बैठो न ..

जूली: अरे नही ं म ठीक ँ ...

िवकास: हाँ लाओ रामू ....यहाँ रख दो ..???

रामू: जी सर ......

.....
....................ओह चााराआआ ्क
ओह सॉरी सर .....

िवकास: दे खकर नही ं रख सकते ....


सब िगरा दी .......
ओह ...............

........
.............

RE: मेरी बेकरार वीवी और म वे चारा पित - desiaks - 08-01-2016

[b]हर अगला पल एक नए रोमांच को लेकर आ रहा था मेरे जीवन म ..

म फोन हाथ से पकडे ..कान पर लगाये ..हर हलकी से हलकी आवाज भी सुनने िक कोिशश कर रहा था ..

अभी-अभी मेरी बीवी ने अपने पुराने दो के ल को अपने हाथ से पकड़कर उसका पानी िनकाला था ...

हो सकता है िक उसने ल को चूमा भी हो ...

ना केवल उसने अपने दो के ल से खेला था ..


व अपने कपडे अपने कीमती खजाने ..वो अंग जो हमेशा छु पे रहते ह ..
उनको भी नंगा करके उसने अपने दो को िदखाया था ...

जहाँ तक मुझे समझ आया था ...


उसने अपनी चूिचयाँ नंगी करके उससे चुसवाई..मसलवायी ं ...
अपनी चूत को ना केवल नंगा करके िदखाया व चूत को दो के हाथ से सहलवाया भी ..
हो सकता है उसने ऊँगली भी अंदर डाली हो ...

कुल िमलाकर दोनों अपना पूरा मनोरं जन िकया था ...


और साथ म मेरा,अनु और आपका भी ...

उस आवाज से मुझे ये तो लग गया था िक वहां कुछ िगरा था ..


पर ा ..कहाँ ...
और अभी वहां ा चल रहा था ??
पता नही ं चल रहा था .......

तभी मुझे अनु की आवाज सुनाई दी ...

अनु : हे लो भैया ...

4 of 31 02-09-2016 03:32
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ब त समझदार थी अनु ...


उसने मेरे िदल की बात सुन ली थी ...

म: हाँ अनु ..अभी ा हो रहा है ...

अनु: हे हे भैया ..भाभी तो ना जाने ा ा कर रही थी अंदर ...


आपने सुना न ..हे हे हे हे ..

म: अरे तू पागलों की तरह हसना बंद कर ..


और सुन ...

अनु: ा भैया ??

म: अरे तूने जो दे खा ...और अभी ये सब ा आ ..

अनु: अरे भाभी ू ल पर बैठी है ना ..


तो वो चाय जो लेकर आया था उसने भाभी को दे खते ए ..चाय िगरा दी ...

म: अरे कहाँ िगरा दी ...और ा दे खा उसने ..

अनु: वो भाभी के बैठने से उनकी जी नीचे हो गई थी ...और उनके चूतड़ दे ख रहे थे ..


बस उनको दे खते ही उसने चाय मेज पर िगरा दी ...
हे हे हे हे ब त मजा आ रहा है ..

म: ओह िफर ठीक है ...िकसी पर िगरी तो नही ं ना ..

अनु: नही ं ...पर वो आदमी चाय पोछते ए अभी भी भाभी के चूतड़ ही िनहारे जा रहा है ..

म: ों जूली कुछ नही ं कर रही ??

अनु: अरे वो तो उसकी और पीठ करके बैठी ह ना...


और उसकी नजर वहीँ है ..
घूर घूर कर दे ख रहा है ..

म: चल ठीक है तू अपनी जगह बैठ ..


शाम को िमलकर बात करते ह ...

तभी मेरा केिबन म िपंकी वेश करती है ...


ओह म सोच रहा था की या ीन को बुलाकर थोड़ा ठं डा हो जाता ...
ुिक इस सब घटना म म ल ब त गरम हो गया था ...

मगर िपंकी को भी दे ख िदल खुश हो गया ...


आ खर आज सुबह ही उसकी चूत और गांड के दशन िकये थे ...

िपंकी: मे आई किमंग सर ..

म: हाँ बोलो िपंकी ा आ ...??


ा िफर टॉयलेट यूज़ करना है ...

वो बुरी तरह शरमा रही थी ..


उसकी नजर ऊपर ही नही ं उठ रही थी ..
िपंकी जमीन पर नजर लगाये ..आपने पैर से जमीन को रगड़ भी रही थी...

िपंकी: ओह ...ववव वो नही ं सर ...

म: अरे यार ..तुम इतना ों शरमा रही हो ..


ये सब तो नामल चीज है ...
हम लोगो को आपस म िबलकुल खुला होना चािहए ..तभी जॉब करने म मजा आता है ..
वरना रोज एक सा काम करने म तो बो रयत हो जाती है ...

िपंकी: जी सर ...

5 of 31 02-09-2016 03:32
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वो आज आपने मुझे दे ख िलया न तो इसीिलए ..

म : हा हा अरे ी ..म तो तुमको रोज ही दे खता ँ ..


इसम नया ा ...

म उसका इशारा समझ गया था ..पर उसको नामल करने के िलए बात को फॉमल बना रहा था ..
म चाह रहा था की ज से ज िपंकी खुल जाये और िफर से चहकने लगे ...

िपंकी: अरे नही ं सर आप भी ना ..

लग रहा था िक वो अब कुछ नामल हो रही थी ..


वो आकर मेरे सामने खड़ी हो गई थी ..

मने उसको बैठने के िलए बोला ..


वो मेरे सामने कुस पर बैठ गई ...

िपंकी: वो सर आपने मुझे उस हालत म दे ख िलया था ..


म: ओह ा यार ?? ा सीधा नही ं बोल सकती िक नंगा दे ख िलया था ...

िपंकी: ह वही सर ....

म: अरे तो ा आ ..??
वो तो यासमीन ने भी दे खा था ...
और तु ारे बदन पर केवल तु ारे पित का कॉपी राइट थोड़ी है िक उसके अलावा कोई और नही ं दे खेगा ....

िपंकी: ा सर ?? आप कैसी बात करते हो ...


एक तो आपने मुझे वैसे दे ख िलया ...
और अब ऐसी बात ...
मुझे ब त शम आ रही है ...

म: ये गलत बात है िपंकी जी ...


कल से अपनी ये शम घर छोड़कर आना ..समझी ..वरना मत आना ...

िपंकी: नही ं सर ऐसा मत किहये ीज ..यहाँ आकर तो मेरा कुछ मन बहल जाता है ...
वरना ...

म: अरे कोई परे सानी है ा ???


िपंकी तु ारी शादी को िकतना समय हो गया ...

िपंकी: यही कोई ४-५ साल ...

म: िफर कोई बेबी ...

िपंकी: आ था सर पर रहा नही ं ...

म: ओह आई एम सॉरी ...

िपंकी: कोई बात नही ं सर ...

म: िफर दु बारा कोिशश नही ं की ...

िपंकी: डॉ र ने अभी मना कर रखा है सर ...

म: ओह ... तु ारी से लाइफ तो सही चल रही है ना ...

िपंकी: ्म ठीक ही है सर ...

वो अब काफी नामल हो गई थी ...


मेरी हर बात को सहज ले रही थी ...

म: अरे ऐसे ों बोल रही हो ...??


कुछ गड़बड़ है ा ??

6 of 31 02-09-2016 03:32
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िपंकी: नही ं सर ठीक ही है ...

वो अभी भी आपने बारे म सब कुछ बताने म िझझक रही थी ...

म माहोल को थोड़ा ह ा करने के िलए ..

म: वैसे िपंकी सच ..तुम अंदर से भी ब त सु र हो ..


तु ारा एक एक अंग साँचे म ढला है ...
ब त खूबसूरत सच ...

िपंकी बुरी तरह से लजा गई ...

िपंकी: सर ....

म:अरे यार इतना भी ा शरमाना ...

मने अपनी पट की िज़प खोल अपना ल बाहर िनकाल िलया था ...


ुिक वो ब त दे र से तने तने ..अंदर दद करने लगा था ...

मेरा ल कुछ दे र पहले जूली और अब िपंकी की बातों से पूरी तरह खड़ा हो गया था ..
और लाल हो रहा था ...

म अपनी कुस से उठकर ..


िपंकी के पास जाकर खड़ा हो जाता ँ ...

म: लो यार अब शरमाना बंद करो ..


मने तो तुमको दू र से ही नंगा दे खा ..पर तुम िबलकुल पास से दे ख लो ..
हा हा
और चाहो तो छूकर भी दे ख सकती हो ..

िपंकी की आँ ख फटी पड़ी थी ..


वो भौच ी सी कभी मुझे और कभी मेरे ल को िनहार रही थी ...

म डर गया ...पता नही ं ा करे गी ..???

..........
.....................[/b]

RE: मेरी बेकरार वीवी और म वे चारा पित - desiaks - 08-01-2016

[b][b]िपंकी मेरे केिबन म कुस पर बैठी कसमसा रही थी ...

२८-२९ साल की एक शादीसुदा मगर बेहद खूबसूरत लड़की ...


िजसको मेरे यहाँ ाइन िकये अभी १ महीना भी नही ं आ था ...

उसकी आज सुबह ही मने नंगी चूत और चूतड़ के दशन कर िलए थे ..

और इस समय वो कुस पर बैठी थी ...


म उसके ठीक सामने खड़ा था ...

मेरा ल पट से बाहर था ..पूरी कड़ी अव था म ...

और वो िपंकी से चेहरे के इतना िनकट था िक उसके बाल उड़ते ए मेरे ल से टकरा रहे थे ...

१००% उसको मेरे ल िक खु बू आ रही होगी ...


जो आज सुबह से ही म था ...
रं जू भाभी और यासमीन के थूक और चूत का पानी ल पर चमक रहा था ...

ुिक आज सुबह से तो मने एक बार भी ल नही ं धोया था ...

िपंकी ब त तेज साँसे ले रही थी ...


उसकी घबराहट बता रही थी ...िक उसको इस तरह से करने िक िबलकुल आदत नही ं थी ..

7 of 31 02-09-2016 03:32
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वो एक शम ली और शायद अब तक अपने पित से ही एक बंद कमरे म चुदी थी ...

और शायद अपने पित के अलावा उसने िकसी का ल नही ं दे खा था ...

ज़माने भर िक घबराहट उसके चेहरे से नजर आ रही थी ...

िपंकी: ् र ये ा र रहे ह आॅ ाप
ीज इसको बंद कर लीिजये ....
कोई आ जाएगा ....

म अपने ल को और भी ादा आगे आकर ठीक उसके गाल से पास लहराते ए ...

म: अरे ा यार ...मने कहा ना यहाँ हम सब दो ों की तरह रहते ह ...


जब मने तु ारे अंग दे खे ह तो तुम मेरे अ ी तरह से दे ख लो ...
म नही ं चाहता की िफर मेरे सामने आते ए तुमको जरा भी शम आये ...

िपंकी: ओह ..नननननही एआईसी कोई बाआत नही ं है ..


मुझे ब त डर लललललग रहा है ...
ीज ........

िपंकी ने अपने दोनों हाथ अपनी आँ खों पर रख िलए ..

अब मने अपना ल अपने हाथ से पकड़ कर ल का टॉप िपंकी हाथों के िपछले िह ों पर रगड़ा ...

िपंकी के हाथ कांपने लगे ...

म: ये गलत बात है यार िपंकी ...


हम बाहर िनकाले खड़े ह और तुम दे ख भी नही ं रही ...

िपंकी के मुहं से जरा भी आवाज नही ं िनकल रही थी ...

उसके लाल कापते होंठों को दे ख ...जो बस जरा से खुले थे ...


मेरा िदल बेईमान होने लगा ...

मने ल को िहलाते ए ही ...िपंकी की नाक के िबलकुल पास से लाते ए ..उसके कांपते होंठों से ह ा सा छु आ ..

बस यही बो पल था ..जब िपंकी को अपने होंठ सूखे होने का एहसास आ ..और उसने अपनी जीभ िनकाल अपने होंठो को गीला
करने का सोची ..

और उसकी जीभ सीधे मेरे ल के टॉप (सुपाड़ा) को चाट गई ...

ल इस छु अन को बदा नही ं कर पाया ..और उसमे सो एक दो बू पानी की ..बाहर आ ..चमकने लगी....

िपंकी को भी शायद नमकीन सा ाद आया होगा ...

उसने एक चटकारा सा िलया ..िक ये कैसा ाद है ..

और अबकी बार उसने अपने हाथ अपनी आँ खों से हटा िलए ...

िपंकी ने आँ खे खोलकर जैसे ही ल को अपने होंठो के इतने पास दे खा ...


वो बुरी तरह शमा गई ...
और उसको एहसास हो गया िक ये जो उसने अभी िलया ..वो िकस चीज का ाद था ....

उसकी तड़फन दे ख मुझे एहसास होइ रहा था ..िक ये इतनी ज ी ..सब कुछ के िलए तैयार नही ं होगी ...

और म जबरद ी को िबलकुल भी पसंद नही ं करता था ...

म चाहता था िक िपंकी खुद पूरे खेल म साथ दे ..तभी मजा आएगा ...

मने िपंकी के दोनों हाथो को अपने हाथों म लेकर कहा ..

म: ओह इतना ों शरमा रही हो यार ... हम केवल थोड़ा सा ए जॉय ही तो कर रहे ह ...

8 of 31 02-09-2016 03:32
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िजससे हम दोनों को ही कुछ ख़ुशी िमल रही है ..


अगर तुमको अ ा नही ं लग रहा तो कसम से म कभी तु े िबलकुल परे सान नही ं क ँ गा ..
वो तो तुम खुद को नंगा दे खे जाने से इतना शरमा रही थी ..तभी मने तु ारी शरम दू र करने के िलए ही ये सब िकया ...

िपंकी: ् वो बात नही ं ... र ... र

मतलब उसका भी मन था ..मगर पहली बार होने से शायद घबरा रही थी ...

इसका मतलब अभी उसको समय दे ना होगा ..

धीरे धीरे सब नामल हो जायेगा ...

म: अ ा बाबा ठीक है ...अब एक िकस तो कर दो ..


मने अंदर कर िलया ...

िपंकी जैसे ही आँ खे खोलकर आगे को ई ...


एक बार िफर मेरा ल उसके होंठों पर िटक गया ..

अबकी बार तो कमल हो गया ..

िपंकी ने अपने हाथ से मेरा ल पीछे करते ए कहा ..

िपंकी: ओह सर ..आप भी ना ....इसको अंदर कर लो ..म अभी इस सबके िलए तैयार नही ं ँ ....

मेरे िदल ने एक जैकारा लगाया ..वाओ इसका मतलब बाद म तैयार हो जाएगी ...

मने उसको ादा परे सान करना ठीक नही ं समझा ...

मने अपना ल िकसी तरह पट म अंदर कर नामल हो अपनी कुस पर आकर बैठ गया ...

िपंकी अपनी जगह से उठकर ...

िपंकी: सॉरी सर मने आपका िदल दु खाया ...


िफर कमब काितल मु ु राहट के साथ पूछती है ..
ा म आपका बात म यूज़ कर सकती ँ ..

मेरे कोई र ांस न दे ने पर भी वो मु ु राती ई बाथ म म घुस जाती है ...

म कुछ दे र तक उसकी हरकतों के बारे म सोचता रहता ँ ...

िफर अचानक से मुझे जोश आ जाता है ...


िक दे खू तो सही िक कैसे शुशु कर रही है ...

और अपनी जगह से उठकर बाथ म से दरवाजे तक जाता ँ ...

अपने ालों म उसकी शुशु करती ई त ीर िलए म बाथ म का दरवाजा पूरा खोल दे ता ँ ....

और ....

..........[/b][/b]

RE: मेरी बेकरार वीवी और म वे चारा पित - desiaks - 08-01-2016

[b][b][b]म कई तरह से सोचता आ िक .....

ना जाने बाथ म म िपंकी ा कर रही होगी ..??

अभी सूसू कर रही होगी ...


या कर चुकी होगी ...

कमोड पर साड़ी उठाये बैठी होगी ...

9 of 31 02-09-2016 03:32
मेरी बेकरार वीवी और म वेचारा पित - Printable Version http://www.sexbaba.net/printthread.php?tid=1446&page=6

या वैसे ही कड़ी होगी जैसा मने सुबह दे खा था ..

कहते ह िक ये मन वावला होता है ...

ये तय माण मेरे सामने था ....

१ िमनट म ही मेरे मन ने िपंकी के ना जाने िकतने पोज़ बना िदए थे ...

और दरवाजा खोलते ही ये सब के सब धूिमल हो गए ...

िपंकी सीसे के सामने खड़े हो अपने बाल ठीक कर रही थी ...

उसने बड़े नामल ढं ग से मुझे दे खा ..जैसे उसको पता था िक म ज र आऊंगा ...

अमूमन उसको चोंक जाना था .. मगर ऐसा नही ं आ ..

वो मुझे दे ख म मु ु राई ...

िपंकी: ा आ ??

म: कुछ नही ं यार ... मेरा भी ेशर बन गया था ...


और उसको नजरअंदाज कर मने अपना ल बाहर िनकाल उसके उसकी और पीठ कर मूतने लगा ...

ये बहाना नही ं था ...


इस सबके बाद मुझे बाकई ब त तेज ेशर बन गया था ...

मने गौर िकया िपंकी पर कोई फक नही ं पड़ा ...वो वैसे ही अपने बाल बनाती रही ...

और शायद मु ु रा भी रही थी ...

ब त मु ल है इस दु िनया म ..नारी को समझ पाना..


और उनके मन म ा है ...ये तो उतना ही मु ल है जैसे ये बताना िक अंडे म मुगा है या मुग ...

मूतने के बाद मने जोर जोर से पाने ल को िहलाया ..


ये भी आज आराम के मूड म िबलकुल नही ं था ...

अभी भी १८० एं गल पर खड़ा था ...

म लड को िहलाते ए ही िपंकी के पास चला गया ...

आवो वाशबेिसन के सीसे पर ही अपने बाल बना रही थी ...

मल को पट से बाहर ही छोड़ अपने हाथ धोने लगा ..

िपंकी ने फोमली मुझे दे खा ...

िपंकी: अरे ...इसको अंदर ों नही ं करते ??

म: हा हा (हँ सते ए) ...तुमको शम नही ं आती जहाँ दे खो वहीँ अंदर करने की बात करने लगती हो ...हा हा

वो एक दम मेरी ि अथ बात समझ गई ...

और समझती भी ों नही ं ...


आ खर शादीसुदा और कई साल से चुदवाने वाली अनुभवी नारी थी ...

िपंकी: जी वहां नही ं ...म पट के अंदर करने की बात कर रही ँ ...

म: ओह म समझा िक साड़ी के अंदर ..हा हा ...

िपंकी: हो हो वस हर समय आपको यही बाते सूझती ह ...

म: अरे यार अब ...जब तुमने बीवी वाला काम नही ं िकया तो उसकी तरह बहार भी मत करो ...
ये करो ...वो मत करो ...

10 of 31 02-09-2016 03:32
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अरे यार जो िदल म आये ....जो अ ा लगे ...


वो करना चािहए ...

िपंकी: इसका मतलब पराई ी के सामने अपना बाहर िनकाल कर घूमो ....

म: पहले तो आप ..हमारे िलए पराई नही ं हो ...


और ये ही ऐसी जगह है जहाँ इस बेचारे को आज़ादी िमलती है ...
और िपंकी िडअर मुझको कहने से पहले ..अपना नही ं सोचती हो ...

िपंकी: मेरा ा ...?? म तो ठीक ही खड़ी ँ ना ...

म: म अब की नही ं ..सुबह की बात कर रहा ँ ...


कैसे अपनी साड़ी पूरी कमर से ऊपर तक पकडे और वो से ी गुलाबी क ी नीचे तक उतारे ...
अपने सभी अंगों को हवा लगा रही थी ं ...
तब मने तो कुछ नही ं कहा ...

िपंकी: ओह आप िफर शु हो गए ...


अब बस भी करो ना ...

म: ों तुम अपना बाहर रखो कोई बात नही ं ...पर मेरा बाहर है तो तुमको परे सानी हो रही है ...

िपंकी: अरे आप हमेशा बाहर रखो ..और सब जगह ऐसे ही घूमो ...मुझे ा ??

िपंकी मेरे से अब काफी फॉमल होने लगी थी ...

मेरा ान ..उसको ओपन करने का ..कामयाब होने लगा था ....

िपंकी: अ ा म चलती ँ ...उसने एक पैकेट सा वाशबेिसन की साइड से उठाया ...

मेरी िज ासा बड़ी अरे इसम ा है ???


वो शायद टॉयलेट पेपर म कुछ िलपटा था ...
मने तुरंत उसके हाथ से झपट िलया ..

म: ये ा लेकर जा रही हो यहाँ से ...

और छीनते ही वो खुल गया ...

तुरंत एक कपडा सा नीचे िगरा ..

अरे ये तो िपंकी की क ी थी ...

वही सुबह वाली ..से ी, हलके नेट वाली ...गुलाबी ..

िपंकी के उठाने से पहले ही मने उसको उठा िलया ...

मेरा हाथ म क ी का चूत वाले िह े का कपडा आया ...

जो काफी गीला और िचपिचपा सा था ...

ओह तो िपंकी ने बाथ म म आकर अपनी क ी िनकाली थी ...


ना की सूसू की थी ...
इसका मतलब उस समय ये भी पूरी गीली हो गई थी ..
िपंकी ने मेरे ल को पूरा ए जॉय िकया था ..
बस ऊपर से नखरे िदखा रही थी ...

िपंकी: उ फ़ ा करते हो ??
दो मेरा कपडा ...

म: अरे कौन सा कपडा ी ...??


मने उसके सामने ही उसकी क ी का चूत वाला िह ा अपनी नाक पर रख सूंघा ...
अरे ये तो लगता है तुमने क ी म ही सूसू कर दी ..

िपंकी: जी नही ं वो सूसू नही ं है ...

11 of 31 02-09-2016 03:32
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ीज मुझे और परे सान मत करो ...


दे दो ना ये ...

म: अरे बताओ तो यार ा ...???

िपंकी: मेरी पटी ..बस हो गई ख़ुशी ...अब तो दो ना .,

म: जी नही ं ये तो अब मेरा िग है ...


इसको म अपने पास ही रखूँगा ...

िपंकी चुपचाप पैर पटकते ए ... बाथ म और िफर केिबन से भी बाहर चली जाती है ...

पता नही ं नाराज होकर या .....

िफर म कुछ काम म िबजी रहता ँ ...

शाम को फोन चेक करता ँ तो २-३ िमसकॉल जूली की थी ं ...

म कॉल बैक करता ँ ...

जूली: अरे कहाँ थे आप ...म कतना कॉल कर रही थी आपको ...

म: ा आ ??

जूली: सुनो... मेरी जॉब लग गई है ..


वो जो ू ल है न उसमे ...

म: चलो म घर आकर बात करता ँ ...

जूली: ठीक है ...हम भी बस प ँ चने ही वाले ह ...

म: अरे अभी तक कहाँ थी ं ..

जूली: अरे वो वहां साड़ी म जाना होगा ना ...


तो वही शॉिपंग और िफर टे लर के यहाँ टाइम लग गया ..

म: ओह ...चलो तुम प ँ चो ...


मुझे भी १-२ घंटे लगगे ...

जूली: ठीक है कॉल कर लेना ..जब आओ तो ...

म: ओके डािलग ...बाय..

जूली: बाय जानू ...

म अब ये सोचने लगा िक यार ये शाम के ६ बजे तक बाजार म कर ा रही थी ..??

और टे लर से ा िसलवाने गई थी ...??
है कौन ये टे लर ???

........[/b][/b][/b]

RE: मेरी बेकरार वीवी और म वे चारा पित - desiaks - 08-01-2016

[b][b][b][b]पहले म घर जाने िक सोच रहा था ...

पर इतनी ज ी घर प ं चकर करता भी ा?

अभी तो जूली भी घर नही ं प ं ची होगी .....

म अपनी कॉलोनी से मा १० िमनट िक दू री पर ही था ...

12 of 31 02-09-2016 03:32
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सोच रहा था िक ैट िक दू सरी चावी होती तो चुपचाप ैट म जाकर छु प जाता ...

और दे खता वापस आने के बाद जूली ा ा ..करती ...

पर चावी मेरे पास नही ं थी ......

अब आगे से ये भी ान रखूँगा ....

तभी अनु का ान आया ....

उसका घर पास ही तो था ...


एक बार म गया था जूली के साथ ....

सोचा चलो उसके घर वालों से िमलकर बता दे ता ँ ..


और उन लोगों को कुछ पैसे भी दे दे ता ँ ...

अब तो अनु को हमेशा अपने पास रखने का िदल कर रहा था ...

गाड़ी को गली के बाहर ही खड़ा करके ...


िकसी तरह उस गंदी सी गली को पार करके म एक पुराने से छोटे से घर म घर के सामने का...

उसका दरवाजा ही टू टफूट के ट ों और टीन से जोड़कर बनाया था ...

मने हलके से दरवाजे पर नोक िकया ...

दरवाजा खुलते ही म चोंक गया ...


खोलने वाली अनु थी ...

उसने अपना कल वाला ॉक पहना था ...


मुझे दे खते ही खुश हो गई ...

अनु: अरे भैया आप...

म: अरे तू यहाँ ...म तो समझ रहा था िक तू अपनी भाभी के साथ होगी ...

अनु: अरे हाँ ..म कुछ दे र पहले ही तो आई ँ ...


वो भाभी ने बोला ..अब शाम हो गई है तू अब घर जा ..
और कल सुबह ज ी बुलाया है ...

म अनु के घर के अंदर गया ..मुझे कोई नजर नही ं आया ...

म: अरे कहाँ है तेरे मां पापा ...

अनु: पता नही ं ...सब बाहर ही गए ह ...


मने ही आकर दरवाजा खोला है ...

बस उसको अकेला जानते ही मेरा ल ..िफर से खड़ा हो गया ...

म ..वहीँ पड़ी ..एक टू टी सी चारपाई पर बैठते ए ..


अनु को अपनी गोद म खी ंचता ँ ...

अनु दू र होते ए ...

अनु: ओह ..यहाँ कुछ नही ं भैया ...


कोई भी अंदर दे ख सकता है ..
और सब आने वाले ही होंगे ...
म कल आउं गी ना ..तब कर लेना ...

वह रे अनु ...वो कुछ मना नही ं कर रही थी ...


बस उसको िकसी के दे ख लेने का घर था ..
ुिक अभी बो अपने घर पर थी तो ...

िकतनी ज ी ये लड़की तैयार हो गई थी ...

13 of 31 02-09-2016 03:32
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जो सब कुछ खुलकर बोल रही थी ..

म अनु और िपंकी की तुलना करने लगा ...

ये िजसने ादा कुछ नही ं िकया ..िकतनी ज ी सब कुछ करने का सहयोग कर रही थी ...

और उधर वो अनुभवी ..सब कुछ कर चुकी िपंकी ..िकतने नखरे िदखा रही थी ...

शायद भूखा इं सान हमेशा खाने के िलए तैयार रहता है ..ये बात थी ..या अनु की गरीबी ने उसको ऐसा बना िदया था .

मने अनु के मासूम चूतड़ों पर हाथ रख उस अपने पास िकया ..और पूछा ..

म: अरे मेरी गुिड़या ..म ऐसा कुछ नही ं कर रहा ...


ये तो बता जूली खुद कहाँ है ...

अनु: वो तो अ ु ल अंकल के यहाँ होंगी ...


वो उ ोंने ३ साड़ी ली ह ना ..तो उसके ाउज और पेटीकोट को िसलने दे ना था ...

म: अरे कुछ दे र पहले फोन आया था ..िक वो तो उसने दे िदए थे ...

अनु: नही ं वो बाजार वाले दरजी ने मना कर िदया था ..


वो ब त दे र म िसलकर दे ने वाला था ..
तो भाभी ने उसको नही ं िदया ...
और िफर मुझको छोड़कर .अ ु ल अंकल के यहाँ चली गई ...

म सोचने लगता ँ की अरे वो अ ु ल वो तो ब त कमीना है ...

और जूली ने ही उससे कपडे िसलाने को खुद ही मना िकया था ...

तभी ...
अनु के चूतड़ों पर ॉक के ऊपर से ही हाथ रखने पर मुझे उसकी क ी का एहसास आ ...

मने तुरंत ..अचानक ही उसके ॉक को अपने दोनों हाथ से ऊपर कर िदया ...

उसकी पतली पतली जाँघों म हरे रं ग की ब त सु रक ी फंसी ई थी ...

अनु जरा सा कसमसाई ...


उसने तुरंत दरवाजे की ओर दे खा ...

और म उसकी क ी और क ी से उभरे ए उसके चूत वाले िह े को दे ख रहा था ...

उसके चूत वाली जगह पर ही िम ी माउस बना था ..

मने क ी के बहाने उसकी चूत को सहलाते ए कहा ..

म: ये तो ब त सु र है यार ..

अब वो खुश हो गई ...

अनु: हाँ भैया ..भाभी ने दो िदलाई ..


और वो मुझसे छूटकर तुरंत दू सरी लेकर आती है ..

वो भी वैसी ही थी पर लाल सुख रं ग की ..

म: वाओ ..चल ये भी पहनकर िदखा ...

अनु: नही ं अभी नही ं ...कल ..

म भी अभी ज ी म ही था ...
और कोई भी वाकई आ सकता था ...

िफर मने सोचा ा अ ु ल के पास जाकर दे खू वो ा कर रहा होगा ...??

14 of 31 02-09-2016 03:32
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पर िदमाग ने मना कर िदया ...म नही ं चाहता था ..िक जूली को शक हो िक म उसका पीछा कर रहा ँ ...

िफर अनु को वहीँ छोड़ ...म अपने ैट िक ओर ही चल िदया ...


सोचा अगर जूली नही ं आई होगी तो कुछ दे र रं जू भाभी के यहाँ ही बैठ जाऊंगा ..

और अ ा ही आ जो म वहां से िनकल आया ...


वाहर िनकलते ही मुझे अनु िक माँ िदख गई ..
अ ा आ उसने मुझे नही ं दे खा ...

म चुपचाप वहां से िनकल... गाड़ी ले.... अपने घर प ं च जाता ँ ...

म आराम से ही टहलता आ ितवारी अंकल के ैट के सामने से गुजरा ...

दरवाजा ह ा सा िभड़ा आ था बस ...


और अंदर से आवाज आ रही थी ं ...

म दरवाजे के पास कान लगाकर सुनने लगा ..


िक कही ं जूली यही ं तो नही ं है ...

रं जू भाभी: अरे अब कहाँ जा रहे हो ..कल सुबह ही बता दे ना ना ...

अंकल: तू भी न ..जब बो बोल रही है तो ..उसको बताने म ा हज है ..


उसकी जॉब लगी है ..
उसके िलए िकतनी ख़ुशी का िदन है ...

रं जू भाभी: अ ा ठीक है ज ी जाओ और हाँ वैसे साड़ी बंधना मत िसखाना ..जैसे मेरे बांधते थे ..

अंकल: हे हे तू भी ना ..तुझे भी तो नही ं आती थी साड़ी बांधना ...


तुझे याद है अभी तक कैसे म ही बांधता था ..

रं जू भाभी: हाँ हाँ ..मुझे याद है ..िक कैसे बांधते थे ..


पर वैसे जूली की मत बाँधने लग जाना ..

अंकल: और अगर उसने खुद कहा तो ...

रं जू: हाँ वो तु ारी तरह नही ं है ...तुम ही उस वैचारी को बेहकाओगे ..

अंकल: अरे नही ं मेरी जान ..ब त ारी ब ी है ..


म तो बस उसकी हे करता ँ ..

रं जू: अ ा अब ज ी से जाओ ..और तुरंत वापस आना ...

म भी तुरंत वहां से हट ..एक कोने म को चला जाता ँ ..


वहां कुछ अँधेरा था ...

इसका मतलब ितवारी अंकल मेरे घर ही जा रहे ह ..


जूली यहाँ प ं च चुकी है ...

और अंकल उसको साड़ी पहनना िसखाएं गे ...

वाओ ..मुझे याद है िक जूली ने शादी के बाद बस ५-६ बार ही साड़ी पहनी है ...

वो भी तब... जब कोई फैिमली फं न हो तभी....

और उस समय भी उसको कोई ना कोई हे ही करता था ...

मेरे घर िक मिहलाय ना िक पु ष ...

पर अब तो अंकल उसको साड़ी पहनाने म हे करने वाले थे ...

म सोचकर ही रोमांच का अनुभव करने लगा था ...

िक अंकल ..जूली को कैसे साड़ी पहनाएं गे ...

15 of 31 02-09-2016 03:32
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पहले तो मने सोचा िक चलो जब तक अंकल नही ं आते ..रं जू भाभी से ही थोड़ा मजे ले िलए जाएँ ..

पर मेरा मन जूली और अंकल को दे खने का कर रहा था ...

िकिचन की ओर गया ...

खड़की तो खुली थी ...


पर उस पर चढ़कर जाना संभव नही ं था ...
इसका भी कुछ जुगाड़ करना पड़े गा ...

िफर अपने मु गेट की ओर आया ...

और िदल बाग़ बाग़ हो गया ...

जूली ने अंकल को बुलाकर गेट लॉक नही ं िकया था ...

ा िक त थी यार ...??

और म ब त हलके से दरवाजा खोलकर अंदर दे खता ँ ...

और मेरी बांछे खल जाती ह ...

अंदर ...इस कमरे म कोई नही ं था ...

शायद दोनों बैड म म ही चले गए थे ...

बस म चुपके से अंदर घुस दरवाजा िफर से वैसे ही िभड़ा दे ता ँ ...

और चुपके चुपके ..बैड म की ओर बढ़ता ँ ...

जाने ा दे खने को िमले .....????


........
......................[/b][/b][/b][/b]

RE: मेरी बेकरार वीवी और म वे चारा पित - desiaks - 08-01-2016

[b][b][b][b][b]मेरे सभी ारे दो ों ....


िजंदगी के कुछ ऐसे पहलू होते ह ...जहाँ हमारा समाज कई भागों म बंट जाता है ...

म शायद इस सबका अकेला जवाब नही ं दे सकता ...

आप यकीन करो या मत करो ...

म कई बार खुद को ब त बेचारा सा समझने लगा था ..

ये केवल से की पूित के िलए ही नही ं था ...

हमारा समाज िकतना भी नारी श और उनके अिधकारों का िढं ढोरा पीट ले ...
पर ु अंत म सब ओर पु ष धानता ही नजर आती है ...

शायद ब त से पु ष छु पकर तो उस सबको मानते ह और शायद करते भी ह ...


पर समाज के सामने िफर से वही दिकयानूसी मुखौटा लगा लेते ह ...

सभी दो लोग सोच रहे होंगे िक अरे कही ं िकसी दू सरी कहानी म नही ं आ गए ...
या ये आज इस राइटर को हो ा गया है ...
जो उपदे श और िश ा जैसी बात करने लगा है ...

तो दो ों ब त से मेल ...स े श ..और कमट से ा आपकी शंकाओं का उ र आज सावजिनक प से दे रहा ँ ...

दो ों मेरे िदल म भी पहले पहले ब त आता था ..


िक मेरी प ी है ..उसका सब कुछ मेरा है ...

16 of 31 02-09-2016 03:32
मेरी बेकरार वीवी और म वेचारा पित - Printable Version http://www.sexbaba.net/printthread.php?tid=1446&page=6

कोई कैसे उसको अ ील नजरों से दे ख सकता है ...


कोई कैसे उसको छू सकता है ...

िफर जब खुद को दे खा तो ...


चाहे कैसी भी नारी िदख जाये ..
जब तक िदखती रहती है ...
नजरों ही नजरों म उसको पूरा नंगा कर दे ते ह ..
उसके अंदर तक कपडे दे ख लेते है ..
िक यार इसने ा पहनी है या नही ं ..अरे इसने तो क ी ही नही ं पहनी ..
और अगर पहनी है ...तो इस रं ग की है ...
जरा सा मौका िमला नही ं िक उसको हर जगह छूने िक कोिशश करते ह ...

जब हम नारी के बराबर अिधकारों िक बात करते ह तो जो सब कुछ पु ष कर सकता है ..


वो नारी ों नही ं ...??

जब पु ष िकसी और नारी को चोदने से बुरा नही ं हो जाता तो नारी ों ...??

जब पु ष िकसी नारी पर गंदे कमट् स कर सकता है ..


तो नारी ों नही ं कर सकती ...

जब हम पु ष िकसी से ी नारी को दे ख उसको पाने का यास कर सकते ह ..


तो नारी को भी अपनी पसंद के पु ष से स बनाने का पूरा अिधकार है ..

हो सकता है मेरी इन बातों से ब त से पु षों के पु ष पर ठे स प ं चे ..


ुिक वो तो नारी पर िसफ अपना अिधकार समझते ह ..
लेिकन दो मदानगी सामान समझने म है ..
न िक केवल अपना सोचने म ...
ुिक मेरी समझ के अनुसार ऐसे मानिसक रोगी ही बला ार को ज दे ते ह ..
और खुद को मद समझते ह ...

मेरी समझ म नपुंषक ..जो से ना कर पाएं वो नही ं ...


व वो ह जो नारी के ित ब त छोटी सोच रखते ह ..

दो ों म भी अपनी ारी प ी जूली को ब त ार करता ँ ...


और जब म हर तरह से ए जॉय करता ँ ..
तो ये अिधकार उसको भी है ...

हाँ अगर कोई उसको परे सान करे गा ..


या उसकी मज के िबना उसको ग ी नजर से दे खेगा भी ..
तो माँ कसम ..उसकी आँ ख िनकाल लूंगा ...

और हाँ मेरी कहानी का टाइटल ..


मेरी बीवी िक बेकरारी ..केवल से के िलए ही नही ं ..
व हमेशा कुछ नया पाने और नया करने के िलए ही है ...
म बेचारा ...जरा सोचना ...
जब कोई मेरी बीवी को िकसी और पु ष के िनकट दे खता है ..
तो केवल उसके मुहं से यही िनकलता है ...
बेचारा रोिबन ...
और अपनी बीवी की हर बेकरारी दे खने के िलए म इस कदर बैचेन रहता ँ ..
िक कई बार खुद को बेचारा ही समझता ँ ...

दो ों अभी तो कहानी की शु आत मा है ..
यकीन मानो आपका ार िमला तो ये कहानी सालों साल चलती रहे गी ...

अब तो आप लोगों की आदत सी हो गई है ...

अपनी हर बात आपसे शेयर करने का मन होता है ...

ये भी उतना ही स है ...िक म इस कहानी के एक भी भाग के बारे म जरा भी नही ं सोचा ..

सीधे सीधे यही िलखना शु करता ँ ...


मेरे पास कही ं इस कहानी का कुछ भी अंश नही ं है ..

17 of 31 02-09-2016 03:32
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बस िजतना याद आता जाता है ..वो ही िलखता रहता ँ ...


इसीिलए कुछ िम े क भी हो जाती ह ...

मगर आप लोग मेरी हर गलती को भी ीकार करते हो ..


और भरपूर तारीफ एवं ार दे ते हो ..
आपका ब त ब त शुि या ...

आपका रोिबन ...[/b][/b][/b][/b][/b]

RE: मेरी बेकरार वीवी और म वे चारा पित - desiaks - 08-01-2016

[b][b][b][b][b][b]कमरे म वेश करते ए एक डर सा भी था ..


बताओ अपने ही घर म घुसते ए डर लग रहा था ..

जबिक पडोसी मेरी बीवी के साथ बेधड़क ..मेरे बेड म म घुसा था ...

और ना जाने ा- ा कर रहा था ...

म ब त धीमे क़दमों से इधर उधर दे खते ए आगे बढ़ रहा था ..


िक कही ं कोई दे ख ना ले ..

सच खुद को इस समय ब त बेचारा समझ रहा था ...

मुझे अ ी तरह याद है करीब एक साल पहले ..एक फैिमली शादी के फं न म भी जूली को साड़ी नही ं बंध रही थी...

तब उसके ताऊ जी ने उसकी हे की थी ...


पर उस समय म नही ं दे ख पाया था ..िक कैसे उ ोंने जूली को साड़ी पहनाई ..

ुिक ताउजी ने सबको बाहर भेज िदया था ...

और मने या िकसी ने कुछ नही ं सोचा था ...

ुिक ताउजी ब त आदरणीय थे ...

मगर अब ितवारी अंकल को दे खने के बाद तो िकसी भी आदरणीय पर भी भरोसा नही ं रहा था ...

िफ़लहाल िकसी तरह म बेड म के दरवाजे तक प ं चा ..

दरवाजे पर पड़ा परदा मेरे िलए िकसी वरदान से कम नही ं था ...

इसके िलए मने मन ही मन अपनी जान जूली को ध वाद िदया ...

ुिक ये मोटे परदे उसी की पसंद थे ..


जो आज मुझे िछपाकर ..उसके रोमांच को िदखा रहे थे ...

अंदर से दोनों की आवाज आ रही थी ...

मने अपने को पूरी तरह िछपाकर ..


परदे को साइड से ह ा सा हटा अंदर झाँका ...

दे खने से पहले ही ....मेरा ल पट म पूरी तरह से अपना सर उठकर खड़ा हो गया था ...

उसको शायद मेरे से ादा दे खने की ज ी थी ...

अंदर पहली नजर मेरी जूली पर ही पड़ी ..

माय गॉड ..ये ऐसे गई थी आज ..


पूरी क़यामत लग रही थी ..मेरी जान ...

उसने अभी भी जी और टॉप ही पहना था ...

पपल कलर की लो वे जी ंस और सफ़ेद शट नुमा टॉप ...

18 of 31 02-09-2016 03:32
मेरी बेकरार वीवी और म वेचारा पित - Printable Version http://www.sexbaba.net/printthread.php?tid=1446&page=6

जो उसकी कमर तक ही था ...

टॉप और जी ंस के बीच करीब ६-७ इं च का गैप था ..


जहाँ से जूली की गोरी चा िदख रही थी ...

जूली की बैक मेरी ओर थी ,...

इसिलए उसके म चूतड़ जो जी ंस के काफी बाहर थे वो िदख रहे थे ...

अब मने उनकी बात सुनने का यास िकया ...

अंकल: अरे बेटा तू िचंता ना कर ...


म सब सेट कर दू ं गा ...

जूली: हाँ अंकल ..आप िकतने अ े हो ...


मगर भाभी की ये साड़ी म कैसे पहनूंगी ...

अंकल: अरे म ँ ना ... तू ऐसा कर तेरे पास जो भी पेटीकोट और ाउज हों वो लेकर आ ...
म अभी मैच कर दे ता ँ ...
दे खना तू कल ू ल म सबसे अलग लगेगी ...

जूली: हाँ अंकल ...म भी चाहती ँ िक ..मेरी जॉब का पहला िदन सबसे अ ा हो ...
मगर इस साड़ी ने सब वधान डाल िदया ..

अंकल: तू जो साड़ी लाई है ..ह तो सब बिढ़या ...

जूली: हाँ अंकल ..मगर इनके ाउज, पेटीकोट तो कल शाम तक ही िमलगे ना ...
बस कल की िचंता है ...

जूली बेड म म ही अपनी कपड़ों की रे क म खोजने लगती है ...


मुझे याद है िक उसके पास कोई ३-४ ही साड़ी थी ं ..
जो उसने शु म ही ली थी ...
और सभी साड़ी फं न म पहनने वाली है वी साड़ी थी ं ..
जो नामल नही ं पहन सकते ...
शायद इसीिलए वो परे सान थी ...

तभी जूली अपनी रे क के सबसे नीचे वाले भाग को दे खने के िलए उकड़ू बैठ गई ...

मने साफ़ दे खा िक ..उसकी जी ंस और भी नीचे खसक गई ..


और उसके चूतड़ लगभग नंगे दे ख रहे थे ...

अब मने अंकल को दे खा ..
वो ठीक जूली के पीछे ही खड़े थे ...
और उनकी नजर जूली के नंगे चूतड़ों की दरार पर ही थी ...

िफर अचानक अंकल जूली के पीछे ही बैठ गए ..


मुझे नजर नही ं आया ..
मगर शायद उ ोंने अपना हाथ ..जूली के उस नंगे भाग पर ही रखा था ...

अंकल: ों आज तू ऐसे ही पूरा बजार घूम कर आ गई ..िबना क ी के ..


दे ख सब नंगे िदख रहे ह ...

जूली: हाँ हाँ लगा लो िफर से हाथ बहाने से ...


आप भी ना अंकल ...
तो ा आ ...??
सब आपकी तरह थोड़ी होते ह ...

अंकल भी िकसी से कम नही ं थे .


उ ोंने हाथ फेरते ए ही कहा ..

अंकल: अरे म भी यही कह रहा ँ बेटा ...


सब मेरे तरह शरीफ नही ं होते ...

19 of 31 02-09-2016 03:32
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म तो केवल हाथ ही लगा रहा ँ ...


बाकी रा म तो सबने ा ा लगाया होगा ...

जूली हाथ म कुछ कपडे ले ज ी से उठती है ...

जूली: अ ा अंकल जी छोड़ो इन बातों को ...


आप तो ज ी से मेरी साड़ी का सेट करो ..
मुझे ब त टशन हो रही है ...

तभी कुछ दे र तक अंकल और जूली कपड़ों को उलट पुलट करके कोई एक सेट िनकलते ह ..

अंकल: बेटा मेरे िहसाब से तू इन सबमे ब त ठीक लगेगी ...

जूली: मगर अंकल इस साड़ी के साथ ..आपको ये पेटीकोट कुछ गहरा नही ं लग रहा ...

अंकल: अरे नही ं बेटा ...तू कहे तो म तुझको िबना पेटीकोट के ही साड़ी बांधना िसखा दू ँ ...
पर आजकल साड़ी इतना पारदश हो गई ह िक सब कुछ िदखेगा ...

जूली: हाँ हाँ आप तो रहने ही दो ...


चलो म ये दोनों कपडे पहन कर आती ँ (वो पेटीकोट और ाउज) हाथ म ले लेती है ..
िफर आप साड़ी बांधकर िदखा दे ना ...

अंकल: अरे क ना ...कहाँ जा रही है बदलने ..

जूली: अरे बाथ म म ..और कहाँ ...


आप साड़ी ही तो बांधोगे ना ..
ये पेटीकोट और ाउज तो मुझे पहनने आते ह ...

अंकल: जी हाँ ..पर साड़ी के साथ पेटीकोट और ाउज म ी पहनाता ँ ...


अब तुम सोच लो पेटीकोट और ाउज भी मुझ ही से पहनोगी ..तभी साड़ी भी पहनाऊंगा...
हा हा हा ...

जूली: ओह ैकमेल ...मतलब साड़ी पहनाने िक फीस आपको एडवांस म चािहए ...

अंकल: अब तुम जो चाहे समझ लो ...


मेरी यही शत है ...

जूली: हाँ हाँ उठा लो मज़बूरी का फ़ायदा ...


अ ा ज ी करो अब ..
रोिबन कभी भी आ सजते ह ..(उसने अपना मोबाइल को चेक करते ए कहा )...

एक बार तो मुझे लगा िक कही ं वो मुझे कॉल तो नही ं कर रही ...


मने तुरंत अपना मोबाइल साइलट कर िलया ...

अंकल जूली के हाथ से ाउज ले खोलकर दे खने लगे ..

जूली ने अपने टॉप के बटन खोलते ए ...

जूली: अब ये कपडे तो म खुद उ र लूँ ..या ये भी आप ही उतारोगे ...

अंकल: हाँ क क ...आज सब म ही क ँ गा ...

और जूली बटन खोलते खोलते क जाती है ...

अब अंकल ाउज को अपने कंधे पर डाल ..


बड़े ही फनी अंदाज़ से जूली के टॉप के बाकी बचे बटन खोल दे ते ह ...

और जूली भी िबना िकसी िवरोध के अपना टॉप िनकलवा लेती है ..

थ गॉड उसने अंदर ा पहनी थी ...


जो ब त से ी प से उसके खूबसूरत गोलाइयों को छु पाये थी ...
मगर लो वे जी ंस म उसका नंगा सु ाकार पेट और ऊपर केवल ा म ..कुल िमलकर जूली से की दे वी जैसी िदख रही थी ...

20 of 31 02-09-2016 03:32
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जूली होंठो पर मु ु राहट िलए लगातार अंकल की आँ खों और उनके कांपते हाथों को दे ख रही थी ..

और अंकल की पतली हालत को दे खकर मु ु राते ए ..वो पूरी सैतान की नानी लग रही थी ..

अंकल ने जैसे ही ा को उतारने का उप म िकया ..


तभी ...

जूली: अर ई इसे ों उतार रहे ह .. ाउज तो इसके ऊपर ही पहनओगे ना ...

अंकल: ो हाँ ..पर ा तुम ा नही ं बदलोगी ..

जूली: वो तो सुबह भी दे ख लुंगी ..


अभी तो ऐसे ही पहना दो ...

म केवल ये सोच रहा था ..


की चलो ऊपर का तो ठीक ही है ...
पर नीचे का ा होगा .???
नीचे तो उसने कुछ नही ं पहना है ...
जी ंस उतरते ही उसकी चूत, चूतड़ सब िदखाई दे जायगे ...
ा ये ऐसे ही खड़ी रहे गी ..

म अभी सोच ही रहा था ,,िक .....

अंकल ने जूली की जी ंस का बटन खोल िदया ..

तभी जूली ने िफर थोड़ा सा िवरोध िकया ...

जूली: अरे अंकल पहले ाउज तो पहना ही दे ते ..


िफर नीचे का ...

अंकल ने जैसे कुछ सुना ही नही ं ...

चाहते तो जी ंस की चेन ..दोनों भाग को खी ंच कर खुल जाती ...मने भी कई बार खोली है ..पर

अंकल ने जी ंस की चेन को अपने अंगूठे और उँ गिलयों से पकड़ बड़े क क कर खोल रहे थे ...

चेन ठीक जूली की फूली ई चूत के ऊपर थी ..

१०० % उनकी उं गिलया जूली की नंगी चूत को टच हो रही होंगी ...

इसका पता जूली के चेहरे को दे खकर ही लग रहा था ..

उसने मदहोशी से अपनी आँ खे बंद कर ली थी ..

और उसके लाल र मय होंठ काँप रहे थे ...

चेन खोलने के बाद अंकल ने उसकी जी ंस दोनों हाथ से पकड़ ..


पहले जूली के चूतड़ से उतारी ..और िफर जूली के जांघों और पाओं से ..
जूली ने भी बड़े से ी अंदाज़ से अपना एक एक पैर उठा ..उसे दोनों पाओ से िनकलबा िदया ...

इस दौरान अंकल की नजर ऊपर जूली की चूत ..और उसकी खुलती ..बंद होती किलयों पर ही थी ...

मेरे बेड म म अंकल की सांसे इतनी तेज चल रही थी ..


जैसे कई मील दौड़ लगाकर आये हों ...

और अब जूली अंकल के सामने ..


कमरे की सफेद रोसनी म केवल छोटी िमनी ा म पूरी नंगी खड़ी थी ...

अब शायद उसको कुछ शम आ रही थी ..

उसने अपनी टांगों को कैची की तरह बंद कर िलया था ..


अंकल ने मु ु राते ए ही पेटीकोट उठाया और उसको पहनाने लगे ...

21 of 31 02-09-2016 03:32
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अब मुझे अंकल ब त ही शरीफ लगने लगे ...

एक इतने खूबसूरत लगभग न को दे खकर भी अंकल उसको िबना छु ए ..िबना कुछ िकये ...कपडे पहनाने लगे ...

बाकई ब त सयंम था उनमे ...

अंकल ने ऊपर से पेटीकोट ना डालकर ...


िफर जूली के पैरों को उठाकर नीचे से पेटीकोट पहनाया ..
और ब त ही से ी अंदाज़ से ..जूली को टीस करते ए उसके पेटीकोट का नाड़ा बाँधा ...

िफर उ ोंने जूली को ाउज पहनाते ए कई बार उसकी चूची को छु आ और बटन लगाते ए दबाया भी ..

म बुरी तरह बैचेन हो रहा था ...


और सोच रहा था की ा ताउजी ने भी जूली को ऐसे ही टीस िकया होगा ...
या इससे भी ादा ...

ोंिक उस शादी से पहले एक बार भी हमारे घर ना आने वाले ताउजी उस शादी के बाद ३-४ बार च र लगा चुके ह ...

अब ये राज तो जूली या िफर ताउजी ही जाने ..

इस समय तो ितवारी अंकल ब त ार से बताते ए जूली के एक एक अंग को छूते ए ..


उसको साड़ी का हर एक घूम िसखा रहे थे ...
...

......
...................[/b][/b][/b][/b][/b][/b]

RE: मेरी बेकरार वीवी और म वे चारा पित - desiaks - 08-01-2016

केवल पेटीकोट और ाउज म अपने सफ़ेद बदन को समेटे ..शरमाती, सकुचाती ..जूली ..
ब त क़यामत लग रही थी ..

ितवारी अंकल ने करीब १५ िमनट तक उसको साड़ी पकड़ना, उसको लपेटना, ेट्स और प ू ना जाने ा- ा ..

जूली के हर एक अंग को छूते ए, सहलाते ए, दबाते ए ..और चूमते ए उ ोंने आ खरकार साड़ी को बाँध ही िदया ...

वैसे िदल से म भी ितवारी अंकल की तारीफ करने से नही ं चूका ...

ा साड़ी बाँधी थी उ ोंने ..


जूली साड़ी म कभी इतनी से ी नही ं लगी ...

मुझे पहले लग रहा था ..


िक केवल साड़ी बाँधने नही ं ..व जूली से म ी करने के िलए उ ोंने झूठ बोला होगा ...

मगर अंकल म टै लट था ...


वाकई ऐसी साड़ी कोई ए पट ही बाँध सकता था ...

साड़ी पहने होने के बाद भी जूली का हर एक अंग ..का उतार चड़ाव साफ़ नजर आ रहा था ...

ाउज और साड़ी के बीच ..उ ोंने, काफी जगह खुली छोड़ी थी ...

ाउज तो जूली का पुराना वाला ही था ..जो शायद कुछ छोटा हो गया था ...

उसमे से उसकी दोसनो चूची ..गजब तरीके से उठी ई ..अपनी पूरी गोलाई िदखा रही थी ...

और ाउज इतना पतला, झीना था िक उसकी ा का एक एक लेस और अकार साफ़ नजर आ रहा था ...

साड़ी उ ोंने नािभ से काफी नीचे बांधी थी ....

इसीिलए उसकी लुहावनी नािभ, सु ाकार पेट और कमर का कव तो िदल पर छु रयाँ चला रहा था ..

अंकल ने जूली के हर खूबसूरत अंग को ब त खूबसूरती से साड़ी से बाहर नंगा छोड़ िदया था ...

22 of 31 02-09-2016 03:32
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कुल िमलाकर एक आकषक से अपील दे दी थी उ ोंने ...

मने मन ही मन खुद उनको ध वाद िदया ...

जूली ब त खुश िदख रही थी ...

वो बार बार खुद को डे िसंग टे बल के सामने खड़ी हो ..हर और से ..घूम घूम कर .... चारों ओर से दे ख रही थी ....

अंकल भी मु ु रा रहे थे ...

जूली: ओह थ ु अंकल ...


आप बाकई ब त अ े हो ...
मजा आ गया ...

अंकल ..ठीक जूली के पीछे प ं च गए ...


उ ोंने अपना हाथ जूली के नंगे पेट पर रख उसको अपने से िचपका िलया ...

अंकल: दे खा मेरी हीरोइन िकतनी खूबसूरत है ...

जूली: हाँ अंकल आपने तो िबलकुल हीरोइन ही बना िदया ...

अंकल अपना हाथ जूली के पेट के िनचले िह े तक ले गए ..

अंकल: बेटा जब बाहर जाओ तो क ीज र पहनकर जाना ...

जूली: अ ा ..म तो पहनकर जाऊं ..और आप िबना अंडरिवयर के ही आ जाओ ...

अंकल: हे हे हे अरे मेरा ा है , ...तो तूने दे ख िलया ..

जूली: इतनी दे र से ..आपसे ादा तो... आपका प ू ही लुंगी के बाहर आ मुझे दे ख रहा था ..

मने ान िदया िक अंकल ने केवल लुंगी और सडो बिनयान ही पहनी थी ...

वैसे वो इ ी कपड़ों म सब जगह घूम लेते थे ...


कभी कभी तो कॉलोनी के बाहर भी ...

हाँ उ ोंने अंदर अंडरिवयर भी नही ं पहना था... ये नही ं पता था ..

अंकल: तु े तो पता है बेटा मुझे पसीना ब त आता है ..और िफर अंदर खा रज़ हो जाती है ..
इसीिलए अंडरिवयर नही ं पहनता ...

तभी िबंदास जूली ने एक अनोखी हरकत कर दी ..

उसने अपना सीधा हाथ पीछे कर कुछ पकड़ा ..मुझे तो नही ं िदखा ...

पर वो अंकल का ल ही था ...

जूली: लगता तो ऐसा है ...जैसे आपके प ू को ही कैद म रहने िक िबलकुल आदत नही ं है ...
जब दे खो लुंगी से भी बाहर आ जाता है ...

् ह
अंकल: अह्हह ् ह
् ाआआआआआ .हाँ ये भी है ...

जूली: अ ा तो इसको यहाँ से तो दू र करो ना ..


कही ं मेरी साड़ी म ऐसी वैसी जगह ध ा लगा िदया ..तो हो गया िफर ..
कल म ा पहनकर जाउं गी ...

अंकल: अरे आअह्हह ् ह


् ाआआआ ओह्हह
् ह
् ह
् ह
् ह
् ह
् ह

हे ◌ेे े े े े े◌े े े े◌े आःआआ

जूली: ओह अंकल ....ये ा .....?????


उ ् मेरा हाथ ..........

23 of 31 02-09-2016 03:32
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हा हा हा ..लगता है अंकल संभाल नही ं पाये थे ...


जूली का हाथ लगते ही ...
उनका बह गया था ....

जूली ने डे िसंग टे बल से माल उठाकर ...अपना हाथ और अंकल का ल भी साफ़ कर िदया ...

् ह
अंकल: सॉरी बेटा ...ह्हह ् ह्हह
् वो म ा ..??

जूली: अरे कोई बात नही ं अंकल ..


हा हा
हो जाता है ...
चिलए आपको साड़ी पहनने का इनाम तो मने दे िदया ..
ठीक है ...

अंकल: नही ं ये कोई इनाम नही ं आ ...


वो तो म तेरी ारी मुिनया पर चु ी करके लूंगा ..

उनका इशारा जूली िक चूत की ओर ही था ...

जूली: नही ं जी म अभी ये साड़ी नही ं उतारने वाली ..


आज म अपने जानू का ागत ऐसे ही क ँ गी ..

अंकल: कोण जानू ..म तो यहाँ ही ...

जूली: हे हे ..... म आपकी बात नही ं कर रही ँ अंकल ..


म रोिबन की बात कर रही ँ ...
वो बस आते ही होंगे ..
अब आप जाओ ीज ...

अंकल: ा यार ...बस एक चु ी ...


अ ा म साड़ी नही ं उत ं गा ..
बस ऊपर करके ले लूंगा ...

अंकल जूली की साड़ी िफर से ऊपर करने लगे थे .

मुझे लगा िक अगर जोश म आ उ ोंने कही ं साड़ी खोल दी तो म अपनी जान को ऐसे कपड़ों म ार नही ं कर पाउँ गा ...

बस म दरवाजे तक गया ..
और ज़ोर से खोलते ए ...

म: अरे तुम आ गई जान ....


जाआआआं न कहाँ हो ????

.......

RE: मेरी बेकरार वीवी और म वे चारा पित - desiaks - 08-01-2016

ितवारी अंकल ६४-६५ साल की आयु म वो मजे ले रहे थे ..


जो शायद उ ोंने कभी अपनी जवानी म भी नही ं िलए होंगे ...

एक जवान २६-२७ साल की शादीसुदा, सु र नारी के साथ वो से का हर वो खेल...


ब त अ ी तरह से खेल रहे थे ...
जो अब तक उ ोंने सपनो म सोचा और दे खा होगा ...

जूली जैसी सुंदरता की मूरत नारी को साधारतया दे खते ही पु षों की हालत पतली हो जाती थी ..

वो िदन रात बस एक नजर उसको दे खने की कामना रखते थे ...

वो जूली ...बेहद िक तशाली ितवारी अंकल ..के हर सपने को पूरा कर रही थी ...

ितवारी अंकल की िक त उन पर पूरी मेहरवान थी ..

24 of 31 02-09-2016 03:32
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वो जूली को पूणतया न अव था म दे ख चुके थे ..

उसके सभी अंगों को भरपूर ार कर चुके थे ...

सबसे बड़ी बात वो जब िदल चाहे उनसे मजे लेने आ जाते थे ...

अभी कुछ दे र पहले ही ..मेरे सामने उ ोंने ..जूली के हर अंग ...


मतलब ..
उसकी रसीली चूिचयों को सहलाते ए ... ाउज पहनाया था ..
उसकी सफ़ेद,गोरी केले जैसी िचकनी जाँघों, चूत और चूतड़ सभी को अ ी तरह छूकर, सहलाकर और रगड़कर पेटीकोट पहनाया ..
िफर उसका नाड़ा बाँधा ..
और अंत म पूरे शरीर को ही रगड़ते ए उसके एक एक कव का मजे लेकर साड़ी बाँधी ..

वो सब तो िफर भी ठीक ..पर


उस सपनो की रानी के गरमा गरम कोमल हाथों म अपना ल दे िदया ...
और िफर उ ी हाथों म वीय िवसजन कर दे ना ...

इतना सब दे खने के बाद जब मने िफर से उनकी इ ा जूली की नंगी चूत के चु े की सुनी ...

और वो उसकी साड़ी को ऊपर करने लगे ..


जहाँ मुझे पता था ...िक जूली ने क ी भी नही ं पहनी है ...

म तुरंत अपनी उप थित बताने के िलए ..


पहले मैन गेट तक गया ...
और तेजी से दरवाजे को खोलते ए ही अंदर आया..

म िबलकुल नही ं चाहता था िक उनको जरा भी पता चले ..


मुझे उनके िकसी भी रोमांस की जरा सी भी भनक है ..

म: जूली ओ जान तुम आ गई..


कहाँ हो ..??

म सीधे बेड म के परदे तक ही आता ँ ..

म दे खना चाहता था ..

दोनों मेरे बेड म म अकेले ह ..


वो दोनों मुझे अचानक दे खकर कैसा रये करते ह ..

मगर परदा हटाते ही मने तो दे ख िलया ..


िक ु उ ोंने मुझे दे खा या नही ं ..
पता नही ं ...

मेरे दरवाजे तक जाने तक ही ..


अंकल ने जूली को िब र के िकनारे पर िलटा िदया था ..

मने दे खा अंकल भौच े से उठकर ...


जूली को बोल रहे थे ..

अंकल: ज ी सही हो ..
लगता है रोिबन आ गया ..ओ बाबा ..

और जूली िब र के िकनारे पीछे को लेटी थी ...


उसके दोनों पैर ..मुड़े ए िकनारे पर रखे थे ...
और पूरे चौड़ाई म खुले थे ..
उसकी साड़ी ..पेटीकोट के साथ ही कमर से भी ऊपर होगी ..
ुिक ..एक नजर म मुझे केवल जूली की नंगी टाँगे और हलकी सी चूत की भी झलक िमल गई थी ..

मुझे िबलकुल पता नही ं था िक वो चु ा ले चुके थे ..


या केवल साड़ी ही ऊपर कर पाये थे ..

25 of 31 02-09-2016 03:32
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म एक दम से पीछे को हो गया ..
तभी मुझे जूली के िब र से उठने की झलक भी िदखाई दी ..

२ सेकंड ककर जब मुझे लगा िक अब दोनों सही हो गए होंगे ..

म कमरे म वेश करता ँ ...

अंकल का चेहरा तो सफ़ेद था ..

मगर जूली नामल तरीके से अपनी साड़ी सही कर रही थी ...

जूली: ओह जानू आप आ गए ..
िबलकुल ठीक समय पर आये हो ..
दे खो म कैसी लग रही ँ ....

मेरे िदल ने कहा ..हाँ जान जूली ..


तु ारे िलए तो सही समय पर आया ँ ...
पर अंकल को दे खकर िबलकुल नही ं लग रहा था ..
िक म ठीक समय पर आया ँ ...
ब त मायूस िदख रहे थे बेचारे ...

उनके चेहरे को दे खकर ऐसा ही लग रहा था..


जैसे ब े के हाथ से उसकी चॉकलेट छीन ली हो ..

वैसे गम इतनी है िक आइस ीम का उदाहरण ादा सटीक रहे गा ...

म: वाओ जान ..आज तो िबलकुल क़यामत लग रही हो ..


म तो हमेशा कहता था ...
िक साड़ी म तो मेरी जान क ेआम करती है ..

जूली: हाँ हाँ रहने दो आपको तो हर डे स दे खकर यही कहते हो ...


आपको पता है न मेरी जॉब लग गई है ...

म तुरंत आगे बढ़कर जूली को सीने से लगा ..एक चु ा उसके होंठो पर कर दे ता ँ ..

ये मने इसिलए िकया िक अंकल थोड़ा नामल हो जाएँ ..


वरना इस समय अगर म जरा ज़ोर से बोल दे ता को कसम से वो बेहोश हो जाते ..
ुिक िदल से बाकई ितवारी अंकल ब त अ े इं सान थे ..
और हाँ मेरी रं जू भाभी भी ...

म: हाँ जान तुमको ब त ब त बधाई ..


चलो अब तुम िबलकुल बोर नही ं होगी ...
ये ब त अ ा आ ...

जूली: लव यू जान ..
और हाँ वहां साड़ी पहनकर ही जाना है .
और अंकल ने मेरी ब त हे की है ..

अंकल: अरे कहाँ बेटा ..


बस जरा सा तो बताया है ...
बाकी तो तुमको आती ही है ...
अ ा अब तुम दोनों ए जॉय करो ..
म चलता ँ ...

म: अरे अंकल को ना ...


खाना खाकर जाना ...

जूली: पर मने अभी तो कुछ भी नही ं बनाया ..

म: तो बना लो ना ...या ऐसा करते ह कही ं बाहर चलते ह ...

अंकल: अरे बेटा ...म तो चलता ँ ..

26 of 31 02-09-2016 03:32
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म तो साधा सा ही खाता ँ ..
और रं जू भी इ जार कर रही होगी ...

जूली: ठीक है अंकल ..थ ू ...


और हाँ सुबह भी आपको हे करनी होगी ..
अभी तो एक दम से मेरे से नही ं बंधेगी ..ये इतनी ल ी साड़ी ...

अंकल: अरे हाँ बेटा जब चाहे बुला लेना ...


अंकल चले जाते ह ...

जूली: हाँ जानू चलो कही ं बाहर चलते ह खाने पर ..


पर कहाँ ..???

म: चलो आज अिमत के यहाँ ही चलते ह ...


वो तो आया नही ं ...
हम ही धमक जाते ह साले के यहाँ ..

जूली: नही ं जानू कही ं और ...बस हम दोनों िमलकर सेिल ेट करते ह ...
िकसी अ े से रे ोरट म चलते ह ..

म : ओके म बस दो िमनट म े श होकर आया ...


और हाँ तुम ये साड़ी पहनकर ही चलना ..

जूली: नही ं जान ..ये तो कल ू ल पहनकर जाउं गी ..


कुछ और पहनती ँ ..
(मुझे आँ ख मारते ए )..
से ी सा ...

म: यार एक काम करो तुम डे स रख लो ..


गाड़ी म ही बदल लेना आज ...

और िबना कुछ सुने म बाथ म म चला जाता ँ ..

अब दे खना था िक जूली डे स बदल लेती है ..


या िफर मेरी बात मानती है ...

.........
....................

RE: मेरी बेकरार वीवी और म वे चारा पित - desiaks - 08-01-2016

बाथ म म ५ िमनट तक तो म ये आहट ..लेता रहा िक कही ं अंकल िफर से आकर अपना अधूरा काय पूरा तो नही ं करगे ...

मगर मुझे कोई आहट नही ं िमली ...

दोनों ही डर गए थे ...
अंकल तो शायद कुछ ादा ही ...
िक मने कही ं कुछ दे ख तो नही ं िलया ...
या मुझे कोई शक तो नही ं हो गया ...

हो सकता है िक अंकल तो शायद डर के मारे १-२ िदन तक मुझे िदखाई भी ना द ...

करीब १५ िमनट बाद म बाथ म से बाहर िनकल कर आया ...

जूली सामने ही अपनी साड़ी को फो करती नजर आई ...

म थोड़ा आ य म पड़ गया ...


िक मेरे कहने के बाद भी उसने कपडे ों बदले ..??

ा वो खुद म ी के मूड म नही ं थी ...??


या मेरे को अभी भी अपनी शराफत िदखा रही थी ..

27 of 31 02-09-2016 03:32
मेरी बेकरार वीवी और म वेचारा पित - Printable Version http://www.sexbaba.net/printthread.php?tid=1446&page=6

म तो ये सोच रहा था ...


िक वो खुद रोमांच से मरी जा रही होगी ..कैसे अपनी साड़ी, ाउज और पेटीकोट खुद चलती गाड़ी म िनकालेगी...
और दू सरी डे स पहनेगी ..
म खुद ब त ही ादा रोमांच महसूस कर रहा था ..
िक आस पास जाने वाली गािड़यां और पैदल चलने वाले लोग ...उसके नंगे बदन या नंगे अंगों को दे ख कैसा रये करगे ...

मगर जूली ने तो सब कुछ एक ही पल म ख़ कर िदया था ...

उसने अपनी डे स घर पर ही बदल ली थी ...

और डे स भी उसने िकतनी साफ़ सुथरी पहनी थी ..


फुल जी और लगभग सब कुछ धका आ है ..
ऐसा टॉप ...

ऐसा नही ं था ..िक इन कपड़ों म कोई से अपील न हो ...

उसकी चूिचयों के उभार और टाइट जी म चूतड़ों का आकार साफ़ िदख रहा था ...

मगर एक मॉडन प रवार की सं ारी ब जैसा ही ...


जैसा अमूमन सभी लड़िकयां पहनती ह ..

जबिक जूली तो ब त से ी है ...


वो तो काफी खुले कपड़ों म भी बाजार जा चुकी है ..

जब वो िदन म िमनी ट महं कर बाजार जा सकती है ..


तब अब तो रात है ...
और वो भी अपने पित के साथ ही जा रही है ...

मेरा मुहं कुछ लटक सा जाता है ...

जूली: आप कपडे यही पहनकर जाओगे या कुछ और िनकालूँ ...

म : बस बस रहने दो ...तुमसे यही पहनकर चलने को कहा था ...


वो तो सुना नही ं ...
और मेरे साथ चल रही हो ..
एक रोमांिटक िडनर पर ...
ऐसा करो बुरखा और पहन लो ..

जूली: ओह मेरा सोना ..मेरा बाबू ..


िकतना नाराज होता है ..

जूली को शायद कुछ समय पहले ई हरकत का थोड़ा सा अफ़सोस सा था ..

वो अपना पहले वाला पूरा ार िदखा रही थी ..

उसने मुझे अपने गले से लगा िलया ..


मुझे िचपकाकर उसने मेरे चेहरे पर कई चु न ले िदए ...

म: बस बस रहने दो यार ..जब हम रोमांिटक होते ह ..तो तुम ज रत से ादा ...बोर हो जाती हो ..

जूली: ा कहा ..म और बोर ...


नही ं मेरे जानू ... तु ारे िलए तो मेरी जान भी हािजर है ..
तुम जैसा चाहो म तो िबलकुल वैसे ही रहना चाहती ँ ..

म: तो ये सब ा पहन िलया .??


तु ारे पास िकतने से डे सेस ह ..
कुछ बिढ़या सा नही ं पहन सकती थी ं ..

जूली: मेरे जानू तुम बोलो तो िफर से साड़ी पहन लेती ँ ..

म: हा हा .िफर तो कल का लंच ही िमल पायेगा ..

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मुझे पता है तुम िकतनी परफे हो साड़ी पहनने म ..

जूली: हाँ ये तो है ..अब आप बताओ ..


जो कहोगे वो ही पहन लुंगी ...

िब र पर जूली की २-३ डे सेस और भी पड़ी थी ..

मने उसकी एक सफ़ेद िमनी ट ..िजसमे आगे और पीछे ब त से ी िप र भी थे ..


और एक लाल ूब टॉप ..िलया ..जो केवल चूची को ही कवर करता था ....

जूली मेरे हाथ से दोनों कपडे लेने की कोिशश करती है ..


जूली: लाओ ना म अभी फटाफट बदल लेती ँ ..

म: अरे छोड़ो यार ये तो अब ...


मने कहा था ना ...
चलो गाड़ी म ही बदल लेना ...

जूली: अरे गाड़ी म कैसे ... ा हो गया है आपको जानू ..??


सब दे खगे नही ं ा ..??

म: अरे कोई नही ं दे खेगा यार ..


चलती गाड़ी म ही कह रहा ँ ..
ना की खुली सड़क पर ...

जूली: गर ...

म: कोई अगर मगर नही ं यार ..


अगर थोड़ा ब त कोई दे खता भी है ...तो हमारा ा जायेगा ...
उसका ही नु ान होगा ...
हा हा हा हा (मने आँ ख मारते ए उसको छे ड़ा)..

अबकी बार जूली ने कुछ नही ं कहा ..


व हलके से मु ु रा दी बस ...

हम दोनों ज ी से ैट लॉक करके गाड़ी म आकर बैठ जाते ह ...

थ गॉड कोई रोकने टोकने वाला नही ं िमला ...

जूली: तो कहाँ चलना है ...

म: बस दे खती रहो ...


मने सोच िलया था .आज फुल म ी करने का ...

म जूली को अब अपने से पूरी तरह खुलना चाह रहा था ..


इसीिलए मने नाइट बार कम रे ोरट म जाने की सोची ..

बो िसटी के बाहरी छोर पर था ..और करीब ३-४ िकलोमीटर दू र था ...

वहां बार डांसर भी थी ं जो काफी कम कपड़ों म से ी डांस करती थी ं ..


खाना और िडं क सब कुछ िमल जाता था ...

और कप भी आते थे ...
इसिलए कोई डर नही ं था ...

मने पहले भी जूली के साथ ५-६ बार िडं क िकया था ..


मुझे पता था वो ह ा िडं क पसंद करती है ..
मगर उसको पीने की ादा आदत नही ं थी ...

शहर के भीड़ वाले ए रया से बाहर आ मने जूली को बोला जान अब कपडे बदल लो ...

जूली आस पास... आती जाती गािड़यों को दे ख रही थी ..

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जूली: ठीक है ..पर हम जा कहाँ रहे ह ...??

म: अरे यार दे ख लेना ...खुद जब प ँ च जायगे ..

जूली िबना कुछ बोले पाने टॉप के बटन खोलने लगती है ....

मने जानबूझकर गाड़ी की ीड कुछ कम कर दी थी ..


िजसका जूली को कुछ पता नही ं चला ...

म जूली पर हलकी सी नजर मार रहा था ...


पर आस पास के लोगो को ादा दे ख रहा था ...
की कौन-कौन मेरी बीवी को दे ख रहा है ...

मगर आती जाती गािड़यों की लाइट से कुछ पता नही ं चल रहा था ....

हाँ फूटपाथ पर जाते ए १-२ लड़कों ने ज र हलकी सी झलक दे खी होगी ...

मने जूली की ओर दे खा ...


उसने टॉप िनकाल िदया था ...
अंदर उसने से ी लेस वाली ीम कलर की ा पहनी थी ...
जो उसके ३६ इं च के म ो का आधा भाग ही कवर कर रही थी ...

केवल ा म जूली का ऊपरी शरीर गजब ढा रहा था ..

जूली लाल वाले ूब टॉप को सीधा करके पहनने लगी ..

मगर मने उसके हाथ से टॉप ले िलया ...

जूली: ा कर रहे हो ?? ज ी दो ना ...अब मुझे पहनने तो दो ..

म: अरे पहले ट पहनो यार ..तुम भी ना ..


तुम भी ना ल तोड़ती हो ...

ए ुअली हम दोनों ने एक िनयम बनाया था ...


पहनते समय ..पहले बॉटम िफर टॉप ..
उतारते समय .. पहले टॉप िफर बॉटम ...

जूली को हं सी आ जाती है ...

जूली: आज तो लगता है आप पहले से ही पीकर आये ह ..


िबलकुल नशे वाली हरकत कर रह ह ...

म: अरे नही ं जानू ..अभी िपएं गे तो बार म जाकर..


तुमको तो पता है ..की पीते भी हम तु ारे साथ ही ह ..

जूली: लगता है आज आप पुरे मूड म ह ...

जूली बात करते ए ही अपनी जी का बटन और चेन खोल ..जीन को बैठे बैठे ही िनकालने की कोिशश की ..

मगर जी ब त टाइट थी ..
जूली के चूतड़ों से उतरी ही नही ं ..

उसको सीट के ऊपर होना पड़ा ...


एक पैर सीट के ऊपर रख जब उसने जी चूतड़ों से उतार दी...
और उसको पैरों से िनकालने लगी ..
तभी मेरी नजर उसके नंगे साफ़ स ाक चूतड़ों पर पड़ी ...

ओह ये ा ...??
उसने अभी भी क ी नही ं पहनी थी ..

और अचानक मेरा पैर ेक पर दब गया ...

एक तेज आवाज के साथ गाड़ी िच ंइइइइइइइइइइइइइइइइइ

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जरा दे र के िलए की ..

और तभी एक बुजुग जोड़ा जो पैदल ही जा रहा था ..


उसके पास ही गाड़ी की ..

और मुझे बुजुग का चेहरा जूली की ओर के सीसे से झांकता िदखा ...

१००% उसने जूली का िनचला शरीर नंगा दे ख िलया होगा ..


मगर ा ये तो वही जनाव बता सकते थे ...

मने तुरंत गाड़ी आगे बड़ा दी ...

अब तक जूली ने जी पूरी िनकाल पीछे सीट पर डाल दी ...

जूली के पुरे शरीर पर अब केवल एक वो ीम कलर की छोटी सी ा ही बची थी ..

और पूरा शरीर नंगा ...िकसी अजंता एलोरा की दे वी जैसी ही नजर आ रही थी ..मेरी जूली इस समय ..

म: ा जान ..क ी कहाँ है तु ारी ...

जूली: ओह े ा आ ...??
मने तो आज पहनी ही नही ं थी ....
अब ा करगे ...???

म: ा यार तुम भी ना ...???


पर आज तो तुमको वहां म ट म ही लेकर जाऊंगा ..

जूली सोच िवचार म कपडे पहनना ही भूल गई थी ..

म अभी सोच ही रहा था िक ..


ओह रे ड लाइट ...

और मुझे वहां कना पड़ा ...

अब जूली को भी अहसास हो गया िक गलती हो गई ..

अगर एक भी गाड़ी हमारे आस पास कती ..


तो उसको एक दम पता चल जाता िक ..
कोई नंगी लड़की गाड़ी म है ...

मेरी भी हालत ख़राब थी ...

म अभी सोच ही रहा था ..

िक तभी मेरी िवंडो पर एक िभखारी और उसके साथ एक लड़की दोनों आकर खड़े हो गए ...

म अभी उस िभखारी को दे ख ही रहा था ..

िक मेरी नजर जैसे ही उसकी नजरों पर पड़ी ..

मने दे खा वो सीधा जूली की ओर ही दे ख रहा था ...

और जूली .....

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